Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह
Hindi Guide for Class 9 PSEB एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :
प्रश्न 1.
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी क्या कुछ लुटा देता है ?
उत्तर:
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।
प्रश्न 2.
व्यसन या ड्रग एडिक्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब आदमी का मन और शरीर दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं और वह नशे बिना नहीं रहता तो इसे व्यसन
प्रश्न 3.
नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में कौन फँस जाता है ?
उत्तर:
मन का सन्तुलन खोजता आदमी नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
प्रश्न 4.
कोकेन के सेवन से क्या नुकसान होता है ?
उत्तर:
कोकेन के सेवन से त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगने का आभास होता है।
प्रश्न 5.
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन नष्ट हो जाता है। अपनों का प्यार और साथ खो जाता है। वह दुनिया में अकेला रह जाता है।
प्रश्न 6.
नशा करने से आर्थिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से आर्थिक समस्याएँ दिनों-दिन बढ़ती जाती हैं।
प्रश्न 7.
कौन-कौन सी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं ?
उत्तर:
सरकारी, गैर-सरकारी, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
नशे की भूल-भुलैया में लोग क्यों फँस जाते हैं ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में लोग इसलिए फंस जाते हैं ताकि वे अपने जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ सके।
प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किस तरह के लोग नशे के शिकार होते हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार कोई गम दूर करने, तो कोई शून्य, स्नेहरिक्त, जीवन में रस लाने के लिए, कोई उत्सुकतावश तो कोई फैशनेबल दिखाने के लिए नशे के शिकार होते हैं।
प्रश्न 3.
लोगों में नशे के बारे में किस तरह की ग़लतफहमी है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लोगों में नशे के बारे में ग़लतफहमी है कि नशा कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता बढ़ाता है।
प्रश्न 4.
नशा करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ जाता है ?
उत्तर:
नशा करने वाले व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है। उस पर आलस्य छा जाता है। वह शंकालु बन जाता है।
प्रश्न 5.
नशा करने से कौन-कौन-सी भयंकर बीमारियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशा करने से एड्स, हेपेटाइटिस, वातस्फीति, दमा, खांसी आदि भंयकर बीमारियाँ होती हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
नशा करने का एक बार का अनुभव आगे चलकर व्यसन में बदल जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशे की शुरुआत आदमी अपने किसी दोस्त या साथी के कहे में आकर करता है। धीरे-धीरे उसका यह अनुभव व्यसन में बदल जाता है। वह इसका आदी बन जाता है। उसे नशे के बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता। नशा न मिलने पर वह छटपटाने लगता है। उसका शरीर और मन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।
प्रश्न 2.
नशेड़ी व्यक्ति का जीवन अंतत: नीरस हो जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशेडी व्यक्ति के जीवन में कुछ भी शेष नहीं रहता। उसका शरीर ही नहीं बल्कि मन भी रोगों का शिकार बन जाता है। उसका सामाजिक स्तर टूट जाता है। कोई उससे बात करना भी पसंद नहीं करता। न उसके पास धन रहता है और न यौवन। अनेक बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं। इस प्रकार नशेड़ी व्यक्ति का जीवन नीरस बन जाता है।
प्रश्न 3.
नशामुक्ति के क्या-क्या उपाय किए जाते हैं ?
उत्तर:
नशामुक्ति के लिए निम्न उपाय किए जाते हैं
(1) नशामुक्ति के लिए मनोरोग विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं।
(2) डॉक्टर नशे की खुराक को घटते हुए देकर धीरे-धीरे बंद कर देते हैं।
(3) ऐसी दवाएँ दी जाती हैं जिससे तन-मन की छटपटाहट काबू हो जाती है।
(4) रोगी को अस्पताल भी भर्ती कर सकते हैं।
(5) रोगी के मानसिक एवं सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
(6) अनेक संस्थाओं द्वारा मदद ली जाती है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि मन को कमज़ोर बनाने वाली स्थितियाँ भी नशे की ओर धकेल सकती हैं। मन का संतुलन खोजना आदमी एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि आदमी के जीवन में किसी प्रकार का दुःख, तनाव, असफलता आदि हो तो वे भी उसके मन को कमजोर बना देती हैं जिसके कारण आदमी नशे की ओर चला जाता है। वह नशा करने लगता है। वह इसमें अपने मन का संतुलन बनाना चाहता है लेकिन धीरे-धीरे एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
प्रश्न 5.
