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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 4 परमाणु की संरचना
→ 19वीं शताब्दी तक जे० जे० टॉमसन ने पता लगाया कि परमाणु साधारण तथा अविभाज्य कण नहीं है परंतु इसमें एक अवपरमाणुक कण इलैक्ट्रॉन उपस्थित है।
→ इलैक्ट्रॉन की जानकारी से पहले ई० गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नई विकिरण की खोज की जिसका नाम “कैनाल रे” था।
→ कैनाल किरणें धन आवेशित थीं जिनके द्वारा धन आवेशित अवपरमाणुक कण प्रोटॉन का पता लगाया गया।
→ प्रोटॉन का आवेश, इलैक्ट्रॉन के आवेश के बराबर परंतु विपरीत प्रकृति का था। प्रोट्रॉन का द्रव्यमान इलैक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 2000 गुणा था।
→ साधारणतः प्रोटॉन को ‘p’ तथा इलैक्ट्रॉन को ‘e’ से प्रदर्शित किया जाता है।
→ प्रोटॉन का आवेश +1 तथा इलैक्ट्रॉन का आवेश -1 माना जाता है।
→ जे० जे० टॉमसन ने सुझाव दिया था कि परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता है तथा इलैक्ट्रॉन धन आवेशित गोले में फँसे होते हैं । ऋणात्मक तथा धनात्मक आवेश मात्रा में समान होते हैं, इसलिए परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।
→ अल्फा (α) कण दो आवेशित हीलियम कण \({ }_{2}^{4} \mathrm{He}\) होते हैं तथा वे धन आवेशित होते हैं।
→ रदरफोर्ड के अल्फा कणों के प्रकीर्णन प्रयोग ने परमाणु के न्यूक्लियस की खोज की।
→ ई० रदरफोर्ड को रेडियो एक्टिवता पर अपने योगदान तथा सोने की पत्री द्वारा परमाणु के नाभिक की खोज के लिए नोबल पुरस्कार मिला।
→ अपने प्रयोगों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया जिसके अनुसार परमाणु का केंद्र धन आवेशित होता है जिसे नाभिक कहते हैं। परमाणु का सारा द्रव्यमान इस भाग में उपस्थित होता है। नाभिक के चारों ओर इलैक्ट्रॉन निश्चित आर्बिट (पथों) में चक्कर लगाते हैं।
→ नील बोहर द्वारा दिया गया परमाणु मॉडल अधिक सफल था। उन्होंने सुझाव दिया कि इलैक्ट्रॉन न्यूक्लियस के चारों ओर तथा निश्चित ऊर्जा के साथ विभिन्न शैलों (कोशों) में बँटे होते हैं। यदि परमाणु का बाह्यतम कोश भर जाता है तो परमाणु स्थिर हो जाता है।
→ जे० चैडविक ने परमाणु के अंदर तीसरे अवपरमाणुक कण न्यूट्रॉन की खोज की। परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण-प्रोटॉन, इलैक्ट्रॉन तथा न्यूट्रॉन होते हैं। प्रोटॉन धन आवेशित, इलैक्ट्रॉन ऋण आवेशित तथा न्यूट्रॉन अनावेशित कण हैं । इलैक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का \(\frac{1}{1873}\) गुना होता है। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन का द्रव्यमान इकाई माना गया है।
→ परमाणु कोशों (शैलों) के अंदर से बाहर की ओर क्रमागत नाम K, L, M, N दिये गए हैं।
→ किसी तत्व की परमाणु संख्या उसके न्यूक्लियस में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होती है।
→ परमाणु की द्रव्यमान संख्या उसके न्यूक्लियस में उपस्थित न्यूक्लिऑन (प्रोटान + न्यूट्रॉन) की संख्या के बराबर होती है।
→ समस्थानिक एक ही तत्व के परमाणु हैं जिनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है।
→ विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या बराबर हो परंतु परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न हो, समभारिक कहलाते हैं।