Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन
SST Guide for Class 8 PSEB प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers
I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :
प्रश्न 1.
भूमि को मुख्यतः किस-किस धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
भूमि को मुख्यत: तीन धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है-पर्वत, पठार तथा मैदान।
प्रश्न 2.
मैदानों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
मैदान कृषि योग्य तथा घनी आबादी वाले क्षेत्र होते हैं। ये मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। कृषि तथा वनस्पति के अनुरूप मैदानी भूमि को बहुत ही बहुमूल्य माना जाता है।
प्रश्न 3.
वे कौन-से तत्त्व हैं जो मिट्टी की रचना में अपनी भूमिका अदा करते हैं ?
उत्तर-
प्रमुख चट्टानें, जलवायु, पौधे तथा जीव-जन्तु।
प्रश्न 4.
भारत में कितने प्रकार की मिट्टी (मृदा) पाई जाती है ? किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित 6 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है-
- जलौढ़ मृदा
- काली मृदा
- लाल मृदा
- लेटराइट मृदा
- वनीय तथा पर्वतीय मृदा
- मरुस्थलीय मृदा।
प्रश्न 5.
काली मिट्टी में कौन-कौन सी उपजें उगाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
काली मिट्टी कपास, गेहूँ, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगायी जा सकती हैं। यदि सिंचाई का प्रबन्ध हो तो इसमें चावल तथा गन्ने की खेती भी की जा सकती है।
प्रश्न 6. जल के मुख्य स्रोतों के नाम लिखो।
उत्तर-जल के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-
- वर्षा
- नदियां और नाले
- नहरें
- तालाब
- भूमिगत जल।
प्रश्न 7. प्राकृतिक वनस्पति से मानव को क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
- प्राकृतिक वनस्पति से मानव को लकड़ी मिलती है जिसका प्रयोग ईंधन के रूप में तथा बड़े-बड़े उद्योगों में होता है।
- इससे हमें फल, दवाइयां तथा अन्य कई प्रकार के उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 8. भारत में वनों की कौन-सी किस्में पाई जाती हैं ?
उत्तर-भारत में वनों की निम्नलिखित किस्में पाई जाती हैं-
- सदाबहार वन
- पतझड़ी वन
- मरुस्थलीय वन
- पर्वतीय वन
- डैल्टाई वन।
प्रश्न 9.
पक्षी क्या हैं और ये कहाँ से आते हैं ?
उत्तर-
जो पक्षी सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठण्डे प्रदेशों से भारत आते हैं उन्हें प्रवासी पक्षी कहते हैं। ये मुख्यत: साइबेरिया तथा चीन से आते हैं।
II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :
प्रश्न 1.
भारत में भूमि का प्रयोग किस तरह किया जा रहा है ?
उत्तर-
भारत में भूमि का प्रयोग भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए होता है-
- वन-भारत के क्षेत्रफल का 23% भाग वनों के अन्तर्गत आता है जो वैज्ञानिक दृष्टि से कम है। वैज्ञानिक दृष्टि से देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए।
- कृषि योग्य भूमि-भारत का 46% क्षेत्रफल कृषि योग्य भूमि है। इसमें विभिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती है
- कृषि अयोग्य भूमि-देश की 14% भूमि गांवों, शहरों, सड़कों, रेलवे लाइनों, नदियों तथा झीलों के अधीन है। इसमें बंजर भूमि भी शामिल है।
- कृषि के बिना छोड़ी हुई भूमि-भारत की बहुत-सी भूमि कृषि के बिना छोड़ी हुई है। इस पर कृषि तो की जाती है। परन्तु इसे 1 से 5 वर्ष तक खाली छोड़ दिया जाता है, ताकि यह अपनी उपजाऊ शक्ति फिर से प्राप्त कर ले।
- अन्य-
- भारत की 5% भूमि कृषि योग्य, परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि है। इस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती।
- भारत की 4% भूमि चरागाहें हैं जिस पर पशु चराये जाते हैं।
प्रश्न 2.
