PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

PSEB 10th Class Home Science Guide गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह व्यवस्था की परिभाषा लिखो।
अथवा
गृह व्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
गृह व्यवस्था घर के साधनों का सही ढंग से प्रयोग करके पारिवारिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने की कला है। एक अच्छा गृह प्रबन्धक साधनों के कमसे-कम प्रयोग से भी पारिवारिक उद्देश्यों को प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 2.
घर और मकान में क्या अन्तर है?
उत्तर-
मकान मिट्टी, सीमेन्ट, ईंटों, पत्थर आदि का बना ढांचा होता है जो हमें बारिश, तूफान, गर्मी, सर्दी, जंगली जानवर और चोर डाकुओं से बचाता है। परन्तु घर एक परिवार के सदस्यों की भावनाओं का सूचक है। जहाँ परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होकर अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ कर जीवन सुखमयी बनाते हैं।

प्रश्न 3.
लक्ष्य से आप क्या समझते हो?
अथवा
पारिवारिक लक्ष्य क्या होते हैं?
उत्तर-
लक्ष्य परिवार के सदस्यों के वे कार्य होते हैं जिनको वह अकेले या मिलकर करते हैं। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य अवश्य निर्धारित होते हैं जो समय-समय पर बदलते रहते हैं।

प्रश्न 4.
परिवार के साधनों को मुख्य रूप से कौन-से दो भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
परिवार के साधनों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. मानवीय साधन जैसे काम करने की योग्यता, कुशलता और स्वास्थ्य।
  2. भौतिक साधन जैसे समय, पैसा, जायदाद आदि।

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प्रश्न 5.
व्यक्ति की योग्यता तथा रुचि कौन-से साधन हैं और कैसे?
उत्तर-
योग्यता और रुचि महत्त्वपूर्ण मानवीय साधन हैं क्योंकि ये साधन मनुष्य में समाए हुए होते हैं और मनुष्य का ही भाग हैं। इनके अस्तित्व के बिना किसी भी भौतिक साधन का योग्य प्रयोग असम्भव है।

प्रश्न 6.
समय और शक्ति कौन-से साधन हैं?
उत्तर-
समय एक भौतिक साधन है और प्रत्येक व्यक्ति के पास रोज़ाना 24 घण्टे का समय होता है। शक्ति एक मानवीय साधन है क्योंकि यह मनुष्य का भाग है जो कि भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होती है। इन साधनों के सदुपयोग से पारिवारिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 7.
घर के साधनों में समय और शक्ति की व्यवस्था महत्त्वपूर्ण कैसे है?
उत्तर-
समय और शक्ति ऐसे साधन हैं जिनको बचाकर नहीं रखा जा सकता। इनकी उपयोगिता इनके सही प्रयोग से जुड़ी हुई है। जिस परिवार में समय और परिवार के सदस्यों की शक्ति को सही ढंग से प्रयोग में लाया जाता है वह परिवार अपने लक्ष्यों की प्राप्ति आसानी से कर लेता है।

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प्रश्न 8.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह तथा निर्णय लेने की शक्ति का होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह इसलिए आवश्यक है कि इससे परिवार के शेष सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होते हैं। गृह प्रबन्धक की फैसला लेने की शक्ति से समय की बचत होती है और परिवार के शेष सदस्यों को प्रतिनिधित्व मिलता है।

प्रश्न 9.
अच्छे प्रबन्धक को गृह व्यवस्था की जानकारी क्यों जरूरी है?
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गृह प्रबन्धक के पास योग्यता और कुशलता का होना अति आवश्यक है। योग्यता और कुशलता प्राप्त करने के लिए गृह व्यवस्था की प्रारम्भिक जानकारी का होना अति आवश्यक है। इस जानकारी से ही यह गृह प्रबन्धक अपने परिवार के मानवीय और भौतिक साधनों का उचित प्रयोग करने के योग्य हो सकता है। इस तरह वह पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति कर सकता है।

प्रश्न 10.
अच्छे प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होना क्यों जरूरी है?
उत्तर–
पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होना इसलिए आवश्यक है क्योंकि घर में एक प्रबन्धक की भूमिका एक नेता वाली होती है। यदि प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होगा तो शेष सदस्य भी घर के काम में योगदान देंगे। एक आलसी गृह प्रबन्धक घर के अन्य सदस्यों को भी आलसी बना देता है जिससे घर का सारा वातावरण खराब हो जाता है और परिवार अपने लक्ष्यों की पूर्ति नहीं कर सकता।

प्रश्न 11.
घर के अच्छे प्रबन्ध सम्बन्धी जानकारी कहां से ली जा सकती है?
उत्तर-
घर का अच्छा प्रबन्ध कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसलिए गृहिणी को घर के सभी साधनों को सूझ-बूझ से प्रयोग करने की जानकारी का होना अति आवश्यक है। पुराने समय में यह जानकारी परिवार के बड़े-बूढ़ों से प्राप्त हो जाती थी, परन्तु आजकल इस जानकारी के लिए और साधन भी हैं। स्कूलों और कॉलेजों में गृह विज्ञान का विषय पढ़ाया जाता है जहाँ गृह प्रबन्ध से सम्बन्धित ज्ञान प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त रेडियो, टेलीविज़न, समाचार-पत्र, मैगज़ीन आदि से अच्छे गृह प्रबन्ध की जानकारी मिलती है।

