Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 11.i माँ का कमरा Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 11.i माँ का कमरा
Hindi Guide for Class 10 PSEB माँ का कमरा Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिये
प्रश्न 1.
बुजुर्ग बसंती कहाँ रह रही थी?
उत्तर:
बसंती अपने पुश्तैनी घर में रह रही थी।
प्रश्न 2.
बुजुर्ग बसंती को किस का पत्र मिला?
उत्तर:
बुजुर्ग बसंती को नगर में उच्च पद पर नौकरी करने वाले अपने पुत्र का पत्र मिला था।
प्रश्न 3.
बसंती की पड़ोसन कौन थी?
उत्तर:
बसंती की पड़ोसन रेशमा थी।
प्रश्न 4.
बसंती बेटे के साथ कहाँ आई थी?
उत्तर:
बसंती नगर में अपने पुत्र के घर आई थी।
प्रश्न 5.
कोठी में कितने कमरे थे?
उत्तर:
कोठी में तीन बैडरूम, एक ड्राईंग रूम और नौकरों के कमरे थे।
प्रश्न 6.
नौकर ने बसंती का सामान कहाँ रखा था?
उत्तर:
नौकर ने सामान बरामदे के साथ वाले कमरे में रखा था।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिये
प्रश्न 1.
बेटे ने पत्र में अपनी माँ बसंती को क्या लिखा?
उत्तर:
बेटे ने अपनी माँ को लिखे पत्र में लिखा था कि उसकी तरक्की हो गई है। उसे उसकी कंपनी ने रहने के लिए बहुत बड़ी कोठी दे दी है। वह अब रहने के लिए उसके पास शहर में आ जाए। उसे किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं होगी।
प्रश्न 2.
पड़ोसन रेशमा ने बसंती को क्या समझाया?
उत्तर:
पड़ोसन रेशमा ने बसंती को समझाया था कि उसे बेटे के पास रहने के लिए नहीं जाना चाहिए। शहर में रहने वाले बहू-बेटे बड़े-बुजुर्गों को अपने पास रहने के लिए बुला तो लेते हैं पर उन्हें सम्मान से रखते नहीं। वे उनसे नौकरों वाले काम करवाते हैं। उन्हें ठीक तरह से खाने-पीने को भी नहीं देते। बुजुर्गों का जीवन तो कुत्तों के जीवन से भी बदतर हो जाता है।
प्रश्न 3.
बसंती क्या सोचकर बेटे के साथ शहर आई?
उत्तर:
बसंती को अपने पुत्र पर भरोसा था। फिर भी पड़ोसन के डराने से वह मन ही मन भयभीत थी। अगले दिन जब बेटा इसे ले जाने के लिए स्वयं कार ले कर आ गया तो वह उसकी ज़िद के कारण शहर जाने के लिए तैयार हो गई। उसने सोच लिया था कि ‘जो होगा देखा जावेगा।
प्रश्न 4.
बसंती के कमरे में कौन-कौन सा सामान था?
उत्तर:
बसंती को अपना कमरा तो स्वर्ग जैसा सुंदर लगा था। उसमें डबल-बैड बिछा हुआ था। टी०वी० पड़ा था। एक टेपरिकार्डर भी था। दो कुर्सियां पड़ी थीं। बैड पर बहुत नर्म गद्दे थे।
प्रश्न 5.
बसंती की आँखों में आँसू क्यों आ गए?
उत्तर:
बसंती की आँखों में खुशी के आँसू आ गए थे। उसे ऐसी संपन्नता भरा जीवन अब तक कभी नहीं प्राप्त हुआ था। वह अपने पुश्तैनी-पुराने घर में जैसे-तैसे अकेली जीवन काट रही थी। अब वह अपने बेटे और परिवार के साथ सुख पूर्वक रह सकेगी। उसका बुढ़ापा आराम से कट जाएगा। उसके पुत्र ने आज के कुछ स्वार्थी पुत्रों जैसा व्यवहार नहीं किया था।
प्रश्न 6.
