Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 धीरा की होशियारी (2nd Language)
Hindi Guide for Class 8 PSEB धीरा की होशियारी Textbook Questions and Answers
धीरा की होशियारी अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) धीरा स्कूल के बाद कहाँ और क्या काम करता था?
उत्तर :
धीरा स्कूल के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश – करने का काम करता था।
(ख) धीरा ने राहगीर से क्या सुना?
उत्तर :
धीरा ने राहगीर से सुना कि, “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है।”
(ग) ग्राहक की वेशभूषा कैसी थी?
उत्तर :
ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने पतलून, कमीज़ तथा लाल टाई बाँध रखी थी।
(घ) धीरा को कौन-से पैर के जूते में से कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया?
उत्तर :
दाएँ पैर के जूते में से धीरा को कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।
(ङ) धीरा ने चोर के जूतों के फीते कैसे बाँधे?
उत्तर :
जब ग्राहक धीरा को देने के लिए रेज़गारी निकाल रहा था, तब धीरा ने चुपके से उसके जूतों की फीते बाँध दिए।
(च) चोर कौन था?
उत्तर :
जूते पर पॉलिश कराने वाला ग्राहक ही चोर था।
(छ) धीरा को किस-किसने इनाम दिया?
उत्तर :
धीरा को पुलिस और जौहरी दोनों ने इनाम दिया। उसके स्कूल ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक प्रदान किया।
4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) धीरा ने चोर को कैसे पकडवाया? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
धीरा बहुत ही होशियार लड़का था। जब वह ग्राहक/चोर का दायाँ जूता पॉलिश कर रहा था, तब उसने ग्राहक/चोर के पैर में किसी चीज़ को देखा। ध्यान से देखने पर उसे पता चल गया कि वस्तु सोने का कण्ठा थी। उस समय उसने बड़ी चालाकी के साथ चोर के दोनों जूतों के फीते आपस में बाँध दिए और जल्दी ही पुलिस वालों को बुलाकर ले आया। चोर ने जब भागने की कोशिश की तो वह मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया और पुलिस वालों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया। इस प्रकार चोर पकड़ा गया।
(ख) ‘धीरा एक मेहनती लड़का था।’ कहानी के आधार पर लिखें।
उत्तर :
धीरा एक गरीब परिवार का बेटा था। उसके सिर पर पिता का हाथ नहीं था। जब वह छोटा था तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। अब उसके कंधों पर अपना और अपनी माँ तथा बहन का पेट पालने की जिम्मेवारी थी। वह स्कूल में पढ़ने के बाद जूते पॉलिश करने का काम करता था तथा अपनी आजीविका कमाता था।
5. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य बनायें :
- गुनगुनाना ________ _________________________
- मिज़ाज गरम होना ________ _________________________
- मुँह के बल गिरना ________ _________________________
उत्तर :
- गुनगुनाना = हल्की आवाज़ में कुछ गाना
वाक्य – रमेश जब भी खाली होता है वह देशभक्ति के गीत गुनगुनाने लगता है। - मिज़ाज गरम होना = गुस्से में होना
वाक्य – राकेश जब देर शाम को खेल कर घर आया तो उसने देखा कि उसके पिता जी का मिजाज गरम है। - मुँह के बल गिरना = चोट खाना
वाक्य – जो लोग सड़क पर नीचे देखकर नहीं चलते वे अक्सर मुँह के बल ही गिरते हैं।
6. पर्यायवाची शब्द लिखें :
- स्वर्गवास = ……………………….
- राहगीर = ……………………….
- आदमी = ……………………….
- हिरासत = ……………………….
उत्तर :
- स्वर्गवास = देहांत, मृत्यु, मौत
- राहगीर = पथिक, यात्री, मुसाफिर
- आदमी = पुरुष, आदम, नर
- हिरासत = पकड़ना, बंदी बनाना
7. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :
- गर्मी = ……………………….
- दायाँ = ……………………….
- छाया = ……………………….
- नकली = ……………………….
- अमीर = ……………………….
- इनाम = ……………………….
उत्तर :
- गर्मी = सर्दी
- दायाँ = बायँ
- छाया = धूप
- नकली = असली
- अमीर = गरीब
- इनाम = दण्ड
8. बहुवचन रूप लिखें :
- सिपाही = ……………………….
- आदमी = ……………………….
- झुग्गी = ……………………….
- चोरी = ……………………….
- जौहरी = ……………………….
- घड़ी = ……………………….
