PSEB 9th Class Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ किसी शुद्ध पदार्थ में एक ही प्रकार के कण होते हैं।

→ मिश्रण एक या एक से अधिक शुद्ध तत्वों या यौगिकों के मिलने से बनता है।

→ किसी तत्व को दूसरे पदार्थ से भौतिक प्रक्रम से पृथक् नहीं किया जा सकता।

→ पदार्थ का स्रोत कोई भी हो उसके अभिलाक्षणिक गुण एक समान होते हैं।

→ मिश्रण अनेक प्रकार के होते हैं। समांगी मिश्रण पृथक्-पृथक् संघटन रख सकते हैं। जिन मिश्रणों के अंश भौतिक दृष्टि से पृथक होते हैं उन्हें विषमांगी मिश्रण कहते हैं।

→ विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है।

→ मिश्र धातु, ठोस विलयन है जो वायु गैसीय विलयन है।

→ मिश्र धातुएं धातुओं के समांगी मिश्रण हैं जिन्हें भौतिक क्रियाओं से अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता।

→ विलयन को विलायक और विलेय में बांटा जाता है।

→ विलयन का एक घटक जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है उसे विलायक कहते हैं। इसकी मात्रा दूसरे से अधिक होती है।

→ विलयन का वह घटक जो विलायक में घुला होता है उसे विलेय कहते हैं। यह प्रायः कम मात्रा में होता है।

→ वायु गैसों का विलयन है। चीनी और जल एवं तरल घोल में ठोस का उदाहरण है। आयोडीन और एलकोहल की विलयन टिंक्चर आयोडीन है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ वात युक्त पेय पदार्थ तरल विलयन में गैस के रूप में हैं।

→ विलयन समांगी मिश्रण हैं जिनके कण व्यास में 1nm (10-9m) से भी छोटे होते हैं।

→ विलयन में मौजूद विलेय पदार्थ की मात्रा के आधार पर इसे तनु, सांद्र या संतृप्त घोल कहते हैं।

→ किसी निश्चित तापमान पर पृथक्-पृथक् पदार्थों की विलयन क्षमता पृथक्-पृथक् होती है।

→ निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलेय पदार्थ कण घुलते नहीं बल्कि माध्यम की समृष्टि में निलंबित रहते हैं।

→ निलंबित कण 100 nm (10-7m) से बड़े होते हैं। कोलाइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं।

→ प्रकाश की किरण का फैलाना टिंडल प्रभाव कहलाता है।

→ कोलाइड के कणों का आकार 1 nm से 100 nm के बीच होता है जो आंखों से दिखाई नहीं देते।

→ यह छानने से अलग नहीं किए जा सकते पर अपकेंद्रीकरण तकनीक से अलग-अलग किए जा सकते हैं।

→ विलायक से विलय पदार्थ को वाष्पीकरण विधि से पृथक् कर सकते हैं।

→ दूध में से क्रीम का पृथक्करण अपकेंद्रीय यंत्र से करते हैं।

→ अमोनियम क्लोराइड, कपूर, नेपथालीन और एंथ्रासीन आदि को ऊर्ध्व पातित किया जा सकता है।

→ मिश्रण से घटकों को पृथक् करने की विधि को क्रोमैटोग्राफ़ी कहते हैं।

→ आसवन का प्रयोग ऐसे मिश्रण को पृथक करने में किया जाता है जिसमें घटकों के क्वथनांकों के बीच काफ़ी अंतर होता है।

→ वायु से विभिन्न गैसों तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण प्रभाजी आसवन से क्रिस्टलीकरण विधि का प्रयोग ठोस पदार्थों को शुद्ध करने में किया जाता है।

→ किस्टलीकरण विधि साधारण वाष्पीकरण विधि से अच्छी होती है।

→ रंग, कठोरता, दृढ़ता, बहाव, घनत्व, द्रवनांक और क्वथनांक को भौतिक गुण कहा जाता है।

→ अंत: रूपांतरण की अवस्था एक भौतिक परिवर्तन है।

→ रासायनिक परिवर्तन पदार्थ के रासायनिक गुणधर्मों में परिवर्तन लाता है।

→ रॉबर्ट बायल ने सबसे पहले 1661 में तत्व शब्द का प्रयोग किया था।

→ तत्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक प्रतिक्रिया से छोटे पदार्थों के टुकड़ों में बांटा नहीं जा सकता।

→ तत्वों को धातु, अधातु और उपधातु भागों में बांटा जाता है।

→ पारा धातु होते हुए भी कमरे के तापमान पर द्रव है।

→ उपधातु, सदा धातु और अधातु के बीच गुणों को प्रकट करते हैं।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ शुद्ध पदार्थ तत्व या यौगिक हो सकते हैं।

