PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

SST Guide for Class 9 PSEB भारत : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र में अंकित करें :
उत्तर-

  • कराकोरम, पीर पंजाल, शिवालिक, सतपुड़ा, पटकोई वम्म, खासी और गारो की पहाड़ियां।
  • कंचनजुंगा, गोडविन, ऑस्टिन, धौलगिरी, गुरु शिखर व अनाईमुटी पहाड़ियां।
  • कोई पांच दर्रे और तीन पठारी क्षेत्र।
    नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्रों की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न 1.
भारत को भू-आकृति आधार पर वर्गीकृत करते हुए दो भागों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत को भू-आकृति के आधार पर पांच भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय पर्वत
  2. उत्तरी विशाल मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. भारतीय द्वीप समूह।

प्रश्न 2.
अगर आप गुरु शिखर पर हैं, तो कौन-सी पर्वत श्रृंखला में हैं ?
उत्तर-
माऊंट आबू (अरावली पहाड़ी)।।

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प्रश्न 3.
भारतीय उत्तरी मैदान की लंबाई व चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी मैदान की लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है।

प्रश्न 4.
भारतीय द्वीपों को कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
भारतीय द्वीपों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है-

  1. अंडेमान निकोबार द्वीप समूह तथा
  2. लक्षद्वीप समूह।

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा नाम मैदान का नहीं है ?
(i) भाबर
(ii) बांगर
(iii) केयाल
(iv) कल्लर।
उत्तर-
(iii) केयाल।

प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सी झील नहीं है ?
(i) सैडल
(ii) सांबर
(iii) चिल्का
(iv) वैबानंद।
उत्तर-
(i) सैडल।

प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सा नाम अलग पहचान का हैं ?
(i) शारदा
(ii) कावेरी
(ii) गोमती
(iv) यमुना।
उत्तर-
(i) कावेरी।

प्रश्न 8.
कौन-सी पर्वतीय श्रृंखला हिमालियाई नहीं है ?
(i) रक्शपोशी
(ii) डफ़ला
(iii) जास्कर
(iv) नीलगिरी।
उत्तर-
(iv) नीलगिरी।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
जहां आज हिमालय हैं, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का एक गहरा सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालांतर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

प्रश्न 2.
खाडर मैदानों के विषय में बताएं कि ये बेट से अलग कैसे हैं ?
उत्तर-
खाडर एक प्रकार की नई जलोढ़ मिट्टी वाला मैदान है। इस मिट्टी को नदियां अपने साथ लाकर निचले प्रदेशों में बिछाती हैं। यह मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है। पंजाब में इस प्रकार की मिट्टी वाले प्रदेशों को ‘बेट’ भी कहा जाता है। इस प्रकार बेट खाडर मिट्टी वाले मैदानों का स्थानीय नाम है।

प्रश्न 3.
मध्य हिमालय पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
मध्य हिमालय को लघु हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मीटर तक है। इन श्रेणियों की पहाड़ियां 60 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में मिलती हैं।

  1. श्रेणियाँ-जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल व नागा टिब्बा, हिमाचल में धौलाधार, नेपाल में महाभारत, उत्तराखंड में मसूरी और भूटान में थिम्पू इस पर्वतीय भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं।
  2. घाटियाँ-इस भाग में कश्मीर घाटी के कुछ भाग, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, भागीरथी घाटी व मंदाकिनी घाटी जैसी लाभकारी व स्वास्थ्यवर्द्धक घाटियां मिलती है।
  3. स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान-इस क्षेत्र में शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि प्रमुख स्वास्थ्यवर्द्धक व रमणीय केंद्र हैं।

प्रश्न 4.
पश्चिम और पूर्वी घाटों में क्या अंतर है ?
उत्तर-

  1. पश्चिम घाट उत्तर से दक्षिण तक अरब सागर के समांतर फैले हैं। इसके विपरीत पूर्वी घाट का विस्तार खाड़ी बंगाल के साथ-साथ है।
  2. पश्चिम घाट के पर्वत एक लंबी श्रृंखला बनाते हैं। परंतु पूर्वी घाट नदियों द्वारा कट जाने के कारण अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में दिखाई देते हैं।
  3. पश्चिम घाट के पर्वत पूर्वी घाट की अपेक्षा अधिक ऊंचे तथा स्पष्ट हैं।
  4. पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरि है। इसके विपरीत पश्चिम घाट की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुदी है।
  5. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट, शेनकोटा आदि दरें हैं। परंतु पूर्वी घाट में कोई भी महत्त्वपूर्ण दर्रा नहीं है।

प्रश्न 5.
भारतीय द्वीप समूहों का वर्गीकरण कीजिए तथा द्वीपों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय द्वीपों की कुल संख्या 267 है। इन्हें निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है

  1.  बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडेमान-निकोबार द्वीप समूह-ये द्वीप उत्तर-पूर्वी पर्वत श्रेणी अराकान योमा (म्यांमार में) का भी विस्तार हैं। इनकी संख्या 204 है। सैडल (Saddle Peak) अंडेमान की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 737 मीटर है। निकोबार में 19 द्वीप शामिल हैं। जिनमें से ग्रेटर निकोबार सबसे बड़ा द्वीप है।
  2. अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह-इन द्वीपों की कुल संख्या 34 है। इसके उत्तर में अमिनदिवी (Amindivi) तथा दक्षिण में मिनीकोय (Minicoy) द्वीप स्थित हैं। इन द्वीपों का मध्यवर्ती भाग लक्कादिव (Laccadive) कहलाता है।

प्रश्न 6.
भाबर और तराई में अंतर बताएं।
उत्तर-
भाबर वे मैदानी प्रदेश होते हैं जहां नदियां पहाड़ों से निकल कर मैदानी प्रदेश में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का यहां निक्षेप (जमा) करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियां भूमि तल पर बहने की बजाए भूमि के नीचे बहती हैं।
जब भाबर मैदानों की भूमिगत नदियां पुनः भूमि पर उभरती हैं, तो ये दलदली क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। शिवालिक पहाड़ियों के समानांतर फैली ऐसी आर्द्र दलदली भूमि की पट्टी को तराई प्रदेश कहते हैं। यहां घने वन भी पाये जाते हैं तथा जंगली जीव-जंतु भी अधिक संख्या में मिलते हैं।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दें:

प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय पठार और उनकी पर्वतीय श्रृंखलाओं के विषय में विस्तार में लिखें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार भारत के मध्य से लेकर सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ है। यह पठार क्रिस्टलीय आग्नेय तथा
रूपांतरित चट्टानों से बना है। त्रिभुज के आकार के इस प्राचीन भू-भाग का शीर्ष बिन्दु कन्याकुमारी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यहां की वन-संपदा है। इन पठारों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है। इन भागों तथा उनमें स्थित पर्वत श्रेणियों का वर्णन इस प्रकार है

