Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना Notes.
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
कढ़ाई क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
वस्त्रों को अत्यधिक सुन्दर और आकर्षक बनाने के लिए।
प्रश्न 2.
घर में प्रयोग किए जाने वाले कढ़ाई किए हुए कुछ वस्त्रों के उदाहरण दो।
उत्तर-
मेज़पोश, कुशन कवर, पलंगपोश, नेपकिन, पर्दे आदि।
प्रश्न 3.
कढ़ाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले टाँकों के नाम बताओ।
उत्तर-
कढ़ाई के लिए अक्सर निम्नलिखित दस प्रकार के टाँके काम में लाए जाते हैं
- सादा या खड़ा टाँका,
- बखिया,
- भराई के टाँके (साटिन स्टिच), कश्मीरी टाँका (लोंग एण्ड शीर्ट स्टिच:
- जंजीरी टाँका, (चेन स्टिच),
- काज का टाँका (बटन होल स्टिच),
- लेजी-डेजी टाँका (लेजी-डेजी स्टिच),
- मछली टाँका,
- चोप का टाँका,
- फूलकारी का टाँका,
- दसूती टाँका।
प्रश्न 4.
डंडी टाँके का प्रयोग कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
फूलों की डंडियाँ भरने में।
प्रश्न 5.
साड़ी, दुपट्टे आदि पर पीको क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
जिससे वस्त्र के धागे न निकलें।
प्रश्न 6.
कढ़ाई में गाँठों का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
गाँठों के प्रयोग से कढ़ाई सुन्दर नहीं लगती।
प्रश्न 7.
कढ़ाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर-
कढ़ाई रंग-बिरंगे टाँकों द्वारा की जाती है।
प्रश्न 8.
कपड़ों पर नमूना उतारने की कौन-कौन सी विधियां हैं?
उत्तर-
तीन-
- कार्बन पेपर द्वारा,
- ठप्पों द्वारा,
- बटर पेपर द्वारा।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
कढ़ाई के लिए कौन-कौन से सामान की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए निम्नलिखित सामान की आवश्यकता होती है-
- सूई–महीन नोक की, बिना जंग लगी, पक्की धातु की तथा चिकनी।
- डोरे—सभी रंगों की रेशमी लच्छियां तथा सती डोरे।
चित्र 4.1 कढ़ाई के लिए प्रयोग में आने वाला सामान - कैंची-तेज़ धार वाली नुकीली।
- फ्रेम-विभिन्न नाप के लकड़ी, लोहे अथवा प्लास्टिक के।
- पेंसिल-नमूना उतारने के लिए, पक्के सिक्के की कड़ी।
- कार्बन पेपर-नमूना उतारने के लिए।
- आलपिन तथा रबड़।
प्रश्न 2.
ट्रे का कवर कैसे बनाया जाता है ? सचित्र वर्णन करो।
उत्तर-
ट्रे में खाना परोसकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता है। यदि ट्रे के ऊपर का कपड़ा बिछा दिया जाए तो इससे ट्रे को दाग नहीं लगते हैं। ट्रे में कपड़ा बिछाने से परोसा हुआ भोजन आकर्षक भी लगता है तथा खाने को मन भी करता है। ट्रे का कपड़ा मोटा होना चाहिए। इसके लिए खद्दर, दसूती या केसमेंट लिए जा सकते हैं। इसका रंग बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। ट्रे के कपड़े के लिए हल्का नीला, बादामी या मोतिया रंग लेना चाहिए। कपड़े का आकार तथा शक्ल ट्रे के आधार तथा शक्ल के अनुसार होना चाहिए। साधारण ट्रे के कपड़े की लम्बाई 16″ तथा चौड़ाई 12″ होनी चाहिए। लम्बाई और चौड़ाई दोनों ओर से ट्रे से दो इंच अधिक होनी चाहिए। बीडिंग करने से कपड़े का आकार छोटा हो जाता है।
चित्र 4.2. ट्रे कवर का नमूना
प्रश्न 3.
