PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 4 परमाणु की संरचना

PSEB 9th Class Science Guide परमाणु की संरचना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 1

प्रश्न 2.
जे० जे० टॉमसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएं हैं ?
उत्तर-
टॉमसन परमाणु मॉडल की सीमाएं – जे० जे० टॉमसन ने सुझाव दिया कि परमाणु का द्रव्यमान उसके अंदर स्थित प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन के फलस्वरूप होता है जोकि परमाणु के भीतर एक समान वितरित होते हैं जैसे क्रिसमस केक के अंदर ड्राइफ्रूट (मेवा) लगा रहता है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 2

यह धारणा रदरफोर्ड के सुझाव से मेल नहीं खाती थी क्योंकि उसने कहा था कि परमाणु द्रव्यमान नाभिक के अंदर स्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों के कारण होता है।

प्रश्न 3.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएं हैं ?
उत्तर-
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएं – रदरफोर्ड ने अपने परमाणु मॉडल में प्रस्तुत किया कि परमाणु का पूरा द्रव्यमान नाभिक में केंद्रित होता है। नाभिक धन आवेशित होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन विभिन्न ऊर्जा शैल में चक्कर लगाते हैं। ये ऋण आवेशित (इलेक्ट्रॉन) प्रवेगित कण चक्रीय गति करते हुए ऊर्जा विकसित करते हैं तथा ऊर्जा की हानि होने पर नाभिक में जा गिरते हैं ! इसका अभिप्राय यह हुआ कि परमाणु अस्थिर हैं जोकि सही नहीं है।

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प्रश्न 4.
बोर के परमाणु मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 3
बोर का परमाणु मॉडल*
नीलस बोर ने परमाणु की संरचना के बारे निम्नलिखित मान्यताएं पेश की-

  1. परमाणु का केंद्र धन आवेशित छोटा सा ठोस भाग होता है जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं। नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन उपस्थित रहते हैं।
  2. नाभिक का आयतन, परमाणु के आयतन की तुलना में बहुत छोटा होता है।
  3. ऋण-आवेशित इलैक्ट्रॉन नाभिक के चारों तरफ कुछ निश्चित पथों (आर्बिट) में चक्कर लगाते रहते हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉन के विविक्त आर्बिट (Discrete orbits) कहते हैं। जब इलेक्ट्रॉन विविक्त आर्बिट में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता है।
  4. जब इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हुए एक ऊर्जा कोश से किसी दूसरे ऊर्जा कोश में छलांग लगाता है तो ऊर्जा परिवर्तन होता है।

प्रश्न 5.
इस अध्याय में दिए गए सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 4
विभिन्न परमाणु मॉडलों की तुलना-
(i) टॉमसन का परमाणु मॉडल

  1. डिस्चार्ज ट्यूब (विसर्जन नली) प्रयोग के आधार पर टॉमसन ने यह सुझाव दिया कि परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन है तथा इसके पूरे आयतन में इलेक्ट्रॉन समरूप फैले हुए हैं।
  2. परमाणु धन आवेशित गोलाकार का बना होता है जिसमें इलेक्ट्रॉन धंसे रहते हैं।
  3. परमाणु का आकार 10-10 मी० अथवा 1°A होता है।
  4. परमाणु का द्रव्यमान समान रूप से पूर्ण क्षेत्र में फैला हुआ होता है।

(ii) रदरफोर्ड परमाणु मॉडल-
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  1. सोने की पन्नी से α-विकिरणों के प्रकीर्णन ने यह सुझाया कि नाभिक परमाणु का बहुत छोटा तथा ठोस भाग है जिसमें धन-आवेशित कण विदयमान होते हैं।
  2. परमाणु के नाभिक का अर्धव्यास पूर्ण परमाणु के अद्धव्यास का 105 गुना होता है।
  3. परमाणु में इलैक्ट्रॉन, नाभिक के इर्द-गिर्द विभिन्न कक्षाओं में तीव्र गति से चक्कर लगाते हैं।

(iii) नीलस बोर का परमाणु मॉडल-
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  1. परमाणु का नाभिक इलेक्ट्रॉनों से घिरा रहता है।
  2. नाभिक के इर्द-गिर्द इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा स्तरों अथवा कोशों में चक्रीय गति करते हैं।
  3. जब इलेक्ट्रॉन गति करते हुए एक कोश से दूसरे कोश में गिरता है तो ऊर्जा परिवर्तन होता है। (लाभ अथवा हानि) जो विविरणों के रूप में होता है तथा अंत में इलेक्ट्रॉन नाभिक में जा गिरता है। अर्थात् परमाणु अस्थिर है।

प्रश्न 6.
पहले अठारह तत्वों के विभिन्न कक्षों में इलैक्ट्रॉन वितरण के नियम को लिखिए।
उत्तर-
विभिन्न कोशों में इलैक्ट्रॉन वितरण – परमाणुओं के विभिन्न कक्षों में इलैक्ट्रॉन वितरण के लिए बोर तथा बरी ने निम्नलिखित नियम प्रतिपादित किए-

  1. परमाणु के किसी कोश में उपस्थित अधिक-से-अधिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या को 2n2 सूत्र द्वारा दर्शाया जा सकता है, जहाँ n कोश अथवा ऊर्जा स्तर की संख्या है। भीतर से बाहर की ओर ऊर्जा स्तर के नाम क्रमश: K, L, M, ……. हैं।
  2. बाह्यतम कोश में इलैक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 8 हो सकती है।
  3. बाह्यतम कोश से पहले कोश में 18 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं हो सकते।
  4. किसी परमाणु के दिए गए कोश में इलेक्ट्रॉन उस समय तक स्थान ग्रहण नहीं करते जब तक उससे अंदर वाला कोश पूरी तरह भर नहीं जाता है। अर्थात् कोश क्रमानुसार ही भरे जाते हैं।

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प्रश्न 7.
सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
किसी तत्व की संयोजक क्षमता को उस तत्व की संयोजकता कहते हैं। परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या उसकी संयोजकता बताती है। परंतु यदि बाह्यतम शैल में इलेक्ट्रॉन की संख्या उसकी अधिकतम क्षमता के समीप हो तो संयोजकता ज्ञात करने के लिए परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन संख्या को 8 में से घटा लिया जाता है।
सिलिकॉन – सिलिकॉन परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या (p) = 14
∴ इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 14
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 7
∴ सिलिकॉन परमाणु के बाह्यतम शैल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 4
∴ सिलिकॉन की संयोजकता = 4
ऑक्सीजन
ऑक्सीजन परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या (p) = 8
∴ इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 8
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 8
ऑक्सीजन के बाहयतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6
∴ ऑक्सीजन की संयोजकता = (8 – 6) = 2 है।

प्रश्न 8.
उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए-परमाणु संख्या, द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक। समस्थानिकों के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-
(i) परमाणु संख्या (Atomic Number) – किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या को उस परमाणु की परमाणु संख्या कहते हैं। उदाहरणार्थ मैग्नीशियम परमाणु के नाभिक 12 प्रोटॉन हैं।
इसलिए मैग्नीशियम की परमाणु संख्या 12 है। परमाणु संख्या को ‘z’ से दर्शाया जाता है ?
परमाणु संख्या (z) = प्रोटॉन संख्या (p) = इलैक्ट्रॉन संख्या (e)
इसी प्रकार कार्बन के परमाणु में 6 प्रोटॉन होते हैं।
∴ कार्बन की परमाणु संख्या (z) = 6

(ii) द्रव्यमान संख्या (Mass Number) – किसी तत्व के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन जिन्हें इकट्ठा मिलाकर न्यूक्लीऑन कहते हैं, की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते हैं । द्रव्यमान संख्या को ‘A’ से प्रदर्शित किया जाता है। द्रव्यमान संख्या (A) = नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या + नाभिक में उपस्थित न्यूट्रॉन की संख्या
उदाहरणार्थ, कार्बन के नाभिक में 6 प्रोटॉन तथा 6 न्यूट्रॉन उपस्थित होते हैं, इसलिए
कार्बन की द्रव्यमान संख्या A = p + n
= 6 + 6
= 12 है।

(ii) समस्थानिक (Isotopes) – एक ही तत्व के दो परमाणु जिनकी परमाणु संख्या एक समान है परंतु परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न हो, उन्हें उस तत्व के समस्थानिक (Isotopes) कहते हैं।

उदाहरण के लिए क्लोरीन के दो समस्थानिक \({ }_{17}^{35} \mathrm{Cl}\) तथा \({ }_{17}^{37} \mathrm{Cl}\) हैं जिनकी परमाणु संख्या एक समान अर्थात् 17 है परंतु एक की परमाणु द्रव्यमान संख्या 35 और दूसरे की परमाण द्रव्यमान संख्या 37 है।

(iv) समभारिक (Isobars) – ऐसे तत्व जिनकी परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है परंतु द्रव्यमान संख्या एक समान होती हैं, उन्हें समभारिक कहते हैं। उदाहरणार्थ कैल्शियम की परमाणु संख्या 20 तथा आर्गान की परमाणु संख्या 18 है परन्तु इनकी द्रव्यमान संख्या 40 है जिस कारण इनमें इलैक्ट्रॉन की संख्या भिन्न-भिन्न होती है। इन तत्वों के रासायनिक गुण समान होते हैं। इन तत्वों में उपस्थित प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है।

समस्थानिकों के उपयोग (Uses of Isotopes)-

  1. कैंसर की चिकित्सा के लिए कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग किया जाता है।
  2. गॉयटर की चिकित्सा में आयोडीन के समस्थानिक का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 9.
Na+ के पूरी तरह भरे हुए K और L कोश होते हैं-व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
किसी तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या उतनी ही होती है जितनी उस परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन होते हैं। इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन पर विपरीत आवेश होता है जिसके परिणामस्वरूप परमाणु विद्युतीय उदासीन होता है। यदि उदासीन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की वृद्धि होगी तो उसमें इकाई ऋण आवेश आ जायेगा। दूसरी ओर यदि उसमें से एक इलेक्ट्रॉन निकल जाता है तो वह इकाई धन आवेश ग्रहण कर लेगा। इसलिए इलेक्ट्रॉन का निकलना या संयोजित होने से ऐसे बने आवेशित कण को आयन कहते हैं।

सोडियम परमाणु विद्युतीय उदासीन है। इसमें 11 प्रोटॉन तथा 11 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों का वितरण 2, 8, 1 है। अब उनमें से 1 इलेक्ट्रॉन निकलने से यह धन आवेशित सोडियम आयन बन जाता है।

सोडियम परमाणु (Na) – le e. → सोडियम आयन (Na+)
अथवा 11-e – 1-e → 10-e
NaO – 1-e Na+
सोडियम आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2, 8) होगा।
अर्थात् इसमें K तथा L कोश पूर्ण रूप से भरे हुए होते हैं।

प्रश्न 10.
यदि ब्रोमीन परमाणु दो समस्थानिकों के [ \({ }_{35}^{79} \mathrm{Br}\)(49.7%) तथा \({ }_{35}^{81} \mathrm{Br}\) (50.3%) ] रूप में है तो ब्रोमीन परमाणु के औसत परमाणु द्रव्यमान की गणना कीजिए।
हल :
ब्रोमीन का समस्थानिक जिसका परमाणु द्रव्यमान 79 है = 49.7 %
∴ ब्रोमीन के परमाणु द्रव्यमान के लिए \({ }_{35}^{79} \mathrm{Br}\) का योगदान = \(\frac{79}{100}\) x 49.7
= 39.26u
ब्रोमीन का समस्थानिक जिसका परमाणु द्रव्यमान 81 है = 50.3 %
ब्रोमीन के परमाणु द्रव्यमान के लिए \({ }_{35}^{81} \mathrm{Br}\) का योगदान = \(\frac{50.3}{100}\) x 81
= 40.74 u
अब ब्रोमीन परमाणु का औसत परमाणु द्रव्यमान = 39.26 + 40.74 = 80.0 u

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प्रश्न 11.
एक तत्व x का परमाणु द्रव्यमान 16.2 u है तो इस सैंपल में समस्थानिक \({ }_{8}^{16} x\) और \({ }_{8}^{18} x\) प्रतिशत क्या होगा ?
हल :
मान लो सैंपल में \({ }_{8}^{16} x\) की प्रतिशतता = y है
∴ सैंपल में \({ }_{8}^{18} x\) की प्रतिशतता = (100 – y)
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16.2 x 100 = 1800 – 2 y
1620 = 1800 – 2y
2 y = 1800 – 1620
2 y = 180
∴ y = \(\frac{180}{2}\)
= 90
अर्थात् \({ }_{8}^{16} \mathrm{X}\) की प्रतिशतता = 90%
तथा \({ }_{8}^{18} \mathrm{X}\) की प्रतिशतता = 100 – 90
= 10%

प्रश्न 12.
यदि तत्व का Z = 3 तो तत्व की संयोजकता क्या होगी ? तत्व का नाम भी लिखिए।
हल :
तत्व की परमाणु संख्या को z से दर्शाया जाता है।
∴ तत्व की परमाणु संख्या = z = 3
अर्थात् तत्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या = इलैक्ट्रॉनों की संख्या = 3
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यह परमाणु लीथियम है तथा इसकी संयोजकता 1 है।

प्रश्न 13.
दो परमाणु स्पीशीज़ के केंद्रकों का संघटन नीचे दिया गया है-
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X और Y की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए। इन दोनों स्पीशीज़ में क्या संबंध है?
उत्तर-
X की द्रव्यमान संख्या = 6 + 6
= 12
Y की द्रव्यमान संख्या = 6 + 8
= 14
क्योंकि X तथा Y दोनों की परमाणु संख्या एक समान है परंतु इनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न है इसलिए दोनों परमाणु एक ही तत्व के समस्थानिक PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 12 हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित वक्तव्यों में गलत के लिए F और सही के लिए T लिखें।
(a) जे० जे० टॉमसन ने यह प्रस्तावित किया था कि परमाणु के केंद्रक में केवल न्यूक्लीयॉन्स होते हैं।
(b) एक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं। इसलिए यह अनावेशित होता है।
(c) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग \(\frac{1}{2000}\) गुणा होता है।
(d) आयोडीन के समस्थानिक का इस्तेमाल टिंकचर आयोडीन बनाने में होता है।
उत्तर-
(a) False,
(b) False,
(c) True,
(d) TTrue.
प्रश्न संख्या 15, 16 तथा 17 में गलत के सामने (×) का चिह्न तथा सही के सामने (√) का चिह्न लगाएँ

प्रश्न 15.
रदरफोर्ड का अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग किसकी खोज के लिए उत्तरदायी था-
(a) परमाणु केंद्रक
(b) इलैक्ट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन।
उत्तर-
(a) परमाणु केंद्रक √
(b) ×
(c) ×
(d) ×.

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प्रश्न 16.
एक तत्व के समस्थानिक में होते हैं-
(a) समान भौतिक गुण
(b) भिन्न रासायनिक गुण
(c) न्यूट्रॉनों के अलग-अलग संख्या
(d) भिन्न परमाणु संख्या।
उत्तर-
(a) ×
(b) ×
(c) न्यूट्रॉनों की अलग-अलग संख्या √
(d) ×

प्रश्न 17.
Cl आयन में संयोजकता इलैक्ट्रॉनों की संख्या है-
(a) 16
(b) 8
(c) 17
(d) 18.
उत्तर-
(a) ×
(b) 8 √
(c) ×
(d) ×.

प्रश्न 18.
सोडियम का सही इलैक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न में से कौन-सा है ?
(a) 2, 8
(b) 8, 2.1
(c) 2. 1. 8
(d) 2. 8. 1.
उत्तर-
(a) ×
(b) ×
(c) ×
(d) 2, 8, 1√.

प्रश्न 19.
निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए-
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उत्तर-
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
केनाल किरणें क्या हैं ?
उत्तर-
केनाल किरणें (Canat Rays) – एनोड से उत्सर्जित होने वाली किरणें जब डिस्चार्ज टयब में गैस प्रयोग की जाती है, केनाल किरणें कहलाती हैं। ये धन आवेशित विकिरणें हैं जो ऐसे कणों से निर्मित होती हैं और जिनका द्रव्यमान, इलैक्ट्रॉन का 2000 गुना होता है परंतु इसका आवेश इलैक्ट्रॉन के आवेश से विपरीत होता है।

प्रश्न 2.
यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन है, तो उसमें कोई आवेश होगा या नहीं ?
उत्तर-
प्रत्येक प्रोटॉन का आवेश +1 तथा इलैक्ट्रॉन का आवेश -1 माना गया है। अब क्योंकि किसी परमाणु में एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन है जो परस्पर एक-दूसरे के आवेशों को संतुलित करते हैं। इसलिए इस परमाणु पर कोई परिणामी (नेट) आवेश नहीं होगा अर्थात् परमाणु विद्युतीय उदासीन होगा।

प्रश्न 3.
परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को टॉमसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर-टॉमसन का परमाणु मॉडल (Thomson’s Model of Atom)-

  1. परमाणु धन आवेशित गोलाकार होता है तथा इलैक्ट्रॉन इसमें फँसे होते हैं जैसे क्रिसमस केक में मेवा लगा होता है।
  2. ऋणात्मक तथा धनात्मक आवेश मात्रा में समान होते हैं जो एक-दूसरे को संतुलित करते हैं। इसलिए परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन (आवेश रहित) होता है।

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प्रश्न 4.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार नाभिक के परमाणु में कौन-सा अवपरमाणुक कण विद्यमान है ?
उत्तर-
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल अनुसार परमाणु का नाभिक (Nucleus) धन आवेशित होता है। परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान परमाणु के नाभिक में स्थित होता है तथा इलैक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर विभिन्न पथों (कक्षाओं) में चक्कर लगाते हैं। इसलिए परमाणु के नाभिक में अवपरमाणुक कण प्रोटॉन विद्यमान होता है।

प्रश्न 5.
तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाणु मॉडल का चित्र बनाइए।
उत्तर-
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प्रश्न 6.
क्या अल्फा कणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु के पन्नी से संभव होगा ?
उत्तर-
यदि अल्फा कणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त किसी अन्य धातु की पन्नी से किया जाए तो वही परिणाम संभव होगा जो सोने की पन्नी के साथ हुआ था।

अंतर केवल इतना है कि सोना एक आघातवर्धनीय धातु है और इसे पीट कर पतलो चादर में बदला जा सकता है जबकि अन्य किसी धातु को इतना बारीक नहीं किया जा सकता है। यदि हम मोटी धातु की चादर का प्रयोग करेंगे तो अल्फा कण इससे टकराकर वापिस लौट आएंगे तथा हमें परमाणु के भीतर धन आवेशित प्रोटॉन की स्थिति का पक्का अनुमान नहीं होगा।

प्रश्न 7.
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखें।
उत्तर-
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण-परमाणु के निम्नलिखित तीन अवपरमाणुक कम हैं :-
(i) प्रोटॉन (1P1 )
(ii) इलेक्ट्रॉन (0e-1 )
(iii) न्यूट्रॉन (1n0 )।

प्रश्न 8.
हीलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4u है और उसके नाभिक में दो प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्यूट्रॉन होंगे ?
उत्तर-
हीलियम परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या-किसी परमाणु का द्रव्यमान उसके नाभिक (Nucleus) में उपस्थित प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के द्रव्यमानों के योग के कारण होता है : अब हीलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4 u है तथा इसके नाभिक में 2 प्रोटॉन होते हैं और दो प्रोटॉनों का द्रव्यमान 20 है। इसलिए इसके नाभिक में (4 u -2u = 2u) द्रव्यमान न्यूट्रॉन की उपस्थिति के कारण है। क्योंकि 1 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1 u होता है इसलिए नाभिक में 2 न्यूट्रॉन होंगे जो 2 u द्रव्यमान प्रदान करेंगे।
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 9.
कार्बन और सोडियम के परमाणुओं के लिए इलैक्ट्रॉन-वितरण लिखिए।
उत्तर-
कार्बन परमाणु – कार्बन का परमाणु द्रव्यमान 12 है। इसलिए
इसमें प्रोटॉनों की संख्या (p) = 6 तथा इलैक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 6 है।
कार्बन परमाणु में इलैक्ट्रॉन वितरण-
K-कोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
∴ L-कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 4
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सोडियम परमाणु
सोडियम का परमाणु द्रव्यमान = 23 है, इसलिए सोडियम के परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या (p) = 11 तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 11 है।
सोडियम परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का वितरण-
K-कोश में इलैक्ट्रॉनों की संख्या = 2
L-कोश में इलैक्ट्रॉनों की संख्या = 8
M-कोश में इलैक्ट्रॉनों की संख्या = 1
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प्रश्न 10.
अगर किसी परमाणु का K और L कोश भरा है तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होगी ?
उत्तर-
K-कोश भरा हुआ होने की परिस्थिति में इलेक्ट्रानों की कुल संख्या = 2
L-कोश पूरा भरा हुआ होने की अवस्था में इलेक्ट्रानों की संख्या = 8
∴ परमाणु में उपस्थित कुल इलैक्ट्रॉन = 2 + 8 = 10