1. मध्य भारत का पठार-यह पठारी प्रदेश मारवाड़ प्रदेश के पूर्व में फैला है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 250500 मी० तक है। इसकी दरार घाटी में चंबल तथा उसकी सहायक नदियां बहती हैं। यह पठार अपनी गहरी घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। इस पठार के पूर्व में यमुना के निकट बुंदेलखंड का प्रदेश स्थित है।

2. मालवा पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड, पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसकी तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
अरावली पर्वत श्रेणी सबसे पुरानी पर्वत श्रेणी है। इसकी लंबाई लगभग 800 किलोमीटर तक है। इसकी सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर (1722 मी०) है। इसमें गोरनघाट नामक एक दर्रा भी स्थित है। सतपुड़ा की पहाड़ियां 900 किलोमीटर की लंबाई में फैली हैं। इस पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी (धूपगढ़ 1350 मी०) है। अमरकंटक दूसरी ऊंची चोटी है।

3. दक्कन (दक्षिण) का पठार-इसकी औसत ऊँचाई 300 से 900 मीटर तक है। इसके धरातल को मौसमी नदियों ने कांट-छांट कर सात स्पष्ट भागों में बांटा हुआ है-

  1. महाराष्ट्र का टेबल लैंड,
  2. दंडकारण्य-छत्तीसगढ़ क्षेत्र,
  3. तेलंगाना का पठार,
  4. कर्नाटक का पठार,
  5. पश्चिमी घाट,
  6. पूर्वी घाट,
  7. दक्षिणी पहाड़ी समूह।

पश्चिमी घाट की औसत ऊंचाई 1200 मीटर और पूर्वी घाट की 500 मीटर है। दक्षिण भारत की सभी महत्त्वपूर्ण नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं। उत्तर से दक्षिण तक पश्चिमी घाट में चार प्रसिद्ध दर्रे हैं-थालघाट, भोरघाट, पालघाट तथा शेनकोटा। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट की अपेक्षा अधिक चौड़े कटे-फटे तथा टूटी पहाड़ियों वाला है। पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरी (1500 मी०) है।

पश्चिमी और पूर्वी घाट जहां जाकर मिलते हैं, उन्हें नीलगिरि पर्वत कहते हैं। इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी दोदाबेटा है अथवा डोडाबेटा जो 2637 मीटर ऊंची है।
सच तो यह है कि प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों का भंडार है और इसका भारत की आर्थिकता में बड़ा महत्त्व है। यहां चाय, रबड़, गन्ना, कॉफ़ी आदि की कृषि भी की जाती है।

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प्रश्न 2.
गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों की बनावट व उनके क्षेत्रीय वर्गीकरण पर नोट लिखें।
उत्तर-
(क) गंगा के मैदान-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान के मुख्य भौगोलिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है

  1. स्थिति-यह मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल राज्यों में स्थित है। यह पश्चिम में यमुना, पूर्व में बंगलादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा, उत्तर में शिवालिक तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी विस्तार के मध्य फैला हुआ है।
  2. नदियाँ-इस मैदान में गंगा, यमुना, घागरा, गण्ड्क, कोसी, सोन, बेतवा तथा चंबल नदियां बहती हैं।
  3. भू-आकारीय नाम-गंगा के तराई वाले उत्तरी क्षेत्रों में बनी दलदली पेटियों को ‘कौर (caur) कहा जाता है। इसकी दक्षिणी सीमा में बड़े-बड़े खड्ड (Ravines) मिलते हैं जिन्हें ‘जाला’ व ‘ताल’ (Jala & Tal) अथवा बंजर भूमि कहते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त मैदान में पुरानी जमीं बांगर और नई बिछी खादर की जलोढ़ पट्टियों को ‘खोल’ (Khols) कहा जाता है। गंगा और यमुना दोआब में पवनों के निक्षेप द्वारा निर्मित बालू के टीलों को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तथा बिजनौर जिलों में ‘भूर’ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।
  4. ढलान तथा क्षेत्रफल-गंगा के मैदान की ढलान पूर्व की ओर है।
    महाराष्ट्र टेबल लैंड बेसाल्ट के लावे से बना है। कर्नाटक के पठार में बाबा बूदन की पहाड़ियों में स्थित मूल्नगिरी (1913 मी०) सबसे ऊँची चोटी है।
  5. विभाजन-ऊँचाई के आधार पर गंगा के मैदानों को निम्नलिखित तीन उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है
    • ऊपरी मैदान-इन मैदानों को गंगा-यमुना दोआब भी कहते हैं। इनके पश्चिम में यमुना नदी है तथा 100 मीटर की ऊंचाई तक मध्यम ढाल वाले क्षेत्र इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। रुहेलखंड तथा अवध का मैदान भी इन्हीं मैदानों में सम्मिलित हैं।
    • मध्यवर्ती मैदान-इस मैदान को बिहार के मैदान या मिथिला (Mithila) मैदान भी कहते हैं, जिसकी ऊंचाई लगभग 50 से 100 मीटर के बीच है। यह घागरा नदी से लेकर कोसी नदी तक फैला है। इस मैदान की लंबाई 600 कि०मी० तथा चौड़ाई 330 कि०मी० है।
    • निचले मैदान-गंगा के ये मैदानी भाग समुद्र तल से लगभग 50 मीटर ऊंचे हैं। इसकी लंबाई 580 कि०मी० तथा चौड़ाई 200 कि०मी० है। ये राजमहल तथा गारो पर्वत श्रेणियों के मध्य एक समतल डेल्टाई क्षेत्र बनाते हैं। इसके उत्तर में तराई पट्टी के द्वार (Duar) मिलते हैं तथा दक्षिण में विश्व का सबसे बड़ा सुंदरवन डेल्टा स्थित है।

(ख) ब्रह्मपुत्र के मैदान-इस मैदान को आसाम (असम) का मैदान भी कहा जाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 250 मी० से लेकर 550 मी० तक है।

प्रश्न 3.
भारत के तटीय मैदानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तटवर्ती मैदान अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ फैले हुए हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जाता है-पश्चिमी तट के मैदान तथा पूर्वी तट के मैदान। इनका वर्णन इस प्रकार है
पश्चिमी मैदान-

  1. इसके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 1500 कि०मी० और चौड़ाई 65 कि०मी० है। इन मैदानों में डेल्टाई निक्षेप का अभाव है।
  3. पश्चिमी मैदानों को धरातलीय विस्तार के आधार पर चार भागों में बांटते हैं-गुजरात का तटीय मैदान, कोंकण का तटीय मैदान, मालाबार तट का मैदान, केरल का मैदान। गुजरात का मैदान कच्छ से महाराष्ट्र होते हुए खंबात की खाड़ी तक चला जाता है। इसका निर्माण साबरमती, माही, लूनी तथा तापी नदियों द्वारा लाकर बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। कोंकण का मैदान दमन से गोवा तक 500 मीटर की लंबाई में फैला है। मुंबई इस तट की प्रमुख बंदरगाह है। कोंकण तट को कारावली तथा केनारा भी कहा जाता है। मालावार का तटवर्ती मैदान मंगलूर से कन्याकुमारी तक फैला है। झीलों अथवा लैगूनों वाले इस मैदान की लंबाई 845 कि०मी० है। बैबानंद द्रत मैदान की सबसे बड़ी झील है।।
  4. इन मैदानों में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती है। ये डेल्टा बनाने की बजाए ज्वारनदमुख बनाती हैं।
  5. पश्चिमी मैदान में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है। यह वर्षा दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण होती है। ।