मिट्टी के प्रकार बता कर जलोढ़ मिट्टी के महत्त्व के बारे में लिखो।
उत्तर-
मिट्टी के प्रकार-मिट्टी (मृदा) मुख्य रूप से 6 प्रकार की होती है
- जलौढ़ मृदा
- काली मृदा
- लाल मृदा
- लेटराइट मृदा
- वनीय तथा पर्वतीय मृदा
- मरुस्थलीय मृदा।
जलौढ़ मिट्टी का महत्त्व-जलौढ़ मिट्टी बारीक कणों से बनी होती है। ये कण मिट्टी को उपजाऊ बना देते हैं। इसलिए जलौढ़ मिट्टी द्वारा बने मैदान कृषि के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। भारत के सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान इसी प्रकार के मैदान हैं।
प्रश्न 3.
मिट्टी संसाधन की सम्भाल किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
मिट्टी की सम्भाल नीचे दिए गए तरीकों से की जा सकती हैमिट्टी के संसाधन के महत्त्व को देखते हुए हमें-
- मिट्टी के अपरदन को रोकना चाहिए।
- नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ों के पानी को रोकना चाहिए।
- अधिक पानी का निकास करके सीलन (सेम). की समस्या से छुटकारा पाना चाहिए।
- बाढ़ों को रोकने से मिट्टी अपरदन भी रोका जा सकता है और नदियों के आस-पास पड़ी अतिरिक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
- कृषि के गलत तरीकों से भी मिट्टी कमजोर होती है। इसलिए आवश्यक है कि कृषि के ढंग अच्छे हों।
यदि हम मिट्टी का प्रयोग अच्छे ढंग तथा समझदारी से करेंगे तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अधिक समय तक बनी रहेगी।
प्रश्न 4.
जल संसाधन में नदियों और नहरों के महत्त्व के बारे में लिखें।
उत्तर-
मानव सभ्यता के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आस-पास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।
प्रश्न 5.
जल की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है
- जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
- वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
- प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
- सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।
प्रश्न 6.
पतझड़ वनों पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पतझड़ वन वे वन हैं जिन वृक्षों के पत्ते एक विशेष मौसम में झड़ जाते हैं। बसंत के मौसम में इन पर फिर से पत्ते आ जाते हैं। इस प्रकार के वन भारत में अधिक मिलते हैं। लकड़ी प्राप्त करने के लिए ये वन बहुत अधिक महत्त्व रखते हैं। इन वनों में मुख्यतः साल, टीक, बांस, शीशम (टाहली) तथा खैर के वृक्ष पाये जाते हैं।
प्रश्न 7.
जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए भारत सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाये हैं ?
उत्तर-
भारत सरकार की ओर से जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए बहुत से कदम उठाये गए हैं-
- 1952 में “जंगली जीवों के लिए भारतीय बोर्ड” की स्थापना की गई।
- जंगली जीवों के बचाव के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर 1973’ तथा ‘प्रोजेक्ट ऐलीफैंट 1992’ आदि प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं।
- इस उद्देश्य से 1972 तथा 2002 में विभिन्न एक्ट पास किए गए।
- बहुत-से राष्ट्रीय पार्क तथा जंगली जीव सैंक्चुरियां बनाई गई हैं। इनमें जंगली जीव अपनी प्राकृतिक अवस्था में सुरक्षित रह सकते हैं। इस समय भारत में 89 राष्ट्रीय पार्क तथा 490 जंगली जीव सैंक्चुरियां हैं।
- जंगली जीवों के शिकार पर रोक लगाई गई है।
प्रश्न 8.
