Punjab State Board PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि Important Questions and Answers.
PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
तरंग गति से आप क्या समझते हो ? यह कैसे बनती है ? विस्तारपूर्वक वर्णन करो।
उत्तर-
तरंग गति (Wave Motion) – यह एक प्रकार की हलचल है जो किसी माध्यम के कण की दोहराई जाने वाली आवर्ती गति के कारण होती है। यह गति एक कण से दूसरे कण में स्थानांतरित होती है।
तरंग गति का बनना – नीचे दी गई उदाहरण से तरंग का बनना अच्छी तरह समझा जा सकता है-
लालाब के खड़े पानी में एक पत्थर फेंको। संकेंद्रीय छल्लों के रूप में पानी के तल पर वृत्ताकार जल तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन छोटी तरंगों को लघु तरंगें या रिएल भी कहते हैं। बढ़ते अर्धाव्यास वाली ये तरंगें बाहर की ओर चल पड़ती हैं तथा लगभग पानी की समस्त सतह पर फैल जाती हैं। यह तरंगें तालाब के किनारों पर जाकर समाप्त होती हैं।
ऐसा महसूस होता है कि तालाब का वह पानी जहाँ पत्थर फेंका गया था, बाहर की ओर चलना शुरू कर देता है, परन्तु ऐसा नहीं होता है। पानी तो अपनी जगह पर स्थिर रहता है।
व्याख्या – जिस बिंदु पर पत्थर फेंका गया था, पानी के कुछ अणु अपनी साम्य अवस्था से नीचे दब जाते हैं तथा स्थितिज ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं। क्योंकि पानी एक लचीला पदार्थ है इसलिए पानी के अणु बराबर मात्रा में गतिज ऊर्जा से फिर अपनी मूल अवस्था में वापिस आ जाते हैं। इस तरह यह साम्य अवस्था से आगे चले जाते. हैं। यह क्रिया लगातार चलती रहती है। यह अणु एक कंपन पूरा करने के बाद अपनी ऊर्जा साथ वाले अणु को देते हैं। यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक तालाब का किनारा नहीं आ जाता। इस ऊर्जा को हलचल कहा जाता है, जो एक अणु से दूसरे अणु तक प्रत्येक तरफ से बाहर की ओर चलती रहती है तथा तरंग के रूप में दिखाई देती है।
यह भी सिद्ध किया जा सकता है कि पानी के अणु गति नहीं करते। वे केवल अपनी संतुलन अवस्था के इर्द गिर्द ऊपर नीचे गतिशील होते हैं। आप इन लघु तरंगों पर कार्क रखो। आप देखोगे कि कार्क आगे नहीं जाता अपितु उसी जगह ऊपर-नीचे होता रहता है।
प्रश्न 2.
(क) दो तरह की तरंगों के नाम लिखो।
(ख) अनुप्रस्थ तरंगों की रचना समझाने के लिए एक प्रयोग बताओ।
(ग) अनुप्रस्थ तरंगों की परिभाषा दो।
(घ) अनुप्रस्थ तंरगों की उत्पत्ति के लिए क्या परिस्थितियां होनी चाहिए ?
(ङ) अनुप्रस्थ तरंग की उदाहरण दें।
(च) शीर्ष और गर्त की परिभाषा दें।
उत्तर-
(क) तरंग की किस्में – कणों के दोलन की दिशा के अनुरूप तरंगों का वर्गीकरण किया जाता है। यह दोलन तरंग गति के समानांतर या लंबात्मक दिशा में हो सकता है। इस तरह तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
- अनुदैर्ध्य तरंगें
- अनुप्रस्थ तरंगें।
(ख) अनुप्रस्थ तरंगों की रचना – अनुप्रस्थ तरंगों (Transverse Waves) की रचना को समझने के लिए दीवार से लगी एक हुक के साथ धागे या तार का एक सिरा बांधो तथा दूसरे सिरे को अपने हाथ में पकड़ लो। चित्र में दिखाए अनुसार सारे धागे पर बराबर-बराबर 10-10 सें० मी० लंबे रंगदार धागे के टुकड़े बांधो। अब हाथ में
पकड़े सिरे को झटका दो। एक स्पंदन (Pulse) के रूप में धागे की लंबाई के साथ-साथ एक हलचल चल पड़ेगी। अर्थात् धागे के कण तरंग गति अर्थात् हलचल गति की दिशा में लंबात्मक दिशा में कंपन करते हैं। यदि आप थोड़ी-थोड़ी देर बाद झटका देना जारी रखें तो आप देखोगे कि रंगदार धागे उन बिंदुओं के आस-पास जहाँ वे प्रमुख धाग के साथ बंधे हुए हैं ऊपर-नीचे की ओर कंपन करते हैं। ऐसी हलचल एक तरंग है जिसे अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।
इसलिए एक अनुप्रस्थ तरंग में माध्यम के कण ऊपर-नीचे की ओर कंपन करते हैं जबकि हलचल क्षैतिज दिशा में चलती है।
(ग) अनुप्रस्थ तरंगें – अनुदैर्ध्य तरंगों में प्रत्येक कण तरंग-संचार की दिशा के लंबात्मक दिशा में दोलन करता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ऊर्जा कणों की हिल-जुल की दिशा में स्थानांतरित होती है।
(घ) अनुप्रस्थ तरंग बनाने के लिए आवश्यक परिस्थितियां-
- माध्यम में जड़त्व का गुण होना चाहिए।
- माध्यम तन्य होना चाहिए ताकि स्थानांतरण के बाद कण अपनी वास्तविक स्थिति अपना सके।
- माध्यम के विभिन्न कणों में विरोध बहुत कम होना चाहिए ताकि कण काफ़ी देर तक दोलन करते रहें।
(ङ) अनुप्रस्थ तरंगों के उदाहरण-
- धागे में या ढीले स्प्रिंग में यदि हाथ को निरंतर स्प्रिंग में लंबात्मक दिशा में ऊपर-नीचे किया जाये तो अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है।
- पानी की सतह पर तरंग-यदि एक पत्थर जौहड़ के पानी में फेंका जाए तो जल की सतह पर जल-तरंगें उत्पन्न होती हैं। पानी की सतह पर तैर रहा कॉर्क केवल ऊपर-नीचे दोलित होता है, यह तरंगों के साथ विस्थापित नहीं होता। ये तरंगें अनुप्रस्थ हैं।
प्रश्न 3.
(क) अनुदैर्ध्य तरंग की रचना समझाने के लिए एक प्रयोग का संयोजन करो।
(ख) अनुदैर्ध्य तरंग की परिभाषा लिखो।
(ग) अनुदैर्ध्य तरंग के संदर्भ में संपीडन तथा विरलन को परिभाषित करो।
उत्तर-
अनुदैर्ध्य तरंग की रचना-
प्रयोग – ट्यूनिंग फोर्क की एक भुजा A1 को धीरे से टकराओ। यह अपनी साम्य स्थिति के आस-पास बाईं तथा दाईं ओर कंपन करती है।
जैसे ही फोर्क की भुजा A1 दाईं तरफ स्थिति E1 पर पहुंचती है तो अपने संपर्क में आये हुए वायु के अणुओं को दबा देती है। संपीडित हुए यह अणु अगले अणुओं को दबा देते हैं। इस तरह दाईं तरफ एक संपीडन की श्रृंखला चल पड़ती है। अब जब वही भुजा A1बाईं तरफ स्थिति E2 की ओर जाती है तो संपीडित वायु विरली हो जाती है। इस तरह एक विरलन उत्पन्न हो जाता है। फैले हुए यह अणु पड़ोसी अणुओं को और विरला कर देते हैं। इस तरह विरलनों की एक श्रृंखला बन जाती है।
यह बारी-बारी संपीडन तथा विरलन दाईं ओर चल पड़ती है जिस कारण अनुदैर्ध्य तरंग बनती है।
अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal Wave) – अनुदैर्ध्य तरंगें वे हैं जिनमें कणों का दोलन स्थानांतरण के समानांतर सरल रेखीय दिशा में होता है। ऊर्जा उसी दिशा में स्थानांतरित होती है, जिसमें माध्यम के कण दोलन करते हैं।
अनुदैर्ध्य तरंगें बनने के लिए आवश्यक परिस्थितियां वहीं हैं जो अनुप्रस्थ तरंगों के लिए आवश्यक हैं।
(ग) अनुदैर्ध्य तरंग के संपीडन और विरलन – अनुदैर्ध्य तरंग माध्यम में से संपीडन और विरलन के रूप में चलती है। संपीडन की परिभाषा इस प्रकार है-
संपीडन माध्यम का वह क्षेत्र है जिसमें कण परस्पर निकट आ जाते हैं अर्थात् कण सामान्य स्थिति की अपेक्षा कम दूरी पर होते हैं।
अनुदैर्ध्य तरंग के संचार के समय संपीडन पर माध्यम के कणों के आयतन में अस्थायी रूप से कमी आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप माध्यम के इस क्षेत्र में घनत्व बढ़ जाता है।
विरलन माध्यम का वह क्षेत्र है जिसमें कण अपनी सामान्य दूरी से थोड़ा दूर-दूर हो जाते हैं।
तरंग के संचार के समय विरलन पर माध्यम के कणों का आयतन अस्थायी रूप से अधिक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप माध्यम के इस क्षेत्र में दबाव कम हो जाता है।
प्रश्न 4.