पूर्वी तट के मैदान-

  1. पूर्वी तट के मैदानों के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 2000 कि०मी० है और इनकी औसत चौड़ाई 150 कि०मी० है। ये अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं तथा इनमें जलोढ़ मिट्टी का निक्षेप है।
  3. पूर्वी तटीय मैदान के दो भाग हैं-उत्तरी तटीय मैदान तथा दक्षिण तटीय मैदान। उत्तरी मैदान को उत्तरी सरकार या गोलकुंडा या काकीनाडा भी कहते हैं। दक्षिण तटीय मैदान को कोरोमंडल तट कहा जाता हैं।
  4. इस मैदान की प्रमुख नदियां महानदी, कावेरी, गोदावरी तथा कृष्णा है।
  5. इस मैदान में पुलिकट तथा चिल्का नामक झीलें पाई जाती हैं। उड़ीसा की चिल्का झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।

प्रश्न 4.
निम्न पर नोट लिखें
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल
(ii) मालवा का पठार
(iii) उच्चतम हिमालय।
उत्तर-
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल-यह मरुस्थल पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ तक फैला हुआ है। यह समतल तथा शुष्क मरुस्थल थार मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी इसकी पूर्वी सीमा बनाती है। इसके पश्चिम में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। यह लगभग 650 कि०मी० लंबा तथा 250 कि० मी० चौड़ा है। अति प्राचीन काल में यह क्षेत्र समुद्र के नीचे दबा हुआ था। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि यह मरुस्थल किसी समय उपजाऊ रहा होगा। परंतु वर्षा की मात्रा बहुत कम होने के कारण आज यह क्षेत्र रेत के बड़े-बड़े टीलों में बदल गया है। थार मरुस्थल के पूर्वी भाग को ‘राजस्थान बांगर’ भी कहा जाता है।

(ii) मालवा का पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसको तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।

(iii) उच्चतम हिमालय-इसे महान् हिमालय भी कहते हैं। हिमालय का यह विशाल भाग पश्चिम में सिंधु नदी की घाटी से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र की दिहांग घाटी तक फैला हुआ है। इसकी मुख्य धरातलीय विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. यह देश की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत श्रेणी है। इसमें ग्रेनाइट तथा नीस जैसी परिवर्तित रवेदार चट्टानें मिलती हैं।
  2. इसकी चोटियां बहुत ऊंची हैं। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां की चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं।
  3. इसमें अनेक दर्रे हैं जो पर्वतीय मार्ग जुटाते हैं।
  4. इसमें काठमांड तथा कश्मीर जैसी महत्त्वपूर्ण घाटियां स्थित हैं।

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वत और दक्षिण पठार के लाभों की तुलना करें।
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा ढक्कन का पठार भारत के दो महत्त्वपूर्ण भू-भाग हैं। ये दोनों ही भू-भाग अपने-अपने ढंग से भारत देश को समृद्ध बनाते हैं। इनके लाभों की तुलना इस प्रकार की जा सकती है
हिमालय के लाभ-

  1. वर्षा-हिंद महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली सभी मुख्य नदियां गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती रहती हैं। शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलाने चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकड़ी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
  7. पर्यटन-हिमालय में अनेक सुंदर और रमणीक घाटियां हैं। कश्मीर घाटी ऐसी ही एक प्रसिद्ध घाटी है। इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। अन्य प्रमुख घाटियां हिमाचल प्रदेश में कुल्लू तथा कांगड़ा और उत्तरांचल में कुमायूँ की घाटियाँ हैं। सारे संसार से पर्यटक इन घाटियों की मनोहर छटा को निहारने के लिए यहां आते हैं।

दक्कन (दक्षिणी) पठार के लाभ

  1. दक्षिण का पठार खनिजों से संपन्न है। देश के 98% खनिज भंडार दक्षिणी पठार में ही मिलते हैं यहां कोयला, लोहा, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, सोना आदि बहुमूल्य खनिज पाये जाते हैं।
  2. यहां की मिट्टी, कपास, चाय, रबड़, गन्ना, कॉफी, मसालों, तंबाकू आदि के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  3. यहां नदियां जलप्रपात बनाती हैं जो जलविद्युत् के उत्पादन के लिये उपयोगी है।
  4. इस भाग में साल, सागवान, चंदन आदि के वन पाये जाते हैं।
  5. यहां उटकमंड, पंचमढ़ी, महाबालेश्वर आदि पर्यटन स्थानों का विकास हुआ है।

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PSEB 9th Class Social Science Guide भारत : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई है-
(क) 9848 मी०
(ख) 7048 मी०
(ग) 8848 मी०
(घ) 6848 मी०।
उत्तर-
(ग) 8848 मी०

प्रश्न 2.
पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर कौन-सा है ?
(क) डोडाबेटा
(ख) महेन्द्रगिरी
(ग) पुष्पागिरी
(घ) कोलाईमाला।
उत्तर-
(ख) महेन्द्रगिरी

प्रश्न 3.
हिमालय का अधिकतर भाग फैला है-
(क) भारत में
(ख) नेपाल में
(ग) तिब्बत में
(घ) भूटान में।
उत्तर-
(ग) तिब्बत में

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति हुई है-
(क) टैथीज़ सागर से
(ख) अंध-महासागर से
(ग) हिंद महासागर से
(घ) खाड़ी बंगाल से।
उत्तर-
(क) टैथीज़ सागर से

प्रश्न 5.
रावी और ब्यास के मध्य भाग को कहा जाता है-
(क) बिस्त दोआब
(ख) प्रायद्वीपीय पठार
(ग) चज दोआब
(घ) मालाबार दोआब।
उत्तर-
(क) बिस्त दोआब

प्रश्न 6.
कोंकण तट का विस्तार है-
(क) दमन से गोआ तक
(ख) मुम्बई से गोआ तक
(ग) दमन से बंगलौर तक
(घ) मुम्बई से दमन तक।
उत्तर-
(क) दमन से गोआ तक

प्रश्न 7.
पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है-
(क) गुरु शिखर
(ख) कालस्थाए
(ग) कोंकण शिखर
(घ) माऊंट
उत्तर-
(ख) कालस्थाए