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प्रश्न 12.
विज्ञान की प्रगति से गृह व्यवस्था कैसे जुड़ी हुई है?
उत्तर-
विज्ञान की उन्नति से गृह प्रबन्ध में कई बढ़िया परिवर्तन आए हैं। आजकल बाज़ार में ऐसे उपकरण मिलते हैं जिनसे गृहिणी का समय और शक्ति दोनों की बहुत बचत होती है। जैसे मिक्सी, आटा गूंथने की मशीन, कपड़े धोने वाली मशीन, फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन आदि। इन उपकरणों का सही प्रयोग करके गृहिणियां अपने गृह प्रबन्ध को अच्छे ढंग से चला सकती हैं। इसके अतिरिक्त टेलीविज़न और इन्टरनेट जैसे वैज्ञानिक उपकरण भी नई-से-नई जानकारी प्रदान करके गृहिणियों की सहायता करते हैं।

प्रश्न 13.
घर में वृद्ध हों तो गृह व्यवस्था कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर-
क्योंकि बुजुर्गों की आवश्यकताएं परिवार के शेष सदस्यों से भिन्न होती हैं इसलिए घर के प्रबन्ध में कुछ विशेष परिवर्तन करने पड़ते हैं जैसे बुजुर्गों की खुराक को ध्यान में रखकर खाना बनाया जाता है। उठने और सोने का समय भी बुजुर्गों के अनुकूल ही रखा जाता है। घर में शोर-गुल को रोकना पड़ता है। बुजुर्गों के लिए पूजा-पाठ आदि का प्रबन्ध किया जाता है। इस तरह कई ढंगों से घर की व्यवस्था प्रभावित होती है।

प्रश्न 14.
गृह व्यवस्था करने के लिए किन-किन साधनों का प्रयोग किया जाता है तथा इनका महत्त्व क्या है?
उत्तर-
गृह व्यवस्था में परिवार के मानवीय और भौतिक साधन एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं, परिवार की जायदाद, आमदन, भौतिक साधन हैं पर इनका पारिवारिक लक्ष्यों के लिए योग्य प्रयोग परिवार के मानवीय साधन पर निर्भर करता है। एक मेहनती और संयम से चलने वाला परिवार कम साधनों के बावजूद एक बढ़िया ज़िन्दगी व्यतीत कर सकता है जबकि एक नालायक और खर्चीला परिवार अधिक जायदाद और आमदन के बावजूद भी मुश्किल में होता है। इसलिए अच्छी व्यवस्था के लिए अच्छे भौतिक साधनों के साथ-साथ अच्छे मानवीय साधनों का होना भी अति आवश्यक है।

प्रश्न 15.
अच्छी गृह व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना है। स्पष्टीकरण दें।
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना ही है। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य होते हैं। लक्ष्य परिवार के सदस्यों के वे कार्य होते हैं जिनको वह अकेले या मिलकर करते हैं। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य अवश्य निर्धारित होते हैं जो समय-समय पर बदलते रहते हैं। समय अनुसार इनको दो भागों में विभाजित किया जाता है —

  1. छोटे समय के लक्ष्य (Short Term Goals) जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, काम पर जाना और घर के अन्य रोज़ाना कार्य।
  2. दीर्घ समय के लक्ष्य (Long Term Goals) जैसे मकान बनाना, बच्चों के विवाह करने आदि।
    इन लक्ष्यों को इनकी किस्म अनुसार दो भागों में बांटा जा सकता है

    1. व्यक्तिगत लक्ष्य
    2. पारिवारिक लक्ष्य।

व्यक्तिगत लक्ष्य जैसे बड़े बच्चे ने डॉक्टर बनना है। पारिवारिक लक्ष्य जैसे परिवार के लिए घर बनाना है।
इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए परिवार के साधनों का योग्य प्रयोग अति आवश्यक है। इसके योग्य प्रयोग के लिए गृह प्रबन्धक की कुशलता योग्यता और ज्ञान पर निर्भर करती है। इसलिए एक अच्छी गृह व्यवस्था से लक्ष्यों की पूर्ति हो सकती है।

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प्रश्न 16.
अच्छे प्रबन्धक के किन्हीं छः गुणों के बारे में लिखो।
उत्तर-
घर की सही व्यवस्था पारिवारिक खुशी का आधार है। इसलिए घर की व्यवस्था चलाने वाले व्यक्ति का गुणवान होना आवश्यक है। एक अच्छे गृह प्रबन्धक में निम्नलिखित गुणों का होना अति आवश्यक है

  1. अच्छा खाना बनाना-एक अच्छी गृहिणी को खाना पकाना आना चाहिए जोकि घर के सभी सदस्यों की आवश्यकता अनुसार हो।
  2. समय की कीमत के बारे जानकारी-आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी में गृहिणियों को कई काम करने पड़ते हैं, जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, पति को दफ्तर भेजना आदि। ये काम समय अनुसार ही होने चाहिएं। इसलिए गृहिणी को समय का ठीक प्रयोग करना चाहिए।
  3. अर्थशास्त्र के बारे में ज्ञान-आजकल महंगाई के ज़माने. में एक समझदार गृहिणी को बजट बनाना और उसके अनुसार चलना चाहिए।
  4. काम करने का उत्साह-एक अच्छे प्रबन्धक को अपने घर के सभी कामों को करने का उत्साह होना चाहिए। इससे घर के शेष सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होंगे।
  5. सोचने और फैसला लेने की शक्ति-घर के प्रबन्ध में काम करने के साथसाथ सोच शक्ति का होना भी अति आवश्यक है। जो गृहिणी दिमाग से काम लेती है वह कम पैसे और शक्ति से भी बढ़िया घर व्यवस्था चला सकती है।
  6. सहनशीलता और स्व:नियन्त्रण-एक अच्छे गृह प्रबन्धक या गृहिणी में सहनशीलता का होना अति आवश्यक है। जहाँ गृहिणी में सहनशीलता और स्व:नियन्त्रण नहीं होता उन घरों का प्रबन्ध भी अच्छा नहीं होता।