आवर्ती तरंग के लिए तरंग वेग, आवृत्ति और तरंग-लंबाई में संबंध स्थापित करें।
उत्तर-
मान लो
v = तरंग का वेग
v = तरंग की आवृत्ति (अर्थात् माध्यम के कणों के दोलन की आवृत्ति)
λ = तरंग की तरंग-लंबाई
T = किसी कण के एक दोलन का दोलन-काल (माध्यम के किसी एक कण द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगा समय)
हम जानते हैं कि तरंग लंबाई माध्यम के किसी कण द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगे समय में तय दूरी है।
∴ T समय में तरंग द्वारा तय दूरी = λ
इकाई समय में तरंग द्वारा तय दूरी = \(\frac{\lambda}{\mathrm{T}}\)
किंतु इकाई समय में तय दूरी तरंग वेग है अर्थात्
v = \(\frac{\lambda}{\mathrm{T}}\)
या v = vλ (∴ \(\frac{1}{T}\) = v)
तरंग-वेग = आवृत्ति × तरंग लंबाई
यह संबंध अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य दोनों तरंगों के लिए सत्य है।
प्रश्न 5.
ध्वनि और प्रकाश तरंगों में क्या अंतर है ?
उत्तर-
ध्वनि और प्रकाश तरंगों में अंतर
ध्वनि तरंग | प्रकाश तरंग |
(1) ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें हैं। | (1) प्रकाश तरंगें विदयुत्-चुंबकीय तरंगें होती हैं। |
(2) ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं जिनमें दोलन तरंग की दिशा में समानांतर होता है। | (2) प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं जिनमें दोलन तरंग की दिशा में लंबात्मक होता है। |
(3) ध्वनि तरंगें निर्वात में से नहीं गुज़र सकतीं। इनको संचार के लिए किसी ठोस, द्रव या गैस जैसे भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है। | (3) प्रकाश तरंगें निर्वात से भी गुज़र सकती हैं। |
(4) ध्वनि तरंगों की वायु में चाल 340 m s-1 के लगभग बराबर होती है। | (4) वायु में प्रकाश तरंगों की गति बहुत अधिक होती है। यह 3 × 10s8 m s-1 है। |
(5) ध्वनि तरंगें संबंधित माध्यम के कणों के दोलन के कारण उत्पन्न होती हैं। | (5) प्रकाश किरणें विद्युतीय या चुंबकीय क्षेत्रों में परिवर्तन पर निर्भर करती हैं । |
(6) ध्वनि तरंगों की आवृत्ति कम तथा तरंग-लंबाई अधिक होती है। | (6) प्रकाश तरंगों की आवृत्ति बहुत अधिक तथा तरंग लंबाई कम होती है। |
(7) ध्वनि तरंगों को ध्रुवित नहीं किया जा सकता। | (7) प्रकाश तरंगों को ध्रुवित किया जा सकता है। |
(8) ध्वनि तरंगें हमारे कानों को प्रभावित करती हैं। | (8) प्रकाश तरंगें हमारी आँखों को प्रभावित करती हैं। |
(9) ध्वनि तरंगें प्रक्षेपक नहीं होती। | (9) प्रकाश तरंगें प्रक्षेपक हो सकती हैं। |
(10) इन तरंगों का वेग तरंग-लंबाई से स्वतंत्र होता है। | (10) इन तरंगों का वेग तरंग-लंबाई पर निर्भर करता है। |
प्रश्न 6.
किसी माध्यम में ध्वनि तंरग की गति को घनत्व तथा दाब परिवर्तन को दर्शाते हुए संपीडन तथा विरलन समझाएं।
उत्तर-
जब ध्वनि तंरग किसी माध्यम में गति करती है तो घनत्व तथा दाब में परिवर्तन होता है। किसी निश्चित समय पर माध्यम का घनत्व तथा दाब दोनों ही उनके औसत मान से ऊपर और नीचे दूरी के साथ परिवर्तित होते हैं। चित्र (a) तथा चित्र (b) प्रदर्शित करते हैं कि जब ध्वनि तरंग माध्यम में संचरित होती है तो घनत्व तथा दाब में कैसे उतार-चढ़ाव होते हैं।
संपीड़न वह क्षेत्र है जहाँ कण पास-पास आ जाते हैं, इन्हें वक्र के ऊपरी भाग में दिखाया गया है। चित्र (c)। शिखर अधिकतम संपीडन के क्षेत्र को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार संपीड़न वह क्षेत्र है जहाँ घनत्व तथा दाब दोनों ही अधिक होते हैं । विरलन निम्न दाब के क्षेत्र हैं जहाँ कण दूर-दूर हो जाते हैं और उन्हें घाटी के रूप में प्रदर्शित करते हैं। इन्हें वक्र के निम्न भाग से दिखाया गया है। शिखर को तरंग का शृंग तथा घाटी को गर्त कहा जाता है।
प्रश्न 7.
ध्वनि तंरगों का आवृत्ति परास के आधार पर वर्गीकरण करके समझाओ।
उत्तर-
- श्रव्य तंरगें – वे ध्वनि तरंगें जिन्हें मानव कान सुन सकता है श्रव्य तंरगे कहलाती हैं। मानव में ध्वनि की श्रव्य सीमा 20 H से 20000 HZ तक है। ज्यों-ज्यों व्यक्ति की आयु बढ़ती है। उसके कान उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि के लिए कम संवेदनशील हो जाते हैं। ये तंरगें वायु स्तंभ के कंपन, द्विभुज स्वरित्र तथा वायलिन में उत्पन्न होती हैं।
- पराश्रव्य तरंगों – 20 KHz (अर्थात् 20000 Hz) से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तंरगों को पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। कुछ प्रजातियों के कीट पराश्रव्य तंरगें सुन सकते हैं। चमगादड़, डालफिन तथा पर पाईज़ मछली पराश्रव्य तंरगें उत्पन्न करते हैं।
- अवश्रव्य तरंगें – वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 Hz से कम होती है अवश्रव्य तंरगें कहलाती हैं । व्हेल तथा हाथी अवश्रव्य ध्वनि तरंगें उत्पन्न करते हैं। भूचाल की मुख्य आवृत्ति वाली तरंगें के आने से पूर्व अवश्रव्य ध्वनि तरंगें पैदा होती हैं जिन्हें सुनकर कुछ जीव-जंतु परेशान हो जाते हैं। संभवतः यह उन्हें सचेत करने के लिए होता है।
प्रश्न 8.
परश्रव्य ध्वनि तरंगों का चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्र में क्या उपयोग है ? ..
उत्तर-
पराश्रव्य तंरगों ने आधुनिक चिकित्सा तथा मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इससे शरीर के आंतरिक अंगों की जानकारी प्राप्त की जा रही है जो इस प्रकार हैं :
(i) ECG – पराध्वनि तंरगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिंब बनाया जाता है। इस तकनीक को “इकोकार्डियोग्राफ़ी” (ECG) कहा जाता है।
(ii) सोनोग्राफी – पराध्वनि संसूचक एक ऐसा यंत्र है जो पराध्वनि तरंगों का उपयोग करके मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए काम में लाया जाता है। इस संसूचक से रोगी के अंगों ; जैसे-यकृत, पित्ताशय, गर्भाशय, गुर्दे आदि का प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सकता है। यह संसूचक को शरीर की असमान्यताएँ, जैसे पित्ताशय तथा गुर्दे में पथरी तथा विभिन्न अंगों में अर्बुद (ट्यूमर) का पता लगाने में सहायता करता है। इस तकनीक में पराध्वनि तरंगें शरीर के ऊतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती है जहाँ ऊतक के घनत्व में परिवर्तन होता है। इसके पश्चात् इन तरंगों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित किया जाता है जिससे कि उस अंग का प्रतिबिंब बना लिया जाए। इन प्रतिबिंबों को मॉनीटर पर प्रदर्शित किया जाता है। इस तकनीक को अल्ट्रासोनोग्राफी कहते हैं। अल्ट्रासोनोग्राफ़ी का उपयोग गर्भ काल में भ्रूण की जाँच तथा उनके जन्मजात दोषों तथा उसकी वृद्धि की अनियमितताओं का पता लगाने में भी किया जाता है।
(ii) लिँथोट्रिप्सी-पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को बारीक कणों को तोड़ने के लिए भी किया जा सकता है। ये कण बाद में मूत्र के साथ बाहर निकल जाते हैं।
प्रश्न 9.
