Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
PSEB 10th Class Science Guide नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ? (अ)इंसुलिन
(ब) थायरॉक्सिन
(स) एस्ट्रोजन
(द) साइटोकाइनिन।
उत्तर-
(द) साइटोकाइनिन।
प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं
(अ) द्रुमिका
(ब) सिनेप्स
(स) एक्जान
(द) आवेग।
उत्तर-
(ब) सिनेप्स।
प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(अ)सोचने के लिए
(ब) हृदय स्पंदन के लिए
(स) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(द) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 4.
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्या उत्पन्न हो सकती है ?
उत्तर-
पर्यावरण में प्रत्येक परिवर्तन की अनुक्रिया से एक समुचित गति उत्पन्न होती है जो हमारे आसपास होने की स्थिति में हमें प्रभावित करती है। हमारे शरीर के ग्राही उन सूचनाओं को इकट्ठा करते हैं और उन्हें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक भेज देते हैं। तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क और सुष्मुना उचित संदेश शरीर के विभिन्न अंगों और ग्रंथियों को प्रेषित कर देते हैं। यदि ग्राही उचित प्रकार से कार्य न कर रहे हों तो वे पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों को न तो समझ पाएंगे और न ही उनके प्रति ठीक प्रकार से कोई प्रतिक्रिया कर सकेंगे।
प्रश्न 5.
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) संदेशों का संवहन करने वाली मूल इकाई है। यह विशेष रूप से लंबी होती है। इसमें जीव द्रव्य से घिरा हुआ केंद्रक होता है। जीव द्रव्य से डेंड्राइटस नामक अनेक छोटी-छोटी शाखाएँ निकलती हैं। इन शाखाओं में से एक शाखा अधिक लंबी होती है। इसे एक्सॉन कहते हैं। यह संदेशों को कोशिका से दूर ले
जाता है। कोई भी तंत्रिका कोशिका सीधी दूसरी तंत्रिका कोशिका से जुड़ी हुई नहीं होती। इनके बीच कुछ रिक्त स्थान होता है जिसमें बहुत-ही समीप का संवहन होता है इसे अंतर्ग्रथन कहते हैं। यदि हमारे पैर में दर्द है तो इसकी सूचना पैर में स्थित संवेदी तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइट ग्रहण करते हैं। तंत्रिका कोशिका उसे विद्युत संकेत में बदल देती है। यह विद्युत संकेत तंत्रिकाक्ष के द्वारा प्रवाहित होता है। अंतर्ग्रथन में होता हुआ यह मस्तिष्क तक पहँचता है। मस्तिष्क संदेश ग्रहण कर उस पर अनुक्रिया करता है। प्रेरक तंत्रिका इस अनुक्रिया को पैर की पेशियों तक पहँचाती है और पैर की पेशियां उचित अनुक्रिया करती हैं।
तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) तीन प्रकार की हैं-
- संवेदी तंत्रिकोशिका-शरीर के विभिन्न भागों से यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर ले जाती है।
- प्रेरक तंत्रिकोशिका-यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक पहुँचाती है।
- बहुध्रुवी तंत्रिकोशिका-यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की तरफ और मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाने का कार्य करती है।
प्रश्न 6.
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
पादप के प्ररोह तंत्र के द्वारा प्रकाश स्रोत की दिशा की ओर गति करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्ररोह तंत्र का प्रकाश के प्रति धनात्मक अनुवर्तन होता है। यदि किसी पादप को गमले में लगा कर इसे किसी अंधेरे कमरे में रख दें जिसमें प्रकाश किसी खिड़की या दरवाज़े की ओर से भीतर आता हो तो कुछ दिन के बाद प्ररोह का अग्रभाग स्वयं उसी दिशा में मुड़ जाता है जिस तरफ से प्रकाश कमरे में प्रवेश करता है। ऐसा इसलिए होता है कि प्ररोह शीर्ष केवल उसी दिशा में स्रावित होने वाले अधिक ऑक्सिन (Auxin) के प्रभाव से नष्ट हो जाता है जबकि विपरीत दिशा की तरफ हॉर्मोन उपस्थित रहता है। इस कारण प्ररोह प्रकाश की दिशा में मुड़ जाता है।
प्रश्न 7.
मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों को आने में व्यवधान होगा ?
उत्तर-
मेरुरज्जु आघात में प्रतिवर्ती क्रियाएँ तथा अनौच्छिक क्रियाओं के लिए आने वाले संकेतों में व्यवधान होगा। पर्यावरण की कोई भी सूचना आगत-निर्गत तंत्रिकाओं के बंडल से होती हुई मस्तिष्क में पहुँच जाएगी। वह तुरंत प्रभावित अंगों में न पहुँचकर मस्तिष्क के द्वारा उस अंग तक पहुँचेगी। ऐसा होने से अधिक देर लगेगी और तब तक अंग कुप्रभावित हो जाएगा।
प्रश्न 8.
पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
पादप में रासायनिक समन्वय-पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोनों के कारण होता है। पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं जो उसके विशेष भागों को प्रभावित करते हैं। पादपों में प्ररोह प्रकाश के आने की दिशा की ओर ही बढ़ता है। गुरुत्वानुवर्तन जड़ों को नीचे की ओर मुड़ कर अनुक्रिया करता है। इसी प्रकार जलानुवर्तन और रासायनावर्तन होता है। पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनानुवर्तन का उदाहरण है। विभिन्न पादप हॉर्मोन कोशिकाओं के द्वारा संश्लेषण के पश्चात् पौधे के अन्य भागों में विसरित हो कर उसे प्रभावित करते हैं। साइटोकाइनिन हॉर्मोन पौधों की जीर्णता को रोकते हैं। ऑक्सिन हार्मोन वृद्धि, अनुवर्तन गतियों, जड़ विभेदन आदि को नियंत्रित करते हैं। ऐब्सिसिक अम्ल वृद्धिरोधक पादप हॉर्मोन है। पत्तों का मुरझाना भी इसके प्रभावों में शामिल है।
प्रश्न 9.
एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
बहकोशकीय जीवों की संरचना बहुत जटिल होती है। उनके शरीर के विभिन्न बाहरी और भीतरी अंगों की विशिष्ट कार्यप्रणालियों और गतिविधियों में तालमेल की परम आवश्यकता होती है। अंगों के नियंत्रण और समन्वय के द्वारा ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सकती है। जीवों की जटिल प्रकृति के कारण ही वे उन तंत्रों का उपयोग करते हैं जो नियंत्रण एवं समन्वय कार्य करते हैं। विशिष्टीकरण ऊतक का उपयोग नियंत्रण और समन्वय में सहायक सिद्ध होता है।
प्रश्न 10.
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
प्रतिवर्ती क्रियाएं वे क्रियाएँ हैं जो बाहरी संवेदना के उत्तर में तुरंत और अपने-आप हो जाती हैं। इन पर मस्तिष्क का कोई नियंत्रण नहीं होता। ये मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। प्रतिवर्ती क्रियाएँ स्वायत्त प्रेरक के प्रत्युत्तर होती हैं। उदाहरण-रक्त दाब, हृदय स्पंदन दर, श्वास दर आदि। अनैच्छिक क्रियाएँ भी प्राणियों की इच्छा से चालित नहीं होतीं लेकिन इनका संचालन मध्यमस्तिष्क और पश्चमस्तिष्क के द्वारा किया जाता है। उदाहरण-गर्म धातु पर हाथ लगने से हाथ का हटना, पलक झपकना खाँसना इत्यादि।
प्रश्न 11.
जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (Contrast) कीजिए।
उत्तर –
तंत्रिका क्रिया विधि | हॉर्मोन क्रिया विधि |
(1) यह एक्सॉन के अंत में विद्युत् आवेग का परिणाम जो कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। | (1) यह रक्त के द्वारा भेजा गया रासायनिक संदेश है| |
(2) सूचना अति तीव्रगति से आगे बढ़ती है। | (2) सूचना धीरे-धीरे गति करती है। |
(3) सूचना विशिष्ट एक या अनेक तंत्रों, कोशिकाओं, न्यूरानों आदि को प्राप्त होती है। | (3) सूचना सारे शरीर को रक्त के माध्यम से प्राप्त हो जाती है जिसे कोई विशेष कोशिका या तंत्र स्वयं प्राप्त कर लेता है। |
(4) इसे उत्तर शीघ्र प्राप्त हो जाता है। | (4) इसे उत्तर प्रायः धीरे-धीरे प्राप्त होता है। |
(5) इसका प्रभाव कम समय तक रहता है। | (5) इसका प्रभाव प्रायः देर तक रहता है। |
प्रश्न 12.
