PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

याद ररवने योग्य बातें (Points to Remember)

→ प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है।

→ प्रकाश हमें वस्तुएँ देखने में सहायता करता है, परंतु प्रकाश स्वयं दिखाई नहीं देता है।

→ प्रकाश, विद्युत्-चुंबकीय तरंगों (Electromagnetic waves) का एक रूप है। वायु या निर्वात में प्रकाश का वेग 3 x 108 मीटर/सैकिंड है।

→ सूर्य, प्रकाश का एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोत है।

→ मोमबत्ती, बिजली की लैंप मानव-निर्मित प्रकाश के स्रोत हैं।

→ परावर्तन के नियमों अनुसार दर्पण के समान चमकदार पॉलिश की हुई सतह से प्रकाश परावर्तन होता है।

→ स्रोत से आ रही प्रकाश किरणें जब किसी वस्तु पर पड़ती हैं तो उससे परावर्तित हो रहा प्रकाश हमारी आँखों पर पड़ता है जिससे रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिंब बन जाता है।

→ उसी माध्यम में प्रकाश के मार्ग में हुए परिवर्तन की क्रिया को प्रकाश परावर्तन कहते हैं।

→ एक चिकनी और चमकदार अत्याधिक पॉलिश की गई सतह जो अपने ऊपर पड़ रहे प्रकाश के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देती है, दर्पण कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

→ परावर्तन के दो नियम हैं –

  • आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर बना अभिलंब सभी एक तल में होते हैं।
  • आपतन कोण (∠i) और परावर्तन कोण ( ∠r) सदा एक-दूसरे के बराबर होते हैं।

→ आपतित किरण और अभिलंब के मध्य बन रहे कोण को आपतन कोण (∠i) कहते हैं।

→ परावर्तित किरण तथा अभिलंब के मध्य बन रहे कोण को परावर्तन कोण (∠r) कहलाता है।

→ यदि कोई प्रकाश किरण अभिलंब रूप में दर्पण पर गिरती है तो परावर्तन के पश्चात् अभिलंब की दिशा में ही वापिस आ जाती है। इस अवस्था में ∠i = 0° तथा ∠r = 0° होता है।

→ समतल दर्पण में बन रहा प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा पार्श्व परिवर्तित होता है। प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के समान होता है तथा यह दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने पड़ी होती है।

→ गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं –

  1. अवतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण।

→ अवतल दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता-अर्धव्यास ऋणात्मक होते हैं।

→ उत्तल दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता-अर्धव्यास धनात्मक मानी जाती है।

→ उत्तल दर्पण का फोकस दर्पण के पीछे बनता है।

→ एस० आई० पद्धति में फोकस दूरी का मात्रक मीटर है।

→ गोलीय दर्पण (अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण) में फोकस दूरी, वक्रता अर्धव्यास का आधा होती है। अर्थात्f= \(\frac{1}{2}\) xR

→ आपतित प्रकाश की दिशा में मापी जाने वाली सभी दूरियों को धनात्मक और इसके विपरीत दिशा में मापी गई दूरियों को ऋणात्मक लिया जाता है।

→ वस्तविक प्रतिबिंब अवतल दर्पण के सामने बनते हैं, इसलिए दूरी v को ऋणात्मक माना जाता है। आभासी प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनते हैं, इसलिए v को धनात्मक लिया जाता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

→ वस्तुओं को दर्पण के सामने रखा जाता है, इसलिए u प्रायः ऋणात्मक होता है।

→ अवतल दर्पण में वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार का प्रतिबिंब बनता है।

→ वस्तु की स्थिति कोई भी हो, उत्तल दर्पण सदा आभासी प्रतिबिंब बनाता है। यह प्रतिबिंब वस्तु से छोटे आकार का बनता है।

→ दर्पण फार्मूला \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v} \) उत्तल, अवतल और समतल सभी प्रकार के दर्पणों पर लागू होता है।

→ समतल दर्पण के लिए R (वक्रता अर्धव्यास) अनंत होता है।

→ f, R, u, v, h1 और h2 -सभी दूरियों को मीटर में मापा जाता है।

→ आवर्धन m एक अनुपात है जिसका कोई मात्रक नहीं होता।

→ प्रकाश की चाल विभिन्न माध्यमों में भिन्न-भिन्न होती है।

→ पानी, वायु की अपेक्षा सघन है और काँच, पानी की अपेक्षा अधिक सघन है।

→ प्रकाशीय विरल माध्यम में प्रकाश तीव्र गति से चलता है।

→ सघन माध्यम में प्रकाश धीमी गति से चलता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

→ निर्वात सबसे अधिक विरल माध्यम है।

→ जब प्रकाश की किरण विरल माधयम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो यह आपतन बिंदु पर बने अभिलंब की ओर मुड़ जाती है।

→ जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब से दूर मुड़ जाती है।

→ प्रकाश किरण जब एक प्रकाशीय माध्यम से दूसरे प्रकाशीय माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अपने पथ से विचलित हो जाती है। इस प्रक्रिया को प्रकाश अपवर्तन कहते हैं।

→ आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच बना कोण आपतन कोण कहलाता है।

→ अपवर्तित किरण तथा अभिलंब के बीच बना हुआ कोण अपवर्तन कोण कहलाता है।

→ आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अभिलंब एक ही तल में होते हैं। यह अपवर्तन का पहला नियम

→ आपतन कोण के Sine (Sin i) और अपवर्तन कोण के Sine (Sin r) का अनुपात स्थिराँक होता है। अपवर्तन के इस नियम को स्नेल का नियम भी कहते हैं।

→ निर्वात में प्रकाश के वेग और किसी अन्य माध्यम में प्रकाश के वेग का अनुपात माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनाँक कहलाता है।
PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

→ काँच का अपवर्तनाँक 1.5, पानी का अपवर्तनाँक 1.33 तथा निर्वात का अपवर्तनांक 1 होता है।

→ लेंस एक पारदर्शी अपवर्तन करने वाले माध्यम का टुकड़ा होता है जिसके दो पृष्ठ होते हैं। यदि दोनों पृष्ठ गोलाकार हों तो लेंस गोलाकार होता है।

→ लेंस दो प्रकार का होता है-

  • उत्तल लेंस
  • अवतल लेंस।

→ उत्तल लेंस में समांतर प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद किरणें एक बिंदु पर इकट्ठी हो जाती हैं। इसलिए उत्तल लेंस अभिसारी लेंस कहलाता है।

→ अवतल लेंस में समांतर प्रकाश किरणें अपवर्तन के बाद फैल जाती हैं। इसलिए अवतल लेंस को अपसारी लेंस भी कहते हैं।

→ उत्तल लेंस की फोकस दूरी को धनात्मक तथा अवतल लेंस की फोकस दूरी को ऋणात्मक माना जाता है।

→ S.I. प्रणाली में फोकस दूरी की इकाई (मात्रक) मीटर है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

→ मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश किरणें अपवर्तन के बाद मुख्य फोकस में से गुज़रती हैं।

→ मुख्य फोकस में से गुज़र रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती हैं।

→ लेंस के प्रकाशिक केंद्र में से गुज़र रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद बिना मुड़े सीधी चली जाती है।

→ अवतल लेंस में वस्तु की कोई भी स्थिति हो, प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा बनता है।

→ जब वस्तु अनंत पर हो तो उत्तल लेंस में प्रतिबिंब फोकस पर बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में छोटा होता है।

→ जब वस्तु उत्तल लेंस के 2F पर पड़ी हो, तो प्रतिबिंब वास्तविक, सीधा और आकार में समान होता है।

→ जब वस्तु F तथा 2F के मध्य हो, तो प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बड़ा बनता है।

→ जब वस्तु उत्तल लेंस के मुख्य फोकस पर हो, तो अपवर्तन के बाद प्रतिबिंब अनंत पर वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बड़ा बनता है।

→ जब वस्तु उत्तल लेंस के F मुख्य फोकस तथा प्रकाशिक केंद्र के बीच पड़ी हो, तो प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आकार में बड़ा बनता है। यह प्रतिबिंब लेंस के उसी तरफ बनता है जिस ओर वस्तु पड़ी हो।

→ वस्तु, प्रतिबिंब तथा मुख्य फोकस की दूरी लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापी जाती हैं।

→ आपतित किरण की दिशा में मापी गई दूरियां धनात्मक और उसके विपरीत दिशा में मापी गई दूरियां ऋणात्मक मानी जाती हैं।