प्रश्न 17.
अच्छी गृह व्यवस्था का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
परिवार की सुख-शान्ति और खुशहाली के लिए अच्छी गृह व्यवस्था का होना आवश्यक है। निम्नलिखित कारणों के कारण अच्छी व्यवस्था हमारी ज़िन्दगी के लिए और भी महत्त्वपूर्ण बन जाती है

  1. घर को खूबसूरत और खुशहाल बनाना-अच्छी गृह व्यवस्था से ही घर अधिक सुन्दर, सजीला और खुशहाल हो सकता है। यदि व्यवस्था अच्छी हो तो कम साधनों से भी परिवार खुशी और उन्नति प्राप्त कर सकता है।
  2. स्वास्थ्य सम्भाल-अच्छी गृह व्यवस्था में गृह परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है। सन्तुलित खुराक, सफ़ाई आदि एक अच्छी व्यवस्था वाले घर में प्राप्त होती है।
  3. अच्छी गृह व्यवस्था में ही बच्चों का उचित मानसिक विकास होता है तथा वे अपनी पढ़ाई और कैरियर में उच्च मंज़िलें प्राप्त करते हैं।

इनके अतिरिक्त परिवार को आनन्दमयी बनाना, साधनों का सही प्रयोग और आपसी प्यार एक अच्छी व्यवस्था में ही सम्भव हो सकता है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 18.
अच्छे गृह प्रबन्धक में क्या गुण होने ज़रूरी हैं?
उत्तर-
अच्छा गृह प्रबन्ध गृह प्रबन्धक की योग्यता पर ही निर्भर करता है। गृह प्रबन्धक के गुण और अवगुण किसी घर को स्वर्ग बना सकते हैं और किसी को नरक। घर को सामाजिक गुणों का झूला कहा जाता है। प्रत्येक इन्सान का प्रारम्भिक व्यक्तित्व घर में ही बनता है। इसलिए घर का वातावरण बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। बढ़िया पारिवारिक व्यवस्था तथा वातावरण पैदा करने के लिए गृह प्रबन्धक में निम्नलिखित योग्यताओं या गुणों का होना आवश्यक है

  1. मानसिक गुण (Psychological Qualities)
  2. शारीरिक गुण (Physical Qualities)
  3. सामाजिक और नैतिक गुण (Social and Moral Qualities)
  4. ग्रहणशीलता (Adaptability)
  5. काम में कुशलता (Efficient Worker)
  6. तकनीकी गुण (Technical Qualities)
  7. बाह्य गुण (Outdoor Qualities)

1. मानसिक गुण (Psychological Qualities)

  1. बुद्धि (Intelligence) — सफल गृहिणी के लिए बुद्धि एक आवश्यक विशेषता है। किसी मुश्किल को अच्छी तरह समझने, पूरे हालात का जायजा लेने, पहले अनुभवों से हुई जानकारी को नई समस्या के समाधान के लिए प्रयोग कर उद्देश्यों की पूर्ति करना गृहिणी की बुद्धिमत्ता पर आधारित है।
  2. ज्ञान (Knowledge) — ज्ञान भी एक साधन है। यह साधन घर को अच्छी तरह चलाने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त यह हमें अन्य मानवीय और भौतिक साधनों के बारे में परिचित कराता है जोकि घरेलू उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होता है।
  3. उत्साह (Enthusiasm) — उत्साह बढ़िया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का सूचक है। एक सफल गृह प्रबन्धक के लिए यह गुण बहुत आवश्यक है। यदि गृहिणी घर के काम के लिए उत्साहित होगी तो परिवार के अन्य सदस्यों पर भी अच्छा प्रभाव होता है। वे भी काम में रुचि लेते हैं। उत्साह होने से प्रत्येक काम आसान लगता है और ज्ञान-इन्द्रियों की हरकत तेज़ हो जाती है।
  4. मानवीय स्वभाव को समझने का सामर्थ्य (Ability to Understand Human Nature) — परिवार के सभी सदस्यों के स्वभाव भिन्न-भिन्न होते हैं। इस कारण ही उनकी रुचियां और आवश्यकताएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं। गृह प्रबन्धक को इन सबका ध्यान रखना चाहिए। परिवार के सदस्यों की रुचियों, योग्यताओं और आवश्यकताओं की जानकारी, योजना बनाने और काम के विभाजन में सहायक होती है।
  5. कल्पना शक्ति (Imagination) — गृह प्रबन्ध सम्बन्धी आयोजन के लिए रचनात्मक कल्पना शक्ति का होना आवश्यक गुण है। कल्पना शक्ति से गृहिणी योजना बनाते समय ही आने वाली समस्याओं को देख सकती है और उनका हल ढूंढने में सफल हो सकती है।
  6. निर्णय लेने की शक्ति (Decision Making Power) — गृह प्रबन्ध में निर्णय लेने का बहुत महत्त्व है। ठीक निर्णय लेना प्रबन्धक की दूर दृष्टि पर निर्भर करता है और इसके लिए अच्छे तजुर्बे की भी आवश्यकता होती है। इसलिए. गृह प्रबन्धक में निर्णय लेने की शक्ति एक आवश्यक विशेषता है।

2. शारीरिक गुण (Physical Qualities) — गृहिणी के लिए शारीरिक गुणों का होना भी बहुत आवश्यक है। यदि वह निरोग और तन्दुरुस्त होगी तो अपने घर के कार्यों और उद्देश्यों को और परिवार के सदस्यों की इच्छाओं की प्राप्ति उत्साहपूर्ण कर सकती है। तन्दुरुस्ती उसको काम के लिए उत्साहित करती है। बीमार और आलसी गृहिणी अपने परिवार के उद्देश्यों की प्राप्ति में पूर्ण सफल नहीं हो सकती।

