Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 आय की धारणाएँ
PSEB 11th Class Economics आय की धारणाएँ Textbook Questions and Answers
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी फ़र्म द्वारा वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त मौद्रिक आमदन को आय कहते हैं।
प्रश्न 2.
कुल आय से आप का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तुओं की कुल मात्रा बेचने से जो कुल मुद्रा प्राप्त होती है उसको कुल आय कहा जाता है।
प्रश्न 3.
औसत आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
औसत आय से अभिप्राय प्रति इकाई वस्तु की आय से होता है। औसत आय को वस्तु की कीमत भी कहा जाता है। AR = \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\) और AR= PRICE
प्रश्न 4.
सीमान्त आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अन्य इकाई बेचने से कुल आय में जो वृद्धि होती है उसको सीमान्त आय कहते हैं।
MR = TRn – TRn-1
प्रश्न 5.
आय की कौन-सी धारणा को कीमत कहा जाता है ?
उत्तर-
औसत आय की धारणा को कीमत कहा जाता है।
प्रश्न 6.
कुल आय कीमत तथा बिक्री की मात्रा में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
कुल आय तथा बिक्री की मात्रा के अनुपात को कीमत कहते हैं।
Price = \(\frac{\text { T R }}{\text { Output }}\)
प्रश्न 7.
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की कीमत और सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की कीमत, सीमान्त आय के समान होती है।
प्रश्न 8.
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की औसत आय तथा सीमान्त आय बराबर क्यों होती है ?
अथवा
पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय सदैव बराबर होती है क्योंकि कीमत एक-सार रहती है और यह OX के समानान्तर होती है।
प्रश्न 9.
एकाधिकार बाज़ार में औसत आय तथा सीमान्त आय का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
एकाधिकार बाज़ार में औसत आय (AR) घटती है तथा सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती है।
प्रश्न 10.
औसत आय तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर-
- जब औसत आय बढ़ती है तो सीमान्त आय तीव्रता से बढ़ती है।
- जब औसत आय समान रहती है तो सीमान्त आय उसके बराबर हो जाती है।
- जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तेजी से घटती है।
प्रश्न 11.
कीमत तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर-
- पूर्ण बाज़ार में Price (AR) = MR
- अपूर्ण बाज़ार में Price (AR) > MR
प्रश्न 12.
यदि MR धनात्मक होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
R बढ़ता है।
प्रश्न 13.
यदि MR शून्य होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
TR अधिकतम होता है।
प्रश्न 14.
जब MR ऋणात्मक होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
TR घटता है।
प्रश्न 15.
औसत आय सदैव कीमत के समान होती है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
उत्तर|
प्रश्न 17.
एक वस्तु की प्रति इकाई बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि को …….. कहते हैं।
उत्तर-
कीमत।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
उत्तर-
प्रश्न 19.
जब सीमान्त आय कम हो रही होती है तो कुल आय ………….. से बढ़ती है।
उत्तर-
घटती दर।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
उत्तर-
प्रश्न 21.
AR= ……………………… .
उत्तर-
AR = \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)
प्रश्न 22.
MR = …….
उत्तर-
MR = \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\).
प्रश्न 23.
MR = \(\frac{\text { TR }}{\mathbf{Q}}\) = ……………………. .
उत्तर-
AR अथवा Price.
प्रश्न 24.
किसी फ़र्म द्वारा वस्तु की बिक्री से प्राप्त आय को ……… कहा जाता है।
उत्तर-
आय (Revenue)।
प्रश्न 25.
जब औसत आय बढ़ती है तो सीमान्त आय …… है। सीमान्त आय घटती है।
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 26.
जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तेजी से घटती है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 27.
सीमान्त आय धनात्मक, शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकती है परन्तु औसत आय सदैव धनात्मक रहती है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 28.
जब औसत आय स्थिर रहती है तो सीमान्त आय, औसत आय के बराबर हो जाती है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 29.
पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार में औसत आय और सीमान्त आय पूर्ण लोचशील नहीं होती।
उत्तर-
ग़लत।
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
एक फ़र्म अथवा उत्पादक के सन्तुलन से आपका क्या अभिप्राय है ? फ़र्म के सन्तुलन की शर्ते बताओ।
उत्तर-
एक फ़र्म अथवा उत्पादक सन्तुलन में होते हैं, जब उसको अधिकतम लाभ होता है अथवा न्यूनतम हानि होती है। फ़र्म के सन्तुलन की दो शर्ते हैं-
- फ़र्म की सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC) होनी चाहिए।
- सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) को नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटकर गुजरती हों।
प्रश्न 2.
एक फ़र्म की साधारण सन्तुलन की शर्ते बताओ।
अथवा
एक प्रतियोगी फ़र्म के अधिकतम लाभ की क्या शर्त होती है ?