कढ़ाई के लिए धागों के रंगों का चयन किन बातों पर आधारित होना चाहिए?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए धागों के रंगों का चयन करते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- बच्चों के वस्त्रों पर बनाए जाने वाले नमूनों पर चटकीले एवं विरोधी संगति की योजनानुसार धागों का प्रयोग करना चाहिए।
- गाढ़े रंग के कपड़ों पर हल्के रंग के धागों एवं हल्के रंग के कपड़ों पर गाढ़े रंग के धागों का चुनाव करना चाहिए।
- बड़े व्यक्ति के कपड़ों पर कढ़ाई के आलेखन में सहयोगी रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे-पीले रंग के साथ नारंगी रंग।
बड़े उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
कढ़ाई के प्रमुख टाँकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. भराई का टाँका या साटिन स्विच-इस टाँके को गोल कढ़ाई भी कहा जाता है। इसके द्वारा छोटे-छोटे गोल फूल तथा पत्तियाँ बनती हैं। आजकल एप्लीक कार्य भी इसी टाँके से तैयार किया जाता है। कट वर्क, नेट वर्क भी इसी टाँके द्वारा बनाये जाते हैं। छोटेछोटे पक्षी आदि भी इसी टाँके से बहुत सुन्दर लगते हैं। इसे फैन्सी टाँका भी कहा जाता है। इसमें ज़्यादा छोटी फूल-पत्तियाँ (जो गोल होती हैं) का इस्तेमाल होता है। यह टाँका भी दाहिनी ओर से बाई ओर लगाया जाता है। रेखा के ऊपर जहाँ से नमूना आरम्भ करना है, सूई वहीं लगनी चाहिए और दूसरे से सटे हुए टाँके लगाये जाने चाहिएं। रेखाओं पर उल्टी बखिया की कढ़ाई कर देनी चाहिएं। यह टाँका देखने में दोनों ओर से एक समान होता है।
चित्र 4.3. भराई का टाँका
2. जंजीर टाँका-इस टाँके को प्रत्येक स्थान पर प्रयोग कर लिया जाता है। इसे डंडियों, पत्तियों, फूलों तथा पक्षियों आदि सभी में प्रयोग किया जाता है। ऐसे टाँके दाहिनी ओर से बाई ओर या बाई और से दाहिनी ओर लगाये जाते हैं। कपड़े पर सूई एक बिन्दु से निकालकर सूई पर एक धागा लपेटते हुए दोबारा उसी स्थान पर सूई लगाकर आगे की ओर एक लपेट देते हुए यह टाँका लगाया जाता है। इस प्रकार क्रम से एक गोलाई में दूसरी गोलाई बनाते हुए आगे की ओर टाँका लगाते जाना चाहिए।
चित्र 4.4 जंजीर टाँका
3. लेजी-डेजी टाँका-इस टाँके का उपयोग छोटे-छोटे फूल तथा बारीक पत्ती की हल्की कढ़ाई के लिए किया जाता है। ये टाँके एक-दूसरे से क्रम में गुँथे नहीं रहते बल्कि अलग-अलग रहते हैं। फूल के बीच में धागा निकालकर सूई उसी स्थान पर डालते हैं। इस प्रकार गोल पत्ती-सी बन जाती है। पत्ती को अपनी जगह स्थिर करने के लिए दूसरी ओर गाँठ डाल देते हैं।
चित्र 4.5 लेजी-डेजी टाँका
4. हेम स्टिच (बीडिंग)-इस प्रकार के टाँके मेज़पोश आदि काढ़ने के काम में आते हैं। यह किनारों पर फुदने बनाने के लिए अति उत्तम प्रकार के टाँके हैं। इनके लिए मोटा सूती कपड़ा प्रयुक्त किया जाता है। सर्वप्रथम जितने चौड़े किनारे बनाने होते हैं, उतनी चौड़ाई से लगे कपड़े के धागे खींच लिए जाते हैं। धागे निकालने से शेष धागे कमज़ोर हो जाते हैं, इसलिए कई धागों को मिलाकर बाँध देते हैं। इस टाँके से बीडिंग भी की जा सकती है।
चित्र 4.6 हेम स्टिच