3. सामाजिक और नैतिक गुण (Social and Moral Qualities) — परिवार समाज की प्रारम्भिक इकाई है और इन्सान समाज में रहना, सामाजिक और नैतिक गुण परिवार में से ही ग्रहण करता है।

  1. दृढ़ता (Firmness) — जिस गृहिणी में यह गुण होता है वह अपने उद्देश्यों और इच्छाओं की प्राप्ति के लिए हमेशा यत्नशील रहती है। वह कठिनाइयों का बहुत हौसले और बहादुरी से सामना करने के योग्य होती है। इस गुण के परिणामस्वरूप ही वह अपने लिए गए निर्णयों की प्राप्ति के लिए हमेशा यत्नशील रहती है और सफलता प्राप्त करती है।
  2. सहयोग (Co-operation) — गृह प्रबन्धक के इस गुण से घर परिवार खुशहाल रहता है। सहयोग भाव एक दूसरे के काम करने, लेन-देन से आपसी निकटता बढ़ती है और गृहिणी का बोझ भी कम हो जाता है। सहयोग के कारण ही बहुत-से काम पूरे हो जाते हैं।
  3. प्यार, हमदर्दी और स्वःनियन्त्रण की भावना (Love, Sympathy and Self-Control) — प्यार, हमदर्दी से ही गृहिणी दूसरों का सहयोग प्राप्त कर सकती है और बच्चों के लिए आदर्श बन सकती है। एक समझदार गृहिणी में बातचीत करने के ढंग, बच्चों या छोटों को प्यार, बड़ों का सत्कार और दुःखियों से हमदर्दी होनी चाहिए। वह अपने गुणों के कारण ही परिवार की सुख-शान्ति बनाए रख सकती है।
  4. सहनशक्ति और धैर्य (Tolerance and Patience) — गृहिणी के मानवीय स्वभाव को समझते हुए सहनशक्ति और धैर्य से काम लेना चाहिए ताकि परिवार में आपसी मतभेद और तनाव पैदा न हो। परिवार में कोई दुःखदायक घटना घटने पर धीरज और हौसला रखकर शेष सदस्यों को भी धैर्य देना चाहिए ताकि परिवार संकटमयी समय से आसानी से निकल सके।

4. ग्रहणशीलता (Adaptability) — ग्रहणशीलता के गुण से गृहिणी दूसरों के ज्ञान और तजुर्बे से लाभ उठाकर अपने घर-प्रबन्ध के काम को और भी बढ़िया ढंग से चला सकती है। वैसे भी समाज परिवर्तनशील है, इसलिए गृहिणी की योजना इतनी लचकदार होनी चाहिए कि वह बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी योजना और अपने आपको ढाल सके। परिस्थितियां और मानवीय आवश्यकताएं रोजाना परिवर्तित होती रहती हैं। यदि वह बदलती आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल सके तभी वह आगे बढ़ सकती है।

5. काम में कुशलता (Efficient Worker) — घर का बढ़िया गृह प्रबन्ध, गृहिणी की काम में कुशलता पर निर्भर करता है। इससे काम कम समय में, कम थकावट से और अच्छे ढंग से करके खुशी मिलती है। पर यह सब तभी हो सकता है यदि गृहिणी में सिलाई, कढ़ाई, खाना बनाने, परोसने और घर की सजावट आदि के गुण होंगे।

6. तकनीकी गुण (Technical Qualities) — गृहिणी के तकनीकी ज्ञान से न सिर्फ धन की बचत होती है बल्कि रुकावट दूर करके समय भी बचा लिया जाता है। गृहिणी में छोटी-छोटी वस्तुओं की तकनीकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है जैसे फ्यूज़ लगाना, गैस का चूल्हा ठीक करना, बिजली के प्लग की मुरम्मत और छोटे-छोटे उपकरणों की मुरम्मत आदि का ज्ञान होना आवश्यक है।

7. बाह्य गुण (Outdoor Qualities) — आज के युग में विशेषकर जब गृह प्रबन्धक घर की चार-दीवारी तक ही सीमित नहीं रह गया इसलिए इसके गुणों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए उसको बैंक, डाकघर, बीमा आदि सेवाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए और साइकल, स्कूटर और कार चलानी आनी चाहिए। इसके साथ-साथ यातायात के साधनों और खरीदारी करने के गुणों का ज्ञान होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसको किसी पर निर्भर न करना पड़े और अपने गुणों के कारण परिवार को उन्नति के रास्ते पर लेकर खुशहाल बना सके।

प्रश्न 19.
अच्छी गृह व्यवस्था के लिए अच्छे प्रबन्धक की आवश्यकता है। क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं? यदि हो तो क्यों?
अथवा
गृह व्यवस्था से क्या अभिप्राय है? इसके महत्त्व के बारे में विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
गृह प्रबन्ध का महत्त्व (Importance of Home Management) — प्रबन्ध प्रत्येक घर में होता है यद्यपि अमीर हो या ग़रीब। पर इसकी गुणवत्ता में ही अन्तर होता है। पारिवारिक खुशहाली और सुख-शान्ति समूचे गृह प्रबन्ध का निष्कर्ष है। निम्नलिखित महत्त्व के कारण यह परिवार के लिए लाभदायक है

  1. रहन-सहन का स्तर ऊंचा होता है । (Rise in standard of living.)
  2. पारिवारिक कार्यों को वैज्ञानिक ढंगों से किया जा सकता है। (Use of scientific methods and appliances for working.)
  3. कुशलता का विकास होता है। (Development of skill.)
  4. सीमित साधनों से बढ़िया जीवन गुज़ारा जा सकता है। (More satisfaction with limited resources.)
  5. जीवन खुशहाल और सुखमयी होता है। (Life becomes pleasant and comfortable.)
  6. बच्चों के लिए शिक्षा और उनका योगदान (Children learn by contributing their share and responsibility.)

