Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन
SST Guide for Class 10 PSEB खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Textbook Questions and Answers
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक वाक्य में दीजिए
प्रश्न 1.
प्रमुख खनिजों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं-लोहा, मैंगनीज़, कोयला, चूने का पत्थर, बॉक्साइट तथा अभ्रक।
प्रश्न 2.
मैंगनीज़ खनिज का उपयोग किस कार्य के लिए होता है?
उत्तर-
मैंगनीज़ का उपयोग इस्पात बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 3.
मैंगनीज़ अयस्क उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
मैंगनीज़ अयस्क उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है।
प्रश्न 4.
अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
प्रश्न 5.
कुल अभ्रक उत्पादन का आधे से अधिक भाग उत्पादन करने वाले राज्य का नाम बताओ।
उत्तर-
बिहार तथा झारखण्ड।
प्रश्न 6.
अभ्रक का उपयोग किस उद्योग में किया जाता है?
उत्तर-
अभ्रक का उपयोग बिजली उद्योग में किया जाता है।
प्रश्न 7.
बॉक्साइट अयस्क से किस धातु को निकाला जाता है?
उत्तर-
बॉक्साइट अयस्क से एल्यूमीनियम धातु को निकाला जाता है।
प्रश्न 8.
तांबा धातु किन-किन कामों में उपयोग किया जाता है?
उत्तर-
तांबा घरेलू बर्तन बनाने, शो पीस बनाने तथा बिजली उद्योग में प्रयोग होता है।
प्रश्न 9.
सोना उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र कहां और किस राज्य में है?
उत्तर-
सोना उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र कोलार है जो कर्नाटक राज्य में स्थित है।
प्रश्न 10.
चूने के पत्थर का उपयोग किस उद्योग में सबसे अधिक होता है?
उत्तर-
चूने के पत्थर का सबसे अधिक उपयोग सीमेंट उद्योग में होता है।
प्रश्न 11.
कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
चीन और संयुक्त राज्य के बाद कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
प्रश्न 12.
दामोदर घाटी में देश के कल संचित भण्डार का कितना हिस्सा कोयला पाया जाता है?
उत्तर-
दामोदर घाटी में देश के कुल संचित भण्डार का तीन-चौथाई भाग कोयला पाया जाता है।
प्रश्न 13.
कोयला उत्पादन के प्रबन्ध एवं प्रशासन का कार्य देश की किस संस्था के हाथ में है?
उत्तर-
कोल इण्डिया लिमिटेड (CIL) के हाथ में।
प्रश्न 14.
परमाणु ऊर्जा के चार प्रमुख केन्द्र कहां-कहां स्थित हैं?
उत्तर-
(i) तारापुर-महाराष्ट्र-गुजरात की सीमा पर
(ii) रावतभाटा-राजस्थान में कोटा के पास
(iii) कलपक्कम तमिलनाडु
(iv) नैरोरा-उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के पास।
प्रश्न 15.
पवन ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर-
पवन की शक्ति से प्राप्त ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 16.
बैलाडीला खानों से किस खनिज पदार्थ का खनन किया जाता है?
उत्तर-
बैलाडीला में लोहे का खनन किया जाता है।
प्रश्न 17.
कोलार खानों से कौन-सा खनिज निकाला जाता है?
उत्तर-
कोलार खानों से सोना निकाला जाता है।
प्रश्न 18.
लिग्नाइट को किस अन्य नाम से भी पुकारा जाता है?
उत्तर-
लिग्नाइट को ‘भृरा कोयला’ कह कर भी पुकारा जाता है।
प्रश्न 19.
सागर सम्राट नाम के जलपोत से क्या काम लिया जाता है?
उत्तर-
जापान द्वारा निर्मित सागर सम्राट नामक जलपोत से सागरीय क्षेत्र में तेल खोजने का काम लिया जाता है।
प्रश्न 20.
यूरेनियम धातु किस प्रकार की ऊर्जा बनाने के काम आती है?
उत्तर-
यूरेनियम धातु परमाणु ऊर्जा बनाने के काम आती है।
II. निम्न प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
खनिजों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है?
उत्तर-
खनिजों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ा महत्त्व है। निम्नलिखित तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाएगी
- देश का औद्योगिक विकास मुख्य रूप से खनिजों पर निर्भर करता है। लोहा और कोयला मशीनी युग का आधार हैं। हमारे यहां संसार के लौह-अयस्क के एक-चौथाई भण्डार हैं। भारत में कोयले के भी विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
- खनन कार्यों से राज्य सरकारों की आय में वृद्धि होती है और लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि खनिज ऊर्जा के महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
- खनिजों से तैयार उपकरण कृषि की उन्नति में सहायक हैं।
प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज़ उत्पादन के प्रमुख राज्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भारत में उड़ीसा सबसे बड़ा मैंगनीज़ उत्पादक राज्य है। इसके पश्चात् मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है। आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात और बिहार राज्यों में भी मैंगनीज़ का उत्पादन होता है।
उड़ीसा में मैंगनीज़ की प्रमुख खानें क्योंझर, कालाहांडी तथा मयूरभंज में हैं। मध्य प्रदेश में इस खनिज की खाने बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर आदि में हैं।
प्रश्न 3.
बॉक्साइट उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के अनेक क्षेत्रों में बॉक्साइट के निक्षेप पाए जाते हैं। झारखण्ड, गुजरात तथा छत्तीसगढ़ बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में भी इसके उत्तम कोटि के भण्डार हैं। विगत कुछ वर्षों में उड़ीसा के बॉक्साइट निक्षेपों का विकास किया गया है। यहां अल्यूमीना तथा एल्यूमीनियम बनाने के लिए एशिया का सबसे बड़ा कारखाना लगाया गया है।
प्रश्न 4.
तांबा उत्पादक क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
आजकल देश का अधिकांश तांबा झारखण्ड के सिंहभूम, मध्य प्रदेश के बालाघाट और राजस्थान के झुंझनु एवं अलवर जिलों से निकाला जाता है। आन्ध्र प्रदेश के खम्मम, कर्नाटक के चित्रदुर्ग और हसन जिलों तथा सिक्किम में भी थोड़े बहुत तांबे का उत्पादन किया जाता है।
प्रश्न 5.
पंजाब में खनिज पदार्थों के नहीं मिलने के क्या कारण हैं?
उत्तर-
पंजाब का अधिकांश भाग नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है। हम पंजाब के मैदानों को नवीनतम युग की कांप मिट्टियों के समतल मैदान भी कह सकते हैं। यह मैदान कृषि के लिए बहुत उपजाऊ हैं। खनिज सम्पदा अधिकांशतः भू-इतिहास के प्राचीन काल में निर्मित आग्नेय या कायांतरित शैलों वाले भागों में मिलती है। अतः कांप मिट्टियों से बने पंजाब का खनिज उत्पादन में प्रमुख स्थान नहीं है।
प्रश्न 6.