प्रश्न 11.
क्लोरीन, सल्फर और मैग्नीशियम की परमाणु संख्या से आप संयोजकता कैसे प्राप्त करेंगे ?
उत्तर-
(i) क्लोरीन (Cl)-
क्लोरीन की परमाणु संख्या = 17
क्लोरीन के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या (p) = 17
इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 17
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क्लोरीन परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित
इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 7
∴ क्लोरीन की संयोजकता = 8 – 7
अर्थात् बाह्यतम कोश में अष्टक बनाने के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉन = 1

(ii) सल्फर (S)-
सल्फर की परमाणु संख्या = 16
सल्फर के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या (p) = 16
इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 16
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सल्फर परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6
बाह्यतम कोश में अष्टक (पूरा भरने) बनाने के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉन = 8 – 6 = 2
∴ सल्फर की संयोजकता = 2

(iii) मैग्नीशियम (Mg)-
मैग्नीशियम की परमाणु संख्या = 12
मैग्नीशियम के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या (p) = 12
इलेक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 12
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मैग्नीशियम के परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या
अर्थात् मैग्नीशियम परमाणु के बाह्यतम कोश को भरा होने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन छोड़ने पड़ेंगे = 2
∴ मैग्नीशियम परमाणु की संयोजकता = 2

प्रश्न 12.
यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है और प्रोटॉनों की संख्या भी 8 है, तब
(क) परमाणु की परमाणुक संख्या क्या होगी ?
(ख) परमाणु का क्या आवेश है ?
उत्तर-
(i) परमाणु की परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या (p) = 8
∴ परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन न्यूट्रॉनों की संख्या= 8
∴ परमाणु द्रव्यमान = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
= 8 + 8 = 16

(ii) परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = 8
परमाणु पर उपस्थित आवेश = प्रोटॉनों की संख्या – इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= 8 – 8
= 0
अर्थात् परमाणु आवेश विहीन है।

प्रश्न 13.
पाठ्य-पुस्तक की सारणी 4.1 की सहायता से ऑक्सीजन और सल्फर परमाणु की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
(i) ऑक्सीजन (O)
ऑक्सीजन परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या (p) = 8
न्यूट्रॉनों की संख्या (n) = 8
∴ ऑक्सीजन परमाणु की परमाणु की द्रव्यमान संख्या = p + n
= 8 + 8
= 16

(ii) सल्फर (S)-
सल्फर के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या (p) = 16
न्यूट्रॉनों की संख्या (n) = 16
∴ सल्फर परमाणु की परमाणु द्रव्यमान संख्या = p + n
= 16 + 16
= 32

प्रश्न 14.
चिह्न H, D और T के लिए प्रत्येक में पाए जाने वाले तीन अवपरमाणुक कणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर-
H, D और T चिह्न हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं जिनकी परमाणु संख्या 1 है परंतु परमाणु द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न है।
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प्रश्न 15.
समस्थानिक और समभारिक के किसी एक युग्म का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 22
(i) समस्थानिक (Isotopes) – क्लोरीन तत्व के दो समस्थानिक \({ }_{17}^{35} \mathrm{Cl}[latex] तथा [latex]{ }_{17}^{37} \mathrm{Cl}\) हैं। इन दोनों की परमाणु संख्या 17 है।
अब परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 17
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 23

(ii) समभारिक (Isobars) – कैल्सियम \({ }_{20}^{40} \mathrm{C} a\) तथा आर्गन (\({ }_{18}^{40} \mathrm{~A} r\)) समभारिकों का युग्म है जिनका परमाणु द्रव्यमान एक समान 40 है परंतु १९ गाणु संख्या क्रमशः 20 और 18 भिन्न होने के कारण परमाणुओं का इलेक्ट्रॉन वितरण भी भिन्न होगा।

कैल्सियम (Ca)-
परमाणु द्रव्यमान संख्या = 40
अर्थात कैल्सियम के परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या (p) = 20
इलैक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 20 ……….(1)
परमाणु द्रव्यमान संख्या = n + p = 40 …………….(2)
∴ कैल्सियम के परमाणु में उपस्थित न्यूट्रॉनों की संख्या (n) = (2) – (1)
= 40 – 20
= 20
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 24

आर्गन (Ar) परमाणु संख्या = 18
अर्थात् आर्गन के परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या (p) = इलैक्ट्रॉनों की संख्या (e) = 18 ………………. (1)
परमाणु द्रव्यमान संख्या = n + p = 40 ………………… (2)
∴ आर्गन परमाणु में उपस्थित न्यूट्रॉनों की संख्या (n)
= (2) – (1)
= 40 – 18
= 22
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 4 परमाणु की संरचना 25

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 7 ई-गवर्नेस

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 7 ई-गवर्नेस

परिचय
गवर्नेस का मतलब है-फैसले करना और फैसले को लागू करने की कार्य प्रक्रिया।
ई-गवर्नेस-इस का मतलब है कि सरकारी सेवाओं का आनलाइन मिलना। ई-गवर्नैस का मतलब है सूचना तकनीक (Information Technology) की मदद से नागरिकों और व्यापारियों को नई-से-नई व्यापारिक जानकारी देना और कार्यों को बढ़िया तरीके से उन को प्रदान करवाना।

ई-गवर्नेस की मदद से हम किसी भी ज़रूरी काम आने वाले सूचनाओं को कहीं भी कभी भी देख सकते हैं। इस के लिए हमारे पास कम्प्यूटर और इंटरनैट होना बहुत ज़रूरी है। इस का प्रयोग हर एक क्षेत्र में किया जाता है। इसमें लिखित, मौखिक, वीडियो और ऐनीमेशन तकनीकें शामिल हैं।

अच्छी गवर्नेस की मुख्य विशेषताएं
एक अच्छी गवर्नेस की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
1. अच्छी गवर्नेस में सभी सम्मिलित होते हैं। कोई भी आदमी जोकि किसी निर्णय द्वारा प्रभावित होता है या फैसला लेने की प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है, में शामिल हो सकता है। यह कई ढंगों से जैसे कि किसी वर्ग के लोगों को जानकारी देनी और उनकी राय का पता लगाना, उनको सिफारिशों का मौका देना या कई बार उनको वास्तव में निर्णय करने के कार्य में शामिल कर लिया जा सकता है।

2. अच्छी गवर्नैस कानून का पालन करती है।

3. अच्छी गवर्नेस निर्णय करने और फैसले लागू करने में प्रभावशाली और कुशल होती है और कई प्रक्रियाओं द्वारा उपलब्ध लोगों, स्रोतों के अच्छे प्रयोग करके समाज की आवश्यकता अनुसार नतीजे प्राप्त करती है।

4. अच्छी गवर्नेस लिए गए फैसले के नतीजे के लिए जनता को उत्तरदायी होती है।

5. अच्छी गवर्नेस जनता की आवश्यकताओं को समय पर और ठीक ढंग से पूरा करने के लिए उत्तरदायी होती है।

6. अच्छी गवनैंस पारदर्शी होती है, इससे अभिप्राय यह है कि जनता साफ-साफ यह देख सकती है कि कोई फैसला कैसे और क्यों लिया गया है।

ई-गवर्नेस का इतिहास और विकास
भारत में ई-गवर्नेस 70 में स्थापित की गई। उस समय सरकार ने इसको सुरक्षा के क्षेत्र, पैसे के लेनदेन की योजना के क्षेत्र में प्रयोग किया? सूचना और संचार टैकनोलॉजी का प्रयोग वोटे, टैक्स, प्रशासन से संबंधित डाटे का प्रबंध करने के लिए किया जाता है। इसके बाद NIC-National Information Center की कोशिशों से सारे जिलों को आपस में जोड़ा गया। साल 1990 की शुरुआत में ई-गवर्नेस ने सूचना टैकनोलॉजी का प्रयोग करके बहुत बड़े क्षेत्र में पहुंच गए और गांव क्षेत्र में पहुंचने की कोशिश की।

पहले सरकार और नागरिक के बीच बात करने के लिए कार्यालय की ज़रूरत पड़ती थी। परन्तु सूचना और संचार के क्षेत्र में प्रगति आने से सरकारी काम और अच्छे तरीके से होने लगा। सूचना और संचार में ग्राहकों के लिए, सेवा केन्द्र को ढूंढना और भी संभव हो गया। यह केन्द्र सरकारी एजेंसी में ‘काऊंटर के रूप में या ग्राहकों के नज़दीक सरकारी एजेंसी के बाहर भी हो सकते हैं।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 7 ई-गवर्नेस

ई-गवर्नेस
ई-गवर्नेस का मतलब है सूचना तकनीक (Information Technology) की मदद से नागरिकों और व्यापारियों को नई-से-नई व्यापारिक जानकारी देना और कार्यों को बढ़िया तरीके से उन को प्रदान करवाना। ई-गवर्नेस की मदद से हम किसी भी ज़रूरी काम आने वाले सूचनाओं को कहीं भी कभी भी देख सकते हैं। इस के लिए हमारे पास कम्प्यूटर और इंटरनैट होना बहुत ज़रूरी है। इस का प्रयोग हर एक क्षेत्र में किया जाता है। इसमें लिखित, मौखिक, वीडियो और ऐनीमेशन तकनीकें शामिल हैं।

ई-गवर्नेस के चार स्तंभ

  1. संपर्क-लोगों को सरकार की सेवाओं से जोड़ने के लिए संपर्क की आवश्यकता होती है।
  2. ज्ञान-ज्ञान का भाव है IT (Information Technology) का ज्ञान। सरकार अच्छे इंजीनियर को इस काम के लिए रखती है जो ई-गवर्नेस के काम को अच्छे से पूरा करते हैं।
  3. डाटा-इंटरनैट पर सूचना को शेयर करने के लिए सरकार अपनी सेवाओं से संबंधित डाटाबेस का रख-रखाब करती है।
  4. पैसा-सरकार की तरफ से अपनी सेवाओं को लागू करने के लिए लगाई गई राशि।

ई-गवर्नेस के उद्देश्य

  • भिन्न-भिन्न आनलाइन सेवाओं का प्रयोग करके जनता की ज़रूरतों को आसानी से पूरा करना।
  • सरकारी प्रशासनिक काम-काज की पारदर्शी, उत्तरदेय और प्रभावशाली तरीके के साथ सेवाओं को उपलब्ध करवाना।

ई-गवर्नेस के चार मॉडल
1. सरकार से नागरिक-यह सरकार की उन सेवाओं के बारे में बताती है जो एक नागरिक प्रयोग करता है। इस मॉडल में नागरिक जिन सेवाओं का प्रयोग करना चाहते हैं, उस लिंक का प्रयोग करते हैं। इसका प्रयोग करके नागरिक आन लाइन पानी का बिल, बिजली और टैलीफोन आदि को जमा करवा सकता है।

2. सरकार से सरकार-इस मॉडल में सरकार के बीच शेयर किये जाने वाली सेवाएं आती हैं। इसमें सरकार भिन्न-भिन्न प्रकार के राज्य के पुलिस विभाग शेयर किये जाने वाली सूचना और बजट से संबंधित काम शामिल है।

3. सरकार से व्यापारी-इसमें निजी क्षेत्र और सरकार के बीच रिश्ता और भी अच्छा होता है। यह व्यापारियों से सरकार और सरकार से व्यापारियों की बातचीत करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें टैक्स को इकट्ठा करना, पैकिंग वस्तुओं को मंजूर या न मंजूर करना आदि शामिल है।

4. सरकार से कर्मचारी-इस मॉडल में सरकार और इसके कर्मचारियों के बीच और अच्छे संबंधों के लिए काम करता है। इसके कर्मचारी सरकार के काम और कार्य प्रणाली की देखभाल करते हैं।

ई-गवर्नेस का महत्त्व-

  1. ई-गवर्नेस से कोई भी काम बड़ी तेज़ी, आसानी से कर सकते हैं। जिन कामों को बहुत ज्यादा समय लगता था, वही काम आज बड़ी आसानी और परंपरागत तरीकों से किया जा सकता है।
  2. इस में लिखित, मौखिक, वीडियो और ऐनीमेशन तकनीकें शामिल हैं।
  3. इसका खर्च परंपरागत साधनों के खर्च से बहुत कम होता है। पूरा सैट-आप स्थापित हो जाने से इसका रोज़ाना खर्चा बहुत कम होता है । सिर्फ शुरुआत के खर्चे ज्यादा हैं।
  4. ई-गवर्नेस की मदद से हम भी कहीं भी किसी भी टाईम अपना काम कर सकते हैं जैसे हम किसी भी बैंक की वैब साईट से अपने अकाऊंट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और बैंकों की नई स्कीमों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सुविधा सैंटरों के कोई पाँच मुख्य उपयोग

  • इन सैंटरों में जनता की आम ज़रूरत में आने वाली सेवायें, सहूलतें प्रदान की जाती हैं।
  • हर सुविधा सैंटर में हैल्प-लाईन नंबर मौजूद हैं। कोई भी व्यक्ति टेलीफोन करके जरूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
  • सेवाओं के लिए एक स्थान पर सारी ऐपलीकेशनज़ को जमा करवाना ।
  • जो भी नई स्कीम या तरीका हो उसकी जानकारी मौके पर उसी समय ही उपलब्ध हो जाती है।
  • सुविधा केंद्रों की कोरीयर (Courier) सर्विस भी बहुत तेज़ है जिस के द्वारा ज़रूरी कागजात अब 48 घंटों में व्यक्तियों के घर पहुंचा दिये जाते हैं।

ई-गवर्नेस के लाभ
1. कम खर्च (Low Cost)-इसका खर्च परंपरागत साधनों के खर्च से बहुत कम होता है। पूरा सैट-अप स्थापित हो जाने पर इसका रोज़ाना खर्चा बहुत कम होता है। केवल आरंभ के खर्चे ज्यादा हैं। इस की लागत में साफ्टवेयर, नेटवर्किंग और इंटरनैट की लागत मुख्य है।

2. तेज रफ्तार (High Speed)-ई-गवर्नेस से कोई भी काम बड़ी तेज़ी और आसानी से कर सकते हैं। जिन कामों को बहुत ज्यादा समय लगता था वही काम आज बड़ी आसानी और परंपरागत तरीकों से किये जा सकते हैं, जैसे कि हम किसी रेल की टिकट पहले रेलवे स्टेशन पर जा कर बुक करवाते थे पर अब सब कुछ वैब-साईट पर उपलब्ध है और हम अब घर बैठे टिकट बुक करवा सकते हैं।

3. कहीं भी किसी भी समय (Anywhere anytime)-ई-गवर्नेस की मदद से हम कहीं भी किसी भी समय अपना काम कर सकते हैं जैसे कि ATM मशीन के आ जाने से हम किसी भी समय पैसे निकाल सकते हैं। यह 24 घंटे खुले रहते हैं और इस के लिए किसी भी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं पड़ती। इस के बिना हम किसी भी बैंक की वैब-साईट से अपने अकाऊंट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और बैंक की नई स्कीमों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ई-गवर्नेस की सेवाएं
1. इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking)-इंटरनेट बैंकिंग ने बैंकिंग को नया रूप प्रदान कर दिया है। इस बैंकिंग के द्वारा हम इंटरनेट (Internet) द्वारा आम बैंकिंग सुविधायें जैसे कि भुगतान (Payment), मनी ट्रांसफर (Money Transfer) आदि काम 24 घंटे कर सकते हैं। जो काम पहले बैंकों में जा कर करना पड़ता था आज वही काम जैसे नई स्कीमों की जानकारी, एक से दूसरे खाते में अदायगियां या पैसा ट्रांसफर करना आदि, आज हम घर बैठे कर सकते हैं। यह कस्टमर को अकाऊंटस की सिक्योरिटी प्रदान करवाता है।

2. आन-लाईन रेलवे और हवाई-टिकटिंग-इस तकनीक के द्वारा हम रेल गाड़ियों और हवाई उड़ानों की जानकारी पहले से ही प्राप्त कर सकते हैं और रेलवे और हवाई संस्था की टिकटें इंटरनेट के द्वारा घर बैठे बुक करवा सकते हैं, अदायगी के भी बहुत विकल्प मौजूद हैं। भारतीय रेलवे ने दो तरह की टिकटिंग प्रणाली शुरू की हुई है:(1) आई-टिकटिंग (2) ई-टिकटिंग।

3. पासपोर्ट सेवायें-पासपोर्ट आफिस ने भी पासपोर्ट सेवायें शुरू की हुई हैं। पासपोर्ट सेवाओं के द्वारा ऐपलीकेंट अपने नाम और दूसरी डिटेलज़ (Details) से वैब पर रजिस्टर हो सकते हैं।

4. टैक्सों, पानी और सीवरेज के बिलों, टेलीफोन के बिलों की अदायगी के लिए।

5. बसों के महीनावार पास, सीनियर सिटीज़न, अंगहीनों के प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए।

6. जन्म और मौत के सर्टीफिकेट, जाति और अनुसूचित जातियों के प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 7 ई-गवर्नेस

ई-गवर्नेस के क्षेत्र

  1. शहरी क्षेत्र में ई-गवर्नेस
  2. गाँव में ई-गवर्नेस
  3. स्वास्थ्य विभाग में ई-गवर्नेस
  4. शिक्षा क्षेत्र में ई-गवर्नैस।

शहरी क्षेत्र में ई-गवर्नेस
1. आवाजाही
इस क्षेत्र में ई-गवर्नेस निम्न कार्य करती है

  1. लर्नर तथा ड्राइविंग लाइसैंस जारी तथा रिन्यू करना
  2. आनलाइन सहूलियत प्रदान करना ।
  3. आनलाइन बस टिकट, पड़ताल सुविधा प्रदान करना
  4. बसों का टाइम टेबल जारी करना
  5. इंटर स्टेट बुकिंग सुविधा
  6. सुधार प्रोग्राम जारी करना
  7. क्षेत्रीय प्रोग्राम बनाना
  8. भीड़ नियंत्रण करना
  9. आवाजाही मांग प्रबंधन

मुख्य प्रोजैक्ट
1. IRCTC
2. HRTC

2. बिल तथा टैक्स की आनलाइन अदायगी
इस क्षेत्र में ई गवनैंस निम्न सेवाएं प्रदान करती है

  • आनलाइन लाईसैंस तथा यूनिवर्सिटी फीस अदा करना
  • बिजली, पानी आदि बिल अदायगी
  • गाड़ियों आदि के टैक्स देना
  • घरों की किश्तें।

मुख्य प्रोजैक्ट
1. SAMPAIR
2. E Suvidha
3. E Seva
4. E Mitra

3. सूचना तथा संपर्क सेवाएं

इसमें निम्न सेवाएं प्रदान की जाती हैं

  • रोजगार, टैंडर आदि के बारे में
  • गांवों में ई-मेल से सूचना

मुख्य प्रोजैक्ट
Lok Mitra

4. नगर निगम सेवाएं

  • घरों के टैक्स, बिल भरने
  • ज़मीनों के रिकार्ड रखने
  • पासपोर्ट वेरीफिकेशन
  • जन्म तथा मृत्यु सर्टीफीकेट जारी करना
  • जायदाद की रजिस्ट्रेशन
  • पेंशन तथा सर्टीफिकेट जारी करना
  • साइट प्लान पास करवाना।

मुख्य प्रोजैक्ट
1. SDO Suit
2. Rural Digital Seva

5. सड़क तथा सुरक्षा प्रबंधन

  • सड़क तथा पुलों का नेटवर्क
  • सड़क बनाना तथा मुरम्मत करना
  • यातायात भीड़ प्रबंधन
  • सुरक्षा, हादसे तथा प्रदूषण कंट्रोल

मुख्य प्रोजैक्ट RSPCB
ग्रामीण क्षेत्र में ई-गवर्नेस
1. खेती बाड़ी : इसके निम्न प्रोजैक्ट हैं

