PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 2 कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण

PSEB 7th Class Agriculture Guide कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
फसलों में खाद की आवश्यकता संबंधी मिट्टी-परीक्षण करवाने का नमूना कितनी गहराई तक लेना चाहिए ?
उत्तर-
6 इंच की गहराई तक।

प्रश्न 2.
मिट्टी-परीक्षण करवाने हेतु लिए जाने वाले नमूने की मात्रा बताएं।
उत्तर-
आधा किलोग्राम।

प्रश्न 3.
कल्लर जमीन से मिट्टी का नमूना लेने के लिए कितना गहरा गड्ढा खोदना चाहिए ?
उत्तर-
3 फुट गहरा।

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प्रश्न 4.
बाग लगाने के लिए मिट्टी-परीक्षण हेतु नमूना लेने के लिए कितना गहरा गड्डा खोदना चाहिए ?
उत्तर-
6 फुट गहरा।

प्रश्न 5.
सिंचाई के लिए जल-परीक्षण करवाने हेतु नमूना लेने के लिए कितना समय ट्यूबवैल चलाना चाहिए ?
उत्तर-
आधा घंटा।

प्रश्न 6.
मिट्टी और जल-परीक्षण कितने समय बाद करवा लेना चाहिए ?
उत्तर-
प्रत्येक तीन वर्ष बाद।

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प्रश्न 7.
मिट्टी-परीक्षण से पता लगने वाले कोई दो लघु तत्त्वों के नाम बताएं।
उत्तर-
जिंक, लोहा, मैंगनीज़।

प्रश्न 8.
मिट्टी-परीक्षण से पता लगने वाले कोई दो मुख्य तत्त्वों के नाम बताएं।
उत्तर-
नाइट्रोजन, फास्फोरस

प्रश्न 9.
क्या पानी का नमूना लेने के लिए प्रयोग में ली जाने वाली बोतल को साबुन से धोना चाहिए ?
उत्तर-
नहीं धोना चाहिए।

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प्रश्न 10.
जल-परीक्षण से मिलने वाले किसी एक परिणाम का नाम लिखो।
उत्तर-
पानी का खारापन, चालकता का पानी।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
मिट्टी का नमूना लेने का सही समय क्या होता है ?
उत्तर-
मिट्टी के नमूने लेने का सही समय फसल काटने के बाद का है।

प्रश्न 2.
खड़ी फसल में से नमूना लेने का सही तरीका बताएं।
उत्तर-
खड़ी फसल में से नमूना लेना हो तो फसल की कतारों में से नमूना लेना चाहिए।

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प्रश्न 3.
मिट्टी और जल-परीक्षण के लिए सही तरीके से नमूना लेना क्यों आवश्यक
उत्तर-
गलत तरीके से मिट्टी तथा पानी का नमूना लेकर तथा परीक्षण करवाने से सही जानकारी नहीं मिलती है। इसलिए नमूना सही ढंग से लेना चाहिए।

प्रश्न 4.
पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी जिलों के बहुत सारे ज़मीनी क्षेत्रों में भूमिगत पानी की क्या समस्या है ?
उत्तर-
पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में बहुत सारे क्षेत्र में भूमिगत जल नमकीन अथवा खारा है।

प्रश्न 5.
मिट्टी के नमूने की थैली पर क्या जानकारी लिखनी चाहिए ?
उत्तर-
मिट्टी के नमूने की थैली पर निम्नलिखित जानकारी लिखनी चाहिए

  1. खेत का नंबर
  2. किसान का नाम तथा पता
  3. नमूना लेने का तरीका।

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प्रश्न 6.
बाग लगाने के लिए मिट्टी का नमूना लेते समय कंकड़ों की परत मिलने पर क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि कंकड़ों की परत मिल जाए तो इसका नमूना अलग से भरना चाहिए तथा इसकी गहराई तथा मोटाई की जानकारी भी नोट करनी चाहिए।

प्रश्न 7.
मिट्टी का परीक्षण किन तीन उद्देश्यों के लिए करवाया जाता है ?
उत्तर-

  1. फसलों के लिए उर्वरकों की आवश्यकता तथा उनकी मात्रा पता करने के लिए
  2. कल्लराठी भूमि के सुधार के लिए
  3. बाग लगाने के लिए भूमि की योग्यता पता करना।

प्रश्न 8.
प्रतिकूल पानी से लगातार सिंचाई करने से ज़मीन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर–
प्रतिकूल पानी से लगातार सिंचाई करने से भूमि कल्लराठी हो जाती है।

