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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 11 जंतुओं और पादपों में परिवहन
→ सभी सजीवों को विभिन्न टूटने-बनने की क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो प्राप्त किए भोजन से मिलती है।
→ पत्तों को प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करने के लिए जल तथा CO2 की आवश्यकता होती है।
→ जानवरों में भोजन, ऑक्सीजन तथा जल शरीर के प्रत्येक सैल तक पहुँचाया जाता है तथा व्यर्थ पदार्थ सैलों से शरीर के निकासी अंग तक पहुंचाए जाते हैं।
→ जीवों में पदार्थों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना परिवहन कहलाता है।
→ विकसित जीवों की रक्त संचार प्रणाली में हृदय, रक्त वाहिनियां तथा रक्त होता है जो ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, भोजन, हार्मोनों तथा एंजाइमों का शरीर के एक भाग से दूसरे भागों में परिवहन करता है।
→ एक सैली जीवों में रक्त संचार प्रणाली नहीं होती।
→ रक्त में लाल रक्त सैल, श्वेत रक्त सैल, प्लेटलेट्स तथा प्लाज्मा होते हैं। रक्त का लाल रंग होमोग्लोबिन नाम के वर्णक के कारण होता है।
→ हृदय एक पेशीदार अंग है, जो रक्त के संचार के लिए पम्प की तरह निरन्तर धड़कता रहता है।
→ एक मिनट में धड़कनों की गिनती को नब्ज़ दर कहा जाता है।
→ धमनियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त होता है तथा शिराओं में कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त होता है।
→ रक्त तथा टिशु द्रवों के बीच पोषक तत्त्वों, गैसों तथा फोकट (व्यर्थ) पदार्थों का आदान-प्रदान कोशिकाओं द्वारा होता है।
→ मनुष्य के उत्सर्जन तन्त्र में जोड़ा गुर्दा, एक जोड़ा मूत्र वाहिनियां, एक मूत्राशय तथा एक मूत्र मार्ग उत्सर्जन होता है।
→ गुर्दे व्यर्थ पदार्थों को मूत्र के रूप में, फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में तथा चमड़ी पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकालते हैं।
→ मानवीय गुर्यों में उपलब्ध रक्त कोशिकाएं रक्त को छानने का कार्य करती हैं।
→ एक मशीन की सहायता से रक्त में व्यर्थ पदार्थों तथा फोकट तरल को बाहर निकालने की प्रक्रिया को डायलाइसिस कहते हैं।
→ प्रसरण वह प्रक्रिया है जिसमें गैसों तथा द्रवों के अणु अधिक सघनता वाले माध्यम से कम सघनता वाले माध्यम की ओर गति करते हैं।
→ परासरण वह प्रक्रिया है जिसमें घोलक एक अर्ध पारगामी (Semi Permeable) झिल्ली द्वारा कम सघनता वाले घोल से अधिक सघनता वाले घोल की ओर जाता है।
→ एक सैली जीव बाहरी पर्यावरण में पदार्थों की अदला-बदली सैल की सतह से करते हैं।
→ प्रकाश संश्लेषण : सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन-डाइऑक्साइड तथा जल जैसे सरल यौगिकों से हरे पौधों द्वारा क्लोरोफिल की मौजूदगी में कार्बोहाइड्रेट के निर्माण की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है।
→ परासरण : यह वह प्रक्रिया है जिसमें घोलक एक अर्द्ध-पारगामी झिल्ली द्वारा कम सघनता वाले घोल से अधिक सघनता वाले घोल की ओर जाता है तथा दोनों ओर के घोलों की सघनता बराबर हो जाती है। इस प्रकार का परिवहन बहुत कम दूरी तक ही होता है। पौधों के जड़बाल परासरण विधि द्वारा मिट्टी से जल ग्रहण करते हैं।
→ वाष्प उत्सर्जन : पौधों के पत्तों द्वारा जल के वाष्पन को वाष्प उत्सर्जन कहते हैं।
→ स्थानान्तरण : पत्तों से भोजन का पौधों के अन्य भागों (हिस्सों) तक पहुंचना स्थानान्तरण कहलाता है।
→ फ्लोएम : पौधों के जो टिशु पत्तों में बने भोजन को पौधों के अन्य हिस्सों तक पहुँचाता है, उसे ‘फ्लोएम’ कहते हैं।
→ धमनियाँ : ऐसी वाहिनियाँ जो हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाती हैं, उन्हें धमनियाँ कहते हैं।
→ शिराएँ : ऐसी वाहिनियाँ जो शरीर के भिन्न-भिन्न भागों से रक्त हृदय तक पहुँचाती हैं, उन्हें शिराएँ कहते हैं।
→ मानव उत्सर्जन तन्त्र : शरीर में कई क्रियाओं द्वारा पैदा हुए अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन तन्त्र कहते हैं।
→ डायलाइसिस : शरीर के गुर्दो में से बनावटी मशीन की सहायता से यूरिया तथा अन्य हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने की प्रणाली को डायालाइसिस कहते हैं।