Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 8th Class Hindi Rachana पत्र लेखन (2nd Language)
प्रश्न-ज्ञान परीक्षा प्रश्न-पत्र में दो पत्र दिए जाएंगे, जिनमें से एक अवश्य प्रार्थना-पत्र होगा। इन दोनों में से कोई एक करना होगा।
आवश्यक निर्देश पत्र या प्रार्थना-पत्र का आरम्भ तथा अन्त उचित ढंग से करना चाहिए। तिथि अवश्य लिखनी चाहिए। प्रश्न में दिए गए नाम एवं पते का ही उपयोग करना चाहिए।
पत्र की परिभाषा-प्रत्येक आदमी अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाने की कोशिश करता है। पास के आदमी से साधारण बातचीत द्वारा विचारों का आदान-प्रदान होता है। परन्तु जिसके माध्यम से हम दूर गए व्यक्ति के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, उसे पत्र कहा जाता है।
पत्र के प्रकार-पत्र चार प्रकार के हैं-
- व्यक्तिगत पत्र
- व्यावहारिक पत्र
- समाचारात्मक पत्र
- आवेदन या प्रार्थना-पत्र।
पत्र के छ: अंग होते हैं-
- स्थान तथा तिथि-यह प्रायः पत्र के ऊपर दाएं कोने में लिखी जाती है। यदि हो सके तो भेजने वाले का पूरा पता ऊपर की दो पंक्तियों में होना चाहिए। अन्तिम पंक्ति में तिथि। आजकल पूरा पता न लिख कर केवल स्थान ही लिख दिया जाता है।
- प्रशस्ति-प्रेष्य को (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जाता है) जिन शब्दों से सम्बोधित व प्रणाम आदि किया जाता है उसे प्रशस्ति कहते हैं। इसमें प्रेष्य की अवस्था, पदवी आदि के अनुसार परिवर्तन हो जाता है।
- विषय-यह पत्र का मुख्य अंग है। इसी को प्रकट करने के लिए पत्र लिखा जाता है। इस विषय में अनेक बातें लिखी जा सकती हैं।
- विषय का स्पष्टीकरण- इसमें विषय को स्पष्ट करने के लिए उसे कई भागों में बाँटा जा सकता है।
- प्रेषक का परिचय-इसमें केवल प्रेषक का नाम ही लिखा होना चाहिए।
- पता-पता कार्ड के पिछले भाग पर दायीं ओर लिखते सेवा में हैं। इसमें क्रमशः पाने वाले का नाम, ग्राम या शहर, पोस्ट ऑफिस का नाम और ज़िला लिखते हैं। लिफाफे पर बायीं ओर प्रेषक का नाम और पता लिखा जाता है।
पत्र सम्बन्धी कुछ ज्ञातव्य बातें –
- बड़ों की प्रशस्ति में पूज्य, पूजनीय, श्रद्धेय, आदरणीय, मान्यवर आदि कोई शब्द लिख कर अन्त में ‘जी’ अवश्य जोड़ना चाहिए।
- दूसरी पंक्ति में बड़ों के लिए नमस्कार वाचक कोई शब्द (सादर प्रणाम, नमस्कार, चरण वन्दना आदि) तथा छोटों के लिए आशीर्वाद वाचक कोई शब्द (चिरंजीव, स्नेह, प्यार आदि) लिखना उचित है।
- लगभग समान अवस्था वाले भाई-बहिन, भावज, मित्र आदि के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही, स्नेहमयी आदि शब्द प्रयुक्त करने चाहिए। इसके साथ दूसरी पंक्ति में नमस्ते, नमस्कार आदि शब्द लिखने चाहिए।
- छोटों के लिए अथवा जहाँ परस्पर प्रेम बहुत अधिक हो वहाँ प्रिय के पश्चात् भाई मित्र आदि के स्थान पर पूरा अथवा अधूरा नाम लिखा जा सकता है। जैसे प्रिय सुषमा, प्रिय राजन।
- पति के लिए प्राणनाथ, प्राणेश्वर तथा पत्नी के लिए प्राणप्रिय, प्यारी आदि का प्रयोग होता है। आजकल पत्नी के लिए उसका संक्षिप्त नाम ही लिखा जाता है।
- बड़ों को लिखा गया पत्र हो तो अन्त में आपका आज्ञापालक, कृपापात्र, विनीत आदि कोई शब्द लिखा होना चाहिए।
- समान अवस्था वाले सम्बन्धियों और मित्रों के लिए तुम्हारा मित्र, भाई, अभिन्न हृदय आदि कोई शब्द लिखा जा सकता है।
अनौपचारिक (पारिवारिक या सामाजिक) पत्र की रूप-रेखा
अपने से बड़ों को पत्र-पिता को पत्र 18 लाजपतराय नगर आपका आज्ञाकारी, |
प्रशासनिक पत्र की रूप-रेखा
उच्च अधिकारियों को लिखा जाने वाला पत्र
सेवा में |
आपके पाठ्यक्रम में केवल दो ही प्रकार के पत्र रखे गये हैं। जैसे-
(क) प्रार्थना पत्र या आवेदन पत्र तथा
(ख) व्यक्तिगत पत्र या पारिवारिक पत्र।।
(क) प्रार्थना पत्र/आवेदन पत्र प्रशासनिक पत्रों की कोटि में आते हैं-इसमें मुख्याध्यापक/ मुख्याध्यापिका को लिखे जाने वाले पत्र, उच्च अधिकारियों को लिखे जाने वाले शिकायत या सुझाव सम्बन्धी पत्र आते हैं। इन्हें अनौपचारिक पत्रों की कोटि में रखा जाता है।
हाथ से लिखे बधाई पत्र, निमन्त्रण पत्र, सांत्वना पत्र आदि भी अनौपचारिक पत्रों की कोटि में आते हैं। इनमें और व्यक्तिगत पत्रों में अन्तर यह होता है कि ये बहुत लम्बे नहीं लिखे जाते अर्थात् ऐसे पत्र संक्षेप में ही लिखने चाहिएं –
निमन्त्रण पत्र या शोक पत्र छपे हुए भेजे जाते हैं उन्हें औपचारिक पत्रों की कोटि में रखा जाता है। जैसे किसी बड़े नेता को उसके जन्म दिवस पर या चुनाव में जीत प्राप्त करने पर लिखे जाने वाले पत्र दो चार पंक्तियों में ही होते हैं-इसी कारण इन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं-
विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात
ऊपर दी गई रूप रेखा के अनुसार ही पत्र लिखने चाहिएं, चाहे वे व्यक्तिगत पत्र हों या प्रशासनिक (प्रार्थना पत्र आदि) प्रायः देखने में आता है कि लोग इन नियमों का पालन नहीं करते हैं। हालांकि इस छोटी-सी बात को दफ़्तरों का साधारण कर्मचारी जानता है। वह ऊपर दिये गए नियमों के अनुसार ही पत्र लिखता अथवा टाइप करता है। आगे चल कर इन नियमों का पालन करते हुए लिखे गये पत्र को ही अच्छे अंक दिये जाते हैं। आशा है आप पत्र लिखते समय इन नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे।
आवश्यक प्रार्थना-पत्र एवं अन्य पत्र
प्रश्न 1.
मान लो आपका नाम सिमरन है और आप सरकारी हाई स्कूल, तरनतारन में पढ़ती हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को (घर में जरूरी काम है) छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
तरनतारन।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मेरी माता जी कल से सख्त बीमार हैं। पिता जी बाहर गए हुए हैं। माता जी की देखभाल के लिए मेरा घर पर रहना बहुत आवश्यक है। इसलिए मैं स्कूल नहीं आ सकती। कृपया मुझे दो दिन का अवकाश दीजिए।
धन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
सिमरन।
आठवीं कक्षा
रोल नं0 21
तिथि : 15 फरवरी, 20…..
प्रश्न 2.
मान लो आपका नाम सतवन्त कौर है और आप कन्या खालसा हाई स्कूल, अमृतसर में पढ़ती हैं। अपने स्कूल की मुख्याध्यापिका को एक प्रार्थना-पत्र लिखो, जिसमें बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका,
खालसा कन्या हाई स्कूल,
अमृतसर।
महोदया,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात से ज्वर आ रहा है। तबीयत खराब होने के कारण कमज़ोरी हो गई है। इसलिए मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकती। कृपया मुझे दो दिन का अवकाश प्रदान कीजिए।
धन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
सतवन्त कौर।
कक्षा आठवीं ‘ए’।
19 अप्रैल, 20……
प्रश्न 3.
मान लो आपका नाम परमजीत है। आप अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें भाई या बहन के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
सरकारी हाई स्कूल,
फरीदकोट।
महोदय,
सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का शुभ विवाह 12 अक्तूबर को होना निश्चित हुआ है। मेरा इसमें सम्मिलित होना बहुत आवश्यक है। इसलिए इन दिनों मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे दो दिन का अवकाश देकर अनुगृहीत करें।
धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
परमजीत।
कक्षा आठवीं ‘बी’
11 अक्तूबर, 20….
प्रश्न 4.
