This PSEB 10th Class Social Science Notes History Chapter 9 Punjab’s Contribution towards Struggle for Freedom will help you in revision during exams.
Punjab’s Contribution towards Struggle for Freedom PSEB 10th Class SST Notes
Centres of the Revolt of 1857 in the Punjab:
- Lahore, Ferozepur, Peshawar, and Ambala were the main centres of the revolt of 1857 in Punjab.
- Sardar Ahmed Khan Kharal took an active part in this revolt.
Namdhari or Kuka Movement:
- The founder of the Namdhari movement was Baba Balak Singh.
- But the movement became very powerful under Baba Ram Singh.
- The Kukas attacked the cow-slaughterers and killed them.
Arya Samaj:
- Swami Dayanand Saraswati was the founder of the Arya Samaj.
- It was founded by him in 1875 A. D. at Bombay.
- The Arya Samaj played an important role in the social and religious fields.
- It also played a remarkable role in the freedom movement.
Ghadar Movement:
- The Ghadar Movement was a revolutionary movement.
- The main aim of this movement was to overthrow British rule in India.
- The Ghadar Party was established in 1913 A.D. in San Francisco.
- Baba Sohan Singh Bhakna was its president.
- Under the command of Ras Bihari Bose and Kartar Singh Sarabha, the Ghadar revolutionaries wanted to throw the English out of India through aA armed revolution.
Naujawan Sabha:
- Sardar Bhagat Singh founded the Naujawan Sabha in 1925-26.
- Its aim was to arouse the spirit of sacrifice, patriotism, and revolution among the youth.
Akali Movement and Gurudwara Reform Movement:
- During British rule, the management of the Sikh Gurudwaras was in the hands of the corrupt Mahants.
- The Sikhs wanted to free their religious places from the Mahants.
- So they started the Gurudwara Reform Movement.
Babbar Akali Movement:
- Many Sikh leaders wanted to turn the Gurudwara Reform Movement violent.
- The policy of the Babbar Akalis was to kill the enemies of their religion and frighten them.
- Havaldar Kishan Singh was the founder of this movement.
Khilafat Movement:
- The Khilafat Movement was started against the English because of their policy toward Turkey.
- The names of two brothers who started it in India were Mohammad Ali and Shaukat Ali.
Rowlatt Act:
- The Rowlatt Act was passed to crush the national movement. People called it Black Act.
- According to this Act, any person could be arrested and imprisoned without any trial.
Jallianwala Bagh Tragedy:
- The Jallianwala Bagh Tragedy occurred on April 13, 1919.
- On that day, the people of Amritsar were holding a meeting in Jallianwala Bagh.
- General Dyer ordered firing on this peaceful meeting without any warning.
- Hundreds of innocent people were killed and injured.
Resolution of Complete Independence:
- Resolution of Complete Independence was passed in the Lahore Session of the Congress which was held in December 1929.
- It was presided over by Pandit Jawahar Lal Nehru.
स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान PSEB 10th Class SST Notes
→ पंजाब में 1857 के विद्रोह के केन्द्र-1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के समय पंजाब की लाहौर, फिरोजपुर, पेशावर, अम्बाला, मियांवाली आदि छावनियों में विद्रोह हुआ। सरदार अहमद खां खरल का इस विद्रोह में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
→ नामधारी या कूका लहर-नामधारी या कूका लहर एक ऐसी लहर थी जिसने बाबा बालक सिंह के बाद बाबा राम सिंह के नेतृत्व में महान् कार्य किया। उन्होंने बूचड़खानों पर आक्रमण करके कई गौ हत्यारों (कसाइयों) को मार डाला।
→ आर्य समाज-आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इसकी स्थापना उन्होंने 1875 ई० में की। आर्य समाज ने जहां सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में अपना योगदान दिया, वहीं इसने स्वतन्त्रता लहर में भी बहुमूल्य भूमिका निभाई।
