PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

PSEB 12th Class Economics आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन, आय और व्यय के प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के नाम बताओ जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-

  • उत्पादन क्षेत्र
  • पारिवारिक क्षेत्र
  • वित्तीय क्षेत्र
  • सरकारी क्षेत्र
  • शेष विश्व क्षेत्र।

प्रश्न 3.
बंद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें आयात और निर्यात नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
खुली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था, वह अर्थव्यवस्था होती है जिसमें देश द्वारा बाकी विश्व से आयात और निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 5.
मौद्रिक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है तो इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब अर्थव्यवस्था में लेन-देन वस्तुओं तथा सेवाओं के रूप में किया जाता है तो उसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 7.
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त यह है कि विभिन्न क्षेत्रों के भुगतान तथा प्राप्तियां एक-दूसरे के समान होती हैं।

प्रश्न 8.
आय के चक्रीय प्रवाह का कोई एक महत्त्व बताएं।
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से राष्ट्रीय आय में उपभोग, बचत और निवेश का ज्ञान प्राप्त होता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 9.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं, उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 10.
तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र, वित्तीय क्षेत्र में बचत करते हैं तथा उधार लेते हैं, तो इस अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 11.
चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. पारिवारिक क्षेत्र
  2. उत्पादक क्षेत्र
  3. वित्तीय क्षेत्र
  4. सरकारी क्षेत्र।

प्रश्न 12.
वापसी अथवा रिसाव (Leakage) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
परिवार और फ़मैं अपनी आय का जो भाग बचत के रूप में रख लेते हैं, उसको वापसी अथवा रिसाव कहा जाता है।

प्रश्न 13.
समावेश (Injection) की परिभाषा दें।
उत्तर-
परिवार और फ़र्मों द्वारा बचत का जो भाग निवेश किया जाता है उसको समावेश कहा जाता है।

प्रश्न 14.
आय के चक्रीय प्रवाह की तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-

  • उत्पादन,
  • आय,
  • व्यय।

प्रश्न 15.
उत्पादन, आय और व्यय को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 16.
एक अर्थव्यवस्था के पाँच क्षेत्रों के नाम ………….
(1) उत्पादन क्षेत्र
(2) पारिवारिक क्षेत्र
(3) वित्तीय क्षेत्र
(4) सरकारी क्षेत्र
(5) बाकी विश्व क्षेत्र है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 18.
परिवार तथा फ़र्मों की आय का जो भाग बचत के रूप में रख लिया जाता है, उसको ……….. कहते हैं।
(a) पूँजी
(b) रिसाव
(c) भविष्य निधि
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) रिसाव।

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प्रश्न 19.
एक देश में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है, उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 20.
एक देश में लेन-देन वस्तुओं और सेवाओं के रूप में किया जाता है और उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 21.
वस्तओं तथा सेवाओं के प्रवाह को ………… …. कहते हैं :
(a) मौद्रिक प्रवाह
(b) आर्थिक प्रवाह
(c) वास्तविक प्रवाह
(d) उपरोक्त में से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) वास्तविक प्रवाह।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मुद्रा आय के चक्रीय रूप में प्रवाह से होता है। एक क्षेत्र का व्यय दूसरे क्षेत्र की आय होती है। दूसरा क्षेत्र आय को अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करता है तो शेष क्षेत्रों को आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बताओ, जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्गीकरण निम्नलिखित अनुसार है

  1. उत्पादन क्षेत्र (Production Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector)- यह क्षेत्र बचत जमा करता है तथा उधार देता है।
  4. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा व्यय करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात करता है।

प्रश्न 3.
बन्द अर्थव्यवस्था तथा खुली अर्थव्यवस्था में अन्तर बताओ।
उत्तर–
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें आयात तथा निर्यात नहीं किया जाता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें विदेशों से वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात किया जाता है तथा विदेशों को वस्तुएं तथा सेवाएं निर्यात की जाती हैं।

प्रश्न 4.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब उत्पादन के साधन कार्य करते हैं तथा उनको लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है, जिसको वह साधन अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करते हैं तो इससे उत्पादन क्षेत्र को आय प्राप्त होती है, इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। वास्तविक प्रवाह (RealFlow) से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की सेवाओं का प्रवाह उत्पादन क्षेत्र की ओर जाता है तथा उत्पादन क्षेत्र को वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

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प्रश्न 5.
भण्डार (Stock) तथा प्रवाह (Flow) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भण्डार वह मात्रा होती है जो निश्चित समय के बिन्दु (Point of Time) पर मापी जाती है। जैसे कि मनुष्य के पास धन अथवा पूंजी का भण्डार। प्रवाह वह मात्रा होती है, जो समय अवधि (Period of Time) में मापी जाती है, जैसे कि परिवार की आय तथा व्यय इत्यादि।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से वास्तविक प्रवाह की व्याख्या करें।
उत्तर-
वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई सेवाओं (भूमि श्रम, पूंजी, उद्यम) के बदले में जब उत्पादन क्षेत्र द्वारा वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं। इसको रेखाचित्र 1 द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
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प्रश्न 7.
मौद्रिक प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से मौद्रिक प्रवाह की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मौद्रिक प्रवाह वह प्रवाह है जिसमें आय तथा व्यय मुद्रा के रूप में किया जाता है। उत्पादन क्षेत्र में फर्मे पारिवारिक क्षेत्र को काम करने के बदले में साधन भुगतान (लगाना, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ) करते हैं। पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर खर्च कर देते हैं। इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। जो कि दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में किया जाता है।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन, आय तथा व्यय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या उद्देश्य है ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह के लिए किस प्रकार के आंकड़े अनिवार्य हैं ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह का क्या अर्थ है ? इससे सम्बन्धित तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-
मुद्रा आय के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। उत्पादन, आय अथवा व्यय के चक्रीय प्रवाह को आय प्रवाह कहा जाता है, जब किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाता है तो उत्पादन के साधन मिलकर यह उत्पादन करते हैं। इसलिए साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है। उत्पादन के साधन इस आय को आवश्यकताओं की पूर्ति पर व्यय करते हैं। इससे उत्पादन की वस्तुओं तथा सेवाओं की खपत हो जाती है। मानवीय आवश्यकताओं का कभी अन्त नहीं होता, इसलिए उत्पादन के साधन फिर कार्य करने लग जाते हैं। इस प्रकार उत्पादन, आय तथा व्यय चक्रीय प्रवाह में चलते रहते हैं।
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प्रश्न 2.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में दो क्षेत्र, परिवार क्षेत्र तथा फ़में दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का प्रवाह (उत्पादन क्षेत्र हैं) परिवार क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूंजी तथा संगठन कार्य करने के लिए फर्मों में जाते हैं। इससे वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है। फ़र्मों द्वारा उत्पादन के साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है तथा फ़र्मों को लाभ होता है। उत्पादन के साधन अपनी आय
पारिवारिक क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इससे फ़र्मों को आय होती है तथा उनकी उत्पादन वस्तुएं बिक जाती हैं। इसको एक रेखाचित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

पारिवारिक क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी की सेवाएं उत्पादन क्षेत्र को दी जाती हैं।

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  • उत्पादन क्षेत्र साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज का भुगतान करता है तथा फ़र्म को लाभ प्राप्त होता है।
  • पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करता है।
  • उत्पादन क्षेत्र में से वस्तुएं तथा सेवाएं पारिवारिक क्षेत्र में आ जाती हैं।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? एक अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (What is Circular Flow of Income? Explain the Circular Flow of Income in an Economy.)
अथवा
बन्द अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (Explain Circular Flow of Income in Closed Economy.)
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का अर्थ (Meaning of Circular Flow of Income)-आय के चक्रीय प्रवाह को समझने के लिए अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों की जानकारी अनिवार्य होती है। आय की ओर से अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. उत्पादन क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग किया जाता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में बचत जमा करवाई जाती है तथा उधार दिया जाता है।
  4. सरकारी क्षेत्र-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा सहायता प्रदान करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात से सम्बन्धित होता है।

आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आय के चक्र में बहाव की प्रक्रिया को कहा जाता है। (Circular flow of income means the flow of money income in different sectors of an economy.)

आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow Of Income) जब आय तथा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अन्तर-निर्भरता को रेखाचित्र द्वारा दिखाया जाता है तो यह आय का चक्रीय प्रवाह है, इसको दो तरह की अर्थव्यवस्था में स्पष्ट किया जा सकता है
(A) बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)
(B) खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)।

A. बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)-वह अर्थव्यवस्था जिसमें आयात-निर्यात नहीं किया जाता, उसको बन्द अर्थव्यवस्था कहा जाता है।ऐसी अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है-
1. दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income in two sectors of an Economy)-पहले हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था लेते हैं जिसमें दो क्षेत्र

  • उत्पादन क्षेत्र तिम वस्तुए तथा सेवा
  • पारिवारिक क्षेत्र हैं। इस अर्थव्यवस्था में पूरी आय उत्पादन क्षेत्र व्यय की जाती है। बचत नहीं की जाती, कर नहीं पारिवारिक क्षेत्र
    (फ़र्में) लगते, आयात-निर्यात नहीं किया जाता। इस अर्थव्यवस्था में दो प्रवाह हैं

(a) वास्तविक प्रवाह (Real Flow)-साधन सेवाएं, भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम पारिवारिक क्षेत्र से फ़र्मों में कार्य करते हैं तथा अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करते हैं। इसको वास्तविक प्रवाह कहा जाता है।
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(b) मुद्रा प्रवाह (Money Flow)-फ़र्मे साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ में भुगतान करती हैं तथा परिवार अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इसको मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। रेखाचित्र अनुसार,

  • फ़र्मों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल उत्पादन = पारिवारिक क्षेत्र द्वारा कुल वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग।
  • फ़र्मों द्वारा साधन भुगतान = पारिवारिक क्षेत्र में साधन आय।
  • पारिवारिक क्षेत्र का उपभोग व्यय = पारिवारिक क्षेत्र की आय।
  • फ़र्मे तथा परिवारों का उत्पादन तथा उपभोग का वास्तविक प्रवाह = फ़र्मों तथा परिवारों की आय तथा व्यय का मौद्रिक प्रवाह।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

वित्तीय बाज़ार में आय का चक्रीय प्रवाह-परिवार तथा फ़र्मे अपनी मौद्रिक आय व्यय नहीं करतीं। इसमें से कुछ भाग की बचत की जाती है। यह बचत बैंकों (वित्तीय बाज़ार) में जमा करवाई जाती है। बैंक इस राशि को फ़र्मों तथा परिवारों को उधार दे देते हैं तथा मुद्रा के चक्रीय प्रवाह में कोई फर्क नहीं पड़ता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उन सभी चीज़ों को वस्तु कहते हैं जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं तथा जिन्हें मानव प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 2.
सेवाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सेवाएं अभौतिक वस्तु हैं जिन्हें छुआ, देखा या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
भौतिक वस्तु कौन-सी वस्तु को कहते हैं ?
उत्तर-
भौतिक वस्तु वह वस्तु है जिसे छुआ जा सकता है, देखा जा सकता है तथा जिसका हस्तान्तरण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम बताइये।
उत्तर-
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम सेवाएं है जैसे डॉक्टर की सेवा, अध्यापक की सेवा आदि।

प्रश्न 5.
आर्थिक वस्तुएं क्या हैं ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो सीमित होती हैं, जिनमें उपयोगिता होती है तथा हस्तान्तरणीयता होती है।

प्रश्न 6.
अनार्थिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अनार्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनकी पूर्ति मांग से बहुत अधिक होने के कारण दुर्लभ नहीं होती और निःशुल्क उपलब्ध होती हैं जैसे सूर्य का प्रकाश, हवा आदि।

प्रश्न 7.
आगत (Input) क्या है ?
उत्तर-
उत्पादन-प्रक्रिया की दृष्टि से एक उत्पादकीय फर्म द्वारा जो भी वस्तुएं एवं सेवाएँ खरीदी जाती हैं, उन्हें आगत कहते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तु के लिए कीमत देनी पड़ती है जबकि अनार्थिक वस्तु के लिए कीमत नहीं देनी पड़ती।

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प्रश्न 9.
उपभोक्ता वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं।

प्रश्न 10.
पूंजीगत वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होती हैं।

प्रश्न 11.
गैर टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं कौन सी हैं ?
उत्तर-
गैर-टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक बार उपभोग करने के बाद समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 12.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
चाय, ब्रैड, मक्खन, बिस्कुट आदि ।

प्रश्न 13.
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग प्रायः एक वर्ष की अवधि तक किया जा सकता है जैसे कमीज़, फर्नीचर, परदे, क्राकरी आदि।

प्रश्न 14.
टिकाऊ उपभोग वस्तुओं के तथ्य को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग बार-बार किया जा सकता है जैसे टी०वी०, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि।

प्रश्न 15.
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की क्रिया में केवल एक बार ही प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे ईंधन, कच्चा माल आदि।

प्रश्न 16.
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी वस्तुएँ हैं ?
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
उपभोग वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में भेद का क्या आधार है ?
उत्तर-
इनमें अन्तर का आधार इनके उपभोग का उद्देश्य है।

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प्रश्न 18.
मध्यवर्ती उपभोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है उत्पादन के लिए गैर टिकाऊ वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग।

प्रश्न 19.
फर्मों का मध्यवर्ती उपभोग क्या है ?
उत्तर-
उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है गैर टिकाऊ वस्तुओं और सेवाओं, विज्ञापन, अनुसन्धान तथा विकास आदि पर किया गया व्यय।

प्रश्न 20.
गैर वित्तीय निगमित उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग के उदाहरण दें।
उत्तर-
कच्चा माल और ईंधन।

प्रश्न 21.
टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जाता है जैसे मशीन।

प्रश्न 22.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जो पुनः बिक्री के लिए खरीदे जाते हैं।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ किसे कहते हैं ? Distinguish between material and non-material goods.)
उत्तर-
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों में अग्रलिखित अंतर हैं –

भौतिक वस्तुएँ अभौतिक वस्तुएँ
1. इनका भौतिक स्वरूप होता है अर्थात् इन्हें देखा जा सकता है, छुआ जा सकता है। 1. इनका भौतिक स्वरूप नहीं होता।
2. इनके उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर होता है। 2. इनका उत्पादन और उपभोग साथ-साथ होता है।
3. इनका संग्रह किया जा सकता है। 3. इनका संग्रह नहीं किया जा सकता ।
4. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित किया जा सकता
है।
4. इन्हें हस्तान्तरति नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुएँ किसे कहते हैं ? (Distinguish between economic and non economic goods.) उत्तर-
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में निम्न अन्तर पाया जाता है-