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प्रश्न 9.
बाग लगाने के लिए मिट्टी-परीक्षण करवाते समय एक जगह से कितने नमूने लिए जाते हैं ?
उत्तर-
बाग लगाने के लिए मिट्टी परीक्षण करवाते समय एक स्थान से लगभग 6-7 नमूने लिए जाते हैं।

प्रश्न 10.
कल्लर जमीन से मिट्टी का नमूना कितनी-कितनी गहराई से लिया जाता है ?
उत्तर-
मिट्टी का नमूना लेने के लिए 3 फुट गहरा गड्डा खोदा जाता है। जिसमें 0-6, 6-12, 12-24 तथा 24-36 इंच गहराई से नमूने लिए जाते हैं।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें :

प्रश्न 1.
मिट्टी-परीक्षण की महत्ता के बारे में लिखो।
उत्तर-
अधिक उपज तथा गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने के लिए खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहिए। मिट्टी का परीक्षण करने से मिट्टी में कौन-से आवश्यक तत्त्वों की कमी है तथा कितनी है, इसकी जानकारी मिलती है। इस तरह खादों का उचित प्रयोग हो सकता है। खाद का आवश्यकता से अधिक प्रयोग भूमि के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।

मिट्टी की जांच करवाने से हमें भूमि की उपजाऊ शक्ति, जैविक मादा, खारी अंग, आवश्यक तत्त्वों की मात्रा का पता लगता है। इस प्रकार मिट्टी की परख का बहुत ही महत्त्व है ताकि इससे सफल फसल प्राप्त की जा सके।

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प्रश्न 2.
बाग लगाने के लिए मिट्टी-परीक्षण कराने हेतु नमूना लेने का ढंग बताएं।
उत्तर-
भूमि की ऊपरी सतह से छः फुट की गहराई तक नमूना लिया जाता है। यह एक तरफ से सीधा तथा दूसरी तरफ से तिरछा होना चाहिए। यह चित्र में दिखाए अनुसार लेना चाहिए।

पहला नमूना 6 इंच तक फिर 6 इंच से 1 फुट तक, 1 फुट से 2 फुट तक, 2 फुट से 3 फुट तक, 3 से 4 फुट तक, 4 से 5 फुट तक, 5 से 6 फुट तक अर्थात् प्रत्येक फुट के निशान तक नमूना लिया जाता है। (1 फुट = 12 इंच)
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नमूना गड्ढे के सीधी तरफ से खुरपे की सहायता से लिया जाता है। एक इंच मोटी सतह एक जैसे निकाली जाती है।
नमूना लेने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए—

  1. यदि भूमि की सतह सख़्त अथवा कंकड़ों वाली हो तो इसका नमूना अलग भरना चाहिए और इसकी गहराई और मोटाई नोट कर लेनी चाहिए।
  2. प्रत्येक तह के लिए विभिन्न नमूने लेने चाहिएं। प्रत्येक नमूना आधा किलो का होना चाहिए।
  3. हर थैली के अंदर और बाहर लेबल लगा देने चाहिएं उस पर नमूने का विवरण हो।

प्रश्न 3.
ट्यूबवैल के पानी का सही नमूना लेने का तरीका लिखो।
उत्तर-
ट्यूबवैल का बोर करते समय पानी की प्रत्येक सतह से प्राप्त नमूने का परीक्षण करवाना चाहिए। पानी का नमूना लेने के लिए कुएँ या ट्यूबवैल को आधा घंटा तक चलाना चाहिए। पानी का नमूना साफ़ बोतल में लेना चाहिए। बोतल पर अग्रलिखित सूचना का पर्चा चिपका देना चाहिए—

  1. नाम,
  2. गाँव और डाकखाना,
  3. ब्लाक,
  4. तहसील,
  5. ज़िला,
  6. पानी की सतह,
  7. मिट्टी की किस्म जिसे पानी लगता है।

बोतल को साफ़ कार्क लगाकर, अच्छी तरह बंद कर दें और प्रयोगशाला में भेज दें। बोतल को साबुन अथवा कपड़े धोने वाले सोडे से साफ नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
मिट्टी और जल-परीक्षण कहाँ से करवाया जाता है ?
उत्तर-
मिट्टी और जल-परीक्षण किसी नज़दीक की मिट्टी जांच प्रयोगशाला से करवाया जा सकता है। मिट्टी तथा पानी की जांच पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में भी करवाई जा सकती है। पी० ए० यू० के क्षेत्रीय खोज केंद्र गुरदासपुर तथा बठिंडा से भी यह परख करवाई जा सकती है। कृषि विभाग पंजाब तथा कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा भी मिट्टी तथा पानी परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इनसे भी किसान मिट्टी तथा पानी की जांच करवा सकता है।