→ ग़दर आन्दोलन-ग़दर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में सान फ्रांसिस्को (अमेरिका) में हुई। इसका प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना को बनाया गया। इस संस्था ने रास बिहारी बोस तथा करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति द्वारा अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने का प्रयास किया।
→ नौजवान सभा-नौजवान सभा की स्थापना 1925-26 ई० में सरदार भगत सिंह ने की। नौजवान सभा का मुख्य उद्देश्य था-बलिदान, देश-भक्ति तथा क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करना।
→ अकाली लहर अथवा गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन-अंग्रेजों के समय पंजाब के गुरुद्वारों का प्रबंध भ्रष्ट महंतों के हाथ में था। सिक्ख इन महंतों से अपने धार्मिक स्थानों को मुक्त कराना चाहते थे। इसलिए उन्होंने गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन का आरम्भ किया।
→ बब्बर अकाली लहर-कई सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे। उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित कर के होशियारपुर तथा जालंधर में अंग्रेजी पिटुओं के दमन के विरुद्ध प्रचार किया।
→ खिलाफ़त लहर-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने तुर्की के सुल्तान के साथ अच्छा व्यवहार न किया। विरोध में भारतीय मुसलमानों ने अपने प्रिय नेता के लिए खिलाफ़त आन्दोलन चलाया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी उनका साथ दिया।
→ रौलेट बिल-भारतीयों में बढ़ती हुई राष्ट्रीयता की भावना को रोकने के लिए अंग्रेजों ने 1919 ई० में रौलेट बिल पास किया। इसके अन्तर्गत सरकार केवल संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती थी।
→ जलियांवाला बाग का हत्याकांड-जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 ई० को हुआ। इस दिन लगभग 25,000 व्यक्ति शांतिपूर्ण ढंग से एक सभा के रूप में जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए।
→ जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिए लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। परिणामस्वरूप लगभग 1000 लोग मारे गये और 3000 से भी अधिक लोग घायल हुए।
→ पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव-दिसम्बर, 1929 ई० के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्ति की शपथ ली। इस अधिवेशन की अध्यक्षता पं. जवाहरलाल नेहरू ने की।
→ सविनय अवज्ञा आन्दोलन-यह आन्दोलन 1930 ई० में गांधी जी ने डाँडी मार्च के साथ आरम्भ किया। यह आन्दोलन 1934 में समाप्त हुआ। सरकार ने भारतीय जनता पर बड़े अत्याचार किए।
→ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन तथा द्वितीय विश्व-युद्ध-सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी युद्ध में धकेल दिया। विरोध में कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्याग-पत्र दे दिये।
→ क्रिप्स मिशन का आगमन-दूसरे महायुद्ध (1939-45) में अंग्रेजों की दशा शोचनीय होती जा रही थी। जापान बर्मा (आधुनिक म्यनमार) तक बढ़ आया था। भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए 1942 ई० में सर स्टैफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा गया।
→ उन्होंने भारतीय नेताओं से बातचीत की और भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ देने का प्रस्ताव रखा। परन्तु कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने यह प्रस्ताव स्वीकार न किया।
→ भारत छोड़ो आन्दोलन-जापान के आक्रमण का भय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। अतः महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का सुझाव दिया और कहा कि हम जापान से अपनी रक्षा स्वयं कर लेंगे।
→ 9 अगस्त, 1942 ई० को उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ आरम्भ कर दिया। आन्दोलन बड़े वेग से चला। गांधी जी तथा दूसरे नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
