Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 ठेले पर हिमालय Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 ठेले पर हिमालय
Hindi Guide for Class 10 PSEB ठेले पर हिमालय Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
लेखक कौसानी क्यों गये थे?
उत्तर:
लेखक हिमालय पर जमी हुई बर्फ की शोभा को बहुत निकट से देखने के लिए गये थे।
प्रश्न 2.
बस पर सवार लेखक ने साथ-साथ बहने वाली किस नदी का ज़िक्र किया है?
उत्तर:
बस पर सवार लेखक ने साथ-साथ बहने वाली कोसी नदी का ज़िक्र किया है।
प्रश्न 3.
कौसानी कहाँ बसा हुआ है?
उत्तर:
नैनीताल से रानीखेत और रानीखेत से डरावने मोड़ों को पार करने के बाद कौसानी बसा हुआ है।
प्रश्न 4.
लेखक और उनके मित्रों की निराशा और थकावट किसके दर्शन से छूमंतर हो गई?
उत्तर:
लेखक और उनके मित्रों की निराशा और थकावट हिम दर्शन से छूमंतर हो गई।
प्रश्न 5.
लेखक और उनके मित्र कहां ठहरे थे?
उत्तर:
लेखक और उनके मित्र डाक बंगले में ठहरे थे।
प्रश्न 6.
दूसरे दिन घाटी से उतर कर लेखक और उनके मित्र कहां पहुंचे?
उत्तर:
दूसरे दिन घाटी से उतर कर लेखक और उनके मित्र बैजनाथ पहुंचे।
प्रश्न 7.
बैजनाथ में कौन-सी नदी बहती है?
उत्तर:
बैजनाथ में गोमती नदी बहती है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
लेखक को ऐसा क्यों लगा जैसे वे ठगे गये हैं?
उत्तर:
लेखक को ऐसा इसलिए लगा कि जैसे वे सुंदरता से भरे हुए लोक से किसी दूसरे ही लोक में चले आए थे। लेखक कौसानी की कत्यूर की घाटी के अपार सौंदर्य को देखकर स्तब्ध रह गया था। यहां हरे मखमली कालीनों जैसे खेत, सुंदर गेरु की शिलाएं, काटकर बने हुए लाल रास्ते, किनारे सफेद पत्थर की पंक्ति, बेलों की लड़ियों-सी नदियां असीम सौंदर्य से परिपूर्ण थीं। यहां का सौंदर्य अति सुंदर, मोहक, सुकुमार और निष्कलंक था।
प्रश्न 2.
सबसे पहले बर्फ दिखाई देने का वर्णन लेखक ने कैसे किया है?
उत्तर:
लेखक को बर्फ बादलों के टुकड़े जैसी लगी थी जिसमें सफ़ेद, रूपहला और हलका नीला रंग शोभा दे रहा था। उसे ऐसा लगा जैसे घाटी के पार हिमालय पर्वत को बर्फ ने ढाँप रखा हो। उसे ऐसे लग रहा था जैसे कोई बाल स्वभाव वाला शिखर बादलों की खिड़की से झांक रहा हो।
प्रश्न 3.
खानसामे ने सब मित्रों को खुशकिस्मत क्यों कहा?
उत्तर:
खानसामे ने उन सब मित्रों को खुशकिस्मत कहा क्योंकि उन्हें वहाँ आते ही पहले ही दिन बर्फ दिखाई दे गई थी। उनसे पहले 14 टूरिस्ट वहाँ आकर पूरा हफ्ता भर रहे पर उन्हें बादलों के कारण बर्फ दिखाई नहीं दी थी।
प्रश्न 4.
सूरज के डूबने पर सब गुमसुम क्यों हो गए थे?
उत्तर:
सूरज के डूबने पर सब गुमसुम इसलिए हो गए थे क्योंकि सूरज डूबने के साथ ही उनके हिम दर्शन की सारी इच्छाएं और आशाएं धूमिल हो गई थीं। जिस हिमदर्शन की आशा में लेखक अपने मित्रों के साथ बहुत समय से टकटकी लगा कर देख रहे थे। वे उससे वंचित रह गए थे।
प्रश्न 5.