मान लो आपका नाम विजय है और आप सरकारी हाई स्कूल, वेरका में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें जुर्माना माफी के लिए प्रार्थना करो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
सरकारी हाई स्कूल,
वेरका।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि कल हमारे इंग्लिश के अध्यापक महोदय ने हमारी मासिक परीक्षा लेनी थी, किन्तु प्रातः स्कूल आते समय रास्ते में मेरी साइकिल पंक्चर हो गई। इस कारण मैं स्कूल देर से पहुँचा और परीक्षा में भाग न ले सका। अध्यापक महोदय ने मेरी इस सच्ची बात का विश्वास न किया और मुझे बीस रुपये जुर्माना कर दिया। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकता क्योंकि मेरे पिता जी बड़े ग़रीब हैं। वैसे मैं इंग्लिश में बहुत अच्छा हूँ। इस बार त्रैमासिक परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे। मैं आज तक स्कूल में अकारण अनुपस्थित नहीं रहा।
कृपया मेरा जुर्माना माफ कर दें। मैं आपका अत्यन्त आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विजय।
कक्षा आठवीं ‘ए’
27 अगस्त, 20…
प्रश्न 5.
आप अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को अपने घर की आर्थिक स्थिति बताते हुए फीस माफी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
नकोदर।
महोदय,
सविनय प्रार्थना यह है कि मैं आपके स्कूल की आठवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी एक डाकखाने में क्लर्क हैं। उनकी मासिक आय केवल पच्चीस सौ रुपये है। हम घर के सात सदस्य हैं। इस महंगाई के जमाने में निर्वाह होना बहुत मुश्किल हो गया है। अतः मेरे पिता जी मेरी स्कूल की फीस देने में असमर्थ हैं।
मेरी पढ़ाई में विशेष रुचि है। मैं हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहता आया हूँ। मैं स्कूल की जूनियर हॉकी टीम का कैप्टन भी हूँ। मेरे सभी अध्यापक मुझ से प्रसन्न हैं।
अतः आपसे मेरी नम्र प्रार्थना है कि आप मेरी पूरी फीस माफ करें। ताकि में अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ।
मैं आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
जसदेव सिंह।
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं० 11
10 मई, 20…
प्रश्न 6.
आप अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
अबोहर।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिता जी की तबदीली यहाँ से फिरोजपुर की हो गई है। इसलिए हमारा सारा परिवार फिरोजपुर जा रहा है। ऐसी हालत में मेरा यहाँ अकेला रहना कठिन है। कृपया मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देकर कृतार्थ करें जिससे मैं अपनी आगे की पढ़ाई वहाँ जाकर जारी रख सकू।
मैं इस कृपया के लिए आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
दर्शन सिंह।
कक्षा आठवीं ‘बी’
रोल नं0 22
15 मार्च, 20…
प्रश्न 7.
मान लो आपका नाम मनोहर लाल है और आप एस० डी० हाई स्कूल, नवांशहर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें उचित कारण बताते हुए सैक्शन बदलने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
एस० डी० हाई स्कूल,
नवांशहर।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में आठवीं श्रेणी ‘बी’ सैक्शन (रोल नम्बर 40) में पढ़ रहा हूँ। मैं अपना सैक्शन बदलना चाहता हूँ। मेरे सैक्शन ‘बी’ में अधिकतर छात्र ड्राइंग विषय के हैं, जबकि मैंने संस्कृत विषय ले रखा है। पढ़ाई की सुविधा के विचार से मैं ‘ए’ सैक्शन में जाना चाहता हूँ। इसी सैक्शन में मेरे मुहल्ले के सभी छात्र पढ़ते हैं। सैक्शन अलग-अलग होने से मेरे लिए पढ़ाई में कुछ रुकावट पड़ जाती है क्योंकि मैं उनसे पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं कर पा रहा।
इसके अतिरिक्त ‘ए’ सैक्शन में पढ़ने वाले छात्रों को योग्यता के आधार पर रखा जाता है। मैं इस त्रैमासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। इस कारण मुझे ‘ए’ सैक्शन के उन योग्य छात्रों में बैठकर पढ़ने की अनुमति दी जाए, जिससे मेरा उचित विकास हो सके।
मेरी प्रार्थना है कि मुझे आठवीं ‘बी’ सैक्शन से ‘ए’ सैक्शन में जाने की अनुमति प्रदान की जाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि पढ़ाई में मैं किसी भी छात्र से पीछे नहीं रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मनोहर लाल।
कक्षा आठवीं ‘बी’,
रोल नं0-40
5 मई, 20….
प्रश्न 8.
मान लो आपका नाम सुरिन्द्र है और आप एस० डी० हायर सैकण्डरी स्कूल, जालन्धर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को पत्र लिखो जिसमें किसी स्कूल फण्ड से पुस्तकें लेकर देने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक
एस० डी० हायर सैकण्डरी स्कूल,
जालन्धर।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा आठवीं ‘ए’ में पढ़ता हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय केवल पच्चीस सौ रुपये है। हम घर के 6 सदस्य हैं। आजकल इस महंगाई के समय में निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। ऐसी दशा में मेरे पिता जी मुझे पुस्तकें खरीद कर देने में असमर्थ हैं।
मुझे पढ़ाई का बहुत शौक है। मैं हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम रहता आया हूँ। मेरे सभी अध्यापक मुझ से पूरी तरह सन्तुष्ट हैं। अतः आपसे मेरी नम्र प्रार्थना है कि आप मुझे स्कूल के ‘विद्यार्थी सहायता कोष’ (फण्ड) से सभी विषयों की पुस्तकें लेकर देने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सकूँ।
मैं आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुरिन्द्र कुमार
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं0 10
8 मई, 20…
प्रश्न 9.
मान लो आपका नाम बलदेव प्रकाश है और आप एस० डी० हाई स्कूल, कपूरथला में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें अपनी आर्थिक कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए छात्रवृत्ति देने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
एस० डी० हाई स्कूल,
कपूरथला।
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा आठवीं ‘ए’ में पढ़ता हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आमदनी केवल पन्द्रह सौ रुपये है। हम घर के सात सदस्य हैं। इस महँगाई के ज़माने में उन्हें अकेले ही सारे परिवार का पालन-पोषण करना पड़ता है। जिस कारण वे मुझे आगे पढ़ाने से इन्कार कर रहे हैं।
मेरी पढ़ाई में विशेष रुचि है। मैं सदा अपनी कक्षा में प्रथम रहता आया हूँ। सभी अध्यापक मेरे आचरण से प्रसन्न हैं। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप मुझे स्कूल के ‘निर्धन विद्यार्थी सहायता कोष’ से छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई भली-भांति जारी रख सकूँ।
मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
बलदेव प्रकाश।
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं० 11
5 अप्रैल, 20…
प्रश्न 10.
मान लो आपका नाम महेन्द्र है और आप गवर्नमैंट हाई स्कूल, आदमपुर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें अपने द्वारा हुई गलती/कसूर के लिए क्षमा याचना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
आदमपुर।
महोदय,
सविनय प्रार्थना है कि कल श्रेणी के कमरे में जो झगड़ा हुआ है, उसके लिए मैं अपने आपको दोषी मानता हूँ। मैंने गुस्से में आकर करतार सिंह को चाँटा मार दिया था। यह मेरी गलती थी। चाहे उसने मुझे गाली दी थी पर मुझे उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। अच्छा तरीका तो यह था कि मैं आपसे करतार सिंह की शिकायत करता। परन्तु मुझ पर गुस्से का भूत सवार हो गया और मैंने श्रेणी के कमरे में ऐसी बुरी हरकत कर डाली।
अब मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आगे के लिए कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा। कृपया इस बार मुझे क्षमा कर दें। मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य, महेन्द्र,
आठवीं ‘ए’
रोल नं0 20
2 जनवरी, 20……
प्रश्न 11.
मान लीजिए आपका नाम मनजिन्दर है और आप प्रेमसभा हाई स्कूल, बरनाला में पढ़ते हैं। अपने स्कूल में साइकिल स्टैंड बनवाने के लिए अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
प्रेमसभा हाई स्कूल,
बरनाला।
महोदय,
सविनय प्रार्थना है कि हमारे स्कूल में साइकिल खड़ी करने की उचित व्यवस्था नहीं है। भवन के पिछले भाग में साइकिल स्टैंड के लिए जो स्थान छोड़ा गया है, वह तीसचालीस साइकिलों के लिए भी अपर्याप्त है। सुबह ज्यादातर विद्यार्थी स्कूल के मुख्य गेट के सामने ही अपनी साइकिल खड़ी कर देते हैं। छुट्टी के समय वहाँ इतनी धक्कम-पेल होती है कि साइकिलें एक-दूसरे के ऊपर गिर जाती हैं जिससे विद्यार्थियों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है। अतः आप से नम्र निवेदन है कि स्कूल के मैदान के एक कोने में साइकिल स्टैंड का निर्माण करवाया जाए तथा सभी विद्यार्थियों को अपनी साइकिल वहाँ खड़ी करने का आदेश दिया जाए।
धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मनजिन्दर।
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं0 20
दिनांक : 10 अगस्त, 20…
प्रश्न 12.