ध्वनि परावर्तन के नियम क्या हैं ? एक प्रयोग द्वारा आप इन नियमों को कैसे सिद्ध करोगे ?
उत्तर-
प्रकाश की भांति ध्वनि भी परावर्तन के उन नियमों का पालन करती है।
- परावर्तित सतह पर आपतन बिंदु पर खींचा गया लंब के साथ ध्वनि की आपतित होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण सदैव आपस में बराबर होते हैं।
- तीनों-आपतित ध्वनि की दिशा, परावर्तित ध्वनि की दिशा तथा लंब एक ही तल में होते हैं।
प्रयोग – चित्र के अनुसार एक समान पेपर के दो पाइप लें। इन्हें दीवार के निकट किसी मेज़ पर रखें। अब एक पाइप के खुले सिरे के पास घड़ी रखो। आप दूसरे पाइप के खुले सिरे में से घड़ी की आवाज़ सुनने की कोशिश करें। दोनों पाइपों की स्थिति इस प्रकार करें कि आपको घड़ी की आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे। उन पाइपों की दिशाओं तथा लंब के बीच के कोण मापो। आप देखोगो कि स्पष्ट आवाज़ सुनाई देने की स्थिति में दोनों कोण परस्पर बराबर हैं जो पहले
नियम को सत्यापित करता है। क्योंकि दोनों पाइप तथा लंब एक ही मेज़ (तल) की सतह में हैं जो दूसरे नियम की सत्यता को प्रमाणित करता है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
आवर्ती गति किसे कहते हैं ? इस गति की तीन उदाहरण भी दें।
उत्तर-
आवर्ती गति (Periodic Motions) – वस्तु की वह गति जो किसी निश्चितं समय अंतरालों में बारबार होती रहती है, आवर्ती गति कहलाती है। ऐसी गति को दोलन गति या कंपन गति भी कहते हैं।
उदाहरण-
- पृथ्वी की सूर्य के इर्द-गिर्द गति ।
- एक झूले की गति जो इधर-उधर (अर्थात् दाएं-बाएं) अपनी मध्य स्थिति के इर्द-गिर्द गति करता रहता है।
- एक सरल लोलक की गति ।
प्रश्न 2.
सरल लोलक क्या होता है ? सरल लोलक के एक दोलन तथा एक कंपन क्या है ?
उत्तर-
सरल लोलक – ऐसा प्रबंध जिसमें एक डोरी (धागा) जिसका एक सिरा दृढ़ आधार से बंधा हो तथा दूसरे सिरे पर भार लटका हो तथा जो स्वतंत्रतापूर्वक दोलन कर सके, सरल लोलक कहलाता है।
यह एक पीतल या तांबे का बहुत ही छोटा गोलक का बना होता है जिसको 80-120 cm लंबे धागे के साथ बांधा होता है। इसको चित्र में दिखाए अनुसार एक दृढ़ आधार से लटकाया जाता है
गोलक बहुत ही छोटा परंतु अधिक द्रव्यमान वाला होता है।
मान लो सरल लोलक की लंबाई ‘L’ है, जिसको दृढ़ आधार पर ‘m’ पुंज वाली एक गोलक के साथ लटकाया गया। जब गोलक गति की स्थिति में नहीं है तो यह माध्य स्थिति ‘0’ पर होता है। इसको संतुलन स्थिति में भी कहा जाता है।
गोलक की दोलन गति – गोलक को हाथ से पकड़ कर दाईं तरफ शिखर स्थिति ‘E1‘ तक ले जाकर छोड़ दो। गोलक स्थिति ‘E1‘ से बाईं तरफ शिखर स्थिति ‘E2‘ पर तथा फिर वापिस संतुलन स्थिति ‘O’ पर आ जाती है। इस तरह गोलक दोलन करना जारी रखता है।
दोलन्द – गोलक की एक दूरतम सिरे से दूसरे दूरतम सिरे तथा वापिस पहले सिरे तक तय की गई दूरी को दोलन कहते हैं।
कंपन – गोलक की संतुलन स्थिति O से शिखर स्थिति E1 तथा फिर संतुलन बिंदु O में से गुज़र कर दूसरी शिखर स्थिति E2 तक तथा वापिस संतुलन स्थिति ‘O’ तक तय किए गए पथ को एक कंपन कहा जाता है।
प्रश्न 3.
तरंग गति की परिभाषा दो तथा बताओ कि किसी माध्यम में तरंग के संचार के लिए कौन-कौन सी शर्ते आवश्यक हैं ?
उत्तर-
तरंग गति (Wave Motion) – यह एक प्रकार की हलचल है जो किसी माध्यम के कणों की दोहराई जाने वाली आवर्ती गति के कारण होती है। यह गति एक कण से दूसरे कण में स्थानांतरण होती है।
माध्यम में तरंग संचार के लिए आवश्यक शर्ते-
- माध्यम लचकीला होना चाहिए। यदि माध्यम लचकीला नहीं होगा तो अणुओं की ऊर्जा पड़ोसी अणुओं को नहीं दी जा सकेगी।
- माध्यम में जड़त्व का होना आवश्यक है।
वे तरंगें जो केवल एक पदार्थिक माध्यम में उत्पन होती हैं, लचकीली या यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।
वे तरंगें जिनके संचार के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं, उन्हें गैर-यांत्रिक तरंगें कहते हैं। प्रकाशीय तथा विद्युत् तरंगें इस प्रकार की होती हैं।
प्रश्न 4.
अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंगों में क्या अंतर है ?
उत्तर-
अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंगों में निम्नलिखित अंतर हैं-
अनुप्रस्थ तरंग | अनुदैर्ध्य तरंग |
(1) अनुप्रस्थ तरंग में माध्यम के कण तरंग की दिशा के लंबात्मक दोलन करते हैं। | (1) अनुदैर्ध्य तरंग में माध्यम के कण तरंग की दिशा के समानांतर दोलन करते हैं। |
(2) अनुप्रस्थ तरंग शृंगों और गर्मों से बनती है। | (2) अनुदैर्ध्य तरंग संपीडनों और विरलनों से बनती है। |
(3) आकार की तन्यता का उपयोग होता है। | (3) आयतन की तन्यता का उपयोग होता है। |
(4) अनुप्रस्थ तरंगें ठोस में से या द्रव के तल के ऊपर से गुज़र सकती हैं। अनुप्रस्थ तरंगें गैसों से बिल्कुल नहीं गुजर सकतीं। । | (4) अनुदैर्ध्य तरंग ठोस, द्रव और गैसों में से गज़र सकती है। |
(5) अनुप्रस्थ तरंग का ध्रुवण हो सकता है। | (5) अनुदैर्ध्य तरंग का ध्रुवण नहीं हो सकता। |
प्रश्न 5.
तरंग संचार के लिए माध्यम का लचकीला होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
ठोस, द्रव तथा गैस माध्यम अणुओं के बने होते हैं जिनका व्यास 10-9 मीटर होता है। उनकी आण्विक रेंज, जहां तक हलचल के समय अणु जा सकते हैं, लगभग 10-8 मीटर तक होती है। इसके अंदर-अंदर ये बेतरतीब गति करते हैं। इस सीमा के अंदर-अंदर गति कर रहा अणु पड़ोसी अणुओं द्वारा आकर्षित होता रहता है। उन्हें अपनी
मूल स्थिति में वापिस आने में सहायक होता है। अणुओं का यह व्यवहार माध्यम को लचकीला बनाता है क्योंकि माध्यम करोड़ों अणुओं का बना होता है, इसलिए तरंग-संचार के लिए माध्यम का लचकीला होना बहुत ही आवश्यक
प्रश्न 6.
ध्वनि का संचार कैसे होता है ? क्या इसका संचार निर्वात में हो सकता है ? ठोस, द्रव तथा गैसों में से किस माध्यम में ध्वनि का वेग अधिकतम तथा किसमें न्यूनतम होता है ?
उत्तर-
ध्वनि का संचार अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में होता है इसलिए ध्वनि तरंगों मे संपीडन तथा विरलन होती है। ध्वनि का स्रोत सदैव ही कंपन स्थिति में होता है। कंपन कर रहे एक स्रोत से उत्पन्न ध्वनि एक माध्यम द्वारा ही आगे संचार की जा सकती है।
ध्वनि तरंगों का संचार निर्वात में कभी नहीं हो सकता। अनुप्रस्थ तरंगें प्रत्येक किस्म के माध्यम, ठोस, द्रव और गैस में संचरित हो सकती हैं। यह माध्यम के लचकीलेपन के कारण हैं। ठोस, द्रवों से और द्रव, गैसों से अधिक लचकीले होते हैं।
प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि ध्वनि तरंगों की चाल ठोस में अधिकतम होती है जब कि गैसों में चाल न्यूनतम होती है।
प्रश्न 7.
