PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Hindi Guide for Class 9 PSEB शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी कौन थे ?
उत्तर:
शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे।

प्रश्न 2.
मोरोपंत कौन था ?
उत्तर:
मोरोपंत एक पेशवा थे।

प्रश्न 3.
आवाजी सोनदेव कौन था ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव शिवाजी का एक सेनापति था।

प्रश्न 4.
शिवाजी के सच्चा स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना किस समय की है ?
उत्तर:
इस पाठ की घटना सन् 1648 ई० की संध्या की है।

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प्रश्न 5.
मोरोपंत शिवाजी को आकर क्या शुभ समाचार देता है ?
उत्तर:
मोरोपंत शिवाजी को आकर यह शुभ समाचार देता है कि सेनापति आवाजी सोनदेव ने कल्याण प्रांत को जीत कर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आ गए हैं।

प्रश्न 6.
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को सबसे बड़े तोहफे के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को बताया कि सबसे बड़े तोहफे के रूप में वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंद करके लाया है।

प्रश्न 7.
शिवाजी की प्रसन्नता एकाएक लुप्त क्यों हो गयी थी ?
उत्तर:
अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति लेकर आया है, यह सुनकर शिवाजी की प्रसन्नता लुप्त हो गई। उन्हें अपने सेनापति के कार्य पर लज्जा आई थी।

प्रश्न 8.
शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू की सुरक्षा करते हुए उसे क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर:
शिवाजी ने उसे आश्वासन दिया कि उसे आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और खबरदारी के साथ उसके शौहर के पास बिना देरी के पहुँचा दिया जाएगा।

प्रश्न 9.
शिवाजी पर-स्त्री को किसके समान मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी पर-स्त्री को माता के समान मानते थे।

प्रश्न 10.
शिवाजी ने अंत में क्या घोषणा की ?
उत्तर:
शिवाजी ने अंत में घोषणा की कि यदि कोई भविष्य में ऐसा काम करेगा तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी ने अपने सेनापति की ग़लती पर सूबेदार की पुत्र-वधू से किस प्रकार माफी मांगी ?
उत्तर:
शिवाजी ने कहा कि माँ, शिवा अपने सेनापति की इस हरकत पर आपसे माफी मांगता है। आप एक माँ के समान पूजनीय हैं। यदि मेरी माँ आप जैसी सुंदर होती तो मैं भी सुंदर होता। मैं आपकी सुंदरता का हिंदू विधि से पूजन करना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
शिवाजी ने अपने सेनापति को किस प्रकार डाँट फटकार लगायी ?
उत्तर:
शिवाजी ने सेनापति को फटकारते हुए कहा कि उसने ऐसा घृणित काम किया है जो शायद क्षमा नहीं किया जा सकता। तुम शिवा को नजदीक से जानते थे फिर भी ऐसा दुस्साहस किया। शिवा ने आज तक किसी मस्जिद की दीवार में बाल के बराबर दरार नहीं आने दी। सदा कुरान का सम्मान किया।

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प्रश्न 3.
शिवाजी किस तरह सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे ?
उत्तर:
शिवाजी ऐसे सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे जहां सुख-शांति एवं भाईचारा हो। जहाँ पर-स्त्री का भी माँ के जैसा सम्मान हो। हिंदू-मुस्लिम सभी धर्म समान हों। मंदिर-मस्जिद दोनों का सम्मान हो। कोई भी आततायी न हो।

प्रश्न 4.
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग क्यों मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग इसलिए मानते थे, क्योंकि शील जीवन का मूल आधार है। इसी से जीवन महान् बनता है। यदि शिवा में शील नहीं तो सरदार और सेनापति में शील नहीं हो सकता है। बिना शील के हम लुटेरों, डाकुओं के समान हैं। इसके बिना जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ के आधार पर शिवाजी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
(1) वीर-शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे। उनकी वीरता चारों तरफ बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने अपनी वीरता के बल पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और उन्हें खदेड़ दिया।
(2) चरित्रवान्-शिवाजी एक महान् चरित्रवान् राजा थे। उनकी शीलता बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने कभी भी किसी स्त्री को नहीं सताया था। यहां तक कि वह मुस्लिम स्त्रियों को भी पूजनीय मानता था।
(3) नारी का सम्मान करने वाला-शिवाजी नारी का पूरा सम्मान करते थे। वे पर-स्त्री को अपनी माँ के समान पूजनीय मानते थे। इसीलिए उन्होंने कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा जीतने के बाद भी सम्मान सहित क्षमा मांग कर वापिस भिजवा दिया था।
(4) साहसी-शिवाजी एक साहसी वीर थे। उनमें साहस कूट-कूट भरा था। इसी साहस के बल पर उन्होंने अनेक आंतकियों को मार भगाया था।
(5) सभी धर्मों का सम्मान करने वाले-शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। उन का मानना था कि सभी धर्म श्रेष्ठ और पूजनीय होते हैं। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण रूप से सम्मान करते थे और किसी भी स्थिति में उस का निरादर करने की बात सोचते तक नहीं थे।

प्रश्न 2.
इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पर-स्त्री को सदा माँ के समान पूजनीय समझना चाहिए। उसका सदा आदर करना चाहिए। कभी भी वीरता का घमंड नहीं करना चाहिए। धैर्यवान् एवं चरित्रवान् बनना चाहिए। दूसरों का सदा सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों एवं लोगों को समान भाव से देखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी की अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रम का चित्रण किया है। वे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने धर्मान्ध विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदू स्वराज्य की स्थापना की, जो धर्मनिरपेक्ष था। उनका स्वराज्य मानव-मूल्यों की आधारशिला पर टिका हुआ था। जिसमें प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवनयापन के अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी शीलवान और चरित्रवान् पुरुष थे। उनमें राजगद्दी का कोई अभिमान नहीं था। वे नारी जाति का पूर्ण सम्मान करते थे। शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक वंदनीय थी। यही कारण है कि सेनापति द्वारा शत्रु पत्नी को बंदी बनाकर लाने पर वे उनसे क्षमायाचना की थी तथा उन्हें सकुशल पति के पास भेजने का आश्वासन दिया था। उनका मानना था कि शिवा में शील होना आवश्यक था क्योंकि उनमें शील होने पर ही सेनापति तथा सरदारों में शील हो सकता था। बिना सच्चरित्र के लुटेरों, डाकुओं और हममें कोई अंतर नहीं। ऐसी अवस्था में जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एकांकी का यह नाम बिल्कुल सार्थक है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
आवाजी, क्या तुम मेरी परीक्षा लेना चाहते थे ? इसलिए तो तुमने यह कार्य किया ?
उत्तर:
जब आवाजी कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर शिवाजी के सामने लाया तो शिवाजी ने उसको फटकार लगाई कि क्या वह उसकी परीक्षा लेना चाहता था। शायद इसलिए तुमने यह कार्य किया है।।

प्रश्न 2.
पेशवा, यह…… यह मेरे …. मेरे एक सेनापति ने ….. मेरे एक सेनापति ने क्या…. क्या कर डाला। लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा ….. कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा ?
उत्तर:
शिवाजी अपने सेनापति द्वारा किए गए घृणित कार्य से बहुत लज्जित हुए। उनकी अंर्तात्मा उन्हें दुत्कारने लगी तो वे अंदर ही अंदर क्षमा याचना करते हैं कि पर-स्त्री को बंदी बनाने का घृणित कार्य उनके सेनापति ने किया है। उसके सेनापति ने कैसा लज्जापूर्ण कार्य कर डाला। आज लज्जा से मेरा सिर पृथ्वी में नहीं बल्कि पाताल में धंसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

अशुद्ध – शुद्ध
दलान – ………………
सुसजित – ………………
वेषभूशा – ………………
गबराहट – ………………
हिंदू – ………………
मसजिद – ………………
श्रेसकर – ………………
सेनापती – ………………
उपसथित – ………………
मुसकुराना – ………………
खुबसूरती – ………………
सुराजय – ………………
घृणीत – ………………
प्राशचित – ………………
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
दलान – दालान
सुसजित – सुसज्जित
वेषभूशा – वेषभूषा
गबराहट – घबराहट
हिंदू – हिंदु
मसजिद – मस्जिद
श्रेसकर – श्रेयस्कर
सेनापती – सेनापति
उपसथित – उपस्थित
मुसकुराना – मुस्कुराना
खुबसूरती – खूबसूरती
सुराजय – स्वराज्य
घृणीत – घृणित
प्राशचित – प्रायश्चित

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

  • मुहावर – अर्थ – वाक्य
  • भृकुटि चढ़ना – क्रोध आना – ………………
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) –
    दाँतों के नीचे आना – क्रोध आना – ………………
  • सिर पर चढ़ाना – सम्मान करना, आदर-भाव से ग्रहण करना – ……………
  • बाल बराबर दरार न आने देना – ज़रा भी नुकसान न होने देना, एक समान भाव रखना, समानता रखना – …………….

उत्तर:

  • भृकुटि चढ़ना (क्रोध आना) – दुर्योधन को देखकर अर्जुन की भृकुटि चढ़ गई।
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दाँतों के नीचे आना (क्रोध आना) – दुश्मन को देखकर सिपाही का (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दांतों के नीचे आ गया।
  • सिर पर चढ़ाना (सम्मान करना) – प्रताप से सभी प्रेम करते हैं इसलिए वह सबके सिर चढ़ा रहता है।
  • बाल बराबर दरार न आने देना (ज़रा भी नुकसान न होने देना एक समान भाव रखना अथवा समानता रखना)-शिवाजी ने कभी भी मस्जिदों में बाल बराबर दरार नहीं आने दी।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ में लेखक क्या कहना चाहता है ? क्या लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल हुआ है ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखक शिवाजी की मानवतावादी एवं मानव कल्याण की भावना को उजागर करना चाहता है। शिवाजी शक्ति, शौर्य और पराक्रम की साक्षात मूर्ति थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। ऐसा स्वराज्य स्थापित किया जो धर्म-निरपेक्ष था। जो मानव मूल्यों की आधारशिला पर टिका था। उसमें प्रत्येक नागरिक को आदरपूर्वक जीवनयापन करने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु-पत्नी माँ से भी अधिक वंदनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले उन्हें बहुत प्रिय थे। उनके स्वराज्य में सभी धर्मों का सम्मान होता है, कहीं भी मस्जिद, कुरान का अपमान नहीं होता। इसीलिए वह कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उनसे क्षमायाचना करता है और उन्हें आदर सहित उनके पति के पास भेजता है। इस घृणा योग्य कार्य से वह बहुत लज्जित होता है। इस तरह लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह से सफल हुआ है।

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प्रश्न 2.
यदि आप शिवाजी की जगह होते तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उसकी नामाकूल हरकत के लिए क्या सज़ा देते ?
उत्तर:
यदि मैं शिवाजी की जगह होता तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उनकी दुष्टतापूर्ण हरकत के लिए कड़ी से कड़ी सजा देता। उसे इस कार्य के लिए बिल्कुल माफ़ न करता। उसे आजीवन कारावास में डाल देता।

प्रश्न 3.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात् जहाँ नारी का पूजा (सम्मान) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं-क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी प्रकृति और उस परमात्मा का दूसरा रूप है। परमात्मा हर जगह विराजमान नहीं हो सकता था। इसलिए उसने संसार में अपने अनेक रूपों में नारी को बनाया। प्रकृति और प्रभु पूजनीय एवं श्रद्धा-योग्य हैं इसलिए नारी भी पूजनीय एवं श्रद्धेय है। अतः हमें नारी का सदा सम्मान करना चाहिए। उसकी सदा पूजा करनी चाहिए। जहां नारी की पूजा होती है वहां सदा सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है। वहां कभी अशुभ नहीं हो सकता। इसलिए सदा नारी का आदर सम्मान करना चाहिए। उसकी पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
स्त्री को छेड़ने/अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती। असली बहादुरी तो स्त्री रक्षा/ सुरक्षा में है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि स्त्री को छेड़ने या अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती बल्कि असली बहादुरी तो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करने में होती है। स्त्री को छेड़ना या अपहरण करना एक लज्जापूर्ण शिवाजी का सच्चा स्वरूप एवं घृणा योग्य कार्य है। इस कार्य को करने से समाज में बदनामी मिलती है। मान-सम्मान नष्ट हो जाता है। समाज ऐसे लोगों से घृणा करने लगता है। उनसे लोग अपना सामाजिक रिश्ता तोड़ लेते हैं। किंतु जो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करता है लोग उसे बहादुर कहकर उसका आदर सम्मान करते हैं। समाज में उसकी इज्जत बढ़ने लगती है। उसकी एक श्रेष्ठ होने की पहचान बन जाती है। इसलिए हमें सदा स्त्रियों की रक्षा या सुरक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
नारी के उत्थान के लिए अनेक समाज सुधारकों/कवियों/लेखकों/महापुरुषों ने कार्य किये हैं। आप किससे प्रभावित हुए हैं ? नारी-उत्थान में उनके योगदान को उजागर करते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
मैं हिंदी-साहित्य के प्रसिद्ध लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से प्रभावित हुआ हूँ। उन्होंने नारी-उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने अपने साहित्य में भारतीय नारी को विशेष स्थान दिया। उन्होंने नारी को सबसे श्रेष्ठ माना है। उन्होंने विधवा नारी को इष्टदेव के मंदिर की पूजा के समान बताया है। उन्होंने नारी पूजनीय एवं श्रद्धेय माना है।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से एकांकी खेलें।

प्रश्न 2.
अपने स्कूल/शहर/गाँव के पुस्तकालय से शिवाजी से सम्बन्धित पुस्तक लेकर उनके अन्य जीवन प्रसंग पढ़िए। प्रेरक प्रसंगों की जानकारी इंटरनेट से भी प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
नारी अबला नहीं, सबला है-इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद आयोजित करें। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
पक्ष : यह कथन सत्य है कि नारी अबला नहीं, सबला है। नारी शक्ति का दूसरा नाम है। नारी को दुर्गा शक्ति का अवतार माना जाता है। नारी किसी भी रूप में पुरुषों से पीछे नहीं है। 21वीं सदी को तो नारी सदी के नाम से ही पुकारा गया है। आज नारी ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे नारी नहीं कर सकती। वह जीवन की हर कठिनाई एवं मुसीबत का बढ़-चढ़कर मुकाबला कर सकती है।

विपक्ष : नारी अबला है, सबला नहीं। नारी जीवन में केवल सहज कार्य ही कर सकती है वह केवल घर को संभालने में ही लगी रहती है। इतना ही नहीं वह किसी भी मुसीबत का मुकाबला नहीं कर सकती। वह हर जगह पुरुषों पर निर्भर रहती है।

(ङ ) ज्ञान-विस्तार

शिवाजी के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानिए

  • पूरा नाम : शिवाजी राजे भोसले
  • जन्म तिथि : 19 फरवरी, 1630
  • जन्म भूमि : शिवनेरी (महाराष्ट्र)
  • पिता : शाह जी भोंसले
  • माता : जीजाबाई
  • पत्नी : साइबाई निम्बालकर
  • सन्तान : शम्भा जी
  • उपाधि : छत्रपति
  • युद्ध : मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध
  • निर्माण : अनेक क़िलों का निर्माण व पुनरुद्धार
  • सुधार परिवर्तन : हिन्दू राज्य की स्थापना
  • राजघराना : मराठा साम्राज्य
  • वंश : भोंसले
  • मृत्यु : 3 अप्रैल, सन् 1680

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PSEB 9th Class Hindi Guide शिवाजी का सच्चा स्वरूप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति आवाजी सोनदेव ने किस पर विजय प्राप्त की ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 2.
किनका काम कल्याण पर विजय में प्रशंसनीय रहा ?
उत्तर:
कल्याण विजय में पैदल सेना के अधिपति नायब, हवलदार, जुमलादार, एकहजारी, घुड़सवारों में अधिपति हवलदार, जुमलदार तथा सूबेदार का काम प्रशंसनीय रहा।

प्रश्न 3.
सेनापति ने किसका खजाना लूटा ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण का खजाना लूटा।

प्रश्न 4.
कल्याण का सूबेदार कौन था ?
उत्तर:
कल्याण का सूबेदार अहमद था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति द्वारा अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर लाने की बात सुनकर शिवाजी पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
शिवाजी की सारी प्रसन्नता अचानक लुप्त हो गई। उनकी भौहें चढ़ गईं थी। नीचे का होंठ ऊपर के दांतों के नीचे आ गया। उन्हें क्रोध आ गया।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एकांकी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक सेठ गोबिन्द दास ने शिवाजी के शील, शौर्य, पराक्रम एवं मानव मूल्यों का वर्णन किया है। इसमें शिवाजी का सच्चा स्वरूप उभरकर सामन आया है। वे हमारे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। यह एक धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था जो मानव मूल्यों का आधारशिला पर खड़ा था। यहां प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक पूजनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले बहुत प्रिय थे। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण सम्मान करते थे। इसलिए उन्होंने कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उससे क्षमा याचना की थी तथा उसे वापिस भेजने का आश्वासन दिया था।

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प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए सभी धर्म पूज्य थे ? कैसें ?
उत्तर:
शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। यही कारण है कि उनकी सेना में हिंदु-मुसलमान दोनों थे। उन्होंने किसी मस्जिद की दीवार को कभी आंच नहीं आने दी। उन्हें कभी कुरान शरीफ़ मिली तो उसे आदर सहित मौलवी साहब की सेवा में भेजा था। उनके लिए हिंदू-मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं था। इसीलिए उन्होंने धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य की स्थापना की थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवाजी के लिए सभी धर्म पूजनीय थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी किसकी रचना है ?
उत्तर:
सेठ गोबिन्द दास की।

प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए शत्रु की पत्नी कैसी है ?
उत्तर:
माँ से भी अधिक वंदनीय है।

प्रश्न 3.
सेनापति आवाजी सोनदेव कहाँ का खज़ाना लूट कर लाए हैं ?
उत्तर:
कल्याण प्रांत का।

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प्रश्न 4.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी में किस स्थान और समय की घटना का वर्णन है ?
उत्तर:
रायगढ़ दुर्ग के एक प्लान में सन् 1648 ई० की संध्या का।

प्रश्न 5.
पेशवा का क्या नाम है ?
उत्तर:
मोरोपंत।

प्रश्न 6.
श्रीमंत सरकार शिवाजी को कौन संबोधित करता है ?
उत्तर:
पेशवा मोरोपंत और आवाजी सोनदेव सेनापति।

हां-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
अहमद की पुत्र-वधू को मोरोपंत ने बंदी बनाया था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 8.
अहमद की पुत्रवधू की आँखों में आँसू छलछला आए।
उत्तर:
हाँ।

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सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 9.
मोरोपंत शिवाजी की परिवर्तित मुद्रा देखकर घबरा सा जाता है।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 10.
माँ, आपको आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और ख़बरदारी के साथ आपके शौहर के पास पहुँचा दिया जायेगा।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 11.
आवाजी, तुमने ऐसा …… किया है, जो ……. क्षमा नहीं किया जा सकता।
उत्तर:
आवाजी, तुमने ऐसा काम किया है, जो कदाचित् क्षमा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 12.
तब तो ये ………… ये ……. घृणित …….. है।
उत्तर:
तब तो ये रक्तपात, ये लूटमार घृणित कृतियाँ हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 13.
मसनत के सहारे शिवाजी किस आसन में बैठे हैं ?
(क) वज्रासन
(ख) सुखासन
(ग) वीरासन
(घ) पद्मासन।
उत्तर:
(ग) वीरासन।

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प्रश्न 14.
आवाजी सोनदेव शिवाजी का क्या है ?
(क) सैनिक
(ख) मंत्रि
(ग) पेशवा
(घ) सेनापति।
उत्तर:
(घ) सेनापति।

प्रश्न 15.
द्वार पर शस्त्रों से सुसज्जित कितने मावली रक्षक खड़े हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 16.
“लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है”-कथन किसका है ?
(क) मोरोपंत
(ख) सोनदेव
(ग) शिवाजी
(घ) अहमद की पुत्रवधू।
उत्तर:
(ग) शिवाजी।

कठिन शब्दों के अर्थ

मावली = शिवाजी के खास सैनिक। दुर्ग = किला। निस्तब्धता = चुप्पी। हम्माल = मज़दूर, कुली। मेणा = बंद पालकी। पेशवा = सरदार। वृत्त = इतिहास, वृत्तांत। भृकुटि = भौंह। तोहफा = भेंट, उपहार। सिपहसालार = सेनापति। श्रीमंत = श्रीमान्। नामाकूल हरकत = अनुचित व्यवहार, मूर्खतापूर्ण व्यवहार, बेहूदा शरारत। इबादत = पूजा। कमखाब = रंगीन बूटीदार। = रेशमी कपड़ा। अभिवादन = सत्कार। सदृश = समान। हिफाज़त = सुरक्षा। ख़बरदारी = सावधानीपूर्ण, होशियारी से। पर-स्त्री = पराई स्त्री। शौहर = पति। दालान = बरामदा। कदाचित् = शायद, कभी। घृणित = घृणा के योग्य। आततायी = सताने वाले। स्तंभ = खंभा। क्षति = नुकसान।। रक्तपात = खून बहाना। मसनद् = गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया। उदारचेता = खुले विचारों वाला। शील = चरित्र। श्रेयस्कर = कल्याणकारी। वीरासन में बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों आदि द्वारा अपनाया जाता है। इन्द्रियलोलुप = भोगविलास की इच्छा रखने वाला। प्रायश्चित्त = पछतावा। कनखी = तिरछी नज़र। अजीबो गरीब = विचित्र। संवाद = परस्पर बातचीत। सत्ता का अपहरण = राज्य छीनना।

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शिवाजी का सच्चा स्वरुप Summary

शिवाजी का सच्चा स्वरुप जीवन-परिचय

जीवन परिचय-सेठ गोबिन्ददास हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1896 ई० में हुआ। वे लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
रचनाएँ-सेठ जी ने साहित्य के सभी क्षेत्रों में लेखन कार्य किया है। परंतु नाटक-एकांकी के क्षेत्र में इन्होंने महान् ख्याति प्राप्त की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैंनाटक एकांकी-अलबेला, कर्ण, कर्त्तव्य, प्रकाश, विकास, शाप और वर, सच्चा जीवन, सेवापथ अशोक, हर्ष।
साहित्यिक विशेषताएँ-सेठ गोबिन्ददास साहित्य और राजनीति का संगम थे। इन्हें देश-प्रेम संस्कारों में मिला था। यही उनके जीवन तथा साहित्य का प्रमुख स्वर रहा है। इनके साहित्य में देश-प्रेम की भावना का वर्णन हुआ है। इन्होंने अपने नाटक एकांकियों में सामाजिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जीवन की अनेक समस्याओं को उठाया है। इनमें भारतीय संस्कृति, देश-प्रेम तथा गांधी-दर्शन का प्रकाश उजागर किया गया है।

शिवाजी का सच्चा स्वरुप एकांकी का सार

‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ सेठ गोबिन्ददास की प्रमुख एकांकी है। इसमें लेखक ने शिवाजी महाराज के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया है। शिवाजी हमारे राष्ट्रीय गौरव का महान् ध्वज हैं। वे अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रमी थे। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर ‘हिन्दी स्वराज्य’ की स्थापना की। यह धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था। इन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से निरंतर लोहा लिया। इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी के इसी पवित्र चरित्र का वर्णन किया गया है। शिवाजी, मोरोपंत तथा आवाजी सोनदेव इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर, मोरोपंत पेशवा तथा सोनदेव शिवाजी एक सेनापति थे। यह एकांकी सन् 1648 ई० की संध्या को राजगढ़ दुर्ग के दालान पर घटित होती है। दालान में मसनद् के सहारे शिवाजी आसन पर बैठे थे। राजगढ़ दुर्ग के दालान पर शस्त्रों के साथ सुदृढ़ शरीर वाले मावली रक्षक खड़े हुए हैं और बायीं तरफ से मोरोपंत पिगंले का प्रवेश हुआ। उसने शिवाजी सरकार को नमस्कार किया। उसने बताया कि सेनापति सोनदेव कल्याण प्रांत को जीतकर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आए हैं। यह शुभ समाचार सुनकर शिवाजी बड़े खुश हुए। कुछ समय पश्चात् सेनापति आवाजी सोनदेव ने शिवाजी के सामने आकर अभिवादन किया। शिवाजी ने उसे इस जीत की बधाई दी तथा सेनापति ने शिवाजी को बधाई दी। दोनों में इस युद्ध के विषय में खूब चर्चा हुई। सेनापति ने जीत के साथ-साथ कल्याण के लूटे हुए खजाने के बारे में बताया तथा उसने बताया कि वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को भी बंद कर आपकी सेवा में लाया है। यह सुनकर अचानक शिवाजी की मुद्रा बदल जाती है। सेनापति भी घबरा उठता है। क्रोधित स्वर में शिवाजी तुरंत मेणा को अपने सामने लाने के लिए कहा। आवाजी उसी समय एक बंद पालकी महाराज के सामने ले आए। उसमें से बहुत सुंदर युवती (अहमद की पुत्रवधु) बाहर निकल चुपचाप एक तरफ खड़ी हो जाती है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

शिवाजी उसे माँ कहकर अपने सेनापति के लिए माफी मांगते हैं, उन्होंने कहा कि वे तो उसके सौंदर्य का हिंदू विधि से पूजन करना चाहते हैं । इसके बाद शिवाजी क्रोधावेश में आकर सेनापति पर बरस पड़े कि तूने ऐसा घृणित कार्य किया। शिवा ने आजतक किसी मस्जिद में बाल बराबर भी दरार नहीं आने दी। उसने तो कुरान को भी सर माथे लगाया। उसका सम्मान किया। इस्लाम उसके लिए पूज्य है। इस्लाम के पवित्र स्थान तथा पवित्र ग्रंथ उनके लिए सम्माननीय हैं। शिवाजी की सेना में हिंदु ही नहीं मुस्लिम भी सैनिक थे। वह देश में हिंदू राज्य नहीं सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वह आक्रमणकारियों से सत्ता लेकर उदार लोगों को देना चाहते थे। वह तो स्त्री को माता के समान पूजनीय मानता था। शिवाजी सेनापति के बुरे कार्य के लिए फटकारते रहे। वे बार-बार अपने सेनापति के इस बुरे कर्म की वजह से पश्चाताप करने लगे। उन्होंने उसी समय घोषणा की कि यदि आगे कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा। यह कहकर शिवाजी का सिर नीचे झुक गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Hindi Guide for Class 9 PSEB कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उत्पादक किस तरह ग्राहकों को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक लुभावने विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में कौन-सा कानून लागू किया ?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया।

प्रश्न 3.
ग्राहकों को किस तरह अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है ?
उत्तर:
रेडियो तथा टेलीविज़न पर विज्ञापनों के द्वारा ग्राहकों को जागरूक किया जाता है।

प्रश्न 4.
कितने रुपये तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है ?
उत्तर:
बीस लाख रुपए तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है।

प्रश्न 5.
20 लाख रुपए से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए ?
उत्तर:
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में दर्ज करवानी चाहिए।

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प्रश्न 6.
एक करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत कितने वर्षों के भीतर करनी चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत दो वर्षों के भीतर करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए फ़ीस अदा करनी पड़ती है ?
उत्तर:
ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई फीस अदा नहीं करनी पड़ती।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता अधिकांश तौर पर सामान खरीदते समय बिल क्यों नहीं लेते ?
उत्तर:
उपभोक्ता वैट बचाने के लिए सामान खरीदते समय बिल नहीं लेते।

प्रश्न 10.
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
उत्तर:
1800-11-4000.

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी वस्तु अथवा सेवा को पाने के बदले धन का भुगतान करता है उसे उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 के अनुसार उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
उपभोक्ता के निम्नलिखित अधिकार हैं
(1) सुरक्षा का अधिकार,
(2) जानकारी होने का अधिकार,
(3) उत्पाद चुनने का अधिकार
(4) शिकायत निवारण का अधिकार,
(5) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है तो उसे क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है, तो उसे इसकी शिकायत उपभोक्ता संरक्षण आयोग में करनी चाहिए। उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता अपनी शिकायत ऑनलाइन किस तरह दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवाने के लिए www.core.nic.in पर लॉग इन करना चाहिए। उपभोक्ता रजिस्ट्रेशन पर एक क्लिक द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता को ऑनलाइन ही शिकायत क्रमांक प्राप्त हो जाता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के किस-किस तरह के मामले आते हैं ?
उत्तर:
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के निम्न तरह के मामले सामने आते हैं
(1) कंपनियां आकर्षक ब्याज दर या कुछ समय में धन दोगुना करने की स्कीम का भ्रामक विज्ञापन देती है तथा उपभोक्ता उनके जाल में फंस जाता है।
(2) एक ही फ्लैट दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया जाता है।
(3) बैंक बिना कारण ग्राहक का खाता फ्रीज कर देते हैं। इससे ग्राहक को वित्तीय लेन-देन में दिक्कत होती है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) उपभोक्ता को एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए।
(2) उत्पाद का बैच नंबर अवश्य जाँचना चाहिए।
(3) पैंकिंग और एक्सपायरी की तारीख अवश्य देखनी चाहिए।
(4) उत्पाद का वज़न देखना चाहिए।
(5) प्रयोग की विधि अवश्य देखनी चाहिए।
(6) उत्पादक का नाम और पता ज़रूर देखना चाहिए।
(7) सामान का बिल अवश्य लेना चाहिए।
(8) पैकेट बंद होने चाहिएँ।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिएअशुद्ध

शुद्ध – अशुद्ध
दूकान – ………………..
व्यकती – ………………..
नाममातर – ………………..
अरोप – ………………..
गराहक – ………………..
विगयापन – ………………..
पीड़त – ………………..
उलंघन – ………………..
उत्तर:
दूकान – दुकान
व्यकती – व्यक्ति
नाममातर – नाममात्र
अरोप – आरोप
गराहक – ग्राहक
विगयापन – विज्ञापन
पीड़त – पीड़ित
उलंघन – उल्लंघन

2. निम्नलिखित शब्दों का वर्णविच्छेद कीजिए

शुद्ध – वर्ण विच्छेद

उपभोक्ता – ………………..
चिकित्सक. – ………………
विज्ञापन – ……………….
शिकायत – ……………
ग्राहक – ………………
उत्पादक – ……………
आकर्षक – ………………..