किंतु अच्छाई इसी में है कि इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल आज़ाद ही रखें। कोई कुछ भी कहें, न तो नशों के साथ एक्सपेरिमेंट करना अच्छा है, न ऐसी संगत में रहना ठीक है जहाँ लोग उसके चंगुल में कैद हों।
उत्तर:
लेखक नशे से बचने का सुझाव देता है कि अस्थाई इसी बात में है कि नशे के चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल स्वतन्त्र रखना चाहिए। हमें कभी भी नशे का शिकार नहीं होना चाहिए। चाहे कोई कुछ भी कहे न तो नशों के साथ परीक्षण करना अच्छा होता है और न ही ऐसी संगित में रहना जहाँ लोग उसके शिकार होते हैं।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – …………… – …………….
दुष्प्रभाव – …………… – …………….
बेचैन – …………… – …………….
बेरोज़गार – …………… – …………….
उत्खनन – …………… – …………….
विवश – …………… – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – निर – बुद्धि
दुष्प्रभाव – दुः – प्रभाव
बेचैन – बे – चैन
बेरोज़गार – बे – रोज़गार
उत्खनन – उत् – खनन
विवश – वि – वश
2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
निर्भरता – …………… – …………….
पुरातात्विक – …………… – …………….
मानसिक – …………… – …………….
विफलता – …………… – …………….
शारीरिक – …………… – …………….
मनोवैज्ञानिक – …………… – …………….
कल्पनाशीलता – …………… – …………….
चिकित्सीय – …………… – …………….
सृजनात्मकता – …………… – …………….
सरकारी – …………… – …………….
उत्तर:
निर्भरता – निर्भर – ता
पुरातात्विक – पुरातत्व – इक
मानसिक – मानस – इक
विफलता – विफल – ता
शारीरिक – शरीर – इक
मनोवैज्ञानिक – मनोविज्ञान – इक
कल्पनाशीलता – कल्पनाशील – ता
चिकित्सीय – चिकित्सा – ईय
सृजनात्मकता – सृजनात्मक – ता
सरकारी – सरकार – ई
3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
- मुहावरा – अर्थ – वाक्य
- मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना – ……………….
- रग-रग में फैलना – सब जगह फैलना – ……………….
- घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना – ……………….
- सुध न रहना – याद न रहना – ………………..
- ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना – …………….
- नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना – ……………..
उत्तर:
- मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना
वाक्य – विद्यार्थियों को आलस्य से सदा मुँह मोड़ना चाहिए। - रग – रग में फैलना-सब जगह फैलना
वाक्य – साँप का ज़हर किसान की रग-रग में अब तक फैल चुका होगा। - घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना
वाक्य – कवि को उस के पिता ने ऐसा समझाया कि यह बात उस में घर कर गई है। - सुध न रहना – याद न रहना
वाक्य – परीक्षा निकट आते ही विद्यार्थियों को खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती। - ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना
वाक्य-अरे ! मेहनत करो गम ग़लत करने से कुछ नहीं होगा। - नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना
वाक्य – संते और बंते का नाता टूट चुका है।
4. निम्नलिखित पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए
प्रश्न 1.
ਗੀਲੀ ਗੀਲੀ ਤਵ ਤੀ ਭਉਤਾ ਦੀ ਹੈਪੀ ਸਾਂਤੀ
उत्तर:
धीरे-धीरे खुराक की मात्रा भी बढ़ती जाती है।
प्रश्न 2.
ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਦੋਸਤ ਜਾਂ ਸਾਥੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे की शुरुआत आमतौर पर किसी दोस्त या साथी के कहने में आ कर होती है।
प्रश्न 3.
