PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 28 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 28 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 28 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास

PSEB 11th Class Economics 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में औद्योगिक ढांचे के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में अधिक उद्योग घरेलू तथा छोटे पैमाने के उद्योग हैं। मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की कमी पाई जाती है।

प्रश्न 2.
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों की क्या स्थिति है ?
उत्तर-
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योग अधिक विकसित हुए हैं। 2018-19 में छोटे पैमाने के उद्योगों की कार्यशील इकाइयां 1:98 लाख थीं।

प्रश्न 3.
छोटे पैमाने के उद्योगों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
छोटे उद्योग तथा सहायक उद्योग वे उद्योग हैं, जिनमें एक करोड़ रुपए की अचल पूंजी का निवेश होता है।

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प्रश्न 4.
जिन उद्योगों में एक करोड़ रुपए तक की पूंजी लगी होती है उनको …………. उद्योग कहा जाता है।
(a) कुटीर
(b) छोटे पैमाने के
(c) मध्यम आकार के
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) छोटे पैमाने के।

प्रश्न 5.
पंजाब में औद्योगिक प्रगति सन्तोषजनक है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 6.
पंजाब में अधिक मात्रा में …………. उद्योग लगे हुए हैं।
(a) छोटे पैमाने के
(b) मध्यम आकार के
(c) बड़े पैमाने के
(d) उपरोक्त सभी प्रकार के।
उत्तर-
(a) छोटे पैमाने के।

प्रश्न 7.
पंजाब में औद्योगिक विकास की प्रगति ……… है।
उत्तर-
धीमी।

प्रश्न 8.
पंजाब में बड़े पैमाने के उद्योगों की कमी का कारण ………………… है।
(a) खनिज पदार्थों की कमी
(b) बिजली की कमी
(c) सीमावर्ती राज्य
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
पंजाब में वित्त की कमी के कारण औद्योगिक विकास नहीं हुआ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 10.
पंजाब में अल्प उद्योगों का कम विकास हुआ है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 11. पंजाब में औद्योगिक विकास की ज़रूरत नहीं।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में औद्योगीकरण की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखें।
अथवा
पंजाब में औद्योगीकरण के महत्त्व को स्पष्ट करें।
उत्तर-
पंजाब में औद्योगीकरण की आवश्यकता निम्नलिखित तत्त्वों से स्पष्ट हो जाती है-

  1. संतुलित विकास (Balanced Growth)-पंजाब की अर्थ-व्यवस्था का संतुलित विकास नहीं हुआ क्योंकि पंजाब के अधिकतम लोग कृषि में लगे हुए हैं। इसलिए उद्योगों का विकास आवश्यक है तो जो पंजाब का संतुलित विकास हो सके।
  2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment)-पंजाब में शहरों तथा गांवों में बेरोज़गारी पाई जाती है। उद्योगों के विकास से पंजाब में शहरी बेरोज़गारी तथा गांवों में छुपी बेरोज़गारी कम होगी। उद्योगों के विकास से पूर्ण रोज़गार की स्थिति प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 2.
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास का विवरण दें।
उत्तर-
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों का विकास-
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प्रश्न 3.
पंजाब के कोई दो छोटे पैमाने के उद्योगों पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
पंजाब के मुख्य छोटे पैमाने के उद्योग अग्रलिखित हैं

  1. हौज़री उद्योग (Hosiery Industry)-पंजाब का हौज़री उद्योग लुधियाना में केन्द्रित है। यह उद्योग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। 2015-16 इस उद्योग द्वारा ₹ 3711 करोड़ वार्षिक मूल्य का माल उत्पादित किया जाता है। इसमें 78 हज़ार लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
  2. साइकिल उद्योग (Cycle Industry)-पंजाब में साइकिल उद्योग छोटे स्तर तथा बड़े स्तर दोनों पर ही कार्य कर रहा है। साइकिल तथा साइकिल के पुर्जे बनाने का उद्योग लुधियाना, जालन्धर, राजपुरा तथा मालेरकोटला में स्थित है। 2015-16 में ₹ 12966 करोड़ मूल्य के साइकिल तथा साइकिल के पुों का उत्पादन किया गया। इसमें 78.4 हज़ार लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की मंद प्रगति के दो कारण लिखें।
उत्तर-
पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की मंद प्रगति के कारण (Causes of Slow Progress of Medium & Large Scale Industries in Punjab)

  • खनिज पदार्थों की कमी (Lack of Mineral Resources)-पंजाब में खनिज पदार्थ बिलकुल नहीं मिलते। मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों को काफ़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती है। पंजाब में खनिज पदार्थों की कमी के कारण इनको अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता है। इस कारण बड़े तथा मध्यम पैमाने के उद्योगों का विकास नहीं हुआ।
  • सीमावर्ती राज्य (Border State)-पंजाब में मध्यम तथा बड़े आकार के उद्योगों की मंद प्रगति का सबसे बड़ा कारण पंजाब का सीमावर्ती राज्य होना है। पंजाब की सीमाएं पाकिस्तान से मिलती हैं। पाकिस्तान का भारत से हमेशा झगड़ा रहता है। अब तक दो युद्ध हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में उद्यमी इस क्षेत्र में उद्योग स्थापित नहीं करना चाहते।

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प्रश्न 5.
पंजाब सरकार द्वारा उद्योगों के विकास के लिए उठाए गए कोई दो कदम बताएं।
उत्तर-
1. करों में छूट (Exemption From Taxes)-नई औद्योगिक नीति में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए करों में छूट देने का कार्यक्रम बनाया गया है। वर्ग A के क्षेत्रों में जो नए उद्योग स्थापित किए जाते हैं उनको बिक्री कर (Sales Tax) से 10 वर्ष के लिए तथा वर्ग B के क्षेत्रों में नए स्थापित उद्योगों के लिए बिक्री कर से 7 वर्ष के लिए छूट दी जाएगी।

2. भूमि के लिए आर्थिक सहायता (Land Subsidy)-नई औद्योगिक नीति में भूमि के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है। कोई भी उद्यमी किसी फोकल प्वाइंट पर भूमि की खरीद उद्योग स्थापित करने के लिए करता है तो भूमि की कीमत का 33% भाग आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाएगा। जालन्धर के स्पोर्टस काम्पलैक्स में भूमि के लिए आर्थिक सहायता 25% दी जाएगी।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में औद्योगीकरण की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखें।
अथवा
पंजाब में औद्योगीकरण के महत्त्व को स्पष्ट करें।
उत्तर-
पंजाब में औद्योगीकरण की आवश्यकता निम्नलिखित तत्त्वों से स्पष्ट हो जाती है-

  1. संतुलित विकास (Balanced Growth)- पंजाब की अर्थ-व्यवस्था का संतुलित विकास नहीं हुआ क्योंकि पंजाब के अधिकतम लोग कृषि में लगे हुए हैं। इसलिए उद्योगों का विकास आवश्यक है तो जो पंजाब का संतुलित विकास हो सके।
  2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment)-पंजाब में शहरों तथा गांवों में बेरोज़गारी पाई जाती है। उद्योगों के विकास से पंजाब में शहरी बेरोज़गारी तथा गांवों में छुपी बेरोज़गारी कम होगी।
  3. उद्योगों के विकास से पूर्ण रोज़गार की स्थिति प्राप्त की जा सकती है। उद्योगों का विकास होगा। सरकार को करों द्वारा अधिक आय प्राप्त होगी इसको लोगों के कल्याण पर व्यय किया जा सकता है।
  4. कृषि पर जनसंख्या के दबाव में कमी (Less Pressure of Population on Agriculture) पंजाब में 759% जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। इसलिए प्रति व्यक्ति भूमि निरंतर कम हो रही है। उद्योगों के विकास से कृषि
  5. श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि (Increase in Standard of Living of Labourers)-पंजाब में औद्योगिक विकास से श्रमिकों की मांग बढ़ेगी परिणामस्वरूप श्रमिकों के व्यय में वृद्धि होगी। इससे श्रमिक ऊँचा जीवन स्तर व्यतीत कर सकेंगे।

प्रश्न 2.
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास के कारण तथा महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास के कारण तथा महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. खनिज पदार्थों की कमी (Lack of Minerals)-पंजाब में खनिज पदार्थ नहीं पाए जाते परिणामस्वरूप बड़े पैमाने के उद्योग विकसित नहीं हो सके। इसलिए छोटे पैमाने के उद्योगों को विकसित किया गया है।
  2. बड़े उद्योगों की कमी (Lack of Large Scale Industries)-पंजाब में बड़े पैमाने के उद्योग बहुत कम हैं। उद्यमी पंजाब में उद्योग स्थापित नहीं करना चाहते क्योंकि यह सीमावर्ती राज्य है। इसलिए बड़े उद्योगों की कमी को छोटे उद्योगों द्वारा पूर्ण किया गया है।
  3. परिश्रमी लोग (Hardworking People)-पंजाब के श्रमिक मेहनती तथा कुशल हैं। इन्होंने छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किए हैं जिससे श्रमिकों का जीवन स्तर ऊँचा हो रहा है।
  4. वित्त की कमी (Lack of Finance)-पंजाब में व्यापारिक बैंक तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्त की सहूलतें कम प्रदान की गई हैं जबकि अन्य राज्यों में अधिक सहूलतें प्रदान की जाती हैं। वित्त की कमी के कारण बड़े पैमाने के उद्योग विकसित नहीं हो सके। इसलिए छोटे उद्योगों का महत्त्व बढ़ गया है।
  5. पंजाब सरकार की नीति (Policy of the Punjab Government)-पंजाब सरकार की औद्योगिक नीति में छोटे पैमाने के उद्योगों की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। इसलिए पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योग अधिक विकसित हो गए हैं।

प्रश्न 3.
पंजाब के छोटे उद्योगों की समस्याओं का वर्णन करें।
अथवा
पंजाब में छोटे उद्योगों के मंद विकास के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
पंजाब में छोटे उद्योगों की मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं-
1. वित्त की समस्या (Problem of Finance)-पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों को उचित मात्रा में वित्त प्राप्त नहीं होता। वित्त की कमी के कारण छोटे उद्योगों की विकास की गति मंद है।

2. उत्पादन के पुराने ढंग (Old Methods of Production)-पंजाब के उद्योगों में पुराने ढंग से उत्पादन किया जाता है। इसलिए उत्पादन कम होता है तथा लागत अधिक आती है।

3. कच्चे माल की समस्या (Problem of Raw Material)-पंजाब में उद्योगों के लिए कच्चा माल अन्य प्रान्तों से मंगवाना पड़ता है। इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है तथा उत्पादन कम होता है।

4. समस्या का सामना करना पड़ता है। इन उद्योगों को बड़े उद्योगों द्वारा तैयार माल से मुकाबला करना पड़ता है क्योंकि बड़े पैमाने पर तैयार माल सस्ता तथा बढ़िया होता है। इसलिए छोटे उद्योगों की बिक्री के समय कठिनाई होती है।

5. शक्ति की समस्या (Problem of Power)-पंजाब सरकार उद्योगों से कृषि को प्राथमिकता देती है। इसलिए समय-समय पर बिजली बंद (Power cut) का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 4.
पंजाब में प्रमुख छोटे पैमाने के उद्योगों का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब के प्रमुख छोटे पैमाने के उद्योग निम्नलिखित हैं-

  1. हौज़री उद्योग (Hosiery Industry)-पंजाब का हौज़री उद्योग लुधियाना में केन्द्रित है। यह उद्योग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। 2015-16 में इस उद्योग में 78 हज़ार लोग कार्य करते थे तथा ₹ 3711 करोड़ का माल बनाया जाता था।
  2. साइकिल उद्योग (Cycle Industry)-पंजाब में साइकिल उद्योग छोटे तथा बड़े दोनों स्तरों पर कार्य करता है। इस उद्योग में साइकिल तथा इसके पुर्जे बनाए जाते हैं। यह उद्योग लुधियाना, जालन्धर तथा मलेरकोटला में स्थित है। वर्ष 2015-16 में, इसमें 78.4 हज़ार लोगों को रोज़गार प्राप्त है। वार्षिक ₹ 12966 करोड़ का माल तैयार किया जाता है।
  3. सिलाई मशीन उद्योग (Sewing Machine Industry)-सिलाई मशीन उद्योग पंजाब में लुधियाना, सरहिन्द, बटाला तथा जालन्धर में है। 2015-16 में सिलाई मशीनों के लगभग 57 कारखाने थे। जिनमें 13464 मजदूरों को रोज़गार प्राप्त होता था। इस उद्योग में ₹ 1254 करोड़ का वार्षिक माल तैयार होता था।
  4. खेलों का सामान बनाने का उद्योग (Sports Goods Industries) पंजाब में खेलों का सामान बनाने का उद्योग जालन्धर में है। पंजाब में बनाया गया खेलों का सामान न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भेजा जाता है। इस उद्योग में 4561 श्रमिकों को रोजगार प्राप्त है। इसमें वार्षिक ₹ 267.57 लाख करोड़ का सामान बनाया जाता है।

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प्रश्न 5.
पंजाब में बड़े तथा मध्यम उद्योगों की मंद गति के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
पंजाब में बड़े तथा मध्यम उद्योगों की धीमी गति के कारण निम्नलिखित हैं-
1. खनिज पदार्थों की कमी (Lack of Mineral Resources)-पंजाब में खनिज पदार्थ बिलकुल नहीं मिलते इसलिए मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों ने काफ़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। पंजाब में खनिज पदार्थ न होने के कारण इनको अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता है। इस कारण बड़े तथा मध्यम पैमाने के उद्योगों का विकास नहीं हुआ।

2. सीमावर्ती राज्य (Border State)-पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने की मंद प्रगति का सबसे बड़ा कारण पंजाब का सीमावर्ती राज्य होना है। पंजाब की सीमाएं पाकिस्तान से मिलती हैं। पाकिस्तान से भारत का हमेशा झगड़ा रहता है। अब तक दो युद्ध हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में उद्यमी इस क्षेत्र में उद्योग स्थापित नहीं करना चाहते।

3. विद्युत् की कमी (Lack of Power) विद्युत् औद्योगिक विकास के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है। पंजाब में विद्युत् का प्रयोग कृषि में अधिक होता है। किन्तु बड़े उद्योगों के लिए काफ़ी मात्रा में विद्युत् की आवश्यकता होती है। विद्युत् की कमी के कारण बड़े तथा मध्यम उद्योगों की गति मंद है।

4. केन्द्र सरकार का कम योगदान (Less Investment by Central Government)-पंजाब में केन्द्रीय सरकार द्वारा बहुत कम निवेश किया गया है। पंजाब में केन्द्र सरकार का कुल निवेश 2.5% है। परन्तु केन्द्र सरकार ने 75% बिहार में, 12% कर्नाटक में निवेश किया है। इस कारण भी उद्योगों का विकास नहीं हो सका।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब के छोटे, मध्य तथा बड़े स्तर के उद्योगों की प्रकृति तथा ढांचे का वर्णन करें। (Explain the nature and structure and small, medium and large scale industries of Punjab.)
अथवा
पंजाब के प्रमुख छोटे आकार के उद्योगों की व्याख्या करें। (Explain the main Small Scale Industries of Punjab.)
उत्तर-
पंजाब का औद्योगिक ढांचा (Structure of Industries in Punjab)
पंजाब में औद्योगिक ढांचे को दो भागों में विभाजित करके स्पष्ट किया जा सकता है –
A. छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries)
B. मध्य तथा बड़े पैमाने के उद्योग (Medium & Large Scale Industries)

A. छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries)-वर्ष 1997 के पश्चात् छोटे पैमाने के उद्योगों में उन उद्योगों को शामिल किया जाता है जिनमें ₹ 3 करोड़ तक का निवेश किया होता है। इससे पूर्व स्थिर पूंजी के निवेश की सीमा केवल ₹ 60 लाख थी।
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सूची पत्र से ज्ञात होता है कि 1978-79 में छोटे पैमाने के उद्योगों की संख्या 0.42 लाख थी जिनमें ₹ 271 करोड़ की अचल पूंजी लगी हुई थी। इन उद्योगों ₹ 751 करोड़ का उत्पादन किया जाता था तथा लगभग 2.50 लाख श्रमिक काम पर लगे हुए थे। वर्ष 2018-19 में छोटे पैमाने के उद्योगों की इकाइयों की संख्या बढ़कर 1.72 लाख हो गई है। इन उद्योगों में ₹ 86324 करोड़ की अचल पूंजी लगी हुई है जिनमें ₹ 201590 करोड़ का उत्पादन किया जाता है। यह उद्योग 16.21 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हैं।

पंजाब के मुख्य छोटे उद्योग (Main Small Scale Industries of Punjab) –
पंजाब के मुख्य छोटे पैमाने के उद्योग निम्नलिखित हैं
1. हौज़री उद्योग (Hosiery Industry)-पंजाब का हौजरी उद्योग लुधियाना में केन्द्रित है। यह उद्योग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। 2018-19 इस उद्योग द्वारा ₹ 3711 करोड़ वार्षिक मूल्य का माल उत्पादित किया जाता है। इसमें 82 हज़ार लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

2. साइकिल उद्योग (Cycle Industry)-पंजाब में साइकिल उद्योग छोटे स्तर तथा बड़े स्तर दोनों पर ही कार्य कर रहा है। साइकिल तथा साइकिल के पुर्जे बनाने का उद्योग लुधियाना, जालन्धर, राजपुरा तथा मलेरकोटला में स्थित है। 2018-19 में ₹ 13 हजार करोड़ मूल्य के साइकिल तथा साइकिल के पुर्जी का उत्पादन किया गया। इसमें 88.5 हज़ार लोगों को रोज़गार प्राप्त होता है।

3. सिलाई मशीन उद्योग (Sewing Machine Industry)-सिलाई मशीन बनाने का उद्योग लुधियाना, सरहिन्द, बटाला तथा जालन्धर में स्थित है। 2015-16 पंजाब में सिलाई मशीनों के लगभग 57 कारखाने हैं। इस उद्योग में ₹ 1356 करोड़ का माल हर वर्ष तैयार होता है तथा लगभग 13464 मजदूरों को रोज़गार प्राप्त होता है।

4. खेलों का सामान बनाने का उद्योग (Sports Goods Industry) खेलों का सामान बनाने का उद्योग जालन्धर में केन्द्रित है। पंजाब में तैयार किया खेलों का सामान न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी भेजा जाता है। 2018-19 में इस उद्योग की 529 इकाइयां लगी हुई हैं जिनमें 9561 मज़दूरों को रोजगार प्राप्त है। वार्षिक ₹ 276.57 करोड़ का माल तैयार किया जाता है।

5. मोटर गाड़ियों के पुर्जे बनाने का उद्योग (Automobile Industry)-पंजाब में यह उद्योग लुधियाना, जालन्धर, पटियाला तथा कपूरथला में स्थित है। इस उद्योग में मोटर गाड़ियों के पुर्जे तैयार किए जाते हैं। 2019-20 इस उद्योग में ₹ 5022 लाख का माल प्रत्येक वर्ष तैयार किया जाता है। इसमें 52857 श्रमिक कार्य करते हैं।

पंजाब में मध्यम तथा बड़े स्तर के उद्योग (Medium & Large Scale Industries of Punjab) –
जिन उद्योगों में ₹ 10 करोड़ से कम पूँजी लगी होती है उसको मध्य आकार का उद्योग कहा जाता है और जिसमें ₹ 10 करोड़ से अधिक अचल पूंजी लगी होती है, उनको बड़े पैमाने के उद्योग कहा जाता है। पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योग अधिक विकसित नहीं हो सके। इन उद्योगों की स्थिति का विवरण इस प्रकार है-
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सूची-पत्र से स्पष्ट होता है कि 1978-79 में पंजाब में मध्यम तथा बड़े आकार के उद्योगों की 188 इकाइयां थीं जिनमें ₹ 379 करोड़ स्की अचल पूंजी लगी हुई थी। उस वर्ष ₹ 711 करोड़ का उत्पादन किया गया था तथा 91 हज़ार लोग रोज़गार पर लगे हुए थे। वर्ष 2017-18 में इन उद्योगों की संख्या बढ़ कर 898 हो गई है जिनमें ₹ 69591 करोड़ की अचल पूंजी लगी हुई है। इन उद्योगों में ₹ 104973 करोड़ का उत्पादन किया गया। इनमें 2.84 लाख श्रमिक कार्य पर लगे हुए थे।

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पंजाब के मुख्य मध्यम आकार तथा बड़े पैमाने के उद्योग
(Medium & Large Scale Industries of Punjab) पंजाब के मुख्य मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योग निम्नलिखित हैं
1. चीनी के कारखाने (Sugar Industry)-पंजाब में चीनी के 17 बड़े कारखाने हैं। यह उद्योग जालन्धर, कपूरथला, संगरूर, फरीदकोट, गुरदासपुर तथा रोपड़ ज़िलों में स्थित हैं। इस उद्योग में 2018-19 में ₹ 19823 करोड़ चीनी का उत्पादन हुआ। इसमें 5487 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त था।

2. सूती कपड़े के कारखाने (Cotton Textile Industry)-पंजाब में 2018-19 धागा बनाने के 140 कारखाने हैं। एक कारखाने में धागे से कपड़ा भी बनाया जाता है। यह कारखाने फगवाड़ा, अमृतसर, बरनाला, मलेरकोटला तथा अबोहर में स्थित हैं। इस उद्योग में 16849 श्रमिक कार्य करते हैं। 166.27 मिलियन मीटर कपड़ा वार्षिक तैयार किया जाता है।

3. स्वराज व्हीकलज लिमिटेड (Swaraj Vehicles Limited)-यह कारखाना जनतक क्षेत्र में वर्ष 1985 में ₹ 60 करोड़ की लागत से स्थापित किया गया था। इसमें माल की ढुलाई के लिए टैंपू बनाए जाते हैं। यह कारखाना 9 हज़ार मज़दूरों को रोज़गार प्रदान करता है। इसकी स्थापना मोहाली में की गई है।

4. गर्म कपड़े के कारखाने (Wollen Cloth Industry) पंजाब में गर्म कपड़ा बनाने के कारखाने धारीवाल, और छहरटा अमृतसर में हैं। इस उद्योग में 1 लाख 8 हज़ार श्रमिकों को रोजगार प्राप्त है। इसमें वार्षिक ₹ 354 करोड़ का माल तैयार किया जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों के विकास को स्पष्ट करें। पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की मंद प्रगति के क्या कारण हैं ?
(Explain the development medium and Large Scale Industries in Punjab. What are the causes of slow progress of medium and Large Scale Industries ?)
उत्तर-
पंजाब में मध्यम तथा बड़े आकार के उद्योग अधिक विकसित नहीं हो सके। इन उद्योगों के विकास का अनुमान निम्नलिखित सूची-पत्र द्वारा लगाया जा सकता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 28 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास 4
सूची-पत्र से ज्ञात होता है कि वर्ष 2018-19 में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की संख्या 469 है। इन उद्योगों में ₹ 69591 करोड़ की अचल पूंजी लगी हुई है। इनमें उत्पादन ₹ 104973 लाख का किया गया। यह उद्योग 2.84 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है परन्तु अन्य औद्योगिक राज्यों जैसे कि महाराष्ट्र, कर्नाटक इत्यादि की तरह पंजाब में इन उद्योगों की प्रगति बहुत कम रही है। मध्यम तथा बड़े उद्योगों की कम प्रगति के मुख्य कारण निम्नलिखित अनुसार हैं-
पंजाब में मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों की मंद प्रगति के कारण (Causes of Slow Progress of Medium & Large Scale Industries in Punjab)
1. खनिज पदार्थों की कमी (Lack of Mineral Resources)-पंजाब में खनिज पदार्थ बिलकुल नहीं मिलते। मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों को काफ़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती है। पंजाब में खनिज पदार्थों की कमी के कारण इनको अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता है। इस कारण बड़े तथा मध्यम पैमाने के उद्योगों का विकास नहीं हुआ।

2. सीमावर्ती राज्य (Border State)-पंजाब में मध्यम तथा बड़े आकार के उद्योगों की मंद प्रगति का सबसे बड़ा कारण पंजाब का सीमावर्ती राज्य होना है। पंजाब की सीमाएं पाकिस्तान से मिलती हैं। पाकिस्तान का भारत से हमेशा झगड़ा रहता है। अब तक दो युद्ध हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में उद्यमी इस क्षेत्र में उद्योग स्थापित नहीं करना चाहते।

3. विद्युत् की कमी (Lack of Power) विद्युत् औद्योगिक विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। पंजाब में विद्युत् का प्रयोग कृषि क्षेत्र में अधिक होता है। बड़े उद्योगों के लिए अधिक मात्रा में विद्युत् की आवश्यकता होती है किन्तु विद्युत् की कमी के कारण मध्यम तथा बड़े स्तर के उद्योगों की प्रगति धीमी है।

4. केन्द्रीय सरकार का कम योगदान (Less Investment by Central Government)-पंजाब में केन्द्रीय सरकार द्वारा बहुत कम निवेश किया गया है। पंजाब में केन्द्र सरकार का कुल निवेश 2.5% है। परन्तु केन्द्र सरकार ने 15% निवेश बिहार में, 12% निवेश कर्नाटक में लगाया है। इस कारण भी पंजाब में उद्योगों का विकास नहीं हो सका।

5. कृषि प्रधान अर्थ-व्यवस्था (Agricultural Economy)-पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। राज्य सरकार ने भी पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि के विकास की तरफ विशेष ध्यान दिया है। उद्योगों के विकास को आंखों से ओझल किया गया है। कृषि का महत्त्व अधिक होने के कारण लघु पैमाने के उद्योगों को प्राथमिकता दी गई ताकि रोज़गार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें।

6. पूंजी की कमी (Lack of Capital)-बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। पंजाब में पूंजी की कमी है क्योंकि सरकार की आंतरिक सुरक्षा पर बहुत व्यय करना पड़ता है। इसलिए निवेश करने के लिए पूंजी की कमी है। निजी क्षेत्र के उद्योग विकसित नहीं हुए क्योंकि ब्याज की दर बहुत अधिक है। इसलिए मध्यम तथा बड़े पैमाने के उद्योगों में निवेश कम हुआ है।

7. औद्योगिक लड़ाई-झगड़े (Industrial Disputes)-पंजाब में अगर स्वतन्त्रता के पश्चात् औद्योगिक विकास में वृद्धि हुई है तो इससे औद्योगिक लड़ाई-झगड़े भी बढ़ गए हैं। तालाबंदी, हड़ताल आम नज़र आती है। इस कारण उत्पादन लागत बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
पंजाब सरकार की आधुनिक उद्योग नीति का वर्णन करें। (Explain the new Industrial Policy of Government of Punjab.)
उत्तर-
पंजाब सरकार की नई औद्योगिक नीति
(New Industrial Policy of Government of Punjab) . पंजाब में औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक नीति की घोषणा 16 फरवरी, 1972 को की गई। इसके पश्चात् सरकार ने 1979, 1987, 1989, 1991 में औद्योगिक नीति में परिवर्तन किए। पंजाब सरकार की नई औद्योगिक नीति की घोषणा 14 मार्च, 1996 में की गई। नई औद्योगिक नीति की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. मुख्य उद्देश्य (Main Objectives)

  • औद्योगिक विकास की दर में वृद्धि करके 12% की जाएगी।
  • राज्य के घरेलू उत्पादन में उद्योगों का भाग बढ़ाकर 25% किया जाएगा।
  • उद्योगों के विकास के लिए आवश्यक ढांचा अर्थात् सड़कें, विद्युत्, वित्त, श्रमिक, कच्चे माल की पूर्ति के लिए सहूलतें दी जाएंगी।
  • ग्रामीण बेरोज़गारों को उद्योगों तथा सम्बन्धित उद्यमों में रोज़गार की सहूलतें दी जाएंगी।
  • पंजाब में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा।
  • पंजाब के छोटे, मध्यम तथा बड़े स्तर के उद्योगों के लिए फोकल प्वाइंट्स स्थापित किए जाएंगे।
  • निर्यात को उत्साहित करने के लिए नई मण्डियाँ ढूंढ़ी जाएंगी।
  • आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाएगा।
  • नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे तथा पुराने स्थापित उद्योगों का नवीनीकरण तथा आधुनिकीकरण किया जाएगा।
  • छोटे स्तर के उद्योगों को विकसित करके रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किए जाएंगे।

2. विकास क्षेत्र (Growth Areas)-पंजाब के भिन्न-भिन्न जिलों को औद्योगिक विकास के पक्ष से चार वर्गों में विभाजित किया गया

  • वर्ग A (Category A)-इस वर्ग में शामिल किए गए क्षेत्रों को सबसे अधिक रियायतें देने की घोषणा की गई। इसमें अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोज़पुर, फरीदकोट तथा मानसा के ज़िले शामिल किए गए हैं।
  • वर्ग B (Category B)-इस वर्ग में जिन क्षेत्रों में शामिल किया गया है उनको वर्ग A के क्षेत्रों से कम रियायतें दी जाएंगी। इस वर्ग में राज्य के अन्य जिलों को शामिल किया गया है।
  • वर्ग C (Category C)-इस वर्ग में लुधियाना तथा जालन्धर के फोकल प्वाइंट्स छोड़ कर पंजाब के सब फोकल प्वाइंट्स को शामिल किया गया है। फोकल प्वाइंट्स पर अधिक-से-अधिक उद्योग स्थापित करने के प्रयत्न किए जाएंगे।
  • वर्ग D (Category D)-इस वर्ग में शामिल उद्योगों को कोई प्रोत्साहन तथा अनुदान नहीं दिया जाएगा। इस वर्ग में जालन्धर तथा लुधियाना की निगम सीमाओं के फोकल प्वाइंट्स तथा उनके ब्लाकों को शामिल किया गया है। वर्ग A तथा वर्ग B के क्षेत्रों को बहुत-सी रियायतों की घोषणा की गई है ताकि पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों का विकास हो सके।

3. कृषि आधारित उद्योगों का विकास (Incentives to Agro Based Industries)-पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। इसलिए कृषि विकास को बनाए रखने के लिए उन उद्योगों को विकसित किया जाएगा जिनके लिए कच्चा माल कम कीमत पर राज्य में से ही प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे उद्योगों को 10 वर्ष के लिए बिक्री कर से मुक्त किया गया है। ऋण पर ब्याज का 5% भाग सरकार द्वारा दिया जाएगा तथा स्थायी पूंजी का 30% भाग आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाएगा जो कि अधिकतम 50 लाख रुपए तक हो सकती है।

4. करों में छूट (Exemption From Taxes)-नई औद्योगिक नीति में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए करों में छूट देने का कार्यक्रम बनाया गया है। वर्ग A के क्षेत्रों में जो नए उद्योग स्थापित किए जाते हैं उनको बिक्री कर (Sales Tax) से 10 वर्ष के लिए तथा वर्ग B के क्षेत्रों में नए स्थापित उद्योगों के लिए बिक्री कर से 7 वर्ष के लिए छूट दी जाएगी।

5. भूमि के लिए आर्थिक सहायता (Land Subsidy)-नई औद्योगिक नीति में भूमि के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है। कोई भी उद्यमी किसी फोकल प्वाइंट पर भूमि की खरीद उद्योग स्थापित करने के लिए करता है तो भूमि की कीमत का 33% भाग आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाएगा। जालन्धर के स्पोर्टस काम्पलैक्स में भूमि के लिए आर्थिक सहायता 25% दी जाएगी।

6. छोटे उद्योगों का आधुनिकीकरण (Modernisation of Small Scale Industries) पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योगों को विकसित करने के लिए एक विशेष फंड की स्थापना की गई है। जो उद्यमी पुराने स्थापित किए यूनिटों का आधुनिकीकरण करना चाहते हैं उनको विशेष आर्थिक सहायता दी जाएगी।

7. मध्यम तथा बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन (Incentives to medium & Large Scale Industries)-नई औद्योगिक नीति में यह घोषणा भी की गई कि वर्ग A के क्षेत्रों में जो उद्यमी निवेश करते हैं उनके द्वारा किए गए बड़े स्तर के उद्योगों पर अचल पूंजी पर आर्थिक सहायता दी जाएगी जहां तक A तथा B वर्ग में स्थापित उद्योगों का सम्बन्ध है अगर वहां पुराने उद्योगों का विस्तार करना चाहते हैं तो मध्यम तथा बड़े उद्योगों के विस्तार पर आर्थिक सहायता दी जाएगी।

8. पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन (Incentive to Tourism)-नई औद्योगिक नीति के अनुसार पंजाब में पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग का दर्जा दिया गया है। पर्यटन उद्योग को वह सब सहूलतें दी जाएंगी जो अन्य साधारण उद्योगों को दी जाती हैं।

9. इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं की इकाइयों को विशेष छूट (Special Incentive to Electronics Units)-पंजाब में जो इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाली इकाइयों को लगाया जाएगा उन उद्योगों को पूंजी निवेश के सम्बन्ध में आर्थिक सहायता तथा बिक्री कर की छूट दी जाएगी। इन उद्योगों को चुंगी करों में भी 6 वर्ष के लिए छूट देने के लिए कहा गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 28 1966 से पंजाब में औद्योगिक विकास

10. ऊर्जा सुविधाएं (Power Facilities) – पंजाब में जो ओद्योगिक इकाइयां लगाई जाएंगी उनको बिजली कनेक्शन में प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसी इकाइयों को पांच साल के लिए बिजली कर से मुक्त रखा जाएगा तथा जेनरेटिंग सैंट लगाने पर 25% की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

11. भूमि के लिए आर्थिक सहायता (Land Subsidy)-पंजाब में जो नई औद्योगिक इकाइयां लगाई जाएंगी उनको भूमि की खरीद में आर्थिक सहायता दी जाएगी। यदि यह इकाइयां फोकल प्वाइंट्स पर लगाई जाती हैं तो भूमि की खरीद में 33 प्रतिशत आर्थिक सहायता दी जाएगी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

PSEB 11th Class Economics 1966 से पंजाब में कृषि का विकास Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब की किसी एक व्यापारिक फसल का वर्णन करें।
उत्तर-
गन्ना (Sugarcane)-पंजाब में गन्ना फरवरी-अप्रैल में बोआ जाता है। गन्ने की फसल जनवरी-अप्रैल में काटी जाती है। पंजाब में गन्ना सभी जिलों में पैदा किया जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब में हरित क्रान्ति का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के कारण इस प्रकार हैं-
नई कृषि नीति-पंजाब में नई कृषि नीति में उन्नत बीज, रासायनिक उर्वरक, आधुनिक मशीनों तथा सिंचाई की सहूलतों में वृद्धि की गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब को भारत का अनाज भण्डार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
2018-19 में पंजाब द्वारा केन्द्रीय भण्डार में गेहूं का योगदान 35% तथा चावले का योगदान 25% रहा।

प्रश्न 4.
पंजाब कृषि में पिछड़ा प्रान्त है।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

प्रश्न 5.
पंजाब में 2019-20 में कुल उपज 315 लाख मीट्रिक टन हुई।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 6.
पंजाब में कृषि विकास का कारण …………….. है।
(a) सिंचाई के साधन
(b) मेहनती लोग
(c) हरित क्रान्ति
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
हरित क्रान्ति का कोई दोष नहीं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 8.
पंजाब को भारत के अनाज का ……………….. कहा जाता है।
उत्तर-
अन्न भण्डार।

प्रश्न 9.
पंजाब की दो खाद्य फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
(i) गेहूँ,
(ii) चावल।

प्रश्न 10.
पंजाब की दो व्यापारिक फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. कपास,
  2. गन्ना।

प्रश्न 11.
पंजाब में अधिक कृषि उत्पादन के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर-

  • सिंचाई का विस्तार,
  • आधुनिक खाद्य तथा बीजों का प्रयोग।

प्रश्न 12.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अर्थ है कृषि पैदावार में होने वाली भारी वृद्धि जो कि नई कृषि नीति के अपनाने से प्राप्त हुई है।

प्रश्न 13.
पंजाब में हरित क्रान्ति का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब में नई कृषि नीति के कारण उचित बीजों और रासायनिक खादों का प्रयोग करने के कारण हरित क्रान्ति प्राप्त होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

प्रश्न 14.
पंजाब में सिंचाई के मुख्य तीन साधन बताएं।
उत्तर-

  1. नहरें,
  2. ट्यूबवैल,
  3. कुएँ।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएँ।
उत्तर-
हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप हवा और पानी के प्रदूषण के कारण, कैंसर का रोग फैल गया है।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में सिंचाई की स्थिति तथा महत्त्व स्पष्ट करें।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए सिंचाई का महत्त्व बहुत अधिक है। पंजाब में वर्ष 1966 के पश्चात् सिंचाई सुविधाओं में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 26.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सहूलतें प्राप्त थी जो कि कुल क्षेत्र का 56% भाग था। वर्ष 2015-16 में सिंचाई के अधीन क्षेत्र बढ़कर 41.37 लाख हेक्टेयर हो गया है जोकि कुल कृषि के अधीन क्षेत्र का 97.4% भाग है। पंजाब में लुधियाना, जालन्धर, पटियाला, भटिंडा, अमृतसर, फिरोज़पुर तथा फरीदकोट जिलों में सिंचाई की अधिक सुविधाएं हैं। किन्तु रोपड़ तथा नवांशहर में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है। बारहवीं योजना में सिंचाई सुविधाओं पर 1052 करोड़ रुपये व्यय किए गए।

प्रश्न 2.
पंजाब में कृषि विकास की चर्चा करें।
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति निम्नलिखित तत्त्वों द्वारा स्पष्ट हो जाती है-
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि-पंजाब में कृषि उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई है। कुल अनाज का उत्पादन 1965-66 में 33 लाख टन था। 2019-20 में अनाज का उत्पादन बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है। अनाज के उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि को हरित क्रान्ति (Green Revolution) कहा जाता है।

2. उन्नत कृषि-पंजाब की कृषि बहुत उन्नत तथा अधिक प्रगतिशील है। पंजाब को प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भारत की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता से अधिक है। पंजाब में वर्ष 1965-66 में गेहूँ की उत्पादकता 1236 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की उत्पादकता 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादकता बढ़कर 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएं।
अथवा
पंजाब में हरित क्रान्ति के दष्प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के केवल अच्छे प्रभाव ही नहीं पड़े बल्कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं जोकि इस प्रकार हैं –
1. असंतुलित विकास की समस्या–हरित क्रान्ति का मुख्य दोष यह है कि समूचे राज्य में एक समान संतुलित विकास नहीं हुआ। कुछ ज़िले उत्पादन क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं जबकि कुछ जिलों में कृषि का विकास कम हुआ है। जैसे कि फरीदकोट, भटिंडा, फिरोज़पुर में कृषि विकास अधिक हुआ है।

2. बेरोज़गारी की समस्या हरित क्रान्ति से बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हुई है। गांवों में भूमिहीन श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई है इसलिए रोज़गार की तलाश में प्रतिदिन शहरों में आते हैं।

प्रश्न 4.
पंजाब में हरित क्रान्ति का अर्थ बताएं।
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अर्थ (Meaning of Green Revolution)-प्रो० एफ० आर० फ्रैक्ल के अनुसार, “हरित क्रान्ति एक सुन्दर नारा है जिसके द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि विज्ञान तथा तकनीकी विकास द्वारा कृषि के क्षेत्र में शान्तिपूर्वक रूपान्तर किया जा सकता है अथवा क्रान्ति लाई जा सकती है।” हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि से है जो कृषि में नई नीति के अपनाने के कारण हुआ है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में जो थोड़े समय में असाधारण विकास तथा वृद्धि हुई है, उसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। पंजाब में 1965-66 में 33 लाख टन कृषि उत्पादन किया गया जो कि 2019-20 में बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में सिंचाई के भिन्न-भिन्न साधन कौन-से हैं ? पंजाब में सिंचाई क्षेत्र के विस्तार के कारण बताएं।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए सिंचाई का महत्त्व बहुत अधिक है। पंजाब में वर्ष 1966 के पश्चात् सिंचाई सुविधाओं में काफ़ी वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में सिंचाई के अधीन क्षेत्र बढ़कर 29% हो गया है जोकि कुल कृषि के अधीन क्षेत्र का 97.96% भाग है। पंजाब में लुधियाना, जालन्धर, पटियाला, भटिंडा, अमृतसर, फिरोजपुर तथा फरीदकोट जिलों में सिंचाई की अधिक सुविधाएं हैं। किन्तु रोपड़ तथा नवांशहर में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है।

बारहवीं योजना में सिंचाई सुविधाओं पर ₹ 493564 करोड़ व्यय किए गए। सिंचाई के साधन (Means of Irrigation)-पंजाब में सिंचाई के साधन निम्नलिखित हैं-
1. नहरें (Canals)-पंजाब में कुल सिंचाई क्षेत्र के 43% भाग में नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। यह सिंचाई का मुख्य साधन है। पंजाब की मुख्य नहरें

  • भाखड़ा-नंगल नहर
  • अपर बारी दोआब नहर
  • सरहिन्द नहर
  • बिस्त दोआब नहर
  • बीकानेर नहर
  • शाह नहर इत्यादि हैं।

इन नहरों के अतिरिक्त पंजाब में सतलुज यमुना लिंक, थीन डैम, कंडी नहर, शाह नहर, फीडर, मेलवाहा डैम तथा राष्ट्रीय परियोजना पर कार्य चल रहा है।

2. ट्यूबवैल (Tubewell)-पंजाब में 50% क्षेत्र पर ट्यूबवैलों द्वारा सिंचाई की जाती है। इस समय 2019-20 में लगभग 14.76 लाख ट्यूबवैल हैं जिनमें से 13.36 लाख ट्यूबवैल विद्युत् से तथा शेष डीज़ल से चलते हैं।

3. कुएँ (Wells)-पंजाब में पहले कुओं का महत्त्व अधिक था। परन्तु अब कुओं का स्थान ट्यूबवैलों ने ले लिया है किन्तु कुछ क्षेत्रों में आज भी कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है। इसके अतिरिक्त तालाब इत्यादि साधनों द्वारा भी सिंचाई की जाती है। फरीदकोट जिले में सिंचाई का मुख्य साधन नहरें हैं। इसके अतिरिक्त फिरोज़पुर, अमृतसर तथा लुधियाना जिलों में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। ट्यूबवैल लगभग सभी जिलों में सिंचाई के साधन हैं किन्तु संगरूर ज़िले में ट्यूबवैल सबसे अधिक हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

