Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 सहयोग Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 सहयोग (2nd Language)
Hindi Guide for Class 8 PSEB सहयोग Textbook Questions and Answers
अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:
उत्तर :
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
उत्तर :
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
3. शब्दार्थ :
- पारस = वह पत्थर जिसके छूने से लोहा सोना बन जाता है।
- मदमस्त = मद में चूर
- कपोतराज = कबूतरों का राजा
- हितोपदेश = विष्णु शर्मा कृत नीति शास्त्र संबंधी एक प्रसिद्ध ग्रंथ
- अवलम्बित = निर्भर
- सतत = निरंतर, लगातार
- प्रतिद्वंद्वी = विरोधी
- सार्वजनिक = सब जन का
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) सहयोग का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
किसी कार्य में एक-दूसरे का साथ देना सहयोग कहलाता है।
(ख) लंगड़े ने अंधे को क्या उपाय बताया?
उत्तर :
लंगड़े ने अन्धे को बताया कि तुम मुझे अपने कंधे पर बिठाओ। मैं तुम्हें रास्ता बताऊँगा और तुम आगे बढ़ते जाना।
(ग) कपोतराज चित्रग्रीव ने कबूतरों को क्या सलाह दी?
उत्तर :
कपोतराज चित्रग्रीव ने कबूतरों को साहस के साथ इकट्ठा होकर, मिलकर उड़ने की सलाह दी।
(घ) हमें पड़ोसियों से कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर :
हमें पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उनसे सहयोग एवं मेलजोल रखना चाहिए। उनकी खुशी में सम्मिलित होना चाहिए।
(ङ) हमें अपने सहपाठियों से कैसा व्यवहार करना चाहिये?
उत्तर :
हमें अपने सहपाठियों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उनसे सहयोग बढ़ाना चाहिए। उनसे भेदभाव नहीं करना चाहिए। सबसे प्यार करना चाहिए।
5. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) सहयोग के दो उदाहरण लिखें।
उत्तर :
- लोहा पारस के सहयोग से सोना बन जाता है।
- कमजोर तिनका भी अनेक तिनकों के सहयोग से मज़बूत रस्सी बन जाती है।
(ख) सहयोग से दोनों पक्षों को लाभ होता है। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
हाँ! हम इससे सहमत हैं कि सहयोग से दोनों पक्षों को लाभ होता है। परस्पर सहयोग से दोनों पक्षों के कार्य संवर जाते हैं। एक-दूसरे की कमी भी लाभ में बदल जाती है।
6. नीचे दिए गए वाक्यों में निर्देशानुसार उत्तर लिखें :
(क) सहयोग से लोहा भी सोना बन जाता है, उसका मूल्य सौ गुणा बढ़ जाता है। (यहाँ सर्वनाम कौन-सा है?)
उत्तर :
उसका।
(ख) शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। (भाववाचक संज्ञा छाँटें)
उत्तर :
पूर्णता।
(ग) पड़ोसियों से सहयोग करना चाहिए। (संज्ञा शब्द छाँटकर उनका भेद लिखें)
उत्तर :
पड़ोसियों।
(घ) सहयोग से कक्षा का वातावरण मैत्रीपूर्ण हो जायेगा। (जातिवाचक संज्ञा छाँटें)
उत्तर :
कक्षा
(ङ) नदी के किनारे एक गाँव था। (संबंधबोधक अव्यय छाँटें)
उत्तर :
के।
(च) बच्चे माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं और अपना काम मन लगाकर करते हैं। (योजक शब्द छाँटें)
उत्तर :
और।
7. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :
- अंगूठा दिखाना
- आँखों का तारा
- चार चाँद लगाना
- मुँह उतर जाना
- एक पंथ दो काज
- जान बचना
- जाल में फँसना
- मौत दिखाई देना
- धैर्य बंधवाना
- हक्का-बक्का रह जाना
- दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति करना
उत्तर :
- अंगूठा दिखाना-इन्कार करना-मैनें इन्द्रजीत से किताब मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।
- आँखों का तारा-बहुत प्यारा-राम अपने माता-पिता की आँखों का तारा है।
- चार चाँद लगाना-उन्नति प्राप्त करना-सोहन ने पढ़ लिखकर अपने अनपढ़ वंश में चार चाँद लगा दिए।
- मुँह उतर जाना-दुखी होना-परीक्षा में असफल होने पर अमरीक का मुँह उतर गया।
