Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव
SST Guide for Class 8 PSEB सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Questions and Answers
I. खाली स्थान भरें :
1. सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक न्याय देने का वायदा ………. में किया गया है।
2. प्रस्तावना भारतीय नागरिकों को …………. न्याय देने का वायदा करती है।
3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ……… से ……… धार्मिक स्वतन्त्रता दी गई है।
4. भारत में लगभग ………….. से ज्यादा जातियां हैं।
5. भारतीय संविधान में ………… भाषाओं को मान्यता दी गई है।
6. मण्डल कमीशन की स्थापना ………… में की गई थी।
7. मण्डल कमीशन ने भारत में ………… अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की पहचान की है
उत्तर-
- प्रस्तावना
- सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक
- 25, 28
- 3,000
- 22
- 1978
- 3743.
II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :
1. सामाजिक असमानताएँ लोकतन्त्रीय सरकार को प्रभावित नहीं करती हैं। – (✗)
2. भारत में आज 54% लोग अनपढ़ है। – (✗)
3. हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। – (✓)
4. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण आज भी लागू है। – (✓)
5. 73वीं और 74वीं शोध गांवों और शहरी स्वै-शासन का प्रबन्ध करती है। – (✓)
6. आज भारतीय समाज में सामाजिक असमानताएं खत्म हो रही हैं। – (✓)
III. विकल्प वाले प्रश्न :
प्रश्न 1.
“भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।” ये शब्द किसने कहे ?
(क) महात्मा गांधी
(ख) पं० जवाहर लाल नेहरू
(ग) श्री जय प्रकाश नारायण
(घ) डॉ० बी० आर० अंबेडकर।
उत्तर-
श्री जय प्रकाश नारायण
प्रश्न 2.
भारतीयों को सामाजिक न्याय देने के लिए संविधान में कौन-सा मौलिक अधिकार दर्ज किया गया ?
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ख) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ग) समानता का अधिकार
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
समानता का अधिकार
प्रश्न 3.
‘पढ़ो सारे बढ़ो सारे’ यह किस का सिद्धान्त (Motto) है ?
(क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
(ख) सर्वशिक्षा अभियान
(ग) राष्ट्रीय साक्षरता मिशन
(घ) पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड।
उत्तर-
सर्वशिक्षा अभियान
प्रश्न 4.
सरकारी नौकरियों में आरक्षण किनके लिए लागू है ?
(क) अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए
(ख) केवल पिछड़ी श्रेणियों के लिए
(ग) केवल गरीब लोगों के लिए
(घ) अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी श्रेणियों के लिए।
उत्तर-
अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :
प्रश्न 1.
सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
हमारे समाज में जाति, सम्प्रदाय, भाषा आदि के नाम पर अनेक असमानताएं पाई जाती हैं। इन्हें सामाजिक असमानता का नाम दिया जाता है। स्वतन्त्रता से पूर्व समाज में अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं था। अतः स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने सामाजिक समानता लाने के लिए विशेष पग उठाए। इसी उद्देश्य से संविधान में समानता के अधिकार का समावेश किया गया। इसके अनुसार किसी से ऊँच-नीच, धनी, निर्धन, रंग, नस्ल, जाति, जन्म, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता। छुआछूत को अवैध घोषित कर दिया गया है। इसका अनुसरण करने वालों को कानून द्वारा दण्ड दिया जा सकता है।
प्रश्न 2.
जातिवाद और छुआछूत से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जातिवाद-भारतीय समाज जाति के नाम पर भिन्न-भिन्न वर्गों में बंटा है। इन वर्गों में ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवाद कहते हैं।
छुआछूत-भारत में कुछ पिछड़ी जातियों के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। कुछ लोग उन्हें छूना भी पाप समझते हैं। इस प्रथा को छुआछूत कहा जाता है।
प्रश्न 3.
अनपढ़ता (निरक्षरता) किसको कहते हैं ?
उत्तर-
अनपढ़ता का अर्थ है-लोगों का पढ़ा-लिखा न होना। ऐसे लोगों को स्वार्थी राजनेता आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग एक तिहाई लोग अनपढ़ हैं।
प्रश्न 4.
भाषावाद से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
भाषावाद का अर्थ है-भाषा के नाम पर समाज का बंटवारा। भारत में सैंकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं। भाषा के आधार पर लोग बंटे हुए हैं। कई लोग अन्य भाषाएं बोलने वाले लोगों को अच्छा नहीं समझते। भाषा के आधार पर ही राज्यों (प्रांतों) का गठन किया गया है। अब भी भाषाओं के आधार पर कई भागों में नये प्रान्तों के . गठन की मांग की जा रही है। भाषा के आधार पर लोगों में वर्ग बने हुए हैं। लोग राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा प्रान्तीय भाषा तथा संस्कृति को प्राथमिकता देते हैं।
प्रश्न 5.