कोयला उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत में कोयले के तीन-चौथाई भण्डार दामोदर नदी घाटी में स्थित हैं। रानीगंज, झरिया, गिरीडीह, बोकारो तथा करनपुरा कोयले के प्रमुख क्षेत्र हैं। ये सभी पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड राज्यों में स्थित हैं। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के सिंगरोली, सोहागपुर तथा रायगढ़ में कोयला निकाला जाता है। इसके साथ-साथ उड़ीसा के तालचेर तथा महाराष्ट्र के चांदा जिले में भी कोयले के विशाल क्षेत्र हैं।
प्रश्न 7.
उड़ीसा में कोयला उत्पादन के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
देवगढ़ तथा तालचेर।
प्रश्न 8.
कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण करने के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण करने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- श्रमिकों को शोषण से बचाना।
- खनन कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करना।
- खनन किये गये क्षेत्रों में पर्यावरण को बनाये रखना।
प्रश्न 9.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर-
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों के नाम निम्नलिखित हैं
- सौर ऊर्जा,
- पवन ऊर्जा,
- ज्वारीय ऊर्जा,
- भूतापीय ऊर्जा,
- ऊर्जा के लिए वृक्षारोपण,
- शहरी कचरे से प्राप्त ऊर्जा,
- जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा।
ऊर्जा के परम्परागत साधन अक्षय भी हैं और कम खर्चीले भी हैं।
प्रश्न 10.
पवन ऊर्जा के महत्त्व एवं भारत में उपयोग को बताइए।
उत्तर-
पवन ऊर्जा अक्षय है और इसके प्रयोग में खर्चा भी कम बैठता है। दूसरे, दूर स्थित मरुस्थलीय स्थानों पर पवन ऊर्जा के बल परं नये उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं।
भारत में उपयोग
- इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का काम लिया जा रहा है।
- पवन केन्द्र बना कर बिजली प्राप्त की जा रही है और यहां से उत्पन्न बिजली को ग्रिड प्रणाली में शामिल कर लिया जाता है।
प्रश्न 11.
खनन उद्योग में भारत सरकार की भूमिका क्या है?
उत्तर-
खनन उद्योग में भारत सरकार दिशा निर्देश का काम करती है। इसके लिए केन्द्रीय सरकार खनन एवं खनिज एक्ट 1957 के अनुसार काम करती है। इस कानून के अनुसार भारत सरकार खनिजों के विकास के लिए दिशा निर्देशन कानून बनाती है। इसके लिए भारत सरकार.
- गौण खनिज को छोड़ सभी खनिजों के दोहन के लिए लाइसेंस और ठेके देती है।
- खनिजों के संरक्षण एवं विकास के लिए पग उठाती है।
- पुराने दिए गए ठेकों में समय-समय पर परिवर्तन करती है।
प्रश्न 12.
मध्य प्रदेश के किन-किन जिलों में लौह-अयस्क का खनन होता है?
उत्तर-
मध्य प्रदेश में जबलपुर तथा बालाघाट जिलों में लौह-अयस्क का खनन होता है।
प्रश्न 13.
देश के उन सरकारी उपक्रमों के नाम बताइए, जो आजादी के बाद तेल खोज, शोधन एवं वितरण के कार्य में संलग्न हैं।
उत्तर-
आजादी के बाद तेल की खोज में तेजी लाने तथा वितरण के लिए विशेष उपक्रमों का संगठन किया गया है। ये हैं
- तेल एवं प्राकृतिक गैस कमीशन (ONGC),
- भारतीय तेल लिमिटेड (IOL),
- हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम (HPC) तथा
- भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (GAIL)
प्रश्न 14.
सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा का स्रोत क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
कोयला और खनिज तेल समाप्त होने वाले साधन हैं। एक दिन ऐसा आएगा जब विश्व के लोगों को इनसे पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलेगी। इनके भण्डार समाप्त हो चुके होंगे। इनके विपरीत सूर्य ऊर्जा कभी न समाप्त होने वाला साधन है। इससे विपुल मात्रा में ऊर्जा मिलती है। जब कोयले और खनिज तेल के भण्डार समाप्त हो जाएंगे तब सौर बिजली घरों से शक्ति प्राप्त होगी और हम अपने घरेलू कार्य सौर संयन्त्रों से सुगमता से कर लेंगे।
प्रश्न 15.
प्राकृतिक गैस का उर्वरक उद्योग में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
प्राकृतिक गैस पैट्रो-रसायन उद्योग के लिए कच्चा माल है। यह भारतीय कृषि का उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक है। अब प्राकृतिक गैस से उर्वरक बनाए जाने लगे हैं। प्राकृतिक गैस पाइप लाइनों द्वारा उर्वरक बनाने वाले कारखानों तक भेजी जाती है। हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर गैस पाइप लाइन 1730 किलोमीटर लम्बी है जिसके द्वारा उर्वरक बनाने वाले 6 कारखानों को गैस पहुंचाई जाती है।
प्रश्न 16.
देश में विद्युत् शक्ति के वितरण की प्रमुख समस्याएं क्या हैं ?
उत्तर-
देश में विद्युत् शक्ति के क्षेत्रीय वितरण की प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं
- विद्युत् उत्पादन केन्द्र विद्युत् खपत केन्द्रों से बहुत दूर स्थित होते हैं। ग्रिड प्रणाली तक पहुंचने में भी तारों का जाल बिछाना पड़ता है जिसमें धन का भी अधिक व्यय होता है।
- दूर स्थित होने के कारण बिजली का आंशिक भाग व्यर्थ चला जाता है।
- कभी-कभी ग्रिड प्रणाली में दोष आ जाता है जिसके कारण सारी वितरण प्रणाली ठप्प पड़ जाती है।
प्रश्न 17.
