PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

SST Guide for Class 8 PSEB बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
आदिवासी समाज के लोग अधिक संख्या में कौन-से राज्यों में रहते हैं ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोग राजस्थान, गुजरात, बिहार तथा उड़ीसा में अधिक संख्या में रहते हैं।

प्रश्न 2.
आदिवासी समाज के लोगों के मुख्य व्यवसाय कौन-से हैं ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोगों के मुख्य व्यवसाय पशु पालना, शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा खेती करना है।

प्रश्न 3.
आदिवासी समाज के लोगों ने कौन-कौन से राज्यों में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोगों ने मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, मेघालय, बंगाल आदि राज्यों में अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह किये।

प्रश्न 4.
खासी कबीले का मुखिया कौन था ?
उत्तर-
खासी कबीले का मुखिया तिरुत सिंह था।

प्रश्न 5.
छोटा नागपुर के क्षेत्र में सबसे पहले किस कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया ?
उत्तर-
छोटा नागपुर के क्षेत्र में सबसे पहले 1820 ई० में कोल कबीले के लोगों ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह किया।

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प्रश्न 6.
अंग्रेजों द्वारा किस व्यक्ति को खरोधा लोगों का मुखिया बनाया गया ?
उत्तर-
खरोधा कबीले में एक व्यक्ति को देश निकाला दिया गया था। अंग्रेजों ने उसे वापस बुला कर उसे खरोधा लोगों का मुखिया बनाया।

प्रश्न 7.
आदिवासी समाज पर नोट लिखें।
उत्तर-
आदिवासी समाज अथवा आदिवासी लोग भारत की आबादी का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या लगभग 1600 लाख थी। इन कबीलों का एक बड़ा भाग राजस्थान, गुजरात, बिहार, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में रहता था। मध्य प्रदेश की जनसंख्या का 23.22% भाग इन्हीं कबीलों के लोग थे। कुछ आदिवासी कबीले छोटे-छोटे राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में भी रहते थे, जैसे-सिक्किम, गोवा, मिज़ोरम, दादरा-नगर हवेली तथा लक्षद्वीप आदि। इन आदिवासी लोगों में से अधिकतर का सम्बन्ध गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि कबीलों से था।

प्रश्न 8.
बिरसा मुण्डा पर नोट लिखें।
उत्तर-
बिरसा मुण्डा बिहार (छोटा नागपुर क्षेत्र) के मुण्डा कबीले के विद्रोह का नेता था। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति था। उसे परमात्मा का दूत माना जाता था। उसने उन गैर-कबिलाई लोगों के विरुद्ध धरना दिया जिन्होंने मुण्डा लोगों की ज़मीने छीन ली थीं। मुण्डा लोग साहूकारों तथा ज़मींदारों से भी घृणा करते थे क्योंकि वे उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। बिरसा मुण्डा ने मुण्डा किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों का किराया चुकाने से इन्कार कर दें।

छोटा नागपुर प्रदेश में मुण्डा लोगों ने अंग्रेज़ अधिकारियों, मिशनरियों तथा पुलिस स्टेशनों को अपना निशाना बनाया। परन्तु अंग्रेजों ने बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार कर लिया और उसके विद्रोह को दबा दिया।

प्रश्न 9.
मुण्डा कबीले द्वारा किए गए विद्रोह के प्रभाव लिखें।
उत्तर-
मुण्डा विद्रोह एक शक्तिशाली विद्रोह था। अतः विद्रोह को दबा देने के बाद सरकार मुण्डा लोगों की समस्याओं की ओर ध्यान देने लगी। कुल मिलाकर इस विद्रोह के निम्नलिखित परिणाम निकले

  • अंग्रेज़ी सरकार ने छोटा नागपुर एक्ट 1908 पास किया। इसके अनुसार छोटे किसानों को ज़मीनों के अधिकार मिल गए।
  • छोटा नागपुर प्रदेश के लोगों में सामाजिक तथा धार्मिक जागृति आई। अनेक लोग बिरसा मुण्डा की पूजा करने लगे।
  • अनेक नये सामाजिक-धार्मिक आन्दोलन शुरू हो गए। (4) कबिलाई लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने लगे।

