PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

PSEB 10th Class Science Guide जीव जनन कैसे करते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया।
उत्तर-
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी।
उत्तर-
(c) शुक्रवाहिका।

प्रश्न 3.
परागकोश में होते हैं
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(c) अंडप
(d) परागकण।
उत्तर-
(d) परागकण।

प्रश्न 4.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन का क्या लाभ है?
उत्तर-
लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा लाभकारी है-

  • लैंगिक जनन में नर और मादा से प्राप्त होने वाले नर युग्मक और मादा युग्मक के निषेचन से लैंगिक जनन होता है चूंकि ये दो भिन्न प्राणियों से प्राप्त होते हैं इसलिए संतान विशेषताओं की विविधता को प्रकट करते हैं।
  • लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नए जोड़े बनते हैं। इससे विकासवाद की दिशा को नए आयाम प्राप्त होते हैं। इससे जीवों में श्रेष्ठ गुणों के उत्पन्न होने के अवसर बढ़ते हैं।

प्रश्न 5.
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
वृषण के कार्य-वृषण में नर जनन-कोशिका शुक्राणु का निर्माण होता है। टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन से उत्पादन एवं स्रावण में वृषण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 6.
ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर-
यदि नारी शरीर में निषेचन नहीं हो, तो अंड कोशिका लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। अंडाशय हर महीने एक अंड का मोचन करता है और निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी हर महीने तैयारी करता है। इसलिए इसकी अंत: भित्ति मांसल एवं स्पोंजी हो जाती है। यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। लेकिन निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। इसलिए यह पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में बाहर निकल जाती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है। इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।

प्रश्न 7.
पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
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प्रश्न 8.
गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं? (P.S.E.B. March 2018, Set-I, II, III)
उत्तर-
बच्चों के जन्म को नियमित करने के लिए आवश्यक है कि मादा का निषेचन न हो। इसके लिए मुख्य गर्भ निरोधन विधियां निम्नलिखित हैं
(i) रासायनिक विधि-अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थ मादा निषेचन को रोक सकते हैं। स्त्रियों के स्वरा गर्भ-निरोधक गोलियां प्रयुक्त की जाती हैं। झाग की गोली, जैली, विभिन्न प्रकार की क्रीमें आदि यह कार्य करती हैं।
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(ii) शल्य-पुरुषों में नसबंदी (Vasectomy) तथा स्त्रियों में भी नलबंदी (Tubectomy) के द्वारा निषेचन रोका जाता है। पुरुषों की शल्य चिकित्सा में शुक्र वाहिनियों को काटकर बांध दिया जाता है जिससे वृषण में बनने वाले शुक्राणु बाहर नहीं आ पाते। स्त्रियों में अंडवाहिनी को काटकर बाँध देते हैं जिससे अंडाशय में बने अंडे गर्भाशय में नहीं आ पाते।
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(iii) भौतिक विधि-विभिन्न भौतिक विधियों से शुक्राणुओं को स्त्री के गर्भाशय में जाने से रोक दिया जाता है। लैंगिक संपर्क में निरोध आदि युक्तियों का प्रयोग इसी के अंतर्गत आता है। गर्भधारण को रोकने के लिए लूप या कॉपर-टी (Copper-T) को गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।

प्रश्न 9.
एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर-
एक कोशिक प्रायः विखंडन, मुकुलन, पुनरुद्भवन, बहुखंडन आदि विधियों से जनन करते हैं। उनमें केवल एक ही कोशिका होती है। वे सरलता से कोशिका विभाजन के द्वारा तेज़ी से जनन कर सकते हैं। बहुकोशिक जीवों में जनन क्रिया जटिल होती है और यह मुख्य रूप से लैंगिक जनन क्रिया ही होती है।

प्रश्न 10.
जनन किसी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर-
किसी भी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में जनन और मृत्यु का बराबर का महत्त्व है। यदि जनन और मृत्यु दर में लगभग बराबरी की दर हो तो स्थायित्व बना रहता है। एक समष्टि में जन्म दर और मृत्यु दर ही उसके आधार का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 11.
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर-
गर्भनिरोधक युक्तियाँ मुख्य रूप से अवांछित गर्भ रोकने के लिए ही अपनाई जाती हैं। इनसे बच्चों की आयु में अंतर बढ़ाने में भी सहयोग लिया जा सकता है। कंडोम के प्रयोग से एड्स, सुजाक, हिपेटाइटिस जैसे यौन संबंधी कुछ रोगों के संक्रमण से भी बचा जा सकता है।

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प्रश्न 1.
डी० एन० ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
प्रजनन में डी० एन० ए० प्रतिकृति प्राणी के अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। यह स्पीशीज़ में पाई जाने वाली विभिन्न विशेषताओं के अस्तित्व को बना कर रखने में सहायक है। डी० एन० ए० का प्रतिकृति पीढ़ियों तक गुणों को आगे लेकर चलती है। इससे शारीरिक डिज़ाइन में समता बनी रहती है पर नई विभिन्नताओं के कारण इसमें परिवर्तन आते रहते हैं। इससे प्राणी का अस्तित्व बना रहता है चाहे उसमें कुछ अंतर आ जाता है।