लेखक ने बैजनाथ पहुँच कर हिमालय से किस रूप में भेंट की?
उत्तर:
लेखक ने बैजनाथ पहुँच कर देखा कि गोमती निरन्तर प्रवाहित हो रही थी। गोमती की उज्ज्वल जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैर रही थी। लेखक ने नदी के इस जल में तैरते हुए हिमालय से भेंट की।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
कोसी से कौसानी तक में लेखक को किन-किन दृश्यों ने आकर्षित किया?
उत्तर:
कोसी से कौसानी तक लेखक को अद्भुत प्राकृतिक दृश्य दिखाई दिए थे। उन्होंने लेखक को मंत्र मुग्ध कर दिया था। सुडौल पत्थरों पर कल-कल करती कोसी अद्भुत थी। सोमेश्वर की हरी-भरी घाटी के उत्तर में ऊंची पर्वतमाला के शिखर पर कौसानी बसा हुआ था। नीचे पचासों मील चौड़ी घाटी में हरे-भरे कालीनों जैसी सुंदर वनस्पतियां फैली हुई थीं। घाटी के पार हरे खेत, नदियां और वन क्षितिज के नीले कोहरे में छिप रहे थे। बादल के एक टुकड़े के हटते ही पर्वतराज हिमालय दिखायी दिया जो सुंदरता में अद्भुत था। ग्लेशियरों में डूबता सूर्य पिघले हुए केसर जैसा रंग बिखराने लगा था। बर्फ लाल कमल के फूलों जैसी प्रतीत होने लगी थी।
प्रश्न 2.
लेखक को ऐसा क्यों लगा कि वे किसी दूसरे ही लोक में चले आए हैं?
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों के साथ जैसे ही सोमेश्वर की घाटी से चला वैसे ही उसे उत्तर दिशा में पर्वत-शिखर पर कौसानी दिखाई दिया। सारी घाटी में अपार सुंदरता बिखरी हुई थी। सारी घाटी रंग-बिरंगी दिखाई दे रही थी। हरेभरे मखमली कालीनों जैसे खेत थे। गेरु के लाल-लाल रास्ते थे और बेलों की लड़ियों जैसी सुंदर नदियां थीं। ऐसे अद्भुत दृश्यों को देखकर ऐसा लगा जैसे वे किसी दूसरे ही लोक में चले आए थे।
प्रश्न 3.
लेखक को ‘ठेले पर हिमालय’ शीर्षक कैसे सूझा?
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों के साथ हिम दर्शन के लिए अल्मोड़ा यात्रा पर गए। लेखक अपने अल्मोड़ावासी मित्र के साथ एक पान की दुकान पर खड़ा था कि तभी ठेले पर बर्फ की सिले लादे हुए बर्फ वाला आया। उस ठंडी, चिकनी और चमकती बर्फ से भाप उड़ रही थी। लेखक क्षण भर उसे देखता रहा और उठती भाप में खोया-सा रहा। उसे ऐसा अनुभव हो रहा था कि यही बर्फ़ तो हिमालय की शोभा है। इसी शोभा को देखने लेखक मित्रों के साथ कौसानी गया था। इसके बाद वे सोमेश्वर घाटी पहुँचे जो अत्यंत सुंदर एवं मखमली थी। इस घाटी को पार कर लेखक ने बादलों के बीच में पर्वतराज हिमालय के दर्शन किए। इसे बादलों ने ढक रखा था। बादलों की खिड़की से एक मित्र ने पर्वत पर बर्फ को देखा। इस क्षण भर के दर्शन से सबकी खिन्नता, निराशा, थकावट नष्ट हो गई। तत्पश्चात् सभी बादलों के छंटने के बाद हिम दर्शन की प्रतीक्षा में लीन हो गए। किन्तु सूर्य डूबने से धीरे-धीरे ग्लेशियरों में पिघला केसर बहने लगा। बर्फ पिघलने लगी। इस प्रकार ठेले पर हिमालय शीर्षक सार्थक है।
(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित में संधि कीजिए
हिम + आलय ………..