  • AGMARKNET
  • SEDNET

2. लोकल सूचना इस क्षेत्र के निम्न प्रोजैक्ट हैं

  • E-Aadhaar
  • E Jan Sampark

3. आफत प्रबंधन
इस क्षेत्र के प्रोजैक्ट हैं
1. Chetana

4. लैड रिकार्ड मैनजमैंट
इस क्षेत्र के निम्न प्रोजैक्ट हैं-

  • लैंड रिकार्ड मैनेजमैंट सिस्टम
  • Dev भूमि
  • वहु लेख
  • ई धरा
  • पंचायत

इस क्षेत्र की सेवाएं निम्न हैं
1. जन्म तथा मृत्यु सर्टीफिकेट जारी करना
2. वोटर सूची में सुधार
3. ग़रीबों के लिए स्कीम चलाना
4. जिला स्तर पर प्लान बनाने
5. ग़रीबों के लिए नौकरी प्रबंधन
6. गांवों में पानी तथा सैनीटेशन सहूलियत देना।

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प्रोजैक्ट E. Gram
सेहत क्षेत्र में ई-गवर्नेस सेहत और शिक्षा के क्षेत्र में ई-गवर्नेस का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसमें सरकार शिक्षा के क्षेत्र और सेहत विभाग में क्या काम चल रहा है उसकी पूरी देखभाल करती है। इसमें सरकार इस बात को देखती है कि सेहत और शिक्षा के क्षेत्र में कितना सुधार हुआ है। यदि कोई सुधार हुआ है तो कितनी मात्रा में हुआ है।

प्रोजैक्ट

  1. अस्पताल में OPD रजिस्ट्रेशन
  2. डॉक्टर से अपायंटमैंट
  3. आनलाइन वेरीफिकेशन

शिक्षा क्षेत्र में ई-गवर्नेस इस क्षेत्र की सेवाएं निम्न अनुसार हैं –

  • बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा देना
  • कक्षा के रिजल्ट तैयार करना
  • योग्यता आधार पर किताबें बांटने की स्कीम

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन

जान-पहचान
इंटरनैट पूरे संसार में जुड़े हुए कम्प्यूटर नेटवर्क का वह समूह है जो कि कॉमन साफ्टवेयर का प्रयोग एक-दूसरे के साथ डाटे की अदला-बदली कर सकता है।

ई-मेल
ई-मेल का पूरा नाम इलैक्ट्रॉनिक मेल है। यह एक ऐसा ढंग है जिससे संदेश को लिखना, भेजना और प्राप्त करना संभव है। यह सब से ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला इंटरनेट साधन है।
ई-मेल का पूरा नाम इलैक्ट्रानिक मेल है। अगर आप किसी नैटवर्क से जुड़े हुए हो तो ई-मेल के द्वारा कोई लिखित या अन्य फाइलों को दूसरे यूज़र (User) तक पहुंचा सकते हो। ई-मेल इलैक्ट्रानिक तरीके से भेजी जाती है जिस को कोई भी यूज़र प्राप्त कर सकता है। ई-मेल का इस्तेमाल बड़ी संस्थाओं द्वारा बहुत ज्यादा किया जाता है।

अगर आप अपने कम्प्यूटर के द्वारा किसी को ई-मेल भेजना चाहते हैं तो आपको एक ई-मेल प्रोग्राम की ज़रूरत पड़ेगी। आज बहुत सारी वैबसाईटें उपलब्ध हैं जो आपको ई-मेल की सुविधा प्रदान करवाती है। हर एक ई-मेल प्रोग्राम के अलग-अलग नियम और योग्यतायें होती हैं। फिर भी नीचे कुछ ई-मेल प्रोग्राम के सारे गुणों की चर्चा की गई है-

  1. नैटवर्क पर हर एक यूज़र को विलक्षण पता (Address) दिया जाता है। ई-मेल पते में यूज़र का नाम और होस्ट का नाम शामिल होता है। उदाहरण के लिए abc@rediffmail.com एक ई मेल पता है जिसमें abc निजी नाम और इस से आगे होस्ट का नाम है।
  2. ई-मेल भेजते समय प्राप्त करता (receiver) का पता लिखना/बताना पड़ता है। ई-मेल प्रोग्राम
    मेल भेजने वाले का ई-मेल पता, तारीख और समय आदि अपने आप भर लेते हैं।
  3. ई-मेल द्वारा प्राप्त किया संदेश आप कागज़ पर प्रिंट कर सकते हो। उसकी संपादना (Edit) कर सकते हो और भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए सेव कर के रख सकते हो।
  4. ई-मेल प्रोग्रामों मे आने वाली डाक (मेल) स्क्रीन पर अपने-आप प्रदर्शित हो जाती है, नहीं तो समय-समय पर खुद को ई-मेल चैक करनी पड़ती है।
  5. आप अपनी मेल में कोई कुछ पन्नों का संदेश और साथ ही कोई फाइल आदि जोड़ कर भेज सकते हो। ई-मेल में आप गैर-लिखत (non-text) फाईलें जैसे कि तस्वीरें, गाने और प्रोग्राम फाइलें आदि जोड़ सकते हो।

ई-मेल पता
ई-मेल भेजने या प्राप्त करने के लिए आप के पास ई-मेल पता होना बहुत आवश्यक है। ई-मेल पते के दो भाग हो सकते हैं-
इस्तेमाल करने वाले का नाम @ होस्ट (Username@Host) यहां host या मेज़बान से भाव है ई-मेल की सुविधा प्रदान करवाने वाला जैसे कि phurmaan@yahoo.co.in में इस्तेमाल करने वाले का और yahoo ई-मेल की सुविधा वाली एक वैबसाइट है।

GMail Gmail, Google की मुक्त ई-मेल सेवा है। यह कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करती है। Gmail पर अकांऊट बनाना Gmail पर ई-मेल अकाऊंट बनाने के निम्न पग हैं

  1. अपना इंटरनेट ब्राऊजर खोलें।
  2. www.gmail.com एडरैस टाइप करें।
  3. Google का Sign in सैक्शन आ जाएगा।
  4. Create Account पर क्लिक करें।
    PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन 1

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन

एक नया पेज आएगा जिसमें हमसे कुछ बेसिक जानकारी पूछी जाती है।
जैसे कि First name तथा Last name.
Username जो आपका ई-मेल पता होगा।
Password
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Confirm Password
Date of Birth
Gender
Mobile Number.

5. सारी जानकारी भरने के बाद Next पर क्लिक करें तो ई-मेल अकाऊंट तैयार हो जाएगा।

CAPTCHA का पूरा नाम Code Completely Automated Public Thring Test to Tell Computer and Human Apart. यह एक प्रकार का टैस्ट होता है जो हमें बताता है कि यूजर मनुष्य है या नहीं। इसमें यूजर को कोई टैक्सट भरने के लिए दिया जाता है तथा उसे फिर चैक किया जाता है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन 3

गूगल एप्स एप्स से अभिप्राय एप्लीकेशन। यह एक एप छोटा साफ्टवेयर होता है। यह इंटरनैट कम्प्यूटर या फोन या किसे इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलाता है। यह एक प्रकार का प्रोग्राम होता है।

गूगल कैलंडर यह एक गूगल द्वारा बनाया गया टाइम मैनेजमैंट वैब एप्लीकेशन तथा मोबाइल एप्प है। उसके द्वारा हम अपने कार्य को रिकार्ड कर सकते हैं तथा यह हमें समय आने पर अलर्ट भी कर देता है। इसके लिए यूजर के पास Google अकाऊंट होना चाहिए।

गूगल मैप गूगल मैप एक डैस्कटाप बैव मैपिंग सेवा है। इससे हमें सैटेलाइट इमेज, स्ट्रीट मैप, 360 डिग्री स्ट्रीट व्यू, मौजूदा ट्रैफिक कंडीशन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा यात्रा करना आदि जैसे विकल्प या सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
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गूगल ट्रांसलेट गूगल ट्रांसलेट-यह गूगल की एक फ्री सेवा है, जिसमें किसी एक भाषा से दूसरी भाषा में मशीनी ट्रांसलेशन की जा सकती है।
Google +
Google + एक सोशल नेटवर्किंग साइट है। यह हमें वही फीचर प्रदान करती है जो कि Facebook देती है; जैसे

  1. Post.
  2. Circle
  3. Sports
  4. Hangout & Huddles.

→ Google Docs यह एक आनलाइन वर्ड प्रोसैसर है जिस द्वारा हम वर्ड दस्तावेज बना सकते हैं।

→ Google Sheets यह एक आनलाइन स्प्रेडशीट है जिसमें हम Excel वाले सारे कार्य कर सकते हैं।

→ Google Slides यह आनलाइन प्रेजेंटेशन साफ्टवेयर है। इसमें हम Powerpoint की तरह प्रेजेंटेशन बना सकते हैं।

→ Play Store यह एक आनलाइन स्टोर है जिसमें हम Android डिवाइस के लिए कई प्रकार की ऐप डाऊनलोड कर सकते हैं।

→ Google Drive यह हमें आनलाइन स्टोरेज सहूलियत प्रदान करती है। इसकी शुरुआत 24 अप्रैल, 2012 को की गई यह हमें 5GB मुफत डाटा देती है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन

Google Drive के लाभ Google Drive के निम्न लाभ हैं-

  1. Google Drive के साथ हम अपने दोस्तों, रिश्तेदारों आदि को जो गूगल ड्राइव प्रयोग करते हैं को अपनी फाइलें भेज सकते हैं।
  2. इसके द्वारा फाइल वैब पर उपलब्ध हो जाती है, जिससे हम इसे कहीं भी देख सकते हैं।
  3. गूगल ड्राइव एक मोबाइल एप्प भी है। इससे हम अपनी फाइलस को कहीं भी Smart Phone पर भी देख सकते हैं।
  4. गूगल ड्राइव में एक बना बनाया सर्च इंजन भी होता है। इसके द्वारा हम अपनी फाइलों के कंटेंट को सर्च भी कर सकते हैं।
  5. गूगल ड्राइव में ऑप्टीकल करैक्टर रैकोगनीशन सिस्टम भी है। इसे हम स्कैन किये दस्तावेज भी कुछ सर्च कर सकते हैं।
  6. गूगल ड्राइव एक फ्री सेवा है, जब तक इसका ज्यादा बड़ा इस्तेमाल न किया जाए।

Google Drive द्वारा फाइल शेयर करना

  1. Drive में फाइल या फोल्डर खोलो
  2. Sharing Box खोलो। फाइल के दायीं ओर या फोल्डर के ऊपर Share बटन पर क्लिक करो।
  3. जिसको शेयर करनी है उसका email पता टाइप करो।
  4. ज़रूरत अनुसार Edit, Comment, View विकल्प चुनो।
  5. Done पर क्लिक करो।

डाऊनलोड करने का तरीका

  1. लिंक पर क्लिक करें।
  2. Save या Open करें।
  3. डाऊनलोड को Confirm करें।
  4. Open या Run पर क्लिक करें।

इंटरनैट मीडिया
यह एक ऐसा तरीका है जो इंटरनैट के ऑनलाइन अखबार, खबरें आदि का प्रबंध करता है। अब हम इंटरनैट तथा टी०वी० दोनों को आपस में जोड़ सकते हैं तथा कई प्रकार के आनलाइन रेडियो भी सुन सकते

ऑनलाइन अखबार यह अखबार का आनलाइन रूप होता है तथा वैसे ही प्रकाशित होता है। इसको हम इंटरनैट द्वारा अखबार की वैबसाइट पर जा कर पढ़ डाऊनलोड तथा प्रिंट कर सकते हैं।

ऑनलाइन टी० वी०, रेडियो, लाइन प्रोग्राम ऑनलाइन टी०वी० एक स्ट्रीमिंग मीडिया है अर्थात् जब हम इसे देख रहे होते हैं उसी समय यह डाऊनलोड होता है। इसी प्रकार हम ऑनलाइन रेडियो भी सुन सकते हैं। इन सब को हम अपने कम्प्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन आदि पर देख सुन सकते हैं।

क्लाऊड नैटवर्किंग क्लाऊड क्लाऊड का प्रयोग नैटवर्क के लिए होता है। यह वह वस्तु है जो सब जगह होती है, जैसे इंटरनैट। क्लाऊड नैटवर्किंग कलाऊड शब्द इंटरनैट के लिए प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में कलाऊड किसी दूर वाले स्थान को दर्शाता है। यह पब्लिक तथा प्राइवेट दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है।

ई-मेल, वैब कानफरैंसिंग, कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमैंट सिस्टम आदि कलाऊड पर चलते हैं। यह हमें आनलाइन स्टोरेज सुविधा तथा अन्य कई प्रकार की एप्लीकेशनज़ प्रदान करता है। यह नैटवर्किंग की स्वतन्त्रता प्रदान करता है। इसमें लोकल पी०सी० पर साफ्टवेयर पर इंस्टाल नहीं करने पड़ते। इसमें अन्य फैसिलिटीज जोड़ना काफी आसान होता है। यूजर बढ़ने के साथ कलाऊड को भी ज़रूरत अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
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यूनीक आई० पी० एडरैस
इंटरनैट से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर को एक विशेष नंबर दिया जाता है जिसके द्वारा वह पहचाना जाता है। इस एडरैस या नाम को IP एडरैस कहते हैं। एक आई०पी० एडरैस में चार नंबर होते हैं जिनको (.) डाट द्वारा अलग किया जाता है। प्रत्येक नंबर 0 से 255 के बीच हो सकता है। ये चारों नंबर किसी खास नेटवर्क को दर्शाते हैं। 192.168.1.1 एक IP एडरैस की उदाहरण है। इस प्रकार इन सारे नंबरों का प्रयोग करके 4, 294, 967, 296 आई०पी० एडरैस बनाए जा सकते हैं। इंटरनैट पर कोई भी कम्प्यूटर एक आई०पी० एडरैस के नहीं हो सकते।

क्लाऊड प्रिंटिंग
कलाउड प्रिंटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी भी दस्तावेज को कलाउड नैटवर्क के साथ जुड़े किसी कम्प्यूटर पर से प्रिंट कर सकते हैं।
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इंटरनैट सुरक्षा इंटरनैट पर कई प्रकार के खतरे हैं। यह खतरे वायरस, स्पाईवेयर, टरोजन, फिशिंग आदि प्रकार के हो सकते हैं।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन 7

वायरस
यह अपने आप को दोहराने वाला प्रोग्राम होता है। यह हमारे डाटा तथा हार्डवेयर को नुकसान पहुंचाता है।

वायरस की निशानियां
जब आपके पी० सी० में वॉयरस दाखिल होता है तो यह कुछ निशानियां या चिन्न दिखाता है। कुछ महत्त्वपूर्ण निशानियां इस प्रकार हैं –

  1. अगर आपके पी०सी० की स्क्रीन पर संदेश जैसे कि-Happy Birthday to you आना शुरू हो जाये।
  2. अगर कुछ प्रोग्रामों को चालू करने या बन्द करने का समय अचानक बढ़ जाये।
  3. अगर अचानक प्रोग्रामों या सिस्टम फाइलों का आकार बदल जाये।
  4. अगर पूरी कम्प्यूटर प्रणाली की रफ्तार धीमी पड़ जाये।
  5. अगर कम्प्यूटर की फाइलों के नाम बदले हुए नज़र आयें या कुछ प्रोग्राम या डायरैक्टरियां डिस्क पर नज़र न आ रही हों।
  6. अगर कम्प्यूटर बूट ना हो रहा हो।
  7. अगर प्रोग्राम या डाटा फाइलें डिलीट या क्रप्ट (corrupt) हो जायें।
  8. अगर हार्ड डिस्क ड्राइव या फलोपी ड्राइव की छोटी लाइट जग-बुझ रही हो पर कोई काम न हो रहा हो।
  9. अगर कुछ नई फाइलें और फोल्डर्स अपने आप बन जायें। वायरस से बचने का तरीका एंटीवायरस प्रोग्राम होता है।

यह हमारे कम्प्यूटर से वायरस को खत्म करता है। ये कई प्रकार के तथा कई कम्पनियों के हो सकते हैं जैसे;
1. Norton
2. AVG
3. Cscan
4. Avast

स्पाईवेयर
स्पाईवेयर वह प्रोग्राम होता है जो हमारे कम्प्यूटर की जानकारी दूसरे को भेजता है। यह हमारा डाटा, पासवर्ड आदि दूसरे व्यक्ति को भेज सकता है। इस द्वारा भेजी जाने वाली जानकारी का हमें पता नहीं चलता।

टरोजन
टरोजन को टरोजन हार्स भी कहते हैं। यह शब्द ग्रीक कहानी से लिया गया है। यह प्रोग्राम हमारे कम्प्यूटर में बिना आज्ञा दाखिल होकर हमारे कम्प्यूटर तथा डाटा को नुक्सान पहुंचाता है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 6 इंटरनैट एप्लीकेशन

फिशिंग स्कैम
यह इमेल से धोखा करने का तरीका है। इसमें व्यक्ति ईमेल द्वारा हमारी जानकारी इकट्ठा करता है तथा दूसरों को भेजता है।

डिजीटल सिगनेचर
यह एक ऐसा कोड होता है जो इलैक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रांसफर होने वाली फाइल के साथ जुड़ा होता है। इसके साथ भेजने वाले की पहचान होती है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

परिचय
इसका प्रयोग डाटाबेस बनाने और प्रबंध करने के लिए किया जाता है। इस में पहले से मौजूद बहुत सारी विशेषताएं होती हैं जो आपकी सूचना तैयार करने और देखने में मदद करती हैं।

रिलेशनल डाटाबेस इसे RDBMS भी कहते हैं। 1969 में एडगर कोड ने सबसे पहले इसका सुझाव दिया। इसमें डाटा को टेबल रूप में रखा जाता है। यह एक स्प्रेडशीट की तरह होता है। टेबल रोअ तथा कॉलम से मिल कर बनता है।

डाटाबेस डिजाइन के लिए जरूरी निर्देश डाटाबेंस डिज़ाइन करने से पहले आप को कुछ दिशा निर्देश मानने पड़ेंगे। ये दिशा निर्देश आप को एक अच्छा डाटाबेस बनाने में मदद करेंगे-

  1. अपनी ज़रूरत अनुसार आप सभी फील्ड को ढूंढें जिन में आप की ज़रूरत के अनुसार जानकारी भरी जा सकती है।
  2. डाटाबेस को अच्छा बनाने के लिए डाटा के हर एक फील्ड को छोटे-छोटे महत्त्वपूर्ण हिस्से में बांटना चाहिए।
  3. ग्रुप के संबंधित फील्ड को टेबल में बनाएं।
  4. सभी टेबलों में एक मुख्य कुंजी लगाएं।
  5. टेबल में एक ऐसा फील्ड चाहिए जो आम हो।

अक्सैस के कुछ तकनीकी शब्द
अक्सैस में प्रयोग होने वाले कुछ तकनीकी शब्द निम्न प्रकार हैं

  • डाटाबेस फाइल : यह मुख्य फाइल होती है जो सारे डाटा को संभालती है।
  • टेबल : टेबल रोअ तथा फील्ड से मिल कर बनता है जो सारा डाटा स्टोर करता है।
  • फील्ड : टेबल के कॉलम को फील्ड कहते हैं। यह एक प्रकार का डाटा स्टोर करता है।
  • डाटा टाइप : एक फील्ड जिस प्रकार का डाटा स्टोर करती है उसे डाटा टाइप कहते हैं।

अक्सैस के कम्पोनेंट
1. टेबल-टेबल असल में डाटा स्टोर करता है। यह रोअ तथा फील्ड से मिल कर बनता है। रोअ को रिकार्ड भी कहते हैं। किसी खास विषय के ऊपर इकट्ठा किया डाटा, टेबल कहलाता है। इस डाटाबेस में बहुत सारे टेबल होते हैं।

2. फार्म (Form)-कोई फार्म आपकी स्क्रीन पर बनायी गयी ऐसी विंडो होता है, जो किसी सारणी में सरलता से डाटा देखने, प्रविष्ट करने और सुधार करने में हमारी सहायता करती है।

3. कुएरी (Queries)-किसी डाटाबेस से किसी शर्त के आधार पर कोई सूचना ढूँढ़ने के लिए दिया गया आदेश कुएरी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके कौन-कौन से मित्र आगरा में रहते हैं, तो इसे कुएरी कहा जाएगा।

किसी कुएरी के उत्तर में प्राप्त हुई सूचना अथवा रिकार्डों के समूह को उस कुएरी के लिए डायनासेट (Dynaset) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, आगरा में रह रहे मित्रों की सूची उस कुएरी का डायनासेट होगी। कुएरी का उपयोग एक साथ कई रिकार्डों को हटाने या सुधारने के लिए तथा कोई विशेष गणना करने के लिए भी किया जाता है।

4. रिपोर्ट (Reports)-सरलतम शब्दों में, कोई रिपोर्ट किसी कागज़ पर छपा हुआ डायनासेट होता है। आप डायनासट के रिकार्डों के समूह बना सकते हैं और उनके योग तथा अनुयोग छाप सकते हैं। एम० एस० एक्सैस में सारणी, फॉर्म, कुएरी, रिपोर्ट आदि बनाने की अच्छी सुविधाएँ हैं। इनके लिए एक्सैस में विज़ार्ड नामक विशेष प्रोग्राम उपलब्ध हैं।

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5. मैक्रो : मैक्रो काम को ऑटोमैटिक करता है। बार-बार किये जाने वाले कार्य को मैक्रो में रिकार्ड कर सकते हैं।

6. मड्यूल : मडयूल, प्रोसीजर, स्टेटमैंट तथा डैकलरेशन का मेल होता है। यह मैक्रो की तरह ही होता है। इसका प्रयोग एडवांस फंक्शन की तरह किया जाता है।

डाटाबेस आबजैक्ट
डाटाबेस आबजैक्ट चार तरह के होते हैं-

  • टेबल
  • कुएरी
  • फार्म
  • रिपोर्ट

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डाटा टाइपस
डाटा टाइप किसी भी डाटा के प्रकार को कहते हैं। अर्थात् वह डाटा किस प्रकार का है; जैसे कि नंबर, : करेंसी, टैक्सट, पिक्चर आदि एक्सैस में निम्न प्रकार की डाटा टाइपस हैं :
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अक्सैस की विशेषताएं

  1. एक आसानी से इंस्टाल होता है तथा इसमें कार्य करना आसान है।
  2. यह दूसरे प्रोग्राम के साथ आसानी से लिंक होता है।
  3. Access एक बहुत प्रसिद्ध RDBMS है।
  4. Access सस्ता साफ्टवेयर है।
  5. यह डाटा को सुविधा पूर्ण संभाल कर रखता है।
  6. यह एक से ज्यादा यूजर को स्पोर्ट करता है।
  7. इसमें डाटा इंपोर्ट करना आसान है।
  8. Access एक सुरक्षित डाटाबेस सिस्टम है।

एम०एस० अक्सैस
एम०एस० अक्सैस एक रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम (RDBMS) है। इस डाटे को स्टोर करता है ज़रूरत पड़ने पर वापिस दिखाता है। इस में डाटे को टेबल के रूप में स्टोर करता है। अक्सैस को शुरू करना Start → All Program → Microsoft Office → MS – Access.