मिट्टी से जुड़ी समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर-
मिट्टी मनुष्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मनुष्य की भोजन सम्बन्धी अधिकतर आवश्यकताएं मिट्टी से ही पूरी होती हैं। इसके लिए उपजाऊ मिट्टी की ज़रूरत होती है। परन्तु निम्नलिखित समस्याओं के कारण मिट्टी सदैव उपजाऊ नहीं रह पाती-
- मिट्टी का अपरदन
- लगातार खेती
- मिट्टी में रेत कण
- मिट्टी में सेम (अधिक पानी) की समस्या
- मिट्टी में तेजाब या लवणता
- मिट्टी का समर्थता से अधिक प्रयोग।
III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :
प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं ? मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति की किस्में और महत्त्व लिखो।
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये उपहारों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों में भूमि,जल, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, जंगली जीव, खनिज पदार्थ आदि शामिल हैं।
1. मिट्टी-मिट्टी की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं-
- जलौढ़ मिट्टी
- काली मिट्टी
- लाल मिट्टी
- लेटराइट मिट्टी
- वनीय तथा पर्वतीय मिट्टी
- मरुस्थलीय मिट्टी।
महत्त्व-मिट्टी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। ये फ़सलें उगाने के लिए अनिवार्य है। उपजाऊ मिट्टी विशेष रूप से उन्नत कृषि का आधार है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो मिट्टी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। यहां भिन्न-भिन्न प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जिनमें भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं।
2. प्राकृतिक वनस्पति-भारत में मिलने वाली प्राकृतिक वनस्पति की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं(1) सदाबहार वन (2) पतझड़ी वन (3) मरुस्थलीय वन (4) पर्वतीय वन (5) डैल्टाई वन।
महत्त्व-मिट्टी की तरह वनस्पति भी एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करती है-
- वनस्पति से हमें ईंधन, भवन बनाने तथा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी मिलती है। वनों की नर्म लकड़ी से कागज़ तथा माचिसें बनाई जाती हैं। वनों पर अन्य भी कई उद्योग निर्भर हैं।
- वनों से लाख, गोंद, गंदा बिरोज़ा, रबड़ आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं।
- वनों की घास पर पशु चरते हैं।
- वन अनेक पशु-पक्षियों को आश्रय देते हैं।
- वनों से अनेक जड़ी-बूटियां मिलती हैं जिनसे दवाइयां बनाई जाती हैं।
- वन अनेक प्रकार के फल प्रदान करते हैं।
- वन मिट्टी के अपरदन को रोकते हैं तथा वनों के विस्तार को नियन्त्रित करते हैं।
- वन बाढ़ों को नियन्त्रित करते हैं।
- ये वर्षा लाने तथा प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रखने में सहायता करते हैं। . सच तो यह है कि वनों से अनेक लोगों को रोजगार मिलता है।
प्रश्न 2.
जल और जंगली जीवों की सम्भाल कैसे की जा सकती है ‘? अपने विचार प्रकट करो।
उत्तर-
जल की सम्भाल-जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है
- जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
- वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
- प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
- सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।
जंगली जीवों की सम्भाल-जंगली जीव हमारी धरती की शोभा हैं। परन्तु मानव द्वारा शिकार किये जाने के कारण इनकी कई किस्में समाप्त हो चुकी हैं और कई अन्य समाप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए जंगली जीवों की सम्भाल करना अति आवश्यक है। इसके लिए अग्रलिखित पग उठाए जाने चाहिए-
- हमें सरकार द्वारा जंगली जीवों की रक्षा के लिए बनाए गये कानूनों का पूरी तरह पालन करना चाहिए।
- हमें राष्ट्रीय पार्कों तथा जंगली-जीव सैंक्चुरियों के रख-रखाव में सरकार को सहयोग देना चाहिए।
- हमें अपनी ओर से जंगली जीवों तथा पक्षियों का शिकार नहीं करना चाहिए।
- वन जंगली जीवों तथा पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम वनों को न काटें, ताकि जीवों के घर नष्ट न हों।
PSEB 8th Class Social Science Guide प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
1. भारत का लगभग ………….. प्रतिशत भाग पर्वतीय है।
2. ………… मिट्टी को रेगुर भी कहा जाता है।
3. डैल्टाई वनों में ……………के वृक्ष अधिक संख्या में मिलते हैं।
उत्तर-
- 30
- काली
- सुन्दरी।
(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :
1. पतझड़ी वनों को मानसूनी वन भी कहा जाता है।
2. दक्षिण भारत में नहरें लोगों के लिए बहुत बड़ा जल साधन हैं।
3. संसार में जल का सबसे अधिक प्रयोग कृषि के लिए होता है।
उत्तर-
- ✓
- ✗
- ✓
(ग) सही उत्तर चुनिए:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस स्रोत के जल का प्रयोग मनुष्य नहीं कर सकता ?
(i) समुद्र
(ii) नहरें
(iii) तालाब
(iv) भूमिगत जल।
उत्तर-
(i) समुद्र
प्रश्न 2.
