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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 हमारे चारों ओर के परिवर्तन
→ परिवर्तन एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा कोई वस्तु किसी अन्य रूप अथवा वस्तु में परिवर्तित हो जाती है।
→ हम अपने आस-पास कई परिवर्तन देखते हैं और हर परिवर्तन सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से महत्त्वपूर्ण होता है।
→ परिवर्तनों को उनके बीच की समानताएँ और अंतर ढूंढकर एक समान समूहों में समूहीकृत किया जा सकता है।
→ सभी परिवर्तनों को मोटे तौर पर दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है अर्थात प्राकृतिक और कृत्रिम या मानव निर्मित।
→ वे परिवर्तन जो प्रकृति में होते हैं और जिनमें हमारी भागीदारी की आवश्यकता नहीं होती है, प्राकृतिक परिवर्तन कहलाते हैं। ये कभी न खत्म होने वाले बदलाव हैं। प्राकृतिक परिवर्तनों के उदाहरणों में बर्फ का पिघलना, पेड़ से पत्ते गिरना आदि शामिल हैं।
→ मानव के प्रयासों से होने वाले परिवर्तन कृत्रिम या मानव निर्मित परिवर्तन कहलाते हैं। मानव निर्मित परिवर्तनों के उदाहरणों में गेहूँ के आटे से चपाती बनाना, सब्जियाँ पकाना आदि शामिल हैं।
→ गति के आधार पर, हम परिवर्तनों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं। ये धीमे परिवर्तन और तेज परिवर्तन हैं।
→ धीमे परिवर्तन वे होते हैं जिन्हें होने में अधिक समय लगता है। उदाहरण के लिए, पेड़ का बढ़ना, एक बच्चे का वयस्क होना आदि।
→ तेज परिवर्तन वे होते हैं जिन्हें होने में कम समय लगता है अर्थात जो बहुत तेजी से होते हैं । उदाहरण के लिए, माचिस की तीली जलाना, पटाखे फोड़ना आदि।
→ हमारे आस-पास के सभी परिवर्तनों में से केवल कुछ ही परिवर्तनों को उत्क्रमित किया जा सकता है। इन्हें प्रतिवर्ती अथवा उत्क्रमणीय परिवर्तन कहा जाता है। वे परिवर्तन जिन्हें उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है, अपरिवर्तनीय परिवर्तन कहलाते हैं।
→ किसी पदार्थ में परिवर्तन को प्रतिवर्ती परिवर्तन तब कहा जाता है जब हम परिस्थितियों को बदलकर पदार्थ को उसके मूल रूप में प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, बर्फ पिघलने पर पानी में बदल जाती है और पानी को ठंडा करके बर्फ में बदला जा सकता है, जो एक प्रतिवर्ती परिवर्तन है।
→ किसी पदार्थ में परिवर्तन को अपरिवर्तनीय परिवर्तन तब कहा जाता है जब हम परिस्थितियों को बदलकर पदार्थ को उसके मूल रूप में प्राप्त नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, एक बार तवे पर पकाई गई रोटी को दोबारा आटे में नहीं बदला जा सकता है।
→ कुछ परिवर्तन आवधिक अथवा आवर्ती होते हैं जबकि अन्य गैर आवधिक अथवा अनावर्ती होते हैं।
→ जो परिवर्तन एक निश्चित समय अंतराल के बाद दोहराए जाते हैं, उन्हें आवधिक अथवा आवर्ती परिवर्तन कहते हैं। उदाहरण के लिए, दिन और रात का बदलना, घड़ी के लोलक का झूलना, हृदय की धड़कन, ऋतुओं का परिवर्तन।
→ वे परिवर्तन जो नियमित अंतराल के बाद दोहराए नहीं जाते हैं, गैर आवधिक अथवा अनावर्ती परिवर्तन कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, भूकंप आना, बारिश होना, आदि।
→ हमने परिवर्तनों को भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों में भी वर्गीकृत किया है।