ਨਸ਼ੇੜੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਮਨ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ।
उत्तर:
नशेड़ी व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता।
प्रश्न 4.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਲਤ ਤੋਂ ਮੁਕਤੀ ਪਾਉਣਾ ਅਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
उत्तर:
नशीले पदार्थों की आदत से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।
प्रश्न 5.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਅਜ਼ਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे से हमें स्वयं को सदा आज़ाद रखना चाहिए।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘घर में बड़ों को नशा करते देखकर भी कुछ किशोर और युवा गुमराह हो जाते हैं। क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? यदि हाँ, तो चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं लेखक की इस उक्ति से सहमत हूँ। जब किशोर और युवा अपने घर में बड़ों को नशा करते हुए देखते हैं तो वे भी गुमराह हो जाते हैं क्योंकि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं। बड़े ही बच्चों का आइना होते हैं। घर में बड़े जैसा व्यवहार और काम करते हैं बच्चे वैसा ही करते चले जाते हैं। इसलिए घर में बड़ों को संयम में रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
यदि आपको कोई नशा करने के लिए उकसाए तो आप किस तरह उसे मना करेंगे ?
उत्तर:
यदि कोई मुझे नशा करने के लिए उकसाएगा तो मैं उसे साफ शब्दों में मना कर दूंगा। उसके लाख प्रयास करने पर भी मैं उसे न ही कहूँगा। मैं उसे समझाऊंगा कि नशा हमारे जीवन के लिए बहुत हानिकारक है। इससे धीरेधीरे हमारा शरीर कमज़ोर बनता है और एक दिन नष्ट हो जाता है इसलिए तुझे भी नशा छोड़ देना चाहिए। यदि वह मेरा मित्र हुआ तो मैं उस से अपनी मित्रता भी सदा के लिए छोड़ दूंगा।
(घ) पाठेत्तर सक्रियता
प्रश्न 1.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
कक्षा अध्यापक की सहायता से स्वयं बनाएं।
प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से नशा-उन्मूलन रैली का आयोजन किया जाए तो इन नारों से समाज को नशों से दूर रहने के लिए जागृत करें।
उत्तर:
1. नशा उन्मूलन सम्बन्धी नारें1. नशा जीवन की बर्बादी है।
2. नशा छोड़ो-जीवन जोड़ो।
3. नशा भगाओ जीवन खुशहाल बनाओ।
4. नशा है एक कुल्हाड़ी, काटे जीवन की गाड़ी।
5. नशा भगाओ, खुशियाँ लाओ।
6. नशा भगाओ, सबका प्रेम पाओ।
प्रश्न 3.
नशों के घातक परिणामों से सम्बन्धित चित्र अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से इकट्ठे कीजिए और उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 4.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी कोई एकांकी ढूँ अथवा अपने मित्रों/अध्यापकों की मदद से छोटी-सी नाटिका लिखें और उसे बाल-सभा में मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 5.
जब भी कभी आपके स्कूल में नशों के विरोध में कोई आयोजन हो तो उस अवसर पर ‘नशामुक्ति’/ ‘नशाबंदी’ विषय पर छात्रों का एक समूह मिलकर एक प्रदर्शनी का आयोजन करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 6.
स्कूल में नशा-उन्मूलन विषय पर आयोजित होने वाली विभिन्न क्रियाओं जैसे ‘निबन्ध’, ‘भाषण’, ‘वादविवाद’ तथा ‘पोस्टर बनाना’ आदि प्रतियोगिताओं में सक्रिय भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।
प्रश्न 7.