5. ब्लैंकेट (कंबल) टाँके-इस टाँके में डोरा नीचे की रेखा पर निकाला जाता है और सूई को ऊपर की रेखा से नीचे की ओर।
6. काज टाँका-कढ़ाई में इसका उपयोग फूल-पत्तियों के सिरे भरने, पेच लगाने, छोटे फूलों को भरने तथा कटवर्क में किया जाता है। इससे किनारे पक्के हो जाते हैं।
चित्र 4.7 काज टाँका
7. उल्टी बखिया-यह टाँका फूल पत्ती की डंडी बनाने के काम आता है। यह बाहरी रेखा बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। ये टाँके कुछ तिरछे-से दाहिनी ओर मिले हुए लगाये जाते हैं। एक टाँका जहाँ समाप्त होता है, वहीं दूसरा टाँका लगाया जाता है। एक टाँका केवल एक ही बार लगाया जाता है। टाँका सीधी रेखा में ही लगाना चाहिए।
चित्र 4.8 उल्टी बखिया
8. दसूती टाँका-यह टाँका ऐसे कपड़े पर ही बन सकता है जिसकी बनाई खुली होती है ताकि कढ़ाई करते समय धागे सुगमता से गिने जा सकें। यदि तंग बुनाई वाले वस्त्र पर यह कढ़ाई करनी हो तो कपड़े पर पहले नमूना छाप लेना चाहिए फिर नमूने के ऊपरऊपर ही बिना कपड़े के धागे गिनकर कढ़ाई करना चाहिए। यह टाँका दो बारियों में बनाया जाता है। पहली बारी में इकहरा टाँका बनाया जाता है ताकि टेढ़े (/) टाँकों की एक पंक्ति बन जाए तथा दूसरी बार इस लाइन के टाँकों पर दूसरी पंक्ति बनाई जाती है। इस तरह दसूती टाँका (×) बन जाता है। सूई को दाएँ हाथ के कोने की ओर से टाँके के निचले सिरे से निकालते हैं। उसी टाँके के ऊपर के बाएँ कोने में डालते हैं तथा दूसरे टाँके के निचले दाएं कोने से निकलते हैं। इस तरह करते जाते हैं ताकि पूरी पंक्ति टाँकों की बन जाए।
अब सूई अन्तिम टाँके के बाईं ओर वाले निचले कोने से निकाली हुई होनी चाहिए। अब सूई दाएँ ऊपर के कोने से डालो तथा अगले टाँके के निचले बाएँ कोने से सूई को उसी टाँके से निकालें ताकि (×) पूरा बन जाए।
चित्र 4.9 दसूती टाँका
9. दोहरी बीडिंग-इसे करने के लिए पहले ऊपर लिखे ढंग के अनुसार एक ओर तथा फिर उसी ढंग से वस्त्र के धागे निकली हुई जगह के दूसरी ओर से बीडिंग करें।
चित्र 4.10 दोहरी बीडिंग
10. तिरछी बीडिंग-धागे निकाली जगह के एक ओर सादा बीडिंग करना चाहिए। उठाए गए धागों की संख्या समान होनी चाहिए। अब धागे निकाली जगह के दूसरी ओर बीडिंग करो, लेकिन धागे सूई पर उठाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आधे धागे एक दूसरे टाँके के उठाए जाएं ताकि एक दूसरे से फँसे हुए टाँके बनें।
चित्र 4.11 तिरछी बीडिंग
कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना PSEB 7th Class Home Science Notes
- ट्रे के कपड़े के लिए मोटा कपड़ा होना चाहिए।
- ट्रे के कपड़े के लिए हल्का, नीला, बादामी या मोतिया रंग लेना चाहिए।
- ट्रे के कपड़े का आकार तथा शक्ल ट्रे के आधार तथा शक्ल के अनुसार होना चाहिए।
- दसूती टाँका ऐसे कपड़े पर ही बन सकता है जिसकी बुनाई खुली हो ताकि
- कढ़ाई करते समय धागे सुगमता से गिने जा सकें। बीडिंग साधारणत: मेज़पोश, चादरों, ट्रे कवर आदि के किनारों को आकर्षक बनाने के लिए की जाती है।
- बीडिंग का टाँका कपड़े के उल्टी ओर से बनाया जाता है। इसे दाईं ओर से शुरू करके बाईं ओर लाया जाता है।