उत्तर :
- सिपाही = सिपाहियों
- आदमी = आदमियों
- झुग्गी = झुग्गियाँ
- चोरी = चोरियाँ
- जौहरी = जौहरियों
- घड़ी = घड़ियाँ
9. अन्तर समझें और वाक्यों में प्रयोग करें :
(क) धुन = गीत की लय _________________________
धुन = निश्चय, दृढ़ _________________________
(ख) सोना = एक धातु,जिसके गहने बनाये जाते हैं। _________________________
सोना – सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना _________________________
(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना _________________________
ध्यान – परमात्मा की ओर मन लगाना _________________________
उत्तर :
(क) धुन = गीत की लय
वाक्य = आद्या देशभक्ति के गीतों की धुन पर नाच उठती है।
धुन = निश्चय, दृढ़
वाक्य = सुरेश ने परीक्षा में प्रथम आने की धुन ठान ली है।।
(ख) सोना = एक धातु जिसके गहने बनाये जाते हैं।
वाक्य = आजकल सोने के आभूषण बहुत महंगे हो गए हैं।
सोना = सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना
वाक्य = आदर्श पाँच घण्टे सोने के बाद फिर से सो गया।
(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना
वाक्य = परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए विद्यार्थी को खूब ध्यान लगाकर पढ़ना चाहिए।
ध्यान = परमात्मा की ओर मन लगाना
वाक्य = सीता माता अशोक वाटिका में भगवान श्री राम के ध्यान में बैठी रहती थी।
10. धीरा ने अपनी होशियारी से चोर को पकड़वाया। मान लो आप अपनी बहन/माँ के साथ बाजार जा रहे हैं। किसी ने आपकी बहन/माँ का पर्स छीन लिया। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
ऐसी स्थिति में सबसे पहले उस चोर को पकड़ने का प्रयास करूँगा. जो पर्स छीन कर भागा था। चोर को पकड़ने के बाद कानून अपने हाथों में न लेकर उसे पुलिस के हवाले कर दूंगा, ताकि पुलिस कानून के हिसाब से उसे उसके अपराध का उचित दण्ड दे।
11. इन वाक्यों में क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक है ? लिखें।
(क) धीरा जूते पॉलिश करता था। सकर्मक
(ख) धीरा घबरा गया। ______________
(ग) वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। ______________
(घ) दो सिपाही आ रहे हैं। ______________
(ङ) वह एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था। ______________
(च) धीरा बहुत मेहनती लड़का था। ______________
(छ) धीरा ने चुपचाप उसके दोनों जूतों के फीते एक दूसरे से बाँध दिये। ______________
उत्तर :
(क) सकर्मक
(ख) अकर्मक
(ग) सकर्मक
(घ) अकर्मक
(ङ) सकर्मक
(च) अकर्मक
(छ) सकर्मक
प्रयोगात्मक व्याकरण
- धीरा जूते पॉलिश करता था।
- धीरा द्वारा जूते पॉलिश किये जाते थे।
- धीरा से रहा नहीं गया।
उपर्युक्त पहले वाक्य में क्रिया कर्ता (धीरा) के अनुसार है, दूसरे वाक्य में क्रिया कर्म (जूते) के अनुसार है तथा तीसरे वाक्य में कर्म नहीं है अर्थात यहाँ भावों (रहा नहीं गया) की ही प्रधानता है।
अतएव क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाये कि क्रिया कर्ता के अनुसार है या कर्म के अनुसार है या भाव के अनुसार है, उस रूपको वाच्य कहते हैं।
इस तरह वाच्य तीन प्रकार के होते हैं :
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
(i) धीराधुन गुनगुना रहा था।
(ii) धीरा द्वारा धुन गुनगुनायी जा रही थी।
पहले वाक्य में कर्ता (धीरा) प्रधान है और क्रिया का लिंग, (गुनगुना रहा था) एवं वचन उसी कर्ता के अनुसार है।
अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
दुसरे वाक्य में क्रिया (गुनगुनायी जा रही थी) का लिंग एवं वचन कर्ता (धीरा) के अनुसार न होकर कर्म (धुन) के अनुसार है, यहाँ क्रिया कर्म वाच्य है। अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
(iii) धीरा से रहा नहीं गया। तीसरे वाक्य में रहा नहीं गया’ क्रिया का भाव ही मुख्य है। क्रिया अकर्मक है जो अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन में है।
