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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण
→ हमारे आस-पास के पदार्थों को दो वर्गों अर्थात शुद्ध पदार्थ या अशुद्ध पदार्थ में बाँटा जा सकता है। अशुद्ध पदार्थों को मिश्रण भी कहते हैं।
→ एक शुद्ध पदार्थ केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं या अणुओं से बना होता है, उदाहरण पानी। इसकी संरचना और गुण निश्चित् होते हैं।
→ मिश्रणों में कुछ वांछित पदार्थ और अवांछित पदार्थ होते हैं। हमें अवांछित पदार्थों को वांछित पदार्थों से अलग करना चाहिए।
→ मिश्रण से विभिन्न पदार्थों को अलग करने की प्रक्रिया को पृथक्करण के रूप में जाना जाता है।
→ अगर मिश्रण में अवांछित पदार्थ हैं तो पृथक्करण अवश्य किया जाना चाहिए क्योंकि मिश्रण में अवांछित पदार्थ हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं।
→ पृथक्करण उन मामलों में भी महत्त्वपूर्ण है जहां हमें एक विशेष घटक या अवयव की शुद्ध अवस्था में आवश्यकता होती है।
→ मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए हमारे पास कई विधियाँ हैं। ये मिश्रण में मौजूद पदार्थों के गुणों में अंतर पर आधारित होती हैं।
→ पृथक्करण की विभिन्न विधियाँ हैं- हस्तचयन, निष्पावन, चालन, अवसादन, निस्तारण, निस्यंदन, निस्यंदन, वाष्पीकरण आदि।
→ हस्तचयन विधि का उपयोग उस मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्हें हम आँखों से देख सकते हैं और ये आकार में बड़े हों।
→ कंबाइन का उपयोग कटाई और निस्यंदन दोनों प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है।
→ निस्यंदन अनाज को भूसे से अलग करना है। यह तीनों में से किसी एक विधि का उपयोग करके किया जा सकता
है अर्थात
- मनुष्यों द्वारा
- जानवरों की मदद से और
- मशीनों का उपयोग करके।
→ एक मिश्रण के भारी और हल्के घटकों को हवा या हवा में उड़ाने की विधि को चालन कहते हैं।
→ ठोस और तरल पदार्थों के मिश्रण को अलग करने के लिए निस्तारण, अवसादन, निस्यंदन, वाष्पीकरण जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है।
→ मिश्रण से भारी, अघुलनशील कणों के नीचे बैठने की प्रक्रिया अवसादन कहलाती है। वह पदार्थ जो तल पर जम जाता है तलछट कहलाता है। इस विधि का उपयोग अघुलनशील भारी कणों को तरल से अलग करने के लिए किया जाता है।
→ तलछट को विचलित किए बिना स्पष्ट तरल को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को निस्तारण के रूप में जाना जाता है।
→ एक अघुलनशील ठोस को एक फिल्टर पेपर या मलमल के कपड़े के माध्यम से तरल से अलग करने की प्रक्रिया को निस्यंदन के रूप में जाना जाता है।
→ मिश्रण के अलग-अलग आकार के कणों को छाननी से अलग करने की प्रक्रिया को छाननी कहा जाता है।
→ किसी द्रव को गर्म करके उसके वाष्प में बदलने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है।
→ कभी-कभी हमें मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए एक से अधिक विधियों की आवश्यकता हो सकती है या नहीं।
→ जब दो या दो से अधिक पदार्थों का मिश्रण एक ही पदार्थ या शुद्ध पदार्थ की तरह दिखाई देता है तो उसे विलयन कहते हैं।
→ किसी विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में उपस्थित होता है उसे विलायक कहते हैं तथा कम मात्रा में उपस्थित पदार्थ को विलेय कहते हैं।
→ संतप्त विलयन वह विलयन है जिसमें किसी विशेष तापमान पर और अधिक विलेय नहीं घल सकता है।
→ असंतृप्त विलयन वह विलयन है जिसमें किसी विशेष तापमान पर और अधिक विलेय घोला जा सकता है।
→ जल में विभिन्न मात्रा में पदार्थ घुल जाते हैं और विलयन को गर्म करने पर अधिकांश पदार्थों की विलेयता बढ़ जाती है।
→ वाष्पीकरण और संघनन एक दूसरे के विपरीत हैं।
→ शुद्ध पदार्थ-यदि कोई पदार्थ केवल एक ही प्रकार के घटकों (परमाणुओं या अणुओं) से बना हो तो वह शुद्ध पदार्थ कहलाता है। इसकी संरचना और गुण निश्चित होने चाहिए।
→ अशुद्ध पदार्थ-अशुद्ध पदार्थ विभिन्न प्रकार के घटकों (परमाणुओं या अणुओं) का मिश्रण होता है।
→ मिश्रण-दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों से बिना किसी रासायनिक अभिक्रिया के किसी भी अनुपात में मिश्रित पदार्थ को मिश्रण कहा जाता है।
→ विलयन-जब दो या दो से अधिक पदार्थों का मिश्रण एक ही पदार्थ या शुद्ध पदार्थ की तरह दिखाई देता है तो उसे विलयन कहते हैं।
→ विलायक-किसी विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में उपस्थित होता है वह विलायक कहलाता है।
→ विलेय-किसी विलयन में जो पदार्थ कम मात्रा में उपस्थित होता है वह विलेय कहलाता है।
→ संतृप्त विलयन-वह विलयन जिसमें किसी विशेष तापमान पर और अधिक विलेय नहीं घुल सकता है, संतृप्त विलयन कहलाता है।
→ असंतृप्त विलयन-वह विलयन जिसमें किसी विशेष ताप पर और अधिक विलेय घोला जा सकता है, असंतृप्त विलयन कहलाता है।
→ आसवन-वह प्रक्रिया जिसमें किसी द्रव को उबालकर वाष्प में परिवर्तित किया जाता है और इस प्रकार बने वाष्पों को ठंडा करके शुद्ध द्रव बनाने के लिए संघनित किया जाता है, आसवन कहलाता है।
→ हस्तचयन-किसी पदार्थ में मिली अशुद्धियों को हाथ से चुन कर अथवा चुग कर पृथक् करने की विधि को हस्तचयन विधि कहते हैं।
→ निस्यंदन अथवा विनोइंग-जब किसी मिश्रण के अवयवों के कणों के भार में अंतर हो तो जिस विधि द्वारा हवा के झोंके के प्रभाव अधीन विभिन्न अवयवों का पृथक्करण किया जाता है उस विधि को निस्यंदन कहा जाता है ।
→ फटकन-दानों को डंठलों से अलग करने की प्रक्रिया को फटकन कहते हैं। इस विधि में, हम बीज को मुक्त करने के लिए डंठल को कठोर सतह पर पटकते हैं।
→ छानन-वह विधि है जिसमें छोटे ठोस कणों को छाननी से गुजार कर बड़े ठोस कणों से अलग किया जाता है उसे छानन कहा जाता है ।
→ अवसादन-इस प्रक्रिया में, तरल मिश्रण को कुछ समय के लिए अविचलित रखा जाता है। ठोस भारी अघुलनशील कण तल पर जमा हो जाते हैं और हल्के कण तरल में तैरते हैं।