प्रश्न 2.
पंजाब में कृषि विकास की चर्चा करें।
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति निम्नलिखित तत्त्वों द्वारा स्पष्ट हो जाती है –
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि-पंजाब में कृषि उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई है। कुल अनाज का उत्पादन 1965-66 में 33 लाख टन था। 2019-20 में अनाज का उत्पादन बढ़कर 315 लाख मीट्रिक टन हो गया है। अनाज के उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि को हरित क्रान्ति (Green Revolution) कहा जाता है।

2. उन्नत कृषि-पंजाब की कृषि बहुत उन्नत तथा अधिक प्रगतिशील है। पंजाब को प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भारत की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता से अधिक है। पंजाब में वर्ष 1965-66 में गेहूँ की उत्पादकता 1236 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की उत्पादकता 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादकता बढ़कर 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा चावल की 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।

3. कृषि की उन्नत विधि-पंजाब में कृषि करने की उन्नत विधियों का प्रयोग किया गया है। पंजाब में 2019-20 में गेहूँ तथा चावल के अधीन 100% क्षेत्रफल नए बीजों के प्रयोग से बोआ गया है। मक्की अधीन 90% तथा बाजरे अधीन 60% क्षेत्रफल नए बीजों के प्रयोग द्वारा बोआ गया था।

4. व्यापारिक कृषि-पंजाब में कृषि जीवन निर्वाह के लिए नहीं की जाती बल्कि उत्पादन को मण्डियों में बेचकर अधिक लाभ प्राप्त करने का यत्न किया जाता है। इसलिए कृषि विकास के परिणामस्वरूप व्यापारिक कृषि का प्रचलन हो गया है।

प्रश्न 3.
पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य दोष बताएं।
अथवा
पंजाब में हरित क्रान्ति के दुष्प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब में हरित क्रान्ति के केवल अच्छे प्रभाव ही नहीं पड़े बल्कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं जोकि इस प्रकार हैं-

  1. असंतुलित विकास की समस्या–हरित क्रान्ति का मुख्य दोष यह है कि समूचे राज्य में एक समान संतुलित विकास नहीं हुआ। कुछ ज़िले उत्पादन क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं जबकि कुछ जिलों में कृषि का विकास कम हुआ है। जैसे कि फरीदकोट, भटिंडा, फिरोज़पुर में कृषि विकास अधिक हुआ है।
  2. बेरोज़गारी की समस्या-हरित क्रान्ति से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है। गांवों में भूमिहीन श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई है इसलिए रोज़गार की तलाश में प्रतिदिन शहरों में आते हैं।
  3. अधिक व्यय की समस्या–हरित क्रान्ति के कारण कृषि में प्रयोग होने वाले साधनों की लागत बहुत अधिक हो गई है। छोटे किसान आधुनिक मशीनों, उर्वरकों तथा नए उन्नत बीजों का प्रयोग नहीं कर सकते।
  4. अमीर किसानों को लाभ-हरित क्रान्ति का लाभ बड़े अमीर किसानों को हुआ है। इससे अमीर किसान और अमीर हो गए हैं। निर्धन किसानों की हालत और बिगड़ गई है। इस प्रकार अमीर तथा गरीब किसानों में असमानता बढ़ गई है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वर्ष 1966 से पंजाब की कृषि के विकास की प्रकृति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
(Explain the main features of the nature of Agricultural development in Punjab Since 1966.)
उत्तर-
पंजाब में कृषि विकास की प्रकृति (Nature of Agricultural Development in Punjab)पंजाब का पुनर्गठन 1 नवम्बर, 1966 को भाषा के आधार पर किया गया। इसके पश्चात् पंजाब की कृषि में तकनीकी क्रान्ति का आरम्भ हुआ, जिसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। डॉ० आर० एस० जौहर तथा परमिन्द्र के अनुसार, “पंजाब में विशेषतया छठे दशक के मध्य से नई कृषि तकनीक के कारण तीव्रता से रूपांतर हुआ है।” (“The Punjab Agriculture underwent a rapid transformation particularly after the mid sixties in the wake of new farm Technology.” -Dr. R.S. Johar & Parminder Singh)

पंजाब में खनिज पदार्थ प्राप्त नहीं होते। कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। पंजाब की कृषि विकास की प्रकृति का अनुमान निम्नलिखित तत्त्वों से लगाया जा सकता है-
1. उन्नत कृषि (Progressive Agriculture)-पंजाब की कृषि देश के अन्य राज्यों की तुलना में उन्नत तथा प्रगतिशील है। पंजाब में पैदा होने वाली मुख्य फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भारत की उत्पादन शक्ति से बहुत अधिक है। वर्ष 2019-20 में पंजाब में गेहूँ तथा चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्रमानुसार 5188 किलोग्राम तथा 4132 किलोग्राम था।

2. आर्थिक विकास का आधार (Basis of Economic Development)-पंजाब में कृषि आर्थिक विकास का मुख्य आधार बन गई है। वर्ष 1980-81 में पंजाबी कुल आय 5,025 करोड़ में कृषि का योगदान ₹ 2,422 करोड़ था। 2019-20 में पंजाब की आय ₹ 644321 करोड़ हो गई है जिसमें कृषि का योगदान 68% है। इस प्रकार पंजाब के आर्थिक विकास में कृषि आर्थिक विकास का मुख्य साधन है।

3. कृषि का मशीनीकरण (Mechanised Agriculture)-पंजाब की कृषि में मशीनों का योगदान दिन प्रतिदिन बढ़ा है। पंजाब में ट्रैक्टर, हारवैस्टर, ट्यूबवैल आम नज़र आते हैं। राज्य में 85% बोए गए शुद्ध क्षेत्रफल पर एक से अधिक बार फसलें उगाई जाती हैं परिणामस्वरूप कृषि की उत्पादन शक्ति में वृद्धि हुई है।

4. कृषि साधनों का उत्तम प्रयोग (Proper Utilisation of Agricultural Resources)-पंजाब में कृषि के साधनों का उत्तम प्रयोग किया जाता है। कृषि के लिए उचित मिट्टी तथा जलवायु की आवश्यकता होती है। पंजाब में धरती समतल है। इसमें दोमट मिट्टी प्राप्त होती है जो कि फसलों की बोआई के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। पंजाब में जल के लिए तीन नदियां सतलुज, ब्यास तथा रावी बहती हैं। इसलिए गहन कृषि की जाती है। वर्ष में एक-से-अधिक फसलें प्राप्त की जाती हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

5. कृषि का अधिक उत्पादन (More Agricultural Production)-पंजाब में कृषि का उत्पादन बहुत अधिक होता है। यह उत्पादन न केवल पंजाब राज्य की आवश्यकताएं पूर्ण करता है बल्कि देश के लिए अन्न भण्डार का साधन है। 1966 के पश्चात् हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप पंजाब में उत्पादन शक्ति में बहुत वृद्धि हुई है। 1965-66 में चावल का उत्पादन 292 हज़ार टन किया गया जो 2019-20 में बढ़ कर 315 लाख टन हो गया है।

6. मुख्य फसलें (Main Crops)-पंजाब की कृषि मुख्यतः दो फसलों गेहूँ तथा चावल पर निर्भर है। पंजाब में बोए गए कुल क्षेत्र का 70% गेहूँ तथा चावल के लिए प्रयोग किया जाता है जबकि अन्य फसलों में वृद्धि सन्तोषजनक नहीं है।

7. व्यापारिक कृषि (Commercial Agriculture)-पंजाब की कृषि अब केवल जीवन निर्वाह कृषि नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन आवश्यकता से अधिक प्राप्त किया जाता है जिसको बाज़ार में बेच कर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए यत्न किए जाते हैं अर्थात् पंजाब की कृषि व्यापारिक कृषि हो गई है।

8. रोज़गार का साधन (Source of Employment)-पंजाब की कृषि में प्रत्यक्ष तौर पर 65.5% जनसंख्या निर्भर करती है जिसमें कुल कार्यशील जनसंख्या का 56% भाग कृषि में कार्य करता है। इस प्रकार कृषि तथा इससे सम्बन्धित उद्योग राज्य के लोगों को रोजगार की सुविधाएं प्रदान करते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब में हरित क्रान्ति के क्या कारण हैं ? इसकी सफलताओं अथवा प्रभावों की व्याख्या करें।
(What are the causes of Green Revolution in Punjab ? Discuss the achievements and effects of Green Revolution.)
अथवा
नए कृषि ढांचे से क्या अभिप्राय है ? इसके कारण तथा प्राप्तियों को स्पष्ट करें। (What is new Agricultural Strategy ? Explain its causes and achievements.)
उत्तर-
पंजाब का 1 नवम्बर, 1966 को पुनर्गठन किया गया है। इस समय में नए कृषि ढांचे (New Agicultural Strategy) को अपनाया गया है। इसके परिणामस्वरूप पंजाब में कृषि का उत्पादन बहुत बढ़ गया तथा हरित क्रान्ति उत्पन्न हुई।

हरित क्रान्ति का अर्थ (Meaning of Green Revolution)—प्रो० एफ० आर० फ्रैक्ल के अनुसार, “हरित क्रान्ति एक सुन्दर नारा है जिसके द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि विज्ञान तथा तकनीकी विकास द्वारा कृषि के क्षेत्र में शान्तिपूर्वक रूपान्तर किया जा सकता है अथवा क्रान्ति लाई जा सकती है।” हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि से है जो कृषि में नई नीति के अपनाने के कारण हुआ है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में जो थोड़े समय में असाधारण विकास तथा वृद्धि हुई है, उसको हरित क्रान्ति कहा जाता है। पंजाब में 1965-66 में 33 लाख टन कृषि उत्पादन किया गया जो कि 2019-20 में बढ़ कर 315.35 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

हरित क्रान्ति के कारण (Causes of Green Revolution)-पंजाब में हरित क्रान्ति के मुख्य कारण इस प्रकार-
1. भूमि सुधार (Land Reform)-पंजाब में कृषि क्षेत्र में कई प्रकार के सुधार किए गए हैं। जैसे कि भूमि की चकबन्दी की गई है। छोटे-छोटे टुकड़ों को एक स्थान पर एकत्रित किया गया है। सिंचाई साधनों का विस्तार तथा मशीनों के प्रयोग के कारण हरित क्रान्ति के लिए भूमिका तैयार की गई है।

2. कृषि अधीन क्षेत्रों का विस्तार (Extent in area Under Cultivation)-पंजाब में कृषि अधीन क्षेत्र में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 38 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि अधीन थी जोकि 2019-20 में बढ़ कर 80 लाख हेक्टेयर की गई है।

3. कृषि का मशीनीकरण (Mechanisation of Agriculture)-कृषि में आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है जैसे कि ट्रैक्टर, कंबाइन, हारवैस्टर, डीज़ल इंजन इत्यादि यन्त्रों का प्रयोग होने के कारण उत्पादन शक्ति में बहुत वृद्धि हुई है 1966-67 में पंजाब में 10,000 ट्रैक्टर थे जिनकी संख्या 2019-20 में बढ़कर 5.15 लाख हो गई है।

4. उन्नत बीज (High yielding varieties of seeds)-पंजाब में हरित क्रान्ति का एक और कारण उन्नत बीजों का अधिक प्रयोग किया जाना है। गेहूँ, चावल, बाजरा, मक्की तथा ज्वार की फसलों के लिए बीजों की उन्नत किस्में बनाई गई हैं। गेहूं तथा चावल के लिए 100%, मक्की के लिए 90% तथा बाजरे के लिए 60% अधिक पैदावार देने वाले बीजों का प्रयोग 1999-2000 में किया गया।

5. रासायनिक उर्वरक (Fertilizers)-पंजाब में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण अनाज के उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति आने का एक कारण उर्वरकों का अधिक प्रयोग करना है। 1966-67 में 51 हजार टन रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया गया था। 2019-20 में 1750 हजार टन रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया गया है।

6. सिंचाई (Irrigation)-पंजाब में सिंचाई की अधिक सहूलतों के कारण हरित क्रान्ति पर बहुत प्रभाव पड़ा है। पंजाब में सारा वर्ष .चलने वाले तीन दरिया सतलुज, ब्यास तथा रावी हैं जिनसे विद्युत् पैदा की जाती है तथा सिंचाई के लिए नहरें निकाली गई है। ट्यूबवैल, कुएं तथा तालाब की सिंचाई के साधन हैं। 1965-66 में 59% क्षेत्र पर सिंचाई की जाती थी। 2019-20 में 78.3 लाख हैक्टर क्षेत्र पर सिंचाई की जाती है।

7. साख सहूलतें (Credit Facilities) हरित क्रान्ति के लिए साख सहूलतों का योगदान बहुत अधिक है। 1967-68 में सहकारी समितियों द्वारा ₹75 करोड़ की साख सहूलतें प्रदान की गई थीं जो कि 2019-20 में बढ़ कर ₹ 6515 करोड़ हो गई हैं।

8. खोज (Research)-पंजाब में कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना में खोज का कार्य किया जाता है। कृषि यूनिवर्सिटी में नए बीज, भूमि की परख, उर्वरकों का प्रयोग, कीट नाशक दवाइयों के प्रयोग सम्बन्धी अल्प अवधि के कोर्स आरम्भ किए जाते हैं। इससे किसानों को फसलों की देख रेख करने सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है। परिणामस्वरूप कृषि के उत्पादन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 27 1966 से पंजाब में कृषि का विकास

हरित क्रान्ति की प्राप्तियां (Achievements of Green Revolution)
अथवा
हरित क्रान्ति के प्रभाव (Effects of Green Revolution) –
हरित क्रान्ति की मुख्य प्राप्तियां इस प्रकार हैं-
1. उत्पादन में वृद्धि (Increase in Production)-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप कृषि के उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। 1965-66 में 33 लाख टन अनाज पैदा किया गया था। हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप वर्ष 2019-20 में कृषि का उत्पादन 315.33 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment) हरित क्रान्ति के कारण मशीनों का प्रयोग बढ़ गया है। परन्तु फिर भी वर्ष में कई फसलें पैदा होने लगी हैं इसलिए रोजगार में वृद्धि हुई है।

3. उद्योगों में वृद्धि (Increase in Industries) हरित क्रान्ति का प्रभाव उद्योगों के विकास पर अच्छा पड़ा है। पंजाब में कृषि यन्त्र हारवैस्टर, थ्रेशर इत्यादि की मांग बढ़ने के कारण बहुत से उद्योग स्थापित किए गए हैं।

4. उत्पादकता में वृद्धि (Increase in Productivity) हरित क्रान्ति के पश्चात् गेहूँ तथा चावल की उत्पादन शक्ति बहुत बढ़ गई है। यद्यपि गेहूँ, मक्की, ज्वार, कपास की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि हुई है जिसका मुख्य कारण अच्छे बीजों, रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग है।

5. ग्रामीण विकास (Rural Development)-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि हो गई है इसलिए ग्रामीण लोगों में उच्च जीवन स्तर व्यतीत करने की इच्छा पैदा हो गई है।

प्रश्न 3.
पंजाब की प्रमुख फसलों का वर्णन करें। पंजाब में पुनर्गठन के पश्चात् फसलों के ढांचे में कौन-से परिवर्तन हुए हैं ? .
उत्तर-
पंजाब में कई प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। इन फसलों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
A. खाद्य फसलें (Food Crops)-ये वह फसलें हैं जोकि भोजन के रूप में खाने के लिए प्रयोग की जाती हैं जैसे कि गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्की, दालें तथा चने इत्यादि।
B. व्यापारिक फसलें (Commercial Crops)-व्यापारिक फसलें वे हैं जिनका प्रयोग उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। जैसे कि गन्ना, कपास, तिलहन इत्यादि।

A. खाद्य फसलें (Food Crops)-पंजाब की खाद्य फसलों की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है –
1. गेहूँ (Wheat)-पंजाब में गेहूँ भोजन के लिए मुख्य फसल है। गेहूँ की बिजाई नवम्बर-दिसम्बर के महीने में की जाती है जोकि अप्रैल-मई के महीने में काटी जाती है। पंजाब के सब ज़िलों में गेहूँ की बिजाई की जाती है परन्तु संगरूर, फिरोज़पुर तथा लुधियाना जिले में अन्य जिलों से गेहूँ अधिक होती है। 2019-20 में गेहूँ की उत्पादन शक्ति पंजाब में 5188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। जबकि भारत में गेहूँ की औसत उत्पादकता 3600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। स्पष्ट है कि पंजाब में गेहूँ का उत्पादन 17613 हज़ार मीट्रिक टन है जो अन्य राज्यों से अधिक है।

2. चावल (Rice)-पंजाब में चावल की खाद्य फसलों में से प्रमुख फसल है। इसकी बिजाई मई-जून में की जाती है तथा यह अक्तूबर-नवम्बर तक तैयार हो जाती है। चावल का उत्पादन पंजाब के सब जिलों में होता है परन्तु सबसे अधिक उत्पादन अमृतसर, पटियाला, लुधियाना तथा संगरूर जिलों में होता है। 2019-20 में पंजाब में चावल की प्रति हेक्टेयर उपज 4132 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जबकि समूचे भारत में औसत उत्पादकता 2708 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। पंजाब में चावल का उत्पादन 13311 हज़ार मीट्रिक टन था।

3. जौ (Barley)-पंजाब में जौ रबी की फसल है। इसको पंजाब में सितम्बर-अक्तूबर के महीने में बोआ जाता है तथा यह अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन भटिंडा, होशियारपुर इत्यादि जिलों में होता है। 1965-66 में जौ की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1030 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था। 2019-20 में इसकी उत्पादन शक्ति बढ़कर 3017 किलोग्राम हो गई है। जौ का उत्पादन 117 हज़ार मीट्रिक टन हुआ था।

4. मक्की (Maize)-पंजाब में मक्की खरीफ की फसल है। मक्की जून-जुलाई के महीने में बोई जाती है तथा मक्की की फसल सितम्बर, अक्तूबर तक तैयार हो जाती है। पंजाब में अधिकतर मक्की लुधियाना, जालन्धर, होशियारपुर ज़िलों में पैदा होती है। 1970-71 में प्रति हेक्टेयर उत्पादन शक्ति 1555 किलोग्राम थी। 2019-20 में इसकी उत्पादन शक्ति बढ़कर 3515 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। मक्की का उत्पादन 396 लाख मीट्रिक टन हुआ था।

5. ज्वार तथा बाजरा (Jowar and Bazra)-ज्वार तथा बाजरा खरीफ की फसलें हैं। ज्वार मुख्यतः रूपनगर तथा मुक्तसर जिलों में पैदा की जाती है। बाजरे की फसल, गुरदासपुर, फिरोजपुर, फरीदकोट तथा संगरूर में होती है। बाजरे की उत्पादन शक्ति 1965-66 में 548 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जोकि 2019-20 में बढ़कर 987 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। ज्वार का उत्पादन 800 मीट्रिक टन तथा बाजरे का उत्पादन 800 मीट्रिक टन हुआ था।

6. चने (Gram)-यह रबी की फसल है जोकि अक्तूबर-नवम्बर में बोई जाती है। यह फसल अप्रैल-मई तक तैयार हो जाती है। यह फसल भटिंडा तथा मुक्तसर जिलों में होती है क्योंकि रेतीली भूमि इसके लिए अधिक उपयुक्त होती है। इसकी उत्पादकता 1245 kg प्रति हैक्टेयर और उत्पादन 3 हज़ार मीट्रिक टन था।

7. दालें (Pulses)-पंजाब में लोगों के भोजन का मुख्य अंग दालें हैं। पंजाब में मांह, मोठ, मूंगी, मसर इत्यादि दालों का प्रयोग किया जाता है। दालों की उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है। 2019-20 में दालों की पैदावार 25 हज़ार मीट्रिक टन थी।

B. व्यापारिक फसलें अथवा नकदी फसलें (Commercial Crops or Cash Crops)-पंजाब में व्यापारिक फसलें मुख्यतः निम्नलिखित हैं
1. गन्ना (Sugarcane)-पंजाब में गन्ना व्यापारिक खाद्य फसल है। इसका प्रयोग गुड़, शक्कर तथा चीनी तैयार करने के लिए किया जाता है। इसका बिजाई मार्च-अप्रैल तथा कटाई दिसम्बर-मार्च में की जाती है। गन्ना मुख्यतः जालन्धर, गुरदासपुर तथा रूपनगर जिलों में बोआ जाता है। पंजाब में चीनी बनाने के उद्योग के लिए कच्चा माल पंजाब में ही तैयार किया जाता है। 2019-20 में गन्ने का उत्पादन 7744 लाख मीट्रिक टन हुआ था।

2. कपास (Cotton)-कपास खरीफ की फसल है। यह अप्रैल से जून तक बोई जाती है जोकि सितम्बर से दिसम्बर तक तैयार हो जाती है। पंजाब में भटिंडा, फरीदकोट, फिरोज़पुर में कपास की अमेरिकन किस्म बोई जाती है जबकि अन्य जिलों में देशी कपास बोई जाती है। 2019-20 में कपास का उत्पादन 1283 हज़ार गांठें हुआ।

3. तेलों के बीज (Oil Seeds)-पंजाब में तेलों के बीज मुख्य नकदी फसल है। इसमें सरसों, तारामीरा, अलसी, तिल इत्यादि का उत्पादन होता है। इनमें से कुछ फसलें रबी की हैं तथा कुछ खरीफ की हैं। भटिंडा, फिरोज़पुर तथा पटियाला में सरसों तथा तारामीरा, संगरूर में मुख्यतः तारामीरा, लुधियाना में मूंगफली का उत्पादन किया जाता है। 2019-20 में 59.6 हज़ार मीट्रिक टन तेलों के बीज का उत्पादन हुआ।

प्रश्न 4.
पंजाब में कृषि उपज बिक्री के दोष बताएं और इन दोषों को दूर करने के लिये सुझाव दें। (Discuss the defects of Agricultural Marketing on Punjab. Suggest measures to remove the defects.)
उत्तर-
पंजाब में कृषि उपज बिक्री के मुख्य दोष इस प्रकार हैं-
1. ग्रेडिंग का अभाव (Lack of Grading)-पंजाब में किसान अपनी फसल की ग्रेडिंग नहीं करते। जो फसल बाज़ार में बिक्री के लिए भेजी जाती है उसमें मिलावट होने के कारण उपज का ठीक मूल्य प्राप्त नहीं होता।

2. उपज के भण्डार का अभाव (Lack of Storage Facilities)- किसान को अपनी उपज कटाई के बाद शीघ्र बेचनी पड़ती है क्योंकि फसलों के संग्रह करने के लिये उचित भण्डार साधन नहीं होते। इसलिए घर पर फसल रखने से उसके नष्ट होने का डर रहता है।

3. संगठन का अभाव (Lack of Organisation)-पंजाब में किसानों का कोई संगठन नहीं है जो कि उपज का उचित मूल्य दिला सके। किसान अपनी-अपनी फसल मण्डियों में बेचते हैं जिस कारण उनको उपज की कम कीमत प्राप्त होती है।

4. मण्डियों में अधिक मध्यस्थ (Many Intermediaries in Mandies)-मण्डी में मध्यस्थों की अधिकता के कारण भी किसान को उपज का ठीक मूल्य प्राप्त नहीं होता। किसान और उपभोक्ता के बीच कच्चा आढ़तिया, पक्का आढ़तिया, दलाल आदि बहुत-से मध्यस्थ होते हैं। मध्यस्थों के कारण किसान को उपज की पूरी कीमत प्राप्त नहीं होती।

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5. मण्डियों में अनुचित ढंग (Malpractices in Mandies) मण्डियों में किसान को कम कीमत देने के लिये कई प्रकार के अनुचित ढंगों का प्रयोग किया जाता है। किसान की उपज को तुरन्त खरीदा नहीं जाता और किसान को कई दिन उपज की सम्भाल करनी पड़ती है। उसको उपज की उचित कीमत का ज्ञान भी नहीं दिया जाता।

6. मण्डियों के बारे में सूचना (Knowledge about Mandies) किसानों को बाज़ार की विभिन्न मण्डियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। इसलिये किसान अपनी उपज गांव के पास ही मण्डियों में कम कीमत पर बेच देता है।

7. वित्त का अभाव (Lack of Finance)-किसानों को फसल बीजने से लेकर, इस की कटाई होने तक बहुतसे वित्त की ज़रूरत होती है। पंजाब में बहुत-से किसान वित्त के लिये महाजनों तथा आढ़तियों पर निर्भर होते हैं। इसलिए किसान को अपनी उपज महाजनों तथा आढ़तियों को ही बेचनी पढ़ती है। इसलिए उपज की ठीक कीमत प्राप्त नहीं होती।

8. यातायात सुविधाओं का अभाव (Lack of Transport Facilities)—पंजाब में गांव में यातायात की असुविधाएं होने के कारण किसान को अपनी उपज गांव में या नज़दीक मण्डियों में ही बेचनी पड़ती है। इसलिये किसान को अपने उत्पादन को बहुत ही प्रतिकूल समय, प्रतिकूल दरों पर, प्रतिकूल बाज़ार में बेचना पड़ता है।

9. स्वेच्छा बिक्री का अभाव (Lack of Freedom of Sale)-पंजाब में किसान अपनी उपज स्वेच्छा से बिक्री नहीं कर सकता। उसको बैंक का कर्ज, साहूकार और आढ़तियों का कर्ज देना होता है। इसलिए फसल काटने के तुरन्त बाद उसको अपनी उपज बेचनी पड़ती है।

कृषि उपज की बिक्री के दोषों को दूर करने के लिए सुझाव (Suggestions to Remove the Defects of Agricultural Marketing) कृषि उपज की बिक्री में बहुत से दोष हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जाते हैं-
1. वित्त की सुविधा (Facilities of Finance)-पंजाब के किसानों को वित्त की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। भारत सरकार ने इस वित्त की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किसानों पर से 2019-20 में ₹ 2000 करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर दिया है और बैंकों में किसानों को अधिक साख देने के लिये कहा है।

2. यातायात की सुविधा (Facilities of Transport)-पंजाब में किसान की उपज को बेचने के लिये सस्ती, कुशल तथा पर्याप्त सुविधाएं होनी चाहिएं। इस प्रकार किसान अपनी उपज को उचित बाजार, उचित समय तथा उचित कीमत पर बेच सकता है।

3. संग्रह की सुविधा (Facilities of Storage) संग्रह की सुविधा भी कृषि उपज की बिक्री के लिए बहुत ज़रूरी है। किसान के पास गांव में फसलों को संग्रह करने के लिये गड्ढ़े या कोठियां मिट्टी के बने होते हैं। इस कारण बहुत-सी फसल नष्ट हो जाती है। इसलिए संग्रह की सुविधा सरकार द्वारा प्रदान करनी चाहिए।

4. मध्यस्थों पर नियन्त्रण (Control over Middleman) कृषि उपज की उचित बिक्री के लिये मध्यस्थों पर नियन्त्रण आवश्यक है। मध्यस्थों पर नियन्त्रण करके किसान को उसकी उपज की ठीक कीमत दिलाई जा सकती है।

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5. उचित कीमत (Suitable Price)-किसान द्वारा उपज की कीमत दूसरे खरीदार लगाते हैं जबकि उत्पादक अपनी वस्तु की कीमत स्वेच्छा से निर्धारित करते हैं। इसलिए किसान को अपनी उपज की कीमत स्वेच्छा से निर्धारित करने का अधिकार होना चाहिए।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन

PSEB 11th Class Economics पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 2 करोड़ 77 लाख थी।

प्रश्न 2.
पंजाब में साक्षरता अनुपात पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
2011 में साक्षरता अनुपात बढ़ कर 75.8% हो गई है। साक्षर लोगों में पुरुषों का अनुपात 75.63% है, जबकि स्त्रियों में साक्षरता अनपात 71.3% है।

प्रश्न 3.
पंजाब की जनसंख्या के लिंग अनुपात का वर्णन करें।
उत्तर-
2011 में पंजाब में स्त्री-पुरुष अनुपात 897 था।

प्रश्न 4.
पंजाब की वन सम्पत्ति के सम्बन्ध में क्या स्थिति है?
उत्तर-
पंजाब में वन सम्पत्ति संतोषजनक नहीं है।

प्रश्न 5.
पंजाब में शहरों, तहसीलों तथा गांवों की संख्या बताएं।
उत्तर-
पंजाब में 5 डिवीज़न, 22 जिले, 91 तहसीलें, 81 सब तहसीलें, 150 विकास खण्ड, 74 शहर, 143 कस्बे तथा 12581 गांव हैं।

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प्रश्न 6.
पंजाब में ऊर्जा के जल साधनों की व्याख्या करें।
उत्तर-
जल विद्युत्-पंजाब में सतलुज, ब्यास तथा रावी तीन दरिया बहते हैं। इनके जल से विद्युत् उत्पन्न की जाती है।

प्रश्न 7.
पंजाब का क्षेत्रफल 50362 वर्ग किलोमीटर है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 8.
पंजाब में स्त्री पुरुष लिंग अनुपात ……………. है।
उत्तर-
895.

प्रश्न 9.
पंजाब में जंगल सन्तोषजनक हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 10.
पंजाब की जनसंख्या 2011 की जनगणना अनुसार ……………. थी
(a) 267 लाख
(b) 277 लाख
(c) 287 लाख
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) 277 लाख।

प्रश्न 11.
पंजाब के खनिज पदार्थों का वर्णन करो।
उत्तर-
पंजाब में कोई खनिज पदार्थ नहीं मिलता।

प्रश्न 12.
पंजाब में जल बिजली और ताप बिजली ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 13.
पंजाब में शक्ति के साधन ………………. हैं।
(a) भाखड़ा नंगल प्रोजैक्ट
(b) ब्यास प्रोजैक्ट
(c) आनंदपुर साहिब प्रोजैक्ट
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 14.
पंजाब की मुख्य फसलें गेहूँ और चावल हैं।
उत्तर
सही।

प्रश्न 15.
पंजाब में अधिक कृषि उत्पादन का कारण बताएँ।
उत्तर-
पंजाब में कृषि के लिए उचित और उपयुक्त वातावरण।

प्रश्न 16.
पंजाब में वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय ₹ 166830 थी।
उत्तर-
सही।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में जनसंख्या की वृद्धि के दो कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. ऊंची जन्म दर-पंजाब में जन्म दर ऊंची है जो कि 19.9 प्रति हज़ार है। इस कारण पंजाब की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है।
  2. कम मृत्यु दर-एक हजार व्यक्तियों के पीछे जितने व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है उसको मृत्यु दर कहा जाता है। पंजाब में मृत्यु दर निरन्तर कम हो रही है। इसके मुख्य कारण डॉक्टरी सुविधाओं में वृद्धि, अच्छी खुराक, विवाह की अधिक आयु इत्यादि है। 1971 में मृत्यु दर 11.4 प्रति हज़ार थी। 2018-19 में मृत्यु दर कम होकर 6 प्रति हज़ार है। इस कारण जनसंख्या की वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 2.
पंजाब में जनसंख्या के व्यवसाय का विवरण दें।
उत्तर-
पंजाब में जनसंख्या के व्यवसाय का विवरण इस प्रकार है –

व्यवसाय उत्पदान प्रतिशत
(1) सुविधाएं कृषि (प्राथमिक क्षेत्र) 26.16
(2) उद्योग तथा निर्माण (सैकण्डरी क्षेत्र) 24.70
(3) टर्शरी क्षेत्र 35.14
14.00
कुल कार्यशील जनसंख्या 100%

प्रश्न 3.
पंजाब में वन सम्पत्ति की विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
वन मनुष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक साधन हैं। एक राज्य की जलवायु, रोज़गार, वर्षा, बाढ़ नियन्त्रण इत्यादि पर वनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। एच० कालबर्ट के अनुसार, “पंजाब की खुशहाली बहुत हद तक वनों पर निर्भर करती है क्योंकि यह भूमि कटाव को रोकते हैं।” पंजाब में वन साधन बहुत कम हैं। 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के कारण वन वाला क्षेत्र हिमाचल प्रदेश का भाग बन गया इसलिए पंजाब में वनों के अधीन क्षेत्र बहुत कम है। पंजाब में 3054 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों के अधीन है जो कि कुल क्षेत्रफल का 5.7% भाग है।

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प्रश्न 4.
पंजाब में स्त्री-पुरुष अनुपात पर रोशनी डालें।
उत्तर-
स्त्री-पुरुष अनुपात निरन्तर कम हो रहा है। इसका विवरण निम्नलिखित सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
स्त्री-पुरुष अनुपात

वर्ष 1951 1961 1971 1981 1991 2011
भारत 946 942 930 934 929 940
पंजाब 844 854 865 879 888 895

प्रश्न 5.
पंजाब में वनों के दो प्रत्यक्ष लाभ बताएं।
उत्तर-
प्रत्यक्ष लाभ (Direct Advantages)-

  1. इमारती लकड़ी-पंजाब के वनों से कई प्रकार की इमारती लकड़ी प्राप्त होती है जैसे कि शीशम, टाहली, आम, सफ़ेदा इत्यादि जो फर्नीचर तथा इमारतें बनाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. कच्चे माल की प्राप्ति-पंजाब के वनों से कच्चे माल की प्राप्ति भी होती हैं। इससे खेलों का सामान बनाने वाले उद्योग, काग़ज़ उद्योग इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त रंग-रोगन बनाने के लिए कच्चा माल भी वनों से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब में वनों के दो अप्रत्यक्ष लाभ बताएं।
उत्तर-
अप्रत्यक्ष लाभ (Indirect Advantages)—वनों में अप्रत्यक्ष लाभ इस प्रकार हैं –

  1. वनों द्वारा बाढ़ की रोकथाम होती है। वन जल की रफ़्तार काफ़ी कम कर देते हैं।
  2. वनों द्वारा भूमि के कटाव (Soil Erosion) की समस्या का हल होता है। पेड़ों की जड़ों में मिट्टी फंस जाती है इसलिए भूमि के कटाव की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब में जनसंख्या की वृद्धि के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
पंजाब में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  1. ऊंची जन्म दर-पंजाब में जन्म दर ऊंची है जो कि 29.8 प्रति हज़ार है। इस कारण पंजाब की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है।
  2. कम मृत्यु दर-एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे जितने व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है उसको मृत्यु दर कहा जाता है। पंजाब में मृत्यु दर निरन्तर कम हो रही है। इसके मुख्य कारण डॉक्टरी सुविधाओं में वृद्धि, अच्छी खुराक, विवाह की अधिक आयु इत्यादि है। 1971 में मृत्यु दर 11.4 प्रति हज़ार थी। 2011 में मृत्यु दर कम होकर 7.4 प्रति हज़ार है। इस कारण जनसंख्या की वृद्धि हो रही है।
  3. अशिक्षा-पंजाब में 75.8% लोग गांवों में रहते हैं। इनमें से अधिक लोग अशिक्षित तथा अज्ञानी हैं। वे छोटे परिवार के महत्त्व को नहीं समझते इसलिए परिवार नियोजन की तरफ कम ध्यान देते हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए परिवार में लोग वृद्धि करते हैं।
  4. सर्वव्यापी विवाह-पंजाब में विवाह करना सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक दृष्टि से आवश्यक माना जाता है। यद्यपि कोई बच्चों का पालन-पोषण न कर सके, परन्तु विवाह करना पसन्द करता है।
  5. गर्म जलवायु-पंजाब की जलवायु गर्म है। इसलिए लड़के-लड़कियां छोटी आयु में ही विवाह योग्य हो जाते हैं। इस कारण बच्चे अधिक होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब में जनसंख्या की सघनता पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
जनसंख्या की सघनता का अर्थ है कि राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर में कितनी जनसंख्या निवास करती है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन 1
पंजाब में जनसंख्या की सघनता बढ़ रही है 1961 में पंजाब की सघनता 221 थी, जोकि 2011 में बढ़कर 551 हो गई है। पंजाब में जनसंख्या की सघनता भारत में जनसंख्या की सघनता से अधिक है।

इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं-

  1. भूमि की उपजाऊ शक्ति-जिस राज्य में भूमि की उपजाऊ शक्ति अधिक होती है। वर्षा उचित मात्रा में ठीक समय पर होती है तथा सिंचाई की सुविधाएं प्राप्त होती हैं, उन क्षेत्रों में जनसंख्या की सघनता अधिक होगी।
  2. उद्योगों का विकास-औद्योगिक विकास तथा व्यापारिक केन्द्रों में जनसंख्या की सघनता अधिक होती है। उद्योग विकसित होने के कारण रोज़गार के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं, इसलिए जनसंख्या की सघनता बढ़ जाती है।
  3. सुरक्षा का वातावरण-जिन क्षेत्रों में सुख-शान्ति का वातावरण पाया जाता है तथा जान-माल की सुरक्षा होती है, उन क्षेत्रों में जनसंख्या की सघनता अधिक पाई जाती है।
  4. राजधानियां तथा धार्मिक स्थान-साधारणतया राजधानियों तथा धार्मिक स्थानों पर जनसंख्या की सघनता अधिक होती है, क्योंकि श्रद्धालु लोग धार्मिक स्थानों पर बस जाते हैं। राजधानियों में शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाएं होने के कारण ऐसे स्थानों पर लोग निवास करना पसन्द करते हैं।

प्रश्न 3.
पंजाब में जनसंख्या के व्यावसायिक विभाजन को स्पष्ट करें।
उत्तर-
जनसंख्या के व्यावसायिक विभाजन से अभिप्राय : एक राज्य के लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए कौन-से कार्य करते हैं। 2011 की जनसंख्या के अनुसार पंजाब की जनसंख्या 277 लाख है जिसमें से 30% जनसंख्या कार्यशील है। जनसंख्या के व्यावसायिक विभाजन को तीन भागों में विभाजित करके स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)-इस क्षेत्र में कृषि तथा कृषि कार्यों से सम्बन्धित सब कार्य शामिल किए जाते हैं।
  2. गौण क्षेत्र (Secondary Sector)-इस क्षेत्र में उद्योग, निर्माण इत्यादि कार्यों को शामिल किया जाता है।
  3. तृतीय क्षेत्र (Tertiary Sector)-इस क्षेत्र में व्यापार, यातायात, बैंकिंग इत्यादि सेवाओं को शामिल किया जाता है|

वर्ष 2019-20 पंजाब में जनसंख्या के व्यवसाय का विवरण इस प्रकार है –

व्यवसाय कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत उत्पादन प्रतिशत
(1) सुविधाएं कृषि (प्राथमिक क्षेत्र) 56.0 25%
(2) उद्योग तथा निर्माण (गौण क्षेत्र) 16.0 25%
(3) सेवाएं (तृतीय क्षेत्र) 28.0% 50%
कुल कार्यशील जनसंख्या 100% 100.00

इस सूची-पत्र से स्पष्ट होता है कि –

  1. कृषि-पंजाब में कार्यशील जनसंख्या का 56% भाग कृषि में कार्य करता है। इसमें 26.16% उत्पादन होता है।
  2. उद्योग तथा निर्माण-पंजाब में औद्योगिक विकास बहुत कम हुआ है जो कि पंजाब की कम उन्नति का सूचक है। उद्योगों में पंजाब की कार्यशील जनसंख्या का 18% भाग कार्य करता है। इसमें 24.70% उत्पादन होता है।
  3. सेवाएं-पंजाब की जनसंख्या का 28% भाग व्यापार तथा यातायात में लगा हुआ है। इसमें 49.14% उत्पादन होता है।

प्रश्न 4.
पंजाब में जनसंख्या को रोकने के लिए उठाए गए पग बताएं।
उत्तर-
पंजाब सरकार ने जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए निम्नलिखित पग उठाए हैं-
स्वास्थ्य तथा डॉक्टरी सुविधाओं में वृद्धि-जनसंख्या को कम करने के लिए पंजाब सरकार ने शिक्षा के प्रसार का कार्य आरम्भ किया है। पंजाब सरकार की तरफ से परिवार नियोजन को सफल बनाने के लिए डॉक्टरी सुविधाओं का विस्तार किया है। गांवों में डिस्पैंसरियां तथा छोटे अस्पताल स्थापित किए हैं। इस प्रकार परिवार सीमित रखने के लिए लोगों को उत्साहित किया जाता है।

प्रश्न 5.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
पंजाब भारत का एक कृषि प्रधान राज्य है। इसका पुनर्गठन 1 नवम्बर, 1966 को किया गया। यह प्रान्त उत्तर में जम्मू-कश्मीर, दक्षिण में हरियाणा तथा राजस्थान से लगता है। इसके पूर्व में हिमाचल है तथा पश्चिम में पाकिस्तान का क्षेत्र है। यह प्रान्त उत्तर में 29° से 32° तथा पूर्व में 75° से 77° तक फैला हुआ है। इसको कृषि तथा जलवायु के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  • पहाड़ी क्षेत्र
  • मैदानी क्षेत्र
  • रेतीला क्षेत्र।

पंजाब के पुनर्गठन के पश्चात् इसका क्षेत्रफल 50362 वर्ग किलोमीटर अथवा 5036 हजार हेक्टेयर है। पंजाब भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.5% भाग है। पंजाब की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 243.6 लाख है। इसमें 5 डिवीजन, 22 जिले, 90 तहसीलें, 81 सब-तहसीलें, 150 विकास खण्ड, 74 शहर, 143 कस्बे तथा 12581 गांव हैं। पंजाब में मुख्य तीन दरिया

  • सतलुज
  • ब्यास
  • रावी बहते हैं।

इनके अतिरिक्त घग्गर नदी भी जल साधन का स्रोत है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन

प्रश्न 6.
पंजाब में वन सम्पत्ति की विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
वन मनुष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक साधन हैं। एक राज्य की जलवायु, रोज़गार, वर्षा, बाढ़ नियन्त्रण इत्यादि पर वनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। एच० कालबर्ट के अनुसार, “पंजाब की खुशहाली बहुत हद तक वनों पर निर्भर करती है क्योंकि यह भूमि कटाव को रोकते हैं।” पंजाब में वन साधन बहुत कम हैं। 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के कारण वन वाला क्षेत्र हिमाचल प्रदेश का भाग बन गया इसलिए पंजाब में वनों के अधीन क्षेत्र बहुत कम है। पंजाब में 3050 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों के अधीन है जो कि कुल क्षेत्रफल का 5.7% भाग है।

