Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 पुष्प की अभिलाषा Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 पुष्प की अभिलाषा
Hindi Guide for Class 7 PSEB पुष्प की अभिलाषा Textbook Questions and Answers
(क) भाषा बोध
1. शब्दार्थ
शब्दों के अर्थ कविता के सरलार्थों के साथ दे दिए हैं।
चाह = इच्छा
सुरबाला = देवता की लड़की, देवागना
शव = मृत शरीर
वनमाली = माली
शीश = सर
पाथ = मार्ग
2. दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें:
अभिलाषा = …………………..
बाला = …………………..
पुष्प = …………………….
सुर = ………………….
सम्राट = …………………..
पथ = ……………………
वीर = ……………………..
हरि = …………………
उत्तर:
शब्द पर्यायवाची शब्द
अभिलाषा = इच्छा, कामना, आकांक्षा
बाला = कन्या, बालिका, लड़की
पुष्प = कुसुम, सुमन, फूल
सुर = अमर, देवता, देव
सम्राट = नरेश, महाराजा, राजन
पथ = रास्ता, मार्ग, राह
वीर = बलवान, बहादुर, बलवीर
हरि = प्रभु, ईश्वर, विष्णु
3. इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लिखते हुए वाक्य बनाएँ:
(1) सुर = ………………..
सूर = ………………..
(2) हरि = ………………….
हरी = …………………
(3) बाला = ……………….
वाला = ……………
(4) वन = ………………..
बन = ………………
(5) पथ = …………………
पंथ = ………………..
(6) सिर = ……………..
सिरा = ………………….
उत्तर:
शब्द अर्थ वाक्य
सुर = देवता – सुरों के सिर पर चढ़कर पुष्प गर्व नहीं करना चाहता।
सूर = अंधा- वह सूरदास बहुत अच्छा गाता है।
हरि = ईश्वर- हे हरि! सब पर कृपा करना।
हरी = हरे रंग की – सुधा को हरी साड़ी पसंद है।
बाला = कन्या – वह बाला बहुत समझदार है।
वाला = किसी का – गोपाल रुचि का घरवाला है।
वन = जंगल – पठानकोट के पास घने वन हैं।
बन = समूह – भेड़ों के बन चरने जा रहे हैं।
पथ = रास्ता – यह पथ टूटा-फूटा है
पंथ = धर्म संप्रदाय/मत – हमें सभी पंथों का आदर करना चाहिए।
सिर = शीश – वीर सिर कटा सकते हैं परन्तु झुका नहीं सकते।
सिरा = कोना – इस दीवार को सिरे से नापो।
4. इन शब्दों के लिंग परिवर्तन करें :
सुरबाला = ………………..
प्रेमी = …………………
सम्राट = ………………
देव = ……………………
माली = ……………….
वीर = …………………
उत्तर:
मूल शब्द परिवर्तित लिंग
सुरबाला = सुरबाल
प्रेमी = प्रेमिका
सम्राट = साम्राज्ञी
देव = देवी
माली = मालिन
वीर = वीरांगना
(ख) विचार-बोध
1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:
प्रश्न 1.
पुष्प की क्या-क्या इच्छा नहीं है ?
उत्तर:
पुष्प देवकन्या के गहनों में नहीं गूंथा जाना चाहता। वह प्रेमी की माला में नहीं बींधना चाहता। वह सम्राटों के शवों और देवताओं के सिरों पर भी नहीं रखा जाना चाहता।
प्रश्न 2.
उसकी इच्छा क्या है ?
उत्तर:
पुष्प उस मार्ग पर बिखरना चाहता है जहाँ से बलिदानी वीर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने के लिए निकलते हैं।
प्रश्न 3.
इस कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर:
इस कविता के कवि श्री माखन लाल चतुर्वेदी हैं।
2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:
प्रश्न 1.
इस कविता में व्यक्ति के हित की अपेक्षा देश के हित की बात कही गई है। कैसे? स्पष्ट करें।
उत्तर:
‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता में कवि ने पुष्प के माध्यम से स्पष्ट किया है कि व्यक्ति के अपने निजी स्वार्थों की अपेक्षा देश का हित सब से ऊपर है। फूल देवकन्या के गहनों में, प्रेमी की माला में गुँथने को अच्छा नहीं समझता। वह सम्राटों के शवों अथवा देवताओं के सिरों पर भी नहीं चढ़ना चाहता। वह तो उस रास्ते पर फेंका जाना पसंद करता है, जहाँ से मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वीर जाते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि फूल अपना कल्याण करने के स्थान पर देश पर बलिदान देने वालों पर न्योछावर हो पुस्तकीय भाग कर हमें यह संदेश देता है कि अपना हित साधने की अपेक्षा देश का हित करना चाहिए।
प्रश्न 2.
