Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 8th Class Hindi रचना पत्र-लेखन
अनौपचारिक (पारिवारिक या सामाजिक) पत्र की रूप-रेखा
अपने से बड़ों को पत्र-पिता को पत्र
18 लाजपतराय नगर
जी० टी० रोड़,
जालन्धर।
दिसम्बर 18, ……..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
आपका कृपा पत्र मिला, समाचार ज्ञात हुआ। निवेदन है कि ……………………………………………………………………………………………………………………….. …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
पूज्य माता जी को मेरा प्रणाम कहना।
आपका आज्ञाकारी,
…………………
…………………
प्रशासनिक पत्र की रूप-रेखा
उच्च अधिकारियों को लिखा जाने वाला पत्र
सेवा में
उपायुक्त महोदय,
ज़िला पंजाब।
विषय – लाउडस्पीकर के प्रयोग पर पाबन्दी लगाये जाने बारे। श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
2. …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
3. …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….
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धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी,
(हस्ताक्षर) नाम व पता ……………
…………….
दिनांक ……………
आपके पाठ्यक्रम में केवल दो ही प्रकार के पत्र रखे गये हैं। जैसे-
(क) प्रार्थना पत्र या आवेदन पत्र तथा (ख) व्यक्तिगत पत्र या पारिवारिक पत्र ।
प्रार्थना पत्र/आवेदन पत्र प्रशासनिक पत्रों की कोटि में आते हैं-इसमें मुख्याध्यापक। मुख्याध्यापिका को लिखे जाने वाले पत्र, उच्च अधिकारियों को लिखे जाने वाले शिकायत या सुझाव सम्बन्धी पत्र आते हैं। इन्हें अनौपचारिक पत्रों की कोटि में रखा जाता है। हाथ से लिखे बधाई पत्र, निमन्त्रण पत्र, सांत्वना पत्र आदि भी अनौपचारिक पत्रों की कोटि में आते हैं। इनमें और व्यक्तिगत पत्रों में अन्तर यह होता है कि ये बहुत लम्बे नहीं लिखे जाते अर्थात् ऐसे पत्र संक्षेप में ही लिखने चाहिएं-
निमन्त्रण पत्र या शोक पत्र छपे हुए भेजे जाते हैं उन्हें औपचारिक पत्रों की कोटि में रखा जाता है। जैसे किसी बड़े नेता को उसके जन्म दिवस पर या चुनाव में जीत प्राप्त करने पर लिखे जाने वाले पत्र दो चार पंक्तियों में ही होते हैं-इसी कारण इन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं-
विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात –
ऊपर दी गई रूप रेखा के अनुसार ही पत्र लिखने चाहिएं, चाहे वे व्यक्तिगत पत्र हों या प्रशासनिक (प्रार्थना पत्र आदि) प्रायः देखने में आता है कि लोग इन नियमों का पालन नहीं करते हैं। हालांकि इस छोटी-सी बात को दफ्तरों का साधारण कर्मचारी जानता है। वह ऊपर दिये गए नियमों के अनुसार ही पत्र लिखता अथवा टाइप करता है। आगे चल कर इन नियमों का पालन करते हुए लिखे गये पत्र को ही अच्छे अंक दिये जाते हैं। आशा है आप पत्र लिखते समय इन नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे।
(ख) आवश्यक प्रार्थना-पत्र और अन्य पत्र
1. मान लीजिए आपका नाम रेखा है और आप आर्य हाई स्कूल, जालन्धर छावनी में पढ़ती हैं। अपने स्कूल की मुख्याध्यापिका को एक पत्र लिखिए, जिसमें बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
श्रीमती मुख्याध्यापिका जी,
आर्य हाई स्कूल,
जालन्धर छावनी।
श्रीमती जी,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात को अकस्मात् ज्वर (बुखार) हो गया था और अभी तक उतरा नहीं। डॉक्टर साहिब ने दवा देने के साथ-साथ पूर्ण विश्राम करने के लिए कहा है। इसलिए मैं दो दिन स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकती। अत: आप मुझे दो दिन की छुट्टी देकर कृतार्थ करें। आपका अति धन्यवाद होगा। आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
रेखा।
आठवीं ‘ए’
19 अप्रैल, 20….
2. मान लीजिए आपका नाम पंकज है और आप राजकीय हाई स्कूल, करतारपुर में आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें भाई के विवाह के कारण अवकाश दिया जाए।
अथवा
अपने मुख्याध्यापक को भाई या बहन के विवाह के कारण अवकाश लेने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
सेवा में
श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
राजकीय हाई स्कूल,
करतारपुर।
श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 12 अक्तूबर को होना निश्चित हुआ है। अत: मेरा इसमें सम्मिलित होना आवश्यक है। बारात 12 तारीख को दिल्ली जाएगी और 14 अक्तूबर की सुबह वापस लौटेगी। इसलिए इन दिनों मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे तीन दिन की छुट्टी देकर अनुगृहीत करें।
धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
पंकज।
आठवीं ‘बी’
दिनांक 11 अक्तूबर, 20….
3. मान लीजिए आपका नाम सदेश है और आप डी० ए० वी० हाई स्कूल लुधियाना में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखें जिसमें जुर्माना मुआफी के लिए प्रार्थना की गई हो।
सेवा
में मुख्याध्यापक जी,
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
लुधियाना।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि कल हमारे अंग्रेजी के अध्यापक महोदय ने हमारी मासिक परीक्षा लेनी थी, किन्तु प्रात: स्कूल आते समय रास्ते में मेरी साइकिल पंक्चर हो गई। इस कारण मैं स्कूल देर से पहुँचा और परीक्षा में भाग न ले सका। अध्यापक महोदय ने मेरी इस सच्ची बात का विश्वास न किया और मुझे 20 रु० जुर्माना कर दिया। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकता क्योंकि मेरे पिता जी बड़े ग़रीब हैं। वैसे अंग्रेजी विषय में मैं बहुत अच्छा हूँ। इस बार त्रैमासिक (तिमाही) परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे। मैं आज तक स्कूल में अकारण अनुपस्थित नहीं रहा।।
कृपया मेरा जुर्माना माफ़ कर दें। मैं आपका अत्यन्त धन्यवादी हूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुदेश।
आठवीं ‘ए’
4. मान लीजिए आपका नाम देवेन्द्र है और आप एस० डी० हाई स्कूल, होशियारपुर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखें जिसमें शिक्षा शुल्क (फीस) क्षमा करने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
एस० डी० हाई स्कूल,
होशियारपुर।
मान्यवर महोदय,
सविनय प्रार्थना यह है कि मैं आपके स्कूल में आठवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मेरे पिता जी एक दुकान पर काम करते हैं। उनकी मासिक आय केवल 2500 रुपये है। हम घर में पाँच सदस्य हैं। आजकल इस महँगाई के समय में निर्वाह होना अति कठिन है। ऐसी दशा में मेरे पिता जी मेरी स्कूल की फीस देने में असमर्थ हैं।
मेरी पढ़ाई में विशेष रुचि है। मैं हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहता आया हूँ। मैं स्कूल की जूनियर हॉकी टीम का कप्तान भी हूँ। मेरे सभी अध्यापक मेरे आचरण से पूर्णतया सन्तुष्ट हैं। अतः आप से मेरी विनम्र प्रार्थना है है कि आप मेरी पूरी फीस माफ़ कर मुझे आगे पढ़ने का सुअवसर प्रदान करने की कृपा करें।
मैं जीवन भर आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
देवेन्द्र।
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं0 22
11 मई, 20….