- एक पंथ दो काज-एक काम से दोहरा लाभ-मैं कल दिल्ली अपने मित्र की शादी में गया और पुस्तक मेला भी देख आया। इस तरह मेरे एक पंथ दो काज हो गए।
- जान बचना-मुसीबत से बचना-कल परीक्षा में जाते समय गाडी से उतरते समय वह फिसल गया था पर उसकी जान बच गई।
- जाल में फँसना-चंगुल में फँसना–कभी भी उन कपटियों के जाल में न फँसना।
- मौत दिखाई देना-मृत्यु का सामना-जंगल में सामने शेर दिखाई देते ही उसे मौत दिखाई दे गई थी।
- धैर्य बंधवाना-धैर्य देना-मैंने राघव का धैर्य बंधवाने की कोशिश तो की थी पर सफल नहीं हो पाया।
- हक्का-बक्का रह जाना-हैरान होना-पुत्र को शराब की दुकान पर देख लाला जी हक्का-बक्का रह गए थे।
- दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति करना-बहुत उन्नति करना-सुरेंद्र ने अपनी सूझ-बूझ से अपने पारिवारिक व्यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति कर ली है।
8. इन वाक्यों में रेखांकित शब्दों के वचन बदल कर वाक्य पुनः लिखें :
(क) यह तिनका है।
ये तिनके हैं।
(ख) मुझे रस्सा दो।
मुझे …………………. दो।
(ग) मेरी आँख में दर्द है।
मेरी …………………. में दर्द है।
(घ) मेरे पास कहानी की पुस्तक है।
मेरे पास …………………. की …………………. है।
(ङ) यह सूती कपड़ा है।
ये सूती …………………. हैं।
(च) अपनी पेंसिल मुझे दो।
अपनी …………………. मुझे दो।
उत्तर :
(क) यह तिनका है।
ये तिनके हैं।
(ख) मुझे रस्सा दो।
मुझे रस्से दो।
(ग) मेरी आँख में दर्द है।
मेरी आँखों में दर्द है।
(घ) मेरे पास कहानी की पुस्तक है।
मेरे पास कहानियों की पुस्तकें हैं।
(ङ) यह सूती कपड़ा है।
ये सूती कपड़े हैं।
(च) अपनी पेंसिल मुझे दो।
अपनी पेंसिलें मुझे दो।
9. भाववाचक संज्ञा बनाएँ:
- पूर्ण =
- पशु =
- मित्र =
- आवश्यक =
- मानव =
- मनुष्य =
- सभ्य =
- प्रसन्न =
उत्तर :
- पूर्ण = पर्णता
- पशु = पशुता
- मित्र = मित्रता
- आवश्यक = आवश्यकता
- मानव = मानवता
- मनुष्य = मनुष्यता
- सभ्य = सभ्यता
- प्रसन्न = प्रसन्नता
10. दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :
- मानव =
- शरीर =
- आंख =
- हाथ =
- मित्र =
- पुत्र =
उत्तर :
- मानव = मनुष्य, इन्सान
- शरीर = तन, वपु
- आंख = नेत्र, नयन
- मित्र = दोस्त, सखा
- हाथ = हस्त, कर
- पुत्र = बेटा, सुत।
11. विपरीतार्थक शब्द लिखें :
- सहयोग =
- भाव =
- सभ्य =
- सुविधा =
उत्तर :
- सहयोग = असहयोग
- भाव = अभाव
- सभ्य = असभ्य
- सुविधा = असुविधा।
12. विशेषण बनायें :
- नगर = नागरिक
- ईमानदारी = ईमानदार
- समाज =
- परेशानी =
- प्रकृति =
- प्रसिद्धि =
- अंतर =
- शांति =
- शरीर =
- सच्चाई =
- प्रथम =
- कमजोरी =
उत्तर :
- नगर = नागरिक
- ईमानदारी = ईमानदार
- समाज = सामाजिक
- परेशानी = परेशान
- प्रकृति = प्राकृतिक
- प्रसिद्धि = प्रसिद्ध
- अंतर = आन्तरिक
- शांति = शांत
- शरीर = शारीरिक
- सच्चाई = सच्चा
- प्रथम = प्राथमिक
- कमजोरी = कमजोर
रचनात्मक अभिव्यक्ति
(ख) मौखिक अभिव्यक्ति- अपनी कल्पना से सहयोग पर आधारित एक कहानी कक्षा में सुनायें।
उत्तर :
छात्र शिक्षक की सहायता से करें।
(ख) लिखित अभिव्यक्ति –
(i) ‘सहयोग जीवन का मूल मंत्र है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखें।
(ii) पाठ में दिये गये उदाहरणों के अतिरिक्त आप और कहाँ-कहाँ सहयोग दे सकते हैं। सोचिये और लिखिये।
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह जन्म से मृत्यु तक समाज के बीच में रहकर अपना जीवनयापन करता है। समाज से अलग होकर मनुष्य स्वस्थ जीवन निर्वाह नहीं कर सकता क्योंकि उसे अपनी दिनचर्या में प्रत्येक कार्य में किसी-न-किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है।
जीवन में कोई भी मनुष्य अपना कार्य बिना सहयोग के नहीं कर सकता। जैसे बचपन में माँ-बाप, भाई-बहन का सहयोग, बाल्यावस्था में अपने सहपाठियों, मित्रों का सहयोग। इस प्रकार यह सत्य है कि सहयोग जीवन का मूल मंत्र है।
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोतर
प्रश्न 1.