आर्थिक वस्तुएँ अनार्थिक वस्तुएँ
1. इनकी पूर्ति सीमित होती है। 1. इनकी पूर्ति सीमित नहीं होती।
2. इनके लिए कीमत देनी पड़ती है। 2. ये निःशुल्क प्राप्त होती हैं।
3. इनका उत्पादन सीमित साधनों द्वारा किया जाता हैं जैसे हवा और धूप। 3. ये वस्तुएँ प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं तथा टिकाऊ उपभोग वस्तुओं पर एक टिप्पणी लिखिए। (Write a note on single use consumer goods and consumer durables.)
उत्तर-
कई वस्तुएं एक ही बार प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे फल, ईंधन, दूध, आटा, बिजली आदि। इन वस्तुओं का तुष्टिगुण एक बार के प्रयोग से समाप्त हो जाता है। ऐसी वस्तुओं को एकल प्रयोग वस्तुएँ अथवा गैर-टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं। सेवायें भी इसी श्रेणी में आती हैं। इन वस्तुओं की मांग निरन्तर रूप से की जाती रहती है। कई वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें निरन्तर रूप से कई वर्षों तक प्रयोग में लाया जा सकता है जैसे टेलीविज़न, फ्रिज, कार आदि। ऐसी वस्तुएँ टिकाऊ कहलाती हैं।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? (What do you mean by intermediate goods ?)
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं प्रायः गैर टिकाऊ होती हैं। सभी गैर-साधन आगत (non factor inputs) मध्यवर्ती वस्तुएँ होते हैं। गैर साधन आगतों में साधन आगतों (factor inputs) को छोड़कर उत्पादन में काम आने वाले अन्य साधन शामिल हैं। साधन आगत टिकाऊ होते हैं। वर्ष के दौरान खरीदा गया माल भण्डार यदि वर्ष के दौरान प्रयोग में आ जाता है तो यह मध्यवर्ती वस्तु कहलाता है। मध्यवर्ती वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में पुनः प्रयोग में आती हैं और इनका सम्बन्ध उपभोग और निवेश के लिए नहीं होता। ये वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा के अन्दर होती हैं। मध्यवर्ती वस्तुएँ राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होतीं, केवल अन्तिम वस्तुओं का मूल्य आंका जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Very Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? इसके दो उदाहरण दें। (What do you mean by final goods ? Give two examples of final goods.)
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका या तो अन्तिम उपभोग के लिए या पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी पुनः बिक्री नहीं होती। अन्तिम वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा से बाहर निकलकर अन्तिम प्रयोग के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए सोफा सेट, कपड़ा बनाने की मशीनें, स्कूटर, पंखे आदि अन्तिम वस्तुओं के उदाहरण हैं। अन्तिम वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं-

  1. उपभोक्ता वस्तुएँ (वे अन्तिम वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को प्रत्यक्षरूप से सन्तुष्ट करती हैं जैसे टेलीविज़न (टिकाऊ वस्तु), कमीज, फर्नीचर (अर्द्ध टिकाऊ वस्तु) और गैर टिकाऊ वस्तुएँ (फल, सब्जी, दूध आदि) तथा
  2. पूंजीगत वस्तुएँ वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं जैसे कार, ट्रक, इमारतें, वायुयान, मशीनें, सड़कें, पुल आदि।

प्रश्न 2.
उत्पादन के मूल्य तथा मूल्य वृद्धि में अन्तर बताइये। (Explain the difference between value of output and value added.)
उत्तर-
उत्पादक फर्मे एक लेखा वर्ष के दौरान वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चा-माल (मध्यवर्ती वस्तुएँ) और साधन आगतों (factor inputs) का प्रयोग करती हैं। विभिन्न फर्मे एवं उत्पादन इकाइयां भिन्न-भिन्न वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। इस उत्पादन का मौद्रिक मूल्य, उत्पादन मूल्य (value of output) कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल होता है। इसलिए यह राष्ट्रीय आय की गणना का आधार नहीं हो सकता क्योंकि यहाँ दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।

एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, जिसमें चालू कार्य में शुद्ध वृद्धि और स्व लेखा (own account) पर उत्पादित वस्तुएँ भी शामिल हैं, उत्पादन मूल्य कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल है जिन्हें उत्पादित फर्म ने अन्य फर्मों से प्राप्त किया। यदि उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा दिया जाये तो उसे मूल्य वृद्धि कहते हैं। उत्पादन मूल्य = फर्म द्वारा बिक्री + माल भण्डार में वृद्धि मूल्य वृद्धि = उत्पादन मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग प्रवाह में योगदान डाला जाता है। राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आंकड़े-राष्ट्रीय आय लेखा विधि में अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, बांट तथा कुल उपभोग सम्बन्धी आंकड़ों की जानकारी दी गई होती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

प्रश्न 3.
बाजार से खरीदे गये रेफ्रिजरेटर के कौन-कौन से उपयोग हो सकते हैं ? (Explain the different uses of Refrigerator.)
उत्तर-
एक उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से अपनी आवश्यकता सन्तुष्ट करने के लिए फ्रिज खरीदता है तो यह प्रयोग घरेलू प्रयोग होगा। अतः यह उपभोक्ता वस्तु होगी और क्योंकि इसका प्रयोग बार-बार किया जायेगा, अत: यह टिकाऊ वस्तु होगी। सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाने वाला फ्रिज मध्यवर्ती वस्तु (Intermediate good) है। एक होटल द्वारा ठण्डा कोला बेचे जाने के लिए खरीदा फ्रिज पूंजीगत वस्तु है। वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं। एक दवाई विक्रेता यदि फ्रिज दुकान के लिए खरीदता है तो वह पूंजीगत टिकाऊ वस्तु है।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती उपभोग की मांग को स्पष्ट कीजिये। (Explain the demand for intermediate consumption.)
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग की मांग अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों द्वारा की जाती है। सभी उद्यमी दो प्रकार के आगतों (Inputs) का प्रयोग करके वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करते हैं। अर्थात् साधन आगत या प्राथमिक आगत (Factor inputs or primary inputs) तथा गैर साधन आगत या द्वितीयक आगत (Non-factor inputs or secondary inputs)। मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है सभी उत्पादक क्षेत्रों तथा सरकार द्वारा उत्पादन के लिए गैरसाधन आगतों का प्रयोग करना।

1.उद्यमियों का मध्यवर्ती उपभोग = उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली गैर टिकाऊ वस्तुएँ व सेवायें (Non durable goods and services) + पूंजीगत स्टॉक की मरम्मत तथा रख-रखाव (Repair and maintenance of capital goods) + अनुसंधान तथा विकास पर व्यय (expenditure on research and development) + व्यावसायिक यात्राओं आदि पर व्यय (expenditure on business tours) + अन्य व्यय (परिवारों के मकान, दुकान, गोदाम, कारखानों की इमारतों के रख-रखाव पर व्यय)।