देश में खनिज सम्पदा की उपलब्धि एवं महत्त्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत खनिज संसाधनों में काफ़ी सम्पन्न है।
- यह लौह संसाधनों में विशेष रूप से सम्पन्न है। एक अनुमान के अनुसार भारत में संसार के लौह-अयस्क के एक-चौथाई भण्डार हैं।
- भारत में मैंगनीज़ के भी विशाल भण्डार हैं। यह खनिज मिश्र इस्पात बनाने में बहुत उपयोगी है।
- भारत में कोयले के भी बड़े भण्डार हैं। परन्तु दुर्भाग्य से हमारे कोयले के ऐसे भण्डार कम हैं, जिनसे ‘कोक’ बनाया जाता है।
- चूने का पत्थर भी देश में भारी मात्रा में व्यापक रूप से पाया जाता है।
- भारत बॉक्साइट और अभ्रक में भी सम्पन्न है।
महत्त्व-
- खनिज सम्पदा उद्योगों का आधार है। अतः देश का औद्योगिक विकास हमारी खनिज सम्पदा पर ही निर्भर करता है।
- खनिजों के खनन से देश के धन में वृद्धि होती है, लोगों को रोजगार मिलता है और उनका जीवन-स्तर उन्नत होता है।
प्रश्न 18.
लौह धातु के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हमारे देश के कई क्षेत्रों में लौह-अयस्क के विशाल भण्डार पाये जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 17 अरब 57 करोड़ टन लौह-अयस्क के भण्डार हैं। यह मुख्य रूप से झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग तथा बिहार के शाहाबाद जिलों में पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश तथा उड़ीसा में भी लौह-अयस्क के बड़े क्षेत्र हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में पाया जाने वाला लौह-अयस्क जापान आदि देशों को निर्यात किया जाता है। कुछ लौह-अयस्क आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में भी पाया जाता है। वैसे तो गोआ में भी लौह-अयस्क के भण्डार हैं, परन्तु यह अच्छी किस्म का नहीं है।
प्रश्न 19.
आजादी के बाद खनिज तेल की खोज एवं उत्पादन के लिए किये गये प्रयासों का वर्णन करो।
उत्तर-
स्वतन्त्रता के पश्चात् देश में खनिज तेल की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए नये तेल क्षेत्रों की खोज का कार्य आरम्भ किया गया। गुजरात के मैदानों तथा खम्बात की खाड़ी के अपतट क्षेत्रों में खनिज तेल और प्राकृतिक गैस की खोज की गई। मुम्बई तट से 115 किलोमीटर दूर समुद्र से भी तेल निकाला गया। इस समय यह भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। इस तेल क्षेत्र को “बॉम्बे हाई” के नाम से जाना जाता है। खनिज तेल के नये भण्डारों की खोज समुद्र के अपतट क्षेत्रों में हुई है। ये क्षेत्र गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तथा महानदी के डेल्टाई तटों के पास गहरे सागर में फैले हुए हैं। असम में भी तेल के कुछ नये भण्डारों का पता लगाया गया है।
प्रश्न 20.
आजादी के बाद ग्रामीण विद्युतीकरण में हुए विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
आज़ादी के पश्चात् ग्रामीण क्षेत्रों के विद्युतीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया गया। ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं राज्य सरकारों और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम दोनों द्वारा मिलकर चलायी जाती हैं। वर्ष 2000 तक 5 लाख परमाणु ऊर्जा से सम्पन्न कुछ देश चाहते हैं कि भारत अपने परमाणु कार्यक्रम को न चलाए। इस कारण वे भारत के परमाणु कार्यक्रम को अन्तर्राष्ट्रीय निगरानी में लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि भारत से इस सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि पर हस्ताक्षर कराया आए। परन्तु भारत का सदा यह मत रहा है कि यह सन्धि भेदभावपूर्ण है। भारत परमाणु ऊर्जा का उपयोग शांतिपूर्ण कार्यों के लिए करना चाहता है, न कि विनाशकारी कार्यों के लिए।
III. निम्न प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
कोयला उत्पादन का विस्तार से वर्णन करते हुए प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
कोयला औद्योगिक ऊर्जा का प्रमुख साधन है। लोहा तथा इस्पात एवम् रसायन उद्योगों के लिए कोयले का बड़ा महत्त्व है। हमारे देश में कोयले के काफ़ी बड़े भण्डार हैं। इसके तीन चौथाई भण्डार दामोदर नदी की घाटी में स्थित हैं। आन्ध्र सीमांध्र तथा महाराष्ट्र में भी कोयला क्षेत्र विद्यमान हैं। कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण-स्वतन्त्रता के पश्चात् हमारी सरकार ने सभी कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया है। राष्ट्रीयकरण का मुख्य उद्देश्य कोयले की खानों में काम करने वाले श्रमिकों को शोषण से बचाना है।
कोयले का महत्त्व-भारत में पाया जाने वाला निम्न कोटि का कोयला हमारे लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। यह कोयला विद्युत् तथा गैस के उत्पादन में बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ है। इससे खनिज तेल भी प्राप्त किया जा सकता है। हमारे छोटेबड़े ताप बिजली-घर इन्हीं कोयला क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इन बिजली-घरों से जो बिजली प्राप्त होती है, उसे विशाल प्रादेशिक ग्रिड व्यवस्था में भेज दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप समय और व्यय दोनों की बचत होती है। – कोयले का उत्पादन-सन् 1951 में हमारे देश में कोयले का उत्पादन केवल 3.5 करोड़ टन था। परन्तु 2002-03 में यह बढ़कर 34:12 करोड़ टन हो गया।
समस्याएँ-
- भारत में बढ़िया प्रकार का कोयला नहीं मिलता।
- कोयला खानों में आग की घटनाओं से अनेक श्रमिक मारे जाते हैं।
- कोयले की खानें काफ़ी गहरी हैं। अत: कोयले का उत्पादन काफ़ी महंगा पड़ रहा है।
- भारत में कोयला-उत्पादन की तकनीक के आधुनिकीकरण की गति बड़ी धीमी है।
प्रश्न 2.