इन काव्य पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें:
मुझे तोड़ …………. वीर अनेक
उत्तर:
सप्रसंग व्याख्या के लिए क्रमांक तीन सप्रसंग सरलार्थ देखिए।
प्रश्न 3.
यह छोटी सी कविता देशप्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रही है। राष्ट्र हित व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर है। यदि आपके समक्ष कोई ऐसी परिस्थिति बन जाए तो आप किसे चुनना पसन्द करेंगे ? व्यक्तिगत स्वार्थ या राष्ट्र हित और क्यों ?
उत्तर:
ऐसी स्थिति में मैं व्यक्तिगत स्वार्थ के स्थान पर राष्ट्रहित चुनना पसंद करूँगा क्योंकि राष्ट्र के हित में ही हम सब का कल्याण है। राष्ट्र यदि खुशहाल होगा तो हमारा जीवन भी सुखी होगा। राष्ट्र की सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा है। राष्ट्र है तो हम है, राष्ट्र नहीं होगा तो हम भी नहीं होंगे। इसलिए व्यक्तिगत स्वार्थ से राष्ट्रहित ही सब से ऊपर होना चाहिए।
प्रश्न 4.
हमें अपने देश की उन्नति के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमें अपने देश की उन्नति के लिए अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए गलत कार्य नहीं करने चाहिए। हमें देश की उन्नति के लिए ईमानदारी से अपना काम करना चाहिए। हमें भ्रष्टाचार, काला बाज़ारी, जमाखोरी आदि का विरोध करते हुए सादा, सच्चा तथा ईमानदार जीवन व्यतीत करना चाहिए। अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करते हुए देश के विकास में योगदान देना चाहिए। अनुशासित राष्ट्र उन्नत होता है, इसलिए हमें स्वयं अनुशासन का पालन करते हुए दूसरों को भी अनुशासित करना चाहिए।
PSEB 7th Class Hindi Guide पुष्प की अभिलाषा Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
(क) माखन लाल चतुर्वेदी
(ख) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(क) माखन लाल चतुर्वेदी।
प्रश्न 2.
पुष्प किससे प्रार्थना करता है ?
(क) वृक्षों से
(ख) परमात्मा से
(ग) नदियों से
(घ) मनुष्यों से
उत्तर:
(ख) परमात्मा से
प्रश्न 3.
पुष्प किसके गहनों में पिरोया जाना चाहता है ?
(क) मनुष्य
(ख) देवताओं की कन्याओं
(ग) राक्षस
(घ) सैनिकों
उत्तर:
(ख) देवताओं की कन्याओं
प्रश्न 4.
पुष्प किसके शवों पर नहीं गिरना चाहता ?
(क) मनुष्य
(ख) सैनिक
(ग) सम्राटों
(घ) विद्यार्थियों
उत्तर:
(ग) सम्राटों
प्रश्न 5.
पुष्प देवताओं के मस्तक पर बैठकर क्या नहीं बनना चाहता ?
(क) अहंकारी
(ख) दयालु
(ग) झगड़ालू
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) अहंकारी
2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए
प्रश्न 1.
फूल अपना जीवन …… को प्रसन्न करने के लिए नष्ट नहीं करना चाहता।
(क) देव कन्याओं
(ख) नेताओं
(ग) मालिक
(घ) खिलाड़ियों
उत्तर:
(क) देव कन्याओं
प्रश्न 2.
पुष्प माली से उसे ……… पर बलिदान देने वाले वीरों के चरणों के नीचे फैंक देने को कहता है।
(क) नेताओं
(ख) परिवार
(ग) मातृभूमि
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) मातृभूमि
प्रश्न 3.
‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता में व्यक्ति के हित की अपेक्षा …………. की बात कही गयी है।
(क) देशहित
(ख) परहित
(ग) परिवारहित
(ग) पत्नीहित
उत्तर:
(क) देशहित
प्रश्न 4.
फूल देवताओं के सिर पर नहीं ………… चाहता।
(क) गाना
(ख) नाचना
(ग) उतरना
(घ) चढ़ना
उत्तर:
(घ) चढ़ना
प्रश्न 5.
मातृभूमि की रक्षा करने के लिए बलिदान देने ………… जाते हैं।
(क) वीर
(ख) कायर
(ग) बच्चे
(घ) बड़े
उत्तर:
(क) वीर
3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
मस्तक:
माथा
मस्त
मस्ताना
उत्तर:
माथा।
प्रश्न 2.