जल के संरक्षण का कौन-सा उपाय नहीं है ?
(i) भूमिगत कुएं
(ii) बांध बनाना
(iii) पुनः प्रयोग
(iv) नदियों में बहा देना।
उत्तर-
(iv) नदियों में बहा देना,
प्रश्न 3.
किस प्रकार की जलवायु में अधिक घने वन मिलते हैं ?
(i) कम वर्षा तथा कम तापमान
(ii) अधिक वर्षा और उच्च तापमान
(iii) अधिक वर्षा तथा कम तापमान
(iv) कम वर्षा तथा उच्च तापमान।
उत्तर-
(iii) अधिक वर्षा तथा उच्च तापमान।
(घ) सही जोड़े बनाइए :
1. मरुस्थलीय मिट्टी – पूर्वी तथा पश्चिमी घाट
2. काली मिट्टी – राजस्थान
3. जलोढ़ मिट्टी – महाराष्ट्र
4. वनी एवं पर्वतीय मिट्टी – भारत का उत्तरी मैदान।
उत्तर-1. राजस्थान,
2. महाराष्ट्र,
3. भारत का उत्तरी मैदान,
4. पूर्वी तथा पश्चिमी घाट।
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
धरती पर भूमि और पानी की बांट लिखें।
उत्तर-
धरती का केवल 29% भाग भूमि है। शेष 71% भाग पानी है।
प्रश्न 2.
भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। क्यों?
उत्तर-
भारत जैसे घनी जनसंख्या वाले देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए। परन्तु भारत का केवल 22.2 प्रतिशत क्षेत्र ही वनों के अधीन है। इसलिए भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाये जाने की आवश्यकता है।
प्रश्न 3.
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि क्या होती है?
उत्तर-
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि ऐसी भूमि होती है जिस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती। इन कारणों में जल की कमी, मिट्टी अपरदन, अधिक लवणता, पानी का अधिक समय तक खड़ा रहना आदि बातें शामिल हैं।
प्रश्न 4.
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी कहां मिलती है? इसकी कोई दो विशेषताएं लिखो।
उत्तर-
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी वनों तथा पर्वतीय ढलानों पर मिलती है। विशेषताएं-(1) इस मिट्टी में जैविक तत्त्व अधिक होते हैं।
(2) इसमें पोटाश, फ़ास्फोरस तथा चूने की कमी होती है। इसलिए इसमें कृषि करने के लिए उर्वरकों की ज़रूरत होती है।
प्रश्न 5.
जलोढ़ मिट्टी क्या होती है?
उत्तर-
जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी है जो बारीक गाद के निक्षेपण से बनती है। यह गाद नदियां अपने साथ बहा कर लाती हैं। समुद्र तट के निकट समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। जलोढ़ मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है।
प्रश्न 6.
काली मिट्टी को कपास की मिट्टी क्यों कहा जाता है ? इसका एक अन्य नाम बताओ।
उत्तर-
काली मिट्टी कपास की फ़सल के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसलिए इसे कपास की मिट्टी कहते हैं। इस मिट्टी का एक अन्य नाम रेगुर मिट्टी है।
प्रश्न 7.
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है? .
उत्तर-
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। गुजरात के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी मिलती है।
प्रश्न 8.
पृथ्वी को ‘जल ग्रह’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
पृथ्वी का अधिकतर भाग जल है जो लगभग 71% है। जल की अधिकता के कारण ही पृथ्वी को ‘जल • ग्रह’ कहा जाता है।
प्रश्न 9.
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल किस रूप में मिलता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल समुद्रों, सागरों तथा नमकीन जल की झीलों के रूप में मिलता है। यह कुल जल का 97.20% है।
प्रश्न 10.
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग किस कार्य के लिए होता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। यह कुल जल का लगभग 93.37% है।
प्रश्न 11.
तालाब प्रायः किन क्षेत्रों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
तालाब प्रायः उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों तथा नहरों की कमी होती है। इन क्षेत्रों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा है। भारत में तालाब मुख्यतः दक्षिणी भारत में पाये जाते हैं।
प्रश्न 12.