मान लो आपका नाम मदन मोहन है और आप सरकारी हाई स्कूल, रोपड़ में पढ़ते हैं। अपने मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखें जिसमें विद्यालय की सफ़ाई के बारे में कुछ सुझाव दिए गए हों।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
रोपड़।
महोदय,
मैं आपका ध्यान पिछले कुछ मास से विद्यालय में सफ़ाई की बिगड़ती हालत की ओर दिलाना चाहता हूँ। अकसर विद्यालय लगने के समय देखा गया है कि कई श्रेणी-कक्षाओं के सामने कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। नल के निकट हमेशा कीचड़ बना रहता है।
मेरा विनम्र सुझाव है कि सफाई कर्मचारियों को चेतावनी दी जाए ताकि वह किसी भी कक्षा के सामने कूड़े के ढेर न लगाएं। वह सारा कूड़ा स्कूल लगने से एक घण्टा पूर्व बाहर ले जाकर किसी गड़े में फेंके।
इसके अतिरिक्त सभी छात्रों को भी हिदायत की जाय कि फलों, मूंगफली आदि के छिलके कूड़दानों में ही फेंकें, इधर-उधर न बिखेरें। साथ ही और कूड़ादानों की व्यवस्था की जाये। प्रत्येक श्रेणी-कक्ष के सामने एक कूड़ादान अवश्य होना चाहिए।
नल के निकट का स्थान चूंकि कच्चा है, इसलिए वहाँ पक्की ईंटों का फर्श लगाना चाहिए ताकि जो भी छात्र पानी पीने के लिए आएं, उन्हें असुविधा न हो। कइयों का वहाँ पाँव फिसलते देखा है। आशा है कि आप मेरे इन सुझावों को अवश्य ध्यान में रखते हुए आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
धन्यवाद सहित।
आपका शिष्य, मदन मोहन
8वीं कक्षा।
तिथि : 15 फरवरी, 20….
प्रश्न 13.
मान लो आपका नाम अनिल है और आप अमृतसर में रहते हैं। वहाँ के सरकारी हाई स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो, जिसमें अपना नाम आठवीं श्रेणी में प्रवेश देने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
अमृतसर।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिता जी की पटियाला से अमृतसर में स्थानांतरण हो गया है। इससे पहले मैं पटियाला के गवर्नमैंट हाई स्कूल में पढ़ता था। पिता जी के स्थानांतरण के साथ ही हमारा सारा परिवार भी अमृतसर आ गया है। अब मैं आपके स्कूल में आठवीं श्रेणी में प्रवेश प्राप्त करना चाहता हूँ। मेरा पटियाला का स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र प्रार्थना-पत्र के साथ संलग्न है। कृपया मुझे अपने स्कूल में दाखिला देकर कृतार्थ करें।
भवदीय,
अनिल।
तिथि : 17 फरवरी, 20….
प्रश्न 14.
मान लो आपका नाम राजबीर है और आप गाँव गढ़दीवाला, जिला होशियारपुर के निवासी हैं। अपने जिले के लिए मुख्य-स्वास्थ्य अधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें अपने गाँव में एक अस्पताल खोलने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्य-स्वास्थ्य अधिकारी,
होशियारपुर।
महोदय,
निवेदन है कि हमारा गाँव गढ़दीवाला, होशियारपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी जनसंख्या लगभग सात हज़ार है। परन्तु बड़े खेद की बात है कि इस गाँव में कोई अस्पताल नहीं है। गाँववासियों को छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहर भागना पड़ता है। इसमें उन्हें काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों और बूढ़ों को बीमारी की हालत में शहर ले जाना बहुत ही कठिन है।
इस गाँव में अस्पताल की बहुत आवश्यकता है। हमारा आपसे निवेदन है कि इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान दिया जाए। हमारे गाँव में यदि अस्पताल खुल जाता है तो इससे आसपास के गाँवों को भी लाभ पहुँच सकता है। आशा है कि आप हमारी इस प्रार्थना की ओर तुरन्त ध्यान देकर अस्पताल खोलने के लिए शीघ्र उचित कदम उठाएंगे।
निवेदक,
राजबीर।
तिथि : 8 अगस्त, 20…
प्रश्न 15.
मान लो आपका नाम दिनेश है और आप 45-आदर्श नगर, फिरोजपुर में रहते हैं। अपने पिता जी को एक पत्र लिखें जिसमें अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण (पास) होने की सूचना देते हुए खर्चे के लिए रुपये मंगवाओ।
उत्तर :
45, आदर्श नगर,
फिरोजपुर।
27 अप्रैल, 20….
आदरणीय पिता जी,
सादर प्रणाम !
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारा परीक्षा-परिणाम निकल आया है। मैं 540 अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया हूँ। अपनी कक्षा में मेरा दूसरा स्थान है। मुझे स्वयं इस बात का दुःख है कि मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कि मैं दिसम्बर मास में बीमार हो गया था और लगभग 20-25 दिन स्कूल न जा सका। यदि मैं बीमार न हुआ होता तो सम्भवतः छात्रवृत्ति (वज़ीफा) प्राप्त करता। अब मैं मैट्रिक में अधिक अंक प्राप्त करने का यत्न करूँगा।
अब मुझे नई कक्षा के लिए नई पुस्तकें आदि खरीदनी हैं। इधर कुछ दिनों में मेरे पास अच्छे वस्त्र भी नहीं हैं। कुछ मित्र मेरी इस सफलता पर पार्टी भी माँग रहे हैं। इसलिए आप मुझे 1000 रुपये शीघ्र ही भेजने की कृपा करें ताकि मैं अगली कक्षा की पुस्तकें खरीद सकूँ और मित्रों को भी पार्टी दे सकूँ।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
दिनेश।
प्रश्न 16.
मान लो आपका नाम निर्मल कौर है और आप गुप्ता कॉलोनी, तरनतारन में रहती हैं। अपनी सहेली यशवन्त को एक पत्र लिखो जिसमें यह वर्णन करो कि आपके स्कूल में 15 अगस्त का दिन कैसे मनाया गया।
उत्तर :
गुप्ता कॉलोनी,
तरनतारन।
18 अगस्त, 20….
प्यारी सहेली यशवन्त,
सत् श्री अकाल।
कई दिन से तुम्हारा पत्र नहीं मिला। क्या कारण है। मैं तुम्हें दो पत्र डाल चुकी हूँ पर उत्तर एक का भी नहीं मिला। कोई नाराज़गी तो नहीं ? अगर ऐसी-वैसी कोई बात हो तो क्षमा कर दें।
हाँ, इस बार हमारे स्कूल में 15 अगस्त का दिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इसकी थोड़ी-सी झलक मैं पत्र द्वारा पेश कर रही हूँ। 15 अगस्त मनाने की तैयारियां एक महीना पहले शुरू कर दी गई थीं। स्कूल में सफेदी कर दी गई थी। लड़कियों को लेजियम की ट्रेनिंग देनी कई दिन पहले ही शुरू हो गई थी। हमारे अमर शहीद’ एकांकी नाटक की रिहर्सल भी कई बार करवाई गई। निश्चित दिन को ठीक-सुबह सात बजे 15 अगस्त का समारोह शुरू हो गया। सबसे पहले तिरंगा झण्डा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेवक सरदार महासिंह जी ने अदा की। इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करने शुरू कर दिए। गिद्धा नाच ने सबका मन मोह लिया। इसके बाद देश-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत गया था। मैंने लेजियम की टीम में भी भाग लिया।
इसके बाद एकांकी ‘हमारे अमर शहीद’ का अभिनय हुआ। इसके हर सीन पर तालियाँ बजती थीं। समारोह के अन्त में प्रधान महोदय और हमारी बड़ी बहन जी ने भाषण दिये, जिनमें देश भक्ति की प्रेरणा थी।
15 अगस्त का यह समारोह मुझे हमेशा याद रहेगा। क्योंकि मुझे इसमें दो खूबसूरत इनाम मिले हैं। पूज्य माता जी और भाभी को सत् श्री अकाल। अक्षत और गुड्डी को प्यार देना। इस बार पत्र का उत्तर ज़रूर देना।
तुम्हारी सहेली,
निर्मल कौर।
प्रश्न 17.
मान लो आपका नाम प्रेम सिंह है और आप 405 वसन्त विहार, कादियां में रहते हैं। अपने चाचा जी को एक पत्र लिखिए जिसमें जन्म-दिवस की भेंट पर धन्यवाद प्रकट किया गया हो।
उत्तर :
405, वसन्त निवास,
कादियां।
11 जुलाई, 20…
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम!
मेरे जन्म दिन पर आपके द्वारा भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोला तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।
कई बार विद्यालय जाने में भी विलम्ब (देर) हो जाता था। निःसन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे असीम प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
पूज्य चाची जी को चरण वन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। सबको यथा योग्य।
आपका भतीजा,
प्रेम सिंह।
प्रश्न 18.
मान लो आपका नाम रमन है और आप सत्य निवास, फगवाड़ा में रहते हैं। अपने पिता जी को एक पत्र लिखो जिसमें आपके स्कूल का सुन्दर वर्णन हो।
उत्तर :
सत्य निवास,
फगवाड़ा।
17 मई, 20….
