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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई
→ सभी सजीव जो हमें आस-पास दिखाई देते हैं, जटिल संरचनाएं हैं जो तालमेल वाले असंख्य डिब्बों से बने होते हैं। इन डिब्बों को आमतौर पर कोशिका (Cell) कहा जाता है।
→ सजीव एक या अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं। इसलिए सजीवों में कोशिका जीवन की इकाई है।
→ कोशिका सजीवों की संरचना एवं कार्य की सबसे छोटी इकाई है।
→ कोशिका में जनन प्रक्रिया, उत्परिवर्तन त्था उत्तेजना प्रतिक्रिया आदि की योग्यता होती है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जीवन कोशिकाओं द्वारा ही कायम रहता है।
→ राबर्ट हुक ने सर्वप्रथम (1665 ई० में) कोशिकाओं को स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी द्वारा कॉर्क की पतली काट में देखा। उसने इन खाली कोष्ठकों को कोशिका (Cell) का नाम दिया। इसके पश्चात् एंटनीवोन ल्यूवेनहॉक ने (1674 में) प्रोटोज़ोआ, शुक्राणुओं, जीवाणुओं तथा लाल रक्त कोशिकाओं (Erythrocytes) का अध्ययन किया।
→ जैव संगठन का सबसे उच्च स्तर जीवमंडल है। इसमें संसार के सभी जीवित पदार्थ शामिल हैं।
→ सभी जीवों में समान संगठन होता है। सजीव जगत् में संगठन के विभिन्न स्तर होते हैं। संगठन के विभिन्न स्तरों को निम्नलिखित अनुसार प्रदर्शित किया जा सकता हैपरमाणु → अणु → कोशिका → ऊतक → अंग → अंग तंत्र → जीव
→ राबर्ट हुक ने (1665) में स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी द्वारा कॉर्क की पतली काट का अध्ययन किया। उसने केवल मृत कोशिकाओं को देखा जो कि कोशिका भित्ति द्वारा घिरी हुई थीं। इनमें केवल वायु भरी हुई थी।
→ इसके पश्चात् 1831 में राबर्ट ब्राऊन ने आर्किड पौधों की कोशिकाओं में केंद्रक की खोज की। परकिंजे ने 1839 में कोशिका के इस जीवित द्रव पदार्थ को जीवद्रव्य (Protoplasm) का नाम दिया।
→ एक कोशिका से पूर्ण शरीर बनता है। कुछ जीव एक कोशिकीय तथा कुछ जीव बहुकोशिकीय होते हैं। जीवाणु एक कोशिकीय जीव हैं। क्लेमाइडोमोनास एक कोशिकीय शैवाल हैं। अमीबा, पैरामीशियम तथा यूग्लीना एक कोशिकीय जीव हैं।
→ उच्च पौधों तथा जंतुओं का शरीर अनेकों कोशिकाओं का बना होता है। इन्हें बहकोशिकीय जीव कहते हैं। हाइड्रा, स्पंज, पुष्पी पादप आदि बहुकोशिकीय जीव हैं। परंतु इन सभी का जीवन एक कोशिका से ही प्रारंभ होता है।
→ कोशिका जीवन की मूल इकाई है। जीव की सभी क्रियाएं जैसे कि जनन, उपापचय, चेतनता, प्रचलन आदि कोशिकाओं द्वारा ही होती हैं।
→ मनुष्य में कोशिकाओं की संख्या एक से 100 अरबों तक होती है। कुछ गेंदनुमा जीवाणु 0.2 से 0.5 माइक्रॉन तक छोटे होते हैं। (1 माइक्रॉन = \(\frac {1}{1000}\) मि० मी०) होता है। कुछ तंत्रिका कोशिकाएं कई फीट तक लंबी होती हैं। कोशिकाओं का माप 5 माइक्रॉन से 30 माइक्रॉन तक होता है।
→ कोशिकाएं जीवन की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई हैं। कोशिकाओं की विभिन्न आकृतियां होती हैं। कुछ कोशिकाएं जैसे अमीबा अपने आकार को लगातार बदलती रहती हैं। कोशिकाओं के निम्नलिखित भाग होते हैं-
कोशिका भित्ति (Cell Wall)- यह बाह्य आवरण अजीवित पदार्थ सेल्यूलोज़ की बनी होती है। यह जल के लिए पारगम्य होती है। यह कोशिका को आकार प्रदान करती है। यह कोशिका की सुरक्षा करती है तथा ऊतकों को मजबूत और दृढ़ बनाती है।
कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)-पादप कोशिका में कोशिका भित्ति के नीचे तथा जंतु कोशिका में सबसे बाहरी आवरण कोशिका झिल्ली का बना होता है। यह लिपिड, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट की बनी हुई होती है।
जीव द्रव्य (Protoplasm)-कोशिका भित्ति और कोशिकीय झिल्ली के नीचे पाए जाने वाले पदार्थ को जीव द्रव्य (Protoplasm) कहते हैं। यह चिपचिपा, अल्प पारदर्शी, गाढ़ा तथा अर्ध ठोस पदार्थ है। इसके दो भाग होते हैं-
- कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) तथा
- केंद्रक (Nucleus) ।
कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)- यह अर्ध तरल जैलीनुमा कोशिका का जीवित भाग है। यह स्वभाव में कोलायडी होता है। यह कोशिका के सभी जैविक कार्य संपन्न करता है।