→ गोलीय लेंस का रेखीय आवर्धन, लेंस द्वारा बनाये गए प्रतिबिंब के आकार तथा वस्तु के आकार का अनुपात होता है।

→ लेंस का आवर्धन सूत्र m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}=\frac{-v}{u}\)

→ लेंस की बंकन (bending) योग्यता लेंस की क्षमता कहलाती है। यह लेंस की मीटरों में फोकस दूरी का व्युत्क्रम होती है।

→ उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक मानी जाती है।

→ लेंस क्षमता की इकाई डाइऑप्टर (D) है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ जनन प्रक्रमों द्वारा नए जीव उत्पन्न होते हैं जो जन्म देने वाले के समान होते हुए भी उससे कुछ अलग होते हैं।

→ शिशु में मानव के सभी आधारभूत लक्षण होते हैं।

→ माता और पिता दोनों समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ संतान में स्थानांतरित करते हैं। इसलिए प्रत्येक संतान में हर लक्षण के दो विकल्प हो सकते हैं।

→ मेंडल पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने प्रत्येक पीढ़ी के एक-एक पौधे द्वारा प्रदर्शित लक्षणों का रिकार्ड रखा और गणना की।

→ मेंडल ने मटर के पौधे के अनेक विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया।

→ DNA का वह भाग जिसमें किसी प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना होती है, उस प्रोटीन का जीन कहलाता

→ पौधे में उपस्थित हॉर्मोन की मात्रा पर उसकी लंबाई निर्भर करती है।

→ जीन लक्षणों (Traits) को नियंत्रित करते हैं।

→ प्रत्येक कोशिका में प्रत्येक गुण सूत्र की दो प्रतिकृति होती है जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होती है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

→ प्रत्येक जनक कोशिका से गुणसूत्र के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुण सूत्र ही एक जनन कोशिका में जाता है।

→ मानव नर और मादा में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं।

→ पुरुषों में एक-एक जोड़ी XY तथा स्त्रियों में XX गुणसूत्र होते हैं। .

→ लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों में युग्मक अथवा जनन कोशिकाएँ विशिष्ट जनन ऊतकों में बनती हैं।

→ चार्ल्स डार्विन ने ‘प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास’ सिद्धांत की कल्पना की थी।

→ हम डार्विन को केवल जैव विकासवाद के कारण जानते हैं।

→ एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे० बी० एस० हाल्डेन ने 1929 में सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे।

→ कोशिका सभी जीवों की आधारभूत इकाई है। जीवाणु कोशिका में केंद्रक नहीं होता जबकि अधिकतर दूसरे जीवों की कोशिकाओं में केंद्रक पाया जाता है।

→ बहुकोशिक जीवों में प्रकाश संश्लेषण का होना या न होना वर्गीकरण का महत्त्वपूर्ण स्तर है।

→ समान जनक से वंशानुगत हुए जीवों में समान लक्षण होते हैं।

→ पक्षियों, सरीसृप, जलस्थल चर और स्तनधारियों के पैरों की संरचना एक समान है चाहे वे भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं।

→ चमगादड़ और पक्षी के पंख चाहे उड़ने का काम करते हैं पर दोनों की संरचना एक समान नहीं होती।

→ चट्टानों में जीव के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं। अधिक गहराई पर मिलने वाले अवशेष उन अवशेषों से अधिक पुराने होते हैं जो कम गहराई पर मिलते हैं।

→ ‘फॉसिल डेटिंग’ से जीवाश्म का समय निर्धारण किया जाता है।

→ प्लैनेरिया नामक चपटे कृमि में अति सरल आँख होती है जो प्रकाश को पहचान सकता है।

→ कोई परिवर्तन जो एक गुण के लिए उपयोगी है वह कालांतर में किसी अन्य कार्य के लिए उपयोगी हो सकता है।

→ प्राणियों के पँख ऊष्मा रोधन के लिए विकसित हुए थे पर बाद में वे उड़ने में प्रयुक्त होने लगे थे।

→ पक्षी बहुत निकटता से सरीसृप से संबंधित हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

→ मनुष्य ने दो हज़ार वर्ष पहले जंगली गोभी को खाद्य पौधे के रूप में उगाना आरंभ किया था। उसके चयन से इससे विभिन्न सब्ज़ियाँ विकसित कीं।

→ कोशिका विभाजन के समय DNA में होने वाले परिवर्तन से उस प्रोटीन में अंतर आएगा जो नए DNA से बनेगी।

→ आण्विक जाति वृत्त दूरस्थ संबंधी जीवों के DNA में विभिन्नताओं की जानकारी देता है।

→ विविधताओं की उत्पत्ति और प्राकृतिक चयन से स्वरूप देना ही विकास है।

→ मानव विकास के अध्ययन के लिए उन्हीं साधनों का उपयोग करते हैं जिनका जैव-विकास के लिए किया था।

→ उत्खनन, समय-निर्धारण, जीवाश्मी अध्ययन और DNA अनुक्रम का निर्धारण मानव विकास के अध्ययन के मुख्य साधन हैं।

→ आधुनिक मानव स्पीशीज़ ‘होमोसेपिएस’ के प्राचीनतम सदस्यों को अफ्रीका में खोजा गया है।

→ मानव की उत्पत्ति अन्य स्पीशीज़ की तरह जैव-विकास की एक घटना मात्र थी।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ कोशिका के केंद्रक में पाए जाने वाले गुण सूत्रों के DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है।

→ कोई भी जैव रासायनिक प्रक्रिया पूर्ण रूप से विश्वसनीय नहीं होती इसलिए DNA प्रतिकृति की प्रक्रिया में कुछ विभिन्नता आ जाती है।

→ विभिन्नताओं के उग्र होने की अवस्था में DNA की नई प्रतिकृति अपने कोशिकीय संगठन के साथ समायोजित न हो पाने के कारण संतति कोशिका की मृत्यु का कारण बनती है।

→ जनन में होने वाली विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं।

→ कालाजार के रोगाणु लेसमानियां में द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है।

→ मलेरिया परजीवी, प्लाज्मोडियम जैसे एक कोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जिसे बहुखंडन कहते हैं।

→ यीस्ट कोशिका से छोटे मुकुल ऊभर कर कोशिका से अलग हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से वृद्धि करते हैं।

→ बहुकोशिक जीवों में जनन अपेक्षाकृत जटिल विधि से होती है।

→ हाइड्रा, प्लेनेरिया आदि सरल जीव टुकड़ों में कट कर पूर्ण जीव का निर्माण करते हैं जिसे पुनरुद्भवन कहते हैं। यह विशेष कोशिकाओं द्वारा पूरा होता है।

→ ऊतक संवर्धन तकनीक में पौधे के ऊतक अथवा कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्तमान भाग से पृथक् कर नए पौधे उगाए जाते हैं।

→ लैंगिक जनन के लिए नर और मादा दोनों लिंगों की आवश्यकता होती है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

→ दो या अधिक एकल जीवों की विभिन्नताओं के संयोजन से विभिन्नताओं के नए संयोजन उत्पन्न होते हैं, क्योंकि इस प्रक्रम में दो विभिन्न जीव भाग लेते हैं।

→ गतिशील जनन-कोशिका के नर युग्मक तथा जिस जनन कोशिका में भोजन का भंडार संचित होता है, उसे मादा युग्मक कहते हैं।

→ जब पुष्प में पुंकेसर या स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो पुष्प एकलिंगी कहलाते हैं, जैसे पपीता, तरबूज। जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो उसे उभयलिंगी कहते हैं, जैसे-गुड़हल, सरसों।

→ जनन कोशिकाओं में युग्मक अथवा निषेचन से युग्मनज बनता है।

→ परागकणों का स्थानांतरण वायु, जल या प्राणियों के द्वारा संपन्न होता है।

→ निषेचन के पश्चात्, युग्मनज में अनेक विभाजन होते हैं तथा बीजांड में भ्रूण विकसित होते हैं।

→ युवावस्था आरंभ होते ही युवकों-युवतियों में अनेक शारीरिक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन मंद गति से होते हैं और सभी में एक ही दर और समान तेज़ी से नहीं होते।

→ किशोरावस्था की अवधि को यौवनारंभ (प्यूबरटी) कहते हैं।

→ जनन कोशिका उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान तक पहुँचाने वाले अंग संयुक्त रूप से नर जनन अंग बनाते हैं।

→ शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है।

→ शुक्राणु उत्पादन के नियंत्रण के अतिरिक्त टेस्टोस्टेरॉन लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का नियंत्रण करता है।

→ मादा जनन कोशिकाओं का निर्माण अंडाशय में होता है। वे कुछ हॉर्मोन भी उत्पन्न करती हैं।

→ निषेचन के पश्चात् निषेचित अंड अथवा युग्मनज गर्भाशय में स्थापित हो जाता है। निषेचन न होने की अवस्था में ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म होता है जिसकी अवधि 2 से 8 दिन की होती है।

→ गोनेरिया, सिफ़लिस, वाइरस संक्रमण, HIV AIDS आदि यौन संबंधी रोग हैं।

→ लैंगिक क्रिया द्वारा गर्भ धारण की संभावना सदा ही बनी रहती है।

→ गर्भरोधी तरीकों को अपनाने से गर्भधारण करने से बचा जा सकता है।

→ गर्भ धारण न करने के यांत्रिक, हॉर्मोनल, शल्यचिकित्सा आदि अनेक तरीके हैं।

→ भ्रूण लिंग निर्धारण एक कानूनी अपराध है।

→ हमारे देश में मादा भ्रूण हत्या के कारण शिशु लिंग अनुपात तेज़ी से घटता जा रहा है।

→ हमारे देश में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है।

 

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

याद ररवने योग्य बातें (Points to Remember)

→ सजीवों को उन तंत्रों का उपयोग करना चाहिए जो नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं।

→ हमें विभिन्न सूचनाओं का ज्ञान तंत्रिका कोशिकाओं की विशिष्टीकृत सिरे द्वारा होता है।

→ हमारी ज्ञानेंद्रियाँ हैं-आँख, नाक, कान, त्वचा और जिह्वा।

→ ज्ञानेंद्रियों से प्राप्त होने वाली सूचनाओं का पता एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे से लगता है।

→ तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरान का संगठित जाल है।

→ प्रतिवर्ती क्रियाएँ वे स्थितियाँ हैं जहाँ हम अपने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं।

→ तंत्रिकाएँ विभिन्न संकेतों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने का कार्य करती हैं।

→ पूरे शरीर की तंत्रिकाएं मेरुरज्जु में मस्तिष्क को जाने वाले रास्ते में एक बंडल में मिलती हैं। प्रतिवर्ती चाप इसी मेरुरज्जु में बनते हैं।

→ अधिकांश जंतुओं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल-न्यूरॉन जाल या तो अल्प है या अनुपस्थित है।

→ मेरुरज्जु तंत्रिकाओं से बनी होती है जो सोचने के लिए सूचनाएँ प्रदान करती है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

→ मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं।

→ मस्तिष्क पेशियों तक संदेश भेजता है।

→ मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग अग्रमस्तिष्क है। यह देखने, सुनने, सूंघने आदि के लिए विशिष्टीकृत है।

→ अनैच्छिक क्रियाओं में से अनेक मध्य और पश्चमस्तिष्क से नियंत्रित होती है।

→ रीढ़ की हड्डी मेरुरज्जु की रक्षा करती है।

→ पादप संरचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत्-रसायन साधन का उपयोग भी करते हैं।

→ अनुवर्तन गतियाँ उद्दीपन की ओर या इससे विपरीत दिशा में हो सकती हैं।

→ यदि उद्दीपित कोशिकाएँ किसी रासायनिक यौगिक को निर्मोचित करना आरंभ कर दें तो वह यौगिक आसपास की सभी कोशिकाओं में विसरित हो जाएगा।

→ हार्मोन ऑक्सिन कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि में सहायक है।

→ पादप हार्मोन जिब्बेरेलिन भी तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।

→ आयोडीन की कमी से गॉयटर हो जाता है।

→ पीयूष ग्रंथि से स्रावित होने वाले हॉर्मोन में एक वृद्धि हॉर्मोन है। यह शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है।

→ नर में टेस्टोस्टेरोन तथा मादा में एस्ट्रोजन का स्रावण होता है।

→ इंसुलिन एक हॉर्मोन है जिसका उत्पादन अग्न्याशय द्वारा होता है। यह रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।

→ ऊर्जा के स्रोत को हम भोजन तथा शरीर के अंदर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं।

→ शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।

→ एक कोशी जीवों को भोजन ग्रहण करने, गैसों के आदान-प्रदान और वर्ण्य पदार्थ के निष्कासन के लिए किसी विशेष अंग की आवश्यकता नहीं होती।

→ बहुकोशिकीय जीवों में विभिन्न कार्यों को करने के लिए भिन्न-भिन्न अंग विशिष्टीकृत हो जाते हैं।

→ अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना उत्सर्जन कहलाता है।

→ ऊर्जा का स्रोत भोजन है और जो पदार्थ हम खाते हैं वह भोजन है। सभी जीवों में ऊर्जा तथा पदार्थ की सामान्य आवश्यकता समान है।

→ विषमपोषी ऊतक जीविता के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वपोषी पर आश्रित होते हैं। जंतु और कवक विषमपोषी जीव हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रम है जिसमें स्वपोषी बाहर से लिए पदार्थों को ऊर्जा संचित रूप में परिवर्तित कर देता है। ये पदार्थ CO2, तथा जल के रूप में लिए जाते हैं जो सूर्य के प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में बदल जाते हैं।

→ रंध्र पत्ती की सतह पर सूक्ष्म छिद्र होते हैं। प्रकाश संश्लेषण के लिए गैसों का आदान-प्रदान इन्हीं से होता है।

→ रंध्रों से पर्याप्त मात्रा में जल की भी हानि होती है।

→ प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।

→ पौधे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, लोहा और मैग्नीशियम मिट्टी से लेते हैं।

→ एक कोशिक जीवों में भोजन पूरी सतह से लिया जा सकता है।

→ अमीबा कोशिकीय सतह से अंगुली जैसे अस्थायी प्राकार्य से भोजन लेता है।

→ मनुष्य की आहार नली मुँह से गुदा तक फैली एक लंबी नली है।

→ क्षुद्रांत्र आहार नली का सबसे लंबा भाग है।

→ माँस का पाचन सरल है इसलिए बाघ जैसे मांसाहारी की क्षुद्रांत्र छोटी होती है। क्षुद्रांत्र कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का पाचन करती है।

→ वायु की उपस्थिति में होने वाला प्रक्रम वायवीय श्वसन कहलाता है।

→ वायवीय श्वसन में ऊर्जा का उपयोग अवायवीय श्वसन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है।

→ अचानक होने वाली क्रिया से हमारी पेशियों में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होना जप का कारण हो सकता अनार है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ जलीय जंतु जल में विलेय ऑक्सीजन का ही उपयोग करते हैं।

→ जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है इसलिए जलीय जीवों की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है।

→ मानव में, श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन है जो ऑक्सीजन के लिए उच्च बंधुता रखता है।

→ यदि कूपिकाओं की सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग 80 वर्गमीटर क्षेत्र ढांप सकता है।

→ रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक है।

→ हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारी मुट्ठी के आकार का होता है।

→ हृदय में अलिंद और निलय हिस्से होते हैं। अलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है।

→ सरीसृपों का हृदय तीन कोष्ठीय और मछलियों में दो कोष्ठीय होता है।

→ सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 मि०मी० (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 मि०मी० (पारा) होता है।

→ स्फाईग्मोमैनोमीटर नामक यंत्र से रक्त दाब नापा जाता है।

→ धमनियाँ वे रुधिर वाहिकाएँ हैं जो रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंग तक ले जाती हैं। शिराएँ विभिन्न अंगों से रुधिर एकत्र करके वापस हृदय तक लाती हैं।

→ रक्त स्राव को रोकने के लिए रुधिर में प्लेटलैट्स कोशिकाएँ होती हैं जो पूरे शरीर में भ्रमण करती हैं। वे रक्त स्त्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती हैं।

→ पादप की वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में जल की हानि वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।

→ प्रकाश संश्लेषण को विलेय उत्पादों का वहन स्थानांतरण कहलाता है जो संवहन ऊतक के फ्लोएम भाग से होता है।

→ मानवीय उत्सर्जन तंत्र में एक जोड़ा वृक्क, एक मूत्र वाहिनी, एक मूत्राशय और एक मूत्रमार्ग होता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 6 जैव प्रक्रम

→ वृक्क में नाइट्रोजनी वर्ण्य पदार्थ जैसे यूरिया या यूरिक अम्ल रुधिर से अलग कर लिए जाते हैं।

