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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा
→ सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है।
→ जीवित रहने के लिए सजीवों को अनेक मूलभूत गतिविधियाँ करनी पड़ती हैं जिसके लिए उसे ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा उसे भोजन से प्राप्त होती है।
→ मशीनों को भी कार्य करने के लिए पेट्रोल, डीज़ल जैसे ईंधनों से ऊर्जा प्राप्त होती है।
→ दैनिक जीवन में हम किसी भी लाभदायक शारीरिक या मानसिक परिश्रम को कार्य समझते हैं।
→ विज्ञान के दृष्टिकोण से कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है :
- वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए तथा
- वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।
→ किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
→ जब बल, विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
→ जब बल, विस्थापन की दिशा में होता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है।
→ हमारे लिए सूर्य सबसे बड़ा प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत है। इसके अतिरिक्त हम परमाणुओं के नाभिकों से, पृथ्वी के आंतरिक भागों से तथा ज्वार-भाटा से भी ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
→ यदि किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता हो तो कहा जाता है कि वस्तु में ऊर्जा है।
→ जो वस्तु कार्य करती है उसमें ऊर्जा की हानि होती है और जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसमें ऊर्जा की वृद्धि होती है।
→ ऊर्जा अनेक रूपों में विद्यमान है जैसे गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, उष्मीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा ।
→ किसी भी वस्तु की स्थितिज तथा गतिज ऊर्जा के योग को वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
→ किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
→ किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है।
→ वस्तु को ऊँचाई पर उठाने से उसकी ऊर्जा गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कार्य करने से गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा होती है।
→ हम ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण कर सकते हैं।
→ ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है, न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश । रूपांतरण से पहले तथा रूपांतरण के बाद कुल ऊर्जा सदैव अचर होती है।
→ कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।
→ शक्ति का मात्रक वाट है।
→ 1 किलोवाट = 1000 वाट
→ 1 वाट उस अभिकर्ता (एजेंट) की शक्ति है जो 1 सेकेण्ड में 1 जूल कार्य करता है।
→ ऊर्जा का मात्रक जूल है परंतु यह बहुत छोटा मात्रक है। इसका बड़ा मात्रक किलोवाट घंटा (kwh) है।
1 kWh = 3.6 × 106 J
→ उद्योगों तथा व्यावसायिक संस्थानों में व्यय होने वाली ऊर्जा किलोवाट घंटा में व्यक्त होती है जिसे यूनिट कहते हैं।
→ ऊर्जा (Energy)-कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
→ गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)-वस्तुओं में उनकी गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं, जैसे गतिशील वायु, गतिशील जल आदि।
→ स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)-किसी वस्तु की स्थिति या विकृति के कारण कार्य करने की क्षमता स्थितिज ऊर्जा कहलाती है, जैसे खींचा हुआ तीर कमान, पहाड़ों पर जमी हुई बर्फ आदि।
→ ऊर्जा संरक्षण नियम (Conservation Law of Energy)-ऊर्जा को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है, उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
→ जूल (Joule)-यदि एक न्यूटन (N) बल एक किलोग्राम भारी किसी वस्तु को एक मीटर की दूरी तक विस्थापित कर दे तो एक जूल कार्य होता है।
→ शक्ति (Power)-जिस दर पर ऊर्जा उपलब्ध की जाए या खर्च की जाए, उसे शक्ति (Power) कहते हैं। शक्ति का मात्रक वा (W) है।
→ वाट (Watt)-यदि कोई स्रोत एक सैकंड में एक जूल ऊर्जा उपलब्ध कराए या खर्च करे तो उस स्रोत की शक्ति एक वाट होती है।
→ कार्य (Work)-जब बल लगाने से कोई वस्तु अपने स्थान से विस्थापित हो जाती है तो इसको बल द्वारा किया गया कार्य कहा जाता है।
कार्य = बल × विस्थापन