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टेबल के साथ कार्य करना
टेबल रिकार्ड तथा फील्ड से मिलकर बनता है। इनके साथ कार्य करना बहुत आसान है।

टेबल बनाना
टेबल बनाने के तीन तरीके हैं

  1. Design View
  2. Wizard
  3. Entering Data

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डाटाशीट वियू से टेबल तैयार करना
टेबल ग्रुप में कान्टेंट टैब पर टेबल बटन पर क्लिक करें। इससे एक नए खाली टेबल डाटाशीट में एक छोटी Window खुल जायेगी।
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2. डाटे को डालते समय फील्ड भरना-डाटाशीट व्यू में डाटा Excel की वर्कशीट की तरह ही डाला जाता है। इसमें डाटा लगातार रोअज़ और कालम में दाखिल होता है। डाटाशीट व्यू में ऊपर दाईं (Left) तरफ क्लिक करें। जब भी कभी डाटाशीट व्यू में कोई नया कालम डालना होता है तो यह टेबल में एक नया फील्ड बना देता है। डाटाशीट व्यू में हर टेबल में अक्सैस अपने आप एक डाटाशीट के दाईं तरफ एक फील्ड बना देता है जिस को हम आई-डी (ID) कहते हैं। यह फील्ड अपने आप में प्राइमरी कीअ की तरह काम आता है।

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3. डाटा दाखिल करते समय फील्ड को भरना –
(1) Click to Add Column में पहले सैल पर क्लिक करो। इस के बाद अपने टेबल की आईटम में डाटा दाखिल करें। कालम में बाईं (Right) तरफ जाने के लिए टैब (Tab) अथवा Enter कीअ को दबायें। अक्सैस अपने आप आई-डी फील्ड में 1 नंबर डाल देगा। जब भी हम कोई रोअज़ को सिलैक्ट करते हैं, वह अपने आप पैन्सिल में बदल जाता है। जब भी कोई रिकॉर्ड (Record) को डाला जाता है पर उस को सेव (Save) नहीं किया जाता है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 6
(2) रोअज़ आईकन में पैन्सिल पर क्लिक करें। इस तरह पहला रिकॉर्ड सेव (Save) हो जायेगा। जिसका नंबर 1 होगा। इस तरह आपका सारा रिकार्ड सेव (Save) हो जायेगा।
(3) इसी तरह आप डाटा आईटम डालते जाएं और Enter or Tab कीअ दबाते जायें।
(4) जब आप पहले रिकॉर्ड में डाटा दाखिल कर देते हैं तो आप रिकॉर्ड को सेव (Save) करने के लिए किसी भी रोअज़ पर क्लिक करें। आप जितना डाटा डालें उसके बाद टेबल को सेव कर लें।

डिजाइन वियू में टेबल तैयार करना जब भी आप डिज़ाइन दृश्य में टेबल बनाना चाहते हैं। आप को अपनी डाटाशीट पर बहुत ध्यान देना पड़ेगा। पहले हमें डिज़ाइन दृश्य में टेबल का ढांचा बनाना पड़ता है और बाद में डाटाशीट में जा कर डाटा को दाखिल करना पड़ता है।

डिज़ाइन दृश्य में पहले Object Window में दिए पेज़ नज़र आते हैं। उसमें पहला Field object पेज़ होता है जो window में दाईं तरफ होता है। इस का प्रयोग field name बताने के लिए और डाटा टाइप बनाने के लिए किया जाता है।

इस का दूसरा क्षेत्र है Property पेन है। यह window के नीचे दिखाई देता है जिस में फील्ड की प्रापर्टी के बारे में बताया जाता है। फील्ड प्रापर्टी में जो प्रापर्टीज़ होती है वह हमारी तरफ से दिए गए मूल्य पर निर्भर करती है। डिज़ाइन दृश्य में टेबल बनाने के स्टैप

  • Create table में टेबल ग्रुप में टेबल डिज़ाइन बटन पर क्लिक करो। Object window में एक खाली टेबल आ जायेगा।
  • फील्ड नेम कॉलम में पहले फील्ड नेम लिखें। फील्ड नेम 64 अंग्रेज़ी के अक्षर हो सकते हैं जिनमें लैटर, नंबर, स्पेस आदि हो सकते हैं।
  • डाटा टाइप कॉलम में नीचे ऐरो पर क्लिक करें और लिस्ट में से डाटा टाइप चुनें।
  • Description कॉलम में फील्ड की Description टाइप करें।

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और फील्ड लेकर स्टैप 2 से 4 दुबारा करें। सारे फील्ड भरने के बाद टेबल को सेव करें।

फार्म बनाना तथा बदलना-
फार्म का प्रयोग डाटा डालने तथा बदलने के लिए किया जाता है। इससे हमें डाटा को आसानी से डालने में मदद मिलती है।

फार्म बनाना अक्सैस में फार्म को आसानी से बनाया जा सकता है, यह एक ग्राफिकल पेशकारी ही होती है। इससे हमारा कार्य आसानी से होता है।
टेबल से फार्म बनाना टेबल से फार्म बनाने के लिए Create – Form पर क्लिक करें तथा अपनी ज़रूरत अनुसार फार्म बनाएं।

सोर्टिंग
आप डाटाबेस में जो रिकॉर्ड देखते हो वही नज़र आयेगा। जैसे कि सबसे पहला रिकॉर्ड और उसके बाद दूसरा रिकॉर्ड। इस तरह हम आसानी से स्क्रोल (Scroll) करके किसी भी रिकॉर्ड को ढूंढ़ सकते हैं। अक्सैस में रिकॉर्ड उनकी आई०डी० के आधार पर सोर्टिंग करता है। उदाहरण के लिए-कक्षा से संबंधित डाटाबेस को कई प्रकार से सोर्टिंग कर सकते हैं।

  • विद्यार्थी को नतीजे, उनके नाम, अथवा नंबरों के आधार पर हम डाटे को शोर्ट (Sort) कर सकते
  • रोल नंबर और नाम के आधार पर
  • कक्षा के आधार पर विद्यार्थी के टेबल को सोर्ट करने का तरीका :

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(1) होम टैब टेबल पर क्लिक करें और सोर्टिंग और फिल्टर ग्रुप पर जायें।
(2) फील्ड को सोर्ट करें। चढ़ते अथवा ढलते क्रम कमांड को सिलैक्ट करें।

  • टैक्सट को A to Z और नंबर को छोटे से बड़े तक सोर्टिंग करने के चढ़ते क्रम को सिलैक्ट करें।
  • चढ़ते क्रम को सिलैक्ट करें, जिससे टैक्सट Z to A और नंबर की बड़े से छोटे अंक पर सोर्टिंग करना चाहते हैं।

(3) अब आप टेबल को सिलैक्ट करें फील्ड के अनुसार सिलैक्ट हो जायेगा।

डाटा फिल्टर
M.S. Access में फिल्टर एक ऐसा तरीका है जो आप को वही डाटा दिखाता है जिसकी आप को ज़रूरत होती है। डाटा फिल्टर लगाने के स्टैप-
(1) आप जिस फील्ड पर फिल्टर लगाना चाहते हैं, उस फील्ड के साथ के Drop down Arrow पर क्लिक करें। हम कक्षा के आधार पर फिल्टर लगाएं। क्योंकि हम पूरी कक्षा में उन विद्यार्थियों की सूची देखना चाहते हैं जो कि पास अथवा फेल हुए हैं।
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(2) एक चैक लिस्ट के साथ एक Drop down मीनू सामने आ जायेगे। फिल्टर के प्रणाम में चैक लगी हुई items ही दिखाई देगी। आगे लिखी हुई ऑप्शन पर आप फैसला कर सकते हो किस फिल्टर में आप कौन-सी आईटम ला सकते हो।

  • किसी एक आईटम को एक समय सिलैक्ट या डीसिलैक्ट करने के लिए Check box पर क्लिक करें। यहाँ पर हम अकेले कक्षा में फिल्टर लगाना चाहते हैं और बाकी बची आप्शन को छोड़ देंगे।
  • हर एक आईटम को फिल्टर लगाने के लिए सिलैक्ट आल पर क्लिक करें और दूसरी बार क्लिक करने पर सभी आईटम डी-सिलैक्ट हो जायेगी।
  • ब्लैंक (Blank) पर क्लिक करने पर फिल्टर वही रिकॉर्ड सामने दिखाई देंगे जिस में कई फील्ड होंगे।
  • OK पर क्लिक करके फिल्टर चालू हो जाएगा।

रिपोर्ट अक्सैस में रिपोर्ट आप को इकट्ठे किये डाटे की अपनी सुविधा अनुसार प्रिंट करने की सुविधा प्रधान करता है। आप अपने टेबल और Queries के आधार पर रिपोर्ट बना सकते हैं।

रिपोर्ट बनाने के कई तरीके हैं पर यहां पर हम विजार्ड के साथ रिपोर्ट बनायेंगे। रिपोर्ट बनाने का तरीका-
1. अपना डाटा बेस खोलें।
2. Report टैब पर क्लिक करें।
3. Create Report by using wizard आप्शन पर क्लिक करें।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 10
4. एक टेबल का चुनाव करें, जिस पर आधारित रिपोर्ट तैयार करनी है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 11
5. टेबल के बीच वाले फील्डस ज़रूरत के अनुसार चुनें।
6. Next बटन पर क्लिक करें। टेबल के बीच जाने कोल्डस जरूरत के अनुसार चुने। अपना
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7. अपनी रिपोर्ट के लिए ज़रूरत अनुसार जानकारी दें और Next पर क्लिक करें।
8. फील्ड स्टोर करने के संबंध में जानकारी दें और Next बटन पर क्लिक करें।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 13
9. रिपोर्ट का ले आऊट निर्धारित करें और Next बटन पर क्लिक करें। ….
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10. रिपोर्ट का स्टाइल चुनें।
11. First बटन पर क्लिक करें।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 4 डी०बी०एम०एस० से परिचय

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 4 डी०बी०एम०एस० से परिचय

जान-पहचान
डाटा बेस मैनेजमैंट सिस्टम ऐसा टूल है जो डाटा का उचित प्रबन्ध करता है। DBMS का पूरा नाम है-डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम है। यह एक सॉफ्टवेयर होता है जो यूज़र को डाटाबेस सिस्टम बनाने, संभाल कर रखने, कन्ट्रोल करने और देखने की आज्ञा देता है।

डाटा और सूचना
डाटा वह पदार्थ होते हैं जिन पर कम्प्यूटर प्रोग्राम काम करते हैं । ये अंक, अक्षर, शब्द, विशेष चिन्ह आदि हो सकते हैं। इनका स्वयं में कोई अर्थ नहीं होता। प्रक्रिया के बाद डाटा सूचना में बदल जाता है।

डाटाबेस
कम्प्यूटर डाटा बेस व्यवस्थित रिकार्डज़ का समूह है। जो कम्प्यूटर में स्टोर होता है। डाटाबेस से यूज़र ज़रूरी सूचना प्राप्त कर सकता है। डाटाबेस तैयार करने के लिए एक सॉफ्टवेयर प्रयोग किया जाता है जिसे डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम कहा जाता है।

  1. ऐट्रिब्यूट या डाटा आइटम किसी विशेष डाटा आइटम का वर्णन करने के लिए गए अक्षरों के समूह को ऐट्रिब्यूट कहा जाता
  2. रिकार्ड एक-दूसरे से सम्बन्धित डाटा आइटम के समूह को रिकार्ड कहा जाता है ; जैसे-स्टूडेंट रिकार्ड में प्रयोग की जाने वाली डाटा आइटम, जैसे रोल नम्बर, नाम और अंक आदि रिकार्ड कहलाता है।
  3. फाइल एक-दूसरे से सम्बन्धित रिकार्ड के समूह को फाइल कहा जाता है।

डी० बी० एम० एस० DBMS का पूरा नाम है-डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम है। यह एक सॉफ्टवेयर होता है जो यूज़र को डाटाबेस सिस्टम बनाने, संभाल कर रखने, कन्ट्रोल करने और देखने की आज्ञा देता है।

डाटा तथा इनफॉरमेशन डाटा-डाटा कच्चे पदार्थ होते हैं जिन पर कम्प्यूटर प्रोग्राम काम करते हैं। इनफॉरमेशन-प्रोसैस किये गए डाटा को इनफॉरमेशन कहते हैं।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 4 डी०बी०एम०एस० से परिचय

डाटाबेस मैनेजमैंट
सरलतम शब्दों में कोई डाटाबेस किसी विशेष वस्तु या वस्तुओं के समूह के बारे में आपस में सम्बन्धित डाटा का एक संग्रह होता है। उदाहरण के लिए, कोई विश्वविद्यालय अपने विभिन्न कोरों के लिए नामांकित विद्यार्थियों का डाटाबेस बना सकती है और कोई कम्पनी अपने विभिन्न विभागों में कार्य करने वाले कर्मचारियों का डाटाबेस तैयार कर सकती है। ऐसे डाटाबेस किसी एक कार्य के लिए सीमित नहीं होते, बल्कि वे एक साथ कई उद्देश्यों के लिए उपयोगी होते हैं।

वास्तव में, कोई डाटाबेस बनाने का उद्देश्य समस्त आवश्यक डाटा एक ही स्थान पर उपलब्ध कराना होता है, जिसका उपयोग अनेक प्रोग्रामों तथा उपयोगों द्वारा किया जा सकता है। कोई डाटाबेस हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी होता है, चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यापारिक। उदाहरण के लिए, हम अपने किसी मित्र या सम्बन्धी का पता या टेलीफोन नं० देखने के लिए एडरैस बुक का उपयोग करते हैं, जिसमें हमारे सभी मित्रों तथा सम्बन्धियों के नाम-पते वर्णमाला के क्रम (Alphabetic order) में लिखे होते हैं। ऐसी एडरैस बुक वास्तव में एक डाटाबेस है, हालांकि वह कम्प्यूटर में नहीं है।

अच्छे डाटा बेस डिजाइन के लिए जरूरी निर्देश अच्छे डाटा बेस के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • डाटा सही, पूरा तथा अच्छी तरह बना होना चाहिए।
  • डाटा को प्रयोग होने वाले रूप में बनाना चाहिए।
  • डाटाबेस का डिजाइन बढ़िया ढंग से होना चाहिए।
  • डाटाबेस को भविष्य में आने वाली मुश्किलों को ध्यान में रख कर डिजाइन करना चाहिए।

डाटाबेस एपलीकेशन का उपयोग डाटाबेस एपलीकेशन का उपयोग निम्न स्थानों पर होता है-

  1. बैंक में अकाऊंट की संभाल
  2. एयरलाइन रिजर्वेशन
  3. यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट इनफॉरमेशन तथा कोर्स
  4. संस्था की महीनेवार स्टेटमैंट
  5. दूरसंचार के लिए
  6. सेल तथा परचेज
  7. खरीद संबंधी जानकारी
  8. सप्लाई तथा वेयर हाऊस आर्डर
  9. कर्मचारियों की सैलरी, पे-रोल, टैक्स आदि।

फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम कम्प्यूटर आने से पहले सारी सूचना कागज़ों के ऊपर स्टोर की जाती थी। जब सब सूचना ढूँढ़नी हो तो कागज़ को देखना होता था।
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम के लाभफाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में निम्नलिखित लाभ हैं :

  • तकनीकी जानकारी की आवश्यकता नहीं-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में किसी भी प्रकार की खास कम्प्यूटर या साफ्टवेयर की जानकारी की आवश्यकता नहीं होती।
  • कम डाटा में आसानी-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में कम डाटा के साथ काम करने में आसानी . होती है।
  • समझने में आसानी-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में डाटा की स्ट्रक्चर को समझना डी०वी०एम०एस० से आसान होता है।
  • सस्ता-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम की कीमत कम होती है।
  • सरल-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम सरल होता है।
  • फालतू हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं-आम करके फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में किसी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती।
  • आसान जगह बदली-फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में डाटा की आसानी से जगह बदली जा सकती है। सिर्फ फाइलें कापी तथा पेस्ट ही करनी होती हैं।

फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम के हानियांफाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में निम्नलिखित हानियां हैं :

डाटामैपिंग अकसैस-सब संबंधित सूचना को अलग-अलग फाइल में स्टोर करना होता है पर इनमें किसी भी प्रकार की मैपिंग नहीं होती है।

2. डाटा रिडुयनहुँसी-डुपलीकेट डाटा को वैलिडेट करने के लिए फाइल सिस्टम में कोई भी तरीका नहीं होता है। फाइल सिस्टम में डुपलीकेट डाटा को संभाला नहीं जा सकता। क्योंकि इससे स्पेस घटती है जिससे डाटा को हमेशा संभाल के रखने में मुश्किल होती है। इससे डाटाबेस संभाल सकते हैं।

3. डाटा डिपेंडेंस-फाइल में डाटा एक विशेष प्रकार से स्टोर किया जाता है ; जैसे कि टैब, कोमा या सैमीकालम जब फाइल का फारमैट बदल दिया जाए। वह फाइल प्रोसैस करने के लिए पूरा प्रोग्राम बदलना पड़ेगा। सारा डाटा खराब हो जाएगा। क्योंकि बहत प्रोग्राम फाइल का प्रयोग करते हैं। इससे फाइलों का प्रयोग काफी मुश्किल हो जाता है।

4. डाटा इनकनसिसटैंसी-एक ही प्रकार के डाटा की भिन्न कापियों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। इस प्रकार के डाटा को इनकनसिसटैंसी कहते हैं। इसका कारण है कि फाइल की सही सूची नहीं बनी होती जिसके कारण डाटा की एक जैसी कापी नहीं होती है।

5. सुरक्षा-हर फाइल को पासवर्ड लागकर सुरक्षित किया जाता है। परंतु अगर फाइल में से हम कोई रिकार्ड देखते हैं जैसे कि किसी भी यूज़र ने अपना नतीजा देखना हो तो यह फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में बहुत मुश्किल होता है।

डी० बी० एम० एस० DBMS का पूरा नाम डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम है। यह एक सॉफ्टवेयर होता है। जो यूज़र को डाटाबेस बनाने, संभाल कर रखने, कन्ट्रोल करने और देखने की आज्ञा देता है। DBMS वास्तव में प्रोग्रामों का एक समूह है जो यूज़र को स्टोर करने, बदलने और डाटाबेस में से संक्षेप सूचना निकालने की स्वीकृति देता है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 4 डी०बी०एम०एस० से परिचय

