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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 9 मृदा
→ धरती की सबसे ऊपर की पर्त जिसमें पौधे या फसलें उग सकती हैं, मृदा कहलाती है।
→ मृदा, टूटी चट्टानों, कार्बनिक पदार्थ, जन्तु, पौधे तथा सूक्ष्मजीवों से बनी है।
→ मृदा की भिन्न-भिन्न पर्ते होती हैं, जिन्हें मृदा की परिछेदिका में देखा जा सकता है।
→ मृदा कार्बनिक तथा अकार्बनिक दोनों प्रकार के घटकों से बनी होती है।
→ पौधों के मृत तथा गले सड़े पत्ते या पौधे, कीट या मृत जन्तुओं के मृदा में दबे शरीर, पशुओं का गोबर आदि मिल कर कार्बनिक पदार्थ बनाते हैं, जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं।
→ मृदा जिसमें कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों का मिश्रण होता है, फसलों के लिए अधिक लाभदायक है।
→ कणों के आकार के आधार पर मृदा चिकनी, रेतीली, पथरीली तथा दोमट होती है।
→ रासायनिक गुण के आधार पर मृदा अम्लीय, क्षारीय तथा उदासीन हो सकती है।
→ अम्लीय मिट्टी का pH 1 से 6 तक होता है।
→ क्षारीय मृदा का pH 8 से 14 तक होता है।
→ उदासीन मृदा का pH 7 होता है।
→ मृदा अथवा मृदा का गुण जानने के लिए pH पेपर का प्रयोग किया जाता है।
→ काली मृदा में लोहे के लवण होते हैं तथा यह कपास उगाने के लिए अच्छी होती है।
→ जिस मृदा में गंधक होती है, वह मृदा प्याज उगाने के लिए अच्छी होती है।
→ विभिन्न फसलें उगाने के लिए भिन्न-भिन्न मृदा की आवश्यकता होती है।
→ मृदा की ऊपरी पर्त बनने में कई साल लगते हैं।
→ बाढ़, आँधी, तूफ़ानों तथा खदानें खोदने के कारण मृदा की ऊपरी पर्त नष्ट हो जाने को मृदा अपरदन कहते हैं।
→ खदानें खोदने से, चरने वाले पशुओं के खुरों से मृदा नर्म हो जाती है तथा आँधी, जल से नर्म हुई मृदा का जल्दी मृदा अपरदन हो जाता है।
→ वृक्ष लगाकर, चैक डैम बनाकर, खेतों की मेडों पर घास लगाकर तथा नदियों या नहरों के किनारे पक्के करके मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
→ मृदा : चट्टान/शैल कणों तथा ह्यूमस का मिश्रण मृदा कहलाता है।
→ मृदा परिच्छेदिका : मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाकाट मृदा परिच्छेदिका कहलाती है।
→ ह्यूमस : मृदा में उपस्थित सड़े-गले जैव पदार्थ ह्यूमस कहलाते हैं।
→ मृदा-आर्द्रता या नमी : मृदा अपने अंदर जल को रोक के रखती है, जिसे मृदा आर्द्रता या नमी कहते हैं।
→ मृदा-अपरदन : जल, पवन या बर्फ के द्वारा मृदा की ऊपरी तह का हटना मृदा अपरदन कहलाता है।
→ अपक्षय : वह प्रक्रम जिसमें पवन, जल और जलवायु की क्रिया से चट्टानों के टूटने पर मृदा का निर्माण होता है, अपक्षय कहलाता है।