अतएव क्रिया के जिस रूप में क्रिया के भाव की प्रधानता के कारण अकर्मक क्रिया का प्रयोग हो और जो सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिग तथा एकवचन में हो, उसे भाव वाच्य कहते हैं।
धीरा की होशियारी Summary in Hindi
धीरा की होशियारी पाठ का सार
‘धीरा की होशियारी’ लेखक की एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है। लेखक इस कहानी के माध्यम से बच्चों तथा युवाओं के मन में ईमानदारी, साहस, वीरता परिश्रम, कर्त्तव्य परायणता आदि के गुणों का समावेश करना चाहता है।
धीरा एक गरीब परिवार का मेहनती लड़का था। जब वह बहुत छोटा था तो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया था। अब वह अपनी माँ और बहन के साथ एक पुरानी झुग्गी में रह रहा था। अपना तथा अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह स्कूल बंद होने के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश करने का काम करता था। एक दिन धीरा पेड़ की छाया में बैठकर अपनी दिन भर की कमाई गिनते हुए एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था, तभी उसने एक राहगीर को कहते सुना – “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है” धीरा की उत्सुकता बढ़ी और उसने गिनती बंद कर उस व्यक्ति से घटना के बारे में जानना चाहा।
राहगीर ने धीरा को बताया कि चोर सोने का एक कण्ठा चुरा कर भागा है तथा उसकी दाढ़ी भी है। धीरा घटना की पूर्ण जानकारी लेने हेतु जौहरी की दुकान पर जाना चाहता था लेकिन उसी समय जूते पर पॉलिश करवाने के लिए एक ग्राहक आ गया। ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने गले में लाल टाई बाँधी हुई थी तथा पतलून कमीज़ पहनी हुई थी। उसने धीरा से कहा उसे कोई जल्दी नहीं वह आराम से जूते पॉलिश करे।
धीरा जूता तो पॉलिश कर रहा था लेकिन उसका मन चोरी घटना की ओर ही लगा था। धीरा ने पहले ग्राहक के बाएँ जूते को पॉलिश करके चमका दिया। तभी धीरा ने कनखियों से दो सिपाहियों को अपनी ओर आते देखा, वह उनसे चोरी की घटना के बारे में पूछना चाहता था, लेकिन ग्राहक के गर्म मिजाज को देखकर रुक गया। उसे इस बात का भी भय था कि ये कोई बड़ा आदमी है कहीं वह उसकी शिकायत ही पुलिस वालों से न कर दे इसलिए वह पूरे मन से जूते पॉलिश करने में लग गया।
जब धीरा ने बायाँ जूता पॉलिश कर दिया तो उसने ग्राहक को दायाँ पैर आगे करने को कहा तो वह धीरा से बोला लड़के जल्दी कर। शो समाप्त होने में दो मिनट बाकी थे। धीरा सोचने लगा कैसा आदमी था – पहले इसे जल्दी नहीं थी पर अब इसे जल्दी है। तब धीरा ने जूते की धूल साफ करके उस पर पॉलिश लगाई और जूते चमकाने लगा। उसने जूते के अंदर से कुछ बाहर निकलते देखा। जब धीरा ने जूते में अच्छे से झाँक कर देखा तो वह हैरान रह गया।
उसके मुँह से जो शब्द निकले वे थे–’बाप रे…’ ग्राहक धीरा को जूते पॉलिश करने का मेहनताना देने के लिए अपने बटुए में से रेजगारी निकालने लगा। धीरा ने चुपके से ग्राहक के दोनों जूतों के फीते एक – दूसरे से बाँध दिए और उससे पैसे भी नहीं लिए। कुछ ही पल में धीरा सिपाहियों के पास जा पहुँचा। वह आदमी धीरा पर चिल्ला रहा था कि रुक बदमाश।
ही आदमी ने भागना चाहा वह मुँह के बल धड़ाम से गिर पड़ा, तभी धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। सिपाहियों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। वह आदमी चोर था। धीरा ने उसके पैर में जो चीज़ देखी थी वह जौहरी की दुकान से चुराया हुआ सोने का कण्ठा था। पुलिस वालों ने उसकी जेब से नकली दाढ़ी तथा सोने का कण्ठा उसके जूते से निकाल लिया। सभी ने धीरा की होशियारी की खूब प्रशंसा की। पुलिस और जौहरी दोनों ने धीरा को ईनाम दिया। धीरा के विद्यालय ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक दिया।
धीरा की होशियारी कठिन शब्दों के अर्थ
- स्वर्गवास = देहांत।
- राहगीर = रास्ते पर चलने वाला।
- रास्ता लिया = चला गया।
- पतलन = पैंट।
- कनखियों = तिरछी नज़रों से।
- मिज़ाज = स्वभाव।