प्रश्न 10.
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में आदिवासी समाज द्वारा किए गए विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर-
खासी विद्रोह-उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे पहला विद्रोह खासी कबीले ने किया। पूर्व में जैंतिया की पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो की पहाड़ियों तक उनका अधिकार था। तिरुत सिंह इस कबीले का संस्थापक था। उसके नेतृत्व में खासी लोग अपने प्रदेश से बाहरी लोगों को भगाना चाहते थे। 5 मई, 1829 ई० को खासी कबीले के लोगों ने गारो लोगों की सहायता से बहुत से यूरोपियों तथा बंगालियों को मार डाला। यूरोपीय कॉलोनियों को आग लगा दी गई। तिरुत सिंह भोटस, सिंगफोस आदि कुछ अन्य पहाड़ी कबीलों को भी विदेशी शासन से मुक्त करवाना चाहता था। अत: उसने अपने 10,000 साथियों की सहायता से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों ने खासीस गांवों को एक-एक करके आग लगा दी। अन्त में 1833 ई० में तिरुत सिंह ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए।

सिंगफोस विद्रोह-जिस समय अंग्रेज़ सैनिक खासी कबीले के विद्रोह को दबाने में व्यस्त थे, उसी समय सिंगफोस नामक पहाड़ी कबीले ने विद्रोह कर दिया। इन दोनों कबीलों ने खपती, गारो, नागा आदि कबायली कबीलों को विद्रोह में शामिल होने का निमन्त्रण दिया। सभी ने मिलकर असम में ब्रिटिश सेना पर आक्रमण कर दिया और कई अंग्रेज़ों को मार डाला। परन्तु अन्त में उन्हें हथियार डालने पड़े क्योंकि वे अंग्रेजों के आधुनिक शस्त्रों का सामना न कर सके।

अन्य विद्रोह-

  • 1839 ई० में खासी कबीले ने फिर से विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेज़ों के राजनीतिक दूत कर्नल वाइट तथा अन्य कई अंग्रेजों की हत्या कर दी।
  • 1844 में नागा नामक एक अन्य उत्तर-पूर्वी कबीले ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह दो-तीन साल तक चलता रहा।
  • मणिपुर के पहाड़ी प्रदेशों में कुकियों का विद्रोह भी लम्बे समय तक चला। उनकी संख्या 7000 के लगभग थी। उन्होंने 1826, 1844 तथा 1849 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किए। उन्होंने कई अंग्रेज़ अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। परन्तु अन्त में अंग्रेज़ी सरकार ने उनके विद्रोह को दबा दिया। पकड़े गए कुकियों को तरह-तरह की यातनाएं दी गईं।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :

1. आदिवासी समाज भारत की जनसंख्या का एक ………… भाग है।।
2. आदिवासी समाज ……….. या …………. कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते थे।
3. पूर्व में जयंतिया पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो पहाड़ियों तक के क्षेत्र में ………… कबीले का अधिकार
(शासन) था।
4. जब बर्तानवी सैनिक खासी कबीले के विद्रोह का मुकाबला कर रहे थे, तब उसी समय ही एक अन्य पहाड़ी
कबीले ………….. ने बगावत कर दी।
उत्तर-

  1. महत्त्वपूर्ण
  2. एक, दो
  3. खासी
  4. सिंगफोस।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :

1. आदिवासी कबीलों में गोंड कबीले की संख्या सबसे कम है। – (✗)
2. दिवासी समाज के लोगों की सबसे प्रारंभिक सामाजिक इकाई परिवार है। – (✓)
3. बर्तानवी शासकों ने अफीम तथा नील की खेती करने के लिए आदिवासी क्षेत्रों की जमीन पर कब्जा कर – (✓)
लिया।
4. बिरसा मुण्डा ने किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों को टैक्स (कर) दे दें। – (✗)

PSEB 8th Class Social Science Guide बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न 1.
बिरसा मुंडा ने विद्रोह किया-.
(i) कोरोमंडल में
(ii) छोटा नागपुर में
(iii) गुजरात में
(iv) राजस्थान में।
उत्तर-
छोटा नागपुर में

प्रश्न 2.
छोटा नागपुर एक्ट कब पास हुआ ?
(i) 1906 ई०
(ii) 1846 ई०
(iii) 1908 ई०
(iv). 1919 ई०।
उत्तर-
1908 ई०

प्रश्न 3.
अंग्रेजों के विरुद्ध किस कबीले ने विद्रोह किया ?
(i) नागा
(ii) सिंगफोस
(iii) कूकी
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. खरोध कबीले का विद्रोह – 1855 ई०
2. संथाल कबीले का विद्रोह – 1846 ई०
3. मुण्डा विद्रोह – 1899-1900 ई०
4. कोल विद्रोह – 1820 ई०
उत्तर-