सोम + ईश्वर ….
हर्ष + अतिरेक ………..
वि + आकुल ……
उत्तर:
हिम + आलय = हिमालय
हर्ष + अतिरेक = हर्षातिरेक
सोम + ईश्वर = सोमेश्वर
वि + आकुल = व्याकुल।
II. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
अच्छी किस्मत वाला ……………..
चार रास्तों का समूह ……………..
अपने में लीन …………..
जहां कोई न रहता हो ……………
जिसका कोई पार न हो …………….
जिसमें कोई कलंक न हो …………….
उत्तर:
चार रास्तों का समूह = चौराहा
अपने में लीन = आत्मलीन
जहां कोई न रहता हो = निर्जन
जिसका कोई पार न हो = अपार
जिसकी कोई सीमा न हो = असीम
जिसमें कोई कलंक न हो = निष्कलंक
अच्छी किस्मत वाला = भाग्यशाली।
III. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिएपहाड़
सूरज ……………
धरती …………..
कमल ……………
मुंह ……………
नदी …………….
बादल ………….
हाथ …………
उत्तर:
पहाड़ = पर्वत, नग
धरती = धरा, धरणि
मुँह = मुख, आनन
बादल = मेघ, बदरा
सूरज = सूर्य, तरणि
कमल = पंकज, जलज
नदी = तटिनी, निर्झरिणी
हाथ = हस्त, कर।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
यदि हिमालय न होता तो क्या होता? इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हिमालय को पर्वतों का राजा कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय भारत वर्ष की आन-बान एवं शान है। यह भारतवर्ष की प्रहरी के समान रक्षा एवं सुरक्षा करता है। यदि हिमालय न होता तो हमारे देश की उत्तर दिशा की शोभा कम हो जाती। उत्तर दिशा से आने वाले ठंडी हवाएँ रुक नहीं पातीं। देश की गंगा, यमुना, आदि महत्त्वपूर्ण नदियां शुष्क हो जातीं। अनेक अमूल्य उपहार, औषधियां, लकड़ियां, धातुएं एवं खनिज प्राप्त नहीं होती। वातावरण असंतुलित हो जाता।
प्रश्न 2.
पहाड़, बर्फ, नदी, बादल, सीढ़ीनुमा खेत, घुमावदार रास्ते तथा हरियाली आदि शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से प्रकृति पर पाँच-छः पंक्तियां लिखें।
उत्तर:
- प्रकृति हमारी माँ है।
- प्रकृति ने ही हमें सुंदर, आकर्षक पहाड़ दिए हैं।
- प्रकृति ने ही कल-कल करती नदियां प्रदान की हैं जो अपने निर्मल स्वच्छ जल से भारतवर्ष की भूमि को सींचती हैं।
- बादल प्रकृति की अनुपम भेंट है जो वर्षा करते हैं और धरा को हरी-भरी और उपजाऊ बनाते हैं।
- सीढ़ीनुमा खेतों में फ़सलें उगाई जाती हैं।
- पहाड़ों के घुमावदार रास्ते अत्यन्त दर्शनीय होते हैं।
- प्रकृति के आंचल में चारों तरफ अपार हरियाली की शोभा विद्यमान है।
प्रश्न 3.
हम हर पल यात्रा करते हैं, कभी पैरों से तो कभी मन के पंखों पर-इस पर अपने विचार दीजिए।
उत्तर:
मनुष्य एक बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी है। वह समाज में अपने कर्तव्यों को पूरा करने हेतु इधर-उधर आता-जाता रहता है। वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अनेक स्थानों पर प्रतिक्षण यात्रा करता है। वह एक कल्पनाशील प्राणी है। वह नई-नई कल्पनाएं करता है। वह किसी एक स्थान पर रहते हुए अपने मन के पँखों पर सवार होकर अनेक स्थानों की यात्राएं करता है। वह घर बैठे-बैठे विदेशों तक की यात्राएं कर लेता है। इतना ही मनुष्य कल्पना के बलबूते विश्व के कोने-कोने में यात्राएं करता रहता है। वह कभी धरा पर तो कभी आकाश में यात्राएं करता है।
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
प्रश्न 1.