2. सामान्य सरकार का मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption of General Government) = गैर टिकाऊ वस्तुएँ (Non durable goods) + टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods) + मरम्मत एवं रख-रखाव पर खर्च (expenditure on Repair and Maintenance) + विदेशों से उपहार तथा हस्तान्तरण (Gifts and Transfers from foreign governments)- विदेशों से प्राप्त जो वस्तुएँ बिना किसी परिवर्तन के उपभोक्ता परिवारों में वितरित कर दी जाती हैं उन्हें मध्यवर्ती वस्तु नहीं माना जाता। सरकार द्वारा खरीदी गई टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ तथा विदेशी सरकारों से प्राप्त वस्तुओं का शुद्ध मूल्य निकालने के लिए उनके क्रय मूल्य से सरकार द्वारा पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त रकम को घटा दिया जाता है।

प्रश्न 5.
स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। (Explain the nature of goods produced for self-consumption.)
उत्तर-
प्रत्येक देश में अनेक उदाहरण ऐसे मिलते हैं जहां उत्पादक उत्पादन का एक भाग अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रखते हैं और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो भी अधिशेष उत्पादन बचता है उसे बाज़ार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। यह बात केवल वस्तुओं पर ही लागू नहीं होती बल्कि सेवाओं पर भी लागू होती है। पारिवारिक स्नेह या उत्तरदायित्व के कारण जब कोई व्यक्ति अपनी सेवाएं प्रदान करता है तो वे सेवाएं स्व-उपभोग सेवाएं कहलाती हैं।

उदाहरण के लिए गृहिणी परिवार में अनेक बहुमूल्य सेवाएं प्रदान करती है। परिवार के लिए भोजन बनाना, परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े सीना, अस्वस्थ होने पर नर्स का कार्य करना, घर में बच्चों को शिक्षा देना, कढ़ाई-बुनाई आदि। यदि ये सेवाएं हम पारिश्रमिक द्वारा प्राप्त करना चाहें तो सम्भवतः प्राप्त न हों क्योंकि हम मुद्रा द्वारा भोजन तो प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उस भोजन में जो भाव होता है उसे कहाँ से लाया जाए ? जब तक अध्यापक अपने बच्चे को घर पर पढ़ाता है, नर्स अपने बच्चे की देखभाल करती हैं, एक कलाकार अपने घर के लिए चित्र बनाता है, एक डॉक्टर अपनी पत्नी का इलाज करता है आदि ये सभी स्व-उपभोग सेवाओं के उदाहरण हैं।

एक किसान अपने उपभोग के लिए कुल उत्पादन में से गेहूँ का एक भाग रख लेता है, एक जुलाहा अपने उत्पादन में से घर के लिए कपड़ा बचा लेता है, एक मोची अपने उत्पादन में से जूते अपने लिए रख लेता है, ये सभी स्व-उपभोग के उदाहरण हैं। हम कह सकते हैं कि स्व-उपभोग के लिए उपयोग में लाई गई वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्यांकन नहीं होता जबकि ये वस्तुएँ और सेवाएं मौद्रिक मूल्य रखती हैं।

प्रश्न 6.
स्टॉक तथा प्रवाह में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्टॉक तथा प्रवाह में अन्तरस्टॉकया ।

स्टॉक प्रवाह
1. स्टॉक का माप समय के बिन्दु पर किया जाता 1. प्रवाह का माप समय की अवधि में किया जाता
है।
2. स्टॉक का समय काल नहीं होता। 2. स्टॉक का समय काल होता है जैसे प्रति घण्टा, प्रति महीना आदि।
3. प्रवाह एक परिवर्तनशील धारणा है। 3. स्टॉक एक स्थिर धारणा है।
4. प्रवाह देश में स्टॉक को प्रभावित करता है। 4. स्टॉक देश में प्रवाह को निर्धारित करता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का वर्णन कीजिए। (What is meant by goods ? Mention the different types of goods.)
उत्तर-
मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। वस्तुएं भौतिक होती हैं तथा सेवाएं अभौतिक होती हैं। पदार्थ वे वस्तुएं हैं जिन्हें मनुष्य प्राप्त करना चाहता है। वे सब वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं, पदार्थ कहलाती हैं। (Goods are desirable things. All things that satisfy human wants are called goods-Marshall). राष्ट्रीय आय लेखांकन में मनुष्य द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं को कई वर्गों में बांट दिया जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं 1
1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer Goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता वस्तुएं अन्तिम उपभोग के लिए प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए कमीज़, चाय, पैप्सी, कोला, पैन आदि।

(A) एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं (Single Use Consumer Goods)-एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं वे जिनका उपभोग केवल एक बार ही किया जाता है अर्थात् जो एक बार उपयोग करने के साथ ही समाप्त हो जाती हैं। जैसे रोटी, चाय, कॉफी, आदि।

(B) टिकाऊ उपभोग वस्तुएं (Durable Consumer Goods)-टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुए हैं जिनका काफी लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है। जैसे-रेडियो, कार, स्कूटर, वाशिंग मशीन, टेलीविज़न आदि टिकाऊ उपभोग वस्तुएं हैं।

2. पूंजीगत पदार्थ या उत्पादक वस्तुएं (Capital or Producer’s Goods)-पूंजीगत पदार्थ वे पदार्थ हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। ये वस्तुएं प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं करतीं। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के फलस्वरूप पूंजी का निर्माण होता है। पूंजीगत वस्तुओं को भी दो भागों में बांटा जा सकता है।

(A) एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं (Single use Capital Goods)-एक प्रयोग पूंजीगत उत्पादक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उत्पादन की एक ही क्रिया में समाप्त हो जाती हैं। जैसे-कच्चा माल।

(B) टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ (Durable Capital Goods)-टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मशीनें, यन्त्र, फैक्ट्री, ट्रैक्टर आदि।

प्रश्न 2.
आर्थिक वस्तुओं तथा अनार्थिक वस्तुओं में अन्तर बताइये। (Distinguish between economic goods and non-economic goods.)
उत्तर-
उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत अनेक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। इसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों को शामिल किया जाता है। भौतिक पदार्थों को वस्तुएं कहते हैं जबकि अभौतिक पदार्थों को सेवायें कहा जाता है। वस्तुओं के उत्पादन तथा उपभोग में समय अन्तर होता है, जबकि सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर नहीं होता।

आर्थिक पदार्थ (Economic Goods)-ये वे पदार्थ हैं जो मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कीमत देकर प्राप्त किए जाते हैं। ऐसी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए हमें आर्थिक कार्य करने पड़ते हैं जिससे आर्थिक साधनों को प्राप्त किया जा सके। इन्हें प्राप्त करने के लिए या तो मुद्रा अथवा अन्य वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है।

अनार्थिक पदार्थ (Non-Economic Goods)-अनार्थिक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त हो जाती हैं। इनके लिए साधनों का त्याग नहीं किया जाता। ये लागतहीन वस्तुएं होती हैं। जैसे-हवा, धूप, रोशनी, रेत आदि। आर्थिक और अनार्थिक वस्तुओं के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती। उदाहरण के लिए गांवों में पानी एक अनार्थिक वस्तु हैं, क्योंकि यह नि:शुल्क प्राप्त होता है परन्तु शहरों में पानी एक आर्थिक वस्तु है, क्योंकि इसके लिए मूल्य चुकाना पड़ता है।

