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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं
→ भूकंप तथा तटवर्ती भाग को प्रभावित करने वाले चक्रवात आसपास के लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
→ ‘स्वास्थ्य’ वह अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्य समुचित क्षमता से उचित प्रकार किया जा सके।
→ हमारा सामाजिक पर्यावरण हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
→ स्वास्थ्य के लिए भोजन, अच्छी आर्थिक परिस्थितियां तथा कार्य आवश्यक हैं।
→ सामुदायिक समस्याएं हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
→ जब कोई रोग होता है तब शरीर के एक या अनेक अंगों एवं तंत्रों में क्रिया या संरचना में खराबी दिखाई देने लगती है।
→ जो रोग लंबी अवधि तक रहते हैं उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।
→ जो रोग कम अवधि तक रहते हैं उन्हें तीव्र रोग कहते हैं।
→ दीर्घकालिक रोग तीव्र रोग की अपेक्षा स्वास्थ्य पर लंबे समय तक विपरीत प्रभाव बनाए रखता है।
→ जिन रोगों के तात्कालिक कारण सूक्ष्मजीव होते हैं उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।
→ कैंसर रोग आनुवांशिक असामान्यता के कारण होते हैं; अधिक वज़न और व्यायाम न करने से उच्च रक्तचाप होता है-पर ये संक्रामक रोग नहीं हैं।
→ हेलीको बैक्टर पायलौरी नामक बैक्टीरिया पेप्टिक व्रण का कारण होता है।
→ खांसी-जुकाम, इंफ्लुएंजा, डेंगु बुखार, AIDS आदि रोग वायरस से होते हैं। टायफॉयड, हैज़ा, क्षय रोग, एंथ्रेक्स आदि बैक्टीरिया से होते हैं। अनेक त्वचा रोग विभिन्न प्रकार की फंजाई से होते हैं। प्रोटोज़ोआ से मलेरिया तथा कालाजार होते हैं तथा फीलपांव नामक रोग कृमि की विभिन्न स्पीशीज़ से होता है।
→ वाइरस, बैक्टीरिया तथा फंजाई का गुणन अत्यंत तेज़ी से होता है।
→ कोई औषधि किसी एक जैव क्रिया को रोकती है तो इस वर्ग के अन्य सदस्यों को भी प्रभावित करती है पर वही औषधि अन्य वर्ग से संबंधित रोगाणुओं पर प्रभाव नहीं डालती।
→ वायु से फैलने वाले रोग हैं-खांसी-जुकाम, निमोनिया तथा क्षय रोग।
→ संक्रमित जल से रोग फैलते हैं।
→ सिफलिस, AIDS आदि रोग लैंगिक संपर्क से स्थानांतरित होते हैं।
→ कुछ रोग मच्छर जैसे अन्य जंतुओं द्वारा संचारित होते हैं।
→ सूक्ष्म जीव की विभिन्न स्पीशीज शरीर के विभिन्न भागों में विकसित होती हैं। हवा से नाक में प्रवेश करने पर वे फेफड़ों में जाते हैं या मुँह के द्वारा प्रवेश करने से आहार नाल में जाते हैं।
→ HIV लैंगिक अंगों से शरीर में प्रवेश करता है पर लसीका ग्रंथियों में फैलता है। जापानी मस्तिष्क ज्वर का वायरस मच्छर के काटने से शरीर में पहुंचता है पर मस्तिष्क को संक्रमित करता है।
→ HIV-AIDS के कारण शरीर छोटे संक्रमणों का मुकाबला नहीं कर पाता, जो रोगी की मृत्यु का कारण बनते हैं।
→ रोगों के निवारण की दो विधियां हैं-सामान्य और विशिष्ट।
→ संक्रामक रोगों से बचने के लिए स्वच्छता आवश्यक है।
→ हमारे शरीर में स्थित प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं से लड़ता है। विशिष्ट कोशिकाएं रोगाणुओं को मार देती हैं।
→ संक्रामक रोगों से बचने के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक भोजन आवश्यक है।
→ विश्व भर से चेचक का उन्मूलन किया जा चुका है। चेचक के एक बार हो जाने के बाद पुनः इससे ग्रसित होने की संभावना नहीं रहती। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।
→ टेटनस, डिप्थीरिया, कूकर खांसी, चेचक, पोलियो आदि से बचने के टीके अब उपलब्ध हैं।
→ हिपेटाइटिस ‘A’ का टीका अब देश में उपलब्ध है। पांच वर्ष की आयु तक के अधिकांश बच्चों में पानी से ही इसके वायरस के प्रभाव में आ चुका होता है।
→ स्वास्थ्य (Health)-स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य समुचित क्षमता से उचित प्रकार किया जा सके।
→ तीव्र रोग (Acute Disease)-जिस रोग की अवधि कम होती है उसे तीव्र रोग कहते हैं।
→ दीर्घकालिक रोग (Chronic Disease) -जो रोग लंबी अवधि तक अथवा जीवनपर्यंत रहते हैं उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।
→ संक्रामक/संचरणीय रोग (Communicable diseases)-ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, सूक्ष्म जीवों, जीवाणुओं, विषाणुओं तथा प्रोटोज़ोआ द्वारा फैलते हैं।
→ असंक्रामक/असंचरणीय रोग (Non-Communicable diseases)-ये उपार्जित रोग हैं तथा ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलते।
→ प्रतिरक्षी (Antibodies)-जो पदार्थ शरीर में रोगों से लड़ते हैं और हमारी रोगों से रक्षा करते हैं, उन्हें प्रतिरक्षी कहते हैं।
→ हीनता-जन्य रोग (Deficiency diseases)-पर्याप्त तथा संतुलित आहार न मिलने के कारण होने वाले रोग को हीनता-जन्य रोग कहते हैं।
→ कुपोषण (Malnutrition) हीनता-जन्य रोगों से उत्पन्न स्थिति को कुपोषण कहते हैं जो कम आहार तथा असंतुलित आहार के कारण होता है।
→ एलर्जी (Allergy)-इस रोग में किसी एक व्यक्ति में किसी विशेष पदार्थ के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न हो जाती है।
→ आनुवंशिक रोग (Hereditary diseases)-ये रोग माता-पिता से संतान में स्थानांतरित होते हैं।
→ टीकाकरण (Vaccination)-रोगों की रोकथाम के लिए टीका लगवाना टीकाकरण है। यह रोकथाम का एक अच्छा उपाय है।