रहन-सहन का स्तर ऊंचा होता है — जीवन का स्तर तभी ऊंचा उठ सकता है, यादि सीमित साधनों के योग्य प्रयोग से अधिक-से-अधिक लाभ उठाया जाए और एक अच्छी गृहिणी प्रबन्ध द्वारा अपनी मुख्य आवश्यकताओं और उद्देश्यों को न पहल देकर बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, समय, व्यक्तित्व को पहल देती है और हमेशा परिवार के उद्देश्यों के लिए यत्नशील रहती है। ऐसे परिवार के सदस्य सन्तुष्ट और अच्छे व्यक्तित्व के मालिक होते हैं और वे समाज में अपनी जगह बना लेते हैं। इन सब से ही परिवार का स्तर ऊँचा होता है।

2. पारिवारिक कार्यों को वैज्ञानिक ढंगों से किया जा सकता है — आधुनिक युग की गृहिणी सिर्फ घर तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि वह घरों से बाहर भी काम करती है। दोनों ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाने के लिए उसको अधिक समय और शक्ति की आवश्यकता है। वह घरेलू कामों को मशीनी उपकरणों से करने से समय और शक्ति दोनों ही बचा लेती है जैसे मिक्सी, प्रेशर कुक्कर, फ्रिज, कपड़े धोने वाली मशीन और बर्तन साफ़ करने वाली मशीन आदि।

3. कुशलता का विकास होता है — गृह प्रबन्ध करते समय साधनों का उचित प्रयोग गृहिणी की आन्तरिक कला और रुचि का विकास करती है। जैसे कि घर को कम-से-कम व्यय करके कैसे सजाया जाए कि घर की सुन्दरता भी बढ़े और अधिकसे-अधिक सन्तुष्टि भी मिले।

4. सीमित साधनों से बढ़िया जीवन गुजारा जा सकता है — प्रत्येक परिवार में ही आय और साधन सीमित होते हैं आवश्यकताएं असीमित। परिवार की खुशी बनाये रखने के लिए गृह प्रबन्ध द्वारा असीमित आवश्यकताओं को सीमित आय में पूरा करने के लिए गृहिणी को घर के खर्चे का बजट बनाकर और आवश्यकताओं को महत्ता के अनुसार क्रमानुसार कर लेना चाहिए। सबसे ज़रूरी और मुख्य आवश्यकताओं को पहले पूरा करके फिर अगली आवश्यकताओं की ओर ध्यान दिया जा सकता है। इससे कम-से-कम साधनों से अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि प्राप्त की जा सकती है।

5. जीवन खुशहाल और सुखमयीं होता है — गृह प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य खुशहाल परिवार का सृजन है। अच्छे प्रबन्ध से परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं, रुचियों और सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है; जिससे परिवार खुश और सन्तुष्ट रहता है। इसके अतिरिक्त गृह प्रबन्ध से

  1. पारिवारिक सदस्यों को सन्तुष्टि और मानसिक सन्तुष्टि मिलती है जो एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है।
  2. परिवार फिजूल खर्ची से बच जाता है क्योंकि यदि बजट बनाकर खर्च किया जाए तो फिजुल खर्ची की सम्भावना ही नहीं रहती।
  3. घरेलू उलझनें हल हो जाती हैं और इससे
  4. परिवार के आराम और मनोरंजन को भी आँखों से ‘ओझल नहीं किया जाता।

6. बच्चों के लिए शिक्षा और उनका योगदान-घर के वातावरण की बच्चे के जीवन पर अमिट छाप रहती है। एक खुशहाल परिवार के बच्चे हमेशा सन्तुष्ट होते हैं। अपने मां-बाप के अच्छे घरेलू प्रबन्ध से प्रभावित होकर बच्चे भी अच्छी शिक्षा लेते हैं और अपनी ज़िन्दगी में सफल होते हैं। जिन परिवारों में सभी सदस्य इकट्ठे होकर अपने उद्देश्य के लिए योजनाबन्दी करते हैं और प्रत्येक अपनी-अपनी योग्यता और ज़िम्मेदारी से सहयोग देता है तो उद्देश्यों की पूर्ति बड़ी आसानी से हो जाती है और परिवार का प्रत्येक सदस्य सन्तुष्ट होता है। भाव गृह प्रबन्ध खुश और सुखी परिवार का आधार है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 20.
अच्छा गृह प्रबन्धक बनने के लिए अपने में क्या सुधार लाये जा सकते हैं ?
उत्तर-
गृह प्रबन्धक, गृह व्यवस्था का धुरा होता है। घर की पूरी व्यवस्था उसके इर्द-गिर्द घूमती है। पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति और घर की खुशहाली, सुख-शान्ति उसकी योग्यता पर ही निर्भर करती है। ग्रहणशीलता अर्थात् वातावरण के अनुसार अपने आपको ढालना, घर की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी कमज़ोरियों को दूर करना अच्छे गृह प्रबन्धक की निशानियां हैं। अच्छे गृह प्रबन्धक को अपने आप में निम्नलिखित सुधार लाने चाहिएं —