प्रश्न 5.
मिट्टी और जल-परीक्षण में मिलने वाले परिणामों से क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर-
मिट्टी का परीक्षण करवाने से निम्नलिखित जानकारी मिलती है—
मिट्टी की किस्म, इसके क्षारीय अंग, नमकीन पदार्थ (चालकता), जैविक कार्बन, पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस जैसे मुख्य तत्त्वों तथा लघु तत्त्वों; जैसे-लोहा, जिंक, मैंगनीज़ आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
इसी प्रकार पानी की जांच से पानी का खारापन, चालकता, क्लोरीन तथा पानी में सोडे की किस्म तथा मात्रा की जानकारी प्राप्त होती है।
मिट्टी तथा पानी की जांच प्रत्येक तीन वर्ष बाद करवाते रहना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 7 PSEB कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मिट्टी परीक्षण से हमें भूमि के बारे में मिलने वाली जानकारी का एक पक्ष बताओ।
उत्तर-
भूमि की उपजाऊ शक्ति का पता चलता है।

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प्रश्न 2.
खादों की आवश्यकता संबंधी मिट्टी परीक्षण करवाने के लिए किस आकार का गड्ढा खोदा जाता है ?
उत्तर-
अंग्रेजी के अक्षर ‘V’ आकार का।

प्रश्न 3.
खादों की आवश्यकता संबंधी मिट्टी की जांच करवाने के लिए नमूना कितने स्थानों से लेना चाहिए ?
उत्तर-
7-8 स्थानों से।

प्रश्न 4.
मिट्टी के नमूने अलग-अलग कब भरने चाहिएं ?
उत्तर-
जब मिट्टी की किस्म तथा उपजाऊ शक्ति भिन्न-भिन्न हो।

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प्रश्न 5.
कल्लर वाली भूमि से मिट्टी की जांच करवाने के लिए गड्ढा किस आकार का होता है ?
उत्तर-
यह एक तरफ से सीधा तथा दूसरी तरफ से तिरछा होता है।

प्रश्न 6.
खारे पानी से लगातार सिंचाई करते रहने से भूमि की उपजाऊ शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। प्रश्न 7. पी० ए० यू० के कौन-से क्षेत्रीय खोज केंद्र में मिट्टी, पानी का परीक्षण करवाया जा सकता है ? उत्तर-गुरदासपुर तथा बठिंडा।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मिट्टी परीक्षण करवाने का क्या मंतव्य है ?
उत्तर-
फसलों के लिए खादों की आवश्यकता का पता लगाना, कल्लराठी भूमि का सुधार करना तथा बाग़ लगाने के लिए भूमि की योग्यता पता करना।

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प्रश्न 2.
कल्लरी भूमि और साधारण भूमि में से मिट्टी का नमूना लेने में क्या अंतर है ?
उत्तर-
कल्लरी भूमि में एक गड्डा 3 फीट तक खोदा जाता है जबकि साधारण भूमि में विभिन्न गड्डे 6 इंच तक खोदे जाते हैं।
कल्लरी भूमि में एक गड्ढे में से 6 इंच, 1 फुट, 2 फुट, 3 फुट इत्यादि गहराइयों से नमूने लेने के लिए विभिन्न थैलियां बनाई जाती हैं जबकि साधारण भूमि में विभिन्न स्थानों की मिट्टी मिलाकर एक ही थैली में डाली जाती है।

प्रश्न 3.
किस मिट्टी में खाली स्थान अधिक होता है ?
उत्तर-
जिस मिट्टी की बनावट कणों वाली हो और जिसमें जैविक पदार्थ हों। उसमें खाली स्थान अधिक होता है।

प्रश्न 4.
कल्लरी भूमि कितनी किस्म की होती है ?
उत्तर-
यह तीन किस्म की है-लवणी, क्षारीय और लवणी-क्षारीय।

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प्रश्न 5.
लवणी भूमि का क्षारीय अंश और लवणों की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर-
लवणों की मात्रा 0.8 मिली प्रति सेमी० से अधिक और क्षारीय अंश 8.7 से कम होता है।