→ वृक्क में अनेक निस्यंदक एकक होते हैं जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं।

→ वृक्क के अपक्रिय हो जाने की अवस्था में कृत्रिम वृक्क का उपयोग किया जाता है।

→ अपोहन (Dialysis) नाइट्रोजनी अपशिष्ट उत्पादों को रुधिर से निकालने की एक युक्ति है।

→ पौधों से गिरने वाली पत्तियों में भी अपशिष्ट उत्पाद संचित रहते हैं। रेजिन, गोंद आदि भी अपशिष्ट हैं जो पुराने जाइलम में संचित रहते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ तत्वों को ऐसे ढंग से व्यवस्थित करना कि समान गुणों वाले तत्व एक साथ हो जाएं और भिन्न गुणों वाले तत्व अलग समूह में इकट्ठे हो जायें, तत्वों को वर्गीकृत करना कहलाता है।

→ डॉबेराइनर के त्रिक नियमानुसार जब विशेष तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो समान गुणों वाले तीन तत्वों का समूह प्राप्त हो जाता है जिनके मध्य वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान शेष दोनों तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों के मध्यमान के बराबर होता है।

→डॉबेराइनर ने रासायनिक तौर पर एक समान तत्वों के त्रिक (Triads) के बारे में बताया परंतु इस आधार पर सभी तत्व वर्गीकृत नहीं हो पाए थे।

→ 1866 ई० में न्यूलैंड (Newland) ने अष्टक नियम के आधार पर 40 परमाणु द्रव्यमान वाले कैल्शियम तक के तत्वों का वर्गीकरण किया।

→ रूस के वैज्ञानिक मेंडलीफ (Mandeleev) के आवर्त नियम (Periodic law) को प्रतिपादित किया जो मेंडलीफ के नियम (Mandeleev law) के नाम से जाना जाता है।

→ मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Periodic Table) को पीरियड (Periods) तथा ग्रुप (Groups) में बांटा गया है।

→ ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को ग्रुप (Groups) तथा क्षितिज पंक्तियों को पीरियड (Periods) कहते हैं।

→ मेंडलीफ ने आवर्त सारणी में कुछ स्थान उन तत्वों के लिए खाली छोड़ रखे थे, जिनकी खोज उस समय नहीं हुई थी।

→ आधुनिक आवर्त नियमानुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु अंकों के आवर्तफलन हैं।

→ दीर्घ आवर्त सारणी में धातुएं आवर्त सारणी की बाईं ओर, अधातुएं दाई ओर तथा उपधातु सारणी में सीमा पर स्थित हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ तत्वों को उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर उनके गुणों का निश्चित अतंराल या पीरियड के बाद दोहराए जाने को तत्वों के गुणों की आवर्तता कहते हैं।

→ आवर्त सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे की ओर जाते समय तत्वों के परमाणु अर्ध-व्यास बढ़ते जाते हैं।

→ आवर्त सारणी के पीरियड में बायें से दायें की ओर जाते समय तत्वों के परमाणुओं के अर्ध-व्यास कम हो जाते हैं।

→ किसी तत्व के अकेले गैसीय परमाणु अथवा आयन के बाह्यतम शैल (कोष) में उपस्थित इलैक्ट्रॉन को विस्थापित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं।

→ आवर्त सारणी के ग्रुप में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए तत्वों की आयतन ऊर्जा कम हो जाती है।

→ आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बायें से दायें की ओर जाते हुए तत्वों की आयनन ऊर्जा बढ़ती है।

→ वे तत्व जो आघातवर्धनीय तन्य तथा विद्युत् तथा ताप के सुचालक और जिनके परमाणु सुगमता से इलैक्ट्रॉन की हानि से विद्युतीय धन आवेशित आयन (कैटायन) बना सकें, उनको धातु कहते हैं।

→ वे तत्व जो भंगुर, चमकविहीन, विद्युत् तथा ताप के कुचालक और जिनके परमाणु सुगमता से इलैक्ट्रॉन ग्रहण कर विद्युतीय ऋण आवेशित आयन (ऐनायन) बनाते हैं, उन्हें अधातु कहते हैं।

→ स्केडियम, गैलियम, जर्मेनियम आदि तत्वों की खोज मेंडलीफ की आवर्त सारणी प्रतिपादित होने के बाद हुई थी।

→ सन् 1913 में हेनरी मोज़ले ने बताया था कि तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसकी परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है।

→ अर्धधातु (उपधातु) के द्वारा अधातु और धातु दोनों के गुण प्रदर्शित किए जाते हैं। अर्धधातु (उपधातु) हैं-बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, अर्सेनिक, ऐंटिमनी, टेल्यूरियम और पोलोनियम।

→ धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यत: अम्लीय होते हैं।

→ किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु के बाहरी कक्ष से एक इलैक्ट्रॉन के निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को आयनन ऊर्जा कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ किसी तत्व के उदासीन परमाणु में एक अतिरिक्त इलैक्ट्रॉन के जुड़ने पर निकलने वाली ऊर्जा इलैक्ट्रॉन बंधुता कहलाती है।

→ किसी समूह में धात्विक गुण ऊपर से नीचे आने पर बढ़ता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली अधिकांश वस्तुएँ कार्बन के यौगिक हैं।

→ सभी सजीव संरचनाएँ कार्बन पर आधारित होती हैं।

→ प्रकृति में बहुत कम मात्रा में उपस्थित कार्बन हमारे लिए उपयोगी है।

→ अधिकांश कार्बन यौगिक विद्युत् संवाहक नहीं होते।

→ कार्बन यौगिकों के संयोजन से किसी आयनं की उत्पत्ति नहीं होती।

→ कार्बन की परमाण्विक संख्या 6 है। इसके सबसे बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं।

→ हाइड्रोजन को एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रॉन के सहभाजी युगल हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच एकल बंध बनाते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

→ क्लोरीन विपरमाणुक अणु Cl2, बनाता है।

→ ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के बीच दोहरे बंध की संरचना होती है।

→ अष्टक प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन के एक अणु में नाइट्रोजन का प्रत्येक परमाणु तीन इलेक्ट्रॉन देता है। इससे इलेक्ट्रॉन के तीन सहभागी युगल प्राप्त होते हैं।

→ मीथेन कार्बन का यौगिक है। यह बायोगैस एवं कंप्रैस्ड नेचुरल गैस (CNG) का प्रमुख घटक है।

→ हीरा और ग्रेफाइट कार्बन के अपरूप हैं। इनके रासायनिक गुणधर्म एक समान होते हैं।

→ फुलेरेंस कार्बन अपरूप की एक श्रेणी है जिसे C-60 के नाम से पहले पहचाना गया था।

→ सहसंयोजी बंध बनाने की प्रकृति के कारण कार्बन यौगिक बहुत बड़ी संख्या में हैं।

→ कार्बन परमाणु शृंखलन करते हैं। कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल बंध से जुड़े यौगिक संतृप्त यौगिक कहलाते हैं।

→ कार्बन-कार्बन बंध अत्यधिक तीव्र और स्थायी होता है।

→ कार्बन ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्वों के साथ यौगिक बनाता है।

→ एक समान फॉर्मूला लेकिन विभिन्न संरचनाओं वाले यौगिक संरचनात्मक यौगिक कहलाते हैं।

→ सीधी और शाखाओं वाली कार्बन शृंखलाओं के अतिरिक्त कुछ यौगिकों में कार्बन के परमाणु वलय के आकार में व्यवस्थित होते हैं जैसे साइक्लो-हैक्सेन।

→ संतृप्त हाइड्रोकार्बन ‘एल्केन’ कहलाते हैं। असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक या अधिक दोहरे बंध होते हैं उन्हें एल्कीन कहते हैं। एक या अधिक तिहरे बंध वाले ‘एल्काइन’ कहलाते हैं।

→ सभी हाइड्रोकार्बन, ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करके ताप एवं प्रकाश के साथ CO2, बनाते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

→ संतृप्त हाइड्रोकार्बन से प्रायः स्वच्छ ज्वाला बनती है जबकि असंतृप्त कार्बन यौगिकों से अत्याधिक काले धुएं वाली पीली ज्वाला निकलती है।

→ अपूर्ण दहन होने पर कजली ज्वाला उत्पन्न होती है।

→ कोयला और पेट्रोलियम जीवाश्मी ईंधन हैं।

→ पूर्ण ऑक्सीकरण से अल्कोहल को कार्बोक्सलिक अम्ल में बदला जा सकता है।

→ जिन पदार्थों में अन्य पदार्थों को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं।