उत्तर:
उपभोक्ता = उ + प् + अ + भ् + ओ + क् + त् + आ
चिकित्सक. = च् + इ + क् + इ + त् + स + अ + क् + अ
विज्ञापन = व् + इ + ज + ञ् + आ + प् + अ + न् + अ
शिकायत = श् + इ + क् + आ + य् + अ + त् + अ
ग्राहक = ग् + र् + आ + ह + अ + क् + अ
उत्पादक = उ + त् + प् + आ + द् + अ + क् + अ
आकर्षक = आ + क् + अ + र् + ष + अ + क् + अ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप यह पाठ पढ़ने से पूर्व उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण के बारे में क्या जानते थे ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
क्या कभी आपके अधिकारों का हनन/उल्लंघन हुआ है ? यदि हाँ, तो आपने उस स्थिति में क्या किया ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
स्कूल में खोले गए लीगल लिटरेसी क्लब के सदस्य बनें एवं कानून से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से इस क्लब के बारे में जानें।

प्रश्न 2.
मैगज़ीनों/अखबारों में आए उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी लेख/विज्ञापन पढ़ें। जब भी आप कोई ऐसा लेख पढ़ें जिसमें उपभोक्ता को शिकायत के बाद उचित न्याय व मुआवज़ा मिला हो तथा उत्पादक/ दुकानदार आदि को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया हो तो ऐसी खबर को कॉपी में चिपकायें और यदि संभव हो तो संक्षेप में स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाएँ।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया।

2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गई। नैडर के आन्दोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, सन् 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन० एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।

3. एम०आर०पी० (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)-हिन्दी में इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर०पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर०पी० का निर्धारण सरकार करती है। जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ–उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं
(i) जिला उपभोक्ता फोरम-उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है या किराये पर लेता है और वह सामान खराब निकलता है या सेवा में कमी रहती है तो उसकी शिकायत सबसे पहले जिला उपभोक्ता फोरम में की जाती है। हर राज्य में जिला उपभोक्ताओं का गठन किया गया है।
(ii) राज्य उपभोक्ता आयोग-ज़िला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के खिलाफ संबंधित राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की जा सकती है।
(iii) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग-राष्ट्रीय स्तर पर गठित की गई सर्वोच्च संस्था दिल्ली में है। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है।
(iv) टोल फ्री नम्बर-1800-11-4000-(समय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक (सभी कार्य दिवसोंसोमवार से शनिवार)।

5. उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी मैगज़ीनें-कंज्यूमर वॉयस, कंज्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)।

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PSEB 9th Class Hindi Guide कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एम०आर०पी० क्या होता है ?
उत्तर:
एम०आर०पी० का अर्थ है-अधिकतम खुदरा मूल्य।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद कब तक आगे कार्यवाही शुरू हो जाती है ?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद 72 घंटे के भीतर ही आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूसरे पक्ष को कितने दिन के भीतर उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं।
उत्तर:
चौदह दिन के भीतर।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन या चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
एक ताजा अध्ययन के अनुसार कितने उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं ?
उत्तर:
एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ग्राहकों ने इसे सुना है कि ऐसा कोई कानून भी होता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को कौन-सी ठगी व धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी के उपभोक्ताओं को निम्नलिखित धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है
(1) दवाइयों की दुकान पर एक्सपायर दवा दे दी जाती है।
(2) खरीदे गए उत्पाद पर गारंटी के बावजूद भी सर्विस नहीं दी जाती है।
(3) कभी उत्पाद पर लिखे वज़न से कम वज़न का सामान मिलता है।
(4) डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता।
(5) उत्पादक लुभावने विज्ञापनों से ग्राहकों को प्रभावित करते हैं तथा उत्पाद के बारे में ग़लत जानकारी देते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में सादे कागज़ पर निम्न जानकारी देकर शिकायत कर सकता है
(1) शिकायतकर्ता और विपक्ष का नाम तथा पता लिखना चाहिए।
(2) शिकायत से संबंधित तथ्य देने चाहिएं।
(3) शिकायत में लगाए गए आरोपों के समर्थन में ज़रूरी दस्तावेज़ देने चाहिए।
(4) शिकायतकर्ता को राहत अथवा हरजाने का उल्लेख देना चाहिएं। (5) कागज़ पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर ज़रूर होने चाहिएं।
को (it) उपभोक्ता के अधिकारों का हनन कब होता है। उत्तर-उपभोक्ता के अधिकारों का हनन निम्न प्रकार से होता है(1) जब दुकानदार अपने उत्पाद पर लेबल या स्टिकर लगाकर उसे बाज़ार भाव से अधिक कीमत पर बेचता है।
(2) जब रेलवे स्टेशन, ट्रेन, हवाई अड्डे या बस स्टैंड पर किसी सामान को एम०आर०पी० से अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
ललिता गोयल की।

प्रश्न 2.
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
ठगी और धोखाधड़ी का।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

प्रश्न 3.
दवा की दुकान पर कैसी दवा दे दी जाती है ?
उत्तर:
ऐक्सपायरी डेट की।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण कानून कब से लागू किया गया ?
उत्तर:
सन् 1986 ई० से।

प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण कानून से अवगत हैं ?
उत्तर:
मात्र 20%

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
उत्पाद खरीदते समय पैकेट खुले या फटे होने की चिंता नहीं करें।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
बीस लाख रुपए तक के क्लेम जिला स्तर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता शिकायत अधिकारों के हनन के पाँच वर्षों के भीतर करें।
उत्तर:
गलत।

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प्रश्न 9.
कोई भी सामान खरीदते समय बिल लेना आवश्यक नहीं है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

10. उपभोक्ता ……… वही ……… खरीदें जिस पर ……… का लोगो हो।
उत्तर:
उपभोक्ता केवल वही उत्पाद खरीदें जिस पर एगमार्क का लोगो हो।

प्रश्न 11.
उपभोक्ता को …….. के ज़रिए …… कार्यवाही से भी …….. कराया जाता है।
उत्तर:
उपभोक्ता को ईमेल के ज़रिए संपादित कार्यवाही से भी अवगत कराया जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
उपभोक्ता कंज्यूमर टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
(क) 1800112000
(ख) 1800113000
(ग) 1800114000
(घ) 1800115000.
उत्तर:
(ग) 1800114000.

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प्रश्न 13.
बीस लाख रुपए से अधिक के क्लेम कहाँ करने होते हैं ?
(क) जिला आयोग में
(ख) राज्य आयोग में
(ग) राष्ट्रीय आयोग में
(घ) उच्चतम-न्यायालय में।
उत्तर:
(ख) राज्य आयोग में।

प्रश्न 14.
शिकायत कितने वर्षों के अन्दर करनी होती है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 15.
बी० पी० एल० कार्डधारक को शिकायत दर्ज कराने के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है ?
(क) दस रुपए
(ख) पचास रुपए
(ग) सौ रुपए
(घ) कुछ नहीं।
उत्तर:
(घ) कुछ नहीं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

कठिन शब्दों के अर्थ

रोजमर्रा = प्रतिदिन की, हर रोज़ की। उपभोक्ता = किसी वस्तु को खरीदने वाला। डेट = तिथि। सही = उचित। चिकित्सक = डॉक्टर। खामियाजा = हानि। संरक्षण = सुरक्षा। मसलन = उदाहरण के तौर पर। अंततः = अंत में। शिकायतकर्ता = शिकायत करने वाला। हनन = नष्ट होना, दबाना। एयरपोर्ट = हवाई अड्डा। एम० आर० पी० = अधिकतम मूल्य । फ्लैट = घर। अकाऊंट = खाता। फ्रीज = बंद करना। आकर्षक = लुभावना। तथ्य = यथार्थ, सच। भ्रामक = भ्रम में डालने वाला। शुल्क = फीस। राहत = आराम। दस्तावेज़ = विविध लेख।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Summary

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से जीवन-परिचय

श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, सन् 1973 ई० को हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) तथा एम०ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख रही हैं। इनके लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं। वर्तमान में ये दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रही हैं।
लेखिका की समाज को जागरूक करने में विशेष भूमिका रही है। इस पाठ में इन्होंने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जगाने का प्रयास किया है। इसके साथ उन अधिकारों को पाने के प्रति जागरूक बनाया है। लेखिका ने बड़े सहज भाव से आज के उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए सचेत रहने की प्रेरणा दी है। लेखिका की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। उसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिकता से हुआ है।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से पाठ का सार

‘कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ लेखिका ललिता गोयल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए.जागरूक एवं एकजुट भी किया है। उपभोक्ताओं को हर रोज़ ठगी तथा धोखाधड़ी का शिकार बनना पड़ता है। कभी कोई उन्हें पुरानी दवा दे देता है तो कभी उत्पादों पर उन्हें गारंटी होने पर भी सर्विस नहीं दी जाती। कभी कोई सामान लिखे हुए वज़न से कम निकलता है। कभी डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता। कोई उन्हें ग़लत जानकारी देता है जिसकी हानि उपभोक्ताओं को होती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने सन् 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। यह कानून प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, जानकारी, उत्पाद चुनना, शिकायत करना आदि अनेक अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों को पाने के लिए ग्राहकों को जागना चाहिए। एक सर्वे के अनुसार आज तक देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ने ही इसे सुना है। जबकि इसके लिए कोई भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है। कोई भी शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत भेज सकता है। बीस लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर के आयोग में तथा इससे अधिक राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है। एक करोड़ से अधिक क्लेम पाने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत की जाती है। शिकायत केवल अधिकारों के हनन के दो वर्ष के अंदर ही हो सकती है। अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता को वकील करने की ज़रूरत भी नहीं होती।

दुकानदार द्वारा उत्पाद पर लेबल अथवा स्टिकर लगाकर बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। किसी भी सामान को अधिकतम मूल्य से ज्यादा में बेचना ग़लत होता है। इसकी शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन के अनेक प्रकार के मामले सामने आते हैं। कई बार एक ही घर दो-दो को आबंटित कर दिया जाता हैं। बैंक द्वारा बिना कारण के खाता बंद कर देना। इनसे उपभोक्ता केवल जागरूक बनकर ही बच सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को केवल एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए। बैच नंबर को देखना चाहिए। पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न आदि को देखना चाहिए। खरीदी गई वस्तु का बिल अवश्य लेना चाहिए। गारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवाएँ। उपभोक्ता इंटरनेट के द्वारा भी अपनी शिकायत कर सकता है। इस पर 72 घंटे के भीतर ही कार्यवाही शुरू हो जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर ही उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। यही नहीं उपभोक्ता 1800-11-4000 राष्ट्रीय उपभोक्ता सहायता नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

 

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 16 बचेंद्री पाल

Hindi Guide for Class 9 PSEB बचेंद्री पाल Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बद्री पाल ने बचपन में क्या दृढ़ निश्चय कर लिया था ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने बचपन में यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह परिवार में किसी से पीछे नहीं रहेगी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के माता-पिता किस बात से दुःखी थे ?
उत्तर:
बद्री पाल के माता-पिता अपने बच्चों की सपनों की दुनिया से दुःखी थे।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने किन मैदानी खेलों में कप जीते ?
उत्तर:
बद्री पाल ने गोला फेंक, डिस्क फेंक तथा लंबी दौड़ में कप जीते।

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प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने कब अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्पित किया?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्मित किया।

प्रश्न 5.
‘रैपलिंग’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
रैपलिंग का अर्थ है-ऊँची चट्टान अथवा हिमखंड से एक नाइलोन की रस्सी के सहारे कुछ ही क्षणों में नीचे आना।

प्रश्न 6.
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी ने बर्फ काटने के लिए किस चीज़ का इस्तेमाल किया ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी के बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया।

प्रश्न 7.
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला कौन है ?
उत्तर:
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला बचेंद्री पाल है।

प्रश्न 8.
एवरेस्ट पर आनन्द के क्षणों में बचेंद्री पाल को किन का ध्यान आया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर आनंद में क्षणों में बचेंद्री पाल को अपने माता-पिता का ध्यान आया।

प्रश्न 9.
बचेंद्री पाल को कौन-कौन से पुरस्कार दिए गए ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक पुरस्कार दिए गए।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल निडर और स्वतंत्र कैसे बन गई थी ?
उत्तर:
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर प्रायः अकेली घूमती थी। वह प्रकृति के साथ स्वंतत्र होकर खेलती थी। प्रकृति के साथ इस खुलाव से निडर तथा स्वतंत्र बन गई।

प्रश्न 2.
बद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही कौन-कौन सी दौड़ का अभ्यास करना शुरू कर देती थी ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही तीन टॅगडी, सूई धागे वाली दौड, बोरा दौड तथा सिर पर पानी भरा मटका रखकर होने वाली दौड़ आदि का अभ्यास करना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने अपनी शिक्षा कैसे प्राप्त की ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल दिन के समय केवल अपने हिस्से का ही नहीं बल्कि कहीं अधिक काम करती थी। वह अपने मित्रों से किताबें उधार लेकर देर रात तक पढ़ती थी। उसने सिलाई-कढ़ाई का काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया।

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में क्या-क्या सीखा ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में बर्फ और चट्टानों पर चढ़ने के तरीके सीखे। रैपलिंग करना सीखा। अभियान को आयोजित करने का प्रशिक्षण भी लिया।

प्रश्न 5.
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तर:
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में कहा कि तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हे तो शिखर पर पहले की प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठ कर क्या किया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठकर बर्फ पर अपना माथा लगाया और सागर माथे के ताज का चुंबन लिया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला। उन्हें लाल कपड़े में लपेटकर छोटीसी पूजा की तथा बर्फ में दबा दिया।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल के चमौली जिले में बंपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हंसादेई नेगी ततथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। वह बचपन से ही निडर तथा साहसी थी। वह बहुत बड़ी स्वप्न दुष्टा थी। वह दृढ़ निश्चयी थी। उसने बचपन में ही अपने परिवार में किसी से पीछे न रहने का निश्चय कर लिया था। उसने एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना देखा और कठिन परिश्रम से उसे पूरा किया। वह प्रतियोगिता में पूरे परिश्रम से भाग लेती थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने 1 मई, सन् 1984 तक एवरेस्ट पर जाने की योजना की सही तैयारी कर ली थी। 8 मई को साउथ कोल पहुँच कर 9 मई को चोटी पर पहुँचने का प्रयास करना था। उसने 9 मई को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया। 16 मई प्रातः 8 बजे तक दूसरे कैंप में पहुँच गई। अगली सुबह: 6:20 पर उसने अंग दोरजी के साथ बिना रस्सी के चढ़ाई शुरू की। उन्होंने चट्टानों पर चढ़ते हुए बर्फ को काटने के लिए फावड़े का प्रयोग किया। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप पर पहुँच गए। इस प्रकार निरंतर बढ़ते हुए वह 23 मई, सन् 1984 को एवरेस्ट चोटी पर पहुँच गई।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन

एकवचन – बहुवचन
किताब – ………….
क़मीज़ – ………….
चट्टान – ………….
तकनीक – ………….
चादर – ………….
साँस – ………….
लड़की – ………….
मटका – ………….
धागा – ………….
परीक्षा – ………….
इच्छा – ………….
श्रेणी – ………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
किताब – किताबें
क़मीज़ – कमीजें
चट्टान – चट्टानें
तकनीक – तकनीकियाँ
चादर – चादरें
साँस – साँसें
लड़की – लड़कियाँ
मटका – मटके
धागा – धागे
परीक्षा – परीक्षाएँ
इच्छा – इच्छाएँ
श्रेणी – श्रेणियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – …………. – ………….
पाशिक्षण – …………. – ………….
प्रशिक्षक – …………. – ………….
परिवार – …………. – ………….
परिश्रम – …………. – ………….
अभियान – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – प्र – वासी
प्रशिक्षण – प्र – शिक्षण
प्रशिक्षक – प्र – शिक्षक
परिवार – परि – वार
परिश्रम – परि – श्रम
अभियान – अभि – यान

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – …………. – ………….
चढ़ाई – …………. – ………….
न्यूनतम – …………. – ………….
बचपन – …………. – ………….
सफलता – …………. – ………….
कठिनाई – …………. – ………….
सुरक्षित – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – ऊँच – आई
चढ़ाई – चढ़ – आई
न्यूनतम – न्यून – तम
बचपन – बच्चा – पन
सफलता – सफल – ता
कठिनाई – कठिन – आई
सुरक्षित – सुरक्षा – इत

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिये कि आप पर्वतारोहण के लिए गये हैं। अपने मित्र को पत्र लिखकर पर्वतारोहण का अनुभव बताइए।
उत्तर:
108, विकास नगर,
नई दिल्ली ।
4 मई, 20…
प्रिय मित्र,
नमस्कार।

मैं पिछले सप्ताह अपने मित्र के साथ हिमालय पर्वतारोहण के लिए गया हुआ था। हमने कठिन संघर्ष करके अनेक चट्टानों को पार किया। हमने अपनी मंजिल पर जाने से पहले चार पड़ाव डाले। इसके लिए हमें चार दिन का समय लगा। हम अपने साथ ज़रूरत का सारा सामान लिए हुए थे। अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए अतंतः हम पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर मैंने प्रभु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। वहाँ से अगले दिन हमने उतरना शुरू किया और इस तरह तीन-दिन में हम नीचे कुशल से आ गए। इस यात्रा में मैंने खूब आनंद उठाया।

आपका प्रिय,
विक्रम

प्रश्न 2.
आपने अपने भविष्य के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है ? ।
उत्तर:
मैं एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ। मैं इसलिए अध्यापक बनना चाहता हूँ ताकि अपने देश की सच्ची सेवा कर सकूँ। मैं एक आदर्श अध्यापक बनकर बच्चों को आदर्श नागरिक बनाना चाहता हूँ। मैं उन्हें समाज, संस्कृति, धर्म की शिक्षा देना चाहता हूँ। मैं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना चाहता हूँ। मैं जीवन भर स्वयं शिक्षा से जुड़कर देश के कर्णधारों को शिक्षा प्रदान करना चाहता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में होने वाले खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्थान प्राप्त करने वाली भारतीय महिलाओं के चित्र चार्ट पर लगाकर कक्षा में टाँगे।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. एवरेस्ट पर्वत : एवरेस्ट पर्वत (नेपाली में सागरमाथा अर्थात् स्वर्ग का शीर्ष, संस्कृत में देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 8848 मीटर है।
2. तेनजिंग नॉरगे : तेनजिंग नॉरगे एक नेपाली पर्वतारोही थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मांऊट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इस मिशन में न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी उनके साथ थे। 29 मई, सन् 1953 को सातवें प्रयास में उन्हें इस मिशन में सफलता मिली।
3. भारत की प्रथम महिला :
(i) भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी
(ii) भारत की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजिनी नायडू
(iii) भारत की प्रथम विश्व सुंदरी – कु० रीता फारिया
(iv) भारत की प्रथम मिस यूनिवर्स – सुष्मिता सेन ।
(v) यूनाइटेड नेशन जनरल एसेम्बली की प्रथम भारतीय महिला और अध्यक्ष – विजय लक्ष्मी पंडित
(vi) किसी उच्च न्यायालय (केरल उच्च न्यायालय) की प्रथम भारतीय महिला जज – अन्ना चान्डी
(vii) भारतीय पुलिस सेवा (आई० पी० एस०) में भर्ती होने वाली प्रथम महिला – किरण बेदी
(viii) माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला – बचेंद्री पाल
(ix) भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रथम महिला जज – न्यायमूर्ति एम० फातिमा बीबी
(x) अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला – कल्पना चावला
(xi) भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा पाटिल
(xii) लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष – मीरा कुमार

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PSEB 9th Class Hindi Guide बचेंद्री पाल Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की कौन-सी संतान है ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की तीसरी संतान है।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र किसने बनाया ?
उत्तर:
प्रकृति के साथ उसके खुलाव ने बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र बना दिया।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में कौन आनंद लेता था ?
उत्तर:
परिवार के छोटे सदस्य बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में आनंद लेते थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल किसमें विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी?
उत्तर:
बचेंद्री पाल हर तरह की बाहरी क्रीड़ा में विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी। वह विशेष रूप से लडकों के साथ होने वाली प्रतियोगिताओं में विशिष्टता चाहती थीं।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के जीवन का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के जीवन का पहला उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना था। उसका दूसरा उद्देश्य पवर्तरोहण था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
अपने आप को मजबूत बनाने के लिए बचेंद्री पाल ने क्या किया ?
उत्तर:
अपने आप को मज़बूत बनाने के लिए बद्री पाल घास चारे तथा सूखी लकड़ी के भारी गट्ठर घर लाने लगी। वह रोज़ आने-जाने का रास्ता बदलने लगी। वह अधिक दुर्गम रास्तों और घाटियों से होकर निकलने लगी। यह जानबूझकर पत्थरों के ऊपर से चलती थी। वह सीधी खड़ी ढलान चट्टानों से नीचे उतरने लगी थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर कौन प्रभावित हुए और कैसे ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर परिवार का प्रत्येक आदमी बहुत प्रभावित हुआ। उसकी माता तथा बहन कमला ने उसे पढ़ाने के लिए पिता से वकालत की। इससे उसे नौवीं कक्षा में दाखिले की अनुमति मिल गई।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘बचेंद्रीपाल’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
बचेंद्रीपाल।

प्रश्न 2.
बद्रीपाल कैसी लड़की थी ?
उत्तर:
वह एक स्वप्न दृष्टा लड़की थी।

प्रश्न 3.
पर्वतारोही कोर्स के लिए बचेंद्रीपाल ने कहाँ आवेदन किया ?
उत्तर:
नेहरू संस्थान में।

प्रश्न 4.
बचेंद्रीपाल एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँची ?
उत्तर:
23 मई, सन् 1984 को दोपहर 1 बजे।

प्रश्न 5.
शिखर पर बचेंद्रीपाल ने कितना समय व्यतीत किया ?
उत्तर:
43 मिनट।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बचेंद्रीपाल दस वर्ष की आयु में ही पहाड़ी ढलानों पर घूमती थी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7. बचेंद्रीपाल सिलाई करके दस-बीस रुपए रोज़ कमाने लगी।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
इंडियन माउन्टेनियरिंग फाउंडेशन ने सन् 1984 ई० के एवरेस्ट अभियान के लिए बचेंद्रीपाल को चुना।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बचेंद्रीपाल शिखर कैंप पर दो घंटे से अधिक समय में पहुँची।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
तुम्हें तो ……. पर पहले ही …….. में ……. जाना चाहिए।
उत्तर:
तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
एवरेस्ट ……. में मेरी …….. इच्छाओं की ……. हुई है।
उत्तर:
एवरेस्ट चढ़ाई से मेरी हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
बद्रीपाल का जन्म कब हुआ था ?
(क) 24 मई, 1954
(ख) 24 मई, 1955
(ग) 24 मई, 1956
(घ) 24 मई, 1958.
उत्तर:
(क) 24 मई, 1954.

प्रश्न 13.
बचेंद्रीपाल ने आठवीं की परीक्षा लगभग कितने वर्षों की आयु में उत्तीर्ण की थी ?
(क) 11
(ख) 12
(ग) 13
(घ) 14.
उत्तर:
(ग) 13.

प्रश्न 14.
आरोहण योजना की पूरी तैयारी कब तक हो गई थी ?
(क) मई 1980 तक
(ख) मई 1982 तक
(ग) मई 1984 तक
(घ) मई, 1986 तक।
उत्तर:
(ग) मई, 1984 तक।

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प्रश्न 15.
कैम्प दो तक बचेंद्रीपाल कब पहुँची ?
(क) 8 मई
(ख) 9 मई
(ग) 15 मई
(घ) 16 मई।
उत्तर:
(घ) 16 मई।

प्रश्न 16.
‘मैं बहुत खुश हूँ’-कथन किसका है ?
(क) बचेंद्री का
(ख) दोरजी का
(ग) तेनजिंग का
(घ) कमला का।
उत्तर:
(ख) दोरजी का।

कठिन शब्दों के अर्थ

स्वप्नदृष्टा = स्वप्न देखने वाला। प्रवासी = दूसरे स्थान का निवासी। बेहतर = अच्छा। न्यूनतम = सब से कम, कम से कम। साकार = आकार युक्त। शिखर = चोटी। क्रीड़ा = खेल। इस्तेमाल = प्रयोग। विशिष्टता = विशेषता। प्रतियोगिता = मुकाबला। बर्दाश्त = सहन करने की शक्ति। साऊथ = दक्षिण। पर्वतारोहण = पर्वतों पर चढ़ना। प्रारंभिक = शुरू का। पर्वतारोही = पहाड़ पर चढ़ने वाला। रोमांच = रोंगटे खड़े होना। आश्चर्यचकित = हैरान। हिमखंड = बर्फ का टुकड़ा। प्रशिक्षण = नियमित रूप से दी जाने वाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग। संस्तुति = प्रशंसा। इंतजार = प्रतीक्षा। प्रशिक्षक = प्रशिक्षण देने वाला। प्रोत्साहन = किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाना। दुर्गम = जहाँ पहुँचना कठिन हो। स्वर्ण = सोना। क्रिया-कलाप = किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम। रैपलिंग = ऊँची चट्टान से रस्सी द्वारा नीचे उतरना। दक्ष = निपुण, कुशल। शिखर = पहाड़ की चोटी। आरोहण = ऊपर की ओर चढ़ना। प्रस्थान = जाना, रवानगी। बरफ = बर्फ़। आरोही = चढ़ने या ऊपर जाने वाला। एवरेस्ट = हिमालय की सबसे ऊँची चोटी। उपस्कर = सामान। फावड़ा = कुदाल। प्रतिष्ठित = सम्मानित।

बचेंद्री पाल Summary

बचेंद्री पाल जीवन-परिचय

बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के चमौली जिले में बपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हँसादेई नेगी तथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनका बचपन ग़रीबी में व्यतीत हुआ। इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। इसलिए बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठाना पड़ा। इसके लिए उसने सिलाई-कढ़ाई शुरू की। इन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए एम०ए० (संस्कृत), बी०एड० की शिक्षा प्राप्त की।
इनको पहाड़ों पर चढ़ने का बचपन से ही शौक था। सन् 1984 ई० में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। तब तक दुनिया में केवल चार महिलाएँ ही चढ़ाई में सफल हो पाई थीं। सन् 1984 ई० में बचेंद्री पाल का एवरेस्ट चढ़ाई अभियान में चयन हुआ। इन्होंने 7 महिलाओं और 11 पुरुषों के साथ एवरेस्ट चढ़ाई शुरू की। 23 मई, सन् 1984 ई० को 1 बजकर, 7 मिनट पर इन्होंने एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक कदम रखा। ऐसा करने वाली वे भारत की पहली तथा संसार की पांचवीं महिला पर्वतारोही बन गई।
बचेंद्री पाल एक श्रेष्ठ पर्वतारोही महिला हैं। उन्होंने एवरेस्ट विजय अभियान का रोचक वर्णन किया है। उन्होंने पर्वतारोहण यात्रा के अनेक सजीव चित्र खींचे हैं। उनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

बचेंद्री पाल पाठ का सार

‘बद्री पाल’ यात्रा वृत्तांत पर्वतारोही बचेंद्री पाल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय अभिमान की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इसमें इन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा तथा पर्वतारोहण यात्रा का वर्णन किया है। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने लड़की होकर भी कुछ अलग करने का निश्चय कर लिया था। वह बहुत बड़े-बड़े सपने देखा करती थी। वह दस वर्ष की उम्र में ही जंगलों तथा पहाड़ी ढलानों पर अकेली निडर होकर घूमा करती थी। उसका बचपन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हुआ। किंतु उसने बचपन में ही माता-पिता को कुछ अलग करने को कहा, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। खेलकूद में भी बहुत श्रेष्ठ- उसने गोला फेंक, डिस्क फेंक और लंबी कूद में अनेक कप जीते। आठवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। आगे की पढ़ाई सिलाईकढ़ाई का काम करके जारी रखी क्योंकि उसके पिता ने आगे पढ़ने से मना कर दिया था। लगातार कठोर मेहनत करके उसने एम०ए०, बी० एड० की पढ़ाई की। घर में खाली बैठने की बजाय उसने नेहरू संस्थान के आरंभिक पर्वतरोही कोर्स में प्रवेश ले लिया। यहाँ बर्फ तथा चट्टानों पर चढ़ने के तरीकों का अध्ययन किया।