5. मान लीजिए आपका नाम कमल मोहन है और आप राजकीय हाई स्कूल, करतारपुर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखें, जिसमें किसी स्कूल फण्ड से पुस्तकें लेकर देने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
राजकीय हाई स्कूल,
करतारपुर।
श्रीमान् जी,
निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा आठवीं ‘ए’ का अत्यन्त निर्धन विद्यार्थी हूँ। जैसा कि आप जानते हैं कि पिछले वर्ष मेरे पिता जी की मृत्यु हो गई है। मेरी माँ पढ़ीलिखी नहीं है। आय का अन्य कोई साधन नहीं है। मेरे अलावा मेरे दो छोटे भाई हैं, जिनमें से एक छठी कक्षा में पढ़ता है। माँ हम सब का मेहनत मजदूरी करके पालन-पोषण कर रही है और पढ़ा-लिखा रही है। नवम्बर का महीना बीत रहा है और अभी तक मेरे पास एक भी पाठ्य-पुस्तक नहीं है। अभी तक मैं साथियों से पुस्तकें माँग कर काम चला रहा हूँ। परन्तु परीक्षा के समय मेरे साथी चाह कर भी अपनी पाठ्य-पुस्तकें नहीं दे पाएँगे। यह बात स्मरण करके अपनी बेबसी का बेहद एहसास होता है। वार्षिक परीक्षा दो-तीन महीने बाद शुरू होने वाली है।
अतः आपसे नम्र प्रार्थना है कि आप मुझे निर्धन छात्र कोष या पुस्तकालय से सभी आवश्यक पाठ्य-पुस्तकें दिलाने की कृपा करें। आपके इस उपकार का मैं जीवनभर आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कमल मोहन।
कक्षा आठवीं ‘ए’
रोल नं0 20
11 नवम्बर, 20….
6. मान लीजिए आपका नाम चन्द्रशेखर है और आप डी० ए० वी० हाई स्कूल, अमृतसर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखें जिसमें छात्रवृत्ति (वजीफा) देने की प्रार्थना की हो।
अथवा
अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को आर्थिक सहायता के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
सेवा में
मुख्याध्यापक जी,
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
अमृतसर।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेयन है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा आठवीं ‘ए’ का विद्यार्थी हूँ। मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ। मेरे पिता जी एक स्थानीय कार्यालय में केवल 2500 रुपये मासिक पर कार्य करते हैं। हम परिवार में कुल छः सदस्य हैं। महँगाई के समय में इतने कम वेतन में निर्वाह होना अति कठिन है। अत: मेरे पिता जी मुझे आगे पढ़ाने से इन्कार कर रहे हैं।
मेरी पढ़ाई में विशेष रुचि है। मैं सदा अपनी कक्षा में प्रथम रहता आया हूँ। मेरे सभी अध्यापक मुझ से अतीव प्रसन्न हैं। अतः आपसे मेरी विनम्र प्रार्थना है कि आप मुझे स्कूल के आरक्षित कोष (फण्ड) से छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें।
मैं जीवन-भर आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
चन्द्रशेखर।
कक्षा आठवीं ‘ए’
5 मई, 20….
7. मान लीजिए आपका नाम संजीव है और आप राजकीय हाई स्कल, फाजिल्का में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखें जिसमें उचित कारण बताते हुए सैक्शन बदलने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
राजकीय हाई स्कूल,
फाजिल्कां।
मान्यवर महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में आठवीं श्रेणी ‘सी’ सैक्शन में पढ़ रहा हूँ। मैं अपना सैक्शन बदलना चाहता हूँ। मेरे सैक्शन ‘सी’ में अधिकतर छात्र ड्राइंग विषय के हैं, जबकि मैंने संस्कृत विषय ले रखा है। पढ़ाई की सुविधा के विचार से मैं ‘ए’ सैक्शन में जाना चाहता हूँ। इसी सैक्शन में मेरे मुहल्ले के सभी छात्र पढ़ते हैं। सैक्शन अलगअलग होने से मेरे लिए पढ़ाई में कुछ रुकावट पड़ जाती है क्योंकि मैं उनसे पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं कर पा रहा।
इसके अतिरिक्त ‘ए’ सैक्शन में पढ़ने वाले छात्रों को योग्यता के आधार पर रखा जाता है। मैं इस त्रैमासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। इस कारण मुझे ‘ए’ सैक्शन के उन योग्य छात्रों में बैठ कर पढ़ने की अनुमति दी जाए, ताकि मेरा ठीक से विकास हो सके। मेरी प्रार्थना है कि मुझे आठवीं ‘सी’ सैक्शन से ‘ए’ सैक्शन में जाने की अनुमति प्रदान की जाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि पढ़ाई में मैं किसी भी छात्र से पीछे नहीं रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
संजीव।
आठवीं ‘सी’
रोल नं० 40
तिथि 25 सितम्बर, 20….
8. मान लीजिए आपका नाम रोहित है और आप सरकारी हाई स्कूल लुधियाना में आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें स्कूल में पीने के पानी की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए नया नल लगवाने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
मुख्याध्यापक जी,
सरकारी हाई स्कूल,
लुधियाना।
श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना है कि स्कूल में पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। एक ही नल है, जो स्कूल के सभी विद्यार्थियों के लिए काफ़ी नहीं है। जब दोपहर के समय आधी छुट्टी होती है तो विद्यार्थी नल की ओर दौड़ते हैं। वहाँ इतनी भीड़ हो जाती है कि आधी छुट्टी का सारा समय पानी पीने की धक्का-मुक्की में ही बीत जाता है। बहुत से विद्यार्थी फिर भी पानी प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए विद्यार्थियों की इस उचित कठिनाई को ध्यान में रखते हुए स्कूल में एक नया नल लगवाने की कृपा की जाए। गर्मियों के मौसम में तो हर विद्यार्थी पानी पीने की इच्छा रखता है। आपका
आज्ञाकारी शिष्य,
रोहित।
आठवीं ‘बी’
रोल नं० 28
तिथि 5 अप्रैल, 20….
9. मान लीजिए आपका नाम अशोक कुमार है और आप सरकारी हाई स्कूल, मानसा में पढ़ते हैं। अपने मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र (सर्टीफिकेट) देने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
सरकारी हाई स्कूल,
मानसा।
महोदय,
निवेदन है कि मेरे पिता जी का स्थानांतरण मानसा से अमृतसर हो गया है वे कल यहाँ से अमृतसर जा रहे हैं और साथ में परिवार भी जा रहा है। इस अवस्था में मेरा यहाँ अकेला रहना बहुत मुश्किल है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप कृपा करके मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र प्रदान कीजिए ताकि मैं वहाँ जाकर स्कूल में प्रविष्ट हो सकूँ।
आपका विनीत शिष्य,
अशोक कुमार।
आठवीं ‘ख’
रोल नं० 10
तिथि 11 जुलाई, 20….
10. अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें उन्हें स्कूल के पुस्तकालय में हिन्दी की पुस्तकें मंगवाने के लिए कहा गया हो।
सेवा में
श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
राजकीय हाई स्कूल,
करतारपुर।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा दसवीं ‘बी’ छात्र हूँ। मैं आपको यह सूचित करना चाहता हूँ कि हमारे स्कूल के पुस्तकालय में हमारे लिए उपयोगी हिन्दी विषय की पुस्तकें बहुत कम हैं। पिछले तीन-चार वर्षों से हिन्दी विषय की पुस्तकें नहीं खरीदी गई हैं। सभी पुरानी किताबें ही हैं। अतः आपसे निवेदन है कि हिन्दी विषयों से । सम्बन्धित ज्ञान वर्धक पुस्तकें तथा रसाले शीघ्र मंगवा दें।
इस कार्य के लिए हम सब छात्र-छात्राएँ आपके अत्यन्त आभारी होंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
शुभम
कक्षा आठवीं।
11. आप अपनी गली की सफाई के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखो।
अथवा
नगरपालिका (म्युनिसिपल कमेटी) पटियाला के स्वास्थ्य अधिकारी को अपनी गली की सफ़ाई के विषय में शिकायत पत्र लिखो।
अथवा
अपने नगर की नगरपालिका के स्वास्थ्याधिकारी को पत्र लिखें, जिसमें ठीक प्रकार से सफ़ाई न करने के कारण मुहल्ले के सफ़ाई कर्मचारी की शिकायत करें।
अथवा
नगरपालिका के महापौर को अपने क्षेत्र की सफाई ठीक ढंग से न होने की शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
सेवा में
स्वास्थ्याध्यक्ष महोदय,
नगरपालिका,
पटियाला।
महोदय,
मैं आपका ध्यान एक आवश्यक बात की ओर आकृष्ट करवाना अपना कर्त्तव्य समझते हैं। मेन रोड के दाहिने मोड़ के साथ लगे हुए भट्टाँ मुहल्ला का जमादार मोहन लाल अपने कर्त्तव्य का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है। बार-बार रोकने पर भी वह बाहर से लाई हुई गन्दगी को मकान नं0 70 की नुक्कड़ पर डाल देता है। सारे मुहल्ले का कूड़ाकर्कट भी वहीं फेंकता है, कई-कई दिन तक वहाँ कूड़ा-कर्कट पड़ा रहता है जिससे बदबू उत्पन्न हो जाती है। चलने-फिरने वालों को नाक बन्द करके जाना पड़ता है। दुर्गन्ध के अतिरिक्त 24 घंटे मक्खी-मच्छरों के झुंड उस पर मँडराते रहते हैं। नालियों का पानी खड़ा हो जाता है और आने-जाने में बाधा पड़ती है। रात के समय अन्धेरे में तो यह स्थान नरक बन जाता है। गन्दी वायु के कारण रोग फूटने का भय बना रहता है। हमने उसे कई बार समझाया, किन्तु उसके कानों पर तक नहीं रेंगती। उल्टे गाली-गलौच पर उतर आता है।
आशा है कि आप यथाशीघ्र कोई कठोर कार्यवाही करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
अमरजीत सिंह
तिथि 6 मई, 20….
