PSEB 9th Class Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ पदार्थ की विभाजिता के मत के बारे में भारत में लगभग 500 ई० पूर्व विचार पेश किया गया था।

→ भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने यह विचार दिया कि पदार्थ का विभाजन करने से छोटे-छोटे कण प्राप्त होंगे जिन्हें एक सीमा के पश्चात् और अधिक विभाजित नहीं किया जा सकेगा। इस अविभाज्य सूक्ष्म कण को परमाणु का नाम दिया गया।

→ भारतीय दार्शनिक पकुधा कात्यायाम ने कहा कि ये सूक्ष्मतम कण प्रायः संयुक्त रूप में मिलते हैं जो पदार्थों को विभिन्न रूप प्रदान करते हैं।

→ ग्रीक दार्शनिक डैमोक्रिटस तथा ल्यूसिपिस ने सुझाव दिया कि पदार्थों को यदि विभाजित करते जायें तो एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जब कणों को और अधिक विभाजित नहीं किया जा सकेगा।

→ 18वीं शताब्दी के अंत तक वैज्ञानिकों ने तत्वों तथा यौगिकों में अंतर को समझा कि तत्व किस प्रकार तथा क्यों संयोजन करते हैं।

→ एल० लवाइज़िए ने रासायनिक संयोजन के दो महत्त्वपूर्ण नियमों को स्थापित किया।

→ द्रव्यमान संरक्षण नियम के अनुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो सृजन होता है और न ही विनाश।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ लवाइज़िए तथा अन्य वैज्ञानिकों ने बताया कि कोई भी यौगिक दो या दो से अधिक तत्वों से निर्मित होता है। इस प्रकार प्राप्त यौगिक में इन तत्वों का अनुपात स्थिर होता है। भले ही उसे किसी स्थान से प्राप्त किया गया हो अथवा किसी ने भी इसे क्यों न बनाया हो। इसे निश्चित (स्थिर) अनुपात नियम कहा जाता है।

→ जॉन डॉल्टन ने पदार्थों के स्वभाव के बारे में आधारभूत सिद्धांत प्रस्तुत किया। डॉल्टन ने पदार्थों की विभाजिता का विचार दिया। डॉल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधारित था।

→ डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी पदार्थ भले ही तत्व, यौगिक या मिश्रण हों, अविभाज्य सूक्ष्मतम कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। यह सिद्धांत, द्रव्यमान संरक्षण नियम तथा निश्चित अनुपात नियम पर आधारित था।

→ सभी पदार्थों की रचनात्मक इकाई परमाणु है। परमाणु अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं जिन्हें हम अपनी नंगी आंखों से नहीं देख सकते।

→ परमाणु के अर्धव्यास को नैनोमीटर (nm) में मापा जाता है।
1 nm = 10-9 m
109 nm = 1 m

→ संकेत, तत्व के एक परमाणु को प्रदर्शित करता है। बर्जिलियस ने तत्वों के ऐसे संकेत का सुझाव रखा जो उन तत्वों को एक या दो अक्षरों से प्रदर्शित करता था। किसी तत्व के संकेत को पहले बड़े अक्षर से तथा दूसरे छोटे अक्षर से लिखा जाता है।

→ किसी तत्व के सापेक्षिक परमाणु द्रव्यमान को उसके परमाणुओं के मध्यमान द्रव्यमान का कार्बन-12 परमाणु के द्रव्यमान के \(\frac{1}{12}\) वें भाग के अनुपात से परिभाषित किया जाता है। आरंभ में इसे a.m.u. द्वारा संक्षेप में लिखा जाता था परंतु आजकल IUPAC के नई सिफारिशों पर इसे ‘u’ द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

→ अणु ऐसे दो या दो से अधिक परमाणुओं का समूह होता है जो परस्पर रासायनिक बंधन द्वारा जुड़े होते हैं। अणु को किसी तत्व या यौगिक के सूक्ष्मतम कण के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जो स्वतंत्र रूप में अस्तित्व रख सकता है तथा जो उस यौगिक के सभी गुणों को दर्शाता है।

→ किसी तत्व का अणु एक ही प्रकार के परमाणुओं द्वारा रचित होता है।

→ किसी अणु की बनावट में प्रयोग किए गए परमाणुओं की संख्या को परमाणुकता (atomicity) कहते हैं।

→ भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु एक निश्चित अनुपात में परस्पर जुड़कर यौगिक के अणु बनाते हैं।

→ धातु तथा अधातु युक्त यौगिक आवेशित कणों से बने हुए होते हैं जिन्हें आयन (Ion) कहते हैं। इन कणों पर धन या ऋण आवेश होता है । ऋण आवेशित कण को ऋण आयन तथा धन आवेशित कण को धन आयन कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ परमाणुओं के समूह जिस पर नेट (परिणामी) आवेश उपस्थित हो उसे वह परमाणवीय आयन (Polyatomicion) कहते हैं।

→ किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसमें सभी घटक तत्वों तथा संयोग करने वाले तत्वों के परमाणुओं की संख्या प्रदर्शित करता है।

→ परमाणुओं का वह समूह जो आयन की भांति व्यवहार करता है। उसे बहु-परमाणवीय आयन कहते हैं। उन पर एक निश्चित मात्रा में आवेश होता है।

→ आण्वीय यौगिकों के रासायनिक सूत्र प्रत्येक तत्व की संयोजकता द्वारा निर्धारित होते हैं।

→ आयनी यौगिकों में प्रत्येक आयन पर आवेश की संख्या द्वारा यौगिकों के रासायनिक सूत्र प्राप्त होते हैं।