1. ज्ञान को बढ़ाना-ज्ञान एक बहुत ही अनमोल मानवीय स्रोत है और ज्ञान प्राप्त करने से ही व्यक्ति समझदार और योग्य बनता है। गृह प्रबन्ध के मसले में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। एक अच्छी गृहिणी, घर से सम्बन्धित मामलों में हर समय जानकारी प्राप्त करने के लिए तैयार रहती है। आजकल विज्ञान का युग है और समाज में बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं।
कपड़े, भोजन, स्वास्थ्य, वैज्ञानिक उपकरणों के बारे में ज्ञान होना गृह प्रबन्धक की आवश्यकता है। इसलिए अच्छे गृह प्रबन्धक को अपने ज्ञान का स्तर बढ़ाना चाहिए।

2. कार्य में कुशलता प्राप्त करनी-कार्य में कुशलता एक सफल गृहिणी का महत्त्वपूर्ण गुण है। घर के कार्य ऐसे होते हैं जिनमें कुशलता प्राप्त करने के लिए गृहिणी को लगातार मेहनत करने की आवश्यकता पड़ती है। जैसे पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना प्रत्येक घर की आवश्यकता है। समझदार गृहिणी अपनी कोशिश से बढ़िया खाना बनाना सीख सकती है। इस तरह घर के अन्य कार्य जैसे कपड़े सिलना, वैज्ञानिक उपकरणों का सही प्रयोग, घर की सफ़ाई आदि में प्रत्येक गृहिणी को कुशलता प्राप्त करनी चाहिए।

3. सामाजिक और नैतिक गुणों का विकास करना-परिवार समाज की एक प्रारम्भिक इकाई है। कोई भी परिवार समाज से अलग नहीं रह सकता। इसलिए समाज में परिवार का एक इज्जत योग्य स्थान बनाने के लिए गृहिणी को सामाजिक गुणों का विकास करना चाहिए। आस-पड़ोस से बढ़िया सम्बन्ध रखने, सामाजिक जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाना, दूसरे लोगों से सहयोग करना, मुसीबत के समय किसी के काम आना, ग़रीबों से हमदर्दी रखना आदि गुण विकसित करके एक गृहिणी समाज में परिवार की इज्जत बढ़ा सकती है।

4. परिवार के सदस्यों की मानसिक बनावट को समझना-परिवार के सदस्यों का स्वभाव और मानसिकता भिन्न-भिन्न होती है जो गृहिणी हमारे परिवार के सदस्यों से एक तरह व्यवहार करती है, उसको सफल गृहिणी नहीं कहा जा सकता। इसलिए एक सफल गृहिणी को परिवार के सभी सदस्यों की मानसिकता को ध्यान में रखकर ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के यत्न करने चाहिए ताकि परिवार के सभी सदस्य खुश रह सकें।

5. सहनशीलता और धैर्य-सहनशीलता और धैर्य ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक सफल गृह प्रबन्धक में होने चाहिएं। यदि गृहिणी में इनकी कमी है तो उस घर में कभी सुख शान्ति नहीं रह सकती। गृहिणी परिवार का एक धुरा होता है। सारा परिवार अपनी आवश्यकताओं के लिए उसकी ओर देखता है और गृहिणी को प्रत्येक सदस्य की बात धैर्य से सुनकर उसका समाधान ढूंढना चाहिए। इससे घर का वातावरण ठीक रहता है। यदि गृहिणी में ही सहनशीलता की कमी है तो घर में अशान्ति और लड़ाई झगड़े होंगे और घर की बदनामी होगी और परिवार अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर सकेगा। ऐसे वातावरण में बच्चों के व्यक्तित्व का विकास बढ़िया नहीं होगा इसलिए एक अच्छी गृहिणी को सहनशीलता और धैर्य रखने के गुण विकसित करने चाहिएं।

6. तकनीकी गुणों का विकास-आजकल विज्ञान का युग है। एक सफल प्रबन्धक के लिए घर में प्रयोग आने वाले उपकरणों की सही प्रयोग की जानकारी बहुत आवश्यक है और यह जानकारी इन उपकरणों के साथ दिए गए निर्देशों में से आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस जानकारी से इन उपकरणों को घर के प्रबन्ध में आसानी से प्रयोग कर सकती है और अपनी शक्ति और समय बचा सकती है।
आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी में प्रत्येक गृहिणी को कार या स्कूटर की ड्राइविंग भी अवश्य सीखनी चाहिए। इससे उसमें घर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता कम होगी। इसके अतिरिक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए हर जानकारी प्राप्त करने के लिए कम्प्यूटर और इन्टरनेट के बारे में सीखना चाहिए।

Home Science Guide for Class 10 PSEB गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Important Questions and Answers

अति लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
छोटे समय के लक्ष्य की उदाहरण दें।
उत्तर-
बच्चों को स्कूल भेजना।

प्रश्न 2.
दीर्घ समय के लक्ष्य की उदाहरण दें।
अथवा
लम्बी अवधि के टीचे का उदाहरण दें।
उत्तर-
मकान बनाना।

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प्रश्न 3.
मानवीय साधनों की दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कुशलता, स्वास्थ्य, योग्यता आदि।

प्रश्न 4.
शक्ति कैसा साधन है?
उत्तर-
मानवीय साधन।

प्रश्न 5.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
इससे परिवार के अन्य सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होते हैं।

प्रश्न 6.
लक्ष्यों को किस्म के अनुसार कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
दो भागों में व्यक्तिगत लक्ष्य तथा पारिवारिक लक्ष्य।

प्रश्न 7.
गृह प्रबन्धक के मानसिक गुण बताओ।
उत्तर-
बुद्धि, ज्ञान, उत्साह, निर्णय लेने की शक्ति, कल्पना शक्ति आदि।

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प्रश्न 8.
गृह प्रबन्धक के सामाजिक तथा नैतिक गुण बताओ।
उत्तर-
दृढ़ता, सहयोग, प्यार, हमदर्दी, स्वः नियन्त्रण की भावना आदि।