सहयोग शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
सहयोग शब्द दो शब्दों के योग से बना है- सह और योग। सह का अर्थ है ‘साथ’ तथा योग का अर्थ है-‘मेल’। अर्थात् किसी कार्य में एक-दूसरे का साथ देने को सहयोग कहा जाता है।
प्रश्न 2.
सहयोग द्वारा हम अपनी किन-किन कमियों को पूरा कर सकते हैं ?
उत्तर :
सहयोग द्वारा हम अपनी निम्नलिखित कमियों को पूरा कर सकते हैं
- बुद्धि की कमी
- शारीरिक बल की कमी
- धन-अभाव
- स्वाभाविक विविधता की कमी।
प्रश्न 3.
लोहा किसके सहयोग से सोना बन जाता है ?
उत्तर :
लोहा पारस के सहयोग से सोना बन जाता है।
प्रश्न 4.
हितोपदेश में सहयोग से संबंधित कथा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
एक बार कबूतरों का राजा चित्रग्रीव कबूतरों के साथ आकाश में उड़ रहा था। जंगल में चावल के कण बिखरे देखकर कबूतर नीचे उतर आए और वे शिकारी के जाल में फंस गए। वे घबरा उठे। कपोतराज चित्रग्रीव ने उन्हें धैर्य बंधवाया। उन्हें साहस से इकट्ठा होकर मिलकर उड़ने को कहा। उन्होंने परस्पर सहयोग किया और वे जाल लेकर उड़ गए। इन्हें देखकर शिकारी हैरान हो गया।
प्रश्न 5.
सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। कैसे?
उत्तर :
सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। यह कोई बाहरी या बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति तथा पदार्थ कार्य आंतरिक सहयोग पर आधारित होता है। एक मशीन के पुर्जे और मशीन में आंतरिक सम्बन्ध है। एक पुर्जे के खराब होने पर मशीन नहीं चल सकती। मनुष्य के शरीर का एक अंग भी खराब हो जाए या शरीर के किसी एक अंग का सहयोग न मिले तो शरीर अस्वस्थ हो जाता है। अतः शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी अंगों का सहयोग अनिवार्य है। उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का सहयोग अनिवार्य है।
प्रश्न 6. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। कैसे ?
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहकर ही अपना जीवन-यापन करता है। समाज के अभाव में वह पशु के समान है। मनुष्य को भाषा, संस्कृति, ज्ञान सभ्यता आदि सब कुछ समाज से ही प्राप्त होता है।
प्रश्न 7. सहयोग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
सहयोग के निम्नलिखित लाभ हैं
- सहयोग से मानव अच्छा नागरिक बनता है।
- वह अपना हित ही नहीं सोचता बल्कि दूसरों का भी हित चाहता है।
- वह नगर और देश से बढ़कर सोचता है।
- वह प्राणी मात्र का हित सोचता है।
प्रश्न 8.
अच्छे सहपाठी का क्या कर्त्तव्य होना चाहिए ?
उत्तर :
- अच्छे सहपाठी को कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- सब से प्यार और मेलजोल रखना चाहिए।
- सबका सहयोग करना चाहिए।
- सबकी सहायता करनी चाहिए।
प्रश्न 9.
खेल के मैदान में सहयोग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
खेल के मैदान में सहयोग के अनेक लाभ हैं
- सहयोग से खेलने से विजय प्राप्त होती है।
- इससे भाईचारा बढ़ता है।
- खिलाड़ियों में प्रेम की भावना आती है।
प्रश्न 10.