12. पत्रों के सही वितरण न होने पर आप अपने स्थानीय पोस्टमास्टर को प्रार्थनापत्र लिखो।
अथवा
पोस्टमास्टर को डाकिए की शिकायत का पत्र लिखें।
रेलवे कालोनी,
होशियारपुर।
30 अप्रैल, 20….
सेवा में
पोस्टमास्टर महोदय,
होशियारपुर।
श्रीमान् जी,
निवेदन है कि हमारी रेलवे कालोनी का डाकिया सुन्दर दास बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। जिस कारण कई बार तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। वे पत्र इधर-उधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।
अतः आप से सनम्र प्रार्थना है कि या तो उसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें ताकि हमें और हानि न उठानी पड़े।
सधन्यवाद,
भवदीय
सिमरन कौर
13. जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें अपने गाँव में एक डिस्पैंसरी खोलने की प्रार्थना की गई हो।
सेवा में
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी,
जिला होशियारपुर।
श्रीमान् जी,
निवेदन है कि हमारा गाँव गढ़दीवाला होशियारपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी जनसंख्या लगभग चार हज़ार है। परन्तु बड़े खेद की बात है कि इस गाँव में कोई डिस्पैंसरी नहीं है। गाँववासियों को छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहर भागना पड़ता है। इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों व बूढ़ों को बीमारी की हालत में शहर ले जाना बहुत ही कठिन है।
इस गाँव में डिस्पैंसरी की बहुत आवश्यकता है। हमारा आपसे निवेदन है कि इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान दिया जाए। हमारे गाँव में यदि डिस्पैंसरी खुल जाती है तो इससे आसपास के गाँवों को भी लाभ पहुँच सकता है। आशा है कि आप हमारी इस प्रार्थना की ओर तुरन्त ध्यान देकर डिस्पैंसरी खोलने के लिए शीघ्र उचित पग उठायें।
सधन्यवाद,
भवदीय
अजीत सिंह
तिथि 17 मई, 20….
14. अपने पिता जी को पत्र लिखो जिसमें आपके स्कूल का वर्णन हो।
सत्य निवास,
होशियारपुर।
17 मई, 20….
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
ईश्वर की कृपा और आपके आशीर्वाद से मैं आठवीं कक्षा में अच्छे अंकों से पास हो गया हूँ। अब मेरा दाखिला अपने ही स्कूल के सैकण्डरी शाखा में हो गया है। मैं संक्षेप में आपको अपने स्कूल के विषय में बता रहा हूँ। मेरे स्कूल का वातावरण मेरे अनुकूल है। यहाँ पर छात्रों की संख्या बहुत है। यहाँ पर लगभग एक हजार छात्र पढ़ते हैं। प्रत्येक श्रेणी के चार-चार विभाग हैं। स्कूल का भवन बड़ा आकर्षक है। इसके अगले भाग में बड़ी सुन्दर फुलवाड़ी है।
हमारे स्कूल के कमरे स्वच्छ तथा विशाल हैं। उनमें बिजली के पंखों का प्रबन्ध है। सफ़ाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। यहाँ के अध्यापकों का चरित्र बड़ा ऊँचा है। वे अपने-अपने विषय के विद्वान् हैं। मुख्याध्यापक जी बड़े परिश्रमी तथा छात्रों के साथ सहानुभूति रखने वाले हैं। विद्यार्थियों के खेलने के लिए एक विशाल क्रीड़ा क्षेत्र है, जिसमें शाम को विद्यार्थी खेलते हैं। हमारे स्कूल में एक पुस्तकालय भी है, जिसमें भिन्न-भिन्न विषयों पर हज़ारों पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त एक विज्ञानशाला है, जिसमें विज्ञान का सारा सामान है। स्कूल पढ़ाई, खेलों तथा अन्य विषयों में अपने शहर में एक उन्नत स्कूल है। इसका परिणाम हर वर्ष बहुत बढ़िया रहता है। मैं सब प्रकार से ठीक हूँ। कुशल समाचार लिखते रहा करें। माता जी को प्रमाण।
आपका सुपुत्र,
अरुण।
15. अपने मित्र को पत्र लिखो, उससे पूछो कि तुम गर्मियों की छुट्टियाँ कहाँ और कैसे बिताओगे। अपना विचार भी उसे बताओ।
अथवा
अपने मित्र/सखी को गर्मियों के अवकाश में अपने पास बुलाने के लिए पत्र लिखिए।
362, माडल टाउन,
जालन्धर।
18 जून, 20….
प्रिय विनोद,
सप्रेम नमस्ते।
बहुत समय से आपका पत्र नहीं आया, क्या कारण है ? स्वास्थ्य तो ठीक है ? आपको याद होगा कि जब इस बार शिशिर के अवकाश में मैं आपके पास आया था तो आपने ग्रीष्मावकाश एक साथ यहाँ बिताने का वचन दिया था। अब उस वचन को पूरा करने का समय आ गया है। यहाँ मेरे पास अलग दो कमरे हैं। स्थान बिल्कुल एकान्त है। बिजली तथा पंखा लगा हुआ है। साथ ही खेलने के लिए अलग एक छोटा-सा क्रीडांगन है। यहाँ शाम को टैनिस खेला करेंगे और प्रात:काल दौड़ा करेंगे जिससे हमारा शरीर बलवान् और सुन्दर बनेगा।
मेरे अभिन्न मित्र राकेश ने भी मेरा साथ देने का वचन दिया है। उसके पिता जी यहाँ एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं। उनसे भी समय-समय पर सहायता ली जा सकेगी। इस विषय में मैंने उनसे बात कर ली है। उन्होंने सहर्ष सहायता देना स्वीकार कर लिया है। मेरे पिता जी तथा माता जी का भी आपको यहाँ बुलाने का आग्रह है। आशा है, हमारा कार्यक्रम बहुत ही सुन्दर और रुचिकर होगा। आप कब आने का कष्ट कर रहे हैं, लिखें। माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना।
आपका प्रिय मित्र,
राजीव।
16. ‘मेरे जीवन का उद्देश्य’ विषय पर अपने विचार अपने पिता जी को एक पत्र द्वारा सूचित करो।
कबीर भवन,
गांधी नगर।
गुरदासपुर।
20 अप्रैल, 20….
