Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Prarthana Patr / Patr Lekhan प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन
1. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखो।
सेवा में
मुख्याध्यापक,
सनातन धर्म उच्च विद्यालय,
जालन्धर।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल शाम से बुखार है, डॉक्टर ने दवा देने के साथ मुझे आराम करने के लिए कहा है इसी कारण मैं कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता। इसलिए मुझे दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
धीरज कुमार,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 10 अगस्त, 20..
2. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को किसी आवश्यक कार्य के लिए अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
सेवा में
मुख्याध्यापक,
श्री पार्वती जैन उच्च विद्यालय,
नकोदर।
मान्यवर,
निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मुझे घर पर बहत ही आवश्यक कार्य पड गया है, जिस कारण मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे एक दिन का अवकाश प्रदान करें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रवि शर्मा
कक्षा सातवीं ‘क’
तिथि 5 दिसम्बर, 20…..
3. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को अपने भाई के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
सेवा में
मुख्याध्यापक,
साईं दास ए० एस० उच्च विद्यालय,
होशियारपुर।
मान्यवर,
सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 16 जुलाई को होना निश्चित हुआ है। मेरा उसमें सम्मिलित होना अत्यन्त आवश्यक है। बारात करनाल जा रही है। इसलिए मैं चार दिन विद्यालय से अनुपस्थित रहूँगा। अतः आप मुझे चार दिन का अवकाश देने की कृपा करें। इस हेतु आपका अतिशय धन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजीव कुमार,
सातवीं ‘बी’
तिथि 14 जुलाई, 20…
4. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
सेवा में
मुख्याध्यापक,
खालसा उच्च विद्यालय,
लुधियाना।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिता जी का स्थानांतरण फिरोज़पुर हो गया है। इसलिए हम सब यहाँ से जा रहे हैं। मेरा अकेला यहाँ रहना मुश्किल है। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र देने की कृपा करें जिससे स्थान परिवर्तन होने के कारण मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असुविधा न हो। मैं आपका बहुत आभारी हूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
ललित मोहन,
सातवीं ‘बी’
तिथि 15 सितम्बर, 20….
5. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें शिक्षा शुल्क माफ़ करने की प्रार्थना करो।
सेवा में
मुख्याध्यापिका,
शिव देवी कन्या उच्च विद्यालय,
अमृतसर।
महोदया,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे-से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय बहुत ही कम है जिससे घर का निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस देने में असमर्थ हैं, लेकिन मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। मैं अपनी कक्षा में प्रथम आती हूँ। खेलने में भी मेरी रुचि है। अतः आप मेरी फीस माफ़ कर मुझे कृतार्थ करें। मैं आपकी इस सहायता के लिए बहुत आभारी हूँगी।
सधन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
अनुराधा कुमारी,
सातवीं ‘ए’
तिथि 16 जुलाई, 20 …..
6. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को जुर्माना माफ़ करवाने के लिए प्रार्थनापत्र लिखो।
सेवा में
प्रधानाचार्य जी,
आदर्श शिक्षा केन्द्र,
जालन्धर ।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि सोमवार को हमारे गणित के अध्यापक ने टैस्ट लिया था। मेरी माता जी उस दिन बहुत बीमार थीं। घर में मेरे अतिरिक्त उनकी देखभाल करने वाला अन्य कोई नहीं था। इसलिए मैं टैस्ट देने के लिए उस दिन स्कूल में उपस्थित न हो सका। मेरे कक्षा अध्यापक ने मुझे दस रुपये जुर्माना लगा दिया है। मेरे पिता जी एक ग़रीब आदमी हैं। वे यह जुर्माना नहीं दे सकते। मैं गणित में सदैव अच्छे अंक लेता रहा हूँ। अतः आपसे अनुरोध है कि आप मेरी मजबूरी को सामने रखते हुए मेरा जुर्माना माफ़ कर दें।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राकेश कुमार शर्मा,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 19 नवम्बर, 20..