→ आजाद हिन्द सेना-आज़ाद हिन्द सेना का पुनर्गठन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में हुआ। इस सेना ने भारत पर आक्रमण किया और इम्फाल के प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
→ परन्तु द्वितीय महायुद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिन्द सेना की शक्ति कम हो गयी। कुछ समय पश्चात् एक वायुयान दुर्घटना में नेताजी का देहान्त हो गया।
→ एटली की घोषणा, 1945 ई०-1945 ई० में इंग्लैण्ड में सत्ता ‘लेबर पार्टी’ के हाथ आ गयी। नए प्रधानमन्त्री एटली ने सितम्बर, 1945 में भारत के स्वाधीनता के अधिकार को स्वीकार कर लिया।
→ भारतीयों को सन्तुष्ट करने के लिए ‘कैबिनेट मिशन’ को भारत में भेजा गया। इस मिशन ने सिफ़ारिश की कि भारत में संघीय सरकार की व्यवस्था की जाए, संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा बनाई जाए तथा संविधान बनने तक देश में अन्तरिम सरकार की स्थापना की जाए।
→ साम्प्रदायिक झगड़े-1946 ई० में संविधान सभा के लिए चुनाव हुए। कांग्रेस को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। ईर्ष्या के कारण मुस्लिम लीग ने अन्तरिम सरकार में शामिल होने से इन्कार कर दिया।
→ उसने फिर पाकिस्तान की मांग की और ‘सीधी कार्यवाही करने का निश्चय किया। फलस्वरूप स्थान-स्थान पर साम्प्रदायिक झगड़े आरम्भ हो गए।
→ फरवरी की घोषणा-20 फरवरी, 1947 ई० को प्रधानमन्त्री एटली ने एक महत्त्वपूर्ण घोषणा की। इस घोषणा में यह कहा गया कि “अंग्रेजी सरकार जून, 1948 तक भारत छोड़ जाएगी।” इस उद्देश्य से वायसराय के पद पर लॉर्ड माऊण्टबेटन की नियुक्ति की गयी।
→ देश का विभाजन-लॉर्ड माऊण्टबेटन के प्रयत्नों से जुलाई, 1947 ई० में भारत स्वतन्त्रता कानून पास कर दिया गया। इसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 ई० को देश को भारत तथा पाकिस्तान नामक दो स्वतन्त्र राज्यों में बाँट दिया गया। इस प्रकार भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया।
ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਦੇਣ PSEB 10th Class SST Notes
→ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ 1857 ਈ: ਦੀ ਬਗ਼ਾਵਤ ਦੇ ਕੇਂਦਰ-1857 ਦੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਸੰਗਰਾਮ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲਾਹੌਰ, ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ, ਪਿਸ਼ਾਵਰ, ਅੰਬਾਲਾ, ਮੀਆਂਵਾਲੀ ਆਦਿ ਛਾਉਣੀਆਂ ਵਿਚ ਬਗ਼ਾਵਤ ਹੋਈ । ਸਰਦਾਰ ਅਹਿਮਦ ਖ਼ਾ ਖਰਲ ਦਾ ਇਸ ਬਗ਼ਾਵਤ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਰਿਹਾ ।
→ ਨਾਮਧਾਰੀ ਜਾਂ ਕੂਕਾ ਲਹਿਰ-ਨਾਮਧਾਰੀ ਜਾਂ ਕੂਕਾ ਲਹਿਰ ਇਕ ਅਜਿਹੀ ਲਹਿਰ ਸੀ ਜਿਸ ਨੇ ਬਾਬਾ ਬਾਲਕ ਸਿੰਘ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਾਬਾ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬੁੱਚੜਖਾਨਿਆਂ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਕਈ ਗਊ ਕਾਤਲਾਂ (ਕਸਾਈਆਂ) ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ।
→ ਆਰੀਆ ਸਮਾਜ-ਆਰੀਆ ਸਮਾਜ ਦੇ ਮੋਢੀ ਸੁਆਮੀ ਦਇਆਨੰਦ ਸਰਸਵਤੀ ਸਨ । ਇਸ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 1875 ਈ: ਵਿਚ ਕੀਤੀ । ਆਰੀਆ ਸਮਾਜ ਨੇ ਜਿੱਥੇ ਸਮਾਜਿਕ ਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਨੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਵੱਡਮੁੱਲੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।
→ ਗਦਰ ਅੰਦੋਲਨ-ਗਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1913 ਈ: ਵਿਚ ਸਾਫ਼ਰਾਂਸਿਸਕੋ ਅਮਰੀਕਾ) ਵਿਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਾਬਾ ਸੋਹਣ ਸਿੰਘ ਭਕਨਾ ਨੂੰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ | ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਰਾਸ ਬਿਹਾਰੀ ਬੋਸ ਅਤੇ ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਦੁਆਰਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ।
→ ਨੌਜਵਾਨ ਸਭਾ-ਨੌਜਵਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1925-26 ਈ: ਵਿਚ ਸਰਦਾਰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ । ਨੌਜਵਾਨ ਸਭਾ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਸੀ-ਕੁਰਬਾਨੀ, ਦੇਸ਼-ਭਗਤੀ ਅਤੇ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ।
