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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)
→ भोजन में खट्टा स्वाद अम्ल और कड़वा स्वाद क्षारक की उपस्थिति के कारण होता है। अम्ल नीले लिटमस को लाल और क्षारक लाल लिटमस को नीला करते हैं।
→ अम्ल एवं क्षारक एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त करते हैं।
→ अम्ल और क्षारक की जाँच लिटमस, हल्दी, मेथिल ऑरेंज और फीनॉलफ्थेलिन नामक सूचकों से की जा सकती है।
→ कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी से प्रवाहित करने पर वह दूधिया हो जाता है।
→ चूने के पानी से अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारने से जल में विलयशील कैल्सियम बाइकार्बोनेट बनता है जिस कारण दूधिया रंग समाप्त हो जाता है।
→ क्षारक फीनॉलफ्थेलिन अम्ल की उपस्थिति में क्रिया कर गुलाबी रंग बनाते हैं।
→ अम्ल और क्षारक परस्पर मिल कर लवण और जल बनाते हैं।
→ विलयनों में विद्युत् धारा का प्रवाह आयनों के द्वारा होता है।
→ अम्ल में H+ धनायन है। अम्ल विलयन में हाइड्रोजन आयन H+ (aq) उत्पन्न करता है जिस कारण उनका गुणधर्म अम्लीय होता है।
→ क्षारक जल में हाइड्रॉक्साइड (OH–) आयन उत्पन्न करते हैं।
→ जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं।
→ क्षारों का स्पर्श साबुन की तरह, स्वाद कड़वा होता है तथा प्रकृति संक्षारक होता है।
→ सभी अम्ल H+ (aq) तथा सभी क्षारक OH– (aq) उत्पन्न करते हैं।
→ जल में अम्ल या क्षारक के घुलने से प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है इसलिए तनु करते समय धीरे-धीरे इन्हें जल में मिलाना चाहिए। सांद्र अम्ल में जल नहीं मिलाना चाहिए।
→ सार्वभौम सूचक किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रता को विभिन्न रंगों से प्रदर्शित करते हैं।
→ किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित की गई है जिसे pH स्केल कहते हैं।
→ pH में ‘p’ सूचक है-पुसान्स (Pursance) का। यह एक जर्मन शब्द है जिस का अर्थ ‘शक्ति’ है।
→ pH स्केल से शून्य (अधिक अम्लता) से चौदह (अधिक क्षारीय) तक pH को ज्ञात कर सकते हैं।
→ हाइड्रोनियम आयून की सांद्रता जितनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा। किसी उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है। pH स्केल में विलयन का मान 7 से कम होने पर वह अम्लीय होता है और pH 7 से 14 तक बढ़ने पर विलयन की क्षारीय शक्ति का पता चलता है।
→ अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं और कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।
→ अति अम्लीयता के दर्द से मुक्त होने के लिए ऐंटैसिड मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड जैसे दुर्बल क्षारकों का उपयोग किया जाता है।
→ मुँह में pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय आरंभ हो जाता है।
→ नेट्टल नामक शाकीय पौधा मेथैनॉइक अम्ल के कारण डंक जैसा दर्द उत्पन्न करता है जो इसके बालों में उपस्थिति मेथेनॉइक अम्ल के कारण होता है। इस दर्द का इलाज डॉक पौधे की पत्तियों से किया जाता है।
→ सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एक दुर्बल असंक्षारक क्षारक है। इसे बेकिंग पाउडर तथा केक बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह अग्निशामक में प्रयुक्त किया जाता है।
→ धोने का सोडा (Na2CO3.10H2O) से सोडियम क्लोराइड से तैयार किया जाता है। यह कांच, साबुन, कागज़ आदि उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है। इससे जल की स्थाई कठोरता दूर की जाती है।
→ जलीय कॉपर सल्फेट का सूत्र CuSO4.5H2O है तथा जिप्सम का सूत्र CaSO4.2H2O है।
→ प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को कैल्सियम सल्फेट अर्द्धहाइड्रेट (CaSO4 \(\frac{1}{2}\)H2O) को 373°K तक गर्म कर के बनाया जाता है।
→ प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से खिलौने और सजावटी सामान तैयार किया जाता है।
→ सूचक रंग अथवा रंगों के मिश्रण होते हैं जो अम्ल या क्षार की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
→ वस्तुओं की अम्लीय प्रकृति जलीय विलयन में से H+ आयनों की उपस्थिति कारण होता है।
→ जलीय विलयन में OH– आयनों की उपस्थिति के कारण वस्तु की प्रकृति क्षारीय होती है।
→ वस्तुएं जिनकी गंध अम्लीय अथवा क्षारीय माध्यम में बदल जाती है आलफैक्टरी सूचक कहलाते हैं।
→ जब कोई अम्ल किसी धातु के साथ क्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस निकलती है तथा संबंधित लवण की उत्पत्ति होती है।
→ जब अम्ल धात्विक कार्बोनेट अथवा धात्विक हाइड्रोजन कार्बोनेट से क्रिया करता है तो संबंधित लवण, कार्बनडाइऑक्साइड तथा जल बनता है।
→ अम्लीय तथा क्षारीय विलयन उनमें उपस्थित H+ अथवा OH– के कारण विद्युत चालक होते हैं।
→ अम्ल अथवा एल्कली तथा क्षार की जाँच pH स्केल के उपयोग द्वारा की जाती है। यह परीक्षण उनमें H+ की सघनता का माप होता है।
→ उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है जबकि अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम तथा क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है।
→ अम्ल तथा क्षार परस्पर क्रिया करके एक-दूसरे को उदासीन बनाते हैं जिसके परिणामस्वरूप संबंधित लवण तथा जल बनता है।
→ लवण के एक सूत्र इकाई में जल के निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टलन जल कहते हैं।
→ शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया द्वारा रंगकाट चूर्ण (ब्लीचिंग चूर्ण) का उत्पादन होता है।
→ डॉक्टर टूटी हड्डियों को स्थिर करने के लिए प्लास्टर ऑफ पैरिस का उपयोग करते हैं।
→ हम अपने दैनिक जीवन तथा उद्योगों में विभिन्न कार्यों के लिए अनेक प्रकार के लवणों का उपयोग करते हैं।