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प्रश्न 8.
सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता ह-
(क) दक्षिणी विशाल मैदान
(ख) पूर्वी विशाल मैदान
(ग) उत्तरी विशाल मैदान
(घ) तिब्बत का मैदान।
उत्तर-
(ग) उत्तरी विशाल मैदान

रिक्त स्थानों की पूर्ति :

1. ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई …………. मीटर है।
2. दफा बम्म तथा ……………. हिमालय की पूर्वी शाखाओं की प्रमुख चोटियां हैं।
3. ………….. विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
4. त्रिभुजाकार भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु ………….. है।
5. थाल घाट, भोर घाट तथा …………. पश्चिमी घाट के दर्रे हैं।
6. चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी …………… पानी की झील है।
7. ………… नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है।
8. ……….. हिमालय भारत की सबसे लंबी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है।
9. मालाबार तट का विस्तार गोआ से ………….. तक है।
10. छत्तीसगढ़ का मैदान ……………… द्वारा बना है।
उत्तर-

  1. 6000
  2. सारामती
  3. माऊंट एवरेस्ट
  4. कन्याकुमारी
  5. पाल घाट
  6. खारे
  7. नर्मदा
  8. बृहत्
  9. मंगलौर
  10. महानदी।

सत्य-असत्य कथन :

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं-
1. ट्रांस हिमालय को तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है।
2. हिमालय के अधिकतर स्वास्थ्यवर्धक स्थान बृहत् हिमालय में स्थित हैं।
3. उत्तरी विशाल मैदान की रचना में कावेरी तथा कृष्णा नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
4. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट नामक तीन दर्रे स्थित हैं।
5. पश्चिमी घाट को सहाद्रि भी कहा जाता है। |
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)

उचित मिलान :

1. उत्कल – सहयाद्रि
2. सागर मथ्था – अरब सागर
3. पश्चिमी घाट – तटवर्ती मैदान
4. लक्षद्वीप – माऊंट ऐवरेस्ट।
उत्तर-

  1. तटवर्ती मैदान
  2. माऊंट ऐवरेस्ट।
  3. घाट–सहयाद्रि
  4. लक्षद्वीप

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति कैसी है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति एक चाप (Curve) जैसी है।

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों का जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर-
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की उत्पत्ति टेथिस सागर में जमा गाद में बल पड़ने से हुई।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय की प्रमुख चोटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की मुख्य चोटियां हैं—विश्व की दूसरी ऊंची चोटी माऊंट के (गाडविन ऑस्टिन), गशेरबम-I तथा गशेरबम-II

प्रश्न 4.
बृहत् हिमालय में 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
बृहत् हिमालय की 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं-माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरी, अन्नपूर्णा आदि।

प्रश्न 5.
भारत की युवा एवं प्राचीन पर्वत मालाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत भारत के युवा पर्वत हैं और वहां के प्राचीन पर्वत अरावली, विंध्याचल, सतपुड़ा आदि हैं।

प्रश्न 6.
देश में रिफ्ट या दरार घाटियां कहां मिलती हैं ?
उत्तर-
भारत में दरार घाटियां प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं।

प्रश्न 7.
डेल्टा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नदी के निचले भागों में बने स्थल-रूप को डेल्टा कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के मुख्य डेल्टाई क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के प्रमुख डेल्टाई क्षेत्र हैं-गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कृष्णा नदी डेल्टा क्षेत्र तथा महानदी का डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत के दरों के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत में पाये जाने वाले मुख्य दरे हैं-बुरज़िल, जोझीला, लानक ला, चांग ला, खुरनक ला, बाटा खैपचा ला, शिपकी ला, नाथु ला, तत्कला कोट इत्यादि।

प्रश्न 10.
लघु हिमालय की मुख्य पर्वतीय श्रेणियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियां हैं-

  1. कश्मीर में पीर पंजाल तथा नागा टिब्बा,
  2. हिमाचल में धौलाधार तथा कुमाऊं,
  3. नेपाल में महाभारत,
  4. उत्तराखंड में मसूरी,
  5. भूटान में थिम्पू।

प्रश्न 11.
लघु हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्धक घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय के मुख्य स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीतालं, दार्जिलिंग तथा चकराता हैं।

प्रश्न 12.
देश की प्रमुख ‘दून’ घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश की मुख्य दून घाटियां हैं-देहरादून, पतली दून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि।

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प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 14.
उत्तर-पश्चिमी मैदान में कौन-कौन से अंतर-दोआब (Inter fluxes) मिलते हैं ?
उत्तर-

  1. बारी दोआब तथा माझा का मैदान,
  2. बिस्त दोआब,
  3. मालवा का मैदान,
  4. हरियाणा का मैदान।

प्रश्न 15.
ब्रह्मपुत्र के मैदानों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
250-550 मी०।

प्रश्न 16.
(i) अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार कहां से कहां तक है तथा
(ii) इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम क्या है ?
उत्तर-

  1. अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है।
  2. इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर है।

प्रश्न 17.
थारमरुस्थल (भारत) की तीन खारे पानी की झीलों के नाम बताओ।
उत्तर-
सांभर, चिदवाना तथा सारमोल।

प्रश्न 18.
पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 19.
दक्षिणी पठार के पहाड़ी भागों पर कौन-कौन से रमणीय स्थान ( हिल स्टेशन ) हैं ?
उत्तर-
दोदाबेटा, ऊटाकमुंड, पलनी तथा कोडाईकनाल।

प्रश्न 20.
अरब सागर में मिलने वाले द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर में स्थित उत्तरी द्वीपों को अमीनोदिवी (Aminolivi), मध्यवर्ती द्वीपों को लक्काद्वीप तथा दक्षिणी भाग को मिनीकोय कहा जाता है।

प्रश्न 21.
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु कहां स्थित है ?
उत्तर-
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु ग्रेट निकोबार के इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) पर स्थित है।

प्रश्न 22.
तटीय मैदानों से समस्त भारत को मिलने वाले तीन प्रमुख लाभों को बताओ।
उत्तर-

  1. गहरे प्राकृतिक पोताश्रय
  2. लैगून तथा
  3. उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की प्राप्ति।

प्रश्न 23.
ट्रांस हिमालय को ‘तिब्बत हिमालय’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ट्रांस हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में है।

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प्रश्न 24.
दून किसे कहते हैं ?
उत्तर-
‘दून’ बाह्य हिमालय में स्थित वे झीलें हैं जो मिट्टी से भर गई हैं।

प्रश्न 25.
विश्व की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है ?
उत्तर-
K2

प्रश्न 26.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु कौन-सा है ?
उत्तर-
कन्याकुमारी।

प्रश्न 27.
भारत के किस राज्य में पश्चिमी घाट नीलगिरी के नाम से विख्यात है ?
उत्तर-
तमिलनाडु।

प्रश्न 28.
कौन-सी नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है ?
उत्तर-
नर्मदा।