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
अब मैं अपने स्कूल की परीक्षा से प्रायः निपट चुका हूँ। अब आगे मुझे क्या करना चाहिए। मेरे जीवन का उद्देश्य क्या होगा ? मैं अपने जीवन में क्या बन पाऊँगा ? इसका उत्तर देना कठिन है। फिर भी मैं अपने मन के विचार लिख रहा हूँ।
पिता जी, आप मेरी स्वाभाविक रुचियों और प्रवृत्तियों से परिचत ही हैं। उन्हीं के अनुसार मैं अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहता हूँ। .मेरा विचार एक अच्छा डॉक्टर बनने का है। आप जानते हैं कि हमारा देश स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। प्रति वर्ष लाखों लोग विभिन्न रोगों का शिकार हो जाते हैं। चिकित्सा के अभाव में असमय ही मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। सरकार ने रोगों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाये हैं। फिर भी इतने बड़े देश के लिए यह ऊँट के मुँह में जीरा के समान हैं। हमारे देश में डॉक्टरों और वैद्यों की कमी तो नहीं, फिर भी निर्धन लोग अर्थाभाव के कारण उनकी सेवा से लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। कस्बों और ग्रामों के चिकित्सालयों में बड़े-बड़े रोगों की दवाएँ नहीं मिलती। इसलिए ग्रामीण भाई चिकित्सा के अभाव में तड़प-तड़प कर जीवन-यात्रा पूरी करते हैं। पिता जी, ऐसी शोचनीय अवस्था देखकर मेरा संकल्प डॉक्टर बनने का है। इससे देश-सेवा होगी और जीवन का लक्ष्य पूरा होगा। आशा है कि आप मेरे विचारों से सहमत होंगे। मुझे इस कार्य में मनसा-वाचा-कर्मणा अधिकाधिक सहायता देंगे।
माता जी को प्रणाम।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
सुखदेव।
17. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें प्रतिदिन समाचार-पत्र पढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया हो।
अथवा
अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर उसे समाचार-पत्र पढ़ने की प्रेरणा दीजिए।
परीक्षा भवन,
……….शहर।
15 मार्च, 20….
प्रिय संजीव,
चिरंजीव रहो।
तुम्हारा पत्र आज ही प्राप्त हुआ। यह जानकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि तुम अपनी श्रेणी में प्रथम आए हो। मैं समझता हूँ कि तुम अपने पुस्तकीय ज्ञान को पाने में काफ़ी मेहनत करते हो, परन्तु तुम्हें आज के संसार के विषय में भी ज्ञान रखना चाहिए। इसके लिए तुम प्रतिदिन समाचार-पत्र पढ़ने की आदत डालो। समाचार-पत्र पढ़ने से देशदेशान्तर की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है। समाचार-पत्र दुनिया के व्यापारिक एवं आर्थिक हालात की अच्छी जानकारी देते हैं। उनमें बाजार भाव, वस्तुओं के विज्ञापन, रोज़गार सम्बन्धी सूचनाएँ आदि मिलती हैं।
समाचार-पत्रों में साहित्यिक चर्चा भी होती है तथा इतिहास सम्बन्धी खोजपूर्ण लेख भी मिलते हैं। समाचार-पत्र पढ़ने से हमारा मस्तिष्क वर्तमान के प्रति सजग हो जाता है। हम यह जान जाते हैं कि हमारे चारों तरफ क्या हो रहा है? जो व्यक्ति समाचार-पत्र नहीं पढ़ते, वे आज के युग के क्रिया-कलाप नहीं जान पाते तथा कुएँ में मेंढक की तरह पड़े रहते हैं।
इसलिए मेरा तुमसे यही कहना है कि तुम प्रतिदिन समाचार-पत्र पढ़ा करो और आम जानकारी में वृद्धि किया करो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम मेरे विचारों की तरफ ध्यान दोगे।
तुम्हारा अग्रज,
राजीव।
18. हाथ का कोई काम सीखने की इच्छा व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखकर अपने पिताजी से उसकी अनुमति माँगिए।
केंद्रीय विद्यालय,
अमृतसर।
17 मार्च, 20….
आदरणीय पिता जी,
सादर नमस्कार।
इस वर्ष हमारे विद्यालय में दस्तकारी-शिक्षा नाम से एक नया पाठ्यक्रम शुरू हो रहा है। इस पाठ्यक्रम में हाथ से काम करने की व्यवस्था है। विद्यालय में एक वर्कशॉप भी स्थापित है। यहाँ रेडियो बनाने, टेलीविज़न के पुों को अलग करने और जोड़ने, फोटोग्राफ़ी तथा बढ़ई आदि के काम की शिक्षा दी जाएगी। पिताजी, आप जानते हैं कि हाथ से काम करने की कला में कुशल होना कितना उपयोगी है। इससे व्यक्ति की आजीविका की समस्या का समाधान हो जाता है। यदि आप आज्ञा दें तो मैं भी इस नए पाठ्यक्रम के लिए अपना नाम लिखवा दूं। यह अतिरिक्त शिक्षा अवश्य ही जीवन में उपयोगी साबित
होगी।
कृपया उत्तर शीघ्र दें क्योंकि 31 मार्च तक नाम लिखवा देना ज़रूरी है।
आपका पुत्र
राकेश कुमार।
19. अपने चाचा जी को अपने जन्मदिन पर घड़ी भेजने के लिए धन्यवाद पत्र लिखें।
परीक्षा भवन,
……….शहर।
12 अगस्त, 20….
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।
मेरे जन्म-दिन पर आपका भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोल कर देखा तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर मन अतीव प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।
कई बार विद्यालय जाने में भी विलम्ब हो जाता था। निस्सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे असीम प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। पूज्य चाची जी को चरण वन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। आपका प्रिय भतीजा, रोहित।
20. अपनी बहन को पत्र लिख कर रक्षा-बन्धन की शुभ कामनाएँ भेजिए।
49, माल रोड,
अमृतसर।
11 जुलाई, 20….
प्रिय बहन रमा,
सप्रेम नमस्ते।
आज ही तुम्हारा पत्र मिला और उसमें प्रेम का प्रतीक रक्षा-सूत्र भी प्राप्त हो गया। रक्षा-बन्धन हमारा अनादि काल से चला आ रहा एक पवित्र त्योहार है। राखी के एक-एक तार में से बहन का भाई के प्रति पवित्र प्यार झाँकता हुआ दिखाई देता है। तुम्हारा भेजा हुआ रक्षा-सूत्र कल प्रातः जब मैं अपनी कलाई पर बाँधूंगा तो मैं अपना अहो भाग्य समझूगा। ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद है, जिसने मुझे तुम्हारी जैसी कोमल हृदय वाली बहन दी है।
मैं सोचता हूँ कि मैं राखी के बदले तुम्हें क्या शुभ कामना भेजूं ? मैं यही चाहता हूँ कि नन्हीं बहन जीवन भर सुख शान्ति से भरपूर रहे। साथ ही रक्षा-बन्धन का त्योहार हमारे पावन-प्रेम को बढ़ाता रहे।
मैं तो चाहता था कि इस बार रक्षा-बन्धन का त्योहार तुम्हारे पास ही आकर मनाता पर अचानक एक आवश्यक काम आ पड़ा। अतः पत्र द्वारा भेजी गई मेरी शुभ कामनाएँ स्वीकार करो। घर में सब को यथायोग्य प्रणाम। तुम्हारा भाई, राकेश कुमार।
21. रक्षाबन्धन के पवित्र त्योहार पर आप के भाई ने उपहार भेजा है। उस उपहार की उपयोगिता बताते हुए उसका धन्यवाद पत्र के द्वारा करें।
19 लाजपतराय नगर,
जालन्धर।
दिनांक 12 अगस्त, 20…..
आदरणीय भाई संजीव,
नमस्ते।
मेरे द्वारा भेजी गई राखी की पावती भेजते समय आपने जो मुझे पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी द्वारा लिखित पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इण्डिया का हिन्दी संस्करण ‘भारत की खोज’ भेजा है, उसके लिए मेरे पास आप का धन्यवाद करने के लिए शब्द नहीं हैं।’
आदरणीय भाई यदि आप मुझे कोई सोने की चीज़ भेजते तो भी मुझे इतनी खुशी न होती जितनी इस पुस्तक को प्राप्त कर हुई है। वैसे तो पुस्तकें अमूल्य निधि होती हैं किन्तु इस पुस्तक को पढ़कर आठवीं की इस छोटी कक्षा में अपने देश के प्राचीन इतिहास के बारे में पूरी जानकारी मुझे प्राप्त हो जाएगी। मैंने पहली बार किसी राजनीतिज्ञ द्वारा लिखी साहित्यिक कृति देखी है। मेरी रुचि को ध्यान में रखते हुए आपने जो यह उपहार भेजा है इसके लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करती हूँ।
आशा है आपका स्नेह और आशीर्वाद सदा बना रहेगा।
आपकी बहन
सुमन।
22. अपनी छोटी बहन/अपने छोटे भाई को आठवीं की परीक्षा में असफल रहने पर सांत्वना पत्र लिखें।
519, राम कुटीर,
बटाला।
5 जुलाई, 20…..