पूज्य पिता जी,
सादर प्रमाण
मैं परमात्मा की दया और आपके आशीर्वाद से पास हो गया हूँ। मेरे स्कूल का वातावरण मेरे बड़ा अनुकूल (ठीक) है। यहाँ पर विद्यार्थियों की गिनती बहुत है। लगभग एक हजार विद्यार्थी हमारे स्कूल में पढ़ते हैं। प्रत्येक श्रेणी के चार-चार विभाग हैं। स्कूल का भवन बड़ा सुन्दर और हवादार है। इसके अगले भाग में बड़ी सुन्दर फुलवाड़ी है।
हमारे स्कूल के कमरे साफ़-सुथरे तथा विशाल हैं। उनमें बिजली के पंखों का प्रबन्ध और सफ़ाई का खास ध्यान रखा जाता है। यहाँ के अध्यापकों का चरित्र बड़ा ऊंचा है। ये अपने-अपने विषय में विद्वान् हैं। मुख्याध्यापक जी बड़े परिश्रमी तथा छात्रों के साथ सहानुभूति (हमदर्दी) रखने वाले हैं। विद्यार्थियों के खेलने के लिए एक खेल का बड़ा मैदान है, जिसमें शाम को विद्यार्थी खेलते हैं। हमारे स्कूल में एक पुस्तकालय (लाइब्रेरी) भी है, जिसमें अलग-अलग विषयों पर हज़ारों पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त एक विज्ञानशाला है, जिसमें विज्ञान का सारा सामान है।
इस प्रकार मेरा स्कूल पढ़ाई, खेलों तथा अन्य विषयों में अपने शहर में सबसे बढ़िया स्कूल है। इसका परिणाम हर वर्ष बहुत बढ़िया रहता है। मैं सब प्रकार से ठीक हूँ। कुशल समाचार लिखते रहा करें। माता जी को प्रणाम।
आपका सपुत्र
रमन।
प्रश्न 19.
मान लो आपका नाम रणवीर है। आप डी० ए० वी० हाई स्कूल, अमृतसर में पढ़ते हैं और छात्रावास (होस्टल) में रहते हैं। अपने पिता जी को एक पत्र लिखो जिसमें ‘मेरे जीवन का उद्देश्य’ विषय पर विचार प्रकट करो।
उत्तर :
छात्रावास,
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
अमृतसर।
20 अप्रैल, 20…
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम !
आज मैं अपने स्कूल की परीक्षा से निपट चुका हूँ। अब आगे मुझे क्या करना चाहिए ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या होगा-मैं अपने जीवन में क्या बन पाऊँगा, इसका उत्तर कठिन है। फिर भी मैं अपने मन के विचार लिखता हूँ।
पिता जी आप मेरी स्वाभाविक रुचियों से परिचित ही हैं। उन्हीं के अनुसार मैं अपने जीवन का उद्देश्य निश्चित करना चाहता हूँ। मेरा विचार एक अच्छा डॉक्टर बनने का है। आप जानते हैं कि हमारा देश सेहत के विचार से पिछड़ा हुआ है। हर साल लाखों लोग विभिन्न रोगों का शिकार हो जाते हैं। चिकित्सा (इलाज) के अभाव में बेमौके ही मौत के मुँह में चले जाते हैं। सरकार ने रोगों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। फिर भी इतने बड़े देश के लिए वे ऊँट के मुँह में जीरा के समान हैं। हमारे देश में डॉक्टरों और वैद्यों की कमी तो नहीं, फिर भी निर्धन लोग धन न होने के कारण उनकी सेवा से वंचित रह जाते हैं। कस्बों और ग्रामों के अस्पतालों में ख़तरनाक रोगों की दवाएँ ही नहीं मिलती। इसलिए ग्रामीण भाई इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर जीवन का सफर पूरा करते हैं।
पिता जी की ऐसी बुरी हालत देखकर मेरा विचार डॉक्टर बनने का है। इससे देश सेवा होगी और जीवन का उद्देश्य भी पूरा होगा।
आशा है आप मेरे विचारों से सहमत होंगे। माता जी को चरण वन्दना।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
रणवीर।
प्रश्न 20.
मान लो आपका नाम बलदेव है और आप मल्होत्रा निवास जी० टी० रोड, करतारपुर में रहते हैं। अपने छोटे भाई कृष्ण को एक पत्र लिखो कि वह किताबी कीड़ा न बनकर खेलों में भाग लिया करे।
अथवा
अपने छोटे भाई को खेलों का महत्त्व बताते हुए एक पत्र लिखें।
उत्तर :
मल्होत्रा निवास,
जी० टी० रोड,
करतारपुर।
17 मार्च, 20….
प्रिय कृष्ण,
चिरंजीव रहो !
परीक्षा में तुम्हारी शानदार सफलता ने मेरा मन प्रसन्नता से भर दिया। पर यह जानकर मुझे दुःख भी हुआ कि यह सफलता तुझे सेहत गँवा कर मिली है। मुझे पता लगा है कि तुम आगे से भी अधिक किताबी कीड़ा बन गए हो। न तुम खेलों में भाग लेते हो और न तुम बाहर भ्रमण के लिए ही जाते हो। यह मेरी अभिलाषा है कि तुम बड़े विद्वान् बनो। पर साथ ही मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम शरीर से भी पूर्ण स्वस्थ रहो। व्यक्ति पर जब संकट आता है तब बलवान् व्यक्ति ही उसका मुकाबला करने में समर्थ होते हैं।
यह ठीक है कि काम भगवान् है, पर रात-दिन काम में जुटे रहना भी अभिशाप ही है। मस्तिष्क (दिमाग) भी अवकाश माँगता है। स्मरण रखो कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। केवल पढ़ना व्यर्थ है। उसका मनन भी करना चाहिए। उसके लिए समय पर मस्तिष्क को विश्राम देना अनिवार्य है। मैं तुम्हें अच्छी सलाह देता हूँ कि तुम खेलों में भाग लिया करो।
खेलों का विद्यार्थी जीवन में बड़ा महत्त्व है। खेलों का सर्वप्रथम लाभ है-शरीर की पुष्टि। खेलने-कूदने और दौड़ने से शरीर के प्रत्येक अवयव (अंग) की कसरत हो जाती है। शरीर के रोमकूप पसीने के निकलने से स्वच्छ हो जाते हैं। खेलों से मनोरंजन के साथसाथ शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है और मानसिक विकास भी होता है। खेलों से आपसी सहयोग, संगठन, अनुशासन, सहनशीलता आदि गुणों का विकास अपने आप हो जाता है। अत: तुम्हें मेरा परामर्श है कि तुम खेलों में भाग लेने के लिए कुछ समय अवश्य निकाल लिया करो।
तुम्हारा बड़ा भाई,
बलदेव।
प्रश्न 21.
मान लें आपका नाम मीना है। आप 2, एकता नगर, पटियाला में रहती हैं। अपनी सखी अंजु को अपनी ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन देते हुए पत्र लिखें।
उत्तर :
2, एकता नगर,
पटियाला।
15 अगस्त, 20….
प्रिय सखी अंजु,
सप्रेम नमस्ते।
अब की बार तुम्हें पत्र लिखने में देरी हो गई है क्योंकि मैं एक मास के लिए दिल्ली गई हई थी। वहाँ मेरे चाचा जी रहते हैं और उन्होंने हमें छुट्टियाँ बिताने के लिए बुलाया था। इस ऐतिहासिक नगर की यात्रा अत्यन्त आनन्ददायक रही, इसलिए उसका कुछ अनुभव तुम्हें लिख रही हूँ।
भारत की राजधानी दिल्ली एक ऐतिहासिक नगर है। पुराना किला, लाल किला, कुतुबमीनार, हुमायूं का मकबरा, जन्तर मन्तर आदि दिल्ली के प्राचीन इतिहास के स्मारक हैं। हिन्दुओं का “बिड़ला मन्दिर’, मुसलमानों की विशाल जामा मस्जिद’ एवं सिक्खों का गुरुद्वारा ‘सीस गंज’ धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। चिड़िया घर, बुद्धा गार्डन, ओखला और बाल-भवन प्रमुख विहार केन्द्र हैं। यहीं पर ही दिल्ली गेट के बाहर राष्ट्रपिता बापू, चाचा नेहरू और शास्त्री जी की समाधियां हैं जहाँ देश-विदेश के लोग श्रद्धा के पुष्प चढ़ाने आते हैं।
दिल्ली का नया रूप नई दिल्ली में देखने को मिलता है। दिन को नई दिल्ली के दफ्तरों की भीड़-भाड़ और रात को कनाट प्लेस की शोभा देखते ही बनती है। गोलाकार संसद् भवन, राष्ट्रपति भवन, रेल भवन, विज्ञान भवन, कृषि भवन, आकाशवाणी केन्द्र जैसे बड़ेबड़े भवन दिल्ली की शोभा हैं। जहाँ नई दिल्ली में विशाल भवन और खुली-चौड़ी सड़कें हैं, तो वहाँ पुरानी दिल्ली में तंग गलियाँ और भीड़-भाड़ वाले बाजार हैं। पुरानी दिल्ली उत्तर भारत में व्यापार का मुख्य केन्द्र है।
मुझे विश्वास है कि शीघ्र ही तुम्हें दिल्ली देखने का अवसर मिलेगा। पूज्य माता जी की सेवा में चरण वन्दना।
तुम्हारी प्रिय सखी,
मीना।
प्रश्न 22.