1 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ‘विश्व एड्स दिवस’ के अवसर पर स्कूल में आयोजित होने वाली कार्यशाला में भाग लें। इस अवसर पर अध्यापकों, रिसोर्स पर्सन्स, चिकित्सकों आदि के “एड्स’ विषय पर बहुमूल्य विचार सुनें एवं इस अवसर पर आयोजित ‘प्रश्नोत्तरी काल’ में ‘एड्स’ से सम्बन्धित प्रश्न पूछ कर अपनी सभी जिज्ञासाओं को शान्त करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।
(ङ ) ज्ञान-विस्तार
1. कोकेन-यह भी एक खतरनाक ड्रग है। इसकी लत में दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक और नैतिक पतन हो जाता है। भारत सहित अनेक देशों में इसके उपयोग और बिक्री पर रोक है।
2. एल० एस० डी० (लाइसर्जिक एसिड डाई-ऐथाइलामाइड)-तेज़ मादक पदार्थ जिसे लेने से मानसिक व्यवहार और शारीरिक क्रिया-कलापों पर गहरा असर पड़ता है। मन व्यग्रता से घिर उठता है, मतिभ्रम और दृष्टिभ्रम होने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और तरह-तरह की मानसिक विकृतियाँ दिलोदिमाग पर हावी हो जाती हैं।
3. पीसीपी (फेनसाइक्लीडिन)-कई नामों जैसे एंजल डस्ट, पीस पिल (शाँति की गोली) और सेरनिल के नाम से बिकने वाली नशे की गोली जिसे लेने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और मन-मस्तिष्क में कई तरह के भ्रम-विभ्रम उठ खड़े होते हैं।
4. कैनाविस-देश के कई हिस्सों में उगने वाली बूटी, जिसके विभिन्न हिस्सों से मादक पदार्थ भांग, गांजा और चरस प्राप्त किए जाते हैं। इनका नशे करने से मतिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके चलते छोटी-सी चीजें बहुत बड़ी दिखने लग सकती हैं, कानों में आवाजें सुनाई देने लग सकती हैं, और नशे की इस हालात में आदमी कई प्रकार से अपना बुरा कर सकता है। लंबे समय तक इनके सेवन से तन-मन दोनों पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं।
5. एम्फेटामिन दवाएँ-मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाली शक्तिशाली दवाओं का एक खास वर्ग। अक्सर इन दवाओं का दुरुपयोग एकाग्रता और मानसिक सतर्कता में वृद्धि लाने के लिए होता है। युवा पीढ़ी में ‘स्पीड’ के नाम से लोकप्रिय ये दवाएँ नींद भगाने, थकान मिटाने और सुखबोध उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं, किंतु उनके सेवन से तनमन पर अनेक दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। ये दवाएँ अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कनों की गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर में वृद्धि पैदा करती हैं, आदमी को नशाखोर बनाती हैं और दिल पर बुरा असर डाल मौत की नींद सुला सकती हैं।
6. एच० आई० वी० (ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएन्सी वायरस)-यह एक विषाणु है जिसके साथ एड्स फैलता है।
7. एड्स-यह अंग्रेजी के अक्षर ए० आई० डी० एस० से बना है अर्थात् एक्वायर्ड इम्यून डैफिशिएन्सी सिन्ड्रोम। वास्तव में यह कोई रोग नहीं है अपितु एक शारीरिक अवस्था है जिसमें मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते-होते लगभग खत्म ही हो जाती है तथा मनुष्य फिर साधारण रोग-कीटाणुओं द्वारा फैलने वाली सामान्य बीमारियों से भी अपने आप को बचा नहीं पाता। इस तरह फिर वह प्राणघातक संक्रामक रोगों कई तरह के कैंसर आदि से ग्रस्त हो सकता है।
8. तपेदिक (क्षयरोग) T.B. (Tubercle bacillus)-यह एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। यह हवा के माध्यम से तब फैलती है जब वे लोग जो टी.बी. संक्रमण से ग्रसित हैं और छींक, खांसी या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपनी लार संचारित कर देते हैं।
9. हेपेटाइटस बी/यकृतशोथ-यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।
PSEB 9th Class Hindi Guide एक अंतहीन चक्रव्यूह Important Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :
प्रश्न (i)
नशा किसको अपना गुलाम बना लेता है ?
उत्तर:
नशा मन के बाद शरीर को अपना गुलाम बना लेता है।
प्रश्न (ii)
कौन-सी स्थितियाँ आदमी को नशों की ओर धकेल सकती हैं ?
उत्तर:
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि स्थितियाँ आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है।
प्रश्न (iii)
नशे की वास्तविकता क्या है ?
