Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 मातृ-दिवस Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 मातृ-दिवस
Hindi Guide for Class 7 PSEB मातृ-दिवस Textbook Questions and Answers
(क) भाषा-बोध
1. शब्दार्थ:
मातृ = माँ, माता
दिवस = दिन
कष्ट = पीड़ा
मातृ देवो भव = माता को देवता समझ कर उनकी उपासना करो
सुविधा = आसानी, सहूलियत
नियत = निश्चित, तय
उपवास = व्रत
प्रथा = रिवाज
पारित = पास
ध्वज = झंडा
प्रतीक = चिह्न
सम्मान = आदर
स्वर्गवास = मृत्यु
पुष्पादि = फूल आदि
प्रसून = फूल
स्मरण = याद
विज्ञापन = इश्तहार
आशीर्वाद = आशीष
पूता = पुत्र
निमख = एक पल, क्षण
बिसरो = भूलो। जगदीश = परमात्मा
2. निम्नलिखित शब्दों/मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग करें:
खिल उठना _______________ _________________________
मातृ देवो भव _________________ ____________________
उपवास ______________ ______________________
जानलेवा ________________ ____________________
महिमा ____________ _______________________
ध्वज _____________ ____________________
उत्तर:
खिल उठना (प्रसन्न होना) – शिशु की किलकारियों से माँ का दिल खिल उठता है।
मातृ देवो भव (माता की देवताओं के समान पूजा करें) – माँ के प्यार को देखकर हमें मातृ देवो भव उक्ति का पालन करना चाहिए।
उपवास (व्रत) – नवरात्रों में उपवास किया जाता है।
जानलेवा (खतरनाक) – लाल सिंह कैंसर की जानलेवा बीमारी से पीड़ित है।
महिमा (महत्त्व) – ईश्वर की महिमा अनन्त है।
ध्वज (झंडा) – हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है।
3. रेखांकित
माँ बचपन से लेकर बुढ़ापे तक अपने बच्चों का ध्यान रखती है।
रेखांकित शब्द भाववाचक संज्ञाएँ हैं, जो क्रमश: बच्चा और बूढ़ा (जाति वाचक संज्ञा) से बनी हैं। भाववाचक संज्ञाएँ जातिवाचक संज्ञा की तरह सर्वनाम, विशेषण और क्रियाओं से भी बनती हैं।
4. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाओ।
शब्द | मूलरूप | भाववाचक संज्ञा |
लड़का | जातिवाचक संज्ञा | ………………….. |
अपना | सर्वनाम | ………………….. |
भारी | विशेषण | ………………….. |
पराया | सर्वनाम | ………………….. |
मोटा | विशेषण | ………………….. |
युवा | विशेषण | ………………….. |
गिरना | क्रिया | ………………….. |
थकना | क्रिया | ………………….. |
मिलना | क्रिया | ………………….. |
सजना | क्रिया | ………………….. |
उत्तर:
शब्द | मूलरूप | भाववाचक संज्ञा |
लड़का | जातिवाचक संज्ञा | लड़कपन |
अपना | सर्वनाम | अपनापन |
भारी | विशेषण | भारीपन |
पराया | सर्वनाम | परायापन |
मोटा | विशेषण | मुटापा |
युवा | विशेषण | यौवन |
गिरना | क्रिया | गिरावट |
थकना | क्रिया | थकान |
मिलना | क्रिया | मिलावट |
सजना | क्रिया | सजावट |
उसने अपनी माँ को कमल का फूल सच्चे हृदय से भेंट किया।
5. रेखांकित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखें
माँ = ………………. ……………………..
कमल = ……………….. …………………
फूल = ……………… …………………..