आरक्षण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
भारत में कुछ जातियां बहुत ही पिछड़ी हुई हैं क्योंकि इनका अन्य जातियों द्वारा शोषण होता रहा है। इन्हें अनुसूचित जातियों की संज्ञा दी गई है। इनके उत्थान के लिए लोकसभा, विधानसभा तथा नौकरियों में स्थान आरक्षित हैं। इसे आरक्षण कहा जाता है। 1978 में गठित किये गये मण्डल आयोग द्वारा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त अन्य पिछड़े वर्गों के लिये जनसंख्या के अनुसार सीटें आरक्षित किये जाने का सुझाव दिया गया था, परन्तु इस रिपोर्ट को आज तक भी लागू नहीं किया जा सका। समय-समय पर लोकसभा तथा विधान सभाओं में स्त्रियों के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित किये जाने की मांग होती रही है। वास्तव में भारत में आज भारतीय राजनीतिक प्रणाली को जाति की राजनीति प्रभावित कर रही है। श्री जय प्रकाश नारायण ने ठीक ही कहा था कि भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।
प्रश्न 6.
क्या मैला ढोने की प्रक्रिया बंद हो गई है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था। मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।
प्रश्न 7.
अनपढ़ता का लोकतन्त्र पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अनपढ़ता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। इसके लोकतन्त्र पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं :
- अनपढ़ता बहुत सी बुराइयों की जड़ है। इसी बुराई के कारण ही बेकारी, धार्मिक संकीर्णता, रूढ़िवाद, अन्धविश्वास, हीनता, क्षेत्रीयता, जातिवाद आदि भावनाएं उत्पन्न होती हैं।
- अनपढ़ व्यक्ति एक अच्छा नागरिक भी नहीं बन सकता। स्वार्थी राजनीतिज्ञ अनपढ़ व्यक्तियों को आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। इस प्रकार अनपढ़ता लोकतन्त्र के मार्ग में बाधा डालती है।
PSEB 8th Class Social Science Guide सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
सही जोड़े बनाइए :
1. छुआछूत कानूनी अपराध घोषित – 1979
2. मंडल आयोग का गठन – 1955
3. समानता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 25 से 28
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 14 से 18.
उत्तर-
- 1955
- 1979
- संविधान के अनुच्छेद 14 से 18
- संविधान के अनुच्छेद 25 से 28.
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में सम्मिलित तीन सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त कौन-से हैं जो सामाजिक समानता को सुनिश्चित करते हैं ?
उत्तर-
समानता, स्वतन्त्रता तथा धर्म-निरपेक्षता।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को कौन-कौन से तीन प्रकार के न्याय प्रदान करने की बात कही गई है?
उत्तर–
सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक।
प्रश्न 3.
सामाजिक असमानताओं के कोई चार प्रकार लिखिए।
उत्तर-
- साम्प्रदायिकता
- जातिवाद तथा छुआछूत
- भाषावाद
- अनपढ़ता।
प्रश्न 4.
भारतीय लोकतंत्र की कोई दो समस्याएं लिखो।
उत्तर-
- भारत में अधिकतर लोग निरक्षर हैं।
- साम्प्रदायिकता तथा भाषावाद भारतीय लोकतंत्र की सफलता में बाधा डालते हैं।
प्रश्न 5.
छुआछूत को कानूनी अपराध क्यों घोषित किया गया है ?
उत्तर-
छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। यह सफल लोकतन्त्र के मार्ग की बहुत बड़ी बाधा है। इसी कारण छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित किया गया है।
प्रश्न 6.
सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
उत्तर-
हमारी सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। देश भर में सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। आठवीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या में वृद्धि की गई है। शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है।
प्रश्न 7.
संविधान में कितनी भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है ? किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है?
उत्तर-
संविधान में 22 भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में साम्प्रदायिक असमानता पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
साम्प्रदायिकता सामाजिक असमानता का पहला रूप है। भारत में अनेक धर्म हैं। भिन्न-भिन्न धर्मों के कुछ लोगों में धार्मिक कट्टरता पाई जाती है जो साम्प्रदायिकता को जन्म देती है। परिणामस्वरूप साम्प्रदायिकता सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन का एक अंग बन चुकी है। इसी धार्मिक कड़वाहट के कारण ही 1947 में भारत को दो भागों में बांट दिया गया था। यह भी धार्मिक कट्टरता का ही परिणाम है कि देश में साम्प्रदायिक दंगे होते रहते हैं। यही कड़वाहट भारतीय राजनीति में भी है। धर्म के नाम पर वोट मांगे जाते हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जाता है। परिणामस्वरूप देश में समय-समय पर धार्मिक तनाव का वातावरण पैदा हो जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। इसके अनुसार सभी धर्मों को समान माना गया है। लोगों को किसी भी धर्म को अपनाने, मानने तथा प्रचार करने का अधिकार दिया गया है।
प्रश्न 2.