प्रश्न 6.
क्षारीय भूमि लवणी भूमि से कैसे अलग है ?
उत्तर-
क्षारीय भूमि में सोडियम के लवणों की मात्रा अधिक होती है। लवण युक्त भूमि में इसकी मात्रा बहुत कम या नाममात्र होती है।

प्रश्न 7.
लवणी-क्षारीय भूमियां क्या होती हैं ?
उत्तर-
इन भूमियों में खारापन और नमक दोनों ही अधिक मात्रा में होते हैं।

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प्रश्न 8.
तेजाबी भूमि के सुधार के लिए क्या किया जाता है ?
उत्तर-
इसके लिए चूने का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त गन्ना मिल की गंदगी और लकड़ी की राख प्रयोग में लाई जा सकती है।

प्रश्न 9.
जिप्सम की प्राप्ति कहां से की जा सकती है ?
उत्तर-
यह 50 किलो के बंद बोरों में मार्केटिंग फैडरेशन अथवा भूमि-विकास और बीज कॉर्पोरेशन से तहसील और ब्लॉक स्तर पर मिल जाता है।

प्रश्न 10.
बाग के लिए कैसी भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
उपजाऊ, मल्हड़ और अच्छे निकास वाली।

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प्रश्न 11.
बाग कैसी भूमि पर नहीं लगाना चाहिए ?
उत्तर-
सेम युक्त, क्षारीय या कल्लर वाली भूमि।

प्रश्न 12.
कैसा पानी सिंचाई के लिए कभी नहीं प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
जिस पानी में नमक की मात्रा अधिक हो उसे कभी प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।

प्रश्न 13.
मिट्टी का परीक्षण करवाने की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
मिट्टी के भौतिक तथा रासायनिक गुणों के बारे में जानकारी लेने तथा मिट्टी में मौजूद खुराकी (आहारीय) तत्त्वों की उपलब्धता के बारे में जानकारी लेने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाया जाता है।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी खेत में से मिट्टी का नमूना लेने की विधि बताएं।
उत्तर-
मिट्टी का नमूना लेने के लिए किसान के पास कुदाल, खुरपा और तसला होना चाहिए। यदि रासायनिक खादों के प्रयोग की सिफ़ारिश के लिए नमूना लेना हो तो निम्नलिखित ढंगों का प्रयोग करें—

सबसे पहले खेत का कोरे कागज़ पर नक्शा तैयार करें। इस नक्शे का खसरे के साथ कोई संबंध नहीं है। इस नक्शे पर अपने हिसाब से कोई भी नंबर लगाओ। नक्शे से हर वक्त पता चलता रहेगा कि नमूना किस खेत में से लिया है। चित्र देखें।
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खेत में से नमूना भरने के लिए 10-15 स्थानों से मिट्टी लें। खेत के किसी निशान पर खड़े हो जाएं। यहां कुदाल से गहरा गड्ढा बनाओ। यह अंग्रेजी के अक्षर ‘V’ के आकार का बनेगा।

इसे खुरपे से सीधा करें। इस सीधी की गई दिशा की ओर 6″ गहराई पर निशान लगाएं और धरती से एक अंगुली की मोटाई पर एक पपड़ी 6″ के निशान तक काटकर तसले में डाल दें। इस तरह सारे खेत में से 10 से 15 यहां-वहां ठिकानों से मिट्टी इकट्ठा करें। तसले में सारी मिट्टी को अच्छी तरह मिलाएं और छाया में सुखाकर एक कपड़े की थैली में भर लें।

प्रश्न 2.
परख के लिए भेजने के लिए मिट्टी के साथ कौन-सी सूचना भेजी जाती है?
उत्तर-
परख के लिए भेजने के लिए मिट्टी के नमूने के साथ निम्नलिखित सूचना भेजनी चाहिए—

  1. खेत का नंबर और नाम
  2. नमूना कब लिया।
  3. किसान का नाम पता।
  4. नमूने की गहराई।
  5. फसल चक्कर।
  6. सिंचाई के साधन।
  7. खेत में प्रयोग की गई खादों का विवरण।

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प्रश्न 3.
मिट्टी का नमूना लेने सम्बन्धी कौन-सी हिदायतें हैं ?
उत्तर-