मरुस्थलीय वनस्पति की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह वनस्पति विरली होती है। इसमें खजूर, कैक्टस तथा कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। भारत में इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है।
प्रश्न 13.
पर्वतीय वनस्पति के किन्हीं चार वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर-
- फर
- देवदार
- ओक तथा
- अखरोट।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
जलौढ़ (जलौद) मिट्टी पर एक नोट लिखो। इसे कौन-कौन से दो भागों में बांटा जाता है?
उत्तर-
जलौढ़ मिट्टी देश के लगभग 45% भाग में पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी का हमारी कृषि में बहुत अधिक योगदान है। यह मिट्टी नदियों तथा नहरों के पानी द्वारा बिछाई जाती है। समुद्र तट के साथ-साथ समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। बाढ़ आने पर पानी में घुले मिट्टी के बारीक कण धरातल पर आ जाते हैं। ये कण मिट्टी को बहुत अधिक उपजाऊ बना देते हैं। भारत के उपजाऊ उत्तरी मैदानों में प्रमुख रूप से जलौढ़ मिट्टी ही पाई जाती है। __ जलौढ़ मिट्टी के भाग-जलौढ़ मिट्टी को दो भागों में बांटा जाता है-खादर तथा बांगर । खादर मिट्टी के नये जमाव को कहा जाता है, जबकि बांगर मिट्टी का पुराना जमाव होता है।
प्रश्न 2.
काली मिट्टी की मुख्य विशेषताएं बताओ। भारत में यह मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है?
उत्तर-
काली मिट्टी कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इसे रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है। क्योंकि यह मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम मानी जाती है, इसलिए इसे कपास की मिट्टी भी कहते हैं।
विशेषताएं-
- काली मिट्टी आग्नेय चट्टानों से बनी है।
- यह मिट्टी अपने अन्दर नमी को लम्बे समय तक बनाये रखती है।
- यह बहुत ही उपजाऊ होती है। इसमें कपास, गेहूं, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगाई जाती हैं। सिंचाई क. सबन्ध होने पर इसमें चावल तथा गन्ने जैसी फसलें भी उगाई जा सकती हैं।
प्रदेश-काली मिट्टी भारत के लगभग 16.6% भाग पर पाई जाती है। यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात तथा तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती हैं।
प्रश्न 3.
मरुस्थलीय मिट्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
मरुस्थलीय मिट्टी में रेत के कणों की अधिकता होती है। इसलिए यह अधिक उपजाऊ नहीं होती। इस मिट्टी में जल को समा कर रखने की शक्ति भी बहुत कम होती है, क्योंकि जल जल्दी से नीचे चला जाता है। अतः इस प्रकार की मिट्टी में अधिक जल वाली फ़सलें नहीं उगाई जा सकती। इसमें प्राय: जौ, बाजरा, मक्की तथा दालों की खेती की जाती है। जिन प्रदेशों में नहरी सिंचाई की सुविधा प्राप्त है, वहां कृषि उन्नत हो रही है। भारत में कुल भूमि के लगभग 4.3% भाग पर मरुस्थलीय मिट्टी पाई जाती है। यह मुख्यत: राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में मिलती है। गुजरात के कुछ भागों में भी मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार है।
प्रश्न 4.
लाल मिट्टी की विशेषताओं तथा भारत में इसके वितरण के बारे में लिखो।
उत्तर-
- लाल मिट्टी को इसके लाल रंग के कारण इस नाम से पुकारा जाता है। वैसे इसकी रचना तथा रंग इसकी मूल चट्टान पर निर्भर करता है।
- इस मिट्टी में चूने, मैग्नीशियम, फास्फेट, नाइट्रोजन तथा जैविक तत्त्वों की कमी होती है।
- फ़सलें उगाने के लिए यह मिट्टी अधिक उपयोगी नहीं होती। परन्तु अच्छी सिंचाई सुविधाएं मिलने पर इसमें गेहूं, कपास, दालें, आलू, फल आदि फ़सलें उगाई जा सकती हैं।
वितरण-भारत की कुल भूमि के 10.6% भाग पर लाल मिट्टी पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी मुख्य रूप से तमिलनाडु, दक्षिण-पूर्वी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में मिलती है।
प्रश्न 5.