मैला ढोने की प्रथा क्या थी ? इसे क्यों समाप्त कर दिया गया है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था।
मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।
प्रश्न 3.
भारत के सीमान्त ग्रुपों (समूहों) की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
सीमान्त ग्रुप हमारे समाज के वे समूह हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक कारणों से एक लम्बे समय तक पिछड़े रहे हैं। इन समूहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-
- अनुसूचित जातियां-अनुसूचित जातियों की कोई स्पष्ट संवैधानिक परिभाषा नहीं है। हम इतना कह सकते हैं कि इन जातियों का सम्बन्ध उन लोगों से है जिनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता रहा है।
- अनुसूचित कबीले-अनुसूचित कबीलों की भी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। ये भी समाज के शोषित कबीले हैं। पिछड़ा होने के कारण ये समाज से अलग-थलग होकर रह गए।
- पिछड़ी श्रेणियां- इन्हें भी संविधान में परिभाषित नहीं किया गया है। वास्तव में ये समाज का कमजोर वर्ग है। मण्डल आयोग के अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 5.2% भाग पिछड़ी श्रेणियां हैं।
- अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक धार्मिक या भाषा की दृष्टि से वे लोग हैं जिनकी अपने धर्म या सम्प्रदाय में संख्या कम है।
प्रश्न 4.
साम्प्रदायिक असमानता के प्रभाव वर्णित करें।
उत्तर-
साम्प्रदायिक असमानता के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- राजनीतिक दल धर्म के आधार पर संगठित होते हैं।
- धर्म पर आधारित कई दबाव समूह भारतीय लोकतन्त्र को प्रभावित करते हैं।
- साम्प्रदायिकता भारतीय जनजीवन में हिंसा को बढावा दे रही है।
- मन्त्रिपरिषद् के निर्माण में धर्म विशेष को महत्त्व दिया जाता है।
- साम्प्रदायिकता लोगों को निष्पक्ष मतदान करने से रोकती है।
प्रश्न 5.
जातिवादी असमानता का अर्थ बताते हुए इसके प्रभाव लिखो।
उत्तर-
जातिवादी असमानता- भारत में तीन हज़ार से भी अधिक जातियों के लोग रहते हैं। इनमें जाति के नाम पर ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवादी असमानता कहते हैं। इस असमानता के कारण कुछ जातियों के लोगों को सार्वजनिक कुओं का प्रयोग नहीं करने दिया जाता। उन्हें मन्दिरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी जाने से रोका जाता है। जाति के नाम पर राजनीति होती है तथा विभिन्न राजनीतिक दल जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काते रहते हैं।
प्रभाव-
- राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हो रहा है।
- चुनाव के समय जाति के नाम पर वोट मांगे जाते हैं।
- अनुसूचित जातियों को विशेष सुविधायें प्रदान करने की व्यवस्था ने समाज का जातिकरण कर दिया है।
- जाति के कारण छुआछूत जैसी अमानवीय प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
- कई बार जाति संघर्ष तथा हिंसा का कारण बनती है।
- जाति पर आधारित दबाव समूहों का निर्माण होता है जो लोकतन्त्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
प्रश्न 6.
क्या छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। इस प्रथा के कारण भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग का शताब्दियों से शोषण होता रहा है। उनसे घृणा की जाती रही है। यहां तक कि उन्हें छूना भी पाप समझा जाता रहा है। छुआछूत के प्रभावों से यह स्पष्ट हो जायेगा कि यह वास्तव में ही एक अमानवीय प्रथा है।
प्रभाव :
- छुआछूत की प्रथा सामाजिक असमानता को जन्म देती है।
- छुआछूत से लोगों में हीन भावना पैदा होती है।
- यह प्रथा हिंसा को जन्म देती है।
- बहुत-से लोगों को राजनीतिक शिक्षा नहीं मिलती।
- छुआछूत के कारण लोगों को राजनीति में प्रवेश नहीं करने दिया जाता। इन सब बातों को देखते हुए भारतीय संविधान द्वारा छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है।
प्रश्न 7.
भाषावाद के क्या प्रभाव होते हैं ?
उत्तर-
- भाषा के आधार पर नये राज्यों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
- भाषा के आधार पर ही राजनीतिक दलों का गठन हो रहा है।
- भाषा के आधार पर ही आन्दोलन चल रहे हैं।
- भाषा क्षेत्रवाद तथा साम्प्रदायिकता को उत्साहित करती है।
- भाषा के आधार पर लोगों में भेदभाव तथा हिंसा उत्पन्न होती है।
- भाषावाद मतदान को प्रभावित करता है।