मान लो आपका नाम प्रेम पाल है और आप 27 सी० 208, चण्डीगढ़ में रहते हैं। अपने मित्र हरजीत को एक पत्र लिखो जिसमें पर्वतीय यात्रा का वर्णन किया गया हो।
उत्तर :
27 सी० 208,
चण्डीगढ़।
16 जून, 20…
प्रिय हरजीत,
सप्रेम नमस्ते।
अब की बार तुम्हें पत्र लिखने में देरी हो गई है क्योंकि मैं एक मास के लिए शिमला गया हुआ था। वहाँ मेरे चाचा जी रहते हैं और उन्होंने हमें छुट्टियाँ बिताने के लिए बुलाया था। यह यात्रा अत्यन्त आनन्ददायक रही, इसलिए उसका कुछ अनुभव तुम्हें लिख रहा हूँ।
अवकाश होते ही हम 15 मई की रात्रि को रेल द्वारा कालका जा पहुँचे। कालका से शिमला तक छोटी पहाड़ी रेल जाती है। टैक्सियाँ भी जाती हैं। हमने शिमला के लिए टैक्सी ली। कालका से शिमला तक सड़क पहाड़ काट कर बनाई गई है। स्थान-स्थान पर ऊँचाईनिचाई तथा असंख्य मोड़ हैं। केवल 15 या 20 फुट की सड़क है। उसके दोनों ओर खाइयाँ तथा गड्डे हैं जिन्हें देखने से डर लगता है। ड्राइवर की ज़रा-सी आँख चूक जाए तो मोटर पाँचछ: सौ फुट नीचे गड्ढे में गिर सकती है। इसलिए बड़ी चौकसी रखनी पड़ती है।
हम कालका से सोलन और वहाँ से शिमला पहुँचे। पर्वतीय स्थलों में पैदल चलने और स्केटिंग करने में आनन्द आता है। वहाँ की मनोहारी छटा देखकर हमारी सारी थकान दूर हो गई। शिमला के लोअर बाज़ार और माल रोड की सैर हम हर रोज़ करते थे।
वापसी यात्रा हमने रेल से की। रेलयात्रा का दृश्य तो और भी मनोरम था। रेल की पटरी के दोनों ओर 200-300 फुट तक गड्ढे ही गड्डे। रेल की पटरी चक्कराकार थी। गाड़ी में बैठे नीचे की पटरियाँ बड़ी दिखाई देती थीं। सुरंगों में घुसने पर तो अन्धेरा ही अन्धेरा होता था।
इस प्रकार कुदरत की खूबसूरती के दर्शन करते हुए हम परसों ही वापस आए हैं। अपनी माता जी को मेरा सादर प्रणाम कहिए।
आपका मित्र, प्रेम पाल।
प्रश्न 23.
मान लो आपका नाम गणेश है। आप 15, पटेल नगर, दिल्ली में रहते हैं।
अपने मित्र, जिसका नाम हरीश है, को गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वत पर बिताने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखें।
अथवा
अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें उसे गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने के लिए कहा गया हो।
उत्तर :
15, पटेल नगर,
दिल्ली।
20 मार्च, 20…
प्रिय मित्र हरीश,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। तुमने ग्रीष्मावकाश में मेरा कार्यक्रम जानने की इच्छा प्रकट की। तम्हें याद होगा कि मैंने गत गर्मियों की छुट्टियाँ तुम्हारे साथ जयपुर में बिताई थीं। इस समय तुमने वायदा किया था कि अगली गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वतीय स्थान पर बिताएंगे। इस बार मेरा विचार शिमला जाने का है। अपने वचन के अनुसार तुम्हें भी मेरे साथ चलना है। मेरे मामा जी वहाँ अध्यापक हैं। अत: वहाँ मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई भी हो सकेगी। इस प्रकार शिमला में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने में एक पंथ और दो काज होंगे।
तुम तो जानते ही होगे कि शिमला को पहाड़ों की रानी कहा जाता है। गर्मियों में वहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य तो अद्भुत है। चीड़ और देवदार के ऊँचे-घने पेड़ उसकी शोभा को चार चाँद लगाते हैं। वहाँ जब शाम के समय हम रिज और माल रोड पर घूमेंगे तो मज़ा आ जाएगा।
आशा है कि तुम मेरा शिमला चलने का सुझाव अवश्य स्वीकार करोगे। तुम्हारी स्वीकृति आने पर मैं मामा जी को पत्र लिखूगा। पूज्य माता-पिता जी को मेरी चरण वन्दना कहना। आपके पत्र की प्रतीक्षा रहेगी।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गणेश।
प्रश्न 24.
मान लो आपका नाम चाँद कौर है और आप मकान नं० 264, विजय नगर, जालन्धर में रहती हैं। अपनी सखी उर्मिला को एक पत्र लिखकर अपने स्कूल में हुए वार्षिक पारितोषिक वितरण उत्सव का विवरण दो।
उत्तर :
मकान नं० 264,
विजय नगर,
जालन्धर।
25 नवम्बर, 20…
प्रिय सखी उर्मिला,
सप्रेम नमस्ते।
तीन-चार दिन हुए मुझे तुम्हारा पत्र मिला। पत्र का उत्तर देने में मुझे इसलिए देरी हो गई क्योंकि 22 नवम्बर को हमारे स्कूल का पारितोषिक वितरण उत्सव मनाया गया। इसके लिए कई दिन पहले ही तैयारियाँ आरम्भ हो गई थीं।
उत्सव के दिन सारा स्कूल नववधू की तरह सजाया गया। राज्य के शिक्षा मन्त्री इस अवसर पर प्रधान अतिथि थे। ज्योंही उनकी कार स्कूल के मुख्य द्वार पर आकर रुकी, स्कूल के बैंड ने उनके स्वागत में सुरीली धुन बजाई। स्कूल की गर्ल्स स्काउटों ने उनको सलामी दी। फिर मुख्याध्यापक महोदय ने कुछ विशेष सज्जनों सहित उनका स्वागत किया और उनके गले में फूल मालाएँ डालीं। शिक्षा मन्त्री जी के पण्डाल में पधारते ही सभी छात्राओं और उपस्थित लोगों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। तत्पश्चात् छात्राओं ने गीत, कविताएँ, नाटक और अन्य मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। मुख्याध्यापक महोदय ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ कर सुनाई। इसके बाद शिक्षा मन्त्री जी ने अपने कर-कमलों से छात्राओं में पारितोषिक बांटे और भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण से स्कूल की बहुत प्रशंसा की।
मुझे भी अपनी कक्षा में प्रथम आने के कारण ईनाम मिला। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। ज्योति को प्यार। तुम्हारी सखी चाँद कौर।
प्रश्न 25.
मान लो आपका नाम सुमीता है, आप 212 ‘ए’ मॉडल कालोनी, जालन्धर में रहती हैं। अपने भाई मोहन को, जो छात्रावास में रहता है, बुरी संगति से बचने के लिए प्रेरणा-पत्र लिखें।
अथवा
कुसंगति से बचने के लिए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
212 ‘ए’ मॉडल कालोनी,
जालन्धर।
2 फरवरी, 20…..
प्रिय मोहन,
प्रसन्न रहो।
हमें पूर्ण विश्वास है कि तुम सदा मेहनत करते हो और मिडल परीक्षा में कोई अच्छा रस्थान लेकर उत्तीर्ण होंगे। तुम्हारी नियमितता और अनुशासन-पालन को देख कर हमें यह विश्वास हो गया है कि तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल है। लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना कि कुसंगति में फँस कर अपने को दूषित न कर लेना। यदि तुम बुरे लड़कों के जाल से न बचोगे तो तुम्हारा भविष्य अन्धकारमय बन जाएगा और तुम अपने रास्ते से भटक जाओगे। तुम्हें जीवन भर कष्ट उठाने पड़ेंगे और तुम अपने उद्देश्य में सफल हो सकोगे।
कुसंगति छात्र का सबसे बड़ा शत्रु है। दुराचारी बच्चे होनहार बच्चों को भी भ्रष्ट कर देते हैं। प्रारम्भ में बुरे बच्चों की संगति बड़ी मनोरम लगा करती है, लेकिन यह भविष्य धूमिल कर देती है। दूसरी ओर अच्छे बच्चों की संगति करने से चरित्र ऊँचा होता है, कई अच्छे गुण आते हैं। अच्छे बालक की सभी प्रशंसा करते हैं।
आशा है कि तुम कुसंगति के पास तक नहीं फटकोगे। फिर भी तुम्हें सचेत कर देना मैं अपना कर्त्तव्य समझती हूँ। माता और पिता जी का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। किसी वस्तु की ज़रूरत हो तो लिखना।
तुम्हारी बड़ी बहन,
सुमीता।
प्रश्न 26.
मान लो आप का नाम वरुण है, आप 15, आदर्श नगर, लुधियाना में रहते हैं। अपनी छोटी बहन रमा को जीवन में अनुशासन का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखें।
उत्तर :
15, आदर्श नगर,
लुधियाना।
15 मार्च, 20…..