हिन्दी यात्रा साहित्य के पितामह राहुल सांकृत्यायन जीवन पर्यत दुनिया की सैर करते रहे। उनके यात्रा वृत्तांत लाइब्रेरी से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
छात्र अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
छुट्टियों में आप घूमने जाते हो तो उस यात्रा के अनुभव को एक डायरी में लिखिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर:
छात्र अपने अनुभवों को डायरी में लिखें।
प्रश्न 3.
यात्रा के दौरान एक कैमरा साथ रखिए तथा प्रकृति के दुर्लभ और अद्भुत चित्रों को अपने कैमरे में कैद कीजिए।
उत्तर:
छात्र भ्रमण स्थल के अद्भुत चित्र एकत्र करें।
प्रश्न 4.
यात्रा के दौरान कैमरे से खींचे गए चित्रों को अपने कम्प्यूटर में अपलोड करना सीखिए।
उत्तर:
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
1. अल्मोड़ा-यह उत्तराखंड के कुमाऊँ का एक ज़िला है और नैनीताल से 70 कि०मी० दूर है। यह अति सुंदर है। यह हस्तकला, वन्यजीवन और खानपान के लिए पर्यटकों में अत्यंत प्रसिद्ध है।
2. कोसी- कोसी’ एक नदी का नाम है। यह अल्मोड़ा और फिर कौसानी जाते समय साथ-साथ बहती हुई दिखाई देती है। यह नदी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के पट्टी बोरारू पल्ला के प्राकृतिक झरनों से निकल कर घुमावदार रास्तों से आगे बढ़ती है। इसके प्राकृतिक दृश्य वास्तव में ही अद्भुत हैं। यह बहती हुई सोमेश्वर की तरफ आगे बढ़ती है और वहाँ से अल्मोड़ा की तरफ दक्षिण-पूर्व की राह से पहुँचती है। रामनगर के निकट पहुँच कर यह नदी अपना अस्तित्व खो देती है।
3. कौसानी-यह पर्वतीय नगर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से लगभग 53 कि०मी० उत्तर में बसा हुआ अद्भुत रूप से सुंदर नगर है। यह बागेश्वर जिले में है जहाँ से हिमालय की सुंदरता भव्य रूप से दिखाई देते है। यहां से बर्फ से ढके नंदा देवी पर्वत की चोटी अतीव सुंदर दिखाई देती है। कौसानी सुंदरता के कारण भारत का स्विटज़रलैंड नाम से प्रसिद्ध है। इस का अस्तित्व कोसी और गोमती के बीच में ही है।
4. गोमती-उत्तर भारत की इस नदी का आरंभ पीलीभीत जिले में माधाटांडा के निकट से होता है। उत्तर प्रदेश में यह लगभग 900 कि०मी० लंबी दूरी तक बहती है। इसका अस्तित्व वाराणसी के निकट सैदपुर के पास गंगा नदी में समाप्त हो जाता है।
5. हिमनद/ग्लेशियर (हिमानी)-हमारी धरती पर लगातार गतिशील रहने वाले बर्फ के बड़े-बड़े पिंडों को हिमनद, हिमानी या ग्लेशियर कहते हैं। प्रायः पर्वत के ऊपर एक हिमखंड होता है और उसके पिघलने से जल नीचे बहता है। हिमालय पर्वत पर लगभग 3350 वर्ग किलोमीटर में हज़ारों हिमनद हैं।
6. रानीखेत-उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रानीखेत आता है जो भारतवर्ष का प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यहां देवदार और बलूत के अत्यधिक पेड़ हैं जो प्रकृति की शोभा को बढ़ाते हैं। यह काठ-गोदाम रेलवे स्टेशन से 85 कि०मी० की दूरी पर स्थित पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है, जिस कारण पर्यटकों को आने-जाने में कोई कठिनाई नहीं आती।
7. नैनीताल-यह उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ नैनी झील की सुंदरता अति अनूठी है। कुमाऊं क्षेत्र की यह झील अपनी सुंदरता से सभी को मोह लेती है। बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच बसा हुआ यह स्थान झीलों से घिरा हुआ है जिनमें से प्रमुख नैनी झील है, इसी कारण इन नगर का नाम ‘नैनीताल’ है।
8. बैजनाथ-यह नगर अल्मोड़ा जिले के उत्तराखंड में स्थित गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है। इसमें गोमती और गंगा नदियों की धारा बहती है और इनके संगम के किनारे मंदिर समूह है। इस मंदिर समूह के सभी मंदिरों में शिव मंदिर सर्व प्रमुख है। दोनों नदियों का संगम अब एक झील में परिवर्तित हो चुका है।
PSEB 10th Class Hindi Guide ठेले पर हिमालय Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
हिमालय को किस संज्ञा से विभूषित किया जाता है?