7. अपने पिता जी को एक पत्र लिखो, जिसमें अपने विद्यालय का वर्णन हो।
विजय नगर,
अमृतसर।
17 मई, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
आपने अपने पिछले पत्र में मुझसे मेरे विद्यालय के विषय में जानकारी चाही थी, इसलिए आपकी इच्छा के अनुसार मैं इस पत्र में अपने विद्यालय के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ। मेरे विद्यालय का नाम डी० ए० वी० उच्च विद्यालय है। यह अपने नगर के सभी विद्यालय में सबसे अच्छा विद्यालय है। यहाँ पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का बहुत ही अच्छा प्रबन्ध है। प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी खेल में अवश्य भाग लेता है। इसका भवन बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 1500 छात्र पढ़ते हैं तथा 50 अध्यापक पढ़ाते हैं। इसके चारों ओर सुन्दर बाग हैं, जिसमें कई प्रकार के फूल खिले रहते हैं। हमारे अध्यापक बहुत ही सदाचारी तथा मेहनती हैं। मुख्याध्यापक तो बहुत ही योग्य, शान्त तथा अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। सभी विद्यार्थी इस विद्यालय में प्रवेश के लिए उत्सुक रहते हैं। मुझे भी अपने विद्यालय पर गर्व है।
आपका सुपुत्र,
गुरदेव सिंह
8. अपने चाचा जी को जन्म दिवस की भेंट पर धन्यवाद प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
405, बसन्त निवास,
कादियां।
11 जुलाई, 20…..
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।
अपने जन्म दिन पर मैं अपने मित्रों के साथ आपके आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन आप तो नहीं आए मगर आपके द्वारा भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोला तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।
मुझे कई बार विद्यालय जाने में भी देर हो जाती थी। नि:सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। पूज्य चाची जी को चरणवन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। सब को यथा योग्य नमस्ते।
आपका भतीजा,
प्रेम सिंह
9. मुहल्ले की सफ़ाई के लिए स्वास्थ्याधिकारी (हैल्थ आफिसर) को प्रार्थना-पत्र लिखो।
सेवा में
स्वास्थ्याधिकारी,
नगर निगम,
जालन्धर।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि हमारे किला मुहल्ला में नगर निगम की ओर से सफ़ाई के लिए राम प्रकाश नामक जो कर्मचारी नियुक्त किया हुआ है वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं करता। न तो वह गली की सफ़ाई ही अच्छी तरह से करता है और न ही नालियों को साफ़ करता है। गन्दे पानी से मुहल्ले की सभी नालियाँ भरी पड़ी हैं। जगहजगह गन्दगी के ढेर लगे रहते हैं। हमने उसे कई बार ठीक तरह से काम करने के लिए कहा है, परन्तु उस पर मेरे कहने का ज़रा भी असर नहीं पड़ता। यदि सफ़ाई की कुछ यही दशा रही तो कोई-न-कोई भयानक रोग अवश्य फूट पड़ेगा। इसलिए आप से यह प्रार्थना है कि आप या तो उसे बदल दीजिए या ठीक प्रकार से काम करने के लिए सावधान कर दीजिए।
धन्यवाद,
भवदीय,
शामलाल शर्मा
तिथि 4 जून, 20….
10. पोस्ट मास्टर को डाकिये की लापरवाही के विरुद्ध शिकायती पत्र लिखो।
109, रेलवे कालोनी,
बठिण्डा।
30 जुलाई, 20
सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
बठिण्डा।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। कभी-कभी तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। उसे वे इधर-उधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।
अत: आपसे सनम्र प्रार्थना है कि या तो इसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें ताकि हमें और हानि न उठानी पड़े।
भवदीय,
चांद सिंह
11. मित्र की माता जी के निधन (मृत्यु) पर संवेदना का पत्र।
201, माडल टाऊन,
लुधियाना।
20 मई, 20…..