प्रिय बहन रमा,
प्यार भरी नमस्ते।
मुझे कल माता जी का पत्र मिला। उन्होंने पत्र में तुम्हारी शिकायत करते हुए लिखा है कि तुम न तो प्रातः जल्दी उठती हो और न ही समय पर विद्यालय जाती हो। पत्र पढ़ कर मेरे हृदय को बड़ी ठेस लगी है।
प्रिय बहन, अनुशासन जीवन का मुख्य आधार है। यह उस सदाचार की नींव है जो जीवन का गौरव है। यह बड़प्पन और गौरव की कुंजी है। यह जीवन की वह प्राणवायु है, जिसके बिना न मानव और न समाज कभी भी जीवित रह सकता है। अनुशासनहीन जीवन वैसा ही है, जैसे पतवार के बिना नाव। यह हमारे उन भावों पर अंकुश रखता है जो हमारे विनाश के निमित्त हो सकते हैं। विद्यार्थी काल में ही हम इसका शिक्षण सुचारु ढंग से प्राप्त कर सकते हैं।
वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का महत्त्व है, पर विद्यालय में इसका महत्त्व सबसे ज्यादा है। विद्यालय के प्रत्येक विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि यही जीवन में उन्नति का प्रतीक है। कक्षा में, क्रीडा क्षेत्र में और अन्यत्र भी अनुशासन की आवश्यकता है। अनुशासन का पालन करना आरम्भ में कुछ अखरता अवश्य है, पर इसका फल मधुर होता है। अनुशासनप्रिय छात्र ही अपने देश के गौरव को बढा सकता है।
आशा है, तुम इस पत्र को पढ़ने के बाद अनुशासनप्रिय बन जाओगी। ऐसा करने पर ही तुम एक अच्छी नागरिक बन कर देश की सेवा कर सकोगी। इसी से तुम्हारी सफलता का मार्ग है।
प्रशस्त होगा।
तुम्हारा भाई
वरुण
प्रश्न 27.
मान लो आपका नाम प्रमोद है। आप 208, कृष्ण नगर, लुधियाना में रहते हैं। अपने छोटे भाई अनिल को एक पत्र लिखिए जिसमें व्यायाम (कसरत) के लाभ बताए गए हों।
उत्तर :
208, कृष्ण नगर,
लुधियाना। 11 जुलाई, 20….
प्रिय अनिल,
चिरंजीव।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। मुझे तुम्हारे स्वास्थ्य (सेहत) की बहुत चिन्ता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूंजी होता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। गत वर्ष के टाइफाइड का प्रभाव अभी तक तुम्हारे ऊपर बना हुआ है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम हर रोज़ व्यायाम (कसरत) अवश्य किया करो। यह स्वास्थ्य सुधार के लिए अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
व्यायाम से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। व्यायाम से नए रक्त का संचार होता है। मन खिल उठता है। मांसपेशियाँ बलवान् बनती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। प्रात:कालीन खेतों की हरियाली से आँखें ताज़ा हो जाती हैं।
मुझे पूर्ण आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। नित्य प्रात: उठ कर सैर के लिए जाया करोगे।
तुम्हारा अग्रज,
प्रमोद कुमार
प्रश्न 28.
मान लो आपका नाम विजय है और आप 121, गान्धी नगर, जालन्धर में रहते हैं। अपने मित्र राज को एक पत्र लिखो जिसमें उसे नव वर्ष पर बधाई दी गई हो।
उत्तर :
121, गान्धी नगर,
जालन्धर।
31 दिसम्बर, 20…
प्रिय राज,
सप्रेम नमस्ते।
कल नव वर्ष का पहला शुभ दिन है। इस शुभ अवसर पर मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। कामना करता हूँ कि यह नूतन वर्ष आपको सुख और समृद्धि देने वाला हो। परिवार में सुख और शान्ति का प्रसार हो। शारीरिक आरोग्यता के साथ-साथ लक्ष्मी अपनी कृपा की वर्षा करती रहे।
अन्त में पुनः-पुनः मंगल कामना।
आपका अपना,
विजय।
प्रश्न 29.
मान लो आपका नाम राजेश है और आप मकान नं0 534, गली 3C, मोहाली में रहते हैं। अपने मित्र मनोहर को एक पत्र लिखो जिसमें उसे परीक्षा में उत्तीर्ण (सफल) होने पर बधाई दी गई हो।
अथवा
आपका मित्र आठवीं कक्षा में 90% अंक लेकर जिले भर में प्रथम रहा है। उसे उसकी सफलता पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
मकान नं0 534, गली 3C,
मोहाली।
9 मई, 20….
प्रिय मित्र मनोहर,
सप्रेम नमस्ते।
पूज्य माता जी का पत्र मिला। यह शुभ समाचार पाकर कि तुम आठवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो, मन गद्-गद् हो उठा! मुझे तुम से ऐसी ही आशा थी। इस शुभ अवसर पर मेरी हार्दिक बधाई हो। मैं कामना करता हूँ कि तुम जीवन में इसी प्रकार उन्नति के शिखर पर चढ़ते जाओगे। अपने माता-पिता और वंश का नाम चमकाओ।
मैं एक सप्ताह में तुम्हारे पास आऊँगा। उसी दिन मित्रों से जलपान कार्यक्रम की तिथि निश्चित कर लेना। इस बार मैं अच्छा खासा मुँह मीठा करूँगा। तुम्हारी इस सफलता पर मेरे माता-पिता जी भी बहुत प्रसन्न हुए हैं! उन्होंने बहुत-बहुत बधाई दी है।
पूज्य माता जी को चरण वन्दना।
तुम्हारा मित्र,
राजेश
प्रश्न 30.
मान लो आपका नाम विजय है और आप मकान नं० 628, गली 4A, जालन्धर में रहते हैं। अपने मित्र मोहन को एक पत्र लिखो, जिसमें उसे अपने भाई के विवाह पर बुलाया गया हो।
उत्तर :
मकान नं० 628,
गली 4A,
जालन्धर।
12 मार्च, 20…
प्रिय मित्र मोहन,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हें यह जान कर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई संजीव का शुभ विवाह दिल्ली में श्री राम लाल जी की सुपुत्री सुनीता से इसी मास की 24 तारीख को होना निश्चित हआ है। इस विवाह में आप जैसे सभी इष्ट-मित्र तथा बन्धुओं का शामिल होना बहुत ज़रूरी है। अतः आप को भाई साहब की बारात में भी चलना पड़ेगा। विवाहोत्सव का प्रोग्राम नीचे दिया जा रहा है –
23 तारीख दोपहर – 1 बजे प्रीतिभोज
23 तारीख सायं – 6 बजे घुड़चढ़ी
24 तारीख बारात का दिल्ली प्रस्थान – प्रात: 5 बजे
आशा है कि तुम 22 तारीख को पहुँच जाओगे। राकेश और सुरेश भी 22 तारीख को यहाँ पहुँच जाएंगे।
तुम्हारा मित्र,
विजय।
प्रश्न 31.
मान लो आप का नाम हर्ष देव है और आप मकान नं0 203 ‘ए’, शिवालय रोड, पटियाला में रहते हैं। आपके मित्र दर्शन के भाई का विवाह हुआ है। अपने मित्र दर्शन को बधाई पत्र लिखें।
उत्तर :
203 ‘ए’
शिवालय रोड,
पटियाला।
10 मार्च, 20….
प्रिय मित्र दर्शन।
प्यार भरी नमस्ते।
पन्द्रह दिन पूर्व तुमने अपने बड़े भाई के विवाह के शुभ अवसर पर मुझे आमन्त्रण पत्र भेजा था। उन दिनों मैं ‘टाइफाइड’ रोग से ग्रस्त था। लगभग दस दिन मैं उपचाराधीन रहा। बीमारी हटने का नाम नहीं ले रही थी। विवाह की निश्चित तिथि तक मैं रोग-शय्या पर ही पड़ा था। अतः विवाह के शुभ अवसर पर उपस्थित न हो सका। विधि का विधान है कि कई बार मनुष्य चाहते हुए भी कुछ करने में विवश रहता है। विवाह में शामिल होने में भी भाग्य ने रुकावट डाल दी।
पूज्य भाई साहिब का विवाह बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ होगा, इसमें दो मत नहीं हो सकते। बारात का जाना और खूब चहल-पहल की मैं कल्पना ही कर सकता हूँ। ऐसे शुभ अवसर यदा-कदा ही आते हैं। मेरी ओर से इस शुभ अवसर की आप को बहुत-बहुत बधाई हो।
पूज्य माता जी को चरण वन्दना। बहन स्नेहलता को नमस्ते।
आपका मित्र,
हर्ष देव।
प्रश्न 32.
मान लो आपका नाम सुखदेव है और आप 201, मॉडल टाऊन, लुधियाना में रहते हैं। आपके मित्र युद्धवीर की माता जी का अचानक निधन हो गया है। उसको एक पत्र लिखो जिसमें उनकी मृत्यु पर शोक प्रकट किया गया हो।
उत्तर :
201, मॉडल टाऊन,
लुधियाना।
20 मई, 20…..
प्रिय युद्धवीर,
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूज्य माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखों के आगे अन्धेरा-सा छा गया। पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। बार-बार सोचता हूँ-कहीं यह स्वप्न तो नहीं। अभी कुछ दिन की तो बात है, जब मैं उन्हें कोलकाता मेल पर चढ़ा कर आया तो न कोई दुःख था न कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मंडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी, समुद्र के समान गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।
प्रिय मित्र, भाग्य रेखा मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और ही है। ईश्वरीय कार्यों में कौन दखल दे सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं है। मेरी प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। रोने-धोने से कुछ नहीं बनेगा। इससे तो स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। अनिल और नलिनी को सांत्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे।
तुम्हारा अपना,
सुखदेव।
प्रश्न 33.
मान लो आप 101, मुहल्ला चरणजीत पुरा, जालन्धर के निवासी हैं। आपके मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत लापरवाह है। इसकी शिकायत पोस्टमास्टर को एक पत्र द्वारा करो।
उत्तर :
सेवा में,
पोस्टमास्टर,
मुख्य डाकघर,
जालन्धर।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। कभी-कभी तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। उसे वे इधरउधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।
अतः आप से विनम्र प्रार्थना है कि या तो उसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें जिससे हमें और हानि न उठानी पड़े।
भवदीय,
दिनेश सिंह,
101, चरणजीत पुरा,
जालन्धर।
दिनांक : 15 फरवरी, 20….