इन दोनों प्रकार के पदार्थों में आधारभूत अन्तर पदार्थ की दुर्लभता (Scarcity) है। यहां दुर्लभता का प्रयोग तुलनात्मक (relative) अर्थों में किया जाता है। इनका सम्बन्ध वस्तुओं की निरपेक्ष (absolute) मात्रा से नहीं है। दुर्लभता का पता करने के लिए हमें मांग या पूर्ति की तुलना करनी पड़ती है। उस वस्तु को दुर्लभ कहते हैं जिसकी मांग, पूर्ति से अधिक हो। जिस वस्तु की मांग पूर्ति से बहुत कम हो वह वस्तु दुर्लभ नहीं होती, जैसे-गन्दे अण्डे, सड़े हुए टमाटर आदि। इसी कारण ये पदार्थ नि:शुल्क प्राप्त होते हैं। कोई वस्तु अथवा सेवा आर्थिक पदार्थ है या नहीं, इसका निर्णय उसके मूल्य पर निर्भर करता है। नि:शुल्क प्राप्त पदार्थ का वर्गीकरण न तो निश्चित है और न ही स्थायी। संसार में विकास के साथ-साथ नि:शुल्क पदार्थों का क्षेत्र कम हो रहा है तथा आर्थिक पदार्थों का क्षेत्र बढ़ रहा है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

प्रश्न 3.
वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्तिम उपभोग का वर्गीकरण कीजिए। (Classify the final consumption of goods and services.) उत्तर-
अन्तिम उपभोग के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता गृहस्थ एवं सामान्य सरकार दोनों ही उपभोक्ता वस्तुओं की मांग करते हैं। उपभोक्ता वस्तु टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ हो सकती है। उपभोक्ता गृहस्थों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली उपभोक्ता वस्तुओं में कार, रेफ्रिजरेटर, स्कूटर, टी.वी., वी.सी. आर. वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर आदि को शामिल किया जाता है। अर्द्ध टिकाऊ वस्तुओं (semi durables) में फर्नीचर, पर्दे आदि को शामिल किया जाता है जो सामान्यतः एक वर्ष तक चलते हैं। टिकाऊ वस्तुओं का उपयोग सामान्य सरकार द्वारा भी किया जाता है और ये सामान्य सरकार के अन्तिम उपभोग व्यय में शामिल होती हैं। इसी प्रकार गृहस्थों तथा सामान्य सरकार द्वारा उपभोग की गई गैर-टिकाऊ वस्तुओं में खाद्य पदार्थ,पेय-पदार्थ, दवाइयां, पेट्रोल, पेन्सिल, कागज़, स्याही, साबुन, तेल आदि शामिल होते हैं। ये वस्तुएं भी उनके अन्तिम उपभोग व्यय का हिस्सा होती हैं।

2. मध्यवर्ती वस्तुएं (Intermediate Goods)-मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। सामान्यतः सरकार द्वारा वाहनों, हवाई जहाज़ों, सैनिक सामान के गोदामों, रेफ्रिजरेटर्स आदि का उपभोग मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग के उदाहरण हैं। इसी प्रकार गैर टिकाऊ वस्तुएं एवं सेवायें जैसे कि स्टेशनरी, कपड़ा, पेट्रोल, तेल आदि जिनका उपयोग निगमित उद्यमों एवं सरकार द्वारा उत्पादन के दौरान किया जाता है, मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती हैं। परन्तु यदि इन्हीं वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग यदि गृहस्थों द्वारा किया जाता है तो इन्हें उपभोक्ता वस्तुएँ कहेंगे।

3. पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods)-भावी उत्पादन के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है उन्हें पूंजीगत वस्तुएं कहते हैं। फैक्ट्री की इमारत, मशीनें, प्लांट, उपस्कर, सड़क, बांध, नहरें, हवाई जहाज़, ट्रक आदि टिकाऊ पूंजीगत वस्तुओं के उदाहरण हैं। पूंजीगत वस्तुओं में कच्चे माल के स्टॉक, अर्ध निर्मित वस्तुओं के स्टॉक तथा अन्तिम वस्तुओं के स्टॉक भी शामिल किए जाते हैं। पूंजीगत वस्तुओं का उपभोग अर्थव्यवस्था के केवल उत्पादक क्षेत्र के द्वारा ही किया जाता है। एक वस्तु जो एक श्रेणी के उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता वस्तु हैं, दूसरी श्रेणी के लिए मध्यवर्ती वस्तु और तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता के लिए पूंजीगत वस्तु कहलाती है। सरकार द्वारा उपभोग की गई सभी मध्यवर्ती वस्तुएँ उसके अन्तिम उपभोग का अंग है।

प्रश्न 4.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है ? सकल घरेलू पूंजी निर्माण तथा सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण में अन्तर बताइये। (Explain the meaning of capital formation. Distinguish between Gross Domestic capital formation and Gross Domestic fixed capital formation.)
उत्तर-
एक वित्तीय वर्ष में उपभोग की तुलना में उत्पादन के आधिक्य (surplus) को जिसे भविष्य में उत्पादन में प्रयोग किया जाता है, पंजी निर्माण कहते हैं। एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन के योग को सकल घरेलू पूंजी निर्माण कहते हैं। सकल घरेलू पूंजी निर्माण = सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन। सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण एक वित्तीय वर्ष में नई परिसम्पत्तियों तथा पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों के शुद्ध क्रय का जोड़ है।

सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण = नई परिसम्पत्तियां + पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों का शुद्ध क्रय। नई परिसम्पत्तियों को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-

  • बाज़ार में उत्पादन इकाइयों से क्रय करके तथा
  • स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन द्वारा। उदाहरण के लिए सरकार पैराशूट बनाने के लिए धागा या कपड़ा निजी उद्यमों से बाज़ार में खरीद सकती है या स्वयं के उपयोग हेतु इसका उत्पादन कर सकती है। नई परिसम्पत्तियों को विदेशों से भी आयात किया जा सकता है। निजी एवं सार्वजनिक उद्यम दोनों ही आयातित परिसम्पत्तियों को प्राप्त कर सकते हैं।

ये परिसम्पत्तियां निम्न हैं

  1. सड़कें एवं पुल
  2. इमारतें,
  3. विनिर्माण क्रिया (Construction Activity)
  4. परिवहन उपस्कर (Transport Equipment) तथा
  5. मशीनें, प्लांट एवं अन्य उपस्कर (Machinery, Plants and other Equipments)।

पुरानी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय (Purchase and sale of old assets)-पुरानी परिसम्पत्तियों के क्रयविक्रय को भी स्थिर घरेलू पूंजी निर्माण में शामिल किया जाता है। तकनीकी परिवर्तनों के साथ अपने उद्यम को समन्वित करने के उद्देश्य से अपनी पुरानी और अप्रचालित भौतिक परिसम्पत्तियों को बेचकर नई परिसम्पत्तियां प्राप्त करते हैं।

स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock or Inventories)-स्टॉक के भौतिक मूल्य में निम्न रूपों में परिवर्तन हो सकते हैं –
(क) उत्पादक गृहस्थों तथा उद्यमों के पास कच्चे माल, अर्द्ध-निर्मित माल तथा निर्मित माल के स्टॉक में परिवर्तन।
(ख) सरकार के स्वामित्व में सामरिक महत्त्व (Strategic importance) के तथा खाद्यान्नों के स्टॉक में परिवर्तन।
(ग) उद्यमों द्वारा बूचड़खानों (Slaughter houses) में काम आने वाले पशुओं के स्टॉक में परिवर्तन। स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (Closing Stock)-आरम्भिक स्टॉक (Opening Stock)।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है।