उत्तर:
नशे की वास्तविकता यह है कि नशा करने से मनन क्षमता क्षीण हो जाती है तथा व्यक्ति अपना स्वास्थ्य भी गंवा सकता है।
प्रश्न (iv)
मादक पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद दूसरा चरण क्या है ?
उत्तर:
दूसरे चरण में रोगी के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :
प्रश्न (i)
आदमी की नशे की निर्भरता कितने प्रकार की होती हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
आदमी की नशे की निर्भरता दो प्रकार की होती है
(1) पहली निर्भरता में आदमी को नशा न मिलने पर मन बेचैन होने लगता है, परन्तु शारीरिक लक्षण नहीं उभरते।
(2) दूसरा नशे में मन के बाद शरीर भी धीरे-धीरे उसका गुलाम बन जाता है।
प्रश्न (ii)
व्यक्तित्व की कौन-सी कमियाँ व्यक्ति को नशे में डुबो सकती हैं ?
उत्तर:
थोड़ी-सी बात पर चिन्ता, तनाव, अवसाद तथा मन में हीन भावना घर करना सभी व्यक्तित्व की कमियाँ आदमी को नशे में डुबो सकती हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न (i)
नशे से आदमी के जीवन में क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशे से आदमी के जीवन में निम्नलिखित हानियाँ होती हैं
(1) आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।
(2) आदमी का मन और तन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।
(3) मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
(4) सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
(5) आदमी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
(6) एड्स, हेपेटाइटिस बी, वातस्फीति, दमा, टी० बी० आदि भंयकर रोग हो जाते हैं।
प्रश्न (ii)
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है
(1) यह आदमी का मनन-क्षमता तथा स्मरण शक्ति को कमजोर बना देता है।
(2) रोगी पर आलस्य छाया रहता है।
(3) वह पोस्ती हो जाता है।
(4) आदमी का किसी कमा-काज में मन नहीं लगता।
(5) आदमी का स्वास्थ्य चिड़चिड़ा हो जाता है।
(6) वह झूठ बोलने लगता है।
(7) वह शंकालु बन जाता है।
एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० यतीश अग्रवाल।
प्रश्न 2.
पाषाण-युग में किस नशीली वस्तु का सेवन होता था ?
उत्तर:
अफ़ीम।
प्रश्न 3.
जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ने वाले लोग किसमें खो जाते थे ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में खो जाते थे।
प्रश्न 4.
व्यसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब नशे की खुराक नहीं मिलने पर व्यक्ति छटपटाने लगता है तो इसे व्यसन कहते हैं।
प्रश्न 5.
नशे की शुरूआत कैसे होती है ?
उत्तर:
किसी दोस्त या साथी के कहने से होती है।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 6.
नशा करने से मननक्षमता क्षीण हो जाती है।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 7.
नशीले पदार्थों के सेवन से भूख नहीं मरती।
उत्तर:
नहीं।
सही-ग़लत में उत्तर दीजिए
प्रश्न 8.
हर नशा मन की दुनिया पर कोई असर नहीं डालता।
उत्तर:
गलत।
प्रश्न 9.
कैनाबिस लेने के बाद मन प्रमत्त हो उठता है।
उत्तर:
सही।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 10.
मादक पदार्थों के ……… से मुक्ति पाना …… नहीं होता।
उत्तर:
मादक पदार्थों के व्यसन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।
प्रश्न 11.
यह …… परिवारजनों और …… के सच्चे … … से ही पूरा हो सकता है।
उत्तर:
यह पुनर्वास परिवारजनों और प्रियजनों के सच्चे सहयोग से ही पूरा हो सकता है।
बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें
प्रश्न 12.
किसके सेवन से कभी यह आभास होता है कि मानो त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगे हैं ?
(क) कैनाबिस
(ख) कोकेन
(ग) एल. एस. डी.
(घ) पी.सी.पी.
उत्तर:
(ख) कोकेन।
प्रश्न 13.
