PSEB 12th Class History Notes Chapter 17 महाराजा रणजीत सिंह का जीवन और विजयें

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PSEB 12th Class History Notes Chapter 17 महाराजा रणजीत सिंह का जीवन और विजयें

→ महाराजा रणजीत सिंह का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Maharaja Ranjit Singh)-रणाजीत सिंह का जन्म शुकरचकिया मिसल के नेता महा सिंह के घर 1780 ई० में हुआ-

→ रणजीत सिंह की माता का नाम राज कौर था-बचपन में चेचक हो जाने के कारण रणजीत सिंह की बाईं आँख की रोशनी सदा के लिए जाती रही-

→ रणजीत सिंह बचपन से ही बड़ा वीर था-16 वर्ष की आयु में उसका विवाह कन्हैया मिसल के सरदार जय सिंह की पोती मेहताब कौर से हुआ-

→ जब महा सिंह की मृत्यु हुई तब रणजीत सिंह नाबालिग था, इसलिए शासन व्यवस्था-राज कौर, दीवान लखपत राय और सदा कौर की तिक्कड़ी के हाथ में रही-17 वर्ष का होने पर रणजीत सिंह ने-तिक्कड़ी के संरक्षण का अंत करके शासन व्यवस्था स्वयं संभाल ली।

→ पंजाब की राजनीतिक दशा (Political Condition of the Punjab)-जब रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल की बागडोर संभाली तो उस समय पंजाब के चारों ओर अशाँति व अराजकता फैली हुई थी-

→ पंजाब के अधिकाँश भागों में सिखों की 12 स्वतंत्र मिसलें स्थापित थीं-ये मिसलें परस्पर झगड़ती रहती थीं-पंजाब के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में मुसलमानों ने भी स्वतंत्र रियासतें स्थापित कर ली थीं-

→ इन रियासतों में भी एकता का अभाव था-पंजाब के उत्तर में कुछ राजपूत रियासतें थीं-नेपाल के गोरखे पंजाब की ओर ललचाई दृष्टि से देख रहे थे-

→ अंग्रेज़ों और मराठों से रणजीत सिंह को खतरा न था क्योंकि वे तब परस्पर युद्धों में उलझे थे-

→ अफ़गानिस्तान के शासक शाह जमान ने लाहौर पर अधिकार कर लिया था।

→ सिख मिसलों के प्रति रणजीत सिंह की नीति (Ranjit Singh’s Policy towards the Sikh Misls)-महाराजा रणजीत सिंह की मिसल नीति मुग़ल बादशाह अकबर की राजपूत नीति के समान थी-इसमें रिश्तेदारी और कृतज्ञता की भावना के लिए कोई स्थान नहीं था-

→ रणजीत सिंह ने शक्तिशाली मिसलों जैसे कन्हैया तथा नकई मिसल के साथ विवाह संबंध स्थापित किए और आहलूवालिया तथा रामगढ़िया मिसलों के साथ मित्रता की-उनके सहयोग से दुर्बल मिसलों पर आक्रमण करके उन्हें अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया गया-

→ अवसर पाकर रणजीत सिंह ने मित्र मिसलों के साथ विश्वासघात करके उन्हें भी अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया-1805 ई० में रणजीत सिंह ने गुरमता संस्था को समाप्त करके राजनीतिक निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर ली।

→ महाराजा रणजीत सिंह की विजयें (Conquests of Maharaja Ranjit Singh)-महाराजा रणजीत सिंह की महत्त्वपूर्ण विजयों का वर्णन इस प्रकार है-

→ लाहौर की विजय (Conquest of Lahore)-महाराजा रणजीत सिंह ने 7 जुलाई, 1799 ई० को भंगी सरदारों से लाहौर को विजय किया था-यह उसकी प्रथम तथा सबसे महत्त्वपूर्ण विजय थी-लाहौर महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य की राजधानी रही।

→ अमृतसर की विजय (Conquest of Amritsar)-1805 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने माई सुक्खाँ से अमृतसर को विजय किया था इस विजय से महाराजा की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई क्योंकि सिख अमृतसर को अपना मक्का समझते थे।

→ मुलतान की विजय (Conquest of Multan)-महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान पर कब्जा करने के लिए 1802 ई० से 1817 ई० के समय दौरान सात अभियान भेजे-

→ अंतत: 2 जून, 1818 ई० को मुलतान पर विजय प्राप्त की गई-वहाँ का शासक मुज्जफ़र खाँ अपने पाँच पुत्रों के साथ युद्ध में मारा गया-मुलतान विजेता मिसर दीवान चंद को जफर जंग की उपाधि दी गई।

→ कश्मीर की विजय (Conquest of Kashmir)-महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को विजय करने के लिए तीन बार आक्रमण किए-उसने 1819 ई० में अपने तृतीय सैनिक अभियान दौरान कश्मीर को विजित किया-

→ कश्मीर का तत्कालीन गवर्नर जबर खाँ था-यह विजय महाराजा के लिए अनेक पक्षों से लाभदायक रही।

→ पेशावर की विजय (Conquest of Peshawar)-महाराजा रणजीत सिंह ने यद्यपि 1823 ई० में पेशावर पर विजय प्राप्त कर ली थी परंतु इसे 1834 ई० में अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया-इससे अफ़गानों की शक्ति को गहरा आघात लगा।

→ अन्य विजयें (Other Conquests)-महाराजा रणजीत सिंह की अन्य महत्त्वपूर्ण विजयों में कसूर तथा सँग (1807), स्यालकोट (1808), काँगड़ा (1809), जम्मू (1809), अटक (1813) तथा डेरा गाजी खाँ (1820) आदि के नाम वर्णनीय हैं।

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