प्रिय युद्धवीर,
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूज्य माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखों के आगे अन्धेरा सा-छा गया। पैरों तेल ज़मीन खिसक गई। बार-बार सोचता हूँ कि कहीं यह स्वप्न तो नहीं। अभी कुछ दिन की ही तो बात है, जब मैं उन्हें कोलकाता मेल पर चढ़ाकर आया था। न कोई दुःख न कोई कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मंडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी समुद्र के समान गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।
प्रिय मित्र, भाग्य लेख मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और है। ईश्वरीय कार्यों में कौन दखल दे सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं। मेरी यही प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। रोनेधोने से कुछ नहीं बनेगा। इससे तो स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। अनिल और नलिनी को सान्त्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें, तथा आप सभी को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
तुम्हारा अपना,
सुखदेव
12. पिता जी को रुपए मँगवाने के लिए पत्र।
चोपड़ा निवास,
बांसां बाज़ार,
फगवाड़ा।
25 जनवरी, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मैं सातवीं श्रेणी में 800 में से 685 अंक लेकर अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। अब मुझे आठवीं श्रेणी की पुस्तकें तथा कापियाँ लेनी हैं। इधर मेरे सभी मित्रों ने मुझे बधाई देते हुए पार्टी की मांग भी की है। मैं भी चाहता हूँ कि एक छोटी चाय-पार्टी उन्हें दे ही दूँ। इसलिए पत्र मिलते ही आप मुझे 500 रुपए मनीआर्डर द्वारा भेज दें।
माता जी को सादर प्रणाम। गीता को प्यार।
आपका पुत्र,
रमेश चोपड़ा
13. अपनी सखी को अपने भाई के विवाह में शामिल होने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखो।
आदर्श विद्यालय,
फिरोज़पुर।
16 सितम्बर, 20….
प्रिय अनु,
सप्रेम नमस्ते।
आपको यह जानकर बहुत प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई विजय कुमार का शुभ विवाह दिल्ली में सेठ राम लाल की सुपुत्री सीमा से इसी मास की 25 तारीख को होना निश्चित हुआ है। इस शुभ विवाह में आप जैसे सभी इष्ट-मित्र तथा बन्धुओं का शामिल होना अत्यावश्यक है। अतः आपको भाई साहब की बारात में चलना पड़ेगा। विवाहोत्सव का प्रोग्राम नीचे दिया जा रहा है।
23 तारीख दोपहर 1 बजे प्रीति भोज
24 तारीख सायँ 6 बजे घोड़ी चढ़ी ,
25 तारीख प्रातः 5 बजे बारात का दिल्ली प्रस्थान
आशा है, आप 22 तारीख को पहुँच जाओगी। मीना और मंजू भी 22 तारीख को यहाँ पहुँच जाएँगी।
तुम्हारी अनन्य सखी
सुमन
14. मित्र को पास होने पर बधाई पत्र लिखो।
208, प्रेम नगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र सुरेश,
कुल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम सातवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
अशोक
15. अपने छोटे भाई को पत्र लिखो जिसमें प्रातः भ्रमण (सुबह की सैर) के लाभ बताये गये हों।
208, कृष्ण नगर,
लुधियाना।
11 जुलाई, 20…..
प्रिय भाई नरेश,
चिरंजीव रहो
कल माता जी का पत्र मिला। पढ़कर पता चला कि तुम बीमार रहने के कारण बहुत कमज़ोर हो गए हो। तुम सुबह देर तक सोए रहते हो। प्यारे भाई ! प्रातः उठकर सैर करनी चाहिए। सुबह की सैर से स्वास्थ्य उत्तम होता है। प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। मांसपेशियों में नए रक्त का संचार होता है। फेफड़ों को साफ़ वायु मिलती है। ओस पड़ी घास पर नंगे पाँव चलने से बल, बुद्धि और आँखों की रोशनी बढ़ती है। दिमाग को शक्ति मिलती है। इसलिए प्रात: घूमने अवश्य जाया करो।
आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनु को प्यार।
तुम्हारा बड़ा भाई,
प्रदीप कुमार
16. अपने छोटे भाई को पढ़ाई में ध्यान देने के लिए पत्र।
195,फतेहपुरा,
जालन्धर।
16 जनवरी, 20….