→ उत्प्रेरक स्वयं को प्रभावित किए बिना अभिक्रिया दर को आगे बढ़ाते हैं।

→ मिथेनॉल के थोड़े-से प्रयोग से भी मृत्यु हो जाती है। यह व्यक्ति को अंधा भी बना सकता है।

→ मिथेनॉल को एथनॉल में मिला दिया जाता है ताकि उसका दुरुपयोग रोका जा सके।

→ गन्ने के रस का किण्वन करके एथनॉल तैयार किया जाता है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 1.
सर्कस का एक कलाकार एक 20 m लंबी डोर पर चढ़ रहा है जो अच्छी तरह से तनी हुई है और भूमि पर सीधे लगे खंभे के शिखर से बंधा हुआ है। यदि भूमि स्तर के साथ डोर द्वारा बनाया गया कोण 30° का हो तो खंभे की ऊंचाई ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति)।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 1

हल :
मान लीजिए AB खंभे की ऊंचाई है।
AC = 20 m डोर की लंबाई है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 2

इस स्थिति में, उन्नयन कोण 30° है।
आकृति में विभिन्न आयोजन दिखाए गए हैं।
समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AC}}\) = sin 30°

या \(\frac{\mathrm{AB}}{20}=\frac{1}{2}\)

AB = \(\frac{1}{2}\) × 20 = 10
अतः खंभे की ऊँचाई 10 m. है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 2.
आँधी आने से एक पेड़ टूट जाता है और टूटा हुआ भाग इस तरह मुड़ जाता है कि पेड़ का शिखर ज़मीन को छने लगता है और इसके साथ 30° का कोण बनाता है। पेड़ के पाद-बिंदु की दूरी, जहाँ पेड़ का शिखर ज़मीन को छूता है, 8 m है। पेड़ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए आँधी से पहले पेड़ की लंबाई BD है।
आँधी के पश्चात् AD = AC = टूटे गए पेड़ को भाग की लंबाई।
आकृति में विभिन्न आयोजन दिखाए गए हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 3

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}\) = tan 30° BC

या \(\frac{h_{1}}{8}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

h = \(\frac{8}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}=\frac{8}{3} \sqrt{3} \mathrm{~m}\) ……………(1)

साथ ही,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\) = cos 30°

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 4

अतः, वृक्ष की ऊँचाई 8√3 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 3.
एक ठेकेदार बच्चों को खेलने के लिए एक पार्क में दो फिसलनपट्टी लगाना चाहती है। 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए वह एक ऐसी फिसलनपट्टी लगाना चाहती है जिसका शिखर 1.5m की ऊँचाई पर हो और भूमि के साथ 30° के कोण पर झुका हुआ हो, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए वह 3m की ऊँचाई पर एक अधिक ढाल की फिसलनपट्टी लगाना चाहती है, जो भूमि के साथ 60° का कोण बनाती हो। प्रत्येक स्थिति में फिसलनपट्टी की लंबाई क्या होनी चाहिए ?
हल :
स्थिति I. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए
मान लीजिए AC = lm फिसलनपट्टी की लंबाई को निरूपित करता है और BC = 1.5 m फिसलनपट्टी की ऊँचाई है।
इस स्थिति में उन्नयन कोण 30° है।
आकृति में विभिन्न आयोजन दिखाए गए हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 5

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\) = sin 30°

या \(\frac{1 \cdot 5}{l_{1}}=\frac{1}{2}\)

या l1 = 1.5 × 2 = 3m

स्थिति II. अधिक उम्र के बच्चों
मान लीजिए AC = l2 m फिसलन पट्टी की लंबाई को निरूपित करता है और BC = 3 m फिसलनपट्टी की ऊँचाई है।
इस स्थिति में उन्नयन कोण 60° का है।
आकृति में विभिन्न आयोजन दिखाए गए हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 6

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AC}}\) = sin 60°

\(\frac{3}{l_{2}}=\frac{\sqrt{3}}{2}\)

l2 = \(\frac{3 \times 2}{\sqrt{3}}=\frac{6}{\sqrt{3}}\)

= \(\frac{6}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}=\frac{6 \sqrt{3}}{3}\) = 2√3 m
अत: 5 वर्ष से कम उम्र तथा इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए फिसलनपट्टी की लंबाई है : 3 m और 2√3 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 4.
भूमि के एक बिंदु से, जो मीनार के पाद-बिंदु से 30 m की दूरी पर है, मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। .
हल :
मान लीजिए BC = h m मीनार की ऊँचाई है और AB = 30 m भूमि स्तर पर दूरी है।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए गए हैं

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 7

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AB}}\) = tan 30°

या \(\frac{h}{30}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

या h = \(\frac{30}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}=\frac{30 \sqrt{3}}{3}\)

= 10√3 = 10 × 1.732
h = 17.32 m (लगभग)
अतः, मीनार की ऊँचाई 17.32 m. है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 5.
भूमि से 60 m की ऊँचाई पर एक पतंग उड़ रही है। पतंग में लगी डोरी को अस्थायी रूप से भूमि के एक बिंदु से बांध दिया गया है। भूमि के साथ डोरी का झुकाव 60° है। यह मानकर कि डोरी में कोई ढील नहीं है, डोरी की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए बिंदु C पर पतंग की स्थिति है।
AC = 1 m पतंग के साथ लगी डोरी की लंबाई है। इस स्थिति में उन्नयन कोण 60° है।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए गए हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 8

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{CB}}{\mathrm{CA}}\) = sin 60°

या \(\frac{60}{l}=\frac{\sqrt{3}}{2}\)

या l = \(\frac{60 \times 2}{\sqrt{3}}=\frac{120}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}\)

= \(\frac{120 \sqrt{3}}{3}\) = 40√3 m
अतः, डोरी की लंबाई 40√3 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 6.
1.5 m लंबा एक लड़का 30 m ऊँचे एक भवन से कुछ दूरी पर खड़ा है। जब वह ऊंचे भवन की ओर जाता है तब उसकी आँख से भवन के शिखर का उन्नयन | कोण 30° से 60° हो जाता है। बताइए कि वह भवन की | ओर कितनी दूरी तक चलकर गया है।
हल :
मान लीजिए ED = 30 m भवन की ऊँचाई है और EC = 1.5 m लड़के की ऊँचाई है।
विभिन्न स्थितियों में उन्नयन कोण क्रमश: 30° और 60° है।
आकृति में विभिन्न आयोजन दिखाए गए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 9

समकोण ∆ACD में,
DC = tan 30°
या \(\frac{28 \cdot 5}{x+y}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

x + y = 28.5 × √3 m …………….(1)

अब, समकोण ABCD में,
\(\frac{\mathrm{DC}}{\mathrm{BC}}\) = tan 60°
या \(\frac{28 \cdot 5}{y}\) = 15
या y = \(\frac{28 \cdot 5}{\sqrt{3}}\)
या y = \(\frac{28 \cdot 5}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}=\frac{28 \cdot 5 \times \sqrt{3}}{3}\) …………..(2)
भवन की ओर तय की गई दूरी = x
= (x + y) – y
= (28.5 × √3) (\(\frac{28 \cdot 5}{3}\) × √3) m
[(1) और (2) का प्रयोग करने से]
= 28.5 (1 – \(\frac{1}{3}\)) √3 m
= 28.5 (\(\frac{3-1}{3}\)) √3 m
= [28.5 × \(\frac{2}{3}\)] √3 m
= 19√3 m
अतः, लड़के द्वारा भवन की ओर तय की गई दूरी 19√3 m है ।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 7.
भूमि के एक बिंदु से एक 20 m ऊँचे भवन के शिखर पर लगी एक संचार मीनार के तल और शिखर के उन्नयन कोण क्रमशः 45° और 60° हैं। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए BC = 20 m भवन की ऊँचाई है और DC = h m संचार भवन की ऊँचाई है।
भवन के शिखर पर लगी एक संचार मीनार के तल और शिखर के उन्नयन कोण क्रमश: 45° और 60° हैं।
विभन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार है

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 10

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}\) = cot 45°
या \(\frac{\mathrm{AB}}{20}\) = 1
या AB = 20 m …………….(1)
साथ ही, समकोण ∆ABD में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BD}}\) = cot 60°
या \(\frac{\mathrm{AB}}{20+h}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