प्रिय सुमन,
प्रसन्न रहो।
पिता जी का अभी-अभी पत्र आया है। तुम्हारे असफल होने का समाचार मिला। मुझे तो पहले ही तुम्हारे पास होने की आशा नहीं थी। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं। जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी, उसमें असफल रहना स्वाभाविक ही था। पहले माता जी बीमार हुए। फिर तुम स्वयं बुखार में फँस गई। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझ से छिपा नहीं। इस पर तुम्हें रंच मात्र भी खेद नहीं करना चाहिए। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि हम तुम्हारे असफल होने पर नाराज़ हैं। हाँ, अब अगले वर्ष की परीक्षा के लिए अभी से तैयार हो जाओ। किसी पुस्तक की आवश्यकता हो तो लिखो। डट कर पढ़ाई करो। माता जी व पिता जी को प्रणाम।
तुम्हारा प्यारा भाई,
राजू।
23. मित्र की दादा जी के निधन पर संवेदना पत्र।
201, मॉडल टाऊन,
पठानकोट।
29 मई, 20…..
प्रिय सुनील,
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूज्य दादा जी की मृत्यु का दुखद समाचार पाकर आँखों में अन्धकार-सा छा गया। पैरों तले जमीन खिसक गई। बार-बार सोचता हूँ-कहीं यह स्वप्न तो नहीं। थोड़े दिन हुए मैं उनको कश्मीर-मेल पर चढ़ा कर आया था। न कोई दुःख न कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मँडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी समुद्र समान गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।
प्रिय मित्र, भाग्य रेखा मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और ही है। ईश्वरीय कार्यों में कौन दखल दे सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं। मेरी प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़ कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। रोने-धोने से कुछ नहीं बनेगा। इससे स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। अनिल और नलिनी को सान्त्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे।
तुम्हारा अपना,
नरेश शर्मा।
24. मित्र को नव-वर्ष का बधाई पत्र।
102, गांधी नगर,
फिरोजपुर।
31 दिसम्बर, 20…..
प्रिय राज,
नमस्ते।
कल नव वर्ष का शुभागमन हो रहा है। इस शुभ अवसर पर मैं आपको बहुतबहुत बधाई देता हूँ। कामना करता हूँ कि यह नूतन वर्ष आपको सुख और समृद्धि देने वाला हो। परिवार में सुख और शान्ति का प्रसार हो। शारीरिक आरोग्यता के साथ लक्ष्मी अपनी कृपा की वर्षा करती रहे।
अन्त: में पुनः पुनः मंगल कामना।
आपका प्रिय मित्र,
विजय कुमार।
25. पुस्तकें मँगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र।
आर्य हाई स्कूल,
अबोहर।
12 जुलाई, 20…..
सेवा में
प्रबन्धक महोदय,
मल्होत्रा बुक डिपो,
रेलवे रोड,
जालन्धर।
महोदय,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें वी० पी० पी० द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भेज कर अनुगृहीत करें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली व फटी न हो। आपके नियमानुसार पाँच सौ रुपये मनीआर्डर द्वारा पेशगी भेज रहा हूँ।
ये पुस्तकें आठवीं श्रेणी के लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के नये पाठ्यक्रम पर आधारित होनी चाहिएँ। पुस्तकें
1. MBD हिन्दी गाइड 8 प्रतियाँ
2. MBD इतिहास गाइड 5 प्रतियाँ
3. MBD संस्कृत गाइड 6 प्रतियाँ
4. MBD इंग्लिश गाइड 8 प्रतियाँ
भवदीय,
मोहन लाल।
26. अपने मित्र को पत्र लिखें, जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में खेलों के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया हो।
परीक्षा भवन,
………. शहर।
15 नवम्बर, 20 ….
प्रिय कृष्ण,
नमस्कार।
परीक्षा में तुम्हारी शानदार सफलता ने मेरा मन प्रसन्नता से भर दिया। पर यह जानकर मुझे दुःख भी हुआ कि यह सफलता तुम्हें स्वास्थ्य गंवा कर मिली है। कैसा महँगा व्यवसाय रहा। मुझे पता लगा कि तुम पहले से भी अधिक किताबी कीड़े बन गए हो। न तुम खेलों में भाग लेते हो और न तुम बाहर भ्रमण के लिए ही जाते हो।
केवल पढ़ना व्यर्थ है। उसका मनन भी करना पड़ता है। उसके लिए समय पर मस्तिष्क को विश्राम देना अनिवार्य है। मैं तुम्हें सत्परामर्श देता हूँ कि तुम खेलों में भाग लिया करो। तुम जानते हो कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है।
खेल शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ हमारे अन्दर और भी कई गुण पैदा करते हैं। जब हम एक टीम के रूप में खेलते हैं तो हमारे अन्दर अनुशासन और सहयोग की भावना का भी विकास होता है।
पुस्तकीय शिक्षा से जहाँ हमारे अन्दर ज्ञान की वृद्धि और अच्छे-बुरे की पहचान करने के गुण उत्पन्न होते हैं, वहाँ खेल हमारे अन्दर प्रत्येक कार्य को खेल की भावना से करने के संस्कार उत्पन्न करती है। इसलिए विद्यार्थी के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए खेलों का बड़ा महत्त्व है। अत: मेरी सम्मति के अनुसार खेलों में भाग लेने के लिए कुछ समय अवश्य निकाल लेना।
तुम्हारा मित्र,
बलदेव।
27. आपके शहर मोहाली के क्रिकेट स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेला जा रहा है। अपने दोस्त को पत्र लिखें कि वह उस दिन उसके घर आ जाए ताकि वे मिलकर क्रिकेट मैच का आनंद उठा सकें।
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
लुधियाना
16 अगस्त, 20….
प्रिय अनूप,
नमस्ते।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ और तुम्हें मिले.हुए भी काफ़ी समय हो गया है। मैं यह सोच ही रहा था कि तुम्हारे साथ किस प्रकार भेंट हो। मुझे पता चला कि हमारे शहर मोहाली के क्रिकेट स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेला जा रहा है। इससे बढ़िया अवसर तुम्हें मिलने का और क्या हो सकता है क्योंकि मुझे ज्ञात है कि मेरी तरह तुम भी क्रिकेट मैच देखने के बहुत शौकीन हो। यह मैच 3 सितंबर होने जा रहा है। मेरा सुझाव है कि तुम मेरे घर आ जाओ ताकि हम दोनों मिलकर क्रिकेट मैच का आनंद उठा सकें। अतः पत्र द्वारा भेजी मेरी प्रार्थना स्वीकार करो। घर में सबको प्रणाम।
तुम्हारा मित्र
सुखदेव
28. आपके नगर में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे शहर में रहने वाले अपने किसी मित्र को पत्र लिखकर पुस्तक मेले में आने का निमंत्रण दीजिए।
19, लाजपतराय नगर,
जालन्धर।
दिनांक 12 अगस्त, 20……
प्रिय राजेश,
नमस्ते।
तुम्हारा पत्र आज ही प्राप्त हुआ। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सब कुशल मंगल है तथा तुमने मेरे द्वारा भेजी गई किताबें भी पढ़ ली हैं। हमारे शहर में 18 अगस्त से 24 अगस्त तक विश्व पुस्तक सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। हमारे शहर से तथा विदेशों से भी कई प्रकाशक इस पुस्तक मेले में भाग ले रहे हैं। यहां पर कई पुरानी किताबों के स्टॉल भी लगे होंगे। पुस्तक प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा मौका है। मुझे पता है कि तुम भी पुस्तक पढ़ने के शौकीन हो। तुम अपनी पसन्द की पुस्तकें, वाजिब दाम में यहां से खरीद सकते हो। इसीलिए मैं तुम्हें भी इस पुस्तक मेले में आने के लिए आमन्त्रित कर रहा हूँ। तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा प्रिय मित्र
सुधीर।
29. कुसंगति में फँसे अपने छोटे भाई को पत्र लिखें, जिसमें सदाचार के गुण बताते हुए सत्संगति की ओर प्रेरित किया गया हो।
परीक्षा भवन,
शहर।
15 मार्च, 20 ….