लेखक ने पड़ोसियों से कैसे व्यवहार की प्रेरणा दी है ?
अथवा
एक आदर्श पड़ोसी के क्या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
अथवा
हमें अपने पड़ोसियों से कैसा व्यवहार रखना चाहिए ?
उत्तर :
- अपने पड़ोसियों से सहयोग करना चाहिए।
- पड़ोसियों की कुशलता पूछनी चाहिए।
- उनसे मेलजोल बढ़ाना चाहिए।
- उनकी खुशियों में सम्मिलित होना चाहिए।
- बीमारी के समय उनकी सहायता करनी चाहिए।
- अपने घर का कूड़ा-कर्कट पड़ोसी के द्वार के आगे नहीं फेंकना चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें :
प्रश्न 1.
मानव स्वभाव में क्या है ?
(क) एकरूपता
(ख) विविधता
(ग) उग्रता
(घ) विनम्रता।
उत्तर :
(ख) विविधता
प्रश्न 2.
मनुष्य अपनी कमियों को कैसे दूर कर सकता है ?
(क) विद्वेष से
(ख) प्रेम से
(ग) दया से
(घ) सहयोग से।
उत्तर :
(घ) सहयोग से।
प्रश्न 3.
किस कपोतराज ने अनेक कबूतरों को शिकारी के चंगुल से बचाया था ?
(क) चित्रगुप्त
(ख) चित्रग्रीव
(ग) चित्ररूप
(घ) चित्रांगद।
उत्तर :
(ख) चित्रग्रीव
प्रश्न 4.
एक मशीन किन सब के सहयोग से चलती है ?
(क) बिजली
(ख) पुर्जी
(ग) मकैनिक
(घ) फोरमैन।
उत्तर :
(ख) पुर्जी
प्रश्न 5.
सहयोग कैसा नियम है ?
(क) प्राकृतिक
(ख) दैविक
(ग) भौतिक
(घ) दानवी।
उत्तर :
(क) प्राकृतिक
प्रश्न 6.
समाज के अभाव में मनुष्य निरा क्या है ?
(क) पक्षी
(ख) पशु
(ग) दानव
(घ) जड़।
उत्तर :
(ख) पशु
प्रश्न 7.
सहयोग मानव को कैसा नागरिक बनाता है ?
(क) अच्छा
(ख) बुरा
(ग) मतलबी
(घ) चापलूस।
उत्तर :
(क) अच्छा
प्रश्न 8.
लंगड़े को अंधे ने कहाँ बैठाया ?
(क) गोद में
(ख) कंधे पर
(ग) गर्दन पर
(घ) बाहों में।
उत्तर :
(ख) कंधे पर
प्रश्न 9.
पारस के सहयोग से कौन सोना बन जाता है ?
(क) चाँदी
(ख) पीतल
(ग) ताँबा
(घ) लोहा।
उत्तर :
(घ) लोहा।
प्रश्न 10.
आपसी भाईचारा किससे बढ़ता है ?