DBMS के लाभ

  1. यह अधिकता को कंट्रोल करता है।
  2. डाटा का मॉडल बनाया जा सकता है।
  3. डाटा की सांझेदारी की जा सकती है।
  4. अशुद्धता लागू होती है।
  5. इसका उचित स्तर होता है।
  6. इसे बिना आज्ञा कोई व्यक्ति नहीं चला सकता और न ही देख सकता है।
  7. निजी ज़रूरतों से लेकर उद्योगों की ज़रूरतें पूरी करता है।
  8. इससे ज़्यादा यूज़र इकट्ठे कार्य कर सकते हैं।
  9. इसमें बैकअप की यूटिलिटी भी होती है।

हानियां

  • यह जटिल होता है।
  • इसका छोटे कम्प्यूटर पर उच्च स्तर पर प्रयोग नहीं हो सकता।
  • खराब होने का खतरा अधिक होता है।
  • आकार काफ़ी बड़ा होता है।
  • इसका मूल्य काफ़ी अधिक होता है।
  • अतिरिक्त हार्डवेयर की ज़रूरत पड़ती है।
  • परिवर्तन का मूल्य काफ़ी अधिक होता है।

डी० बी० ए०
इसका पूरा नाम डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर है। यह वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है जो डाटाबेस प्रणाली को नियन्त्रण करता है। डी० बी० ए० के प्रकार-
1. एडमिनीस्ट्रेटिव डी० बी० ए०
2. डिवैल्पमेंट डी० बी० ए०
3. आरीटैक्ट डी० बी० ए०
4. डाटा वेयरहाऊस डी० बी० ए० ।

DBA के नीचे लिखे काम और जिम्मेदारियां होती हैं

  • डाटाबेस के लिए विषय-वस्तु निर्धारित करना।
  • हार्डवेयर यन्त्रों के बारे में फैसला करना।
  • यह यूज़र के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले डाटे के बारे में फैसला करता है।
  • बैकअप प्रदान करवाता है।
  • यह पुनः प्राप्ति में सहायता करता है।
  • डाटाबेस के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।
  • ज़रूरत के अनुसार डाटाबेस में तबदीली करता है।
  • यह डाटे की वैलीडेशन निर्धारित करता है।

डाटा रिडयू.सी डाटा रिडयू.सी का अर्थ है-एक ही प्रकार के डाटा को बार-बार स्टोर करना। एन०टी०टी० तथा एट्रीब्यूट्स वह चीज़ जिसकी जानकारी हम डाटा के रूप में डाटाबेस में स्टोर करते हैं। उसे एन० टी० टी० कहते हैं।

एन० टी० टी० किस्में
1. कमज़ोर एन० टी० टी०-यह एक ऐसी एन० टी० टी० है। जो आपके एट्रीब्यूट्स से अलग नहीं पहचानी जा सकती।
2. बढ़िया एन० टी० टी०-इस में प्राइमरी कीअ लगी होती है। यह एन० टी० टी० बढ़िया से जान सकते हैं। यह डाटा से अलग हो जाती है।

एन०टी०टी० रिलेशनशिप डायाग्राम एनटीटी रिलेशनशिप डायाग्राम वह डायाग्राम होता है जो विभिन्न एन०टी०टी० का आपसी संबंध बताता है इसके दो तरीके हैं-
1. Dr. Peter Chen’s alt
2. James Martin तथा Clive Fine Kelstein वाला

डी० बी० एम० एस० में कीज़
कीअज़ डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम का महत्त्वपूर्ण भाग है। इनका प्रयोग टेबलज़ को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। ये यह यकीनी बनाते हैं कि प्रत्येक रिकार्ड फील्डज़ के एक विशेष सैट से पूरी तरह पहचाना जा सके। ये निम्न प्रकार की होती हैं
1. सुपर कीअ-यह कीअ एट्रीब्यूटज़ का वह संग्रह है जो टेबल में रिकार्ड को अलग रूप में पहचानती है। सुपर कीअ कैडीडेट कीअ का सुपर सैट होती है।

2. कैंडीडेट कीअ-कैंडीडेट कीअ फील्डज़ का वह संग्रह होती है जिनसे प्राइमरी कीअ का चुनाव किया जाता है। यह एट्रीब्यूटज़ का सैट होती है जो प्रत्येक रिकार्ड की पहचान के लिए प्राइमरी कीअ का प्रयोग करती है।

3. प्राइमरी कीअ-प्राइमरी कीअ वह कीअ होती है, जो टेबल की मुख्य कीअ बनने के लिए सबसे बढ़िया होती है। यह टेबल के रिकॉर्ड की अलग तौर से पहचान करती है।

4. कम्पोजिट कीअ-कम्पोजिट कीअ वह होती है जो दो या दो से ज्यादा एट्रीब्यूटस की पहचान करती है। कोई भी एट्रीब्यूटज़ जो एक कम्पोजिट कीअ बनाता है वह एक साधारण कीअ नहीं होता।

5. फौरन कीअ-फौरन कीअ दो टेबल में संबंध जोड़ती है। यह टेबल की प्राइमरी कीअ होती है। फौरन कीअ को प्राइमरी कीअ के मुकाबले लागू करना मुश्किल होता है। एक टेबल की प्राइमरी कीअ दूसरे टेबल की फौरन कीअ बन जाती है।

नारमलाइजेशन नारमलाइज़ेशन एक वैज्ञानिक विधि है जिसके द्वारा टेबल को आसान तरीके से यूज़र को समझने योग्य रूप में बदला जा सकता है। टेबल में रिडुयन.सी को कम करने के लिए और डाटाबेस इनकनसिसटैंसी को कम करने और अपने डाटाबेस को मज़बूत करने के लिए आगे कुछ पग दिये हैं।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 4 डी०बी०एम०एस० से परिचय

  • सब टेबल में एक आइडेंटीफाईर ज़रूरी होना चाहिए।
  • सब टेबल में एक टाइप का एन०टी०टी० स्टोर होना चाहिए।
  • नल वैल्यू को कम-से-कम स्टोर करना चाहिए।
  • वैलयूज़ बार-बार कम आनी चाहिए।

आमतौर पर नारमल फारमज़ पांच होती है।

  1. First Normal Form (INF)
  2. Second Normal Form (2NF)
  3. Third Normal Form (3NF)
  4. Fourth Normal Form (4NF)
  5. Boyce coded Normal Form (BCNF).

संबंध
DBMS संबंध टेबल को बांटने तथा स्टोर करने की आज्ञा देता है। एक टेबल की फौरन कीअ डाटाबेस के सभी टेबल की प्राइमरी कीअ होती है। इनसे ही संबंध बनते हैं। संबंध निम्न प्रकार के होते हैं-

  1. एक से एक-एक से एक संबंध एक टेबल के कॉलम को दूसरे टेबल से जोड़ती है। एक का संबंध दूसरे किसी एक से ही होता है।
  2. एक से अनेक-यह संबंध वहां होता है जहां दो टेबलों की प्राइमरी कीअ तथा फौरन कीअ में संबंध हो। इसमें एक टेबल की रोअ दूसरे टेबल की ज्यादा रोअ से संबंध बनाती है।
  3. अनेक से अनेक-इसमें जंक्शन टेबल का प्रयोग होता है। एक टेबल के रिकॉर्ड दूसरे टेबल के अनेक रिकॉर्डों से संबंध बनाते हैं।

Oracle Oracle साफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत 1877 में Relational Software Corporation के नाम से हुई थी। इसने पहला RDBMS बनाया।
इसके दो उद्देश्य थे

  • डाटा बेस को SQL के कंपैटेवल बनाना
  • DBMS को C भाषा में बनाना

SQL
SQL एक उच्च स्तरीय भाषा है जो डाटा बेस को संभालने, बदलने के काम आती है। SQL के लाभ

  1. यह हाई लेबल भाषा है
  2. इससे एक समय में बहुत डाटाबेस पर काम किया जाता है।
  3. SQL प्रोग्राम पोर्टेबल होता है।
  4. SQL समझने में काफी आसान है।

DB2 DB2, IBM द्वारा बनाया RDBMS है। इसका प्रयोग डाटा संभालने, देखने, बदलने के लिए होता है। इसकी स्थापना 1990 में की गई थी।

डाटा मॉडल
डाटा मॉडल वह तरीका है जो हमें डाटाबेस स्ट्रक्चर के बारे में जानकारी देता है। यह तीन प्रकार के होते हैं।
1. ऑब्जैकट ओरीऐंटिड मॉडल-यह लाइन दर लाइन डाटा का वर्णन करते हैं। यह पाँच प्रकार के होते हैं।

  • बाइनरी मॉडल
  • फंकशन मॉडल
  • एन० टी० टी० रिलेशनशिप
  • ऑब्जैकट ओरऐंटिड मॉडल
  • सिमेटिक डाटा मॉडल। ।

2. रिकार्ड बेस लॉजीकल मॉडल-यह लाइन दर लाइन डाटा का वर्णन करते हैं। पर यह एक फारमैट का प्रयोग करते हैं। इसमें हर एक रिकार्ड के अपने एट्रीब्यट्स और फील्डस होते हैं, जिसे एक निश्चित अधिकार होता है। यह तीन प्रकार के होते हैं।

  • नेटवर्क मॉडल
  • रिलेशनल मॉडल
  • हैरारीकल मॉडल।

3. फिजीकल डाटा मॉडल-फिजीकल डाटा मॉडल का प्रयोग डाटाबेस में से नीचे लेवल के डाटा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह इस प्रकार है –

  1. एन० टी० टी०-यह डाटाबेस के अलग-अलग वस्तु के बारे में जानकारी देता है।
  2. एट्रीब्यूट-यह प्रयोगकर्ता के नाम, पता आदि के एन० टी० टी० के बारे में जानकारी देता है।
  3. एन० टी० टी० सेट-यह एन० टी० टी० सैट और एट्रीब्यूट सुमेल से बनता है। इसमें अलग-अलग ऐन० टी० टी० और एट्रीब्यूट स्टोर की जाती है।
  4. रिलेशनशिप-हम जिस भी एन० टी० टी० का प्रयोग कर सकते हैं। वह आपसी डाटाबेस में किसी अन्य एन० टी० टी० से भी जुड़ी हो सकती है। इसी को रिलेशनशिप या संबंध कहते हैं।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

नैटवर्क
नेटवर्क दो या दो से ज्यादा कम्प्यूटरों के उस समूह को कहते हैं जिसमें वे आपस में बातचीत कर सकते हैं। ये कम्प्यूटर किसी प्रकार के माध्यम से जुड़े होते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में यंत्रों को भी शेयर करते|
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नैटवर्किंग की ज़रूरत
नैटवर्किंग की आवश्यकता डाटा साझा करने तथा अदला-बदली करने के लिए होती है। नैटवर्क का उपयोग

  1. इमेल द्वारा संचार
  2. हार्डवेयर सांझा करना
  3. फाइल शेयर करना
  4. रीमोट साफ्टवेयर तथा आपरेटिंग सिस्टम शेयर करना
  5. सूचना को आसानी से पहुंचाना
  6. विभिन्न यूजरों को एक गेम खेलने की आज्ञा देना
  7. इंटरनैट का प्रयोग करना
  8. डाटा को एक स्थान पर स्टोर करना।

नेटवर्क के भाग नेटवर्क के निम्न भाग होते हैं-

  • कम्प्यूटर-कम्प्यूटर को नोड या क्लाईट भी कहते हैं। यह वह कम्प्यूटर होता है जिस पर सारे स्रोत शेयर किये जाते हैं। इसका प्रयोग यूजर करता है।
  • सरवर-सरवर वह कम्प्यूटर होता है जो नेटवर्क को कंट्रोल करता है तथा सारा समय नैटवर्क के साथ जुड़ा रहता है। यह एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है।
  • नेटवर्क इंटरफेस कार्ड-यह एक सर्कट बोर्ड होता है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर को कम्यूनीकेशन मीडिया से जोड़ने के लिए किया जाता है।

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निम्न प्रकार के नेटवर्क प्रयोग किए जाएं।

  1. तार वाला
  2. बिना तार के।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

हब/स्विच- यह एक ऐसा यंत्र होता है जो ज़्यादा कम्प्यूटरों को आपस में जुड़ने की आज्ञा देता है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 3
राऊटर-यह हार्डवेयर डिवाइस होता है जो डाटा प्राप्त करता है, उसका निरीक्षण करता है तथा दूसरे नेटवर्क पर आगे भेजता है।
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नैटवर्क के लाभ तथा हानियाँ
नेटवर्क के लाभ

  1. इससे डाटा, प्रोग्राम आपस में सांझे किये जा सकते हैं।
  2. इससे हम हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर शेयर कर सकते हैं।
  3. यह कम्यूनीकेशन का एक बढ़िया साधन है।
  4. इनके प्रयोग से कम यंत्र ज्यादा लोग प्रयोग कर सकते हैं।
  5. नैटवर्क द्वारा फाइलों की अखंडता बनी रहती है।
  6. नैटवर्क द्वारा महंगी मशीनरी की प्रति यूजर कीमत कम होती है।
  7. नैटवर्क सारे स्रोतों को भरोसे से प्रयोग करने की आज्ञा देता है।
  8. नैटवर्क लचकता प्रदान करता है।
  9. नैटवर्क डाटा बैकअप की सहुलियत देता है।
  10. यह डाटा को सुरक्षा प्रदान करता है।
  11. इसे हमारे कार्य ज्यादा गति से होते हैं।

नेटवर्क की हानियाँ

  • ये काफी महंगे बनते हैं।
  • नेटवर्क बन्द होने पर सारा कार्य बन्द हो जाता है।
  • नेटवर्क में डाटा की सुरक्षा में सेंध लगा सकती है।
  • इन पर कार्य यूजर को मुश्किल लगता है।

नैटवर्क टोपोलोजी
किसी नेटवर्क को तैयार करने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारक उसकी संरचना होती है। यह वह तरीका है, जिसमें नेटवर्क के कम्प्यूटरों को जोड़ा जाता है। मूल रूप से तीन प्रकार की संरचाएं होती हैं, जिनमें नेटवर्क के उपकरणों को जोड़ा जाता है
1. स्टार टोपोलोजी (Star Topology)
2. बस टोपोलोजी (Bus Topology)
3. रिंग टोपोलोजी (Ring Topology)

1. स्टार नेटवर्क (Star Topology)-इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों तथा उपकरणों को एक बड़े केन्द्रीय कम्प्यूटर, जिसे मेजबान कम्प्यूटर (Host Computer) या सर्वर (Server) कहा जाता है, से जोड़ा जाता है, जो कि उन्हें नियंत्रित करता है तथा उनके बीच डाटा के संचार को नियमित करता है। चित्र में एक स्टार नेटवर्क दिखाया गया है। ऐसे नेटवर्क में प्रत्येक बिन्दु (Node) किसी दूसरे बिन्दु तक केवल मेजबान कम्प्यूटर के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। इस नेटवर्क का कार्य स्पष्ट रूप से कम्प्यूटर के ऊपर निर्भर करता है और किसी जुड़े हुए उपकरण या केबिलस की असफलता से नेटवर्क बहुत प्रभावित होता है। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करना भी सरल है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 5
यह संरचना ऐसे संगठनों के लिए बहुत उपयोगी है, जहां एक बड़े कम्प्यूटर में मास्टर डाटा बेस रखा जाता है। सुरक्षा नियंत्रण तथा देख-रेख की दृष्टि से यह सबसे अच्छा माना जाता है। भारत में रेलों के आरक्षण में इसी संरचना का प्रयोग किया गया है। स्टार नेटवर्क की सबसे बड़ी कमी यह है कि केन्द्रीय कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर पूरा असफल हो जाता है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

2. बस नेटवर्क (Bus Network)-इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों और टर्मिनलों को एक साझा संचार चैनल से जोड़ा जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ऐसे नेटवर्क में कोई केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इसमें केबिलों की लम्बाई न्यूनतम होती है। इसमें चैनल काट दिये जाने पर नेटवर्क असफल हो जाता है, लेकिन किसी एक कम्प्यूटर या टर्मिनल के कट जाने पर नेटवर्क ज्यादा प्रभावित नहीं होता। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करके और टर्मिनल जोड़ना भी सरल हो जाता है। किसी बहुमंजिली इमारत में नेटवर्क स्थापित करते समय इस संरचना का उपयोग किया जाता है।
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3. रिंग नेटवर्क (Ring Network)-इस प्रकार के नेटवर्क में कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे कुल मिलाकर एक बंद घेरे या वलय (Ring) का रूप लेते हैं। चित्र में एक रिंग नेटवर्क दिखाया गया है। इसमें कोई भी केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इस नेटवर्क की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें सभी बिन्दु या कम्प्यूटर बराबर होते हैं। हालांकि इसमें कोई सर्वर (Server) भी हो सकता है। ऐसे नेटवर्क में डाटा का प्रवाह केवल एक दिशा में होता है और प्रत्येक कम्प्यूटर एक रिपीटर की तरह डाटा को आगे भेज देता है। संचार पूरा होने पर भेजने वाला कम्प्यूटर संदेश पहुंच जाने की सूचना प्राप्त कर लेता है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 7
इस नेटवर्क में सबसे बड़ी कमी यह है कि एक कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर पूरा नेटवर्क असफल हो जाता है। लेकिन इस समस्या को बाईपास केबिलों का प्रयोग करके हल किया जाता है। प्रत्येक बाईपास केबिल किसी एक कम्प्यूटर को बाईपास करता है। जैसे ही वह कम्प्यूटर असफल होता है, बाईपास केबल चालू हो जाता है और नेटवर्क का कार्य चलता रहता है। उपरोक्त तीनों प्रकार की मूल संरचनाओं में सुधार करके कुछ उपयोगी संरचनाएं उपयोग में लायी जाती हैं। इनके बारे में आगे बताया गया है(क) कैम्ब्रिज रिंग (The Cambridge Ring)-यह एक प्रकार का रिंग नेटवर्क होता है।

यह पहली बार अमेरिका के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में विकसित किया गया था, परन्तु मूल डिज़ाइन में अनेक सुधार हो चुके हैं। इसका सुधरा हुआ रूप प्रत्येक निर्माता द्वारा बनाया जाता है। इसमें डाटा का सम्प्रेषण क्रमिक (Serial) विधि से (अर्थात् एक के बाद एक बिट) और लूप पूरा होने तक ही दिशा में किया जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। नेटवर्क के प्रत्येक उपकरण (या साधन) को एक रिंग स्टेशन (Ring Station) के माध्यम से जोडा जाता है। इनके बीच ही इंटरफेस होता है।
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इसमें एक रिंग स्टेशन दूसरे स्टेशन तक संदेश मिनी पैकेटों के माध्यम से भेजता है। मिनी पैकेट एक मॉनीटर स्टेशन (Monitor Station) द्वारा पैदा किये जाते हैं, प्रारम्भ में वे खाली होते हैं। यदि किसी स्टेशन को किसी दूसरे तक कोई संदेश भेजना होता है, तो वह वहां से गुजरने वाले किसी खाली मिनी पैकेट में डाटा भर देता है और गंतव्य का पता (Destination Address) भी लिख देता है। भरा हुआ पैकेट आगे यात्रा करता रहता है और गंतव्य तक पहुंचने पर संदेश नकल कर लिया जाता है।

साथ ही पैकेट पर उचित चिन्ह लगा दिया जाता है कि संदेश प्राप्त कर लिया गया है। पैकेट की यात्रा जारी रहती है और भेजने वाले स्टेशन तक चलता रहता है। एक बार में एक निश्चित संख्या में ही पैकेट यात्रा में हो सकते हैं। इस प्रकार के नेटवर्क में मॉनीटर स्टेशन की बड़ी जिम्मेदारी होती है। वह पूरे नेटवर्क में डाटा के आवागमन (Traffic) को नियंत्रित करता है और उसका हिसाब रखता है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

(ख) टोकन रिंग (Token Ring)- यह एक अन्य प्रकार का रिंग नेटवर्क होता है, जिसे टोकन पासिंग रिंग (Token Passing Ring) भी कहते हैं। इसमें एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक एक टोकन गुज़रता रहता है। जब भी किसी स्टेशन पर टोकन आता है, वह स्टेशन उसमें डाटा भरने या भेजने के लिए स्वतंत्र होता है। इस नेटवर्क में किसी मॉनीटर स्टेशन की कोई आवश्यकता नहीं होती और हर स्टेशन अपना मामला खुद देखता है।

