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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 प्राकृतिक संपदा
→ पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन विद्यमान है।
→ जीवन के लिए परिवेश, ताप, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है।
→ जीवों के लिए सूर्य से ऊर्जा और पृथ्वी पर उपलब्ध संपदा आवश्यक है।
→ पृथ्वी की संपदाएं स्थल, जल और वायु हैं।
→ पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग स्थल मंडल है और 75% भाग पानी है।
→ सजीव जीव मंडल के जैविक घटक हैं तथा हवा, जल और मिट्टी अजैविक घटक हैं।
→ हमारा जीवन वायु के घटकों का परिणाम है।
→ चंद्रमा की सतह पर वायु मंडल नहीं है और उसका तापमान – 190°C से 110°C के बीच होता है।
→ गर्म होने पर वायु में संवहन धाराएं उत्पन्न होती हैं।
→ जल की अपेक्षा स्थल जल्दी गर्म होता है इसलिए स्थल के ऊपर वायु भी तेजी से गर्म होती है।
→ दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर तथा रात के समय स्थल से समुद्र की ओर होती है।
→ हवा को पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पर्वत श्रृंखलाएं भी प्रभावित करती हैं।
→ वर्षा का प्रकार पैटर्न पवन के पैटर्न पर निर्भर करता है।
→ भारत में वर्षा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण आती है।
→ हवा के गुण सभी जीवों को प्रभावित करते हैं।
→ ईंधनों के जलने से दूषित गैसें उत्पन्न होती हैं जो वर्षा के पानी में मिलकर अम्लीय वर्षा करती हैं।
→ निलंबित कण अनजले कार्बन कण या पदार्थ हो सकते हैं जिसे हाइड्रो कार्बन कहते हैं।
→ दूषित वायु में सांस लेने से कैंसर, हृदय रोग या एलर्जी जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
→ पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला अधिकतर पानी समुद्रों और महासागरों में है।
→ शुद्ध पानी बर्फ के रूप में दोनों ध्रुवों और बर्फ से ढके पहाड़ों पर पाया जाता है। भूमिगत जल, नदियोंझीलों-तालाबों का पानी भी अलवणीय होता है।
→ सभी जीवित प्राणियों के जीवन के लिए मीठे पानी की आवश्यकता होती है।
→ जीवन की विविधता को मिट्टी प्रभावित करती है। मिट्टी में पाए जाने वाले खनिज जीवों को विभिन्न प्रकार से सहायता प्रदान करते हैं।
→ सूर्य, जल, हवा तथा जीव-जंतु मिट्टी की रचना में सहायक हैं।
→ मिट्टी के प्रकार का निर्णय उसमें पाए जाने वाले कणों के औसत आकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
→ मिट्टी के गुण ह्यूमस की मात्रा तथा उसमें सूक्ष्म जीवों के आधार पर जाँचे जाते हैं।
→ विशेष पत्थरों से बनी मिट्टी उसमें विद्यमान खनिज पोषक तत्वों को प्रकट करते हैं।
→ आधुनिक पीड़कनाशकों और उर्वरकों ने मिट्टी की संरचना बिगाड़ी है।
→ नाइट्रोजन वायुमंडल का लगभग 78% भाग है। यह प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, DNA, RNA और विटामिन के लिए आवश्यक है।
→ कार्बन का विभिन्न भौतिक और जैविक क्रियाओं के द्वारा चक्रण होता है।
→ ग्रीन हाऊस प्रभाव के कारण वायुमंडल और सारे विश्व का औसत तापमान बढ़ जाएगा।
→ ऑक्सीजन वायुमंडल में लगभग 21% है। इसका प्रयोग श्वसन, दहन और नाइट्रोजन के ऑक्साइड के रूप में होता है।
→ वायुमंडल के ऊपरी भाग में ऑक्सीजन के तीन अणु (O3) पाए जाते हैं जिसे ओज़ोन कहते हैं।