→ कोई भी अस्थायी परिवर्तन जिसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता है और मूल पदार्थ की रासायनिक संरचना समान रहती है, भौतिक परिवर्तन कहलाता है।
→ भौतिक परिवर्तनों के दौरान, भौतिक गुण जैसे रंग, आकार, आयतन, अवस्था आदि बदल सकते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि भौतिक परिवर्तन एक प्रतिवर्ती अथवा उत्क्रमणीय परिवर्तन है।
→ कोई भी स्थायी परिवर्तन जिसमें नए पदार्थ बनते हैं। इनमें बनने वाले नए पदार्थ के भौतिक और रासायनिक गुण मूल पदार्थ से बिल्कुल अलग होते हैं।
→ भौतिक परिवर्तन प्रकृति में अधिकतर प्रतिवर्ती अथवा उत्क्रमणीय होते हैं जबकि रासायनिक परिवर्तन ज्यादातर अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं।
→ प्रसार और संकुचन भौतिक परिवर्तन हैं जो हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी होते हैं।
→ प्रसार में पदार्थ की विमाएँ बढ़ती हैं और संकुचन में पदार्थ की विमाएँ घटती हैं।
→ परिवर्तन-वह क्रिया जिसके द्वारा कोई वस्तु अपने पिछले वाले से भिन्न हो जाती है।
→ प्राकृतिक परिवर्तन-स्वाभाविक रूप से होने वाले और कभी न खत्म होने वाले परिवर्तन प्राकृतिक परिवर्तन कहलाते हैं।
→ मानव निर्मित अथवा कृत्रिम परिवर्तन-मानव के प्रयासों से होने वाले परिवर्तन मानव निर्मित अथवा कृत्रिम परिवर्तन कहलाते हैं।
→ आवधिक अथवा आवर्ति परिवर्तन-जो परिवर्तन एक निश्चित समय अंतराल के बाद दोहराए जाते हैं, उन्हें आवधिक अथवा आवर्ती परिवर्तन कहते हैं। उदाहरण के लिए, दिन और रात का बदलना, घड़ी के लोलक का झूलना, हृदय की धड़कन, ऋतुओं का परिवर्तन।
→ गैर-आवधिक अथवा अनावर्ती परिवर्तन-वे परिवर्तन जो नियमित अंतराल के बाद दोहराए नहीं जाते हैं, गैर-आवधिक अथवा अनावर्ती परिवर्तन कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, भूकंप आना, बारिश होना, आदि।
→ प्रतिवर्ती अथवा उत्क्रमणीय परिवर्तन-किसी पदार्थ में होने वाले वे परिवर्तन जिनमें बनने वाले नए पदार्थ को अपनी मूल अवस्था में लाया जा सकता है, प्रतिवर्ती अथवा उत्क्रमणीय परिवर्तन कहलाते हैं।
→ अपरिवर्तनीय परिवर्तन-किसी पदार्थ में होने वाले वे परिवर्तन जिनमें बनने वाले नए पदार्थ को अपनी मूल अवस्था में लाया जा सकता है, अपरिवर्तनीय परिवर्तन कहलाते हैं।
→ भौतिक परिवर्तन- भौतिक परिवर्तन एक अस्थायी परिवर्तन है जिसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता है और मूल पदार्थ की रासायनिक संरचना समान रहती है।
→ रासायनिक परिवर्तन-रासायनिक परिवर्तन एक स्थायी परिवर्तन है जिसमें नए पदार्थ बनते हैं जिनके भौतिक और रासायनिक गुण मूल पदार्थ के गुणों से पूरी तरह भिन्न होते हैं।
→ प्रसार-जब कोई पदार्थ गर्म करने पर अपना आकार बढ़ाता है तो उस परिवर्तन को प्रसार कहते हैं।
→ तापीय प्रसार-जो प्रसार तापमान में वृद्धि के कारण होता है तो इसे तापीय या थर्मल प्रसार कहा जाता है।
→ संकुचन-जब कोई पदार्थ ठंडा होने पर अपना आकार कम कर लेता है तो उस परिवर्तन को संकुचन कहते हैं।
→ वाष्पीकरण-जब गर्म करने पर या दबाव कम करने पर, कोई तरल गैसीय रूप में परिवर्तित हो जाता है तो इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण के रूप में जाना जाता है।
→ पिघलना या गलन-गर्म करने या दबाव बढ़ाने पर जब कोई ठोस द्रव में बदल जाता है, तो इस प्रक्रिया को पिघलने या गलन के रूप में जाना जाता है।