लेटराइट मिट्टी की विशेषताएं बताओ। यह भारत में कहां पाई जाती है?
उत्तर-
लेटराइट मिट्टी 90-100% तक लौह अंश, एल्यूमीनियम, टाइटेनियम और मैंगनीज़ आक्साइड से बनी होती है। ऐसी मिट्टी प्रायः उच्च तापमान तथा अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। अधिक वर्षा के कारण इसके उपजाऊ तत्त्व घुलकर पृथ्वी की भीतरी परतों में चले जाते हैं और ऑक्साइड पृथ्वी के ऊपर रह जाते हैं। उपजाऊ तत्त्वों की कमी हो जाने के कारण यह मिट्टी कृषि योग्य नहीं रहती। परन्तु सिंचाई सुविधाओं तथा रासायनिक खादों के उपयोग से इसमें चाय, रबड़, कॉफी तथा नारियल जैसी फ़सलें पैदा की जा सकती हैं।
भारत में वितरण-लेटराइट मिट्टी देश की कुल मिट्टी क्षेत्रफल के 7.5% भाग में पाई जाती है। यह मुख्यतः पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, राजमहल की पहाड़ियों, विंध्याचल, सतपुड़ा और मालवा के पठार में मिलती है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल, झारखण्ड तथा असम राज्य के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।
प्रश्न 6.
जंगली जीवों से क्या भाव है? भारत के जंगली जीवों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
जंगलों में रहने वाले जीवों को जंगली जीव कहा जाता है। इनमें बड़े-बड़े जानवरों से लेकर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े शामिल हैं। जंगलों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षी भी पाये जाते हैं। संसार के बड़े-बड़े जंगलों तथा घास के मैदानों में तरह-तरह के जंगली जीव मिलते हैं। भारत में भी 80,000 से अधिक प्रकार के जंगली जीव मिलते हैं। इनमें हाथी, शेर, चीता, बाघ, गैंडा, भालू, यॉक, हिरण, गीदड़, नील गाय, बन्दर, लंगूर आदि शामिल हैं। इनके अतिरिक्त हमारे देश में नेवले, कछुए तथा कई प्रकार के सांप भी पाये जाते हैं। यहां अनेक प्रकार के पक्षी तथा मछलियां भी मिलती हैं। सर्दियों में कई प्रकार के पक्षी संसार के ठण्डे प्रदेशों से हमारे देश में आते हैं।
प्रश्न 7.
प्राकृतिक संसाधनों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? इसके मुख्य क्षेत्र हमारे देश में कहां-कहां
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किये गए संसाधनों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। ये संसाधन किसी देश की खुशहाली तथा शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए इन्हें किसी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी’ कहा जाता है। __भारत में प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र-
- भारत का 30% भाग पर्वतीय है। इन पर्वतों को संसाधनों का भण्डार कहते हैं। ये जल तथा वन संसाधनों में धनी हैं।
- देश का 27% भाग पठारी है। इस क्षेत्र से हमें कई प्रकार के खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं। इनमें कृषि भी होती है।
- देश का शेष 43% भाग मैदानी है। उपजाऊ मिट्टी के कारण यहां की कृषि बहुत ही उन्नत है। इसलिए ये मैदान देश के ‘अन्न-भण्डार’ भी कहलाते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मनुष्य के लिए ताजे जल (fresh water) के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी पर बहुत अधिक खारा तथा ताजा जल पाया जाता है। मनुष्य इसमें से कुछ सीमित तथा ताज़े जल के स्रोतों का ही प्रयोग करता है। इन स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-
- वर्षा-वर्षा पृथ्वी पर जल-पूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। परन्तु वर्षा के जल की प्राप्ति में काफ़ी भिन्नताएं पाई जाती हैं। कहीं वर्षा बहुत अधिक होती है तो कहीं बहुत ही कम। भारत में औसत रूप से 118 सें०मी० वार्षिक वर्षा होती है। वर्षा का यह सारा जल मनुष्य के प्रयोग में नहीं आता। इसका बहुत-सा भाग रिस-रिस कर धरातल में चला जाता है जिससे भूमिगत जल में वृद्धि होती है।