पराश्रव्य तरंगें क्या होती हैं ? इनके उपयोग लिखो।
उत्तर-
पराश्रव्य ध्वनि (Ultrasonic Sound) – 20000 कंपन प्रति सैकेंड से अधिक की आवृत्ति को ध्वनि पराश्रव्य ध्वनि (Ultrasonic Sound) कहते हैं। यह ध्वनि हमें सुनाई नहीं देती, परंतु कुछ पशुओं जैसे कुत्तों में पराश्रव्य कंपन को सुनने की क्षमता होती है। चमगादड़ों में पराश्रव्य ध्वनि को पैदा करने तथा सुनने की क्षमता होती है। इन्हीं कंपनों के कारण चमगादड़ों को अपने गमन-पथ का आभास होता है। इसी सिद्धांत के अनुसार राडार का
आविष्कार किया गया है।
पराश्रव्य तरंगों के उपयोग-
- SONAR में पनडुब्बियों की गहराई मापने में इनकी सहायता ली जाती है।
- बैक्टिरिया को नष्ट करने और दूध की जीवाणु रहित बनाने के लिए उपयोग होती हैं।
- ठोस वस्तुओं में छिद्र और दरारें ढूंढ़ने के लिए।
- पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग शरीर के भीतर पनपने वाले कैंसर तथा माँस पिंडों को जाँचने में किया जाता है।
- पराश्रव्य तरंगों से गुर्दो की पत्थरी की जाँच होती है।
- इन तरंगों से भ्रूण की जाँच की जा सकती है।
- माँसपेशियों की दर्द तथा जोड़ों के दर्द के निवारण में इनकी सहायता ली जाती है।
- हवाई जहाज़ों, रेलवे लाइनों तथा पाइपों के दोषों को इनकी सहायता से ढूँढा जाता है।
- समुद्रों की गहराई मापी जाती है।
- ये फोटोग्राफी फिल्मों को बनाने में सहायक होती हैं।
प्रश्न 8.
तरंग-गति के क्या गण हैं ?
उत्तर-
तरंग-गति के गुण-
- यह एक हिल-जुल है, जो माध्यम में से गुज़रती है। तरंग गति के साथ कोई भी द्रव्यमान स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।
- माध्यम के कण अपने मध्य स्थिति के इर्द-गिर्द दोलन करते हैं।
- किसी कण का दोलन उससे पहले वाले कण से कुछ देर बाद शुरू होता है। क्रमिक स्थितियों में निरंतर फेज़-अन्तर होता है।
- दोलन के दौरान कणों का वेग विभिन्न स्थितियों में विभिन्न होता है। यह मध्य स्थिति पर अधिक तथा उच्चतम स्थितियों पर शून्य होता है।
- किसी माध्यम में तरंग का वेग अचर होता है।
- माध्यम के बिना किसी वास्तविक स्थानांतरण के हिल-जुल के साथ ऊर्जा भी स्थानांतरित हो जाती है।
- यांत्रिक तरंग गति के स्थानांतरण के लिए भौतिक माध्यम आवश्यक है। इस माध्यम में तन्यता और जड़त्व के गुण होने चाहिएं तथा माध्यम के कणों में घर्षण बल लघुतम होना चाहिए।
प्रश्न 9.
ध्वनि क्या है ? संक्षेप में बताओ।
उत्तर-
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कानों में सुनने की संवेदना उत्पन्न करती है। यह एक प्रकार की कणों में हलचल (Disturbance) है जो बाहरी कारणों से उत्पन्न होती है।
हम कई प्रकार की ध्वनियां सुनते हैं, जैसे-बच्चे का रोना, वायु का तेज़ चलना, कुत्ते का भौंकना, बिजली का गर्जना, रेल के इंजन की सीटी, वायुयान की गड़गड़ाहट आदि। हर प्रकार की ध्वनि पैदा करने वाली वस्तु कंपन कर रही होती है।
प्रश्न 10.
एक तंग कमरे में प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देती। व्याख्या करो, क्यों ?
उत्तर-
तंग कमरे में प्रतिध्वनि – हमारे कान में सुनने की संवेदना का प्रभाव 0.1 सैकेंड तक रहता है यद्यपि ध्वनि का स्रोत कंपन करना बंद कर दे। इसलिए गूंज सुनने के लिए परावर्तित ध्वनि हमारे कानों में मूल ध्वनि के पहुंचने से 0.1 सैकेंड बाद आनी चाहिए। अर्थात् ध्वनि द्वारा दोनों ओर से तय की गई कुल दूरी 344 × 0.1 = 34.4 मीटर होनी चाहिए। इसलिए यह स्पष्ट है कि गूंज उत्पन्न करने के लिए स्रोत तथा परावर्तक तक ध्वनि को 34.4 मी० का आधा अर्थात् 17.2 मीटर की दूरी तक करनी चाहिए। यदि ध्वनि स्रोत तथा परावर्तक के बीच की दृरी 17.2 मी० से कम होगी तो प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देगी। इसलिए तंग कमरे की दीवारों की दूरी 17.2 मी० से कम होती है इसलिए प्रतिध्वनि नहीं देती।
प्रश्न 11.
कंपन गति से ध्वनि उत्पन्न होती है, फिर कंपन कर रहा एक लोलक ध्वनि उत्पन्न क्यों नहीं करता ?
उत्तर-
दोलन या कंपन कर रहा लोलक ध्वनि इसलिए उत्पन्न नहीं करता क्योंकि इससे उत्पन्न हुई दोलन तरंगें वायु के माध्यम में बिखर जाती हैं। यदि निर्वात में लोलक का कंपन हो तो ध्वनि सुनाई देगी।
प्रश्न 12.
दूर बज रहे सायरन के साथ हम अपनी घड़ी सैट करते हैं ? क्या वह तेज़ चलेगी या धीमी ? व्याख्या करो।
उत्तर-
सायरन से उत्पन्न हुई ध्वनि को हम तक पहुंचने के लिए कुछ समय लगेगा। अर्थात् जब सायरन बजा तथा जब ध्वनि हम तक पहुंची है उसमें कुछ समय लगता है। इसलिए सायरन के साथ सैट की हुई घड़ी वास्तविक समय से पीछे रह जाएगी अर्थात् धीमी चलेगी।
प्रश्न 13.
एक संपीडन तथा एक विरलन क्या होते हैं ?
उत्तर-
अनुदैर्ध्य तरंग के संपीडन और विरलन – अनुदैर्ध्य तरंग माध्यम में से संपीडन और विरलन के रूप में चलती है।
संपीडन की परिभाषा – संपीडन माध्यम का वह क्षेत्र है जिसमें कण परस्पर निकट आ जाते हैं अर्थात् कण सामान्य परिस्थिति की अपेक्षा कम दूरी पर होते हैं।
अनुदैर्ध्य तरंग के संचार के समय संपीडन पर माध्यम के कणों के आयतन में अस्थायी रूप से कमी आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप माध्यम के इस क्षेत्र में घनत्व बढ़ जाता है।
विरलन की परिभाषा – विरलन माध्यम का वह क्षेत्र है जिसमें कण अपनी सामान्य दूरी से थोड़ा परे-परे हो जाते हैं।
तरंग के संचार के समय विरलन पर माध्यम के कणों का आयतन अस्थायी रूप से अधिक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप माध्यम के इस क्षेत्र में दबाव कम हो जाता है। क्योंकि माध्यम के दबाव में कमी होती है, इसलिए इन तरंगों को दबाव तरंगें भी कहते हैं।
ध्वनि तरंगें भी अनुदैर्ध्य होती हैं जो माध्यम में से गुजरते समय संपीडन और विरलन की श्रृंखला से युक्त होती हैं। जब ध्वनि तरंग वायु में गुजरती है, तो वायु के कण आगे नहीं बढ़ते परंतु उसी दिशा में दोलित होते हैं, जिसमें ध्वनि तरंग गतिशील होती है।
जब माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगें चलती हैं तो माध्यम की घनता में परिवर्तन चित्र में दिखाये अनुसार होता है।
प्रश्न 14.
श्रृंग और गर्त में अंतर बतलाओ।
उत्तर-
श्रृंग (शीर्ष) (Crest) – अनुप्रस्थ तरंगों में दोलन कर रहे कणों की संतुलन स्थिति में धनात्मक दिशा की ओर अधिकतम विस्थापन वाले सबसे ऊंचे बिंदु को शीर्ष कहते हैं।
गर्त (ट्रफ) (Trough) – अनुप्रस्थ तरंगों में दोलन कर रहे कणों की संतुलन स्थिति से ऋणात्मक दिशा की ओर अधिकतम विस्थापन वाले सबसे निम्न बिंदु को गर्त कहते हैं।
अनुप्रस्थ तरंग के शीर्ष और गर्त – अनुप्रस्थ तरंग हिल-जुल रेखा के शून्य बिंदु से ऊपर उठने तथा नीचे बैठने के रूप में बनती है। माध्य के उठान को शीर्ष कहते हैं।
प्रश्न 15.
क्या आप ध्वनि की सहायता से एक प्रकाश के धब्बे को नृत्य करा सकते हैं ? कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
एक टिन का डिब्बा लो। इसके दोनों सिरों को काट कर खोखला बेलन बना लो। एक गुब्बारे को इस प्रकार काटो कि उसकी एक झिल्ली बन जाए। इस झिल्ली को खींच कर डिब्बे के एक खुले सिरे के ऊपर तान दो। गुब्बारे के चारों ओर एक रबड़ का छल्ला लपेट दो। समतल दर्पण का एक छोटा टुकड़ा लेकर इसे गोंद की सहायता से गुब्बारे से इस प्रकार चिपकाओ कि उसकी चमकदार सतह ऊपर की ओर हो।
एक झिरों से आने वाले प्रकाश को दर्पण पर पड़ने दो। परावर्तन के पश्चात् प्रकाश का धब्बा दीवार पर पहुँचाता है। डिब्बे के खुले भाग में सीधे ही बात करो या ज़ोर से चिल्लाओ। आप दीवार पर प्रकाश के धब्बे को नाचते हुए देखोगे।
प्रश्न 16.
ध्वनि बूम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ध्वनि बूम (Sonic boom) – जब कोई ध्वनि स्रोत वायु में, ध्वनि की चाल से अधिक चाल से चलता है तो वह वायु में प्रघाती तंरगें उत्पन्न करता है जिनमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इन तंरगों के कारण वायुदाब में परिवर्तन से एक तेज़ और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बूम कहते हैं। पराध्वनिक यान से उत्पन्न ध्वनि बूम में इतनी ऊर्जा होती है कि आस-पास के मकानों की खिड़कियाँ के काँच झनझना उठती हैं।
प्रश्न 17.
ध्वनि पट्ट (बोर्ड) क्या होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ध्वनि-पट्ट – ध्वनि पट्ट एक अवतल पृष्ठ होता है जिसे बड़े हॉलों इत्यादि में स्पीकर के पीछे रख देते हैं। इसका प्रयोग ध्वनि को पूरे हॉल में समान रूप से फैलाने में किया जाता है। वक्ता S चित्र अनुसार ध्वनि-पट्ट को चित्रानुसार ध्वनि-पट्ट के फोकस पर अवस्थित है। अवतल परावर्तक ध्वनि पट्टों को चित्रानुसार वक्ता (स्पीकर) के पीछे रखते हैं जिससे ध्वनि विभिन्न दिशाओं में फैलने से रुकती है। ध्वनि पट्ट फोकस पर स्थित वक्ता की ध्वनि की तंरगों को श्रोताओं की ओर परावर्तित करता है, इनसे दूर बैठे श्रोतागण भी वक्ता का भाषण स्पष्ट सुन पाते हैं। अतः ध्वनि पट्ट की कार्यविधि ध्वनि के परावर्तन पर आधारित है।
प्रश्न 18.
ध्वनि परावर्तन से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ध्वनि का परावर्तन – प्रकाश की भाँति ध्वनि भी अपनी दिशा बदल सकती है तथा परावर्तित हो सकती है। ध्वनि का दीवारों से टकराकर वापस लौटना ध्वनि का परावर्तन कहलाता है ; जैसे-ध्वनि तंरगें धातु की चादर, लकड़ी इत्यादि से परावर्तित हो जाती हैं। प्रकाश परावर्तन के नियम ध्वनि के लिए भी लागू होते हैं, परंतु ध्वनि के परावर्तन के लिए किसी चिकनी तथा चमकीली सतह की आवश्यकता नहीं होती है। ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े आकार के अवरोधों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 19.
क्या कारण है कि दूर से आने वाली रेलगाड़ी की ध्वनि सुनाई नहीं देता परंतु पटरी पर कान रखकर हम उसकी आवाज़ सुन सकते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि वायु की अपेक्षा धातुओं आदि में एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से तीव्र चाल से चलती है। अत: रेलगाडी की आवाज़ पटरी में से होकर हमारे कानों तक पहुंच जाती है।
प्रश्न 20.
क्या कारण है कि औरतों की आवाज़ पतली व पुरुषों की आवाज़ मोटी होती है ?
उत्तर-
ध्वनि का मोटा अथवा पतला होना ध्वनि के तारत्व पर निर्भर करता है, क्योंकि औरतों की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है, अत: आवाज़ पतली होती है। इसके विपरीत पुरुषों की ध्वनि का तारत्व कम होता है अत: आवाज़ मोटी होती है।
प्रश्न 21.
क्या कारण है कि हम भूकंप से उत्पन्न तरंगों को नहीं सुन पाते जबकि चमगादड़ या कुत्ते सुन सकते हैं ?
उत्तर-
हमारा कान 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ तक की आवृत्तियों वाली तरंगों को सुन सकते हैं। आवृत्ति का यह परास श्रवण परास कहलाता है। भूचाल द्वारा पैदा हुई तरंगों की आवृत्ति इस परास में नहीं होती। इसलिए हम इन तरंगों को नहीं सुन सकते परंतु चमगादड़ और कुत्ते के कान भूचाल द्वारा पैदा हुई तरंगों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए चमगादड़ और कुत्ते आसानी से इन तरंगों को सुन सकते हैं।
प्रश्न 22.
मच्छर की आवाज़ तथा शेर की आवाज़ में क्या अंतर है ?
उत्तर-
मच्छर की आवाज़ की प्रबलता कम होती है परंतु आवृत्ति अधिक होती है। दूसरी तरफ शेर की आवाज़ की प्रबलता अधिक होती है परंतु आवृत्ति कम होती है, इसलिए मच्छर की आवाज़ शेर की आवाज़ से तीखी होती है।
प्रश्न 23.
श्रवण सहायक युक्ति क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है ?
उत्तर-
श्रवण सहायक युक्ति – जिन व्यक्तियों को कम सुनाई देता है उन्हें इस युक्ति की आवश्यकता होती हैं। यह बैट्री से चलने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है। इसमें एक छोटा-सा माइकोफोन, एक एंप्लीफायर व स्पीकर होता है। जब ध्वनि माइक्रोफोन पर पड़ती है तो वह ध्वनि तरंगों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित कर देता है।
एंप्लीफायर इन विद्युत् संक्तों को प्रवर्धित कर देता है। ये संकेत स्पीकर द्वारा ध्वनि की तरंगों में परिवर्तित कर दिए जाते हैं। ये ध्वनि तरंगें कान के डायफ्राम पर आपतित होती हैं तथा व्यक्ति को ध्वनि साफ़ सुनाई देती है।
महत्त्वपूर्ण सूत्र (Important Formulae)
1. तरंग का वेग, (v) = v × λ
2. आवृत्ति (v) = \(\)
3. तरंग लंबाई (λ) = V × T
4. कुल दूरी = वेग × समय
संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)
प्रश्न 1.
मोहन के हृदय की आवृत्ति कितनी है, जब वह 1 मिंट में 75 बार धड़क रहा हो ?
हल :
75 बार हृदय के धड़कने को लगा समय = 1 मिनट = 60 सैकेंड
1 बार हृदय के धड़कने को लगा समय = \(\frac{60}{75}\) सैकेंड
= 0.80 सैकेंड
∴ आवर्त काल (T) = 0.80 सैकेंड
हम जानते हैं, कि आवृत्ति (v) =
v = \(\frac{1}{0.80}\)
= 1.25 हज़ उत्तर
प्रश्न 2.
एक नाव समुद्र की तरंगों से टकरा गई है, जिसकी क्रमागत श्रृंग 100 मी० की दूरी पर है। श्रृंग की तरंग-वेग 20 मी०सै० है। नाव की तरंगों से टकराने की आवृत्ति कितनी है ?
हल :
तरंगदैर्ध्य, (λ) = 100 m
तरंग वेग, (v) = 20 m/s
आवृत्ति, (v) = ?
हम जानते हैं, v = v × λ
20 = v × 100
v = \(\frac{20}{100}\)
= 0.2 हज़ = 0.16
प्रश्न 3.
तरंग का एक स्रोत 0.4 सैकेंड में 40 श्रृंग और 40 गर्त उत्पन्न करता है। तरंग की आवृत्ति ज्ञात करो।
उत्तर-
एक तरंग साइकिल में एक श्रृंग तथा एक गर्त होता है। क्योंकि दिया हुआ स्रोत 40 श्रृंग उत्पन्न करता है, अत: यह 0.4s में 40 तरंग साइकिल उत्पन्न करता है। इसलिए,
0.4s में तरंग साइकिल उत्पन्न होती है = 40
1s में तरंग साइकिल उत्पन्न होगी = \(\frac{40 \times 1 \mathrm{~s}}{0.4 \mathrm{~s}}\)
= 100
∴ तरंग की आवृत्ति (υ) = 100 Hz
प्रश्न 4.