उत्तर:
हिमालय को ‘पर्वतराज’ की संज्ञा से विभूषित किया जाता है।
प्रश्न 2.
लेखक के साथ उनके कौन-कौन मित्र थे?
उत्तर:
लेखक के साथ शुक्ल जी, सेन आदि कुछ मित्र थे।
प्रश्न 3.
लेखक की आँखों से अचानक क्या लुप्त हो गया?
उत्तर:
लेखक की आँखों से अचानक बर्फ़ लुप्त हो गया।
प्रश्न 4.
डाक बंगले के खानसामे ने लेखक और उनके साथियों को क्या बताया?
उत्तर:
डाक बंगले के खानसामे ने बताया कि वे बहुत खुशकिस्मत हैं क्योंकि उन्हें पहले दिन ही बर्फ के दर्शन हो गए अन्यथा पिछले यात्री हफ्ते भर पड़े रहे पर उन्हें दर्शन नहीं हुए।
प्रश्न 5.
गोमती की जलराशि में क्या तैर रही थी?
उत्तर:
गोमती की जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैर रही थी।
प्रश्न 6.
‘नैनीताल’ नाम की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
नैनीताल दो शब्दों के मेल से बना है। नैनी + ताल। नैनी का अर्थ है-आँखें और ताल का अर्थ है-झील अर्थात् झील की आँख । तात्पर्य यह है कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है। इसमें नौ बड़ी झीलें हैं। इसलिए इसमें नौ झील होने के कारण भी इसका नाम नैनीताल पड़ा होगा।
प्रश्न 7.
‘हिमदर्शन से सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर हो गई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि हिमालय प्रकृति की अनुपम एवं अनूठी धरोहर है। यह प्रकृति की अनुपम घटा को बिखेरता प्रतीत होता है। इसका सौंदर्य एवं आकर्षण असीम एवं अद्वितीय है। यह अपने में विराट प्राकृतिक सौंदर्य को संजोए हुए है। इसलिए इसे पर्वतराज की संज्ञा दी जाती है। इस अद्भुत सौंदर्य को देखकर मानव मन की सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर होना स्वाभाविक है। कोई भी थका हारा मनुष्य ऐसे अद्भुत सौंदर्य को देखते ही खुश हो जाता है। उसकी निराशा आशा में बदल जाती है।
एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पान की दुकान पर खड़े हुए लेखक को क्या दिखाई दिया?
उत्तर:
एक ठेले पर बरफ लादे हुए बरफ वाले को लेखक ने देखा।
प्रश्न 2.
अलमोड़ा वासी मित्र ने ठेले पर लदी बरफ को देखकर लेखक से क्या कहा?
उत्तर:
उसने कहा कि यही बरफ तो हिमालय की शोभा है।
प्रश्न 3.
कोसी से बस चलने पर कौन-सी सुंदर घाटी उन्हें दिखाई दी?
उत्तर:
उन्हें सोमेश्वर की सुंदर घाटी दिखाई दी।
प्रश्न 4.
कौसानी अड्डे पर उतर कर लेखक को क्यों लगा कि वे तो ठगे गए?
उत्तर:
क्योंकि वहाँ बरफ का कहीं भी कोई नामो-निशान तक नहीं था।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें
प्रश्न 1.
लेखक मित्रों के साथ कौसानी क्या देखने के लिए गया था?
(क) मंदिर
(ख) प्राकृतिक सौंदर्य
(ग) बरफ
(घ) जन-जीवन।
उत्तर:
(ग) बरफ
प्रश्न 2.
लेखक ने किसे रंग-बिरंगी घाटी कहा है?
(क) कुत्यूर
(ख) सोमेश्वर
(ग) किन्नौर
(घ) कोसी।
उत्तर:
(क) कुत्यूर
प्रश्न 3.
डाक बंगले में किसने उन्हें खुशकिस्मत बताया?
(क) मैनेजर
(ख) मैडम
(ग) खानसामे
(घ) चौकीदार।
उत्तर:
(ग) खानसामे
एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के
प्रश्न 1.
क्या देखकर लेखक हर्षातिरेक से चीख उठा था? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
बरफ
प्रश्न 2.
घाटियाँ गहरी पीली हो गईं। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 3.
बरफ कमल के सफेद फूलों में बदलने लगी। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं
प्रश्न 4.
हिमालय की शीतलता माथे को छू नहीं रही है। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत
प्रश्न 5.
छोटा-सा बिल्कुल उजड़ा-सा गाँव। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही
प्रश्न 6.
कहीं-कहीं ……. निर्जन………. के जंगलों से गुज़रती थी।
उत्तर:
सड़क, चीड़
प्रश्न 7.
बाल स्वभाव वाला ……… बादलों की ……… से झाँक रहा है।
उत्तर:
शिखर, खिड़की
प्रश्न 8.
आज भी ………………. याद आती है तो मन ………….. उठता है।
उत्तर:
उसकी, पिरा।
ठेले पर हिमालय कठिन शब्दों के अर्थ
यकीन = विश्वास। तत्काल = उसी समय। कष्टप्रद = कष्टदायी, दुख देने वाला। कुरुप = बुरा, असुंदर। विस्मय = हैरानी। सुडौल = मज़बूत। शिखर = चोटी। अंचल = आँचल। अकस्मात् = अचानक। सुकुमार = कोमल। निष्कलंक = बिना कलंक, बेदाग। कतार = पंक्ति। निगाह = दृष्टि। विस्मय = हैरान। अटल = स्थिर। बेसाख्ता = हार्दिकता से। नगाधिराज = पर्वतों का राजा। ढाँपना = ढंकना। ढाल = उतार। हर्षातिरेक = बहुत ज्यादा खुशी। खिन्नता = उदासी, परेशानी। छूमंतर = खत्म हो गई। अनाव्रत = खुली। हिम = बर्फ। शीतलता = ठंडक। आत्मलीन = स्वयं में लीन। जलराशि = जलकण। स्मृतियाँ = यादें। तत्काल = तुरंत। आसार = चिह्न। संवेदन = अनुभूति। पिराना = पीड़ा होना।
ठेले पर हिमालय Summary
ठेले पर हिमालय लेखक परिचय
डॉ० धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार थे। उनका जन्म 25 दिसम्बर, सन् 1926 ई० में इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० तथा पीएच० डी० की उपाधियां प्राप्त की थीं। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी-प्राध्यापक भी रहे। वे साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान सम्पादक भी रहे। उनकी साहित्यिक सेवाओं के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने सन् 1972 में उन्हें पदम श्री से सुशोभित किया।
रचनाएँ-डॉ० धर्मवीर भारती बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे। उन्होंने गद्य एवं पद्य दोनों क्षेत्रों में अपनी लेखनी चलाई। उनकी रचनाओं का उल्लेख इस प्रकार है-
कहानी संग्रह-स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, मुर्दो का गाँव, बंद गली का आखिरी मकान, सांस की कलम से।
