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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम
→ गैलीलियो और आइजक न्यूटन ने वस्तुओं की गति के बारे में वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किए थे।
→ बल लगाकर स्थिर अवस्था में पड़ी किसी वस्तु को गति प्रदान की जा सकती है और गतिमान वस्तु को विराम अवस्था में लाया जा सकता है और उसी दिशा में भी परिवर्तन किया जा सकता है।
→ खींचने, धकेलने या ठोकर की क्रिया पर बल की अवधारणा आधारित है।
→ बल के प्रयोग से वस्तु का आकार या आकृति बदली जा सकती है।
→ बल दो प्रकार का होता है-
- संतुलित बल तथा
- असंतुलित बल।
→ किसी वस्तु पर लगे संतुलित बल वस्तु में गति उत्पन्न नहीं कर सकते।
→ जब किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगा होता है तो उस वस्तु में अवश्य ही गति उत्पन्न हो जाती है।
→ घर्षण बल धकेलने की विपरीत दिशा में कार्य करता है।
→ घर्षण के प्रभाव को कम करने के लिए चिकने समतल का प्रयोग तथा सतह पर लुब्रीकेंट का लेप किया जाता है।
→ S.I पद्धति में बल का मात्रक न्यूटन है।
→ बल के प्रभाव से वस्तुओं में होने वाली गति के लिए न्यूटन ने तीन मौलिक नियम प्रस्तुत किए जो सभी प्रकार की गति पर लागू होते हैं।
→ पहले नियम के अनुसार-प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो।
→ दूसरे नियम के अनुसार-किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपाती होता है।
→ तीसरे नियम के अनुसार-जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। ये दोनों बल परिमाण में हमेशा बराबर लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं।
→ गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
→ किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं।
→ प्रत्येक वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।
→ रेलगाड़ी का जड़त्व ठेलागाड़ी से अधिक है इसलिए वह धक्का लगाने पर नहीं हिलती। भारी वस्तुओं में जड़त्व अधिक होता है।
→ किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान से मापा जाता है।
→ किसी वस्तु का संवेग p उसके द्रव्यमान m वेग v के गुणनफल के समान होता है।
p = m × v
→ संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है, जो वेग की होती है।
→ संवेग की SI मात्रक kg-ms होती है।
→ बल ही संवेग को परिवर्तित करता है।
→ गति के दूसरे नियम का गणितीय रूप F = ma है, जहाँ F वस्तु पर लग रहा बल, m वस्तु का द्रव्यमान तथा । वस्त में उत्पन्न हआ त्वरण है।
→ किसी एकल बल का अस्तित्व नहीं होता बल्कि ये सदा युगल के रूप में होते हैं जिन्हें क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है।
→ जब दो या दो से अधिक पिंड आपस में टकराते हैं तो सभी पिंडों का कुल संवेग सुरक्षित रहता है अर्थात् टक्कर से पहले तथा टक्कर के बाद पिंडों का कुल संवेग बराबर रहता है। इस नियम को संवेग संरक्षण नियम कहते हैं।
→ संरक्षण के सभी नियमों जैसे संवेग, ऊर्जा, द्रव्यमान, कोणीय संवेग, आवेश आदि के संरक्षण को मौलिक नियम माना गया है।
→ बल-बल वह बाह्य कारण है जो किसी वस्तु की विराम अथवा एक समान गति की अवस्था को बदल देता है या बदल देने की प्रवृत्ति रखता है।
→ एक न्यूटन बल-वह बल जो एक कि० ग्रा० द्रव्यमान की वस्तु पर लगाने से उसमें एक मी०/सै० का त्वरण उत्पन्न कर दे, उसे एक न्यूटन बल कहते हैं।
→ संतुलित बल- यदि किसी पिंड पर अनेक बल लगाए जाने पर भी उसकी अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता, तो इन बलों को संतुलित बल कहते हैं।
→ असंतुलित बल- यदि किसी पिंड पर लगाए जाने वाले सभी बलों का परिणाम शून्य न हो तो इन बलों को असंतुलित बल कहते हैं।
→ घर्षण बल-किसी एक वस्तु को दूसरी वस्तु की सतह पर सरकने से उत्पन्न बल घर्षण बल कहलाता है, जो गति का विरोध करता है।
→ जड़त्व-वस्तुओं की वह प्रकृति जिसके द्वारा वे बिना बाहरी बल लगाए अपनी विराम या गति की अवस्था को नहीं बदल सकती, जड़त्व कहलाती है।
→ विराम का जड़त्व-कोई वस्तु विराम में हो तो वह विराम में ही रहेगी जब तक कि कोई बाहरी बल लगा कर उसकी विराम अवस्था को बदल नहीं दिया जाता।
→ गति का जड़त्व-यदि कोई वस्तु एक समान चाल से सीधी रेखा में गमन कर रही हो तो वह तब तक ऐसा ही करती रहेगी जब तक कोई बाहरी बल उस वस्तु की इस अवस्था को बदल न दे।
→ संवेग-किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग जिससे वह गति कर रही है के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं।
→ संवेग संरक्षण का नियम-यदि कणों के किसी निकाय पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं कर रहा तो उस संकाय का कुल संवेग संरक्षित रहेगा।
→ न्यूटन की गति का पहला नियम- यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी और यदि वह एक समान चाल में सीधी रेखा में चल रही है तो वैसे ही चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल लगा कर उसकी अवस्था में परिवर्तन न कर दिया जाए।
→ न्यूटन की गति का दूसरा नियम-किसी वस्तु में संवेग के परिवर्तन की दर उस वस्तु पर लगाए गए बल के समानुपाती होती है तथा आरोपित बल की दिशा में ही संवेग परिवर्तन होता है।
→ न्यूटन की गति का तीसरा नियम-प्रत्येक क्रिया के बराबर परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।