हृदय = …………… ……………………
उत्तर:
माँ = माता, जननी, धात्री, अम्मा।
कमल = जलज, पंकज, सरोज, नीरज।
फूल = पुष्प, सुमन, प्रसून, कुसुम।
हृदय = कलेजा, मन, चित।
6. निम्नलिखित विग्रहों को समस्त पद में बदलें तथा समास का नाम लिखें:
विग्रह | समास | समास का नाम |
देवताओं की माता | देव माता | तत्पुरुष समास |
स्वर्ग में वास | ………………………. | ………………………. |
दादी और नानी | ………………………. | ………………………. |
राष्ट्रपति | ………………………. | ………………………. |
आदर और सत्कार | ………………………. | ………………………. |
बेटा और बेटी | ………………………. | ………………………. |
भाई और बहन | ………………………. | ………………………. |
रोम का वासी | ………………………. | ………………………. |
माता की उपासना | ………………………. | ………………………. |
माता का दिवस | ………………………. | ………………………. |
उत्तर:
विग्रह | समास | समास का नाम |
देवताओं की माता | देव माता | तत्पुरुष समास |
स्वर्ग में वास | स्वर्गवास | तत्पुरुष समास |
दादी और नानी | दादी-नानी | द्वंद्व समास |
राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति | तत्पुरुष समास |
आदर और सत्कार | आदर-सत्कार | द्वंद्व समास |
बेटा और बेटी | बेटा-बेटी | द्वंद्व समास |
भाई और बहन | भाई-बहन | द्वंद्व समास |
रोम का वासी | रोमवासी | तत्पुरुष समास |
माता की उपासना | मार्तोपासना | तत्पुरुष समास |
माता का दिवस | मातृदिवस | तत्पुरुष समास |
7. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग अलग करें:
उपवास = ………………….
अनुवाद = …………………
विज्ञापन = …………………..
अनुसार = …………………
विचार = ………………….
प्रयत्न = …………………..
उत्तर:
उप, अनु, वि, अनु, वि, में।
8. निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय अलग-अलग कर के लिखें:
गुलाबी = ……………………
यूनानी = …………………..
महानता = …………………
मुस्कराहट = …………………
पवित्रता = ………………
उत्तर:
ई, ई, ता, आहट, ता।
9. प्रयोगात्मक व्याकरण
(1) सम् + मान = सम्मान उपर्युक्त उदाहरण में ‘म्’ के बाद ‘म’ होने के कारण उसे द्वित्व हो गया है।
अतएव व्यंजन संधि के नियमानुसार म् के बाद ‘म’ हो तो द्वित्व हो जाता है। अन्य उदाहरण – सम् + मति = सम्मति
(2) सम् + सार = संसार
उपर्युक्त उदाहरण में म् के बाद स होने के कारण म् को अनुस्वार हो गया है। अन्य उदाहरण
सम् + पूर्ण = संपूर्ण
सम् + योग = संयोग
सम् + लाप = संलाप
सम् + वाद = संवाद
सम् + कल्प = संकल्प
सम् + रचना = संरचना
सम् + शय = संशय
सम् + हार = संहार
(ख) विचार-बोध
1. उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें:
- मदर्स डे का आरम्भ …………. में हुआ था। (यूनान, अमेरिका, स्वीडन)
- अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने ……….. को प्रस्ताव पास करवा कर मातृ दिवस मनाने की घोषणा की थी। (सन 1908, 1915, 1914)
- सफेद फूल प्यारी माँ के ……….. को प्रकट करता है। (मधुर व्यवहार, हृदय की पवित्रता, कष्ट सहने की क्षमता)
- अमेरिका में सभी बच्चे मई महीने के ………… को मातृ-दिवस मना लेते हैं। (इतवार को, 8 तारीख, दूसरे शुक्रवार)
- कई लोग …………. भेजकर माता को स्मरण करते हैं। (समाचार पत्र में विज्ञापन, सन्देश, बधाई पत्र)
उत्तर:
- यूनान
- 1914
- हृदय की पवित्रता
- दूसरे शुक्रवार
- समाचार पत्र में विज्ञापन
2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:
प्रश्न 1.
‘माँवां ठंडीयां छावाँ’ कहावत किस भाषा की है ?
उत्तर:
‘माँवां ठंडीयां छावाँ’ कहावत पंजाबी भाषा की है।
प्रश्न 2.
हमारे ऋषि-मुनियों ने माता की महिमा कैसे व्यक्त की है ?