(क) मित्रता से
(ख) प्रेम से
(ग) सहयोग से
(घ) दया से।
उत्तर :
(ग) सहयोग से
सहयोग Summary in Hindi
सहयोग पाठ का सार
इस पाठ में सहयोग के बारे में बताया गया है। इस संसार में कोई भी मनुष्य अपने में पूर्ण नहीं हैं। किसी में बुद्धि की कमी है तो किसी में शारीरिक बल की तथा किसी में अच्छाई की कमी है। मानव के स्वभाव में भी विविधता है। ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग के द्वारा ही हम अपनी कमियों को पूरा कर अपना उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं। अन्धे और लंगड़े की प्रसिद्ध कहानी सहयोग का अच्छा उदाहरण है जिसमें एक-दूसरे के सहयोग से बाढ के पानी से बचकर सुरक्षित स्थान पर पहँच गए थे।
मुसीबत के समय भी आदमी सहयोग से ही उसका मुकाबला करता है। लोहा भी पारस के स्पर्श से बहुमूल्य सोना बन जाता है। कमजोर तिनके भी आपसी सहयोग से मिलकर रस्सी बन जाते हैं। इसी तरह परस्पर सहयोग से कपोतराज चित्रग्रीव ने अनेक कबूतरों को शिकारी के चंगुल से आजाद करवा दिया था
सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। एक मशीन सभी पुों के परस्पर सहयोग से ही चलती है। एक पुर्जा खराब होने पर वह नहीं चल सकती। आदमी का शरीर भी अंगों के सहयोग से ही स्वस्थ रहता है। किसी एक अंग के खराब होने पर शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता। समाज को पूर्णता भी व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के सहयोग के बिना वह पशु के समान होता है।
समाज नर नारियों के परस्पर सहयोग से बनता है। उसी सहयोग से मानवता का विकास हुआ। परिवार समाज का एक अंग है जिसमें माता-पिता, भाई-बहन आदि अनेक लोगों का सहयोग होता है। माता घर का कामकाज करती है, बच्चों का पालन-पोषण करती है तो पिता ईमानदारी से रोजी कमाता है। सभी कार्य परिवार के लोगों के सहयोग से ही पूरे होते हैं। पड़ोसी भी समाज का अंग होते हैं। उनसे भी सहयोग की भावना जरूरी होती है।
उनसे भी मेलजोल बढ़ाना चाहिए। उनके साथ पूर्ण सहयोग करना चाहिए। स्कूल एक संस्था होती है, जिसमें अध्यापक, विद्यार्थी, चपरासी सभी का सहयोग होता है। सबके सहयोग से ही वह उन्नति करता है। इसी से साफ़-सफ़ाई अनुशासन बना रहता है। बच्चे भी परस्पर सहपाठी से सहयोग रखते हैं। उनके कार्य भी एक-दूसरे के सहयोग से पूर्ण होते हैं।
खेल के मैदान में भी खिलाड़ियों का एक-दूसरे से सहयोग आवश्यक होता है। उनमें खेल-भावना इसी से आती है। सद्भावना बनी रहती है। प्रेम-प्यार का प्रसार होता है।
बच्चों में सहयोग की भावना का विकास करने के लिए रैडक्रॉस, स्काउट, गर्लगाइड, एन० एस० एस०, एन० सी० सी० आदि संस्थाएं स्थापित की गई हैं। गाँव, कस्बे अथवा नगर में भी सहयोग बहुत आवश्यक होता है। सहयोग से ही मानव अच्छा नागरिक बनता है। वह दूसरों के हित की सोचता है। वह प्राणी मात्र की सेवा एवं हित का ध्यान रखता है। उसमें मानवता का विकास होता है।
सहयोग शब्दार्थ :
- सह = साथ।
- योग = मेल।
- बल = शक्ति।
- विविधता = अनेकता।
- अभाव = कमी।
- पारस = एक पत्थर जिस के छने से लोहा भी सोना बन जाता है।
- मदमस्त = नशे में चूर।
- हक्का-बक्का = हैरान।
- अवलम्बित = आधारित।
- अनिवार्य = ज़रूरी।
- लगन = मेहनत।
- निरा = बिल्कुल।
- बौद्धिक = बुद्धि का।
- विवाद = समझ।
- सुखद = अच्छा।
- मौका = अवसर।
- प्रतीक्षा = इंतजार।
- सहपाठी = साथ पढ़ने वाला।
- सदुपयोग = अच्छा उपयोग।
- मैत्रीपूर्ण = मित्रता से युक्त।
सहयोग सप्रसंग व्याख्या
1. प्रायः ऐसा सुना जाता है कि कोई भी मानव अपने में पूरा नहीं और यह है भी सच्चाई। किसी में बुद्धि की कमी है, किसी में शारीरिक बल की कमी है, कोई धन के अभाव से दुःखी है। यही नहीं स्वभाव में भी विविधता दिखाई पड़ती है, जिसके कारण अनेक कमियाँ मानव में आ जाती हैं। ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग द्वारा हम अपनी कमियों को पूरा कर सकते हैं और उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं।
प्रसंग-यह गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘सहयोग’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें बताया गया है कि मानव अपने आप में अधूरा होता है। वह सहयोग से ही पूर्ण है।
