This PSEB 9th Class Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता will help you in revision during exams.
PSEB 9th Class Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता
→ पृथ्वी पर लगभग 10 मिलियन सजीवों की जातियां पायी जाती हैं। परंतु इनके 1/3 भाग की ही अभी तक पहचान हो चुकी है।
→ सभी सजीव संरचना, आकार तथा जीने के ढंग अनुसार एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
→ सजीवों की विभिन्नता या विविधता का अध्ययन करने के लिए उनके समूह बनाना, उनके विकास के संबंधों को स्थापित करना तथा प्रत्येक सजीव को जैविक नाम देना आसान होता है।
→ ‘वर्गीकी’ (Taxonomy) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जीवों के वर्गीकरण तथा उनके विकास संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
→ वर्गीकरण में जीवधारियों को उनके संबंधों के आधार पर विभिन्न समूहों में विभाजित किया जाता है।
→ लिनियस को वर्गीकी का जनक कहा जाता है। उसने नामकरण की द्विनाम पद्धति विकसित की तथा जीवों को दो जगतों में विभाजित किया।
→ लिनियस द्विविपद पद्यति के अनुसार सभी जीवों को वैज्ञानिक नाम दिए जाते हैं। प्रत्येक जंतु तथा पौधे को दो नाम दिए गए हैं। एक प्रजाती (Genus) का नाम तथा दूसरा जाति (Species) का नाम। प्रजाती नाम वंश का नाम होता है।
→ जगत् फाइलम, क्लास, आर्डर, फैमिली, वंश तथा जाति वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियां हैं।
→ पादप जगत् को क्रिप्टोगैमिया (Cryptogams) या फैनिरोगैमिया (Phanerogams) में विभाजित किया गया है। क्रिप्टोगैमिया में फाइलम थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा तथा टैरिडोफाइटा रखे गए।
→ पुष्पी पादप फाइलम स्पर्मेटोफाइटा (Phylum Spermatophyta) में शामिल किए गए।
→ जंतु जगत् (Animalia) में बहुकोशिकीय मेटाजोन शामिल हैं। इनमें श्रम विभाजन होता है। इनमें कुछ परजीवी भी होते हैं।
→ अरीढ़धारी (Invertibrates) जंतुओं को फाइलम प्रोटोजोआ, पोरीफेरा, सीलेंट्रेटा, प्लैटीहैलमिन्थीज, नीमेटोडा आर्थोपोडा, एनीलीडा, मोलस्का, एकाइनोडर्मेटा तथा हेमीकार्डेटा संघों में बांटा गया है।
→ प्रोटोजोआ का आकार निश्चित अथवा अनिश्चित होता है। ये स्वतंत्र जल में पाए जाते हैं तथा ये एक | कोशिकीय सूक्ष्मदर्शीय जंतु हैं।
→ पोरीफेरा बहुकोशिकीय जंतु हैं तथा इनकी देहभित्ति दो स्तरों की बनी होती है।
→ कार्डेट मत्स्य, उभयचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी में विभाजित किए गए हैं।
→ थैलोफाइटा में शैवाल तथा कवक शामिल हैं। शैवालों में क्लोरोफिल होता है तथा ये आत्मपोषी होते हैं। शैवाल एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय होते हैं। इनकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी हुई होती है।
→ कवकों में पर्णहरित नहीं होता तथा ये अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। ये परजीवी, मृतोपजीवी अथवा विषमपोषी होते हैं। इनकी कोशिका भित्ति काइटन अथवा कवक सेल्यूलोज अथवा दोनों की बनी हुई होती है।
→ लाइकेन कवक तथा शैवाल के परस्पर सहयोग से बनने वाले सहजीवी पौधे हैं। ये पौधों जैसे प्रतीत होती हैं।
→ एम्ब्रियोफाइटा में ब्रोयाफाइटा तथा ट्रेकियोफाइटा शामिल हैं। ट्रेकियोफाइटा को तीन वर्गों-फिलीसिनी, जिम्नोस्पर्मी तथा एंजियोस्पर्मी में बांटा गया है।
→ वर्गीकरण पद्धति (Systematics)-सजीवों की किस्मों, सजीवों की विभिन्नता तथा उनमें परस्पर विकास संबंधों के अध्ययन को वर्गीकरण पद्धति कहते हैं।
→ वर्गीकी (Taxonomy)-यह जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जीवों का वर्गीकरण किया जाता है।
→ स्पीशीज (Species)-निकट संबंध व संरचना वाले जीवों का समूह जो परस्पर लैंगिक जनन करके जनन में सक्षम संतानों को जन्म दे, उसे स्पीशीज कहते हैं।
→ निषेचन (Fertilization)-नर तथा मादा युग्मकों के संलयन की क्रिया को निषेचन कहते हैं।
→ वर्गीकरण (Classification)-संबंधों के आधार पर जीवों को समूहों में विकसित करने की पद्धति को वर्गीकरण कहते हैं।
→ दविनाम नामकरण (Binomial Nomenclature)-जंतुओं तथा पौधों को दो शब्दों जीन्स तथा स्पीशीज में नाम देने की पद्धति को दविनाम नामकरण कहते हैं।
→ द्विबीज पत्री (Dicotyledonous)-दो बीज पत्रों वाले आवृत बीजों को द्विबीज पत्री कहते हैं।
→ बीजांड (Ovule)-वह संरचना जिसमें पौधों में मादा गैमिटोफाइट होता है, उसे बीजांड कहते हैं।
→ गेमिटोफाइट (Gametophyte)-पौधों की अगुणित युग्मक उत्पन्न करने वाली अवस्था गेमिटोफाइट कहलाती है।
→ एक वर्षी (Annuals)-ऐसे पौधे जिनका जीवन चक्र एक-ही मौसम में पूरा हो, उन्हें एक वर्षी पौधे कहते हैं।
→ माइसीलियस (Mycelium)-कवक तंतुओं का जाल जो कवक का बीज भाग होता है, उसे माइसीलियस कहते हैं।
→ हाइफी (Hyphae)-कवक के वे तंतु जो एक या एक-से-अधिक कोशिकाओं के बने होते हैं, उन्हें हाइफी कहते हैं।
→ मृतोपजीवी (Saprophytes)-ऐसा जीव जो गली-सड़ी वस्तुओं से अपना भोजन प्राप्त करता है, उसे मृतोपजीवी कहते हैं।
→ नोटोकार्ड (Notochord)-यह एक ऐसी ठोस, बेलनाकार, छड़नुमा संरचना है जो वेक्युलेटिड कोशिकाओं की बनी हुई होती है।