(ग) ईथर नेट (Ether Net)-यह एक बस संरचना का लोकल एरिया नेटवर्क होता है। मूलरूप में इसे जीरॉक्स कॉरपोरेशन द्वारा तैयार किया गया था, परन्तु इस तकनीक का प्रयोग अन्य निर्माताओं द्वारा भी व्यापक रूप से किया जाता है। इसलिए उस जैसी संरचना का नाम भी ईथर नेट पड़ गया है। यह कोक्सियल केबल (Coaxial Cable) के या अधिक खंडों (Segments) द्वारा बनता है। प्रत्येक खण्ड लगभग 100 बिंदुओं (Nodes) तथा 500 मीटर की लम्बाई का होता है।

इस प्रकार किसी बड़े नेटवर्क में कई खण्ड हो सकते हैं, जिन्हें रिपीटर द्वारा जोड़ा जाता है। खण्डों से ट्रांसीवर (Transceiver) नामक साधनों (Devices) को जोड़ा जाता है। जो उपकरण नेटवर्क से जुड़ना चाहता है, वह ट्रांसीवर के माध्यम से ही जुड़ता है। ऐसे नेटवर्क में डाटा पैकेटों के रूप में प्रेषित किया जाता है। प्रत्येक पैकेट का आकार 1500 बाइटों तक होता है और ट्रांसफर की दर 10 मेगाबाइट प्रति सेकण्ड होती है।

डाटा कम्यूनिकेशन दो या ज्यादा कम्प्यूटरों में डाटा साझा करने की प्रक्रिया को डाटा कम्यूनिकेशन कहते हैं। इसमें Sendar, Reciever तथा Communication चैनल मिल कर कार्य करते हैं। डाटा संचार की तीन शर्ते होती हैं।

  1. Delivery : डाटा अपने स्थान तक सही ढंग से पहुंचे
  2. Accuracy : डाटा दोष मुक्त होना चाहिए।
  3. समय की पाबंदी : डाटा वगैर किसी देरी के पहुंचे

डाटा संचार के हिस्से Sendar – जो सूचना तैयार करता तथा भेजता है।
Medium – Sender से Receiver तक ले जाने वाला माध्यम।
Reciever – जो सूचना प्राप्त करता है।
Protocol – सूचना भेजने के नियम
Protocols
Protocols
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डाटा ट्रांसमिशन के तरीके डाटा ट्रांसमिशन के तरीके का अर्थ है-सैंडर तथा रिसीवर के बीच डाटा किस प्रकार जाता है। डाटा भेजने तथा प्राप्त करने के निम्न तरीके हैं।
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1. Simplex-यह संचार का एक तरफा माध्यम होता है। इसमें एक समय पर एक तरफ ही संचार होता है। दूसरी तरफ संचार नहीं होता। उदाहरण के तौर पर टेलीविज़न तथा रेडियो नेटवर्क।
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2. Half Duplex-Half Duplex में दोनों तरफ से संचार हो सकता है परन्तु एक समय पर सिर्फ एक तरफ से ही संचार होता है। दूसरी तरफ से संचार शुरू करने से पहले पहली तरफ का संचार बंद करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर वाकी टाकी सिस्टम।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 12
3. Full Duplex : इसमें दोनों तरफ से संचार एक ही समय पर हो सकता है। मोबाइल फोन का नेटवर्क इसी का उदाहरण है।
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नेटवर्क की किस्में
कम्प्यूटर नेटवर्क की कई किस्में होती हैं। इनको आकार, प्रयोग आदि के आधार पर कई प्रकार से विभाजित किया जाता है। भौगोलिक आधार से नेटवर्क को आगे दिए भागों में बांटा जा सकता है।
1. पैन-पैन का अर्थ है परसनल एरिया नेटवर्क। (यह एक छोटा नेटवर्क होता है। यह एक नये टाइप का नैटवर्क है। यह अकेले आदमी का नेटवर्क है। इसमें किसी व्यक्ति के परसनल डिवाइस आपस में मिलकर एक नेटवर्क बनाते हैं। यह केबल वाला तथा बिना किसी केबल के भी हो सकता है।
2. लैन-लैन का अर्थ है-लोकल एरिया नेटवर्क। इस का प्रयोग छोटी जगह जैसे एक दफ्तर, बिल्डिंग आदि में किया जाता है। इसके द्वारा कई स्रोत तथा यंत्र सांझे किये जा सकते हैं। यह एक सरल नैटवर्क है। इसमें तारों का अधिकतर प्रयोग होता है।
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3. मैन-यह नेटवर्क ज़्यादा बड़े क्षेत्र में फैला होता है। अकसर यह एक शहर में कोई सुविधा प्रदान करते हैं ; जैसे-टेलीविज़न केवल नेटवर्क। यह सिंगल भी हो सकता है तथा किसी के साथ जुड़ा भी। यह कई लैन का मेल भी हो सकता है। यह 5 से 50 कि०मी० तक फैला हो सकता है।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग

4. वैन-वैन का अर्थ है-वाईड एरिया नेटवर्क। यह बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र में फैला होता है, जैसे पूरा देश, महाद्वीप या सारी दुनिया इसमें बहुत सारे छोटे नेटवर्क होते हैं। इंटरनैट इस की एक बढ़िया उदाहरण है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 15

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 3 परमाणु एवं अणु

PSEB 9th Class Science Guide परमाणु एवं अणु Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
0.24g ऑक्सीजन एवं बोरॉन युक्त यौगिक के नमूने में विश्लेषण द्वारा यह पाया गया कि उसमें 0.096 बोरॉन एवं 0.144g ऑक्सीजन है। उस यौगिक के प्रतिशत संघटन का भारात्मक रूप में परिकलन कीजिए।
हल :
दिए गए यौगिक का द्रव्यमान = 0.24g
यौगिक में उपस्थित बोरॉन का द्रव्यमान = 0.096g
यौगिक में उपस्थित ऑक्सीजन का द्रव्यमान = 0.144g
नमूने में बोरॉन (B) की प्रतिशतता (%) = \(\frac{0.096}{0.24}\) × 100
= \(\frac{96}{240}\) × 100
= 40 उत्तर।
नमूने में ऑक्सीजन (O) की प्रतिशतता = \(\frac{0.144}{0.24}\) × 100
= 60 उत्तर।

प्रश्न 2.
3.00g कार्बन, 8.00g ऑक्सीजन में जलकर 11.00g कार्बन डाइऑक्साइड निर्मित करता है। जब 3.00g कार्बन को 50.00g ऑक्सीजन में जलाएंगे तो कितने ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होगा ? आपका उत्तर रासायनिक संयोजन के किस नियम पर आधारित होगा ?
हल :
3.00g कार्बन, 8.00g ऑक्सीजन में जलकर 11.00g कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। इससे यह पता चलता है कि पूरी कार्बन तथा ऑक्सीजन प्रयोग करने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पादित होती है। परंतु जब 3g कार्बन तथा 50.0g ऑक्सीजन प्रयोग की जाती है तो केवल 8g ऑक्सीजन संयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है तथा शेष ऑक्सीजन का प्रयोग नहीं हो पाता। यह स्थिर अनुपात नियम को दर्शाता है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 3.
बहुपरमाणुक आयन क्या होते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
बहुपरमाणुक आयन (Polyatomic ion) – परमाणुओं का वह समूह जो एक आयन की भांति व्यवहार करता है, उसे बहु-परमाणुक आयन कहते हैं। इस पर एक निश्चित आवेश की मात्रा होती है।
उदाहरण- \(\mathrm{SO}_{4}^{2-}\), \(\mathrm{SO}_{3}^{2}\), \(\mathrm{NH}_{4}^{+}\), \(\mathrm{CO}_{3}^{2-}\)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के रासायनिक सूत्र लिखिए :
(a) मैग्नीशियम क्लोराइड
(b) कैल्सियम क्लोराइड
(c) कॉपर नाइट्रेट
(d) ऐलुमिनियम क्लोराइड
(e) कैल्सियम कार्बोनेट।
उत्तर-
यौगिक – रासायनिक सूत्र
(a) मैग्नीशियम क्लोराइड – MgCl2
(b) कैल्सियम क्लोराइड – CaCl2
(c) कॉपर नाइट्रेट – Cu(NO3)2
(d) ऐलुमिनियम क्लोराइड – AlCl3
(e) कैल्सियम कार्बोनेट – CaCO3

प्रश्न 5.
निम्नलिखित यौगिकों में विद्यमान तत्वों के नाम दीजिए :
(a) बुझा हुआ चूना
(b) हाइड्रोजन ब्रोमाइड
(c) बेकिंग पाउडर (खाने वाला सोडा)
(d) पोटैशियम सल्फेट।
उत्तर-
यौगिकों का नाम – उपस्थित तत्वों के नाम
(a) बुझा हुआ चूना – कैल्सियम तथा ऑक्सीजन
(b) हाइड्रोजन ब्रोमाइड – हाइड्रोजन तथा ब्रोमीन
(c) बेकिंग पाउडर – सोडियम, हाइड्रोजन, कार्बन तथा ऑक्सीजन
(d) पोटैशियम सल्फेट – पोटैशियम, सल्फर तथा ऑक्सीजन

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पदार्थों के मोलर द्रव्यमान का परिकलन कीजिए :
(a) एथाइन, C2H2
(b) सल्फर अणु, S8
(c) फॉस्फोरस अणु, P4 (फॉस्फोरस का परमाणु द्रव्यमान = 31)
(d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, HCl
(e) नॉइट्रिक अम्ल, HNO3
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 1
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 2

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 7.
निम्न का दव्यमान क्या होगा ?
(a) 1 मोल नाइट्रोजन परमाणु।
(b) 4 मोल ऐलुमिनियम परमाणु।
(c) 10 मोल सोडियम सल्फाइट (Na2SO3) (ऐलुमिनियम परमाणु का द्रव्यमान = 27)
हल :
(a) 1 मोल नाइट्रोजन परमाणु का द्रव्यमान = 14g

(b) 1 मोल ऐलुमिनियम परमाणु का द्रव्यमान = 27u
∴ 4 मोल ऐलुमिनियम परमाणु का द्रव्यमान = 27 × 4
= 108u
= 108g

(c) 1 मोल सोडियम सल्फाइट (Na2SO3)
का द्रव्यमान = 2 × Na + 1 × S + 3 × O
= 2 × 23 + 1 × 32 + 3 × 16
= 46 + 32 + 48
= 126u
∴ 10 मोल सोडियम सल्फाइट का द्रव्यमान = 10 × 126u
= 1260u
= 1260g

प्रश्न 8.
मोल में परिवर्तित कीजिए :
(a) 12g ऑक्सीजन गैस
(b) 20g जल
(c) 22g कार्बन डाइऑक्साइड।

हल-
हम जानते हैं कि किसी वस्तु के मोलों की संख्या = PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु 3
(a) 12g ऑक्सीजन गैस (O2) में मोलों की संख्या = \(\frac{12}{32}\)
= 0.375

(b) 20g जल (HO2) में मोलों की संख्या = \(\frac{20}{18}\)
= \(\frac{10}{9}\)
= 1.11

(c) 22g कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) में मोलों की संख्या = \(\frac{22}{44}\)
\(\frac{1}{2}\)
= 0.5

प्रश्न 9.
निम्न का द्रव्यमान क्या होगा ?
(a) 0.2 मोल ऑक्सीजन परमाणु
(b) 0.5 मोल जल अणु।
हल-
(a). 1 मोल ऑक्सीजन परमाणु का द्रव्यमान = 16g
∴ 0.2 मोल ऑक्सीजन परमाणु का द्रव्यमान = 16g × 0.2
= 3.2g

(b) 1 मोल जल अणु का द्रव्यमान = 18g
∴ 0.5 मोल जल अणु का द्रव्यमान = 18g × 0.5
= 9g

प्रश्न 10.
16g ठोस सल्फर में सल्फर (S8) के अणुओं की संख्या का परिकलन कीजिए।
हल-
सल्फर S8 के 1 मोल का द्रव्यमान = 8 × 32
= 256g
तथा S8 के 1 मोल में उपस्थित अणुओं की संख्या = 6.023 × 1023
∴ 256g सल्फर (S8) में उपस्थित अणुओं की संख्या = 6.023 × 1023
1g सल्फर (S8) में उपस्थित अणुओं की संख्या = \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{256}\)
16g सल्फर (S8) में उपस्थित अणुओं की संख्या = \(\frac{6.023 \times 10^{23} \times 16}{256}\)
= \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{16}\)
= 3.76 × 1023

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 11.
0.051g ऐलुमिनियम ऑक्साइड (Al2O3) में ऐलुमिनियम आयन की संख्या का परिकलन कीजिए।
(संकेत : किसी आयन का द्रव्यमान उतना ही होता है जितना कि उसी तत्व के परमाणु का द्रव्यमान होता है। ऐलुमिनियम का परमाणु द्रव्यमान = 27u है।)
हल-
ऐलुमिनियम ऑक्साइड का 1 मोल = 2 × Al + 3 × O
= 2 × 27 + 3 × 16
= 54 + 48
= 102g
102g ऐलुमिनियम ऑक्साइड में उपस्थित अणु = 6.023 × 1023
1g ऐलुमिनियम ऑक्साइड में उपस्थित अणु = \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{102}\)
∴ 0.051g ऐलुमिनियम ऑक्साइड में उपस्थित अणुओं की संख्या = \(\frac{6.023 \times 10^{23} \times 0.051}{102}\)
= 3.01 × 1020
ऐलुमिनियम ऑक्साइड जितने आयन प्रदान करता है = 2 × 3.01 × 1020
= 6.02 × 1020 उत्तर।
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Science Guide for Class 9 PSEB परमाणु एवं अणु InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
एक अभिक्रिया में 5.3 g सोडियम कार्बोनेट एवं 6.0 g एथेनॉइक अम्ल अभिकृत होते हैं। 2.2 g कार्बन डाइऑक्साइड, 8.2 सोडियम एथेनॉएट एवं 0.9 g जल उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया द्वारा दिखाइए कि यह परीक्षण द्रव्यमान संरक्षण के अनुरूप है।
सोडियम कार्बोनेट + एथेनॉइक अम्ल- सोडियम एथेनॉएट + कार्बन डाइऑक्साड + जल
हल:
सोडियम कार्बोनेट का द्रव्यमान = 5.3 g
एथेनॉइक अम्ल का द्रव्यमान = 6.0 g
अभिकारकों का कुल द्रव्यमान = सोडियम कार्बोनेट का द्रव्यमान + एथेनॉइक अम्ल का द्रव्यमान
= 5.3 g + 6.0 g
= 11.3 g ………………… (i)
कार्बन डाइऑक्साइड का द्रव्यमान = 2.2 g
सोडियम एथेनॉएट का द्रव्यमान = 8.2 g
जल का द्रव्यमान = 0.9 g
∴ उत्पादों का कुल द्रव्यमान = कार्बन डाइऑक्साइड का द्रव्यमान + सोडियम एथेनॉएट का द्रव्यमान + जल का द्रव्यमान
= 2.2 g + 8.2 g + 0.9 g
= 11.3 g ……………….. (ii)
(i) तथा (ii) से
अभिकारकों का कुल द्रव्यमान = उत्पादों का कुल द्रव्यमान
11.3 g = 11.3 g
यह प्रतिक्रिया द्रव्यमान संरक्षण नियम को प्रमाणित करती है।

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प्रश्न 2.
हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन द्रव्यमान के अनुसार 1:8 के अनुपात में संयोग करके जल निर्मित करते हैं। हाइड्रोजन गैस के साथ पूर्ण रूप से संयोग करने के लिए कितने ऑक्सीजन गैस के द्रव्यमान की आवश्यकता होगी?
हल :
क्योंकि हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्रव्यमान के अनुसार 1:8 के अनुपात में क्रिया करते हैं।
∴ x g हाइड्रोजन को जल बनने के लिए ऑक्सीजन गैस की जितनी मात्रा आवश्यक है = 8 × x g
∴ 3g हाइड्रोजन को जितनी मात्रा ऑक्सीजन की आवश्यक है
= 8 × 3g
= 24g

प्रश्न 3.
डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत का कौन-सा अभिग्रहीत द्रव्यमान के संरक्षण के नियम का परिणाम
उत्तर-
“परमाणु अविभाज्य सूक्ष्म कण होते हैं जो रासायनिक प्रतिक्रिया में न तो निर्मित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है”।
डॉल्टन सिद्धांत का यह बिंदु द्रव्यमान संरक्षण नियम का परिणाम है।

प्रश्न 4.
डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत का कौन-सा अभिग्रहीत निश्चित अनुपात के नियम की व्याख्या करता है ?
उत्तर-
डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत का बिंदु जो निश्चित अनुपात के नियम की व्याख्या करता है”किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।”

प्रश्न 5.
परमाणु द्रव्यमान इकाई को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
परमाणु द्रव्यमान इकाई (Atomic Mass Unit) – यह कार्बन-12 समस्थानिक के एक परमाणु द्रव्यमान
का \(\frac{1}{12}\) वाँ भाग है।
1 a.m.u. = 1.66 × 10-27 kg

प्रश्न 6.
एक परमाणु को आँखों द्वारा देखना क्यों संभव नहीं होता ?
उत्तर-
परमाणु बहुत सूक्ष्म होते हैं इसलिए उन्हें आंख द्वारा देखना संभव नहीं है। बहुत-से तत्वों के परमाणु तो स्वतंत्र रूप से विचर भी नहीं सकते हैं। एक परमाणु का अर्धव्यास 10-10 m है जिसे साधारणतया नैनोमीटर में मापा जाता है।
(1nm = 10-9m)

प्रश्न 7.
निम्न के सूत्र लिखिए-
(i) सोडियम ऑक्साइड
(ii) ऐलुमिनियम क्लोराइड
(iii) सोडियम सल्फाइड
(iv) मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड।
उत्तर-
यौगिक : सूत्र
(i) सोडियम ऑक्साइड : Na2 O
(ii) ऐलुमिनियम क्लोराइड : AlCl3
(iii) सोडियम सल्फाइड : Na2 S
(iv) मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड : Mg (OH)2

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूत्रों द्वारा प्रदर्शित यौगिकों के नाम लिखिए-
(i) Al2 (SO4)3
(ii) CaCl2
(ii) K2 SO4
(iv) KNO3
(v) CaCO3
उत्तर-
सूत्र – यौगिक का नाम
(i) Al2 (SO4)3 – ऐलुमिनियम सल्फेट
(ii) CaCl2 – कैल्सियम क्लोराइड
(ii) K2 SO4 – पोटैशियम सल्फेट
(iv) KNO3 – पोटैशियम नाइट्रेट
(v) CaCO3 – कैल्सियम कार्बोनेट

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 9.
रासायनिक सूत्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
रासायनिक सूत्र (Chemical Formula)-किसी पदार्थ (तत्व अथवा यौगिक) के अणु को संकेत रूप में प्रदर्शित करना रासायनिक सूत्र कहलाता है। उदाहरण के लिए जल के अणु का सूत्र H2O है।

प्रश्न 10.
निम्न में कितने परमाणु विद्यमान हैं –
(i) H2S अणु एवं
(ii) \(\mathrm{PO}_{4}^{3-}\) आयन।
उत्तर-
(i) H2S अणु में कुल 3 परमाणु उपस्थित होते हैं जिनमें से 2 परमाणु हाइड्रोजन तथा 1 परमाणु सल्फर का होता है।

(ii) \(\mathrm{PO}_{4}^{3-}\) आयन में कुल 5 परमाणु होते हैं जिनमें से 1 परमाणु फॉस्फोरस का तथा 4 परमाणु ऑक्सीजन के होते हैं।

प्रश्न 11.
निम्न यौगिकों के आण्विक द्रव्यमान का परिकलन कीजिए :
H2, O2, Cl2, CO2, CH4, C2H6, C2H4, NH3 एवं CH3OH.
उत्तर-
H2 का आण्विक द्रव्यमान = 2 × हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान
= 2 × 1
= 2u

O2 का आण्विक द्रव्यमान = 2 × ऑक्सीजन के परमाणु का द्रव्यमान
= 2 × 16
= 32u

Cl2 का आण्विक द्रव्यमान = 2 × क्लोरीन परमाणु का द्रव्यमान
= 2 × 35.5
= 71u

CO2 का आण्विक द्रव्यमान = 1 कार्बन परमाणु + 2 ऑक्सीजन परमाणु
= 1 × कार्बन का परमाणु द्रव्यमान + 2 × ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान
= 1 × 12 + 2 × 16
= 12 + 32
= 44u

C2H6 का आण्विक द्रव्यमान = 2 कार्बन परमाणु + 6 हाइड्रोजन परमाणु
= 2 × कार्बन का परमाणु द्रव्यमान + 6 × हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान
= 2 × 12 + 6 × 1
= 24 + 6
= 30 u