→ यह सूर्य के हानिकारक विकिरणों को सोखता है और पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है।
→ अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र पाया गया है जिससे पृथ्वी को बहुत क्षति होने की आशंका है।
→ क्षय प्राकृतिक संसाधन (Exhaustible Resources)-ऐसे संसाधन जो मनुष्यों की क्रियाओं द्वारा समाप्त हो रहे हैं। जैसे-वन, मिट्टी, खनिज तथा वन्य जीवन ।
→ अक्षय प्राकृतिक संसाधन (Inexhaustible Resources)-ऐसे संसाधन जो मनुष्यों की क्रियाओं द्वारा समाप्त नहीं हो सकते। जैसे—सूर्य का प्रकाश, समुद्र आदि।
→ नवीकरणीय स्रोत (Renewable Resources)-ऐसे स्रोत जिनका प्रकृति में चक्रीकरण हो सकता है, उन्हें नवीकरणीय स्रोत कहते हैं। उदाहरण-लकड़ी तथा जल।
→ अनवीकरणीय स्रोत (Non-renewable Resources)-ऐसे स्रोत जिनका चक्रीकरण नहीं हो सकता जो एक बार प्रयोग करने के बाद समाप्त हो जाते हैं, उन्हें अनवीकरणीय स्रोत कहते हैं। उदाहरण-लकड़ी, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।
→ भूमिगत जल (Underground Water)-यह जल भूमि के नीचे होता है।
→ भूपृष्ठ (Crust)-पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को पृष्ठ कहते हैं।
→ खनिज संसाधन (Mineral Resources)-ये भूमि में स्थित खनिज तथा धातुओं के भंडार हैं।
→ वायुमंडल (Atmosphere)-धरती को चारों ओर से घेरे हुए वायु का आवरण वायुमंडल कहलाता है।
→ प्रदूषण (Pollution)-धूलकण, धुआं तथा हानिकारक गैसों का अनैच्छिक रूप से वायु मिलना प्रदूषण कहलाता है।
→ अम्लीय वृष्टि (Acid Rain)-प्रदूषित वायु जिसमें अम्लीय ऑक्साइडों से उत्पादित अम्ल उपस्थित हों, अम्लीय वृष्टि कहते हैं।
→ धुआं (Smoke) यह ईंधन के अपूर्ण दहन से प्राप्त हुए कार्बन, राख तथा तेल के कणों का बना होता है।
→ कोहरा (Fog) यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें बहुत छोटे जल कण वायु में निलंबित अवस्था में उपस्थित होते हैं।
→ ऐरोसॉल (Aerosols)-वायु में उपस्थित द्रव्यों के बारीक कणों को ऐरोसॉल कहते हैं।
→ कणकीय पदार्थ (Particulates)-वायु में उपस्थित निलंबित ठोस अथवा द्रव पदार्थ की असतत संहति को कणकीय पदार्थ कहते हैं।
→ फ्लाई ऐश (Fly Ash)-जीवाश्मी ईंधन के दहन के कारण उत्पन्न गैसों के साथ राख के निकलने वाले छोटे-छोटे कणों को फ्लाई ऐश कहते हैं।
→ ग्रीन हाऊस प्रभाव (Green House Effect)-पृथ्वी से परावर्तित अवरक्त विकिरणें कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा सोख ली जाती हैं, जिसके फलस्वरूप वायुमंडल गर्म हो जाता है और उसका ताप बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया को ग्रीन हाऊस प्रभाव कहते हैं।
→ मृदा (Soil)-पृथ्वी की ऊपरी सतह को मृदा कहते हैं जो चट्टानों के सूक्ष्म कणों, ह्यूमस, हवा और जल से मिल कर बनती है।
→ मृदा अपरदन (Soil Erosion)-मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत के अपने स्थान से हट जाने को मृदा अपरदन कहते हैं।
→ मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)-रासायनिक उर्वरकों तथा बेकार पदार्थों के मिट्टी में मिल जाने को मृदा प्रदूषण कहते हैं।
→ हाइड्रो कार्बन (Hydro Carbon)-कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने कार्बनिक यौगिकों को हाइड्रो कार्बनिक कहते हैं।