पंजाब में वन सम्पत्ति की विशेषताएं (Features of Forest Wealth of Punjab)-

  1. वनों के अधीन कम क्षेत्र-पंजाब में वनों के अधीन बहुत कम क्षेत्र है। पंजाब के कुल क्षेत्रफल का केवल 5.7% भाग वनों के अधीन है। प्रत्येक क्षेत्र की जलवायु को सन्तुलित रखने के लिए 33% क्षेत्रफल वनों के अधीन होना चाहिए किन्तु पंजाब में वनों के अधीन कम क्षेत्र होने के कारण इसकी जलवायु नीम शुष्क है।
  2. क्षेत्रीय असमानता-पंजाब के वनों की एक विशेषता यह है कि इसमें क्षेत्रीय असमानता पाई जाती है अर्थात् पंजाब के वनों का क्षेत्रीय विभाजन असमान है। पंजाब में अधिकतर वन होशियारपुर जिले में पाए जाते हैं जो कि कुल वनों का 33% भाग है। रोपड़ में 23% क्षेत्र वनों के अधीन है, शेष जिलों में वन बहुत कम हैं।

प्रश्न 7.
पंजाब सरकार की वन नीति पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब में भारत की स्वतन्त्रता से पूर्व वनों सम्बन्धी कोई नीति नहीं बनाई गई थी। परन्तु स्वतन्त्रता के पश्चात् वन नीति की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। इसकी मुख्य विशेषताएं अनलिखित हैं-

  1. वन क्षेत्र विकास (Increase in Forest Area)-पंजाब का पुनर्गठन 1 नवम्बर, 1966 को किया गया। उस समय वनों के अधीन क्षेत्र 1872 वर्ग किलोमीटर था। इस समय लगभग 3054 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं जो कि कुल क्षेत्रफल का 5.7% भाग हैं।
  2. नर्सरियों की स्थापना (Establishment of Nursaries)-पंजाब सरकार ने नर्सरियों की स्थापना की है। इस समय लगभग 150 नर्सरियां हैं जिनमें पेड़ों के बीज लगा कर छोटे पेड़ तैयार किए जाते हैं।
  3. नए पेड़ लगाना (New Plantation)-पंजाब सरकार ने अधिक पेड़ लगाओ (Grow More Trees) की नीति अपनाई है जिसके अधीन लोगों को बहुत कम कीमत पर सरकारी नर्सरियों से पौधे दिए जाते हैं।
  4. घास लगाना (Grass Plantation)-पंजाब के नीम पहाड़ी क्षेत्रों में घास लगाया जाता है। इस प्रकार भूमि के कटाव को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। वन सम्बन्धी खोज का कार्य पंजाब कृषि विद्यालय लुधियाना में किया जाता है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में वन लगाने के लिए सुझाव तथा प्रशिक्षण दिया जाता है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में वनों के विकास पर 5400 लाख रुपए व्यय किए गए थे। पंजाब में 3011 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों के अधीन हैं।

प्रश्न 8.
पंजाब सरकार की वन नीति पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब में भारत की स्वतन्त्रता से पूर्व वनों सम्बन्धी कोई नीति नहीं बनाई गई थी। परन्तु स्वतन्त्रता के पश्चात् वन नीति की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. वन क्षेत्र विकास (Increase in Forest Area)-पंजाब का पुनर्गठन 1 नवम्बर, 1966 को किया गया। उस समय वनों के अधीन क्षेत्र 1872 वर्ग किलोमीटर था। इस समय लगभग 3054 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं जो कि कुल क्षेत्रफल का 5.7% भाग हैं।
  2. नर्सरियों की स्थापना (Establishment of Nursaries)-पंजाब सरकार ने नर्सरियों की स्थापना की है। इस समय लगभग 150 नर्सरियां हैं जिनमें पेड़ों के बीज लगा कर छोटे पेड़ तैयार किए जाते हैं।
  3. नए पेड़ लगाना (New Plantation)-पंजाब सरकार ने अधिक पेड़ लगाओ (Grow More Trees) की नीति अपनाई है जिसके अधीन लोगों को बहुत कम कीमत पर सरकारी नर्सरियों से पौधे दिए जाते हैं।
  4. घास लगाना (Grass Plantation)-पंजाब के नीम पहाड़ी क्षेत्रों में घास लगाया जाता है। इस प्रकार भूमि के कटाव को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। वन सम्बन्धी खोज का कार्य पंजाब कृषि विद्यालय लुधियाना में किया जाता है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में वन लगाने के लिए सुझाव तथा प्रशिक्षण दिया जाता है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में वनों के विकास पर 5400 लाख रुपए व्यय किए गए थे। पंजाब में 3011 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों के अधीन हैं।

प्रश्न 9.
पंजाब में शक्ति साधनों के महत्त्व पर नोट लिखें।
उत्तर-

  • कृषि के लिए महत्त्व-पंजाब कृषि प्रधान प्रान्त है। कृषि उत्पादन अधिक होने के कारण इसको भारत का अन्न भण्डार कहा जाता है। कृषि के विकास के लिए बिजली का विकास बहुत महत्त्वूपर्ण है।
  • बहु-उद्देशीय योजनाएं-पंजाब में बहु-उद्देशीय योजनाएं स्थापित की गई हैं। इन योजनाओं द्वारा बाढ़ को रोकना, भूमि की सुरक्षा, जल बिजली पैदा करना इत्यादि बहुत से उद्देश्यों की प्राप्ति होती है।
  • यातायात तथा संचार के लिए महत्त्व-बिजली का विकास यातायात तथा संचार के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है। पंजाब में टेलीविज़न, फ्रिज, डाक तथा तार विभाग में बिजली का प्रयोग किया जाता है।
  • उद्योगों के लिए महत्त्व-पंजाब में उद्योगीकरण की बहुत आवश्यकता है। विशेषतया घरेलू तथा छोटे पैमाने के कृषि आधरित उद्योगों का विकास करना चाहिए। इस लक्ष्य के लिए बिजली का योगदान महत्त्वपूर्ण है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पंजाब की जनसंख्या की विशेषताएं बताएं। (Explain the features of Population (Demographic features) of Punjab.)
अथवा
पंजाब की जनसंख्या पर विस्तारपूर्वक नोट लिखें। (Write a detailed note as the Population of Punjab.)
उत्तर-
पंजाब प्रान्त की जनसंख्या की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
1. जनसंख्या का आकार तथा वृद्धि (Size and Growth of Population)-पंजाब राज्य का पुनर्गठन भाषा के आधार पर 1 नवम्बर, 1966 में किया गया। पंजाब का क्षेत्रफल सारे भारत का 1.5% भाग है।
2011 में पंजाब की जनसंख्या बढ़कर 277 लाख हो गई है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण निम्नलिखित हैं –

  • पंजाब में जन्म दर बहुत अधिक है जो कि इस समय 24.2 प्रति हज़ार है।
  • पंजाब में मृत्यु दर तीव्रता से कम हो रही है।
  • पंजाब की प्रति व्यक्ति आय अधिक होने से जनसंख्या में वृद्धि हुई है।
  • पंजाब के 62.5% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
  • गांव के लोग अशिक्षित तथा अज्ञानी होने के कारण जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक है।

2. जन्म दर तथा मृत्यु दर (Birth Rate and Death Rate)-जनसंख्या में वृद्धि जन्म दर तथा मृत्यु दर पर निर्भर करती है। एक वर्ष में एक हज़ार मनुष्यों के पीछे जितने बच्चे जन्म लेते हैं उसको जन्म दर कहा जाता है तथा जितने व्यक्ति मर जाते हैं, उसको मृत्यु दर कहते हैं। 1970 में पंजाब की जन्म दर 33.8 प्रति हज़ार थी जो कि 2011 में कम होकर 24.2 प्रति हज़ार रह गई है। मृत्यु दर 1970 में 11.4 प्रति हजार थी। 2020-21 में मृत्यु दर कम होकर 7.1 प्रति हज़ार रह गई है। इस कारण जनसंख्या में वृद्धि तीव्र गति से हुई है।

3. जनसंख्या की सघनता (Density of Population)-एक वर्ग किलोमीटर में जितनी जनसंख्या रहती है, उसको जनसंख्या की सघनता कहते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन 2
पंजाब में 2011 की जनगणना के अनुसार सघनता 551 प्रति वर्ग किलोमीटर है। यदि हम भिन्न-भिन्न जिलों में सघनता के आंकड़े देखते हैं तो लुधियाना जिले की सघनता 648 है जो कि सब जिलों से अधिक है तथा मुक्तसर जिले की सघनता 252 है जो कि सबसे कम है।

4. स्त्री-पुरुष अनुपात (Sex Ratio)-पंजाब में स्त्री-पुरुष अनुपात में निरन्तर वृद्धि हो रही है। स्त्री-पुरुष अनुपात से अभिप्राय है एक हजार पुरुषों के पीछे कितनी स्त्रियां हैं। पंजाब में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का अनुपात निरन्तर कम हो रहा है। इसका विवरण निम्नलिखित सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

स्त्री-पुरुष अनुपात
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन 3

सूची पत्र से ज्ञात होता है कि पंजाब में स्त्री पुरुष अनुपात में निरन्तर कमी हो रही है। इसलिए पंजाब सरकार ने गर्भावस्था के समय बच्चों के परीक्षण पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसके सम्बन्ध में कड़े कानून बनाए गए हैं।

5. औसत आयु (Average Age)-पंजाब में औसत आयु में वृद्धि हो रही है। 1991 की जनगणना के अनुसार पंजाब में औसत आयु 66 वर्ष आंकी गई थी। 2011 में पंजाब में औसत आयु परुष 71 वर्ष तथा स्त्रियां 74 होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

6. ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्या (Rural and Urban Population)-पंजाब 2011 की जनगणना अनुसार 62.51% लोग गांवों में रहते हैं तथा 37.49% लोग शहरों में रहते हैं। नवम् पंचवर्षीय योजना के ड्रॉफ्ट के अनुसार, “राज्य के आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप ग्रामीण तथा शहरी खुशहाली के कारण शहरीकरण का रुझान बढ़ा है। इसके मुख्य कारण यह हैं कि पंजाब में छोटे पैमाने के उद्योग विकसित हुए हैं, किसानों की आय में वृद्धि हुई है। इसलिए पंजाब में लोगों का रुझान शहरों की तरफ बढ़ रहा है। अगर हम विकसित देशों जैसे कि जापान, अमेरिका, इंग्लैण्ड, कैनेडा को देखते हैं तो इनमें अधिकतर लोग शहरों में रहते हैं। परन्तु पंजाब कृषि प्रधान राज्य है इसलिए गांवों में अधिक लोग रहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन

7. साक्षरता अनुपात (Literacy Ratio)-साक्षरता अनुपात से अभिप्राय है कि एक क्षेत्र में कितने प्रतिशत लोग शिक्षित हैं। किसी देश का आर्थिक विकास उस देश में साक्षरता अनुपात पर निर्भर करता है। 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में 75.8% जनसंख्या शिक्षित है। इसमें पुरुषों का साक्षरता अनुपात अधिक है क्योंकि पंजाब के 81.5% पुरुष शिक्षित हैं तथा स्त्रियों में 71.3% स्त्रियां साक्षर हैं। अगर हम अन्य राज्यों से पंजाब की साक्षरता अनुपात की तुलना करते हैं तो अन्य राज्यों के मुकाबले पंजाब की साक्षरता अनुपात 10वें स्थान पर है। अर्थात् 10 राज्यों में साक्षरता अनुपात पंजाब से अधिक है। पंजाब में 72% शहरी जनसंख्या तथा 28% ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है।

प्रश्न 2.
पंजाब में ऊर्जा के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ? पंजाब की मुख्य ऊर्जा परियोजनाओं पर प्रकाश डालें। (What are main two sources of Energy in Punjab ? Explain the energy Projects of Punjab.)
उत्तर-
पंजाब की आर्थिक उन्नति के लिए शक्ति की बहुत आवश्यकता है। पंजाब में शक्ति का प्रति व्यक्ति उपभोग 684 किलोवाट घंटे प्रति वर्ष है जो कि भारत में प्रति व्यक्ति उपभोग से लगभग दो गुणा है। पंजाब में शक्ति के मुख्य दो साधन हैं-
A. जल बिजली (Hydro Electricity)
B. ताप बिजली (Thermal Electricity)

पंजाब में बिजली के उत्पादन सामर्थ्य में बहुत वृद्धि हुई है। 1966-67 में बिजली का उत्पादन सामर्थ्य 2364 मैगावाट थी। वर्ष 2020-21 में उत्पादन सामर्थ्य बढ़ कर 45713 मिलियन किलोवाट घण्टे हो गई है। बिजली के शक्ति साधनों का मुख्य विवरण इस प्रकार है –

A. जल बिजली (Hydro Electricity)-पंजाब में स्वतन्त्रता के पश्चात् विद्युत् उत्पादन के लिए निम्नलिखित परियोजनाएं स्थापित की गईं। जल बिजली द्वारा 8415 kWh बिजली पैदा की जाती है।
1. भाखड़ा-नंगल प्रोजैक्ट (Bhakhra Nangal Project)-भाखड़ा-नंगल प्रोजैक्ट 1948 में आरम्भ किया गया था। यह भारत का सबसे बड़ा पन बिजली प्रोजैक्ट है जो कि पंजाब, राजस्थान, हरियाणा तथा दिल्ली प्रान्त के संयुक्त प्रयत्न से स्थापित किया गया। इस प्रोजैक्ट में बिजली घर बनाए गए हैं जो कि कोटला, गंगूवाल तथा भाखड़ा डैम पर स्थित हैं। इस डैम की उत्पादन शक्ति 1258 मैगावाट है। इसमें से पंजाब को 736 मैगावाट बिजली का भाग मिलता है।
2. ब्यास प्रोजैक्ट (Bias Project)-यह प्रोजैक्ट पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान का संयुक्त उपक्रम है। इस प्राजैक्ट के दो भाग हैं-

  • ब्यास यूनिट I
  • ब्यास यूनिट II ।

इन दोनों यूनिटों का अब विस्तार किया गया है। इस प्रोजैक्ट की उत्पादन सामर्थ्य में से पंजाब को 566 मैगावाट बिजली मिलती है।
3. शानन प्रोजैक्ट (Shanan Project)-यह प्रोजैक्ट पंजाब का सबसे पुराना बिजली घर है जो कि जोगिन्द्र नगर में स्थित है। इस प्रोजैक्ट की स्थापना 1932 में 10 करोड़ की लागत से की गई थी। शानन प्रोजैक्ट की बिजली उत्पादन सामर्थ्य 10 मैगावाट है।

4. मुकेरियां हाइडल प्रोजैक्ट (Mukerian Hydle Project)-यह प्रोजैक्ट तलवाड़ा के निकट मुकेरियां के स्थान पर स्थापित किया गया है। इस प्रोजैक्ट पर 357 करोड़ रुपए व्यय होने का अनुमान है। इस प्रोजैक्ट में चार पावर हाउस तथा पेट्रोल पावर हाऊस में तीन इकाइयां बनाने की योजना है। इस प्रोजैक्ट के द्वितीय चरण पर कार्य हो रहा है। पूर्ण होने पर इसकी उत्पादन शक्ति 207 मैगावाट होने का अनुमान है।

5. आनन्दपुर साहिब हाइडल प्रोजैक्ट (Anandpur Sahib Hydle.Project)-यह प्रोजैक्ट सतलुज नदी पर बनाया गया है। इसमें नंगल डैम से पानी लेकर बिजली बनाने का प्रयत्न किया गया है। इस प्रोजैक्ट द्वारा 134 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।

6. अपर-बारी दोआब बिजली घर (Uppar Bari Doab Power House)-यह बिजली घर मलिकपुर के स्थान पर बनाया गया है। बिजली घर के दो यूनिट हैं। प्रथम यूनिट 1973 में पूर्ण हो गया है जिसकी उत्पादन शक्ति 45 मैगावाट है। दूसरे यूनिट पर काम चल रहा है।

7. थीन डैम (Thein Dam)-इस डैम को महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रणजीत सिंह सागर डैम भी कहा जाता है। थीन डैम माधोपुर के स्थान पर रावी नदी पर स्थित है। इस प्रोजैक्ट के चार यूनिट स्थापित किए जाएंगे जिनकी कुल उत्पादन शक्ति 600 मैगावाट होगी। इस प्रोजैक्ट पर 1.132 करोड़ रुपए व्यय होने की सम्भावना है।

B. ताप बिजली (Thermal Electricity)-ताप बिजली घरों में कोयले अथवा डीज़ल का प्रयोग करके बिजली पैदा की जाती है। पंजाब में ताप बिजली द्वारा 5204 kWh मिलियन बिजली की पैदावार की जाती है। ताप बिजली की स्थिति इस प्रकार है-
1. भटिण्डा ताप बिजली घर (Bathinda Thermal Plant)-भटिण्डा में गुरु नानक देव ताप बिजली घर का निर्माण 1974 में आरम्भ हुआ था। इस प्लांट की चार इकाइयां लगाई गई थीं जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 440 मैगावाट है। सातवीं योजना में इस बिजली घर की दो अन्य इकाइयां लगाने की आज्ञा दी गई थी जिनकी उत्पादन क्षमता 2748 मैगावाट होगी। यह यूनिट अब बंद हो गया है।

2. रोपड़ थर्मल प्रोजैक्ट (Ropar Thermal Project)-यह थर्मल प्लांट रोपड़ में स्थापित किया गया है। इसकी पांच इकाइयां लगाई गई हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 9224 मैगावाट है।

प्रश्न 3.
पंजाब की वन सम्पत्ति का विवरण दें। इसके महत्त्व को स्पष्ट करें। (Discuss the forest wealth of Punjab and Explain its Importance.)
उत्तर-
वन प्रकृति की निःशुल्क तथा महान् देन माने जाते हैं। प्रत्येक देश के विकास के लिए वनों का विकास महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वातावरण को ठीक रखने के लिए कुल भूमि का 33% भाग वनों के अधीन होना चाहिए। इससे जलवायु ठीक रहती है। पंजाब में वन साधनों की कमी पाई जाती है। पंजाब का कुल क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 3050 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों के अधीन है जो कि कुल क्षेत्रफल का 6% भाग है।

अगर हम पंजाब की वन सम्पत्ति को देखते हैं तो वन सम्पत्ति की स्थिति सन्तोषजनक नहीं है। पंजाब के वनों का 33% भाग होशियारपुर में पाया जाता है जबकि जालन्धर, मानसा, संगरूर, कपूरथला इत्यादि में वन बहुत कम पाए जाते

वनों का वर्गीकरण (Classification of Forests)-
पंजाब में वनों का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है-
1. कानूनी आधार के अनुसार (According to Legal Status)-पंजाब सरकार ने कानून के आधार पर वनों की तीन श्रेणियां बनाई हैं_

  • आरक्षित वन (Reserve Forest)-आरक्षित वन वे वन हैं जिनको सरकार की आज्ञा के बिना कोई मनुष्य काट नहीं सकता। पंजाब सरकार ने 44 वर्ग किलोमीटर भूमि में आरक्षित वन स्थापित किए हैं। ये वन जलवायु ठीक रखने, बाढ़ की रोकथाम के लिए आवश्यक हैं।
  • सुरक्षित वन (Protective Forest)-इन वनों से औद्योगिक लकड़ी पाई जाती है। यह वन विशेष शर्तों पर व्यक्तियों को ठेके पर दिए जाते हैं। 2020-21 में 2711 वर्ग किलोमीटर पर सुरक्षित वन थे।
  • अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest)-यह वन सरकार द्वारा निजी प्रयोग के लिए प्रयोग होने वाली लकड़ी के रूप में आते हैं। इन वनों का सरकार ठेका देती है।

2. स्वामित्व के आधार अनुसार (According to Ownership)-इस आधार पर वनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है-

  • सरकारी वन (State Forest)-यह वन सरकार के अधीन क्षेत्र में पाए जाते हैं। 1965-66 में 748 वर्ग किलोमीटर में सरकारी वन थे जोकि 2020-21 में 3315 वर्ग किलोमीटर में पाए जाते हैं।
  • निजी वन (Private Forest)-निजी स्वामित्व के अधीन 1965-66 में 1124 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र था जो 2020-21 में बढ़ कर 166 वर्ग किलोमीटर हो गया है।

वनों की किस्में (Types of Forests) वनों की मुख्य किस्में इस प्रकार हैं-

  1. पहाड़ी वन-यह वन पहाड़ी क्षेत्रों होशियारपुर में पाए जाते हैं। इन वनों में चील की लकड़ी प्राप्त होती है जो कि निर्माण के कार्य में प्रयोग की जाती है।
  2. बाँस के वन-ये वन भी होशियारपुर के क्षेत्र में स्थित हैं। इनसे बाँस की लकड़ी प्राप्त होती है।
  3. शुष्क वन-पंजाब में बबूल, टाहली, इत्यादि के पेड़ जो शिवालिक पर्वत श्रेणी में पाए जाते हैं। इनको कांटेदार वन भी कहा जाता है।
  4. फल वाले वन-ऐसे वनों की पंजाब में कमी है। इनमें आम, अंगूर, अमरूद के फल वाले पेड़ शामिल हैं। इसका कुछ भाग रोपड़ जिले में पाया जाता है।
  5. अन्य वन-इनमें सफेदा, शीशम, थोहर इत्यादि शामिल किए जाते हैं। ये वन पंजाब में भिन्न-भिन्न स्थानों पर पाए जाते हैं।

वनों का महत्त्व अथवा लाभ (Importance or Advantages of Forest) पंजाब में वनों से दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं –
A. प्रत्यक्ष लाभ (Direct Advantages)

  1. इमारती लकड़ी-पंजाब के वनों से कई प्रकार की इमारती लकड़ी प्राप्त होती है जैसे कि शीशम, टाहली, आम, .. सफ़ेदा इत्यादि जो फर्नीचर तथा इमारतें बनाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. कच्चे माल की प्राप्ति-पंजाब के वनों से कच्चे माल की प्राप्ति भी होती है। इससे खेलों का सामान बनाने वाले उद्योग, काग़ज़ उद्योग इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त रंग-रोगन बनाने के लिए कच्चा माल भी वनों से प्राप्त किया जाता है।
  3. चारा-वनों से पशुओं के लिए चारा प्राप्त किया जाता है। यह चारा हरी तथा सूखी घास, पत्तेदार झाड़ियों द्वारा प्राप्त होता है।
  4. रोज़गार-वनों द्वारा लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है। 2020-21 में लगभग 13068 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। यह लोग ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई इत्यादि कामों में लगे हुए हैं। 1966-67 की तुलना में वनों द्वारा रोजगार में दो-गुणा वृद्धि हो गई है।
  5. राज्य सरकार को आय-पंजाब सरकार को वनों द्वारा आय प्राप्त होती है। 2020-21 में वनों द्वारा 12 करोड़ 95 लाख की आय होने का अनुमान था।
  6. वस्तुओं का उत्पादन-पंजाब के वनों से कई प्रकार की वस्तुएं उत्पादित की जाती हैं जैसे कि गोंद, कत्था, बांस, गन्दा बिरोजा इत्यादि। 2020-21 में 4 करोड़ 95 लाख रुपए की वस्तुएं प्राप्त होने का अनुमान था।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 26 पंजाब की मानवीय शक्ति और भौतिक साधन

B. अप्रत्यक्ष लाभ (Indirect Advantages)वनों में अप्रत्यक्ष लाभ इस प्रकार हैं –

  1. वनों द्वारा बाढ़ की रोकथाम होती है। वन जल की रफ्तार काफ़ी कम कर देते हैं।
  2. वनों द्वारा भूमि के कटाव (Soil Erosion) की समस्या का हल होता है। पेड़ों की जड़ों में मिट्टी फंस जाती है इसलिए भूमि के कटाव की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
  3. वन रेगिस्तान को बढ़ने से रोकते हैं। वन होने के कारण रेत के टीले आगे नहीं बढ़ सकते।
  4. वन जलवायु को अच्छा बनाने के लिए भी लाभदायक होते हैं, गर्मियों में मौसम ठंडा रखने में सहायक होते हैं क्योंकि वनों के कारण वर्षा होती है। सर्दियों में शीत लहर को भी वन रोकते हैं।
  5. तेज़ हवाएं, आंधी, तूफ़ान को रोकने के लिए भी वन सहायक होते हैं। जे० एस० कोलिन्स के शब्दों में “पेड़ पहाड़ों को रोकते हैं, वर्षा तथा तूफान को दबाते हैं, दरियाओं को सुचारु बनाते हैं, झरनों को बनाए रखते हैं, पक्षियों का पालन करते हैं।”

पंचवर्षीय योजनाओं में वनों का विकास-पांचवीं पंचवर्षीय योजना में वनों पर 608 लाख रुपये खर्च किए गए। ग्यारहवीं योजना में वनों के विकास पर 2000 लाख रुपए खर्च किये गए। 2020-21 में वनों के विकास पर 1200 लाख रुपए खर्च किए गए।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 25 अपकिरण के माप

PSEB 11th Class Economics अपकिरण के माप Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अपकिरण (Dispersion) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संख्यात्मक आंकड़े एक माध्य मूल्य के दोनों ओर फैलने की जिस सीमा तक प्रवृत्ति रखते हैं, उस सीमा को उन आंकड़ों का विचरण या अपकिरण कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रमाप विचलन (Standard Deviation) की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
प्रमाप विचलन के अन्तर्गत मूल्यों से विचलन सदैव समान्तर माध्य से ही लिए जाते हैं क्योंकि यह माध्य केन्द्रीय प्रवृत्ति का सर्वश्रेष्ठ माप समझा जाता है। माध्यका एवं भूयिष्ठक का प्रयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रमाप विचलन (Standard Deviation) किसे कहते हैं?
उत्तर-
प्रमाप विचलन किसी श्रेणी के विभिन्न पदों के समान्तर माध्य से लिए गए विचलन के वर्गों का समान्तर माध्य वर्गमूल होता है।

प्रश्न 4.
विचरण गुणांक का प्रयोग किस लिए किया जाता है?
उत्तर-
विचरण गुणांक का प्रयोग दो श्रेणियों की विचरणशीलता, स्थिरता, एकरूपता तथा संगति (Consistency) की तुलना करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 5.
माध्य विचलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक श्रृंखला के किसी माध्य से निकाले गये विचलनों के जोड़ को समान्तर माध्य विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 6.
विचरण गुणांक (Co-efficient of Variation) किसे कहते हैं?
उत्तर-
दो या दो से अधिक श्रृंखलाओं में अपकिरण (Dispersion) या विचरण (Variation) की तुलना करने के लिए विचरण गुणांक का प्रयोग किया जाता है। यह विचरण का सापेक्ष (Relative) माप है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 7.
प्रमाप विचलन के दो लाभ लिखिए।
उत्तर-

  1. सभी मूल्यों पर आधारित प्रमाप विचलन श्रृंखला के सभी मूल्यों पर आधारित है। इसमें किसी मूल्य की अवहेलना नहीं की जाती।
  2. स्पष्ट व निश्चित माप-प्रमाप विचलन अपकिरण का एक स्पष्ट व निश्चित माप है जो प्रत्येक स्थिति में ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
लारेन्ज़ वक्र क्या है?
उत्तर-
लारेन्ज़ वक्र, समान रेखा से वास्तविक वितरण के विचलन का बिन्दु रेखीय माप है। लारेन्ज़ वक्र एक संचयी प्रतिशत वक्र होता है।

प्रश्न 9.
किसी श्रेणी की भिन्न-भिन्न मदों में तथा उनका औसत से कितना अन्तर है इसको …………. कहते हैं।
(a) औसत विचलन
(b) प्रमाप विचलन
(c) अपकिरण
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) अपकिरण।

प्रश्न 10.
अपकिरण को. ……………… श्रेणी का माप कहा जाता है।
(a) पहली
(b) दूसरी
(c) तीसरी
(d) चौथी।
उत्तर-
(b) दूसरी।

प्रश्न 11.
श्रेणी की समान्तर औसत, माध्यका तथा बहुलक से लिए गए भिन्न-भिन्न मूल्यों से विचलन की औसत को ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
मध्य विचलन।

प्रश्न 12.
किसी श्रेणी के भिन्न-भिन्न मूल्यों की समान्तर औसत से लिए गए विचलनों की समान्तर औसत को ……………….. कहते हैं।
(a) माध्य विचलन
(b) प्रमाप विचलन
(c) विचलन गुणांक
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) प्रमाप विचलन।

प्रश्न 13.
माध्य विचलन को समान्तर औसत, माध्यका अथवा बहुलक की सहायता से मापते हैं जबकि प्रमाप विचलन को ……………… की सहायता से मापते हैं।
(a) समान्तर औसत
(b) माध्यका
(c) बहुलक
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(a) समान्तर औसत।

प्रश्न 14.
दो श्रेणियों के उपकिरण की तुलना के लिए सापेक्ष माप को …………… कहते हैं।
उत्तर-
विचलन गुणांक।

प्रश्न 15.
अपकिरण के माप की दो मुख्य किस्में बताएं।
उत्तर-

  1. निरपेक्ष माप
  2. सापेक्ष माप।

प्रश्न 16.
विस्तार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी श्रेणी के सबसे बड़े और सब से छोटे मूल्य के अन्तर को विस्तार कहते हैं।

प्रश्न 17.
चतुर्थक विचलन का माप सूत्र लिखें।
उत्तर-
चतुर्थक विचलन = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)

प्रश्न 18.
चतुर्थक विचलन गुणांक का सूत्र लिखें।
उत्तर:-
चतुर्थक विचलन गुणाक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)

प्रश्न 19.
लारेन्ज़ वक्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लारेन्ज़ वक्र वह वक्र है जो कि वास्तविक वितरण का विचलन सम्मान वितरण रेखा पर दिखाता है।

प्रश्न 20.
लारेन्ज़ वक्र का प्रयोग सबसे पहले किसने किया था ?
उत्तर-
डॉक्टर मैक्स लारेन्ज़।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 21.
लारेन्ज़ वक्र डॉक्टर बाऊले की देन है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 22.
विस्तार किसी श्रृंखला की सबसे बड़ी तथा सबसे छोटी मद का अन्तर होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 23.
मध्य विचलन तथा प्रमाप विचलन में कोई अन्तर नहीं होता।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 24.
विस्तार (Range) तका माप सूत्र लिखो।
उत्तर-
R = L- S.

प्रश्न 25.
विस्तार गुणांक (Co-efficient of Range) का माप सूत्र लिखो।
उत्तर-
Co-efficient of Range = \(\frac{L-S}{L+S}\)

प्रश्न 26.
चतुर्थक विचलन गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर-
Co-efficient of Q.D. = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)

प्रश्न 27.
मध्य विचलन गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर-
M.D.\((\overline{\mathbf{X}})\) = \(\frac{\Sigma|D \bar{X}|}{N}\)

प्रश्न 28.
प्रमाप विचलन गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर-
प्रमाप विचलन गुणांक = \(\frac{\sigma}{\overline{\mathbf{X}}}\)

प्रश्न 29.
लघु विधि द्वारा प्रमाप विचलन गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर-
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma d x^{2}}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma d x}{\mathrm{~N}}\right)^{2}}\)

प्रश्न 30.
पद विचलन विधि द्वारा प्रमाप विचलन गुणांक का सूत्र लिखो।
उत्तर-
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f d x^{2}}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\right)^{2}}\)

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प्रश्न 31.
विचलन गुणांक का सूत्र लिखें।
उत्तर-
विचलन गुणांक CV = \(\frac{\sigma}{\bar{X}} \times 100=\left(\frac{\text { Standard Deviation }}{\text { Mean }} \times 100\right)\)

प्रश्न 32.
चतुर्थक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
यदि एक श्रेणी को चार समान भागों में विभाजित किया जाए तो प्रत्येक भाग को चतुर्थक कहा जाता है।

प्रश्न 33.
चतुर्थक कितने होते हैं ?
उत्तर-
(Q1) = प्रथम चतुर्थक को निचला चतुर्थक (Q1) कहा जाता है।
(Q2) = द्वितीय चतुर्थक मध्यका कहा जाता है।
(Q3) = ऊपरी चतुर्थक (Q3) होता है।

प्रश्न 34.
यदि किसी श्रेणी को सौ भागों में बराबर बांटा जाए तो प्रत्येक अन्तिम इकाई को ………. कहते
(a) दशमक
(b) शतमक
(c) चतुर्थक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) शतमक।

प्रश्न 35.
चतुर्थक को स्थिति का औसत कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 36.
निचले चतुर्थक का अखण्डित श्रेणी के लिए माप सूत्र लिखें।
उत्तर-
(Q1) = \(\mathbf{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{4}-c f p}{f} \times i\)

प्रश्न 37.
चतुर्थक का अखण्डित श्रेणी के लिए माप सूत्र लिखें।
उत्तर-
(Q3) = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{4}-c f p}{f} \times i\)

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपकिरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक श्रेणी की मदों में अन्तर को अपकिरण कहा जाता है। अपकिरण का माप इस बात को स्पष्ट करता है कि किसी श्रेणी वितरण की भिन्न-भिन्न मदें उस श्रेणी के मध्य से कितनी दूरी पर हैं अर्थात् उन मदों में फैलाव अथवा प्रसार कितना है। उस प्रकार अथवा फैलाव को अपकिरण कहा जाता है। सूर्य की किरणें धरती तक पहुंचते समय फैल जाती हैं, इस प्रकार मदों का आपस में कितना प्रसार है, उसको अपकिरण कहते हैं। अपकिरण को दो अर्थों में स्पष्ट किया जाता है।

प्रश्न 2.
मध्य विचलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
श्रेणी के किसी सांख्यिकी औसत (समान्तर मध्य, मध्यका, बहुलक) से निकाले गए भिन्न-भिन्न मूल्यों के विचलनों के समान्तर औसत को मध्य विचलन कहा जाता है। मूल्य के विचलन निकालते समय गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ दिया जाता है। मध्य विचलन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं- .

  • मध्य विचलन सभी मदों पर आधारित होता है।
  • सीमान्त मदों का प्रभाव मध्य विचलन पर बहुत कम होता है।

प्रश्न 3.
मध्य विचलन के कोई दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. समझने में आसान-मध्य विचलन को आसानी से समझा जा सकता है।
  2. सीमान्त मूल्यों से कम प्रभावित-सीमान्त मूल्यों अर्थात् बहुत बड़ी अथवा बहुत छोटी मदों से मध्य विचलन अधिक प्रभावित नहीं होता।

प्रश्न 4.
मध्य विचलन के दोष बताएँ।
उत्तर-
मध्य विचलन के दोष-

  1. विश्वसनीय नहीं-मध्य विचलन की धारणा विश्वसनीय नहीं है। विशेष तौर पर बहुलक के अनिश्चित होने पर बहुलक द्वारा ज्ञात किया गया मध्य विचलन भी अनिश्चित होता है।
  2. गणितीय शुद्धि नहीं-मध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें गणितीय शुद्धि नहीं है। इसमें (+) तथा (-) चिह्नों को छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार उचित परिणाम प्राप्त नहीं होते।
  3. बीज गणित का प्रयोग नहीं-मध्य विचलन में गणितीय अशद्धि होती है। इसीलिए इसका प्रयोग बीज गणित प्रयोगों के लिए नहीं किया जा सकता। परिणामस्वरूप इसको अन्य सूत्रों का आधार नहीं बनाया जा सकता।

प्रश्न 5.
प्रमाप विचलन से क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
प्रो० सपीगल अनुसार, “प्रमाप विचलन समान्तर औसत से किसी श्रेणी के भिन्न-भिन्न मूल्यों के विचलनों । के वर्ग का वर्गमूल होता है।” प्रमाप विचलन की विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  1. प्रमाप विचलन में हमेशा समान्तर औसत द्वारा विचलन निकाला जाता है। समान्तर औसत दूसरी औसतों, मध्यकों तथा बहुलक से अधिक विश्वसनीय औसत है।
  2. प्रमाप विचलन में बीज गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ा नहीं जाता बल्कि विचलनों के वर्ग लिए जाते हैं। इससे ऋणात्मक विचलन अपने आप धनात्मक बन जाते हैं।
  3. यह एक वैज्ञानिक विधि है, जिसकी बीज गणित प्रयोग की जा सकती है। सांख्यिकी के बहुत से सूत्र प्रमाप विचलन पर ही आधारित हैं।

प्रश्न 6.
प्रमाप विचलन के गुण लिखो।
उत्तर-
प्रमाप विचलन के गुण –

  1. सभी मूल्यों पर आधारित-प्रमाप विचलन श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है। इसलिए किसी मूल्य को भी आँखों से ओझल नहीं किया जा सकता।
  2. स्पष्ट धारणा-प्रमाप विचलन की धारणा स्पष्ट है इसीलिए इसका माप प्रत्येक स्थिति में किया जा सकता है।
  3. बीज गणित विवेचन-प्रमाप विचलन में गणित चिह्नों (+) तथा (-) को आँखों से ओझल नहीं किया जाता। इसीलिए इसका बीज गणित विवेचन सम्भव होता है। प्रमाप विचलन का प्रयोग अन्य रीतियों में भी किया जा सकता है।

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प्रश्न 7.
प्रमाप विचलन के कोई दो दोष बताएँ।
उत्तर-
दोष (Demerits)

  1. सीमान्त मूल्यों का अधिक प्रभाव-किसी श्रेणी की बहुत बड़ी मदों अथवा बहुत लघु मदों का प्रभाव प्रमाप विचलन पर बहुत अधिक पड़ता है।
  2. जटिल विधि-प्रमाप विचलन का माप करना एक कठिन विधि है। इसलिए दूसरी विधियों की तुलना में इसको कठिन माना जाता है।

प्रश्न 8.
लॉरेंज़ वक्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लॉरेंज़ वक्र-अमेरिका के अर्थशास्त्री डॉक्टर लॉरेंज़ ने अपकिरण का माप करने के लिए बिन्दु रेखीय विधि का निर्माण किया। इसलिए इस विधि को लॉरेंज़ वक्र कहा जाता है। लॉरेंज़ वक्र में श्रेणी के मूल्यों को रेखाचित्र द्वारा प्रकट किया जाता है। इसमें कहीं मूल्यों तथा आवृत्ति का संचीय प्रतिशत वक्र बनाया जाता है। यह वक्र समान वितरण रेखा से जितना दूर होता है, श्रेणी की मदों में असमानता उतनी ही अधिक होती है। इसलिए “लॉरेंज़ वक्र समान वितरण रेखा से असल विचलन के विचलन का बिन्दु रेखीय माप होता है।”

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से Q1 ज्ञात करें।
अंक : 5 8 10 15 16 18 20
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 1
q1 = \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{4}\right)\) th size of the item
= \(\frac{7+1}{4}=\frac{8}{4}\) = 2nd size of the item
q1 = 8 Ans.

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से Q3 ज्ञात करें।
अंक : 8 9 12 15 18 20 25
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 2
q3 = 3\(\left(\frac{N+1}{4}\right)\) th size of the item
q3 = \(\frac{3(7+1)}{4}=\frac{3(8)}{4}=\frac{24}{4}\) = 6th size of the item
Q3 = 20 Marks Ans.

