Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 राखी की चुनौती Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 राखी की चुनौती
Hindi Guide for Class 7 PSEB राखी की चुनौती Textbook Questions and Answers
(क) भाषा-बोध
1. शब्दार्थ
शब्दों के अर्थ सरलार्थों के साथ दिए गए हैं।
तड़ित = बिजली
घन = बादल
गगन = आकाश
पुष्प = फूल
आर्द = गीली
रुलाई = रोना
स्वाधीनता = आजादी
जालिम = अत्याचारी
गर्व = स्वाभिमान
2. इन मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :
फूले न समाना _____________ _________________
खिलना _______________ ______________________
धूनी तपना ____________ _____________________
मंगल मनाना _____________ ____________________
घायल हृदय _____________ ______________________
खूनी दर्द उठना _______________ ____________________
विषमता का बन्धन ______________ ____________________
उत्तर:
फूले न समाना (प्रसन्न होना) – सुभद्रा अपने भाई को देख कर फूली न समाई।
खिलना (प्रसन्न हो जाना) – विदेश से आए अपने पुत्र को देखकर माँ का हृदय खिल उठा।
धूनी तपना (कष्ट झेलना) – देशभक्तों को देश को आजाद करवाने के लिए धूनी तापनी पड़ती है।
मंगल मनाना (शुभ कामना करना) – मैं आपके सुखी भविष्य के लिए मंगल मनाता हूँ।
घायल हृदय (अत्यन्त पीड़ा होना) – मेरा घायल हृदय माता-पिता को देखने के लिए तड़पता है।
खूनी दर्द उठना (तीखी पीड़ा होना) – राखी के दिन भी भाई को कैद में पाकर बहन के हृदय में खूनी दर्द उठता है।
विषमता का बन्धन (भेदभाव का बन्धन) – हमें पारस्परिक विषमता के बन्धनों को काट कर मिल-जुल कर रहना चाहिए।
3. तड़ित आज फूली समाती न घन में,
लता आज फूली समाती न वन में
कहीं बूंद है पुष्प प्यारे खिले हैं,
मैं हूँ, बहिन, किन्तु भाई नहीं है,
छीनी हुई माँ की स्वाधीनता को
वह जालिम के घर में से लाने गया है।
रेखांकित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची (समानार्थक) शब्द लिखें
तड़ित = ____________ ________________
लता = _______________ ________________
घन = ___________ __________________
पुष्प = _______________ ___________________
बहिन = _______________ _________________
भाई = ________________ _________________
माँ = ____________ ________________
स्वाधीनता = ____________ _________________
जालिम = _____________ __________________
घर = ________________ ____________________
उत्तर:
तड़ित – बिजली, विद्युत्।
लता – बेल, वल्लरी।
घन- बादल, मेघ।
पुष्प- फूल, सुमन।
बहिन – भगिनी, सहोदरा।
भाई – भ्राता, सहोदर।
माँ – माता, जननी।
स्वाधीनता – स्वतन्त्रता, आज़ादी।
जालिम – दुष्ट, खल।
घर – गृह, सदन।
4. इन भाववाचक संज्ञाओं का मूल रूप लिखें :
चमक, सुहाई, खुशी, रुलाई, स्वाधीनता, विषमता।
उत्तर:
चमकीला, सुहावना, खुश, रोना, स्वाधीन, विषम।
(ख) विचार-बोध
1. उपयुक्त शब्द भरकर वाक्य पूरा करें:
- बहिन …………. के कारण मन में अत्यन्त खुश है।
- बिजली …………. के कारण बादल में अत्यन्त खुश है।
- घटा …………. के कारण आकाश में अत्यन्त खुश है।
- लता …………. के कारण वन में अत्यन्त खुश है।
- मेरा बन्धु देश को आजाद कराने के लिए …………. में गया है। (जेलखाने, फूल खिलने, चमकने, राखी, वर्षा)
उत्तर:
- राखी।
- चमकने
- वर्षा
- फूल खिलने
- जेलखाने
2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
प्रश्न 1.
राखी का त्योहार कब आता है ?
उत्तर:
राखी का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा को आता है।
प्रश्न 2.
बहनें उस दिन हर्षित क्यों होती हैं ?
उत्तर:
बहनें राखी के दिन अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बाँध कर हर्षित होती हैं।
प्रश्न 3.
लेखिका का भाई कहाँ गया है ?
उत्तर:
लेखिका का भाई देश की स्वतन्त्रता के लिए जेल गया है।
प्रश्न 4.
क्या भाई के सम्मुख न होने से वह दुखी है ?
उत्तर:
बहन भाई के सम्मुख न होने से दुखी नहीं है, क्योंकि उसका भाई महान् कार्य के लिए जेल गया है।
प्रश्न 5.
उसकी ‘राखी’ कैसी है ?
उत्तर:
बहन की राखी रेशम से कोमल नहीं है बल्कि एक लोहे की हथकड़ी के समान है।
3. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें :
1. लेखिका राखी के पवित्र त्योहार के शुभ अवसर पर देश के नवयुवकों को क्या चुनौती देती है ?
उत्तर:
लेखिका राखी के पवित्र त्योहार के शुभ अवसर पर देश के युवकों को चुनौती देती है कि यदि राखी बंधवानी है तो देश के लिए त्याग करने के लिए तैयार हो जाओ। भारत माता को विदेशी अत्याचारी अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलवाने के लिए जेल जाना पड़े तो जेल भी जाओ।
(ग) भाव-बोध
निम्न पद्यांशों का भाव स्पष्ट करें :
1. है भादो, घटा किन्तु छाई नहीं है,
नहीं है खुशी, पर रुलाई नहीं है।
2. हम मंगल मनावें, वह तपता है धूनी,
है घायल हृदय, दर्द उठता है खूनी।
3. आते हो भाई पुनः पूछती हूँ,
विषमता के बँधन की है लाज तुम को
तो बन्दी बनो देखो बन्धन है कैसा ?
चुनौती यह राखी की है आज तुमको॥
उत्तर:
इन पद्यांशों के सरलार्थ-भाग को देखिए।
(घ) रचना
रक्षा बन्धन के पवित्र त्योहार पर तुम्हारे भाई ने तुम्हें घड़ी का उपहार दिया है, इस उपहार की उपयोगिता बताते हुए उसका धन्यवाद पत्र के द्वारा करें।
उत्तर:
912-शिवाजी पार्क,
जालन्धर शहर।
दिनांक 22 जुलाई, 20…..
पूज्य भाई साहब,
सादर नमस्कार।
आपकी प्रतीक्षा कर रही थी कि आप रक्षाबन्धन पर अवश्य आएँगे, परन्तु मिला आप के द्वारा भेजा गया पैकेट। जब मैंने इसे खोला तो इसमें आकर्षक घड़ी प्राप्त कर मैं खुशी से झूम उठी। इस में अलार्म, डेट, महीना, दिन देखकर तो मेरी सभी समस्याएँ हल हो गईं। मैं समय पर सब कार्य कर सकूँगी तथा दिन, महीना, तारीख भी नहीं भूलूंगी। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आप अवसर निकाल कर शीघ्र आइएगा। आदरणीया भाभी जी को मेरा नमस्कार कहिए तथा हार्दिक और आद्या को मेरा प्यार भरा आशीर्वाद दीजिए।
आपकी प्यारी छोटी बहन
रश्मि ।
(ङ) करो
* अपने हाथ से राखी तैयार कर अपने भाई को भेजें।
PSEB 7th Class Hindi Guide राखी की चुनौती Important Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
‘राखी की चुनौती’ कविता की रचनाकार कौन है ?
(क) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ख) धर्मवीर भारती
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(घ) सुमित्रा नंदन पंत
उत्तर:
(क) सुभद्रा कुमारी चौहान
प्रश्न 2.
कौन-से त्योहार पर बहन फूली नहीं समाती ?
(क) दीपावली
(ख) रक्षाबंधन
(ग) होली
(घ) दशहरा
उत्तर:
(ख) रक्षाबंधन
प्रश्न 3.
कवयित्री ने वीरों के लिए किसे चुनौती कहा है ?
(क) राखी को
(ख) माला को
(ग) घर को
(घ) धन को
उत्तर:
(क) राखी को
प्रश्न 4.
कवयित्री भाई को क्या प्रेरणा दे रही है ?
(क) बेटी बचाओ
(ख) खूब पढ़ो
(ग) भारत माता को गुलामी से मुक्त कराओ
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) भारत माता को गुलामी से मुक्त कराओ।
प्रश्न 5.
देश को आजाद कराने के लिए बहन कौन-सी राखी बाँधने को तैयार
(क) हथकड़ी रूपी
(ख) फूल रूपी
(ग) धागारूपी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) हथकड़ी रूपी
2. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
पूनो:
कार्तिक
अमावस्या
पूर्णिमा
उत्तर:
पूर्णिमा
प्रश्न 2.
भादों:
अंग्रेज़ी महीना
हिंदी महीना
भाग जा
उत्तर:
हिंदी महीना
प्रश्न 3.
घटा:
बादल
घाटी
खटाई
उत्तर:
बादल
प्रश्न 4.
तड़ित
बिजली
ताड़का
ताकना
उत्तर:
बिजली।
सप्रसंग सरलार्थ
1. बहिन आज फूली समाती न मन में,
तड़ित आज फूली समाती न घन में।
घटा है न फूली समाती गगन में,
लता आज फूली समाती न वन में।
शब्दार्थ:
फूली समाती न = बहुत प्रसन्न। तड़ित = बिजली। घन = बादल। घटा = बादलों का समूह । गगन = आकाश वन = जंगल। प्रसंग-यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त भाइयों को देश की आजादी के लिए जेल जा कर भारत माता को आजाद कराने की प्रेरणा दी है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है कि आज राखी के त्योहार पर बहन मन में फूली नहीं समाती है, बहन बहुत ही प्रसन्न है। बिजली भी बादलों में चमकती हुई फूली नहीं समा रही। घटा आकाश में फूली नहीं समाती । काले बादलों का समूह आकाश में छाया हुआ है। लता आज वन में फूली नहीं समाती । लता पूरी तरह खिली हुई है। प्रकृति भी आज प्रसन्न है।
भाव:
रक्षा-बन्धन के अवसर पर मानव समाज के साथ प्रकृति भी आनन्द-मंगल मना रही है। बहनें भाइयों की कलाई पर आज राखी बाँधने के लिए प्रसन्न हैं।
2. कहीं राखियाँ हैं, चमक है कहीं पर,
कहीं बूंद है, पुष्प प्यारे खिले हैं।
ये आई है राखी, सुहाई है पूनी,
बधाई उन्हें जिनको भाई मिले हैं।।
शब्दार्थ:
पुष्प = फूल। सुहाई = शोभा देती है। पूनो = पूर्णिमा।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त भाइयों को देश की आज़ादी के लिए जेल जाकर भारत माता को आजाद कराने की प्रेरणा दी है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है कि आज रक्षा बन्धन के अवसर पर स्थान-स्थान पर राखियाँ दिखाई देती हैं। कहीं उनकी चमक-दमक शोभा दे रही है तो कहीं सावन के महीने में वर्षा की फुहारें पड़ रही हैं और बूंदें गिर रही हैं। कहीं-कहीं सुन्दर प्यारे फूल खिले हए हैं। आज राखी का सुन्दर और पवित्र पर्व आ गया है। पूर्णिमा का यह पर्व बहुत सुन्दर लग रहा है। इस शुभ अवसर पर उन्हें बधाई है जिनके भाई उनके पास हैं।