C2H4 का आण्विक द्रव्यमान = 2 कार्बन परमाणु + 4 हाइड्रोजन परमाणु
= 2 × कार्बन का परमाणु द्रव्यमान + 4 × हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान
= 2 × 12 + 4 × 1
= 24 + 4
= 28u

NH3 का आण्विक द्रव्यमान = 1 नाइट्रोजन परमाणु + 3 हाइड्रोजन परमाणु
= 1 × नाइट्रोजन का परमाणु द्रव्यमान + 3 × हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान
= 1 × 14 + 3 × 1
= 14 + 3
= 17u

CH3OH का आण्विक द्रव्यमान = 1 कार्बन परमाणु + 3 हाइड्रोजन परमाणु + 1 ऑक्सीजन परमाणु + 1 हाइड्रोजन परमाणु
= 1 × कार्बन का परमाणु द्रव्यमान + 3 × हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान + 1 × ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान + 1 × हाइड्रोजन का परमाणु
द्रव्यमान
= 1 × 12 + 3 × 1 + 1 × 16 + 1 × 1
= 12 + 3 + 16 + 1
= 32u

प्रश्न 12.
निम्न यौगिकों के सूत्र इकाई द्रव्यमान का परिकलन कीजिए-
ZnO, NagO एवं K2CO3
दिया गया है :
Zn का परमाणु द्रव्यमान = 65u
Na का परमाणु दव्यमान = 23u
K का परमाणु द्रव्यमान = 39u
C का परमाणु द्रव्यमान = 12u
O का परमाणु द्रव्यमान = 16u है।
उत्तर-
ZnO का सूत्र इकाई द्रव्यमान = जिंक परमाणु + 1 ऑक्सीजन परमाणु
= 1 × Zn का परमाणु द्रव्यमान + 1 × ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान
= 1 × 65 + 1 × 16
= 81u

Na2O का सूत्र इकाई द्रव्यमान = 2 सोडियम परमाणु + 1 ऑक्सीजन परमाणु
= 2 × सोडियम का परमाणु द्रव्यमान + 1 × ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान
= 2 × 23 + 1 × 16
= 46 + 16
= 62u

K2CO3 का सूत्र इकाई द्रव्यमान = पोटैशियम के 2 परमाणु + कार्बन का 1 परमाणु + ऑक्सीजन के 3 परमाणु
= 2 × पोटैशियम का परमाणु द्रव्यमान + 1 × कार्बन का परमाणु द्रव्यमान + 3 × ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान
= 2 × 39 + 1 × 12 + 3 × 16
= 78 + 12 + 48
= 138u

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 3 परमाणु एवं अणु

प्रश्न 13.
यदि कार्बन परमाणुओं के एक मोल का द्रव्यमान 12g है तो कार्बन के एक परमाणु का द्रव्यमान क्या होगा ?
हल :
1 मोल कार्बन परमाणु = 6.023 × 1023 परमाणु
अब 6.023 × 1023 कार्बन परमाणुओं का द्रव्यमान = 12g
∴ 1 कार्बन परमाणु का द्रव्यमान = \(\frac{12}{6.023 \times 10^{23}}\)g
= 1.99 × 10-23g उत्तर।

प्रश्न 14.
किसमें अधिक परमाणु होंगे : 100g सोडियम (Na) अथवा 100g लोहा (Fe) ? (Na का परमाणु द्रव्यमान = 23u, Fe का परमाणु द्रव्यमान = 56u)
हल :
23 ग्राम परमाणु इकाई या 23g सोडियम (Na) = 1 मोल सोडियम
= 6.023 × 1023 परमाणु सोडियम
100g सोडियम (Na) = \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{23}\) × 100
= 2.617 × 1024 परमाणु ……………….. (1)
अब 56 ग्राम परमाणु लोहा (Fe) या 56g लोहा = 1 मोल लोहा (Fe)
= 6.03 × 1023 परमाणु लोहा
∴ 100g लोहा \(\frac{6.03 \times 10^{23}}{56}\) × 100
= 1.075 × 1024 …………………… (2)
परमाणु (1) और (2) की तुलना करने पर
100 g सोडियम में 100 g लोहे की तुलना में अधिक परमाणु होते हैं। उत्तर

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2)

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2)

चार्ट
चार्ट डाटे को ग्राफिकल रूप में पेश करने का एक ढंग होता है। इसके द्वारा डाटे को सुन्दर रूप में पेश किया जा सकता है। चार्ट कई प्रकार के होते हैं। इनसे डाटे को समझने में काफी आसानी होती है।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2) 1

चार्ट की किस्में एक्सल में चार्ट की निम्न किसमें होती हैं –

  1. कॉलम चार्ट
  2. बार चार्ट
  3. लाइन चार्ट
  4. पाई चार्ट
  5. स्कैटर चार्ट
  6. एरिया चार्ट
  7. सरफेस चार्ट
  8. हिस्टोग्राम।

चार्ट बनाने के पग चार्ट को निम्न पग का प्रयोग करके बनाया जा सकता है-

  • डाटा टाइप करें।
  • डाटे को सिलैक्ट करें।
  • होमटैब पर चार्ट बटन पर क्लिक करें। (चार्ट विज़ार्ड दिखाई देगा।)
  • चार्ट की किस्म का चुनाव करें।
  • डाटे की रेंज तथा सीरीज का ढंग चुनें तथा Next पर क्लिक करें।
  • चार्ट से संबंधित अन्य जानकारी भरें तथा Next पर क्लिक करें।
  • चार्ट को रखने की जगह बनाए तथा Next पर क्लिक करें। (चार्ट बन जाएगा)

चार्ट टाइप बदलना हम पहले बनाए चार्ट की टाइप को बदल सकते हैं। इसमें डाटा में कोई बदलाव नहीं होता। इसके निम्न पग हैं-

  1. चार्ट का चुनाव करें।
  2. Insert – Chart ग्रुप में – Column पर क्लिक करो।
  3. अपनी पसंद की चार्ट टाइप पर क्लिक करो। चार्ट टाइप बदल जाएगी।

रोअ/कॉलम स्विच करना अपने चार्ट के डाटा को होरीजोंटली या वर्टीकली रीड करने के लिए हम रोअ कॉलम को स्विच कर सकते हैं। इसके लिए चार्ट का चुनाव करके Design टैब – Switch Row/Column पर क्लिक करो।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 1 एम०एस० एक्सल (भाग-1)

चार्ट टाइटल जोड़ना टाइटल चार्ट के नाम को दर्शाता है। इसे जोड़ने के निम्न पग है
1. चार्ट का चुनाव करो।
2. Layout टैब पर Chart Title पर क्लिक करें।
3. ज़रूरत अनुसार Above Chart, Centered आदि विकल्प का चुनाव करें।

चार्ट के विभिन्न भाग चार्ट के विभिन्न भाग निम्नलिखित होते हैं-

  • टाइटल-इसमें चार्ट का टाइटल दिखाई देता है।
  • एक्सिस-चार्ट में दो एक्सिस होते हैं। एक एक्स एक्सिस तथा दूसरा वाई एक्सिस।
  • चार्ट एरिया-चार्ट एरिया वह विंडो होती है जिसमें सारे भाग दिखाई देते हैं।
  • डाटा मार्कर-डाटा मार्कर एक चिन्ह होता है जो एक मूल्य को दर्शाता है।
  • डाटा सीरीज-डाटा सीरीज संबंधित मूल्यों का एक ग्रुप होता है।
  • टिक मार्क-यह एक्सिस पर एक छोटी लाईन होती है तथा यह कैटेगरी, स्केल, आदि को दर्शाती है।
  • पलाट एरिया-यहां पर चार्ट दिखाई देता है।
  • ग्रिड लाइन-ये पलाट एरिये पर पतली रेखाएं होती हैं जो ग्राफ की शुद्धता दर्शाती हैं।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2) 2

सारणी तथा सिंबलज
सारणी, सिंबल या स्पैशल करैक्टर इनसर्ट करना। एक्सल में हम स्पैशल सिंबल निम्न प्रकार से इन्सर्ट कर सकते हैं –

  • सैल का चुनाव करो।
  • Insert – Symbols ग्रुप – Symbols पर क्लिक करो।
  • सिंबल या Special Character टैब पर क्लिक करो।
  • अपनी ज़रूर का सिंबल या स्पैशल करैक्टर चुनो।
  • Insert पर क्लिक करो।

पाइवट टेबल
Pivot टेबल ज्यादा डाटा को एनासाइज़ या विश्लेषण करने का एक ढंग है। इससे हम डाटा की समरी तैयार कर सकते हैं। पाइवट टेबल रिजल्ट के पग –

  1. डाटा का चुनाव करो।
  2. Insert – Pivot Table पर क्लिक करो।
  3. डायलॉग बॉक्स में सारी सैटिंग करें।
  4. OK बटन दबाएं।

Pivot टेबल में फील्ड Add करना-
Pivot टेबल बनाने के बाद दायीं ओर एक पेज़ नजर आएगा। इसमें हम अपनी ज़रूरत अनुसार रोअ या कॉलम में फील्ड Add कर सकते हैं। साथ ही Pivot टेबल में प्रयोग होने वाले फार्मूले का भी चुनाव कर सकते हैं।

डाटा टूलज
एक्सल में कुछ ऐसे टूलज उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग डाटा को आसानी से प्रयोग या विश्लेषण करने में किया जा सकता है।
ये टूल निम्न प्रकार के हैं-
Convert Text to Columns
Convert Text to Columns एक्सल में एक यूटिलिटी होती है जिसकी मदद से हम अपने डाटे को कॉलम में विभाजित कर सकते हैं।
Convert Text to Columns करने के पग-

  1. डाटा डाइप करें।
  2. डाटे को सिलैक्ट करें।
  3. डाटा टैब पर Text to Column पर क्लिक करें।(एक डायलॉग बॉक्स दिखाई देगा।)
  4. डिलिमटर का चुनाव करें। ज़रूरत अनुसार चुनाव करें।
  5. Finish पर क्लिक करें।

Data Validation
Data Validation एक युटिलिटी होती है। जो हमें रूल तैयार करने देता है। जो बताता है कि सैल में कौन-से मूल्य भरें जा सकते हैं।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2) 3
Data Validation रूल तैयार करने के पग –

  • डाटा टाइप करें।
  • ज़रूरत अनुसार सैल का चुनाव करें।
  • डाटा टैब पर Data Validation पर क्लिक करें।
  • ज़रूरत अनुसार सैटिंग का चुनाव करें।
  • OK पर क्लिक करें।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 1 एम०एस० एक्सल (भाग-1)

What if Analysis
What if analysis द्वारा हम अपने डाटा को बदले बगैर नतीजे में बदलाव देख सकते हैं। इसके लिए Scenario मैनेजर का प्रयोग होता है।
इसके निम्न पग हैं –

  1. Data – What if Analysis – Scenario Manager का चुनाव करें।
  2. डायलॉग बॉक्स में Add पर क्लिक करें।
  3. नये डायलॉग बॉक्स में Scenario का नाम तथा बदलने वाली सैल का चुनाव करें।
  4. बदली कीमत दाखिल करें।
  5. Scenario का नतीजा देखने के लिए Show बटन पर क्लिक करें।

Goal Seek
Goal seek भी What if Analysis का हिस्सा है। अपनी पसंद का नतीजा पाने के लिए यह सैल में बदलाव करता है।
पग : Data → What if Analysis → Goal Seek पर क्लिक करें।

  • डायलॉग बॉक्स में Set Cell, To Value तथा By Changing Cell का मूल्य भरें।
  • OK बटन पर क्लिक करें।

Protection
Protection का अर्थ है अपने डाटे को सुरक्षित करना। इस द्वारा हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति हमारे डाटे को बदल न सके जब तक हम न चाहें।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2) 4

वर्कशीट प्रोटैक्ट करने के पग

  1. Review टैब पर क्लिक करें।
  2. Protect Sheet पर क्लिक करें। डायलॉग बॉक्स दिखाई देगा।
  3. Password डालें।
  4. Actions का चुनाव करें।
  5. OK पर क्लिक करें।
  6. पासवर्ड को Confirm करें। (वकशीर्ट प्रोटैक्ट हो जाएगी।)

वर्क बुक को प्रोटैक्ट करना वर्क बुक में दो चीजें प्रोटैक्ट की जा सकती हैं।

  • वर्क बुक स्ट्रकचर
  • वर्क बुक विंडो।

स्ट्रकचर प्रोटैक्ट करने के बाद उसमें कोई शीट Add/Delete/Move/Copy आदि नहीं कर सकता।

पग

  • Review – Protect Workbook पर क्लिक करें।
  • Structure या Window या दोनों का चुनाव करें।
  • Password डालें तथा OK पर क्लिक करें।

वियु टैब
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 2 एम०एस० एक्सल (भाग-2) 5

Split Worksheet
Split Worksheet द्वारा वर्कशीट विंडो को विभाजित किया जा सकता है तथा दोनों भागों को स्वतंत्रता से स्क्रोल किया जा सकता है।
वर्कशीट Split करने के पग

  1. ज़रूरत अनुसार वर्कशीट खोलें।
  2. वर्टीकल स्क्रोल बार में ऊपर Split Box पर क्लिक करें।
  3. इस बटन को नीचे की तरफ खींचें। (ज़रूरत अनुसार खींच कर छोड़ दें। वर्कशीट स्पलिट हो जाएगी।)

फ्रीज
फ्रीज का अर्थ है स्थिर करना। एक्सल में हम अपनी शीट के रोअ/कॉलम को स्थिर कर सकते हैं। इससे हमें अपने डाटा पर काम करने में आसानी होती है।
फ्रीज करने के पग-

  1. फ्रीज करने की ज़रूरत के अनुसार सैल का चुनाव करें।
  2. View – Freeze Panes पर क्लिक करें।
  3. ज़रूरत अनुसार विकल्प का चुनाव करें।

Un Freeze करना
Unfreeze करने के लिए View – Unfreeze Panes पर क्लिक करें।

रोअ/कॉलम/शीट को हाइड/अनहाइड करना।
हम अपनी ज़रूरत अनुसार अपनी रोअ/कॉलम/शीट को हाइड या अनहाइड कर सकते हैं।
रोअ हाइड करना

  1. रोअ को सिलैक्ट करो।
  2. Home – Cell ग्रुप में Format पर क्लिक करो।
  3. Hide & UnHide में Hide Rows पर क्लिक करें।

कॉलम हाइड करना

  • कॉलम का चुनाव करें।
  • Home – Cell ग्रुप में Format पर क्लिक करें।
  • Hide and Unhide में Hide Columns पर क्लिक करें।

वर्कशीट हाइड करना

  • वर्कशीट का चुनाव करें।
  • Home – Cell ग्रुप – Format पर क्लिक करें।
  • Hide & Unhide में Hide Sheet का चुनाव करें।

रोअ/कॉलम/शीट को Unhide करना
हाइड की गई रो/कॉलम/शीट को वापिस दिखाने के लिए

  • Home – Cell ग्रुप – Format पर क्लिक करें।
  • Hide & Unhide में Unhide Rows/Unhide Columns/Unhide Sheet पर क्लिक करें।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 1 एम०एस० एक्सल (भाग-1)

मैक्रो
मैक्रो अपने काम को Automatic करने का एक ढंग है। एक्सल में हम जो कार्य बार-बार करते हैं उसको एक बार मैक्रो में रिकार्ड किया जा सकता है तथा फिर उसे बार-बार चलाया जा सकता है। इसमें हमें सिर्फ एक बटन दबाना पड़ता है न कि सारे पग बार-बार करने पड़ते हैं। मैक्रो Developer टैब की मदद से बनते हैं। पहले हमें इस टैब को दिखाना पड़ेगा।

Developer टैब दिखाना

  • File – Options पर क्लिक करो।
  • Customise Ribbon पर क्लिक करो।
  • दायीं ओर Developer चैक बॉक्स को चुनो तथा OK बटन पर क्लिक करो।

मैक्रो रिकार्ड करने के निम्न पग हैं

  1. Developer टैब – Code ग्रुप में – Record Macro पर क्लिक करो।
  2. डायलॉग बॉक्स में Macro Name, Short Cut कीअ तथा बाकी विकल्प का चुनाव करें।
  3. OK बटन दबाएं।
  4. अपनी ज़रूरत अनुसार एक्सल में कार्य करें। एक्सल सारा कार्य मैक्रो में रिकार्ड कर लेगा।
  5. सारा कार्य करने के बाद Developer टैब – Code ग्रुप – Stop Recording पर क्लिक करें।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

PSEB 9th Class Science Guide क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनायेंगे ?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन आयल से पृथक करने में।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।
(e) जल से तेल निकालने के लिए।
(f) चाय से पतियों को पृथक् करने में।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।
उत्तर-
(a) आसवन विधि/वाष्यण से
(b) ऊर्ध्वपातन विधि
(c) फिल्टरीकरण या छानन विधि
(d) अपकेंद्रण विधि
(e) पृथक्करण विधि (पृथक्कारो कीप विधि)
(f) छानन विधि
(g) चुंबकीय पृथक्करण विधि
(h) फटकन विधि
(i) फिल्टरीकरण या अपकेंद्रण विधि
(j) क्रोमैटोग्राफी।

प्रश्न 2.
चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे। विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय (फिल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें।
उत्तर-
विलयन का चयन – चाय बनाने के लिए जल आधारभूत विलयन के रूप में चुना जाता है जिसमें चाना और दूध विलेय के रूप में जल रूपी विलायक में सरलता से मिल सकते हैं।

क्वथन – जल को इतने तापमान तक गर्म किया जाता है कि वह क्वथनांक प्राप्त कर उबल जाए। उसमें घुलनशील चीनी और अघुलनशील चाय पत्ती आवश्यक मात्रा में डाल विलेय दूध में मिलाओ।

छानन – अघुलनशील चाय पत्नी को घुलेय पदार्थ मान कर छलनी से छानो। घुलनशीला चीनी और दूध वाय बनारे में प्रयुक्त हो जाएंगे। अवशेष रूप में चाय पत्ती को बाहर निकाल कर फिल्ट्रेट रूप में चाय प्राप्त कर लो ।

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प्रश्न 3.
प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को अलग-अलग तापमान पर जांचा और नीचे दिये गये आंकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 ग्राम जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जा संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, अग्रलिखित तालिका में दर्शाया गया है।
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(a) 50 ग्राम जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी ?
(b) प्रज्ञा 353 K पर पोटैशियम क्लोराइड का संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी ? स्पष्ट करें।
(c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा ?
(d) तापमान के परिवर्तन में लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(a) 100g जल में 313K पर संतृप्त विलयन के लिए आवश्यक KNO3 = 62g
50g जल में 313K पर संतृप्त विलयन के लिए आवश्यक KNO3 = \(\frac{62}{100}\) x 50 = 31g

(b) 353K पर KCI के संतृप्त विलयन को जब प्रज्ञा ठंडा करने के लिए छोड़ देगी तो तापमान कम होने पर क्रिस्टलीकरण हो जाएगा जिसके परिणामस्वरूप KCI के क्रिस्टल बन जाएंगे।

(c) KNO3 की 100g जल में घुलनशीलता = \(\frac{32}{100}\) × 100 = 32g
NaCl की 100g जल में घुलनशीलता =\(\frac{36}{100}\) × 100 = 36g
KCl की 100g जल में घुलनशीलता = \(\frac{35}{100}\) × 100 = 35g
NH4Cl की 100g जल में घुलनशीलता = \(\frac{37}{100}\) × 100 = 37g
293K पर सबसे अधिक घुलनशीलता अमोनियम क्लोराइड की है।

(d) तापमान में परिवर्तन से लवणों की घुलनशीलता प्रभावित होती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वैसे-वैसे लवणों की घुलनशीलता बढ़ती जाती है।

प्रश्न 4.
निम्न की उदाहरण सहित व्याख्या करें :
(a) संतृप्त विलयन
(b) शुद्ध पदार्थ
(c) कोलाइड
(d) निलंबन।
उत्तर-
(a) संतृप्त विलयन – किसी निश्चित तापमान पर यदि विलयन में विलेय पदार्थ नहीं घुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। भिन्न पदार्थों की भिन्न तापमानों पर विलयन क्षमता अलग-अलग होती है।

(b) शुद्ध पदार्थ – शुद्ध पदार्थ वह है जिसे केवल एक ही प्रकार के अणु हैं। शुद्ध पदार्थों में भौतिक तथा रासायनिक गुण होते हैं। सभी यौगिक शुद्ध पदार्थ हैं। उदाहरण-साधारण नमक, चीनी, सोना, तांबा, पारा आदि।