- नदियां एवं नहरें-मनुष्य के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आसपास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।
- तालाब-तालाब अधिकतर उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों या नहरों की कमी होती है। इन भागों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा होता है जिसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए लोग वर्षा के जल को तालाबों में इकट्ठा कर लेते हैं और आवश्यकता के समय इसका प्रयोग करते हैं। दक्षिण भारत में तालाब लोगों के लिए बहुत बड़ा जल संसाधन हैं।
- भूमिगत जल-भूमिगत जल मानव के लिए विशेष महत्त्व रखता है। इसे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा धरती से बाहर निकाला जाता है। यह जल मुख्य रूप से पीने या सिंचाई के काम आता है। भूमिगत जल की मात्रा चट्टानों की बनावट तथा उस प्रदेश में होने वाली वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है।
प्रश्न 2.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर करती है ? भारत की किन्हीं चार किस्मों की प्राकृतिक वनस्पति का वर्णन करो।
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। प्राकृतिक वनस्पति जलवायु, मिट्टी तथा जैविक तत्त्वों पर निर्भर करती है। इनमें से जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। संसार के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की वनस्पति मिलती है। वनस्पति की किस्मों को जलवायु, मिट्टी के प्रकार, समुद्र तल से ऊंचाई आदि तत्त्व प्रभावित करते हैं।
भारत की वनस्पति की किस्में- भारत की वनस्पति की चार मुख्य किस्मों का वर्णन इस प्रकार है
1. सदाबहार वन-सदाबहार वन सारा साल हरे-भरे रहते हैं। इनके पत्ते किसी भी मौसम में पूरी तरह से नहीं झड़ते। सदाबहार वनस्पति अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह अधिकतर दक्षिण भारत के पश्चिमी तट, बंगाल, असम के उत्तर-पूर्व में और हिमालय की निचली ढलानों पर पायी जाती है। कर्नाटक के कुछ भागों में भी इस प्रकार के वन पाये जाते हैं, जहां लौटती हुई मानसून पवनें वर्षा करती हैं। हिमालय की ढलानों पर टीक तथा रोज़वुड और कर्नाटक में अलबनी, नीम तथा इमली आदि के वृक्ष मिलते हैं।
2. मरुस्थलीय वन-मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। वर्षा कम होने के कारण यह वनस्पति बहुत ही विरली होती है। इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। इन वनों में खजूर, कैक्टस और कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। बढ़िया लकड़ी प्राप्त करने की दृष्टि से इस प्रकार की वनस्पति अधिक महत्त्व नहीं रखती।
3. पर्वतीय वनस्पति-पर्वतीय वनस्पति पर्वतों की ढलानों पर मिलती है। असम से लेकर कश्मीर तक हिमालय पर्वत की ढलानों में अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है। यहां मिलने वाले मुख्य वृक्ष फर, चील, देवदार, ओक, अखरोट, मैपल तथा पापूलर आदि हैं। इन वृक्षों की लकड़ी महंगी और बढ़िया प्रकार की होती है। इसका प्रयोग भवन बनाने, रेल के डिब्बे, माचिस तथा बढ़िया प्रकार का फर्नीचर बनाने में होता है। पर्वतीय वनस्पति की पेटी में कई प्रकार के फल जैसे सेब, बादाम, अखरोट और आलूबुखारा आदि भी मिलते हैं।
4. डैल्टाई वन-डैल्टाई वन समुद्री तटों के समीप मिलते हैं। नदियां समुद्रों में प्रवेश करने से पहले डैल्टा बनाती हैं। इन डैल्टों में उगने वाली वनस्पति को ही डैल्टाई वनों का नाम दिया जाता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र या दक्षिण भारत की कुछ नदियों के डैल्टाई भागों में इस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। यहां सुन्दरी, नीमा और पाम आदि के वृक्ष मिलते हैं। सुन्दरी वृक्ष की लकड़ी, मनुष्य के प्रयोग के लिए बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इस प्रकार की वनस्पति में ‘सुन्दरी’ के वृक्षों की अधिकता के कारण ही गंगा-ब्रह्मपुत्र डैल्टा को ‘सुन्दर वन डैल्टा’ कहा जाता है।