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपकिरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक श्रेणी की मदों में अन्तर को अपकिरण कहा जाता है। अपकिरण का माप इस बात को स्पष्ट करता है कि किसी श्रेणी वितरण की भिन्न-भिन्न मदें उस श्रेणी के मध्य से कितनी दूरी पर हैं अर्थात् उन मदों में फैलाव अथवा प्रसार कितना है। उस प्रसार अथवा फैलाव को अपकिरण कहा जाता है। सूर्य की किरणें धरती तक पहुंचते समय फैल जाती हैं, इस प्रकार मदों का आपस में कितना प्रसार है, उसको अपकिरण कहते हैं। अपकिरण को दो अर्थों में स्पष्ट किया जाता है-

1. मदों में परस्पर अन्तर-प्रथम अर्थ अनुसार मदों के परस्पर अन्तर को अपकिरण कहा जाता है। यदि सभी मदें एक समान हैं तथा इनमें कोई अन्तर नहीं तो अपकिरण शून्य होगा। इसके विपरीत जब मदों में अन्तर अधिक होता है तो अपकिरण अधिक होता है।

2. मदों का औसत से अन्तर-द्वितीय अर्थ अनुसार मदों का औसतों से अन्तर होता है। केन्द्रीय प्रवृत्तियों की मुख्य औसतें समान्तर औसत (Mean), मध्यका (Median) तथा बहुलक (Mode) होती हैं। किसी श्रेणी की मदों का औसतों से कितना अन्तर है। जब मदों का अन्तर औसत से अधिक होता है तो अपकिरण अधिक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अपकिरण के माप की किस्में बताओ।
उत्तर-
अपकिरण के माप दो प्रकार के होते हैं –
(1) निरपेक्ष माप
(2) सापेक्ष माप।
1. निरपेक्ष माप-किसी श्रेणी के आंकड़ों का माप उस समय में ही किया जाए जिस रूप में आंकड़े दिए गए हैं तो अपकिरण के इस प्रकार के माप को निरपेक्ष माप कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप मदें क्विटलों, रुपयों इत्यादि में दी हुई हैं तथा जवाब भी क्विटलों के रूप में प्रकट किया जाता है तो इस प्रकार के माप को अपकिरण का निरपेक्ष माप कहते हैं।

2. सापेक्ष माप-जब किसी श्रेणी के माप को अनुपात अथवा प्रतिशत के रूप में प्रकट किया जाता है, इसको सापेक्ष माप कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप एक स्कूल में ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों में 50% विद्यार्थी प्रथम डिवीजन प्राप्त करते हैं। इस प्रकार आंकड़ों को प्रतिशत रूप में अंकित किया जाता है तो इसको सापेक्ष माप कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 3.
अपकिरण के माप की विधियां बताओ।
उत्तर-
अपकिरण के माप की मुख्य विधियां निम्नलिखित अनुसार हैं
(A) निरपेक्ष माप (Absolute Measures)

  1. विस्तार (Range)
  2. चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation)
  3. मध्य विचलन (Mean Deviation)
  4. प्रमाप विचलन (Standard Deviation)
  5. लारेंज वक्र (Lorenz Curve)

(B) सापेक्ष माप (Relative Measures)

  1. विस्तार गुणांक (Co-efficient of Range)
  2. चतुर्थक विचलन गुणांक (Co-efficient of Quartile Deviation)
  3. मध्य विचलन गुणांक (Co-efficient of Mean Deviation)
  4. प्रमाप विचलन गुणांक। (Co-efficient of Standard Deviation)

प्रश्न 4.
मध्य विचलन की विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
श्रेणी के किसी सांख्यिकी औसत (समान्तर मध्य, मध्यका, बहुलक) से निकाले गए भिन्न-भिन्न मूल्यों के विचलनों के समान्तर औसत को मध्य विचलन कहा जाता है। मूल्य के विचलन निकालते समय गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ दिया जाता है। मध्य विचलन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  1. मध्य विचलन सभी मदों पर आधारित होता है।
  2. सीमान्त मदों का प्रभाव मध्य विचलन पर बहुत कम होता है।
  3. मध्य विचलन का माप केन्द्रीय प्रवृत्तियों समान्तर औसत, मध्यका तथा बहुलक द्वारा किया जा सकता है।
  4. मध्य विचलन में विचलन निकालते समय गणित चिह्नों (+) तथा (-) को आंखों से ओझल किया जाता है।

प्रश्न 5.
मध्य विचलन के गुण तथा दोष बताओ।
उत्तर-
मध्य विचलन के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-

  1. सरल गणना-मध्य विचलन की गणना सरलता से की जा सकती है। इसका माप समान्तर औसत, मध्यका अथवा बहुलक द्वारा किया जा सकता है।
  2. सभी मूल्यों पर आधारित-मध्य विचलन श्रृंखला के सभी मूल्यों पर आधारित होता है। इसलिए इसका रूप विस्तृत होता है।
  3. समझने में आसान-मध्य विचलन को आसानी से समझा जा सकता है।
  4. सीमान्त मूल्यों से कम प्रभावित-सीमान्त मूल्यों अर्थात् बहुत बड़ी अथवा बहुत छोटी मदों से मध्य विचलन अधिक प्रभावित नहीं होता।

मध्य विचलन के दोष-

  • विश्वसनीय नहीं-मध्य विचलन की धारणा विश्वसनीय नहीं है। विशेष तौर पर बहुलक के अनिश्चित होने पर बहुलक द्वारा ज्ञात किया गया मध्य विचलन भी अनिश्चित होता है।
  • गणितीय शुद्धि नहीं-मध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें गणितीय शुद्धि नहीं है। इसमें (+) तथा (-) चिह्नों को छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार उचित परिणाम प्राप्त नहीं होते।
  • बीज गणित का प्रयोग नहीं-मध्य विचलन में गणितीय अशुद्धि होती है। इसीलिए इसका प्रयोग बीज गणित प्रयोगों के लिए नहीं किया जा सकता। परिणामस्वरूप इसको अन्य सूत्रों का आधार नहीं बनाया जा सकता।

प्रश्न 6.
प्रमाप विचलन से क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
प्रो० सपीगल अनुसार, “प्रमाप विचलन समान्तर औसत से किसी श्रेणी के भिन्न-भिन्न मूल्यों के विचलनों के वर्ग का वर्गमूल होता है।” प्रमाप विचलन की विशेषताएं इस प्रकार हैं

  1. प्रमाप विचलन में हमेशा समान्तर औसत द्वारा विचलन निकाला जाता है। समान्तर औसत दूसरी औसतों, मध्यकों तथा बहुलक से अधिक विश्वसनीय औसत है।
  2. प्रमाप विचलन में बीज गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ा नहीं जाता बल्कि विचलनों के वर्ग लिए जाते हैं। इससे ऋणात्मक विचलन अपने आप धनात्मक बन जाते हैं।
  3. यह एक वैज्ञानिक विधि है, जिसकी बीज गणित प्रयोग की जा सकती है। सांख्यिकी के बहुत से सूत्र प्रमाप विचलन पर ही आधारित हैं।”

प्रश्न 7.
प्रमाप विचलन के गुण तथा दोष लिखो।
उत्तर-
प्रमाप विचलन के गुण –

  1. सभी मूल्यों पर आधारित-प्रमाप विचलन श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है। इसलिए किसी मूल्य को भी आँखों से ओझल नहीं किया जा सकता।
  2. स्पष्ट धारणा-प्रमाप विचलन की धारणा स्पष्ट है इसीलिए इसका माप प्रत्येक स्थिति में किया जा सकता है।
  3. बीज गणित विवेचन-प्रमाप विचलन में गणित चिह्नों (+) तथा (-) को आँखों से ओझल नहीं किया जाता। इसीलिए इसका बीज गणित विवेचन सम्भव होता है। प्रमाप विचलन का प्रयोग अन्य रीतियों में भी किया जा सकता है।
  4. नमूना परिवर्तन का कम प्रभाव-नमूने में परिवर्तन हो जाता है तो प्रमाप विचलन के परिणाम पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ता।

दोष (Demerits)

  • सीमान्त मूल्यों का अधिक प्रभाव-किसी श्रेणी की बहुत बड़ी मदों अथवा बहुत लघु मदों का प्रभाव प्रमाप विचलन पर बहुत अधिक पड़ता है।
  • जटिल विधि-प्रमाप विचलन का माप करना एक कठिन विधि है। इसलिए दूसरी विधियों की तुलना में इसको कठिन माना जाता है।
  • साधारण मनुष्य के लिए मुश्किल-प्रमाप विचलन का अध्ययन सांख्यिकी ज्ञान के बिना सम्भव नहीं होता। साधारण मनुष्य इस धारणा को आसानी से समझकर प्रयोग नहीं कर सकता।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 8.
लॉरेंज़ वक्र से क्या अभिप्राय है ? इसके गुण तथा दोष बताओ।
उत्तर-
लॉरेंज़ वक्र-अमेरिका के अर्थशास्त्री डॉक्टर लॉरेंज़ ने अपकिरण का माप करने के लिए बिन्दु रेखीय विधि का निर्माण किया। इसलिए इस विधि को लॉरेंज़ वक्र कहा जाता है। लॉरेंज़ वक्र में श्रेणी के मूल्यों को रेखाचित्र द्वारा प्रकट किया जाता है। इसमें कहीं मूल्यों तथा आवृत्ति का संचीय प्रतिशत वक्र बनाया जाता है। यह वक्र समान वितरण रेखा से जितना दूर होता है, श्रेणी की मदों में असमानता उतनी ही अधिक होती है। इसलिए, “लॉरेंज़ वक्र समान वितरण रेखा से असल विचलन के विचलन का बिन्दु रेखीय माप होता है।”

गुण (Merits)

  1. यह अपकिरण के माप के लिए सरल तथा आकर्षक विधि है।
  2. इस विधि द्वारा तुलना की जा सकती है। विशेष तौर पर आयु, मजदूरी, लाभ इत्यादि के वितरण की असमानताओं को एक नज़र में परखने के लिए यह अधिक उपयोगी है।

दोष (Demerits)

  • अपकिरण की इस विधि को बनाते समय संचित प्रतिशत का माप करना पड़ता है। इसलिए इसको समझना कठिन है।
  • अपकिरण का प्रकटीकरण ही किया जा सकता है। आंकड़ों के रूप में अपकिरण को स्पष्ट नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 9.
चतुर्थक की गणना कैसे की जाती है ?
उत्तर-
चतुर्थक का माप विभिन्न शृंखलाओं में विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
(i) व्यक्तिगत तथा खण्डित श्रृंखला (Individual and Discrete Series)—व्यक्तिगत तथा खण्डित श्रृंखला में चतुर्थक का माप करने के लिये निम्नलिखित सूत्रों का प्रयोग किया जाता है
Qı = Size of the \(\left(\frac{N+1}{4}\right)\) th item of the series
Q3 = Size of the \(\left(\frac{3(N+1)}{4}\right)\) th item of the series

(ii) आवृत्ति वितरण श्रृंखला (Frequency Distribution Series)-आवृत्ति वितरण शृंखला में चतुर्थक का माप निम्नलिखित सूत्र से लिया जाता है-
Q1 = Size of the \(\left(\frac{N}{4}\right)\) th item
Q3 = Size of the 3\(\left(\frac{N}{4}\right)\) th item
तथा निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
Q1 = L1+\(\left[\frac{\frac{N}{4}-c f_{p}}{f}\right] \times i\)
Q3 = L1 + \(\left[\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{4}-c f_{p}}{f}\right] \times i\)

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपकिरण से क्या अभिप्राय है ? अपकिरण के महत्त्व को स्पष्ट करें। (What is dispersion ? Why is the study of dispersion essential ?)
उत्तर-
अपकिरण का अर्थ (Meaning of Dispersion)-एक श्रेणी की मदों में अन्तर को अपकिरण कहा जाता है। अपकिरण का माप इस बात को स्पष्ट करता है कि किसी श्रेणी की भिन्न-भिन्न मदें उस मध्य से कितनी दूरी पर हैं। उन मदों में प्रसार अथवा फैलाव कितना है। उस प्रसार अथवा फैलाव को अपकिरण कहा जाता है। अपकिरण की तुलना सूर्य की किरणों अथवा बैटरी की रोशनी से की जा सकती है। सूर्य की किरणें धरती पर पहुंचने तक बहुत फैल जाती हैं। बैटरी को जगाने से इसकी रोशनी फैलती जाती है। इसी प्रकार मदों का फैलाव अथवा प्रसार कितना है, उसको अपकिरण कहते हैं।

अपकिरण का महत्त्व तथा उद्देश्य (Importance of Objectives of Dispersion)-अपकिरण का मुख्य उद्देश्य अथवा महत्त्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट होता है-
1. श्रेणी विभाजन की बनावट का ज्ञान-किसी श्रेणी विभाजन की बनावट का ज्ञान अपकिरण के माप से स्पष्ट होता है। उदाहरणस्वरूप तीन श्रेणियों की समान्तर औसत समान हो सकती है, परन्तु उनकी मदों में अन्तर भिन्न-भिन्न हो सकता है। इसलिए औसतें किसी श्रेणी की मदों की उचित प्रतिनिधिता नहीं करतीं। किसी श्रेणी की बनावट की उचित जानकारी अपकिरण के माप से की जा सकती है। इसलिए अपकिरण का माप महत्त्वपूर्ण है।

2. तुलना में सहायक-अपकिरण का माप तुलना के लिए भी लाभदायक होता है। जैसे कि देश A की राष्ट्रीय आय दोगुनी हो जाती है। जनसंख्या भी दोगुनी हो जाती है. तो प्रति व्यक्ति आय समान रहती है। देश B में राष्ट्रीय आय 4 गुणा बढ़ गई है, जबकि जनसंख्या में वृद्धि भी चार गुणा है। इसलिए प्रति व्यक्ति आय समान रहती है। औसत आय की तुलना से हम यह परिणाम निकालते हैं कि दोनों देशों ने कोई उन्नति नहीं की। परन्तु देश A से देश B में उन्नति की दर अधिक है। इसलिए अपकिरण का माप दो अथवा दो से अधिक श्रेणियों में तुलना के लिए सहायक होता है।

3. पदों के मूल्यों का विस्तार-किसी श्रेणी में दिए गए पदों के मूल्यों का विस्तार कितना है ? इसकी जानकारी अपकिरण के माप द्वारा की जा सकती है। पदों के मूल्यों का विस्तार इस बात की जानकारी प्रदान करता है कि सबसे ऊंचे तथा सबसे नीचे पद मूल्यों का अन्तर कितना है ? इस अन्तर का ज्ञान प्राप्त करके मदों सम्बन्धी ठीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

4. औसत की प्रतिनिधिता का ज्ञान-अपकिरण के माप का एक उद्देश्य इस बात की जानकारी प्रदान करना भी होता है कि औसत मूल्य, मदों की ठीक प्रतिनिधिता कर रहे हैं अथवा नहीं। अपकिरण का माप, औसत के सम्बन्ध में किसी श्रेणी की मदों में एक समानता की सीमा को स्पष्ट करती है। दी गई मदों तथा औसत में जितना अन्तर अधिक होता है, मदों में उतनी एक समानता कम होती है। एक औसत को प्रतिनिधि कहा जाएगा। यदि यह एक समान तथा विश्वसनीय परिणाम स्वीकार करती है।

5. सांख्यिकी विधियों का आधार-अपकिरण का माप अन्य सांख्यिकी विधियों के माप के लिए लाभदायक होता है। सह-सम्बन्ध, परिकल्पना की परख, प्रतीपगमन इत्यादि विधियां अपकिरण के माप पर आधारित हैं। इसलिए आंकड़ा शास्त्र में अपकिरण का माप महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

प्रश्न 2.
अपकिरण के माप की किस्में बताओ। अपकिरण के माप की विधियों को स्पष्ट करो।(Explain the types of the measures of dispersion. Describe the methods of Absolute Measures of Dispersion.)
उत्तर-
अपकिरण के माप दो प्रकार के होते हैं –
(1) निरपेक्ष माप
(2) सापेक्ष माप।

1. निरपेक्ष माप (Absolute Measure)-किसी श्रेणी के आंकड़ों का माप प्राथमिक इकाइयों में भी बताया जाए, जिस रूप में उस श्रेणी के मूल्य दिए होते हैं तो अपकिरण का निरपेक्ष माप कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप मजदूरों की मज़दूरी रुपयों में दी हुई है तथा अपकिरण का माप रुपयों में किया जाता है। इस तरह वस्तुओं की कीमत रुपयों में, लम्बाई मीटरों में तथा भार किलोग्रामों में ही किया जाए तो इसको निरपेक्ष माप कहा जाता है।

2. सापेक्ष माप (Relative Measure)-जब किसी श्रेणी के अपकिरण के माप को अनुपात अथवा प्रतिशत के रूप में प्रकट किया जाता है तो इसको सापेक्ष माप कहा जाता है। जैसे कि ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों में से 70% विद्यार्थी प्रथम दर्जे में पास हुए हैं। इसको सापेक्ष माप कहा जाएगा। इसको अपकिरण गुणांक भी कहा जाता है।

अपकिरण के माप की विधियां (Methods of Measuring Disperrion)-अपकिरण के माप को दो भागों में विभाजित किया जाता है-

अपकिरण के निरपेक्ष माप (Absolute Measures of Dispersion) अपकिरण के सापेक्ष माप (Relative Measures of Dispersion)
A. स्थिति के माप- 1. विस्तार (Range) 1. विस्तार गुणांक (Co-efficient of Range)
2. चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation) 2. चतुर्थक विचलन गुणांक (Co-efficient of Quartile Deviation)
B. गणित का माप-3. औसत विचलन (Mean Deviation) 3. औसत विचलन गुणांक  (Co-efficient of Mean Devaition)
4. प्रमाप विचलन (Standard Deviation) 4. प्रमाप विचलन गुणांक (Co-efficient of Standard Deviation)
C. ग्राफ द्वारा माप – 5. लॉरेंज़ वक्र (Lorenz Curve)

प्रश्न 3.
चतुर्थक से क्या अभिप्राय है ? इसकी माप विधि को स्पष्ट करें। (What do you mean by Quartile ? Explain its measure method.)
उत्तर-
हम देख चुके हैं कि मध्यका दिए गए आंकड़ों को दो समान भागों में विभाजित करती है, जब आंकड़ों को बढ़ते अथवा घटते क्रम अनुसार लिखा जाता है तो विभाजन के तीन बिन्दु प्राप्त होते हैं। केन्द्र वाले बिन्दु को मध्यका कहा जाता है। पहले चौथाई भाग को निम्न चतुर्थक (Q1) तथा तीसरे चौथाई भाग को ऊपरी चतुर्थक (Q3) कहा जाता है। चतुर्थक को समझने के लिए मध्यका को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 3
AB रेखा का मध्य M है जो कि रेखा को दो समान भागों में विभाजित करता है। M बिन्दु वाली मद को मध्यका कहा जाता है। अब चतुर्थक को समझना आसान होगा, जब आंकड़ों को बढ़ते अथवा घटते क्रमानुसार करके इसको चार बराबर भागों में विभाजित करते हैं। विभाजन के तीन बिन्दु प्राप्त होते हैं, इनको निम्न चतुर्थक, मध्य चतुर्थक तथा ऊपरी चतुर्थक कहा जाता है। मध्य चतुर्थक हमेशा बीच में स्थित होता है। इसको मध्यका कहते हैं। निम्न चतुर्थक Q1 से 25% मदें कम होती हैं तथा ऊपरी चतुर्थक Q3 से 25% मदें अधिक होती हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 4
रेखाचित्र में AB रेखा को तीन बिन्दु Q1, Q2, Q3, चार भागों में विभाजित करते हैं। इसलिए चतुर्थक तीन होते हैं।
Q1 = प्रथम चतुर्थक (Lower Quartile or First Quartile)
Q2= द्वितीय चतुर्यक (Second Quartile or Median)
Q3 = तीसरा चतुर्थक (Upper Quartile or Third Quartile)
क्योंकि दूसरा चतुर्थक मध्यका होती है इसलिए प्रथम चतुर्थक तथा निम्न चतुर्थक (Q1) तथा तीसरे चतुर्थक अथवा ऊपरी चतुर्थक का माप किया जाता है। .
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 5
व्यक्तिगत श्रेणी में माप विधि-

  1. व्यक्तिगत श्रेणी के आंकड़ों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार लिखना अनिवार्य होता है। मदों की श्रृंखला नम्बर लिखकर कुल संख्या (N) का पता करो।
  2. प्रथम चतुर्थक के मूल्य का पता करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
    q1 = \(\frac{N+1}{4}\) th size of the item
  3. तीसरे चतुर्थक के मूल्य का पता करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
    q3 = \(\frac{3(\mathrm{~N}+1)}{4}\) th Size of the item
  4. हमारे पास जो मद का आकार प्राप्त होता है, उसके सामने वाली मद Q1 अथवा Q3 होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तालिका में विद्यार्थियों के अंकों का विवरण दिया गया है –
अंक : 50 55 60 40 20 65 70 80 35 52 इस श्रेणी का प्रथम चतुर्थक (Q1) तथा तीसरा चतुर्थक (Q3) ज्ञात कीजिए।
हल (Solution) :
विद्यार्थियों के अंक बढ़ते क्रमानुसार नहीं दिए गए। इसलिए पहले इनको बढ़ते क्रमानुसार लिखते हैं तथा श्रृंखला नम्बर स्वयं देते हैं।
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Q1 की गणना
q1 = size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{4}\right)\) th item.
q1 = size of the \(\left(\frac{10+1}{4}\right)\) th item.
q1 = size of the \(\left(\frac{11}{4}\right)\) = 2.75 th item.
q1 = 2nd item + 0.75 (3rd item – 2nd item)
q1 = 35 + 0.75 (40 – 35)
q1 = 35 + 3.75 = 38.75 अंक

(इससे ज्ञात होता है कि प्रथम 25% विद्यार्थियों ने 38.75 अंक अथवा इससे कम अंक प्राप्त किए हैं।) Q3 की गणना
Q3 = size of the \(\left(\frac{3(\mathrm{~N}+1)}{4}\right)\) th item
Q3 = size of the \(\left[\frac{3(10+1)}{4}\right]\) th item
\(\frac{33}{4}\) =8.25th item
Q3 = 8th item + 0.25 (9th item – 8th item)
Q3 = 65 + 0.25 (70 – 65)
Q3 = 65 + 1.25 = 66.25 अंक ऊपरी चतुर्थक से ज्ञात होता है कि प्रथम 75% विद्यार्थियों के अंक 66.25 अथवा इससे कम हैं।

खण्डित श्रेणी में चतुर्थक का माप (Measurement of Quartiles in Discrete Series)
मापी विधि

  1. खण्डित श्रेणी में दी मदों की संचयी आवृत्ति निकालो।
  2. आवृत्ति का जोड़ करो इससे कुल संख्याओं की संख्या (N) प्राप्त हो जाती है।
  3. प्रथम चतुर्थक के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग करो

Q1 = \(\frac{\mathrm{N}+1}{4}\) size of the item
तीसरे चतुर्थक के लिए इस सूत्र का प्रयोग करो
Q3 = \(\frac{3(N+1)}{4}\) size of the item
प्रथम तथा तीसरे चतुर्थक का आकार (size of the item) को संचयी आवृत्ति में देखो। जिस संचयी आवृत्ति में यह आकार प्राप्त होता है उसके सामने वाली मद को Q1 अथवा Q3 कहा जाता है।

प्रश्न 5.
ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के भार (weight) का विवरण इस प्रकार दिया है। इनका Q1, Q3, ज्ञात कीजिए।

भार (किलोग्राम) : 40 42 45 46 48 50 51 53 55
विद्यार्थियों की संख्या : 5 11 14 8 10 12 6 4 2

हल (Solution) :
प्रथम चतुर्थक (Q1) तथा तीसरा चतुर्थक (Q3) की गणना कीजिए।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 7
Q1 की गणना
q1 = size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{4}\right)\)th item
q2 = size of the \(\left(\frac{72+1}{4}\right)=\frac{73}{4}\)
= 18.25th item
यह संचयी आवृत्ति 30 में शामिल है।
q1 = 45 kg Ans.
इससे यह ज्ञात होता है कि प्रथम 25% विद्यार्थियों का भार 45 किलोग्राम अथवा इससे कम है। Q3 की गणना
q3 = size of the \(\left(\frac{3(\mathrm{~N}+1)}{4}\right)\) in item
q3 = size of the \(\left(\frac{3(72+1)}{4}\right)\) th item
= 54.75th item यह संचयी आवृत्ति 60 में शामिल है। इसके सामने मद 50 है।
q3= 50 kg Ans.
कुल विद्यार्थियों में से प्रथम 75% विद्यार्थियों का भार 50 किलोग्राम अथवा इससे कम है।

अखण्डित श्रृंखला में चतुर्थक का माप (Measurement of Quartiles in Continuous Series)

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 6.
‘निम्नलिखित तालिका की प्रथम चतुर्थक तथा तीसरे चतुर्थक का माप करो।

मज़दूरी (₹): 100-110 110-120 120-130 130-140 140-150
मज़दूरों की संख्या : 8 12 15 20 10

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 8
Calculation of Q1
q1 = size of the\(\left(\frac{\mathrm{N}}{4}\right)\) th = \(\frac{70}{4}\) = 17.5 item
q1 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{4}-c f p}{f} \times i\)
q1 = 110+ \(\frac{17.5-8}{12} \times 10\) = 110+7.92
q1 = 117.92
इससे स्पष्ट होता है कि प्रथम 25% मज़दूरों की मज़दूरी ₹ 117.92 के समान अथवा इससे कम है। Q3 का माप
q3 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{4}-c f p}{f} \times i \)
q3 = size of the \(\frac{3 \mathrm{~N}}{4}\) th item = \(\frac{3 \times 70}{4}\) = 52.5th item
q3 = 130+ \(\frac{52.5-35}{20} \times 10\)
= 130+ 8.75
= ₹ 138.75
इससे ज्ञात होता है कि प्रथम 75% मज़दूरों की मजदूरी ₹ 138.75 अथवा इससे कम है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से चतुर्थकों का माप करें।

अंक : 20-30 30-40 40-50 50-60 60-70 70-80 80-90
विद्यार्थियों की संख्या : 7 13 24 20 16 12 8

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 9
Calculation of Q1
q1 = size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}}{4}\right)\) th item
वर्गान्तर = \(\frac{100}{4}\) = 25th item.

Q1 वर्गान्तर 40-50 के वर्ग में है
∴ Q1 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{4}-c f p}{f} \times i\)
= 40+ \(\frac{25-20}{24} \times 10\)
= 40 + 2.08 = 42.08 उत्तर

q3 is the value \(\frac{3 \mathrm{~N}}{4}\) = \(\frac{300}{4}\) = 75th item
q3 वर्गान्तर 60-70 में है ..
Q3 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{4}-c p f}{f} \times i\)
= 60 + \(\frac{75-64}{16} \times 10\)
= 60 + 6.875
∴ Q3 = 66.875 उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर चतुर्थकों का माप करें :

से कम प्राप्तांक : 80 70 60 50 40 30
छात्रों की संख्या : 100 90 80 60 32 20

हल (Solution) :
संचयी आवृत्ति को पहले साधारण आवृत्ति में बदला जाएगा।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 10
Calculation of
Q1 is the value of \(\left(\frac{\mathrm{N}}{4}\right)\) th = \(\frac{100}{4}\) = 25th item
Q1 वर्गान्तर (30 – 40) में है।
∴ Q1 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{4}-c f p}{f} \times i\)
= 30+\(\frac{25-20}{12} \times 10\)
= 30 + \(\frac{5}{12} \times 10\)
= 30 + 4.17
Q1 = 34.17 उत्तर

Calculation of Q3
Q3 is the value of \(\left(\frac{3 \mathrm{~N}}{4}\right)\) th = \(\frac{100 \times 3}{4} \) = 75th item
Q3 वर्गान्तर (50 – 60) में है
Q3 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{4}-c f p}{f} \times i\)
= 50+ \(\frac{75-60}{20} \times 10\)
= 50 + \(\frac{15}{2}\)
= 50 + 7.5
Q3 = 57.5 उत्तर

दशमक और प्रतीशतक (Deciles And Percentiles)

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 9.
दशमक और प्रतीशतक की माप विधि स्पष्ट करें।
उत्तर-
दशमक (Decile) और प्रतिशतक (Percentiles)-जब एक श्रेणी को 10 भागों में बांट कर D1 से D9 तक माप किया जाता है तो इस को दशमक कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 11
कुल 9 दशमक होते हैं D5 को माध्यका (Median) कहा जाता है।
व्यक्तिगत श्रेणी और खण्डित श्रेणी में दशमक का माप
D1 = Size of \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{10}\right)\) th item
D2 = Size of \(\left[\frac{2(N+1)}{10}\right]\) th item
D3 = Size of \(\left[\frac{3(N+1)}{10}\right]\) an item
D9 = Size of \(\left[\frac{9(N+1)}{10}\right]\) an item

अखण्डित श्रेणी में दशमक का माप अखण्डित श्रेणी (Continuous Series) में दशमक वर्ग अन्तर के माप का सूत्र इस प्रकार है
D1 = Size of \(\left(\frac{N}{10}\right)\) th item
D2 = Size of 2\(\left(\frac{\mathrm{N}}{10}\right)\) th item
D3 = Size of 3\(\left(\frac{N}{10}\right)\) th item
D9 = Size of 9(\left(\frac{N}{10}\right))th item

यदि दशमक का माप करना हो तो सूत्र इस प्रकार है-
D1 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{10}-C f p}{f} \times i\)
D2 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{2 \mathrm{~N}}{10}-C f p}{f} \times i\)
D3 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 \mathrm{~N}}{10}-C f p}{f} \times i\)
D9 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{9 \mathrm{~N}}{10}-C f p}{f} \times i\)

प्रतिशतक (Percentiles)
जब श्रृंखला को 100 बराबर हिस्सों में बांट कर P से P तक का माप किया जाता है तो इसको प्रतिशतक कहा जाता है। P50 = Median, P23 = Q1 और P75 = Q3 होता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 12
व्यक्तिगत तथा खण्डित श्रेणी में प्रतिशतक का माप-व्यक्तिगत तथा खण्डित श्रेणी में माप का सूत्र
P1 = Size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
P2 = Size of the 2 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
P3 = Size of the 3 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item
P99 = Size of the 99 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item

अखण्डित श्रेणी में प्रतिशतक वर्ग के माप का सूत्र
P1 = Size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item
P2 = Size of the 2 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
P3 = Size of the 3 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\)th item.
P99 = Size of the 99\(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item

प्रतिशतक के माप का सूत्र :
P1 = \(L_{1}+\left(\frac{\frac{N}{100}-C f p}{f}\right) \times i\)
P99 = \(\mathrm{L}_{1}+\left(\frac{\frac{99 N}{100}-\mathrm{C} f p}{f}\right) \times i\)

प्रश्न 10.
व्यक्तिगत श्रेणी में दशमक और प्रतिशतक का माप
उदाहरण : विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किये गए अंक इस प्रकार हैं
10, 18, 20, 25, 28, 40, 50, 60, 70, 88, D3 और P67 का माप करें :
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 13
D3 का माप
D3 = Size of the 3 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
= Size of the 3\(\left(\frac{10+1}{10}\right)\) th item.
= Size of the \(\frac{3(11)}{10}=\frac{33}{10}\) = 3.3 rd item.
D3 = Size of the 3(4th-3rd item)
= 20 + 3(25-20)
= 20+ 1.5
D3 = 21.5

P67 का माप
P67 = Size of the 67 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\)th item
= Size of the 67\(\left(\frac{10+1}{10}\right)\) in item
= Size of the 67\(\left(\frac{11}{100}\right)=\frac{737}{100}\) = 7.371 item

P67= 7th item + .37(8th – 7th item) th item
= 50 + :37 (60 – 50)
= 50 + 3.7
P= 53.7

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

खण्डित श्रेणी में माप

प्रश्न 11.
मज़दूरों की मजदूरी के आंकड़े दिए गए हैं :
D2, D7, P21, P84 का माप करें।

मज़दूरी 100 200 300 400 500 600 700 800 900
मजदूरों की संख्या 3 7 15 20 25 10 8 7 4

हल (Solution) : .
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 14
D2 का माप
D2 = Size of the 2 \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item
= Size of the 2 \(\left(\frac{99+1}{10}\right)\) th item
= Size of 20th item.

यह संचई आवृत्ति में 25 में स्थित है जोकि ₹ 300 मज़दूरी को प्रकट करती है।
D2= ₹ 300 उत्तर।

D7 का माप
D7 = Size of the 7\(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
= Size of the 7\(\left(\frac{99+1}{10}\right)\)th item.
= Size of the 70th item.
यह संचई आवृत्ति में 70 में स्थित है जो कि ₹ 500 मज़दूरी को प्रकट करती है।
D7 = ₹ 500 उत्तर।

P21 का माप
P21 = Size of the 21\(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\)th item.
= Size of the 21 \(\left(\frac{99+1}{10}\right)\)
= Size of the 21st item.

Size of the 21st item यह (C.f.) में 25 में आती है।
∴ P21 = ₹ 300 उत्तर

P84 का माप
P84 = Size of the 84\(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{100}\right)\) th item.
= Size of the 84\(\left(\frac{99+1}{10}\right)\) th item.
= Size of the 84th item.

यह संचई आवृत्ति में 88 में आती है इसलिए P84 = ₹ 700 उत्तर।

अखण्डित श्रेणी में वर्ग अन्तर का माप (Calculation of Modal Class in Continuous Series)

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़ों से D4 और P70 का माप करें।

अंक : 0- 10 10-20 20 – 30 30 – 40 40 – 50
आवृत्ति : 5 15 25 20 5

हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 15
D4 के वर्ग अन्तर का माप
D4 = Size of the 4 \(\left(\frac{\mathrm{N}}{10}\right)\) in item
= Size of the 4\(\left(\frac{70}{10}\right)\) th item.
= Size of the 28th item.

यह संचई आवृत्ति में 45 में आएगी इसलिए D4 का वर्ग-अन्तराल = 20 – 30 उत्तर।

D4 का माप

यदि D4 का माप करना हो तो

D4 = \(\mathrm{L}_{1}+\left(\frac{\frac{4(N)}{10}-c f p}{f}\right) \times i\)
= 20 + \(\left(\frac{\frac{4(70)}{10}-20}{25}\right) \times 10\)
= 20 + \(\frac{28-20}{25} \times 10\)
= 20 + \(\frac{8 \times 10}{25}\)
= 20 + 3.2
= 23-2 अंक उत्तर।

P70 प्रतिशतक के वर्ग-अन्तर का माप
P70 = Size of the \(\left(\frac{70(N)}{100}\right)\) th item.
= Size of the \(\left(\frac{70(70)}{100}\right)\) th item.
= Size of the 49th item.

यह संचई आवृत्ति (cf) 65 में आती है।
∴ P70 का वर्ग अन्तराल = 30 – 40 उत्तर।
P70 का माप
P70 = \(\mathrm{L}_{1}+\left(\frac{\frac{70(\mathrm{~N})}{100}-c f p}{f}\right) \times i\)
= 30 + \(\left[\frac{\left(\frac{70 \times 70}{100}\right)-45}{20}\right] \times 10\)
= 30 + \(\frac{49-45}{20} \times 10\)
= 30 + \( \frac{4}{20} \times 10\)
= 30 + 2 = 32 अंक
P70 = 32 अंक उत्तर।
.
विस्तार (Range)

प्रश्न 13.
विस्तार का माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
1. विस्तार का अर्थ-किसी श्रेणी में सबसे बड़े मूल्य तथा सबसे लघु मूल्य के अन्तर को विस्तार कहा जाता है। विस्तार के माप की यह सबसे सरल विधि है, जिसमें निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
Range = L-S
यहां L = सबसे बड़ा मूल्य (Largest value)
S = सबसे लघु मूल्य (Smallest value)

2. विस्तार गुणांक-ऊपर दिए निरपेक्ष माप में दो अथवा दो से अधिक श्रेणियों की तुलना नहीं की जा सकती। इसलिए विस्तार के तुलनात्मक माप करने के लिए विस्तार गुणांक का प्रयोग किया जाता है। इसका माप करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
Co-efficient of Range = \(\frac{\mathrm{L}-\mathrm{S}}{\mathrm{L}+\mathrm{S}}\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 16

विस्तार तथा विस्तार गुणांक की गणना (Calculation of Range and Co-efficient of Range)

विस्तार की गणना तीन प्रकार की श्रेणियों में निम्नलिखित अनुसार की जाती है
(A) व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)
विधि-व्यक्तिगत श्रेणी में दी गई मदों में से सबसे बड़ी मद के मूल्य तथा सबसे लघु मद के मूल्य का अन्तर निकाल लिया जाता है। इस अन्तर को विस्तार कहते हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित दो खिलाडियों के स्कोर का विवरण दिया गया है, विस्तार तथा विस्तार गणांक ज्ञात करो। यह बताओ कि किस खिलाड़ी की बल्लेबाजी ज्यादा स्थिर है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 17
हल (Solution) :
I. युवराज सिंह
(i) विस्तार = अधिकतम मूल्य – न्यूनतम मूल्य
= 104 – 12 = 92 दौड़ें
(ii) PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 18
= \(\frac{104-12}{104+12}=\frac{92}{116}\) = 0.793

II. महेन्द्र सिंह धोनी
(i) विस्तार = अधिकतम मूल्य – न्यूनतम मूल्य
= 82 – 45 = 37
(ii) विस्तार गुणांक = PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 19
विस्तार गुणांक = \(\frac{82-45}{82+45}=\frac{37}{127}\)
तुलना करने के लिए विस्तार गुणांक का प्रयोग करते हैं। विस्तार गुणांक महेन्द्र सिंह धोनी का कम है। महेन्द्र सिंह धोनी की दौड़ों में विचरण कम है। इसलिए महेन्द्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी अधिक स्थिर अथवा विश्वसनीय है।

(B) खण्डित श्रेणी (Discrete Series) विधि-खण्डित श्रेणी की मदों के साथ आवृत्ति दी होती है। गणना करते समय सबसे बड़ी मद तथा सबसे छोटी मद का अन्तर निकाला जाता है। इसमें आवृत्ति में कोई ध्यान नहीं दिया जाता। विस्तार तथा विस्तार गुणांक की गणना विधि व्यक्तिगत श्रेणी वाली ही है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों का विस्तार तथा विस्तार गुणांक पता करो।

अंक (X) : 10 15 20 25 30 35 40
आवृत्ति (f) : 2 8 60 40 35 19 11

हल (Solution) :
(i) विस्तार (R) = L – S
L = 40, S = 10
R = 40 – 10 = 30 अंक उत्तर
विस्तार 30 अंक यह स्पष्ट करता है कि अधिक अंक तथा कम अंक प्राप्त करने वालों में अन्तर अधिक है।

(ii) विस्तार गुणांक = \(\frac{\mathrm{L}-\mathrm{S}}{\mathrm{L}+\mathrm{S}}\)
Co-efficient of Range = \(\frac{40-10}{40+10}=\frac{30}{50}\) = 0.6 उत्तर
विस्तार अधिक होने के कारण विस्तार गुणांक का मूल्य अधिक है।

(C) अखण्डित श्रेणी (Continuous Series)

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आंकड़ों का विस्तार तथा विस्तार गुणांक पता करो

अंक: 10-19 20-29 30-39 40-49 50-59 60-69
विद्यार्थियों की संख्या: 8 15 20 53 31 16

हल (Solution) :
इस प्रश्न में वर्गान्तर समावेशी श्रेणी में दिए गए हैं। इनको प्रथम अपवर्जी श्रेणी में बदलो। नोट-प्रथम वर्ग की ऊपरी सीमा 19 है तथा द्वितीय वर्ग की निचली सीमा 20 का अन्तर 20-19 = 1 का अर्ध =\(\frac{1}{2}\) = 0.5 है। प्रत्येक वर्ग की निचली सीमा में से 0.5 घटाओ तथा प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा में 0.5 जोड़ो।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 20
(i) विस्तार (Range) = L-S
R = 69:5 – 9.5 = 60 अंक उत्तर
सबसे अधिक अंकों तथा सबसे कम प्राप्त किए गए अंकों का अन्तर 60 है अर्थात् अंकों का विस्तार बहुत अधिक है |

(ii) विस्तार गुणांक (Co-efficient of Range) = \(\frac{\mathrm{L}-\mathrm{S}}{\mathrm{L}+\mathrm{S}}\)
C.R = \(\frac{69.5-9.5}{69.5+9.5}=\frac{60}{79}\) = 0.759 उत्तर
विस्तार अधिक होने के कारण विस्तार गुणांक अधिक है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

द्वितिय विधि (Second Method)
मध्य बिन्दुओं की विधि-इस विधि अनुसार अखण्डित श्रेणी में अपवर्जी वर्गान्तर दिए हों तो मध्य बिन्दु ज्ञात किए जाते हैं। सबसे बड़े अथवा सबसे लघु मध्य मूल्यों के अन्तर को विस्तार कहा जाता है।

प्रश्न 17.
एक स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भार का विवरण दिया गया है। विस्तार तथा विस्तार गुणांक ज्ञात करो।

भार (किलोग्राम): 0-20 20-40 40-60 60-80 80-100
विद्यार्थियों की संख्या: 15 58 129 43 25

हल (Solution) :
विस्तार तथा विस्तार गुणांक की गणना ।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 21
(i) विस्तार (Range) = LMV – SMV
R = 90 – 10 – 80 किलोग्राम उत्तर
विद्यार्थियों के मध्य मूल्य अधिकतम भार 90 किलोग्राम तथा मध्य मूल्य न्यूनतम भार 10 किलोग्राम का अन्तर 80 किलोग्राम है।

(ii) विस्तार गुणांक (Co-efficient of Range) = \(\frac{\mathrm{LMV}-\mathrm{SMV}}{\mathrm{LMV}+\mathrm{SMV}}\)
C.R. = \(\frac{90-10}{90+10}=\frac{80}{100}\) = 0.8 उत्तर
विस्तार अधिक होने के कारण विस्तार गुणांक अधिक है, जोकि एक के नज़दीक है।

3. चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation)

प्रश्न 18.
चतुर्थक विचलन तथा चतुर्थक विचलन गुणांक का अर्थ बताओ।
उत्तर-
चतुर्थक विचलन-विस्तार की तरह चतुर्थक की स्थिति से सम्बन्धित अपकिरण का माप होता है। चतुर्थक विचलन किसी भी श्रेणी के तीसरे चतुर्थक (Q3) तथा प्रथम चतुर्थक (Q1) के अन्तर का अर्थ होता है। चतुर्थक विचलन को अर्ध चतुर्थक विचलन विस्तार भी कहते हैं। इसकी गणना के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation) = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)
यदि हम तीसरे चतुर्थक तथा प्रथम चतुर्थक का अन्तर निकाल लेते हैं तो इसको अन्तर चतुर्थक विचलन (InterQuartile Range) कहते हैं। यदि अन्तर चतुर्थक विचलन का अर्ध कर लिया जाए तो यह अर्ध चतुर्थक विचलन कहा जाता है, इसको चतुर्थक विचलन कहते हैं।

चतर्थक विचलन गुणांक (Co-efficient of Quartile Deviation)-चतुर्थक विचलन गुणांक अपकिरण का सापेक्ष माप (Relative Measure of Dispersion) होता है। इसका गुणांक ज्ञात करने के लिए तीसरे चतुर्थक तथा प्रथम चतुर्थक के अन्तर को तीसरे चतुर्थक तथा प्रथम चतुर्थक के जोड़ से विभाजित किया जाता है।
चतुर्थक विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)
इस प्रकार चतुर्थक विचलन गुणांक का पता चल जाता है।

चतर्थक विचलन की गणना (Calculation of Quartile Deviation),माप विधि
1. निम्नलिखित चतुर्थक का माप करो
Q1 = Size of the \(\frac{(\mathrm{N}+1)}{4}\) th item
2. ऊपरी चतुर्थक का माप करो
Q3 = Size of the \(\frac{3(\mathrm{~N}+1)}{4} \) item.
3. निम्नलिखित सूत्र द्वारा माप करो –
चतुर्थक विचलन (Q.D.) = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)
चतुर्थक विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)

A. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित सारणी का चतुर्थक विचलन तथा चतुर्थक विचलन गुणांक पता करो।
अंक : 8 10 20 15 3 0 40 25
हल (Solution) :
दिए आंकड़ों को बढ़ते क्रमानुसार लिखा जाता है। चतुर्थक विचलन तथा चतुर्थक विचलन गुणांक की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 23
q1 = size of the \(\frac{(\mathrm{N}+1)}{4}\) th item
q1= size of the \(\frac{(7+1)}{4}\) th = \(\frac{8}{4}\) = 2nd item.
q1 = 10 अंक
q3 = size of the \(\frac{3(N+1)}{4}\) th item.
q3 = size of the \(\frac{3(7+1)}{4}=\frac{3 \times 8}{4}\) = 6th item.
= \(\frac{24}{4}\) = 6th item.
q3 = 30 अंक

(i) चतुर्थक विचलन (Q.D.) = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)
Q.D. = \(\frac{30-10}{2}=\frac{20}{2}\) = 10 अंक उत्तर

चतुर्थक विचलन 10 अंक है। चतुर्थक विचलन जितना अधिक होता है, यह तीसरे चतुर्थक Q3 तथा प्रथम चतुर्थक Q1 में आंकड़ों के अधिक विस्तार को प्रकट करता है। चतुर्थक विचलन जितना कम होता है, यह आंकड़ों की कम भिन्नता को प्रकट करता है।

(ii) चतुर्थक विचलन गुणांक (Co-efficient of Q.D.)
= \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)
Co-efficient of Q.D. = \(\frac{30-10}{30+10}=\frac{20}{40}\) = 0.5 उत्तर
इससे ज्ञात होता है कि प्रथम चतुर्थक तथा तीसरा चतुर्थक विचलन गुणांक 0.5 है, जितना चतुर्थक गुणांक अधिक होता है, उतनी विषमता अधिक होती है।

B. खण्डित श्रेणी (Discrete Series)
निम्न चतुर्थक Q1 तथा ऊपरी चतुर्थक Q3 का माप संचीय आवृत्ति की सहायता से पता किया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आंकड़ों का चतुर्थक विचलन तथा चतुर्थक विचलन गुणांक पता करो।

रोज़ाना मज़दूरी (रु०) : 80 90 100 110 120 130 140
मज़दूरों की संख्या : 8 12 20 30 25 15 10

हल (Solution):
चतुर्थक विचलन तथा चतुर्थक विचलन गुणांक की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 23
q1 = size of the \(\left(\frac{N+1}{4}\right)\)th item
q1 = size of the \(\left(\frac{119+1}{4}\right)\)th item
= \(\frac{120}{4}\) = 30th item.
q1 = ₹ 100
q3 = size of the \(\frac{3(\mathrm{~N}+1)}{4}\) th item.
= \(\frac{3 \times 120}{4}\) = 90th item.
Q3 = ₹ 120

(i) चतुर्थक विचलन (Q.D.) = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}=\frac{120-100}{2}=\frac{20}{2}\) = = ₹ 10 उत्तर
मज़दूरों की मजदूरी में भिन्नता कम है।

(ii) चतुर्थक विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)
(Co-efficient of Q.D.) = \(\frac{120-100}{120+100}=\frac{20}{220} \) = 0.09 उत्तर
जब चतुर्थक विचलन कम होता है तो चतुर्थक विचलन गुणांक का मूल्य कम होता है।

C. अखण्डित श्रेणी (Continuous Series)

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 21.
दो फैक्टरियों में मजदूरों की मजदूरी का विवरण दिया गया है। चतुर्थक विचलन द्वारा अपकिरण का माप करो।
फैक्टरी A मज़दूरी (₹) : 50-60 60-70 70-80 80-90 90-100
मज़दूरों की संख्या : 2 8 15 106
फैक्टरी B मज़दूरी (₹) : 80-90 . 90-100 100-110 110-120 120-130
मजदूरों की संख्या : 1 4 108
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 24

फैक्टरी A
Q1 का माप
q1 = \(\frac{n}{4}=\frac{41}{4}\) = 10.25th item
(70-80) के वर्ग अन्तराल में है)

∴ Q1 = \( \mathrm{L}_{1}+\frac{n / 4-\mathrm{C} f p}{f} \times i\)
= 70 + \(\frac{10.25-10}{15} \times 10\)
= 70 +\(\frac{.25}{3} \times 2\)
= 70 + \(\frac{.50}{3}\)
Q1 = 70 +0.167

Q3 का माप
q3 = \( \frac{3 n}{4}=\frac{3(41)}{4}=\frac{123}{4}\) = 30.75th Item
(80-90 वर्ग-अन्तराल में है)

∴ Q3 = \(L_{1}+\frac{\frac{3 n}{4}-C f p}{f} \times i\)
= 80 + \(\frac{30.75-25}{10} \times 10\)
= 80 + 5.75
Q3 = 85.75

चतुर्थक विचलन (Q.D.)
QD = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)
= \(\frac{87.75-70.167}{2}=\frac{17.583}{2}\)
QD = 8.792 उत्तर

चतुर्थक विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)
= \(\frac{87.75-70.167}{87.75+70.167}=\frac{8.792}{157.917}\) = 0.055
Co-efficient of Q.D. = 0.055 उत्तर

फैक्टरी B
Q1 का माप
q1 = \(\frac{n}{4}=\frac{28}{4}\) = 7th Item
(100-110) के वर्ग अन्तराल में है)

Q1 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{n / 4-\mathrm{C} f p}{f} \times i\)
= 100 + \(\frac{7-5}{10} \times 10\)
= 100 + 2 = 102
Q1 = 102

Q3 का माप
q3 = \(\frac{3 n}{4}=\frac{3(28)}{4}=\frac{84}{4}\) = 21st Item
(110-120) वर्ग अन्तराल में है)
Q3 = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{3 n}{4}-C f p}{f} \times i\)
= 110 + \(\frac{21-15}{8} \times 10\)
= 110 + \(\frac{21-15}{8} \times 10\)
= 110 + \(\frac{6}{8} \times 10\)
= 110 + 7.5 = 117.5
Q3 = 117.5

चतुर्थक विचलन (Q.D.) = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{2}\)
= \(\frac{117.5-102}{2}=\frac{15.5}{2}\) = 7.75
Q.D. = 7.75 Ans.
चतुर्थक विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{Q}_{3}-\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{3}+\mathrm{Q}_{1}}\)
= \(\frac{117.5-102}{117.5+102}\)
= \(\frac{15.5}{219.5}\) = 0.071
Co-efficient of Q.D. = 0.071 Ans.