उत्तर:
हमारे ऋषि-मुनियों ने माता की महिमा ‘मातृ देवो भव’ कह कर देवी के रूप में कही है।
प्रश्न 3.
‘मातृ-दिवस’ का आरम्भ किस देश में हुआ?
उत्तर:
‘मातृ-दिवस’ का आरम्भ यूनान देश में हुआ था।
प्रश्न 4.
मदर्स-डे’ के बधाई पत्रों में किस का चित्र बनाया होता है ?
उत्तर:
‘मदर्स-डे’ के बधाई पत्रों में माता मेरी की गोद में बैठे ईसा मसीह का चित्र बनाया होता है।
3. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:
प्रश्न 1.
यूनान में मातृ-दिवस मनाने की प्रथा कब, क्यों और कैसे आरम्भ हुई ?
उत्तर:
यूनान में मातृ-दिवस मनाने की प्रथा देवताओं की माता ‘रेहया’ की मार्च महीने में की जाने वाली उपासना से आरम्भ हुई थी।
प्रश्न 2.
ईसाई धर्म का प्रचार होने पर इसे कब, कहाँ और कैसे मनाया जाने लगा ?
उत्तर:
ईसाई धर्म का प्रचार होने पर इसे ईसा मसीह के चालीस दिन के उपवास में पड़ने वाले किसी भी रविवार को मनाया जाने लगा, जो ईस्टर से महीना-सवा महीने पहले अप्रैल में आता है।
प्रश्न 3.
अमेरिका में मातृ-दिवस का श्रीगणेश किस महिला ने कहाँ और कब किया ?
उत्तर:
अमेरिका में मातृ दिवस मनाने का आरम्भ सुश्री अन्ना जारबिस ने फिलाडेलफिया के एक गिरिजाघर में 10 मई, 1908 ई० को किया था।
प्रश्न 4.
माताओं को किन रंगों के फूल भेंट किये जाते हैं? वे अलग-अलग रंग क्या प्रकट करते हैं ?
उत्तर:
माताओं को सफेद, गुलाबी और लाल फूल भेंट किए जाते हैं। सफेद फूल माँ के हृदय की पवित्रता, गुलाबी फूल माँ के मधुर व्यवहार और लाल रंग के फूल माँ के कष्ट सहने के प्रतीक होते हैं।
प्रश्न 5.
माता के जीवित न होने अथवा माँ के दूर होने पर लोग मातृ-दिवस कैसे मनाते हैं।
उत्तर
माता के जीवित नहीं होने पर दादी-नानी, मौसी-मामी, ताई-चाची, भाभी को पुष्पादि भेंट कर तथा माँ के दूर होने पर उन्हें बधाई-पत्र भेजकर मातृ-दिवस मनाते हैं।
(ग) रचना-बोध
‘मातृ देवो भव’– मातृ हृदय मक्खन से भी कोमल होता है, वह स्वयं कष्ट झेल कर शिशु का लालन-पालन करती है। वह वात्सल्य और करुणा की मूर्ति है। मात-महत्त्व पर अपने विचार लिखो तथा मंच पर भाषण दें।
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें।
(घ) मनन और आचरण
प्रश्न 1.
मातृ दिवस पर आप अपनी माँ को क्या सहयोग देंगे। अपने विचार लिखें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
आज आधुनिकता की दौड़ में युवा वर्ग अपने बुजुर्गों से दूर होता जा रहा है। दूरी बढ़ने से माता-पिता घर में एकाकी जीवन जीने पर मजबूर है। आप अपने मातापिता के लिए क्या कर सकते हैं ताकि उन्हें वृद्धाश्रम का रास्ता न देखना पड़े।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।
PSEB 7th Class Hindi Guide मातृ-दिवस Important Questions and Answers
दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
मदर्स डे:
मातृदिवस
मदरसा डे
माता डे
उत्तर:
मातृदिवस
प्रश्न 2.
रोमवासी:
रोमकूप
रोम के रहने वाले
रोम
उत्तर:
रोम के रहने वाले
प्रश्न 3.
चिह्न:
निशान
चिनगारी
चिनही
उत्तर:
निशान
प्रश्न 4.