देवकन्या:
देवता
कन्या
देवताओं की लड़की
उत्तर:
देवताओं की लड़की
प्रश्न 3.
अभिलाषा:
अभियंता
इच्छा
अबलाशा
उत्तर:
इच्छा
प्रश्न 4.
शव:
मृत शरीर
सेब
शवना
उत्तर:
मृत शरीर
सप्रसंग सरलार्थ
1. चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गँथा जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
शब्दार्थ:
चाह = इच्छा, कामना। सुरबाला = देवकन्या, देवताओं की लड़की गूंथा = पिरोया। बिंध = बींधा जाना। ललचाऊँ = मोहित करना।
प्रसंग:
यह पद्यांश ‘माखन लाल चतुर्वेदी’ द्वारा रचित कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने बलिदानी वीरों के प्रति पुष्प की इच्छा व्यक्त की है।
सरलार्थ:
कवि लिखता है कि पुष्प अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहता है कि उसकी यह इच्छा नहीं है कि उसे किसी देवकन्या के गहनों में गूंथा जाए। उसकी यह भी कामना नहीं है कि वह किसी प्रेमी की माला में बींधा जा कर उसकी प्रेमिका को मोहित करे।
भाव:
फूल अपना जीवन देव कन्याओं अथवा किसी प्रेमी की प्रेमिका को प्रसन्न करने के लिए नष्ट नहीं करना चाहता।
2. चाह नहीं, सम्राटों के शव पर,
हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सर पर
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥
शब्दार्थ:
चाह = इच्छा, कामना। सम्राट = महाराजा। शव = मरा हुआ शरीर। इठलाऊँ = अक, अहंकार करूँ, गर्व करूँ।
प्रसंग:
यह पद्यांश माखन लाल चतुर्वेदी’ द्वारा रचित कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ से लिया गया है, जिस में पुष्प चाहता है कि उसे बलिदानी वीरों पर न्योछावर किया जाए।
सरलार्थ:
कवि पुष्प की कामना लिखता है कि हे प्रभु! वह यह नहीं चाहता कि उसे मरे हुए सम्राटों के ऊपर डाला जाए। वह यह भी नहीं चाहता कि वह देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाए और वह इसे अपना भाग्य समझ कर अपने ऊपर गर्व करने लगे।
भाव:
फूल न तो सम्राटों के शवों पर गिरना चाहता है और न ही देवताओं के सिरों पर चढ़ कर अपने पर गर्व करना चाहता है।
3. मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक॥
शब्दार्थ:
वनमाली = जंगल का माली। पथ = रास्ता, मार्ग। मातृभूमि = अपनी जन्म भूमि, अपना देश। शीश चढ़ाने = बलिदान देने, सिर चढ़ाने।
प्रसंग:
यह पद्यांश ‘माखन लाल चतुर्वेदी’ द्वारा रचित कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ से लिया गया है, जिस में कवि ने पुष्प की यह इच्छा व्यक्त की है कि उसे वीरों के बलिदानी पथ पर बिखेर दिया जाए।
सरलार्थ:
कवि पुष्प की अभिलाषा बताते हुए लिखता है कि फूल वन के माली को कहता है कि उसे तोड़ कर तुम उस रास्ते पर फेंक देना जिस पर अपनी मातृभूमि पर अपना बलिदान देने के लिए अनेक वीर जा रहे हों।
भाव:
फूल चाहता है कि वह उन वीरों के चरणों पर न्योछावर हो जाए जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने जा रहे हों।
पुष्प की अभिलाषा Summary
पुष्प की अभिलाषा कविता का सार
‘पुष्प की अभिलाषा’ देश प्रेम की कविता है, जिसमें पुष्प परमात्मा से प्रार्थना करता है कि उसे बलिदानी वीरों के कदमों पर न्योछावर किया जाए। कवि पुष्प की इच्छा बताते हुए लिखता है कि वह यह नहीं चाहता कि उसे देवताओं की कन्याओं के गहनों में पिरोया जाए अथवा प्रेमी की माला में पिरोया जा कर प्रेमिका को मुग्ध करे। वह सम्राटों के शवों पर भी नहीं गिरना चाहता और न ही देवताओं के मस्तक पर बैठकर अहंकारी बनना चाहता है। वह चाहता है कि उसे तोड़ कर उस रास्ते पर फेंक दिया जाए जिस रास्ते से मातृभूमि पर अपना बलिदान देने अनेक वीर जा रहे हों।