चतुर्थक विचलन गुणांक फैक्टरी A में फैक्टरी B से अधिक है। इसलिए फैक्टरी A में फैक्टरी B की तुलना में अधिक विषमता (Variability) पाई जाती है।

प्रश्न 22.
चतुर्थक विचलन के गुण तथा दोष बताओ।
उत्तर-
चतुर्थक विचलन के गुण (Merits of Quartile Deviation)
1. सरल-चतुर्थक का माप करना आसान है।
2. माप-इस का माप करना भी सरल है।
3. सीमान्त मूल्यों का कम प्रभात-चतुर्थक द्वारा अपकिरण का माप करते समय सीमान्त मूल्यों का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

चतर्थक विचलन के दोष (Demerits of Quartile Deviation)
1. अस्थिरता-चतुर्थक विचलन में अस्थिरता का दोष होता है क्योंकि साँपल में परिवर्तन होने से इसके मूल्य पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।
2. सभी मूल्यों पर आधारित नहीं-चतुर्थक में श्रेणी के सभी मूल्यों को ध्यान में रख कर इनका माप नहीं किया जाता। 3. श्रृंखला का ज्ञान-चतुर्थक द्वारा श्रृंखला की बनावट का पूरा ज्ञान प्राप्त नहीं होता।

3. मध्य विचलन (Mean Deviation)

प्रश्न 23.
मध्य विचलन का अर्थ बताओ। मध्य विचलन की गणना किस विधि द्वारा की जा सकती है ? (Explain the meaning of Mean Deviation. How is Mean Deviation calculated ?)
उत्तर-
मध्य विचलन का अर्थ (Meaning of Mean Deviation)-मध्य विचलन को औसत विचलन भी कहा जाता है। औसतें मुख्य तीन प्रकार की होती हैं-समान्तर औसत, मध्यका तथा बहुलक। किसी श्रेणी की औसत निकालकर मदों में से औसत का विचलन निकाला जाता है। विचलन निकालते समय बीज गणित चिह्न (+) तथा (-) को छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार विचलनों के मध्य को मध्य विचलन कहा जाता है।

परिभाषा-
कलार्क तथा सकेड के अनुसार, “श्रेणी की किसी औसत समान्तर मध्य, मध्यका अथवा बहुलक से निकाले गए विचलनों का समान्तर मध्य उस श्रेणी का मध्य विचलन कहा जाता है, परन्तु विचलनों के चिह्नों (+), (-) को छोड़ दिया जाता है।”
(“Average Deviation is the average amount of scatter of items is a distribution from either mean, or median or the mode, ignoring signs of deviation.”-Clark and Schkade)

गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ने का मुख्य कारण यह है कि समान्तर औसत से मदों का विचलन निकाला जाए तो जवाब शून्य (Zero) होता है।

माप विधि-

  1. सबसे पहले दी श्रेणी की औसत (समान्तर मध्य, मध्यका अथवा बहुलक) ज्ञात करो।
  2. प्राप्त की औसत से भिन्न-भिन्न मदों का विचलन ज्ञात करो। बीज गणित चिह्न (+), (-) को छोड़ दो।
  3. विचलनों को |D| इसको D मोडलस पढ़ा जाता है। चिह्न द्वारा प्रकट करो।
  4. विचलनों को मदों की संख्या से विभाजित करो। इससे मध्य विचलन प्राप्त हो जाता है।
  5. चाहे मध्य विचलन समान्तर औसत, मध्यका तथा बहुलक द्वारा निकाला जा सकता है।

साधारण तौर पर समान्तर औसत (X) तथा मध्यका (M) का ही प्रयोग किया जाता है। बहुलक (Z) का प्रयोग नहीं किया जाता। परन्तु प्रश्न में जिस औसत द्वारा मध्य विचलन पूछा जाए उस औसत का प्रयोग करो।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

माप सूत्र (Formula) –
माप विचलन के माप दो तरह के होते हैं-
I. निरपेक्ष माप (Absolute Measure)-निरपेक्ष माप द्वारा मध्य विचलन की गणना निम्नलिखित श्रेणियों में इस प्रकार की जाती है
1. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)-मध्य विचलन का माप समान्तर औसत, मध्यका अथवा बहुलक से पता किया जाता है। इसलिए जिस औसत से मध्य विचलन की गणना करनी हो उस औसत द्वारा माप का सूत्र निम्नलिखित अनुसार है –

  • यदि विचलन समान्तर औसत से लिया जाए तो
    M.D. \((\bar{X})=\frac{\Sigma|X-\bar{X}|}{N}\) OR = \(\frac{\Sigma\left|\mathrm{D}_{\overline{\mathrm{X}}}\right|}{\mathrm{N}}\)
  • यदि विचलन मध्यका से लिया जाए तो
    M.D (M) = \(\frac{\Sigma|\mathbf{X}-\mathrm{M}|}{\mathrm{N}} \mathrm{OR}=\frac{\Sigma\left|\mathrm{D}_{\mathrm{M}}\right|}{\mathrm{N}}\)
  • यदि विचलन बहुलक से लिया जाए तो
    M.D. (Z) = \(\frac{\Sigma|\mathbf{X}-\mathbf{Z}|}{\mathrm{N}} \mathrm{OR}=\frac{\Sigma\left|\mathrm{D}_{\mathrm{Z}}\right|}{\mathrm{N}} \)

यहां M.D. \((\bar{X})\) = समान्तर मध्य से मध्य विचलन
|D|x = इसको पढ़ा जाता जाता है D मोडलस समान्तर मध्य से मदों का विचलन (+), (-) चिह्नों को छोड़कर।
|D|M = मध्यक से मदों का विचलन (+1), (-) चिह्नों को छोड़कर
|D|Z = बहुलक से मदों का विचलन (+1), (-) चिह्नों को छोड़कर
N मदों की संख्या

2. खण्डित तथा अखण्डित श्रेणी (Discrete and Continuous Series)-खण्डित तथा अखण्डित श्रेणी में निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
समान्तर मध्य, मध्यका तथा बहुलक द्वारा मध्य विचलन
(i) M.D. \(\bar{X}\) = \(\frac{\Sigma f|D \overline{\mathrm{X}}|}{\mathrm{N}}\)
(ii) M.D.M = \(\frac{\Sigma f\left|\mathrm{D}_{\mathrm{M}}\right|}{\mathrm{N}}\)
(iii) M.D.Z = \(\frac{\Sigma f\left|D_{Z}\right|}{N}\)
साधारण तौर पर मध्य विचलन का माप मध्यका द्वारा किया जाता है। कई बार समान्तर औसत (mean) का प्रयोग भी किया जाता है।

परन्तु बहुलक (mode) का प्रयोग कभी-कभी ही किया जाता है।

  1. सबसे पहले समान्तर मध्य, मध्यका तथा बहुलक की गणना करो।
  2. औसत से मदों का विचलन निकालो (+) तथा (-) चिह्नों को छोड़ दो। इसको (D) द्वारा लिखो।
  3. प्रत्येक मद के सामने वाली आवृत्ति (f) को |D| से गुणा करके गुणनफल को f|D| लिखो।
  4. प्राप्त हुए गुणनफल का जोड़ Σf |D| करके इनकी संख्या |N| पर विभाजित करो। इस प्रकार मध्य विचलन (M.D.) प्राप्त हो जाता है।

II. सापेक्ष माप (Relative Measure)-अपकिरण के सापेक्ष माप को मध्य विचलन का गुणांक कहा जाता है। मध्य विचलन के गुणांक की गणना करने के लिए मध्य विचलन को समान्तर औसत, मध्यका अथवा बहुलक द्वारा निकालने के पश्चात् जिस औसत से मध्य विचलन की गणना की गई है, उस औसत से भाग कर दिया जाता है। इस प्रकार मध्य विचलन प्राप्त हो जाता है। मध्य विचलन गुणांक का सूत्र निम्नलिखित अनुसार है-
(i) Co-efficient of MD\(\bar{X}\) = \(\frac{\mathrm{MD}_{\overline{\mathrm{X}}}}{\overline{\mathrm{X}}} \)
(ii) Co-efficient of M.D.M = \(\frac{\text { M.D.M }}{\text { Median }}\)
(iii) Co-efficient of M.D.Z = \(\frac{\text { M.D.Z }}{\text { Mode }}\)

व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)

प्रश्न 24.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से मध्य विचलन तथा उसके गुणांक का पता करो।
अंक : 8 10 12 15 18 . 20 25 इसकी गणना मध्यका द्वारा करो।
हल (Solution):
मध्यक द्वारा मध्य विचलन तथा उसके गुणांक की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 25
मध्यका द्वारा मध्य विचलन
m = size of the \(\frac{(\mathrm{N}+1)}{2}\) th item.
M = size of the \(\left(\frac{7+1}{2}\right) \mathrm{th}=\frac{8}{2}\) = 4th item.
Median = 15 marks
M.D.M= \(\frac{\Sigma\left|D_{M}\right|}{N}=\frac{33}{7}\) = 4.714 अंक उत्तर
Co-efficient of M.D. = \(\frac{\text { M.D.M. }}{\text { Median }}=\frac{4.714}{15} \) = 0.314 उत्तर
मध्य विचलन गुणांक 1 की अनुपात में जितना कम है वह समंकों के कम उत्तर को प्रकट करता है।

प्रश्न 25.
फैक्टरी A तथा फैक्टरी B में मजदूरी सम्बन्धी आंकड़े दिए गए हैं। मध्यका तथा मध्य विचलन ज्ञात करो तथा तुलना करो।
हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 26
m= \(\frac{\mathrm{N}+1}{2}=\frac{5+1}{2}=\frac{6}{2}\) = 3rd item.
M (Median)= 600
MDM = \(\frac{\Sigma|\mathrm{D}|}{\mathrm{N}}=\frac{740}{5}\) = ₹ 148
मध्य विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{MD}_{\mathrm{M}}}{\text { Median }}\) = \(\frac{148}{600} \) = 0.247

m = \(\frac{N+1}{2}=\frac{5+1}{2}=\frac{6}{2}\) = 3rd item
M (मध्यका )= ₹300
MDM = \(\frac{\Sigma|\mathrm{D}|}{\mathrm{N}}=\frac{300}{5}\) = ₹60
मध्य विचलन गुणांक = \(\frac{\mathrm{MD}_{\mathrm{M}}}{\text { Median }}\)
= \(\frac{\mathrm{MD}_{\mathrm{M}}}{\text { Median }}\) = \(\frac{60}{300}\) = 0.200
फैक्टरी A का मध्य विचलन गुणांक फैक्टरी B के मध्य विचलन गुणांक से अधिक है। इसलिए फैक्टरी A की मज़दूरी में भिन्नता अधिक है।

प्रश्न 26.
आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की आयु का विवरण इस प्रकार है। औसत विचलन तथा औसत विचलन गुणांक ज्ञात करो।

आयु (वर्ष) : 11 12 13 14 15
विद्यार्थियों की संख्या : 2 8 15 3 2

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 27
(i) मध्यका (Median) का माप
m = \(\frac{\mathrm{N}+1}{2}=\frac{30+1}{2}=\frac{31}{2}\) = 15.5th item.
यह संचयी आवृत्ति 25 में पाई जाती है।
∴ मध्यका = 13 वर्ष ।

(ii) औसत विचलन (Mean Deviation) का माप –
मध्यका से माप विचलन = \(\frac{\Sigma f\left|\mathrm{D}_{\mathrm{M}}\right|}{\mathrm{N}}=\frac{19}{30}\) = 0.633
औसत विचलन से ज्ञात होता है कि मध्यका से दूरी कम है।

(iii) औसत विचलन गुणांक (Co-efficient of Mean Deviation)
Co-efficient of M.D. =\(\frac{\text { M.D. }}{\text { Median }}=\frac{0.63}{13}\) = 0.049
मध्य विचलन गुणांक काफ़ी कम है, इसलिए मध्यका से आयु की कम दूरी पाई जाती है।

अखण्डित श्रेणी में मध्य विचलन की गणना (Calculation of Mean Deviation in Continuous Series)
अखण्डित श्रेणी वर्गों के अन्तर के मध्य मूल्य निकाल लेते हैं। इससे अखण्डित श्रेणी, खण्डित श्रेणी का रूप धारण कर लेती है। इसके पश्चात् खण्डित श्रेणी जैसे ही मध्य विचलन की गणना की जाती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 27.
निम्नलिखित आंकड़ों का समान्तर मध्य द्वारा मध्य विचलन के गुणांक का माप करो।

अंक: 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 2 8 10 15 5

हल (Solution) :
मध्य विचलन तथा मध्य विचलन के गुणांक की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 28
(i) समान्तर मध्य (Mean) \(\bar{X} \) = \(\frac{\Sigma f x}{\mathrm{~N}}=\frac{1130}{40}\) = 28.25
(ii) मध्य विचलन (Mean Deviation)
M.D. = \(\frac{\Sigma(f|\mathrm{D} \overline{\mathrm{x}}|)}{\mathrm{N}}=\frac{370}{40}\) = 9.25 अंक उत्तर
समान्तर औसत से भिन्नता 9.25 अंक है।

(iii) मध्य विचलन का गुणांक Coefficient of M.D.= \(\frac{\mathrm{MD} \overline{\mathrm{X}}}{\text { Mean }}=\frac{9.25}{28.25}\) = 0.327 उत्तर
मध्य विचलन गुणांक 0.327 है अथवा 32.7% है जोकि काफ़ी कम है इसलिए अंकों में अन्तर कम है।

4. प्रमाप विचलन (Standard Deviation)

प्रश्न 28.
प्रमाप विचलन से क्या अभिप्राय है? प्रमाप विचलन तथा मध्य विचलन में अन्तर बताओ। (What is meant by Standard Deviation ? Distinguish between Mean Deviation and Standard Deviation.)
उत्तर-
अपकिरण के माप के लिए इस विधि की सबसे पहले कार्ल पीयर्सन (Karl Pearson) ने 1893 में व्याख्या की थी। इसको अपकिरण के माप की सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण, उपयोगी तथा विश्वसनीय विधि माना जाता है। प्रमाप विचलन को विचलन वर्ग मध्य मूल्य भी कहा जाता है। इसको ग्रीक भाषा के अक्षर (0) सिगमा द्वारा प्रकट किया जाता है। जितनी आंकड़ों में अपकिरण अथवा भिन्नता अधिक होगी, उतना ही प्रमाप विचलन अधिक होगा अर्थात्-

  1. यदि प्रमाप विचलन छोटा है तो इसका अर्थ आंकड़ों में भिन्नता कम है अथवा एक समानता पाई जाती है।
  2. यदि प्रमाप विचलन बड़ा है तो इसका अर्थ है कि आंकड़ों में भिन्नता अधिक है अथवा एक समानता नहीं है।

प्रमाप विचलन का अर्थ (Meaning of Standard Deviation)-किसी श्रेणी के मध्यमान में से उसकी भिन्न-भिन्न मदों के निकाले गए विचलनों के वर्गों की औसत के वर्गमूल को प्रमाप विचलन कहा जाता है।
प्रमाप विचलन हमेशा समान्तर मध्य में से ही विचलनों द्वारा लिया जाता है क्योंकि समान्तर मध्य में से लिए गए विचलनों के वर्गों का जोड़ किसी अन्य औसत में से लिए गए विचलनों के वर्गों की आवश्यकता से न्यूनतम होता है।

प्रमाप विचलन की विशेषताएं (Characteristics of Standard Deviation)-

  1. प्रमाप विचलन में मदों से विचलन समान्तर मध्य से लिए जाते हैं।
  2. प्रमाप विचलन में गणित चिह्न जमा (+) तथा घटाओ ( – ) को छोड़ा नहीं जाता। हासिल किए गए विचलनों के वर्ग कर लिए जाते हैं, जिससे ऋणात्मक विचलन भी धनात्मक बन जाते हैं।
  3. प्रमाप विचलन की गणना करने के लिए उन वर्गों का जिनका वर्ग किया गया है इसका मध्य प्राप्त करके वर्गमूल निकाला जाता है। इसको प्रमाप विचलन कहते हैं।

प्रमाप विचलन तथा मध्य विचलन में अन्तर (Difference between Mean Deviation and Standard Deviation)-प्रमाप विचलन तथा मध्य विचलन में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं-

  1. प्रमाप विचलन (S.D.)-प्रमाप विचलन की गणना केवल समान्तर मध्य द्वारा ही की जाती है। मध्य विचलन (M.D.)-मध्य विचलन की गणना केन्द्रीय प्रवृत्तियां समान्तर मध्य (Mean), मध्यक (Median) अथवा बहुलक के आधार पर की जा सकती है।
  2. प्रमाप विचलन (S.D.)-प्रमाप विचलन में श्रेणी की मदों की समान्तर औसत (Mean) से मदों के विचलन निकाले जाते हैं। प्राप्त किए विचलनों के वर्ग करके (+) तथा (-) चिह्नों को धनात्मक (+) बना लिया जाता है। इस प्रकार विचलनों की औसत पता करके वर्गमूल निकाला जाता है। इस प्रकार (+) तथा (-) चिह्नों को ध्यान में रखा जाता हैं |

मध्य विचलन (M.D.)-मध्य विचलन में गणित चिह्नों (+) तथा (-) को छोड़ दिया जाता है। यह मध्य विचलन का सबसे बड़ा दोष है।

A.व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)

प्रमाप विचलन गणना की विधियाँ (Method of Measuring Standard Deviation)

  1. प्रत्यक्ष विधि(1) किसी श्रेणी के मूल्यों की समान्तर औसत ज्ञात कीजिए।
  2. प्रत्येक मूल्य में से समान्तर औसत (X̄) को घटाओ तथा विचलन को छोटी X द्वारा अंकित करो।
    (x-X̄=x)
  3. प्राप्त किए विचलनों (x) का वर्ग पता करो तथा विचलनों के वर्गों (x2) का जोड़ (Σx2) कर लें।
  4. निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करो

(i) σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma x^{2}}{N}}=\sqrt{\frac{(\mathrm{X}-\overline{\mathrm{X}})^{2}}{\mathrm{~N}}}\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 29
σ (सिगमा) = प्रमाप विचलन
Σx2 = मदों से समान्तर औसत के विचलनों के वर्गों का जोड़
N = मदों की संख्या
√ = वर्गमूल
5. प्रमाप विचलन के वर्ग को वेरीअँस अथवा प्रसारण कहा जाता है अथवा प्रसारण कहा जाता
Variance or V = σ2 अथवा \(\frac{\Sigma x^{2}}{\mathrm{~N}}\) जहां x = x = x – X̄
6. सापेक्ष माप-प्रमाप विचलन के सापेक्ष माप को प्रमाप विचलन गुणांक कहा जाता है। इसकी गणना का सूत्र निम्नलिखित अनुसार है
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 30

प्रश्न 29.
निम्नलिखित आंकड़ों का प्रमाप विचलन तथा प्रमाप विचलन का गुणांक ज्ञात करो –
अंक : 6, 9, 10, 13, 17, 19, 21, 25
हल (Solution) :
प्रमाप विचलन की गणना ( प्रत्यक्ष विधि)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 31
समान्तर औसत (Mean)
X̄ = \(\frac{\Sigma x}{N}=\frac{120}{8}\)
प्रमाप विचलन (Standard Deviation)
σ = \( \sqrt{\frac{(\mathrm{X}-\overline{\mathrm{X}})^{2}}{\mathrm{~N}}}=\sqrt{\frac{\Sigma x^{2}}{\mathrm{~N}}}=\sqrt{\frac{302}{8}}=\sqrt{37.75}\)
σ = 6.14 उत्तर
(Standard Deviation gives us the absolute value of variation. By this, we cannot measure the variability of two or more series. We have to study the relative measure of dispersion.)

अपकिरण गुणांक (Co-efficient of Variation)

Co-efficient of Variation = \( \frac{\text { S.D. }}{\bar{X}} \times 100=\frac{6.14}{15} \times 100\)
or Co-efficient of variation = 40.9%
It shows that the variation of the items from Mean is 40.9%.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 30.
निम्न सारणी का प्रमाप विचलन ज्ञात करो –

आकार : 5 10 15 20 25 30
आवृत्ति : 2 8 10 15 8 7

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 32
प्रमाप विचलन
S.D. or σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f d x^{2}}{N}-\left(\frac{\Sigma f d x}{N}\right)^{2}}\)
σ = \(\sqrt{\frac{2400}{50}-\left[\frac{(-50)}{50}\right]^{2}}\)
σ = \(\sqrt{48-1}=\sqrt{47}\) 6.85 उत्तर
निरपेक्ष प्रमाप विचलन 6.85 है।

प्रश्न 31.
निम्नलिखित सारणी का पद विचलन विधि द्वारा प्रमाप विचलन ज्ञात करो।

अंक : 20 30 40 50 60
विद्यार्थियों की संख्या 6 10 20 55 10

हल (Solution) :
प्रमाप विचलन की गणना (पद विचलन विधि)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 33
प्रमाप विचलन
S.D. or σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f d x^{\prime 2}}{N}-\left(\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{N}\right)^{2}} \times C\)
σ = \(\sqrt{\frac{95}{50}-\left(\frac{(-) 19}{50}\right)^{2}} \times 10\)
σ = \(\sqrt{1.9-0.144} \times 10\)
σ = \(\sqrt{1.756} \times 10\)
σ = 1.325 x 10 = 13.25 उत्तर
निरपेक्ष प्रमाप विचलन 13.25 है।

प्रश्न 32.
निम्नलिखित सारणी का प्रमाप विचलन प्रत्यक्ष विधि द्वारा ज्ञात करो।

मज़दूरी (२) 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
मज़दूरों की संख्या 2 3 10 4 1

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 34
समान्तर औसत की गणना
X̄ = \(\frac{\sum f x}{\mathrm{~N}}=\frac{520}{20}\) = 26
प्रमाप विचलन
S.D. or σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f x^{2}}{\mathrm{~N}}}\)
σ = \(\sqrt{\frac{2180}{20}}=\sqrt{109}\) = ₹ 10.44 उत्तर
निरपेक्ष प्रमाप विचलन 10.44 है।

(B) लघु विधि (Short Cut Method)
अखण्डित श्रेणी में प्रमाप विचलन की गणना करते समय खण्डित श्रेणी में प्रयोग की जाने वाली विधि का प्रयोग किया जाता है। अखण्डित श्रेणी के मध्य मूल्य (Mid values) निकाले जाते हैं। इस प्रकार अखण्डित श्रेणी अपने-आप ही खण्डित श्रेणी का रूप धारण कर लेती है। इस विधि में निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f d x^{2}}{N}-\left(\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{N}\right)^{2}}\)

प्रश्न 33.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा प्रमाप विचलन ज्ञात करो –

आकार : 2-4 4-6 6-8 8-10 10-12 12-14
आवृत्ति : 1 2 3 4 6 3

हल (Solution) :
प्रमाप विचलन की गणना (लघु विधि)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 35
प्रमाप विचलन (Standard Deviation)
S.D. or σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma f d x^{2}}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\right)^{2}}\)
σ = \(\sqrt{\frac{180}{20}-\left(\frac{(-) 18}{20}\right)^{2}}\)
σ = \(\sqrt{9-(0.9)^{2}}=\sqrt{8.19}\)
σ = 2.86 उत्तर

(C) पद विचलन विधि यदि पद विचलन लिए जाएं तो गणना का कार्य और आसान हो जाता है। इस विधि में निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
σ = \( \sqrt{\frac{\Sigma f d x^{2}}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\right)^{2}} \times \mathrm{C}\)

प्रश्न 34.
निम्नलिखित आंकड़ों से प्रमाप विचलन ज्ञात करो –

अंक : 0-5 5-10 10-15 15-20 20-25 25-30 30-35
विद्यार्थियों की संख्या: 8 12 20 25 22 10 3

हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 36
प्रमाप विचलन (Standard Deviation)
S.D. or σ = \( \sqrt{\frac{\Sigma f d x^{\prime 2}}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}}\right)^{2}} \times \mathrm{C}\)
σ = \(\sqrt{\frac{229}{100}-\left(\frac{(-) 17}{100}\right)^{2}} \times 5\)
σ = \(\sqrt{2.29-0.0289} \times 5 \)
σ = \(\sqrt{2.2611} \times 5\)
σ = 1.504 × 5
σ = 7.52 उत्तर
निरपेक्ष प्रमाप विचलन 7.520 है।

प्रमाप विचलन गुणांक तथा विचरण गुणांक (Co-efficient of Standard Deviation and Co-efficient of Variation)

प्रश्न 35.
प्रमाप विचलन गुणांक, विचरण गुणांक तथा प्रसरण का अर्थ बताओ। (Explain the meaning of Co-efficient of Standard Deviation, Co-efficient of Valuable and Variance.)
उत्तर-
. प्रमाप विचलन गुणांक (Co-efficient of Standard Deviation)-प्रमाप विचलन अपकिरण का निरपेक्ष माप है। प्रमाप विचलन द्वारा दो अथवा दो से अधिक शृंखलाओं की तुलना नहीं की जा सकती है। इस उद्देश्य के लिए प्रमाप विचलन गुणांक की गणना की जाती है। इसको अपकिरण का सापेक्ष माप कहा जाता है तथा इसका सूत्र निम्नलिखित अनुसार है
प्रमाप विचलन गुणांक (Co-efficient of S.D.) = \(\frac{\text { Standard Dèviation }}{\text { Mean }} \)
= \(\frac{\sigma}{\overline{\mathrm{X}}}\)

2. विचरण गुणांक (Co-efficient of variation)-प्रमाप विचरण गुणांक साधारण तौर पर दशमलव भिन्न में आता है। इसलिए इसको समझना आसान नहीं, बल्कि कठिन होता है। इस मुश्किल को दूर करने के लिए विचरण गुणांक का प्रयोग किया जाता है। इसलिए सापेक्ष माप के लिए अपकिरण सम्बन्धी एक अन्य महत्त्वपूर्ण धारणा विचरण गुणांक दी गई है। इस धारणा का प्रयोग सबसे पहले कार्ल पियर्सन द्वारा किया गया था। इस कारण इस धारणा को कार्ल पियर्सन का विचरन गुणांक कहा जाता है। कार्ल पियर्सन अनुसार, “विचरण गुणांक समान्तर औसत में होने वाला प्रतिशत विचरण है जबकि प्रमाप विचलन समान्तर औसत में होने वाला कुल विचरण है।”
विचरण गुणांक or CV = \(\frac{\delta}{\bar{X}} \times 100\)

विचरण गुणांक प्रमाप विचलन का प्रतिशत रूप है। इसका प्रयोग भिन्न-भिन्न श्रृंखलाओं में तुलना के लिए किया जाता है, जिस समूह का विचरण गुणांक (C.V.) अधिक होगा, उस समूह में कम एक समानता पाई जाएगी। जिस समूह का विचरण गुणांक (C.V.) कम होगा, उस समूह में अधिक एक समानता पाई जाएगी।
अर्थात्
(i) C.V. अधिक है – कम समानता
(ii) C.V. कम है – अधिक समानता

3. प्रसरण (Variance)-प्रमाप विचलन के वर्ग को प्रसरण कहा जाता है। प्रसरण के माप के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
(Direct Method) व्यक्तिगत श्रेणी
प्रसरण (Variance) or V = \(\frac{\Sigma x^{2}}{\mathrm{~N}}\) or σ2
खण्डित तथा अखण्डित श्रेणी
प्रसरण (Variance) or V = \(\frac{\Sigma f x^{2}}{\mathrm{~N}}\)

लघु विधि (Short Cut Method)
प्रसरण (Variance)
V = \(\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}-\left(\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\right)^{2}\)
– अथवा
V = σ2

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

A. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series) :

प्रश्न 36.
पंचवर्षीय योजना में दो नगरों की कीमतों में परिवर्तन का विवरण इस प्रकार है। बताओ कौन-से नगर में कीमतें स्थिर रहीं।
नगर A की कीमतें : 10 18 20 15 12
नगर B की कीमतें : 20 21 19 23 – 17
हल (Solution):
विचरण गुणांक की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 37
नगर A
X̄ = \(\frac{\Sigma x}{N}=\frac{75}{5}\) = 15
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma d x^{2}}{\mathrm{~N}}}=\sqrt{\frac{68}{5}}=\sqrt{13.6}\) = 3.69
विचरण गुणांक
C.V. = \(\frac{\sigma}{\bar{X}} \times 100 \)
= \(\frac{3.69}{15} \times 100\) = 24.58 उत्तर

नगर B
Ȳ = \(\frac{\Sigma Y}{N}=\frac{100}{5}\) = 20
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma d y^{2}}{N}}=\sqrt{\frac{20}{5}}=\sqrt{4}\) = 2
(Co-efficient of variation)
C.V. = \(\frac{\sigma}{\overline{\mathrm{X}}} \times 100\)
= \(\frac{2}{20} \times 100\) = 10 उत्तर
विचरण गुणांक नगर A की तुलना में B नगर का कम है। इसलिए कीमतें B नगर में अधिक स्थिर रहती हैं।

प्रश्न 37.
दो बल्लेबाजों x तथा Y द्वारा भिन्न-भिन्न पारियों में रनों का विवरण इस प्रकार है?
x : 15 1200 75 10 140 Y : 60 76 30 42 5 0 42.
बताओ-
(i) दोनों में कौन-सा खिलाड़ी अधिक रन बनाने वाला है ?
(ii) कौन-सा खिलाड़ी अधिक स्थिर है?
हल (Solution) :
यह पता करने के लिए कि कौन-सा खिलाड़ी अधिक रन बनाने वाला है औसत रनों की तुलना करनी पड़ेगी तथा यह जानने के लिए कि कौन-सा खिलाड़ी अधिक स्थिर है विचरण गुणांक (C.V.) की तुलना करनी पड़ेगी।
समान्तर औसत तथा विचरण गुणांक का माप
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 38
बल्लेबाज़ X
X̄ = \(\frac{\Sigma x}{N}=\frac{360}{60}\) = 60
σx = \( \sqrt{\frac{\Sigma d x^{2}}{\mathrm{~N}}}=\sqrt{\frac{18350}{6}}\)
= 66.05 दौड़ें
Co-efficient of variation
CVx = \(\frac{\sigma}{\bar{X}} \times 100\)
= \(\frac{66.05}{60} \times 100\)
= 101.08

बल्लेबाज़ Y
Ȳ = \(\frac{\Sigma Y}{N}=\frac{300}{6}\) = 50
σ = \(\sqrt{\frac{\Sigma d y^{2}}{N}}=\sqrt{\frac{1304}{6}}\)
= 14.74 दौड़ें
Co-efficient of variation Cvy = Fx 100
CVy = \(\frac{\sigma}{\overline{\mathbf{Y}}} \times 100\)
= \(\frac{14.74}{50} \times 100\)
= 29.48
(i) X बल्लेबाज़ की औसत दौड़ें 60, Y बल्लेबाज़ की औसत दौड़ें 50 की तुलना में अधिक हैं। इसलिए X बल्लेबाज़ अच्छा खिलाड़ी है।
(ii) विचरण गुणांक (C.V.) बल्लेबाज़ Y का 29.48, बल्लेबाज़ X के विचरण गुणांक 101.08 से कम है। इसलिए बल्लेबाज़ Y अधिक स्थिर है।

प्रश्न 38.
फैक्टरी A तथा फैक्टरी B में मजदूरों की औसत मज़दूरी तथा प्रमाप विचलन का विवरण निम्नलिखित अनुसार दिया हुआ है। विचरण गुणांक पता करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 39
हल (Solution) :
फैक्टरी A का विचरण गुणांक
Co-efficient of variation of factory X = \(\frac{\sigma}{\overline{\mathrm{X}}}\) x 100
C.V.= \(\frac{6}{40}\) x 100 = 15
फैक्टरी B का विचरण गुणांक
Co-efficient of variation of factory Y = \( \frac{\sigma}{\overline{\mathrm{Y}}}\) x 100
C.V. = \(\frac{9}{30}\) x 100 = 30
फैक्टरी B का विचरण गुणांक 30 फैक्टरी A के विचरण गुणांक 15 से अधिक है। इसलिए फैक्टरी B में विचरण अधिक है।

प्रश्न 39.
प्रमाप विचलन के गुण एवं दोष बताएं।
उत्तर-
प्रमाप विचलन के गुण (Merits of Standard Deviation)

  1. सभी मूल्यों पर आधारित-प्रमाप विचलन श्रृंखला के सभी मूल्यों पर आधारित होता है।
  2. निश्चित परिभाषा-प्रमाप विचलन की परिभाषा निश्चित होती है।
  3. निश्चित माप-प्रमाप विचलन का माप स्पष्ट तथा निश्चित होता है। इसका प्रयोग हरेक स्थिति में किया जा सकता है।
  4. बीज गणित अध्ययन-प्रमाप विचलन का बीज गणित विधियों में काफी प्रयोग संभव होता है।
  5. तुलना-इस विधि के द्वारा दो या दो से अधिक श्रृंखलाओं की तुलना की जा सकती है।

प्रमाप विचलन के दोष (Demerits of Standard Deviation)

  1. कठिन माप-प्रमाप विचलन का माप करना कठिन होता है।
  2. सीमान्त मल्यों का प्रभाव-इस विधि में सीमान्त मूल्यों का अधिक प्रभाव पड़ता है।
  3. खुले वर्गान्तर-खुले वर्गान्तर में प्रमाप विचलन का माप नहीं किया जा सकता।

5. लॉरेंज़ वक्र (Lorenz Curve)

प्रश्न 40.
लॉरेंज़ वक्र से क्या अभिप्राय है? लॉरेंज़ वक्र की निर्माण विधि स्पष्ट करो। (What is Lorenz Curve ? Explain the method for the formulation of Lorenz Curve.)
अथवा
अपकिरण की ग्राफ विधि से क्या अभिप्राय है ? ग्राफ विधि द्वारा अपकिरण के माप का निर्माण कैसे किया जाता है?
(What is meant by Graphic Method of dispersion? How is dispersion measured with Graphic Method ?)
अथवा
अपकिरण के माप की बिन्दु रेखीय विधि से क्या अभिप्राय है? इस विधि द्वारा अपकिरण का माप कैसे किया जाता है?
(What is meant by outline Method of dispersion? How is dispersion measured with it ?)
उत्तर-
लॉरेंज वक्र का अर्थ (Meaning of Larenz Curve) अपकिरण के माप के लिए एक ढंग का निर्माण अमेरिका के अर्थशास्त्री डॉक्टर मैक्स लॉरेंज (Dr. Max Lorenz) ने किया। उन्होंने एक वक्र से आय तथा धन के वितरण में असमानताओं का अध्ययन किया। इस वक्र को लॉरेंज़ वक्र (Lorenz curve) कहा जाता है। आजकल के अर्थशास्त्री इस वक्र का प्रयोग आय, धन, लाभ, मजदूरी इत्यादि आर्थिक दरों के प्रकटावे के लिए करते हैं। लॉरेंज़ वक्र को संचयी प्रतिशत वक्र भी कहा जाता है। इसलिए लॉरेंज़ वक्र समान वितरण रेखा से जितना दूर होता है, उतनी ही असमानता अधिक होती है। लॉरेंज़ वक्र वितरण रेखा के नज़दीक होगा, उतना ही असमानता कम होती है।

लॉरेंज़ वक्र की निर्माण विधि(Method to draw Lorenz Curve) –
लॉरेंज़ वक्र की निर्माण विधि निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. दिए हुए मूल्यों तथा आवृत्ति को संचित रूप में बदलो। वर्ग अन्तराल की स्थिति में मध्य मूल्य निकालकर संचयी जोड़ करो।
  2. संचित किए हुए मूल्यों तथा आवृत्तियों को प्रतिशत में बदलो।
  3. ग्राफ पेपर पर OX तथा OY रेखाएं बनाओ। 10X अक्ष सभी प्रतिशत संचयी आवृत्तियां, 100 से 0 तक तथा OY अक्ष पर सभी प्रतिशत संचयी मदों 0 से 100 तक लिया जाता है।
  4. OX अक्ष के शून्य (0) मापदण्ड को OY अक्ष के 100 मापदण्ड से मिलाओ। इसको करने अथवा समान वितरण रेखा कहा जाता है।
  5. मूल्यों तथा आवृत्तियों की प्रतिशत संचयी आंकड़ों को ग्राफ पर बिन्दुओं द्वारा अंकित किया जाता है तथा इन बिन्दुओं को आपस में मिला देते हैं, जिससे लॉरेंज़ वक्र प्राप्त होता है। इसलिए लॉरेंज़ वक्र को बिन्दु विधि अथवा ग्राफ विधि भी कहा जाता है।
  6. लॉरेंज़ वक्र, समान वितरण रेखा से जितना नज़दीक होता है, अपकिरण की मात्रा उतनी कम होती है। लॉरेंज़ वक्र जितना अधिक दूर होगा, अपकिरण उतना अधिक होगा।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप

प्रश्न 41.
दो फैक्टरियों द्वारा मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी का विवरण इस प्रकार है

मज़दूरी (₹): 0-20 20-40 40-60 60-80 80-100
फैक्टरी A में मजदूरों की संख्या : 60 80 120 90 150
फैक्टरी B में मजदूरों की संख्या : 150 100 90 110 50

हल : मजदूरी वितरण से समानताओं की तुलना करने के लिए लॉरेंज़ वक्र का निर्माण करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 25 अपकिरण के माप 40
समान विभाजन वक्र (Line of Equal Distribution) से लॉरेंज़ वक्र जितना दूर होगा, उतनी ही आंकड़ों में असमानता ज्यादा होगी। इस उदाहरण में फैक्टरी A की तुलना में फैक्टरी B में लॉरेंज़ वक्र अधिक दूर है। इसलिए फैक्टरी B के मजदूरों की मजदूरी में असमानता अधिक है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

PSEB 11th Class Economics केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बहुलक किसी श्रेणी के उस मूल्य को कहते हैं जोकि श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है।

प्रश्न 2.
अखण्डित श्रेणी में बहुलक के माप का सूत्र लिखें।
उत्तर-
Z = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i \)

प्रश्न 3.
किसी श्रेणी की समान्तर औसत 5 और मध्यका 4 है। बहुलक ज्ञात करें।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2 Mean
Z = 3(4) – 2(5)
Z = 12 – 10 = 2
Z = 2 उत्तर