प्रश्न 2.
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चुनाव की समस्या दुर्लभता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।

प्रश्न 4.
पदार्थों की माँग जब पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है ?
अथवा
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 5.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र एक गृहस्थी, एक फ़र्म तथा एक उद्योग से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोगों में से चुनाव करने की समस्या को आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक गृहस्थी की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को कौन-सा अर्थशास्त्र कहा जाता है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 9.
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनाव अथवा साधन के बंटवारे की समस्याओं का अध्ययन किस अर्थशास्त्र में किया जाता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थ शास्त्र।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध दुर्लभता के कारण, चयन की समस्या से होता है, जिस द्वारा व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 11.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं। कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को चयन करना पड़ता है, जिस द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सके, इसलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 12.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।

प्रश्न 13.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
दोनों है।

प्रश्न 14.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं ?
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक प्रो० एडम स्मिथ हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 15.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
कीमत सिद्धान्त।

प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र को और क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
रोज़गार सिद्धान्त।

प्रश्न 17.
पूंजीवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन निजी लोगों के हाथ में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 18.
समाजवाद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समाजवाद में उत्पादन के साधन सरकार के हाथ में होते हैं और उत्पादन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से किया जाता है।

प्रश्न 19.
समष्टि आर्थिक चरों की उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सकल उत्पादन, कुल निवेश, समग्र रोज़गार आदि समष्टि अर्थशास्त्र के चर हैं।

प्रश्न 20.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है और समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक इकाइयों का अध्ययन करता है।

प्रश्न 21.
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन, समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है ?
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है।

प्रश्न 22.
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन कहां केन्द्रित रहता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन, आय तथा रोज़गार निर्धारण पर केन्द्रित रहता है।

प्रश्न 23.
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में कब जागृत हुई है ?
उत्तर-
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में केन्जीय क्रान्ति (Keynesian Revolution) के बाद ही जागृत हुई है।

प्रश्न 24.
आर्थिक सिद्धान्त का कौन-सा भाग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार की समस्याओं से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 25.
जे० एम० केन्ज़ की महत्त्वपूर्ण पुस्तक का क्या नाम है ? वह कौन-से वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर-
“जनरल थ्यौरी ऑफ एंपलायमैंट इंटरैस्ट एंड मनी’ जोकि 1936 में प्रकाशित हुई।

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प्रश्न 26.
विश्व में पहली महामंदी (Great Depression) कब आई थी ?
उत्तर-
पहली महामंदी 1929-30 में आई थी।

प्रश्न 27.
मानवीय आवश्यकताएँ ………… हैं।
(a) सीमित
(b) असीमित
(c) दुर्लभ
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) असीमित।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा से लिया गया है ?
(a) फ्रेंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र के पितामह कौन है ?
(a) मार्शल
(b) रोबिन्ज़
(c) एडम स्मिथ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) एडम स्मिथ।

प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र प्रबन्ध का विज्ञान है ?
(a) सीमित साधन
(b) असीमित आवश्यकताओं
(c) विकल्प प्रयोगों
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।
उत्तर-
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।

प्रश्न 31. अर्थशास्त्र का विषय ………………
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) न विज्ञान और न कला।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 32.
व्यष्टि अर्थशास्त्र को …………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) रोज़गार सिद्धान्त
(c) आय सिद्धान्त
(d) कृषि सिद्धान्त।
उत्तर-
(a) कीमत सिद्धान्त।

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प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र को ………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) आर्थिक विकास सिद्धान्त
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त।

प्रश्न 34.
एक व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने को …………. कहा जाता है ।
(a) पारिवारिक अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 35.
सामूहिक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन को …….. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
(a) व्यष्टि
(b) समष्टि
(c) अन्तर्राष्ट्रीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) समष्टि।

प्रश्न 36.
दुर्लभता से अभिप्राय उस अवस्था से होता है जब साधनों की पूर्ति माँग से कम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 37.
समष्टि अर्थशास्त्र में एक व्यक्ति की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 38.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसका सम्बन्ध राष्ट्रीय आय तथा रोजगार से होता है उसको समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 39.
अर्थशास्त्र केवल शुद्ध विज्ञान है ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 40.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का नाम रैगनर फरिस्च ने दिया।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
जिस क्रिया में मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह दोनों होते हैं उसको आर्थिक क्रिया कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं; कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 43.
ग़रीबी तथा दुर्लभता में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
ग़रीबी का अर्थ है बहुत कम वस्तुओं का होना, दुर्लभता का अर्थ है वस्तुओं की मात्रा की तुलना में वस्तुओं की आवश्यकताओं का अधिक होना।

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प्रश्न 44.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके मनुष्य की इच्छाओं की सन्तुष्टि करना होता है को ……. कहते हैं।
(a) आर्थिक क्रिया
(b) अनार्थिक क्रिया
(c) सोचने की क्रिया
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आर्थिक क्रिया।

प्रश्न 45.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध बस्तुओं की खरीद-बेच से होता है को ………. कहते हैं।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) विनिमय।

प्रश्न 46.
वह अर्थव्यवस्था जिस ऊपर सरकार का लगभग पूर्ण नियन्त्रण होता है को ………अर्थव्यवस्था कहते हैं।
उत्तर-
समाजवादी।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक प्रणाली का रूप नहीं है ?
(a) लोकतन्त्र
(b) पूंजीवाद
(c) समाजवाद
(d) मिश्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर-
(a) लोकतन्त्र।

प्रश्न 48.
दुर्लभता से संबंधित अर्थशास्त्र की परिभाषा किसने दी ?
उत्तर-
राबिन्ज़ ने।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर-
साधारण लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध रुपये-पैसे (Money) कमाने तथा उसका प्रबन्ध करने से होता है। परन्तु यह धारणा ग़लत है। अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता | (Economics is about making choice due to scarcity.)

प्रश्न 2.
व्यष्टि अथवा व्यक्तिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आर्थिक समस्या की लघु इकाइयों से होता है, जब हम आर्थिक समस्या को छोटेछोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन करते हैं तो इस विधि को व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था तथा उसके समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, रोज़गार, साधारण कीमत स्तर, कुल उपभोग, कुल बचत इत्यादि सामूहिक समस्याओं का हल किया जाता है।

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प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं के समुच्चयों तथा औसतों का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन की दो विधियां हैं।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ? आर्थिक क्रियाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
जिस क्रिया का सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुर्लभ साधनों के उपयोग से होता है उसको आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया में मुद्रा प्रवाह तथा सेवाओं का प्रवाह होता है। अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएं हैं-

  • उत्पादन (Production)
  • उपभोग (Consumption)
  • निवेश (Investment)
  • विनिमय (Exchange)
  • वितरण (Distribution)
  • वित्त (Finance).