निमख:
सर्प
गम
क्षण
उत्तर:
क्षण
मातृ-दिवस Summary
मातृ-दिवस पाठ का सार
‘मात-दिवस’ नामक पाठ में लेखक ने माता के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए ‘मातृदिवस’ मनाने की परम्परा का वर्णन किया है। लेखक के अनुसार माता अनेक कष्ट सहकर बच्चे को जन्म देती है और उसका बचपन से बुढ़ापे तक ध्यान रखती है। शिशु की मुस्कान माँ के हृदय-कमल को खिला देती है। इसलिए कहते हैं ‘माँवाँ ठंडियाँ छावाँ’ तथा ‘मातृ देवो भव।’ माँ के इसी महत्त्व को स्वीकार करते हुए ईसाई धर्म में वर्ष का एक दिन ‘मदर्स डे’ या ‘मातृ-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका आरम्भ यूनान में हुआ था। यूनानी और रोमवासी देवताओं की माता ‘रेहया’ की उपासना मार्च में करते थे और उन्हें ‘ग्रेट मदर’ मानते थे। बाद में यह उत्सव गिरिजा घरों में भी मनाया जाने लगा। प्रारंभ में इसे ‘ईस्टर’ से एक-सवा महीने पहले अप्रैल में मनाते थे तथा बच्चे भी अपने विद्यालयों या कार्यस्थलों से लौट आते थे और माता के लिए विशेष भेंट लाते थे।
‘मदर्स डे’ अमेरिका में सुश्री अन्ना जारबिस के प्रयत्नों से फिलाडेलफिया के गिरिजाघर में 10 मई, सन् 1908 ई० को पहली बार मनाया गया था। यूनान में फूल मार्च में और अमेरिका में मई में खिलते हैं, इसलिए ‘मदर्स डे’ अमेरिका में मई में मनाया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने सन् 1914 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में मई महीने के दूसरे रविवार अथवा मई महीने के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाने का प्रस्ताव पारित कराया था। अब वहाँ 8 मई को यह दिन सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। बच्चे माँ को सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूल भेंट करते हैं। सफेद फूल माँ के हृदय की पवित्रता, गुलाबी फूल माँ का सब के प्रति सद्व्यवहार तथा लाल फूल माँ के कष्ट सहन करने का प्रतीक माना जाता है।
आजकल मदर्स डे इंग्लैंड, डेनमार्क, स्वीडन, मैक्सिको, चीन और भारत में भी मनाया जाता है। इसे ये देश मई की 8 तारीख, मई के पहले रविवार, मई के दूसरे रविवार अथवा 12 मई को अपनी सुविधानुसार मनाते हैं। अमेरिकी स्कूलों में बच्चे मई के दूसरे शुक्रवार को ‘मात दिवस’ मनाकर शनि, रविवार अपने घर पर मनाते हैं। जिन की माँ नहीं होती वे अपनी दादी, नानी, मौसी, मामी, ताई,चाची, भाभी को पुष्प भेंट कर उन्हें माँ का सम्मान देते हैं। घर न जा सकने पर बधाई पत्रों से माँ को संदेश भेजा जाता है। एक-दूसरे को भी ‘मदर्स डे’ पर बधाई-पत्र भेजे जाते हैं । समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भी इस दिन को मनाया जाता है। ‘मदर्स डे’ के बधाई पत्रों पर माता मेरी की गोद में बैठे बालक ईसा मसीह का चित्र बना होता है। समाचार पत्र में एक विज्ञापन था- ‘माँ की गोद है बड़ी प्यारी, संसार के सब सुखों से न्यारी’ एक अन्य विज्ञापन था- ‘भाभी जी! आपने हमारे महान् पिता श्री रामलाल ग्रोवर जी को खो देने पर भी अत्यंत साहस दिखाकर हमारा पालन-पोषण किया। हम आपके तथा पूज्य पिता जी के चरण चिह्नों पर चलने के लिए आशीर्वाद माँगते हैं। पवित्र गुरुवाणी भी कहती है
“पूता माता की आशीस
निमख न विसरो तुमको
हर हर, सद भजो जगदीश”