छुई-मुई पादप की गति तथा हमारी टांग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है ?
उत्तर-
छुई-मुई पादप स्पर्श करते ही पत्तियों को झुका कर या बंद कर संवेदनशीलता का परिचय दे देती है। पादप हॉर्मोन के प्रभाव के कारण पादप कोशिकाएं यह परिवर्तित कर देती हैं जबकि हमारी टांग में होने वाली ऐच्छिक क्रिया का परिणाम है जो अनुमस्तिष्क के द्वारा संचालित होती है। इसमें तंत्रिका नियंत्रण का सहयोग प्राप्त किया जाता है।
Science Guide for Class 10 PSEB नियंत्रण एवं समन्वय InText Questions and Answers
प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया और टहलने के बीच क्या अंतर है ?
उत्तर-
प्रतिवर्ती क्रिया मस्तिष्क की इच्छा के बिना होने वाली अनैच्छिक क्रिया है। यह स्वायत्त प्रेरक की प्रत्युत्तर है। यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की है। ये मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों द्वारा कराई जाती है जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती है जबकि ‘टहलना’ एक ऐच्छिक क्रिया है जो मनुष्य सोच-विचार कर ही करता है और इसका नियंत्रण मस्तिष्क द्वारा होता है। प्रतिवर्ती क्रिया में शरीर के केवल एक भाग प्रतिक्रिया करता है जबकि टहलने में पूरा शरीर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है।
प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?
उत्तर-
प्राणियों के शरीर में दो तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं और सूचना आगे प्रेषित करते हैं। सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया के द्वारा एक विद्युत् आवेग उत्पन्न करती है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाओं तक पहुँचता है और तंत्रिकाक्ष में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। तंत्रिकाक्ष के अंत में विद्युत् आवेग के द्वारा कुछ रसायनों को उत्पन्न कराया जाता है जो रिक्त स्थान (सिनेप्टिक दरार) को पार कर अपने से अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी प्रकार विद्युत आवेश को आरंभ कराते हैं। यह शरीर में तंत्रिका आवेग की मात्रा की सामान्य योजना है।
प्रश्न 3.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ?
उत्तर-
अनुमस्तिष्क (cerebellum) शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है। यह प्रमस्तिष्क के पिछले भाग में नीचे की ओर स्थित होता है। यही ऐच्छिक पेशियों की गति को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 4.
हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?
उत्तर-
हमारी नाक में गंध ग्राही होते हैं। इनके संवेदी न्यूरान अगरबत्ती की गंध को ग्रहण हैं और अनुक्रिया को प्रेरकक्षेत्र तक पहुँचाते हैं। अग्र मस्तिष्क (Cerebrum) में ग्राही से संवेदी आवेग प्राप्त करने का क्षेत्र होता है जो सूंघने के लिए विशिष्टीकृत है। वही गंध का निर्णय लेकर अगरबत्ती की सुगंध का हमें अनुभव कराता है।
प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?
उत्तर-प्रतिवर्ती क्रियाएं मस्तिष्क के द्वारा परिचालित नहीं होतीं। ये मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित पेशियों की अनैच्छिक क्रियाएं होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं। ये क्रियाएं चाहे मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं पर मस्तिष्क तक इसकी सूचना पहुँचती है जहाँ सोचने-विचारने की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न 6.
पादप हॉर्मोन क्या हैं ?
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-वे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं।
पादप हॉर्मोन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-ऑक्सिन (Auxins), इथाइलीन (Ethylene), जिब्बेरेलिन (Gibberllins), साइटोकाइनिन (Cytokinins), एबसिसिक अम्ल (Abscisic Acid)।
प्रश्न 7.