ताप एवं परमाणु शक्ति के विस्तार पर भारत में हुई प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर-
कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस द्वारा ताप-बिजली घरों में ताप-बिजली (Thermal Power) उत्पन्न की जाती है। ताप-बिजली उत्पादन करने वाले इन खनिज संसाधनों को जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) कहा जाता है। यह इनकी सबसे बड़ी कमी या दोष है कि इन्हें एक बार से अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता। कोयले, पेट्रोलियम व गैस के अतिरिक्त परमाणु ईंधन (Atomic Fuel) या भारी जल (Heavy Water) से भी विद्युत् उत्पन्न की जाती है। जल-विद्युत् (Hydel Power) ऊर्जा का स्वच्छ साधन है। इस तरह जल शक्ति से बनने वाली विद्युत् को जल-विद्युत (Hydel Power), कोयले, पेट्रोलियम व गैस की मदद से बनने वाली विद्युत् को तापीयविद्युत् (Thermal Power) तथा परमाणु ईंधन या भारी-जल से बनने वाली विद्युत् को परमाणु-शक्ति (Atomic Power) कहते हैं। विद्युत् शक्ति का हमारी कृषि, उद्योगों, परिवहन तथा घरेलू कार्यों में बहुत अधिक उपयोग होता है। इस प्रकार से बिना विद्युत् शक्ति के आधुनिक जीवन की कल्पना ही लगभग असम्भव है।
वर्ष 2002-03 में इन तीनों प्रमुख स्रोतों से कुल विद्युत् उत्पादन 534.30 अरब यूनिट था। इसमें से लगभग तीनचौथाई भाग ताप-बिजली घरों में उत्पादन किया गया। बाकी 23.5 प्रतिशत जल-विद्युत् घरों में तथा शेष 1.60 प्रतिशत परमाणु-शक्ति से उत्पन्न किया गया। समय के साथ-साथ ताप-बिजली का भाग बड़ी तेजी से बढ़ा है। देश में विद्युत् की संस्थापित क्षमता (Installed Capacity) 1994-95 तक 81.8 हजार मेगावाट थी। परन्तु 2002-03 के अंत तक यह क्षमता बढ़ कर 10.80 लाख मेगावाट हो गई।
प्रश्न 3.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों के विकास एवं महत्त्व पर विस्तार से लिखें।
उत्तर-
ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-हाीय ऊर्जा, जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा आदि सम्मिलित हैं।
विकास-ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों के प्रयोग को बढ़ाने पर हाल के वर्षों में अत्यधिक बल दिया जा रहा है। इस ऊर्जा का वनारोपण, पर्यावरण सुधार, ऊर्जा संरक्षण, रोजगार वृद्धि, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सुधार, सामाजिक कल्याण, खेतों में सिंचाई, जैविक खाद उत्पादन आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान है। मार्च, 1981 में केन्द्र सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त आयोग की स्थापना की थी ताकि अतिरिक्त ऊर्जा स्रोतों का पता लगाया जा सके। 1982 में गैर-परम्परागत ऊर्जा साधनों का विभाग, ऊर्जा मन्त्रालय में स्थापित किया गया। अब गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के लिए अलग से एक मन्त्रालय स्थापित कर दिया गया है। राज्य सरकारों ने भी अपने यहां गैर-परम्परागत ऊर्जा साधनों के लिए अलग से एजेन्सी स्थापित की हुई है। स्थानीय लोगों की भागीदारी से स्थानीय स्तर पर खाना पकाने की गैस, लघु सिंचाई योजना, पीने का पानी तथा सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था के कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पवन ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था में सहायता मिली है। कई स्थानों पर पवन केन्द्र कार्य कर रहे हैं। यहां से उत्पन्न बिजली को ग्रिड प्रणाली में शामिल कर लिया गया है।
भू-तापीय ऊर्जा-भारत में भू-तापीय ऊर्जा का अभी तक पूरी तरह विकास नहीं किया जा सका। हिमाचल में मणिकरण स्थित गर्म जल स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के प्रयास किए जा रहे हैं। – महत्त्व-ऊर्जा साधनों के रूप में इनका उपयोग बहुत ही पुराना है
- नौ-परिवहन में पवन तथा प्रवाहित जल का भी उपयोग होता था।
- आटा पीसने के लिए पनचक्कियों का प्रचलन था। पानी खींचने के लिए पवन चक्कियों का उपयोग होता था। आज के युग में भी इनकी कुछ विशेषताओं तथा परम्परागत साधनों की कुछ कमियों के कारण इनका महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इन साधनों की यह विशेषता है कि ये सभी साधन या तो नवीकरण योग्य हैं या अक्षय हैं। ये साधन कम खर्चीले भी हैं।
प्रश्न 4.
देश के औद्योगिकीकरण में ऊर्जा के महत्त्व को समझाओ।
उत्तर-
देश के औद्योगिकीकरण में ऊर्जा का बड़ा महत्त्व है। उद्योगों से अभिप्राय उन कारखानों से है जो छोटीबड़ी मशीनों द्वारा चलाये जाते हैं। ये मशीनें केवल ऊर्जा द्वारा ही चलाई जा सकती हैं।
ऊर्जा कोयला, जल तथा परमाणु ईंधन से प्राप्त होती है। आजकल कुछ ऊर्जा गैर-परम्परागत साधनों से भी प्राप्त की जा रही है। यदि हम देश को औद्योगिकीकरण के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं तो यह ऊर्जा के विकास के बिना सम्भव नहीं है। औद्योगिक ऊर्जा का प्रमुख साधन होने के साथ कोयला एक कच्चा माल भी है। लोहा तथा इस्पात एवं रसायन उद्योगों के लिए कोयला आवश्यक है। देश में व्यापारिक शक्ति की 60 प्रतिशत से भी अधिक आवश्यकताएँ कोयले और लिग्नाइट से पूरी होती हैं। स्वाधीनता के समय केवल असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था। तब कारखाने भी अधिक नहीं थे। परन्तु तेल की खोज के साथ ही भारत में औद्योगिकीकरण का भी विकास हुआ। प्राकृतिक गैस से उर्वरक बनाये जाने लगे हैं। इसी तरह जल-विद्युत का भी प्रसार हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ऊर्जा का एक नया स्रोत सामने आया। यह परमाणु ऊर्जा थी। ऊर्जा के साधनों के विकास के साथ ही देश में लोहा-इस्पात उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग तथा कई अन्य उद्योग आरम्भ हुए। अत: यह बात सत्य है कि ऊर्जा औद्योगिकीकरण की कुंजी है।
IV. निम्नलिखित को मानचित्र में लगायें:
- लौह अयस्क उत्पादक क्षेत्र, कोई चार।
- मैंगनीज़ अयस्क उत्पादक क्षेत्र, कोई तीन।
- कोयला उत्पादन क्षेत्र, कोई पाँच।
- परमाणु ऊर्जा के केंद्र, कोई तीन।
- दामोदर घाटी क्षेत्र में लौह उत्पादन केंद्र।
- बाक्साइट के चार प्रमुख भंडार क्षेत्र।
- कोलार सोना क्षेत्र।
- लिग्नाइट कोयला उत्पादन क्षेत्र।
उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
PSEB 10th Class Social Science Guide खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में
प्रश्न 1.
वर्तमान युग में खनिज पदार्थों का महत्त्व क्यों बढ़ गया है?
उत्तर-
वर्तमान वैज्ञानिक युग में अनुसंधान और तकनीकी विकास के कारण खनिज पदार्थों का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया है।
प्रश्न 2.
भारत के लोगों को खनिज पदार्थों के प्रयोग में कौन-सी सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर-
हमें खनिज सम्पदा का बुद्धिमानी और सतर्कता से प्रयोग करना चाहिए ताकि उसका अपव्यय कम-से-कम हो।
प्रश्न 3.