→ किसी तत्व की संयोजन क्षमता उस तत्व की संयोजकता कहलाती है।

→ किसी पदार्थ का सूत्र इकाई द्रव्यमान उसमें उपस्थित परमाणुओं के द्रव्यमानों का योग होता है।

→ किसी स्पीशीज़ (परमाणु, अणु, आयन अथवा कण) के एक मोल में पदार्थ की मात्रा वह संख्या है जो ग्राम में उसके परमाणु अथवा आण्वीय द्रव्यमान के बराबर होती है।

→ किसी पदार्थ के एक मोल में कणों (परमाणु, अणु अथवा आयन) की संख्या निश्चित होती है जिसका मान 6.022 x 1023 होता है। इसे आवोगाद्रो संख्या (Avogadro Number) कहते हैं।

→ किसी तत्व के परमाणुओं के एकमोल का द्रव्यमान जिसे मोलर द्रव्यमान कहते हैं। परमाणुओं के मोलर द्रव्यमान को ग्राम परमाणु द्रव्यमान भी कहते हैं।

→ 6.022 x 1023 आवोगाद्रो स्थिर अंक है जो 12 g में उपस्थित कार्बन-12 के परमाणुओं की संख्या है।

→ परमाणुओं के अंदर परमाणु कक्षों को अंदर से बाहर की ओर K, L, M …….के नाम दिए गए हैं।

→ परमाणु की संयोजन क्षमता (शक्ति) को संयोजकता कहते हैं।

→ किसी तत्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु के न्यूक्लियस में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होती है।

→ परमाणु के न्यूक्लियस में उपस्थित अवपरमाणुक कणों-प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के योग को न्यूक्लिऑन कहा जाता है।

→ किसी तत्व के परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न हो, तत्व के समस्थानिक कहलाते हैं।

→ विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान हो परंतु परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न हो समभारिक कहलाते हैं।

→ परमाणु (Atom)-किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण जिसमें उस तत्व के सभी गुण विद्यमान हों, परमाणु कहलाता है। यह स्वतंत्र रूप से विचर भी सकता है और नहीं भी।

→ अणु (Molecule)-पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्रपूर्वक विचर सकता है और उस कण में संबंधित तत्व या यौगिक के सभी गुण हों, अणु कहलाता है। यह परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

→ द्रव्यमान का संरक्षण नियम (Law of conservation of Mass)-द्रव्यमान संरक्षण नियम के अनुसार किसी रासायनिक प्रतिक्रिया में द्रव्यमान न तो बनाया जा सकता है और न ही विनाश किया जा सकता है।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया में क्रिया करने वाले पदार्थों का कुल द्रव्यमान, क्रिया के बाद बनने वाले पदार्थों का द्रव्यमान बराबर रहता है।

→ स्थिर अनुपात नियम (Law of Definite Proportion)-किसी भी यौगिक में तत्व सदा एक निश्चित द्रव्यमान के अनुपात में उपस्थित होते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 3 परमाणु एवं अणु

→ संकेत (Symbol)-यह किसी तत्व के परमाणु को छोटे रूप में व्यक्त करता है। साधारणतया संकेत तत्वों के अंग्रेज़ी के एक या दो अक्षरों से बने होते हैं। संकेत का पहला अक्षर सदा बड़ा तथा दूसरा अक्षर छोटा लिखा जाता है।

→ परमाणु द्रव्यमान (Atomic mass)-कार्बन के एक परमाणु के भार के \(\frac{1}{12}\) भाग से किसी तत्व का एक परमाणु जितने गुणा भारी होता है, वह भार उस तत्व का परमाणु द्रव्यमान कहलाता है जबकि एक कार्बन परमाणु का भार 12 लिया गया है।

→ परमाणु द्रव्यमान इकाई (Atomic mass unit)-कार्बन (C-12) के एक परमाणु के किसी विशेष समस्थानिक के द्रव्यमान के \(\frac{1}{12}\) को परमाणु द्रव्यमान मात्रक (u) कहते हैं।

→ आयन (Ion)-धातु या अधातु युक्त यौगिक जिन आवेशित कणों से बने हुए होते हैं, उन्हें आयन कहते हैं। इन पर धन या ऋण आवेश होता है। धन आवेशित कण को धनायन तथा ऋण आवेशित कण को ऋणायन कहते हैं।

→ बहुपरमाणुक आयन (Polyatomic lon)-परमाणुओं के समूह जिन पर नेट आवेश उपस्थित हों उसे बहुपरमाणुक आयन कहते हैं।

→ रासायनिक सूत्र (Chemical Formula)-किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके संघटक का प्रतीकात्मक निरूपण होता है।

→ मोल (Mole)-मोल किसी पदार्थ का वह द्रव्यमान है जिसमें 12 g कार्बन (C-12) के परमाणु के समान कण होते हैं। वे कण परमाणु, अणु या आयन के रूप में हो सकते हैं। किसी पदार्थ के 6.023 × 1023 कणों को एक मोल कहते हैं। अथवा किसी स्पीशीज़ (परमाणु, अणु, आयन या कण) के एक मोल में पदार्थ की मात्रा वह संख्या है जो ग्राम में उसके आण्विक द्रव्यमान के बराबर होती है।

→ आवोगाद्रो संख्या (Arogadro’s Number)-किसी पदार्थ के एक मोल में कणों (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या निश्चित होती है जिसका मान 6.022 × 1023 होता है। इसे आवोगाद्रो स्थिर अंक (Avogadro Number) कहते हैं। इसे N से प्रदर्शित किया जाता है।

→ मोलर द्रव्यमान (Molar Mass)-किसी तत्व के परमाणुओं के एक मोल के द्रव्यमान को मोलर द्रव्यमान कहते हैं।

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