कैसी दवाएँ विभ्रम पैदा करती हैं
(क) एंटीबायोटिक
(ख) एंटीफलेमिटरी
(ग) एंफेटामिन
(घ) एस्थेटिक।
उत्तर:
(ग) एंफेटामिन।
प्रश्न 14.
फेफड़े का कैंसर किसके सेवन से होता है ?
(क) कॉफी
(ख) चाय
(ग) तंबाकू
(घ) दूध।
उत्तर:
(ग) तंबाकू।
प्रश्न 15.
नशे के चंगुल से मुक्त कराने में कौन-से विशेषज्ञ विशेष रूप से मदद करते हैं-
(क) हृदय रोग
(ख) नेत्र रोग
(ग) मनोरोग
(घ) बाल रोग।
उत्तर:
(ग) मनोरोग।
कठिन शब्दों के अर्थ
दुष्प्रभाव = बुरा प्रभाव। आलस्य = सुस्ती। अंकुर = बीज। कौतूहलवश = उत्सुकता के कारण। अंतहीन = जिसका अन्त न हो। पुरातात्विक = पुरातत्व (प्राचीन वस्तुओं की खोज एवं अध्ययन) से सम्बन्धित। रसास्वादन = स्वाद लेना। चक्रव्यूह = चक्र के रूप में सेना की स्थापना। उत्खनन = ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई। पाषाण = पत्थर। मायावी = माया से युक्त; जादूई। नागफनी = साँप के फन के आकार का गूदेदार पौधा। कोकेन = कोका की पत्तियों से तैयार किया गया द्रव्य, जिसे लगने से अंग सुन्न हो जाता है। उत्तरार्द्ध = पिछला आधा भाग। साइकलोजिकल = मनोवैज्ञानिक। भ्रामक = भ्रम उत्पन्न करने वाला, बहलाने वाला। दुर्बल = कमजोर। चिलम = मिट्टी की बनी हुई नली जिस में तंबाकू जलाकर पीते हैं। ग़म ग़लत करना = दु:ख भूलने के लिए नशा करना। स्नेहरिक्त = स्नेह से रहित। ज़रा-सी बात = थोड़ी-सी बात। व्यसन = लत। सेवन करना = लेना (खाना या पीना)। बेवजह % बिना कारण। ड्रग एडिक्शन = नशीले पदार्थ पर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भरता। अवसाद = सुस्ती, थकावट, उदासी। विफलता = असफलता। हताशा = निराशा, दुःख। एकाग्रता = ध्यान। कल्पनाशीलता = मन की कल्पना शक्ति। सृजनात्मकता = मौलिकता, रचनात्मक शक्ति। भ्राँति = भ्रम, संदेह। बेहतर = उचित। हीनभावना = अपने को तुच्छ समझने की भावना। तपेदिक = क्षय रोग, टी० बी० (Tubercle bacillus)। मतली = मिचली, जी मचलने की अवस्था। नशा मुक्ति = नशों से आज़ादी। विवश = मजबूर। ऊ = वमन, उल्टी करना। रुग्ण = बीमार, दूषित। शंकालु = शंका करने वाला। यकृतशोध = जिगर की सूजन। एड्स = (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक विशेष तरह के वापरत से उत्पन्न एक रोग जिसमें शरीर की रोग-बचाव प्रणाली बेअसर हो जाती है। निरपट = बिल्कुल। दिनोंदिन = दिन-प्रतिदिन। आसक्तता = लिप्तता। अंधियारा = अंधेरा। पुनर्वास = बीमारी आदि के कारण उजड़े/बर्बाद हुए लोगों का उपचार करके उन्हें फिर से बसाना। एक्सपेरिमैंट = प्रयोग। स्वयंसेवी = अपने आप सेवा करने वाली।
एक अंतहीन चक्रव्यूह Summary
एक अंतहीन चक्रव्यूह जीवन-परिचय
जीवन-परिचय-डॉ० यतीश अग्रवाल का जन्म 20 जून, सन् 1959 ई० में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक श्रेष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर, लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल ये सफदरजंग हॉस्पिटल तथा बी० एम० मैडिकल कॉलेज नई दिल्ली में प्रोफेसर एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं।
रचनाएँ-डॉ० यतीश अग्रवाल बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें प्रमुख रचनाएं हैं-मन के रंग, नेत्र रोग, नारी स्वास्थ्य और सौन्दर्य, हृदय रोग, तुरन्त उपचार, स्वस्थ खाए तन मन जगाएं, सबके लिए स्वास्थ्य, दांपत्य जीवन, दवाइयां और हम, ब्लड प्रेश, जितना संयत उतना स्वस्थ आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-अग्रवाल स्वास्थ्य तथा चिकित्सा विज्ञान के प्रति तीन दशकों से लोगों में जागृति फैला रहे हैं। देश के अनेक प्रमुख समाचार-पत्रों में इनके लेख छपते रहते हैं। इनके लेख सरल, सरस एवं प्रभावशाली होते हैं। लेखक की भाषा-शैली बहुत सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इसमें अंग्रेजी शब्दावली की अधिकता है।