रैपलिंग के रोमांच का अनुभव किया। यहाँ अभियान को आयोजित करने का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद काला नाग 6387 मीटर की चढ़ाई की। इस चढ़ाई में उसे ‘ए’ ग्रेड मिला। यहाँ से अन्य अभियानों में भाग लेने की अनुमति मिल गई। सन् 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया। इसके लिए 9 मई, सन् 1984 ई० को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया गया। 16 मई को प्रात: आठ बजे तक अभियान के दूसरे कैंप तक साथियों के साथ पहुँच गई। यहाँ से अगले दिन सुबह चढ़ाई शुरू की। यहाँ से बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के साथ बिना रस्सी के ही चढ़ाई शुरू की। वह अंग दोर जी के साथ निश्चित गति से ऊपर चढ़ती गई। जमी बर्फ से सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त एवं भुरभुरी थीं। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप में पहुंच गए। अंतत: 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई। उसने घुटनों के बल बैठकर सागरमाथे के ताज का चुंबन किया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला तथा लाल कपड़े में लपेटकर छोटी-सी पूजा अर्चना की। आनंद के उस क्षण में माता-पिता का ध्यान आया। उसने हाथ जोड़ कर दोरजी के प्रति आदर प्रकट किया। वह बहुत खुश थी। उस शिखर पर उसने 43 मिनट बिताए। चोटी के समीप के खुले स्थान से पत्थरों के कुछ नमूने लेकर वापस यात्रा शुरू की। इस यात्रा के पर्वतारोहण में श्रेष्ठता के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ ने उसे प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक दिया तथा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार दिए। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Hindi Guide for Class 9 PSEB एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी क्या कुछ लुटा देता है ?
उत्तर:
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।

प्रश्न 2.
व्यसन या ड्रग एडिक्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब आदमी का मन और शरीर दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं और वह नशे बिना नहीं रहता तो इसे व्यसन

प्रश्न 3.
नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में कौन फँस जाता है ?
उत्तर:
मन का सन्तुलन खोजता आदमी नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

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प्रश्न 4.
कोकेन के सेवन से क्या नुकसान होता है ?
उत्तर:
कोकेन के सेवन से त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगने का आभास होता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन नष्ट हो जाता है। अपनों का प्यार और साथ खो जाता है। वह दुनिया में अकेला रह जाता है।

प्रश्न 6.
नशा करने से आर्थिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से आर्थिक समस्याएँ दिनों-दिन बढ़ती जाती हैं।

प्रश्न 7.
कौन-कौन सी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं ?
उत्तर:
सरकारी, गैर-सरकारी, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशे की भूल-भुलैया में लोग क्यों फँस जाते हैं ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में लोग इसलिए फंस जाते हैं ताकि वे अपने जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ सके।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किस तरह के लोग नशे के शिकार होते हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार कोई गम दूर करने, तो कोई शून्य, स्नेहरिक्त, जीवन में रस लाने के लिए, कोई उत्सुकतावश तो कोई फैशनेबल दिखाने के लिए नशे के शिकार होते हैं।

प्रश्न 3.
लोगों में नशे के बारे में किस तरह की ग़लतफहमी है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लोगों में नशे के बारे में ग़लतफहमी है कि नशा कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता बढ़ाता है।

प्रश्न 4.
नशा करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ जाता है ?
उत्तर:
नशा करने वाले व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है। उस पर आलस्य छा जाता है। वह शंकालु बन जाता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से कौन-कौन-सी भयंकर बीमारियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशा करने से एड्स, हेपेटाइटिस, वातस्फीति, दमा, खांसी आदि भंयकर बीमारियाँ होती हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशा करने का एक बार का अनुभव आगे चलकर व्यसन में बदल जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशे की शुरुआत आदमी अपने किसी दोस्त या साथी के कहे में आकर करता है। धीरे-धीरे उसका यह अनुभव व्यसन में बदल जाता है। वह इसका आदी बन जाता है। उसे नशे के बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता। नशा न मिलने पर वह छटपटाने लगता है। उसका शरीर और मन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
नशेड़ी व्यक्ति का जीवन अंतत: नीरस हो जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशेडी व्यक्ति के जीवन में कुछ भी शेष नहीं रहता। उसका शरीर ही नहीं बल्कि मन भी रोगों का शिकार बन जाता है। उसका सामाजिक स्तर टूट जाता है। कोई उससे बात करना भी पसंद नहीं करता। न उसके पास धन रहता है और न यौवन। अनेक बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं। इस प्रकार नशेड़ी व्यक्ति का जीवन नीरस बन जाता है।

प्रश्न 3.
नशामुक्ति के क्या-क्या उपाय किए जाते हैं ?
उत्तर:
नशामुक्ति के लिए निम्न उपाय किए जाते हैं
(1) नशामुक्ति के लिए मनोरोग विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं।
(2) डॉक्टर नशे की खुराक को घटते हुए देकर धीरे-धीरे बंद कर देते हैं।
(3) ऐसी दवाएँ दी जाती हैं जिससे तन-मन की छटपटाहट काबू हो जाती है।
(4) रोगी को अस्पताल भी भर्ती कर सकते हैं।
(5) रोगी के मानसिक एवं सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
(6) अनेक संस्थाओं द्वारा मदद ली जाती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि मन को कमज़ोर बनाने वाली स्थितियाँ भी नशे की ओर धकेल सकती हैं। मन का संतुलन खोजना आदमी एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि आदमी के जीवन में किसी प्रकार का दुःख, तनाव, असफलता आदि हो तो वे भी उसके मन को कमजोर बना देती हैं जिसके कारण आदमी नशे की ओर चला जाता है। वह नशा करने लगता है। वह इसमें अपने मन का संतुलन बनाना चाहता है लेकिन धीरे-धीरे एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

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प्रश्न 5.
किंतु अच्छाई इसी में है कि इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल आज़ाद ही रखें। कोई कुछ भी कहें, न तो नशों के साथ एक्सपेरिमेंट करना अच्छा है, न ऐसी संगत में रहना ठीक है जहाँ लोग उसके चंगुल में कैद हों।
उत्तर:
लेखक नशे से बचने का सुझाव देता है कि अस्थाई इसी बात में है कि नशे के चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल स्वतन्त्र रखना चाहिए। हमें कभी भी नशे का शिकार नहीं होना चाहिए। चाहे कोई कुछ भी कहे न तो नशों के साथ परीक्षण करना अच्छा होता है और न ही ऐसी संगित में रहना जहाँ लोग उसके शिकार होते हैं।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – …………… – …………….
दुष्प्रभाव – …………… – …………….
बेचैन – …………… – …………….
बेरोज़गार – …………… – …………….
उत्खनन – …………… – …………….
विवश – …………… – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – निर – बुद्धि
दुष्प्रभाव – दुः – प्रभाव
बेचैन – बे – चैन
बेरोज़गार – बे – रोज़गार
उत्खनन – उत् – खनन
विवश – वि – वश

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2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
निर्भरता – …………… – …………….
पुरातात्विक – …………… – …………….
मानसिक – …………… – …………….
विफलता – …………… – …………….
शारीरिक – …………… – …………….
मनोवैज्ञानिक – …………… – …………….
कल्पनाशीलता – …………… – …………….
चिकित्सीय – …………… – …………….
सृजनात्मकता – …………… – …………….
सरकारी – …………… – …………….
उत्तर:
निर्भरता – निर्भर – ता
पुरातात्विक – पुरातत्व – इक
मानसिक – मानस – इक
विफलता – विफल – ता
शारीरिक – शरीर – इक
मनोवैज्ञानिक – मनोविज्ञान – इक
कल्पनाशीलता – कल्पनाशील – ता
चिकित्सीय – चिकित्सा – ईय
सृजनात्मकता – सृजनात्मक – ता
सरकारी – सरकार – ई

3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना – ……………….
  • रग-रग में फैलना – सब जगह फैलना – ……………….
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना – ……………….
  • सुध न रहना – याद न रहना – ………………..
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना – …………….
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना – ……………..

उत्तर:

  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना
    वाक्य – विद्यार्थियों को आलस्य से सदा मुँह मोड़ना चाहिए।
  • रग – रग में फैलना-सब जगह फैलना
    वाक्य – साँप का ज़हर किसान की रग-रग में अब तक फैल चुका होगा।
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना
    वाक्य – कवि को उस के पिता ने ऐसा समझाया कि यह बात उस में घर कर गई है।
  • सुध न रहना – याद न रहना
    वाक्य – परीक्षा निकट आते ही विद्यार्थियों को खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती।
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना
    वाक्य-अरे ! मेहनत करो गम ग़लत करने से कुछ नहीं होगा।
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना
    वाक्य – संते और बंते का नाता टूट चुका है।

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4. निम्नलिखित पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
ਗੀਲੀ ਗੀਲੀ ਤਵ ਤੀ ਭਉਤਾ ਦੀ ਹੈਪੀ ਸਾਂਤੀ
उत्तर:
धीरे-धीरे खुराक की मात्रा भी बढ़ती जाती है।

प्रश्न 2.
ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਦੋਸਤ ਜਾਂ ਸਾਥੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे की शुरुआत आमतौर पर किसी दोस्त या साथी के कहने में आ कर होती है।

प्रश्न 3.
ਨਸ਼ੇੜੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਮਨ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ।
उत्तर:
नशेड़ी व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता।

प्रश्न 4.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਲਤ ਤੋਂ ਮੁਕਤੀ ਪਾਉਣਾ ਅਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
उत्तर:
नशीले पदार्थों की आदत से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 5.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਅਜ਼ਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे से हमें स्वयं को सदा आज़ाद रखना चाहिए।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘घर में बड़ों को नशा करते देखकर भी कुछ किशोर और युवा गुमराह हो जाते हैं। क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? यदि हाँ, तो चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं लेखक की इस उक्ति से सहमत हूँ। जब किशोर और युवा अपने घर में बड़ों को नशा करते हुए देखते हैं तो वे भी गुमराह हो जाते हैं क्योंकि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं। बड़े ही बच्चों का आइना होते हैं। घर में बड़े जैसा व्यवहार और काम करते हैं बच्चे वैसा ही करते चले जाते हैं। इसलिए घर में बड़ों को संयम में रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
यदि आपको कोई नशा करने के लिए उकसाए तो आप किस तरह उसे मना करेंगे ?
उत्तर:
यदि कोई मुझे नशा करने के लिए उकसाएगा तो मैं उसे साफ शब्दों में मना कर दूंगा। उसके लाख प्रयास करने पर भी मैं उसे न ही कहूँगा। मैं उसे समझाऊंगा कि नशा हमारे जीवन के लिए बहुत हानिकारक है। इससे धीरेधीरे हमारा शरीर कमज़ोर बनता है और एक दिन नष्ट हो जाता है इसलिए तुझे भी नशा छोड़ देना चाहिए। यदि वह मेरा मित्र हुआ तो मैं उस से अपनी मित्रता भी सदा के लिए छोड़ दूंगा।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
कक्षा अध्यापक की सहायता से स्वयं बनाएं।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से नशा-उन्मूलन रैली का आयोजन किया जाए तो इन नारों से समाज को नशों से दूर रहने के लिए जागृत करें।
उत्तर:
1. नशा उन्मूलन सम्बन्धी नारें1. नशा जीवन की बर्बादी है।
2. नशा छोड़ो-जीवन जोड़ो।
3. नशा भगाओ जीवन खुशहाल बनाओ।
4. नशा है एक कुल्हाड़ी, काटे जीवन की गाड़ी।
5. नशा भगाओ, खुशियाँ लाओ।
6. नशा भगाओ, सबका प्रेम पाओ।

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प्रश्न 3.
नशों के घातक परिणामों से सम्बन्धित चित्र अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से इकट्ठे कीजिए और उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी कोई एकांकी ढूँ अथवा अपने मित्रों/अध्यापकों की मदद से छोटी-सी नाटिका लिखें और उसे बाल-सभा में मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
जब भी कभी आपके स्कूल में नशों के विरोध में कोई आयोजन हो तो उस अवसर पर ‘नशामुक्ति’/ ‘नशाबंदी’ विषय पर छात्रों का एक समूह मिलकर एक प्रदर्शनी का आयोजन करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 6.
स्कूल में नशा-उन्मूलन विषय पर आयोजित होने वाली विभिन्न क्रियाओं जैसे ‘निबन्ध’, ‘भाषण’, ‘वादविवाद’ तथा ‘पोस्टर बनाना’ आदि प्रतियोगिताओं में सक्रिय भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

प्रश्न 7.
1 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ‘विश्व एड्स दिवस’ के अवसर पर स्कूल में आयोजित होने वाली कार्यशाला में भाग लें। इस अवसर पर अध्यापकों, रिसोर्स पर्सन्स, चिकित्सकों आदि के “एड्स’ विषय पर बहुमूल्य विचार सुनें एवं इस अवसर पर आयोजित ‘प्रश्नोत्तरी काल’ में ‘एड्स’ से सम्बन्धित प्रश्न पूछ कर अपनी सभी जिज्ञासाओं को शान्त करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. कोकेन-यह भी एक खतरनाक ड्रग है। इसकी लत में दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक और नैतिक पतन हो जाता है। भारत सहित अनेक देशों में इसके उपयोग और बिक्री पर रोक है।

2. एल० एस० डी० (लाइसर्जिक एसिड डाई-ऐथाइलामाइड)-तेज़ मादक पदार्थ जिसे लेने से मानसिक व्यवहार और शारीरिक क्रिया-कलापों पर गहरा असर पड़ता है। मन व्यग्रता से घिर उठता है, मतिभ्रम और दृष्टिभ्रम होने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और तरह-तरह की मानसिक विकृतियाँ दिलोदिमाग पर हावी हो जाती हैं।

3. पीसीपी (फेनसाइक्लीडिन)-कई नामों जैसे एंजल डस्ट, पीस पिल (शाँति की गोली) और सेरनिल के नाम से बिकने वाली नशे की गोली जिसे लेने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और मन-मस्तिष्क में कई तरह के भ्रम-विभ्रम उठ खड़े होते हैं।

4. कैनाविस-देश के कई हिस्सों में उगने वाली बूटी, जिसके विभिन्न हिस्सों से मादक पदार्थ भांग, गांजा और चरस प्राप्त किए जाते हैं। इनका नशे करने से मतिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके चलते छोटी-सी चीजें बहुत बड़ी दिखने लग सकती हैं, कानों में आवाजें सुनाई देने लग सकती हैं, और नशे की इस हालात में आदमी कई प्रकार से अपना बुरा कर सकता है। लंबे समय तक इनके सेवन से तन-मन दोनों पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं।

5. एम्फेटामिन दवाएँ-मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाली शक्तिशाली दवाओं का एक खास वर्ग। अक्सर इन दवाओं का दुरुपयोग एकाग्रता और मानसिक सतर्कता में वृद्धि लाने के लिए होता है। युवा पीढ़ी में ‘स्पीड’ के नाम से लोकप्रिय ये दवाएँ नींद भगाने, थकान मिटाने और सुखबोध उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं, किंतु उनके सेवन से तनमन पर अनेक दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। ये दवाएँ अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कनों की गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर में वृद्धि पैदा करती हैं, आदमी को नशाखोर बनाती हैं और दिल पर बुरा असर डाल मौत की नींद सुला सकती हैं।

6. एच० आई० वी० (ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएन्सी वायरस)-यह एक विषाणु है जिसके साथ एड्स फैलता है।

7. एड्स-यह अंग्रेजी के अक्षर ए० आई० डी० एस० से बना है अर्थात् एक्वायर्ड इम्यून डैफिशिएन्सी सिन्ड्रोम। वास्तव में यह कोई रोग नहीं है अपितु एक शारीरिक अवस्था है जिसमें मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते-होते लगभग खत्म ही हो जाती है तथा मनुष्य फिर साधारण रोग-कीटाणुओं द्वारा फैलने वाली सामान्य बीमारियों से भी अपने आप को बचा नहीं पाता। इस तरह फिर वह प्राणघातक संक्रामक रोगों कई तरह के कैंसर आदि से ग्रस्त हो सकता है।

8. तपेदिक (क्षयरोग) T.B. (Tubercle bacillus)-यह एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। यह हवा के माध्यम से तब फैलती है जब वे लोग जो टी.बी. संक्रमण से ग्रसित हैं और छींक, खांसी या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपनी लार संचारित कर देते हैं।

9. हेपेटाइटस बी/यकृतशोथ-यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।

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PSEB 9th Class Hindi Guide एक अंतहीन चक्रव्यूह Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
नशा किसको अपना गुलाम बना लेता है ?
उत्तर:
नशा मन के बाद शरीर को अपना गुलाम बना लेता है।

प्रश्न (ii)
कौन-सी स्थितियाँ आदमी को नशों की ओर धकेल सकती हैं ?
उत्तर:
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि स्थितियाँ आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है।

प्रश्न (iii)
नशे की वास्तविकता क्या है ?
उत्तर:
नशे की वास्तविकता यह है कि नशा करने से मनन क्षमता क्षीण हो जाती है तथा व्यक्ति अपना स्वास्थ्य भी गंवा सकता है।

प्रश्न (iv)
मादक पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद दूसरा चरण क्या है ?
उत्तर:
दूसरे चरण में रोगी के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
आदमी की नशे की निर्भरता कितने प्रकार की होती हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
आदमी की नशे की निर्भरता दो प्रकार की होती है
(1) पहली निर्भरता में आदमी को नशा न मिलने पर मन बेचैन होने लगता है, परन्तु शारीरिक लक्षण नहीं उभरते।
(2) दूसरा नशे में मन के बाद शरीर भी धीरे-धीरे उसका गुलाम बन जाता है।

प्रश्न (ii)
व्यक्तित्व की कौन-सी कमियाँ व्यक्ति को नशे में डुबो सकती हैं ?
उत्तर:
थोड़ी-सी बात पर चिन्ता, तनाव, अवसाद तथा मन में हीन भावना घर करना सभी व्यक्तित्व की कमियाँ आदमी को नशे में डुबो सकती हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न (i)
नशे से आदमी के जीवन में क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशे से आदमी के जीवन में निम्नलिखित हानियाँ होती हैं
(1) आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।
(2) आदमी का मन और तन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।
(3) मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
(4) सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
(5) आदमी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
(6) एड्स, हेपेटाइटिस बी, वातस्फीति, दमा, टी० बी० आदि भंयकर रोग हो जाते हैं।

प्रश्न (ii)
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है
(1) यह आदमी का मनन-क्षमता तथा स्मरण शक्ति को कमजोर बना देता है।
(2) रोगी पर आलस्य छाया रहता है।
(3) वह पोस्ती हो जाता है।
(4) आदमी का किसी कमा-काज में मन नहीं लगता।
(5) आदमी का स्वास्थ्य चिड़चिड़ा हो जाता है।
(6) वह झूठ बोलने लगता है।
(7) वह शंकालु बन जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० यतीश अग्रवाल।

प्रश्न 2.
पाषाण-युग में किस नशीली वस्तु का सेवन होता था ?
उत्तर:
अफ़ीम।

प्रश्न 3.
जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ने वाले लोग किसमें खो जाते थे ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में खो जाते थे।

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प्रश्न 4.
व्यसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब नशे की खुराक नहीं मिलने पर व्यक्ति छटपटाने लगता है तो इसे व्यसन कहते हैं।

प्रश्न 5.
नशे की शुरूआत कैसे होती है ?
उत्तर:
किसी दोस्त या साथी के कहने से होती है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
नशा करने से मननक्षमता क्षीण हो जाती है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
नशीले पदार्थों के सेवन से भूख नहीं मरती।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
हर नशा मन की दुनिया पर कोई असर नहीं डालता।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
कैनाबिस लेने के बाद मन प्रमत्त हो उठता है।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
मादक पदार्थों के ……… से मुक्ति पाना …… नहीं होता।
उत्तर:
मादक पदार्थों के व्यसन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 11.
यह …… परिवारजनों और …… के सच्चे … … से ही पूरा हो सकता है।
उत्तर:
यह पुनर्वास परिवारजनों और प्रियजनों के सच्चे सहयोग से ही पूरा हो सकता है।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
किसके सेवन से कभी यह आभास होता है कि मानो त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगे हैं ?
(क) कैनाबिस
(ख) कोकेन
(ग) एल. एस. डी.
(घ) पी.सी.पी.
उत्तर:
(ख) कोकेन।

प्रश्न 13.
कैसी दवाएँ विभ्रम पैदा करती हैं
(क) एंटीबायोटिक
(ख) एंटीफलेमिटरी
(ग) एंफेटामिन
(घ) एस्थेटिक।
उत्तर:
(ग) एंफेटामिन।

प्रश्न 14.
फेफड़े का कैंसर किसके सेवन से होता है ?
(क) कॉफी
(ख) चाय
(ग) तंबाकू
(घ) दूध।
उत्तर:
(ग) तंबाकू।

प्रश्न 15.
नशे के चंगुल से मुक्त कराने में कौन-से विशेषज्ञ विशेष रूप से मदद करते हैं-
(क) हृदय रोग
(ख) नेत्र रोग
(ग) मनोरोग
(घ) बाल रोग।
उत्तर:
(ग) मनोरोग।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

कठिन शब्दों के अर्थ

दुष्प्रभाव = बुरा प्रभाव। आलस्य = सुस्ती। अंकुर = बीज। कौतूहलवश = उत्सुकता के कारण। अंतहीन = जिसका अन्त न हो। पुरातात्विक = पुरातत्व (प्राचीन वस्तुओं की खोज एवं अध्ययन) से सम्बन्धित। रसास्वादन = स्वाद लेना। चक्रव्यूह = चक्र के रूप में सेना की स्थापना। उत्खनन = ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई। पाषाण = पत्थर। मायावी = माया से युक्त; जादूई। नागफनी = साँप के फन के आकार का गूदेदार पौधा। कोकेन = कोका की पत्तियों से तैयार किया गया द्रव्य, जिसे लगने से अंग सुन्न हो जाता है। उत्तरार्द्ध = पिछला आधा भाग। साइकलोजिकल = मनोवैज्ञानिक। भ्रामक = भ्रम उत्पन्न करने वाला, बहलाने वाला। दुर्बल = कमजोर। चिलम = मिट्टी की बनी हुई नली जिस में तंबाकू जलाकर पीते हैं। ग़म ग़लत करना = दु:ख भूलने के लिए नशा करना। स्नेहरिक्त = स्नेह से रहित। ज़रा-सी बात = थोड़ी-सी बात। व्यसन = लत। सेवन करना = लेना (खाना या पीना)। बेवजह % बिना कारण। ड्रग एडिक्शन = नशीले पदार्थ पर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भरता। अवसाद = सुस्ती, थकावट, उदासी। विफलता = असफलता। हताशा = निराशा, दुःख। एकाग्रता = ध्यान। कल्पनाशीलता = मन की कल्पना शक्ति। सृजनात्मकता = मौलिकता, रचनात्मक शक्ति। भ्राँति = भ्रम, संदेह। बेहतर = उचित। हीनभावना = अपने को तुच्छ समझने की भावना। तपेदिक = क्षय रोग, टी० बी० (Tubercle bacillus)। मतली = मिचली, जी मचलने की अवस्था। नशा मुक्ति = नशों से आज़ादी। विवश = मजबूर। ऊ = वमन, उल्टी करना। रुग्ण = बीमार, दूषित। शंकालु = शंका करने वाला। यकृतशोध = जिगर की सूजन। एड्स = (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक विशेष तरह के वापरत से उत्पन्न एक रोग जिसमें शरीर की रोग-बचाव प्रणाली बेअसर हो जाती है। निरपट = बिल्कुल। दिनोंदिन = दिन-प्रतिदिन। आसक्तता = लिप्तता। अंधियारा = अंधेरा। पुनर्वास = बीमारी आदि के कारण उजड़े/बर्बाद हुए लोगों का उपचार करके उन्हें फिर से बसाना। एक्सपेरिमैंट = प्रयोग। स्वयंसेवी = अपने आप सेवा करने वाली।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

एक अंतहीन चक्रव्यूह Summary

एक अंतहीन चक्रव्यूह जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-डॉ० यतीश अग्रवाल का जन्म 20 जून, सन् 1959 ई० में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक श्रेष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर, लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल ये सफदरजंग हॉस्पिटल तथा बी० एम० मैडिकल कॉलेज नई दिल्ली में प्रोफेसर एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं।
रचनाएँ-डॉ० यतीश अग्रवाल बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें प्रमुख रचनाएं हैं-मन के रंग, नेत्र रोग, नारी स्वास्थ्य और सौन्दर्य, हृदय रोग, तुरन्त उपचार, स्वस्थ खाए तन मन जगाएं, सबके लिए स्वास्थ्य, दांपत्य जीवन, दवाइयां और हम, ब्लड प्रेश, जितना संयत उतना स्वस्थ आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-अग्रवाल स्वास्थ्य तथा चिकित्सा विज्ञान के प्रति तीन दशकों से लोगों में जागृति फैला रहे हैं। देश के अनेक प्रमुख समाचार-पत्रों में इनके लेख छपते रहते हैं। इनके लेख सरल, सरस एवं प्रभावशाली होते हैं। लेखक की भाषा-शैली बहुत सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इसमें अंग्रेजी शब्दावली की अधिकता है।

एक अंतहीन चक्रव्यूह निबन्ध का सार

‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ निबन्ध डॉ० यतीश अग्रवाल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने वर्तमान युग में युवाओं में फैल रही नशे की भयंकर समस्या तथा घातक परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि आज युवा किस तरह नशे के जाल में पड़कर अपना जीवन अंधकार बना रहे हैं। वैसे तो नशा मानव-जीवन के साथ ही शुरू हो गया था। इन्सान ने पेड़ पौधों से प्राप्त नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। नशे का इतिहास बहुत पुराना है। 3000 वर्ष ईसा पूर्व इसके प्रयोग के उल्लेख मिलते हैं किन्तु 19वीं सदी में नशा युवाओं तक फैलने लगा। युवा जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ने के लिए नशे में खो जाते थे। किन्तु वर्तमान समय में तो मज़दूर, किसान, रिक्शा-चालक बेरोज़गार आदि सभी वर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। ये लोग अपने गम को भुलाने, आनंद उठाने तो कोई फैशन दिखाने के चक्कर में नशे के नरक में धंसता जा रहा है। शुरू में तो युवा अपने किसी दोस्त या साथी के कहने पर नशे की शुरुआत करते हैं किंतु धीरे-धीरे वे इसके आदी बन जाते हैं। वे इसमें इतने डूब जाते हैं कि अपने जीवन को ही र्बाद कर लेते हैं।
इस समय कुछ गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। अवसाद, तनाव, असफलता, निराशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियाँ आदमी को नशे की तरफ धकेल देती हैं। धीरे-धीरे मन का संतुलन खोजता आदमी नशे के एक अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है। नशा करने से आदमी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे से उसकी सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। _ नशे के लगातार सेवन से आदमी की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। वह आलसी बन जाता है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कोई काम करने को मन नहीं करता। वह झूठ बोलने लगता है। वह शंका करने लगता है। इससे भूख मर जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण शरीर में तपेदिक, एड्स, दमा, खांसी, टी० बी०, हैपेटाइटिस बी०, वातस्फीति आदि भयंकर बीमारियाँ हो जाती हैं। ये बीमारियाँ जानलेवा होती हैं। नशेड़ी आदमी इनसे छुटकारा नहीं पा सकता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

नशा करने वाले आदमी का शरीर रोगी ही नहीं बनता बल्कि उसका परिवार और समाज भी उसे दुत्कार देता है। उसे कोई प्यार नहीं करता। वह दुनिया में बिल्कुल अकेला रह जाता है। मित्र, सगे-सम्बन्धी छूट जाते हैं। आर्थिक : समस्याएँ बढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे आदमी दल-दल में फंसता जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता। नशे से मुक्ति दिलाने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष मदद कर सकते हैं। नशा मुक्ति के लिए वे अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रयोग में लाते हैं। दूसरे चरण में रोगी के मानसिक तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

आज हमारे देश में अनेक सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशा मुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। सबसे अच्छा यही है कि आदमी इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल दूर रहें। हमें ऐसी संगत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। युवाओं को नशे तथा नशा करने वालों से सदा दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें पड़ कर आदमी का जीवन नष्ट हो जाता है।

PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Main Course Book Chapter 1 Grooming of a Boy Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 English Main Course Book Chapter 1 Grooming of a Boy

Answer the following questions in your own words:

Question 1.
All men are not just and true. Why is the author still hopeful ?
(सभी मनुष्य न्यायवान और सच्चे नहीं होते। लेखक फिर भी आशावान क्यों है ?)
Answer:
The author is hopeful because for every bad person, there is a good one also.
लेखक आशावान इसलिए है क्योंकि प्रत्येक बुरे मनुष्य के साथ-साथ वहां एक अच्छा आदमी भी है।

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Question 2.
What should Lincoln’s son be steered away from ?
(लिंकन के पुत्र को किस बात से दूर ले जाया जाना चाहिए ?)
Answer:
He should be steered away from envy.
उसे ईर्ष्या से दूर ले जाया जाना चाहिए।

Question 3.
What should one never sell ?
(व्यक्ति को क्या कभी नहीं बेचना चाहिए ?)
Answer:
One should never sell one’s heart and soul.
व्यक्ति को अपने हृदय और अपनी आत्मा को कभी नहीं बेचना चाहिए।

Question 4.
Why does Lincoln not want his son to be cuddled ?
(लिंकन क्यों नहीं चाहता कि उसके बेटे को ज्यादा छाती से लगाया जाए.?)
Answer:
According to Lincoln, one becomes tough only by passing through the difficulties of life. So that is why he doesn’t want his son to be cuddled.
लिंकन के अनुसार, कोई व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों में से गुज़र कर ही कठोर बनता है। इसी कारण से वह नहीं चाहता कि उसके पुत्र को ज़्यादा छाती से लगा कर रखा जाए।

Question 5.
How can one gain sublime faith in mankind ?
(व्यक्ति मनुष्य-जाति में उत्कृष्ट विश्वास कैसे रख सकता है ?)
Answer:
It can be done by having sublime faith in oneself also.
ऐसा स्वयं में उत्कृष्ट विश्वास रखने से भी किया जा सकता है।

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Question 6.
What should one ponder about ?
(व्यक्ति को किस विषय में सोच-विचार करना चाहिए ?)
Answer:
One should ponder about the mystery of all the objects of nature.
व्यक्ति को प्रकृति के सभी पदार्थों के रहस्य के बारे में सोच-विचार करना चाहिए।

Question 7.
After listening to all the men, what should one do ?
(सभी लोगों को सुनने के पश्चात् व्यक्ति को क्या करना चाहिए ?)
Answer:
One should accept only that which is good and true.
व्यक्ति को केवल उन बातों को स्वीकार करना चाहिए जो अच्छी और सच्ची हों।

Question 8.
What should one beware of ?
(व्यक्ति को किससे बचना चाहिए ?)
Answer:
One should beware of the flatterers.
व्यक्ति को चापलूसों से बचना चाहिए।

Answer the following questions in your own words:

Question 1.
List the qualities which make a good human being.
(ऐसे गुणों की सूची बनाइए जो किसी व्यक्ति को अच्छा मानव बनाती हैं।)
Answer:
The following qualities make one a good human being : honesty, courage, patience, truthfulness, faith in oneself and faith in the goodness of mankind.
निम्नलिखित गुण व्यक्ति को एक अच्छा मानव बनाते हैं – ईमानदारी, साहस, धैर्य, सच्चाई, अपने ऊपर विश्वास तथा मानव-जाति की अच्छाई में विश्वास।

Question 2.
Make a list of the qualities you have in yourself.
(ऐसे गुणों की सूची बनाइए जो आप अपने में रखते हैं।)
Answer:
My motto of life is – ‘Do good, find good’. So I never think ill of others. I hate cruelty and dishonesty in any form.
मेरे जीवन का आदर्श उसूल है-‘कर भला, हो भला’। इसलिए मैं कभी दूसरों का बुरा नहीं सोचता हूं। मैं किसी भी रूप में निर्दयता और बेईमानी से घृणा करता हूं।

Tick (✓) the correct statements as found in the lesson text :

Question 1.
Lincoln’s son will learn that
a. all men are not just.
b. all men are not true.
Answer:
(a) ✓
(b) ✓

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Question 2.
He should be taught that
a. for every scoundrel there is a hero.
b. for every selfish politician there is a dedicated leader.
c. for every success there is a failure.
d. for every enemy there is a friend.
Answer:
(a) ✓
(b) ✓
(c) ✗
(d) ✓

Question 3.
He should have faith in–
a. everyone.
b. himself.
c. his own ideas.
d. mankind.
Answer:
(a) ✗
(b) ✓
(c) ✓
(d) ✓

Textual Vocabulary & Grammar

Match the words in column A with their meanings in column B :
Answer:
1. selfish — One who is interested in self only.
2. dedicated — One who performs his duty with devotion.
3. scoundrel — One who shows no moral conscience.
4. honourable — One who is respected by all.
5. impatient – One who has no patience.
6. cynic – One who believes that everyone is bad.
7. just — One who is reasonable and fair.

Fill in the blanks with adjective forms of the following words :

honour; courage; enjoy; wonder; faith; envy

1. Mr. Satish is an ………………. man; everyone in the town respects him.
2. Do not be jealous; be ………………
3. The dog is a ………………… animal.
4. Swimming through Palk Straits was a challenge for Mihir Sen, but he was ……………… enough to attempt it.
5. The sunset in the sea presented a ………. sight.
6. Our trip was really …………….. ; we had a lot of fun.
Answer:
1. honourable
2. envious
3. faithful
4. courageous
5. wonderful
6. enjoyable.

Fill in the blanks with the words given in the box :

education; educating; little; called; demanded; requested; amount; buy; cost.

There lived a man who was very rich. He was always worried about the ………. of his son. He ……………….. a philosopher and ……………… him to take upon himself the task of educating his son. The philosopher ………………. one hundred pieces of gold for this. The rich man was surprised at the ………….. demanded and said he could …… a slave for a far smaller amount. The philosopher replied he could get a slave free of ………………. by not …………. his son, for a man without ……………. is ………………. better than a slave.
Answer:
education
called
requested
demanded
amount
buy
cost
educating
education
little.

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Fill in the blanks with the passive form of the verbs to complete the following sentences :

1. There is a thief in the house; the police ……… (inform)
2. It is getting dark; the light …….. (switch on)
3. The patient is getting worse; let the doctor ……. (call)
4. We are already getting late; this letter …….. today.
5. He is in trouble; he …….. to the doctor. (take)
Answer:
1. have been informed
2. must be switched on
3. be called
4. must be posted
5. must be taken.

Fill in the blanks with the articles

a, an, the :

1. ……. small tear becomes ….. big hole in ……. same way as ……. small illness grows into ……. big disease. …… good mother does not allow ………. tear that appears on her child’s shirt to grow big. She stitches it in time. Unnecessary labour is spared if it is done before it is too late.
Answer:
A, a, the, a; a; A, the.

2. Most of us have read ……. story of ……… hare and ……. tortoise. ……. steady worker makes his mark sooner than …….. one who works by fits and starts.
Answer:
the, a, a; A, the.

3. ……. apple ……. day keeps …… doctor away. But if ……. doctor is smart, he keeps ……. apple away from you.
Answer:
An, a, the; the, the.

Put proper punctuation marks in the following passage and use capital letters wherever necessary :

After the midday meal, it was suggested that we went for a picnic to another Maori village nearby called Whatarewarewa. “What a tongue- twister !” I could not help saying. “Oh ! we call it Whaka for short,” said my host.

Fill in the blanks with suitable prepositions :

1. Here is the book that you had asked ……
2. The emperor ruled ……… a vast empire.
3. The clock is lying ……. the table.
4. Act according ……. my instructions.
5. Don’t loiter ……. the street.
Answer:
1. for 2. over 3. on 4. to 5. in.

Pronunciation Practice

Note the different spellings for the same sound / i: / in the following words:
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Thus one can notice that there is no one-to-one correspondence between sounds and spellings in English.
Spellings (orthographic representation), therefore, are not a proper guide to correct pronunciation of words.

Now, say these words aloud:

conceive – knee – feel – each – keep
police – ski – piece – siege – beat

Creative Writing and Extended Reading

(i) Have you read any of the letters written by Pandit Jawahar Lai Nehru to his daughter indira Gandhi? Do read at least one such letter, What does Nehru want to convey in this letter?

(ii) What type of a boy or girl would you like to become? Write ten sentences in the light of your study of this lesson.

(iii) As a citizen of the world, make a list of five things you would never do.

Use Of Textual Words / Phrases

1. Scoundrel – Some students are real scoundrels.
2. Dedicated – Mrs. Raman is a dedicated teacher.
3. Bully – He was a bully; he was asked to mend his ways or leave the school.
4. Lick – He was quite tough, but we did lick him without much effort.
5. Ponder – My father pondered over the problem, but could not find a solution.
6. Eternal – True love is eternal; it never dies.
7. Scoff at – He scoffed at our foolish answers.
8. Howl – Wolves were howling in the forest.
9. Cuddle – The child cuddled her doll to her chest.
10. Courage – The soldiers showed great courage in the battlefield.
11. Sublime – The food was absolutely sublime.

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Objective Type Questions

Answer the following in one word / phrase / sentence :

Question 1.
Who is the writer of the letter on which the chapter, Grooming of a Boy’, is based ?
Answer.
Abraham Lincoln.

Question 2.
Who was the letter written to ?
Answer.
To the teacher of Abraham Lincoln’s son.

Question 3.
What does Lincoln want from his son ?
Answer.
He wants him to learn good things of life.

Question 4.
What does Lincoln tell his son about victory and defeat ?
Answer.
He tells him to take both in an honourable fashion.

Question 5.
What does Lincoln think about bullies ?
Answer.
He says that the bullies are the easiest to defeat.

Question 6.
What does he say about envy ?
Answer.
He advises his son to keep away from envy.

Question 7.
Does Lincoln think that the good qualities can be learned quickly ?
Answer.
No, he says that it will take its own reasonable time.

Question 8.
What does Lincoln say about the crowd ?
Answer.
He tells his son not to follow the crowd blindly.

Question 9.
What should the son do when he is sad ?
Answer.
He should laugh away his sadness.

Question 10.
How should the boy deal with cynics ?
Answer.
The son will do well to scoff at them.

Complete the following :

1. All men are not ……………….. and ……………
2. For every enemy, there is a …………
3. For every ………………., there is a hero.
4. A dollar …………………. is better than five found.
5. The bullies are the …………………. to defeat.
6. The son should have faith in ……………….. ideas.
Answer.
1. just, true
2. friend
3. scoundrel
4. earned
5. easiest
6. his own.

Write True or False against each statement :

1. The bullies are the most difficult to defeat.
2. Envy is to be kept away from.
3. For every selfish politician, there is a dedicated leader.
4. It is much more honourable to cheat than to fail.
5. The boy should learn that there is no shame in honest tears.
6. The boy should be friends to those who speak very sweetly.
Answer.
1. False
2. True
3. True
4. False
5. True
6. False.

Choose the correct option for each of the following:

Question 1.
Abraham Lincoln wrote the letter to ……
(a) his son
(b) his daughter
(c) his son’s teacher
(d) his friend.
Answer.
(c) his son’s teacher

Question 2.
Lincoln wants the teacher to teach his son to …….
(a) learn the ways of the world
(b) to cheat when necessary
(c) to speak sweetly
(d) to become a politician.
Answer.
(a) learn the ways of the world

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Question 3.
A dollar earned is better than five ….
(a) as pocket money
(b) as a prize
(c) found somewhere
(d) pounds.
Answer.
(c) found somewhere

Question 4.
There is no …………….. in honest tears.
(a) pride
(b) ego
(c) happiness
(d) shame.
Answer.
(d) shame.

Grooming of a Boy Summary in English

Grooming of a Boy Introduction:

This chapter is an extract from a letter. It was written by Abraham Lincoln to his son’s teacher. In this letter, Lincoln wants the teacher to instill some special qualities in his son. He lists those qualities in this letter. He wants the teacher to teach his son how to behave in different situations. He wants his son to be respectful to others. Lincoln wants that his son should grow into a wise, intelligent, brave and patient person. He wants that his son should be able to decide his own path instead of following the crowd.

Grooming of a Boy Summary in English:

This chapter is an extract from a letter. The letter was written by Abraham Lincoln to his son’s teacher. In this letter, Lincoln lists some of the things he wants the teacher to teach his son :

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The boy should be taught that all men are not just, and all men are not true. But it is also true that for every scoundrel, there is a hero. For every selfish politician, there is a dedicated leader. For every enemy, there is a friend. He should learn that a dollar earned is of far more value than five found. He should learn to take his defeat as well as victory in an honourable fashion. He should keep away from envy.  He should learn the secret of soft laughter. He should learn that the bullies’ are the easiest to defeat.

He should learn about the wonderful world of books, but he should also find time to think about the beauties and mysteries of nature. He should learn that it is far more honourable to fail than to cheat. He should have faith in his own ideas, even if everyone tells him they are wrong. He should learn to be gentle with the gentle, and tough with the tough. He should not follow the crowd or the beaten path of success. He should have the strength to decide his own path. He should listen to all men, but should be able to sift the good from the bad. He should accept only what is good.

He should learn to laugh even when he is sad. He should learn that there is no shame in honest tears. He should learn to scoff at cynics and to beware of those who speak too sweetly. He should learn that he could charge the highest price for his body and mind, but he should never sell his heart and soul. He should not listen to the howling mob. If he thinks he is right, he should stand firmly and fight bravely.

He should always have sublime faith in himself because only then he can have sublime faith in mankind. He should have the courage to be impatient and the patience to be brave. At the end, Lincoln tells the teacher that he should treat his son gently, but he shouldn’t cuddle him. He says that only the test of fire makes fine steel. Lincoln calls his son a fine little fellow’. Lincoln knows that it is a big task for the teacher to make his son what he wants him to be. But he requests the teacher to do what he can in this respect.

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Grooming of a Boy Summary in Hindi

Grooming of a Boy Introduction:

यह पत्र अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के अध्यापक को लिखा था। इस पत्र में लिंकन कुछ विशेष गुणों का उल्लेख करता है जो वह चाहता है कि उसके पुत्र का अध्यापक लड़के में भर दे। वह चाहता है कि अध्यापक उसके पुत्र को विभिन्न परिस्थितियों में और विभिन्न व्यक्तियों के प्रति उपयुक्त व्यवहार करना सिखाए। लिंकन चाहता है कि उसका पुत्र बड़ा होकर बुद्धिमान, योग्य, वीर, धीर और पारखी व्यक्ति बने। वह चाहता है कि उसका पुत्र भीड़ के पीछे चलने की बजाय अपना रास्ता स्वयम् ही बनाए।

Grooming of a Boy Summary in Hindi:

पाठ का विस्तृत सार इस लेख में वह पत्र दिया गया है जो अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के अध्यापक को लिखा था। इस पत्र में लिंकन उन कुछ बातों का उल्लेख करता है जो वह चाहता है कि अध्यापक ‘उसके पुत्र को सिखलाए

लड़के को यह सिखाया जाए कि सभी लोग न्यायवान् नहीं होते तथा सभी लोग सच्चे नहीं होते। किन्तु यह भी सत्य है कि प्रत्येक दुष्ट व्यक्ति के बदले एक सज्जन भी होता है, एक स्वार्थी राजनीतिज्ञ के बदले एक समर्पित नेता भी होता है, तथा एक शत्रु के बदले एक मित्र भी होता है। उसे यह सीखना चाहिए कि मेहनत से कमाए गए एक डॉलर की कीमत उन पाँच डॉलरों से कहीं अधिक होती है जो वैसे ही मिल गए हों। उसे अपनी हार तथा विजय दोनों को ही एक सम्मानपूर्ण ढंग से लेना सीखना चाहिए। उसे ईर्ष्या से दूर रहना चाहिए।

उसे कोमलतापूर्वक हँसने का रहस्य सीखना चाहिए। उसे सीखना चाहिए कि धौंसिया लोगों को हराना सबसे आसान होता है। उसे पुस्तकों के अद्भुत संसार के बारे में जानना चाहिए किन्तु उसे प्रकृति की सुन्दरताओं अथवा रहस्यों के बारे में सोचने का समय भी निकालना चाहिए।

उसे यह सीखना चाहिए कि धोखा देने की अपेक्षा हारना कहीं अधिक सम्मानपूर्ण होता है। उसे अपने विचारों में विश्वास रखना सीखना चाहिए यद्यपि हर कोई यह कह रहा हो कि उसके विचार गलत हैं।

Grooming of a Boy Translation in Hindi

(Page 1) Abraham Lincoln’s ……. he is right.

कठिन शब्दार्थ-1. scoundrel – दुष्ट व्यक्ति ; 2. dedicated – वफ़ादार ; 3. steer – मार्गदर्शन करना ; 4. envy – ईर्ष्या ; 5. bullies – धौंसिया लोग ; 6. lick – हराना ; 7. ponder – ध्यानपूर्वक सोचना ; 8. eternal – अनन्त, शाश्वत ; 9. getting on the bandwagon – सफल होने की आशा में दूसरों के पीछेपीछे चल पड़ना ; 10. scoff – उपहास करना ; 11. cynics – मानव-द्वेषी ; 12. brawn – शक्तिशाली शरीर ; 13. howling – शोर मचाती हुई, चीखती-चिल्लाती हुई।

Text

[Abraham Lincoln’s son is at school. Lincoln writes a letter to his son’s teacher requesting him to mould the boy in such a way that he grows up to be a good human being. What are the qualities which make one a good human being ?]

The Letter

He will have to learn, I know, that all men are not just, all men are not true. But teach him also that for every scoundrel,’ there is a hero; that for every selfish politician, there is a dedicated leader. Teach him that for every enemy there is a friend. It will take time, I know; but teach him, if you can, that a dollar earned is of far more value than five found. Teach him to learn to lose and also to enjoy winning. Steer him away from envy; if you can, teach him the secret of quiet laughter.

Let him learn early that the bullies are the easiest to lick. Teach him, if you can, the wonder of books. But also give him quiet time to ponder the eternal mystery of birds in the sky, bees in the sun, and flowers on a green hillside.

In school, teach him it is far more honourable to fail than to cheat. Teach him to have faith in his own ideas, even if everyone tells him they are wrong. Teach him to be gende with the gende, and tough with the tough. ’

Try to give my son the strength not to follow the crowd when everyone is getting on the bandwagon. Teach him to listen to all men; but teach him also to filter all that he hears on a screen of truth, and take only the good that comes through. Teach him, if you can, how to laugh when he is sad. Teach him there is no shame in tears.

Teach him to scoff at cynics and to beware of too much sweetness. Teach him to sell his brawn and brain to the highest bidders, but never to put a price tag on his heart and soul. Teach him to close his ears to a howling mob and to stand and fight, if he thinks he is right

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अनुवाद

[अब्राहम लिंकन का बेटा एक स्कूल में पढ़ता है। लिंकन अपने बेटे के अध्यापक को यह प्रार्थना करते हुए एक पत्र लिखता है कि वह उसके लड़के को ऐसे रूप में ढाल दे कि वह बड़ा होकर एक अच्छा इन्सान बने। वे कौन से गुण हैं जो मनुष्य को एक अच्छा इन्सान बनाते हैं|

पत्र

मैं जानता हूँ उसे यह जानना सीखना होगा, कि सभी लोग न्यायप्रिय नहीं होते, सभी लोग सच्चे नहीं होते। किन्तु उसे यह भी सिखाइए कि प्रत्येक दुष्ट के मुकाबले में एक सज्जन व्यक्ति भी होता है; कि प्रत्येक स्वार्थी राजनीतिज्ञ के बदले वहाँ एक समर्पित नेता भी होता है। उसे यह सिखाइए कि प्रत्येक शत्रु के मुकाबले में वहाँ एक मित्र भी होता है। मैं जानता हूँ कि ऐसा करने में समय लगेगा किन्तु यदि आप ऐसा कर सकें तो उसे यह सिखाइए कि अर्जित किए गए एक डॉलर की कीमत कहीं मिले हुए पाँच डॉलरों से कहीं अधिक होती है। उसे हारना सिखाइए और जीत में से आनन्द प्राप्त कर लेना भी। उसे ईर्ष्या से दूर ले जाइए; यदि आप ऐसा कर सकें तो उसे शान्तिपूर्ण हँसी का रहस्य सिखाइए।

उसे यह शुरू में ही सिखा दीजिए कि धौसिया लोगों को हराना सबसे आसान होता है। यदि आप ऐसा कर सकें, तो उसे सिखाइए कि पुस्तकों का संसार कितना अद्भुत होता है। किन्तु उसे आकाश में उड़ने वाले पक्षियों, सूर्य की रोशनी में चमकने वाली मधुमक्खियों तथा हरी-हरी पहाड़ियों की ढलानों पर उगे हुए फूलों के शाश्वत् रहस्य के बारे में सोचने के लिए भी शान्तिपूर्ण समय दीजिए।

स्कूल में उसे यह सिखाइए कि धोखा देने की बजाए फेल होना कहीं अधिक सम्मान की बात होती है। उसे अपने विचारों में भरोसा रखना सिखाइए, यद्यपि उसे हर कोई यह कह रहा हो कि वे (विचार) गलत हैं। उसे विनम्र लोगों के प्रति विनम्र और कठोर लोगों के प्रति कठोर बनना सिखाइए। मेरे पुत्र को यह शक्ति देने का यत्न कीजिए कि वह भीड़ के पीछे न चले जब हर कोई सफलता की गाड़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहा हो। उसे सभी लोगों की बात सुनना सिखाइए; किन्तु उसे यह भी सिखाएं कि वह अपने द्वारा सुनी गई सब बातों को सत्य-रूपी छलनी में से छानकर देखे तथा उसमें से जो अच्छाई निकल कर आए, केवल उसे ही ग्रहण करे।

यदि आप ऐसा कर सकें, तो उसे यह सिखाइए कि कैसे हँसा जाता है जब वह उदास हो। उसे सिखाइए कि आँसुओं में कोई लज्जा वाली बात नहीं होती है। उसे मानव-द्वेषियों की खिल्ली उड़ाना तथा अत्यन्त मीठे लोगों से बचकर रहना सिखाइए। उसे कहिए कि अपना दिमाग और बाहुबल सबसे ऊंची बोली लगाने वालों को बेचे, किन्तु अपने दिल और आत्मा की कभी कोई कीमत न रखे। उसे चीखने-चिल्लाने वाली भीड़ के प्रति अपने कान बन्द रखना सिखाइए तथा खड़े रहकर मुकाबला करना सिखाइए, यदि वह यह समझे कि वह न्याय के रास्ते पर है।

(Page 2) Treat him gently… ………. my son !

कठिन शब्दार्थ-1. cuddle – गले लगाना ; 2. courage – साहस ; 3. impatient – अधीर, व्यग्र ; 4. sublime – उत्तम ; 5. order – मांग।

Treat him gently, but do not cuddle him, because only the test of fire makes fine steel. Let him have the courage to be impatient; let him have the patience to be brave. Teach him always to have sublime faith in himself, because then he will always have sublime faith in mankind. This is a big order, but see what you can do. He is such a fine little fellow, my son !

PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy

अनुवाद
उसके साथ कोमलतापूर्वक व्यवहार कीजिए परन्तु उसे ज्यादा छाती से लगाकर मत रखिए क्योंकि केवल | आग में से गुजरने से ही बढ़िया फौलाद बनता है। उसे अधीर बने रहने का साहस दीजिए; उसे वीर बने रहने का धैर्य दीजिए। उसे यह सिखाइए कि स्वयं | में सदा उत्कृष्ट विश्वास रखे क्योंकि तब वह मानव जाति में सदा उत्कृष्ट विश्वास रखेगा।, यह एक बहुत ऊँची माँग है किन्तु आप देख लें कि आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते हैं। वह एक कितना बढ़िया छोटा-सा बालक है, मेरा पुत्र !

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Hindi Guide for Class 9 PSEB प्रकृति का अभिशाप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव को किस ग्रह की चिंता थी ?
उत्तर:
सूर्यदेव को पृथ्वी ग्रह की चिंता थी।

प्रश्न 2.
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कौन विषाक्त बना रहा है ?
उत्तर:
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषण विषाक्त बना रहा है।

प्रश्न 3.
पवनदेव ने ऑक्सीजन कम होने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
कारखानों, इंजनों में आग का प्रयोग होने से ऑक्सीजन कम हो रही है।

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प्रश्न 4.
वनदेवी ने अपने घटने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
वनदेवी ने अपने घटने का कारण कार्बन-डाइऑक्साइड को बताया।

प्रश्न 5.
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर:
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य में आँतों की बीमारियाँ उत्पन्न करती हैं। तपेदिक जैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन परत क्या है ?
उत्तर:
जो परत सूर्य द्वारा विसर्जित पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है उसे ओज़ोन परत कहते हैं।

प्रश्न 7.
ओज़ोन की परत को कौन नष्ट कर रहा है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल में पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े-बड़े हवाई जहाज ओज़ोन की परत को नष्ट कर रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात किसने सूर्यदेव से की ?
उत्तर:
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात बुद्धिदेवी ने सूर्यदेव से की।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का क्या हाल होता ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता। पृथ्वी पर प्राणी जीवित नहीं रह पाते। पृथ्वी पर अनेक संकट आ जाते। अतंरिक्ष की उलकाएँ पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी में धरातल भी चंद्रमा के समान बड़ेबड़े गड्ढों में बदल जाता।

प्रश्न 2.
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ‘ऑक्सीजन का कारखाना’ क्यों कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना इसलिए कहा है क्योंकि हरी पत्तियां भोजन और ऑक्सीजन बनाती हैं। इस कारखाने में कभी कोई हड़ताल नहीं होती। ये प्रकाश-संश्लेषण क्रिया से कार्बन-डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में विश्लेषित करती हैं और कार्बन स्वयं शोषित कर ऑक्सीजन को वायु में छोड़ देती

प्रश्न 3.
वनदेवी ने गुस्से में आकर रश्मिदेवी को क्या कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने रश्मिदेवी को गुस्से में आकर कहा कि मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगलों को अंधाधुध काट रहा है। इससे वायु को शुद्ध करने की मेरी क्षमता नष्ट हो रही है। प्रदूषण बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
वन किस प्रकार हमारे लिए लाभकारी हैं ?
उत्तर:
वन हमारे लिए बहुत लाभकारी हैं। वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। वन वर्षा लाने में सहायक हैं। इससे अनेक उपयोगी वनस्पतियाँ और औषधियां मिलती हैं।

प्रश्न 5.
रेडियोधर्मिता क्या है ? मनुष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
परमाणु-परीक्षण के लिए जिन यूरेनियम जैसे तत्वों को प्रयोग करने से हानिकारक प्रभाव वायुमंडल में फैलते हैं उसे रेडियोधर्मिता कहते हैं। मनुष्य पर उसका अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे मानव भयंकर बीमारियों से पीड़ित हो जाता है। उसके कुप्रभाव से अगली पीढ़ी को तो पहचानना भी संभव नहीं रह सकेगा।

प्रश्न 6.
बुद्धिदेवी ने मानव-रक्षा के लिए सूर्यदेव को क्या भरोसा दिलाया ?
उत्तर:
बुद्धिदेवी ने मानव रक्षा के लिए सूर्यदेव को यह भरोसा दिलाया कि वह मानव-कल्याण का कार्य करेगी। वह प्रदूषण दैत्य को जड़ से समाप्त कर देगी जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था। किंतु उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया। आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है। आप लेखक की बात से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं लेखक की बात से पूरी तरह से सहमत हूँ क्योंकि प्रदूषण ने वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज प्राणियों का सांस लेना भी कठिन हो रहा है। आज पृथ्वी ग्रह पर जीवन संकटों से भरा है। वायु भी दूषित हो गई है जिससे प्राणी सांस भी नहीं ले रहा। आज प्रदूषण ने सारी पृथ्वी पर कब्जा कर लिया है।

प्रश्न 2.
जल, वायु और ध्वनि-प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं। इनसे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। जल प्रदूषण से हैजा, पेचिश जैसी बीमारियाँ होती हैं। वायु प्रदूषण से दमा, खांसी तथा सांस के अन्य रोग होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग, फेफड़ों के अनेक रोग फैल रहे हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

  • यह दैत्य ऐसा ही है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को विषाक्त बना रहा है।

उत्तर:
इस कथन का आशय है कि वर्तमान समय में चारों तरफ प्रदूषण फैलता जा रहा है। यह एक राक्षस की तरह फैला है। यह एक ऐसा राक्षस है जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे इसके प्रभाव से वातावरण ज़हरीला बना रहा है। प्रदूषण के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है जो अनेक बीमारियों का कारण है।

  • मैं हूँ मानव का महाकाल, प्रगति का अभिशाप, औद्योगिक प्रगति का विष-वृक्ष, मैं हूँ मानव का अदृश्य शत्रु-प्रदूषण दैत्य। समझे…प्रदूषण दैत्य।

उत्तर:
आज प्रदूषण एक राक्षस के समान चारों तरफ फैला है। वह अत्यंत भयानक एवं खतरनाक है। वह वनदेवी को अपने खतरे को बताते हुए कहता है कि मैं मानव का महाकाल हूँ। अर्थात् मैं मनुष्य को मारने वाला हूँ। मैं प्रगति के रास्ते में बाधक हूँ। मैं औद्योगिक प्रगति को नष्ट करने वाला हूँ। मैं मानव का अदृश्य शत्रु हूँ अर्थात् मैं मानव-जाति के लिए विनाशकारी प्रगति के लिए अभिशाप हूँ। मैं औद्योगिक विकास का विष वृक्ष हूँ। सबको निरंतर नष्ट कर रहा हूँ।

  • आप लोग चिंता न करें, मुझ पर भरोसा रखें। आदि मानव विनाशकारी अग्नि से भयभीत हो गया था। फिर उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया और आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है। मैं इस प्रदूषण दैत्य को ही जड़ से समाप्त कर दूँगी। संसार में इसका उन्मूलन करना परमावश्यक है।

उत्तर:
बुद्धिदेवी मानव कल्याण के लिए सूर्यदेव को आश्वासन देती है वह कहती है कि मानव कल्याण के लिए आप चिंता न करें। इसके लिए आप मुझ पर भरोसा रखें। जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था किंतु बाद में उसने अग्नि को अपने अधीन कर लिया इसलिए आज अग्नि मानव के लिए कल्याणकारी है। इसी तरह मैं इस प्रदूषण रूपी राक्षस को जड़ से खत्म कर दूंगी। आज संसार में इसको मिटाना बहुत ज़रूरी है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एक-वचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए :

एकवचन – बहुवचन
पत्ता – ……………….
पुत्री – ……………….
आँत – ……………….
बहरा – ……………….
नज़र – ……………….
गड्ढा – ……………….
पृथ्वी – ……………….
किरण – ……………….
साड़ी – ……………….
परत – ……………….
नीला – ……………….
पत्ती – ……………….
पीला – ……………….
लकड़ी – ……………….
गैस – ……………….
देवी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
पत्ता – पत्ते
पुत्री – पुत्रियाँ
आँत – आँतें
बहरा – बहरे
नज़र – नज़रें
गड्ढा – गड्ढे
पृथ्वी – पृथ्वियाँ
किरण – किरणें
साड़ी – साड़ियाँ
परत – परतें
नीला – नीले
पत्ती – पत्तियाँ
पीला – पीले
लकड़ी – लकड़ियाँ
गैस – गैसें
देवी – देवियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति – ……………. – …………….
असत्य – ……………. – …………….
प्रगति – ……………. – …………….
प्रत्येक – ……………. – …………….
आगमन – ……………. – …………….
प्रदूषण – ……………. – …………….
अत्यधिक – ……………. – …………….
दुष्प्रभाव – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति -उत् – नति
असत्य – अ – सत्य
प्रगति -प्र – गति
प्रत्येक – प्रतिएक – दुष्प्रभाव
आगमन – आ – गमन
प्रदूषण – प्र – दूषण
अत्यधिक – अति – अधिक
दुः – प्रभाव

3. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिएशब्द … मूल शब्द प्रत्यय

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – ……………. – …………….
उपयोगी – ……………. – …………….
उपहार – ……………. – …………….
तीव्रता – ……………. – …………….
विषैला – ……………. – …………….
ज़हरीला – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – प्रसन्न – ता
तीव्रता – तीव्र – ता
उपयोग – उपयोग – ई
विषैला – विष – ऐला
उपहार – उप – हार

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4. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – ……………….
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – ……………….
• नाक में दम करना – तंग करना – ……………….
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – ……………….
• लोहा लेना – युद्ध करना – ……………….
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – ……………….
उत्तर:
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – समय बीत जाने पर हमारे पास कार्य सिद्धि का कोई चारा नहीं रहता।
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – अंग्रेजों ने शहीदों पर बहुत गज़ब ढाए।
• नाक में दम करना – तंग करना – शरारती बच्चों ने सबकी नाक में दम कर दिया
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – डाकुओं ने यात्री को घुला-घुला कर मार डाला।
• लोहा लेना – युद्ध करना – शिवाजी ने विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया।
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – डरपोक लोग विपत्ति काल में तिनके के समान होते हैं।

5. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
सफेद – ……………….
पीला – ……………….
चाँद – ……………….
सूरज – ……………….
करोड़ – ……………….
समुन्दर – ……………….
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
सफेद – शुभ्र
पीला – पीत
चाँद – चंद्र
सूरज – सूर्य
करोड़ – कोटि
समुन्दर – समुद्र

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6. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए

(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री पृथ्वी
(ii) कौन रश्मि तुम मेरी बातें सुन रही थीं
(iii) हाँ तुमने ठीक पहचाना
(iv) सिंहासन से उठकर आखिर बात क्या है
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए शक्ति दीजिए कि मैं लोग कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ
उत्तर:
(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री-पृथ्वी।
(ii) कौन रश्मि! तुम मेरी बातें सुन रही थीं।
(iii) हाँ! तुमने ठीक पहचाना।
(iv) सिंहासन से उठकर- आखिर बात क्या है?
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए, शक्ति दीजिए कि मैं लोग-कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
(1) प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) वनों के कटाव पर रोक लगानी चाहिए।
(3) जंगलों को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
(4) अपने आस-पास गंदा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
(5) व्यर्थ में पानी नहीं बहाना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट कूड़ादान में ही डालना चाहिए।

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प्रश्न 2.
क्या सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है ? स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
हाँ, सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि से विचार करें तो वह प्रदूषण को पूर्ण रूप से नष्ट कर सकता है और इस प्रकृति को और अधिक सुंदर बना सकता है। वातावरण को साफ, स्वच्छ एवं सुंदर और मनमोहक बना सकता है।

प्रश्न 3.
आपकी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर-हमारी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए
(1) सरकारों को कारखाने, फेक्ट्रियां शहरों से दूर लगवाने चाहिए।
(2) कारखानों का गंदा पानी नदियों में नहीं डालना चाहिए।
(3) पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगवाने चाहिए।
(4) जंगलों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर-अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से प्रदूषण-उन्मूलन-रैली का आयोजन हो तो इन नारों से समाज को प्रदूषण से मुक्ति के लिए जाग्रत करें।
उत्तर-
(1) प्रदूषण मिटाओ, देश बचाओ।
(2) प्रदूषण भगाओ स्वास्थ्य बचाओ।
(3) पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण मिटाओ।

प्रश्न 3.
इस एकांकी को स्कूल में उचित अवसर पर मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
अपने जन्मदिन के अवसर पर एक गमले में बढ़िया-सा पौधा लगाकर उसे स्कूल को भेंट करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से प्रदूषण के भयंकर परिणामों से सम्बन्धित चित्र इकट्ठे करके उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 6.
वैज्ञानिक प्रगति ही प्रदूषण का मुख्य कारण हैइस विषय पर स्कूल में वाद-विवाद आयोजित कीजिए। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 7.
अपने विज्ञान-अध्यापक की मदद से विज्ञान-प्रयोगशाला में जाकर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया को समझें।
उत्तरं:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने हेतु पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें, कागज़ का प्रयोग कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी अधिक खराब सामग्री रिसाइकिल होगी, उतना ही पृथ्वी का कूड़ा कचरा भी कम होगा।
उत्तर:
स्वयं समझें एवं करें।

प्रश्न 9.
स्कूल में आयोजित होने वाले विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) तथा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) में सक्रिय रूप से भाग लें और पर्यावरण स्वच्छता व सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करें।
उत्तर:
स्वयं करें।

प्रश्न 10.
यदि आप देखें कि किसी फैक्टरी/कारखाने द्वारा किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो अपने बड़ों/अध्यापकों आदि की मदद से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सम्बन्धित विभाग में शिकायत करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 11.
विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओज़ोन दिवस आदि अवसरों पर लेख, नाटक, कविता, निबन्ध नारे लेखन, भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. खर : रावण का सौतेला भाई जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

2. दूषण : रावण की सेना का नायक जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

3. त्रेता : हिन्दू मान्यतानुसार चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग) में से दूसरा युग।

4. प्रकाश-संश्लेषण : सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश-संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्तियों द्वारा सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा पृथ्वी से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं।

5. कार्बनडाइऑक्साइड : यह एक रासायनिक यौगिक है जिसका निर्माण ऑक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। पृथ्वी के सभी जीव अपनी श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं।

6. ऑक्सीजन : यह रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। जीवित प्राणियों के लिए यह गैस अति आवश्यक है। इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं।

7. सीसा : सीसा एक धातु एवं तत्व है। आयुर्वेद में इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग इमारतें बनाने, बंदूक की गोलियाँ तथा वज़न आदि बनाने में भी होता है। यह भी जानें कि पेट्रोल और पेंट (रंग) को सक्षम बनाने के लिए जब सीसा का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग होता है तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

8. रेडियोधर्मिता : किसी पदार्थ के परमाणु में से अपने आप विकिरणों के कणों का निकलना रेडियोधर्मिता कहलाता है। रेडियम, यूरेनियम तथा थोरियम रेडियोधर्मी पदार्थ हैं। विकिरणों से त्वचा का कैंसर और अन्य रोगाणुजनक रोग हो सकते हैं।

9. ओज़ोन परत : पृथ्वी की सतह से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओज़ोन की परत है। यह ऊँचाई के साथ-साथ मोटी होती जाती है। यह समतल मंडल में 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर सबसे अधिक मोटी है। यह परत पराबैंगनी किरणों को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकने के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करती है। इसके न होने अथवा नष्ट होने से हानिकारक पराबैंगनी किरणों दवारा लोगों में त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जायेगा।

10. महत्वपूर्ण दिवस विश्व जल दिवस : 22 मार्च विश्व स्वास्थ्य दिवस : 07 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस : 22 अप्रैल विश्व पर्यावरण दिवस : 05 जून . विश्व ओज़ोन दिवस : 16 सितम्बर विश्व प्रकृति दिवस : 03 अक्टूबर

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PSEB 9th Class Hindi Guide प्रकृति का अभिशाप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव की वेषभूषा कैसी है ?
उत्तर:
सूर्यदेव चमकदार पीले वस्त्र तथा चमचमाता सुनहरा मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 2.
रश्मिदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
रश्मिदेवी चमकदार पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी ओढ़े हैं।

प्रश्न 3.
वनदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
वनदेवी फूल और पत्तों से चित्रित हरी साड़ी पहने हैं। सिर पर पत्तों का मुकुट है।

प्रश्न 4.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलदेवी मछलियों आदि जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग के मुकुट पहने है।

प्रश्न 5.
बुद्धि देवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
बुद्धि देवी रूपहली किनारी लगी हुई सफेद साड़ी तथा रूपहला झिलमिलाता मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी किसकी पुत्री है ?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य की पुत्री है।

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प्रश्न 7.
सौरजगत विशाल कुटुंब में कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के विशाल कुटुंब में नौ ग्रह हैं। पृथ्वी इनमें से एक है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अनोखा कौन हैं ? कैसे ?
उत्तर:
पृथ्वी पर अनोखा मानव है। वह अपने मस्तिष्क के बल पर अनोखा है।

प्रश्न 9.
सौरजगत के अधिपति कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के अधिपति सूर्य हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक कौन है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक पवन है। इसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है।

प्रश्न 2.
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए अनेक लाभ हैं
(1) वायुमंडल के कारण पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं।
(2) वायुमंडल अनेक प्रकार के संकटों से पृथ्वी की रक्षा करता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल पृथ्वी की सुरक्षा कैसे करता है ?
उत्तर:
अंतरिक्ष में अनेक उल्काएँ प्रत्येक क्षण पृथ्वी की ओर आकृष्ट होती हैं, किंतु वे वायुमंडल के घर्षण के कारण मार्ग में ही नष्ट हो जाती हैं। यदि वायुमंडल न होता तो उल्काएं पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी का धरातल भी चंद्रमा के समान बड़े-बड़े गड्ढों से युक्त होता है।

प्रश्न 2.
आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का क्या योगदान है ?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की सहायता से हरी पत्तियाँ कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से कार्बन और आक्सीजन में विश्लेषित करती हैं। हरी पत्तियां कार्बन का पोषण कर लेती हैं और ऑक्सीजन को पुन: वायु में छोड़ देती हैं। इस प्रकार आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का महान् योगदान है।

प्रश्न 3.
एक नागरिक होने के नाते हम प्रदूषण को किस प्रकार दूर कर सकते हैं ?
उत्तर:
(1) हमें नागरिक होने के नाते अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
(3) वनों, पेड़-पौधों को काटने नहीं देना चाहिए।
(4) व्यर्थ में ही पानी नहीं बहाना चाहिए।
(5) लाऊड स्पीकरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट एवं गंदा पानी नदी-नालों एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द परि+आवरण के योग से बना है। परि का अर्थ है-चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ढकने वाला अर्थात् जो हमें चारों ओर फैलकर ढके हुए हैं। जो हमारी चारों तरफ से सुरक्षा कर रहा है। उसे पर्यावरण कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश इन पाँचों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
श्रीपाद विष्णु कानाडे।

प्रश्न 2.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी किसका संदेश देता है ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण का।

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प्रश्न 3.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग का मुकुट।

प्रश्न 4.
सूर्यदेव को किस ग्रह की अधिक चिंता है ?
उत्तर:
पृथ्वी की।

प्रश्न 5.
मानव सबसे अनोखा जीव अपनी किस वस्तु के कारण है ?
उत्तर:
मस्तिष्क के।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
‘मानव ने अपने मस्तिष्क के सहारे उन्नति की है’-यह कथन रश्मि देवी का है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
‘अब कार्बनडाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है’-पवन देव ने कहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 8.
‘मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं’-वनदेवी ने कहा।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
प्राणदायिनी ऑक्सीजन को कार्बन स्वयं रखकर पवन देव भेजता है।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दैत्य ……. तो मुझे ………. कर ही रहा है।
उत्तर:
दैत्य प्रदूषण तो मुझे परेशान कर ही रहा है।

प्रश्न 11.
ये कण …. से मिलकर जल और …….. को भी …….. करते हैं।
उत्तर:
ये कण कीटाणुओं से मिलकर जल और वनस्पतियों को भी दूषित करते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
चमचमाता सुनहरा मुकुट कौन पहने हुए हैं ?
(क) सूर्यदेव
(ख) रश्मिदेवी
(ग) वनदेवी
(घ) पवन देव।
उत्तर:
(क) सूर्य देव।

प्रश्न 13.
पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी कौन ओढ़े हैं ?
(क) बुद्धि देवी
(ख) जल देवी
(ग) वनदेवी
(घ) रश्मि देवी।
उत्तर:
(घ) रश्मि देवी।

प्रश्न 14.
एकांकी में प्रदूषण दैत्य कहाँ है ?
(क) जल में
(ख) वन में
(ग) नेपथ्य में
(घ) नभ में।
उत्तर:
(ग) नेपथ्य में।

प्रश्न 15.
गंधकयुक्त औषधियां कैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं ?
(क) तपेदिक
(ख) कैंसर
(ग) हृदय
(घ) नेत्र।
उत्तर:
(क) तपेदिक।

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कठिन शब्दों के अर्थ

पार्श्वभूमि = आस-पास की ज़मीन। क्षुब्ध = क्रोध मिश्रित दु:ख। अनायास = अचानक। महादैत्य = महाराक्षस। औद्योगिक = उद्योग सम्बन्धी। कुटुंब = परिवार। अंतरिक्ष = आकाश। धरातल = पृथ्वी की सतह। विसर्जित = छोड़ना। यथोचित = जैसा चाहिए वैसा, समुचित। अथाह = गहरा। आत्मघात = अपनी हत्या। विश्लेषित = अलगअलग किया हुआ। अपार = अत्यधिक, जिसका पार न पाया जा सके। तीव्र = तेज। चंगुल = पकड़, अधिकार। निःसंदेह = बेशक, बिना शक के। बला = मुसीबत। विकृति = विकार, खराबी (विकार के बाद प्राप्त रूप)। भ्रमण = घूमना। नेपथ्य = परदे के पीछे। सौरमंडल = सूर्य और उसके ग्रहों का समूह । खर-दूषण = त्रेतायुग के दो राक्षस। अट्टालिका = महल, इमारत। रश्मि = किरण। मस्तिष्क = दिमाग। समक्ष = सामने। विषाक्त = ज़हरीला। अधिपति = स्वामी, मालिक। कोटि-कोटि = करोड़ों। खिन्न = दु:खी, उदास। प्रादुर्भाव = प्रकट होना, उत्पत्ति। आच्छादित = ढका हुआ। गर्त = गड्ढा। उल्काएँ = लौह मिश्रित पत्थर के टुकड़े जो अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। अस्तित्व = हस्ती, सत्ता, विद्यमान होना। ह्रास = कमी, गिरावट। जलीय = जल संबंधी। अनोखा = अनूठा। प्रत्यक्षतः = प्रत्यक्ष रूप से। वायुमंडल = वातावरण। खिन्न = उदास। अनादिकाल = आरम्भ से ही। बलबूते = ताक़त, ज़ोर। उन्मूलन = उखाड़ फेंकना, जड़ से ख़त्म कर देना।

प्रकृति का अभिशाप Summary

प्रकृति का अभिशाप जीवन-परिचय

श्रीपाद विष्णु कानाडे एकांकी-साहित्य के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका साहित्य का विकास करने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये एक आधुनिक साहित्यकार हैं। एकांकी साहित्य के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।
‘प्रकृति का अभिशाप’ इनकी अत्यंत प्रभावशाली एवं लोकप्रिय एकांकी है। इसके साथ-साथ इन्होंने अनूठा साहित्य रचा है। कानाडे का एकांकी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी एकांकियों में एकांकी के प्रमुख तत्वों कथानक, पात्र तथा चरित्र-चित्रण, संकलनत्रय वातावरण, संवाद, उद्देश्य एवं अभिनेयशीलता का सफल निर्वाह हुआ है।
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने सूर्यदेव, वनदेवी, जलदेवी, रश्मिदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी एवं प्रदूषण पात्रों के द्वारा मानव को वातावरण के प्रति जागृत रहने की प्रेरणा दी है। मानव को प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी रखने का संदेश दिया है अन्यथा इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश निश्चित है।

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प्रकृति का अभिशाप एकांकी का सार

‘प्रकृति का अभिशाप’ नामक एकांकी श्रीपाद विष्णु कानाडे द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने प्रकृति के अभिशाप का वर्णन किया है। इसमें लेखक ने सूर्यदेव, रश्मिदेवी, वनदेवी, जलदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी तथा प्रदूषण (दैत्य) पात्रों के माध्यम से मानव को सावधान किया है कि यदि मनुष्य प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी नहीं रखेगा तो इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश भी निश्चित है। मंच पर एक विशाल सुनहरे सिंहासन पर सूर्यदेव विराजमान हैं। रश्मिदेवी सिंहासन के पीछे खड़ी है। सूर्यदेव चिंतित मुद्रा सौर जगत् के विशाल कुटुंब में पृथ्वी ग्रह के प्रति चिंता करता है। वह कहता है कि उसने अपनी पुत्री पृथ्वी को अधिक योग्य बनाना है। इसकी गोद में अनेक जीव-जंतु पेड़-पौधे पनप सकते हैं। इतना ही नहीं मानव भी पृथ्वी पर ही रहता है। यह अपने मस्तिष्क के बल पर पृथ्वी का स्वामी और अनोखा है। रश्मिदेवी सूर्य को कोई चिंता न करने का आग्रह करती है। उसे सौर-जगत् में पृथ्वी एक नंदनवन जैसी लगती है। वह सूर्य को बताती है वह पृथ्वी का भ्रमण करके आई है। उसका हाल अच्छा है। मानव ने बहुत प्रगति कर ली है। उसने बड़े-बड़े नगर बसा लिए हैं। वह उन्नति के शिखर पर पहुँच गया है। तभी पवनदेव का प्रवेश हुआ। उसने बताया कि पृथ्वी पर मानव ने उन्नति नहीं की है, बल्कि वह तो पतन के गड्ढे में गिरने वाला है। जलदेवी आकर कहती है कि ऐसी उन्नति का कोई लाभ नहीं है जिससे उसे अशुद्ध जल पीकर बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। वनदेवी प्रवेश करती है। वह बताती है कि असाधारण प्रगति के कारण मानव के समक्ष विषैला भोजन खाकर आत्मघात करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। सूर्यदेव सबके चेहरे को देखता है।

पवनदेव उनसे हाथ जोड़ कर क्षमा मांगते हैं। पवनदेव उनको नमन करता है। उसके बाद जलदेवी, वनदेवी सभी उनको प्रणाम करते हैं। सूर्य उनसे अचानक आने का कारण पूछते हैं। पवनदेव, जलदेवी, आदि सभी सूर्यदेव को बताते हैं कि पृथ्वी संकट में हैं। वनदेवी ने बताया कि प्रदूषण रूपी महादैत्य हम लोगों के पीछे लगा हुआ है। सूर्यदेव सभी से इस दैत्य के बारे में पूछता है। पवनदेव उन्हें बताते हैं कि यह ऐसा दैत्य है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को ज़हरीला बना रहा है। वनदेवी ने बताया कि इस राक्षस का जन्म औद्योगिक क्रांति से हुआ है। पवनदेव ने बताया कि उसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है। सूर्यदेव कहता है वायुमंडल के कारण ही पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं। वायुमंडल ही पृथ्वी को अंतरिक्ष की उल्काओं से बचाता है। अन्यथा पृथ्वी भी नष्ट हो जाती। सूर्यदेव कहता है कि शुद्ध वायु देने के लिए ही उसने पृथ्वी को वायु के अथाह समुद्र में डुबो दिया है। इस सागर का – भाग ऑक्सीजन है। मानव इसका प्रत्यक्ष उपयोग करता है। पवनदेव कहता है पृथ्वी पर प्रत्येक जीव ऑक्सीजन का उपयोग करता है और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ता है। किंतु कारखानों, इंजनों से कार्बन-डाइऑक्साइड अधिक उत्पन्न हो रही है। सूर्यदेव बताता है कि उसने कार्बन-डाइऑक्साइड से पुनः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए ही वनस्पति पृथ्वी को प्रदान की है। वनदेवी कहती है कि सूर्य में तेज़ प्रकाश से ही उसकी हरी पत्तियां कार्बन-डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से कार्बन तथा ऑक्सीजन में विश्लेषित करती है। मैं स्वयं के पोषण के लिए कार्बन रखकर ऑक्सीजन को पुनः वायु में छोड़ देती हूँ। किंतु आज कार्बन-डाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है। मानव की तरक्की तथा उद्योगों के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगल काट रहा है। शहरीकरण के लिए जंगल काटे जा रहे हैं। इसका मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सूर्यदेव वनदेवी से उन नुकसानों के बारे में पूछते हैं। वनदेवी उन्हें बताती है कि वनों की कमी से वर्षा नहीं होती। जिससे वनस्पतियाँ नहीं उगती। वनस्पतियों के अभाव में वायु शद्ध नहीं रहती। पवनदेव अपने अशुद्ध होने का नमूना औद्योगिक प्रगति बताते हैं। रश्मिदेवी प्रगति को प्रदूषण का कारण सुनकर चकित होती है। पवनदेव उन्हें बताता है कि उद्योगों के कारण अनेक गैसें आती हैं, जिनका जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

गंधकयुक्त औषधियों से आंतों की बीमारियां बढ़ती हैं। तपेदिक जैसे रोग बढ़ते हैं। वनों का भी विकास रुक जाता है। पवनदेव अपने दूषित होने के कारण बताते हैं कि कारखानों से असंख्य सूक्ष्मकण उसे दूषित करते हैं। पेट्रोल को सक्षम बनाने के लिए प्रयुक्त सीसा वायु को विषैला बना देता है। किंतु प्रदूषण रूपी राक्षस के हाथ अभी गाँवों तक नहीं पहुँचे हैं, इसलिए लोगों को गांवों में रहना अच्छा लगता है। सीसा मिश्रित पेट्रोल के कारण ओजोन परत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है। पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े हवाई जहाज़ इस परत को नष्ट कर रहे हैं।

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वनदेवी आँसू पोंछते हुए सूर्यदेव को बताती है कि प्रदूषण उसे भी परेशान कर रहा है। साथ ही कीटनाशक रसायन भी उसे हानि पहुँचा रहे हैं। जलदेवी कहती है कि ये कीटनाशक रसायन वर्षा के जल में घुलकर नदी तालाबों को दूषित करते हैं। इससे जलीय वनस्पतियों तथा जीवों को बहुत नुकसान होता है। कारखानों का दूषित तेल और विषैले पदार्थ भी नदियों में बहाने पर उसे हानि पहुँचा रहे हैं।
सबकी बातें सुनकर सूर्यदेव चिंतित होकर कहते हैं कि यह सब बहुत घातक है। इससे सभी को अपने अस्तित्व का खतरा होने लगता है। इसलिए रश्मिदेवी सूर्य को पृथ्वी पर न जाने को कहती है किंतु सूर्य उसे ऐसा न करने को कहते हैं। तभी दैत्य प्रदूषण डरावनी हंसी से कहता है कि वह बहुत खुश है कि उसने वायु, जल तथा वनस्पति की नाक में दम कर दिया है। सूर्य उसके बारे में पूछता है तो प्रदूषण बताता है कि वह अदृश्य होकर ही सबको सताता है। वह मनुष्य के विनाश का कारण बनने वाला है। वही मानव का महाकाल है। औद्योगिक प्रगति का विष वृक्ष है। रश्मिदेवी को अपनी चिंता होने लगती है। किंतु प्रदूषण उसे कहता है कि वह उसे हानि नहीं पहुंचाएगा। वह तो केवल पृथ्वी पर रहने वाले जीवों का ही विनाश करना चाहता है। इसके बाद सभी सूर्यदेव से प्रदूषण से अपनी-अपनी रक्षा करने के लिए कहने लगे।

तभी पर्दे पर मधुर संगीत के साथ बुद्धिदेवी का प्रवेश होता है। वह सूर्यदेव को कहती है कि इस दैत्य से पृथ्वी को बचाने के लिए उन्हें कष्ट करने की ज़रूरत नहीं है। वह पृथ्वीवासियों के जीवन को सुखी बनाने वाली जल, वायु और वनस्पति देवियों की रक्षा करेगी। वह सभी की रक्षा का आश्वासन देती है। बुद्धिदेवी प्रदूषण को मानव द्वारा विनाश होने की बात कहती है। तभी दैत्य प्रदूषण बताता है कि उसके अनेक सहायक हैं। रेडियोधर्मिता उसका नया सहायक है। रश्मिदेवी के पूछने पर वनदेवी बताती है कि रेडियोधर्मिता यूरेनियम जैसे तत्वों के परमाणु परीक्षण द्वारा पैदा होती है। दैत्य प्रदूषण इसकी हानियाँ बताता है कि रेडियोधर्मिता से मानव स्वयं घुट-घुटकर मरेगा। उसकी अगली पीढ़ी को वह पहचान भी नहीं पाएगा। उसका दूसरा साथी ध्वनि प्रदूषण है। जो बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े जहाज़ों, वाहनों, लाऊडस्पीकरों आदि से उत्पन्न होती है। जो थोड़े ही दिन में लाखों को बहरा बना देगी। वह बुद्धि को चुनौती देते हैं। बुद्धि उसकी चुनौती स्वीकार करती है और सूर्य देव, पवन देव आदि सभी को मानव कल्याण एवं पृथ्वी की सुरक्षा करने का आश्वासन देती है कि वह इस प्रदूषण को जड़ से ही समाप्त कर देगी। संसार से इसका उन्मूलन करना परम आवश्यक है। सूर्य देव भी लोक-कल्याण के कार्य में सफल होने का आशीर्वाद देते हैं। सभी खुश हो जाते हैं और पर्दा गिर जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

Hindi Guide for Class 9 PSEB हिम्मत और जिंदगी Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सुख का स्वाद किन लोगों को अधिक प्राप्त है ?
उत्तर:
सुख का स्वाद उन लोगों को अधिक प्राप्त होता है जो सुख का मूल्य पहले चुकाते हैं।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किन लोगों के लिए आराम ही मौत है ?
उत्तर:
जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है उन लोगों के लिए आराम ही मौत है।

प्रश्न 3.
‘त्यक्तेन भुंजीथाः’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
जीवन का भोग त्याग के साथ करो।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

प्रश्न 4.
अकबर ने कितने वर्ष की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को हराया था ?
उत्तर:
अकबर ने तेरह वर्ष की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को हराया था।

प्रश्न 5.
महाभारत का युद्ध किन-किन के मध्य हुआ था ?
उत्तर:
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य हुआ था।

प्रश्न 6.
महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत का क्या कारण था ?
उत्तर:
महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने लाक्षाग्रह की मुसीबत झेली थी और बनवास का संकट झेला था। उन्होंने कौरवों के द्वारा दिए गए कष्टों को झेला था।

प्रश्न 7.
साहसी व्यक्ति की पहली पहचान क्या है ?
उत्तर:
(1) साहसी व्यक्ति तमाशा देखने वालों की चिंता नहीं करता।
(2) वह उन सपनों में भी रस लेता है जिनके कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं होते।

प्रश्न 8.
लेखक के अनुसार साधारण जीव कौन-से लोग हैं ?
उत्तर:
जो आस-पड़ोस को देखकर चलते हैं वे साधारण जीव होते हैं।

प्रश्न 9.
लेखक ने किन्हें क्राँति करने वाले लोग कहा है ?
उत्तर:
जो लोग अपने उद्देश्य की तुलना पड़ोसी के उद्देश्य से नहीं करते।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार नींद तथा भोजन का वास्तविक आनन्द किन्हें मिलता है ?
उत्तर:
नींद का वास्तविक आनंद उन्हें मिलता है जो दिनभर धूप में थक कर वापस लौटता है तथा भोजन का आनंद उन्हें मिलता है जो कुछ दिन बिना खाये भी रह सकता है।

प्रश्न 2.
जीवन में असफलताएँ मिलने पर भी साहसी मनुष्य क्या करता है ?
उत्तर:
साहसी मनुष्य असफलताओं से घबराता नहीं। उनका साहस के साथ मुकाबला करता है और आगे ही आगे बढ़ता रहता है।

प्रश्न 3.
महान् निश्चय व बड़े मौके पर कायरता दिखाने वाले व्यक्ति का जीवन कैसा होता है ?
उत्तर:
जो व्यक्ति महान् निश्चय और किसी बड़े मौके पर कायरता दिखाता है, वह कभी भी सुखी नहीं रहता। तभी उसकी आत्मा उसे फटकारती रहती है।

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प्रश्न 4.
जिंदगी में जोखिम से बचने के कारण क्या हानि होती है ?
उत्तर:
जिंदगी में जोखिम से बचने के कारण निम्नलिखित हानि होती है
(1) वह अपने ही जीवन के व्यर्थ फ़ेरों के बीच कैद हो जाता है।
(2) उसे जिंदगी का कोई मज़ा नहीं मिलता।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
साहसी व्यक्ति के कोई पाँच गुण लिखिए।
उत्तर:
साहसी व्यक्ति के गुण इस प्रकार हैं
(1) साहसी व्यक्ति इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
(2) वह उन सपनों में भी रस लेता है जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं होता।
(3) वह कभी भी सपने उधार नहीं लेता।
(4) वह सदा अकेला ही अपनी राह पर चलता है।
(5) वह कठिनाइयों से नहीं डरता।
(6) वह पूर्णरूप से निडर होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए :

(i) जो लोग पाँव भीगने के ख़ौफ़ से पानी से बचते रहते हैं, समुद्र में डूब जाने का खतरा उन्हीं के लिए है। लहरों में तैरने का जिन्हें अभ्यास है वे मोती लेकर बाहर आयेंगे।
उत्तर:
लेखक कहता है कि इस संसार में जिन लोगों को अपने पांव भीगने का डर होता है उन्हें ही समुद्र में डूबने का खतरा होता है अर्थात् जो लोग कठिन परिस्थितियों को देखकर डर जाते हैं और उनसे संघर्ष नहीं करते वे जीवन में कभी भी सफल नहीं होते। जिसे डरपोक लोगों को असफलता ही मिलती है। किंतु जिन लोगों को लहरों में तैरने का अभ्यास होता है अर्थात् जो परिस्थितियों का निडर और साहसी बनकर सामना करते हैं उन्हें ही सफलता मिलती है वे लोग ही समुद्र से मोती निकाल सकते हैं।

(ii) अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही हो है।
उत्तर:
लेखक आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है कि यदि जीवन में रास्ता आगे की तरफ निकलता है तो आंतरिक आनंद आगे बढ़ते जाने में ही है। भाव है कि यदि जीवन में आगे की तरफ कोई रास्ता निकलता हो तो हमें आगे बढ़ते जाना चाहिए। उस रास्ते पर आगे बढ़ने से ही असली आनंद प्राप्त होगा।

(iii) अरे ओ जीवन के साधको! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों में ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक-कोष को कौन बाहर लाएगा ?
उत्तर:
लेखक जीवन के साधकों को संबोधित कर उन्हें प्रेरणा देता है कि, हे जीवन के साधको! यदि तुम्हें किनारे पर मरी हुई सीपियों में ही संतोष मिल जाए तो समुद्र के बीच में छिपे हुए मोतियों के खजाने को कौन बाहर निकालेगा। भाव यह है कि तुम्हें केवल सीपियों से ही संतोष नहीं करना चाहिए बल्कि कठिन परिश्रम करते हुए समुद्र के बीच जाकर मोतियों का खजाना ढूंढकर लाना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

(iv) कामना का अंचल छोटा मत करो। जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचौड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।
उत्तर:
लेखक साधकों को प्रेरणा दे रहा है कि हे साधको ! तुम अपनी इच्छाओं के आंचल को छोटा मत करो। तुम अपनी जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो। इसमें से रस की नदी तुम्हारे द्वारा भी बह सकती है। भाव यह है कि यदि तुम मेहनत करो और अपनी इच्छाएँ बड़ी रखो तो तुम्हें अवश्य फल की प्राप्ति होगी।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
पुष्प – …………….
ओष्ठ – …………….
मृत्यु – …………….
हस्त – …………….
रात्रि – …………….
गृह – …………….
लाक्षा – …………….
कर्म – …………….
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
पुष्प – फूल
ओष्ठ – होठ
मृत्यु – मौत
हस्त – हाथ
रात्रि – रात
गृह – घर
लाक्षा – लाख
कर्म – काम

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2. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

दाँव पर लगाना – कोई वस्तु बाज़ी पर लगाना।
पाँव बढ़ाना – चाल तेज़ करना, जल्दी-जल्दी चलना, आगे बढ़ना।
उत्तर:
दाँव पर लगाना – कोई वस्तु बाज़ी पर लगाना।
वाक्य – युधिष्ठिर ने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था।
पाँव बढ़ाना – चाल तेज़ करना, जल्दी-जल्दी चलना, आगे बढ़ना।
वाक्य – हमें सदा सफलता की ओर पाँव बढ़ाना चाहिए।

3. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

रेगीस्तान, सन्तुश्ट, आतमा, ज़रुरत, अवाज़, सवाद, खुशबुदार, संजम, चुनोती, निरझरी।
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
रेगीस्तान – रेगिस्तान
सन्तुश्ट – संतुष्ट
आतमा – आत्मा
ज़रुरत – ज़रूरत
अवाज़ – आवाज़
सवाद – स्वाद
खुशबुदार – खुशबूदार
संजम – संयम
चुनोती – चुनौती
निरझरी – निर्झरी।

4. निम्नलिखित वाक्यों में सही विराम चिह्न लगाइए

प्रश्न 1.
झुंड में चरना यह भैंस और भेड़ का काम है
उत्तर:
झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है।

प्रश्न 2.
यह आवाज़ उसे बराबर कहती रहती है तुम साहस नहीं
दिशा सके तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए
उत्तर:
यह आवाज़ उसे बराबर कहती रहती है। तुम साहस नहीं दिखा सके। तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए। (ii) अरे ओ जीवन के साधको तुम निचली डाल का फल तोड़कर लौटे जा रहे हो तो फिर फुनगी का वह लाल लाल आम किसके वास्ते है उत्तर- अरे ओ जीवन के साधको ! तुम निचली डाल का फल तोड़कर लौटे जा रहे हो, तो फिर फुनगी का वह लाल आम किसके वास्ते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
“बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास पाती हैं। बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पल कर दुनिया पर क़ब्जा करती हैं।” पाठ में आईं इन पंक्तियों के आधार पर किसी महापुरुष, विद्वान्, आविष्कारक, योद्धा आदि में से किसी एक व्यक्तित्व पर अपने विचार लिखें जिसने बड़ी मुसीबतों का सामना करते हुए शीर्ष पर पहुँचकर नाम कमाया हो।
उत्तर:
अर्जुन एक महान् योद्धा था। वह पाण्डु का पुत्र था। उसकी माता का नाम कुंती था। यह पाँच पांडवों में सबसे श्रेष्ठ धनुषधारी माना जाता है। इसने अपने भाइयों के साथ बचपन से ही अनेक कष्ट सहन किए। इसने लाक्षागृह की आग को सहन किया। कौरवों द्वारा दिया गया वनवास झेला और बार-बार कौरवों के द्वारा अपमान झेला किंतु अंत तक अपनी हार नहीं मानी। अंततः महाभारत के युद्ध में अर्जुन की ही विजय हुई।

प्रश्न 2.
“आदमी के अन्य सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं।” आप लेखक के इस विचार से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
यह बात सच है कि हिम्मत सभी गुणों से श्रेष्ठ है क्योंकि हिम्मती अर्थात् साहसी आदमी में अन्य सभी गुण अपने आप ही आ जाते हैं। साहसी, निडर, परिश्रमी और संयमी होता है। साहसी आदमी ही कठिन परिश्रम कर सकता है। वही जीवन की बाधाओं का सामना कर सकता है। वह किसी भी बाधा और संकट से नहीं घबराता वह जीवन की कठिनाइयों का हँसते-हँसते मुकाबला करता है। वह सदा. अपनी दृष्टि अपने लक्ष्य की तरफ रखता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आदमी के अन्य सारे गुण उसके हिम्मती. होने से ही पैदा होते हैं।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
हिम्मत बढ़ाने वाली कुछ प्रेरणादायक कविताओं/कहानियों का चयन कीजिए और उन्हें अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
उन महापुरुषों/देशभक्तों/समाज सुधारकों/योद्धाओं के चित्रों का संकलन कीजिए जिन्होंने हिम्मत की जिंदगी को जिया है।
उत्तर:
अध्यापकों की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 3.
आपने अथवा आपके किसी मित्र/परिचित ने किसी संकट के समय अदम्य साहस का परिचय दिया हो तो उस प्रसंग को अपनी कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
स्टेशनरी की दुकान से एक स्टिक लाख लें और अध्यापक से जानें कि किस तरह ज़रूरी दस्तावेजों को सीलबंद करने में इसका उपयोग होता है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें। 5. आपके घर में लकड़ी के दरवाजे/खिड़कियाँ पॉलिश करते समय लाख के दाने का प्रयोग होता है। उस समय पेंटर से जानें कि किस तरह वह इसका पॉलिश में प्रयोग करता है। उत्तर- स्वयं कीजिए।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. महाभारत : ‘महाभारत’ भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनुपम महाकाव्य है, जिसकी रचना (माना जाता है कि) वेदव्यास जी ने की। इस ग्रंथ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद भी माना जाता है। कहा जाता है कि ‘महाभारत’ का वास्तविक नाम ‘जय’ था। तत्पश्चात् इसे ‘भारत’ नाम से भी पुकारा गया तथा भरतवंश की गाथा होने के कारण बाद में यह ‘महाभारत’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

2. कौरव : कौरव महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे। ये गिनती में सौ थे तथा राजा कुरु के वंशज थे। सभी कौरवों में दुर्योधन सबसे बड़ा था जो कि बहुत ही ज़िद्दी था।

3. पांडव : पाँडव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाँडव पाँच भाई थे- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। पाँडवों के पिता का नाम पाण्डु था। पाण्डु की दो पत्नियाँ थीं-कुन्ती तथा माद्री। युधिष्ठिर, भीम तथा अर्जुन की माता कुन्ती थी और नकुल एवं सहदेव माद्री के पुत्र थे।

4. लाक्षागृह : दुर्योधन के मामा शकुनि ने लाक्ष (लाख) के बने हुए घर (लाक्षागृह) में पांडवों को भेजकर उन्हें जलाकर मारने का प्रयत्न किया किन्तु अपने काका विदुर की मदद व समझबूझ से वे उस जलते हुए गृह से बच निकले।

5. अकबर : तैमूरी वंशावली के मुग़ल वंश का तीसरा शासक अकबर था। इसके पिता का नाम हुमायूँ तथा दादा का नाम बाबर था।

6. विन्स्टन चर्चिल : ये एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे और सन् 1940-1945 के समय इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री थे। इसके अतिरिक्त वे इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे। वे एकमात्र प्रधानमंत्री थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

PSEB 9th Class Hindi Guide हिम्मत और जिंदगी Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कौन-सी जिंदगी सबसे बड़ी होती है ?
उत्तर:
साहस से भरी जिंदगी सबसे बड़ी होती है।

प्रश्न 2.
साहसी जिंदगी कैसी होती है ?
उत्तर:
साहसी जिंदगी सब प्रकार से निडर और बेखौफ होती है।

प्रश्न 3.
मनुष्यता को प्रकाश किस आदमी से मिलता है ?
उत्तर:
जो आदमी जनमत की अपेक्षा करके जीता है उसी आदमी से मनुष्यता को प्रकाश मिलता है।

प्रश्न 4.
जिंदगी की कितनी सूरतें हैं ?
उत्तर:
जिंदगी की दो सूरते हैं।

प्रश्न 5.
जिंदगी का असली मजा किनके लिए नहीं है ?
उत्तर:
जो फूलों के नीचे खेलते और सोते हैं उनके लिए जिंदगी का असली मजा नहीं है।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
जिंदगी का असली मजा किनको मिलता है ?
उत्तर:
जिंदगी का असली मजा उनको मिलता है जो दूर रेगिस्तान से आते हैं जिनके कंठ सूखे, होंठ फटे तथा बदन पसीने से तर-तर होता है। वे कष्ट उठाते हैं। दूसरों के भरोसे नहीं रहते। वे अपना मार्ग स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न 2.
चाँदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद कौन मनुष्य लेता है ?
उत्तर:
चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद वह मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थककर लौटता है। जिसके शरीर को ठंड की ज़रूरत महसूस होती है तथा जिसका मन इस बात से संतुष्ट होता है कि उसने आज के दिन का पूरा समय अच्छे काम में लगाया है। जिसने डट कर काम किया है। जो दूसरों के भरोसे नहीं रहा।

प्रश्न 3.
चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद किसको नहीं मिलता ?
उत्तर:
जो आदमी दिनभर खिड़कियाँ बंद कर पंखों के नीचे बैठा रहता है और रात में चांदनी में सेज लगाता है उसे चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद नहीं मिलता। जो परिश्रम नहीं करता उसे आनंद नहीं मिलता।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
हिम्मत और जिंदगी पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिम्मत और जिंदगी श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रमुख निबंध है। इसमें लेखक ने बताया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। हिम्मत, परिश्रम साहस, कर्मठता आदि तत्व ही सफलता के आधार हैं। मनुष्य को जीवन में हिम्मत, साहस का परिचय देना चाहिए। साहस की जिंदगी सबसे श्रेष्ठ होती है।

प्रश्न 2.
इस निबंध के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
इस निबंध के माध्यम से लेखक ने हमें साहसपूर्ण जिंदगी जीने का संदेश दिया है। उन्होंने बताया है कि जीवन में सदा साहस और हिम्मत से परिश्रम करना चाहिए। कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिए। उनका साहस के साथ डटकर मुकाबला करना चाहिए। जीवन में हर चुनौती स्वीकार करनी चाहिए। सुख-दुःख, सफलता-असफलता, खुशीगम को समान दृष्टि से देखना चाहिए।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘हिम्मत और ज़िदगी’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
रामधारी सिंह दिनकर।

प्रश्न 2.
जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है उनके लिए आराम क्या है ?
उत्तर:
मौत।

प्रश्न 3.
समुद्र में से मोती लेकर बाहर कौन आता है ?
उत्तर:
जिन्हें लहरों में तैरने का अभ्यास होता है।

प्रश्न 4.
साहस की जिंदगी कैसी होती है ?
उत्तर:
साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है।

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प्रश्न 5.
किसका अंचल छोटा नहीं करना चाहिए ?
उत्तर:
कामना का।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 6.
झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
सिंह बिल्कुल अकेला होने पर उदास हो जाता है।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास नहीं पाती हैं।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उपवास और ……… ये ………… के साधन नहीं हैं।
उत्तर:
उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नहीं हैं।

प्रश्न 11.
जिन्दगी को ……. से जीना हमेशा ही ……… झेलना है।
उत्तर:
जिन्दगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
“ज़िन्दगी का सबसे बड़ा गुण हिम्मत है” यह कथन किसका है ?
(क) अर्नाल्ड बेनेट
(ख) विन्स्टन चर्चिल
(ग) अब्राहम लिंकन
(घ) स्टालिन।
उत्तर:
(ख) विन्स्टन चर्चिल।

प्रश्न 13.
महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर किनके पक्ष में थे ?
(क) पाँडवों
(ख) कौरवों
(ग) कैकेय
(घ) विदेह।
उत्तर:
(ख) कौरवों।

प्रश्न 14.
क्रांति करने वाले किस चाल से चलते हैं ?
(क) पड़ोसी की
(ख) शासन की
(ग) अपनी
(घ) विरोधी की।
उत्तर:
(ग) अपनी।

प्रश्न 15.
चाँदनी की ताज़गी और शीतलता का आनन्द कैसा मनुष्य लेता है ?
(क) अमीर
(ख) सुस्त
(ग) चतुर
(घ) परिश्रमी।
उत्तर:
(घ) परिश्रमी।

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कठिन शब्दों के अर्थ

कंठ = गला । खौफ़ = डर। उपवास = व्रत। जनमत = लोगों की राय। अंतराल = बीच, मध्य । जोखिम = खतरा, संकट। परास्त = पराजित, हार। अंततः = अंत में, आखिरकार। लाक्षाग्रह = लाख का बना घर। मौक्तिक-कोष = मोतियों का खजाना। साधक = साधना करने वाला। कामना = इच्छा। निर्झरी = नहीं। खुशबू = सुगंध। परमार्थ = परोपकार। कस्तूरी = एक सुगंधित पदार्थ जो कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है। गोधूलि = गायों के खुरों से उठने वाली धूल।

हिम्मत और जिंदगी Summary

जीवन-परिचय

जीवन परिचय-रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका जन्म सन् 1908 ई० में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा गांव में हुई। इन्होंने बी०ए० की शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की। ये भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। सन् 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। कई वर्ष तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी रहे। सन् 1974 ई० में इनकी मृत्यु हो गई।
प्रमुख रचनाएँ-दिनकर बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार माने जाते हैं। इन्होंने अनेक प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं
काव्य-रेणुका, हुँकार, कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रसवंती, परशुराम की प्रतीक्षा आदि। गद्य-संस्कृति के चार अध्याय, काव्य की भूमिका, अर्द्धनारीश्वर, मिट्टी की ओर आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-दिनकर की रचनाओं में राष्ट्रीयता तथा विश्वबंधुत्व की भावना के दर्शन होते हैं। इन्होंने अपने साहित्य में समाज, संस्कृति धर्म का यथार्थ वर्णन किया है। रामधारी सिंह दिनकर की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इनकी भाषा प्रौढ़ एवं प्रांजल है। इस निबंध की भाषा शैली सरल एवं सहज है। इसमें तत्सम शब्दावली की अधिकता है।

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हिम्मत और जिंदगी निबंध का सार

हिम्मत और जिंदगी रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित एक प्रमुख निबंध है। इसमें लेखक ने उस सत्य का वर्णन किया है जिसके अनुसार हिम्मत, परिश्रम, साहस, कर्मठता आदि तत्व हमारी सफलता के आधार बिंदु हैं। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जिंदगी का असली मज़ा फूलों के नीचे खेलने और सोने वालों के लिए नहीं बल्कि दूर रेगिस्तान से आने वालों के लिए होता है। पानी के अमृत तक को केवल वही जानता है जो धूप में सूख चुका है। सुखों का असली आनंद उनका मूल्य चुकाने पर ही मिलता है। पानी से बचने वालों के लिए ही समुद्र में डूबने का खतरा होता है। लहरों पर तैरने वाले तो मोती लेकर ही बाहर निकलते हैं। जीवन में चांदनी की ताज़गी और शीतलता का मजा वही मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थककर लेटा है। घर के अंदर पंखे के नीचे सोने वाला मनुष्य इसका आनंद नहीं ले सकता। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह लेता है।

जीवन का भोग त्याग के साथ करो यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है। संयमी व्यक्ति को ही योग का आनंद प्राप्त होता है। संसार में बड़ी चीजें बड़े संकटों में ही विकसित होती हैं। ठीक वैसे बड़े लोग बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करते हैं, अकबर ने तेरह वर्ष में ही अपने पिता के दुश्मन को हरा दिया था। महाभारत में देश के अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे किन्तु फिर भी जीत पांडवों की हुई क्योंकि उन्होंने लाक्षाग्रह की मुसीबत झेली और बनवास में कष्ट उठाया था। जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो आदमी को असफलताओं से न घबराते हुए उनका सामना करते हुए अपने उद्देश्य को पाने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी आदमी को उन ग़रीबों का साथी बन जाना चाहिए जो केवल दुःख पाते हैं। साहस की जिंदगी सबसे श्रेष्ठ होती है। यह बिल्कुल निडर और बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य कभी भी तमाशा देखने वालों की चिंता नहीं करता। वह केवल अपना कर्म करता है। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी ही दुनिया की असली शक्ति है। दूसरों के पीछे चलना एक सामान्य आदमी का काम होता है। क्रांतिकारी कभी अपने उद्देश्यों की तुलना दूसरों से नहीं करते। वे केवल अपना कार्य करते हैं। साहसी व्यक्ति कभी सपने उधार नहीं लेता। वह तो अपने सपने देखता है। समूह में तो भैंस और भेड़ चलती हैं, शेर तो सदा अकेला चलता है।

जिंदगी में सदा खतरे बने रहते हैं। जिंदगी जीते समय अनेक खतरे बने रहते हैं। असली जिंदगी इन खतरों का साहस से मुकाबला करने में होती है। संकटों का सामना करना जिंदगी की पूंजी होती है। अंत में लेखक ने जीवन के साधकों को साहसपूर्ण जिंदगी तथा खतरों का सामना करने का संदेश दिया है। उन्हें उद्देश्य को प्राप्त करने की प्रेरणा दी है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Hindi Guide for Class 9 PSEB महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० को हुआ था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा को लाहौर कॉलेज की पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को अपनी देशभक्ति की भावना और उग्र विचारों के कारण लाहौर कॉलेज की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

प्रश्न 3.
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने अपना गुज़ारा कैसे किया ?
उत्तर:
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने कारखाने में मजदूरी की। रिक्शा तथा तांगा चलाया।

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प्रश्न 4.
वे इंग्लैंड में कौन-सी पढ़ाई करने गए थे ?
उत्तर:
वे इंग्लैंड में यांत्रिकी अभियांत्रिकी (मकैनिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई करने गए थे।

प्रश्न 5.
मदन लाल ढींगरा किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा अभिनव भारत क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने।

प्रश्न 6.
कर्जन वायली कौन था ?
उत्तर:
कर्जन वायली स्टेट ऑफ इंडिया का सचिव सलाहकार था।

प्रश्न 7.
मदन लाल ढींगरा को फाँसी की सज़ा कब दी गयी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को 17 अगस्त, सन् 1909 ई० को फाँसी की सज़ा दी गई।

प्रश्न 8.
शहीद मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ भारतभूमि कब लायी गयीं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को भारतभूमि लाई गईं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेजों से बदला लेने की क्यों ठानी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेज़ों से बदला लेने की इसलिए ठानी क्योंकि अग्रेज़ों ने खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त, सतिन्दरपाल और कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को मृत्युदंड दे दिया था।

प्रश्न 2.
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगस ने क्यों मारा ?
उत्तर:
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगरा ने इसलिए मारा क्योंकि उनका मानना था कि ऐसे अधिकारियों ने हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया तथा बिना कारण के ही मार दिया।

प्रश्न 3.
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने क्या कहा था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने कहा था कि ढींगरा की शहीदी उन राजपूतों और सिक्खों की कुर्बानियों का स्मृति पुंज है जिसके कारण शहादत अमर बन जाती है। अंग्रेज़ सोचते होंगे कि उन्होंने मदन लाल ढींगरा को फांसी देकर सदा के लिए स्वतंत्रता की आवाज़ को दबा दिया है परन्तु वास्तविकता यह है कि यही आवाज़ भारत को स्वतंत्र बनाएगी।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा एक साहसी एवं निडर देशभक्त थे। वे शुरू से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। देशभक्ति के कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा। लंदन में रहते हुए उन्होंने सावरकर तथा कृष्ण वर्मा जैसे देशभक्तों के संपर्क में आए। खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त तथा कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को शहादत के बदले भारतीय राष्ट्रीय संस्था के वार्षिक दिवस में कर्जन वायली को मार दिया। उन्होंने बंग-भंग आंदोलन के समय लंदन की गलियों में वंदे मातरम् गुंजाया। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। अपनी हर पुस्तक पर वे काम न लिखकर वंदे मातरम् लिखते थे। अंततः कर्जन वायली को गोली मारने पर उन्हें 17 अगस्त, सन् 1909 को मदन लाल ढींगरा को पेंटोविले की जेल में फांसी दी गई। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे।

प्रश्न 2.
आपको शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहिए। हमें आत्मविश्वास, निडरता एवं साहस के साथ मुसीबतों का सामना करना चाहिए। देश की आजादी के लिए हर कीमत चुका देनी चाहिए। हमें अपने राष्ट्र की सच्ची पूजा करनी चाहिए।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखें

अशुद्ध – शुद्ध
शरेय = ……………
देशभगती = ………………..
गोर्वान्वित = ………………..
सथापना = ………………..
आजादी = ………………..
लवारिस = ………………..
आतमविश्वास = ………………..
यांतरिकी = ………………..
परशिक्शण = ………………..
मृत्यूदंड = ………………..
मातरिभुमि = ………………..
अस्थीयाँ = ………………..
कालज = ………………..
अध्यन = ………………..
क्रांतीकारी = ………………..
हजार = ………………..
स्मरिति = ………………..
प्रापत = ………………..
उत्तर:
शरेय = श्रेय
देशभगती = देशभक्ति
गोर्वान्वित = गोवांन्वित
सथापना = स्थापना
आजादी = आज़ादी
मातरिभुमि = मातृभूमि
कालज = कॉलेज
क्रांतीकारी = क्रांतिकारी
स्मरिति = स्मृति
लवारिस = लावारिस
आतमविश्वास = आत्मविश्वास
यांतरिकी = यांत्रिकी
परशिक्शण = प्रशिक्षण
मृत्यूदंड = मृत्युदंड
अस्थीयाँ = अस्थियाँ
अध्यन = अध्ययन
हजार = हज़ार
प्रापत = प्राप्त

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग करें

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – …………….
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना – …………….
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – ………………..
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – ……………..
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – ……………….

उत्तर:

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – प्रत्येक व्यक्ति को तर्क के तराजू में तौल कर अपना-अपना कार्य करना चाहिए।
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना-अरे – तुम्हें तो अब तक पूरी तरह से नेता जी के रंग में रंगा जाना चाहिए था।
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – वह देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतारना कोई पाप नहीं समझता।
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – सेना के वीर सैनिकों ने पलभर में आतंक वादियों को ढेर कर दिया था।
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – साहसी व्यक्ति की आवाज़ को कोई नहीं दबा सकता।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आप मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होते तो क्या परिवार वालों के विरोध के बावजूद स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ते ?
उत्तर:
यदि मैं मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होता तो परिवार वालों के विरोध के बावजूद भी स्वतंत्रता की लड़ाई में अवश्य कूद पड़ता। मैं लाख विरोध करने पर भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई में जाता क्योंकि देश परिवार से कहीं बढ़कर है। देश बचेगा तभी परिवार सुरक्षित रह सकेगा। देश हर नागरिक के लिए सर्वोपरि है। देश सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। अतः हमें हर पल देश पर मर मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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प्रश्न 2.
भारत की स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है। कैसे ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। उनकी शहादत से क्रांतिकारियों में आत्मविश्वास, साहस, निडरता एवं देश पर मर मिटने की भावना बढ़ने लगी। देशभक्तों में एक जोश पैदा होने लगा। वीरेन्द्र चट्टोपाध्याय ने उनकी स्मृति में मदन तलवार पत्रिका निकाली जो क्रांतिकारियों की आवाज़ बनी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ में मदन लाल ढींगरा का जोशभरा वक्तव्य छपा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए अन्य क्रांतिकारियों जैसे विनायक दामोदर सावरकर, श्याम जी कृष्ण वर्मा, खुदीराम बोस, लाला हरदयाल आदि की जीवनियाँ पढ़ें।
उत्तर:
अध्यापक के सहयोग से करें।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा की पुण्य तिथि पर इनके बारे में अपने विचार स्कूल की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

  • यांत्रिक अभियांत्रिकी ( मकैनिकल इंजीनियरिंग): यह भिन्न-भिन्न तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है।
  • विनायक दामोदर सावरकर : (जन्म 28 मई, सन् 1883; मृत्यु 26 फरवरी, सन् 1966) : ये भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। इन्हें प्रायः ‘वीर सावरकर’ नाम से सम्बोधित किया जाता है। ये स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता व दूरदर्शी राजनेता भी थे।
  • श्याम जी कृष्ण वर्मा : अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को गतिशीलता प्रदान करने में इन्होंने मुख्य भूमिका निभायी। ऐसा कहा जाता है कि वे पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें ऑक्सफोर्डसे एम०ए० और बैरिस्टर की उपाधियाँ मिलीं। क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे।
  • अभिनव भारत : इसकी स्थापना स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने सन् 1904 में की थी। यह संगठन अंग्रेज़ी हकूमत से लड़ने के लिए बनाया गया था।
  • इंडिया हाउस : यह लंदन में स्थित एक अनौपचारिक भारतीय राष्ट्रवादी संस्था थी जिसकी स्थापना ब्रिटेन के भारतीय छात्रों में राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार करने के लिए श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में की गयी।
  • खुदीराम बोस (जन्म-सन् 1889-मृत्यु- सन् 1908): इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए 19 वर्ष की आय में फाँसी पर चढ़कर इतिहास रचा।
  • वंदे मातरम् : बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
  • एनी बेसेंट : अग्रणी थियोसोफिस्ट। महिला अधिकारों की समर्थक, लेखिका, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। इनके पिता अंग्रेज़ थे किन्तु इन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना की तथा प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ कहा। महिलाओं और शोषितों के लिए वह आजीवन संघर्ष करती रहीं।
  • आयरिश लोग : आयरलैंड के लोगों को आयरिश लोग कहा जाता है।
  • लाला हरदियाल : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी लाला हरदियाल ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। 4 मार्च, सन् 1939 को अमरीका से भारत आते समय रहस्यमयी परिस्थितियों में इनकी मृत्यु हो गयी।
  • वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (सन् 1880 – सन् 1937) : ये भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और योरुप में भारतीय विद्यार्थियों को भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए प्रेरित करते थे। मदन लाल ढींगरा के जन्म के सम्बन्ध में मतभेद : कुछ विद्वान् इनकी जम्म तिथि 18 सितम्बर, सन् 1883 मानते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

PSEB 9th Class Hindi Guide महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा के पिता का क्या नाम था? ।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता का नाम साहिब गुरदित्ता मल था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से क्या थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे।

प्रश्न 3.
मदन लाल बचपन से कैसे थे ?
उत्तर:
मदन लाल बचपन से ही स्वतंत्रता की प्राप्ति चाहने वाले थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचपन की कौन-सी घटनाएँ मदन लाल ढींगरा के आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे बचपन से ही अपने देश को आजाद होते देखना चाहते थे। वे हर बात को तर्क की तराजू में तोल कर देखते थे। यही घटनाएँ उनके आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं।

प्रश्न 2.
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद किसने की ?
उत्तर:
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद उनके बड़े भाई ने की। उनकी सहायता के कारण ही वे इंग्लैण्ड गए और उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। इसके साथ ही इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं ने भी उनकी आर्थिक मदद की।

प्रश्न 3.
लंदन में रहते हुए मदन लाल किन राष्ट्रवादी नेताओं के संपर्क में आए ?
उत्तर:
लंदन में रहते हुए मदन लाल ढींगरा भारत के प्रखर राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए। वे इनकी देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए।

प्रश्न 4.
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में क्या मानना था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में मानना था कि ऐसे नीच अधिकारियों ने ही हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया था। उन्हें बिना किसी कारण मौत के घाट उतारा था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
इस पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘महान् देशभक्त : मदन लाल ढींगरा’ निबंध में लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति, निडरता, आत्मविश्वास का वर्णन किया है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। कर्जन वायली को मारकर क्रांतिकारियों और देशभक्तों में आजादी की लहर पैदा की। इससे देशवासियों में आत्मविश्वास एवं निडरता की भावना ने जन्म लिया।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सच्चे देशभक्त-मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। इसी कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने अपने देश के लिए अपने को हँसते-हँसते कुर्बान कर दिया।
2. निडर-मदन लाल ढींगरा बहुत निडर थे। इसीलिए लंदन में रहते हुए भी वंदे मातरम् गलियों में गुंजाते थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। इतना ही नहीं उन्होंने कर्जन वायली को भरी सभा में गोलियों से भून दिया था।
3. आत्मविश्वासी-मदन लाल ढींगरा बहुत आत्मविश्वासी थे। उनमें आत्मविश्वास की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
4. विवेकी-मदन लाल ढींगरा एक विवेकशील देशभक्त थे। वे बचपन से प्रत्येक बात को तर्क के तराजू पर तोल कर देखते थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘महान् राष्ट्रभक्त : मदनलाल ढींगरा’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० हरमहेन्द्र सिंह बेदी।

प्रश्न 2.
मदनलाल ढींगरा के पिता कौन और क्या थे ?
उत्तर:
साहिब गुरदितामल, गुरदासपुर में सिविल सर्जन।

प्रश्न 3.
लाहौर कॉलेज में पढ़ते हुए मदनलाल ढींगरा ने कॉलेज क्यों छोड़ा ?
उत्तर:
देशभक्ति के कार्यों में भाग लेने के लिए।

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प्रश्न 4.
इंग्लैण्ड के किस कॉलेज में और किस विषय में मदनलाल ढींगरा ने प्रवेश लिया ?
उत्तर:
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में, मकैनिकल इंजीनियरिंग में।

प्रश्न 5.
लन्दन में मदनलाल ढींगरा किसके संपर्क में आए ?
उत्तर:
लन्दन में वे विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मदनलाल ढींगरा सन् 1906 ई० में इंग्लैण्ड शिक्षा प्राप्त करने गए।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
आयरिश लोगों ने मदनलाल ढींगरा की हिम्मत को नहीं सराहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
1 जुलाई, 1909 को भारतीय राष्ट्रीय संस्था में उपस्थित कर्जन वायली पर पिस्टल से सात गोलियां चलाकर मार दिया था।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
घर में केवल उनकी माँ ही उनकी बात सुनती और समझती थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दुनिया के हर ………. को अपनी ……. स्वतंत्र कराने का ………. है।
उत्तर:
दुनिया के हर नागरिक को अपनी मातृभूमि स्वतंत्र कराने का अधिकार है।

प्रश्न 11.
……. राष्ट्र ……… का …….. है।
उत्तर:
गुलामी राष्ट्र देवता का अपमान है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
शहीद मदनलाल ढींगरा की अस्थियाँ कब भारत लाई गईं ?
(क) 17 अगस्त, 1909 को
(ख) 22 जुलाई, 1909 को
(ग) 13 दिसम्बर, 1974 को ।
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।
उत्तर:
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।

प्रश्न 13.
मदनलाल ढींगरा को कब फांसी दी गई ?
(क) 17 अगस्त, 1919 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 17 अगस्त, 1921 को
(घ) 17 अगस्त, 1976 को।
उत्तर:
(ख) 17 अगस्त, 1909 को।

प्रश्न 14.
मदनलाल ढींगरा पर अभियोग कब चलाया गया ?
(क) 1 जुलाई, 1909 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 22 जुलाई, 1909 को |
(घ) 17 अगस्त, 1976 को
उत्तर:
(ग) 22 जुलाई, 1909 को

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प्रश्न 15.
मदनलाल ढींगरा को किस जेल में फाँसी दी गई ?
(क) अंडेमन
(ख) पेंटोविले
(ग) गोआ
(घ) तिहाड़।
उत्तर:
(ख) पेंटोविले।

प्रश्न 16.
मदनलाल ढींगरा वीर सावरकर की किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
(क) भारतीय राष्ट्रीय संस्था
(ख) इंडिया हाउस
(ग) अभिनव भारत
(घ) मदन तलवार।
उत्तर:
(ग) अभिनव भारत।

प्रश्न 17.
“हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक मदनलालों की आवश्यकता है।” यह कथन किसका है ?
(क) ऐनी बेसेंट
(ख) वी० एस० बलंट
(ग) श्याम जी कृष्णवर्मा
(घ) वीर सावरकर।
उत्तर:
(क) ऐनी बेसेंट।

कठिन शब्दों के अर्थ

आत्मविश्वास = अपने ऊपर विश्वास। समेत = सहित। जोशभरा = जोश से युक्त। सम्पन्न = खुशहाल। अग्नि = आग। अध्ययन = पढ़ाई। गौरवान्वित = महिमा से युक्त। प्रशिक्षण = सिखलाई, ट्रेनिंग। साक्ष्य = सबूत। अनुपालन = रक्षण। स्वतंत्र = आजाद। अभियोग = मुकद्दमा। स्मृति पुंज = यादों का समूह। संवाहक = आगे ले जाने वाली। वक्तव्य = कथन। अनथक = बिना थके। अस्थियाँ = हड्डियाँ। राष्ट्रवादी = देशभक्त । नफ़रत = घृणा। अभियोग = मुकद्दमा। लावारिस = जिसका कोई वारिस न हो।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा Summary

महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा जीवन-परिचय

जीवन परिचय-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का जन्म 12 मार्च, सन् 1950 ई० को पंजाब के मुकेरियां (होशियारपुर) में हुआ था। ये समकालीन हिन्दी-कविता के प्रसिद्ध कवि हैं। इन्होंने पंजाब के हिन्दी-साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कनाडा, नार्वे तथा पाकिस्तान की यात्राएँ की हैं। इन्हें पंजाब के मध्यकालीन हिन्दी-साहित्य को गुरुमुखी लिपि में लाने का श्रेय प्राप्त है। इन्होंने एम०ए०, पीएच०डी० तथा डी०लिट की उच्च उपाधियाँ प्राप्त की है।
प्रमुख रचनाएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने हिन्दी एवं पंजाबी में छत्तीस ग्रंथों की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-गर्म लोहा (सन् 1982 ई०), पहचान की यात्रा (सन् 1987 ई०), किसी और दिन (सन् 1999 ई०), फिर से फिर (सन् 2011 ई०) आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का पंजाब हिन्दी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी रचनाओं में देशभक्ति की झलक दिखाई देती है। इन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा युवाओं को राष्ट्रभक्ति का सन्देश दिया है। प्रस्तुत निबंध में लेखक ने महान् देशभक्त मदनलाल ढींगरा की देशभक्ति एवं निडरता का परिचय दिया है। भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय मदनलाल ढींगरा को जाता है। लेखक ने इस देशभक्त की सच्ची देशभक्ति एवं साहस का परिचय दिया है। इनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इनके साहित्य में तत्सम, तद्भव, अंग्रेज़ी एवं पंजाबी के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा निबन्ध का सार

मदन लाल ढींगरा प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध निबन्ध है। इसमें लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति साहस एवं निडरता का परिचय दिया है। लेखक ने बताया है कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय इसी सच्चे देशभक्त को जाता है। मदनलाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० में पंजाब के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता साहिब गुरुदित्ता मल गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे। मदनलाल बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे हर बात को तराजू में तोलकर देखते थे। उनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था। उन्हें देशभक्ति के कारण लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने कारखाने की मज़दूरी की। अपने गुज़ारे के लिए रिक्शा तथा टांगा तक भी चलाया। उनके घर में केवल बड़े भाई ही उनकी बात समझते थे। उनके कारण ही वे उच्च शिक्षा के लिए सन् 1906 में इंग्लैंड चले गए। वहां उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। लंदन में वे भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आए। इसके बाद वे अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था के सदस्य बन गए। यहाँ उन्होंने हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। लंदन में श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में भारतीय छात्रों में देशभक्ति की भावना फैलाने के लिए इंडिया हाउस की स्थापना की। उन दिनों खुदीराम बोस तथा कांशीराम जैसे अनेक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दे दिया था। इन घटनाओं ने मदन लाल ढींगरा और सावरकर जैसे देशभक्तिों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफ़रत तथा बदले की भावना ने जन्म दिया।

1 जुलाई, सन् 1909 ई० को भारतीय राष्ट्रीय संस्था के सदस्य वार्षिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए। इसमें कर्ज़न वायली सपरिवार आया। ढींगरा ऐसे लोगों से नफ़रत करते थे। इसी कारण उन्होंने कर्जन वायली को वहीं मार दिया। वे वहाँ से डरकर नहीं भागे बल्कि साहस और निडरतापूर्वक वहीं खड़े रहे। यह अंग्रेजों के लिए पहली चेतावनी थी। ढींगरा ने बंग-भंग आंदोलन के समय भी लंदन में वंदेमातरम के नारे लगाए थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। उन्होंने अपनी हर पुस्तक के ऊपर वंदे मातरम् लिखा था। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 22 जुलाई, सन् 1909 ई० को अभियोग चलाया। उन्होंने अदालत में गर्व से कहा था कि वह अपना जीवन भारत माँ को सौंप रहा है। 12 अगस्त, सन् 1909 ई० को उन्हें पेंटोविले (लंदन) की जेल में फांसी की सज़ा दी गई। आयरिश लोगों ने इनकी हिम्मत को सराहा था। लाला हरदयाल को भी उनकी शहादत पर गर्व हुआ। उन्हें विश्वास था कि मदनलाल ढींगरा की कुर्बानी भारत को आजाद कराएगी। श्रीमति ऐनी बेसेंट ने भी उनकी शहादत की सराहना की थी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ समाचार-पत्र में ढींगरा का जोशभरा भाषण छपा। ब्रिटिश सरकार ने मदन लाल ढींगरा के शरीर को लावारिस समझ कर दफना दिया। फिर सावरकर ने ढींगरा की देह को प्राप्त करने के अनेक प्रयास किए कितु वे सफल नहीं हुए। अनेक वर्षों बाद 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को जब शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत लाई गईं तभी मदनलाल ढींगरा की अस्थियों को भी मातृभूमि का स्नेह मिला।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 नींव की ईंट Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 12 नींव की ईंट

Hindi Guide for Class 9 PSEB नींव की ईंट Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बतायें कि दुनिया क्या देखती है ?
उत्तर:
दुनिया इमारत की चमक-दमक देखती है। उसका ऊपर का आवरण देखती है।

प्रश्न 2.
इमारत का होना न होना किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
इमारत का न होना इमारत की नींव की ईंट तथा उसकी मज़बूती पर निर्भर करता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने नींव की ईंट किसे बताया है ?
उत्तर:
जो ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ती है और इमारत की पहली ईंट बनती है। इसी ईंट पर इमारत की मज़बूती तथा होना न होना निर्भर करता है। लेखक ने इसे ही नींव की ईंट कहा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

प्रश्न 4.
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व क्यों विलीन कर दिया ?
उत्तर:
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया ताकि यह संसार एक सुंदर सृष्टि देख सके।

प्रश्न 5.
ईसा की शहादत ने किस धर्म को अमर बना दिया ?
उत्तर:
ईसा की शहादत ने इसाई धर्म को अमर बना दिया।

प्रश्न 6.
किसकी हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया ?
उत्तर:
महर्षि दधीचि की हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य की प्राप्ति कब होती है ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार जब हम कठोरता और भद्देपन दोनों का सामना करते हैं तब. सत्य की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 8.
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ तथा ‘वृत्रासुर’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?
उत्तर:
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ शब्द शहीदों तथा ‘वृत्रासुर’ विदेशी आक्रमणकारी के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नींव की ईंट और कँगरे की ईंट दोनों क्यों वँदनीय हैं ?
उत्तर:
नींव की ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे गडकर इमारत की पहली ईंट बनती है। इसकी मज़बूती पर ही इमारत निर्भर करती है। कंगूरे की ईंट कट-छंटकर कँगूरे पर चढ़ती है तथा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है इसलिए दोनों ईंटें वंदनीय हैं।

प्रश्न 2.
नींव की ईंट पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा ही शिवम् होता है पर वह सदा सुंदरम् हो यह आवश्यक नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं तथा एक साथ जीते हैं।

प्रश्न 3.
देश को आजाद करवाने में किन लोगों का योगदान रहा ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
देश को आजाद करवाने में अनेक लोगों का योगदान रहा। यह केवल उन लोगों के बलिदान से ही आजाद नहीं हुआ जिनका इतिहास में नाम लिखा है। इसमें उनका भी योगदान है जिन्होंने चुपचाप अपना बलिदान दिया। जो आज़ादी की नींव बने।

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प्रश्न 4.
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ क्यों मची हुई है ?
उत्तर:
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ इसलिए मची हुई है क्योंकि उनमें नींव की ईंट बनने की इच्छा नहीं रही। उनमें देशभक्ति, बलिदान तथा त्याग की कामना खो गई है। वे केवल बाहरी दिखावे के प्रतीक बनना चाहते हैं।

प्रश्न 5.
नये समाज के निर्माण के लिए किस चीज़ की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
नये समाज के निर्माण के लिए नींव की ईंट चीज़ की आवश्यकता है। ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो समाज के नवनिर्माण के लिए अपना बलिदान दें और नींव की ईंट बने।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बताएं कि समाज की आधारशिला क्या होती है ?
उत्तर:
शहादत और मौन-मूक समाज की आधारशिला होती है। जिस शहादत को समाज में ख्याति तथा जिस बलिदान को अधिक प्रसिद्धि मिल जाती है वह समाज की आधारशिला नहीं होती। वह तो केवल इमारत का कँगूरा अथा मंदिर के कलश के समान हो सकती है। वह नींव की ईंट कभी नहीं होती। वास्तव में समाज की आधारशिला वही लोग बनते हैं जो चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर देते हैं और जिन्हें कोई नहीं जानता।

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प्रश्न 2.
आज देश को कैसे नौजवानों की ज़रूरत है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
आज देश को ऐसे नौजवानों की ज़रूरत है जो अपने देश पर चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर दें। जो एक नई प्रेरणा से प्रेरित हों। उनमें एक नई चेतना का भाव हो जिन्हें किसी की शाबाशी की ज़रूरत न हो। जिनमें न तो कंगूरा बनने की इच्छा हों और न कलश कहलाने की इच्छा हो। वे सभी इच्छाओं एवं आशाओं से बिल्कुल दूर हों।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को
मौन-मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि समाज का सुंदर निर्माण होना चाहिए। इसके लिए समाज के कुछ अग्रणी लोगों को चुपचाप बिना किसी प्रसिद्धि से मुक्त होकर अपना बलिदान एवं त्याग करना होगा। इसमें कवि ने चुपचाप बलिदान देने की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 4.
हम जिसे देख नहीं सके, वह सत्य नहीं है, यह है मूढ़
धारणा। ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों
की ओर ध्यान देना ही हमारा काम है, हमारा धर्म है।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि हम जिसको देख नहीं सके वह बिल्कुल सत्य नहीं है- यह एक मूर्ख धारणा है। इसमें सत्य की प्राप्ति नहीं होती। सत्य तो केवल ढूँढ़ने से ही मिलता है। हमें कँगूरे की तरफ नहीं बल्कि इमारत की नींव की ईंटों की तरफ ध्यान देना चाहिए। यही हमारा कर्म है और यही धर्म है।

प्रश्न 5.
उदर के लिए आतुर समाज चिल्ला रहा है
हमारी नींव की ईंट किधर है ?
देश के नौजवानों को यह चुनौती है।
उत्तर:
इसमें लेखक ने नौजवानों में समाज के प्रति कर्त्तव्यहीन भावना की ओर संकेत किया है। आज समाज उन्नति के लिए नौजवानों का इन्तजार कर रहा है किंतु कोई उन्नति एवं उदय की आधारशिला बनने को तैयार नहीं है। देश के नौजवानों के लिए यही बड़ी चुनौती है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – …………… – ……………
प्रचार – …………… – ……………
बेतहाशा – …………… – ……………
प्रसिद्धि – …………… – ……………
अभिभूत – …………… – ……………
अनुप्राणित – …………… – ……………
आकृष्ट – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – प्र – ताप
प्रचार – प्र – चार
बेतहाशा – बे – तहाशा
प्रसिद्धि – प्र – सिद्धि
अभिभूत – अभि – भूत
अनुप्राणित – अनु – प्राणित
आकृष्ट – आ – कृष्ट

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – …………… – ……………
पायदारी – …………… – ……………
विदेशी – …………… – ……………
चमकीली – …………… – ……………
पुख्तापन – …………… – ……………
कारख़ाना – …………… – ……………
सुनहली – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – भद्दा – पन
पायदारी – पाय – दारी
विदेशी – विदेश – ई
चमकीली – चमक – ईली
पुख्तापन – पुख्ता – पन
कारख़ाना – कार – खाना
सुनहली – सुनहल – ई

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3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना – ………………….
शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति – ………………….
सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना – ………………….
खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना – ………………….
फलना-फूलना – सुखी और सम्पन्न होना – ………………….
खपा देना – किसी काम में लग जाना,उपयोग में आना – ………………….
उत्तर:
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना
वाक्य-आज देश के प्रत्येक युवक को नींव की ईंट बनने का संकल्प लेना चाहिए।

शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति
वाक्य-भगत सिंह देश की स्वतंत्रता के लिए शहादत के लाल थे।

सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना
वाक्य – सुभाष चंद्र बोस ने देश की आज़ादी के लिए सेहरा पहन लिया था।

खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना
वाक्य – कर्महीन लोग सदा खाक छानते रहते हैं।

फलना – फूलना-सुखी और सम्पन्न होना
वाक्य – यदि फलना-फूलना चाहते हो तो परिश्रम किया करो।

खपा देना – किसी काम में लग जाना, उपयोग में आना
वाक्य – विद्यार्थी को पढ़ाई-लिखाई में स्वयं को खपा देना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

4. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए

(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ
(ii) हाँ शहादत और मौन मूक समाज की आधारशिला यही होती है
(ii) अफसोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा होड़ी मची है नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है
उत्तर:
(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम, “आइए, अब नींव के गीत गाएँ।”
(ii) हाँ, शहादत और मौन मूक ! समाज की आधारशिला यही होती है।
(iii) अफसोस ! कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है ?

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप नींव की ईंट या कँगूरे की ईंट में से कौन-सी ईंट बनना चाहेंगे और क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं नींव की ईंट और कँगूरे की ईंट में से नींव की ईंट बनना चाहूँगा। मैं नींव की ईंट इसलिए बनना चाहूँगा क्योंकि नींव की ईंट ही समाज की आधारशिला होती है। इस पर ही समाज की इमारत खड़ी होती है। यही इमारत का आधार होती है। इसके हिलने मात्र से ही पूरी इमारत नीचे ढह सकती है। नींव की ईंट बनना
अपने आप में गर्व का विषय है। यही धन्य है।

प्रश्न 2.
लेखक इस पाठ में नींव की ईंट के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
लेखक इस पाठ के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि व्यक्ति को अपने समाज तथा देश की तरक्की और कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत की कंगूरा अथवा मंदिर का कलश नहीं बल्कि नींव की ईंट बनने की इच्छा करनी चाहिए। युवाओं को नि:स्वार्थ भाव से अपने देश पर अपना त्याग एवं बलिदान कर देना चाहिए। कभी भी प्रसिद्धि एवं तरक्की की कामना नहीं रखनी चाहिए।

प्रश्न 3.
आपकी नज़र में ऐसा कौन-सा व्यक्तित्व है जिसने देश और जमा के उत्थान में नींव की ईंट के समान कार्य किया है उसके योगदान को बताते हुए अपनी बात स्पष्ट करें।
उत्तर:
हमारी नज़र में सुभाष चन्द्र बोस एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने देश पर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने आज़ादी के लिए महान् योगदान दिया। उन्होंने विदेश में जाकर ‘आज़ाद हिंद फौज’ बनाई तथा भारत के युवाओं को देश पर मर-मिटने तथा आजादी पर कुर्बान होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने स्कूल/आस-पड़ोस कहीं भी यदि किसी नयी इमारत का निर्माण हो रहा हो तो वहाँ जाकर कारीगर से जानकारी प्राप्त करें कि इमारत की नींव रखने के लिए किस प्रकार जमीन की खुदाई की जाती है और कैसे उस खुदी हुई जमीन पर सुंदर और विशाल इमारत खड़ी करने से पूर्व नींव की ईंटें रखी जाती हैं।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘हमारे देश की नींव’ शीर्षक के अन्तर्गत कुछ ऐसे देशभक्तों और महापुरुषों के नाम एक चार्ट पर लिखकर स्कूल/कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

दधीचि : एक प्रसिद्ध ऋषि जिसने अपने शरीर की हड्डियाँ देवताओं को अर्पित कर दी थीं और स्वयं मरने को तैयार हो गया था। इन हड्डियों से देवताओं के शिल्पी-विश्वकर्मा ने एक वज्र का निर्माण किया था। वृत्रासुर : एक राक्षस। ऋषि दधीचि की हड्डियों से निर्मित वज्र से इन्द्र ने वृत्रासुर और अन्य राक्षसों को मार गिराया था।
सफलता की नींव : हम लोग किसी सफल व्यक्ति की सफलता से प्रभावित होते हैं, उससे प्रेरणा लेते हैं किंतु सफल व्यक्ति की सफलता की नींव को जानने का प्रयास कितने लोग करते हैं ? दरअसल सफल व्यक्ति की कामयाबी की कहानी में त्याग, निष्ठा, मेहनत, अनुशासन, समर्पण और यहाँ तक कि अनेक असफलताएँ भी छिपी होती हैं। यही सब कुछ उनकी आज की सफलता की नींव बनती हैं।

PSEB 9th Class Hindi Guide नींव की ईंट Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को क्या प्रेरणा दी है ?
उत्तर:
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 2.
हमें सदा किस कार्य के लिए तैयार रहना चाहिए ?
उत्तर:
हमें सदा अपने देश और समाज के कल्याण एवं तरक्की के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
आज देश को कैसे नवयुवकों की आवश्यकता है ?
उत्तर:
आज देश को ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए अपना कर्म करें।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर सत्य, शिवं तथा सुंदरम् को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा शिव होता है। किंतु सदा सुंदरम् हो यह जरूरी नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ उत्पन्न होते हैं। हम कठोरता एवं भद्देपन से सदा भागते रहते हैं। इसलिए सत्य से भी भागते हैं।

प्रश्न 2.
कौन-सी ईंट सबसे धन्य होता है ? क्यों ?
उत्तर:
नींद की ईंट सबसे धन्य होती है क्योंकि वह ज़मीन के सात हाथ नीचे गढ़ती है। वही इमारत की पहली ईंट बनती है। वही इमारत की आधारशीला होती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ निबंध का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नींव की ईंट श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। बड़े दुःख की बात है कि आज लोग भवन की नींव या ईंट नहीं बनाना चाहते अपितु वे कंगूरा बनना चाहते हैं। सभी में कँगूरे को पाने की होड़ मची है। उन्हें यह नहीं पता कि कँगूरा नींव की ईंट पर ही खड़ा होता है। ईंट हिलाने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाएगा। अतः नवयुवकों को प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए।

प्रश्न 2.
इस पाठ के माध्यम से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए। अपने देश पर नि:स्वार्थ त्याग और बलिदान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत का कँगूरा ही नहीं बल्कि नींव की ईंट बननी चाहिए। अपने देश पर चुपचाप कुर्बान हो जाना ही श्रेष्ठ है। हमारे अंदर एक नई प्रेरणा तथा चेतना होनी चाहिए।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 2.
दुनिया क्या देखना पसंद करती हैं ?
उत्तर:
बाहरी चमक-दमक।

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प्रश्न 3.
इमारत की पायदारी किस पर मुनहसिर होती है ?
उत्तर:
नींव की ईंट पर।

प्रश्न 4.
समाज की आधारशिला क्या है ?
उत्तर:
मौन-मूक शहादत।

प्रश्न 5.
मूढ़ धारणा क्या है ?
उत्तर:
जिस सत्य को हम देख नहीं सके, यह मूढ़ धारणा है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त नहीं हो रही।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बना दिया।
उत्तर:
सही।

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प्रश्न 9.
वह ईंट धन्य नहीं है जो कट-छंट कर कँगूरे पर चढ़ती है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
हम ……. से भागते हैं, ……. से मुख मोड़ते हैं।
उत्तर:
हम कठोरता से भागते हैं, भद्देपन से मुख मोड़ते हैं।

प्रश्न 11.
जिनकी ……. के दान ने ही विदेशी ……. का नाश किया।
उत्तर:
जिनकी हड्डियों के दान ने ही विदेशी वृत्रासुर का नाश किया।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें.

प्रश्न 12.
ठोस सत्य सदा ही क्या होता है…
(क) शिवम्
(ख) सुखद
(ग) शुभम्
(घ) सरल।
उत्तर:
(क) शिवम्।

प्रश्न 13.
लोक-लोचनों को अपनी ओर किसकी ईंट आकर्षित करती है ?
(क) नींव की
(ख) खम्बे की
(ग) कोर्निस की
(घ) कँगूरे की।
उत्तर:
(घ) कँगूरे की।

प्रश्न 14.
वृत्रासुर के नाश के लिए किसने अपनी हड्डियों का दान दिया ?
(क) विश्वामित्र
(खे) दधीचि
(ग) अत्री
(घ) कश्यप।
उत्तर:
(ख) दधीचि।

प्रश्न 15.
कितने लाख गाँवों के नव-निर्माण की बात लेखक ने की है ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर:
(ग) सात।

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कठिन शब्दों के अर्थ

चमकीली = चमकदार। आवरण = पर्दा। भद्दा = बदसूरत। सुघड़ = सुडौल। पायदारी = मजबूत। आकृष्ट = आकर्षित। शिवम् = कल्याणकारी। अंधकूप = अंधा कुआँ। विलीन = अदृश्य। कँगूरा = चोटी, शिखर, बुर्ज। अस्तित्व = हस्ती। शुहरत = प्रसिद्धि । शहादत = बलिदान। उत्सर्ग = बलिदान । मूढ़ = मूर्ख। आधारशिला = नींव का पत्थर। लुप्त = गायब। वासना = इच्छा, आतुर = व्याकुल, उतावला, अनुप्राणित = प्रेरित। होड़ा-होड़ी = प्रतिस्पर्धा। एक-दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास।

नींव की ईंट Summary

नींव की ईंट जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी गद्य-साहित्य में अद्भुत योगदान है। इनका जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इनके माँ-बाप की मृत्यु हो गई थी। इन्होंने अनेक कष्ट सहकर दसवीं तक की पढ़ाई की। सन् 1920 ई० में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित 7 सितंबर, सन् 1968 ई० को मृत्यु हो गई।

रचनाएं-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं
(i) कहानी-चिता के फल
(ii) उपन्यास-पतितों के देश में
(iii) नाटक-आम्रपाली
(v) जंजीरें और दीवारें-रेखाचित्र।

साहित्यिक विशेषताएँ- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उनका गद्य-साहित्य बहुत श्रेष्ठ है। इनके निबंधों में देशभक्ति की भावना का अनूठा वर्णन हुआ है। इन्होंने देश के युवाओं को देश एवं समाज पर बलिदान एवं त्याग करने के लिए प्रेरित किया है। इन्होंने समाज में फैली बुराइयों का सच्चा वर्णन किया है। इनकी भाषा सहज, सरल एवं स्वाभाविक है जिसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में निखार आ गया है।

निबंध का सार

‘नींव की ईंट’ लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का अत्यंत रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक ने मनुष्य को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है। प्रत्येक मनुष्य को अपने देश तथा समाज के कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। लेखक को इस बात का दुःख है कि आजकल हर आदमी भवन के कँगूरे की तरह बनना चाहता है। उसकी नींव की ईंट कोई बनना नहीं चाहता। लेखक चमकीली सुंदर एवं मज़बूत इमारत की नींव को ध्यान देने को कहता है। उसे दुःख है कि आज दुनिया केवल चमक-दमक देखती है किंतु उसके नीचे ठोस सत्य को कोई नहीं देखता। ठोस सत्य सदा शिवम् होता है किंतु वह सदा सुंदर हो यह जरूरी नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं। लोग सदा कठोरता से भागते हैं। भद्देपन से मुँह मोड़ते हैं इसलिए वे सत्य से दूर जाते हैं।
कँगूरे पर चढ़ने वाली ईंट धन्य है जो लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करती है किंतु इमारत की नींव की ईंट धन्य होती है जिसके ऊपर इमारत खड़ी होती है। इस ईंट के हिलने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाता है इसलिए हमें कँगूरे की ईंट को नहीं बल्कि नींव की ईंट के गीत गाने चाहिए। यह ईंट इमारत की शोभा बढ़ाने के लिए सदा ज़मीन के अंदर दबी रहती है और अपना त्याग एवं बलिदान करती है। इसी प्रकार जो समाज के लिए अपना बलिदान देते हैं वही समाज का आधार होते हैं। ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बनाया। वास्तव में ईसाई धर्म को अमर तो उन अनाम लोगों ने बनाया जिन्होंने इसका प्रचार करने में चुपचाप अपना बलिदान किया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….

Hindi Guide for Class 9 PSEB वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग क्यों घटने लगी है ?
उत्तर:
मोबाइल फ़ोन में अलार्म उपलब्ध रहने के कारण बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग घटने लगी है।

प्रश्न 2.
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में कौन-सी घड़ी मिली थी ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में अलार्म घड़ी मिली थी।

प्रश्न 3.
लेखक को कविताओं में डूबे रहना कैसे लगता था ?
उत्तर:
लेखक को कविताओं में डूबे रहना स्वर्ग में जीने जैसा लगता था।

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प्रश्न 4.
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी किसकी तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी ?
उत्तर:
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी सुमित्रानंदन पंत की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी।

प्रश्न 5.
लेखक अपनी कौन-सी दुनिया में खोया रहता था कि चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था ?
उत्तर:
लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया रहता था इसी कारण वह चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था।

प्रश्न 6.
लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी कौन थी ?
उत्तर:
‘लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी चिड़िया थी।

प्रश्न 7.
चिड़िया ने लेखक को कौन-सा रत्न दिया था ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक को ‘ऊषा सुंदरी’ रूपी रत्न दिया था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पहले किन-किन अवसरों पर घड़ी देने की परंपरा थी ?
उत्तर:
पहले कलाई पर बाँधने के लिए अथवा पहनने के लिए घड़ी एक उपहार हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी उपहार के रूप में दी जाती थी। कॉलेज में दाखिल होने पर बच्चों को घड़ी दिलवाई जाती थी। शादी में दूल्हे को ससुराल वाले घड़ी अवश्य ही देते थे। कई सरकारी विभागों में सेवा-निवृत्ति पर भी घड़ी देने की परंपरा थी।

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प्रश्न 2.
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब उनके पिता जी क्या कहा करते थे ?
उत्तर:
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब लेखक के पिता जी उससे कहा करते थे कि तुम्हें सुबह जितने बजे भी उठना हो, तुम अपने तकिये से यह कह कर सो जाओ कि मुझे सुबह जल्दी उठा देना। इतना कहने के बाद तुम्हारी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करेगी। लेखक द्वारा तकिये से कहने पर उसकी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करती थी।

प्रश्न 3.
शाम को चिड़िया लेखक के कमरे में कैसे पधार जाती थी ?
उत्तर:
लेखक दिनभर दफ्तर में काम करने के बाद शाम को पढ़ने-लिखने के लिए अपने कमरे का दरवाज़ा खोल कर बैठ जाता था। वह लिखते-पढ़ते समय अपनी किताबों की दुनिया में इतना खोया हुआ होता था कि कमरे में और क्या हो रहा है उसे पता ही नहीं चलता। चिड़िया लेखक के कमरे का दरवाज़ा खुला होने के कारण तथा उसके किताबों में रमे होने के कारण कमरे में पधार जाती थी।

प्रश्न 4.
रोज़ सुबह-सुबह चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती क्यों थी ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक के कमरे की दीवार पर टंगे सुमित्रानंदन पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना रखा था। वह प्रतिदिन शाम को दरवाज़े के अंदर से आकर अपने घोंसले में बैठ जाया करती। लेखक देर रात तक पढ़ता और लिखता रहता था। इसी कारण वह सुबह देर से उठता था। चिड़िया को सुबह कमरे के बाहर जाना होता था, इसलिए चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती थी कि लेखक कमरे का दरवाज़ा खोल दे और वह बाहर चली जाए।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से क्यों की है ?
उत्तर:
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से इसलिए की है क्योंकि लेखक के बचपन में उसकी माँ चिड़िया की ही भाँति बड़े ही प्यार से जगाती थी। जब लेखक देर तक सोया रहता था तब उसकी माँ चिड़िया की भाँति ही बड़ी ही झुंझलाहट से लेखक को जगा दिया करती थी। आज लेखक को चिड़िया द्वारा स्वयं को जगाना माँ की तरह जगाना लग रहा था। इसलिए लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से की है।

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3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक ने मनुष्य की आदत में आने वाले बदलाव का संदेश दिया है। लेखक का मानना है कि मानव की आदत कभी नहीं बदलती। किंतु कभी-कभी कुछ ऐसे कारण भी बन जाते हैं जिनके कारण व्यक्ति को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है। यह बदलाव व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा बदल देता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाला यह बदलाव अमूक-चूक परिवर्तन लाता है। कहानी में लेखक ने सवेरे के समय को सोते हुए बिताना बेकार बताया है। लेखक का मानना है कि सुबह-सवेरे का समय एक स्वर्णिम आभा का समय होता है जो व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार करता है।

प्रश्न 2.
चिड़िया द्वारा लेखक को जगाए जाने के प्रयास को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
चिड़िया प्रतिदिन शाम को लेखक के कमरे में बने अपने घोंसले में आकर आराम करती थी। वह सुबह जल्दी उठकर बाहर जाना चाहती थी। किंतु लेखक सुबह के समय सोया हुआ होता था, तब चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर एक अलग प्रकार की झुंझलाहट से भरी चीं-ची, चीं-चीं किया करती थी ताकि लेखक अपनी नींद से उठ जाए। वह बार-बार पलंग के सिरहाने आकर फुदकती और अपनी तेज़ आवाज़ से सारे कमरे को गुंजायमान कर देती थी। कई बार चिड़िया लेखक की रज़ाई का कोना अपनी चोंच से पकड़ कर खींचने लगती थी। वह लेखक के सीने पर पड़ी रजाई के ऊपर बैठकर लेखक को अपनी चहचहाहट से जगाने का प्रयास करती थी।

प्रश्न 3.
लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार क्यों मानता है ?
उत्तर:
लेखक वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार इसलिए मानता है क्योंकि चिड़िया ने एक माँ की भाँति उसे प्यार दिया। माँ की भाँति गीत-संगीत अपनी चहचहाहट में सुनाया। लेखक की सुबह देर तक सोने की आदत को भी एक माँ की भांति अपनी चहचहाहट रूपी डाँट से दूर किया। लेखक को सुबह जल्दी उठना सिखाया। लेखक को समय के महत्त्व तथा सवेरे की स्वर्णिम आभा का अवलोकन कराया। सुबह की शीतलता तथा प्रकाश से लेखक को अवगत कराया। अपने मधुर संगीत तथा मूल्यवान समय का ज्ञान कराया। इसी कारण लेखक सुबह जल्दी उठना सीख गया। सुबह-सवेरे का आनंद, जो वह बचपन से खोता आ रहा था, अब वह पाने लगा था। इसलिए लेखक अपने जीवन में आए बदलाव को वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार मानता है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए

एकवचन – बहुवचन
घोंसला – ……………….
कमरा – ……………….
दरवाज़ा – ……………….
बच्चा – ……………….
दूल्हा – ……………….
चिड़िया – ……………….
डिबिया – ……………….
घड़ी – ……………….
खिड़की – ……………….
छुट्टी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
घोंसला – घोंसले
कमरा – कमरे
दरवाज़ा – दरवाजे
बच्चा – बच्चे
दूल्हा – दूल्हे
चिड़िया – चिड़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
घड़ी – घड़ियाँ
खिड़की – खिड़कियाँ
छुट्टी – छुट्टियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – ………………. – ……………….
उपस्थित – ………………. – ……………….
उपलब्ध – ………………. – ……………….
उपकार – ………………. – ……………….
अभिभूत – ………………. – ……………….
सुमंगल – ………………. – ……………….
अनुभूति – ………………. – ……………….
बेख़बर – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – उप – हार
उपस्थित – उप – स्थित
उपलब्ध – उप – लब्ध
उपकार – उप – कार
अभिभूत – अभि – भूत
सुमंगल – सु – मंगल
अनुभूति – अनु – भूति
बेख़बर – बे – खबर

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – ………………. – ……………….
झुंझलाहट – ………………. – ……………….
रोशनदान – ………………. – ……………….
कृतज्ञता – ………………. – ……………….
सघनता – ………………. – ……………….
मानवीय – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – चहचह – आहट
झुंझलाहट – झुंझला – आहट
रोशनदान – रोशन – दान
कृतज्ञता – कृतज्ञ – ता
सघनता – सघन – ता
मानवीय – मानव – ईय

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4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
रात्रि – ……………….
आश्रय – ……………….
कृपा – ……………….
गृह – ……………….
सूर्य – ……………….
सच – ……………….
नींद – ……………….
मोती – ……………….
चिड़िया – ……………….
माँ – ……………….
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
रात्रि – रात
आश्रय – आसरा
कृपा – किरपा
गृह – घर
सूर्य – सूरज
सच – सत्य
नींद – निद्रा
मोती – मुक्ता
चिड़िया – खग
माँ – मातृ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आपके घर में भी किसी चिड़िया ने घोंसला बनाया है तो उसके क्रियाकलाप को ध्यान से देखिए और अपना अनुभव लिखिए।
उत्तर:
हाँ, मेरे घर में भी एक मादा पक्षी ने अपना घोंसला बनाया हुआ है। वह देखने में बहुत सुंदर है। देर शाम को वह अपने घोंसले में आ जाती है। सुबह सूर्य की प्रथम किरण के साथ वह उठ जाती है। उसकी ची-चीं की ध्वनि पूरे घर में गूंजने लगती है। वह पंखों को फड़फड़ाते हुए इधर से उधर, उधर से इधर चक्कर काटने लगती है। उसका घोंसला घास के तिनकों से बना है। घोंसले में उसके दो बच्चे भी हैं। उनके लिए वह दाना चुग कर लाती है और बच्चों की चोंच में चोंच मिलाकर उन्हें खिलाती है। बच्चों के साथ उसका चोंच लड़ाना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।

प्रश्न 2.
यदि किसी पशु-पक्षी के कारण आपके जीवन में भी परिवर्तन आया है तो वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक बार मैं अपनी गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव सोनपुर गया हुआ था। हमारे घर के पास एक आम का बाग था। बाग में बहुत से आम के पेड़ थे। उन पेड़ों पर बहुत-से पक्षियों ने अपने घोंसले बना रखे थे। एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ बाग में गुलेल लेकर घूमने गया था। वहाँ मैंने एक वृक्ष पर एक गौरैया पक्षी को बैठा देखा। तभी मैंने एक निशाना लगाकर उस गैरैया पक्षी को मार गिराया। वह पक्षी तड़पता हुआ नीचे धरती पर आ गिरा। गैरैया पक्षी का दर्द मुझसे देखा नहीं गया। मैंने उसे उठाकर उसका उपचार किया। तब से मेरे मन में पक्षियों के प्रति प्रेम उत्पन्न हो गया है। उसके बाद से मैं दूरबीन लेकर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की खोज करता रहता हूं।

प्रश्न 3.
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त आप और क्या नाम देंगे और क्यों ?
उत्तर:
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त ‘स्वर-कोकिला’ नाम दे सकते हैं, क्योंकि चिड़िया का स्वर कौए की भाँति कर्कश न होकर कोयल की भाँति मीठा और सरस लगता है। उसकी ची-ची में अपनापन-सा झलकता है। उसकी चहचहाहट माँ की डांट और प्यार के समान लगती है तथा उस चहचहाहट में संगीत के सभी सुरों का आनंद एक साथ सुनाई देता है। इसलिए चिड़िया को ‘स्वर कोकिला’ नाम देना उचित ही जान पड़ता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रातःकाल में प्रकृति को ध्यानपूर्वक निहारिए और कक्षा में सभी को अपना अनुभव बताइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के पक्षियों की आवाज़ों, उनके स्वभाव और उनके घोंसले के बारे में सामग्री जुटाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ पढ़िए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
कहानी पढ़कर आपके सामने चिड़िया का जो चित्र उभरता है, उस चित्र को बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
चिड़िया और प्रातःकालीन सौंदर्य पर कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री है। हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ की छायावादी कविता में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। छायावाद की प्रायः रहस्यवादी, प्रकृति-चित्रण, काव्य-वेदना आदि सभी विशेषताएँ इनके काव्य में मिलती हैं। कवयित्री के साथ-साथ ये उत्कृष्ट लेखिका के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘काव्य-संग्रह’ तथा ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के राही’, ‘मेरा परिवार’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

पंत : पंत जी का पूरा नाम ‘सुमित्रानंदन पंत’ है। इन्हें प्रकृति के रंग-भीने वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित व प्रेरित किया। इनकी कविताओं में प्रकृति की अनुपम छटा के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार (कोमल) कवि कहा जाता है। ‘उच्छ्वास’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘चिदम्बरा’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

निराला : निराला जी का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। हिन्दी-साहित्य में छायावादी काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रसाद के बाद दूसरे कवि हैं। छायावादी कविता में वेदना का जो चित्रण व्यापक परिवेश में हुआ है, वह इनकी कविताओं में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त रहस्यवाद तथा प्रकृति चित्रण भी इनके काव्य की विशेषता है।

तुलसीदास : भक्तिकालीन हिंदी-साहित्य में रामभक्त कवियों में तुलसीदास का स्थान सब से ऊपर है। यद्यपि इनके अतिरिक्त कई अन्य कवियों ने भी राम काव्य से सम्बन्धित रचनाएँ लिखीं किंतु तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ जैसी अभूतपूर्व सफलता किसी को नहीं मिली। इन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम कथा को घर-घर तक पहुँचाने का अनुपम कार्य किया।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 7 मई, सन् 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था। वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान-जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान-आमार सोनार बाँग्ला । इन्हें ‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त, सन् 1941 को इनका निधन हो गया।
लोकोक्तियों में पक्षी

  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
  • खग ही जाने खग ही की भाषा।
  • घर की मुर्गी दाल बराबर।
  • कौआ चला हंस की चाल।
  • जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?
  • आधा तीतर, आधा बटेर।
  • झूठ बोले कौआ काटे।
  • अंधे के हाथ लगा. बटेर।
  • आधा बगुला आधा बटेर।

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PSEB 9th Class Hindi Guide वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
सेवानिवृत्ति के स्थान पर लेखक व्यक्ति को घड़ी देने की बात कब करता है ?
उत्तर:
घड़ी मानव को उसका जीवन समय पर चलाने का काम करती है। मानव जीवन में समय की उपयोगिता समझाती है। हर काम को समय पर करने की बात बताती है। इसलिए लेखक कहता था कि सेवानिवृत्ति के बजाय नौकरी लगने पर विभाग द्वारा पहले ही कर्मचारी को एक घड़ी भेंट में दी जानी चाहिए ताकि वह समय पर अपने काम तथा दफ्तर में उपस्थित हो जाया करे।

प्रश्न 2.
“वहं चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….” कहानी में लेखक ने मानवीय मन की संवेदना का खेल किसे कहा है ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता में मिली अलार्म घड़ी की ध्वनि अत्यधिक प्रिय थी। उस ध्वनि का नशा और स्वाद अब महंगे-से-महंगे मोबाइल फ़ोन से भी नहीं मिलता। संवेदना का स्तर जीवन में सदा एक जैसा नहीं रहता। यह परिवर्तित होता रहता है। कभी इसकी सघनता कम हो जाती है तो कभी बढ़ जाती है। सघनता घट जाने पर बड़ी-बड़ी बातें पहले जैसा स्वाद एवं रस नहीं देती। मानव-मन में होने वाला यह परिवर्तन मानवीय-मन की संवेदना का खेल है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
गोबिन्द कुमार गुंजन की।

प्रश्न 2.
अब किसमें अलार्म की सुविधा है ?
उत्तर:
मोबाइल फोन में।

प्रश्न 3.
पहले दूल्हे को ससुराल पक्ष वाले शादी में क्या अवश्य देते थे ?
उत्तर:
घड़ी।

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प्रश्न 4.
लेखक को पहली बार कलाई घड़ी कब मिली थी ?
उत्तर:
कॉलेज में प्रवेश लेने पर।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया को अलार्म घड़ी क्यों कहा है ?
उत्तर:
चिड़िया अपनी चहचहाहट से उसे जगाती थी।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मुझे सुबह-सुबह उठकर पढ़ना रास नहीं आता था।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
मेरे कमरे में सिर्फ एक दरवाजा, एक खिड़की और एक रोशनदान था।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
पड़ोसी कृपा करके दरवाजा खटखटाते तो नींद खुलती।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
पलंग के सिरहाने बैठी वह चिड़िया मुझे प्यार से देख रही थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उस सुबह ……. खुलने पर …….. ही लगा, जैसे किसी ने ……. का गीत गाया हो।
उत्तर:
उस सुबह पलकें खुलने पर ऐसा ही लगा, जैसे किसी ने जागृति का गीत गाया हो।

प्रश्न 11.
मैं उस …… चिड़िया के उस ………… को बहुत …… से महसूस करता हूँ।
उत्तर:
मैं उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता हूँ।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
लेखक की नई-नई नौकरी किस दशक में लगी थी
(क) साठवें
(ख) पचासवें
(ग) अस्सीवें
(घ) नब्बेवें।
उत्तर:
(ग) अस्सीवें।

प्रश्न 13.
लेखक को पहली अलार्म घड़ी कहाँ से मिली थी ?
(क) कॉलेज से
(ख) पिता से
(ग) दफ्तर से
(घ) मित्र से।
उत्तर:
(क) कॉलेज से।

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प्रश्न 14.
किस वृत्ति के कारण लेखक का सुबह जल्दी उठना मुश्किल हो जाता ?
(क) यायावरी
(ख) लेखकीय
(ग) निशाचरी
(घ) भ्रमरी।
उत्तर:
(ग) निशाचरी।

प्रश्न 15.
दरवाज़ा खुलवाने के लिए चिड़िया किसके सिरहाने बैठकर चहचहाती थी ?
(क) पलंग
(ख) कुर्सी
(ग) मेज़
(घ) कार्निस।
उत्तर:
(क) पलंग।

कठिन शब्दों के अर्थ

सिरहाने = सिर के पास। ख्याल = विचार। अव्यवस्थित = बिगड़ जाना, बिना किसी व्यवस्था के, ऊबड़-खाबड़। बेख़बर = जिसे कुछ न पता हो। [जाना = किसी आवाज़ से शोर करना। सुहाता = अच्छा लगना। वाणी = आवाज़। स्पर्श = छूना। सहसा = अचानक। उषा = सुबह। सरिता = नदी। गृह = घर। भोर = प्रात:काल। उपहार = भेंट। सेवा-निवृत्ति = रिटायरमेंट, कार्यकाल समाप्त होना। उपस्थित = हाज़िर। संवेदना = अनुभूति। कौतूहल = उत्सुकता। निशाचरी = रात को जागने वाली, राक्षसी। व्यसन = बुरी आदत। व्यवधान = बाधा। अभिनंदन = स्वागत। सृष्टि = संसार। व्यर्थ = बेकार। स्पंदन = कंपन, हिलना। नभचारिणी = आकाश में घूमने वाली। सौरभ = खुशबू। स्वर्णिम = सोने जैसी। अभिभूत = प्रभावित किया हुआ। शय्या = बिस्तर। अप्रतिम = अनोखा। वात्सल्य = प्यार। अवतरित = उतरती हुई। कृतज्ञता = अहसान। स्मृति = याद।

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Summary

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। उनका जन्म 28 अगस्त, सन् 1956 ई० में मध्य प्रदेश प्रांत के सनवाद में हुआ था। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० की परीक्षा पास की। इनकी साहित्य-प्रतिभा तथा साहित्य-साधना को देखते हुए सन् 1994 में प्रथम समानांतर नवगीत अलंकार, सन् 2002 में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी निबंध हेतु इन्हें सन् 2002 में निर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 2007 में इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार देकर अलंकृत किया गया। रचनाएँ-रुका हुआ संवाद (कविता संग्रह), समकालीन हिन्दी गजलें (सहयोगी प्रकाशन), कपास के फूल, सभ्यता की तितली, पंखों पर आकाश, ज्वाला भी जलधारा भी।
साहित्यिक विशेषताएँ-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक संवेदना से ओत-प्रोत साहित्यकार हैं। गुंजन जी के लेखन की महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के मध्य उनकी भिन्न-भिन्न रचनाएँ लोकप्रिय हैं। मानवता उनके साहित्य की प्राण तत्व हैं। गुंजन जी के साहित्य में आधुनिक युग की विसंगतियों, समस्याओं, मूल्यहीनता आदि का सुन्दर चित्रण हुआ है। अनेक स्थलों पर इनका साहित्य अत्यन्त मार्मिक बन पड़ा है। ‘गुंजन’ जी श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ ललित निबन्धकार हैं। कहानी लेखन में गुंजन जी पूर्णतः सिद्धहस्त हैं।
भाषा-शैली-‘गुंजन’ जी एक श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ श्रेष्ठ गद्यकार भी हैं। उनके गद्य लेखन में सहजता और आत्मीयता है। वे बड़ी-से-बड़ी बात को भी बातचीत की शैली में कहते हैं और सीधे पाठकों के मन को छ लेते हैं। लेखक ने मुख्यतः खड़ी बोली भाषा का सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है।

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वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. कहानी का सार

“वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…….” गोविंद कुमार गुंजन द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से मनुष्य की आदत पर प्रकाश डालना चाहा है। लेखक ने कहानी में बताया है कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती किंतु कभी-कभी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जिनके कारण मानव को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है।
बाज़ार में पहले अलार्म घड़ियाँ खूब बिका करती थीं। वर्तमान समय में मोबाइल फ़ोन में अलार्म रहने के कारण इनकी माँग लगातार कम होती जा रही है। पुराने समय में अलार्म घड़ी का अपना विशेष महत्त्व हुआ करता था। बच्चों की परीक्षा के समय अलार्म घड़ी उन्हें सुबह-सवेरे उठाने का काम करती थी। सुबह किसी यात्रा में जाना होता था तो अलार्म घड़ी सुबह जल्दी उठाने का काम करती थी। जिस प्रकार आज सभी के पास मोबाइल फ़ोन हैं, उसी प्रकार पहले सभी के पास अलार्म घड़ियाँ नहीं हुआ करती थीं। घड़ी उपहार में देने की वस्तु हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी दी जाती थी। कॉलेज में प्रवेश लेने पर तथा ससुराल पक्ष वालों की तरफ से घड़ी अवश्य दी जाती थी। कई सरकारी विभागों में भी सेवा-निवृत्ति पर घड़ी देने की परंपरा थी। लेखक को पहली बार हाथ घड़ी उस समय मिली थी, जब उसने कॉलेज में प्रवेश लिया था। उसे पहली अलार्म घड़ी भी कॉलेज में एक बिनंध प्रतियोगिता में भाग लेने पर मिली थी।

लेखक को उस अलार्म घड़ी की आवाज़ अत्यंत मनमोहक लगती थी। आज महँगे-महँगे मोबाइल फ़ोन की आवाज़ उसे पहले के समान मधुर नहीं लगती। लेखक के बचपन में जब उसके पास घड़ी नहीं थी तो उसके पिता जी उससे कहा करते थे कि यदि तुम्हें सुबह जल्दी उठना हो तो अपने तकिए से कह दिया करो वह तुम्हें जल्दी उठा दिया करेगा। लेखक पिता द्वारा दी सीख का पालन करता था और तकिया उसे सुबह जल्दी उठा देता था। लेखक को सुबह जल्दी उठना पसंद नहीं था। वह देर रात तक पढ़ता था और सुबह देर से उठता था। उसने सुबह की सुंदरता का अनुभव कविताओं में किया था। आज दशकों बाद भी लेखक के पास वह अलार्म घड़ी है। अब घड़ी ठीक होने योग्य नहीं बची। लेखक भी अपनी आदत में कहाँ सुधार कर पाया। अस्सी के दशक में पहली बार लेखक की नौकरी लगी थी। पहली बार लेखक घर से बाहर आया था। उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। कमरे में उसने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा तुलसी दास जी की तस्वीरें फ्रेम करवा कर टाँगी हुई थीं। रात में देर तक जागकर कविता लिखना लेखक को स्वर्ग में जीना लगता था। रात में देर तक जागने के कारण उसे सुबह जल्दी उठना अत्यंत कठिन होने लगा था। वह अक्सर देर से दफ्तर पहुँचता था। लेखक ने जो कमरा किराए पर लिया था उसमें मात्र एक दरवाज़ा था। कमरे में हवा आने-जाने का दरवाज़े के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा रास्ता न था। पहले की तरह तकिया – अब लेखक की बात नहीं सुनता था।

लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया इतना बेख़बर था कि एक चिड़िया ने कब उसके कमरें में टंगी पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना लिया उसे पता ही नहीं चला। देर शाम को चिड़िया दरवाज़ा खुला पाकर कमरे में आ जाया करती थी। एक सुबह चिड़िया लेखक के सिरहाने बैठ कर चीं-चीं की ध्वनि कर उसे उठाने का प्रयास कर रही थी। उसकी ध्वनि में लेखक को गुस्सा नज़र आ रहा था। वह चाहती थी कि लेखक उठकर दरवाज़ा खोले और वह बाहर जाए। दूसरे दिन लेखक की नींद फिर देर से खुली। इस बार फिर चिड़ियाँ की झुंझलाहट भरी चहचहाहट ने उसे जगा दिया। पलंग के सिरहाने बैठी चिड़िया उसे देखकर नाराज़ हो रही थी कि वह अभी तक क्यों सोया है ? तब चिड़िया ने अपनी चोंच से लेखक की रज़ाई का एक कोना पकड़ उसे उठाने का प्रयास किया। ऐसा करने से चिड़िया को तनिक भी डर नहीं लग रह था। चिड़िया द्वारा इस प्रकार से जगाने पर लेखक को अपनी माँ की याद आ जाती थी। उसकी माँ भी इसी प्रकार सुबह-सवेरे जल्दी उठाती थी। अब लेखक ने वास्तव में सुबह सवेरे का सुंदर दृश्य अपनी आँखों से महसूस किया। उसने अब चिड़िया के साथ जल्दी उठना सीख लिया था। आज भी लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता जिसने उसे सुबह की मनोरम तथा मनमोहक छवि के दर्शन कराए और उपहार में ओस के मोती तथा नए खिलने वाले फूल दिखाए।