प्रश्न 34.
मान लो आप 20, मुहल्ला बेदियां, बंगा के निवासी हैं। आप नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखो जिसमें ठीक से सफ़ाई न करने के कारण अपने क्षेत्र के सफाई सेवादार की शिकायत करो।
उत्तर :
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
नगरपालिका,
बंगा।
महोदय,
हम आपका ध्यान एक आवश्यक बात की ओर दिलवाना अपना कर्त्तव्य समझते हैं। मेन रोड के दाहिने मोड़ के साथ लगे हुए बेदियां मुहल्ला का सफाई सेवादार मोहन लाल अपने कर्तव्य का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है। बार-बार रोकने पर भी वह बाहर से लाई हुई गन्दगी को मकान नं0 70 की नुक्कड़ पर डाल देता है। सारे मुहल्ले का कूड़ाकर्कट भी वहीं फेंकता है, कई-कई दिन तक वहाँ कूड़ा-कर्कट पड़ा रहता है जिससे सड़ांध उत्पन्न हो जाती है। चलने-फिरने वालों को नाक बन्द करके जाना पड़ता है। दुर्गन्ध के अतिरिक्त (अलावा) 24 घण्टे मक्खी-मच्छरों के झुंड उस पर मंडराते हैं। नालियों का पानी खड़ा हो जाता है और चलने-फिरने में बाधा पड़ती है। रात के समय अन्धेरे में तो यह स्थान नरक बन जाता है। गन्दी वायु के कारण रोग फूटने का भय बना रहता है। हमने उसे कई बार समझाया, किन्तु उसके कानों पर जॅ तक नहीं रेंगती। उलटे गाली-गलोच पर उतर आता है। कृपा करके इस विषय में कोई पग उठायें।
भवदीय,
जसदेव सिंह,
20, मुहल्ला बेदियां,
बंगा।
दिनांक : 12 मार्च, 20….
प्रश्न 35.
मान लो आपका नाम रमा है। आप अपनी छोटी बहन पूजा को विद्या (पढ़ाई) के लाभ बताते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
20, माल रोड,
अमृतसर।
प्रिय बहन पूजा,
प्रेम भरी नमस्ते।
तीन दिन पहले मुझे माता जी का पत्र मिला, जिसमें लिखा था कि तुम्हारा मन पढ़ाई से उचट हो गया है। तुमने स्कूल जाना भी छोड़ दिया है। मुझे यह जानकर बहुत दुःख हुआ है। व्यक्ति को विद्या ही ज्ञान प्रदान करती है। यही उसकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। संक्षेप में मैं तुम्हें विद्या के कुछ लाभ लिख रही हूँ, इन्हें अपने दिल में उतार लेना।
- दुनिया की हर घटना की जानकारी पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही प्राप्त कर सकता है। अनपढ़ तो कुएँ का मेंढक होता है।
- विद्या ही व्यक्ति की उन्नति के सभी मार्ग खोलती है। अनपढ़ तो जीवन भर भटकता रहता है। उसे कोई मार्ग नहीं सूझता।
- पढ़-लिखकर ही व्यक्ति समाज और देश की सेवा कर सकता है, क्योंकि समाज में फैली हुई कुरीतियाँ पढ़ा-लिखा ही दूर कर सकता है। देश की समस्याओं का समाधान अनपढ़ व्यक्ति नहीं कर सकता।
- फिर नारी जाति की जागृति के लिए आज की नारी का पढ़ा-लिखा होना परमावश्यक है। तभी वह देश की उन्नति में पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चल सकती है।
संक्षेप में अनपढ़ता अभिशाप है। विद्या ही ज्ञान का प्रकाश फैलाकर उसे सच्चा इन्सान बनाती है। अतः पक्का निश्चय करके पढ़ाई के लिए पूरी तरह डट जाओ। माता जी और पिता जी को चरण वन्दना। कुक्कू को प्यार। तुम्हारी बहन रमा।
प्रश्न 36.
अपने मित्र को पत्र लिखिए जिसमें नव-वर्ष (नए साल) की बधाई दी गई हो।
उत्तर :
20, गांधी नगर,
पटियाला।
27 दिसम्बर, 20…
प्रिय बहन दीपा,
प्यार भरी नमस्ते।
परसों पुराना साल विदाई ले रहा है। दो दिन बाद नया वर्ष आरम्भ हो रहा है। नव वर्ष तुम्हारे लिए मंगलमय और शुभ हो, मैं यह हार्दिक कामना करता हूँ। प्रसन्नताओं से तुम्हारी झोली भरी रहे। उन्नति एवं सफलता तुम्हारा हर कदम चूमती रहे। सुख-शान्ति, समृद्धि तथा आरोग्यता के फूल हमेशा आपकी झोली में महकते रहें। यह मेरी नव वर्ष पर शुभ कामना है। माता जी और पिता जी को नमस्कार। मोहन और मीना को प्यार।
तुम्हारा प्रिय मित्र
अक्षय।
प्रश्न 37.
अपनी भूल के लिए क्षमा-याचना करते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखें।
उत्तर :
छात्रावास
पंजाबी विश्वविद्यालय,
पटियाला
14 अगस्त, 20……….
आदरणीय पिताजी
सादर प्रणाम !
कल ही आपका कृपा-पत्र मिला। आपने प्रश्न किया है कि मेरे वार्षिक परीक्षा में इतने कम अंक आने का कारण क्या है ? पिता जी इस बार मेरी संगति कुछ बुरे लड़कों से हो गई थी। मुझे अध्यापक महोदय ने भी एक-दो बार चेतावनी दी पर मैंने ध्यान नहीं दिया। आपके पत्र ने मुझे सचेत कर दिया है।
मैं अपनी इस भूल के लिए आपसे क्षमा-याचना करता हूँ और आपको आश्वासन दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी भूल कभी न करूँगा। अभी से परिश्रम में जुट जाऊँगा। आप कृपा कर मुझे कुछ परीक्षोपयोगी पुस्तकें अवश्य भेज दें।
आशा है कि आप मुझे क्षमा कर देंगे। मैं पुनः आपको वचन देता हूँ कि मैं आपकी इच्छानुसार अध्ययन करूँगा और परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करूँगा।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
ललित कपूर।
प्रश्न 38.
मान लीजिए आपका नाम मनजीत है और आप आर्य कन्या हाई स्कूल, धूरी की छात्रा हैं। अपने स्कूल की मुख्याध्यापिका को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें अपने द्वारा हुई गलती के लिए क्षमा याचना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में,
मुख्याध्यापिका,
आर्य कन्या हाई स्कूल,
धूरी।
महोदया,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल की आठवीं कक्षा की विद्यार्थी हूँ। कल मध्यावकाश के समय हम कुछ लड़कियाँ कक्षा में ही खेल रही थीं कि अचानक मेरे हाथ से गेंद छूटने पर कक्षा की खिड़की की काँच में जा लगी और उससे दो काँच टूट गए। कक्षा-अध्यापक ने इस गलती के लिए मुझे डाँटा व अपने माता-पिता को बुला कर लाने के लिए कहा है। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि कृपया आप इस बार मेरी गलती को माफ कर दें। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि आगे से भविष्य में ऐसी गलती दुबारा नहीं करूँगी।
आपकी आज्ञाकारिणी,
मनजीत।
कक्षा आठवीं-बी
रोल नं० 27.
तिथि 16 अप्रैल, 20…..
प्रश्न 39.
मान लीजिए आपका नाम पंकज है। आप प्रेम सभा हाई स्कूल के छात्र हैं। स्कूल में पीने के पानी की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए अपने स्कूल में मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक,
प्रेम सभा हाई स्कूल,
अमृतसर।
महोदय,
सविनय प्रार्थना है कि स्कूल में पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। एक ही नल है, जो स्कूल के चार सौ विद्यार्थियों के लिए काफ़ी नहीं है। जब दोपहर के समय आधी छुट्टी होती है तो प्यास के कारण विद्यार्थी नल की ओर लपकते हैं। वहाँ इतनी भीड़ हो जाती है कि आधी छुट्टी का सारा समय पानी पीने की धक्कम-पेल में ही बीत जाता है। बहुत से विद्यार्थी फिर भी पानी प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।
नये नल लगवाने की कृपा करें। गर्मियों के मौसम में तो हर विद्यार्थी पानी पीने की इच्छा रखता है।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
पंकज।
आठवीं-बी
रोल नं0 28
1 मार्च, 20….
प्रश्न 40.