उत्तर-
देखो इसके लिए प्रश्न 9.1 देखें।
प्रश्न 3.
कुल लाभ तथा शुद्ध लाभ में अन्तर बताओ।
उत्तर-
यदि कुल आय (TR) में से कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) घटा दी जाए तो इसको कुल लाभ कहा जाता है।
कुल लाभ = TR – TVC
अथवा
Net Profit + TFC
शुद्ध लाभ का अर्थ है कुल आय घटाओ कुल लागत
शुद्ध लाभ = कुल आय (TR) – कुल लागत (TC)
अथवा
Net Profit = TR – TVC – TFC |
शुद्ध लाभ = कुल लाभ – कुल स्थिर लागत।
प्रश्न 4.
साधारण लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म को उसी समय साधारण लाभ प्राप्त होता है, जब उस फ़र्म का सन्तुलन इस प्रकार होता है।
MR = MC
&
AR = AC
औसत लागत में उत्पादक का अपनी मेहनत का ईवजाना भी शामिल होता है, जिसको शून्य असाधारण लाभ (zero abnormal profit) कहा जाता है। जैसेकि रेखाचित्र में OQ उत्पादन से साधारण लाभ होगा।
प्रश्न 5.
असाधारण लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म को साधारण लाभ से अधिक लाभ प्राप्त होता है इसको असाधारण लाभ कहा जाता है।
जैसेकि रेखाचित्र 2 में OQ1 उत्पादन करने से E1C1 साधारण से अधिक लाभ होता है। इसको असाधारण लाभ कहा जाता है। उसी समय होती है।
TR > TC अथवा AR > AC |
प्रश्न 6.
समविच्छेद कीमत (Break-even Price) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस बिन्दु पर औसत आय तथा औसत लागत एक दूसरे को काटती है, उसको समविच्छेद कीमत कहा जाता है। रेखाचित्र 3 AR = AC बिन्दु B पर समान हैं। OP कीमत को समविच्छेद कीमत कहा जाता है।
प्रश्न 7.
फ़र्म के बन्द होने के बिन्द से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म के बन्द होने का बिन्दु वह बिन्दु है जहां कि फ़र्म की कुल आय (TR) = कुल परिवर्तनशील लागत के समान होती है। यदि कीमत इस कीमत से थोड़ी-सी भी कम हो जाए तो फ़र्म कार्य बन्द कर देती है। इसीलिए इस बिन्दु को फ़र्म बन्द होने का बिन्दु कहा जाता है।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतियोगिता अथवा एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को सूची पत्र द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
औसत आय तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ? .
उत्तर-
- जब औसत आय समान होती है तो सीमान्त आय इसके समान होती है। यह स्थिति पूर्ण प्रतियोगिता में पाई जाती है।
- जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है। औसत आय हमेशा धनात्मक होती है परन्तु सीमान्त आय धनात्मक, शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकता है, जैसे कि एकाधिकारी अथवा अपूर्ण प्रतियोगिता में होता है।
सूची पत्र अनुसार-
- पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय समान होते हैं। जैसा कि रेखाचित्र 4 भाग-A में दिखाया गया है।
- एकाधिकारी तथा अपूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है। 4 वस्तुएं उत्पादन करने से MR = 0 है तो पांचवीं तथा छठी वस्तु के उत्पादन से MR ऋणात्मक है। जैसा कि रेखाचित्र 5 भाग-B में दिखाया गया है।
प्रश्न 2.
सीमान्त आय तथा कुल आय के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
अथवा
रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो कि सीमान्त आय शून्य होती है तो कुल आय अधिकतम होती है।
अथवा
सूची पत्र तथा रेखाचित्र द्वारा कुल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
सीमान्त आय के योग से कुल आय प्राप्त की जाती है। इनके सम्बन्ध को सूची पत्र तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं
रेखाचित्र 6 अनुसार …
- कुल आय में वृद्धि घटते अनुपात पर होती है क्योंकि MR घटता है।
- कुल आय ₹ 12, 12 समान है तो MR = 0 हो जाता है।
- कुल आय घटने लगती है तो MR = (-) ऋणात्मक हो जाता है।
- जब MR = 0 है तो कुल आय QM अधिकतम है।
प्रश्न 3.
सीमान्त आय की परिभाषा दीजिए, पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
सीमान्त आय (Marginal Revenue)-जब वस्तु की एक अन्य इकाई बेचने से कुल आय में जो वृद्धि होती है, उसको सीमान्त आय कहा जाता है।
1. पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आयपूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत एक समान होती है। इसलिए औसत आय समान होती है। जब औसत आय समान होती है तो सीमान्त आय भी इसके समान होती है। जैसा कि रेखाचित्र 7 में दिखाया गया है।
2. एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आयएकाधिकारी में वस्तु की कीमत को घटाकर ही अधिक बिक्री की जा सकती है। इसलिए जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से दोगुणी दर पर घटती है। जैसा कि रेखाचित्र 8 में दिखाया गया है।
प्रश्न 4.