काव्य रचनाएं-सात गीत वर्ष, कनु प्रिया, ठंडा लोहा, सपना अभी भी। उपन्यास-सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, गुनाहों का देवता, प्रारंभ व समापन। निबंध-संग्रह-कहानी-अनकहनी, ठेले पर हिमालय, पश्यंती। काव्य-नाटक-अंधायुग। आलोचना-प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य। विशेषताएँ-धर्मवीर भारती जी के काव्य में दार्शनिक तत्व की प्रधानता है। निबंधों एवं कथा-साहित्य में उन्होंने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का चित्रण किया है।
भाषा-धर्मवीर भारती जी की भाषा प्राय: सरल एवं सहज है। उनके साहित्यिक निबंधों की भाषा का स्तर स्वयं ही ऊँचा उठ गया है। अपने वर्णनात्मक निबंधों में उन्होंने तत्सम शब्दों तथा छोटे-छोटे वाक्यों को प्रमुखता दी है।
ठेले पर हिमालय पाठ का सार
‘ठेले पर हिमालय’ डॉ० धर्मवीर भारती का प्रमुख यात्रा वृत्तांत है। इस में लेखक ने पर्वतराज, हिम सम्राट हिमालय का सजीव एवं अनूठा चित्रण किया है। लेखक अपने शब्दों के माध्यम से पाठकों को उस हिमालय पर्वत के समीप ले जाता है जहां बादल ऊपर से नीचे उतर रहे थे और एक-एक कर नए शिखरों की हिम रेखाएं अनावृत हो रही थीं। इसमें लेखक ने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण करते हुए पर्वतीय स्थानों के प्रति आकर्षण जगाने का प्रयास किया है। लेखक अपने मित्रों शुक्ल, सेन आदि के साथ अलमोड़ा की यात्रा पर गए। वे वहाँ से केवल बर्फ़ को निकट से देखने के लिए ही कौसानी गए थे। वे नैनीताल से रानीखेत और रानीखेत से मझकाली के भयानक मोड़ों को पार करते हुए कोसी पहुँचे। यह रास्ता सूखा और कुरूप था किंतु कोसी से आगे का दृश्य बिल्कुल अलग था।
सुडौल पत्थरों पर कलकल करती हुई कोसी, किनारे पर छोटे-छोटे सुंदर गाँव और हरे मखमली खेत यहाँ सोमेश्वर की घाटी बहुत सुंदर थी। इस घाटी के उत्तर की पर्वतमाला ऊँची है। इसके शिखर पर कौसानी बसा हुआ है। कौसानी के बस अड्डे पर जब लेखक बस से उतरा तो अपार सौन्दर्य को देखकर पत्थर की मूर्ति-सा स्तब्ध खड़ा रह गया। पर्वतमाला ने अपने आंचल में कत्यूर की रंग-बिरंगी घाटी छिपा रखी थी। चारों तरफ अद्भुत सौंदर्य महक रहा था। इसी घाटी के पार पर्वतराज हिमालय दिखाई पड़ा, जिसे बादलों ने ढक रखा था। शुक्ल, सेन आदि सभी ने इस दृश्य को देखा पर अचानक वह लुप्त हो गया। इस हिम दर्शन ने लेखक तथा उसके मित्रों पर एक जादू-सा कर दिया। इसे देख सारी खिन्नता, निराशा और थकावट छू मंतर हो गई। तत्पश्चात् सभी हिम-दर्शन कर इंतजार करने लगे किन्तु डाक बंगले के खानसामे ने बताया कि वे खुशकिस्मत है जो उन्हें अचानक ही हिमालय के दर्शन हो गए थे।
इससे पहले चौदह पर्यटक हफ्ते भर इंतज़ार करते रहे थे लेकिन उन्हें हिमालय के दर्शन नहीं हुए थे। लेखक अपने मित्रों के साथ बरामदे में बैठकर अपलक हिमालय के दर्शनों का इंतज़ार करता रहा। सूर्य डूबने लगा और धीरे-धीरे ग्लेशिमरों में पिघला केसर बहने लगा। बर्फ कमल के लाल फूलों में बदल गई तथा घाटियां गहरी पीली हो गईं। अंधेरा होने लगा तो लेखक अपने मित्रों के साथ उठ गया। वे सभी मायूस होकर आत्मलीन हो गए। दूसरे दिन वे घाटी में उतरकर मीलों दूर बैजनाथ पहुँच गए। वहाँ गोमती की उज्ज्वल जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैरती हुई दिखाई दे रही थी।