केंद्रक (Nucleus)- यह कोशिका के केंद्र में पायी जाती है। (इसके चारों ओर अपनी एक झिल्ली होती है।) केंद्रक में केंद्रक द्रव्य, केंद्रिका तथा गुण-सूत्र पाए जाते हैं। गुणसूत्र जीनों के वाहक होते हैं।
→ केंद्रक के बाहर नलिका रूपी संरचनाएं पाई जाती हैं। जिन्हें अंतः द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) कहते हैं। कुछ के किनारों पर राइबोसोम होते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।
→ गुण-सूत्र जीन के वाहकों कम करते हैं।
→ क्लोरोप्लास्ट केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं। जंतु कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट नहीं होते।
→ कोशिकाओं में माइटोकांड्रिया (Mitochondria) पाए जाते हैं। यह भोजन का संपूर्ण ऑक्सीकरण करते हैं जिससे कोशिका को बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है। इसी कारण से इन्हें कोशिका का पावर हाऊस भी कहा जाता है।
→ इसके अतिरिक्त कोशिका में गाल्जीकाय पदार्थ (Golgi bodies), धानियां (Vacuoles), कोशिका रस (Cell Sap), लवण तथा वर्णक (Pigments) भी पाए जाते हैं।
→ जंतु कोशिकाओं तथा जीवाणु कोशिकाओं की सतह पर कुछ बारीक संरचनाएं होती हैं जिन्हें सिलिया (Cilia) कहते हैं।
→ असीमकेंद्री कोशिकाएं (Prokaryotic cells)-इन कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता। इसे न्यूक्लीओइड (Nucleoid) कहते हैं। केंद्रक कला अनुपस्थित होती है।
उदाहरण – जीवाणु तथा सायनो बैक्टीरिया।
→ समीमकेंद्री कोशिकाएं (Eukaryotic cells)-इनमें केंद्रक स्पष्ट रूप में पाया जाता है जो केंद्रक कला द्वारा घिरा होता है। इनमें कोशिका द्रव्य तथा केंद्रक स्पष्ट होते हैं। उदाहरण-जंतु तथा पादप कोशिकाएं।
→ अंगक (Organelles)-यह सूक्ष्म कोशिका द्रव्यी संरचनाएं हैं जो विभिन्न कार्य संपन्न करती हैं।
→ ल्यूकोप्लास्ट (Leucoplast)-ऐसे रंगहीन लवण जिनमें प्रोटीन, लिपिड तथा मांड का संचय होता हो, उन्हें ल्यूकोप्लास्ट कहते हैं।
→ तारक केंद्र (Centriole)-जंतु कोशिका में पाई जाने वाली बिंदुनुमा संरचना जो कोशिका विभाजन में भाग लेती है, इसे तारक केंद्र कहते हैं।
→ जीन (Genes)-क्रोमोसोमों पर स्थित विशेष इकाइयां, जो गुणों को नियंत्रित करती हैं तथा आनुवंशिकता के लिए उत्तरदायी हैं, उन्हें जीन कहते हैं।
→ लाइसोसोम (Lysosome)-यह एक सूक्ष्म एकहरी झिल्ली युक्त पाचक विकरों से भरी थैलीनुमा संरचना है। इन्हें आत्मघाती थैलियां भी कहते हैं।
→ डी० एन० ए० (D.N.A.)-यह यूकैरियोटिक कोशिकाओं के केंद्रक में पाया जाने वाला एक डीऑक्सी राइबोन्यूकिलिक अम्ल है।
→ आर० एन० ए० (R.N.A.)-यह राइबोन्यूकिलिक अम्ल है जो मुख्य रूप से न्यूकलियो प्रोटीन के एक सूत्र का बना होता है। यह आनुवंशिका सूचना के कोशिका में प्रदर्शन से संबंध रखता है।
→ एस्टर (Aster)-पश्चावस्था के दौरान प्रत्येक कोशिकीय ध्रुव से निकलने वाले सूक्ष्म नलिका रेशे के समूह ।
→ बाइवेलेंट (Bivalent) एक होमोलोगस क्रोमोसोम का जुड़ा हुआ जोड़ा।
→ सैंट्रोमीयर (Centromere)-दो समान क्रोमेटिड का जुड़ने का बिन्दु और क्रोमोसोम का तुर्क रेशे से जुड़ने का स्थान।
→ क्रोमेटिड (Chromatid)-क्रोमोसोम के दो समान लंबाकार अर्ध भागों में से एक।
→ क्रोसिंग ओवर (Crossing Over)-वह प्रक्रिया जिसमें होमोलोगस क्रोमोसोम के असमान क्रोमेटिड के बीच जीनों (Genes) का आदान-प्रदान होता है।
→ क्याज्मा (Chiasma)-क्रोसिंग ओवर के कारण पूर्वावस्था-1 में दो क्रोमेटिड का क्रोसिंग होना।
→ डिप्लोइड (Diploid)-एक जीव जिसमें क्रोमोसोम के दो पूर्ण सैट हों। इसको 2N द्वारा प्रदर्शित करते हैं। यह कायिका कोशिकाओं का लक्षण है।
→ हेप्लोइड (Haploid)-वह जीव अथवा कोशिका जिसमें क्रोमोसोम का एक ही सैट हो। इसको N से भी प्रदर्शित करते हैं। यह युग्मकों का लक्षण है।
→ होमोलोगस क्रोमोसोम (Homologous Chromosome)-क्रोमोसोम का एक समान माप और आकार का जोड़ा जिस पर किसी लक्षाः को नियंत्रित करने वाले जीन (Genes) होते हैं। ऐसे जोड़े का एक सदस्य दोनों जनकों में से किसी एक को प्राप्त होता है।