प्रश्न 9.
अच्छे गृह प्रबन्धक के दो गुण बताओ।
उत्तर-
अच्छा खाना पकाना, सोचने तथा निर्णय लेने की शक्ति।

प्रश्न 10.
समय, पैसा तथा घर का सामान कैसा साधन है?
अथवा
समय, पैसा तथा जायदाद कैसे साधन हैं?
उत्तर-
भौतिक साधन।

प्रश्न 11.
कुशलता तथा योग्यता कैसे साधन हैं?
उत्तर-
मानवीय साधन।

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प्रश्न 12.
मकान बनाना किस अरसे का लक्ष्य है?
उत्तर-
लम्बे अरसे का।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह व्यवस्था के साथ गृहिणी समय का ठीक उपयोग कैसे करती है?
उत्तर-
अच्छी गृहिणी घर के सारे कार्य को योजनाबद्ध ढंग से करती है। वह कार्य करने के लिए समय सारिणी निश्चित करती हैं तथा घर के सभी सदस्यों को कार्य इसी सारिणी के अनुसार करने के लिए प्रेरित करती है। घर के भिन्न-भिन्न कार्य सदस्यों में बाँट देती है। इस प्रकार सभी कार्य समयानुसार निपट जाते हैं तथा समय भी बच जाता है।

प्रश्न 2.
अच्छे प्रबन्धक के कोई दो गुणों के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 3.
कोई दो विद्वानों द्वारा दी गई गृह विज्ञान की परिभाषाएं दें।
उत्तर-

  1. पी० निक्कल तथा जे० एम० डोरसी के अनुसार, गृह प्रबन्ध परिवार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के इरादे से परिवार में उपलब्ध साधनों को योजनाबद्ध तथा संगठित करके अमल में लाने का नाम है।
  2. गुड्ड जॉनसन के अनुसार, गृह व्यवस्था करना सभी देशों में एक आम व्यवसाय (कार्य) है तथा इस व्यवसाय में अन्य व्यवसायों से अधिक लोग कार्यरत हैं। इसमें धन का प्रयोग भी अधिक होता है तथा यह लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।

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प्रश्न 4.
गृह व्यवस्था व्यक्तित्व का विकास किस प्रकार करती है?
उत्तर-
यदि गृह व्यवस्था अच्छी हो तो मनुष्य घर में सुख, आनन्द की प्राप्ति कर लेता है तथा सन्तुलित रहता है। ऐसे आनन्दमयी तथा सुखी वातावरण का प्रभाव बच्चों पर भी अच्छा पड़ता है तथा उसका सर्वपक्षीय विकास होता है। घर में ही बच्चों में कार्य करने सम्बन्धी लगन लगती है। बहुत से महान् कलाकारों को यह वरदान घर से ही प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 5.
अच्छे प्रबन्धक के तीन गुणों का वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 6.
अच्छे गृह प्रबन्धक में निर्णय लेने की शक्ति और सहनशीलता का होना क्यों जरूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 7.
घर एक निजी स्वर्ग का स्थान है क्यों?
उत्तर-
घर का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। घर में न केवल मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, बल्कि उसकी भावनात्मक आवश्यकताएं भी पूर्ण होती हैं। घर का प्रत्येक मनुष्य की खुशियों तथा उसके व्यक्तित्व . के विकास में सबसे अधिक योगदान होता है। इसलिये घर को निजी स्वर्ग भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
अच्छे प्रबन्धक के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
अच्छे प्रबन्धक को बजट बनाना तथा उसके अनुसार कार्य करना आना चाहिए। उपभोक्तावाद के इस युग में कौन-सी वस्तुओं को अधिक खरीद कर लाभ हो सकता है तथा कुछ वस्तुओं को आवश्यकता के अनुसार खरीदना चाहिए। कुछ पैसे भविष्य के लिए बचा कर रखने चाहिए। आमदनी तथा खर्च में सामंजस्य होना चाहिए। यह तभी सम्भव है यदि गृह प्रबन्धक को अर्थशास्त्र का ज्ञान होगा।

प्रश्न 9.
अच्छी गृह व्यवस्था के लिए समय और शक्ति की व्यवस्था क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 10.
परिवार के साधनों को कितने भागों में बांटा जा सकता है? विस्तार में लिखो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 11.
गृह प्रबन्धक को अच्छा खरीददार होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
गृह प्रबन्धक को अच्छा खरीददार होना चाहिए। उसको घर के सदस्यों की आवश्यकताओं का पता होना चाहिए तथा ऐसा सामान खरीदना चाहिए जो सभी के लिए लाभदायक हो। बाज़ार में सर्वे करके बढ़िया तथा सस्ता सामान खरीदना चाहिए। लम्बे समय तक स्टोर की जाने वाली वस्तुओं को, जब वे सस्ती हों, अधिक मात्रा में खरीद लेना चाहिए। केवल वही वस्तुओं को खरीदना चाहिए जिनकी घर में आवश्यकता हो तथा लाभकारी हों।

प्रश्न 12.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह तथा होशियारी का होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 13.
लक्ष्यों से क्या भाव है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न 3 (2-4 वाक्य वाला)।

प्रश्न 14.
गृह प्रबन्धक की क्या महत्ता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 15.
समय के अनुसार लक्ष्य कैसे बांटा जा सकता है?
उत्तर-
उदाहरण सहित बताओ।

  1. छोटे समय के लक्ष्य (Short Term Goals) जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, काम पर जाना और घर के अन्य रोज़ाना कार्य।
  2. दीर्घ समय के लक्ष्य (Long Term Goals) जैसे मकान बनाना, बच्चों के विवाह करने आदि।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अच्छी गृह व्यवस्था का महत्त्व विस्तारपूर्वक बताएं।
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का महत्त्व इस प्रकार है