AB = \(\frac{20+h}{\sqrt{3}}\)

या AB = \(\frac{20+h}{\sqrt{3}}\) …………….(2)
(1) और (2) से हमें प्राप्त होता है,
20 = \(\frac{20+h}{\sqrt{3}}\)
20√3 = 20 + h
या h = 20√3 – 20
या h = 20(√3 – 1) m
= 20 (1.732 – 1) m
= 20 × 0.732 = 14.64 m
अतः, मीनार की ऊँचाई 14.64 m. है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 8.
एक पेडस्टल के शिखर पर एक 1.6 m ऊँची मूर्ति लगी है। भूमि के एक बिंदु से मूर्ति के शिखिर का उन्नयन कोण60° है और उसी बिंदु से पेडस्टल के शिखर का उन्नयन कोण 45° है। पेडस्टल की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए BC = h m पेडस्टल की ऊँचाई है और CD = 1.6 m मूर्ति की ऊँचाई है।
भूमि के बिंदु से मूर्ति के शिखर और पेडस्टल के शिखर के उन्नयन कोण क्रमश: 60° और 45° हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 11

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}\) = cot 45°

या \(\frac{\mathrm{AB}}{h}\) = 1
या AB = h m ……………..(1)
समकोण ∆ABD में,
\(\frac{A B}{B D}\) = cot 60°

या \(\frac{\mathrm{AB}}{h+1.6}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

AB = \(\frac{h+1.6}{\sqrt{3}}\) ……………(2)

(1) और (2), से हमें प्राप्त होता है,

h = \(\frac{h+1.6}{\sqrt{3}}\)
या √3h = h + 1.6
या (√3 – 1) h = 1.6
या (1.732 – 1) h = 1.6
या (0.732) h = 1.6
या h = \(\frac{1.6}{0.732}\)
= 2.1857923
= 2.20 m (लगभग)
अत:, पेडस्टल की ऊँचाई 2.20 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 9.
एक मीनार के पाद-बिंदु से एक भवन के शिखर का उन्नयन कोण 30° है और भवन के पाद बिंदु से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। यदि मीनार 50 m ऊंची हो, तो भवन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए BC = 50 m
मीनार की ऊँचाई है – और AD = h m भवन की ऊंचाई है।
मीनार के पाद-बिंदु से
भवन के शिखर का और भवन के पाद-बिंदु से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण क्रमश: 30° और 60° हैं।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 12

समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}\) = cot 60°

\(\frac{\mathrm{AB}}{50}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

AB = \(\frac{50}{\sqrt{3}}\) …………..(1)
साथ ही, समकोण ∆DAB में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{DA}}\) = cot 30°

या \(\frac{\mathrm{AB}}{h}\) = √3

AB = h√3 ………….(2)
(1) और (2), से हमें प्राप्त होता है
\(\frac{50}{\sqrt{3}}\) = h√3

या \(\frac{50}{\sqrt{3}} \times \frac{1}{\sqrt{3}}\) = 16.6666

या h = 16.70 m (लगभग)
अतः, भवन की ऊँचाई 16.70 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 10.
एक 80 m चौड़ी सड़क के दोनों ओर आमनेसामने समान लंबाई वाले दो खंभे लगे हुए हैं। इन दोनों खंभों के बीच सड़क के एक बिंदु से खंभों के शिखर के उन्नयन कोण क्रमश: 60° और 30° हैं। खंभों की ऊँचाई और खंभों से बिंदु की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए BC = DE = h m दो बराबर खंभों की ऊँचाई है और बिंदु A अभीष्ट बिंदु है जहाँ से दोनों खंभों के उन्नयन कोण क्रमश: 30° और 60° हैं।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 13

समकोण ∆ADE में,
\(\frac{\mathrm{ED}}{\mathrm{DA}}\) = tan 30°

या \(\frac{h}{x}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

या h = \(\frac{x}{\sqrt{3}}\) …………….(1)
समकोण ∆ABC में,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{AB}}\) = tan 60°

या \(\frac{h}{80-x}\) = √3

या h = (80 – x) √3 ……………(2)
(1) और (2) से, हमें प्राप्त होता है

\(\frac{x}{\sqrt{3}}\) = (80 – x) √3

x = (80 – x) √3 × √3
x = (80 – x)3
x = 240 – 3x
4x = 240
x = \(\frac{240}{4}\) = 30
x का मूल्य (1) में प्रतिस्थापित करने पर हमें प्राप्त होता है।
h = \(\frac{60}{\sqrt{3}}=\frac{60}{\sqrt{3}} \times \frac{\sqrt{3}}{\sqrt{3}}\)
= \(\frac{60 \sqrt{3}}{3}\) = 20√3
= (20 × 1.732) m = 34.64 m
∴ DA = x = 60m और
AB = 80 – x= (80 – 60) m = 20 m.
अतः, खंभे की ऊँचाई 34.64 m है और बिंदु की खंभों से दूरी क्रमशः 20 m और 60 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 11.
एक नहर के एक तट पर एक टीवी टॉवर ऊर्ध्वाधरतः खड़ा है। टॉवर के ठीक सामने दूसरे तट के एक अन्य बिंदु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। इसी तट पर इस बिंदु से 20 m दूर और इस बिंदु को मीनार के पाद से मिलाने वाली रेखा पर स्थित एक अन्य बिंदु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। ( देखिए आकृति)।टॉवर की ऊँचाई और नहर की चौड़ाई ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 14

हल :
मान लीजिए BC = x m नहर की चौड़ाई है और CD = hm टीवी टॉवर की ऊँचाई है।
भिन्न-भिन्न स्थितियों में टॉवर के शिखर के उन्नयन कोण क्रमश: 30° और 60° हैं।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 15

समकोण ∆BCD में,
\(\frac{C D}{B C}\) = tan 60°

या \(\frac{h}{x}\) = √3

या h = √3x …………(1)

साथ ही, समकोण ∆ACD में,
\(\frac{\mathrm{CD}}{\mathrm{AC}}\) = tan 30°

या \(\frac{h}{20+x}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

या h = \(\frac{20+x}{\sqrt{3}}\) …………(2)

(1) और (2) से, हमें प्राप्त होता है
√3x = \(\frac{20+x}{\sqrt{3}}\)
या √3 (√3x) = 20 + x
3x = 20 + x
या 2x = 20
x = \(\frac{20}{2}\) = 10
x का मूल्य (1) में, प्रतिस्थापित करने पर हमें प्राप्त होता है :
h = 10 (√3)
= 10 × 1.732
h = 17.32 m
अतः टीवी टॉवर 17.32 m है और नहर की चौड़ाई 10 m. है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 12.
7m ऊंचे भवन के शिखर से एक केबल टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 60° है और इसके पाद का अवनमन कोण 45° है। टॉवार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए BD = h m केबल टॉवर की ऊँचाई है और AE = 7 m भवन की ऊंचाई है।
केबल टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण और पाद का अवनमन कोण क्रमशः 60° और 45° है।
विभिन्न आयोजन आकृति के अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 16

समकोण ∆BAE में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{AE}}\) = cot 45°

या \(\frac{\mathrm{AB}}{7}\) = 1

या AB = 7 m ……………(1)
साथ ही, समकोण ∆DCE में,
\(\frac{\mathrm{EC}}{\mathrm{DC}}\) = cot 60°

या \(\frac{\mathrm{EC}}{h-7}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

या EC = \(\frac{h-7}{\sqrt{3}}\) …………(2)

परंतु AB = EC …(दिया है)
7 = \(\frac{h-7}{\sqrt{3}}\)
[(1) और (2) के प्रयोग से]
या 7√3 = h – 7
h = 7√3 + 7
= 7 (√3 + 1) h
= 7(1.732 + 1)
= 7(2.732)
h = 19.124
h = 19.20 m (लगभग)
अतः, केबल टॉवर की ऊंचाई 19.20 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 13.
समुद्र-तल से 75 m ऊँची लाइट हाउस के शिखर से देखने पर दो समुद्री जहाजों के अवनमन कोण 30° और 45° हैं। यदि लाइट हाउस के एक ही ओर एक जहाज दूसरे जहाज के ठीक पीछे हो तो दो जहाजों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 17

मान लीजिए CD = 75 m लाटि हाऊस की ऊँचाई है।
और लाइट हाऊस के शिखर के बिंदु D से दो जहाजों के अवनमन कोण क्रमश: 30° और 45° हैं। विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।
समकोण ∆BCD में,
\(\frac{\mathrm{BC}}{\mathrm{CD}}\) = Cot 45°

