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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 भोजन :यह कहाँ से आता है?
→ सभी जीवित प्राणियों को दैनिक गतिविधियों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
→ जीवों को अपने शारीरिक विकास, विभिन्न कार्यों के लिए वाँछित ऊर्जा प्राप्त करने, शरीर के क्षतिग्रस्त भागों को बदलने तथा उनमें होने वाली क्षति की पूर्ती करने तथा रोगों से सुरक्षा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।
→ प्रकृति में विभिन्न प्रकार के भोजन जैसे फल, सब्जियाँ, दूध तथा दूध उत्पाद, मिठाई, अंडे, मांस, चपाती और बेकरी उत्पाद मौजूद हैं।
→ खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए जिन अवयवों की आवश्यकता होती है वे खाद्य सामग्री कहलाते हैं। खाद्य सामग्री में एक या दो या कई अवयव होते हैं ।
→ पौधे हमारे और अन्य जानवरों के भोजन के मुख्य स्रोत हैं। कुछ खाद्य पदार्थ जानवरों से भी प्राप्त किए जाते हैं।
→ हरे पौधे सूर्य के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं तैयार कर सकते है हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
→ पौधे का प्रत्येक भाग जिसमें भोजन का भंडारण किया जाता है वह खाने योग्य होता है। जैसे बीज, फूल, तना, जड़, तथा पत्ते।
→ पौधे के वे भाग जो हमारे द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किए जाते हैं, खाने योग्य भाग कहलाते हैं।
→ हम गाजर, मूली, शलजम, शकरकंद आदि की जड़ें खाते हैं। हम कुछ पौधों के तनों का भी उपयोग खाने के लिए करते हैं।
→ कुछ तने जैसे अदरक, आलू, प्याज, हल्दी भूमिगत उगते हैं और भोजन का भंडारण करते हैं। अदरक और हल्दी के डंठल का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है। गन्ने के तने का उपयोग रस, चीनी और गुड़ बनाने के लिए किया जाता है।
→ हम सेब, आम, अमरूद, पपीता, संतरा आदि तरह-तरह के फल खाते हैं। इन सभी फलों को कच्चा यानी बिना फल अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं क्योंकि ये विटामिन और खनिजों के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
→ हम विभिन्न पौधों जैसे सरसों, पालक, पत्ता गोभी, धनिया, पुदीना आदि की पत्तियों का उपयोग करते हैं।
→ हम कई पौधों जैसे गेहूँ, चावल, मक्का, चना, मटर, राजमा और हरे चने (मूंग), आदि के बीजों का उपयोग भोजन के रूप में करते हैं।
→ कुछ फसलों जैसे चना, मटर, राजमा और हरे चने (मूंग) के बीजों को दालों के रूप में जाना जाता है जबकि गेहूँ, चावल और मक्का के बीजों को अनाज के रूप में जाना जाता है।
→ पशुओं से हमें दूध, शहद, मांस, अंडे, तेल आदि मिलते हैं।
→ शहद में चीनी, पानी, खनिज, एंजाइम और विटामिन होते हैं। फूलों का रस (मकरंद) शहद का स्रोत है।
→ जानवरों द्वारा लिए गए भोजन के आधार पर, जानवरों की तीन श्रेणियाँ हैं-
- शाकाहारी,
- मांसाहारी और
- सर्वाहारी।
→ वे जानवर जो केवल पौधों और पौधों के उत्पादों को खाते हैं उन्हें शाकाहारी कहा जाता है, उदाहरण-गाय, बकरी, खरगोश, भेड़, हिरण, हाथी, आदि।
→ वे जानवर जो भोजन के लिए अन्य जानवरों को खाते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं, उदाहरण शेर, बाघ, छिपकली, सांप, आदि।
→ वे जानवर हैं जो भोजन के लिए पौधे और जानवरों दोनों को खाते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं। जैसे कौआ, भालू, कुत्ता और चूहा, आदमी, आदि।
→ दूध में प्रोटीन, चीनी, वसा और विटामिन होते हैं। यह दुनिया भर में भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है । इसे पनीर, मक्खन, दही, क्रीम आदि जैसे डेयरी उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है।
→ लोग बकरी, भेड़, मुर्गी, मछली और समुद्री जानवरों जैसे झींगे, केकड़े आदि का मांस खाते हैं।
→ मांस का उपयोग भोजन के रूप में भी किया जाता है और इसमें बड़ी मात्रा में प्रोटीन और वसा होता है।
→ लोग मुर्गी और बत्तख और अन्य पक्षियों के अंडे खाते हैं।
→ अंडे के सफेद भाग को एल्बुमिन तथा पीले भाग को जर्दी कहा जाता है।
→ एल्बुमिन प्रोटीन से भरपूर होता है और जर्दी वसा से भरपूर होती है।
→ भोजन-काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करने, शरीर के तापमान को बनाए रखने, रोगों से बचाने वाले पदार्थों को भोजन कहा जाता है।
→ संतुलित आहार-जिस आहार में शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते हैं उसे संतुलित आहार कहते है।
→ खाद्य पदार्थ-वे वस्तुएं/पदार्थ जिनका उपयोग खाने के लिए किया जा सकता है, खादय पदार्थ कहलाते हैं।
→ खाद्य सामग्री-खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री को खाद्य सामग्री कहा जाता है।
→ दालें-कुछ फसलों जैसे चना, मटर, मूंग के बीजों को दालें कहा जाता है।
→ अनाज-कुछ फसलों जैसे गेहूँ, चावल, मक्का आदि के बीजों को अनाज कहा जाता है ।
→ एल्बुमिन- अंडे के सफेद भाग को एल्बुमिन कहा जाता है।
→ जर्दी-अंडे के पीले भाग को जर्दी कहा जाता है।
→ मकरंद-फूलों में मौजूद शर्करा द्रव को मकरंद कहा जाता हैं।
→ स्वपोषी अथवा उत्पादक- ऐसे सजीव जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं, स्वपोषी अथवा उत्पादक कहलाते हैं।
→ विषमपोषी अथवा खपतकार- वे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर होते हैं, विषमपोषी अथवा खपतकार कहलाते हैं।
→ विषमपोषण-जो अपने भोजन के दूसरों पर निर्भर करते हैं।
→ विषमपोषी अथवा खपतकार-वे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर होते हैं, विषमपोषी अथवा खपतकार कहलाते हैं।
→ शाकाहारी-पौधे खाने वाले जंतुओं को शाकाहारी कहते हैं अथवा जीव जो केवल पौधों और पौधों के उत्पादों को खाते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं।
→ मांसाहारी-अन्य जानवरों को खाने वाले जीवों को मांसाहारी कहा जाता है।
→ सर्वाहारी-वे जानवर जो पौधों और जानवरों दोनों को खाते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं।