Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 24 माँ तुलसी मेरे आँगन की Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 24 माँ तुलसी मेरे आँगन की
Hindi Guide for Class 7 PSEB माँ तुलसी मेरे आँगन की Textbook Questions and Answers
(क) भाषा-बोध
1. शब्दार्थ:
आँगन = सेहन
अलापना = ऊँचे स्वर में भजन गाना
निपटा कर = खत्म करके
पश्चात् = बाद में
शीतलता = ठण्डक
पावनता = पवित्रता
हर = शिव
पटरानी = मुख्य पत्नी
अनुभव = महसूस
सहज = आसानी से
पाला = सर्दी
भयंकर = डरावनी
शीत = सर्दी
तारीफ =प्रशंसा
श्यामा = काली
अर्चना = पूजा करना
रक्षा = बचाव
प्रकृति = कुदरत
कीटाणु = जर्म, कीड़े आदि
सामान्य = आम
गृहणियाँ = घर की स्त्रियाँ
मंगल-कामना = भले की इच्छा
उपयोगी = लाभदायक
2. निम्नलिखित शब्दों/मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
पश्चात् ____________ ____________________
शीतलता ___________ ____________________
पावनता _____________ __________________
अमृत ______________ ________________
पाला पड़ना _____________ ___________________
दूंठ हो जाना _____________ _________________
स्थापित _____________ ________________________
उत्तर:
पश्चात् (बाद में) – स्नान करने के पश्चात् पूजा-पाठ करो।
शीतलता (ठंडक) – चन्दन में अद्भुत शीतलता होती है।
पावनता (पवित्रता) – तुलसी के पौधे की पावनता प्रसिद्ध है।
अमृत (अमरता के गुण वाला रस) – तुलसी के पौधे में अमृत जैसे गुण हैं।
पाला पड़ना ( बहुत ठंड पड़ना) – पाला पड़ने से कई पौधे मुरझा जाते हैं।
ढूंठ हो जाना (पत्तों से रहित होना) – कड़ी सर्दी में पौधे लूंठ हो जाते हैं।
स्थापित (लगाना, बनाना) – ऊँचे चबूतरे पर तुलसी का पौधा स्थापित करना चाहिए।
3. पावनता एक भाववाचक संज्ञा है-जिसका मूल शब्द है नीचे लिखे शब्दों की भाववाचक संज्ञाएं बताइए
शीतल = ……………….
प्रभु = ………………….
माता = ……………….
व्यक्ति = ………………
बुरा = …………………
भला = ……………..
उत्तर:
शीतल = शीतलता
प्रभु = प्रभुता
माता = मातृत्व
व्यक्ति = व्यक्तित्व
बुरा = बुराई
भला = भलाई
4. वैज्ञानिक एक विशेषण शब्द है जिसका मूल शब्द है-विज्ञान नीचे लिखे शब्दों के विशेषण बनाइए
श्याम = ………………
रंग = …………………..
देश = …………………
धर्म = …………………
प्रकृति = …………….
प्रातःकाल = ………………
उत्तर:
शब्द विशेषण
श्याम – श्यामल
रंग – रंगीन
देश – देशज
धर्म – धार्मिक
प्रकृति – प्राकृतिक
प्रातःकाल – प्रात:कालीन
5. नीचे लिखे शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखें:
माली = …………………
तेली = …………………
नाग = …………………
बूढ़ा = …………………
बेटा = …………………
मोर = …………………
नौकर = …………………
उत्तर:
शब्द स्त्रीलिंग
माली – मालिन
तेली = तेलिन
नाग – नागिन
बूढ़ा = बुढ़िया
बेटा – बेटी
मोरनी = मोरनी
नौकर – नौकरानी
साँप का स्त्रीलिंग साँपिनी है।
6. नीचे लिखे शब्दों को अलग-अलग (सन्धिच्छेद) करें:
चरणामृत = …………………
महौषधि = …………………
नीरोग = …………………
महेन्द्र = …………………
हिमालय = …………………
उत्तर:
शब्द सन्धि विच्छेद
चरणामत = चरण +अमृत
महौषधि – महा + औषधि
नीरोग = निर् +रोग
महेन्द्र = महा +इन्द्र
हिमालय = हिम + आलय
7. प्रयोगात्मक व्याकरण
(क)
(1) महा + औषध = महौषध
आ + औ = औ
(2) वन + ओषधि = वनौषधि
अ + ओ = औ अतएव अ, आ के बाद ‘ओ’ या ‘औ’ आ जाये जो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है। यह वृद्धि संधि का उदाहरण है।
अन्य उदाहरण :- महा + ओजस्वी = महौजस्वी
परम + औदार्य = परमौदार्य
(ख)
(1) एक + एक = एकैक
अ + ए = ऐ
(2) सदा + एव = सदैव
आ + ए = ऐ
(3) मत + ऐक्य = मतैक्य
अ + ऐ = ऐ
अतएव अ, आ के बाद ए/ऐ आ जायें तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’ हो जाता है। यह वृद्धि संधि का उदाहण है।
(ख) विचार-बोध
1. रिक्त स्थानों में उपयुक्त शब्द भरें:
- सिम्पी की आवाज़ शशि को सुनाई नहीं दी, क्योंकि वह ………… थी। (काम में लीन, पढ़ रही, गुनगुना रही)
- तुलसी को जल चढ़ाने से ……… मिलती है । (तृप्ति, सन्तुष्टि, शान्ति)
- तुलसी को देवी का रूप माना गया क्योंकि वह …….. (शिव की पत्नी, पूजी जाती, उत्तम, हरा-भरा, पौधा, अमृत जैसे गुणों वाली)
- तुलसी मनुष्य के लिए अमृत के समान ………… है। (सुखकारी, वरदान, औषधि, गुणकारी)
- तुलसी का विवाह ………… में होता है। (वैशाख, कार्तिक, माघ)
उत्तर:
- गुनगुना रही
- शान्ति
- शिव की पत्नी
- गुणकारी
- कार्तिक
2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:
प्रश्न 1.
शशि ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ क्यों गुन-गुना रही थी ?
उत्तर:
शशि ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ इसलिए गुनगुना रही थी, क्योंकि उसे स्नान के पश्चात् तुलसी माता को जल चढ़ाने से शान्ति मिलती थी।
प्रश्न 2.
तुलसी को देवी का रूप क्यों माना गया है ?
उत्तर:
तुलसी को उसके अमृत जैसे गुणों के कारण देवी का रूप माना जाता है।
प्रश्न 3.
तुलसी की पूजा कैसे करते हैं ?
उत्तर:
तुलसी की पूजा प्रातः स्नान करने के बाद उस पर जल चढ़ाकर की जाती है
प्रश्न 4.
तुलसी मुख्यतः कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर:
तुलसी मुख्यतः दो प्रकार की सामान्य तुलसी और श्यामा तुलसी होती है।
प्रश्न 5.
तुलसी का एक नाम वृन्दा क्यों है ?
उत्तर:
तुलसी का एक नाम ‘वृन्दा’ इसलिए है क्योंकि वह शिव की पत्नी है।
3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
प्रश्न 1.
आयुर्वेद में तुलसी का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
आयुर्वेद में तुलसी को महौषधि माना जाता है। ये बुखार, खाँसी, मलेरिया आदि रोगों को दूर करती है। इसकी सुगन्धि से वातावरण शुद्ध होता है। मच्छर और कीटाणु नष्ट होते हैं। इन्हीं कारणों से तुलसी का आयुर्वेद में बड़ा महत्त्व है।
प्रश्न 2.
चरणामृत और प्रसाद में तुलसी पत्र क्यों डालते हैं?
उत्तर:
चरणामृत में तुलसी पत्र पावन और सुखद होने के कारण डाले जाते हैं। इन्हें शास्त्रों में पवित्र माना जाता है और इन्हें धार्मिक महत्त्व प्रदान किया गया है।
प्रश्न 3.
तुलसी की सुगन्धि के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
तुलसी के पत्तों में एक अद्भुत सुगन्धि होती है। इससे वातावरण शुद्ध रहता है। मच्छर और कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। जहाँ तुलसी की सुगन्धि होगी, वहाँ रोग नहीं फैलते।
प्रश्न 4.
‘तुलसी का विवाह’ का वास्तविक तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
‘तुलसी का विवाह’ का वास्तविक तात्पर्य है-तुलसी में विशिष्ट गुण होना। हमारे देश में अच्छी चीज़ को समझने के लिए उसे धार्मिक रीति-रिवाज से जोड़ दिया जाता है। तुलसी को शीत ऋतु में ठंड से बचाए रखने के लिए उसका विवाह कर चूनर से ढक दिया जाता है।
प्रश्न 5.
‘श्यामा तुलसी’ और ‘सामान्य तुलसी’ का अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
श्यामा तुलसी के पत्ते छोटे-छोटे होते हैं। इसके पत्ते कुछ कालापन लिए होते हैं। सामान्य तुलसी के पौधे अपेक्षाकृत बड़े और हरे होते हैं। गुणों की दृष्टि से दोनों उपयोगी हैं।
प्रश्न 6.
क्या ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ शीर्षक उपयुक्त है?
उत्तर:
तुलसी अपने विशिष्ट गुणों एवं रोग-नाशक प्रभावों के कारण माता के रूप में पूजनीय मानी जाती है। धार्मिक दृष्टि से भी इसे पवित्र माना जाता है। सचमुच यह माता के समान है। इसलिए ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ पाठ का शीर्षक उपयुक्त है।
प्रश्न 7.