‘माँ का कमरा’ कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
‘माँ का कमरा’ एक सोद्देश्य पूर्ण लघु कथा है। आज के स्वार्थ भरे समय में नई पीढ़ी के अनेक पुत्र बुजुर्ग माता-पिता को अपने पास बुला कर उनसे नौकरों की तरह काम करवाते हैं। बूढ़े माँ-बाप का जीवन नरक-सा बन जाता है लेकिन अभी भी अनेक ऐसे युवक हैं जो अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं। उनके प्रति अपनत्व का भाव रखते हैं। वे समझते हैं कि जैसे उनके बचपन में माता-पिता ने उन्हें अपना सब कुछ लगाकर बड़ा किया; पढ़ाया-लिखाया था उसी प्रकार अब उन्हें भी बूढ़े हो चुके माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। उनके बुढ़ापे का सहारा बनना चाहिए। लेखक ने लघुकथा के माध्यम से बहुत बड़ा संदेश दिया है।
(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित पंजाबी गद्यांश का हिंदी में अनुवाद कीजिए
ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਪੂਸ਼ਤੈਨੀ ਮਕਾਨ ਵਿੱਚ ਰਹਿ ਰਹੀ ਬਜ਼ੁਰਗ ਬਸੰਤੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਸ਼ਹਿਰ ਰਹਿ ਰਹੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਪੱਤਰ ਮਿਲਿਆ‘ਮਾਂ ਮੇਰੀ ਤਰੱਕੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ। ਕੰਪਨੀ ਵੱਲੋਂ ਮੈਨੂੰ ਰਹਿਣ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਕੋਠੀ ਮਿਲੀ ਹੈ, ਹੁਣ ਤਾਂ ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਹੀ ਪਵੇਗਾ।
उत्तर:
अनुवाद-छोटे से पुश्तैनी मकान में रह रही बुजुर्ग बसंती को दूर शहर रह रहे बेटे का पत्र मिला-“माँ मेरी तरक्की हो गई है। कंपनी की ओर से मुझे रहने के लिए बहुत बड़ी कोठी मिली है, अब तो तुम्हें मेरे पास शहर में आकर रहना ही होगा।”
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
आप अपने घर या आस पड़ोस में बुजुर्गों की बेहतरी के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर:
हमें अपने घर या आस-पड़ोस में बुजुर्गों की बेहतरी के लिए काम करने चाहिए। हम उनके कहने पर उन्हें बाज़ार से घर का आवश्यक सामान लाकर देंगे। समय-समय पर उनके घर जाकर पूछेगे कि उन्हें किसी चीज़ की आवश्यकता तो नहीं। यदि आवश्यकता होगी तो उसे हम बाज़ार से लाकर देंगे। शाम के समय उन्हें पार्क में सैर के लिए ले जाएंगे। यदि वे घर में अकेले रहते हैं तो इन से बातें करेंगे। यदि वे चाहेंगे तो उनके साथ कैरम आदि खेलेंगे। आवश्यक होने पर उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाएंगे।
प्रश्न 2.
आप घर में अपनी माँ की मदद किस प्रकार करते हैं? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक की सहायता से कक्षा में सब मिलकर चर्चा कीजिए।
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
प्रश्न 1.
पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाली लघुकथाएं पढ़िए।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।
प्रश्न 2.
विद्यालय की वार्षिक पत्रिका में लघुकथा लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।
प्रश्न 3.
‘माँ’ पर कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
‘माँ का कमरा’ लघुकथा हमें सदा अच्छा सोचने की प्रेरणा देती है। हमें किसी के बारे में सदा गलत नहीं सोचना चाहिए क्योंकि यदि हम दूसरों के विषय में सदा यही सोचते रहें कि वह अच्छा नहीं है, उसमें बुराइयाँ ही बुराइयाँ हैं तो हमें कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए कहा गया है कि-
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिला कोई।
जो मन देखा अपना मुझसा बुरा न कोई॥
इसलिए सदा अच्छा सोचो, अच्छा देखो, अच्छा करो इसी से अपना तथा समाज का भला है।
PSEB 10th Class Hindi Guide माँ का कमरा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
बसंती का बेटा अपने पुश्तैनी घर से दूर क्यों रहता था?
उत्तर:
बसंती का बेटा शहर में कहीं नौकरी करता था इसलिए वह अपने पुश्तैनी घर से दूर रहता था।
प्रश्न 2.
पुत्र को कंपनी ने क्या दिया था?
उत्तर:
पुत्र को कंपनी ने रहने के लिए बहुत बड़ी कोठी दी थी।
प्रश्न 3.
बसंती की पड़ोसन ने किस महिला के पछताने की बात कही थी? क्यों?
उत्तर:
बसंती की पड़ोसन ने बचनी नामक महिला के पछताने की बात कही थी। उसे शहर में रहने के लिए बहूबेटे ने अपने पास बुला लिया था और नौकरानी की तरह उससे व्यवहार किया था। वे उसे न वक्त पर रोटी देते थे और न ही चाय। उसका जीवन तो कुत्ते से बुरा हो गया था।
प्रश्न 4.
बसंती शहर में किस तरह गई थी?
उत्तर:
बसंती का बेटा शहर से आया था और उसे अपनी कार में बिठा कर ले गया था।
प्रश्न 5.
बसंती का बेटा माँ को घर छोड़ कर कहाँ चला गया था?
उत्तर:
बसंती का बेटा माँ को घर छोड़ कर अपने किसी ज़रूरी काम को पूरा करने के लिए चला गया था।
प्रश्न 6.
बसंती की बहू और बच्चे घर क्यों नहीं थे?
उत्तर:
बसंती की बहू अपने काम पर चली गई थी और बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए गए हुए थे।
प्रश्न 7.
कोठी के तीन कमरों के बारे में बसंती ने क्या सोचा था?
उत्तर:
कोठी के तीन कमरों के बारे में बसंती ने सोचा था कि एक कमरा बहू-बेटे का होगा, दूसरा बच्चों का और तीसरा मेहमानों के लिए होगा।
प्रश्न 8.
पिछवाड़े में नौकरों के लिए बने कमरे कैसे थे?