भाव:
राखी के शुभ पर्व के अवसर पर मानव तथा प्रकृति दोनों प्रसन्न हैं।
3. मैं हूँ बहिन किन्तु भाई नहीं है,
है राखी सजी पर कलाई नहीं है।
है भादों, घटा किन्तु छाई नहीं है,
नहीं है खुशी पर रुलाई नहीं है।
शब्दार्थ:
सजी है = सुन्दर लगती है। कलाई = बाजू का अगला भाग। रुलाई = रोना। घटा = बादलों का समूह। छाई = फैला।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त वीरों को देश की आजादी के लिए जेल जाने के लिए प्रेरित किया है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है कि मैं बहन अपने घर में हूँ, किन्तु मेरा भाई मेरे पास नहीं है। (वह देश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह करके जेल गया हुआ है।) सुन्दर राखी तो मेरे हाथ में है, परन्तु भाई की कलाई नहीं है। ऐसा लगता है जैसे भादों का महीना है, फिर भी घटा छाई हुई नहीं है। इस समय न तो मुझे प्रसन्नता है और रोना है। भाई देश की आज़ादी के लिए जेल गया है। वह अच्छे उद्देश्य को पूरा करने के लिए जेल गया है, इसलिए दुःख नहीं है परन्तु उसके पास न होने से प्रसन्नता भी नहीं है।
भाव:
भाई को राखी न बाँध सकने के कारण बहन प्रसन्न नहीं है परन्तु देश को आज़ाद कराने के लिए भाई जेल गया है इसलिए वह दुखी भी नहीं है।
4. मेरा बन्धु माँ की पुकारों को सुनकर
के तैयार हो जेलखाने गया है।
छीनी हई माँ की स्वाधीनता को,
वह ज़ालिम के घर में से लाने गया है।
शब्दार्थ:
बन्धु = भाई। स्वाधीनता = आज़ादी। ज़ालिम = निर्दयी।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त वीरों को देश की आजादी के लिए जेल में बंदी होने के लिए प्रेरित किया है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है मेरा भाई भारत माता की पुकार को सुनकर उसे गुलामी के बंधन से छुड़ाने के लिए तैयार हो कर जेल गया है। वह अंग्रेजों द्वारा छीनी गई भारत माता की आज़ादी को अत्याचारी अंग्रेज़ों के घर में से लाने के लिए ही जेल में गया है।
भाव:
बहन का भाई देश को स्वतंत्र कराने जेल गया है।
5. मुझे गर्व है किन्तु राखी है सूनी,
वह होता, खुशी तो क्या होती न दूनी।
हम मंगल मनावें, वह तपता है धूनी,
है घायल हृदय, दर्द उठता है खूनी॥
शब्दार्थ:
गर्व = अभिमान। किन्तु = लेकिन। दूनी = दुगुनी। धूनी = तपने की आग। दर्द = दुःख। खूनी – खून बहाने वाला। मंगल = कल्याण।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त वीरों को देश की आजादी के लिए जेल में बंदी होने के लिए प्रेरित किया है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है कि मुझे भाई के जेल जाने का गर्व है, परन्तु भाई के पास न होने के कारण राखी सूनी पड़ी है। यदि भाई मेरे पास होता तो क्या मुझे दुगुनी खुशी न होती अर्थात् दुगुनी प्रसन्नता ज़रूर होती। हम यहाँ पर मंगल मना रही हैं और वह जेल में तपस्या कर रहा है। इस भेदभाव के कारण कवयित्री कहती है मेरा हृदय घायल है और उसमें से खून बहा देने वाली पीड़ा हो रही है।
भाव:
बहन अपने भाई के जेल में होने से दुखी है।