भारत में मिलने वाले किन्हीं चार खनिज पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में मिलने वाले खनिज पदार्थ हैं-मैंगनीज़, अभ्रक, तांबा तथा बॉक्साइट।
प्रश्न 4.
लौह-अयस्क भारत के किन राज्यों में पाया जाता है?
उत्तर-
लौह-अयस्क भारत के झारखण्ड और उड़ीसा राज्यों में पाया जाता है।
प्रश्न 5.
हमारा लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश कौन-सा है?
उत्तर-
जापान भारत के लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश है।
प्रश्न 6.
मध्य प्रदेश के ऐसे दो जिलों के नाम बताओ जहां लौह-अयस्क पाया जाता है?
उत्तर-
जबलपुर तथा बालाघाट जिलों में लौह-अयस्क पाया जाता है।
प्रश्न 7.
उड़ीसा की मैंगनीज़-अयस्क की चार खानों के नाम बताओ।
उत्तर-
उड़ीसा में स्थित मैंगनीज़-अयस्क की चार खानें-क्योंझर, कालाहाण्डी, मयूरभंज तथा तालचेर हैं।
प्रश्न 8.
भारत में सबसे अधिक अभ्रक किस राज्य में पाया जाता है?
उत्तर-
भारत में सबसे अधिक अभ्रक झारखण्ड में पाया जाता है।
प्रश्न 9.
दो बॉक्साइट उत्पादक राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
दो बॉक्साइट उत्पादक राज्य हैं-गुजरात तथा महाराष्ट्र।
प्रश्न 10.
तांबा मुख्य रूप से किस राज्य में पाया जाता है?
उत्तर-
तांबा मुख्य रूप से झारखण्ड में पाया जाता है।
प्रश्न 11.
चार शक्ति साधनों के नाम बताओ।
उत्तर-
चार शक्ति साधनों के नाम हैं-कोयला, खनिज तेल, जल विद्युत् तथा परमाणु ऊर्जा।
प्रश्न 12.
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन कौन-सा है?
उत्तर-
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन कोयला है।
प्रश्न 13.
भारत की चार प्रमुख कोयला खानों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत की चार प्रमुख कोयला. खानों के नाम हैं-रानीगंज, झरिया, गिरिडीह तथा बोकारो।
प्रश्न 14.
भारत में कोयले का उत्पादन सबसे अधिक किस राज्य में होता है?
उत्तर-
भारत में कोयले का उत्पादन सबसे अधिक झारखण्ड में होता है।
प्रश्न 15.
स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य कौन-सा था?
उत्तर-
स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य असम था।
प्रश्न 16.
ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने कौन-सी योजना बनाई है?
उत्तर-
ऊर्जा ग्राम योजना।
प्रश्न 17.
भारत के उत्तम किस्म के दो लौह अयस्कों के नाम बताओ।
उत्तर-
हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट।
प्रश्न 18.
हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट में कितने प्रतिशत लौह-अंश होता है?
उत्तर-
60 से 70 प्रतिशत।
प्रश्न 19.
इस्पात बनाने में मैंगनीज़ का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मैंगनीज़ का मिश्रण इस्पात को मजबूती प्रदान करता है।
प्रश्न 20.
तांबे का प्रयोग बिजली उद्योग में क्यों होता है?
उत्तर-
क्योंकि ताँबा ताप का बहुत अच्छा सुचालक है।
प्रश्न 21.
चूने के पत्थर का उपयोग किस उद्योग में होता है?
उत्तर-
सीमेंट उद्योग में।
प्रश्न 22.
दो अलौह खनिजों के नाम लिखो।
उत्तर-
कोयला तथा चूने का पत्थर।
प्रश्न 23.
लिग्नाइट अथवा भूरा कोयला किस प्रकार का कोयला है?
उत्तर-
निम्न कोटि का।
प्रश्न 24.
लिग्नाइट पर आधारित ताप बिजली घर कहां स्थापित किया गया है?
उत्तर-
तमिलनाडु में नेवेली नामक स्थान पर।
प्रश्न 25.
पंजाब में कोयला आधारित ताप विद्युत् केंद्र किन दो स्थानों पर स्थित हैं?
उत्तर-
रोपड़ तथा भटिंडा में।
प्रश्न 26.
‘बाम्बे हाई’ से क्या प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
खनिज तेल।
प्रश्न 27.
गुजरात के एक तेल क्षेत्र का नाम बताओ।
उत्तर-
‘अंकलेश्वर’।
प्रश्न 28.
असम में स्थित एक तेल शोधन केंद्र का नाम लिखो।
उत्तर-
डिगबोई।
प्रश्न 29.
तेल तथा प्राकृतिक गैस के खोज कार्य में लगी भारत की एक कम्पनी का नाम बताइए।
उत्तर-
तेल एवं प्राकृतिक गैस कमीशन (ONGC)।
प्रश्न 30.
खाना पकाने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली गैस का नाम बताइए।
उत्तर-
एल० पी० जी०।
प्रश्न 31.
दो जीवाश्म इंधनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम।
प्रश्न 32.
केरल के समुद्री तट पर पाये जाने वाले उस बालू का नाम बताओ जिसमें से थोरियम निकाला जाता
उत्तर-
मोनाजाइट।
प्रश्न 33.
किसी एक कभी समाप्त न होने वाले ऊर्जा स्त्रोत का नाम बताइए।
उत्तर-
सौर ऊर्जा।
प्रश्न 34.
(i) भारत में इस समय कौन-कौन से चार परमाणु केन्द्र काम कर रहे हैं ।
(ii) सबसे पुराना केन्द्र कौन-सा है?
उत्तर-
(i) भारत में इस समय महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा पर तारापुर, राजस्थान में कोटा के पास रावत भाटा, तमिलनाडु में कल्पाक्कम तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नरौरा परमाणु केन्द्र काम कर रहे हैं।
(ii) सबसे पुराना केन्द्र तारापुर में है।
प्रश्न 35.