प्रश्न 29.
भारत के प्रमुख द्वीप समूह कौन-कौन से हैं और ये कहां स्थित हैं ?
उत्तर-

  1. भारत के प्रमुख द्वीप समूह अंडमान तथा निकोबार और लक्षद्वीप हैं।
  2. ये क्रमश: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित हैं।

प्रश्न 30.
हिमालय की कौन-सी श्रेणी शिवालिक कहलाती है ?
उत्तर-
बाह्य हिमालय।

प्रश्न 31.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में किस-किस जल प्रवाह प्रणाली का योगदान रहा है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों का योगदान है।

प्रश्न 32.
गोआ से मंगलौर तक का समुद्री तट क्या कहलाता है ?
उत्तर-
मालाबार तट।

प्रश्न 33.
कोंकण तट कहां से कहां तक फैला है ?
उत्तर-
कोंकण तट दमन से गोआ तक फैला है।

प्रश्न 34.
भारत का कौन-सा भू-भाग खनिजों का विशाल भंडार है ?
उत्तर–
प्रायद्वीपीय पठार।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत के क्रमवार उत्थान (uplifts) के बारे में कोई दो प्रमाण दीजिए।
उत्तर-
हिमालय का जन्म आज से लगभग 400 लाख वर्ष पहले टैथीज (Tythes) सागर से हुआ है। एक लंबे समय तक तिब्बत पठार तथा दक्षिण पठार की नदियां टैथीज सागर में तलछट लाकर जमा करती रहीं। फिर दोनों पठार एक-दूसरे की ओर खिसकने लगे। इससे तलछट में मोड़ पड़ने लगे और यह ऊंचा उठने लगा। इसी उठाव से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है। यह क्रमिक उठाव आज भी जारी है।

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प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत माला एवं दक्षिण के पठार के बीच क्या समानताएं पायी जाती हैं ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा दक्षिण के पठार में निम्नलिखित समानताएं पायी जाती हैं-

  1. इन दोनों भू-भागों का निर्माण एक-दूसरे की उपस्थिति के कारण हुआ।
  2. हिमालय पर्वतों की भांति दक्षिणी पठार में भी अनेक खनिज पदार्थ पाये जाते हैं।
  3. इन दोनों भौतिक भागों में वन पाये जाते हैं जो देश में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

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प्रश्न 3. क्या हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है ?
उत्तर-इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है। इनकी उत्पत्ति नदियों द्वारा टैथीज सागर में बिछाई गई तलछट से हुई है। बाद में इसके दोनों ओर स्थित भूखंडों के एक-दूसरे की ओर खिसकने से तलछट में मोड़ पड़ गया जिससे हिमालय पर्वतों की ऊंचाई बढ़ गई। आज भी ये पर्वत ऊंचे उठ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन पर्वतों का निर्माण देश के अन्य पर्वतों की तुलना में काफ़ी बाद में हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि हिमालय पर्वत अभी भी अपनी युवा अवस्था में है।

प्रश्न 4.
उत्तरी विशाल मैदानी भाग में किस-किस जलोढ़ी मैदान का निर्माण हुआ है ?
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदान में निम्नलिखित जलोढ़ मैदानों का निर्माण हुआ है-

  1. खाडर के मैदान,
  2. बांगर के मैदान,
  3. भाबर के मैदान,
  4. तराई के मैदान,
  5. रेह व कल्लर मिट्टी के बंजर मैदान,
  6. भूर।

प्रश्न 5.
स्थिति के आधार पर भारत के द्वीपों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? उदाहरणों सहित व्याख्या करें।
उत्तर-
स्थिति के अनुसार भारत के द्वीपों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-तट से दूर स्थित द्वीप तथा तट के निकट स्थित द्वीप।

  1. तट से दूर स्थित द्वीप-इन द्वीपों की कुल संख्या 230 के लगभग है। ये समूहों में पाये जाते हैं। दक्षिणी-पूर्वी
    अरब सागर में स्थित ऐसे द्वीपों का निर्माण प्रवाल भित्तियों के जमाव से हुआ है। इन्हें लक्षद्वीप कहते हैं। अन्य द्वीप क्रमशः अमीनदिवी, लक्काद्वीप तथा मिनीकोय के नाम से प्रसिद्ध हैं। बंगाल की खाड़ी में तट से दूर स्थित द्वीपों के नाम हैं-अंडमान द्वीप समूह, निकोबार, नारकोडम तथा बैरन आदि।
  2. तट के निकट स्थित द्वीप-इन द्वीपों में गंगा के डेल्टे के निकट स्थित सागर, शोरट, ह्वीलर, न्युमूर आदि द्वीप शामिल हैं। इस प्रकार के अन्य द्वीप हैं-भासरा, दीव, बन, ऐलिफैंटा इत्यादि।

प्रश्न 6.
तटवर्ती मैदानों की देश को क्या महत्त्वपूर्ण देन है ?
उत्तर-
तटीय मैदानों की देश को निम्नलिखित देन है-

  1. तटीय मैदान बढ़िया किस्म के चावल, खजूर, नारियल, मसालों, अदरक, लौंग, इलायची आदि की कृषि के लिए विख्यात हैं।
  2. ये मैदान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अग्रणी हैं।
  3. इन मैदानों से समस्त देश में बढ़िया प्रकार की समुद्री मछलियां भेजी जाती हैं।
  4. तटीय मैदानों में स्थित गोआ, तमिलनाडु तथा मुंबई के समुद्री बीच पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
  5. देश में प्रयोग होने वाला नमक पश्चिमी तटीय मैदानों में तैयार किया जाता है।

प्रश्न 7.
तट के मैदान न केवल संकरे हैं, बल्कि डेल्टाई निक्षेपण से भी विहीन हैं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत के पश्चिमी तट के मैदान संकरे हैं और यहां डेल्टाई निक्षेप का भी अभाव है। इसके कारण निम्नलिखित हैं

  1. पश्चिमी तट पर सागर दूर तक अंदर चला गया है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी घाट की पहाड़ियां कटी-फटी नहीं हैं। परिणामस्वरूप पश्चिमी तट के मैदानों के विस्तार में बाधा आ गई है। इसी कारण ये मैदान संकरे हैं।
  2. जो नदियां पश्चिमी घाट से होकर अरब सागर में गिरती हैं, उनका बहाव तेज़ है, परंतु बहाव क्षेत्र कम है। परिणामस्वरूप ये नदियां (नर्मदा, ताप्ती) डेल्टे नहीं बनातीं, अपितु ज्वारनदमुख बनाती हैं।

प्रश्न 8.
प्रायद्वीपीय पठार का देश के लिए क्या महत्त्व रहा है ? कोई तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर-

