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PSEB 12th Class History Notes Chapter 21 महाराजा रणजीत सिंह का आचरण और व्यक्तित्व
→ मनुष्य के रूप में (As a Man)-महाराजा रणजीत सिंह की शक्ल सूरत अधिक आकर्षक नहीं थी-परंतु उनके चेहरे पर एक विशेष प्रकार की तेजस्विता झलकती थी-
→ वह बहुत ही परिश्रमी थेउन्हें शिकार खेलने, तलवार चलाने और घुड़सवारी का बहुत शौक था-वह तीक्ष्ण बुद्धि और अद्भुत स्मरण शक्ति के स्वामी थे महाराजा रणजीत सिंह अपनी दयालुता के कारण प्रजा में बहुत लोकप्रिय थे-
→ उन्हें सिख धर्म में अटल विश्वास था-महाराजा रणजीत सिंह पक्षपात तथा सांप्रदायिकता से कोसों दूर थे।
→ एक सेनानी तथा विजेता के रूप में (As a General and Conqueror)-महाराजा रणजीत सिंह की गणना विश्व के महान् सेनानियों में की जाती है-उन्होंने अपने किसी भी युद्ध में पराजय का मुख नहीं देखा था-
→ वे अपने सैनिकों के कल्याण का पूरा ध्यान रखते थें– उन्होंने अपनी वीरता और योग्यता से अपने राज्य को एक साम्राज्य में बदल दिया-उनके राज्य में लाहौर, अमृतसर, काँगड़ा, जम्मू, मुलतान, कश्मीर तथा पेशावर जैसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश सम्मिलित थे-
→ उनका साम्राज्य उत्तर में लद्दाख से लेकर दक्षिण में शिकारपुर तक और पूर्व में सतलुज नदी से लेकर पश्चिम में पेशावर तक फैला था।
→ एक प्रशासक के रूप में (As an Administrator)-महाराजा रणजीत सिंह एक उच्चकोटि के प्रशासक थे-महाराजा ने अपने राज्य को चार बड़े प्रांतों में विभक्त किया हुआ था-
→ प्रशासन की सबसे छोटी इकाई मौजा अथवा गाँव थी-गाँव का प्रबंध पंचायत के हाथ में था-
→ योग्य तथा ईमानदार व्यक्ति मंत्री के पदों पर नियुक्त किए जाते थे किसानों तथा निर्धनों को राज्य की ओर से विशेष सुविधाएँ प्राप्त थीं-सैन्य प्रबंधों की ओर भी विशेष ध्यान दिया गया था-
→ महाराजा ने अपनी सेना को यूरोपीय पद्धति का सैनिक प्रशिक्षण दिया–परिणामस्वरूप, सिख सेना शक्तिशाली तथा कुशल बन गई थी।
→ एक कूटनीतिज्ञ के रूप में (As a Diplomat)-हाराजा रणजीत सिंह एक सफल कूटनीतिज्ञ थे-अपनी कूटनीति से ही उन्होंने समस्त मिसलों को अपने अधीन किया था उन्होंने अपनी कूटनीति से अटक का किला बिना युद्ध किए ही प्राप्त किया-
→ यह उनकी कूटनीति का ही परिणाम था कि अफ़गानिस्तान का शासक दोस्त मुहम्मद खाँ बिना युद्ध किए भाग गया-1809 ई० में अंग्रेज़ों के साथ मित्रता उनके राजनीतिक विवेक तथा दूरदर्शिता का अन्य प्रमाण था।