एक तार पर एक तरंग प्लस 8 मीटर की दूरी 0.05 सैकेंड में तय करती है। तरंग वेग कितना है ? यदि तार की आवृत्ति 200 हर्ट्ज़ है तो तरंग की लंबाई कितनी होगी ?
हल :
तरंग का वेग, υ =
υ = \(\frac{8}{0.05}\)
= 160 मी०/सै०
हम जानते हैं कि, v = υλ
λ = \(\frac{v}{v}\)
λ = \(\frac{160}{200}\)
λ = 0.8 मीटर उत्तर
प्रश्न 5.
ध्वनि तरंगों का वेग 330 m/s है। यदि ध्वनि तरंग की आवृत्ति 550 Hz हो, तो उसकी तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल :
υ = 550 Hz, v = 330 ms-1, λ = ?
υ = vλ
या, λ = \(\frac{v}{v}=\frac{330}{550}\) = 0.6 m
प्रश्न 6.
एक स्रोत द्वारा उत्पन्न ध्वनि की तरंग-लंबाई 1.7 × 10-2m है। यदि इसका वेग 343.4 ms-1 हो, तो ध्वनि की आवृत्ति ज्ञात करें।
हल :
वेग υ = 343.4 ms-1, आवृत्ति υ = ? तरंग-लंबाई = 1.7 × 10-2 m
υ = vλ
या v = \(\frac{v}{\lambda}\)
या v = \(\frac{343.4}{1.7 \times 10^{-2}}\)
= 2.02 × 104 Hz.
प्रश्न 7.
उस तंरंग की आवृत्ति क्या होगी जिसका आवर्तकाल 0.05 s है ?
हल :
आवर्तकाल T = 0.05 s, आवृत्ति, v = ?
आवृत्ति v = \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\)
या v = \(\frac{1}{0.05}=\frac{100}{5}\) = 20 Hz.
प्रश्न 8.
एक चमगादड़ 120 KH2. तक की आवृत्ति की ध्वनि को सुन सकता है। इस आवृत्ति के लिए, वायु में ध्वनि की तरंगदैर्ध्य क्या होगी ? वायु में ध्वनि का वेग 344 m/s लीजिए।
हल:
आवृत्ति (v) = 120 कि० हर्ट्ज़ = 120 × 1000 हर्ट्स
= 120,000 हज़
ध्वनि का वेग = V= 344 मी०/सै०
तरंगदैर्ध्य, λ = ?
V = vλ
λ = \(\frac{\mathrm{V}}{v}\)
= \(\frac{344}{120,000}\)m
= \(\frac{344 \times 100}{120,000}\)m
= 0.28 m
प्रश्न 9.
वकीय तरंग, जिसका आवर्तकाल 10 सैकेंड 15 मी०/सै० के वेग से चल रही है। उसकी तरंग लंबाई ज्ञात करो। एक तरंग शीर्ष तथा अगली तरंग गर्त के मध्य क्षैतिज दूरी बताओ।
हल:
आवर्तकाल, T = 10 sec.
v = \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\)
= \(\frac{1}{10}\) = 0.1 हलज़
वेग, V = 15 m/s
हम जानते हैं, V = vλ
λ = \(\frac{\mathrm{V}}{v}\)
= \(\frac{15}{0.1}\)
= 150 मी०
एक तरंगशीर्ष तथा अगली तरंग गर्त के बीच दूरी = \(\frac{\lambda}{2}\)
= \(\frac{150}{2}\)
= 75 मी०
प्रश्न 10.
चित्र में किस क्षण एक आवर्त तरंग का दूरी विस्थापन का ग्राफ दिखाया गया है, यदि तरंग का वेग 320 m/s हो, तो ज्ञात कीजिए-
(a) तरंगदैर्ध्य
(b) आवृत्ति।
हल :
(a) तरंगदैर्ध्य = दो शृंगों के बीच की दूरी
= 50 – 10 = 40 cm
= \(\frac{40}{100}\)m = 0.4 m
(b) तरंग का वेग υ = 320 m/s, v = ?, λ = 0.4
υ = vλ
v = \(\frac{v}{\lambda}=\frac{320}{0.4}\) = 800Hz .
दूरी (सें मील) -1 2. 0.4
∴ आवृत्ति v = 800 Hz
प्रश्न 11.
किसी स्प्रिंग (Spring) पर कोई अनुदैर्ध्य तरंग उत्पन्न की जाती है। यह तरंग 3th cm/s वेग से चलती है और इसकी आवृत्ति 20 Hz है। स्प्रिंग के दो क्रमागत संपीडनों के बीच न्यूनतम दूरी कितनी है ?
हल :
V = 30 cm/s = 0.30 m/s, आवृत्ति v = 20 Hz, λ = ?
V = vλ
0.30 = 20 Hz × λ
λ = \(\frac{.30}{20}\)
= .015 मीटर
= 1.5 सेमी०
प्रश्न 12.
एक रिपल तालाब (Ripple tank) में प्रति सैकेंड 10 पूरी लहरें उत्पन्न होती हैं। पड़ोसी गर्त और शिखरों में दूरी 12 cm है। आवृत्ति, तरंग-लंबाई और तरंग का वेग ज्ञात करें।
हल :
चूँकि 10 लहरें प्रति सैकेंड की दर से उत्पन्न होती हैं। इसलिए आवृत्ति 10 Hz है। चूँकि तरंग-लंबाई पड़ोसी गर्त और शिखर की दूरी की दुगुनी है, इसलिए तरंग-लंबाई है
λ = 2 × 12 = 24 cm
V = v × λ = 10 × 24 = 240 ms-1
प्रश्न 13.
एक प्रेषक चट्टान के सामने 200 मीटर दूर खड़ा होता है। वह सीटी बजाता है। अगर ध्वनि हवा में 332 m/s के वेग से चलती हो तो यह सीटी की प्रति ध्वनि कितनी देर बाद सुन सकेगा ?
हल :
ध्वनि का वेग = 332 मीटर प्रति सै०
ध्वनि वापस आने के लिए चली गई दूरी = 200 मी० + 200 मी० = 400 मी०
332 मी० ध्वनि चलने के लिए लिया गया समय = 1 सैकेंड
1 मी० ध्वनि चलने के लिए लिया गया समय = \(\frac{1}{332}\) सैकेंड
400 मी० ध्वनि चलने के लिए लिया गया सभय = \(\frac{1}{332}\) × 400
= \(\frac{100}{83}\) से०
= 1.2 सैकेंड उत्तर
प्रश्न 14.
एक नाव में एक ध्वनि संकेत भेजा गया। यह संकेत समुद्र की तली से परावर्तन होने के 0.8 सैकेंड के बाद नाव पर लौट आया। समुद्र की गहराई ज्ञात करो यदि पानी में ध्वनि का वेग 1500 मीटर प्रति सैकेंड हो।
हल :
ध्वनि का वेग = 1500 मी० प्रति सैकेंड
लगा समय = 0.8 सैकेंड
ध्वनि द्वारा कुल तय दूरी = ध्वनि का वेग × समय
= 1500 × 0.8
= 1500 × \(\frac{8}{10}\)
= 1200 मी०
समुद्र की गहराई = \(\frac{1200}{2}\) = 600 मी०
प्रश्न 15.
कोई बच्चा किसी शक्तिशाली पटाखे के फटने के 4 सैकेंड बाद उसकी किसी खड़ी चट्टान के कारण प्रतिध्वनि सुनता है। बच्चे से चट्टान की दूरी क्या है ? हल :
ध्वनि द्वारा जाने तथा फिर वापिस आने में तय की गई कुल दूरी = 2d
V = \(\frac{2 d}{t}\)
d = \(\frac{\mathrm{V} \times t}{2}\)
d = \(\frac{344 \times 4}{2}\)
= 688 मीटर उत्तर
प्रश्न 16.
एक स्वरित्र की आवृत्ति 400 हर्ट्ज़ है। इसका आवर्तकाल कितना होगा ?
हल :
प्रश्न 17.
एक स्वरित्र का दोलनकाल 1/10 सेकंड है। स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल :
∴ υ = 40 हर्ट्ज़।
प्रश्न 17.
एक तरंग की चाल 100 मीटर/सेकंड तथा तरंग-दैर्ध्य 50 सेमी है। तरंग की आवृत्ति ज्ञात कीजिए :
हल :
दिया है, तरंग की चाल (v) = 1000 मीटर/सेकंड, तरंग दैर्ध्य (λ) 50 सेमी = 50 × 10-2 मीटर, आवृत्ति (v) = ?
सूत्र υ = vλ से
तरंग की आवृत्ति v = \(\frac{v}{\lambda}\)
= 200 हर्ट्ज़
प्रश्न 18.
ध्वनि वायु में 330 मीटर/सेकंड की चाल से चलती है। एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 550 हर्ट्स है। इस तरंग की तरंग-दैर्ध्य क्या होगी ?