  1. प्रायद्वीपीय पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है जो खनिज पदार्थों में धनी है। अतः यह देश के लिए खनिज पदार्थों का बहुत बड़ा स्रोत रहा है।
  2. प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर घाटों पर बने जल-प्रपात तटीय मैदानों को सिंचाई के लिए जल तथा औद्योगिक विकास के लिए बिजली देते हैं।
  3. यहां के वन देश के अन्य भागों में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(i) बांगर और खादर/खाडर
(ii) नाले (चो), नदी और बंजर भूमि।
उत्तर-

  1. बांगर और खादर/खाडर-उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में बहने वाली नदियों में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आ जाती है और वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में मिट्टी की नई परतें बिछा देती हैं। बाढ़ से प्रभावित इस तरह के मैदानों को खादर के मैदान भी कहा जाता है।
    बांगर वह ऊंची भूमि होती है जो बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होती और जिसमें चूने के कंकड़-पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसे रेह तथा कल्लर भूमि भी कहते हैं।
  2. नाले (चो), नदी और बंजर भूमि-चो वे छोटी-छोटी नदियां होती हैं जो वर्षा ऋतु में अकस्मात् सक्रिय हो उठती हैं। ये भूमि में गहरे गड्ढे बनाकर उसे कृषि के अयोग्य बना देते हैं।
    बहते हुए जल को नदी कहते हैं। इसका स्रोत किसी पर्वतीय स्थान (हिमानी) पर होता है। यह अंततः किसी सागर या भूमिगत स्थान पर जा मिलती है। बंजर भूमि से अभिप्राय ऐसी भूमि से है जिसकी उपजाऊ क्षमता न के बराबर होती है। ऐसी भूमि खेती के अयोग्य होती है। भारत में उत्तरी प्रायद्वीपीय पठार तथा पश्चिमी शिवालिक पहाड़ियों के आस-पास बंजर भूमि का विस्तार है।

प्रश्न 10.
हिमालय पर्वत की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. ये पर्वत भारत के उत्तर में स्थित हैं। ये एक चाप की तरह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। संसार का कोई भी पर्वत इनसे अधिक ऊंचा नहीं है। इनकी लंबाई 2400 किलोमीटर और चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  2. हिमालय पर्वत की तीन समानांतर शृंखलाएं हैं। उत्तरी श्रृंखला सबसे ऊंची है तथा दक्षिणी श्रृंखला सबसे कम ऊंची है। इन श्रृंखलाओं के बीच बड़ी उपजाऊ घाटियां हैं।
  3. इन पर्वतों की मुख्य चोटियां ऐवरेस्ट, नागा पर्वत, गाडविन ऑस्टिन (K2), नीलगिरि, कंचनजंगा आदि हैं। ऐवरेस्ट संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।
  4. हिमालय की पूर्वी शाखाएं.भारत तथा म्यनमार की सीमा बनाती हैं। हिमालय की पश्चिमी शाखाएं पाकिस्तान में हैं। इनके नाम सुलेमान तथा किरथर पर्वत हैं। इन शाखाओं में खैबर तथा बोलान के प्रे स्थित हैं।

प्रश्न 11.
भारत के विशाल उत्तरी मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
भारत का विशाल उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है–

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान,
  2. थार मरुस्थलीय मैदान,
  3. गंगा का मैदान,
  4.  ब्रह्मपुत्र का मैदान। भारत की आर्थिक समृद्धि का आधार यही विशाल मैदान है। यहां नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके पूर्वी भागों में खनिज पदार्थों के विशाल भंडार विद्यमान हैं।

प्रश्न 12.
भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
1. ये मैदान पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित हैं। 1. ये मैदान पूर्वी घाट तथा खाड़ी बंगाल के बीच स्थित हैं।
2. ये मैदान बहुत ही असमतल एवं संकुचित हैं। 2. ये मैदान अपेक्षाकृत समतल एवं चौड़े हैं
3. इस मैदान में कई ज्वारनदमुख और लैगून हैं। 3. इस मैदान में कई नदी डेल्टा हैं।

प्रश्न 13.
किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-

  1. उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है।
  2. उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है।
  3. विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं।
  4. विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है।

प्रश्न 14.
ट्रांस हिमालय से क्या भाव है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत की ये विशाल श्रेणियां भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित पामीर की गांठ (Pamir’s Knot) से उत्तर-पूर्वी दिशा के समानांतर फैली हुई हैं। इसका अधिकतर भाग तिब्बत में है। इसलिए इन्हें ‘तिब्बत हिमालय’ भी कहा जाता है। इनकी कुल लंबाई 1000 किलोमीटर और चौड़ाई (दोनों किनारों पर) 40 किलोमीटर है परंतु इसका केंद्रीय भाग 222 किलोमीटर के लगभग हो जाता है। इनकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। इसकी मुख्य पर्वतीय श्रेणियां जास्कर, कराकोरम, लद्दाख और कैलाश हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र बहुत ऊंची एवं मोड़दार चोटियों तथा विशाल हिमानियों (Glaciers) के लिए प्रसिद्ध है। माऊंट K2 इस क्षेत्र की सबसे ऊंची एवम् संसार की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत धरातलभू-आकृतियां (2)

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प्रश्न 15.
बाह्य हिमालय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बाह्य हिमालय को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय और दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। ये पर्वत श्रेणियां लघु हिमालय के दक्षिण भाग के समानांतर पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हुई हैं। इनकी औसत लंबाई 2400 किलोमीटर मीटर तथा चौड़ाई 50 से 15 किलोमीटर तक है। इस क्षेत्र का निर्माण टरशरी युग में हुआ था। इस क्षेत्र में लंबी व गहरी तलछटी चट्टानें मिलती हैं जिनकी रचना चिकनी मिट्टी, रेत, पत्थर, स्लेट आदि के निक्षेपों द्वारा हुई है जो हिमालय से अपरदन द्वारा इन क्षेत्रों में जमा किया जाता रहा है। इस भाग की प्रसिद्ध घाटियां देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, छोखंभा, ऊधमपुर तथा कोटली हैं।

प्रश्न 16.
हिमालय की पूर्वी तथा पश्चिमी शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल (Purvanchal) भी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की दिहांग गॉर्ज से लेकर ये श्रृंखलाएं भारत और म्यनमार (बर्मा) की सीमा बनाती हुई दो भागों में बँट जाती हैं

  1. गंगा-ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित शाखाएं बंगलादेश के मैदानों तक पहुंचती हैं जिसमें दफा बम्म, पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया व त्रिपुरा की पहाड़ियाँ आती हैं।
  2. ये शाखाएं पटकोई बम्म से शुरू होकर नागा पर्वत, बरेल, लुशाई से होती हुई इरावदी के डेल्टे तक पहुंचती हैं। . हिमालय की इन पूर्वी शाखाओं में दफा बम्म और सारामती प्रमुख ऊंची चोटियां हैं।