  1. 1846 ई०
  2. 1855 ई०
  3. 1899-1900 ई०
  4. 1820 ई० ।

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई समाज से क्या भाव है ?
उत्तर-
कबिलाई समाज से भाव भारत के आदिवासी लोगों से है।

प्रश्न 2.
भारत में आदिवासी लोग मुख्य रूप से किन-किन कबीलों से सम्बन्ध रखते हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि।

प्रश्न 3.
कबिलाई लोगों का क्षेत्रीय वितरण बताओ।
उत्तर-
आदिवासी लोगों में से 63% लोग पहाड़ी भागों में, 2.2% लोग द्वीपों में तथा 1.6% लोग अर्द्ध खण्ड के ठण्डे प्रदेशों में रहते हैं। अन्य लोग विभिन्न शहरी तथा ग्रामीण प्रदेशों में बिखरे हुए हैं।

प्रश्न 4.
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध कबिलाई लोगों के विद्रोहों का मूल कारण क्या था ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध कबायली लोगों के विद्रोहों का मूल कारण अंग्रेज़ी सरकार की गलत नीतियां थीं। उनकी ज़मीन हथिया ली गई थी और उनकी आजीविका के साधन चौपट कर दिए गए थे।

प्रश्न 5.
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में नागा विद्रोह कब हुआ ? यह कब तक चलता रहा ?
उत्तर-
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में नागा विद्रोह 1844 ई० में हुआ। यह दो-तीन साल तक चलता रहा।

प्रश्न 6.
अंग्रेज़ी सरकार ने कबिलाई लोगों की जमीनें क्यों हथिया ली थीं ?
उत्तर-
फ़सलों के वाणिज्यीकरण के कारण अंग्रेज़ किसानों से अफ़ीम तथा नील की खेती करवाना चाहते थे। इसलिए सरकार ने कबिलाई लोगों की जमीनें हथिया ली थीं।

प्रश्न 7.
विभिन्न कबिलाई विद्रोहों के किन्हीं चार नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
तिरुत सिंह (खासीस), सिंधु तथा कान्ह (संथाल) और बिरसा मुण्डा (मुण्डा कबीला)।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई लोगों के घरों तथा काम-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कबिलाई लोग बिना किसी योजना के बनी एक-दो कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते हैं। ये झोंपड़ियां दो या चार लाइनों में एक-दूसरे के सामने बनी होती हैं। इन झोंपड़ियों के आसपास वृक्षों के झुण्ड होते हैं। ये लोग भेड़बकरियां तथा पालतू पशु पालते हैं। ये स्थानीय प्राकृतिक तथा भौतिक साधनों पर निर्भर हैं। इनके अन्य काम-धन्धों में शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा बैलों की सहायता से हल चलाना आदि शामिल हैं। .

प्रश्न 2.
कबिलाई समाज के परिवार पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
कबिलाई लोगों की सबसे पहली सामाजिक इकाई परिवार है। परिवार के घरेलू कामकाज में स्त्रियां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्त्रियों के मुख्य कार्य खाना बनाना, लकड़ियां इकट्ठी करना, सफ़ाई करना तथा कपड़े धोना है। वे खेती के कार्यों में पुरुषों का हाथ बंटाती हैं। इन कामों में भूमि को समतल करना, बीज बोना, फसल काटना आदि शामिल हैं। पुरुषों के मुख्य कार्य जंगल काटना, भूमि को समतल करना तथा हल चलाना है। क्योंकि स्त्रियां आर्थिक कार्यों में पुरुष की सहायता करती हैं, इसलिए कबिलाई समाज में बहुपत्नी प्रथा प्रचलित है। .

प्रश्न 3.
देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में खासीस कबीले के विद्रोह पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे पहला विद्रोह खासीस कबीले ने किया। पूर्व में जैंतिया पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो की पहाड़ियों तक उनका अधिकार था। तिरुत सिंह इस कबीले का संस्थापक (मोढी) था।