6. अब तो बढ़े हाथ, राखी पड़ी है,
रेशम की कोमल नहीं, यह कड़ी है।
अजी देखो लोहे की यह हथकड़ी है,
इसी प्रण को लेकर बहिन यह खड़ी है।
शब्दार्थ-कोमल = नरम। प्रण = प्रतिज्ञा, वचन। कड़ी = सख्त ।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने देशभक्त वीरों को देश की आजादी के लिए जेल में बंदी होने के लिए प्रेरित किया है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है हे भाई! यदि तुम्हें दुःख है तो अपना हाथ आगे बढ़ाओ, यह राखी पड़ी हुई है। यह रेशम के समान कोमल नहीं है, यह बहुत सख्त है। अजी देखो, यह तो लोहे की हथकड़ी है। इसी प्रण को लेकर बहन राखी लेकर खड़ी हुई है।
भाव:
बहन भाई को देश को आजाद कराने के लिए रेशम की राखी के स्थान पर लोहे की हथकड़ी रूपी राखी बाँधने के लिए तैयार है।
7. आते हो भाई पुनः पूछती हूँ,
विषमता के बंधन की है लाज तुमको।
तो बन्दी बनो देखो बन्धन है कैसा,
चुनौती यह राखी की है आज तुमको॥
शब्दार्थ:
पुनः = फिर । विषमता = भेदभाव। लाज = शर्म । बन्दी = कैदी। बंधन = बाँधने का साधन। चुनौती = ललकार।
प्रसंग:
यह पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित ‘राखी की चुनौती’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने वीरों को देश की आजादी के लिए जेल में बंदी होने के लिए प्रेरित किया है।
सरलार्थ:
कवयित्री कहती है कि हे भाई! क्या तुम आते हो? मैं तुम्हें फिर पूछती हूँ। तुम को इस विषम परिस्थिति के रक्षा के बन्धन की थोड़ी-सी भी लज्जा है, तो कैदी बनो, और देखो कि यह राष्ट्र रक्षा का कैसे बन्धन है? आज मेरी तुम को यह राखी एक चुनौती है कि तुम बन्दी बनकर भारत माता को गुलामी से छुड़ाओ।
भाव:
कवयित्री भाई को भारत माता को गुलामी के बन्धनों से मुक्त कराने की प्रेरणा दे रही है।
रारवी की चुनौती Summary
रारवी की चुनौती कविता का सार
‘राखी की चुनौती’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है, जिस में कवयित्री ने रक्षा-बंधन के पर्व पर देश को स्वतंत्र कराने के लिए जेल में बन्द अपने भाई को राखी की चुनौती देते हुए भारत माँ की स्वाधीनता को वापस लाने के लिए कहा है। कवयित्री लिखती है कि आज राखी के दिन बहन मन में, बिजली बादलों में, घटा आकाश में और लता वन में फूली नहीं समा रही है। कहीं राखियाँ, कहीं वर्षा की बूंदे, कहीं फूल खिले हैं। पूर्णिमा के इस राखी पर्व पर उन्हें बधाई है, जिन्हें भाई मिले हैं। बहन घर में है पर उसका भाई यहाँ नहीं है, भादों है पर घटा छाई नहीं है, प्रसन्नता न होते हुए भी दुःख भी नहीं है। भाई भारत माता को गुलामी के बन्धनों से छुड़ाने के लिए जेल गया है। इसलिए गर्व तो है परन्तु भाई को राखी नहीं बांध सकती, वह होता तो खुशी दुगुनी हो जाती। यहाँ आनन्द मन रहा है और भाई जेल में तप रहा है, यही बहन को दुःख है। उस के पास भाई के लिए लोहे की हथकड़ी जैसी राखी है। वह चाहती है कि इस विषम परिस्थिति में यदि उसके भाई को कुछ भी लज्जा है तो वह इसका कैदी बन कर देखे कि राखी का बन्धन कैसा होता है? यही उसकी राखी उसे आज चुनौती दे रही है।