प्रश्न 4.
बहुलक का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर-
बहुलक सबसे सरल औसत है जिसको आसानी से समझा जा सकता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

प्रश्न 5.
बहुलक का कोई एक अवगुण लिखें।
उत्तर-
बहुलक बाकी की औसतों से सबसे अनिश्चित औसत है।

प्रश्न 6.
वह मूल्य जो श्रृंखला में सबसे अधिक बार आता है उसको ……. कहते हैं।
उत्तर-
बहुलक।

प्रश्न 7.
बहुलक का व्यावहारिक महत्त्व बताओ।
उत्तर-
बहुलक उत्पादन, जलवायु, वर्षा, तापमान आय आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक का अर्थ बताओ।
उत्तर-
किसी श्रेणी में वह मूल्य जो सबसे अधिक आता है, उसको श्रेणी का बहुलक कहा जाता है अथवा जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है, उस मद को बहुलक कहते हैं। उदाहरणस्वरूप एक कक्षा में 50 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों के भार का तोल किया गया। 30 बच्चों का भार 40 किलोग्राम है। 40 किलोग्राम को बहुलक कहा जाता है। बहुलक अंग्रेजी भाषा के अक्षर Z द्वारा प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 2.
बहुलक के कोई दो गुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य गुण निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. सरल विधि-बहुलक की गणना करने की विधि बहुत सरल है। निरीक्षण द्वारा आंकड़ों को एक नज़र में देखने से बहुलक ज्ञात हो जाता है।
  2. सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव-बहुलक पर सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव पड़ता है। केवल उन इकाइयों का प्रभाव पड़ता है, जिनकी आवृत्ति अधिक होती है।

प्रश्न 3.
बहुलक के कोई दो दोष बताएं।
उत्तर-

  1. समूहीकरण सारणी पर आधारित-बहुलक की गणना करते समय समूहीकरण सारणी तथा विश्लेषण सारणी का निर्माण करना पड़ता है। समूहीकरण करते समय यदि मद ऊपर अथवा नीचे रह जाए तो बहुलक के मूल्य में अन्तर पड़ जाता है।
  2. प्रतिनिधि औसत नहीं-बहलक प्रतिनिधि औसत नहीं होती। 60 विद्यार्थियों की कक्षा में Zero अंक लेने वाले 5 विद्यार्थी हैं। शेष विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की आवृत्ति 5 से कम है। इस स्थिति में बहुलक Zero होगा। यह आंकड़ों का ठीक प्रतिनिधित्व नहीं करता।

प्रश्न 4.
किसी वितरण की समान्तर औसत 25 है तथा मध्यका 27 है। बहुलक की गणना करो।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2 Mean
2 = 3 (27)-2 (25)
– Z = 81 – 50 = 31 उत्तर

प्रश्न 5.
किस श्रेणी वितरण की बहुलक 40 है तथा मध्यका 30 दी हुई है। गणितक औसत (\(\overline{\mathbf{X}}\) ) ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2\(\overline{\mathbf{X}}\)
40 = 3 (30) – 2 (\(\overline{\mathbf{X}}\) )
40 = 90 – 2 (\(\overline{\mathbf{X}}\) )
2\(\overline{\mathbf{X}}\) = 90 – 40 = 50
\(\overline{\mathbf{X}}\) = \(\frac{50}{2}\) = 25 उत्तर

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक के गुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य गुण निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. सरल विधि-बहुलक की गणना करने की विधि बहुत सरल है। निरीक्षण द्वारा आंकड़ों को एक नज़र में देखने से बहुलक ज्ञात हो जाता है।
  2. सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव-बहुलक पर सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव पड़ता है। केवल उन इकाइयों का प्रभाव पड़ता है, जिनकी आवृत्ति अधिक होती है।
  3. व्यापारिक क्षेत्र में महत्त्व-बहुलक का महत्त्व विशेष तौर पर व्यापारिक क्षेत्र में अधिक होता है। एक फ़र्म द्वारा बूट, कमीज़ों, पैंटों इत्यादि के उत्पादन सम्बन्धी निर्णय बहुलक की मदद से लिए जाते हैं।
  4. गुणात्मक माप-ऐसी श्रेणी का बहुलक भी पता किया जा सकता है जिसमें गुणात्मक आधार पर वर्गीकरण किया गया है।
  5. ग्राफ द्वारा निर्धारण-मध्यका की तरह बहुलक की गणना ग्राफ द्वारा की जा सकती है।
  6. प्रतिनिधि औसत-बहुलक उन मदों में पाया जाता है, जिसके इर्द-गिर्द बहुत अधिक आंकड़े केन्द्रित होते हैं। इस कारण इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
बहुलक के अवगुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य अवगुण निम्नलिखित अनुसार हैं –

  1. अनिश्चित परिभाषा-बहुलक की निश्चित परिभाषा नहीं दी जा सकती। कई बार दो अथवा दो से अधिक बहुलक हो सकते हैं।
  2. माप में कठिनाई-जब सभी मदों की संख्या समान होती है तो ऐसी स्थिति में बहुलक के माप में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  3. बीजगणित प्रयोग सम्भव नहीं-बहुलक बीजगणित प्रयोग के लिए सम्भव नहीं होता। इसलिए इस औसत का प्रयोग सांख्यिकी की अन्य विधियों में बहुत कम किया जाता है।
  4. समूहीकरण सारणी पर आधारित-बहुलक़ की गणना करते समय समूहीकरण सारणी तथा विश्लेषण सारणी का निर्माण करना पड़ता है। समूहीकरण करते समय यदि मद ऊपर अथवा नीचे रह जाए तो बहुलक के मूल्य में अन्तर पड़ जाता है।
  5. प्रतिनिधि औसत नहीं-बहुलक प्रतिनिधि औसत नहीं होती। 60 विद्यार्थियों की कक्षा में Zero अंक लेने वाले 5 विद्यार्थी हैं। शेष विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की आवृत्ति 5 से कम है। इस स्थिति में बहुलक Zero होगा। यह आंकड़ों का ठीक प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  6. साधारण मनुष्य को ज्ञान न होना-समान्तर औसत को प्रत्येक मनुष्य आसानी से समझ जाता है। परन्तु बहुलक का ज्ञान साधारण मनुष्यों को नहीं होता। इस कारण यह औसत लोक प्रिय नहीं।

प्रश्न 3.
केन्द्रीय प्रवृत्ति की औसतें, समान्तर औसत, मध्यका तथा बहुलक में से कौन-सी औसत उत्तम होती है?
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप के लिए कई औसतें हैं, जैसे कि समान्तर औसत, मध्यका, बहुलक इत्यादि। इन औसतों में से कौन-सी उत्तम होती है। इसका निर्णय अग्रलिखित तत्त्वों को देखकर किया जा सकता है-

  1. अनुसन्धान का उद्देश्य-अनुसन्धान का उद्देश्य ध्यान में रखकर यह निर्णय किया जाता है कि कौन-सी औसत अच्छी है। यदि सबसे अधिक बार आने वाली मद का पता करना हो तो बहुलक अच्छी औसत होती है। परन्तु यदि सब मदों को समान महत्त्व देना हो तो समान्तर औसत को अच्छी औसत माना जाता है। गुणात्मक तुलना की स्थिति में मध्यका को अच्छी औसत माना जाता है।
  2. सीमान्त मदों का महत्त्व-सीमान्त मदों को अधिक महत्त्व देना हो तो समान्तर औसत अच्छी होगी।
  3. तुलना में महत्त्व-तुलनात्मक अध्ययन करना हो तो समान्तर औसत अच्छी औसत होती है। परन्तु वितरण के मध्य का ज्ञान प्राप्त करना हो तो मध्यका तथा बहुलक को अच्छा माना जाता है।
  4. मदों की संख्या-यदि मदों की संख्या कम होती है तो समान्तर औसत अच्छे परिणाम प्रदान करती हैमदों की संख्या अधिक होने की स्थिति में मध्यक अथवा बहुलक अच्छी औसत होती है।
  5. गुणात्मक अध्ययन-इस उद्देश्य के लिए मध्यका अच्छी औसत मानी जाती है। इस प्रकार बहुत-से तत्त्व इस बात का निर्णय लेने में सहायक होते हैं कि कौन-सी औसत उचित परिणाम प्रदान करेगी।

प्रश्न 4.
रेखाचित्रों द्वारा औसत, मध्यका तथा बहुलक के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-

  1. एक समान ढाल-जब आवृत्ति वितरण इस प्रकार की होती है कि टल्ली जैसे आकार की रेखाचित्र बनती है, तो इस स्थिति में औसत = मध्यका = बहुलक होते हैं।
  2. धनात्मक ढाल-यदि विषमता धनात्मक ढाल जैसी होती है अर्थात् बाईं ओर झुकी होती है तो इस स्थिति में औसत, मध्यका से अधिक तथा मध्यका बहुलक से अधिक होती है।
  3. ऋणात्मक ढलान-यदि विषमता ऋणात्मक ढलान वाली होती है अर्थात् दाईं ओर झुकी होती है तो औसत मध्यका से कम तथा मध्यका बहुलक से कम होती है।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक का अर्थ बताओ। (Explain the meaning of Mode.)
उत्तर-
किसी श्रेणी में वह मूल्य जो सबसे अधिक आता है, उसको श्रेणी का बहलक कहा जाता है अथवा जिस हैं। इन बच्चों के भार का तोल किया गया। 30 बच्चों का भार 40 किलोग्राम है। 40 किलोग्राम को बहुलक कहा जाता है। बहुलक अंग्रेजी भाषा के अक्षर Z द्वारा प्रकट किया जाता है। बहुलक की धारण फैशन की धारणा जैसी होती है; जैसे कि कक्षा में 50 बच्चों में से 25 बच्चों ने केसरी पगें पहनी हुई हैं तो बहुलक 25 होगा। बहुलक की तुलना प्रजातन्त्र से भी की जा सकती है जैसे कि चुनावों में जिस नुमाइंदे को सबसे अधिक बहुमत प्राप्त हुआ है उसको प्रतिनिधि चुन लिया जाता है। यह प्रतिनिधि बहुलक का प्रतीक होता है।

बहुलक को निम्नलिखित परिभाषित किया जा सकता है प्रो० कैनी के शब्दों में, “किसी चर का वह मूल्य जो एक श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है; उसे बहुलक कहते हैं।” प्रो० जीजेक के अनुसार, “बहुलक मदों की श्रेणी में सबसे अधिक आने वाला मूल्य है।” . इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है, उस मद को बहुलक कहते हैं।

व्यक्तिगत श्रेणी में बहुलक की गणना (Calculation of Mode in Individuals Series)
व्यक्तिगत श्रेणी में बहुलक की गणना दो विधियों द्वारा की जा सकती है –

  1. निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-निरीक्षण द्वारा बहुलक का माप करते समय यह देखना होता है कि कौन-सी मद दिए गए आंकड़ों में सबसे अधिक बार आ रही है, जो मद सबसे अधिक बार आए, उसे बहुलक कहा जाता है।
  2. व्यक्तिगत श्रेणी के खण्डित श्रेणी में परिवर्तन द्वारा (By Converting individual series into discrete Series)- यदि व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी के रूप में बदल लिया जाए तो जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है उस मद को बहुलक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों का विवरण दिया है। बहुलक ज्ञात करो।
अंक : 40 35 42 48 40 32 12 40 35 38
हल (Solution):
1. निरीक्षण द्वारा-ऊपर दी श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार लिखा जाता है 12, 32, 35, 35, 38, 40, 40, 40, 42, 48. निरीक्षण द्वारा यह स्पष्ट होता है कि 40 अंक सबसे अधिक विद्यार्थियों ने प्राप्त किए हैं। बाकी की मदों से यह मद सबसे अधिक बार आ रही है।
∴ Z = 40 310 Ans.
अथवा व्यक्तिगत श्रेणी का हल दूसरी विधि द्वारा भी किया जा सकता है।

2. व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में परिवर्तन द्वारा व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में परिवर्तित करोअंक : 12 32 35 38 : 40 42 48 . आवृत्ति : 1 1 2 1 3 1 1 सबसे अधिक आवृत्ति 3 है, जिसका मूल्य 40 है।
∴ Z = 40 अंक Ans. इससे ज्ञात होता है कि 40 अंक सबसे अधिक विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए हैं इसलिए बहुलक 40 है।

खण्डित श्रेणी में बहुलक की गणना – (Calculation of Mode in Discrete Series)

खण्डित श्रेणी में बहलक की गणना दो ढंगों से की जा सकती है-

  1. निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-जब श्रेणी में एक समानता होती है तो खण्डित श्रेणी का बहुलक निरीक्षण द्वारा किया जाता है; जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है। उस मद को बहुलक कहा जाता है।
  2. समूहीकरण सारणी द्वारा (By Grouping Table)-जब श्रेणी में एकसमानता न पाई जाती हो अर्थात् मदों की आवृत्ति का झुकाव ऊपरी मदों में बहुत अधिक हो तथा निम्नलिखित मदों की ओर अधिक हो तो ऐसी स्थिति में निरीक्षण द्वारा कई बार बहुलक गलत नज़र आता है। बहुलक को सुनिश्चित करने के लिए समूहीकरण सारणी बनाई जाती है। इस समूहीकरण सारणी की विश्लेषण सारणी द्वारा ठीक बहुलक का पता लग जाता है।

प्रश्न 3.
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की आयु का विवरण इस प्रकार दिया है। बहुलक ज्ञात कीजिए।

आयु (वर्ष) : 12 13 14 15 16 17 18 19
विद्यार्थियों की संख्या : 5 8 10 25 14 9 7 4

हल (Solution)-
निरीक्षण द्वारा (By Inspection)

आयु (वर्ष) : 12 13 14 15 16 17 18 19
विद्यार्थियों की संख्या 5 8 10 25 14 9 7 4

अधिकतम आवृत्ति = 25
Z = 15 Years Ans.
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सबसे अधिक 25 विद्यार्थियों की आयु 15 वर्ष है। इसलिए बहुलक 15 वर्ष है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक ज्ञात कीजिए।

पाक्ट व्यय (₹) : 5 10 15 20 25 30 35 40
विद्यार्थियों की संख्या : 8 9 12 30 35 28 25 20 18

हल (Solution):
निरीक्षण से पता चलता है कि 35 आवृत्ति सबसे अधिक हैं। जो इस कक्षा के विद्यार्थियों में ₹ 25 की राशि बहुलक है जोकि विद्यार्थियों के पाक्ट व्यय को प्रकट करती है।

अखण्डित श्रेणी में बहुलक वर्ग की गणना (Calculation of Modal Class in Continuous Series)

अखण्डित श्रेणी में बहुलक की गणना दो ढंगों से की जा सकती है। निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-अखण्डित श्रेणी में निरीक्षण द्वारा गणना करते समय यह देखना चाहिए कि किस वर्गान्तराल की आवृत्ति सबसे अधिक है। उस वर्गान्तर को बहुलक वर्ग कहा जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 2 8 15 6 4

हल (Solution) :
बहुलक की गणना

अंक : विद्यार्थियों की संख्या आवृत्ति (f)
0-10 2
10-20 8
20-30 15
30-40 6
40-50 4

निरीक्षण से ज्ञात होता है कि वर्गान्तर 20-30 की आवृत्ति 15 सबसे अधिक है। इसलिए इसको बहुलक वर्ग कहा जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों से अपवर्जी श्रेणी (Exclusive Series) ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
आवृत्ति : 10 12 15 14 8 6

हल (Solution):
निरीक्षण से ज्ञात होता है कि 15 आवृत्ति सबसे अधिक है। इसलिए बहुलक वर्ग 20-30 है। उत्तर

समावेशी श्रेणी में बहुलक की गणना (Calculation of Mode in Inclusive Series)
समावेशी श्रेणी में आंकड़े दिए हों तो उनको अपवर्जी श्रेणी में बदलना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सारणी का बहुलक ज्ञात करो

अंक : 10-19 20-29 30-39 40-49 50-59
आवृत्ति : 2 11 15 25 16 4

हल (Solution):
निरीक्षण विधि से ज्ञात होता है कि बहुलक वर्ग 39.5-49.5, है क्योंकि इस वर्ग की आवृत्ति 25 सबसे अधिक है। उत्तर

असमान वर्गान्तर श्रेणी में बहुलक वर्ग की धारणा (Calculating Modal Class in Unequal Class Intervals)

यदि असमान वर्गान्तर में आंकड़े दिए गए हों तो इनको समान वर्गान्तर में बदल लेना चाहिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक वर्ग ज्ञात करो

अंक : 0-5 5 -10 10-20 20-25 25-45 45-50
आवृत्ति : 40 35 90 60 42 2

हल (Solution):
निरीक्षण विधि से ज्ञात होता है कि 90 आवृत्ति सबसे अधिक है इसलिए 10-20 बहुलक वर्ग है। उत्तर

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मध्य बिन्दुओं वाली श्रेणी में बहुलक की धारणा (Calculation of Modal class in case of Mid Values)
मध्य बिन्दुओं वाली श्रेणी के वर्गान्तर बनाए जाते हैं। इसके पश्चात् बहुलक की गणना की जाती है।

प्रश्न 9.
निम्न सारणी में बहुलक की गणना कीजिए।

मध्य बिन्दु 5 15 25 35 45 55 65
आवृत्ति 8 12 20 28 18 10 4

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 1
निरीक्षण विधि द्वारा बहुलक वर्ग 30-40 है, क्योंकि इस वर्ग की आवृत्ति 28 सबसे अधिक है। उत्तर

संचयी आवृत्ति वितरण में बहुलक की गणना (Calculation of Modal Class in case of Cummulative Frequency)

संचयी आवृत्ति दो प्रकार की होती है। ‘से कम’ संचयी आवृत्ति तथा ‘से अधिक’ संचयी आवृत्ति। इस स्थिति में संचयी आवृत्ति को प्रथम साधारण आवृत्ति में बदल लिया जाता है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक की गणना करो।

आय (₹ ) से कम : 10 20 30 40 50 60
परिवारों की संख्या : 8 20 35 65 75 80

उत्तर:

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 2img
बहुलक वर्गान्तर = 30 – 40 है उत्तर
नोट-यदि आवृत्ति वितरण ‘से अधिक’ के रूप में दिया हो तो साधारण आवृत्ति का माप पता करो तथा बहुलक की गणना करो।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक पता करो।

मजदूरी (₹) से अधिक : 0 20 40 60 80 100
मज़दूरों की संख्या 80 72 60 45 15 5

हल (Solution) : संचयी आवृत्ति को साधारण आवृत्ति में बदलो तथा बहुलक की गणना करो।
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निरीक्षण विधि से पता चलता है कि बहुलक वर्ग 60-80 है। उत्तर ।

बहुलक का रेखाचित्र द्वारा निर्धारण (Determination of Mode Graphically) बहुलक की गणना ग्राफ द्वारा भी जा सकती है।

  1. सब से पहले आवृत्ति आयत (Histogram) बनाएं।
  2. सब से अधिक आवृत्ति वाले वर्ग में बहुलक है।
  3. अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग से पहले वर्ग के दाएं कोने को अधिकतम वर्ग के दाएं कोने से मिलाए तथा बाएं कोने को उससे अधिक वर्ग के बाएं कोने से मिलाएं।
  4. यहाँ यह रेखाएं एक-दूसरे को काटे, वहां से Ox की तरफ लंब खींचो।
  5. यह लंब जहां पर OY को काटता है वह बहुलक का मूल्य होगा।

समान्तर औसत तथा मध्यका द्वारा बहुलक की गणना (Calculation of Mode with Mean and Median)

कई बार बहुलक की गणना करते समय बहुलक वर्ग एक से अधिक आ जाते हैं। उस समय बहुलक का माप निचले सूत्र द्वारा किया जा सकता है।
Z = 3 Median – 2 mean

प्रश्न 12.
ग्राफ द्वारा बहुलक ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
आवृत्ति : 10 18 30 40 28 15

हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 4

समान्तर औसत तथा मध्यका (Calculation of Mode with Mean and Median)

प्रश्न 13.
किसी वितरण की समान्तर औसत 25 है तथा मध्यका 27 है। बहुलक की गणना करो। हल (Solution):
Z = 3 Median – 2 Mean
Z = 3 (27) -2 (25)
Z = 81-50 = 31 उत्तर
यदि समान्तर औसत तथा मध्यका का पता हो तो बहुलक का माप किया जा सकता है। इस प्रश्न में बहुलक 35 है।

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प्रश्न 14.
किस श्रेणी वितरण की बहुलक 40 है तथा मध्यका 30 दी हुई है। गणितक औसत (\(\overline{\mathbf{X}}\) ) ज्ञात कीजिए।
हल (Solution):
Z = 3 M – 2\( \overline{\mathbf{X}}\)
40 = 3 (30) – 2 (\( \overline{\mathbf{X}}\))
2 \( \overline{\mathbf{X}}\) = 90 – 40 = 50
\( \overline{\mathbf{X}}\) = 25 उत्तर

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

PSEB 11th Class Economics केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यका किसी श्रेणी की वह मूल्य है जो श्रेणी को दो भागों में इस प्रकार बांटता है कि उसके एक तरफ सभी बड़े और दूसरी तरफ कम मूल्य होते हैं।

प्रश्न 2.
मध्यका का कोई एक गुण लिखो।
उत्तर-
यह एक सरल औसत है जिसे समझना तथा माप करना आसान होता है।

प्रश्न 3.
अखण्डित श्रेणी में मध्यका का माप सूत्र लिखो।
उत्तर-
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{2}-c f p}{f} \times i\)

प्रश्न 4.
विभाजन मूल्यों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी श्रेणी को दो अथवा दो से अधिक भागों में बांटने को विभाजन मूल्य कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
विभाजन मूल्य ……. को कहा जाता है।
(a) मध्यका
(b) चतुर्थक
(c) दशमक
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
मध्यका को स्थिति की औसत कहा जाता है ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 7.
संचयी आवृत्ति वक्र (Ogive) द्वारा मध्यका का माप नहीं किया जा सकता।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के दूसरे माप को मध्यका कहा जाता है। इस स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। जब श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार में कर लिया जाए तो वह मूल्य जोकि श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करता है, उस मूल्य को मध्यका कहा जाता है, अर्थात् मध्यका किसी श्रेणी की वह संख्या होती है, जो उस श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करती है। उसकी एक ओर सभी मदें उससे छोटी होती हैं तथा दूसरी ओर सभी मदें उससे बड़ी होती हैं। उदाहरणस्वरूप ग्यारहवीं कक्षा के पाँच विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंक 60, 65.

प्रश्न 2.
मध्यका के कोई तीन गुण बताएँ।
उत्तर-
मध्यका के गुण-मध्यका के गुण इस प्रकार हैं-

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इसका माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जा सकता है।
  3. मध्यका पर सीमान्त मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
मध्यका के कोई तीन दोष बताएँ।
उत्तर-
मध्यका के दोष-मध्यका के दोष इस प्रकार हैं –

  1. जब मदों के मूल्य में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी संख्याओं के हल में सहायक होता है।
  3. मध्यका की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका के गुण बताओ।
उत्तर-
मध्यका के गुण इस प्रकार हैं –

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इस का माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जाता है।
  3. मध्यका ऊपर सीमान्त मूल्य का प्रभाव नहीं पड़ता। इसके लिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।
  4. मध्यका श्रेणी के मूल्य में ही होती है। इसलिए इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।
  5. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।
  6. अपूर्ण आंकड़ों की स्थिति में भी मध्यका का माप किया जा सकता है। यदि बीच वाले मूल्यों की जानकारी हो तो मध्यका की गणना की जा सकती है।
  7. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
मध्यका के दोष लिखो।
उत्तर-
मध्यका के दोष निम्नलिखित अनुसार हैं –

  1. जब मदों के मूल्यों में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करती।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी समस्याओं के हल में कम सहायक होता है।
  3. मध्य की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  4. जब मध्यका दो मूल्यों में स्थित होती है तो ऐसी स्थिति में सम्भावित मूल्य का पता किया जा सकता है। असल मध्यका का पता नहीं लगता।
  5. श्रेणी में थोड़ा-सा परिवर्तन होने से मध्यका के मूल्य में काफ़ी परिवर्तन हो जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ? मध्यका के गुण तथा दोष बताओ।
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के दूसरे माप को मध्यका कहा जाता है। इस स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। जब श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार में कर लिया जाए तो वह मूल्य जोकि श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करता है, उस मूल्य को मध्यका कहा जाता है, अर्थात् मध्यका किसी श्रेणी की वह संख्या होती है, जो उस श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करती है। उसकी एक ओर सभी मदें उससे छोटी होती हैं तथा दूसरी ओर सभी मदें उससे बड़ी होती हैं।

उदाहरणस्वरूप ग्यारहवीं कक्षा के पाँच विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंक 60, 65, 70, 75, 80 हैं तो मध्यका 70 अंक है। 70 अंकों से 60 तथा 65 अंक हैं, जबकि 75 तथा 80 अधिक हैं। इसलिए मध्यका बीच की स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। इसको रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 1
घटते क्रमानुसार मदें (Descending Order)
इस प्रकार मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार लिखने के पश्चात् जो मदें 70 बीच (middle) स्थित होती हैं, उस मद को मध्यका कहा जाता है।

परिभाषा (Definition)
प्रो० एल० आर० कोनर के शब्दों में, “मध्यका श्रेणी का वह मूल्य होता है जो श्रेणी को दो समान भागों में इस प्रकार विभाजित करता है कि एक भाग में सभी मूल्य मध्यका से अधिक तथा दूसरे भाग में सभी मूल्य मध्यका से कम होते हैं।”
मध्यका के गुण-मध्यका के गुण इस प्रकार हैं –

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इसका माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जा सकता है।
  3. मध्यका पर सीमान्त मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।
  4. मध्यका श्रेणी के मूल्य में ही होती है। इसीलिए इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।
  5. मध्यका निश्चित होती है, इसलिए मध्यका का पता किया जा सकता है।
  6. अपूर्ण आंकड़ों की स्थिति में भी मध्यका का माप किया जा सकता है। यदि बीच के मूल्यों की जानकारी हो तो मध्यका की गणना की जा सकती है।
  7. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।

मध्यका के दोष-मध्यका के दोष इस प्रकार हैं –

  1. जब मदों के मूल्य में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी संख्याओं के हल में कम सहायक होता है।
  3. मध्यका की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  4. जब मध्यका दो मूल्यों में स्थित होती है तो ऐसी स्थिति में सम्भावित मूल्य का ही पता किया जा सकता है। वास्तविक मध्यका का पता नहीं लगता।
  5. श्रेणी में थोड़े से परिवर्तन होने से मध्यका के मूल्य में काफ़ी परिवर्तन हो जाता है।
  6. यदि मध्यका का पता हो तो श्रेणी की कुल मदों का पता नहीं कर सकते।

व्यक्तिगत श्रेणी में मध्यका का माप (Calculation of Median in Individual Series)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित श्रेणी में विद्यार्थियों के अंकों का विवरण दिया गया है। मध्यका का पता करो।
अंक 25, 20, 27, 30, 16, 40, 35, 12, 10
हल :
इन मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार लिखना चाहिए –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 2
बढ़ते क्रमानुसार
m= Size of the \(\left(\frac{n+1}{2}\right)\) an item
m =\(\left(\frac{9+1}{2}\right)\)th = \(\frac{10}{2}\) = 5th item
size of the 5th item
M = 25 Marks Ans.

घटते क्रमानुसार
m = Size of the \(\left(\frac{n+1}{2}\right)\) th item
m = \(\left(\frac{9+1}{2}\right)\) th or 5th item
i.e. size of the 5th item
M = 25 Marks Ans.
समंकों को बढ़ते अथवा घटते क्रमानुसार करके मध्यका का माप किया जाता है तो 5वें विद्यार्थी के अंक 25 हैं जो कि केन्द्र में स्थित है। इसलिए 25 अंकों को मध्यका कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों की मध्यका ज्ञात करो।

आय (₹) प्रति माह : 5000 5500 6000 6500 7000 7500
परिवारों की संख्या : 4 6 10 15 19 5

हल : आंकड़े बढ़ते क्रमानुसार दिए गए हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 3
m = Size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{2}\right)\) th item
m = Size of the \(\left(\frac{59+1}{2}\right) \)th item
m = Size of the \(\left(\frac{60}{2}\right)\) th item
m = Size of the = 30th item
M = ₹ 6500 Ans.
इसमें 59 परिवारों की आय का विवरण दिया है। 30वें परिवार की आय 6500 मध्यका को प्रकट करती है जोकि केन्द्र में स्थित है। ऊपर मध्यका का आकार 30th है अर्थात् 30वें परिवार की आय मध्यका आय है। संचयी आवृत्ति को देखने से ज्ञात होता है कि 20वें परिवार से आगे आएगा जोकि 35वीं संचयी आवृत्ति में शामिल है। इसलिए 35वीं संचयी आवृत्ति में 30वां परिवार होने के कारण इस आकार को (m) द्वारा लिखा जाता है। इस आकार (m) के सामने 6500 रु० प्रति माह आय दिखाई गई है। इसलिए मध्यका (Median) ₹ 6500 होगा।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों की मध्यका का पता करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
विद्यार्थियों की संख्या : 8 12 20 35 15 6

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 4
m = Size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th item.
m = Size of the \(\left(\frac{96}{2}\right)\) th or 48th item
मध्यक आकार से पता चलता है कि 48वां विद्यार्थी संचयी आवृत्ति 75 में शामिल है। इसको m कहा जाता है। इसके बिल्कुल सामने वर्गान्तर 30-40 है। इसको मध्यक वर्ग कहते हैं। मध्यक 30-40 के बीच है। इसका माप निम्न सूत्र द्वारा किया जा सकता है।
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{2}-c f p}{f} \times i\)
यहां L1 = मध्यक वर्गान्तर की निचली सीमा = 30
\(\frac{\mathrm{N}}{2}\) = मध्यक मदों का आकार (m) = 48
c.f.p = मध्यक वर्ग 30-40 से प्रथम वर्ग 20-30 की संचयी आवृत्ति = 40
f = मध्यक वर्गान्तर (40–30) = 10
इन रकमों को सूत्र में भरने से
M = \(30+\frac{\frac{96}{2}-40}{35} \times 10\)
अथवा
M = \(30+\frac{48-40}{35} \times 10\)
M = 30 + \(\frac{8}{35} \times 10\)
M = 30 + 2.285
Median = 32.285 अंक Ans. कक्षा में 48वें विद्यार्थी के अंक 32.285 हैं, इसको मध्यका कहा जाएगा।

समावेशी श्रेणी में मध्यका का माप (Calculation of Median in Inclusive Series)

जब श्रेणी समावेशी के रूप में दी गई हो तो इसको अपवर्जी श्रेणी के रूप में बदलना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों के मध्यक को ज्ञात करो।

मज़दूरी (₹) : 0-9 10-19 20-29 30-39 40-49 50-59
मज़दूरों की संख्या : 8 10 12 15 8 7

हल (Solution) :
वर्गान्तर समावेशी श्रेणी में दिए गए हैं। इनको अपवर्जी श्रेणी में बदलना पड़ता है। प्रथमवर्ग की ऊपरी सीमा तथा द्वितीय वर्ग की निचली सीमा का अन्तर एक है तो इसका आधा = = 0.5 होगा। प्रत्येक वर्ग की निचली सीमा में से 0.5 घटा देना चाहिए तथा प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा में 0.5 जोड़ देना चाहिए। इसी तरह समावेशी श्रेणी अपवर्जी श्रेणी में बदल जाती है। फिर प्रश्न का हल करना चाहिए।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 5
m = size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th item = \(\frac{70}{2}\) = 35th item
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{n}{2}-c f p}{f} \times i\)
M = 29.5 + \(\frac{35-30}{25}\) x 10 = 29.5 + 2 = ₹ 31.5 Ans.
70 मजदूरों में से 35वें मज़दूर की मज़दूरी ₹ 31.5 है, इसको मध्यका कहा जाता है।

संचयी आवृत्ति में मध्यका का माप (Calculation of Median in Cummulative Frequency)
यदि प्रश्न में संचयी आवृत्ति दी हो तो साधारण आवृत्ति निकालकर प्रश्न का हल करना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका की मध्यका ज्ञात करो।

अंक (से कम): 10 20 30 40 50 60 70 80
आवृत्ति : 15 35 60 84 96 127 198 250

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 6
m = Size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th = \(\frac{250}{2}\) = 125th item
मध्यक वर्ग = 50-60
L1 = 50, \(\frac{n}{2}\) = 125, c.f.p .= 96, i = (60–50) = 10, f = 31
M = \(\frac{\mathrm{Z}_{1}+\frac{\mathrm{M}}{2}-c . f \cdot p .}{f} \times i\)
M = 50 + \(\frac{125-96}{31} \times 10\)
= 50 + \(\frac{290}{31}\)
= 50 + 9.35
Median = 59.35 अंक Ans.
250 विद्यार्थियों में से केन्द्र में स्थित 125वें विद्यार्थी ने 59.35 अंक प्राप्त किए हैं। इसको मध्यका कहा जाता है, क्योंकि आधे विद्यार्थियों के अंक इस विद्यार्थी के समान अथवा कम हैं तथा आधे विद्यार्थियों के अंक इसके समान अथवा अधिक हैं।

बिन्दु रेखीय विधि द्वारा मध्यका का निर्धारण (Graphic Determination of Median)
बिन्दु रेखीय विधि द्वारा ओजाइव (Ogive) वक्र बनाकर मध्यका का माप किया जा सकता है। इसकी दो विधियां होती हैं
(i) से कम विधि (Less than Method)
(ii) से अधिक विधि (More than Method)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों द्वारा
(i) से कम विधि,
(ii) से अधिक विधि,
(ii) संयुक्त रूप में मध्यका की गणना करो।

अंक: 0-10 10-20 20 – 30 30 – 40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 4 6 10 15 5

हल (Solution) –
(i) से कम विधि (Less Than Method)
इस श्रृंखला को पहले से कम आवृत्ति में बदल लें और आवृत्ति वक्र बना लें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 7
Median = \(\frac{N}{2}=\frac{40}{2}\) = 20th Student
(Ans. Median = 30 अंक)

(ii) से अधिक विधि (More than Method)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 9
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 10
Median = \(\frac{N}{2}=\frac{40}{2}\) = 20th Student
20वें विद्यार्थी से एक लम्ब संचयी आवृत्ति रेखा की तरफ खींचते हैं। जहाँ पर यह लंब संचयी आवृत्ति रेखा को काटता है। वहाँ से Ox की तरफ लम्ब खींचते हैं। इस चित्र में 30 अंक माध्यक हैं। (Ans. Median = 30 अंक)

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

(iii) से कम तथा से अधिक विधि (Less than and More then Ogive) ऊपर हमने से कम विधि (Less than Method) द्वारा तथा से अधिक विधि द्वारा संचयी आवृत्ति का माप किया . है जो कि इस प्रकार है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 11
यहाँ पर से कम तथा से अधिक ओजाइव अंक एक दूसरे को 20 असंचयी आवृत्ति पर काट रहे हैं। इसलिये Median = 30 अंक उत्तर।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

PSEB 11th Class Economics केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
केन्द्रीय प्रवृत्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आंकड़ों के विस्तार के अन्तर्गत एक ऐसे मूल्य को केन्द्रीय प्रवृत्ति कहते हैं जो शृंखला के सभी मूल्यों की प्रतिनिधता करता है।

प्रश्न 2.
समान्तर माध्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समान्तर माध्य किसी श्रृंखला की सभी मदों की औसत होती है।

प्रश्न 3.
समान्तर माध्य का कोई एक लाभ लिखें।
उत्तर-
समान्तर माध्य उपयोग तथा गणना की दृष्टि से / रूप से सरल औसत है।

प्रश्न 4.
समान्तर माध्य को स्थिति की औसत कहा जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 5.
समान्तर माध्य को गणित्क औसत कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 6.
किसी श्रृंखला के सभी मदों के योग को उनकी संख्या से विभाजन करने से ………………. प्राप्त होता है।
(a) समान्तर माध्य
(b) माध्यका
(c) बहुलक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) समान्तर माध्य।

प्रश्न 7.
समान्तर माध्य का सूत्र लिखो।
उत्तर-
\(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\)

प्रश्न 8.
समान्तर मध्य दो प्रकार की होती है :
(i) सरल समान्तर माध्य
(ii) ……………….
उत्तर-
भारित समान्तर माध्य।

प्रश्न 9.
खण्डित श्रृंखला में समान्तर माध्य के माप का सूत्र लिखो। ..
उत्तर-
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f \mathrm{X}}{\mathrm{N}}\)

प्रश्न 10.
समान्तर माध्य का कोई एक अवगुण लिखो।
उत्तर-
समान्तर माध्य सीमान्त मूल्यों द्वारा प्रभावित होती है।

प्रश्न 11.
पद विचलन विधि द्वारा समान्तर माध्य के माप का सूत्र ..
(a) \(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\)
(b) \(\overline{\mathbf{X}}=\mathrm{A}+\frac{\boldsymbol{\Sigma} f d x}{\mathbf{N}}\)
(c) \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)
(d) \(\overline{\mathbf{X}}=\frac{\Sigma f x}{\mathrm{~N}}\)
उत्तर-
(c) \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)

प्रश्न 12.
अशुद्ध समान्तर औसत को सही समान्तर माध्य की गणना का सूत्र लिखो।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 1

प्रश्न 13.
मदों में समान्तर से लिए गए विचलनों का योग शून्य होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 14.
यदि मदों में कोई स्थिर संख्या को जोड़, घटा, गुणा अथवा विभाजित किया जाए तो समान्तर में अन्तर आ जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक अच्छी केन्द्रीय प्रवृत्ति के कोई दो गुण बताएं।
उत्तर-
1. स्पष्ट परिभाषा (Clear Definition)-एक अच्छी केन्द्रीय प्रवृत्ति अथवा औसत की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए जिससे इसको समझना आसान हो जाता है। इससे अनुसन्धान का कार्य सरलता से किया जा सकता है। इसलिए यह अनिवार्य है कि औसतों की परिभाषा स्पष्ट तथा स्थिर हो।
2. समझने में आसानी (Easy to Understand)-अच्छी औसत का गुण बताते हुए प्रो० घूली तथा कैंडल का विचार है कि इसको आसानी से समझा जा सके। यदि औसत को सरल ढंग से स्पष्ट करने की जगह पर जटिल धारणाओं का रूप दिया जाता है तो साधारण लोग इन औसतों का प्रयोग अच्छी तरह नहीं कर सकते।

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प्रश्न 2.
समान्तर औसत (Mean) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप में अच्छी औसत को समान्तर औसत कहा जाता है। गणित औसतों में यह सबसे अधिक प्रसिद्ध या लोकप्रिय है। समान्तर औसत की जगह पर मध्यमान (Mean) का प्रयोग किया जाता है। जब हम दी गई सभी मदों का जोड़ करके इस जोड़ को मदों की संख्या से विभाजित कर देते हैं तो इससे हमारे पास समान्तर औसत प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 3.
समान्तर औसत के कोई दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. सरल-समान्तर औसत एक सरल औसत है, जिसकी स्पष्ट परिभाषा दी जा सकती है। आंकड़ा शास्त्री इस धारणा का सबसे अधिक प्रयोग करते हैं।
  2. आसान माप-समान्तर औसत का माप आसानी से किया जा सकता है। इससे एक समान परिणाम प्राप्त होते

प्रश्न 4.
समान्तर औसत के कोई दो दोष बताएँ।
उत्तर-

  1. गुणात्मक माप के लिए उचित नहीं-समान्तर औसत केवल उस स्थिति में ही माप सकते हैं, जब आंकड़े संख्याओं के रूप में दिए हों, यदि गुणात्मक माप जैसे कि बहादुरी, समझदारी इत्यादि के रूप में करना हो तो गणित औसत उचित नहीं होती।
  2. हद की मदों के लिए उचित नहीं-समान्तर औसत का मुख्य दोष यह होता है कि जब मदों के मूल्य में एक मद बहुत बड़ी अथवा बहुत छोटी होती है तो इस स्थिति में औसत सभी मदों का प्रतिनिधित्व नहीं करता। उदाहरणस्वरूप पांच विद्यार्थियों के अंक \(\frac{1+2+3+4+90}{5}=\frac{100}{5}\) = 20 तथा 90 हैं तो औसत अंक है, परन्तु यह विद्यार्थियों के अंकों की उचित प्रतिनिधित्व नहीं करती।

प्रश्न 5.
समान्तर औसत का माप कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष विधि-आंकड़ा शास्त्र में समान्तर औसत को \(\bar{X}\) (एक्स बार) द्वारा लिखा जाता है। जिन मदों की औसत का माप करना होता है, उसको X1 X2…. XN प्रथम पद (X1) द्वितीय पद (X2) कुल पद (XN) कहते हैं। प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर औसत के माप के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
फार्मूला \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\mathrm{X}_{1}+\mathrm{X}_{2}+\mathrm{X}_{3}+\mathrm{X}_{4} \cdots \ldots \ldots \mathrm{X}_{\mathrm{N}}}{\mathrm{N}}=\frac{\Sigma \mathrm{X}}{\mathrm{N}} \)

अल्प विधि (Short Cut Method)-
\(\overline{\mathbf{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)
पद विचलन विधि (Step Deviation Method)
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\boldsymbol{\Sigma} f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)

प्रश्न 6.
खण्डित श्रेणी द्वारा समान्तर औसत की माप विधि बताएं।
उत्तर-
प्रत्यक्ष विधि \(\bar{X}=\frac{\Sigma f X}{N}\)
अल्पविधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)
पद विचलन विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
समान्तर औसत के माप की विधियों का सार लिखो।
उत्तर-
1. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)

  • प्रत्यक्षं विधि
    \(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\)
  • लघु विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma d x}{\mathrm{~N}}\)

खण्डित श्रेणी (Discrete Series)

  • प्रत्यक्ष विधि \(\bar{X}=\frac{\Sigma f X}{N}\)
  • लघु विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)
  • पद विचलन विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{1}}{\mathrm{~N}} \times \mathrm{C} \)

3. अखण्डित श्रेणी (Continuous Series)

  • प्रत्यक्ष विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\sum f \mathrm{X}}{\mathrm{N}}\)
  • लघु विधि \(\overline{\mathbf{X}}=\mathrm{A}+\frac{\sum f d x}{\mathrm{~N}}\)
  • पद विचलन विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{X}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathbf{N}} \times \mathrm{C}\)

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक अच्छी केन्द्रीय प्रवृत्ति औसत के गुणों का वर्णन करें। (Discuss the merits of good Central Tendency.)