डी० एन० ए० आनुवंशिक गुणों का संदेश है जो जन्म से संतान को प्राप्त होता है। इसके केंद्रक में प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना विद्यमान होती है। सूचना के बदल जाने पर प्रोटीन भी बदल जाएगी जिस कारण शारीरिक अधिकल्प में भी विविधता उत्पन्न हो जाती है। डी० एन० ए० प्रतिकृति बनने के साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता है। जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण डी० एन० ए० की प्रतिकृति में कुछ विभिन्नता उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर-
जीवों पर परितंत्र के स्थान पर निकेत का सीधा प्रभाव पड़ता है। किसी प्रजाति की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है। जब निकेत में ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं जो जीवों के नियंत्रण से बाहर होते हैं जो उग्र परिवर्तन दिखाई देते हैं। इनके परिणामस्वरूप समष्टि का समूल विनाश संभव होता है। यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीवित रहने की कुछ संभावना है। वैश्विक उष्मीकरण के कारण यदि जल का ताप अधिक बढ़ जाए तो शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं का नाश हो जाएगा पर गर्मी को सहन कर सकने वाले जीवाणु जीवित रहेंगे और वृद्धि करेंगे। इसलिए विभिन्नताएँ स्पीशीज की उत्तर जीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं। विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है पर व्यष्टि के लिए यह आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 3.
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
द्विखंडन से कोई एक कोशिका दो छोटे और लगभग समान भागों में बंट जाती है। द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है। लेकिन बहुखंडन में एक कोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं। द्विखंडन में सिस्ट नहीं बनता लेकिन बहुखंडन में सिस्ट बनता है। अमीबा और पैरामीशियम में द्विखंडन होता है। काला ज़ार के रोगाणु लेसमानियाँ और मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम में बहुखंडन होता है।

प्रश्न 4.
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर-
बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। इनमें उत्पन्न बीजाणुओं की संख्या अधिक होती है इसलिए उनके बचने की संभावना ज्यादा होती है। वे सरलता से विपरीत परिस्थितियों में पाए जा सकते हैं। नम सतह के संपर्क में आने पर वे वृद्धि करने लगते हैं।

प्रश्न 5.
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?
उत्तर-
जटिल संरचना वाले जीवों में जनन भी जटिल होता है। पुनरुद्भवन एक प्रकार से परिवर्धन है जिसमें जीव के गुणों में अंतर नहीं आता। यह जनन के समान नहीं है। जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन के द्वारा किसी भी भाग को काट कर सामान्यतः वैसा जीव उत्पन्न नहीं कर सकते। क्योंकि उन का शरीर अंगों और अंग तंत्रों में विभाजित होता है।

प्रश्न 6.
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर–
प्रायः जो पौधे बीज उत्पन्न नहीं करते उनकी जड़, तना, पत्तियों आदि को उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित करके नया पौधा प्राप्त कर लिया जाता है। प्रायः एकल पौधे इस क्षमता का उपयोग जनन-विधि के रूप में करते हैं। उन्हीं को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन किया जाता है।

प्रश्न 5.
DNA की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
जनन की प्रक्रिया से वैसी ही समरूप संतान की प्राप्ति की जाती है जैसे जन्म देने वाले हों। DNA की प्रतिकृति के परिणामस्वरूप ही वंशानुगत गुणों से युक्त संतान प्राप्त होती है। इसीलिए DNA की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जीवन की निरंतरता को बनाए रखता है और जीवों में जाति विशेष के गुण बने रहते हैं।

प्रश्न 6.
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
परागण क्रिया तथा निषेचन में अंतर  –

परागण (Pollination) निषेचन (Fertilization)
(1) वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाती है। (1) वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है।
(2) यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है। (2) यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है।
(3) परागण क्रिया दो प्रकार की होती है-स्व- परागण और पर-परागण। |(3) निषेचन क्रिया भी दो प्रकार की होती है-बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन।
(4) परागकणों के स्थानांतरण के लिए वाहकों की होती। (4) इस क्रिया में वाहकों की कोई आवश्यकता नहीं आवश्यकता होती है।
(5) अनेक परागकणों का नुकसान होता है। (5) इसमें परागकणों का नुकसान नहीं होता।
(6) इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता होती। (6) इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 7.
शक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भमिका है?
उत्तर-
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि अपना स्राव शुक्र वाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है। साथ ही यह स्त्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।
शुक्राशय से स्रावित द्रव में फ्रुक्टोज, सिटरेट और अनेक प्रोटीन होते हैं। ये दोनों वीर्य की क्रमशः प्रतिशतता 60 : 30 में बनाते हैं। शुक्राशय योनि में संकुचन को उद्दीप्त करता है और प्रोस्टेट मूत्र की अम्लीयता को उदासीन करता है।

प्रश्न 8.
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
यौवनारंभ के समय लड़कियों में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • शरीर के कुछ नए भागों जैसे काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल गुच्छ निकल आते हैं।
  • हाथ, पैर पर महीन रोम आ जाते हैं।
  • त्वचा तैलीय हो जाती है। कभी-कभी मुहाँसे निकल आते हैं।
  • वक्ष के आकार में वृद्धि होने लगती है।
  • स्तनाग्र की त्वचा का रंग गहरा भूरा होने लगता है।
  • रजोधर्म होने लगता है।
  • अंडाशय में अंड परिपक्व होने लगते हैं।
  • ध्वनि सुरीली हो जाती है।
  • विपरीत लिंग की ओर आकर्षण होने लगता है।

प्रश्न 9.
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
अथवा
माँ के गर्भ में पल रहा भ्रूण अपना पोषण कैसे प्राप्त करता है ? (P.S.E.B. March 2017, Set-II)
उत्तर-
गर्भस्थ भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण प्राप्त होता है। इसके लिए प्लेसेंटा की संरचना प्रकृति के द्वारा की गई है। यह एक तश्तरी नुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर से ऊतक के प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्त स्थान होते हैं जो प्रवर्ध को ढांपते हैं। ये माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन और अन्य पदार्थ प्रदान करते हैं।

प्रश्न 10.
यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर-
नहीं, कॉपर-T किसी भी अवस्था में महिला की यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगा।

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