भारत के किन्हीं चार तापीय विपत् केन्द्रों के नाम लिखें। (राज्यों के नाम सहित)
उत्तर-
भारत के चार तापीय विद्युत् केन्द्रों के नाम हैं
बिहार में बरौनी, दिल्ली में बदरपुर, महाराष्ट्र में ट्रांबे तथा पंजाब में भटिण्डा।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति
- लौह अयस्क मुख्यतः भारत के उड़ीसा और ……….. राज्यों में पाया जाता है।
- मध्य प्रदेश के जबलपुर तथा ………… जिलों में लौह-अयस्क पाया जाता है।
- हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट में …………. प्रतिशत लौह-अंश होता है।
- ……………. का मिश्रण इस्पात को मजबूती प्रदान करता है।
- ताँबा ताप का बहुत अच्छा ………. है।
- ……….. निम्न कोटि का कोयला है।
- तमिलनाडु में ………. नामक स्थान पर स्थापित ताप बिजली घर लिग्नाइट पर आधारित है।
- बाम्बे हाई से ………… प्राप्त किया जाता है।
- डिगबोई तेल शोधक केंद्र ……….. राज्य में स्थित है।
- ……… खाना पकाने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली गैस है।
उत्तर-
- झारखंड,
- बालाघाट.
- 60 से 70,
- मैंगनीज़,
- सुचालक,
- लिग्नाइट अथवा भूरा कोयला,
- नेवेली,
- खनिज तेल,
- असम,
- एल० पी० जी०।
III. बहुविकल्पीय प्रश
प्रश्न 1.
भारत के लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश है
(A) चीन
(B) जापान
(C) अमेरिका
(D) दक्षिण कोरिया।
उत्तर-
(B) जापान
प्रश्न 2.
भारत में सबसे अधिक अक किस राज्य में पाया जाता है?
(A) बिहार
(B) छत्तीसगढ़
(C) झारखंड
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(C) झारखंड
प्रश्न 3.
तांबा मुख्य रूप से किस राज्य में पाया जाता है?
(A) बिहार
(B) झारखण्ड
(C) गुजरात
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(B) झारखण्ड
प्रश्न 4.
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन है
(A) कोयला
(B) लकड़ी
(C) डीज़ल
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(A) कोयला
प्रश्न 5.
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य था
(A) गुजरात
(B) महाराष्ट्र
(C) बिहार
(D) असम।
उत्तर-
(D) असम।
प्रश्न 6.
चूने के पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से किस उद्योग में होता है?
(A) कागज़
(B) पेट्रो-रसायन
(C) सीमेंट
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(C) सीमेंट
प्रश्न 7.
खनिज भण्डारों के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा खनिज संसाधन हैं
(A) कोयला
(B) तांबा
(C) मैंगनीज़
(D) पेट्रोलियम।
उत्तर-
(A) कोयला
प्रश्न 8.
भारत में सबसे पुराना परमाणु केंद्र है
(A) कल्पाक्कम
(B) नरौरा
(C) रावत भाटा
(D) तारापुर।
उत्तर-
(D) तारापुर।
IV. सत्य-असत्य कथन प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं
- हेमाटाइट सबसे घटिया किस्म का लोहा है।
- एल्यूमिनियम धातु हल्की तथा ताप की सुचालक होती है।
- सौर ऊर्जा एक गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन है।
- प्राकृतिक गैस के भण्डार आमतौर पर कोयला क्षेत्रों के साथ पाये जाते हैं।
- कोयला देश (भारत) का सबसे बड़ा खनिज संसाधन है।
उत्तर-
- (✗),
- (✓),
- (✓),
- (✗),
- (✓).
V. उचित मिलान
- मैंगनीज़ का उपयोग — सीमेंट उद्योग
- अभ्रक का उपयोग — एल्यूमीनियम
- चूने पत्थर का उपयोग — बिजली उद्योग
- बॉक्साइट — इस्पात बनाने में।
उत्तर-
- मैंगनीज का उपयोग — इस्पात बनाने में,
- अभ्रक का उपयोग — बिजली उद्योग,
- चूने पत्थर का उपयोग — सीमेंट उद्योग,
- बॉक्साइट — एल्यूमीनियम।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
आधुनिक युग में अभ्रक का महत्त्व बताओ। भारत में अभ्रक का उत्पादन करने वाले दो मुख्य राज्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
महत्त्व-आधुनिक युग में उद्योगों के विकास के कारण अभ्रक का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। इस खनिज का अधिकतर उपयोग बिजली का सामान बनाने में किया जाता है। मोटरों तथा हवाई जहाज़ के शीशों में भी अभ्रक का प्रयोग किया जाता है।
अभ्रक उत्पादन राज्य-भारत में अभ्रक का उत्पादन करने वाले मुख्य दो राज्य निम्नलिखित हैं —
- झारखण्ड-भारत में सबसे अधिक अभ्रक झारखण्ड राज्य में निकाला जाता है। हमारे देश का लगभग आधा अभ्रक इसी राज्य से प्राप्त होता है।
- आन्ध्र प्रदेश-देश के कुल अभ्रक का 27 प्रतिशत भाग आन्ध्र प्रदेश से प्राप्त होता है।
प्रश्न 2.
कोयले का क्या महत्त्व है? इसकी उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर-
महत्त्व-कोयला शक्ति प्राप्त करने अथवा औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन है। साथ ही यह औद्योगिक कच्चा माल भी है। घरों में भी इसका प्रयोग ईंधन के रूप में होता है।
उत्पत्ति-कोयले की उत्पत्ति वनस्पति के गल-सड़ कर कठोर हो जाने से हुई है। लाखों वर्ष पहले धरातल पर घने जंगल थे। पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण धरातलं में दरारें पड़ गई और ये वन पृथ्वी के नीचे धंस गए। पृथ्वी की भीतरी गर्मी तथा ऊपरी दबाव के कारण ये वन गल-सड़ कर कोयला बन गये और धीरे-धीरे काफ़ी कठोर हो गए। इसी को पत्थरी कोयला कहते हैं।
प्रश्न 3.
पेट्रोलियम किस काम आता है? इसकी उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर-
पेट्रोलियम हवाई जहाज़ तथा मोटरें आदि चलाने के काम आता है। इसे साफ़ करके पेट्रोल, मोम, कैरोसीन तथा मोबिल ऑयल बनाया जाता है।
पेट्रोलियम की उत्पत्ति-पेट्रोलियम की उत्पत्ति समुद्री जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों के अवशेषों से हुई है। समुद्र में अनेक छोटे-छोटे जीव तथा पौधे पानी में तैरते रहते हैं। मरने के पश्चात् इनके जीवांश समुद्र में निर्मित अवसादी शैलों में दब जाते हैं। इन जीवांशों पर करोड़ों वर्षों तक गर्मी, दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं का प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप ये जीवांश पेट्रोलियम में बदल जाते हैं।
प्रश्न 4.