औसत आय की धारणा को कीमत कहा जाता है।
उत्तर-
वस्तु की औसत आय को कीमत भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति वस्तु है उपभोगी 20 इकाइयों की खरीद करता है तो कुल आय = 20 x 5 = ₹ 100 है। औसत आय इस प्रकार प्राप्त की जाती है-
सूची पत्र तथा रेखाचित्र 9 में कीमत ₹ 5 दिखाई गई है और औसत आय भी कीमत के सामान्य होती है रेखा- चित्र में भी कीमत = औसत आय है। इस प्रकार औसत आय का दूसरा नाम कीमत होता है।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
आय की धारणाओं को स्पष्ट करो। इनके सम्बन्धों की व्याख्या करो। (Explain the concepts of Revenue. Explain their Relationship.)
अथवा
कुल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय से क्या अभिप्राय है ? इनके परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
(What do you mean by Total Revenue, Average Revenue and Marginal Revenue ? Explain their mutual relationship.)
उत्तर-
एक फ़र्म वस्तुओं का उत्पादन करने के पश्चात् उनकी बिक्री से जो आय प्राप्त करती है, उसको आय (Revenue) कहते हैं। आय की मुख्य तीन धारणाएं हैं
- कुल आय (Total Revenue)
- औसत आय (Average Revenue)
- सीमान्त आय (Marginal Revenue)
आय की इन तीन धारणाओं को एक सूचीपत्र की सहायता से स्पष्ट कर सकते हैं-
1. कुल आय (Total Revenue)-उत्पादन की बेची गई इकाइयों को कीमत पर गुणा करने से कुल आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि 1 वस्तु बेचने से कुल आय 10 x 1 = ₹ 10 तथा दो वस्तुएं बेचने से ₹ 2×9 = 18 प्राप्त होती है।
कुल आय = कीमत x उत्पादन
2. औसत आय (Average Revenue)-कुल उत्पादन को उत्पादन पर विभाजित करने से औसत आय प्राप्त होती है। औसत आय तथा कीमत हमेशा स्थिर होती है।
3. सीमान्त आय (Marginal Revenue)-वस्तु की एक इकाई अन्य बेचने से जो कुल आय में वृद्धि होती है, उसको सीमान्त आय कहा जाता है। जैसे कि सूची पत्र में 1 वस्तु बेचने से कुल आय ₹ 10 तथा 2 वस्तुएं बेचने से ₹ 18 आय प्राप्त होती है तो कुल आय में वृद्धि ₹ 8 है। जिसको सीमान्त आय कहा जाता है।
कल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय का सम्बन्ध – रेखाचित्र 10 में कुल औसत, औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को स्पष्ट किया गया है। रेखाचित्र के भाग (A) में दिखाया है कि जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है।
- औसत आय (AR) कभी भी शून्य नहीं होती, क्योंकि प्रत्येक वस्तु की कुछ-न-कुछ कीमत आवश्यक होती है।
- सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती है, यह शून्य (0) भी हो सकती है तथा ऋणात्मक (-) भी हो सकती है।
- भाग B में कुल आय दिखाई है, जोकि पहले बढ़ती रेखाचित्र 10 जाती है। जबकि सीमान्त आय (MR) = 0 हो जाती है तो कुल आय अधिकतम (Maximum) होती है तथा जब सीमान्त आय (MR) ऋणात्मक हो जाती है तो कुल आय घटने लगती है।
विभिन्न बाजारों में आय रेखाओं का सम्बन्ध (Relationship between Revenue Curves in different Markets)-प्रतियोगिता के आधार पर बाज़ार को तीन भागों में विभाजित करते हैं-
- पूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार
- एकाधिकारी बाज़ार
- अपूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार इन तीन बाज़ार की स्थितियों में आय वक्र के सम्बन्धों को स्पष्ट किया जा सकता है
1. पूर्ण प्रतियोगिता में आय वक्र (Revenue Curves Under Perfect)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में कीमत उद्योग में मांग तथा कीमत द्वारा निर्धारण हो जाता है। प्रत्येक फ़र्म इस कीमत पर ही वस्तु की बिक्री करती है। उदाहरणस्वरूप
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 11 में औसत आय तथा सीमान्त आय ₹ 10, 10 समान हैं। इस स्थिति में AR = MR सीधी रेखा Ox के समान्तर बनती है, जिसको पूर्ण लोचशील वक्र कहा जाता है।