(ख) पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय श्रेणियों की आगे दो उप-शाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान के मध्य में से सॉल्ट रेंज, सुलेमान व किरथर होती हुई दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान से होकर हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत की श्रृंखला से जा मिलती है।
भारत-प्रमुख पर्वत चोटियां
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प्रश्न 17.
विशाल उत्तरी मैदानों की चार धरातलीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. समतल मैदान-संपूर्ण उत्तरी भारतीय मैदान समतल और सपाट है।
  2. नदियों का जाल-इस संपूर्ण मैदानी क्षेत्र में दरियाओं व नदनालों (Choes) का जाल सा बिछा हुआ है। इनके कारण यहां दोआब क्षेत्रों का निर्माण हुआ है। पंजाब राज्य का नाम भी पांच नदियों के बहने के कारण तथा एकसार मिट्टी जमा होने के कारण पंज-आब पड़ा है।
  3. भू-आकार-इन मैदानों में जलोढ़ पंखे, जलोढ़ीय शंकु, विसर्पाकार नदियां, प्राकृतिक सीढ़ी बंध, बाढ़ के मैदान जैसे भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  4. मैदानी तलछट-इन मैदानों के तलछट में चिकनी मिट्टी (clay), बालू, दोमट और सिल्ट ज्यादा मोटाई में मिलती है। चिकनी मिट्टी अर्थात् पांडु मिट्टी नदियों के मुहानों के समीप अधिक मिलती है और ऊपरी भागों में बालू की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

प्रश्न 18.
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन करो।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढक मैदानों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. खादर के मैदान-उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल की नदियों में हर साल बाढ़ों के आने के कारण मृदा की नई तहें बिछ जाती हैं। इन नदियों के आस-पास बाढ़ वाले क्षेत्रों को खादर के मैदान कहा जाता है।
  2. बांगर के मैदान-ये वे ऊंचे मैदानी क्षेत्र हैं जहाँ पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। यहाँ की पुरानी तलछटों में चूने के कंकड़ अधिक मात्रा में मिलते हैं।
  3. भाबर के मैदान-उत्तर भारत में जब दरिया शिवालिक के पहाड़ी प्रदेशों को छोड़कर, समतल प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो यह अपने साथ लाई बालू, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि के जमाव द्वारा जिन मैदानों का निर्माण करते हैं, उसे भाबर के मैदान कहा जाता है। ऐसे मैदानी क्षेत्रों में छोटी-छोटी नदियों का पानी अक्सर धरती के नीचे बहता है।
  4. तराई के मैदान-जब भाबर क्षेत्रों में अलोप हुई नदियों का पानी पुनः धरातल से निकल आता है तब पानी के इकट्ठे हो जाने के कारण दलदली क्षेत्र (Marshy Lands) बन जाते हैं। इसमें गर्मी व नमी के कारण सघन वन हो जाते हैं और जंगली जीव-जंतुओं की भरमार हो जाती है।

प्रश्न 19.
पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो। .
उत्तर-

  1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव से बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है।
  2. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक इनकी लंबाई 640 किलोमीटर तथा औसत चौड़ाई 300 किलोमीटर है।
  3. इस मैदान की औसत ऊंचाई 300 मीटर तक है।
  4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 20.
ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई 250-550 मी० है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत को धरातलीय आधार पर विभिन्न भागों में बांटो तथा किसी एक भाग का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
धरातल के आधार पर भारत को हम पांच भौतिक विभागों में बांट सकते हैं-

  1. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र
  2. उत्तर के मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पर्वत
  4. तट के मैदान
  5.  भारतीय द्वीप समूह।

इनमें से हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है
हिमालय पर्वत-हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के रूप में फैले हैं। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा कश्मीर हिमालय में इसकी चौड़ाई 400 से 500 कि० मी० तक है।
ऊंचाई के आधार पर हिमालय पर्वतों को निम्नलिखित पांच उपभागों में बांटा जा सकता

  1. ट्रांस हिमालय-इस विशाल पर्वत-श्रेणी का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे तिब्बती हिमालय भी कहा जाता है। इसकी कुल लंबाई 1000 कि० मी० तथा चौड़ाई (किनारों पर) 40 कि० मी० है। इन पर्वतों की औसत ऊंचाई 6000 मी० है। भारत की सबसे ऊँची चोटी माऊंट K2 गॉडविन ऑस्टिन तथा गशेरबम I तथा II इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  2. महान् (उच्चतम) हिमालय- यह भारत की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत-श्रेणी है। इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा औसत ऊँचाई 5100 मी० है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। संसार की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  3. लघु-हिमालय-इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मी० से लेकर 5050 मी० तक है। इस पर्वत श्रेणी की ऊंची चोटियां शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाती हैं। यहां शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि स्वास्थ्यवर्धक स्थान पाये जाते हैं।
  4. बाह्य हिमालय-इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय तथा दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। इन पर्वतों के दक्षिण में कई झीलें पायी जाती थीं। बाद में इनमें मिट्टी भर गई और इन्हें दून (Doon) (पूर्व में इन्हें द्वार (Duar) कहा जाता है) कहा जाने लगा। इनमें देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि शामिल हैं।
  5. पहाड़ी शाखाएं-हिमालय पर्वतों की दो शाखाएं हैं–पूर्वी शाखाएं तथा पश्चिमी शाखाएं। पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल भी कहा जाता है। इन शाखाओं में ढफा बुम, पटकाई बुम, गारो, खासी, जैंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां सम्मिलित हैं।
    पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय की दो उपशाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान की साल्ट रेंज, सुलेमान तथा किरथर होते हुए दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान में स्थित हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत श्रेणी से जा मिलती है।

प्रश्न 2.
हिमालय की उत्पत्ति एवं बनावट पर लेख लिखो और बताइए कि क्या हिमालय अभी भी बढ़ रहे हैं ?
उत्तर-
हिमालय की उत्पत्ति तथा बनावट का वर्णन इस प्रकार है-
उत्पत्ति-जहां आज हिमालय है, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

बनावट-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा दिखाई देता है जिसका मध्यवर्ती भाग नेपाल की सीमा तक झुका हुआ है। इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे सफ़ेद कोह, सुलेमान तथा किरथर की पहाड़ियों द्वारा अरब सागर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के उत्तर-पूर्वी किनारे टैनेसरीम पर्वत श्रेणियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच जाते हैं।

हिमालय पर्वतों की दक्षिणी ढाल भारत की ओर है। यह ढाल बहुत ही तीखी है। परंतु इसकी उत्तरी ढाल साधारण है। यह चीन की ओर है। दक्षिणी ढाल के अधिक तीखा होने के कारण इस पर जल-प्रपात तथा तंग नदी-घाटियां पाई जाती हैं।

ऊंचाई की दृष्टि से हिमालय की पर्वत श्रेणियों को पांच उपभागों में बांटा जा सकता है-

  1. ट्रांस हिमालय,
  2. महान् हिमालय,
  3. लघु हिमालय,
  4. बाह्य हिमालय तथा
  5. पहाड़ी शाखाएं।