प्रश्न 7.
दुर्लभता और चुनाव अर्थशास्त्र के सार हैं। स्पष्ट करें।
अथवा
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
दुर्लभता के कारण चुनाव होता है। चुनाव से अभिप्राय है निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसका सम्बन्ध सीमित साधनों का इस प्रकार से प्रयोग होता है जिससे उपभोगी को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो, उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा राष्ट्र का अधिकतम विकास हो। इसलिए दुर्लभता और चुनाव को अलग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
आर्थिक संगठन या प्रणालियों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक संगठन या प्रणालियां तीन प्रकार की हैं –

  1. पूंजीवाद-इस प्रणाली में लोगों को उपभोग, उत्पादन, विनिमय करने की स्वतन्त्रता होती है। आर्थिक क्रियाओं का संचालन कीमत यंत्र द्वारा होता है।
  2. समाजवाद-इस प्रणाली में उपभोग उत्पादन, विनिमय का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। कीमत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था-इस प्रणाली में कुछ आर्थिक क्रियाएं निजी लोगों द्वारा तथा कुछ आर्थिक क्रियाएं सरकार द्वारा संचालन की जाती हैं। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करते हैं। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट करें।
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र की प्रकृति से अभिप्राय है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है। अर्थशास्त्र वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है और कला भी है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है क्योंकि इसमें विज्ञान के नियम हैं। अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि क्या होना चाहिए। अर्थशास्त्र कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें। अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई चार अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर को नीचे दिए सची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र 1

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व

  1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझाना है कि अर्थव्यवस्था कार्य करती है।
  2. आर्थिक नीतियों का निर्माण व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साधनों के उचित विभाजन के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान डालती है।
  3. आर्थिक निर्णय-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं; जैसे कि एक वस्तु की कीमत का निर्धारण, फ़र्म की लागत तथा लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
  4. आर्थिक कल्याण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का आधार है। इससे उपभोग तथा उत्पादन की स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. भविष्यवाणी-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा भविष्यवाणियां की जाती हैं, जैसे कि एक वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर-

  • अर्थव्यवस्था का अध्ययन-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था का ज्ञान होता है।
  • आर्थिक विकास-समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक देश के आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • कीमत स्तर का अध्ययन-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है। इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा होती है।
  • आर्थिक नीतियों का निर्माण-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं के समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  • भुगतान सन्तुलन-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है, जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं। इससे समूची अर्थव्यवस्था को सन्तुलन में रखने के लिए सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र 2

  1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त (Theory of National Income)-समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, इसके माप तथा धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
  2. रोज़गार का सिद्धान्त (Theory of Employment)-समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण तथा बेरोज़गारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
  3. मुद्रा का सिद्धान्त (Theory of Money)-मुद्रा का अर्थ, मुद्रा के प्रभाव तथा कार्यों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मुद्रा बाज़ार तथा पूँजी बाज़ार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  4. आर्थिक विकास का सिद्धान्त (Theory of Economic Development)- आर्थिक विकास का अर्थ किसी देश की प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि से होता है। यह भी समष्टि अर्थशास्त्र का एक भाग माना जाता है।
  5. कीमत स्तर का सिद्धान्त (Theory of Price Level)-एक देश में कीमत स्तर बढ़ने के क्या कारण होते हैं तथा मुद्रा स्फीति को कैसे रोका जा सकता है, यह भी समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में शामिल है।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त (Theory of International Trade)-विभिन्न देशों में होने वाले व्यापार का भी अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आता है।

IV. दीर्य उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र क्या है ? इसका क्षेत्र स्पष्ट करो। (What is Economics ? Discuss its Scope.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र क्या है? (What is Economics ?)-अर्थशास्त्र दूसरे समाज शास्त्रों से एक नया विज्ञान है। एडम स्मिथ (Adam Smith) को अर्थशास्त्र का पिता माना जाता है; जिन्होंने 1776 में अपनी पुस्तक (Wealth of Nations) लिखी। इसमें उन्होंने कहा ‘अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।’ परन्तु इस परिभाषा से अर्थशास्त्र बदनाम हो गया। प्रो० मार्शल (Marshall) ने कहा कि अर्थशास्त्र मनुष्यों का विज्ञान है, जिसमें मानवीय भलाई को अधिकतम करने का अध्ययन किया जाता है। प्रो० रोबिन्ज़ (Robbins) ने अर्थशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा दी। उनके अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसका सम्बन्ध अधिक आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित साधनों से होता है। प्रो० सेम्यूलसन (Samulson) के अनुसार अर्थशास्त्र व्यक्तिगत सन्तुष्टि तथा सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित है। अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में हम यह कह सकते हैं, “अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है,

जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।” (“Economics is a science of human behaviour which studies problems of choice arising out of scarcity, so the individuals and society can maximise their social welfare.”) अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)-अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)-अर्थशास्त्र की विषय सामग्री अर्थव्यवस्था की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या से सम्बन्धित है। देश में बेरोज़गारी, कीमत वृद्धि, निर्धनता, असमानता इत्यादि बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दो तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत आर्थिक विश्लेषण तथा सामूहिक आर्थिक विश्लेषण की सहायता से कीमत नीति, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति तथा आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह अर्थशास्त्र का मुख्य विषय आर्थिक समस्याओं की जांच पड़ताल करके इन समस्याओं के हल के लिए सुझाव देना है।

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics)-अर्थशास्त्र की प्रकृति में हम देखते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला।
(i) अर्थशास्त्र विज्ञान है (Economics is a Science)-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जबकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री आदि प्राकृतिक विज्ञान हैं। अर्थशास्त्र का क्रमवार अध्ययन किया जाता है, इसके वैज्ञानिक नियम हैं तथा ये नियम सर्वव्यापी हैं। इस कारण अर्थशास्त्र विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते
(a) वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध क्या है? (What is Positive Science) से होता है। मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित हैं। यह वास्तविक सच्चाई है कि साधनों के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं, जिस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है।
(b) आदर्शमय विज्ञान (Normative Science)-आदर्शमय विज्ञान वह विज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध “क्या होना चाहिए” (What ought to be) से होता है। अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि कीमत में स्थिरता होनी चाहिए। निर्धन लोगों पर कम कर लगाए जाएं। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है।

(ii) अर्थशास्त्र कला है (Economics is an Art)-किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सिद्धान्तिक ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को कला कहा जाता है। भारत में कीमतें निरन्तर तीव्रता से बढ़ रही हैं। इन कीमतों की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार आर्थिक नीति तथा राजकोषीय नीति का प्रयोग करके कीमतों को नियन्त्रण में रखने का प्रयत्न करती है। इससे स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।

प्रश्न 2.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करो। (Explain the difference between Micro and Macro Economics.)
उत्तर-
व्यक्तिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यटि गत आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि एक मनुष्य, एक फ़र्म, एक उद्योग अथवा एक बाज़ार की समस्याएँ। सामूहिक अर्थशास्त्र (Macro Economics)-सामूहिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग तथा साधारण कीमत स्तर का अध्ययन सामूहिक अर्थशास्त्र द्वारा किया जाता है। प्रो० शेपीरो के शब्दों में, “सामूहिक अर्थशास्त्र समूची अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता से सम्बन्धित होता है।” (Macro Economics deals with the functioning of the economy as a Whole.-Shapiro)

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर – (Difference between Micro & Macro Economics)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र 3

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर्निर्भरता (Inter-dependence of Micro and Macro Economics)-
चाहे व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत स्तर पर कमी तथा चयन की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था के स्तर पर इन समस्याओं सम्बन्धी अध्ययन करते हैं, परन्तु यह दोनों एकदूसरे पर अन्तर्निर्भर हैं।
1. व्यक्तिगत अर्थशास्त्र सामूहिक अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Micro depends on Macro Economics) यदि हम व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की किसी आर्थिक समस्या का हल करना चाहते हैं तो सामहिक अर्थशास्त्र के बगैर यह संभव नहीं होता। जैसे कि एक फ़र्म द्वारा वस्तु की कीमत निर्धारण करते समय ध्यान में रखना पड़ेगा कि बाकी की वस्तुओं की कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है। यदि बाकी वस्तुओं की कीमतें दो गुणा बढ़ गई हैं तो फ़र्म अपनी वस्तु की कीमत दो गुणा कर देगी।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