प्रिय राजीव,
सदा प्रसन्न रहो।
अभी-अभी तुम्हारे मित्र संदीप का पत्र मिला है उससे मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। सारा दिन तुम आवारागर्दी करते हो। तुम्हारे मासिक परीक्षा में नम्बर बहुत कम आए हैं। प्रिय राजीव, याद रखो, यह विद्यार्थी जीवन पढ़ाई के लिए ही होता है, क्योंकि यदि बचपन में ठीक से नहीं पढ़ोगे तो शेष सारा जीवन ही दुःखों में बीतता है।
तुम्हारी इस असफलता से मुझे बड़ा दुःख हुआ है। मुझे आशा नहीं थी कि तुम मेरे यहाँ से चले जाने के बाद इतने निकम्मे और लापरवाह हो जाएंगे। खेलना बुरा नहीं, परन्तु खेलने के समय खेलो और पढ़ने के समय पढ़ो। पढ़ाई की कमी को पूरा करने के लिए यदि कोई आवश्यकता हो तो मुझे लिखो।
तुम्हारा हितैषी,
राम प्रकाश
17. अपने मित्र को पत्र लिखो जिसमें किसी आँखों देखे मेले का वर्णन हो।
परीक्षा भवन,
………. नगर।
15 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र रमेश,
सप्रेम नमस्ते।
मुझे पिछले बुधवार को आपके पास आना था, पर मालूम हुआ कि वीरवार को अमृतसर में वैशाखी का मेला लगेगा। इसलिए मैंने अपने चार सहपाठियों के साथ मेला देखने का कार्यक्रम बना लिया।
हम पाँचों साथी बुधवार को सवेरे ही घर से चलकर पहली बस में बैठकर अमृतसर पहुँच गए। वहाँ जाकर देखा कि जैसे पुरुषों और स्त्रियों का समुद्र-सा उमड़ आया हो। ज्यों-ज्यों दिन चढ़ता गया, मेले में आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। वीरवार को तो यह संख्या दो लाख से भी ज्यादा हो गई।
दरबार साहिब के क्षेत्र में तो तिल धरने की भी जगह नहीं थी। हलवाइयों और होटल वालों की पौ-बारह थी। चाहे पुलिस ने कड़े प्रबन्ध कर रखे थे, फिर भी जेबकतरों ने बहुत-से लोगों की जेबें काट ली थीं। पुलिस ने कुछ गुंडों की पिटाई भी की।
एक स्थान पर नौजवानों की एक टोली “जट्टा आई वैसाखी” की तान के साथ भंगड़ा डाल रही थी। उनके पाँवों की थिरकन के साथ ही वहाँ इकट्ठी हुई भीड़ के दिल भी मचल रहे थे। एक नया जोश था। सबके मुँह पर नई उमंगें नाच रही थीं।
यह एक यादगारी मेला था। अगर तुम भी होते तो बड़ा मजा आता। पूज्य माता जी और पिता जी को चरणवन्दना।
तुम्हारा मित्र,
हर्ष देव
18. अपने किसी मित्र को पत्र लिख, उससे पूछो कि तम गर्मियों की छद्रियाँ कहाँ और कैसे बिताओगे। अपना विचार भी उसे बताओ।
राष्ट्रीय विद्यालय,
फिरोज़पुर।
18 जून, 20…..
प्रिय विनोद,
सप्रेम नमस्ते।
चिरकाल से आपका पत्र नहीं आया। क्या कारण है ? स्वास्थ्य तो ठीक है ? आपको याद होगा कि जब इस बार शिशिर के अवकाश में मैं आपके पास आया था, तो आपने ग्रीष्मावकाश एक साथ यहाँ बिताने का वचन दिया था। अब उस वचन को पूरा करने का समय आ गया है।
यहाँ मेरे पास अलग दो कमरे हैं। स्थान बिल्कुल एकान्त है। बिजली तथा पंखा लगा हुआ है। साथ ही खेलने के लिए अलग एक छोटा-सा क्रीडांगन है। यहाँ शाम को टेनिस खेला करेंगे और प्रातः काल दौड़ा करेंगे, जिससे हमारा शरीर बलिष्ठ और सुन्दर बनेगा।
मेरे अभिन्न मित्र राकेश ने भी साथ देने का वचन दिया है। उसके पिता जी जहां एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं। उनसे भी समय-समय पर सहायता ली जा सकेगी। इस विषय में मैंने उनसे बात कर ली है। उन्होंने सहर्ष सहायता देना स्वीकार कर लिया है।
मेरे पिता जी तथा माता जी का भी आपको यहाँ बुलाने का आग्रह है। आशा है कि हमारा कार्यक्रम बहुत सुन्दर और रुचिकर होगा।
आप कब आने का कष्ट कर रहे हैं, लिखें। माता जी को प्रणाम ।
तुम्हारा मित्र,
राजीव
19. अपने मित्र को एक पत्र लिखो कि वह किताबी कीड़ा न बनकर खेलों में भाग लिया करे।
मल्होत्रा निवास,
जी० टी० रोड।
करतारपुर
17 मार्च, 20 ………
प्रिय कृष्ण,
सप्रेम नमस्ते,
परीक्षा में आपकी शानदार सफलता ने मेरा मन प्रसन्नता से भर दिया पर यह जानकर मुझे दुःख भी हुआ कि यह सफलता तुम्हें सेहत गँवाकर मिली है। मुझे पता लगा है कि तुम आगे से भी अधिक किताबी कीड़ा बन गए हो। न तुम खेलों में भाग लेते हो और न बाहर भ्रमण के लिए ही जाते हो ?