भारत में पेट्रोलियम उत्पादक राज्यों, इसकी शोधशालाओं तथा इसके उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वतन्त्रता के समय केवल असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था। यह तेल क्षेत्र काफ़ी छोटा था। स्वतन्त्रता के पश्चात् गुजरात में अंकलेश्वर से भी खनिज तेल प्राप्त होने लगा। तत्पश्चात् मुम्बई हाई में खनिज तेल के भण्डार मिले। मुम्बई तट से 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह तेल क्षेत्र आज भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। शोधशालाएं-पेट्रोलियम को साफ़ करने के लिए देश में अनेक शोधशालाएं स्थापित की गई हैं। इनमें से मुख्य शोधशालाएं नूनमती (असम), बरौनी (बिहार), अंकलेश्वर (गुजरात) में हैं। विशाखापट्टनम, चेन्नई तथा मुम्बई में भी तेल शोधशालाएं हैं। उत्पादन-भारत में पेट्रोलियम का उत्पादन प्रति वर्ष बढ़ रहा है। 1980-81 में भारत में पेट्रोलियम का कुल उत्पादन 10.5 मिलियन टन था। 1999-2000 में यह बढ़ कर 31.9 मिलियन टन हो गया।
प्रश्न 5.
भारत में लोहे के उत्पादन और वितरण पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में विश्व के कुल लोहे का एक-चौथाई भाग सुरक्षित भण्डार के रूप में विद्यमान है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 2,100 करोड़ टन लोहे का सुरक्षित भण्डार है।
उत्पादन-पिछले वर्षों में भारत में लोहे का उत्पादन काफ़ी बढ़ा है। सन् 1951 में भारत में केवल 4 मिलियन टन लोहे का उत्पादन हुआ। 1998-99 में यह उत्पादन बढ़ कर 70.7 मिलियन टन हो गया।
वितरण-भारत में सबसे अधिक लोहा झारखण्ड राज्य में निकाला जाता है। देश के कुल लोहा उत्पादन का 50 प्रतिशत से भी अधिक लोहा इसी राज्य से प्राप्त होता है। इसका दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य उड़ीसा है। इनके अतिरिक्त लोहे के अन्य मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान आदि हैं।
प्रश्न 6.
परमाणु खनिज क्या होते हैं और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-
वे खनिज जिनसे परमाणु ऊर्जा मिलती है, परमाणु खनिज कहलाते हैं। यूरेनियम और बेरीलियम इसी प्रकार के खनिज हैं। यूरेनियम बिहार राज्य में मिलता है तथा बेरीलियम राजस्थान में।
महत्त्व-अणु-खनिजों का महत्त्व निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है
- इनसे चालक शक्ति प्राप्त की जाती है।
- इनसे विनाशकारी बम बनाए जाते हैं। परन्तु आजकल अणु शक्ति का प्रयोग शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए अधिक होने लगा है।
- अणु-खनिजों से कारखाने चलाने के लिए विद्युत् उत्पन्न की जाती है। (4) इस शक्ति से कैंसर आदि भयानक रोगों की चिकित्सा की जाती है।
प्रश्न 7.
भारत के चार प्रमुख खनिज क्षेत्रों के नाम बताइए और प्रत्येक क्षेत्र में पाए जाने वाले मुख्य खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत के चार प्रमुख खनिज क्षेत्र अनलिखित हैं
- छोटा नागपुर तथा उत्तरी उड़ीसा-ये खनिज क्षेत्र बहुत ही विकसित हैं। इस क्षेत्र में कोयला, लोहा आदि प्रमुख खनिज पाये जाते हैं।
- मध्य राजस्थान में खनिजों के विशाल भण्डार हैं। इस क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। इस क्षेत्र में तांबा, जस्ता, सीसा, अभ्रक आदि खनिज पाये जाते हैं।
- दक्षिण भारत भी खनिजों की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में गोआ, मैसूर पठार तथा तमिलनाडु के कुछ भाग शामिल हैं। यहां पर लोहा, लिग्नाइट आदि खनिज पाये जाते हैं।
- मध्य भारत में दक्षिणी मध्य प्रदेश तथा पूर्वी महाराष्ट्र में भी खनिजों के भण्डार हैं। इनमें लोहा तथा मैंगनीज़ विशेष रूप से पाये जाते हैं।
प्रश्न 8.
अन्य शक्ति साधनों की अपेक्षा जल विद्युत् के कौन-कौन से चार लाभ हैं?
उत्तर-
शक्ति के चार साधनों (कोयला, पेट्रोलियम, जल-विद्युत् तथा अणु शक्ति) में जल-विद्युत का अपना विशेष महत्त्व है। इसके अतिरिक्त लाभ हैं
- कोयला तथा पेट्रोलियम के भण्डार समाप्त हो सकते हैं। परन्तु जल एक स्थायी भण्डार है जिससे निरन्तर जलविद्युत् प्राप्त की जा सकती है।
- जल-विद्युत् को तारों द्वारा सैंकड़ों कि० मी० की दूरी तक सरलता से ले जाया जा सकता है।
- जल-विद्युत् कोयले तथा पेट्रोलियम की अपेक्षा सस्ती पड़ती है।
- कोयले और पेट्रोलियम के प्रयोग से वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसके विपरीत जल-विद्युत् के प्रयोग से धुआँ नहीं निकलता।
बड़े उत्तर वाले प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
आधुनिक युग में लोहे का क्या महत्त्व है? भारत के विभिन्न भागों में लोहे के उत्पादन का हाल विस्तारपूर्वक लिखो। देश में लोहे का कुल उत्पादन तथा इसके सुरक्षित भण्डार का भी वर्णन करो।
उत्तर-
लोहा एक महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। इसके महत्त्व, प्रादेशिक वितरण तथा उत्पादन का वर्णन इस प्रकार है
महत्त्व-आधुनिक युग में लोहे का बहुत महत्त्व है। यह उद्योगों की आधारशिला है। इसके बिना किसी देश के आर्थिक विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लोहे से बनाई जाती हैं। इसका प्रयोग रेलें, वायुयान तथा जलयान बनाने में भी होता है। यह अन्य खनिजों की अपेक्षा अधिक कठोर है। इसके अतिरिक्त उत्पादन में लागत भी कम आती है। लोहे के महत्त्व को देखते हुए इसे काला सोना (Black Gold) भी कहा जाता है। प्रादेशिक वितरण-भारत में लोहे का वितरण इस प्रकार है
- झारखण्ड-भारत में लोहे के उत्पादन में झारखण्ड को मुख्य स्थान प्राप्त है। इस राज्य में सबसे अधिक लोहा सिंहभूम जिले में निकाला जाता है।
- उड़ीसा-भारत में दूसरा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य उड़ीसा है। इस राज्य में लोहा उत्पन्न करने वाले मुख्य जिले हैं-क्योंझर, बोनाई तथा मयूरभंज। गुरुहास्नी, सुलाइयत और बादाम पहाड़ इस राज्य के लोहे की मुख्य खानें हैं।
- मध्य प्रदेश-भारत में लोहा उत्पन्न करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश को तीसरा स्थान प्राप्त है। इस राज्य में लोहे का उत्पादन करने वाले मुख्य जिले हैं-जबलपुर और बालाघाट।
- कर्नाटक-लोहा उत्पन्न करने में कर्नाटक राज्य चौथे नम्बर पर है। कर्नाटक के बिलारी, चित्रदुर्ग तथा चिकमंगलूर जिले भी प्रमुख लौह-अयस्क केन्द्र हैं। कर्नाटक की कुद्रेमुख क्षेत्र की खानों से भी लौह-अयस्क मिलता है।
इन राज्यों के अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान अन्य महत्त्वपूर्ण लोहा उत्पादक राज्य हैं। हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में भी थोड़ी-बहुत मात्रा में लोहा निकाला जाता है।
उत्पादन-पिछले वर्षों में भारत में लोहे का उत्पादन काफ़ी बढ़ा है। सन् 1951 में भारत में केवल 4 मिलियन टन लोहे का उत्पादन किया गया था। परन्तु 1998-99 में भारत में 70.7 मिलियन टन लोहे का उत्पादन हुआ।
सुरक्षित भण्डार-भारत में लोहे का सुरक्षित भण्डार लगभग 13 अरब टन है। यह संसार के लोहे के कुल ज्ञात भण्डार का लगभग एक चौथाई भाग है।
प्रश्न 2.