2. सामूहिक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Macro depends on Micro Economics) यदि हम राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो यह सामूहिक अर्थशास्त्र की समस्या है। इस उद्देश्य के लिए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की आय का पता किया जाएगा। जब एक मनुष्य की आय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की समस्या बन जाती है। इस प्रकार यह दोनों विधियाँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रो० सैम्यूलसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई अंतर नहीं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आप पूरी तरह शिक्षित नहीं होंगे यदि आपको एक का ज्ञान है तथा दूसरी विधि सम्बन्धी अज्ञानी हों।”

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के महत्त्व और आर्थिक प्रणाली की किस्मों का वर्णन कीजिये। (Describe the Importance of Economics and types of economic system)
उत्तर-
अर्थशास्त्र का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थशास्त्र का अध्ययन-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसका सम्बन्ध एक अर्थवयवस्था में दुर्लभ संसाधनों का इस प्रकार बंटवारा करना है कि समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।

2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-अर्थशास्त्र का महत्त्व आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी देखा जा सकता है। देश में क्या उत्पादन किया जाए? कैसे उत्पादन किया जाए ? किसके लिये उत्पादन किया जाए ? वस्तुओं की कितनी कीमत होनी चाहिये। जोकि अर्थशास्त्र की सहायता से निर्माण को जाती हैं।

3. आर्थिक कल्याण में सहायक-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।

4. आर्थिक प्रबन्ध में सहायक-अर्थशास्त्र विभिन्न फ़र्मों के लिये आर्थिक प्रबन्ध में सहायक होता है। वस्तु की लागत, बिक्री, कीमत आदि प्रबन्धक निर्णय लेने के लिए अर्थशास्त्र सहायक होता है।

5. भविष्यवाणियों में सहायक-अर्थशास्त्र का ज्ञान भविष्यवाणी करने के लिये भी सहायक होता है। देश का उत्पादन देश में ही प्रयोग किया जाए अथवा इसको विदेशों में बेचा जाए। विदेशों में बेचने से लाभ होगा अथवा हानि होगी। अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण के आदर्श की प्राप्ति के लिये भी महत्त्वपूर्ण होता है। अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसका महत्त्व प्रत्येक क्षेत्र में नज़र आता है और यह प्रत्येक के लिये अनिवार्य है।

आर्थिक प्रणाली की किस्में (Types of Economic Systems)-आर्थिक प्रणाली की मुख्य तीन किस्में हैं –
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)-अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन-निजी लोगों के अधिकार में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी मुख्य आर्थिक निर्णय लोगों द्वारा लिए जाते हैं और जो बिना सरकारी हस्तक्षेप के बाज़ारी दशाओं द्वारा निर्धारित और नियन्त्रित किये जाते हैं। बाज़ारी दशाओं से हमारा अभिप्राय पदार्थों, सेवाओं की मांग व पूर्ति की दशाओं, उनकी कीमतों व उत्पादन लागतों, लाभ व हानि आदि से है। ये बाज़ारी दशाएं कीमत प्रणाली को जन्म देती हैं जिनके संकेत पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था संचालित होती है।

2. समाजवादी अर्थवयवस्था (Socialistic Economy)-समाजवाद से अभिप्राय है उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, सरकार द्वारा नियोजन तथा आय का पुनर्वितरण । अर्थात् समाजवाद वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साथन समाज के अधिकार में होते हैं और जिसमें धन का उत्पादन, थोड़े से व्यक्तियों के निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक भलाई के विचार से किया जाता है। बाजार में कीमतें सरकार द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें कुछ आर्थिक निर्णय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भांति लोगों द्वारा निजी लाभ के लिये जाते हैं और कुछ आर्थिक निर्णय समाजवादी अर्थव्यवस्था की भांति राज्य द्वारा लिए जाते हैं। इसमें पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणाली, दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रकार इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच सुनहरी रास्ता (Mixed Mean) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताएँ। (Explain the Importance of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है –
1. अर्थव्यवस्था का अध्ययन (Study of Economy)-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. राष्ट्रीय आय का अध्ययन (Study of National Income)-राष्ट्रीय आय से ही विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों की तुलना की जा सकती है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा राष्ट्रीय आय का अध्ययन करके विश्व में एक देश की आर्थिक प्रगति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. आर्थिक नीतियों का निर्माण (Formulation of Economic Policies)-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं का हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।

4. कीमत स्तर का अध्ययन (Study of Price Level)-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है, इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा प्राप्त होती है।

5. भुगतान सन्तुलन (Balance of Payment)-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं।

6. व्यापार चक्रों का अध्ययन (Study of Trade Cycles).-व्यापार चक्र अर्थव्यवस्था बुरा प्रभाव डालते हैं। इनका अध्ययन भी समष्टि अर्थशास्त्र में ही सम्भव है।

7. आर्थिक विकास (Economic Development)-आर्थिक विकास प्राप्त करना प्रत्येक देश का मुख्य लक्ष्य बन गया है। इस महत्त्व के लिए आर्थिक नीतियों का निर्माण करके आर्थिक विकास तेज़ी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ बताएँ। (Explain the Limitations of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
1. समष्टि विरोधाभास (Macro Paradoxes)-समष्टि अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा दोष यह है कि व्यक्तिगत निष्कर्ष जब समूहों में लागू किए जाते हैं तो वह गलत सिद्ध होते हैं। इसे ही समष्टि विरोधाभास कहते हैं। कीमतों में वृद्धि अमीर लोगों के लिए इतनी कष्टमय नहीं होती जितनी के गरीब लोगों के लिए होती है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र की अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions of Macro Economics) समष्टि अर्थशास्त्र की पाँच मुख्य मान्यताएँ हैं-

  • अल्पकाल
  • बंद अर्थव्यवस्था
  • पूर्ण प्रतियोगिता
  • अल्परोज़गार सन्तुलन
  • मुद्रा संचय का कार्य भी करती है।

यह मान्यताएँ अर्थव्यवस्था के सभी समूहों पर लागू नहीं होती क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी समूह एक समान होते और उनमें विभिन्नता भी पाई जाती है।

3. गलत नीतियाँ (Wrong Policies)- समष्टि अर्थव्यवस्था के अध्ययन से कई बार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । इसलिए आर्थिक नीति में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार बहुत-सी नीतियाँ गलत बनाई जा सकती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

4. माप में कठिनाई (Difficulty in Measurement)-समष्टि अर्थशास्त्र की एक सीमा यह भी है कि इसके चरों जैसा कि कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल आय आदि का माप करना आसान नहीं होता।

5. व्यक्तिगत इकाइयों पर निर्भर (Dependence on Individual Units)-समष्टि अर्थशास्त्र के बहुत-से नतीजे व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं, परन्तु वह ठीक नहीं। जो नतीजे व्यक्तियों पर लागू होते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह समूहों पर भी ठीक लागू हों। इसको संरचना का भुलेखा (Fallacy of Composition) भी कहा जाता है।