मेरी यह अभिलाषा है कि तुम बड़े विद्वान् बनो पर साथ ही मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम शरीर से भी पूर्ण स्वस्थ रहो। यह बात सच है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसलिए तुम्हें पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भाग लेना चाहिए। यह तुम्हारे उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है।
आशा है कि तुम पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी अवश्य भाग लोगे।
आपका प्रिय मित्र,
सिमरनजीत सिंह
20. पुस्तकें मंगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को प्रार्थना-पत्र।
सेवा में
प्रबन्धक,
मल्होत्रा बुक डिपो।
रेलवे रोड,
जालन्धर।
प्रिय महोदय,
निवेदन है कि आप निम्नलिखित पुस्तकें वी० पी० पी० द्वारा शीघ्र ही नीचे लिखे पते पर भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फटी हुई न हो। सभी पुस्तकें सातवीं श्रेणी के लिए तथा नए संस्करण की हों। आपकी अति कृपा होगी।
1. ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड (प्रथम भाषा) 10 प्रतियाँ
2. ऐम० बी० डी० इंग्लिश गाइड 10 प्रतियाँ
3. ऐम० बी० डी० पंजाबी गाइड 8 प्रतियाँ
भवदीय
मनोहर लाल
आर्य हाई स्कूल,
नवांशहर।
तिथि 15 मई, 20…
21. रक्षाबन्धन के पुनीत अवसर पर अपने छोटे भाई को आशीर्वाद देते हुए पत्र लिखिए।
28, नेशनल पार्क,
कोलकाता।
19 दिसम्बर, 20….
प्रिय अनुज प्रतीक,
चिंरजीव रहो। तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुमने मासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। अगले सप्ताह रक्षाबन्धन का त्योहार है। मैं इस पत्र के साथ राखी भेज रही हूँ। प्रिय अनुज, इन राखी के धागों में बड़ी शक्ति और प्रेरणा का भाव है। इस दिन भाई अपनी बहन की मान-मर्यादा की रक्षा का संकल्प करता है और बहन भी भाई की सर्वांगीण प्रगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। मैं इस बार रक्षाबन्धन के अवसर पर तुम्हारे कोमल हाथों में राखी बाँधने के लिए उपस्थित न हो सकूँगी। मेरा प्यार, मेरा आशीर्वाद तथा मेरी शुभ कामना इन राखी के धागों में गुंथी हुई है।
माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारी बड़ी बहन,
रानी मुखर्जी।
22. छात्रावास जीवन पर टिप्पणी करते हुए अपने बड़े भाई के नाम पर एक पत्र लिखिए।
512, टैगोर भवन,
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र-136119
दिनांक : 20 जुलाई, 20…..
पूज्य भाई साहब
नमस्कार।
आशा है कि आप सब सकुशल हैं। मुझे यहां प्रवेश मिल गया है तथा टैगोर भवन छात्रावास में कमरा भी मिल गया है। यहां के सभी साथी बहुत ही मिलनसार तथा हँसमुख हैं। हमारे छात्रावास में खेलों तथा मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि उपलब्ध हैं। यहाँ के भोजनालय में भोजन अत्यन्त पौष्टिक तथा स्वास्थ्यवर्धक प्राप्त होता है। स्नानागार आदि भी स्वच्छ तथा हवादार हैं। कमरे में पंखा लगा हुआ है तथा कमरे के बाहर छज्जे में से प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं।
आप माता जी एवं पिताजी को समझा दें कि मैं यहाँ पर सुखपूर्वक हूँ तथा मन लगाकर पढ़ रहा हूँ। समय पर खा-पी लेता हूँ तथा व्यायाम भी करता हूँ। उन्हें नमस्कार कहें तथा रुचि को स्नेह दें।
आपका अनुज
तरुण कुमार।