भारत में खनिज सम्पत्ति तथा शक्ति के साधनों का वर्णन करो।
अथवा
निम्नलिखित पदार्थ भारत में कहां पाए जाते हैं और इनका क्या महत्त्व है? कोयला, लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, खनिज तेल, तांबा, अभ्रक।
उत्तर-
खनिज पदार्थों का प्रत्येक देश के लिए बड़ा महत्त्व होता है। इसके बिना किसी भी देश के उद्योग नहीं चल सकते। भारत खनिज पदार्थों में काफ़ी धनी है। यहां मुख्य रूप से निम्नलिखित खनिज पदार्थ मिलते हैं
- कोयला-कोयला एक महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। यह शक्ति का बहुत बड़ा साधन है। इससे रेलें, जहाज़ तथा कारखाने चलते हैं। हमारा अधिकतर कोयला रेलों में प्रयोग किया जाता है। कोयले के उत्पादन में भारत का विश्व में आठवां स्थान है। कोयले की अधिकतर खानें झारखण्ड में हैं। इसके अतिरिक्त रानीगंज (बंगाल) में भी इसकी खाने हैं। 2000-01 में देश में कोयले का कुल उत्पादन 33 करोड़ 35 लाख टन था। भारत कुछ कोयला निर्यात भी करता है।
- लोहा-लोहा उद्योगों का आधार माना जाता है। भारत में लोहे के विस्तृत भण्डार हैं। लोहे की बड़ी खाने सिंहभूम (झारखण्ड), मयूरभंज, क्योंझर तथा बोनाई (उड़ीसा) और स्लेम (तमिलनाडु) में हैं। कुछ लोहा कर्नाटक, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से भी निकाला जाता है। 1998 में देश में 71.5 मिलियन टन खनिज लोहे का उत्पादन हुआ था। हम कुछ लोहे का निर्यात भी करते हैं। हमारे लोहे का मुख्य ग्राहक जापान है।
- मैंगनीज़-मैंगनीज़ के उत्पादन में भारत को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है। विश्व का 20% मैंगनीज़ भारतीय खानों से निकाला जाता है। भारत में मैंगनीज़ पैदा करने वाले मुख्य राज्य मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा झारखण्ड हैं। मैंगनीज़ का प्रयोग लोहे से इस्पात बनाने में किया जाता है। किन्तु अभी लोहा-इस्पात उद्योग इतना विकसित नहीं है कि सारा मैंगनीज़ उसमें खप जाए। अतः हम काफ़ी मैंगनीज़ विदेशों को बेच देते हैं। हम अधिकतर मैंगनीज़ अमेरिका तथा इंगलैंड को भेजते हैं। भारत का मैंगनीज़ उत्तम प्रकार का होता है।
- अभ्रक-अभ्रक एक बहुमूल्य धातु है। इसका उपयोग शीशे तथा बिजली का सामान बनाने में होता है। संसार का 75% अभ्रक भारत में ही निकाला जाता है। यह मुख्य रूप से झारखण्ड तथा आन्ध्र प्रदेश में मिलता है किन्तु कुछ । अभ्रक राजस्थान से भी प्राप्त होता है। भारत अधिकतर अभ्रक निर्यात कर देता है। इंगलैंड, फ्रांस, अमेरिका, जापान, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि भारतीय अभ्रक के मुख्य ग्राहक हैं।
- बॉक्साइट-बॉक्साइट से एल्यूमीनियम नामक धातु प्राप्त की जाती है। एल्यूमीनियम रेल के डिब्बे, मोटर गाड़ी, जहाज, बिजली का सामान, बर्तन और वार्निश आदि बनाने के काम आती है। बॉक्साइट का प्रयोग मिट्टी का तेल साफ़ करने, सीमेंट बनाने और अनेक रासायनिक पदार्थों का निर्माण करने में भी होता है। भारत बॉक्साइट के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यह झारखण्ड, गुजरात, तमिलनाडु, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में पाया जाता है।
- खनिज तेल-आज के युग में खनिज तेल का बड़ा महत्त्व है। यह केवल शक्ति का ही साधन नहीं है बल्कि इससे और भी कई प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं। पेट्रोलियम हवाई जहाज़, समुद्री जहाज़ तथा मोटर आदि चलाने के काम आता है। इसे साफ़ करके पेट्रोल, मोम, कैरोसीन तथा मोबिल आयल बनाया जाता है। भारत में सबसे अधिक पेट्रोलियम सुम्बई हाई से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त असम राज्य में भी काफ़ी पेट्रोलियम निकाला जाता है। इस राज्य में पेट्रोलियम के मुख्य केन्द्र डिगबोई, बम्पापुंज, हंसपुंग, नाहरकटिया और मोरन आदि हैं। गुजरात राज्य में कैम्बे के निकट अंकलेश्वर से भी पेट्रोलियम निकाला जाता है। भारत में खनिज तेल का उत्पादन आवश्यकता से बहुत कम होता है। यहां निकाला जाने वाला पेट्रोलियम हमारी केवल 20 प्रतिशत आवश्यकता ही पूरी कर पाता है। इसलिए हमें विदेशों से इसका आयात करना पड़ता है।