\(\frac{y}{75}\) = 1

y = 75 m …………..(1)

साथ ही, समकोण ∆ACD में,
\(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{CD}}\) = cot 30°

\(\frac{x+y}{75}\) = 75√3

या x + 75 = 75√3
[(1) का प्रयोग करने पर]
x = 75√3 – 75
= 75 (√3 – 1)
= 75 (1.732 – 1)
= 75 ( .732)
x = 54.90
अतः दो जहाजों के बीच की दूरी 54.90 m है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 14.
1.2 m लंबी एक लड़की भूमि से 88.2 m की ऊँचाई पर एक क्षैतिज रेखा में हवा में उड़ रहे गुब्बारे को देखती है। किसी भी क्षण लड़की की आँख से गुब्बारे का उन्नयन कोण 60° है। कुछ समय बाद उन्नयन कोण घटकर 30° हो जाता है (देखिए आकृति)। इस अंतराल के दौरान गुब्बारे द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 18

हल :
मान लीजिए 1.2 m लंबी लड़की की स्थिति ‘A’ है।
इस बिंदु से विभिन्न दूरियों पर गुब्बारे के उन्नयन कोण क्रमशः 30° और 60° हैं।
साथ ही, BE = CD = 88.2 m गुब्बारे की ऊंचाई है।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 19

समकोण ∆ABE में,
\(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BE}}\) = cot 60°

या \(\frac{x}{88.2}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

x = \(\frac{88.2}{\sqrt{3}}\) m …………..(1)
साथ ही, समकोण ∆ACD में,

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 20

या y = 58.8√3m
y = 58.8 (1.732) = 101.8416 m
y = 101.90 m
अतः, इस अंतराल के दौरान गुब्बारे द्वारा तय की गई दूरी 101.90 m. है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1

प्रश्न 15.
एक सीधा राजमार्ग एक मीनार के पाद तक जाता है। मीनार के शिखर पर खड़ा एक आदमी एक कार को 30° के अवनमन कोण पर देखता है जो कि मीनार के पाद की ओर एक समान चाल से जाता है। छः सेकंड बाद कार का अवनमन कोण 60° हो गया। इस बिंदु से मीनार के पाद तक पहुँचने में कार द्वारा लिया गया समय ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए CD = hm मीनार ऊँचाई है।
मान लीजिए ‘A’ कार की प्रारंभिक स्थिति है और छ: सेंकड के बाद कार B पर पहुँच जाती है।
A और B पर कार के अवनमन कोण क्रमश: 30° और 60° हैं।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 21

मान लीजिए कार की चाल मीटर प्रति सेंकड है। सूत्र, दूरी = चाल x समय का प्रयोग करने पर
AB = कार द्वारा 6 सेंकड में तय की गई दरी
AB = 60 मीटर
साथ ही, कार द्वारा मीनार तक पहुँचने में लिया गया समय ‘n’ सेंकड है।
∴ BC = nv HTC
समकोण ∆ACD में,
\(\frac{\mathrm{CD}}{\mathrm{AC}}\) = tan 30°

\(\frac{h}{6 v+n v}=\frac{1}{\sqrt{3}}\)

या h = \(\frac{6 v+n v}{\sqrt{3}}\) ………..(1)
साथ ही, समकोण ABCD में,
\(\frac{C D}{B C}\) = tan 60

या \(\frac{h}{n v}\) = 15
या h = nv (√3)
(1) और (2) से, हमें प्राप्त होता है
\(\frac{6 v+n v}{\sqrt{3}}\) = nv (√3)
या 60 + nv = nv (√3 × √3)
या 60 + nv = 3my
या 60 = 2ny
या n = \(\frac{6 v}{2 v}\) = 3
अत: मीनार के पाद तक पहुँचने में कार द्वारा लिया गया साथ 3 सेंकड है।

प्रश्न 16.
मीनार के आधार से और एक सरल रेखा में 4m और 9 m की दूरी पर स्थित दो बिंदुओं से मीनार के शिखर के उन्नयन कोण पूरक कोण हैं। सिद्ध कीजिए कि मीनार की ऊँचाई 6 m है।
हल :
मान लीजिए CD = h m मीनार की ऊँचाई है और B ; A अभीष्ट बिंदु हैं जो मीनार से क्रमशः 4 m और 9 m की दूरी पर हैं।
विभिन्न आयोजन आकृति में दिखाए अनुसार हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग Ex 9.1 22

समकोण ∆BCD में,
\(\frac{\mathrm{CD}}{\mathrm{BC}}\) = tan θ

या \(\frac{h}{4}\) = tan θ …………..(1)

साथ ही, समकोण ∆ACD में ,
\(\frac{\mathrm{CD}}{\mathrm{AC}}\) = tan (90 – θ)

या \(\frac{h}{9}\) = cot θ …………..(2)
(1) और (2) को गुणा करने पर, हमें प्राप्त होता है।
\(\frac{h}{4} \times \frac{h}{9}\) = tan θ × cot θ

या \(\frac{h^{2}}{36}=\tan \theta \times \frac{1}{\tan \theta}\)

या h2 = 36 = (6)2
h = 6
अतः, मीनार की ऊँचाई 6 m है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 3 धातु एवं अधातु

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 3 धातु एवं अधातु

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ तत्वों को धातु, अधातु तथा उपधातु (मैटालॉयड्स) में वर्गीकृत किया जाता है।

→ धातुओं की सतह पर एक विशेष प्रकार की चमक होती है। धातुएँ प्रायः कठोर होती हैं।

→ धातुएँ तन्य तथा अघातवर्ध्य होती हैं।

→ धातुएँ प्रायः ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक होती हैं।

→ धातुओं को चोट मारने पर एक विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है।

→ आधातुओं की अपनी कोई विशेष चमक नहीं होती है।

→ अधातुओं में अघावर्ध्यता तथा तन्यता के गुण विद्यमान नहीं हैं।

→ अधातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत् की कुचालक होती हैं।

→ पारा (मरकरी) के अतिरिक्त सभी धातुएँ सामान्य ताप पर ठोस होती हैं।

→ प्रायः धातुओं का उच्च द्रवणांक होता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 3 धातु एवं अधातु

→ आयोडीन एक ऐसी अधातु है जिसमें चमक होती है। अन्य सभी अधातुओं में चमक नहीं होती है।

→ कार्बन एक अधातु है जिसके अपरूप हैं- ग्रेफाइट तथा हीरा।

→ क्षारीय धातुएँ जैसे सोडियम तथा पोटाशियम आदि नरम धातुएँ हैं जिन्हें सुगमता से चाकू की सहायता से काटा जा सकता है। इन धातुओं के द्रवणांक तथा क्वथनांक निम्न होते हैं।

→ लगभग सभी धातुएँ, ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके अपने ऑक्साइड बनाती हैं।

→ धातुओं के ऐसे ऑक्साइड जिनमें अम्लीय तथा क्षारीय गुण उपस्थित हों उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते हैं।

→ अधिकतर धातुओं के ऑक्साइड जल में अविलेय हैं परंतु जल के साथ क्रिया करके हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।

→ सोडियम तथा पोटाशियम धातुओं को वायु में खुला छोड़ने पर एकदम आग लग जाती है।

→ सोडियम धातु को सामान्य ताप पर आग लगने से सुरक्षित करने के लिए कैरोसीन में रखा जाता है।

→ ऐनोडीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विद्युत् धारा के प्रवाह से एल्यूमीनियम की मोटी पर्त जमा की जाती है।

→ धातुएँ, जल से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन उत्पन्न करती हैं परंतु सभी धातुएँ यह अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती हैं।

→ सोडियम तथा पोटाशियम ठंडे जल से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन उत्पन्न करती हैं तथा अभिक्रिया उष्माक्षेपी है।

→ मैग्नीशियम धातु गर्म जल से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन बनाती है।

→ लाल तप्त लोहा, एल्यूमीनियम तथा जिंक (जिस्त) भाप से अभिक्रिया करती हैं जिसके फलस्वरूप हाइड्रोजन मुक्त होती है।

→ सक्रियता शृंखला में धातुओं को इनकी सक्रियता के घटते क्रम में व्यवस्थित किया गया है।

→ सीसा (लैड) कॉपर तथा चांदी जैसी धातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती हैं।

→ धातुएँ अम्लों के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन उत्पन्न करती हैं।

→ नाइट्रिक अम्ल एक शक्तिशाली उपचायक है।

→ ऐक्वारीजिया (अम्लराज) 3 : 1 के अनुपात में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सांद्र नाइट्रिक अम्ल का मिश्रण है जो उत्कृष्ट धातुएँ जैसे सोना, प्लाटिनम को अपने में घोल लेता है।

→ धातुओं से अधातुओं में इलैक्ट्रॉनों का स्थानांतरण द्वारा निर्मित यौगिकों को आयनिक अथवा विद्युत् संयोजी यौगिक कहते हैं।

→ आयनिक यौगिकों के द्रवणांक तथा क्वथनांक ऊँचे होते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 3 धातु एवं अधातु

→ आयनिक यौगिक ठोस व्यवस्था में विद्युत् के सुचालक नहीं होते हैं क्योंकि उस अवस्था में आयन गति नहीं कर सकते।

→ वे तत्व या यौगिक को पृथ्वी की परत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, खनिज कहलाते हैं।

→ जिन खनिजों में धातु प्रचुर मात्रा में उपस्थित होती है तथा धातु को सुगमता से निष्कर्षित किया जा सकता है, अयस्क कहते हैं।

→ वे धातुएँ जो सक्रियता शृंखला के निम्न स्तर पर स्थित होती हैं प्रकृति में मुक्त अवस्था में मिलती हैं।

→ धरती में से निकाले गए अयस्कों में मिट्टी, रेत आदि अशुद्धियाँ उपस्थित होती हैं, को गैंग कहते हैं।

→ सल्फाइड युक्त अयस्क वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने से ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं।

→ कार्बोनेट युक्त अयस्क को सीमित वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने से धातु का ऑक्साइड बनता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं।

→ सक्रियता श्रृंखला के शीर्ष पर स्थित धातुओं को अयस्कों में से विद्युत् अपघटनी विधि द्वारा निष्कर्षित किया जाता है।

→ लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए पेंट किया जाता है, तेल या ग्रीज़ का लेप किया जाता है, गैल्वीनीकरण किया जाता है, क्रोमियम प्लेटिंग की जाती है अथवा मिश्रित धातु बनाई जाती है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 3 धातु एवं अधातु

→ दो या दो से अधिक धातुओं के समांगी मिश्रण को मिश्रित धातु कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

This PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण will help you in revision during exams.

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)
→ भोजन में खट्टा स्वाद अम्ल और कड़वा स्वाद क्षारक की उपस्थिति के कारण होता है। अम्ल नीले लिटमस को लाल और क्षारक लाल लिटमस को नीला करते हैं।

→ अम्ल एवं क्षारक एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त करते हैं।

→ अम्ल और क्षारक की जाँच लिटमस, हल्दी, मेथिल ऑरेंज और फीनॉलफ्थेलिन नामक सूचकों से की जा सकती है।

→ कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी से प्रवाहित करने पर वह दूधिया हो जाता है।

→ चूने के पानी से अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारने से जल में विलयशील कैल्सियम बाइकार्बोनेट बनता है जिस कारण दूधिया रंग समाप्त हो जाता है।

→ क्षारक फीनॉलफ्थेलिन अम्ल की उपस्थिति में क्रिया कर गुलाबी रंग बनाते हैं।

→ अम्ल और क्षारक परस्पर मिल कर लवण और जल बनाते हैं।

→ विलयनों में विद्युत् धारा का प्रवाह आयनों के द्वारा होता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

→ अम्ल में H+ धनायन है। अम्ल विलयन में हाइड्रोजन आयन H+ (aq) उत्पन्न करता है जिस कारण उनका गुणधर्म अम्लीय होता है।

→ क्षारक जल में हाइड्रॉक्साइड (OH) आयन उत्पन्न करते हैं।

→ जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं।

→ क्षारों का स्पर्श साबुन की तरह, स्वाद कड़वा होता है तथा प्रकृति संक्षारक होता है।

→ सभी अम्ल H+ (aq) तथा सभी क्षारक OH (aq) उत्पन्न करते हैं।

→ जल में अम्ल या क्षारक के घुलने से प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है इसलिए तनु करते समय धीरे-धीरे इन्हें जल में मिलाना चाहिए। सांद्र अम्ल में जल नहीं मिलाना चाहिए।

→ सार्वभौम सूचक किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रता को विभिन्न रंगों से प्रदर्शित करते हैं।

→ किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित की गई है जिसे pH स्केल कहते हैं।

→ pH में ‘p’ सूचक है-पुसान्स (Pursance) का। यह एक जर्मन शब्द है जिस का अर्थ ‘शक्ति’ है।

→ pH स्केल से शून्य (अधिक अम्लता) से चौदह (अधिक क्षारीय) तक pH को ज्ञात कर सकते हैं।

→ हाइड्रोनियम आयून की सांद्रता जितनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा। किसी उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है। pH स्केल में विलयन का मान 7 से कम होने पर वह अम्लीय होता है और pH 7 से 14 तक बढ़ने पर विलयन की क्षारीय शक्ति का पता चलता है।

→ अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं और कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।

→ अति अम्लीयता के दर्द से मुक्त होने के लिए ऐंटैसिड मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड जैसे दुर्बल क्षारकों का उपयोग किया जाता है।

→ मुँह में pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय आरंभ हो जाता है।

→ नेट्टल नामक शाकीय पौधा मेथैनॉइक अम्ल के कारण डंक जैसा दर्द उत्पन्न करता है जो इसके बालों में उपस्थिति मेथेनॉइक अम्ल के कारण होता है। इस दर्द का इलाज डॉक पौधे की पत्तियों से किया जाता है।

→ सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एक दुर्बल असंक्षारक क्षारक है। इसे बेकिंग पाउडर तथा केक बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह अग्निशामक में प्रयुक्त किया जाता है।

→ धोने का सोडा (Na2CO3.10H2O) से सोडियम क्लोराइड से तैयार किया जाता है। यह कांच, साबुन, कागज़ आदि उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है। इससे जल की स्थाई कठोरता दूर की जाती है।

→ जलीय कॉपर सल्फेट का सूत्र CuSO4.5H2O है तथा जिप्सम का सूत्र CaSO4.2H2O है।

→ प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को कैल्सियम सल्फेट अर्द्धहाइड्रेट (CaSO4 \(\frac{1}{2}\)H2O) को 373°K तक गर्म कर के बनाया जाता है।

→ प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से खिलौने और सजावटी सामान तैयार किया जाता है।

→ सूचक रंग अथवा रंगों के मिश्रण होते हैं जो अम्ल या क्षार की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

→ वस्तुओं की अम्लीय प्रकृति जलीय विलयन में से H+ आयनों की उपस्थिति कारण होता है।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

→ जलीय विलयन में OH आयनों की उपस्थिति के कारण वस्तु की प्रकृति क्षारीय होती है।

→ वस्तुएं जिनकी गंध अम्लीय अथवा क्षारीय माध्यम में बदल जाती है आलफैक्टरी सूचक कहलाते हैं।

→ जब कोई अम्ल किसी धातु के साथ क्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस निकलती है तथा संबंधित लवण की उत्पत्ति होती है।

→ जब अम्ल धात्विक कार्बोनेट अथवा धात्विक हाइड्रोजन कार्बोनेट से क्रिया करता है तो संबंधित लवण, कार्बनडाइऑक्साइड तथा जल बनता है।

→ अम्लीय तथा क्षारीय विलयन उनमें उपस्थित H+ अथवा OH के कारण विद्युत चालक होते हैं।

→ अम्ल अथवा एल्कली तथा क्षार की जाँच pH स्केल के उपयोग द्वारा की जाती है। यह परीक्षण उनमें H+ की सघनता का माप होता है।

→ उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है जबकि अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम तथा क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है।

→ अम्ल तथा क्षार परस्पर क्रिया करके एक-दूसरे को उदासीन बनाते हैं जिसके परिणामस्वरूप संबंधित लवण तथा जल बनता है।

→ लवण के एक सूत्र इकाई में जल के निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टलन जल कहते हैं।

→ शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया द्वारा रंगकाट चूर्ण (ब्लीचिंग चूर्ण) का उत्पादन होता है।

→ डॉक्टर टूटी हड्डियों को स्थिर करने के लिए प्लास्टर ऑफ पैरिस का उपयोग करते हैं।

→ हम अपने दैनिक जीवन तथा उद्योगों में विभिन्न कार्यों के लिए अनेक प्रकार के लवणों का उपयोग करते हैं।