एक अंतहीन चक्रव्यूह निबन्ध का सार
‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ निबन्ध डॉ० यतीश अग्रवाल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने वर्तमान युग में युवाओं में फैल रही नशे की भयंकर समस्या तथा घातक परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि आज युवा किस तरह नशे के जाल में पड़कर अपना जीवन अंधकार बना रहे हैं। वैसे तो नशा मानव-जीवन के साथ ही शुरू हो गया था। इन्सान ने पेड़ पौधों से प्राप्त नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। नशे का इतिहास बहुत पुराना है। 3000 वर्ष ईसा पूर्व इसके प्रयोग के उल्लेख मिलते हैं किन्तु 19वीं सदी में नशा युवाओं तक फैलने लगा। युवा जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ने के लिए नशे में खो जाते थे। किन्तु वर्तमान समय में तो मज़दूर, किसान, रिक्शा-चालक बेरोज़गार आदि सभी वर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। ये लोग अपने गम को भुलाने, आनंद उठाने तो कोई फैशन दिखाने के चक्कर में नशे के नरक में धंसता जा रहा है। शुरू में तो युवा अपने किसी दोस्त या साथी के कहने पर नशे की शुरुआत करते हैं किंतु धीरे-धीरे वे इसके आदी बन जाते हैं। वे इसमें इतने डूब जाते हैं कि अपने जीवन को ही र्बाद कर लेते हैं।
इस समय कुछ गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। अवसाद, तनाव, असफलता, निराशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियाँ आदमी को नशे की तरफ धकेल देती हैं। धीरे-धीरे मन का संतुलन खोजता आदमी नशे के एक अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है। नशा करने से आदमी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे से उसकी सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। _ नशे के लगातार सेवन से आदमी की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। वह आलसी बन जाता है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कोई काम करने को मन नहीं करता। वह झूठ बोलने लगता है। वह शंका करने लगता है। इससे भूख मर जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण शरीर में तपेदिक, एड्स, दमा, खांसी, टी० बी०, हैपेटाइटिस बी०, वातस्फीति आदि भयंकर बीमारियाँ हो जाती हैं। ये बीमारियाँ जानलेवा होती हैं। नशेड़ी आदमी इनसे छुटकारा नहीं पा सकता।
नशा करने वाले आदमी का शरीर रोगी ही नहीं बनता बल्कि उसका परिवार और समाज भी उसे दुत्कार देता है। उसे कोई प्यार नहीं करता। वह दुनिया में बिल्कुल अकेला रह जाता है। मित्र, सगे-सम्बन्धी छूट जाते हैं। आर्थिक : समस्याएँ बढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे आदमी दल-दल में फंसता जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता। नशे से मुक्ति दिलाने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष मदद कर सकते हैं। नशा मुक्ति के लिए वे अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रयोग में लाते हैं। दूसरे चरण में रोगी के मानसिक तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
आज हमारे देश में अनेक सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशा मुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। सबसे अच्छा यही है कि आदमी इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल दूर रहें। हमें ऐसी संगत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। युवाओं को नशे तथा नशा करने वालों से सदा दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें पड़ कर आदमी का जीवन नष्ट हो जाता है।