  1. घर को सुन्दर तथा खुशहाल बनाना-अच्छी गृह व्यवस्था से घर सुन्दर, खुशहाल, सजीला बन जाता है। बेशक साधन सीमित हों तो भी घर को सुन्दर, बढ़िया
    तथा सुखी बनाया जा सकता है। प्रत्येक सदस्य अपनी बुद्धि विवेक के अनुसार घर
    की खुशहाली में योगदान डालता है।
  2. पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना-गृह व्यवस्था अच्छी हो तो पारिवारिक स्तर ऊँचा उठाने में सहायता मिलती है। घर में ही मनुष्य को अपनी सफलता के लिए सीढ़ी का पहला सोपान प्राप्त होता है जिस पर चढ़ कर वह सफलता प्राप्त कर सकता है।
  3. व्यक्तित्व का विकास-यदि घर की व्यवस्था अच्छी हो तो मनुष्य घर में सुख, आनन्द की प्राप्ति कर लेता है तथा सन्तुलित रहता है। ऐसे आनन्ददायक तथा सुखी वातावरण का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है तथा उसका सर्वपक्षीय विकास होता है। घर से ही बच्चों में किसी काम को करने की लगन लगती है। बहुत से महान् कलाकारों को यह वरदान घर से ही प्राप्त हुआ है।
  4. समय का उचित प्रयोग-समय एक ऐसा सीमित साधन है जिसे बचाया नहीं जा सकता। इसलिए समय का उचित प्रयोग करके कार्य को सरल बनाया जा सकता है। गृह व्यवस्था अच्छे ढंग से की जाए तो घर के सभी कार्य समय पर निपट जाते हैं। अच्छी गृहिणी परिवार के सदस्यों को एक समय सारणी में ढाल लेती है तथा घर के काम परिवार के सदस्यों में बांट देती है। प्रत्येक सदस्य अपनी सामर्थ्य अनुसार काम करता है तथा घर में खुशी बनी रहती है।
  5. मानसिक सन्तोष-जब गृह व्यवस्था अच्छी हो तो मानसिक सन्तोष की प्राप्ति होती है। घर के लक्ष्य बहुत ऊँचे न हों तथा गृह व्यवस्था अच्छी हो तो लक्ष्यों की प्राप्ति सरलता से हो जाती है। इस प्रकार मानसिक सन्तुष्टि मिलती है।

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प्रश्न 2.
अच्छे प्रबन्धक के गुणों का वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. ………. ही गृह विज्ञान का आधार है।
  2. मकान बनाना ………………….. समय का लक्ष्य है।
  3. शक्ति एक ………………… साधन है।
  4. बच्चे को डॉक्टर अथवा इन्जीनियर बनाना …………………. समय का लक्ष्य
  5. समय, पैसा तथा जायदाद (सम्पत्ति) …………………. साधन हैं।
  6. योग्यता, रुचि तथा कुशलता ………………….. साधन हैं।
  7. बढ़िया गृह व्यवस्था से ………………….. संतोष की प्राप्ति होती है।
  8. प्यार, हमदर्दी, सहयोग आदि गृह प्रबन्धक के ……………… गुण हैं।

उत्तर-

  1. गृह व्यवस्थ,
  2. लम्बे,
  3. भौतिक,
  4. लम्बे,
  5. भौतिक,
  6. मानवी,
  7. मानसिक,
  8. सामाजिक तथा नैतिक।

II. ठीक गलत बताएं

  1. मकान बनाना लम्बे समय का लक्ष्य है।
  2. अच्छे गृह प्रबन्धक के लिए बजट बनाना कोई आवश्यक नहीं है।
  3. शक्ति मानवीय साधन है।
  4. पैसा मानवीय साधन है।
  5. बच्चों को स्कूल भेजना छोटे समय का लक्ष्य है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भौतिक साधन है
(क) पैसा
(ख) जायदाद
(ग) घर का सामान
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
गृह प्रबन्धक के ‘मानसिक गुण हैं
(क) बुद्धि
(ख) उत्साह
(ग) ज्ञान
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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प्रश्न 3.
मानवीय साधन नहीं हैं
(क) शक्ति
(ख) ज्ञान
(ग) पैसा
(घ) कुशलता।
उत्तर-
(ग) पैसा

गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक PSEB 10th Class Home Science Notes

  • गृह व्यवस्था पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति की कला है।
  • मकान भौतिक वस्तुओं से बनता है परन्तु घर भावनाओं से बनता है।
  • प्रत्येक परिवार के पास मानवीय और भौतिक साधन होते हैं।
  • समय एक ऐसा साधन है जो प्रत्येक के पास बराबर होता है।
  • अच्छे गृह प्रबन्धक में उत्साह और निर्णय लेने की योग्यता होनी चाहिए।
  • एक अच्छा प्रबन्धक वैज्ञानिक उपकरणों को घरेलू व्यवस्था के लिए सुलझे ढंग से प्रयोग करता है।
  • परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताएं पूरी करनी गृह प्रबन्धक का फर्ज है।
  • अच्छा गृह प्रबन्धक पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति इस ढंग से करता है कि कम-से-कम साधन खर्च हों।
  • अच्छा गृह प्रबन्धक परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा प्रति विशेष ध्यान देता है।

घर की व्यवस्था एक कला है जिस द्वारा परिवार के सभी सदस्यों की मानसिक और भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करके घर में एक खुशहाल वातावरण पैदा किया जाता है। परिवार की खुशहाली और खुशी, पारिवारिक साधनों के साथ-साथ गृह प्रबन्धक की योग्यता पर भी निर्भर करती है।

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