व्याख्या- यह बात प्रायः सुनी जाती है कि इस संसार में कोई भी मनुष्य अपने आप में पूर्ण नहीं है। यह एकदम सच्चाई है कि कोई भी आदमी स्वयं में पूर्ण नहीं है। किसी मनुष्य में बुद्धि की कमी होती है तो किसी में शारीरिक बल की कमी दिखाई देती है। कोई धन के अभाव से दुःखी है।
इतना ही नहीं मनुष्यों के स्वभाव में भी अनेकता दिखाई देती है। सबके स्वभाव अलग-अलग हैं, जिसके कारण मनुष्य में अनेक कमियाँ आ जाती हैं। ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग द्वारा हम सब अपनी कमियों को पूरा कर सकते हैं और उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं।
भावार्थ-सहयोग से ही मनुष्य पूर्ण होता है। इसको दर्शाया है।
2. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बाहरी या बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ और प्रत्येक व्यक्ति का प्रत्येक काम आन्तरिक सहयोग पर अवलम्बित है। किसी भी मशीन को लें उसके पुों और मशीन में अंगांगी भाव का सम्बन्ध है। यदि उसका एक पुर्जा भी खराब हो जाए तो वह मशीन चल नहीं सकती। हम अपने शरीर को ही लें। आँख, कान, हाथ, पाँव आदि इसके विभिन्न अंग हैं, शरीर अँगी है वे परस्पर सहयोग द्वारा शरीर का धारण और पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है तो मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है। पहले क्षण आँख वहाँ देखती है और दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए वहाँ पहुँच जाता है।
प्रसंग-ये पंक्तियाँ हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘संहयोग’ शीर्षक पाठ से ली . गई हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि सहयोग एक प्राकृतिक नियम है।
व्याख्या-सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। यह कोई बाहरी अथवा बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ और व्यक्ति का प्रत्येक कार्य आंतरिक सहयोग पर ही आधारित होता है। किसी भी मशीन में उसके पुर्जे तथा मशीन में परस्पर अंगांगी भाव का सम्बन्ध होता है। अर्थात् मशीन तथा पुर्कों का एक-दूसरे से आंतरिक सम्बन्ध होता है। यदि मशीन का एक पुर्जा भी खराब हो जाए तो वह मशीन चल नहीं सकती।
इसी तरह से आँख, कान, हाथ, पाँव आदि मानव शरीर के अनेक अंग हैं। शरीर अंगी है और उसके अंग अपने एक-दूसरे के शरीर का धारण और पोषण करते हैं। किसी भी अंग पर चोट लगने पर मन तुरन्त वहाँ पहुँच जाता है। पहले ही क्षण आँख उस ओर देखने लगती है और दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए वहाँ पहुँच जाता है।
भावार्थ-शरीर तथा उसके अंगों के परस्पर सम्बन्ध को दर्शाया गया है।
3. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अभाव में वह निरा पशु ही रहता है। समाज जड़ पदार्थों का समूह नहीं है, वह नर-नारियों के परस्पर सहयोग और प्रेम से बनता है। उसी से मानवता विकसित हुई है। आज भी यदि हम किसी शिशु को समाज से पृथक् कर दें, उसे किसी जंगल में छोड़ दें तो आप जानते हैं कि क्या होगा ? वह निरा पशु ही रहेगा। वह हमारी तरह बोल नहीं सकेगा। उसका मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं होगा। भाषा और साहित्य, संस्कृति और सभ्यता, ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मानव ने जो प्रगति की है वह किसी एक व्यक्ति की देन नहीं, बल्कि अनेक नर-नारियों के सतत् सहयोग का परिणाम है।
प्रसंग–यह गद्यांश हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘सहयोग’ नामक पाठ से लिया है। इसमें मनुष्य को सामाजिक प्राणी के रूप में दर्शाया है।
व्याख्या-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज के अभाव में एक पशु के समान है। समाज निर्जीव पदार्थों का समूह नहीं है बल्कि समाज नर-नारियों के परस्पर सहयोग तथा प्रेमभाव से बनता है। उसी से मानवता का विकास हुआ है। आज भी यदि हम किसी शिशु को समाज से अलग कर दें और उसे किसी जंगल में छोड़ दें तो आपको पता है कि उसका क्या परिणाम होगा। उसका परिणाम यह होगा कि वह शिशु बिल्कुल पशु ही रहेगा।
