This PSEB 9th Class Social Science Notes History Chapter 4 Sri Guru Arjan Dev Ji: Contribution in the Development of Sikhism and his Martyrdom will help you in revision during exams.
Sri Guru Arjan Dev Ji: Contribution in the Development of Sikhism and his Martyrdom PSEB 9th Class SST Notes
Guru Arjan Dev Ji:
- Guru Arjan Dev Ji was the fifth Sikh Guru.
- Guru Sahib completed the construction of Sri Harmandir Sahib at Amritsar.
- Guru Sahib also founded the cities of Taran Taran and Kartarpur.
- The fifth Guru Sahib also wrote the first Divine book of the Sikhs, ‘Adi Granth Sahib Ji’, and placed it in Sri Harmandir Sahib.
- Baba Buddha Ji was appointed as the Head Granthi at Sri Harmandir Sahib.
- Guru Arjan Dev Ji consolidated the Sikh religion by sacrificing his life for the protection of Sikhism.
Masand System:
- Masand is a Persian word.
- The meaning of the word Masand is a higher place or raised status.
- It was established by Guru Ram Dass Ji and Guru Arjan Dev Ji gave the system an organized form.
- As a result, Guru Sahib started receiving regular donations from his Sikh followers for his religious activities.
Compilation of the Adi Granth Sahib:
- The Adi Granth Sahib was compiled and written by Guru Arjan Dev Ji.
- Guru Arjan Dev Ji dictated the contents of Adi Granth Sahib and his devoted follower Bhai Gurdas noted it down.
- The Adi Granth Sahib was completed in 1604 A.D.
Foundation of Tarn Taran:
- Except for Amritsar, Guru Arjan Dev Ji founded and built many Cities and sarovars.
- Tarn Taran was one of them.
- It was founded in the middle of an area like Amritsar, Tarn Taran also became one of the famous pilgrimage centres of the Sikhs.
Foundation of Kartarpur:
- In 1593 A.D., Guru Ji founded a new city in Jalandhar Doab, which was given the name of Kartarpur.
- Here Guru Ji constructed a pond that became famous with the name of Gangsar.
Reforms in Masand System:
- Guru Arjan Dev Ji felt the need to bring reforms in the Masand System.
- Guru Ji instructed his Sikhs to give one-tenth of their income to Masands.
- On the day of Baisakhi, Masands deposited the collection in the treasury of Guru Sahib.
- The Masands had appointed their representatives who were called the Sangrias, to collect the Daswandh.
Construction of a Baoli in Lahore:
- Guru Arjan Dev Ji had constructed a large well (Baoli) in Dubbi Bazaar in Lahore.
- It became a place of pilgrimage for his Sikh followers.
Construction of Hargobindpura and Chheratta:
- In order to celebrate the birth of his son Hargobind Ji, Guru Arjan Dev Ji founded a city on the banks of the river Beas and called it Hargobindpur.
- In addition to that Guru Sahib got dug a well near Amritsar to overcome the shortage of water in the region.
- Guru Sahib got manufactured six pulleys (rehats) to draw water from the well.
- Therefore the city became popular as Chheratta while referring to the six pulleys.
Guru Hargobind Ji:
- Guru Hargobind Ji was the sixth Guru of the Sikhs.
- Guru Sahib adopted the New Policy.
- According to this policy, Guru Sahib became the religious as well as the political leader of the Sikhs.
- Guru Sahib constructed Akal Takht, which stands before Sri Harmandir Sahib.
- Guru Sahib also gave to the Sikhs training in the use of arms.
Miri and Piri:
- Guru Hargobind Sahib put on two swords which he called one of Miri and the other of Piri.
- His sword of Miri symbolized his leadership of the Sikh followers in worldly affairs.
- The Piri sword represented his leadership of the Sikhs in spiritual affairs.