  1. स्पष्ट परिभाषा (Clear Definition)-एक अच्छी केन्द्रीय प्रवृत्ति अथवा औसत की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए जिससे इसको समझना आसान हो जाता है। इससे अनुसन्धान का कार्य सरलता से किया जा सकता है। इसलिए यह अनिवार्य है कि औसतों की परिभाषा स्पष्ट तथा स्थिर हो।
  2. समझने में आसानी (Easy to Understand)-अच्छी औसत का गुण बताते हुए प्रो० घूली तथा कैंडल का विचार है कि इसको आसानी से समझा जा सके। यदि औसत को सरल ढंग से स्पष्ट करने की जगह पर जटिल धारणाओं का रूप दिया जाता है तो साधारण लोग इन औसतों का प्रयोग अच्छी तरह नहीं कर सकते।
  3. माप में आसानी (Easy to Compute)-एक अच्छी केन्द्रीय प्रवृत्ति का निर्माण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जहां तक सम्भव हो औसतों को मापने तथा हल करने का ढंग आसान तथा सरल हो। यदि जटिल विधियों द्वारा माप किया जाता है तो इससे औसतों में शुद्धता प्राप्त करनी कठिन हो जाती है। परिणामस्वरूप उचित परिणाम प्राप्त नहीं होते।

4. सभी मदों पर आधारित (Based on All Items) – औसतों का माप करते समय सभी मदों को ही ध्यान में रखना चाहिए। यदि हम किसी मद को छोड़ देते हैं तो प्राप्त परिणाम में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। उदाहरणस्वरूप पांच मनुष्यों की रोज़ाना आय ₹ 100, 200, 300, 400, 500 दी है तो औसत आय = \( \frac{100+200+300+400+500}{5}\) = \(\frac{1500}{5} \) = ₹ 300 प्राप्त होती है जोकि सभी मदों पर आधारित है। परन्तु यदि प्रति दिन की आय= \(\frac{100+200+300+400+4000}{5}=\frac{5000}{5}\) = ₹ 1000 औसत आएगी जोकि सभी मदों पर आधारित नहीं है।

5. हद की मदों से कम प्रभावित (Less Effected By Extreme Items) केन्द्रीय प्रवृत्तियों का एक गुण यह होना चाहिए बहुत बड़ी अथवा बहुत छोटी मदों का प्रभाव औसतों पर पड़ना चाहिए। इसलिए यह औसत आंकड़ों की प्रतिनिधिता उस समय करती है जब सभी आंकड़े लगभग समान होते हैं।

6. बीज गणित समीक्षा में आसानी (Easy Algebric Treatment) औसत ऐसी होनी चाहिए जिसकी बीज गणित समीक्षा हो सके। जब हम बीज गणित के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं तो इससे अन्य विधियों में इन केन्द्रीय प्रवृत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 2.
समान्तर औसत से क्या अभिप्राय है ? समान्तर औसत के गुण तथा दोष बताओ। (What is Arithmetic Average ? Explain its Merits and Demerits.)
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृति के माप में अच्छी औसत को समान्तर औसत कहा जाता है। गणित औसतों में यह सबसे अधिक प्रसिद्ध या लोकप्रिय है। समान्तर औसत की जगह पर मध्यमान (Mean) का प्रयोग किया जाता है। जब हम दी गई सभी मदों का जोड़ करके इस जोड़ को मदों की संख्या से विभाजित कर देते हैं तो इससे हमारे पास समान्तर औसत प्राप्त हो जाती है।

उदाहरणस्वरूप तीन बच्चों की आयु 9 वर्ष, 10 वर्ष तथा 11 वर्ष दी है। हम इन बच्चों की औसत आयु निकालना चाहते हैं तो इस उद्देश्य के लिए तीन बच्चों की आयु का जोड़ करके उन बच्चों की संख्या ऊपर विभाजित किया जाता है तो इसको समान्तर औसत कहा जाता है। अर्थात् बच्चों की आयु का जोड़ 9 + 10 + 11 = 30 वर्ष
बच्चों की संख्या = 3
औसत आयु = PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 2 = 10 वर्ष इसकी परिभाषा देते हुए प्रो० होरेश सीकरिस्ट ने कहा, “किसी श्रेणी के मदों के मूल्यों का योग करके उन मदों की संख्या से भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होती है, उसको समान्तर औसत कहा जाता है।” (“The Arithmetic Mean is the amount secured by dividing the sum of values of the items in a series by their numbers.”-Harace Secrist)

समान्तर औसत के गुण-समान्तर औसत एक अच्छी औसत मानी जाती है। इसके मुख्य गुण इस प्रकार हैं-

  1. सरल-समान्तर औसत एक सरल औसत है, जिसकी स्पष्ट परिभाषा दी जा सकती है। आंकड़ा शास्त्री इस धारणा का सबसे अधिक प्रयोग करते हैं।
  2. आसान माप-समान्तर औसत का माप आसानी से किया जा सकता है। इससे एक समान परिणाम प्राप्त होते हैं।
  3. सभी मदों पर आधारित-समान्तर औसत में श्रेणी की सभी मदों को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए यह औसत आंकड़ों पर अधिक प्रतिनिधित्व करती है।
  4. बीजगणित विवेचन-इस औसत का बीजगणित विवेचन किया जा सकता है। इसलिए आंकड़ा शास्त्र की दूसरी विधियों जैसे कि अपकिरण, सह-सम्बन्ध इत्यादि में इस औसत का अधिक प्रयोग किया जाता है।
  5. शुद्धता-समान्तर औसत निकालते समय प्रत्येक मद को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए प्राप्त परिणामों में अधिक शुद्धता पाई जाती है।
  6. तुलना में आसानी-समान्तर औसत के आधार पर समुच्चयों की तुलना आसानी से की जा सकती है। उदाहरण स्वरूप विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना से किसी देश के अमीर अथवा निर्धन होने का पता लगाया जा सकता है।
  7. स्थिर औसत-समान्तर औसत स्थिर औसत होती है, क्योंकि यदि नमूने में परिवर्तन किया जाए तो इससे औसत में अधिक परिवर्तन नहीं होता।

समान्तर औसत के दोष-समान्तर औसत के दोष इस प्रकार हैं-
1. गुणात्मक माप के लिए उचित नहीं-समान्तर औसत केवल उस स्थिति में ही माप सकते हैं, जब आंकड़े संख्याओं के रूप में दिए हों, यदि गुणात्मक माप जैसे कि बहादुरी, समझदारी इत्यादि के रूप में करना हो तो गणित औसत उचित नहीं होती।

2. हद की मदों के लिए उचित नहीं-समान्तर औसत का मुख्य दोष यह होता है कि जब मदों के मूल्य में एक मद बहुत बड़ी अथवा बहुत छोटी होती है तो इस स्थिति में औसत सभी मदों का प्रतिनिधित्व नहीं करता। उदाहरणस्वरूप पांच विद्यार्थियों के अंक 1, 2, 3, 4, तथा 90 हैं तो औसत अंक \(\frac{1+2+3+4+90}{5}=\frac{100}{5}\) = 20 यह विद्यार्थियों के अंकों की उचित प्रतिनिधित्व नहीं करती।

3. अनुचित परिणाम-समान्तर औसत द्वारा कई बार अनुचित परिणाम निकाले जाते हैं। उदाहरणस्वरूप देश A तथा देश B में लोगों की औसत आय ₹ 2000 है तो हम यह परिणाम निकालते हैं कि दोनों देशों में औसत आय समान है तथा लोगों की आर्थिक स्थिति एक समान है, परन्तु देश A में आय 10, 20, 30, 40 तथा 9000 है। इससे औसत आय \(\frac{100+200+300+400+9000}{5}=\frac{10000}{5}\) = ₹ 2000 है। देश B में 5 मनुष्यों की आय, दो-दो हज़ार रु० अंक है, परन्तु है तो औसत आय \(\frac{2000+2000+2000+2000+2000}{5}=\frac{10000}{5}\) = ₹ 2000 है परन्तु दोनों देशों में लोगों की आर्थिक स्थिति समान नहीं है। A देश में आय का वितरण असमान है, परन्तु औसत आय से इसका ज्ञान प्राप्त नहीं होता।

4. प्रतिनिधि औसत नहीं-कई बार औसत ऐसी संख्या हो सकती है जोकि मदों में नहीं पाई जाती जैसे कि \(\frac{1+2+3+10}{4}=\frac{16}{4}\)= 4 सट संख्याओं में नहीं पाई जाती। मद संख्याओं में नहीं पाई जाती।

5. ग्राफ द्वारा प्रदर्शन सम्भव नहीं-गणित औसत द्वारा ग्राफ विधि द्वारा औसत को प्रकट नहीं किया जा सकता। इस प्रकार यह औसत उचित नहीं है।

6.खले वर्गों में माप सम्भव नहीं-जब हमारे पास खुले वर्ग होते हैं, जैसे कि 10 से कम अथवा 100 से अधिक। ऐसी स्थिति में गणित समान्तर औसत का माप नहीं किया जा सकता क्योंकि इस स्थिति में मदों के उचित मूल्य को शामिल नहीं किया जाता। चाहे समान्तर औसत में कुछ दोष भी पाए जाते हैं परन्तु फिर भी इस औसत को दूसरी औसतों की तुलना में अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह औसत न केवल सिद्धान्तक तौर पर ही अलग प्रयोग की जाती है, बल्कि व्यावहारिक तौर पर भी अधिक लाभदायक है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

1. व्यक्तिगत श्रेणी
(Individual Series)

प्रश्न 3.
समान्तर औसत का माप कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर-
(A) प्रत्यक्ष विधि-आंकड़ा शास्त्र में समान्तर औसत को \(\bar{X}\) (एक्स बार) द्वारा लिखा जाता है। जिन मदों की औसत का माप करना होता है, उसको X1X2… XN प्रथम पद (X1) द्वितीय पद (X2) कुल पद (XN) कहते हैं। प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर औसत के माप के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
फार्मूला
\(\bar{X}=\frac{X_{1}+X_{2}+X_{3}+X_{4} \cdots \ldots \ldots X_{N}}{N}=\frac{\Sigma X}{N}\)
इस फार्मूले में
\(\overline{\mathrm{X}}\) = समान्तर औसत (Mean) . X1 X2……XN = यह मदों के मूल्य को प्रकट करते हैं। जैसे कि पहले विद्यार्थी के अंकों को X1 दूसरे विद्यार्थी के अंकों को X2 इत्यादि लिखा जाता है। ΣX = इसमें चिन्ह (Σ) को सिगमा (Sigma) कहते हैं। इसका अर्थ है मदों का कुल योग। X शब्द का प्रयोग मदों के मूल्य के लिए किया जाता है। मदों के मूल्य का कुल योग (ΣX) द्वारा प्रकट किया जाता है। N = मदों की कुल संख्या।

Short Cut Method :
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{d x}{\mathrm{~N}}\)

Step Deviation Method :
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma d x}{\mathrm{~N}} \times \mathrm{C}\)

प्रश्न 4.
ग्यारहवीं कक्षा के 10 विद्यार्थियों द्वारा अंग्रेज़ी के पेपर में से 100 अंकों में से प्राप्त अंक दिए हुए
अंक : 10 50 29 61 52 16 24 18 42 48
प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर मध्य का माप ज्ञात करो।
हल (Solution) :
प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर मध्य का माप…

विद्यार्थियों की संख्या (Number of Students) अंक (Marks)
2 10
2 50
3 29
4 61

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 3

\( \overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma \mathrm{X}}{\mathrm{N}}=\frac{350}{10}\) = 35 Marks उत्तर।
1 विद्यार्थी ने गणित के पेपर में 100 अंकों में से औसत 35 अंक प्राप्त किए हैं। इससे ज्ञात होता है कि ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थी अंग्रेज़ी में कमज़ोर हैं।

प्रश्न 5.
साबुन बनाने वाले कारखाने में आठ मजदूरों की रोज़ाना मज़दूरी का विवरण निम्नलिखित अनुसार दिया गया है
रोज़ाना मज़दूरी (₹) 100 110 140 150 180 200 210 270 समान्तर औसत का माप ज्ञात करो।
हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 4
\(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}=\frac{1360}{8}\) = ₹ 170 उत्तर।
साबुन बनाने के कारखाने में मजदूरों की रोज़ाना औसत मज़दूरी ₹ 170 प्रतिदिन प्राप्त होती है।

प्रश्न 6.
आठ मज़दूरों की प्रतिदिन मज़दूरी इस प्रकार दी है।
मज़दूरी : 100 110 140 150 180 200 210 270
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 5
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma d x}{\mathrm{~N}}\)
सरल विधि अनुसार
\( \bar{X}=150+\frac{160}{8}=₹ 170\)
\(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}=\frac{1360}{8}\)
\(\bar{X}\) = ₹ 170 उत्तर
मज़दूरों की प्रतिदिन औसत मज़दूरी = ₹ 170.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मजदूरों की मजदूरी के आंकड़े दिए गए हैं
मज़दूरी (₹) 100 110 140 150 180 200 210 270
कल्पित औसत 200 से लेकर समान्तर मध्य का माप करो।
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 6
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma d x}{\mathrm{~N}}\)
\(\bar{X}=200+\frac{-240}{8}\)
\(\bar{X}\)= 200 – 30 = ₹ 170 उत्तर।

प्रश्न 8.
पद विचलन विधि द्वारा निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से समान्तर औसत का माप करो –
मज़दूरी (₹) 100 110 140 150 180 200 210 270
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 7
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma d x^{\prime}}{\mathbf{N}} \times \mathrm{C}\)
\( \bar{X}=150+\frac{16}{8} \times 10\) = ₹ 170 उत्तर
इस प्रकार प्रत्येक विधि से एक ही उत्तर आता है।

2. खण्डित श्रेणी में समान्तर औसत का माप (Calculation of Mean in Discrete Series)

प्रश्न 9.
खण्डित श्रेणी में समान्तर मद के माप की विधि स्पष्ट करो।
उत्तर-
खण्डित श्रेणी में मदों के साथ उनकी आवृत्ति दी होती है। इस स्थिति में औसत का माप तीन विधियों द्वारा किया जा सकता है।

  1. प्रत्यक्ष विधि
  2. लघु विधि
  3. पद विचलन विधि

1. प्रत्यक्ष विधि-प्रत्यक्ष विधि में समान्तर औसत मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
\(\overline{\mathbf{X}}=\frac{\sum f x}{\mathbf{N}}\)
इस सूत्र में \(\bar{X}\) = समान्तर औसत
f = आवृत्ति
x = श्रेणी की मदें
N = मदों की संख्या
इसको Σf भी कहा जाता है।

2. लघु विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)

3. पद विचलन विधि \(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)

प्रश्न 10.
ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों की अर्थशास्त्र की परीक्षा हुई। पेपर 50 अंकों का था। प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर मध्य ज्ञात करो।

अंक : विद्यार्थियों की संख्या :
10 3
20 8
30 9
40 6
50 4

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 8
\(\overline{\mathrm{X}}=\frac{\Sigma f x}{f}=\frac{900}{30}\) = 30 अंक उत्तर।

अर्थशास्त्र के पेपर में ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के 50 अंकों में से औसत अंक 30 अंक हैं। इससे ज्ञात होता है कि विद्यार्थी अर्थशास्त्र में होशियार हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 11.
कम्प्यूटर पर काम करने वाले 30 मजदूरों की प्रति घण्टा मजदूरी का विवरण निम्नलिखित अनुसार दिया गया है। लघु विधि से समान्तर मध्य ज्ञात करो।

प्रति घण्टा मजदूरी (₹) मज़दूरों की संख्या
10 3
20 8
30 9
40 6
50 4

हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 9
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)
x = 30+ 3 = 2 30 उत्तर।
कम्प्यूटर पर काम करने वाले की औसत प्रति घण्टा मज़दरी ₹ 30 है।

प्रश्न 12.
50 मजदूरों की मजदूरी के आंकड़े निम्नलिखित अनुसार दिए गए हैं। औसत मजदूरी का माप पद विचलन विधि द्वारा ज्ञात करो।

मज़दूरी (₹) मज़दूरों की संख्या
20 6
30 8
40 10
50 12
60 9
70 5

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 10
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)
\(\bar{X}=50+\frac{-25}{50} \times 10\)
\(\bar{X}\) = 50 – 5 = ₹ 45 उत्तर।
इससे ज्ञात होता है कि मज़दूरों की औसत मज़दूरी ₹ 45 है।

3. अखण्डित श्रृंखला में समान्तर माध्य की गणना (Calculation of Arithmetic Mean in Continuous Series)

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर औसत ज्ञात करो।

अंक: विद्यार्थियों की संख्या:
0-10 5
10 – 20 10
20 – 30 12
30 – 40 15
40-50 18
50 – 60 10

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 11
\(\overline{\mathbf{X}}=\frac{\Sigma f x}{\mathrm{~N}}\)
\(\bar{X}=\frac{2360}{70} \) = 33.71 अंक उत्तर।
इससे ज्ञात होता है कि विद्यार्थियों के 33.71/60 औसत अंक हैं। इसलिए विद्यार्थियों का स्तर अच्छा है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 14.
50 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंकों का विवरण इस प्रकार दिया हुआ है। लघु विधि द्वारा समान्तर औसत का माप करो।

अंक : विद्यार्थियों की संख्या :
0 – 10 8
10 – 20 12
20 – 30 15
30 – 40 10
40 – 50 5

हल (Solution):
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 12
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x}{\mathrm{~N}}\)
\(\bar{X}=25+\frac{-80}{50}\)
\(\bar{X}\) = 25 – 1.6 = 23.4 अंक उत्तर
इससे ज्ञात होता है कि विद्यार्थियों का मध्यम स्तर है।

समावेशी श्रेणी में समान्तर मध्य का माप (Calculation of Arithmetic Mean in Inclusive Series)

नोट-खण्डित श्रेणी में यदि वर्गान्तर समावेशी है तो इसको अपवर्जी में परिवर्तन करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। उसी तरह मध्य मूल्य निकालकर हल किया जाता है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों की समान्तर औसत का माप करो।

भूमि (एकड़): किसानों की संख्या :
10 – 19 8
20 – 29 10
30 – 39 16
40 – 49 10
50 – 59 6

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 13
\(\overline{\mathbf{X}}=\mathrm{A}+\frac{\sum f d x^{l}}{\mathrm{~N}} \times \mathrm{C}\)
\(\bar{X}=34.5+\frac{-4}{50} \times 10\)
\(\bar{X}=34.5+\frac{-4}{5}=34.5-0.8=33.7\)
\(\bar{X}\) = 33.7 एकड़ उत्तर

मध्य मूल्य श्रेणी में समान्तर औसत का माप । (Calculation of Mean in Mid-Value Series)
मध्य मूल्यों वाली श्रेणी में समान्तर मध्य का माप वर्गान्तर श्रेणी में हम मध्य मूल्य (MV) निकाल कर प्रश्न का हल करते हैं। यदि मध्य मूल्य दिए होते हैं तो उसका हल इस प्रकार किया जाता है।

प्रश्न 16.
मजदूरों की मजदूरी का विवरण इस प्रकार है

मध्य मज़दूरी : मज़दूरों की संख्या :
5 10
10 12
15 15
20 18
25 10
30 5
35 2

समान्तर मध्य का माप करो।
हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य 14
\(\overline{\mathrm{X}}=\mathrm{A}+\frac{\Sigma f d x^{\prime}}{\mathrm{N}} \times \mathrm{C}\)
\(\bar{X}=20+\frac{(-) 43}{72} \times 5\)
\(\bar{X}=20-\frac{215}{72}\)
\(\bar{X}\) = 20.2.99
\(\bar{X}\) = ₹ 17.01 उत्तर
मज़दूरों की प्रति घण्टा मज़दूरी ₹ 17.01 है। इससे ज्ञात होता है कि मज़दूरों की आर्थिक स्थिति ठीक है।

गलत समान्तर औसत को ठीक करना (Correcting the Incorrect Mean)

प्रश्न 17.
गलत समान्तर औसत को ठीक करने की विधि बताओ।
उत्तर-
समान्तर औसत का माप करते समय कई बार कुछ मदें अशुद्ध लिख ली जाती हैं परन्तु ठीक मदों का पता लगाने के लिए गलत समान्तर औसत को सही किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है
\(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\)
N.\(\bar{X}\) = ΣX
इससे अशुद्ध ΣX प्राप्त हो जाता है। सही \(\bar{X}\) का माप इस प्रकार किया जाता है
\(\bar{X}\)= अशुद्ध Σ\(\bar{X}\) = – गलत मद + ठीक मद

प्रश्न 18.
50 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए औसत अंक 30 दिए गए हैं। उसके पश्चात् ज्ञात होता है कि एक विद्यार्थी के उचित अंक 60 हैं, जोकि गलती से 6 लिखे गए। ठीक समान्तर औसत का माप करो।
हल (Solution):
\(\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\) = 30= \(\frac{\Sigma \mathrm{X}}{50}\)
N.\(\bar{X}\) = Σ\(\bar{X}\)
50 × 30 = Σ\(\bar{X}\)
गलत ΣX= 1500
ठीक अंक = 60 गलती से लिखे गए = 6
\(\bar{X}\) = गलत ΣX – गलत मद + ठीक मद
\(\bar{X}\) = \(\frac{1500-6+60}{50} \)
\(\bar{X}\) = \(\frac{1554}{50}\) = 31.08 अंक
विद्यार्थियों द्वारा औसत अंक 30 दिए गए हैं। परन्तु गलत अंकों के स्थान पर ठीक अंक जोड़ने से औसत अंक 31.08 हो गए हैं।

प्रश्न 19.
मदों के समान्तर औसत से लिए गए विचलनों का योग सिफर होता है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
समान्तर औसत से लिए गए विचलनों का योग सिफर होता है। जब हम समान्तर औसत से मदों का विचलन निकाल कर योग करते हैं तो यह हमेशा सिफर होता है अर्थात्
Σ (X – \(\bar{X}\)) = 0
उदाहरण-मदें : 2 4 6 8 10
हल (Solution) :
\(\bar{X}=\frac{2+4+6+8+10}{5}=\frac{30}{5}\) = 6
मदों की औसत = 6
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 22 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-समान्तर माध्य

प्रश्न 20.
यदि मदों में स्थिर मूल्य, जोड़, घटाओ, गुणा अथवा वितरण किया जाए तो क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
यदि मदों में स्थिर मूल्य (मान लो 2) जोड़ दिया जाए, घटा दिया जाए, गुणा किया जाए अथवा वितरण किया जाए तो समान्तर औसत उसी अनुपात में बदल जाता है।
स्थिर मूल्य का जोड़, घटाओ, गुणा तथा वितरण प्रभाव
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ : कालिक श्रृंखला

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 21 रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला

PSEB 11th Class Economics रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
काल श्रेणी ग्राफ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समय अवधी पर आधारित मूल्यों को श्रेणी को काल श्रेणी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
जो रेखाचित्र वास्तविक मूल्यों के आधार पर बनाए जाते हैं तो उसको निरपेक्ष काल श्रेणी चित्र कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 3.
यदि रेखाचित्र की रचना आनुपातिक माप के आधार पर की जाती है तो उसको सापेक्ष काल श्रेणी चित्र कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 4.
गलत आधार का प्रयोग कब किया जाता है ?
उत्तर-
जब आंकड़ों में अन्तर तो कम होता है परन्तु शून्य से दूरी अधिक होती है तो उस समय गलत आधार का प्रयोग किया जाता है।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Question)

प्रश्न-
एक फ़र्म के स्वर्णिक लाभ के निम्नलिखित आंकड़ों से काल श्रेणी आरेख द्वारा प्रस्तुत करें।

वर्ष : 1977 1978 1979 1980 1981 1982 1983
लाभ (हज़ार ₹): 20 32 35 25 40 30 20

उत्तर:
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न तालिका में वर्ष 2001 से 2007 तक एक कॉलेज के विद्यार्थियों की संख्या दी गई है। इसे एक बिन्दु-रेखीय चित्र के रूप में प्रदर्शित करें –

वर्ष ( Years) विद्यार्थियों की संख्या (No. of Students)
2001 1,500
2002 2,000
2003 2,200
2004 3,000
2005 3,500
2006 3,800
2007 5,000

हल : रेखाचित्र में प्रदर्शित विभिन्न वर्षों में विद्याथियों की संख्या-
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प्रश्न 2.
निम्न आंकड़ों को ग्राफ द्वारा प्रदर्शित करें

वर्ष 2001 2002 2003 2004 2005 2006 2007
उत्पादन(प्रति हैक्टेयर क्विटल) 13.9 12.8 13.9 12.8 6.5 2.9 14.8

उत्तर-
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दो या दो से अधिक तथ्यों का रेखाचित्र
एक रेखाचित्र में एक से अधिक रेखाओं का भी प्रदर्शन सम्भव है। रंग, बनावट या लेख के आधार पर रेखाओं में विविधता उत्पन्न की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
निम्न आंकड़ों को बिन्दुरेखा विधि से प्रदर्शित करें
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प्रश्न 4.
कृत्रिम आधार रेखा से क्या आशय है ?
उत्तर-
कृत्रिम आधार रेखा
(False Base Line) बिन्दुरेख की रचना में एक महत्त्वपूर्ण नियम यह है कि Vertical Scale को शून्य अर्थात् मूल बिन्दु से प्रारम्भ करना चाहिए ; किन्तु जब चलों के मान अत्यधिक विशाल होते हैं तब इस नियम को तोड़ना पड़ता है क्योंकि ऐसी दशा में यदि पैमाना शून्य से शुरू किया जाएगा तो मान बिन्दुओं को आधार रेखा से बहुत ऊंचाई पर अंकित करना पड़ेगा। बीच में अनावश्यक रूप से स्थान छूट जाएगा और फिर भी यह सम्भव है कि बिन्दुरेख पत्र की सीमित ऊंचाई में सभी बिन्दुओं को अंकित न किया जा सके। अतः कृत्रिम आधार रेखा की विधि अपनाई जाती है। इसके लिए शून्य आधार रेखा और न्यूनतम मान वाले बिन्दु के बीच शून्य रेखा के समीप ही लहरदार रेखाएं एक-दूसरे के निकट खींच कर Vertical Scale को तोड़ देते हैं।
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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
समंकों के बिन्द-रेखीय प्रदर्शन के क्या लाभ तथा सीमाएं हैं ? (What are the advantages and defects of Graphs ?)
उत्तर-
समंकों के बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन के लाभ
(Advantages of Graphs) बिन्दु-रेखीय समंकों के प्रदर्शन के निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. रेखाचित्र में समंकों को सरल रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  2. रेखाचित्र में समंकों को आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया जाता है
  3. रेखाचित्र से समंकों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
  4. रेखाचित्रों से समंकों को संक्षिप्त करने में सहायता मिलती है।
  5. रेखाचित्रों से तुलनात्मक अध्ययनों में सहायता मिलती है।
  6. रेखाचित्रों से पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलती है।
  7. रेखाचित्रों से सांख्यिकीय विश्लेषण में सहायता मिलती है। इनकी सहायता से माध्यका तथा बहुलक पता किए जा सकते हैं।
  8. रेखाचित्रों से निष्कर्ष निकालने में सहायता मिलती है।

बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन की सीमाएं और दोष : (Defects and Limitations of Graphs)
बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन की प्रमुख सीमाएं अनलिखित हैं- .

  1. बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन द्वारा केवल प्रवृत्ति का प्रदर्शन होता है, वास्तविक मूल्यों का ज्ञान मिलना सम्भव नहीं है।
  2. जो व्यक्ति बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन का ज्ञान नहीं रखते उनके लिए इनका कोई मूल्य नहीं होता।
  3. इनमें निश्चितता का अभाव पाया जाता है।
  4. कई बार इनके प्रदर्शन का प्रभाव भ्रामक भी होता है।
  5. बिन्दु-रेखीय चित्रों को किसी तथ्य की पुष्टि के लिए प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
  6. रेखाचित्र में अशुद्ध निष्कर्ष भी निकाले जा सकते हैं।
  7. मापदण्ड में थोड़ा-सा परिवर्तन होने पर भी रेखाचित्र के आकार में बहुत परिवर्तन हो सकता है।

प्रश्न 2.
बिन्दुरेख बनाने के लिए नियम लिखें। (Write down the rules for the construction of Graph.)
उत्तर-
बिन्दुरेख बनाने के नियम
(Rules for the Construction of Graph) बिन्दुरेख बनाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाना चाहिए

1. उचित शीर्षक (Proper Heading)-बिन्दुरेखा का शीर्षक स्पष्ट, उपयुक्त और पूर्ण होना चाहिए जिससे देखते ही यह ज्ञान हो जाए कि उसकी विषय-वस्तु क्या है।

2. बिन्दु रेखाओं का चित्रण (Plotting of graphs)—प्रायः बिन्दुरेख मूल बिन्दु के दाहिनी ओर ऊपर की ओर बनाया जाता है। अतः भुजाक्ष बिन्दुरेख पत्र के नीचे की ओर तथा कोटि अक्ष बायीं ओर होना चाहिए। भुजाक्ष की लम्बाई कोटि-अक्ष से डेढ़ गुना होनी चाहिए।

3. उचित मापदण्ड (Proper Scale)-रेखाचित्र के निर्माण में उचित पैमाने का विशेष महत्त्व है। सामान्यतः पैमाना ऐसा लिया जाना चाहिए कि चित्र पर सुन्दरता से अंकित किया जा सके।

4. कृत्रिम आधार रेखा का प्रयोग (Use of False Base Line)-नियमतः उदग्र पैमाना शून्य से प्रारम्भ होना चाहिए पर यदि प्रदर्शित होने वाले मूल्यों में अन्तर कम हो और न्यूनतम संख्या काफी बड़ी हो तो कृत्रिम आधार रेखा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

5. अन्तर को स्पष्ट करना (Clear Difference)-जहां एक ही बिन्दुरेख पत्र पर कई वक्र बनाने हों तो प्रत्येक वक्र को अलग-अलग रंग या चौड़ाई या प्रकार प्रदर्शित करना चाहिए।

6. क्षैतिज और उदग्र मापदण्ड (Vertical and Horizontal Measure) क्षैतिज तथा उदग्र दोनों मापदण्ड अलग-अलग लिए जा सकते हैं और कभी-कभी उदग्र माप श्रेणी पर दो समंक-मालाओं को प्रदर्शित करने के लिए दो मापदण्ड साथ-साथ भी लिए जा सकते हैं।

7. आवश्यक टिप्पणियां (Required footnotes)-बिन्दुरेख के नीचे जहां आश्यक हो तो टिप्पणियां और समंकों का प्राप्ति स्थान भी दे देना चाहिए।

8. मापदण्ड प्रदर्शित करने वाले मूल्य (Table of Data)-इन मूल्यों को भुजाक्ष के नीचे और कोटि-अक्ष की बायीं ओर लिखना चाहिए। वक्रों के साथ समंकों को पास ही सारणी में दे देना चाहिए ताकि उनका विस्तृत अध्ययन किया जा सके जिस में उनकी शुद्धता की जांच सम्भव हो सके।

9. बिन्दु मिलाना (Joining of Points)-जब आंकड़ों को बिन्दु-रेखीय विधि द्वारा ग्राफ-पेपर पर पेश किया जाता है तो आंकड़ों से पहले बिन्दुओं का प्रयोग किया जाता है। बाद में इन बिन्दुओं को पैमाने द्वारा ठीक ढंग से मिलाना चाहिए अर्थात् बिन्दुओं को मिलाते समय जब पैमाने की सहायता ली जाती है तो रेखा बिन्दुओं के बीच ठीक प्रकार से गुज़रनी चाहिए और रेखा को पैन या पैन्सिल द्वारा मिलाया जाए अर्थात् रेखा खींचते समय समानता होनी चाहिए। ऐसा न हो कि रेखा कहीं से मोटी हो और कहीं बारीक या इतनी फीकी कि दिखाई देने में मुश्किल हो। ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ : कालिक श्रृंखला

10. स्वच्छता (Neatness) आंकड़ों को बिन्दु-रेखीय विधि द्वारा पेश करते समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सफाई रखने से चित्रकारी सुन्दर और आकर्षक होगी।

प्रश्न 3.
समय श्रेणी ग्राफ क्या होता है? मनघडंत उदाहरण द्वारा समय श्रेणी ग्राफ के निर्माण को स्पष्ट करें।
(What is Time Series Graph? Explain the Time Series Graph with the help of a Hypothetical example.)
उत्तर-
समय श्रेणी ग्राफ (Time Series Graph)-ग्राफ कई तरह के होते हैं, परन्तु दो तरह के ग्राफ अधिक प्रचलित हैं
(i) समय श्रेणी ग्राफ (Time Series Graphs)
(ii) आवृत्ति वितरण ग्राफ (Frequency Distribution Graphs)

(i) समय श्रेणी ग्राफ (Time series Graphs)-जब किसी तथ्य को समय के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे ग्राफ को समय श्रेणी ग्राफ कहते हैं। साधारण तौर पर निश्चित समय को जब समान भागों में विभाजित कर मदों के समुच्चय को ग्राफ पेपर पर प्रदर्शन करने की विधि को समय श्रेणी ग्राफ कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप मान लो 1951 से 1991 तक भारत की जनसंख्या की वृद्धि को ग्राफ पेपर पर प्रस्तुत किया जाए तो ऐसे आंकड़ों की श्रेणी को समय श्रेणी कहा जाता है।

समय सारणी के आधार पर जो ग्राफ अथवा चित्र बनाए जाते हैं उनको समय चित्र (Histogram) कहा जाता है। समय श्रेणी ग्राफ बनाने के लिए ग्राफ पेपर पर Ox रेखा तथा OY रेखा बनाई जाती है। Ox रेखा पर स्वतन्त्र चर तथा OY रेखा पर निर्धारित चर लिए जाते हैं। इस प्रकार ग्राफ का निर्माण किया जाता है तो उस विधि को ग्राफ विधि कहते हैं। समय श्रेणी ग्राफ को मुख्य तौर पर दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है
(A) एक चर से सम्बन्धित ग्राफ (One Variable Graph)
(B) दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ (Two or more than two variable graph)

(A) एक चर से सम्बन्धित ग्राफ (One variable graph)-एक चर से सम्बन्धित आंकड़े दिए गए हों तो इनका ग्राफ बनाना आसान होता है। ऐसे ग्राफ की व्याख्या भी आसानी से की जा सकती है। उदाहरणस्वरूप भारत की स्वतन्त्रता . के पश्चात् जनसंख्या की वृद्धि को ग्राफ की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।

वर्ष 1951 1961 1971 1981 1991 2001
जनसंख्या (करोड़ों में) 36 43 54 68 84 102

भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् जनसंख्या (एक घर समय चित्र)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ कालिक श्रृंखला 7
(B) दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ (Two or more than two variable graph)-जब दो अथवा दो से अधिक चरों को एक ही रेखा चित्र द्वारा दिखाया जता है तो ऐसे ग्राफ को दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप जनसंख्या के आंकड़ों में यदि हमें पुरुष तथा स्त्रियों की संख्या अलग-अलग दी गई है तो इन दोनों तत्त्वों को ही ग्राफ के रूप में प्रकट किया जाए तो ऐसे ग्राफ को दो चरों से सम्बन्धित ग्राफ कहा जाता है। . उदाहरण-भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् पुरुष तथा स्त्रियों की संख्या का विवरण निम्नलिखित सूचीपत्र में दिया गया है। इसको दो चरों से सम्बन्धित ग्राफ के रूप में पेश कीजिए
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ कालिक श्रृंखला 8
भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् पुरुष तथा स्त्रियों की जनसंख्या (दो चर समय चित्र)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ कालिक श्रृंखला 9

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण

PSEB 11th Class Economics रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
रेखाचित्रीय प्रदर्शन के लाभ लिखें।
उत्तर-
रेखाचित्रीय प्रदर्शन आंकड़ों को प्रस्तुत करने का आकर्षक, सरल व प्रभावशाली साधन है।

प्रश्न 2.
आवृत्ति आयत चित्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवृत्ति आयत चित्र वह रेखाचित्र है जिसमें अखण्डित श्रृंखला से सम्बन्धित मदों तथा उनकी आवृत्तियों को आयतों के रूप में ग्राफ पेपर पर प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 3.
संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संचयी आवृत्ति वक्र संचयी आवृत्ति वितरण को ग्राफ के रूप में प्रस्तुत करने वाला वक्र है। संचयी वक्र को ओजाइव (Ogive) भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
आवृत्ति बहुभुज किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवृत्ति बहुभुज वह रेखाचित्र है जो आवृत्ति आयत चित्र (Histogram) के प्रत्येक आयत के शीर्ष के मध्य बिन्दुओं को सरल रेखाओं द्वारा मिलाकर बनाया जाता है।

प्रश्न 5.
कृत्रिम आधार रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर-
शून्य रेखा अथवा मूल बिन्दु से कुछ ऊपर बनाई जाने वाली टेढ़ी-मेढ़ी रेखा जिस से धनात्मक प्रमाप आरम्भ की जाती है।

प्रश्न 6.
संचयी आवृत्ति वक्र को ओजाइव भी कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 7.
जब अखण्डित श्रृंखला को उनकी मदों के अनुसार आवृत्ति का प्रगटावा एक ग्राफ पेपर पर किया जाता है तो इसको …………………. कहते हैं।
(a) आवृत्ति वितरण
(b) आवृत्ति वक्र
(c) आवृत्ति आयत
(d) आवृत्ति बहुभुज।
उत्तर-
(c) आवृत्ति आयत।

प्रश्न 8.
आवृत्ति आयत (Histogram) की सभी आयतों के मध्य बिन्दुओं को सरल रेखा द्वारा मिला दिया जाता है तो इसको ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
आवृत्ति बहुभुज (Polygon)।

प्रश्न 9.
आवृत्ति आयत का क्षेत्रफल = ……………………….. का क्षेत्रफल
उत्तर-
आवृत्ति वक्र।

प्रश्न 10.
संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव दो प्रकार की होती है
(i) ऊपरी सीमा से कम
(ii) ……….
उत्तर-
निचली सीमा से अधिक।

प्रश्न 11.
चित्रमयी और बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण में कोई एक अन्तर बताएँ।
उत्तर-
बिन्दु रेखीय चित्र को ग्राफ पर बनाते हैं और चित्रमयी को साधारण कागज़ पर बनाते हैं।

प्रश्न 12.
समय श्रेणी चित्र ………. के आधार पर बनाए जाते हैं।
उत्तर-
समय।

प्रश्न 13.
आवृत्ति आयत का क्षेत्रफल = …………….. का क्षेत्रफल।
उत्तर-
आवृत्ति वक्र।

प्रश्न 14.
संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव दो प्रकार की होती हैं।
(i) ऊपरी सीमा से कम
(ii) …………….
उत्तर-
निचली सीमा से अधिक।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्राफ द्वारा प्रदर्शन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
आंकड़ों को प्रस्तुत करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि ग्राफ विधि अथवा बिन्दु रेखीय विधि होती है। इस विधि में आंकड़ों को ग्राफ पेपर (Graph Paper) पर प्रस्तुत किया जाता है। जब हम ग्राफ पेपर आंकड़ों को स्पष्ट करते हैं तो कम समय या कम परिश्रम से एक मनुष्य आंकड़ों को समझने योग्य हो जाता है। इसलिए क्राक्सटन तथा काउडन ने ठीक कहा है, “ग्राफ विधियां सीमित सूचना को जल्दी तथा प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की लाभदायक विधियां हैं।”

प्रश्न 2.
ग्राफ द्वारा प्रदर्शन के कोई दो गुण बताएं।
उत्तर-

  1. आंकड़ों को सरल बनाना (To make data simple) आंकड़े मूल रूप में जटिल होते हैं, जिनको स्पष्ट करना तथा समझना कठिन होता है। इसलिए ग्राफ द्वारा आंकड़ों को आसानी से समझा जा सकता है।
  2. तुलना के लिए आसान (To make easy comparison)-जब आंकड़ों को ग्राफ की विधि द्वारा दिखाया जाता है तो इनमें तुलना करनी बहुत आसान हो जाती है जैसे कि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10 + 2 कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए प्रतिशत अंकों की तुलना पिछले वर्ष के प्रतिशत अंकों से करते समय ग्राफ विधि लाभदायक होती है। इसी तरह एक मरीज़ के बुखार की स्थिति का अनुमान ग्राफ को देखकर डॉक्टर आसानी से लगा लेता है।

प्रश्न 3.
ग्राफ द्वारा प्रदर्शन की कोई दो सीमाएं बताएं।
उत्तर-

  1. निश्चितता की कमी (Lack of Accuracy)-ग्राफ विधि द्वारा आंकड़ों की प्रवृत्ति का पता चलता है। परन्तु इन आंकड़ों में निश्चितता की कमी होती है। ग्राफ द्वारा प्रदान की गई सूची युद्ध परिणाम प्रदान नहीं करती।
  2. गलत परिणाम (Wrong Results) -ग्राफ विधि द्वारा कई बार गलत परिणाम भी निकाले जा सकते हैं। क्योंकि रेखाचित्र द्वारा रेखाओं के उतार-चढ़ाव को देखकर 100% शुद्ध परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 4.
आवृत्ति आयत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आवृत्ति आयत (Histogram)-आवृत्ति आयत चित्र वह चित्र है, जिनमें अखण्डित आवृत्ति वितरण (Continuous Frequency Distribution) को उनकी मदों के अनुसार आवृत्तियों का प्रकटावा एक ग्राफ पेपर पर किया जाता है। इस चित्र में OX पर मदों के वर्गांतर (Class Intervals) तथा OX पर वर्गांतर की आवृत्ति (Frequency) को प्रकट करते हैं। इस प्रकार आयतों के रूप में जो चित्र बन जाता है, उसको आयत आवृत्ति (Histogram) चित्र कहा जाता है।

प्रश्न 5.
आवृत्ति बहुभुज का अर्थ बताएं।
उत्तर-
आवृत्ति बहुभुज (Frequency Polygon) आवृत्ति बहुभज वह चित्र होता है जोकि आवृत्ति आयत (Histrogram) की सभी आयतों के ऊपरी भागों के मध्य बिन्दुओं को सीधी रेखा द्वारा मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आवृत्ति बहुभुज के दोनों किनारों को आधार रेखाओं तक दोनों ओर बढ़ा दिया जाता है। इससे आवृत्ति बहुभुज का निर्माण हो जाता है। आवृत्ति बहुभुज तथा आवृत्ति आयतों का क्षेत्रफल एक-दूसरे के समान होता है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तालिका में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंकों का विवरण दिया गया है। आवृत्ति आयत चित्र द्वारा प्रदर्शित करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 8 12 20 30 15