- हुजूर = साहब।
- बटुआ = पर्स।
- रेजगारी = सिक्के।
- लपक कर = झट से।
- हिरासत में लेना = पकड़ना, हथकड़ी लगाना।
धीरा की होशियारी गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. ग्राहक ने अपनी कलाई घड़ी की ओर देखते हुए धीरा से कहा, “अरे लड़के, ज़रा जूता अच्छी तरह से पॉलिश कर दो। मुझे कोई जल्दी नहीं है।” ग्राहक ने पतलून – कमीज़ पहनी हुई थी और लाल टाई बाँध रखी थी। देखने में वह एक अमीर आदमी लगता था।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से अवतरित है। इस कहानी में लेखक ने धीरा की होशियारी और बुद्धिमानी का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने धीरा के मेहनती स्वरूप को उजागर किया है।
व्याख्या – लेखक कहता है कि एक ग्राहक ने धीरा की ओर अपनी कलाई की घड़ी देखते हुए धीरा से कहा कि लड़के इस जूते को अच्छे ढंग से पॉलिश कर दो। उसे किसी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं है। लेखक बताता है कि ग्राहक ने पैंट – कमीज पहनी हुई थी और गले में लाल टाई पहनी हुई थी। उसे देखने पर लगता था कि जैसे वह कोई अमीर आदमी हो।
विशेष –
- लेखक ने ग्राहक के रूप में आए चोर की वेश – भूषा का चित्रण किया है।
- भाषा सरल तथा सहज है।
2. ग्राहक ने पहले बायाँ पैर स्टैंड पर रखा। पीला कपडा लेकर धीरा ने जते की धूल पोंछ फिर एक टिन खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश से जूते पर फैला दी। फिर वह जल्दी – जल्दी उसे चमकाने लगा। थोड़ी देर में जूता चमक उठा।।
तभी धीरा ने कनखियों से देखा कि दो सिपाही आ रहे हैं। उनसे वह चोरी के बारे में पूछना चाहता था लेकिन ग्राहक का मिज़ाज गरम हो रहा था।
प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने यहाँ धीरा के मेहनती स्वरूप का चित्रण करते हुए उसके मन में व्याप्त जिज्ञासा को दर्शाया है।
व्याख्या – लेखक कहता है कि ग्राहक ने अपने जूते पर पॉलिश करवाने के लिए सबसे पहले अपने बाएँ पाँव को स्टैण्ड पर रखा। तब धीरा ने एक पीले कपड़े के साथ जूते पर पड़ी धूल को पोंछा और एक टिन की डिब्बी खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश के साथ उसे पूरे जूते पर फैला दिया।
इसके बाद धीरा जूते को अच्छे से चमकाने में लग गया। कुछ ही देर में ग्राहक का जूता अच्छे से चमक गया। उसी समय धीरा ने अपनी तिरछी नज़रों से दो – सिंपाहियों को अपनी ओर आते देखा। वह उनसे चोरी की घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता था। लेकिन ग्राहक के स्वभाव का गर्म देखते हुए उसकी हिम्मत पूछने की न हुई।
विशेष –
- लेखक ने धीरा के मन में व्याप्त जिज्ञासा को प्रकट किया है।
- भाषा सरल तथा सहज है।
3. वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। पीछे से उसने आदमी को चिल्लाते सुना, “ओ बदमाश, जरा ठहर।” लेकिन आदमी ने जब चलना चाहा तो मुँह के बल गिर पड़ा। अभी वह उठने की कोशिश कर रहा था कि धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। उन्होंने उस आदमी को हिरासत में ले लिया।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने इस कहानी में धीरा की होशियारी एवं ईमानदारी को दिखा कर समाज को शिक्षा दी है कि हमें धीरा के समान होशियार एवं ईमानदार बनना चाहिए।
व्याख्या – लेखक कहता है कि जब धीरा ने अपनी बुद्धिमानी एवं होशियारी से चोर का सारा सच जान लिया तो वह झट से पुलिस वालों के पास पहुँच गया। जब वह पुलिस वालों के पास जा रहा था तो उसने पीछे से ग्राहक के भेष में चोर को चिल्लाते सुना अरे! बदमाश रुक जा।
लेकिन जब उस आदमी ने अपने कदम आगे बढ़ाने चाहे तो वह मुँह के बल नीचे गिर गया। वह अभी उठने का प्रयास कर रहा था कि इतने में धीरा सिपाहियों को लेकर वहाँ पहुँच गया। उसी समय पुलिस वालों ने ग्राहक के वेश में छिपे चोर को अपने कब्जे में ले लिया।
विशेष –
- लेखक ने धीरा की होशियारी का परिचय दिया है।
- भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।