अपने मित्र को पत्र लिखिए जिसमें किसी आँखों देखे मेले का वर्णन हो।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
….. नगर,
15 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र रमेश,
सप्रेम नमस्ते।
मुझे पिछले बुधवार को आपके पास आना था। पर मालूम हुआ कि वीरवार को अमृतसर में वैशाखी का मेला लगेगा, इसलिए मैंने अपने चार सहपाठियों के साथ मेला देखने का कार्यक्रम बना लिया। हम सभी साथी बुधवार को सवेरे ही घर से चलकर पहली बस में बैठकर अमृतसर पहुँच गए। वहाँ जाकर देखा कि जैसे पुरुषों और स्त्रियों का समूह-सा उमड़ आया हो। ज्यों-ज्यों दिन बढ़ता गया, मेले में आने वालों की संख्या बढ़ती गई। दरबार साहब में तो तिल धरने की भी जगह नहीं थी। चाहे पुलिस ने इस सम्बन्ध में कड़े प्रबन्ध कर रखे थे। फिर भी भीड़ के इस सैलाब को रोक पाना मुश्किल कार्य था।
मेले में एक स्थान पर नौजवानों की टोली ‘जट्टा आई वैशाखी’ की तान के साथ भंगड़ा डाल रही थी तो कहीं स्त्रियों का ‘गिद्दा’ चल रहा था। किसी दुकान पर गर्म-गर्म पकौड़े तले जा रहे थे तो कहीं पर गर्मागर्म जलेबियाँ तली जा रही थीं। कहीं झूले झूले जा रहे थे तो कहीं मदारी अपना खेल दिखाने में जुटे थे। अतः यह एक यादगारी मेला था जिसकी स्मृतियाँ मेरे मानस-पटल पर सदा बनी रहेंगी।
माता व पिता जी को मेरा प्रणाम कहना,
तुम्हारा मित्र,
हर्षदेव।
प्रश्न 41.
मान लो आपका नाम निर्मल कौर है और आप गुरु नानक कालोनी, तरनतारन में रहती हैं। अपनी सहेली यशवन्त को एक पत्र लिखो जिसमें यह वर्णन करो कि आपके स्कूल में 26 जनवरी का दिन कैसे मनाया गया।
उत्तर :
गुरु नानक कालोनी,
तरनतारन।
29 जनवरी, 20……..
प्यारी सहेली यशवन्त,
सत् श्री अकाल।
कई दिन से तुम्हारा पत्र नहीं मिला। क्या कारण है। मैं तुम्हें दो पत्र डाल चुकी हूँ पर उत्तर एक का भी नहीं मिला। कोई नाराज़गी तो नहीं ? अगर ऐसी-वैसी कोई बात हो तो क्षमा कर दें।
हाँ, इस बार हमारे स्कूल में 26 जनवरी/गणतंत्र दिवस का दिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इसकी थोड़ी-सी झलक मैं पत्र द्वारा पेश कर रही हूँ। 26 जनवरी मनाने की तैयारियां एक महीना पहले शुरू कर दी गई थीं। स्कूल में सफेदी कर दी गई थी। लड़कियों को लेजियम की ट्रेनिंग देनी कई दिन पहले ही शुरू हो गई थी। ‘हमारे अमर शहीद’ एकांकी नाटक की रिहर्सल भी कई बार करवाई गई। निश्चित दिन को ठीक-सुबह सात बजे गणतंत्र दिवस का समारोह शुरू हो गया। सबसे पहले तिरंगा झण्डा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेवक सरदार महासिंह जी ने अदा की। इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करने शुरू कर दिए। गिद्धा नाच ने सबका मन मोह लिया। इसके बाद देश-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत गाया था। मैंने लेजियम की टीम में भी भाग लिया।
इसके बाद एकांकी ‘हमारे अमर शहीद’ का अभिनय हुआ। इसके हर सीन पर तालियाँ बजती थीं। समारोह के अन्त में प्रधान महोदय और हमारी बड़ी बहन जी ने भाषण दिये, जिनमें देश भक्ति की प्रेरणा थी।
गणतंत्र दिवस का यह समारोह मुझे हमेशा याद रहेगा। क्योंकि मुझे इसमें दो खूबसूरत इनाम मिले हैं। पूज्य माता जी और भाभी को सत् श्री अकाल। अक्षत और गुड्डी को प्यार देना। इस बार पत्र का उत्तर ज़रूर देना।
तुम्हारी सहेली
निर्मल कौर।
प्रश्न 42.
खोई हुई वस्तु लौटाने के लिए आभार प्रदर्शित करते हुए अपरिचित को पत्र लिखें।
उत्तर :
436, परेड ग्राउंड,
लुधियाना।
24 मार्च, 20…
आदरणीय श्री मेहता जी
सादर नमस्कार!
कल मुझे डाक द्वारा अपनी खोई हुई पुस्तक प्राप्त कर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हुआ। यह पुस्तक मैं बस में भूल गया था। आपने यह पुस्तक लौटाकर बड़ा उपकार किया। यदि इस पुस्तक के ऊपर मेरा पता न लिखा होता तो इसे प्राप्त करना संभव न होता। यह पुस्तक मेरे लिए बड़ी उपयोगी है। यह पुस्तक मुझे इसलिए भी प्रिय है, क्योंकि यह मुझे जन्मदिवस पर एक मित्र द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी।
आपने इस पुस्तक को भेजने के लिए जो कष्ट किया है, उसके लिए मैं आपके प्रति आभार प्रदर्शित करता हूँ। पुस्तक भेजने के लिए आपने जो डाक-व्यय किया है, उसने मुझे और भी उपकृत कर दिया है।
मेरे योग्य कोई सेवा हो तो लिखें।
भवदीय
आकाश चौधरी।
प्रश्न 43.
मित्र के जन्मदिन पर उसे बधाई देते हुए पत्र लिखें।
उत्तर :
208, प्रेमनगर,
पटियाला।
25, अगस्त, 20……,
प्रिय राज,
सप्रेम नमस्ते।
कल आपका जन्मदिन है। मैं इस शुभ अवसर पर आपको हार्दिक बधाई देता हूँ। कामना करता हूँ कि यह नूतन वर्ष आपको सुख और समृद्धि देने वाला हो। शारीरिक आरोग्यता के साथ-साथ लक्ष्मी आप पर अपनी कृपा की वर्षा करती रहे।
अन्त में पुनः-पुन: मंगल कामना।
आपका अपना
राजेश।
प्रश्न 44.
छुट्टी वाले दिन स्कूल के क्रीडाक्षेत्र (खेल के मैदान) में क्रिकेट मैच खेलने की अनुमति लेने के लिए प्रिंसिपल को प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में,
मुख्याध्यापक,
आर्य उच्च विद्यालय,
राजपुरा।
विषय-क्रिकेट मैच खेलने की अनुमति हेतु।
महोदय,
हमारे विद्यालय, आर्य उच्च विद्यालय की क्रिकेट टीम का मैच, गुरुकुल विद्यालय, राजपुरा की क्रिकेट टीम के साथ रविवार, मई 2000 को होना निश्चित हुआ। हमारा प्रस्ताव है कि यह मैच हमारे विद्यालय के खेल मैदान में ही खेला जाए क्योंकि इससे हमारे विद्यालय का ही नाम होगा। हम यह विश्वास दिलाते हैं कि मैच के दौरान विद्यालय के किसी भी सामान को क्षति नहीं पहुंचेगी।
आशा है कि आप हमारी प्रार्थना स्वीकार करेंगे और शीघ्र स्वीकृति-पत्र देंगे।
भवदीय
मनोहर शर्मा,
कप्तान, क्रिकेट टीम।
प्रश्न 45.
अपने गाँव के सरपंच को अपने स्कूल के विकास में योगदान देने के लिए पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में,
ग्राम पंचायत सरपंच महोदय,
गांव धनौला,
जिला संगरूर।
विषय-स्कूल के विकास में योगदान हेतु।
मान्यवर महोदय,
हमारे विद्यालय का ज़िले में ही नहीं बल्कि सारे प्रदेश में नाम है, परंतु यह बड़े दुःख की बात है कि विद्यालय में पहले जैसी वह सुंदरता नहीं रही, जो इसकी शान समझी जाती थी। इस संबंध में मेरे कुछ सुझाव हैं, जो मैं आपकी सेवा में निवेदन करना चाहता हूँ।
सबसे पहले विद्यालय की फुलवाड़ी और वाटिका की ओर ध्यान देना चाहिए, जो बिना माली के मुरझा गई है। फूल-पौधे डंठल बन गए हैं। इसके लिए एक अच्छे माली का होना अत्यंत आवश्यक है। दूसरे मुख्य द्वार से लेकर विद्यालय के हॉल तक मार्ग के दोनों ओर सुंदर रंग-बिरंगे फूल लगाए जाएँ।
इसके अतिरिक्त विद्यालय के समस्त भवनों में हर छः मास के पश्चात् सफ़ेदी कराई जानी चाहिए। प्रत्येक कमरे की हर रोज़ सफ़ाई होनी चाहिए। विद्यालय का सफाई कर्मचारी इधर-उधर कूड़े के ढेर लगाए रखता है। ये बहुत ही बुरे लगते हैं। सफाई कर्मचारी को कड़ी चेतावनी दी जाए कि वह विद्यालय का सारा कूड़ा-कर्कट बाहर ले जाकर फेंकें। छात्रों को भी निर्देश हो कि वे फलों आदि के छिलके और रद्दी कागज़ कूड़ादानों में ही फैंकें।
विद्यालय का क्रीडा क्षेत्र सुधारा जाए। इसके चारों ओर दीवार खींची जानी चाहिए ताकि कोई पशु या बाहर के लोग उसमें न आ सकें। इसके अतिरिक्त विद्यालय के नलों पर पक्की ईंटों के फर्श लगाए जाएँ, जिससे वहाँ कीचड़ आदि न हो सके।
भवदीय
मोहन लाल।
धनौला गांव,
जिला संगरूर।
2 मई, 20……।