श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी PSEB 9th Class SST Notes
→ गुरु अर्जन देव जी – गुरु अर्जन देव जी सिक्खों के पांचवें गुरु थे। उन्होंने अमृतसर में हरिमंदर साहिब का निर्माण कार्य पूरा करवाया, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ तैयार की और उसे हरिमंदर साहिब में स्थापित किया।
→ बाबा बुड्डा जी को वहां का प्रथम ग्रंथी नियुक्त किया गया। गुरु साहिब ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी शहीदी देकर सिक्ख धर्म को सुदृढ़ बनाया। गुरु साहिब ने तरनतारन तथा करतारपुर नामक नगरों की नींव भी रखी।
→ मसंद प्रथा – ‘मसंद’ फ़ारसी भाषा के शब्द मसनद से लिया गया है। इसका अर्थ है-‘उच्च स्थान’। गुरु रामदास जी द्वारा स्थापित इस संस्था को गुरु अर्जन देव जी ने संगठित रूप दिया। परिणामस्वरूप उन्हें सिक्खों से निश्चित धन-राशि प्राप्त होने लगी।
→ आदि ग्रंथ का संकलन – आदि ग्रंथ साहिब का संकलन कार्य गुरु अर्जन देव जी ने किया। गुरु अर्जन देव जी लिखवाते जाते थे और उनके प्रिय शिष्य भाई गुरदास जी लिखते जाते थे। आदि ग्रंथ साहिब का संकलन कार्य 1604 ई० में संपूर्ण हुआ।
→ तरनतारन की स्थापना – गुरु अर्जन देव जी ने अमृतसर के अतिरिक्त अन्य अनेक नगरों, सरोवरों तथा स्मारकों का निर्माण करवाया। तरनतारन भी इनमें से एक था। उन्होंने इसका निर्माण प्रदेश के ठीक मध्य में करवाया। अमृतसर की भांति तरनतारन भी सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया।
→ करतारपुर की नींव रखना – गुरु जी ने 1593 ई० में जालंधर दोआब में एक नगर की स्थापना की जिसका नाम करतारपुर रखा गया। यहां उन्होंने एक तालाब का निर्माण करवाया जो गंगसर के नाम से प्रसिद्ध है।
→ मसंद प्रथा में सुधार – गुरु अर्जन देव जी ने मसंद प्रथा में सुधार लाने की आवश्यकता अनुभव की। उन्होंने सिक्खों को आदेश दिया कि वह अपनी आय का 1/10 भाग आवश्यक रूप से मसंदों को जमा कराएं।
→ मसंद वैसाखी के दिन इस राशि को अमृतसर के केंद्रीय कोष में जमा करवा देते थे। राशि को एकत्रित करने के लिए वे अपने प्रतिनिधि नियुक्त करने लगे। इन्हें ‘संगती’ कहते थे। दशांश इकट्ठा करने के अतिरिक्त मसंद उस क्षेत्र में सिक्ख धर्म का प्रचार भी करते थे।
→ लाहौर में बावली का निर्माण – गुरु अर्जन देव जी ने अपनी लाहौर यात्रा के दौरान डब्बी बाज़ार में एक बावली का निर्माण करवाया। इसके निर्माण से बावली के निकटवर्ती प्रदेशों के सिक्खों को एक तीर्थ स्थान की प्राप्ति हई।
→ हरगोबिंदपुर तथा छहरटा की स्थापना – गुरु जी ने अपने पुत्र हरगोबिंद के जन्म की खुशी में ब्यास नदी के तट पर हरगोबिंदपुर नामक नगर की स्थापना की।
→ इसके अतिरिक्त उन्होंने अमृतसर के निकट पानी की कमी को दूर करने के लिए एक कुएं का निर्माण करवाया। इस कुएं पर छः रहट चलते थे। इसलिए इसको छरहरटा के नाम से पुकारा जाने लगा।
→ मीरी तथा पीरी – गुरु हरगोबिंद साहिब ने ‘मीरी’ और ‘पीरी’ नामक दो तलवारें धारण की। उनके द्वारा धारण की गई ‘मीरी’ तलवार सांसारिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक थी। पीरी’ तलवार आध्यात्मिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक थी।
→ अकाल तख्त साहिब – गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के पश्चात् गुरु हरगोबिन्द जी ने 1606 ई० में अमृतसर में अकाल तख्त साहिब का निर्माण करवाया।
→ 1581 ई० – श्री गुरु अर्जन देव जी गुरुगद्दी पर विराजमान हुए।
→ 1588 ई० -हरिमंदर साहिब की नींव प्रसिद्ध सूफी फकीर मियां मीर जी ने रखी।
→ 1590 ई० -गुरु अर्जन देव जी ने माझे के खारा गांव में तरनतारन नामक सरोवर बनवाया।
→ 1593 ई० -करतारपुर की स्थापना की और गंगसर सरोवर का निर्माण।
→ 1595 ई० -व्यास नदी के किनारे हरगोबिंदपुर नगर बसाया।
→ 1604 ई० -आदि ग्रंथ साहिब जी का संपादन कार्य पूर्ण हुआ।
→ 1606 ई० – श्री गुरु अर्जन देव जी ने गुरु हरिगोबिंद जी को सिक्खों का छठा गुरु नियुक्त किया।
→ 30 मई, 1606 ई० – श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी।
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ : ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ PSEB 9th Class SST Notes
→ 1581 ਈ: – ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
→ 1588 ਈ: – ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨੀਂਹ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੂਫ਼ੀ ਫ਼ਕੀਰ ਮੀਆਂ ਮੀਰ ਜੀ ਨੇ ਰੱਖੀ ।
→ 1590 ਈ: – ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਮਾਝੇ ਦੇ ਖਾਰਾ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਤਰਨਤਾਰਨ ਨਾਂ ਦਾ ਸਰੋਵਰ ਬਣਵਾਇਆ ।
→ 1593 ਈ: – ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਗੰਗਸਰ ਸਰੋਵਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ ।
→ 1595 ਈ: – ਬਿਆਸ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦਪੁਰ ਨਗਰ ਵਸਾਇਆ ।
→ 1604 ਈ: – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ ਕਾਰਜ ਸੰਪੂਰਨ ਹੋਇਆ ।
→ 1606 ਈ: – ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਛੇਵਾਂ ਗੁਰੂ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ
→ 30 ਮਈ, 1606 ਈ: – ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ।