This PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक will help you in revision during exams.
PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक
→ वस्त्र महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये
- हमें धूप, हवा, ठंड, गर्मी, बारिश आदि से बचाते हैं।
- हमें विभिन्न मौसम
स्थितियों में सहज महसूस करने और सुंदर दिखने में मदद करते हैं।
→ लोग आमतौर पर साड़ी, कोट-पेंट, सूट, जींस, शर्ट, टी-शर्ट, पगड़ी, कुर्ता-पायजामा, सलवार-कमीज, लुंगी, धोती आदि जैसे विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहनते हैं।
→ कपास, रेशम, ऊन और पॉलिएस्टर विभिन्न प्रकार की वस्त्रों की सामग्री हैं, जिन्हें तंतु अथवा रेशे कहा जाता है।
→ चादरें, कंबल, तौलिए, पर्दे, पौछा, फर्श की चटाई, हमारे स्कूल बैग, बेल्ट, मोजे, टाई विभिन्न प्रकार के रेशों से बने होते हैं। इस प्रकार, विभिन्न प्रकार के कपड़े बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के रेशों का उपयोग किया जाता है।
तंतु दो प्रकार के होते हैं-
- प्राकृतिक और
- मानव निर्मित (संश्लिष्ट)।
→ प्रकृति से प्राप्त तंतु प्राकृतिक तंतु कहलाते हैं।
→ प्राकृतिक तंतु पौधों और जानवरों से प्राप्त किए जा सकते हैं।
→ पौधों से प्राप्त तंतु पादप तंतु कहलाते हैं। इसी प्रकार जंतुओं से प्राप्त रेशे जांतव तंतु कहलाते हैं। कपास, जूट और क्वायर पादप तंतुओं के उदाहरण हैं जबकि ऊन, रेशम आदि जांतव तंतुओं के उदाहरण हैं।
→ सूत का उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है। इसे कपास के तंतुओं से बनाया जाता है।
→ ओटना, कताई, बुनाई, बंधाई आदि कुछ प्रक्रियाएं हैं जिनका उपयोग सूत से वस्त्र या वस्त्रों की सामग्री बनाने के लिए किया जाता है।
→ मनुष्य द्वारा रासायनिक पदार्थों से बनाए गए तंतुओं को संश्लिष्ट तंतु कहा जाता है। नायलॉन, एक्रेलिक और पॉलिएस्टर संश्लिष्ट तंतुओं के उदाहरण हैं।
→ संश्लिष्ट तंतुओं का उपयोग मोजे, टूथब्रश ब्रिस्टल, कार सीट बेल्ट, कालीन, रस्सी, स्कूल बैग इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है।
→ जूट के पौधे के तने से जूट रेशे रेटिंग की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।
→ संश्लिष्ट तंतु आसानी से सूख जाते हैं, उनके बीच हवा की जगह कम होती है, मजबूत और शिकन मुक्त होते हैं।
→ संश्लिष्ट तंतु पानी को अवशोषित नहीं करते हैं, इसलिए ये गर्म और आर्द्र मौसम के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।
→ सूती कपड़े आर्द्र और गर्म मौसम के लिए अच्छे होते हैं। यह पानी को आसानी से सोख लेते हैं।
→ कपास के तंतुओ को कंघी करके बीजों से अलग करने की प्रक्रिया को ओटना कहा जाता है।
→ कतरनी का उपयोग करके भेड़ से ऊन निकालना कतरना कहलाता है।
→ रेशम के कीड़ों का पालन रेशम उत्पादन के लिए किया जाता है ।
→ वस्त्र बनाने के लिए तागे के दो सेटों को आपस में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को बुनाई कहा जाता है। इसके विपरीत, बंधाई में वस्त्र का एक टुकड़ा बनाने के लिए एक ही धागे का उपयोग किया जाता है।
→ बुनाई हाथों से या मशीनों द्वारा की जाती है।
→ धागा-बारीक तंतुओं के समूह से बने रेशों जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है, धागा कहते हैं।
→ तंतु-बहुत पतली लम्बी तथा बेलनाकार संरचनाओं को तंतु अथवा रेशे कहते हैं।
→ जुट-जूट मजबूत और खुरदरा तंतु होता है जो पटसन के पौधों के तने से प्राप्त होता है ।
→ प्राकृतिक तंतु-प्रकृति से प्राप्त तंतु प्राकृतिक तंतु कहलाते हैं।
→ पादप तंतु-पौधों से प्राप्त तंतु पादप तंतु कहलाते हैं। उदाहरण के लिए- कपास, जूट, क्वायर।
→ जांतव तंतु-जंतुओं से प्राप्त तंतु जांतव तंतु कहलाते हैं। उदाहरण के लिए- ऊन, रेशम।
→ संश्लिष्ट तंतु-मनुष्य द्वारा रसायनों और अन्य सामग्रियों का उपयोग करके तैयार किए गए तंतुओं को संश्लिष्ट तंतु कहा जाता है।
→ ओटाई-कपास को उनके बीजों से स्टील की कंघी द्वारा अलग करना ओटाई कहलाती है।
→ रेशम उत्पादन-रेशम उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों का पालन।
→ रिटिंग-पटसन के पौधे के तने से जूट के तंतुओं को अलग करने की प्रक्रिया को रिटिंग कहा जाता है ।
→ कतरनी-कतरनी का उपयोग करके भेड़ से ऊन निकालना।
→ कताई-तंतुओं अथवा रेशों से धागा बनाने की प्रक्रिया को कताई कहते हैं।
→ बुनाई और बंधाई-वस्त्र बनाने के लिए तागे के दो सेटों को एक साथ व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को बुनाई कहा जाता है। इसके विपरीत, बंधाई में वस्त्र बनाने के लिए एक ही धागे का उपयोग किया जाता है।