उत्तर-
आवृत्ति आयत (Histogram)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 1

प्रश्न 2.
आवृत्ति बहुभुज से क्या अभिप्राय है ? निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से आवृत्ति बहुभुज का निर्माण करो।

अंक : 0-5 5-10 10-15 15-20 20-25 25-30
विद्यार्थी : 10 18 30 50 40 20

उत्तर-
आवृत्ति बहुभुज का अर्थ (Meaning of Frequency Polygon)-आवृत्ति बहुभुज का निर्माण करने से पहले हम आवृत्ति आयत (Histogram) का निर्माण करते हैं। आवृत्ति आयत के ऊपर के किनारों के मध्य बिन्दु को लेकर उनको आपस में मिला दिया जाए तो आधार रेखा तक बढ़ा दिया जाए तो इस प्रकार हमारे पास आवृत्ति बहुभुज का निर्माण हो जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 2नोट-प्रश्न अनुसार दिए आंकड़ों की सहायता से आवृत्ति आयत का निर्माण करने के पश्चात् आवृत्ति आयतों के ऊपर के भागों का मध्य a, b, c, d, e, f किया जाता है। इनको आपस में मिलाकर आधार रेखा तक बढ़ाने से बिन्दु M, N प्राप्त हो जाते हैं। इस प्रकार M & N को आवृत्ति बहुभुज कहा जाता है। इसमें आवृत्ति आयतों का क्षेत्रफल आवृत्ति बहुभुज के क्षेत्रफल के समान होता है।

प्रश्न 3.
संचयी आवृत्ति वक्र से क्या अभिप्राय है ? संचयी आवृत्ति वक्र का निर्माण ऊँची सीमा पर कम विधि (Less than method) द्वारा स्पष्ट कीजिए।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थी : 5 10 12 15 8

उत्तर-
संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव का अर्थ ऐसे वक्र से होता है, जिसमें आवृत्ति का जोड़ करके ग्राफ पेपर पर दिखाने से जो वक्र बन जाता है, उसको ओजाइव कहते हैं। इसको संचयी आवृत्ति वक्र भी कहा जाता है। इसका. निर्माण दो तरह से किया जाता है। वर्ग अन्तर की ऊँची सीमा तथा कम विधि (Less than method) तथा वर्ग अन्तर की नीचे वाली सीमा से अधिक विधि (More than method) से ओजाइव बनाई जाती है।

ओजाइव वक्र ऊँची सीमा से कम विधि की ओर (Ogive with less than method)-जब हम ऊँची सीमा से कम विधि की आवृत्ति के जोड़ को प्रकट करते हैं तो इससे संचयी आवृत्ति का निर्माण किया जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 3
नोट-समायोजित सूची अनुसार (0 तथा 0), (10 तथा 5) (20 तथा 15), (30 तथा 27) (40 तथा 42), (50 तथा 50) को आपस में मिलाने से जो बिन्दु प्राप्त होते हैं, उनको जिस रेखा द्वारा दिखाया जाता है, उस रेखा को ओजाइव कहते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 4

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा निम्न सीमा से अधिक विधि (More than Method) द्वारा संचित आवृत्ति वक्र का निर्माण करें।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या: 5 10 12 15 8

हल (Solution)-संचय आवृत्ति वक्र निम्न सीमा से अधिक विधि द्वारा (Ogive with More than Method)
इस विधि द्वारा समायोजित सूची का निर्माण अग्रलिखित अनुसार किया जाता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 5
नोट-समायोजित सूची के अनुसार (0 और 50), (10 और 45), (20 और 35), (30 और 23), (40 और 8) अथवा 50 से अधिक अंक प्राप्त करने वाला कोई विद्यार्थी नहीं है, इसलिए (50 और 0) के मिलाने से जो बिंदु प्राप्त होते हैं। उनको मिला दिया जाए तो उस रेखा को निम्न सीमा से अधिक विधि द्वारा ओजाइव कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 6

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्राफ द्वारा प्रदर्शन के अर्थ बताओ। ग्राफ की रचना सम्बन्धी साधारण नियमों की व्याख्या करें।
(Explain the meaning of Graphic Presentation of Data. Explain the general rules for the construction of a Graph.)
उत्तर-
आंकड़ों को प्रस्तुत करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि ग्राफ विधि अथवा बिन्दु रेखीय विधि होती है। इस विधि में आंकड़ों को ग्राफ पेपर (Graph Paper) पर प्रस्तुत किया जाता है। जब हम ग्राफ पेपर पर आंकड़ों को स्पष्ट करते हैं तो कम समय तथा कम परिश्रम से एक मनुष्य आंकड़ों को समझने योग्य हो जाता है। इसलिए क्राक्सटन तथा काउडन ने ठीक कहा है, “ग्राफ विधियां सीमित सूचना को जल्दी तथा प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की लाभदायक विधियां हैं।” (“Graphic devices are extremely useful and effective for quickly presenting a limited amount of information.” —Croxton and Cowden)

ग्राफ प्रदर्शन के अर्थ (Meaning of Graphic Presentation)-ग्राफ प्रदर्शन आंकड़ों को प्रस्तुत करने की वह विधि होती है, जिसमें एक ग्राफ पेपर पर इनको रेखाओं तथा चित्रों के रूप में दिखाया जाता है। इस प्रकार आंकड़ों को ग्राफ पेपर पर प्रदर्शन करने के ढंग को आंकड़ों का ग्राफ द्वारा प्रदर्शन कहा जाता है।

ग्राफ निर्माण के नियम (Rules for constructing a Graph)-ग्राफ का निर्माण करते समय निम्नलिखित नियमों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. शीर्षक (Title)-प्रत्येक ग्राफ का शीर्षक स्पष्ट होना चाहिए। शीर्षक को पढ़ने से ही इस बात का पता लगना अनिवार्य होता है कि ग्राफ किस सूचना की जानकारी देता है।
  2. पैमाना (Scale)- चित्र बनाने से पहले पैमाने का चयन कर लेना चाहिए। पैमाने का चयन एकत्रित किए आंकड़ों पर निर्भर करता है। पैमाना इतना लेना चाहिए जो सभी आंकड़े सरलता से ग्राफ पर प्रस्तुत किए जा सकें।
  3. बिन्दुओं का मिलान (Plotting the Points)- ग्राफ पेपर पर OX अक्ष तथा OY अक्ष पर लिए गए तत्त्वों के सम्बन्ध को स्पष्ट किया जाता है। साधारण तौर पर अर्थशास्त्रियों के आंकड़े धनात्मक होते हैं। इसलिए OX अक्ष को बाएं से दाएं हाथ की ओर तथा OY अक्ष के नीचे से ऊपर की ओर दिखाया जाता है। यदि हम तथ्यों के सम्बन्ध को OX तथा OY रेखाओं पर लम्ब खींचकर स्पष्ट करते हैं तो हमारे पास बिन्दु प्राप्त हो जाते हैं।
  4. रेखाओं का प्रयोग (Use of lines) – ग्राफ में जब अधिक रेखाओं को प्रस्तुत किया जाता है तो इस स्थिति में सीधी रेखाएँ (straight lines), टूटी रेखाएँ (Dotted lines) अथवा बिन्दु रेखाएँ (Point Lines) का प्रयोग किया जाता है।
  5. बनावटी आधार रेखा (False Base Line)-हम जानते हैं कि OX तथा OY रेखाओं का आरम्भ 0 अथवा

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 7
शून्य से होता है अर्थात् जहाँ OX तथा OY पर मदों की संख्या को दिखाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में बनावटी आधार रेखा का निर्माण किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए हम जिस ओर बनावटी आधार को दिखाना चाहते हैं, उस ओर रेखा पर कटाव पैदा कर देते हैं, क्योंकि वह सभी आंकड़े Ox अथवा OY पर दिखाने से रेखाचित्र का आकार बहुत विशाल हो जाता है, जिसको रेखा चित्र में स्पष्ट करना कठिन होता है। रेखाचित्र 5 (i), (ii) में OY रेखा पर बनावटी आधार रेखा लेने के अलग-अलग ढंग बताए गए हैं। भाग-1 अनुसार दो तिरछी रेखाएं (I/) बनाई जा सकती हैं। भाग-2 अनुसार बनावटी रेखाएं लहरों की तरह बढ़ती घटती हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
ग्राफ अथवा रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शन के लाभ बताओ। ग्राफ प्रदर्शन की सीमाएँ भी लिखो । (Explain the advantages of Graphic Presentation. Discuss its limitations.)
उत्तर-
ग्राफ द्वारा आंकड़ों को प्रदर्शन करने के बहुत लाभ होते हैं। जैसे कि प्रो० वैसेलो ने ठीक कहा है, “आंकड़ों को समझने का सबसे सरल ढंग उन बिन्दु रेखाओं द्वारा अध्ययन करना होता है।” (“The simplest and commonest aid to the numerical reading is the graph.’ – Vesselo)

ग्राफ विधि द्वारा आंकड़ों को प्रदर्शन करने के मुख्य उद्देश्य तथा लाभ इस प्रकार हैं-
1. आंकड़ों को सरल बनाना (To make data simple)-आंकड़े मूल रूप में जटिल होते हैं, जिनको स्पष्ट करना तथा समझना कठिन होता है। इसलिए ग्राफ द्वारा आंकड़ों को आसानी से समझा जा सकता है।

2. तुलना के लिए आसान (To Make easy comparison)-जब आंकड़ों को ग्राफ की विधि द्वारा दिखाया जाता है तो इनमें तुलना करनी बहुत आसान हो जाती है जैसे कि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10 + 2 कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए प्रतिशत अंकों की तुलना पिछले वर्ष के प्रतिशत अंकों से करते समय ग्राफ विधि लाभदायक होती है। इसी तरह एक मरीज़ के बुखार की स्थिति का अनुमान ग्राफ को देखकर डॉक्टर आसानी से लगा लेता है।

3. आंकड़ों को रोचक बनाना (To make data interesting) आंकड़ों को आकर्षक बनाने के लिए ग्राफ अथवा रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शन लाभदायक होता है। कीमत स्तर में परिवर्तनों को देखने के लिए ग्राफ विधि बहुत लाभदायक परिणाम प्रदान करती है।

4. समय श्रेणियों का प्रदर्शन (Presentation of time series)-ग्राफ समय श्रेणियों को प्रदर्शन करने के लिए अच्छी विधि मानी जाती है। इस द्वारा रेखा चित्रों द्वारा आंकड़ों को लाभदायक तथा प्रभावशाली ढंग द्वारा प्रदर्शन किया जा सकता है, जिससे लाभदायक परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।

5. सांख्यिकी विधियों का अध्ययन (Study of Statistical methods)-आंकड़ा शास्त्र की बहुत-सी विधियों की व्याख्या ग्राफ विधि द्वारा की जा सकती है, जैसे कि मध्यका, बहुलक, सह-सम्बन्ध इत्यादि को रेखा चित्रों द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।

ग्राफ विधियों की सीमाएं (Limitations of Graphic method)—ग्राफ द्वारा आंकड़ों का प्रदर्शन करने की मुख्य सीमाएं इस प्रकार हैं –

  1. निश्चितता की कमी (Lack of Accuracy)-ग्राफ विधि द्वारा आंकड़ों की प्रवृत्ति का पता चलता है। परन्तु इन आंकड़ों में निश्चितता की कमी होती है। ग्राफ द्वारा प्रदान की सूची युद्ध परिणाम प्रदान नहीं करती।
  2. गलत परिणाम (Wrong Results)-ग्राफ विधि द्वारा कई बार गलत परिणाम भी निकाले जा सकते हैं। क्योंकि रेखाचित्र द्वारा रेखाओं के उतार-चढ़ाव को देखकर 100% शुद्ध परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।
  3. केवल तुलनात्मक अध्ययन (Only Comparative Study)-ग्राफ विधि द्वारा केवल तुलनात्मक अध्ययन करना ही सम्भव होता है। जब हम आंकड़ों द्वारा मनोवैज्ञानिक अथवा सामाजिक परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसा करना सम्भव नहीं होता।।
  4. बहमुखी सूचना का मुश्किल प्रदर्शन (Difficult Presentation of Multiple Information)-ग्राफ की विधि द्वारा जब किसी तत्त्व की बहुमुखी विशेषताओं को दिखाना हो तो ऐसा करना भी मुश्किल होता है। सारणीकरण की सहायता से हम कई प्रकार की सूचनाएँ एकत्रित तौर पर प्रदर्शित कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
आवृत्ति वितरण ग्राफ से क्या अभिप्राय है ? आवृत्ति वितरण ग्राफ की प्रदर्शन विधियां बताएँ।
(What is Frequency Distribution Graph? Explain the methods of presentation of Frequency Distribution Graphs.)
उत्तर-
ग्राफ मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैंसमय श्रेणी ग्राफ (Time Series Graphs) तथा आवृत्ति वितरण ग्राफ (Frequency Distribution Graphs) आवृत्ति वितरण ग्राफ का अर्थ (Meaning of Frequency Distribution Graph) आवृत्ति विवरण ग्राफ वह चित्र होते हैं, जिनमें चरों की आवृत्ति वितरण अनुसार उनको प्रस्तुत किया जाता है। इसमें आंकड़ों का प्रदर्शन समय अनुसार नहीं किया जाता, बल्कि मदों के मूल्यों की आवृत्ति के अनुसार ग्राफ बनाने की विधि को आवृत्ति वितरण ग्राफ कहा जाता है।

आवृत्ति वितरण प्रदर्शन की विधियां-आवृत्ति वितरण प्रदर्शन की मुख्य विधियां निम्नलिखित अनुसार हैं –

  1. रेखा आवृत्ति चित्र (Line Frequency Diagram)
  2. आवृत्ति आयत (Frequency Histogram)
  3. आवृत्ति बहुभुज (Frequency Polygon)
  4. आवृत्ति वक्र (Frequency Curve)
  5. संचयी आवृत्ति वक्र अथवा

ओजाइव (Cumulative Frequency curve or ogive)-
1. रेखा आवृत्ति चित्र (Line Frequency Diagram) रेखा आवृत्ति चित्र खण्डित आवृत्ति वितरण (Discrete Frequency Distribution) को प्रकट करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस चित्र में OX वक्र पर मदों (Items) तथा OY वक्र पर आवृत्ति (Frequency) को अंकित किया जाता है। उदाहरण-एक फैक्टरी में पैनों का उत्पादन किया जाता है। मई में तीन लाख, जून में 5 लाख, जुलाई में 4 लाख पैनों का उत्पादन किया गया। इसको रेखा आवृत्ति रेखा आवृत्ति चित्र चित्र कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 8

2. आवृत्ति आयत (Histogram)-आवृत्ति आयत चित्र वह चित्र है, जिनमें अखण्डित आवृत्ति वितरण (Continuous Frequency Distribution) को उनकी मदों के अनुसार आवृत्तियों का प्रकटावा एक ग्राफ पेपर पर किया जाता है। इस चित्र में OX पर मदों के वर्गांतर (Class Intervals) तथा OX पर वर्गांतर की आवृत्ति (Frequency) को प्रकट करते हैं। इस प्रकार आयतों के रूप में जो चित्र बन जाता है, उसको आयत आवृत्ति (Histogram) चित्र कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 9अंक 0-10 10-20 20-30 . 30-40 विद्यार्थी 10 20
15
उदाहरण-एक कक्षा में 0-10 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10 है। 10-20 अंक प्राप्त करने वाले आवृत्ति बहुभुज 20 विद्यार्थी हैं तथा 20-30 तक अंक प्राप्त करने वाले 15 20B विद्यार्थी हैं, 30-40 तक अंक प्राप्त करने वाले 8 विद्यार्थी हैं। इस प्रकार के ग्राफ को आवृत्ति आयत (Histogram) कहा जाता है।

3. आवृत्ति बहुभुज (Frequency Polygron)-आवृत्ति बहुभुज वह चित्र होता है जोकि आवृत्ति आयत (Histogram) की सभी आयतों के ऊपरी भागों के मध्य बिन्दुओं को सीधी रेखा द्वारा मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आवृत्ति बहुभुज के दोनों किनारों को आधार रेखाओं तक दोनों ओर बढ़ा दिया जाता है। इससे आवृत्ति बहुभुज का निर्माण हो जाता है। आवृत्ति रेखाचित्र 8 बहुभुज तथा आवृत्ति आयतों का क्षेत्रफल एक-दूसरे के समान होता है।

उदाहरण-ऊपर दी गई विधि अनुसार पहले आवृत्ति आयत बनाई जाती है। ऊपरी किनारों के मध्यों को आपस में मिलाकर ABC चित्र का निर्माण होता है, जिसको आवृत्ति बहुभुज कहा जाता है। इसमें धनात्मक किनारों (++) का क्षेत्र जोड़ा जाता है तथा ऋणात्मक किनारा (–) का क्षेत्र कम किया जाता है। इस प्रकार आवृत्ति आयत तथा आवृत्ति बहुभुज का क्षेत्रफल एक-दूसरे के समान हो जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 10

4. आवृत्ति वक्र (Frequency Curve)-आवृत्ति वक्र वह चित्र है जो कि आवृत्ति बहुभुज की तरह सीधी रेखाएं नहीं, बल्कि स्वतन्त्र हाथ से वक्र बनाने की विधि होती है। आवृत्ति वक्र अर्थात् आवृत्ति आयत का निर्माण करने के पश्चात् ऊपर के किनारों के मध्यों को स्वतन्त्र हाथ मिलाकर आधार रेखा से मिला दिया जाए तो आवृत्ति वक्र का निर्माण हो जाता है। उदाहरण-रेखाचित्र में ABC आवृत्ति बहुभुज है, जिसको डॉटड रेखा में दिखाया है। यदि स्वतन्त्र हाथ से एक रेखा DBE खींच देते हैं तो इस रेखा को आवृत्ति वक्र कहते है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 11
5. संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव (Cummulative Frequency curve or ogive)—जब आवृत्ति को संचयी अथवा जोड़ कर लिया जाए तो उस जोड़ की हुई आवृत्ति का चित्र बनाया जाए तो इसको संचयी आवृत्ति वक्र अथवा ओजाइव (Ogive) कहा जाता है।
(i) उदाहरण-ऊँची सीमा से कम (Less than Method)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 12
रेखाचित्र में सूची पत्र अनुसार 10 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी 10 हैं। 20 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले 10 + 20 = 30 विद्यार्थी हैं। 30 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले 10 + 20 + 15 = 45 विद्यार्थी हैं। इसलिए (10 तथा 10), (20 तथा 30), (30 तथा 45) को मिलाकर हमारे पास ऊँची सीमा से कम ओजाइव (Ogive) वक्र बन जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 13
सूची पत्र तथा रेखाचित्र अनुसार 0 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 45 है। 10 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 35 तथा 20 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 15 है। 30 से अधिक अंक प्राप्त वाला कोई विद्यार्थी नहीं है। यदि हम (0, 45), (10, 35), (20, 15) को आपस में मिला दें तो हमारे पास जो रेखा प्राप्त होती है उसको आगे रेखा से अधिक का ओजाइव कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 20 रेखाचित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण 15

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 19 बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 19 बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 19 बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण

PSEB 11th Class Economics बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण का एक लाभ लिखें।
उत्तर-
चित्रों की सहायता से जटिल-से-जटिल आंकड़ों को सरल, साधारण एवं समझने योग्य बनाया जा सकता है। इनको देखते ही आंकड़ों की विशेषताएं समझ में आ जाती हैं।

प्रश्न 2.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण की एक सीमा लिखिए।
उत्तर-
चित्रों द्वारा आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण से केवल अनुमान (Estimate) लगाया जा सकता है। इसके द्वारा पूर्ण ज्ञान नहीं हो सकता। इसके विपरीत सारणी द्वारा समस्या का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
दण्ड चित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
दण्ड चित्र वह चित्र है जिसमें आंकड़ों को दण्डों (Bars) या आयतों के रूप में प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 4.
वृत्तीय चित्र किसे कहते हैं?
उत्तर-
वृत्तीय चित्र वह चित्र है जिसमें एक वृत्त (Circle) को कई भागों में बांट कर किसी आंकड़े के भिन्न-भिन्न प्रतिशत या सापेक्ष मूल्यों को प्रस्तुत किया जाता है। वृत्तीय चित्रों का प्रयोग प्रतिशतों के आधार पर किया जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 19 बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण

प्रश्न 5.
बहुगुणी दण्ड चित्र (Multiple Bar Diagram) किसे कहते हैं?
उत्तर-
बहुगुणी दण्ड चित्र वह दण्ड चित्र हैं जो दो या दो से अधिक तथ्यों के आंकड़ों को प्रस्तुत करता है। इनका प्रयोग विभिन्न तथ्यों जैसे जन्म-दर तथा मृत्यु-दर की तुलना के लिए किया जाता है।

प्रश्न 6.
सरल दण्ड चित्र किसे कहते हैं?
उत्तर-
सरल दण्ड चित्र वे चित्र हैं जो एक ही प्रकार के संख्यात्मक तथ्यों के विभिन्न मूल्यों को दण्डों के द्वारा प्रकट करते हैं।

प्रश्न 7.
जब आंकड़ों को दण्डों के रूप में प्रकट किया जाता है तो इसको ………………… कहते हैं।
(a) दण्ड चित्र
(b) बहुदण्ड चित्र
(c) रेखाचित्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) दण्ड चित्र।

प्रश्न 8.
जब किसी तथ्य के विभिन्न भागों को प्रतिशत के रूप में प्रकट किया जाता है तो इसको ………. चित्र कहते हैं।
उत्तर-
प्रतिशत।

प्रश्न 9.
गोलाकार चित्र को …………… चित्र भी कहा जाता है।
उत्तर-
पाई।

प्रश्न 10.
दो अथवा दो से अधिक तथ्यों वाले चित्र को बहुदण्ड चित्र कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 11.
मानचित्र को रेखाचित्र भी कहा जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 19 बिन्दु रेखीय प्रस्तुतीकरण

प्रश्न 12.
एक से अधिक तथ्यों वाले समूह और भागों के रूप में प्रकट करते हैं तो इस को ……………….. कहते हैं।
(a) दण्ड चित्र
(b) बहुदण्ड चित्र
(c) मानचित्र
(d) उप विभाजित दण्ड चित्र।
उत्तर-
(d) उप विभाजित दण्ड चित्र।

प्रश्न 13.
जब तस्वीर बना कर आंकड़ों को पेश किया जाता है तो इसको पाई चित्र कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 14.
आंकड़ों को चित्रों द्वारा स्पष्ट करने को …………… कहते हैं।
(a) सारणीयन
(b) वर्गीकरण
(c) व्यवस्थीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(d) इनमें से कोई नहीं।

प्रश्न 15.
दण्ड से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दण्ड से अभिप्राय एक आयत अथवा आयतकार चित्र से है जिस द्वारा किसी चर के मूल्य प्रकट किये जाते हैं।

प्रश्न 16.
दण्ड चित्र दो प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
जो चित्र दो अथवा दो से अधिक तथ्यों को प्रकट करते हैं उनको ………. चित्र कहते हैं।
उत्तर-
बहुगुणी चित्र।

प्रश्न 18.
दण्ड चित्र का कोई एक लाभ बताएँ।
उत्तर-
दण्ड चित्र द्वारा आंकड़ों को आकर्षक (दिलकश) बनाया जा सकता है।

प्रश्न 19.
एक चित्र में दो से अधिक चरों को प्रकट किया जाता है तो इसको बहुगुणी चित्र कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण के अर्थ बताएं।
उत्तर-
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण का अर्थ-आंकड़ों को रोचक तथा सरल बनाने के लिए आंकड़ा शास्त्रियों ने विभिन्न विधियों का प्रयोग किया है। इनमें से एक विधि आंकड़ों का चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण होता है। आंकड़ों का चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण वह विधि होती है, जिसमें आंकड़ों को डण्डा चित्र (Bar Diagrams), आयत (Rectangels), चतुर्भुज (Squares), पाई चित्र (Pie Diagrams), तस्वीरें (Pictograms), मानचित्रण (Artograms) इत्यादि के रूप में पेश किया जाता है। चाहे वर्गीकरण तथा सूचीकरण से काफ़ी हद तक आंकड़ों में सरलता आ जाती है, परन्तु इन आंकड़ों को रोचक तथा मनमोहक बनाने के लिए चित्रों द्वारा प्रदर्शन आवश्यक होता है। इसको स्पष्ट करते हुए प्रो० एस० जे० मेरोनी ने ठीक कहा है, “ठण्डे आंकड़े बहुत-से लोगों को गैर-उत्साहजनक होते हैं। जटिल स्थितियों को सरल तथा नियमित रूप देने के लिए चित्र सहायक होते हैं।”

प्रश्न 2.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर-

  1. रोचक बनाना (Attractive)-चित्रों की सहायता से आंकड़ों को रोचक बनाया जा सकता है। हम जानते हैं कि साधारण मनुष्य आंकड़ों में रुचि नहीं लेते, इसलिए चित्र बनाकर उन मनुष्यों को आंकड़ों का ज्ञान दिया जा सकता है।
  2. तुलना में आसानी (Easy Comparison)-चित्र आंकड़ों की तुलना में बहुत सहायता करते हैं, जैसे कि किसी देश में जनसंख्या की वृद्धि की तुलना समय के आधार पर चित्रों द्वारा की जा सकती है। इसी तरह कीमतों की वृद्धि को सूचकांक के चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण की कोई दो सीमाएं बताएं।
उत्तर-

  1. ग़लत व्याख्या (Wrong Interpretation)- चित्रों द्वारा तथ्यों की ठीक व्याख्या नहीं की जा सकती। यह तो आंकड़ों को प्रदशित करने का एक साधन मात्र होता है। कई बार चित्रों को देखकर पाठक गलत परिणाम निकाल लेते हैं।
  2. सीमित सूचना (Limited Information)-विशाल आंकड़ों को चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो वास्तविक सूचना प्रदान नहीं की जा सकती। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए थोड़ी सूचना प्रदान की जाती है। परिणामस्वरूप आंकड़ों को पेश करने का उद्देश्य समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 4.
चक्र अथवा पाई चित्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चक्र अथवा पाई चित्र (Pie Diagram)-चित्र को गोलाकार रूप में भी स्पष्ट किया जाता है। इस स्थिति में एक गोल चक्कर का निर्माण करने के पश्चात् इसमें 36° कोणों का योग होता है। इसलिए प्रत्येक मूल्य को स्पष्ट करते समय इसका मूल्य 360° के अनुपात में प्राप्त किया जाता है तथा जब हमारे पास प्रत्येक मूल्य का योगदान डिग्री के रूप में प्राप्त हो जाता है तो उस अनुसार हम गोलाकार चित्र का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 5.
चित्र लेख से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चित्र लेख (Pictograph)-चित्र लेख वह विधि होती है, जिस द्वारा तस्वीरों को बनाकर आंकड़ों का प्रदर्शन करने का प्रयत्न किया जाता है। उदाहरणस्वरूप एक देश की जनसंख्या को 1951 तथा 1991 के समय का तुलनात्मक अध्ययन करना है तो इस स्थिति में देश X की जनसंख्या के आंकड़े इस प्रकार दिए गए हैं-
(Population of A Country) देश X की जनसंख्या
1951-4 करोड़
1991-7 करोड़
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दण्ड चित्र को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ? स्पष्ट करो। दण्ड चित्र के निर्माण को भी स्पष्ट करो।
उत्तर-
दण्ड अथवा डण्डा चित्र-दण्ड चित्र वह चित्र होता है, जिसमें आंकड़ों को डंडे (Bars) अथवा आयतों के रूप में स्पष्ट किया जाता है। दण्ड चित्र का निर्माण इस प्रकार किया जाता है-

  1. डण्डा शब्द का प्रयोग आयत के लिए किया जाता है। चित्र में डण्डों की चौड़ाई समान रखनी चाहिए।
  2. डण्डे लंब रूप में अथवा लेटवें रूप में हो सकते हैं।
  3. यह डण्डे समान दूरी पर बनाने चाहिए।
  4. डण्डे बनाने का आधार (Base) एक होना चाहिए।

दण्ड चित्र अथवा डण्डा चित्र के रूप-दण्ड चित्र को एक पक्षीय चित्र (One dimensional diagram) भी कहा जाता है। यह मुख्य तौर पर निम्नलिखित रूप में बनाए जा सकते हैं-

  1. सरल डण्डा चित्र-सरल डण्डा चित्र वह चित्र है, जिसमें संख्याओं को विभिन्न मूल्यों के डण्डों द्वारा प्रकट किया जाता है।
  2. बहुगुणी डण्डा चित्र-बहुगुणी डण्डा चित्र वह चित्र है, जिनमें दो या दो से अधिक गुणों को प्रकट किया जाता है।
  3. उपविभाजित डण्डा चित्र-उपविभाजित डण्डा चित्र वह चित्र होते हैं, जो किसी तथ्य के कुल मूल्य के साथ इसके भागों को भी पेश करते हैं।
  4. प्रतिशत डण्डा चित्र-प्रतिशत डण्डा चित्र वह चित्र होते हैं, जिसमें किसी तथ्य के विभिन्न मूल्यों को प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार तथा सरल दण्ड चित्र का निर्माण करो। वर्ष

वर्ष 1951 1961 1971 1981 1991 2001
भारत की जनसंख्या (करोड़ों में) 36 43 54 68 84 102

उत्तर-
सरल दण्ड चित्र ऐसा चित्र होता है, जिसमें एक गुण की व्याख्या ही की जाती है, जैसे कि जनसंख्या उत्पादन बिक्री, लाभ इत्यादि गुण को दिखाया जाए तो ऐसे चित्र को सरल दण्ड चित्र कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप भारत की जनसंख्या के आंकड़े इस प्रकार दिए गए हैं।
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इस चित्र को सरल अथवा साधारण दण्ड चित्र (Simple Bar Diagram) कहा जाता है। इसको लंबवत डण्डा चित्र (Vertical Bar Diagram) भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
बहुगुणी डण्डा चित्र से क्या अभिप्राय है ? निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से बहुगुणी डण्डा चित्र का निर्माण करो।
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उत्तर-
बहुगुणी डण्डा चित्र (Multiple Bar Diagram)-बहुगुणी डण्डा चित्र वह चित्र होते हैं जो दो अथवा दो से अधिक तथ्यों के आंकड़ों को पेश करते हैं, इनका प्रयोग विभिन्न तथ्यों जैसे कि जन्म दर, मृत्यु दर, आयात-निर्यात, लाभ-हानि, कॉलेज में आर्ट्स, साईंस पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या के रूप में पेश की जाती हैं। एक कालेज में आर्ट्स तथा साईंस के धिार्थियों का विवरण इस प्रकार दिया गया है-
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित राष्ट्रीय आय में विभिन्न क्षेत्रों का भाग दिखाया गया है। गोल चक्करी तथा पाई रेखा चित्र बनाओ। क्षेत्र
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हल : राष्ट्रीय आय के आंकड़े प्रतिशत में दिए गए हैं। इनको 360° में परिवर्तित करके पाई चित्र बनाया जाएगा।
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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण से क्या अभिप्राय है ? इसके लाभ तथा सीमाएं बताओ।
(What is the meaning of Diagrammatic Presentation ? Discuss its Advantages and limitations.)
उत्तर-
चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण का अर्थ-आंकड़ों को रोचक तथा सरल बनाने के लिए आंकड़ा शास्त्रियों ने विभिन्न विधियों का प्रयोग किया है। इनमें से एक विधि आंकड़ों का चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण होता है। आंकड़ों का चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण वह विधि होती है, जिसमें आंकड़ों को डण्डा चित्र (Bar Diagrams), आयत (Rectangles), चतुर्भुज (Squares), पाई चित्र (Pie Diagrams), तस्वीरें (Pictograms), मानचित्रण (Artograms) इत्यादि के रूप में पेश किया जाता है। चाहे वर्गीकरण तथा सूचीकरण से काफ़ी हद तक आंकड़ों में सरलता आ जाती है, परन्तु इन आंकड़ों को रोचक तथा मनमोहक बनाने के लिए चित्रों द्वारा प्रदर्शन आवश्यक होता है। इसको स्पष्ट करते हुए प्रो० एस० जे० मोरोनी ने ठीक कहा है, “ठण्डे आंकड़े बहुत-से लोगों को गैर-उत्साहजनक होते हैं। जटिल स्थितियों को सरल तथा नियमित रूप देने के लिए चित्र सहायक होते हैं।”

चित्रों के लाभ अथवा महत्त्व (Importance or Advantages of Diagrams) चित्रों द्वारा आंकड़ों को प्रदर्शित करने के बहुत-से लाभ होते हैं, जिनकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है-

  1. सरल तथा समझने योग्य बनाना (Simple and Understandable)-आंकड़ों को सरल तथा समझने योग्य बनाने के लिए चित्र महत्त्वपूर्ण योगदान डालते हैं।
  2. रोचक बनाना (Attractive)-चित्रों की सहायता से आंकड़ों को रोचक बनाया जा सकता है। हम जानते हैं कि साधारण मनुष्य आंकड़ों में रुचि नहीं लेते, इसलिए चित्र बनाकर उन मनुष्यों को आंकड़ों का ज्ञान दिया जा सकता है।
  3. तुलना में आसानी (Easy Comparison)-चित्र आंकड़ों की तुलना में बहुत सहायता करते हैं, जैसे कि किसी देश में जनसंख्या की वृद्धि की तुलना समय के आधार पर चित्रों द्वारा की जा सकती है। इसी तरह कीमतों की वृद्धि को सूचकांक के चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
  4. विश्लेषण में आसानी (Easy Interpretation) चित्रों की सहायता से जो परिणाम निकाले जाते हैं, उनके सम्बन्धी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है, जैसे कि जनसंख्या में वृद्धि को चित्र द्वारा स्पष्ट किया जाए तो आसानी से पता चल जाता है कि स्वतन्त्रता के पश्चात् अब तक जनसंख्या लगभग तीन गुणा बढ़ गई है।
  5. याद करने में आसानी (Easy Memorizing) चित्रों द्वारा तथ्यों को याद करना आसान होता है। आंकड़ों के रूप में इनको लम्बे समय तक याद रखने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। चित्र के रूप में देखे गए आंकड़े जल्दी याद हो जाते हैं।
  6. किफायती (Economical)-चित्रों द्वारा समय तथा परिश्रम बहुत कम लगता है। इस विधि द्वारा कम स्थान पर बहुत ज्यादा सूचना कम समय में प्रदान की जा सकती है, जैसे कि एक डॉक्टर मरीज की हालत को चारट देख कर जल्दी दवाई दे देता है।
  7. संक्षेप रूप देना (Condensation)-चित्रों द्वारा आंकड़ों को संक्षेप रूप दिया जाता है। इसलिए पुरानी कहावत ठीक है कि तस्वीर हज़ारों शब्दों के बराबर होती है। (A Picture is Worth thousands of Words.)

चित्रों की सीमाएं (Limitations of Diagrams) –
चित्रों द्वारा आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण की मुख्य सीमाएं निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. गलत व्याख्या (Wrong Interpretation) चित्रों द्वारा तथ्यों की ठीक व्याख्या नहीं की जा सकती। यह तो आंकड़ों को प्रदर्शन करने का एक साधन मात्र होता है। कई बार चित्रों को देखकर पाठक गलत परिणाम निकाल लेते हैं।
  2. सीमित सूचना (Limited Information)-विशाल आंकड़ों को चित्रों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है तो वास्तविक सूचना प्रदान नहीं की जा सकती। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए थोड़ी सूचना प्रदान की जाती है। परिणामस्वरूप आंकड़ों को पेश करने का उद्देश्य समाप्त हो जाता है।
  3. अनुमानित मूल्य (Approximate Value)-चित्रों द्वारा आंकड़ों के पूरे मूल्य नहीं दिखाए जा सकते, बल्कि अनुमानित मूल्यों को ही स्पष्ट किया जाता है। इसलिए आंकड़ों को पूर्ण रूप में स्पष्ट करना मुश्किल हो जाता है।
  4. दुरुपयोग (Misuse)-चित्रों द्वारा आंकड़ों को उद्देश्य अनुसार तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है। इसलिए इश्तिहारबाज़ी में इनके भिन्न अर्थ प्रकट किए जाते हैं तथा ग्राहकों को कम उपयोगी वस्तुएं खरीदने के लिए प्रेरणा दी जा सकती है।

प्रश्न 2.
चित्र कितने प्रकार के होते हैं ? इन प्रकारों को स्पष्ट करें। (What are the types of diagrams ? Explain the meanings of the types of diagrams.)
उत्तर-
चित्रों को मुख्य तौर पर पांच भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जाता है। इसलिए चित्रों की 5 किस्में होती हैं, जिनको हम निम्नलिखित खाके की सहायता से स्पष्ट करते हैं-
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1. दण्ड चित्र (Bar Diagrams)-रेखाचित्रों को दण्ड चित्र अथवा डण्डा चित्र (Bar Diagrams) के रूप में प्रकट किया जा सकता है। आंकड़ों को पेश करने के लिए चित्रों की यह किस्म बहुत अधिक प्रयोग की जाती है। इस उद्देश्य के लिए सीधी रेखाओं जिनको साधारण डण्डा चित्र (Simple Bar Diagrams) अथवा बहु-डण्डा चित्र (Multiple Bar Diagrams) इत्यादि के रूप में प्रकट किया जाता है। जब हम चित्र के एक ओर अर्थात् ऊपर, नीचे, दाएं अथवा बाईं ओर डण्डे बनाते हैं तो इसको एक पक्षीय (One Dimensional) चित्र कहा जाता है। इसको दण्ड चित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
उदाहरण-
निम्नलिखित सारणी को डण्डा चित्र की सहायता से स्पष्ट करो।
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2. आयत चित्र (Rectangular Diagram)-चित्रों को स्पष्ट करने के लिए आयत (Rectangle) तथा वर्ग (Square) का प्रयोग भी किया जाता है। जब हम दो विस्तार वाले चित्रों में चित्र की लम्बाई तथा चौड़ाई दोनों को ही महत्त्व देना चाहते हैं तो ऐसे चित्रों को विस्तार (Two Dimensional) वाले चित्र कहा जाता है। ऐसे चित्रों में चित्रों का क्षेत्रफल महत्त्वपूर्ण होता है जोकि लम्बाई तथा चौड़ाई को गुणा करके प्राप्त किया जाता है। इसलिए आयताकार तथा वर्गाकार चित्रों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर बहुत-से तथ्यों की भी व्याख्या की जा सकती है। उदाहरणस्वरूप दो फ़र्मों के व्यय तथा लाभ की जानकारी इस प्रकार दी गई है। इसको आयत चित्र द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है – उदाहरण-फ़र्म A तथा फ़र्म B के व्यय पर लाभ का विवरण निम्नलिखित अनुसार है –
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इस प्रकार आयताकार चित्र फ़र्म A तथा B फ़र्म के व्यय, आय, लाभ इत्यादि की जानकारी प्रदान करते हैं।

3. चक्र अथवा पाई चित्र (Pie Diagram)-चित्र को गोलाकार रूप में भी स्पष्ट किया जाता है। इस स्थिति में एक गोल चक्कर का निर्माण करने के पश्चात् इसमें 36° कोणों का योग होता है। इसलिए प्रत्येक मूल्य को स्पष्ट करते समय इसका मूल्य 360° के अनुपात में प्राप्त किया जाता है तथा जब हमारे पास प्रत्येक मूल्य का योगदान डिग्री के रूप में प्राप्त हो जाता है तो उस अनुसार हम गोलाकार चित्र का निर्माण करते हैं। इस विधि को डॉक्टर ऊटा न्यूरैथ ने विकसित किया था। उदाहरणस्वरूप एक देश में राष्ट्रीय आय कुल आय का 50% भाग खेती में, 30% भाग उद्योगों में, 10% भाग सेवाओं तथा 10% भाग सबसे प्राप्त किया जाता है। इस स्थिति में विभिन्न क्षेत्रों को ध्यान में रखकर गोलाकार की कोणों का निर्माण निम्नलिखित अनुसार किया जाता है-

राष्ट्रीय आय में ………………………… |
कृषि में योगदान = \(\frac{50}{100}\) x 360° = 180°
उद्योगों में योगदान = \(\frac{30}{100}\) x 360° = 108°
सेवाओं में योगदान = \(\frac{10}{100}\) x 360 = 36°
शेष क्षेत्रों में योगदान = \(\frac{10}{100}\) x 360° = 36°
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विभिन्न क्षेत्रों के योगदान को डिग्रियों में पता करके गोल आकार चित्र (Pie Diagram) का निर्माण किया जाता

4. चित्र लेख (Pictograph)-चित्र लेख वह विधि होती है, जिस द्वारा तस्वीरों को बनाकर आंकड़ों का प्रदर्शन करने का प्रयत्न किया जाता है। उदाहरणस्वरूप एक देश की जनसंख्या को 1951 तथा 1991 के समय का तुलनात्मक अध्ययन करना है तो इस स्थिति में देश X की जनसंख्या के आंकड़े इस प्रकार दिए गए हैं-
(Population of A Country) देश X की जनसंख्या
1951-4 करोड़
1991-7 करोड़
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टिप्पणी = एक करोड़ इस प्रकार मनुष्यों, कारों अथवा उत्पादित वस्तुओं के चित्र बनाकर व्याख्या की जा सकती है।
5. मानचित्र (Cartrograph)-मानचित्र की विधि में विभिन्न देश के नक्शों में उन देशों में प्राप्त होने वाली वस्तुएं सम्बन्धी आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं। जब हमें तथ्यों को भौगोलिक आधार पर दिखाना हो तो मानचित्रों (Maps or Cartographes) का प्रयोग किया जाता है। उदाहरणस्वरूप भारत में प्रमुख नगरों दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता तथा चेन्नई के अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान का विवरण देना हो तो भारत के नक्शे में इन स्थानों के नाम लिखकर न्यूनतम तथा अधिकतम तापमान का विवरण दिया जा सकता है। इस विधि को मानचित्र विधि कहा जाता है।

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मानचित्र अनुसार दिल्ली का अधिकतम तापमान 40° तथा न्यूनतम 25° है।
कोलकाता का अधिक तापमान 30° तथा न्यूनतम 20° है।
मुम्बई का अधिकतम तापमान 30° तथा न्यूनतम 20°
चेन्नई का अधिकतम तापमान 35° तथा न्यूनतम 25°
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