हल :
दिया है : तरंग वेग (υ) = 330 मीटर/सेकंड, आवृत्ति (v) = 550 हर्टज
सूत्र υ = v × λ = से,
तरंग-दैर्ध्य λ = \(\frac{v}{v}\)
= \(\frac{3}{5}\) मीटर = 0.6 मीटर
प्रश्न 19.
एक रेडियो प्रसारण केंद्र से 40 मेगा ह आवृत्ति की विद्युत्-चुंबकीय तरंगें प्रसारित होती हैं। यदि विदयुत्-चुंबकीय तरंग की चाल 3.0 × 108 मीटर/सेकंड हो तो इन तरंगों की तरंग-दैर्ध्य क्या होगी?
हल :
दिया है : आवृत्ति (v) = 40 मेगा हर्ट्ज़ = 40 × 106 हज़, चाल (v) = 3.0 × 106 मीटर/सेकंड, तरंगदैर्ध्य (λ) = ?
सूत्र v = vλ
तरंग-दैर्ध्य λ = \(\frac{v}{v}\)
= 7.5 मीटर
प्रश्न 20.
किसी (खड़ी नाव) से जल तरंगें लगातार टकरा रही हैं। यदि इन तरंगों के दो क्रमागत श्रृंगों के बीच की दूरी 100 मीटर तथा जल में तरंगों का वेग 20 मीटर/सेकंड है तो तरगों के नाव से टकराने की आवृत्ति क्या है ?
हल :
दिया है : जल में तरंगों का वेग (υ) = 20 मीटर/सेकंड
क्रमागत शृंगों के बीच की दूरी = 100 मीटर, तरंगों की आवृत्ति (v) = ?
∵ दो क्रमागत शृंगों के बीच की दूरी = तरंग्ध्य (λ)
∴ तरंग-दैर्ध्य λ = 100 मीटर
सूत्र = v × λ से,
आवृत्ति v = \(\frac{v}{\lambda}\)
= 0.2 हज़
प्रश्न 21.
एक स्रोत वायु में 1.2 मीटर तरंग-दैर्ध्य की तरंगें उत्पन्न कर रहा है। यही स्रोत जल में 5.4 मीटर तरंग-दैर्ध्व की तरंगें उत्पन्न करता है। यदि वायु में ध्वनि की चाल 330 मीटर/सेकंड हो तो तरंग की जल में चाल ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : वायु में तरंग दैर्ध्य (λ1) = 1.2 मीटर तथा तरंग वेग (υ1) = 330 मीटर/सेकंड
∴ तरंग की आवृत्ति (v) = \(\frac{v_{1}}{\lambda_{1}}\)
= 275 हज़
दोनों तरंगें एक ही स्रोत से उत्पन्न हो रही हैं क्योंकि दोनों की आवृत्तियाँ समान हैं
जल में तरंग-दैर्ध्य (λ2) = 5.2 मीटर
∴ जल में तरंग की चाल (υ2) = v × λ2
= 275 हज़ × 5.4 मीटर
= 1485 मीटर/सेकंड
प्रश्न 22.
सोनार द्वारा पानी के पृष्ठ पर ध्वनि स्पंद उत्सर्जित किए जाते हैं। ये स्पंद पानी की तली से परावर्तन के पश्चात् संसूचित किए जाते हैं। यदि उत्सर्जित होने व संसूचन के बीच समय अंतराल 2 सेकंड है तो पानी की गहराई कितनी है ? (पानी में ध्वनि की गति = 1498 मीटर/सेकंड)
हल :
दिया है, उत्सर्जन व संसूचन के मध्य समयांतराल (t) = 2 सेकंड
पानी में ध्वनि की चाल (v) = 1498 मीटर/सेकंड
मान लो पानी की गहराई = S = ?
प्रश्नानुसार, ध्वनि तरंगें (t) = 2 सेकंड में 25 दूरी तय करती है।
अतः पानी की गहराई S = \(\frac {1}{2}\)υt
= \(\frac {1}{2}\) × (1498 मीटर/सेकंड) × 2 सेकंड
= 1498 मीटर
प्रश्न 23.
एक पत्थर 44.1 मीटर गहरे कुएँ में गिराया जाता है। यदि पत्थर के पानी से टकराने की ध्वनि, पत्थर गिराने के 3.13 सेकंड बाद सुनाई देती है तो वायु में ध्वनि का वेग ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, कुएँ की गहराई (h) = 44.1 मीटर, गुरुत्वीय त्वरण (g) = 9.8 मीटर/सेकंड2
पत्थर को जल के तल तक जाने में तथा ध्वनि को ऊपर तक आने में लगा समय 1 = 3.13 सेकंड
मान लो पत्थर को जल के तल तक जाने में t1 समय लगता है तो
समीकरण S = ut + \(\frac {1}{2}\)gt2 से,
44.1 मीटर = 0 × t1 + \(\frac {1}{2}\) × (9.8 मीटर/सेकंड2) × t12
= 3.0 सेकंड
∴ ध्वनि को कुएँ के शिखर तक पहुँचने में लगा समय t2 = t – t1
= (3.13 – 3.0) सेकंड
= 0.13 सेकंड
= 339.2 मीटर/सेकंड
प्रश्न 24.
प्रतिध्वनि सुनने के लिए किसी कमरे की न्यूनतम लंबाई कितनी होनी चाहिए ? वायु में ध्वनि की चाल 320 मीटर/सेकंड है।
हल :
मानव कान पर ध्वनि का प्रभाव t = 0.1 सेकंड तक बना रहता है,
∴ प्रतिध्वनि सुनने के लिए आवश्यक है, ध्वनि को श्रोता से चलकर दीवार से टकराने तथा वापस श्रोता तक पहुँचने में न्यूनतम 0.1 सेकंड का समय लगना चाहिए।
मान लो कमरे की न्यूनतम लंबाई = (S)
तब ध्वनि 0.1 सेकंड में 2S दूरी तय करेगी।
तय हुई दूरी (2S) = चाल × समय
2S = 320 मीटर/सेकंड × 0.1 सेकंड
या 2S = 32 मीटर
S = 16 मीटर
इसलिए कमरे की न्यूनतम लंबाई 16 मीटर होनी चाहिए।
प्रश्न 25.
किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति 2kHz और उसकी तरंगदैर्ध्य 35cm है। यह 1.5 km दूरी चलने में कितना समय लेगी ?
हल :
दिया हुआ है,
आवृत्ति (v) = 2 kHz
= 2000 Hz
तरंगदै- (λ) = 35 cm
= 0.35 m
हम जानते हैं, तरंग वेग (υ) = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति
υ = λ × v
= 0.35m × 2000 Hz
= 700 m/s
समय (t) = \(\frac{d}{v}=\frac{1.5 \times 1000 \mathrm{~m}}{700 \mathrm{~ms}^{-1}}\)
= \(\frac{15}{7}\)s
= 2.1s
∴ ध्वनि 1.5 km दूरी तय करने में 2.1 s समय लेगी।
प्रश्न 26.
एक मनुष्य किसी खड़ी चट्टान के पाम ताली बजाता है और उसकी प्रतिध्वनि 5s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 346 ms-1 ली जाए, तो चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी कितनी होगी ?
हल :
ध्वनि की चाल (υ) = 346 ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय t = 5s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी (S) = υ × t = 346 ms-1 × 5 s
= 1730 m
5 s में ध्वनि ने चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दोगुनी दूरी तय की।
1730 चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी = \(\frac{1730}{2}\)m
= 865 m
प्रश्न 27.
एक जहाज पराध्वनि उत्पर्जित करता है जो समुद्र तल से परावर्तित होकर 3.42 s के पश्चात् संसूचित की जाती है। यदि समुद्र जल में पराध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो समुद्र तल से जहाज़ की कितनी दूरी होगी ?
हल :
प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय t = 3.42 s
समुद्र जल में पराश्वनि की चाल (υ) = 1531 m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d. जहाँ d = समुद्र की गहराई
∴ 2d = ध्वनि की चाल – समय = 1531 m/s × 3.42s
= 5236 m
d = \(\frac{5236}{2}\)m
= 2618 m
∴ जहाज़ से समुद्र तल की दूरी 2618 m = 2.62 km है।
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
ध्वनि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो कंपन द्वारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
ध्वनि की गति गैसों में अधिक होती है अथवा ठोस में ?
उत्तर-
ठोस में अधिक होती है।
प्रश्न 3.
ध्वनि की गति की द्रवों और ठोसों में तुलना करो।
उत्तर-
ध्वनि की गति द्रवों में कम होती है परंतु ठोसों में अधिक होती है।
प्रश्न 4.
मानव कान किस आवृत्ति वाली ध्वनि को सुन सकता है ?
उत्तर-
मानव कान 20 हर्टज़ से 20,000 हर्ट्ज़ वाली ध्वनि सुन सकता है।
प्रश्न 5.
क्या ध्वनि निर्वात में चल सकती है?
उत्तर-
नहीं।
प्रश्न 6.
ध्वनि की प्रकृति अनुप्रस्थ तरंग है या अनुदैर्ध्य तरंग ?