वह मनुष्य की तरह बोल नहीं सकेगा। उसका मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं होगा। भाषा और साहित्य, संस्कृति और सभ्यता, ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य ने उन्नति की है। वह किसी एक क्रान्ति विशेष की देन नहीं है, बल्कि वह अनेक नर-नारियों के निरंतर सहयोग का ही परिणाम है भाव है कि वह उन्नति अनेक लोगों के निरंतर सहयोग से ही प्राप्त हुई है।
भावार्थ-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज नर-नारियों के सहयोग एवं प्रेमभाव से बनता है, इसलिए सब को मिलजुल कर रहना चाहिए।
4. पड़ोसियों से भी सहयोग करना चाहिए। एक अच्छा पड़ोसी बनना चाहिए। पड़ोसियों की कुशलता पूछनी चाहिए। बड़ों का सम्मान करना चाहिए। पड़ोसियों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए। साफ़ मन से उनकी खुशी में सम्मिलित होना चाहिए। सेवा भाव से उनकी बीमारी आदि में सहायता करनी चाहिए। उनकी सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखें। अपने घर की सफाई करके कूड़ा-कर्कट पड़ोसी के द्वार के आगे न फेंकें, ऐसी बातों से वे परेशान हो सकते हैं और विवाद हो सकता है। ऐसा कोई भी काम न करें, जिससे पड़ोसियों को कष्ट हो। इस तरह यदि आप सहयोग देंगे तो वह भी पीछे नहीं रहेंगे। इसी आपसी सहयोग से गली और मुहल्ले का वातावरण सुखद हो जाएगा।
प्रसंग-यह गद्यांश हिन्दी की हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘सहयोग’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें लेखक ने पड़ोसियों से सहयोग करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि हमें अपने पड़ोसियों के साथ भी सहयोग करना चाहिए। एक अच्छा पड़ोसी बनना चाहिए। हमें पड़ोसियों की कुशलता के बारे में पूछना चाहिए। अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए। अपने पड़ोसियों के साथ मेल-जोल बढ़ाना चाहिए। साफ़ मन के साथ उनकी खुशियों में शामिल होना चाहिए। बीमारी आदि में उनकी सेवाभाव से पूरी सहायता करनी चाहिए। उनकी सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
अपने घर की साफ़-सफ़ाई करने के बाद कूड़ा-कर्कट पड़ोसी के दरवाजे के आगे नहीं फेंकना चाहिए, क्योंकि ऐसी बातों से वे परेशान हो सकते हैं और झगडा हो सकता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे पड़ोसियों को कोई दुःख पहुँचे। इस प्रकार यदि आप अपने पड़ोसियों का सहयोग देंगे तो वह भी सहयोग देने में पीछे नहीं रहेंगे। इसी आपसी सहयोग से गली और मुहल्ले का वातावरण आनन्ददायक बन जाएगा।
भावार्थ-पड़ोसियों से सहयोगपूर्ण व्यवहार रखने की प्रेरणा दी गई है।
5. इस तरह सहयोग से मानव अच्छा नागरिक बनता है। वह अपना ही हित नहीं सोचता, वह दूसरों का हित चिन्तन करता है और दूसरों के हित के लिए बराबर प्रयत्न करता है। वह नगर और देश की नहीं, विशाल हित की बात सोचता है। मानव जीव मात्र का हित ही उसका लक्ष्य हो जाता है। यही मानवता है। यही मनुष्य के जीवन का लक्ष्य है। इसका आधार सहयोग की भावना है जो घर, पड़ोस स्कूल, खेल के मैदान और गाँव से क्रमशः विकसित होती हुई मानव-प्रेम का रूप धारण करती है।
प्रसंग-यह गद्यांश हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘सहयोग’ से लिया गया है। मानव सहयोग से ही अच्छा नागरिक बनता है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि सभी के साथ अच्छे सहयोग से ही मानव अच्छा नागरिक बनता है। वह केवल अपने ही हित के बारे में नहीं सोचता बल्कि वह दूसरों के हित के लिए भी सोचता-विचारता है। वह दूसरों के हित के लिए भी बराबर प्रयास करता है। वह नगर और देश का ही नहीं बल्कि पूरे संसार के हित की बात सोचता है। मानव जीवन-मात्र का अर्थात् प्रत्येक मानव का हित ही उसका लक्ष्य हो जाता है।
यही सच्ची मानवता है। यही मनुष्य के जीवन का प्रमुख उद्देश्य है। दूसरा सहयोग की भावना है। मानवता का लक्ष्य सहयोग से ही पूरा होता है। यह घर, पड़ोसी, स्कूल, खेल के मैदान और गाँव से क्रमानुसार विकसित होती हुई मानव प्रेम का रूप धारण करती है।
भावार्थ-सहयोग की भावना से मानवता का लक्ष्य पूर्ण होता है इसी भाव के बारे में बताया गया है।