  1. भूमि की ऊपरी सतह से घास-फूस हटा दें, पर मिट्टी न खुरचें।
  2. अगर मिट्टी में कोई ढेला हो तो उसे तोड़कर मिला दें।
  3. जहां पुरानी बाड़ या खाद के ढेर या खाद बिखरी हो उस स्थान से मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिए।
  4. मिट्टी का नमूना साल में कभी भी लिया जा सकता है, पर गेहूँ की कटाई के बाद श्रावण की फसल की बिजाई से पहले नमूना लेना लाभदायक है।
  5. अगर पत्थर या कंकड़ हों, तो इन्हें ऐसे ही रहने दें, इन्हें तोड़ने की आवश्यकता नहीं।
  6. गीली मिट्टी को छाया में सुखा लेना चाहिए। मिट्टी को धूप या आग पर नहीं सुखाना चाहिए।
  7. यदि एक खेत में मिट्टी का कुछ हिस्सा अलग प्रकार का हो तो उसका नमूना अलग तौर से लें। अन्य खेत की मिट्टी में इस स्थान का नमूना नहीं मिलाना चाहिए।
  8. 3-4 वर्ष के बाद खेत की मिट्टी का परीक्षण ज़रूर करवाएं। कोशिश करें कि एक पूरे फसली चक्कर के बाद मिट्टी का परीक्षण हो।

प्रश्न 4.
कल्लरी भूमि में से नमूने लेने का ढंग बताएं।
उत्तर-
कल्लरी भूमि में क्षार और लवणों की मात्रा पानी के उतार-चढ़ाव से बढ़तीघटती रहती है। इस मिट्टी के नमूने गहराई से लेने चाहिएं।
कल्लरी मिट्टी के नमूने लेने के लिए कल्लर वाले खेत में चित्र अनुसार 3 फुट गहरा गड्ढा खोदें। गड्डे का नमूना चित्र में दिया गया है। नमूना लेते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें—
1. गड्डे के ऊपरी तरफ भूमि के स्तर से नीचे की ओर 6 इंच, एक फुट, दो फुट और तीन फुट के फासले पर निशान लगाएं।

2. 6 इंच के निशान पर तसला रखकर भूमि की सतह से नीचे 6 इंच के निशान तक एक-जैसा टुकड़ा निकालें, यह आधा किलो के लगभग होना चाहिए।

3. इस तरह मिट्टी के एक-जैसे टुकड़े (लगभग आधा किलो मिट्टी) भूमि की निचली सतहों में से जैसे कि 6 इंच से एक फुट, एक फुट से दो फुट, दो फुट से तीन फुट आदि के निशान के बीच में से नमूने लें।
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4. यदि भूमि की सतह सख्त अथवा रोड़ी वाली हो तो इसकी गहराई और मोटाई को माप कर इसका नमूना अलग लें।

5. इनके नमूनों को अलग तौर पर साफ़ कपड़े की थैलियों में डालें। सही नमूने पर ध्यान से लेबल लगाएं। एक थैली के अंदर और दूसरा थैली के बाहर। यह सूचना भी साफ़ लिखें जिससे मिट्टी की गहराई का पता चल सके।

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कृषि हेतु मिट्टी एवं जल-परीक्षण PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • खाद के उचित प्रयोग के लिए मिट्टी परीक्षण आवश्यक है।
  • हमें भूमि की उपजाऊ शक्ति, उसके क्षारीय अंग, जैविक कार्बन तथा आवश्यक तत्त्वों की मात्रा की जानकारी मिट्टी परीक्षण से मिलती है।
  • फसलों में खाद की आवश्यकता संबंधी मिट्टी परीक्षण करना हो तो ‘V’ आकार का छः इंच गहरा गड्ढा खोदा जाता है।
  • कल्लर वाली भूमियों से मिट्टी का नमूना लेने के लिए 3 फुट गहरा गड्ढा खोदा जाता है।
  • बाग लगाने के लिए मिट्टी परीक्षण करवाने के लिए खेत में 6 फुट गहरा गड्ढा बनाया जाता है।
  • दक्षिण-पश्चिमी जिलों में बहुत-से क्षेत्रफल का भूमिगत जल नमकीन है।
  • ट्यूबवैल से पानी का नमूना लेने के लिए ट्यूबवैल को कम-से-कम आधा घंटा चलता रहने देना चाहिए।
  • मिट्टी तथा पानी का परीक्षण पी० ए० यू०. लुधियाना में किया जाता है तथा कुछ अन्य संस्थाएं भी यह निरीक्षण करती हैं।
  • किसानों को प्रत्येक तीसरे वर्ष मिट्टी की जांच करवा लेनी चाहिए।

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