उत्तर-
अनुदैर्ध्य तरंग।
प्रश्न 7.
तरंग उत्पन्न करने के लिए माध्यम के क्या गुण होने चाहिए ?
उत्तर-
माध्यम में जड़त्व तथा आकार में लचकीलापन का गुण होना चाहिए।
प्रश्न 8.
तरंग उत्पन्न करने के लिए माध्यम के क्या गुण होने चाहिएं ?
उत्तर-
माध्यम में जड़त्व तथा आयतन में लचकीलापन अवश्य होना चाहिए।
प्रश्न 9.
बताएँ कि निम्नलिखित अनुप्रस्थ तरंगें हैं या अनुदैर्ध्य तरंगें
(i) प्रकाश-तरंग,
(ii) जल में लहरें,
(ii) ध्वनि तरंगें।
उत्तर-
(i) अनुप्रस्थ तरंग,
(ii) अनुप्रस्थ तरंग,
(iii) अनुदैर्ध्य तरंग।
प्रश्न 10.
आवृत्ति, तरंग-लंबाई और तरंग-वेग में क्या संबंध है ?
उत्तर-
तरंग वेग = आवृत्ति × तरंग-लंबाई।
प्रश्न 11.
आवृत्ति की इकाई क्या है ?
उत्तर-
हज़।
प्रश्न 12.
आवृत्ति (v) और आवर्तकाल (T) में क्या संबंध है ?
उत्तर-
v = \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\)
प्रश्न 13.
पराश्रव्य ध्वनि कौन सुन सकते हैं ?
उत्तर-
चमगादड़ तथा कुत्ते।
प्रश्न 14.
प्रतिध्वनि के लिए वस्तु ध्वनि के स्रोत से कितने मीटर से अधिक दूरी पर होनी चाहिए ?
उत्तर-
17.2 मीटर।
प्रश्न 15.
रडार किस सिदधांत पर कार्य करता है ?
उत्तर-
पराश्रव्य ध्वनि के सिद्धांत पर।
प्रश्न 16.
कान पर प्रतिध्वनि का प्रभाव कब तक रहता है ?
उत्तर-
कान पर ध्वनि का प्रभाव \(\frac {1}{10}\) सेकंड तक रहता है।
प्रश्न 17.
छोटे कमरों में प्रतिध्वनि सुनाई क्यों नहीं देती ?
उत्तर-
छोटे कमरों की लंबाई 17.2 मीटर से कम होती है।
प्रश्न 18.
ध्वनि तरंगों के संचारण के लिए माध्यम में कौन-से दो गुण होने चाहिए ?
उत्तर-
- प्रत्यास्थता तथा
- जड़त्व।
प्रश्न 19.
किस प्रकार की तरंगों के संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती ?
उत्तर-
विट्दत मंजकीय तरंगों के लिए।
प्रश्न 20.
एक यांत्रिक तरंग क्षैतिज दिशा में गति कर रही है। माध्यम के कण किस दिशा में कंपन करेंगे, यदि तरंग
(i) अनुप्रस्थ है,
(ii) अनदैर्ध्य है ?
उत्तर-
(i) ऊर्ध्वाधर दिशा में,
(ii) क्षैतिज दिशा में।
प्रश्न 21.
दो ऐसी युक्ग्यिों के नाम बताइए जो
(i) ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में तथा
(ii) विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलती है ?
उत्तर-
(i) ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति माइक्रोफोन,
(ii) विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति लाउडस्पीकर ।
प्रश्न 22.
आवृत्ति का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
आवृत्ति का मात्रक ह है।
प्रश्न 23.
आवर्तकाल तथा आवृत्ति में क्या संबंध है ?
उत्तर-
प्रश्न 24.
तरंग-दैर्ध्य का S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर-
मीटर।
प्रश्न 25.
यदि किसी तरंग के किसी बिंदु पर श्रृंग बन रहा है तो कितने समय पश्चात् उस पर गर्त बनेगा ?
उत्तर-
\(\frac{\mathrm{T}}{2}\) समय पश्चात् गर्त बनेगा, जहाँ T तरंग का आवर्तकाल है।
प्रश्न 26.
तरंग-दैर्ध्य, आवृत्ति तथा तरंग वेग के बीच संबंध लिखिए।
उत्तर-
तरंग वेग (υ) = आवृत्ति (v) × तरंग-दैर्ध्य (λ)।
प्रश्न 27.
श्रव्य तरंगों का आवृत्ति परास बताइए।
उत्तर-
श्रव्य तरंगों का आवृत्ति परास–20 हर्ट्स से 20 किलोह तक है।
प्रश्न 28.
हम चंद्रमा पर होने वाले विस्फोट की आवाज पृथ्वी पर क्यों नहीं सुन पाते ?
उत्तर-
पृथ्वी व चंद्रमा के बीच द्रव्यात्मक माध्यम न होने के कारण।
प्रश्न 29.
उन कारकों के नाम बताइए जो किसी माध्यम में ध्वनि की चाल को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
माध्यम का
- ताप,
- घनत्व तथा
- आर्द्रता।
प्रश्न 30.
वायु में ध्वनि की चाल पर ताप पर का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ताप बढ़ने पर वायु में ध्वनि की चाल बढ़ती है।
प्रश्न 31.
ठोसों, द्रवों तथा गैसों में ध्वनि की चाल किसमें सबसे अधिक तथा किसमें सबसे कम होती है ?
उत्तर-
ठोसों में सबसे अधिक गैसों में सबसे कम होती है।
प्रश्न 32.
हमारे कान में ध्वनि की संवेदना कितने समय तक बनती रहती है ?
उत्तर-
0.1 सेकंड तक।
प्रश्न 33.
अनुप्रस्थ तरंगें किस प्रकार के माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं ?
उत्तर-
ठोसों में तथा द्रवों की सतह पर, जिनमें दृढ़ता होती है।
प्रश्न 34.
अनुदैर्ध्य तरंगें किस प्रकार के माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं ?
उत्तर-
ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यमों में।
प्रश्न 35.
जल में पत्थर फेंकने से जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें किस प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
अनुप्रस्थ तरंग।
प्रश्न 36.
लोहे में उत्पन्न ध्वनि तरंगें किस प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
अनुदै गयो।
प्रश्न 37.
वायु में उत्पन्न दनि ता किस प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
अनुदैर्ध्य तरंगें।
प्रश्न 38.
किसी तार को दो खूटियों के बीच तानकर लंबाई के लंबवत् खींचकर छोड़ दिया जाता है तो तार में उत्पन्न तरंग का नाम बताइए।
उत्तर-
अनुप्रस्थ तरंगें।
प्रश्न 39.
उन दो जानवरों के नाम बताओ जो 20,000 हर्ट्ज़ से उच्च आवृत्ति की तरंगों के प्रति संवेदनशील
उत्तर-
कुत्ता तथा चमगादड़।
प्रश्न 40.
SONAR का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
SONAR का पूरा नाम Sound Navigation and Ranging है।
प्रश्न 41.
SONAR के दो उपयोग बताइए।
उत्तर-
- समुद्र की गहराई ज्ञात करना,
- शत्रु पनडुब्बी की स्थिति ज्ञात करना।
प्रश्न 42.
पराध्वनि तरंगों के दो उपयोग बताइए।
उत्तर-
- मनुष्य के पेट में किसी प्रकार की अनियमितता की जानकारी प्राप्त करना।
- धातु के ब्लॉक में दरारों का पता लगाना।
प्रश्न 43.
सेस्मोग्राफ क्या है ?
उत्तर-
सेस्मोग्राफ भूकंप की तीव्रता नापने वाला उपकरण है।
प्रश्न 44.
भूकंप की तीव्रता के मापन के लिए कौन-सा पैमाना प्रायोग किया जाता है?
उत्तर-
रिक्टर पैमाना प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 45.
रिक्टर पैमाने पर कितनी तीव्रता तक का भूकंप सुरक्षित माना जाता है ?
उत्तर-
रिक्टर पैमाने पर 5 तीव्रता तक का भूकंप सुरक्षित माना जाता है।
प्रश्न 46.
बादलों की चमक तथा गड़गड़ाहट में से कौन-सी ऊर्जा हम तक पहले पहुँचेगी ?
उत्तर-
चमक पहले पहुँचेगी क्योंकि प्रकाश का वेग ध्वनि की अपेक्षा अधिक है।
प्रश्न 47.
चमगादड़ अंधेरे में भली प्रकार अपना रास्ता मालूम कर सकता है, क्यों ?
उत्तर-
चमगादड़ अंधेरे में पराश्रव्य तरंगों के उत्सर्जन व संसूचन के कारण भली प्रकार अपना रास्ता मालूम कर सकता है।
प्रश्न 48.
किसी तरंग की ऊर्जा तथा उसके आयाम में क्या संबंध है ?
उत्तर-
ऊर्जा ∝ आयाम2।