(c) कोलाइड – यह एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें कणों का आकार 1 nm से 100 nm के बीच होता है जिन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। ये कण इतने बड़े आकार के होते हैं कि प्रकाश की किरण को फैला सकें। ये कण तल पर नहीं बैठते लेकिन अपकेंद्रीकरण तकनीक से पृथक् किए जा सकते हैं। उदाहरण-कोहरा, बादल, धुआं, दूध, स्पंज, जेली, पनीर, मक्खन आदि।

(d) निलंबन – वह विषमांगी घोल जो ठोस द्रव में परिक्षेपित हो जाता है उसे निलंबन कहते हैं। इसमें विलेय पदार्थ कण घुलते नहीं हैं। बल्कि माध्यम की समष्टि में निलंबित रहते हैं। ये आंखों से देखे जा सकते हैं। छानन विधि से इन्हें मिश्रण से अलग किया जा सकता है। उदाहरण-जल में चाक पाऊडर।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें : सोडा-जल, लकड़ी, बर्फ, वायु, मिट्टी, सिरका, छनी हुई चाय।
उत्तर-
सोडा जल = समांगी
लकड़ी = विषमांगी
बर्फ = समांगी
वायु = समांगी
मिट्टी = विषमांगी
सिरका = समांगी
छनी हुई चाय = समांगी

समांगी प्रश्न 6.
आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है ?
उत्तर-
रंगहीन द्रव में किसी प्रकार के आंखों से दिखाई देने वाले रंग के कण न होने की स्थिति में जल के शुद्ध होने की पुष्टि होती है लेकिन उसमें किसी प्रकार की गंध और स्वाद भी नहीं होना चाहिए। इसे 100°C या 373 K पर उबल जाना चाहिए।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तु शुद्ध पदार्थ है ?
(a) बर्फ
(b) दूध
(c) लोहा
(d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(e) कैल्सियम ऑक्साइड
(f) पारा
(g) ईंट
(h) लकड़ी
(i) वायु।
उत्तर-
लोहा, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, पारा, कैल्शियम ऑक्साइड।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन की पहचान करें।
(a) मिट्टी
(b) समुद्री जल
(c) वायु
(d) कोयला
(e) सोडा जल।
उत्तर-
समुद्री जल, वायु, सोडा जल।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन टिंडल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा ?
(a) नमक का घोल
(b) दूध
(c) कॉपर सल्फेट का विलयन
(d) स्टार्च विलयन।
उत्तर-
दुध, स्टार्च विलयन।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित को तत्व यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें :-
(a) सोडियम
(b) मिट्टी
(c) चीनी का घोल
(d) चांदी
(e) कैल्सियम कार्बोनेट
(f) टिन
(g) सिलिकन
(h) कोयला
(i) वायु
(j) साबुन
(K) मीथेन
(l) कार्बन डाइऑक्साइड
(m) रक्त।
उत्तर-
तत्व = सोडियम, चांदी, टिन, सिलिकन
यौगिक = कैल्शियम कार्बोनेट, मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड
मिश्रण = मिट्टी, चीनी का घोल, कोयला, साबुन, वायु, रक्त।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-से परिवर्तन रासायनिक हैं ?
(a) पौधों की वृद्धि
(b) लोहे में जंग लगना
(c) लोहे के चूर्ण और बालू को मिलाना
(d) खाना पकाना
(e) भोजन का पाचन
(1) जल से बर्फ बनना
(५) मोमबत्ती का जलना।
उत्तर-
लोहे में जंग लगना, खाना पकाना, भोजन का पाचन, मोमबत्ती का जलना।

Science Guide for Class 9 PSEB क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
शुद्ध पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
शुद्ध पदार्थ – वे पदार्थ शुद्ध कहलाते हैं जिनमें विद्यमान सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के होते हैं। शुद्ध पदार्थ में सदा एक ही प्रकार के कण होते हैं ; जैसे-सोना, तांबा, सोडियम क्लोराइड, चीनी आदि।

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प्रश्न 2.
समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अंतर बताएं।।
उत्तर-
समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अंतर – समांगी मिश्रण का रूप, गुण तथा संरचना हर अवस्था में समरूप होता है। विषमांगी मिश्रण के अंगों के भौतिक गुण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। जल में नमक और जल में चीनी समांगी मिश्रण के उदाहरण हैं। जल में तेल, नमक में गंधक, नमक में लोहे की छीलन, रेत में नमक, नमक में चीनी आदि विषमांगी मिश्रण के उदाहरण हैं।

प्रश्न 3.
उदाहरण के साथ समांगी एवं विषमांगी मिश्रणों में अंतर विभेद कीजिए। उत्तर-

उत्तरसमांगी मिश्रण विषमांगी मिश्रण
(1) इसके अवयव एक समान बंटे होते हैं। (1) इसके अवयव एक समान रूप में बंटे नहीं होते।
(2) इसमें अंशों के गुण तथा संरचना हर अवस्था में समरूप होती है।
उदाहरण-पीतल, कांसा, पानी में चीनी, एल्कोहल में पानी, वायु आदि।
(2) इसमें अंशों के गुण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
उदाहरण-रेत कण और लोह चूर्ण, रेत + अमोनियम क्लोराइड, पानी में चॉक, पानी में तेल आदि।

प्रश्न 4.
विलयन, निलंबन और कोलाइड एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
विलयन, निलंबन और कोलाइड में भिन्नता-
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प्रश्न 5.
एक संतृप्त विलयन बनाने के लिए 36g सोडियम क्लोराइड को 100g जल में 293K पर घोला जाता है। इस तापमान पर इसकी सांद्रता प्राप्त करें।
उत्तर-
विलेय पदार्थ का द्रव्यमान (सोडियम क्लोराइड) = 36g
विलायक का द्रव्यमान (जल) = 100g
विलयन का द्रव्यमान = विलेय पदार्थ का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान = 36g + 100g = 136g
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= \(\frac{36}{136}\) x 100 = 26.47%

प्रश्न 6.
पेट्रोल और मिट्टी का तेल (Kerosene Oil) जोकि आपस में घुलनशील हैं, के मिश्रण को आप कैसे पृथक् करेंगे ? पेट्रोल तथा मिट्टी के तेल के क्वथनांकों में 25°C से अधिक का अंतराल है ?
उत्तर-
पेट्रोल और कैरोसीन के मिश्रण को साधारण आसवन विधि से अलग-अलग क । क्योंकि दोनों द्रव बिना अपघटन के उबल जाएंगे। उनके क्वथनांकों में 25°C के अधिक का अंतराल है।

प्रश्न 7.
पृथक करने की सामान्य विधियों के नाम दें-
(अ) दही से मक्खन
(ब) समुद्री जल से नमक
(स) नमक से कपूर।
उत्तर-
(अ) अपकेंद्रण
(ब) क्रिस्टलीकरण
(स) ऊर्ध्वपातन ।

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प्रश्न 8.
क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक् किया जा सकता है ?
उत्तर-
क्रिस्टलीकरण विधि से ठोस पदार्थों में मिली अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। समुद्री जल में घुले नमक को शुद्ध रूप में प्राप्त करने तथा अशुद्ध नमूने से फिटकरी को पृथक् करने के लिए क्रिस्टलीकरण का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 9.
निम्न को रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में वर्गीकृत करें-
पेड़ों का काटना, मक्खन का एक बर्तन में पिघलना, अलमारी में जंग लगना, जल का उबल कर वाष्य बनना, विद्युत् तरंग का जल में प्रवाहित होना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना, जल में साधारण नमक का घुलना, फलों से सलाद बनाना, लकड़ी और कागज़ का जलना।
उत्तर-

  1. पेड़ों का काटना = भौतिक परिवर्तन
  2. मक्खन का एक बर्तन में पिघलना = भौतिक परिवर्तन
  3. अलमारी में जंग लगना = रासायनिक परिवर्तन
  4. जल का उबल कर वाष्प बनना = भौतिक परिवर्तन।
  5. विद्युत तरंग का जल में प्रवाहित होना और उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना = रासायनिक परिवर्तन
  6. जल में साधारण नमक का घुलना = भौतिक परिवर्तन
  7. फलों से सलाद बनाना = भौतिक परिवर्तन
  8. लकड़ी और कागज़ का जलना = रासायनिक परिवर्तन ।

प्रश्न 10.
अपने आस-पास की चीज़ों को शुद्ध पदार्थों या मिश्रण से अलग करने का प्रयत्न करें।
उत्तर-
शुद्ध पदार्थ – हाइड्रोजन, तांबा, सोना, नमक, चीनी, जल, लोहा, चांदी आदि।। मिश्रण-सोडा वाटर, नमक का घोल, शर्बत, धुवां, आइसक्रीम, गंधक-लोह चूर्ण का मिश्रण, जल और तेल का घोल।

PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 1 एम०एस० एक्सल (भाग-1)

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PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 1 एम०एस० एक्सल (भाग-1)

सैल को फारमेट करना-
किसी भी सैल के कंटेंट की अपनी आवश्यकता अनुसार दिखावट बदलने की प्रक्रिया को फारमेटिंग कहते हैं। इसमें टैक्सट का आकार, रंग, फोंट आदि बदला जाता है। नंबरों के फारमेट भी इसी के अंदर बदले जाते हैं। इसका उद्देश्य अपनी रिपोर्ट को सुंदर बनाने से होता है।
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मर्ज तथा सैंटर
मर्ज तथा सैंटर वह सेवा है जिसके द्वारा दो या ज्यादा सैलों को पहले एक सैल में मर्ज किया जाता है तथा फिर उसके कंटेंट को सैंटर अलाइन किया जाता है। ये दोनों कार्य एक ही कमांड द्वारा किये जाते हैं। इस प्रक्रिया में सारे सैलों के कंटैंट इकट्ठे हो जाते हैं।
मर्ज करने के पग-सैलों को मर्ज करने के निम्न पग होते हैं –

  1. सबसे पहले सैलों का चुनाव करें।
  2. Home टैब पर क्लिक करें।
  3. मर्ज तथा सैंटर बटन पर क्लिक करें। सारे सैल मर्ज हो जाएंगे तथा उनका डाटा सैंटर हो जाएगा।

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नंबर ग्रुप
नंबर ग्रुप किसी भी सैल में नंबर को दिखाने के तरीके को परिभाषित करता है। एक्सल में विभिन्न प्रकार के नंबर फारमैट उपलब्ध हैं।
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स्टाइल
सैल स्टाइल को सैल फारमैटिंग भी कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है

  1. जनरल
  2. कंडीशनल

इसका कार्य सैल की दिखावट में बदलाव करना होता है। कंडीशनल फारमेटिंग-कंडीशनल फारमेटिंग डाटा को फारमेट करने का एक ढंग है। इसमें डाटा को खास कंडीशन के आधार पर फारमेट किया जा सकता है। ये कंडीशन्ज़ यूजर की अपनी ज़रूरत के अनुसार होती है। यदि दी गई कंडीशन पूरी हो रही हो तो फारमेटिंग लागू हो जाती है अन्यथा वह फारमेटिंग लागू नहीं होती।
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कंडीशनल फारमेटिंग नियम बनाने के पग निम्न हैं –

  1. सबसे पहले सैल का चुनाव करें।
  2. Format टैब पर क्लिक करें।
  3. Conditional Formating पर क्लिक करें।
  4. अपनी आवश्यकता अनुसार कंडीशन को डिफाइन करें।
  5. OK पर क्लिक करें।

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फारमेटिंग एज़ टेबल-सैल की एक रेंज को टेबल जैसे भी फारमेट कर सकते हैं। इसके लिए एक्सल में बने बनाए टेबल स्टाइल हैं। इसके लिए सूचना को टेबल रूप में फारमेट करना।

  1. डाटा का चुनाव करें।
  2. Home – Style ग्रुप – Format As table पर क्लिक करें।
  3. अपनी ज़रूरत अनुसार स्टाइल चुनें।

सैल स्टाइल-सैल स्टाइल का अर्थ है-सैल के फोंट, रंग, बैकग्राऊंड आदि को फारमेट करना। यह यूजर द्वारा बनाए तथा पहले से परिभाषित हो सकते हैं।

सैल स्टाइल लागू करना

  1. सैल का चुनाव करो।
  2. Home – Style ग्रुप – Cell Styles का चुनाव करो।
  3. अपनी आवश्यकता अनुसार स्टाइल चुनें।

सैल ग्रुप
एक्सल के रोअ तथा कॉलम के काट क्षेत्र को सैल कहते हैं। यह आयताकार आकृति होती है, एक्सल का सारा कार्य इसी में किया जाता है। इसी में टैक्सट, नंबर, फार्मूले तथा फंक्शन एंटर किये जाते हैं। नया सैल दाखिल करना

  1. जहां सैल दाखिल करना है वहां का सैल चुनें।
  2. Home – Cell ग्रुप – Insert वटन पर क्लिक करें।
  3. एक डायलॉग वाक्स दिखाई देगा। ज़रूरत अनुसार विकल्प चुनें।

Shift Cell Right : मौजूदा सैल को दायें शिफ्ट करें।
Shift Cell Down : मौजूदा सैल को नीचे शिफ्ट करें।
Enter Row : सारी रोअ शिफ्ट कर नई रोअ दाखिल करें।
Enter Column : सारा कालम शिफ्ट कर नया कालम दाखिल करो।

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सैल/रोअ/कालम डिलीट करना
ज़रूरत पड़ने पर हम सैल/रोअ या कॉलम डिलीट भी कर सकते हैं। इसके निम्न पग हैं

  1. डिलीट करने वाले सैल/रोअ या कालम को सिलैक्ट करें।
  2. Home – Cell ग्रुप – Delete ड्रापडाऊन में से उपयुक्त विकल्प चुनें।

वे विकल्प हैं-

  • Delete Cells
  • Delete Sheet Rows
  • Delete Sheet Columns

3. एक डायलॉग बॉक्स दिखाई देगा। उसमें से आवश्यकता अनुसार विकल्प चुनें तथा OK बटन पर क्लिक करें।

नई वर्कशीट दाखिल करना
नई वर्कशीट दाखिल करने के लिए एक्सल विंडो के निचले भाग में उपलब्ध शीट बार पर उपलब्ध Insert Work Sheet बटन पर क्लिक करें या Shift + Fill कीअ दबाएं।

बर्कशीट डिलीट करना
वर्कशीट डिलीट करने के लिए वर्कशीट के नाम पर Right Click करके Delete का आप्शन चुनें।

सैल साइज
सैल का आकार उसकी चौड़ाई या ऊंचाई कम या ज्यादा करके बदला जा सकता है।

कॉलम की चौड़ाई बदलना
जिस कॉलम की चौड़ाई बदलनी हो उसके नाम तथा उसके अगले कॉलम के नाम के बीच माऊस ले जाएं। माऊस प्वाइंटर दो धारी हो जाएगा। माऊस बटन दबाकर ज़रूरत अनुसार खींचे। कॉलम की चौड़ाई बदल जाएगी।

रोअ की ऊंचाई बदलना
रोअ की ऊँचाई बदलने के लिए दो रोअ के नाम के बीच माऊस प्वाइंटर ले जाएं। वह दो धारी तीर बन जाएगा। ज़रूरत अनुसार ज्यादा या कम करें।

एडिटिंग
फार्मूला
फार्मूला एक्सल में किसी भी गणितीय फार्मूले का एक रूप होता है जिस प्रकार गणित में चरों तथा अचरों के मेल से फार्मूला बनता है, जिसका एक आऊटपुट प्राप्त होता है। इसी प्रकार, एक्सल में किसी खास गणना को करने के लिए चर,अचर तथा सैल मूल्यों का प्रयोग किया जाता है। इससे गणना का कार्य आसान तथा शीघ्र हो जाता है।
फार्मूला बनाने के पग-एक्सल में फार्मूला निम्न प्रकार से दाखिल किया जा सकता है-

  1. उस सैल का चुनाव करें जहां फार्मूला दाखिल करना है।
  2. बराबर ( = ) का निशान डालें।
  3. फार्मूला टाइप करें।
  4. एंटर कीअ दबाएं। फार्मूला दाखिल हो जाएगा।

सैल रैफरेसिंग
फार्मूले में सैल एडरैस वर्णन के तरीके को सैल रेफरेंसिंग कहते हैं।
यह तीन प्रकार की होती हैं
1. रिलेटिव रेफरेंसिंग
2. एबसोल्यूट रेफरेंसिंग
3. मिक्सड रेफरेंसिंग।

1. रिलेटिव रेफरेंसिंग-रिलेटिव रेफरेंसिंग वो रेफरेंसिंग होती है जो फार्मूला कापी करने से उसके अनुसार बदल जाती है।
2. एबसोल्यूट रेफरेंसिंग-जिस रेफरेंसिंग में फार्मूला कापी करने के साथ रेफरेंसिंग नहीं होता उस को एबसोल्यूट रेफरेंसिंग कहते हैं।
3. मिक्सड रेफरेसिंग-जिस रेफरेंसिंग में रिलेटिव और एबसोल्यूट दोनों तरह की रेफरेंसिंग का इस्तेमाल होता है, उस को मिक्सड रेफरेंसिंग कहते हैं।

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फंक्शन
फंक्शन फार्मूले का ही उन्नत रूप है। फार्मूले हर बार टाइप करने पड़ते हैं तथा उनमें ग़लतियां भी हो जाती हैं। इनमें समय भी ज्यादा लगता है। बड़ा कार्य करने में फार्मूला भी बड़ा हो जाता है जिससे कार्य कठिन हो जाता है। फंक्शन एक्सल में बने बनाए फार्मूले होते हैं। जिन्हें एक खास नाम के अंदर स्टोर किया जाता है। उस नाम का प्रयोग करके फंक्शन का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें अपरेटर बार-बार दाखिल नहीं करने पड़ते।

बेसिक फंक्शन दाखिल करने के पग एक्सल में बेसिक फंक्शन निम्न पग का प्रयोग करके दाखिल किया जा सकता है –

  1. सबसे पहले सैल का चुनाव करें जहां फंक्शन दाखिल करनी है।
  2. Formula टैब पर क्लिक करें।
  3. Function बटन पर क्लिक करें।
  4. आवश्यकता अनुसार फंक्शन ग्रुप तथा फंक्शन का चुनाव करें।
  5. फंक्शन में प्रयोग होने वाले आर्गुमैंट दाखिल करें।
  6. OK पर क्लिक करें। (फंक्शन दाखिल हो जाएगा।)

सोर्टिंग सोर्टिंग का अर्थ है-डाटा को ज़रूरत अनुसार क्रम बार करना। डाटा को बढ़ते या घटते क्रम में सोर्ट किया जा सकता है।
सोर्ट करने के पग

  1. डाटा का चुनाव करें।
  2. Date -Sort and Filter ग्रुप में Sort विकल्प चुनें।
  3. डायलॉग वॉक्स में से सोर्ट करने का कॉलम, क्रम आदि चुनें तथा OK का बटन दबाएं।

डाटा फिल्टर
डाटा फिल्टर का अर्थ है-डाटा में से ज़रूरत का डाटा दिखाना तथा बाकी छुपाना। इससे बड़े डाटा पर काम करने में आसानी होती है।

डाटा फिल्टर के पग

  1. डाटा की ऊपरी रोअ में क्लिक करें।
  2. Date – Sort and Filter में Filter कमांड पर क्लिक करें।
  3. हर हैडर रोअ सैल पर एक ऐरो दिखाई देगा।
  4. किसी ऐरो पर क्लिक करें।
  5. ज़रूरत अनुसार विकल्प चुनें।
  6. OK बटन पर क्लिक करें।

फिल्टर क्लीयर करना
फिल्टर क्लीयर करने के लिए Data टैब पर Filter कमांड को बंद कर दें।

फाइंड एंड रिप्लेस
फाइंड एंड रिप्लेस का प्रयोग डाटा ढूंढने तथा उस को बदलने के लिए किया जाता है।

डाटा ढूंढना

  1. Ctrl + F कीअ दबाएं। डायलॉग बॉक्स में जो ढूंढना है उसे टाइप करें।
  2. ज़रूरत अनुसार अन्य विकल्प चुनें।
    जैसे- With in : Worksheet or Workbook

Search : By Row or By Column
Look in : फार्मूले, रिजल्ट आदि में से
Match Case : अक्षर बड़े छोटे भी मिलाने के लिए
Match Entire Cell Content : सारे सैल का कंटेंट मैच करने के लिए
3. Find बटन पर क्लिक करें।

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डाटा रिप्लेस करना

  1. Ctrl + H कीअ दबाएं।
  2. डायलॉग बॉक्स में जो बदलना है वह टाइप करें तथा जिससे बदलना है उसे टाइप करें।
  3. आवश्यकता अनुसार अन्य विकल्प चुनें।
  4. Replace/Replace All बटन पर क्लिक करें।