2. एकाधिकारी में आय वक्र (Revenue Curves Under Monopoly)-एकाधिकारी में वस्तु उत्पन्न करने वाला एक उत्पादन होता है। यदि वह कीमत में कमी करता है तो वस्तु की अधिक मात्रा बिकती है। औसत आय कम हो जाती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है।
सूचीपत्र में जब कीमत 10, 9, 8 घटती है तो सीमान्त आय 10, 8, 6 तीव्रता से घटती है। रेखाचित्र 12 में AR घटती है तथा MR तीव्रता से दोगुणी दर पर घटती है तथा मांग की लोच इकाई से कम (Ed < 1) होती है। 3. अपूर्ण प्रतियोगिता में आय वक्र (Revenue Curves Under Monopolistic Competition)-एकाधिकारी प्रतियोगिता के बाज़ार में फ़र्मे अपनी वस्तु को रजिस्टर्ड करवा लेती है, जैसे कि टैक्सला टी०वी० रजिस्टर्ड है। इससे कोई अन्य उत्पादन टी० वी० नहीं बना सकता। इसलिए फ़र्म का एकाधिकारी है, परन्तु बाज़ार में L.G., फिलिप्स इत्यादि अन्य टी० वी० भी हैं। इनमें प्रतियोगिता होती है।
इसीलिए इस बाज़ार को एकाधिकारी प्रतियोगिता अथवा अपूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार कहते हैं। इस बाज़ार में एकाधिकारी जैसे औसत MR आय AR घटती रेखा होती है तथा सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती रेखा होती है। परन्तु इसकी औसत आय तथा सीमान्त आय अधिक लोचशील होती है, जैसे कि रेखाचित्र 13 में औसत आय तथा सीमान्त आय नीचे की ओर घटती सीधी रेखाएं हैं। परन्तु इनकी मांग की लोच इकाई से अधिक (Ed > 1) है, क्योंकि यदि कोका कोला ₹ 10 की जगह पर ₹ 9 हो जाए तथा पैप्सी कोक ₹ 10 का ही रहता है तो कोका कोला की मांग बहुत अधिक होगी।
V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)
आय की धारणाएं (Concepts Of Revenue)
प्रश्न 1.
एक फ़र्म की कुल आय अनुसूची दी गई है। इस फ़र्म की वस्तु कीमत कितनी है ?
उत्तर-
प्रश्न 2.
निम्न सूचीपत्र को पूरा करो।
उत्तर-
प्रश्न 3.
निम्न सूची पत्र को पूरा करो। वस्तुओं की बिक्री ।
उत्तर-
प्रश्न 4.
निम्नलिखित सूची पत्र को पूरा करो।
उत्तर –
प्रश्न 5.
निम्न सूची पत्र को पूरा करो।
उत्तर –
प्रश्न 6.
एक प्रतियोगिता वाली फ़र्म को बाज़ार में ₹ 15 कीमत प्राप्त होती है।
(a) इस फ़र्म की कुल आय अनुसूची बताओ जब उत्पादन 0 से 10 तक वस्तुओं की इकाइयां किया जाता
(b) यदि बाज़ार में कीमत बढ़कर ₹ 17 हो जाए तो नई आय वक्र चपटी अथवा खड़वीं होगी ?
उत्तर-
प्रतियोगिता वाले बाज़ार में जो कीमत ₹ 15 से बढ़कर ₹ 17 हो जाती है तो कुल आय वक्र खड़वी (Steeper) होगी, जैसे कि रेखाचित्र 14 में कीमत ₹ 15 है तो कुल आय की ढाल TR, है। जब कीमत बढ़कर ₹ 17 हो जाती है तो कुल आय की ढाल TRA है। TR अधिक खड़वी रेखा है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो यदि वस्तु की एक इकाई 5 रुपए की बेची जा सकती है।
उत्तर–
प्रति इकाई वस्तु की कीमत = 5 रुपए
प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो।
उत्तर
प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूची पत्र को पूरा करो
उत्तर-
प्रश्न 10.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो-
उत्तर-
प्रश्न 11.
एक एकाधिकारी की मांग अनुसूची दी गई है। इससे कुल आय (TR), औसत आय (AR) तथा सीमान्त आय (MR) सूची बनाओ।
उत्तर-
प्रश्न 12.
एक एकाधिकारी फ़र्म की सीमान्त आय सूची दी हुई है। कुल आय तथा औसत आय सूची बनाओ।
उत्तर –
प्रश्न 13.
निम्नलिखित सूचीपत्र से कुल आय TR, औसत आय AR तथा सीमान्त आय ज्ञात करो।
उत्तर-
प्रश्न 14.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और कुल लागत ज्ञात करें –
उत्तर –
प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और कुल लागत ज्ञात करें –
उत्तर-
प्रश्न 16.
निम्नलिखित अनुसूची आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और सीमान्त लागत ज्ञात कीजिए।
उत्तर-