उसके नेतृत्व में खासी लोग अपने प्रदेश से बाहरी लोगों को भगाना चाहते थे। 5 मई, 1829 ई० को खासीस कबीले के लोगों ने गारो लोगों की सहायता से बहुत से यूरोपियों तथा बंगालियों को मार डाला। यूरोपीय कॉलोनियों को आग लगा दी गई। तिरुत सिंह कुछ अन्य पहाड़ी कबीलों को भी विदेशी शासन से मुक्त करवाना चाहता था। अतः उसने अपने 10,000 साथियों की सहायता से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों ने खासीस गांवों को एक-एक करके आग लगा दी। अन्त में 1833 ई० में तिरुत सिंह ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई समाज तथा उसकी आर्थिक दशा में हुए परिवर्तनों का वर्णन करो। (P.B. 2009 Set-A)
उत्तर-
कबिलाई समाज-कबिलाई समाज अथवा आदिवासी लोग भारत की आबादी का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इनकी जनसंख्या 1600 लाख से भी अधिक थी। इन कबीलों का एक बड़ा भाग राजस्थान, गुजरात, बिहार, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में रहता था। मध्य प्रदेश की जनसंख्या का 23.22% भाग इन्हीं कबीलों के लोग थे। कुछ आदिवासी कबीले छोटे-छोटे राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में भी रहते थे, जैसे-सिक्किम, गोवा, मिज़ोरम, दादरा-नगर हवेली तथा लक्षद्वीप आदि। इन आदिवासी लोगों में से अधिकतर का सम्बन्ध गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि कबीलों से था।
इन आदिवासी लोगों में से 63% लोग पहाड़ी भागों, 2.2% लोग द्वीपों में तथा 1.6% लोग अर्द्ध खण्ड के ठण्डे प्रदेशों में रहते थे। अन्य लोग विभिन्न शहरी तथा ग्रामीण प्रदेशों में बिखरे हुए हैं। ये लोग बिना किसी योजना के बनी एकदो कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते हैं। ये झोंपड़ियां दो या चार लाइनों में एक-दूसरे के सामने बनी होती हैं। इन झोंपड़ियों के आसपास वृक्षों के झुण्ड होते हैं। ये लोग भेड़-बकरियां तथा पालतू पशु पालते हैं। ये स्थानीय प्राकृतिक तथा भौतिक साधनों पर निर्भर हैं। इनके अन्य काम-धन्धों में शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा बैलों की सहायता से हल चलाना आदि शामिल हैं।

परिवार-कबिलाई लोगों की सबसे पहली सामाजिक इकाई परिवार है। परिवार के घरेलू कामकाज में स्त्री महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्त्रियों के मुख्य कार्य खाना बनाना, लकड़ियां इकट्ठी करना, सफ़ाई करना तथा कपड़े धोना है। वे खेती के कार्यों में पुरुषों का हाथ बंटाती हैं। इन कामों में भूमि को समतल करना, बीज बोना, फसल काटना आदि शामिल हैं। पुरुषों के मुख्य कार्य जंगल काटना, भूमि को समतल करना तथा हल चलाना है। क्योंकि स्त्रियां आर्थिक कार्यों में पुरुष की सहायता करती हैं, इसलिए कबिलाई समाज में बहपत्नी प्रथा प्रचलित है। ___ कबिलाई समाज की आर्थिक दशा में परिवर्तन-19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के समय कबिलाई समाज के लोग सबसे ग़रीब थे। ब्रिटिश शासन ने इन लोगों के जीवन पर और भी बुरा प्रभाव डाला। अंग्रेजों द्वारा पुराने सामाजिक तथा आर्थिक ढांचे को बदल दिया गया। इसका सबसे बुरा प्रभाव कबिलाई समाज तथा उनकी आर्थिकता पर पड़ा। अंग्रेज़ी सरकार ने अपने आर्थिक हितों के कारण फ़सलों का व्यापारीकरण (वाणिज्यीकरण) कर दिया। सरकार ने अफ़ीम तथा नील की खेती करने के लिए कबिलाई लोगों की जमीन हथिया ली। फलस्वरूप कबिलाई लोग मजदूरी करने के लिए विवश हो गए। परन्तु उन्हें बहुत कम मजदूरी दी जाती थी। अतः उन्हें अपना गुजारा करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि उनकी आर्थिक दशा बहुत ही खराब हो गई।

कबिलाई लोग इन सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तनों के विरुद्ध थे। अत: उनमें ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असंतोष फैला हुआ था।

प्रश्न 2.
कबिलाई समाज के लोगों द्वारा छोटा नागपुर क्षेत्र में किए गए विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध छोटा नागपुर प्रदेश के विद्रोह काफ़ी महत्त्वपूर्ण थे। इनमें से मुण्डा जाति के विद्रोह का विशेष महत्त्व है। इन विद्रोहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :

1. कोल कबीले का विद्रोह-छोटा नागपुर प्रदेश में सबसे पहले 1820 ई० में कोल कबीले के लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। उन्हें अपने प्रदेश में अंग्रेज़ी राज्य का विस्तार सहन नहीं था। विद्रोहियों ने कई गांव जला दिए। कोल विद्रोही भी बड़ी संख्या में मारे गए। इसलिए उन्हें 1827 ई० में अंग्रेज़ों के आगे हथियार डालने पड़े।

2. मुण्डा कबीले का विद्रोह-1830-31 में छोटा नागपुर क्षेत्र में मुण्डा कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का झण्डा फहरा दिया। कोल कबीले के लोग भी इस विद्रोह में शामिल हो गए। शीघ्र ही यह विद्रोह रांची, हज़ारी बाग, पलामू तथा मनभूम तक फैल गया। अंग्रेज़ी सेना ने लगभग 1000 विद्रोहियों को मार डाला, फिर भी वह विद्रोह को पूरी तरह से न दबा सकी। अंततः अनेक सैनिक कार्रवाइयों के पश्चात् 1832 ई० में इस विद्रोह को कुचला जा सका, फिर भी मुण्डा तथा कोल लोगों की सरकार विरोधी गतिविधियां जारी रहीं।

3. खोड़ अथवा खरोधा कबीले का विद्रोह-छोटा नागपुर क्षेत्र में 1846 ई० में खरोधा कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेज़ कैप्टन मैकफ़र्सन के कैम्प पर धावा बोल दिया और उसे अपने 170 साथियों सहित हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। अन्य पड़ोसी कबीलों के लोग भी खरोधा लोगों के साथ आ मिले। परन्तु अंग्रेजों ने उसी वर्ष इस विद्रोह को कुचल दिया। उन्होंने देश-निकाला प्राप्त एक खरोधा नेता को वापस बुलाया और उसे खरोधा लोगों का मुखिया बना दिया। इस प्रकार खरोधा लोग शान्त हो गए।

4. संथाल विद्रोह-संथालों ने 1855 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। इनकी संख्या लगभग 10,000 थी। इनका नेतृत्व सिंधु तथा कान्ह नामक दो भाइयों ने किया। संथालों ने भागलपुर तथा राजमहल के पहाड़ी प्रदेश के बीच रेल सेवाएं ठप कर दीं। उन्होंने तलवारों तथा ज़हरीले तीरों से अंग्रेजों के बंगलों पर आक्रमण किए। रेलवे तथा पुलिस के कई अंग्रेज़ कर्मचारी उनके हाथों मारे गए। अंग्रेज़ी सेना ने उनका पीछा किया। परन्तु वे जंगलों में छिप गए। उन्होंने 1856 ई० तक अंग्रेज़ सैनिकों का सामना किया। अन्त में विद्रोही नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कड़ी यातनाएं दी गईं।

5. मुण्डा जाति का दूसरा विद्रोह-मुण्डा कबीला बिहार का एक प्रसिद्ध कबीला था। ब्रिटिश काल में बहुत से गैर-कबिलाई लोग कबायली प्रदेशों में आकर बस गये थे। उन्होंने कबिलाई लोगों से उनकी ज़मीन छीन ली थी। इसलिए इन लोगों को गैर-कबिलाई लोगों के पास मज़दूरी करनी पड़ती थी। तंग आकर मुण्डा लोगों ने अपने नेता बिरसा मुण्डा के अधीन विद्रोह कर दिया। प्रमुख विद्रोह 1899-1900 ई० में रांची के दक्षिणी प्रदेश में शुरू हुआ। इस विद्रोह का मुख्य उद्देश्य वहां से अंग्रेज़ों को भगाकर मुण्डा राज्य स्थापित करना था।
बिरसा मुण्डा ने उन गैर-कबिलाई लोगों के विरुद्ध धरना दिया जिन्होंने मुण्डा लोगों की जमीनें छीन ली थीं। मुण्डा लोग साहूकारों तथा ज़मींदारों से घृणा करते थे, क्योंकि वे उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। बिरसा मुण्डा ने मुण्डा किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों का किराया चुकाने से इन्कार कर दें।

मुण्डा लोगों ने अंग्रेज़ अधिकारियों,मिशनरियों  तथा पुलिस स्टेशनों को अपना निशाना बनाया। परन्तु अंग्रेज़ों ने बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार कर लिया और उसके विद्रोह को दबा दिया।

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