तुलसी के गुण लिखें।
उत्तर:
आयुर्वेद में इसे महौषधि बताया गया है । इससे सामान्य बुखार, जुकाम, खाँसी, मलेरिया, खून के अनेक दोष विकार न जाने कितने रोग सहज ही दूर हो जाते हैं।
प्रश्न 8.
तुलसी का पौधा प्रवेश द्वार के निकट क्यों रखा जाता है ?
उत्तर:
तुलसी के पौधे के चारों ओर एक अच्छा वातावरण मिल जाता है इसलिए बहुत से घरों में प्रवेश द्वार के नज़दीक ही तुलसी का पौधा होता है।
(ग) रचना-बोध
‘तुलसी के महत्त्व’ पर मंच पर भाषण दें।
संकेत – धार्मिक, आयुर्वेदीय, पर्यावरण।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
करो – तुलसी का पौधा गमले में लगायें और उसकी देखभाल करें।
PSEB 7th Class Hindi Guide माँ तुलसी मेरे आँगन की Important Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
किसके नियमित सेवन से रोग पास नहीं आते हैं ?
(क) आँवला
(ख) आम
(ग) तुलसी
(घ) चावल
उत्तर:
(ग) तुलसी
प्रश्न 2.
चरणामृत और प्रसाद के साथ और क्या रखा जाता है ?
(क) तुलसी
(ख) गेंदा
(ग) बिस्तर
(घ) तेल
उत्तर:
(क) तुलसी
प्रश्न 3.
तुलसी की सुगंध से कौन-कौन दूर भागते हैं ?
(क) साँप
(ख) मच्छर
(ग) कीटाणु
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
तुलसी कितने प्रकार की होती है ?
(क) चार
(ख) तीन
(ग) पाँच
(घ) दो
उत्तर:
(घ) दो।
प्रश्न 5.
राशि किसकी आवाज़ नहीं सुन पाती ?
(क) सिम्पी
(ख) माँ
(ग) पिता
(घ) भाई
उत्तर:
(क) सिम्पी
2. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
औषधी:
दवाई
मिठाई
कलाई:
उत्तर:
दवाई
प्रश्न 2.
लीन होना:
समा जाना
ले कर आना
उत्तर:
समा जाना
प्रश्न 3.
अर्चना:
पूजा करना
आँच न आना
चर्च
उत्तर:
पूजा करना
प्रश्न 4.
पटरानी:
पाट की रानी
मुख्य पत्नी
पटरी रानी
उत्तर:
मुख्य पत्नी
माँ तुलसी मेरे आँगन की Summary
माँ तुलसी मेरे आँगन की पाठ का सार
‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ पाठ में लेखक ने तुलसी के पौधे के औषधीय गुणों का शशि और सिम्पी के वार्तालापों के माध्यम से वर्णन किया है। राशि स्नान के बाद माँ तुलसी मेरे आँगन की गुनगुनाती हुई तुलसी के पौधे को जल चढ़ा कर शीतलता, शान्ति और पवित्रता का अनुभव कर उसी में लीन है और सिम्पी की आवाज़ नहीं सुन पाती और उस के यह कहने पर कि क्या वह ‘मैं तुलसी मेरे आँगन की’ फ़िल्म देख कर गुनगुना रही है? उसे उत्तर देती है कि तुलसी को जल चढ़ा कर उसे ऐसा लगता है जैसे उसे माँ के आंचल की छाया मिल गई हो। सिंपी भी अपने आँगन में तुलसी का पौधा मँगवा कर लगाना चाहती है। शशि उसे अपने तुलसे के चबूतरे से तुलसी का नन्हा पौधा ले जाकर अपने घर लगाने के लिए कह कर उसे उस के वृन्दा के देवी रूप के विषय में बताती है जो कहीं हर-शिव तथा जालंधर की पत्नी के रूप में प्रसिद्ध है। वृन्दावन में भी तुलसी-दलों की ही अधिकता रही होगी।
सिम्पी बताती है कि उसके घर आए एक वैद्यराज ने इसे महौषधि बताकर इसे सामान्य बुखार, जुकाम, खाँसी, मलेरिया, खून के विकारों को दूर करने में लाभदायक बताया था। शशि कहती है कि तुलसी से रोग ही दूर नहीं होते बल्कि इसके नियमित सेवन से रोग पास भी नहीं आते। इसे चरणामृत और प्रसाद में रखते हैं। इस की सुगन्ध मच्छर कीटाणुओं, साँप तक को दूर भगाती है। चाय में इस की महक बहुत अच्छी लगती है। यह दो प्रकार की सामान्य और श्यामा तुलसी होती है तथा दोनों के गुण सामान्य होते हैं। सिम्पी को भी तुलसी माता जैसी लगती है और दोनों गुनगुनाने लगती हैं ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की।