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PSEB 12th Class History Notes Chapter 6 गुरु अर्जन देव जी और उनका बलिदान
→ आरंभिक जीवन और कठिनाइयाँ (Early Career and Difficulties): गुरु अर्जन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1563 ई० को गोइंदवाल साहिब में हुआ–
→ आपके पिता जी का नाम गुरु रामदास जी और माता जी का नाम बीबी भानी था-आपका विवाह मऊ गाँव के वासी कृष्ण चंद की सुपुत्री गंगा देवी जी से हुआ-आप 1581 ई० में गुरुगद्दी पर विराजमान हुए-
→ आपको गुरुगद्दी सौंपे जाने का आपके बड़े भाई पृथी चंद ने कड़ा विरोध किया-आपको नक्शबंदी संप्रदाय तथा ब्राह्मण वर्ग का भी कड़ा विरोध सहना पड़ा-लाहौर का दीवान चंदू शाह भी आपसे नाराज़ था।
→ गरु अर्जन देव जी के अधीन सिख पंथ का विकास (Development of Sikhism under Guru Arjan Dev Ji): गुरु अर्जन देव जी ने अपने गुरुगद्दी काल दौरान सिख पंथ के विकास के लिए बहुपक्षीय कार्य किए-
→ उनके गुरु काल में हरिमंदिर साहिब का निर्माण 1588 ई० में आरंभ करवाया गया-इसका निर्माण कार्य 1601 ई० में पूर्ण हुआ-
→ 1590 ई० में तरनतारन, 1593 ई० में जालंधर जिला में करतारपुर तथा 1595 ई० में हरगोबिंदपुर नामक नगरों की स्थापना की गई-
→ आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन गुरु अर्जन देव जी का सबसे महान् कार्य था-यह महान् कार्य 1604 ई० में पूर्ण हुआ-गुरु अर्जन देव जी ने मसंद प्रथा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया-
→ गुरु साहिब ने सिखों को अरब देशों के साथ घोड़ों का व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया- उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति कर सिख पंथ के द्वार खुले रखे।
→ गुरु अर्जन देव जी का बलिदान (Martyrdom of Guru Arjan Dev Ji): गुरु अर्जन देव जी के बलिदान से संबंधित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं—
→ कारण (Causes)-जहाँगीर बड़ा ही कट्टर सुन्नी मुसलमान था–सिख पंथ की हो रही उन्नति उसके लिए असहनीय थी-गुरु अर्जन देव जी के बड़े भाई पृथी चंद ने गुरुगद्दी की प्राप्ति के लिए षड्यंत्र आरंभ कर दिए थे-लाहौर का दीवान चंदू शाह भी अपने अपमान का गुरु साहिब से बदला लेना चाहता था-
→ नक्शबंदियों ने जहाँगीर को गुरु जी के विरुद्ध खूब भड़काया-गुरु अर्जन देव जी द्वारा शहज़ादा खुसरो की सहायता उनके बलिदान का तत्कालीन कारण बनी।
→ बलिदान (Martyrdom)- जहाँगीर के आदेश पर गुरु अर्जन देव जी को 24 मई, 1606 ई० को बंदी बनाया गया-उन्हें 2 लाख रुपये जुर्माना देने को कहा गया जो गुरु जी ने इंकार कर दिया-30 ‘मई, 1606 ई० को गुरु अर्जन देव जी को लाहौर में शहीद कर दिया गया।
→ महत्त्व (Importance)- गुरु अर्जन देव जी की शहीदी को सिख इतिहास की एक महान् घटना माना जाता है क्योंकि गुरु अर्जन देव जी शहीदी देने वाले प्रथम सिख गुरु थे, इसलिए उन्हें ‘शहीदों का सरताज’ कहा जाता है-
→ इस शहीदी के परिणामस्वरूप सिख धर्म के स्वरूप में परिवर्तन आ गयागुरु हरगोबिंद जी ने मीरी तथा पीरी नामक नई नीति धारण करने का निर्णय किया-सिख एकता के सत्र में बंधने लगे-सिखों तथा मुग़लों में तनावपूर्ण संबंध स्थापित हो गए-
→ मुग़ल अत्याचारों का दौर प्रारंभ हो गया-सिख धर्म पहले से अधिक लोकप्रिय हो गया।