→ ਅਕਾਲੀ ਲਹਿਰ ਅਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਭਿਸ਼ਟ ਮਹੰਤਾਂ ਦੇ ਹੱਥ ਵਿੱਚ ਸੀ ।ਸਿੱਖ ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਹੰਤਾਂ ਤੋਂ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨਾਂ ਨੂੰ ਮੁਕਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ।
→ ਬੱਬਰ ਅਕਾਲੀ ਲਹਿਰ-ਕਈ ਸਿੱਖ ਨੇਤਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ ਨੂੰ ਹਿੰਸਾਤਮਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾ ਕਿਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਚੱਕਰਵਰਤੀ ਜੱਥਾ ਕਾਇਮ ਕਰਕੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਅਤੇ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਪਿੱਠੂਆਂ ਦੇ ਦਮਨ ਵਿਰੁੱਧ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।
→ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ਤ ਲਹਿਰ-ਪਹਿਲੇ ਵਿਸ਼ਵ-ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਤੁਰਕੀ ਦੇ ਸੁਲਤਾਨ ਨਾਲ ਚੰਗਾ ਸਲੂਕ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ।ਵਿਰੋਧ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿਆਰੇ ਨੇਤਾ ਲਈ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ਤ ਅੰਦੋਲਨ ਚਲਾਇਆ । ਭਾਰਤੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿੱਤਾ ।
→ ਰੌਲਟ ਐਕਟ-ਭਾਰਤੀਆਂ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਰਾਸ਼ਟਰੀਅਤਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 1919 ਈ: ਵਿਚ ਰੌਲਟ ਐਕਟ ਪਾਸ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਸਰਕਾਰ ਸਿਰਫ ਸ਼ੱਕ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਸਕਦੀ ਸੀ ।
→ ਜਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਬਾਗ਼ ਦਾ ਹੱਤਿਆਕਾਂਡ-ਜਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਬਾਗ਼ ਦਾ ਹੱਤਿਆਕਾਂਡ 13 ਅਪਰੈਲ, 1919 ਈ: ਨੂੰ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਦਿਨ ਲਗਪਗ 25,000 ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ਾਂਤੀਪੂਰਨ ਢੰਗ ਨਾਲ ਇਕ ਸਭਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਜਲਿਆਂਵਾਲਾ ਬਾਗ਼ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ ।
→ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ ਬਿਨਾਂ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੱਤੇ ਨਿਹੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਉੱਤੇ ਗੋਲੀ ਚਲਾਉਣ ਦਾ ਹੁਕਮ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਲਗਪਗ 1000 ਲੋਕ ਮਾਰੇ ਗਏ ਅਤੇ 3000 ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਜ਼ਖਮੀ ਹੋ ਗਏ ।
→ ਪੂਰਨ ਸਵਰਾਜ ਦਾ ਮਤਾ-ਦਸੰਬਰ, 1929 ਈ: ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਇਜਲਾਸ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਪੂਰਨ ਆਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੀ ਸਹੁੰ ਖਾਧੀ । ਇਸ ਇਜਲਾਸ ਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਪੰ: ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਨੇ ਕੀਤੀ ।
→ ਸਿਵਲ ਨਾ ਫੁਰਮਾਨੀ ਅੰਦੋਲਨ-ਇਹ ਅੰਦੋਲਨ 1930 ਈ: ਵਿਚ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਨੇ ਡਾਂਡੀ ਮਾਰਚ ਦੇ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਇਹ ਅੰਦੋਲਨ 1934 ਵਿਚ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ । ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਜਨਤਾ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕੀਤੇ ।
→ ਭਾਰਤੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅੰਦੋਲਨ ਅਤੇ ਦੂਜਾ ਵਿਸ਼ਵ-ਯੁੱਧ-ਸਤੰਬਰ, 1939 ਵਿਚ ਦੂਜਾ ਵਿਸ਼ਵ-ਯੁੱਧ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਵੀ ਯੁੱਧ ਵਿਚ ਧੱਕ ਦਿੱਤਾ । ਵਿਰੋਧ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਮੰਤਰੀ ਮੰਡਲਾਂ ਨੇ ਅਸਤੀਫ਼ੇ ਦੇ ਦਿੱਤੇ।
→ ਕ੍ਰਿਪਸ ਮਿਸ਼ਨ ਦਾ ਆਗਮਨ-ਦੂਜੇ ਮਹਾਂਯੁੱਧ (1939-45) ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹਾਲਤ ਖ਼ਰਾਬ ਹੁੰਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ । ਜਾਪਾਨ ਬਰਮਾ (ਆਧੁਨਿਕ ਮਯਾਂਮਾਰ) ਤਕ ਵੱਧ ਆਇਆ ਸੀ। ਭਾਰਤੀਆਂ ਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ 1942 ਈ: ਵਿਚ ਸਰ ਸਟੈਫਰਡ ਕ੍ਰਿਪਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ।
→ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਨੇਤਾਵਾਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ‘ਡੋਮੀਨੀਅਨ ਸਟੇਟਸ’ ਦੇਣ ਦਾ ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੱਖਿਆ । ਪਰ ਕਾਂਗਰਸ ਅਤੇ ਮੁਸਲਿਮ ਲੀਗ ਦੋਨਾਂ ਨੇ ਇਹ ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਸਵੀਕਾਰ ਨਾ ਕੀਤਾ।