→ शुद्ध पदार्थ (Pure Substance)-वह पदार्थ जिसमें एक ही प्रकार के अणु उपस्थित हों, उसे शुद्ध पदार्थ कहते हैं; जैसे-सोना, चांदी आदि।

→ मिश्रण (Mixture)-वह पदार्थ जिसमें एक से अधिक संघटक उपस्थित हों, उसे मिश्रण कहते हैं। इन पदार्थों का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है।

→ पृथक्करण (Separation)-मिश्रण के भिन्न-भिन्न अवयवों (अंशों) को अलग करने की विधि को पृथक्करण कहते हैं।

→ हाथ से बीनना (Hand Picking)-अनाज तथा दालों में से पत्थर तथा कंकड़ आदि निकालने की विधि को हाथ से बीनना कहा जाता है।

→ निथारना (Decantation)-तलछटीकरण और विलायक को अलग करने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली विधि को निथारना कहते हैं। इस विधि द्वारा विलायक को धीरे से अलग कर लिया जाता है।

→ पृथक्कारी कीप (Separating funnel)-दो द्रवों के मिश्रण को अलग करने के लिए जिस कीप का प्रयोग किया जाता है, उसे पृथक्कारी कीप कहते हैं।

→ क्रिस्टल (Crystal)-ठोस पदार्थ के कण जोकि ज्यामितीय आकार के हों, उन्हें क्रिस्टल कहते हैं।

→ आसवन (Distillation)-यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी सहायता से किसी विलयन में से शुद्ध पदार्थ प्राप्त किया जाता है।

→ ऊर्ध्वपातन (Sublimation)-वह प्रक्रिया जिसमें कोई ठोस गर्म करने पर द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना सीधे ही वाष्पों में परिवर्तित हो जाए, उसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं।

→ यौगिक (Compound)-एक से अधिक प्रकार के परमाणुओं के परस्पर संयोग से बने पदार्थों को यौगिक कहते हैं।

→ विलायक (Solvent)-वह पदार्थ जो किसी अन्य पदार्थ (विलेय) को अपने में घोलता है, विलायक कहलाता है। विलयन में इसकी अधिक मात्रा होती है।

→ विलेय (Solute)-वह पदार्थ जो विलायक में घुलता है, विलेय कहलाता है।

→ विलयन (Solution)-दो या दो से अधिक पदार्थों का समरूप मिश्रण विलयन कहलाता है।

→ संतृप्त विलयन (Saturated Solution)-वह विलयन जिसमें एक निश्चित तापमान पर और अधिक विलेय पदार्थ नहीं घुल सकता, संतृप्त विलयन कहलाता है।

→ असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution)-वह विलयन जिसमें एक निश्चित तापमान पर और अधिक विलयन घुल सकता है, असंतृप्त विलयन कहलाता है।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

→ निलंबन (Suspension)-यह वह विषम मिश्रण है जिसमें ठोस पदार्थ के कण पूरे विलायक में बिना घुले फैले हुए होते हैं।

→ कोलायड (Colloid)-कोलायड वह विलयन है जिसमें विलेय के पदार्थों के कणों का आकार 10-7 सें०मी० और 10-5 सें०मी० के बीच होता है।

→ विलेयता (Solubility)-किसी विशेष ताप तथा दाब पर किसी भी विलायक की 100 ग्राम मात्रा में अधिक से अधिक जितना विलेय घोला जा सके, उसे उस विलेय की उस विलेय में दिए गए ताप तथा दाब पर विलेयता (घुलनशीलता) कहते हैं।

→ समांगी (Homogeneous) मिश्रण-वह मिश्रण जिसके गुण तथा संरचना प्रत्येक अवस्था में समरूप हो उसे समांगी कहते हैं।

→ विषमांगी (Heterogeneous)-वह मिश्रण जिसके अंशों के गुण एक-दूसरे से भिन्न हों, उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं।

→ टिंडल प्रभाव (Tyndal Effect)-कोलाइडल द्रवों से प्रकाश की किरणों का पार गुजरते समय बिखर जाना टिंडल प्रभाव कहलाता है।

→ मिश्र धातु (Alloy)-धातुओं के समांगी मिश्रण को मिश्र धातु कहते हैं, जिसे भौतिक क्रिया द्वारा अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता।

→ क्रोमैटोग्राफ़ी (Chromatography)-यह एक ऐसी विधि है जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही तरह के विलायक में घुले होते हैं।

→ क्रिस्टलीकरण (Crystalisation)-क्रिस्टलीकरण वह विधि है जिसके द्वारा क्रिस्टल के रूप में शुद्ध ठोस को विलयन से पृथक् किया जाता है।

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