छुई-मुई की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
छुई-मुई पौधों पर प्रकाशानुवर्तन गति का प्रभाव पड़ता है। पौधे का प्ररोह बहुत धीमी गति से प्रकाश आने की दिशा में वृद्धि करते हैं लेकिन इसके पत्ते स्पर्श की अनुक्रिया के प्रति बहत अधिक संवेदनशील हैं। स्पर्श होने की सूचना इसके विभिन्न भागों को बहुत तेजी से प्राप्त हो जाती है। पादप इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत-रसायन साधन का उपयोग करते हैं। उसमें सूचनाओं के चालन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते इसलिए वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपने पत्तों को सिकुड़ कर उनका आकार बदल लेते हैं।
प्रश्न 8.
एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर-
ऑक्सिन एक पादप हॉर्मोन है जो पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है।
प्रश्न 9.
किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर-
जब वृद्धि करता पादप प्रकाश को संसूचित करता है तब ऑक्सिन नामक पादप हॉर्मोन प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है तथा कोशिकाओं की लंबाई में वृदधि करता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा होता है तब ऑक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोह की प्रकाश से दूर वाली दिशा में ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं को लंबाई में बढ़ने के लिए उद्दीप्त करता है और वह प्रतान की चित्र-प्रतान की स्पर्श के लिए संवेदनशीलता सहायता से किसी दूसरे पादप या बाड़ के ऊपर चढ़ता है। ये प्रतान स्पर्श के लिए संवेदनशील है। जब ये किसी आधार के संपर्क में आते हैं तो प्रतान का वह भाग तेजी से वृद्धि करता है जो वस्तु से दूर रहता है और वह वस्तु को चारों ओर से जकड़ लेता है।
प्रश्न 10.
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर-
लकड़ी का बना एक लंबा डिब्बा लो। इसमें मिट्टी और खाद का मिश्रण भरो। इसके एक सिरे पर एक पौधा लगाओ। डिब्बे में जड़ों की वृद्धि की दिशा पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ दो। पौधे को उसी कीप के द्वारा प्रतिदिन | पानी दो। लगभग एक सप्ताह के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटा कर ध्यान से देखो। पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखाई देगी जिस दिशा से कीप के द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।
प्रश्न 11.
जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर-
जंतुओं में अंतःस्रावी ग्रंथियाँ विशेष रसायनों को उत्पन्न करती हैं। वे रसायन या हॉर्मोन जंतुओं को सूचनाएँ संचरित करने के साधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँच जाता है। ऊतकों में विशिष्ट गुण होते हैं जो अपने लिए आवश्यक हॉर्मोनों को पहचान कर उनका उपयोग बाहरी या भीतरी स्तर पर करते हैं। विशिष्टीकृत कार्यों को करने वाले अंगों से समन्वय कर वे हॉर्मोन अपना विशिष्ट प्रभाव दिखा देते हैं।
प्रश्न 12.
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ?
उत्तर-
अवटुग्रंथि को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। हमारे शरीर में प्रोटीन और वसा के उपापचय को थॉयरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट नियंत्रित करता है। यह वृद्धि के संतुलन के लिए आवश्यक होता है। यदि हमारे भोजन में आयोडीन की कमी रहेगी तो हम गॉयटर से ग्रसित हो सकते हैं। इस बीमारी का लक्षण फूली हुई गर्दन या बाहर की ओर उभरे हुए नेत्र-गोलक हो सकते हैं। इस रोग से बचने तथा आयोडीन की शरीर में कमी दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 13.
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्त्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ?
उत्तर-
एड्रीनलीन को ‘आपात्काल हॉर्मोन’ भी कहते हैं। जब कोई व्यक्ति भय या तनाव की स्थिति में होता है तब शरीर स्वयं एड्रीनलीन हॉर्मोन को बड़ी मात्रा में स्रावित कर देता है ताकि व्यक्ति आपात्काल का सामना कर सके। इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है। इन अंगों की चोटी धमनियों के आसपास की पेशी सिकुड़ जाती है। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देती है। डायाफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से साँस तेज़ चलने लगती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
प्रश्न 14.
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है ?
उत्तर-
इंसुलिन (Insulin)-इंसुलिन वह हॉर्मोन है जो अग्नाशय में उत्पन्न होता है। यह रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता देता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जिस कारण शरीर पर अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। इसीलिए मधुमेह के कुछ रोगियों को चिकित्सक इंसुलिन का इंजेक्शन देते हैं। इससे उनके रुधिर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।