→ ਭਾਰਤ ਛੱਡੋ ਅੰਦੋਲਨ-ਜਾਪਾਨ ਦੇ ਹਮਲੇ ਦਾ ਡਰ ਦਿਨ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ ਵਧਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸੁਝਾਓ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਸੀਂ ਜਾਪਾਨ ਤੋਂ ਆਪਣੀ ਰੱਖਿਆ ਆਪ ਕਰ ਲਵਾਂਗੇ 19 ਅਗਸਤ, 1942 ਈ: ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ‘ਭਾਰਤ ਛੱਡੋ ਅੰਦੋਲਨ’ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।
→ ਅੰਦੋਲਨ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਚੱਲਿਆ । ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਅਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਨੇਤਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜੇਲ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
→ ਆਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ-ਇਸੇ ਵਿਚਕਾਰ ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਆਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਪੁਨਰ ਗਠਨ ਹੋਇਆ | ਇਸ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਇੰਫਾਲ ਦੇ ਦੇਸ਼ ਉੱਤੇ ਅਧਿਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ | ਪਰ ਦੂਜੇ ਮਹਾਂਯੁੱਧ ਵਿਚ ਜਾਪਾਨ ਦੀ ਹਾਰ ਨਾਲ ਆਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਘੱਟ ਹੋ ਗਈ । ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਇਕ ਹਵਾਈ ਦੁਰਘਟਨਾ ਵਿਚ ਨੇਤਾ ਜੀ ਦਾ ਦਿਹਾਂਤ ਹੋ ਗਿਆ ।
→ ਐਟਲੀ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ, 1945 ਈ: -ਇਸੇ ਦੌਰਾਨ ਇੰਗਲੈਂਡ ਵਿਚ ਸੱਤਾ ‘ਲੇਬਰ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਹੱਥ ਆ ਗਈ । ਨਵੇਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਐਟਲੀ ਨੇ ਸਤੰਬਰ, 1945 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ | ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਸੰਤੁਸ਼ਟ ਕਰਨ ਲਈ ‘ਕੈਬਨਿਟ ਮਿਸ਼ਨ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ।
→ ਇਸ ਮਿਸ਼ਨ ਨੇ ਸਿਫਾਰਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸੰਘੀ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕੀਤੀ ਜਾਏ, ਸੰਵਿਧਾਨ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਲਈ ਇਕ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਬਣਾਈ ਜਾਏ ਅਤੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਬਣਨ ਤਕ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਅੰਤਰਿਮ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਏ ।
→ ਸੰਪਰਦਾਇਕ ਝਗੜੇ-1946 ਈ: ਵਿਚ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੇ ਲਈ ਚੋਣਾਂ ਹੋਈਆਂ | ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ | ਈਰਖਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਮੁਸਲਿਮ ਲੀਗ ਨੇ ਅੰਤਰਿਮ ਸਰਕਾਰ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸਨੇ ਫਿਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ‘ਸਿੱਧੀ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਥਾਂ-ਥਾਂ ‘ਤੇ ਸੰਪਰਦਾਇਕ ਝਗੜੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਏ ।
→ ਫ਼ਰਵਰੀ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ-20 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਐਟਲੀ ਨੇ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਘੋਸ਼ਣਾ ਵਿਚ ਇਹ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਕਿ “ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਜੂਨ, 1948 ਤਕ ਭਾਰਤ ਛੱਡ ਜਾਏਗੀ ।” ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਵਾਇਸਰਾਇ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਉੱਤੇ ਲਾਰਡ ਮਾਊਂਟਬੈਟਨ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ।
→ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ-ਲਾਰਡ ਮਾਊਂਟਬੈਟਨ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਜੁਲਾਈ, 1947 ਈ: ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਕਾਨੂੰਨ ਪਾਸ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਸੁਤੰਤਰ ਰਾਜਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਗੁਲਾਮੀ ਤੋਂ ਆਜ਼ਾਦ ਹੋਇਆ ।