प्रिय भाई राजीव,
चिरंजीव रहो।
पन्द्रह-बीस दिन से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। हमारा सब का ध्यान तुम्हारी ओर ही लगा रहता है। हमें डर लगा रहता है कि तुम कहीं पढ़ाई से विमुख होकर कुसंगति का शिकार न हो जाओ। जीवन की उन्नति का आधार सदाचार है। सदाचार का अर्थ हैश्रेष्ठ आचरण । इसमें सत्य, उच्च विचार, नैतिकता आदि गुण आते हैं। वस्तुतः नैतिक मूल्यों के बिना, मनुष्य-जीवन ही व्यर्थ है। सदाचारहीन व्यक्ति अपना तो सर्वनाश कर ही लेता है, वह अपने समाज और राष्ट्र को भी कलंकित कर देता है। उसका विवेक नष्ट हो जाता है। उसे भले-बुरे का ज्ञान ही नहीं रहता।
प्रिय राजीव ! विद्या की देवी सदाचारी पर ही रीझती है। आज तक जितने भी महापुरुष हुए हैं, वे सदाचार के बल पर ही ऊँचे उठे हैं। विद्या प्राप्ति के लिए जीवन में कठोर तप और साधना करनी पड़ती है। तप और साधना सदाचारी ही कर सकता है। आचारहीन तो हाथ ही मलता रह जाता है, विद्या रूपी सुवासित फूल उसे कभी प्राप्त नहीं हो पाता। वह प्रख्यात उक्ति एक बार फिर तुम्हें याद दिलाना चाहता हूँ कि-‘आचारहीन न पुनन्ति वेदाः’ अर्थात् चरित्रहीन व्यक्ति को देव भी पवित्र नहीं कर सकते।
प्रिय भाई ! शिक्षा-काल में तो सदाचार की महती आवश्यकता रहती है क्योंकि संयम, धैर्य, सहिष्णुता, गुरु सेवा, व्रत आदि गुणों से ही पूर्ण शिक्षा उपलब्ध होती है। सदाचार का सूर्य शिक्षा का प्रकाश फैला सकता है। इसलिए मेरा बार-बार तुम से यही अनुरोध है कि जीवन में सदाचार को अपनाओ। गुरुजनों की आज्ञा से सदाचारी रहते हुए विद्या प्राप्ति के लिए जुट जाओ। किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो नि:संकोच लिख भेजो। पत्र का उत्तर शीघ्र दे दिया करो।
तुम्हारा बड़ा भाई,
राकेश।
30. अपनी सखी को भाई के विवाह में शामिल होने के लिए निमन्त्रण पत्र लिखो।
13, विकास नगर,
खन्ना मण्डी।
18 मार्च, 20 …
प्रिय अनु सप्रेम नमस्ते।
तुम्हें यह जान कर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई विजय कुमार का शुभ विवाह दिल्ली में सेठ राम लाल की सुपुत्री सीमा से इसी मास की 24 तारीख को होना निश्चित हुआ है। इस विवाह में आप जैसे सभी इष्ट-मित्र तथा बन्धुओं का शामिल होना अत्यावश्यक है। अतः आपको भाई साहब की बारात में भी चलना पड़ेगा। विवाहोत्सव का कार्यक्रम आगे दिया जा रहा है
23 तारीख दोपहर 1 बजे प्रीतिभोज।
23 तारीख सायं 6 बजे घुड़चढ़ी।
24 तारीख बारात का दिल्ली प्रस्थान प्रात: 5 बजे।
आशा है कि तुम 22 तारीख को पहुँच जाओगी। मीना और मंजू भी 22 तारीख को यहाँ पहुँच जायगी।
तुम्हारी अनन्य सखी,
सुमन।
31. अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो जिसमें “मानव जीवन पर सिनेमा का प्रभाव” विषय पर विचार प्रकट किये गए हों।
113, मोहन मोहल्ला,
सरहिन्द।
14 मार्च, 20 ….
प्रिय राजीव,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला जिसमें तुमने अपने आजकल के दैनिक कार्यकाल की एक झलक प्रस्तुत की है। मुझे यह जानकर अचम्भा हुआ कि सिनेमा देखना भी तुम्हारे दैनिक कार्यक्रम में सम्मिलित है। सिनेमा मानव जीवन के लिए सर्वथा अहितकर है। तुम मनोविनोद के लिए सिनेमा जाते हो और सिनेमा के मानसिक प्रभाव पर विचार करते हो। किन्तु मैं तो सिनेमा के दुष्परिणामों को सदा सम्मुख रखता हूँ और यही कारण है कि मैंने अपनी आयु में कुछ बार ही सिनेमा देखा और अब देखने का विचार नहीं है। सिनेमा के प्रति मेरी यह अटल धारणा क्यों बनी है, इसके कई कारण हैं
(1) फिल्म कम्पनियों का मुख्य उद्देश्य धन बटोरना है। अतः वे दर्शकों की रुचि अनुसार सदा प्रेम कहानियाँ ही प्रस्तुत करते हैं। आज की फिल्मों के प्रायः गाने, कथोपकथन, नृत्य तथा अभिनय आदि अश्लील और वासना भड़काने वाले हैं।
(2) सिनेमा हॉल का वातावरण भी प्रायः दूषित हो जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु होते हैं, जो कई प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।
(3) सिनेमा देखने से धन का भी नाश होता है।
(4) इन दिनों सिनेमा का एक और विचित्र प्रभाव भी हमारे सम्मुख आ रहा है। वह यह कि आज का प्रत्येक युवक अभिनेता और अभिनेत्री बनने का इच्छुक हो रहा है। पिछले दिनों हमारे स्कूल की दशम कक्षा के दो विद्यार्थी अचानक घर से पैसे लेकर मुम्बई भाग निकले।
आशा है, तुम मेरे विचारों पर अवश्य ध्यान दोगे। पूज्य पिता जी और माता जी जी सेवा में चरण वन्दना। रेणु को प्यार।
तुम्हारा स्नेहभाजक,
प्रेमनाथ।
32. अपने मित्र को एक पत्र लिखो जिसमें दहेज प्रथा की बुराइयाँ बताई गई हों।
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
होशियारपुर।
1 मार्च, 20 ….
प्रिय मित्र सुशील,
सप्रेम नमस्ते।
आपका प्रेम पत्र मिला। तदर्थ धन्यवाद। बहन रमा की मँगनी के विषय में आपने मुझसे परामर्श माँगा है। दहेज के सम्बन्ध में मेरी सम्मति मांगी है। इसके लिए कुछ शब्द प्रस्तुत हैं- मैं मनु के इस उपदेश का प्रचारक हूँ कि जिस घर में नारियों की पूजा होती है, उस घर में देवता निवास करते हैं। आज इस आदर्श पर पोचा फिर गया है। जिस गृहस्थ के घर में कन्या पैदा होती है वह समझता है कि मुझ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। मेरी सम्मति में इन सब बुरी भावनाओं का मूल कारण केवल मात्र दहेज प्रथा है।
आज की प्रचलित दहेज प्रथा ने कई सुन्दर देवियों को पतित होने पर विवश किया है। कइयों ने अपने माता-पिता को कष्ट में देख कर आत्महत्याएँ कर ली। क्या आपको अमृतसर की प्रेमलता की आत्महत्या की घटना स्मरण नहीं है। माता-पिता की इज्जत की रक्षा के लिए उसने अपने प्राणों की बलि दे दी। इस कारण से समाज सुधारकों की आँखें खुलीं। समाज सुधारकों ने इस कुप्रथा का अन्त करने का बीड़ा उठाया।
मेरी अपनी सम्मति में कन्यादान ही महान् दान है। जिस व्यक्ति ने अपने हृदय का टुकड़ा दे दिया उसका यह दान तथा त्याग क्या कम है? आज के नवयुवकों की बढ़ती हुई दहेज की लालसा मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है। वरों की इस प्रकार से बढ़ती हुई कीमतें समाज के भविष्य के लिए महान् संकट बन रही हैं।
मेरी सम्मति में आप रमा बहन के लिए एक ऐसा वर ढूँढ़ें जो हर प्रकार से योग्य, स्वस्थ, समुचित रोज़गार वाला और शिक्षित हो। धनी-मानी और लालची लोगों की ओर एक बार भी नज़र न डालें। समय आ रहा है जबकि स्वतन्त्र भारत के कर्णधार कानून दहेज प्रथा को बन्द कर देंगे। इस सम्बन्ध में बहुत सोचने और घबराने की आवश्यकता नहीं है।
योग्य सेवा से सूचित करें।
आपका अभिन्न हृदय,
मनोहर लाल।
33. अपने छोटे भाई को पत्र लिखो जिसमें प्रातः भ्रमण के लाभ बताए गए हों।
208, कृष्ण नगर,
फगवाड़ा।
1 जून, 20 ….
प्रिय सुरेश,
प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे स्वास्थ्य की बहुत चिन्ता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूंजी होता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। गत वर्ष के टाइफाइड का प्रभाव अभी तक तुम्हारे ऊपर बना हुआ है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रातः भ्रमण अवश्य किया करो। यह स्वास्थ्य सुधार के लिए अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। प्रातः बस्ती के बाहर की वायु बहुत ही शुद्ध होती है। इसके सेवन से स्वच्छ रक्त का संचार होता है। मन खिल उठता है। माँस पेशियाँ बलवान् बनती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। प्रात:काल की खेतों की हरियाली से आँखें ताज़ा हो जाती हैं। मुझे पूर्ण आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन
करोगे। नित्य प्रात: उठ कर सैर के लिए जाया करोगे। अधिक क्या कहूँ? तुम्हारे स्वास्थ्य का रहस्य प्रातः भ्रमण में ही छिपा है। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनु व शुकील को प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
प्रमोद कुमार।
34. मित्र को पास होने की बधाई देते हुए एक पत्र लिखो।
अथवा
मित्र को उसकी परीक्षा में सफलता पर बधाई पत्र लिखो।
108, मॉडल टाऊन,
जालन्धर।
29 अप्रैल, 20 ….
प्रिय मित्र सुधीर,
सप्रेम नमस्ते।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़ कर बहुत ही प्रसन्नता हुई कि तुम आठवीं श्रेणी में पास हो गए हो। वर्ष भर की मेहनत का ही यह शुभ फल प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। जैसे ही मैंने तुम्हारी परीक्षा में सफलता की खबर माता जी को सुनाई, वे हर्ष-विभोर हो उठीं। उन्होंने तुम्हें आशीर्वाद दिया है और कामना की है कि भविष्य में भी तुम इसी प्रकार शानदार सफलता प्राप्त करते रहो।
हाँ, तो मैं आपके पास एक सप्ताह के अन्दर पहुँच जाऊँगा। उसी समय मित्रों को जलपान कराने का कार्यक्रम बना लिया जाएगा। इस बार ठाठ का प्रोग्राम होना चाहिए। इस हर्ष के मौके पर मित्र-मंडली सचमुच ही खुशी से झूम उठेगी। एक बात और लिखना आवश्यक जान पड़ता है कि अब अगली परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने का अभी से प्रयास करना शुरू कर दो।
अपने पूज्य माता जी और पिता जी को मेरी चरण वन्दना। शेष मिलने पर।
तुम्हारा मित्र,
राजीव शर्मा।
35. टी-20 क्रिकेट मैच देखते हुए अपने रोमांच को अपने मित्र को एक पत्र लिखकर व्यक्त कीजिए।
212-पंडित पंतमार्ग,
क, ख, ग नगर।
दिनांक 25 मई, 20…..
प्रिय मित्र सुमित,
नमस्ते।
तुम्हारा पत्र प्राप्त कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम ग्रीष्मावकाश में यहाँ आ रहे हो। मैं तुम्हारे स्वागत के लिए तैयार हूँ। इस समय मैं आई० पी० एल० का टी-20 क्रिकेट मैच देख रहा हूँ। राजस्थान रॉयल और मुंबई के बीच चल रहा यह मैच हर गेंद पर मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है। चौकों-छक्कों की बरसात हो रही है। मुम्बई को हराने के लिए राजस्थान की टीम ने कमर कस ली और अन्त में राजस्थान ने पाँच विकेट से मुम्बई को हरा ही दिया। दिन-भर तथा कई दिनों तक चलने वाले क्रिकेट मैचों की बजाए मुझे इन टी-20 क्रिकेट मैचों में बहुत आनन्द आ रहा है। आशा है तुम भी देख रहे होंगे। शेष मिलने पर।
तुम्हारे आने की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
मानव उनियाल।
36. अपने मित्र को एक पत्र लिखो जिसमें किसी पर्वतीय यात्रा का वर्णन हो।
18, माल रोड,
शिमला।
15 जून, 20 ….
प्रिय मित्र विनोद
सप्रेम नमस्ते।
मैंने आपको दो पत्र लिखे, परन्तु तुम्हारा कोई जवाब नहीं मिला क्या कोई नाराज़गी है ? इस बार हमें गर्मियों की छुट्टियाँ 6 जून को हो गई थीं। मेरा इरादा आप के पास कुछ दिन ठहरने का था, पर अचानक 7 तारीख को शिमला से मामा जी आ गए। वे मुझे शिमला ले गए। जालन्धर से शिमला तक मेरी यात्रा बड़ी ही रोमांचक रही। इसी के सम्बन्ध में शिमला से तुम्हें पत्र लिख रहा हूँ।
मैं और मामा जी सुबह 6 बजे जालन्धर से बस में सवार हुए। बस नॉन स्टाप थी। हम अढ़ाई घण्टे में चण्डीगढ़ पहुँच गए। इसे बाद हम चण्डीगढ़ से कालका पहुँच गए। वहाँ से हमें 12 बजे की ट्रेन पकड़नी थी। कालका से शिमला रेलवे की छोटी लाइन है। वहाँ से शिमला को जाने वाली रेलगाड़ी छोटी है। गाड़ी के डिब्बे छोटे-छोटे हैं। हमारे गाड़ी में बैठने के कुछ ही मिनट बाद गाड़ी चल पड़ी। उसकी रफ्तार बड़ी हल्की थी। वह साँप की तरह बल खाती हुई चल रही थी। सामने पहाड़ी दृश्य बड़े सुहावने लग रहे थे। हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियाँ दिखाई दे रही थीं। हरे-भरे वृक्ष और पर्वतीय नाले मन को मोह रहे थे। इस रास्ते पर एक और मज़ेदार बात थी कि हमें छोटी-बड़ी एक सौ से अधिक सुरंगों के बीच में से गुजरना पड़ा। सुरंगों में पहुँचते ही एक दम अन्धेरा हो जाता था और गाड़ी में बिजली जलने लग जाती थी। अब हम 4 बजे के लगभग शिमला पहुँच गए।
शिमला बहुत ही सुन्दर और स्वास्थ्यवर्धक स्थान है। यहाँ की माल रोड की शोभा दर्शनीय है। चारों तरफ हरियाली छाई रहती है। मुझे यह यात्रा सदैव अविस्मरणीय रहेगी। अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रमाण कहना।
तुम्हारा मित्र,
अशोक।
37. अपने पिता जी को पत्र लिखो जिसमें अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की सूचना देते हुए खर्चे के लिए रुपए मँगवाओ।
मॉडल टाऊन,
लुधियाना।
27 अप्रैल, 20 ….
पूजनीय पिता जी,
सादर प्रणाम,
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारा परीक्षा परिणाम निकल आया है। मैं 540 अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया हूँ। अपनी कक्षा में मेरा दूसरा स्थान है। मुझे स्वयं इस बात का दुःख है कि मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कि मैं दिसम्बर मास में बीमार हो गया था और लगभग 20-25 दिन स्कूल न जा सका। यदि मैं बीमार न हुआ होता तो सम्भवतः छात्रवृत्ति (वज़ीफा) प्राप्त करता। अब मैं मैट्रिक में अधिक अंक प्राप्त करने का यत्न करूँगा।
अब मुझे नई कक्षा के लिए नई पुस्तकें आदि खरीदनी हैं। इधर कुछ दिनों से मेरे पास अच्छे वस्त्र भी नहीं हैं। कुछ मित्र मेरी इस सफलता पर पार्टी भी माँग रहे हैं। इसलिए आप मुझे पाँच सौ रुपए शीघ्र ही भेजने की कृपा करें ताकि मैं अगली कक्षा की पुस्तकें खरीद सकूँ और मित्रों को भी पार्टी दे सकूँ।
आपका आज्ञाकारी बेटा,
दिनेश।
38. बड़े भाई को पत्र लिख कर किसी आँखों देखे मैच का वर्णन करो।
20, आदर्श नगर,
जालन्धर।
16 फरवरी, 20 ….
आदरणीय भाई साहब,
सादर प्रणाम,
ईश्वर की कृपा से आप स्वस्थ और सानन्द होंगे। इस बार पत्र लिखने में इसलिए देर हो गई क्योंकि हमारे स्कूल में जिला टूर्नामैंट हो रहे थे। मैं उसमें व्यस्त था। इस बार हमारे स्कूल की फुटबाल टीम ने कमाल कर दिखाया। उसने जिला भर में प्रथम रह कर ट्राफी प्राप्त की। मैं भी इस टीम का सदस्य था। फाइनल में हमारी टीम का मुकाबला नकोदर के गवर्नमैंट स्कूल की टीम से हुआ। इस रोमांचकारी मैच का संक्षिप्त-सा वर्णन पत्र द्वारा कर रहा हूँ।
फुटबाल प्रतियोगिता में कुल आठ टीमें शामिल हुई थीं। सेमी फाइनल में हमारी टीम की भिड़न्त नूरमहल की टीम से हुई, जिसमें हमारी टीम 2-0 से विजयी रही और उसने फाइनल में प्रवेश किया। दूसरी ओर नकोदर की टीम ने आदमपुर की टीम को 4-0 से रौंद कर फाइनल में प्रवेश किया था। पिछले रविवार को फाइनल मैच हुआ। इस अवसर पर लगभग दस हज़ार दर्शक मैच देखने के लिए उमड़ पड़े थे।
मैच ठीक दोपहर दो बजे शुरू हुआ। रैफ्री की हिसल हुई, दोनों टीमों में एक जोश ठाठे मारने लगा। दोनों टीमों के खिलाड़ियों का गेंद पर पूरा नियन्त्रण था। दोनों ओर के खिलाड़ी आपसी तालमेल के साथ छोटे-छोटे पास देकर खेल रहे थे। मध्यान्तर तक हमारी टीम को गोल करने के दो शानदार अवसर प्राप्त हुए परन्तु सफलता प्राप्त न हो सकी। क्योंकि प्रतिपक्षी टीम की रक्षा पंक्ति बहुत ही चौकन्नी थी। मध्यान्तर तक दोनों टीमें बराबर रहीं। रैफ्री ने जैसे ही मध्यान्तर की ह्विसल दी हज़ारों दर्शक खेल के मैदान में घुस आए। वे अपने-अपने प्रिय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा रहे थे।
कुछ देर के बाद खेल फिर शुरू हुआ। दोनों ओर के खिलाड़ियों ने सिर-धड़ की बाजी लगा रखी थी। दोनों ओर अद्भुत जोश था, दोनों टीमों की रक्षा पंक्तियाँ किले की दीवारें सिद्ध हो रही थीं। खेल समाप्त होने में केवल दस मिनट शेष रह गए थे। इतने में हमारी टीम को एक पैनल्टी किक मिल गई। हमारी टीम के कैप्टन राकेश ने ऐसा शानदार शॉट लगाया कि विपक्षी टीम का गोल कीपर देखता ही रह गया और गेंद गोली की तरह गोल में जा पहुँची। इस गोल से टीम के हौंसले बढ़ गए फिर हम ने रक्षात्मक खेलना शुरू कर दिया। अन्त में एक गोल से हमें जीत प्राप्त हो गई। खेल समाप्ति की हिसल के साथ ही जिन्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गए। हम सब को बढ़िया इनाम मिले। जिला शिक्षा अधिकारी ने हमारी टीम को चमचमाती ट्रॉफी प्रदान की। हम सभी खिलाड़ी खुशी से झूम रहे थे।
पूज्य भाभी जी को प्रणाम। रेणु व कुक्कू को प्यार। कृपया पत्र का उत्तर शीघ्र दें।
आपका छोटा भाई.
विनोद कुमार।
कक्षा आठवीं-सी।
39. अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें व्यायाम के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया हो।
105 डी० ए० वी० हाई स्कूल,
अमृतसर।
20 मार्च 20 ….
प्रिय अनूप,
चिरंजीव रहो।
माता जी ने अपने पत्र में लिखा है कि तुम्हारा स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है, इससे मुझे बड़ी चिन्ता हुई है। प्रिय भाई। स्वास्थ्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है। इसके अभाव में जीवन का कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता है। खाने-पीने का आनन्द भी स्वस्थ व्यक्ति ही उठा सकता है। यह ठीक है कि तुम्हारा अध्ययन पूर्ववत् चल रहा है, परन्तु शीघ्र ही इस गिरते हुए स्वास्थ्य का प्रभाव तुम्हारे अध्ययन पर भी पड़ सकता है। मन एवं मस्तिष्क को बलवान् बनाने में भी स्वास्थ्य का बड़ा योगदान रहता है।
दुर्बलता एक प्रकार का अभिशाप है। शरीर को स्वस्थ एवं सुगठित बनाने के लिए व्यायाम की अत्यन्त आवश्यकता है। शरीर की दुर्बलता को दूर करने के लिए व्यायाम एक औषधि है। व्यायाम से शरीर सुन्दर तथा बलवान् बनता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। व्यायाम से माँसपेशियों में नए रक्त का संचार होता है तथा पाचन शक्ति बढ़ती है। मुझे पूर्ण आशा है कि तुम मेरे कथन का पालन करोगे। नित्य प्रातः उठकर व्यायाम करोगे। अधिक क्या कहूँ तुम्हारे स्वास्थ्य का रहस्य व्यायाम में ही छिपा है।
पूज्य पिता जी को प्रणाम।
तुम्हारा हितैषी,
मुनीष शर्मा।
40. अपने मित्र को पत्र लिखकर अपने स्कूल में होने वाले ‘वन महोत्सव’ का । वर्णन करें।
12 प्रोफैसर कालोनी
बरनाला
15 जनवरी, 20……
प्रिय मित्र सुरेश,
इस पत्र द्वारा मैं तुम्हें अपने स्कूल में मनाये गए वन महोत्सव’ का विवरण लिख रहा हूँ। आशा है इसे पढ़कर और प्रेरणा लेते हुए तुम अपने आस-पड़ोस में पेड़ लगाने का प्रयत्न करेंगे। गत सप्ताह हमारे स्कूल में ‘वन महोत्सव’ मनाया गया। समारोह से पूर्व हमारे क्षेत्र के विधायक महोदय ने वृक्षरोपण का महत्त्व हमें समझाया। उन्होंने बताया कि वृक्ष ही हमें वायु प्रदूषण से सुरक्षित रखते हैं। वर्षा करने में सहायता करते हैं। विधायक महोदय ने बताया कि यदि हम चाहते हैं कि धरती हरी-भरी रहे, नदियाँ अमृत जल बहाती रहें और सबसे बढ़कर मानवता की रक्षा सम्भव हो सके तो हमें पेड़-पौधे लगाने चाहिएं।
विधायक महोदय के भाषण के बाद स्कूल प्रांगण में एक वृक्ष लगाकर वन महोत्सव का श्री गणेश किया। उनके बाद स्कूल के विद्यार्थियों ने खेल मैदान के इर्द-गिर्द पेड़ लगाए और उन्हें थोड़ा जल से सींचा। हमारे प्रधानाचार्य और स्कूल के अध्यापकों ने भी स्कूल परिसर में एक-एक पेड़ लगाया। सब ने इन लगाये पेड़ों के पालन पोषण का भी व्रत लिया। समारोह के अन्त में बच्चों में मिठाई बांटी गई और विद्यार्थी पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ के नारे लगाते हुए अपने-अपने घरों में चले गए।
तुम्हारा मित्र
रमेश।