हिमालय पर्वत की मुख्य विशेषता यह है कि ये आज भी ऊंचे उठ रहे हैं।

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प्रश्न 3.
देश के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है
आकार-रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लंबाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 150 से 200 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है।
जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अत: टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ।
क्षेत्रीय विभाजन-विशाल उत्तरी मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है-

  1. पंजाब हरियाणा का मैदान-इस मैदान का निर्माण सतलुज, रावी, ब्यास तथा घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से हुआ है। इसमें बारी दोआब, बिस्त दोआब, मालवा का मैदान तथा हरियाणा का मैदान शामिल है।
  2. थार मरुस्थल का मैदान-पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात में स्थित कच्छ की रण तक के इस मैदान को थार मरुस्थल का मैदान कहते हैं।
  3. गंगा का मैदान-गंगा का मैदान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इसे असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के अति उत्तरी भाग सादिया (Sadiya) तक लगभग 720 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। समुद्र तल से इतनी औसत ऊंचाई 250-550 मी० है।

प्रश्न 4.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार के भौतिक लक्षणों की तुलना कीजिए तथा अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
पश्चिमी तथा पूर्वी हिमालय की उप-शाखाओं की चित्र सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर नोट लिखो-
1. विन्ध्याचल,
2. सतपुड़ा,
3. अरावली पर्वत,
4. नीलगिरि की पहाडियां।
उत्तर-

  1. विंध्याचल-विंध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है।
  2. सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ तथा अमरकंटक। इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊंचाई 1120 मी० है।
  3. अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 800 कि० मी० की लंबाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है।
  4. नीलगिरि की पहाड़ियां-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
“क्या भारत के भिन्न-भिन्न भौतिक भाग एक-दूसरे से अलग स्वतंत्र इकाइयां हैं या ये एक-दूसरे के पूरक हैं ?” इस कथन की उदाहरणों सहित व्याख्या करो।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं कि भारत की भिन्न-भिन्न भौतिक इकाइयां एक-दूसरे की पूरक हैं। वे देखने में अलग अवश्य लगते हैं, परंतु उनका अस्तित्व अलग नहीं है। यदि हम उनके जन्म और उनके मिलने वाले प्राकृतिक भंडारों का अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(क) जन्म-

  1. हिमालय पर्वत का जन्म ही प्रायद्वीपीय पठार के अस्तित्व में आने के पश्चात् हुआ है।
  2. उत्तरी मैदानों का जन्म उन निक्षेपों से हुआ है, जिनके लिए प्रायद्वीपीय पठार तथा हिमालय पर्वत की नदियां उत्तरदायी हैं।
  3. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, दरार घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय के दबाव के कारण ही अस्तित्व में आए हैं।
  4. तटीय मैदानों का जन्म प्रायद्वीपीय घाटों की मिट्टी से हुआ है।

(ख) प्राकृतिक भंडार-

  1. हिमालय पर्वत बर्फ का घर है। इसकी नदियां जल प्रपात बनाती हैं और इनसे जो बिजली बनाई जाती है, उसका उपयोग पूरा देश करता है।
  2. भारत के विशाल मैदान उपजाऊ मिट्टी के कारण पूरे देश के लिए अन्न का भंडार है। इसमें बहने वाली गंगा नदी सारे भारत को प्रिय है।
  3. प्रायद्वीपीय पठार में खनिजों का खज़ाना दबा पड़ा है। इसमें लोहा, कोयला, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज़ आदि कई प्रकार के खनिज दबे पड़े हैं, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  4. तटीय मैदान देश को चावल, मसाले, अदरक, लौंग, इलायची जैसे व्यापारिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
    सच तो यह है कि देश की भिन्न-भिन्न इकाइयां एक दूसरे की पूरक हैं और ये देश के आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान देती हैं।

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प्रश्न 8.
पश्चिमी तटीय मैदानों का उसके उपभागों सहित विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तटीय मैदान कच्छ के रण से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए हैं। ये विस्तृत संकरे मैदान हैं। इनकी चौड़ाई 65 कि.मी. के लगभग है। इनका ढलान दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर है। इन मैदानों को धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. गुजरात का तटवर्ती मैदान,
  2. कोंकण का तटवर्ती मैदान,
  3. मालाबार का तटवर्ती मैदान,
  4. केरल का मैदान।

1. गुजरात का तटवर्ती मैदान-इस तटवर्ती मैदानी भाग में साबरमती, माही, लुनी, बनास, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियों के तलछट के जमाव से कच्छ तथा काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय मैदान और सौराष्ट्र के लंबवत् मैदानों का निर्माण हुआ है। कच्छ का क्षेत्र अभी भी दलदली तथा समुद्र तल से नीचा है। काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय भाग में लावा युक्त गिर पर्वतीय श्रेणियां भी मिलती हैं। यहाँ की गिरनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ चोटी की ऊंचाई सबसे अधिक है। गुजरात का यह तटवर्ती मैदान 400 किलोमीटर लंबा तथा 200 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर है।

2. कोंकण का तटवर्ती मैदान-दमन से लेकर गोआ तक का मैदान कोंकण तट कहलाता है। इसके अधिकतर तटवर्ती भागों में धंसने की क्रिया होती रहती है। इसीलिए इस 500 किलोमीटर लंबे मैदान की पट्टी की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक रह जाती है। इस मैदानी भाग में तीव्र समुद्री लहरों द्वारा बनी संकरी खाड़ियां, आंतरिक कटाव (Coves) और समुद्री बालू में बीच (Beach) आदि भू-आकृतियां मिलती हैं। थाना की संकरी खाड़ी में प्रसिद्ध मुंबई द्वीप स्थित है।

3. मालाबार का तटवर्ती मैदान-यह गोआ से लेकर मंगलौर तक लगभग 225 किलोमीटर लंबा तथा 24 किलोमीटर चौड़ा मैदान है। इसे कर्नाटक का तटवर्ती मैदान भी कहते हैं। यह उत्तर की ओर संकरा परंतु दक्षिण की ओर चौड़ा है। कई स्थानों पर इसका विस्तार कन्याकुमारी तक भी माना जाता है। इस मैदान में मार्मागोआ, मान्ढवी तथा शेरावती नदियों के समुद्री जल में डूबे हुए मुहाने (Estuaries) मिलते हैं।

4. केरल के मैदान-मंगलौर से लेकर कन्याकुमारी तक 500 किलोमीटर लंबे, 10 किलोमीटर चौड़े तथा 300 मीटर ऊंचे भू-भाग केरल के मैदान कहलाते हैं। इनमें बहुत-सी झीलें (Lagoons) तथा काईल अथवा क्याल (Kayals) पाये जाते हैं। क्याल झीलों का स्थानीय नाम है। यहाँ पर बैंबानद (Vembanad) और अष्टमुदई (Astamudi) की झीलों वाले क्षेत्रों में नौकाओं का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग होता है।

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