उत्तर:
पिछवाड़े में नौकरों के लिए बने कमरे छोटे थे पर वे रहने योग्य अवश्य थे।
प्रश्न 9.
माँ क्या सोचकर बिस्तर से उठ बैठी थी?
उत्तर:
माँ यह सोचकर बिस्तर से उठ बैठी थी कि वापस आकर उसका बेटा कहीं उसे डाँटे नहीं कि वह उन नर्म गद्दों पर लेट क्यों गई थी।
प्रश्न 10.
बसंती किस बात को सुनकर आश्चर्यचकित रह गई थी?
उत्तर:
बसंती इस बात को सुनकर आश्चर्यचकित रह गई थी कि घर के तीन बड़े कमरों में से एक कमरा उसका था जिसमें डबल-बैड लगा हुआ था।
माँ का कमरा कठिन शब्दों के अर्थ
पुश्तैनी = जो कई पीड़ियों से चला आ रहा हो। बुजुर्ग = बड़ी आयु वाले। जून = जन्म (योनी)। तरक्की = उन्नति। तकलीफ = परेशानी; कष्ट। दुर्गति = बुरी दशा। वक्त = समय। सफर = यात्रा। पिछवाड़े = पिछला हिस्सा। टिका दिया = रख दिया। देख-रेख = निगरानी। आश्चर्यचकित = हैरान। पुनः = दुबारा । बेझिझक = बिना किसी झिझक के। आलिंगन = गले लगाया। सुखद = सुख देने वाला।
माँ का कमरा Summary
माँ का कमरा लेखक परिचय
जीवन परिचय- श्री श्याम सुंदर अग्रवाल पंजाब के प्रतिष्ठित लघुकथाकार हैं। इनका जन्म पंजाब राज्य के कोटकपूरा में 8 फरवरी, सन् 1950 ई० में हुआ था। बी०ए० तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् ये लोक निर्माण विभाग में कार्यरत रहे। सन् 1988 ई० में इन्होंने पंजाबी पत्रिका ‘पिन्नी’ का संपादन कार्य आरंभ किया। यह पत्रिका त्रैमासिक है। अपनी नौकरी के दौरान ही इन्होंने हिंदी और पंजाबी में लघुकथा लेखन का कार्य आरंभ किया था। ये बाल-साहित्य की रचना भी करते हैं।
रचनाएँ-श्री अग्रवाल के फुटकर लघु कथनाओं के अतिरिक्त दो लघुकथा संग्रह अब तक प्रकाशित हुए हैं। उनके नाम हैं-‘नंगे लोका दा फिक्र’, ‘मारुथल दे वासी’।
साहित्यिक विशेषताएँ-श्री अग्रवाल वर्तमान युग की उस त्रासदी को अभिव्यक्त करने वाले कहानीकार हैं जिन्होंने युग बोध की सार्थकता को व्यक्त करने में सफलता प्राप्त की है। हर वस्तु के दो पक्ष होते हैं-अच्छा और बुरा। बुरा डराता है तो अच्छा मन में सद्भावों को उत्पन्न करता है। लेखक सद्भावों को जगाने में सक्षम है। वह दूर की गोटियां न उठा कर निकट से ही विषय को उठाते हैं। लेखक की भाषा सरल और सहज है। उसमें स्वाभाविकता है। गतिशीलता उसमें विद्यमान है।
माँ का कमरा कहानी का सार
बसंती अपने छोटे-से पुश्तैनी मकान में अकेली रहती थी। उसका पुत्र दूर शहर में नौकरी करता था। उसकी तरक्की हो गई थी। उसने अपनी माँ को शहर में आकर उसके साथ रहने के लिए पत्र लिखा। जब उसकी पड़ोसन को पता लगा तो उसने सलाह दी कि वह ऐसा बिल्कुल न करे। शहरों में प्राय: बहू-बेटे अपने बुजुर्ग माँ-बाप से नौकरों वाले काम कराने के लिए ही उन्हें अपने पास बुलाते हैं। वहाँ जाकर रहना तो कुत्तों से भी बुरी हालत में रहने के बराबर होता है। माँ चिंता में डूबी हुई थी।
उसका पुत्र अपनी कार में उसे लेने आ गया था। ‘जो होगा देखा जायेगा’ – सोचकर माँ पुत्र के साथ चली गई। लंबे सफर के बाद जब माँ वहाँ पहुँची तो उसने देखा कि घर बहुत बड़ा था। तीन कमरों में डबल बैड, एक बढ़िया सजा हुआ कमरा और पीछे नौकरों के कमरे। नौकर एक कमरे में उस का समान रख गया। घर में न तो दोनों बच्चे थे और न बहू। शाम को उसका बेटा वापस घर आया तो माँ ने उससे कहा कि उस का सामान भी उसके कमरे में रखवा देता। बेटे ने बताया कि उसका सामान उसी के कमरे में ही तो था। माँ के लिए ऐसा सुनना हैरान कर गया था। उसने झट उसे गले लगा लिया। खुशी से उसकी आँखें भर आयी थीं।